आत्मनिर्भर होना है जरुरी – जय भारती (बाइक राइडर)

पिछले कुछ सालों से ट्रेवल करना मेरे लिए जरुरी हो गया था. आर्किटेक्ट होने की वजह से मुझे जॉब के साथ ही बहुत ट्रावेल करना पड़ता था. मैं हर साल किसी न किसी क्षेत्र में ट्रेवल करती रही. जब मैं हैदराबाद वापस आई, तो मुझे GoUNESCO चैलेंज में भाग लेने के लिए कहा गया, जिसमें पूरे भारत में 28 UNESCO साइट्स को एक साल में पूरा करना था. मैने इस चैलेज को लिया और इसे जीतने के बाद ट्रेवलिंग की उत्कंठा और अधिक बढ़ गयी. इन बातों को हंसती हुई कह रही थी,39 वर्ष की हैदराबाद की‘मोवो संस्था’ की संस्थापक बुलेट बाइकर जय भारती.

मिली प्रेरणा

जय भारती ने छोटी अवस्था से ही पिता प्रसाद रावकी छोटी लूना मोपेड चलाना सीख लिया था. उनका कहना है कि मेरे भाई और मुझमें, पिता ने कभी अंतर नहीं समझा. इसके बाद से मुझे गाडी चलाने का शौक बढ़ा और जो भी मोटरसाइकिल मेरे घर आती थी, मैं उसे चलाती थी. पहले मैंने शौक से चलाया, लेकिन पिछले 10 सालों से मैं सीरियसली बाइक चला रही हूँ, जिसमें केवल भारत ही नहीं इंडोनेशिया, वियतनाम, अमेरिका आदि कई जगहों पर एक मिशन के साथ बाइक चला चुकी हूँ. ये सही है कि मैंने बाइक चलाना फैशन के रूप में सीखा, लेकिन बहुत सारी महिलाओं को भी गाड़ी चलने का शौक होता है,पर उन्हें कोई सीखाने वाला नहीं होता. मैंने अपनी संस्था की तरफ से कम आय वाली 1500 महिलाओं को गाड़ी चलाना मुफ्त में सिखाया है. कुछ प्राइवेट गाडी चलाती है, तो कुछ रोज की चीजों को मार्केट से लाकर बेचती है या फिर कहीं आने जाने के लिए चलाती है. इसमें मैं उन्हें लाइसेंस अपने पैसे से लेने के लिए कहती हूँ, ताकि परिवार के लोग इसमें शामिल हो, क्योंकि कई बार लड़कियां घर पर बिना बताये गाडी सिखती है, इसलिए ऐसा करना पड़ा. मेरी इस टीम में 10 संस्था की और 10 फ्री लांस काम करते है. इसके अलावा मेरी कोशिश रहती है कि महिला को महिला इंस्ट्रक्टर ही सिखाएं, इससे वे अधिक जल्दी सीख लेती है, क्योंकि उनका कम्फर्ट लेवल अधिक अच्छा होता है.

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मिलता है कॉन्फिडेंस

बाइक राइडिंग सीखने के बाद जीवन में आये परिवर्तन के बारें में जय भारती कहती है कि मैं कई सालों से बाइक चला रही हूँ. मैने देखा है कि बाइक पर बैठते ही मुझे एक कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि किसी भी गाडी को चलाना, उसे कंट्रोल करना आसान नहीं होता, इसे कंट्रोल कर लेने के बाद व्यक्ति बहुत अधिक आत्मविश्वास पा लेता है, जो आगे चलकर उनके जीवन की किसी भी कठिनाई को सॉल्व कर सकती है.कैम्पेन ‘मूविंग बाउंड्रीज’भी एक ऐसी ही मिशन है, जिसमें दुनियाभर में महिलाओं को अपने आवागमन को लेकर कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है. वे अच्छी पढ़ाई या किसी कामके लिए घर से ज्यादा दूर नहीं जा पातीं, क्योंकि वे गाड़ी चला नहीं सकती और असुरक्षित यात्रा नहीं करना चाहती, ऐसे में उनके पास रोज़गार के काफी सीमित मौके ही रह जाते है, मैंअपनी मोटरबाइक पर इन 40 दिनों की यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हूँ. इस दौरान मुझे देश भर में सभी वर्गों की महिलाओं से मिलने और वर्कशॉप करने का मौका मिलेगा. जहां मैं उन्हें यह बता सकती हूं कि ड्राइविंग एक ऐसा काम है, जो न सिर्फ उनके लिए संभव है, बल्कि वे इसे रोज़गार के रूप में चुन सकती है. एक सुरक्षित माहौल निर्माण करना बेहद ज़रूरी है, जहां महिलाओं को न सिर्फ यात्रा करने के लिए भरोसेमंद ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले, बल्कि वे अपने वाहन खरीदकर आजीविका भी कमा सकें. यह एक शानदार तरीका है, जिसमें रोजगार के साथ-साथ सुरक्षा की भी गारंटी होती है और महिलाओं को पुरुषों पर निर्भर होना कम हो सकेगा. मेरे यहाँ तक पहुँचने में मेरी पिता का सबसे बड़ा हाथ है, उन्होंने कभी मुझे किसी काम से मना नहीं किया, इसके बाद मेरी दो भाइयों ने भी सपोर्ट दिया.

होते है आश्चर्य चकित

क्या महिला होकर बाइक चलाने को लेकर किसी प्रकार के ताने सुनने पड़े, पूछे जाने पर जय भारती कहती है कि शुरू में कई बार ताने सुनने पड़ते थे. इसके अलावा मोटरसाइकिल चलाते वक्त सबको ड्रेस पहनने पड़ते है, हेलमेट लगाना पड़ता है, इससे वे अच्छी तरह से पहचान नहीं पाते है कि लड़की है या लड़का. हाँ ऐसा जरुर होता है कि जब मैं बाइक रोकती हूँ, तो लोग मुझे देखकर चौक जाते है. कुछ लोग उसे पोजिटिव रूप में भी लेते है और खुश होकर अपनी बेटियों को भी सिखाने की इच्छा जाहिर करते है. 40 दिन की ये सफ़र 11 अक्तूबर कोयानि ‘इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे’ के दिन हैदराबाद से शुरू होकर बंगलुरु, चेन्नई,कोचीन, गोवा, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, श्रीनगर आदि जगहों पर होते हुए हैदराबाद में अंत हो जाएगा. ये सफ़र पूरे भारतवर्ष का है. इसमें मुझे सनराइज सेशुरू कर, सनसेट के बाद कही रुकना पड़ता है. इसमें 4 या 5 महिलाएं मेरे साथ भाग लेती है, जो उनकी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है.इस दौरान मैं हर जगह की महिला ट्रेनिंग सेंटर्स सेमिलने की कोशिश करुँगी और कुछ महिलाओं की कहानियों को दूसरे शहरों में फैलाना चाहती हूँ, क्योंकि चेन्नई में 200 से अधिक ऑटो ड्राईवर महिला है, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के पास 50 प्रतिशत से अधिक महिला इलेक्ट्रिक ऑटो ड्राईवर है. इसलिए मैं दूसरे शहर की महिलाओं को प्रेरित करना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, दिल्ली आदि शहरों में महिलाये पब्लिक ट्रांसपोर्ट चला सकती है, तो बाकी शहरों में क्यों नहीं चला सकती. अधिक से अधिक महिला ड्राईवर देश में होने चाहिए.

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जरुरी है आत्मनिर्भर होना

जय भारती को इस काम में मुश्किल अधिक कुछ भी नहीं लगता है, क्योंकि बाइक चलाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन सही संस्था के साथ जुड़ना आवश्यक है, क्योंकि हमारे देश में कई संस्थाएं है, जहाँ महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है, पर वे इसे रोजगार के रूप में नहीं ले पाती, इन संस्थाओं में अधिक से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए इच्छुक महिलाओं को ढूढ़ निकालना भी बहुत मुश्किल होता है.

अनदेखा न करें ट्राफिक नियम

पेशे से मैं आर्किटेक्ट हूँ, लेकिन 2 साल पहले मैंने इसे छोड़ सोशल काम करना शुरू किया. इस काम में उम्र सीमा नहीं होती, पहले तो महिलाएं किसी की बाइक लेकर सीखती थी. पिछले 10 सालों में बहुत बदलाव आया है. आज तो किसी के बर्थडे पर बाइक गिफ्ट की जाती है. बाइक चलाना सीखते वक्त सबका सहयोग होता है, लेकिन सबसे अधिक सपोर्ट पुणे में मिला है. कुछ जगहों पर महिलाएं बिना बताये ड्राइविंग सीखने आ जाती है और कॉंफिडेंट होने पर घरवालों को बताती है. ड्राइविंग में सबसे जरुरी है, ट्राफिक के नियमों का पालन करना, लाइसेंस लेना, स्पीड लिमिट सही रखना, ताकि आप सुरक्षित ड्राइव कर सकें.

पैठनी साड़ी से महाराष्ट्रियन लुक में लगाएं चार चांद, पढ़ें खबर

साड़ी में हर नारी के आभा ऐसी खिलती जैसे किसी कुम्भार ने मिट्टी में आभा उकेरी साड़ी किसी भी औरत या लड़की की किसी भी तरह के त्योहार या किसी फंगस में पहनने जाने वाली पहली पसंद होती है वैसे तो हर औरत के वॉडरोब में सिल्क, बनारसी, बांधनी, चंदेरी, कॉटन के साड़ियों का संग्रह मिल जाता है. पर कुछ और भी पारम्परिक और डिजाइन की साड़ी महिलाओं की पसंद बन सकती है.

ऐसे में औरंगाबाद के पैठन से हाथ कारीगरों के द्वारा बुनी हुई साड़ी को पैठानी साड़ी का नाम दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पैठनी साड़ी बुनने की शुरुआत पैठन से ही हुई थी, लेकिन मौजूदा समय मे महाराष्ट्र के नाशिक शहर के येवला में सबसे ज्यादा पैठनी साड़ियों को बनाया जाता है. रेशम के धागों से बुनी हुई यह सुंदर साड़ी महराष्ट्रियन शादी का एक एहम हिसा है. दुल्हन के लिए खास लाल और हरे रंग की पैठनी साड़ी का चुनाव किया जाता है. सिर्फ शादी ही नहीं बल्कि किसी भी शुभ अवसर के लिए महाराष्ट्र में पैठनी साड़ी का चलन सबसे अधिक है. लेकिन अब ये सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में इस रेशमी साड़ी को पहना जाता है. वजह है इसकी सुंदरता और रंगों का चुनाव.

काली पैठनी साड़ी

पैठनी साड़ीयो के इस सुंदर संग्रह की शुरुआत हम सबसे पहले काले रंग की पैठनी के साथ करते है, इस पैठनी साड़ी पर आपको एक बेहतरीन डिज़ाइनर ब्लाउज़ भी मिलेगा. काले रंग में सुनहरे और लाल रंग की जाने वाली कारीगरी साड़ी को खूबसूरत बनाती है.

पीली पैठनी

त्यौहारों के इस मौसम में पीला रंग पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. पीले रंग में हल्के सुनहरे रंग की बॉर्डर के साथ की जाने वाली कारीगरी साड़ी को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है. इसके पल्लू और बॉर्डर पर आपको रंग-बिरंगे फूलों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

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गुलाबी पैठनी

यह गुलाबी पैठान बिलकुल ऐसी है जैसे रेशम पर किसी खूबसूरत सी कारीगरी को बुन दिया गया हो. हेवी बॉर्डर पल्लू होने के कारण आप इसे फ्रंट पल्लू स्टाइल में भी आराम से पहन सकती हैं. इसके संग दिये हुए ब्लाउज़ पर आपको सुनहरी बूटियों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

गुलाबी हरी पैठनी

दिवाली हो या और कोई खास त्यौहार, यह पैठनी साड़ी हर मौके के लिए एकदम पर्फेक्ट चॉइस है. गुलाबी रंग को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. वजह है आप इस पैठनी को किसी भी खास और आम अवसर पर पहन सकती हैं. इस साड़ी के संग दिए हुए इसके विपरीत रंग के ब्लाउज़ ने इस साड़ी की शोभा को दुगना कर देता है.

लाल हरा पैठनी

लाल और हरे रंग का संगम हमेशा ही शानदार दिखाई देता है. लेकिन जब लाल रंग में ऐसी सुनहरी डिज़ाइन देखने को मिले तो साड़ी और भी खास हो जाती है. और इस संगम में सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि आपको ब्लाउज़ भी डिज़ाइनर ही मिलेगा.

नीली पैठनी

इस पैठनी साड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि यह डार्क ब्लू रंग में है. गहरा नीला रंग हर महिला पर सुंदर दिखाई देता है. इसकी बॉर्डर की डिज़ाइन को बैंगनी और गुलाबी रंग की कारीगरी से सजाया गया है.

हाफ वाइट पैठनी

सौम्य और खूबसूरत पैठनी साड़ी पहनने की इच्छा हो तो आप यह ऑफ व्हाइट रंग की पैठनी साड़ी को आराम से पसंद कर सकती हैं. इसके ऑफ व्हाइट रंग को संतुलित करने के लिए इसकी बॉर्डर में सुनहरे और कई सारे रंगों का प्रयोग किया गया है.

स्ट्राबेरी लाल पैठनी

स्ट्रॉबेरी रंग की यह पैठनी साड़ी युवतियों में सबसे ज्यादा चर्चित है. इसका रंग संयोजन बेहद ही कमाल का है. इसकी कारीगरी में भी आपको सुंदर फूलों का आकार दिखाई देगा.

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ग्रे पैठनी

अगर आप पैठनी के आम रंगों से हटकर किसी रंग में पैठनी पहनना चाहती है तो यह साड़ी केवल आपके लिए है. ग्रे रंग में प्रस्तुत यह साड़ी पर गोल्ड रंग की बॉर्डर शानदार लूक दे रही है.

चेक डिजाइन पैठनी

जितनी खूबसूरत यह चेक्स पैटर्न में पैठनी साड़ी है उससे कई ज्यादा सुंदर इसका ब्लाउज़ है. इस ब्लाउज़ को आप अपनी दूसरी रेशमी और पैठनी साड़ियों के संग पहन
सकती हैं.

हीट ट्रीटमेंट और हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट से बेजान हो गए हैं बाल तो करिए ये काम

मौजूदा दौर में हर लड़की परफेक्ट दिखना चाहती है. इसके लिए वो अपनी स्किन के साथ साथ बालों के साथ भी कई एक्सपेरीमेंट करती हैं. नए नए हेयर स्टाइल, हेयर कर्ल और हेयर स्ट्रेटनिंग का सहारा लेती है, जिसके लिए कई बार बालों को बहुत ज्यादा हीट ट्रीटमेंट भी सहना पड़ता है. ये कुछ वक्त के लिए तो अच्छा लगता है लेकिन इसका असर बालों पर काफी लंबे समय तक रहता है.

जी हां, बालों की हद से ज्यादा स्टाइलिंग करने और हेयर ट्रीटमेंट यूज करने से इसका सीधा असर उनकी जड़ों पर पड़ता है और वो कमजोर होकर टूटने लगते हैं. इसके लिए अलावा वो ड्राय और बेजान हो जाते हैं जिससे बालों की नेचुरल चमक खत्म हो जाती है और इसका असर हमारे पूरे लुक पर पड़ता है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे आर्युवेदिक ट्रीटमेंट के बारे में जो आपके बालों की देखभाल भी करेगा और उन्हें बढ़ने में भी मदद करेगा.

केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार

अब वक्त आ गया है कि आप हेयर स्ट्रेटनिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से झड़ते हुए या रूखे और मुरझाए बालों का सही से इलाज करें. इसके लिए आपको हफ्ते में 3 बार केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करना होगा, जिससे बालों का झड़ना होगा कम और केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार.

ज्यादा हेयर स्टाइलिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से बेजान हुए बालों के लिए केश किंग ऑयल, शैंपू और कंडीशन एक बेहतरीन ऑप्शन है क्योंकि इसमें है भृंगराज, आंवला और ब्राह्मी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जो बालों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करती है. साथ ही एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां जो आपके बालों को फ्रिज़ीनेस से बचाने के साथ उन्हें मुलायम व खूबसूरत बनाने का काम करती है. इन प्रौडक्ट्स की खास बात ये है कि ये केमिकल्स से फ्री है , जिससे आपके बाल पूरी तरह से सेफ हैं. ये तेल इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड है और जिससे लाखों लोगों को फायदा मिला है.

आइए जानते हैं इसके 3 स्टेप हेयर केयर रूटीन के बारे में जो आपके बालों के लिए बेहद फायदेमंद होगा….

  1. हेयर ऑयलिंग और मसाज

जड़ी बूटी से युक्त ये आयुर्वेदिक तेल बालों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और बालों को जड़ों तक पोषण देता है, जिससे बाल मजबूत और घने होते हैं. सप्ताह में 3 बार बालों में Kesh King तेल से मसाज करने से बाल हैल्दी रहते हैं और इसके लगातार इस्तेमाल से बाल झड़ना भी बंद हो जाते हैं ये बालों को असमय सफेद होने से भी बचाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल…

  • रात में सोने से पहले इस तेल की मसाज करने से आपको ज्यादा फायदा मिलेगा.
  • केश किंग के Deep Root Comb से बालों में मसाज करें, जो बालों की जड़ों तक तेल से पोषण देने में मदद करेगा.
  • इसके बाद बालों की हल्की चोटी बनाकर उन्हें रात भर के लिए छोड़ दे जिसे वो पूरी तरह बालों की जड़ों में पहुंच जाएगा और उन्हें पोषण देगा.
  • कभी भी किसी भी तेल को सख्ती से सर पर नहीं लगाए और न हीं रगड़े वरना इससे आपके बाल कमजोर होकर उखाड़ सकते हैं.

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तेल की खासियत

  • हेयर फॉल के लिए नंबर 1 तेल
  • बालों को गहरा पोषण देता है
  • इस तेल में हैं बालों के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं.
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड क्रुएलिटी, पैराबेन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. शैंपू

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल शैम्पू एक अनूठा और शक्तिशाली फॉर्मूला है, जो एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से भरा है. ये बालों को रेशमी, चमकदार और चिकना बनाता है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के.

केश किंग शैंपू लगाने का तरीका

  • बालों को धोने से पहले कंघी जरूर करें ताकि वो उलझ कर टूटे न.
  • बाल धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का प्रयोग करें.
  • बालों को गीला करें और फिर हल्के हाथों से केश किंग शैंपू को पूरे बालों में लगाएं.
  • 3-4 मिनट के बाद अच्छी तरह से धोले.
  • बालों को सुखाने के लिए तौलिये से न रगड़ें, बल्कि किसी मुलायम कपड़े या टीशर्ट से बालों को कवर करें और उन्हें नेचुरल तरीके से सुखाने की कोशिश करें.
  • केश किंग शैंपू को अपने बालो के हिसाब से हफ्ते में 3 या 2 बार इस्तेमाल करें.

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल शैंपू की खासियत

  • बाल टूटने की वजह से हो रहे हेयरफॉल को 80% तक कम करता है.
  • बालों को सिल्की, शाइनी और सौफ्ट बनाता है.
  • इसके इस्तेमाल से मिलेंगे हेल्दी और पोषित स्कैलप
  • पूरे परिवार के लिए उपयुक्त
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. कंडीशनिंग

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल कंडीशनर आपके बालों को बिना किसी भारीपन के फ्रिज़-फ्री, मुलायम, चिकना और चमकदार बनाता है. इसके अनूठे फॉर्मूले में एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो बालों के झड़ने को कम करने और फ्रिज़ी बालों को संभालने में मदद करती हैं.

कंडीशनर लगाने का तरीका

  • बालों को शैंपू से अच्छे से धोएं.
  • अगर ऑइल लगाया है तो दो बार धोते हुए स्कैल्प और बालों को साफ करें ताकि कंडीशनर का असर हो सके.
  • बालों को टॉवल से हल्का सुखा लें, ऐसा नहीं करने पर बालों से पानी के साथ कंडीशनर भी बह जाएगा.
  • बालो की लंबाई के हिसाब से कंडीशन लें और दोनों हथेलियों पर मल लें.
  • बालों को एक साइड पर लें और हथेली पर लगे कंडीशनर को मिड लेंथ से टिप तक लगाएं.
  • कंडीशनर लगाने के दौरान हाथों से ज्यादा प्रेशर न दें नहीं तो हेयरफॉल ज्यादा होगा.
  • ध्यान रहे कि कंडीशनर को कभी भी स्कैल्प पर न लगाएं.
  • 1-2 मिनट तक कंडीशनर को बालों पर रहने दें फिर उन्हें हल्के हाथ से धो लें.
  • बालों को टॉवल से रगड़कर न सुखाएं नहीं तो कंडीशनर का कोई फायदा नहीं होगा और बाल फ्रिजी हो जाएंगे

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल कंडिशनर की खासियत

  • फ्रिजी बालों को संभालने में मदद करता है.
  • बालों का झड़ना कम करता है.
  • एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त

बालों के लिए आजमाएं ये खास टिप्स

लगातार बढ़ता प्रदूषण बालों को कमजोर और बेजान बना देता है. ऐसे में ये टिप्स अपना कर बना सकती हैं अपने बालों को सुंदर और घना:

हेल्दी डाइट है बहुत जरूरी

-अपने खानें में प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, बी कॉम्प्लेक्स, आयोडीन, फॉस्फोरस, कॉपर, सिलिकॉन, आयरन, मेग्निशियम, पोटेशियम जैसे तत्वों को शामिल करें. अंडे, पनीर, शकरकंद, पालक, मछली, केला, दूध, अनाज और साइट्रस फ्रूटस रोजाना खाएं.

-हेल्दी डाइट के साथ साथ आप केश किंग आयुर्वेदिक हेयर ग्रोथ कैप्सूल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो बालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा.

-केश किंग आयुर्वेदिक कैप्सूल एक संपूर्ण आयुर्वेदिक फार्मूला है, जो प्रकृति में पाई जाने वाली 6 चुनी हुई जड़ी-बूटियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है.

– बालों को पोषण देने के लिए नारियल के दूध का इस्तेमाल करें. नारियल का दूध बालों को पोषण तो देता ही है, साथ ही यह बालों को लंबा और चमकदार भी बनाता है. यदि आप के बाल ज्यादा रूखें हैं तो आप नारियल के दूध का इस्तेमाल जरूर करें. इस से आप के बाल सौफ्ट और सिल्की नजर आएंगे.

– बालों को चमकदार बनाने के लिए सिरके का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सिरके में पोटैशियम और गुणकारी ऐंजाइम होते हैं जो खुजली और रूसी से राहत दिलाते हैं. सेब का सिरका बालों को नई जान दे सकता है. बालों में सेब का सिरका महज 5 मिनट लगाने से ही बालों में नई चमक आ जाती है.

-इसके अलावा बालों की जड़ों से रूसी को हटाने के लिए 3 चम्मच दही में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर मिला कर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार करें.

– गीले बालों में कंघी न करें, इस से बाल कमजोर हो जाते हैं.

– बाल धोने के लिए हॉट वॉटर इस्तेमाल न करें. महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नहीं जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

-बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आप के पास स्टीमर नहीं है तो आप गरम तौलिए से भी बालों को स्टीम दे सकती हैं.

– बालों की देखभाल के लिए प्रोटीन ट्रीटमैंट जरूर लेना चाहिए. बालों को प्रोटीन ट्रीटमैंट देने के लिए 1 अंडे को फेंट कर गीले बालों में लगाएं. इसे 15 मिनट तक लगे रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें. इसके बाद एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां वाले केश किंग शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें.

-अगर आपको धूप में बाहर जाना है तो पहले बालों को हमेशा अच्छे से ढककर कवर करें. धूप के अलावा बारिश, तेज हवा और ठंडा मौसम भी बालों की प्राकृतिक नमी को सोखते हैं जिससे उन्हें नुकसान पहुंचता और उनकी चमक कम हो जाती है.

दोनों ही काली: भाग 2- क्यों पत्नी से मिलना चाहता था पारस

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर

 वहां से उठ कर तीनों प्राइवेट रूम में आए. लंबी डिलिवरी के बाद की थकान,

लेकिन आसपास बच्चियों के नन्हे दिलों की धड़कन और छोटेछोटे मुलायम हाथपैरों की हलचल ने नलिनी को गहरी नींद न सोने दिया था. इसलिए पारस को नलिनी के बैड के पास रखी कुरसी पर बैठा कर राबर्ट को साथ लिए मैस्सी कल फिर मौर्निंग वाली औनलाइन क्लास निबटाने के बाद आने की कह कर चली गई.

उस के बाद के दिनों में राबर्ट तो क्रिश्चियन वैलफेयर सोसाइटी का चेयरमैन होने के कारण अगले माह होने वाले सोसायटी के सालाना फंक्शन के आयोजन में व्यस्त हो गया, लेकिन मैस्सी नलिनी के डिस्चार्ज होने तक लगातार हौस्पिटल के चक्कर लगाती रही और डिस्चार्ज

के बाद वही उसे अपनी कार से ले कर मां के

घर आई.

वह जानती थी कि अपनी मां के पास रह कर ही नलिनी की सही देखभाल हो पाएगी.

उस के बाद मां के घर में जब भी मैस्सी नलिनी से मिलने पहुंची तो पारस को उस ने बहुत ही गंभीर और अपने में ही खोया हुआ पाया.

पारस ने अपना ज्यादातर समय बैंक में बिताना शुरू कर दिया था. मैनेजर पद के दायित्व का निर्वहन करने के बाद जब वह घर लौटता तो मैस्सी को नलिनी के पास ही पाता. बच्चियों को गोद में लेना तो दूर उसे उन के पास बैठना तक गवारा नहीं था.

समय एक एक दिन कर के बीत रहा था. दोनों बच्चियां भी मैस्सी के स्पर्श को पहचानने लगी थीं और पहचानती भी क्यों नहीं. आखिर मैस्सी उन की सगी मौसी थी, जो बचपन में मानसी के नाम से पुकारी जाती थी. यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में एमए करने के दौरान हंसमुख काला राबर्ट उस के जीवन में आया और मां तथा बड़े ताऊ के तमाम विरोध के बाद मानसी ने राबर्ट से शादी कर के क्रिश्चियन धर्म स्वीकार कर लिया.

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पिता तो बहुत पहले ही इस जगत को छोड़ गए थे. उस के बाद संयुक्त परिवार में एकमात्र बच्चे के विदेश जा कर बस जाने के गम में ताई भी ज्यादा समय तक जिंदा न रही. अपनी दोनों बच्चियों के साथ ही अब उन्हें अकेले बूढे़ जेठ का भी खयाल रखना पड़ता.

इस का एक कारण यह भी था कि नलिनी और मानसी के पिता की मृत्यु के बाद से उन्होंने भी बिना किसी लागलपेट के अपने दायित्व का निर्वहन बखूबी किया था. इसलिए मानसी का मैस्सी बन जाना उन्हें शुरू में तो बहुत अखरा

पर जब अपने अल्सर के औपरेशन के लिए नलिनी ने मैस्सी से परामर्श लिया तो राबर्ट ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपनी सोसाइटी के चैरिटेबल हौस्पिटल में स्वयं ले जा कर उन का सफल औप्ररेशन करवा दिया तब से मैस्सी और राबर्ट का इस घर में आनाजाना बढ़ गया. हालांकि उस के बाद ताऊजी भी ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहे.

पारस बैंक में प्रोविशनरी औफिसर चयनित होने के बाद शुरू के दिनों में राबर्ट की वैलफेयर सोसाइटी के गैस्टहाउस में ही रहता रहा.

एक दिन जब राबर्ट मैस्सी के साथ नलिनी को एमएससी

की डिगरी हासिल करने की बधाई देने आया तो मैस्सी की मां ने कहा, ‘‘मैस्सी बेटी, तू नलिनी के लिए भी राबर्ट जैसा कोई लड़का ढूृंढ़ दे ताकि मेरी जब आंखें मुंदें तो उस समय कोई ख्वाहिश न हो वरना सुना है कि मरते समय अगर मन में कोई इच्छा रह जाती है तो मन भटकता रहता है.’’

यह सुन कर राबर्ट जोर से हंसा फिर बोला, ‘‘मांजी मैं शर्त लगा सकता हूं कि जीव मरने के बाद अपने मन को भी साथ ले जाता है फिर जब मन भी साथ चला गया तो भटकेगा कौन?’’

‘‘अरे तुम तो मां से भी शर्त लगाने में जुट गए… तुम्हारी नजर में कोई लड़का हो तो बताओ.’’

जब मैस्सी ने कहा तो राबर्ट ने नलिनी की तरफ गौर से देखा.

अपनी ओर यों घूरते देख नलिनि बोली, ‘‘जीजाजी आप मुझे ऐसे क्यों घूर रहे हैं?’’

‘‘मैं इसलिए घूर रहा हूं कि इतनी सुंदर और गोरीचिट्टी होने के बाद भी कोई बांका छोरा तुम्हें फंसा क्यों नहीं पाया.’’

‘‘मेरा नाम नलिनी है, मानसी नहीं जिसे कोई भी फंसा ले.’’

‘‘ठीक, एक लड़का तो है मेरी नजर में. अच्छे घर का है बैंक में पीओ है और वह भी यही कहता है कि उसे कोई भी लड़की फंसा नहीं सकती, जबकि मजेदार बात यह है कि वह बेहद स्मार्ट है, गुड लुकिंग है. मैस्सी उसे अच्छी तरह जानती है.’’

‘‘तो उस से बात कर के देखो शायद उसे नलिनी पसंद आ जाए,’’ मां प्रसन्न होते हुए बोली.

‘‘मांजी मुझे पूरा विश्वास है कि नलिनी को वह रिजैक्ट कर ही नहीं सकता.’’

और यही सच भी हुआ. पारस को नलिनी पहली भेंट में पसंद भी आ गई. दोनों की शादी कराने में राबर्ट ने अपनी भूमिका बड़ी कुशलता से निभाई और शादी के बाद नलिनी कुछ दिन तो अपने सासससुर के पास रही, फिर पारस उसे अपने बैंक से मिले औफिसर्स फ्लैट में ले आया.

राबर्ट और मैस्सी का अकसर मिलनेजुलने आना हो ही जाता था. कभीकभी राबर्ट अकेला ही अपनी साली के हाथ से बनी कौफी पीने चला आता था.

बातबात पर किसी से भी शर्त लगाने को तैयार हंसमुख स्वभाव वाले राबर्ट से जीजासाली वाला तो रिश्ता था ही और जब से राबर्ट ने पारस से शादी करवाने में नलिनी की मां के साथ उस पर भी एक उपकार किया था तब से वह उन का और ज्यादा सम्मान करने लगी थी.

समय बीता नलिनी की कोख भारी हुई और डाक्टर डिसूजा ने शुरुआती परीक्षण में ही नलिनी के साथ आए पारस को बता दिया कि योर वाइफ इज कैरिंग ट्विंस.’’

तब से ही पारस एक अजीब सी मिश्रित प्रक्रिया से गुजर रहा था. नलिनी उसे

समझाती, ‘‘अरे तुम तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे कोख मेरी नहीं तुम्हारी भारी हो गई हो.’’

‘‘तुम्हें मजाक सूझ रहा है और मैं चितिंत हूं कि तुम इकहरे बदन की हो… यह 2-2 कैसे तुम्हारी छोटी सी कोख संभाल पाएगी.’’

‘‘कोख के बारे में मैं बस इतना जानती हूं कि जरूरत के हिसाब से वह अपना आकार एडजस्ट कर लेती है, फिर मैं इस संसार में अकेली थोड़े ही हूं जो जुड़वां बच्चों की मां बनूंगी.’’

9 महीने कब में पूरे हो गए पारस को पता ही न चला. हां नलिनी ने 1-1 दिन अपने गर्भ में होने वाली हलचल और मीठीमीठी पीड़ा का अनुभव करा.

अब नतीजा सामने था. दोनों नन्ही किलकारियों को साथ ले कर वह अपनी अनुभवी मां के पास आ गई थी. मैस्सी रोज चक्कर लगा लेती.

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बच्चियों के शरीर का आकार बढ़ना शुरू हो गया. मां की देखरेख में नलिनी और रातिकादिनिका पलनेबढ़ने लगीं.

राबर्ट भी आ कर सब का मन बहला जाता. पर जबतब नलिनी से पूछता, ‘‘पारस बैंक से कब लौटता है?’’

उस का उतरा चेहरा देख कर वह मां से पूछता, ‘‘मां इधर जब भी मिलने आया हूं पारस से मुलाकात नहीं हुई.’’

‘‘हां बेटे वह हफ्ताभर पहले जब आया था तो बता रहा था कि आजकल बैंकों में वर्क प्रैशर बहुत बढ़ गया है. सरकार की इतनी फाइनैंस स्कीमें आ गई हैं कि लोन वितरण करने और लाभार्थियों के खाते में सरकारी अनुदान का लेनदेन स्टाफ से करवाने के बाद इतना थक जाता हूं कि वहीं पास में अपने बंगले में सो जाता हूं.’’

‘‘और खाना वगैरह?’’

‘‘वहीं बैंक कैंटीन में खा लेते है,’’ इस बार नलिनी बोल पड़ी.

‘‘अच्छा,’’ कहते हुए उस ने दोनों बच्चियों को बारीबारी से गोद में उठा कर प्यार किया

और फिर नलिनी के हाथ से बनी कौफी पी कर चला गया.

आगे पढ़ें- 10 दिन पहले ही तो मैस्सी से…

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अच्छी Married Life के लिए स्नेह और समझदारी है जरूरी 

लेखिका- स्नेहा सिंह

विवाह में वर-वधू को भले ही और कोई दान न ददिया जाए, पर समझदारी का दान देना बहुत जरूरी है. नवविवाहित जोड़े के शुरू के 2 साल उनके आगे के संबंधों में तालमेल बैठाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगें. वैसे तो यह भी कहा जाता है कि समय के साथ व्यक्ति और संबंध, दोनों ही परिपक्व होते हैं, परंतु शादी होने के तुरंत बाद अगर संबंधों को ले कर लापरवाही बरती जाए तो उस समय संबंधों में आई खटास लंबे समय तक नहीं जाती. एक समय था, जब महिलाओं को सब सहन कर लेने की सलाह दी जाती थी. शादी के तुरंत बाद पति अपने संबंधों को ले कर तथा अपनी पत्नी के बारे में केयरलेस होता था. तब कहा जाता था कि “बेटा स्त्री जाति को सब सहना पड़ता है. जैसा चल रहा है, चलने दो. समय के साथ सब ठीक हो जाएगा.” इस तरह की सलाह दी जाती थी. जबकि अब समय बदल गया है. अब महिलाएं सब कुछ सहन करने के बजाय अपनी भावनाओं को अधिक महत्व देती हैं. फिर भी गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में अभी खास फर्क नहीं पड़ा है.

खैर, बात यहां इस बात की हो रही है कि नई-नई शादी हुई हो तो कपल को शुरुआत के समय का सदुपयोग कर के संबंधों को मजबूत बनाना चाहिए. किसी भी अच्छी चीज को पाने के लिए मेहनत जरूरी है. इसी तरह संबंध भी मेहनत मांगता है. चाहे अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज, विवाह के बाद शुरुआत का समय बहुत नाजुक होता है. इसी समय परस्पर भावनाओं की डोर मजबूत हो, इस तरह का रास्ता अपनाना चाहिए.

 एकदूसरे को समय दें

Time is the Ultumate precious gift… यह वाक्य एकदम सही है. अपने प्रिय साथी को ज्यादा से ज्यादा समय दे कर साथ रहें. शुरूआत का समय शादीशुदा जोड़े के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. अलबत्ता, काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच भी तालमेल बैठाना पड़ता है. फिर भी कपल्स को एकदूसरे को कुछ समय तो देना ही चाहिए. शादी के बाद कुछ दिनों का ब्रेक ले कर कहीं न कहीं घूमने जरूर जाएं. अभी कोरोना महामारी की वजह से लंबे टूर पर न जा कर छोटे टूर के लिए अपने शहर में ही किसी अच्छे होटल में एक-दो रात गुजारी जा सकती है. यहां मूल बात अकेलेपन की है. शादी के बाद कुछ समय ऐसा निकालें, जिसमें परिवार से दूर अकेले में रहने का मौका मिले. यह मौका आपके प्रिय साथी को नजदीक लाने में मदद करेगा. हनीमून खत्म होने के बाद आफिस से घर आने के बाद कमरे में सोने के लिए आने से पहले पति-पत्नी दोनों वाॅक पर जाएं. आधे घंटे की यह वाॅक पूरे दिन की थकान दूर करने वाली साबित होगी. इस वाॅक के दौरान एकदूसरे को मिला एकदूसरे के लिए समय एकदूसरे की प्रायोरिटी का अनुभव कराएगी. अगर वर्क फ्राम होम चल रहा हो तो उसमें से कुछ मिनट निकाल कर पत्नी के उस के काम में सहायक बनें. ऐसे छोटेछोटे क्षणों में इन्वेस्ट किया गया समय लंबे समय तक संबंध को मजबूत रखने की वजह बन सकता है.

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बातचीत से “मैं” में से “हम” बनें 

महिला नए वातावरण में सेट होने में इतनी नर्वस हो जाती है कि वह अपने मन की बात कह नहीं पाती. परिणाम स्वरूप अंदर ही अंदर घुटती रहती है. दूसरी ओर पुरुष में भी ऐसा ही होता है. सेक्स संबंध तो बना लेता है, पर बातचीत करने के लिए उसके पास शब्द कम पड़ते हैं. बातचीत का अभाव संबंध में गैप लाता है. ऐसे तमाम पुरुष हैं, जिनकी शांत रहने की आदत होती है या उनके घर में क्या हो रहा है, यह वे पत्नी से नहीं बताते. यहां छुपाने का इरादा नहीं होता, भुलक्कण स्वभाव की वजह से वे ऐसा करते हैं. ऐसे में जब पत्नी को पता चलता है तो उसे लगता है कि पति बात छुपा रहा है. इसका मतलब वह उसे पूरी तरह स्वीकार नहीं कर सका. इसलिए बातचीत का अभाव न रहे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. बातचीत की डोर मजबूत रहेगी तो व्यक्तिगत जीवन में कोई समस्या नहीं रहेगी. सेक्स में होने वाली दिक्कत भो पार्टनर से शेयर कर सकेंगे. आप क्या सोच रही हैं, यह भुता कर सामने वाला क्या सोच रहा है, यह जान लेने पर संबंध और अधिक मजबूत होगा. बातचीत की डोर पति-पत्नी को “मैं” में से कब ‘हम’ तक पहुंचा देगी, पता ही नहीं चलेगा.

मेरा-तेरा नहीं, हमारा परिवार 

जब भी आप किसी के साथ विवाह करती हैं, तब उसका परिवार भी आप का परिवार हो जाता है. यह बात पति-पत्नी, दोनों पर लागू होती है. मात्र लड़कियों को ही ससुराल जा कर लड़के के परिवार को अपना नहीं करना होता. लड़का भी लड़की के परिवार को उतना ही महत्व देगा तो लड़की के मन में अपने आप पति के लिए सम्मान और लगाव पैदा होगा. याद रखिए कि हर आदमी का रहनसहन अलग होता है. उस रहनसहन में सेट होने के लिए खोने की भावना और समझ होनी चाहिए. दोनों ही पक्षों पर यह बात लागू होती है. साथ रहने वाले लोगों में कोई न कोई समस्या आती ही रहती है. इस समस्या का हल नाराजगी के बजाय बातचीत से लाएं. अगर समझदारी से काम लिया जाएगा तो हर सवाल का जवाब मिल जाएगा.

 अक्सीर दवा है प्रशंसा

प्रशंसा के मामले में लड़के शादी के बाद एकदम कंजूस हो जाते हैं. शादी के पहले लड़कियों की प्रशंसा के पुल बांधने वाले लड़के शादी के बाद शर्म का अनुभव करने लगते हैं. इस सोच को बदलना चाहिए. हर व्यक्ति के लिए उसकी प्रशंसा बहुत ही महत्वपूर्ण और उत्साह बढाने वाली होती है. फिर अपने सब से प्रिय पात्र की प्रशंसा करने में कैसी झिझक? हम भले यहां लड़कों की बात कर रहे हैं, पर यह बात दोनों पर लागू होती है. वैसे तो शादी के बाद हमेशा प्रशंसा करनी चाहिए, शुरुआत में कुछ समय तक इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए. जिस दिन पत्नी अच्छी लग रही हो, उस दिन बिना किसी झिझक के दिल खोल कर बखान कर लेना चाहिए. इसी तरह अच्छा भोजन बनाया हो तो बखान करना चाहिए. बखान के रूप में आप उपहार दे सकते हैं. पत्नी भी अपने पति का बखान कर के, पति कोई गिफ्ट लाया हो तो पत्नी उसके बारे में खुशी व्यक्त कर के बखान करे. पति आफिस जाने के लिए तैयार हो तो बखान करें. इस तरह करने से उत्साह बढ़ता है. बखान करने से उत्साह बढ़ता है और आगे भी उसी तरह काम करने की इच्छा होती है, जिससे बखान हो. व्यक्तिगत समय में भी बखान करते रहना चाहिए. व्यक्तिगत समय में प्रशंसा या बखान सेक्स में अधिक उत्तेजना पैदा करता है.

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Anupmaa: बा पर हुकुम चलाएगी काव्या तो अनुपमा को नया घर देगा अनुज!

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज के साथ मीटिंग में गई अनुपमा पर वनराज गंदे इल्जाम लगाता नजर आ रहा है, जिसके चलते शाह हाउस को छोड़ अनुपमा अपने नए सफर पर निकल गई है. लेकिन अब मेकर्स सीरियल में कई और नए ट्विस्ट लाने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

बा ने छोड़ा अनुपमा का साथ

 

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अब तक आपने देखा कि शाह हाउस पहुंचने के बाद बा, अनुपमा को बहुत बुरा भला, चरित्रहीन, बदजलन कहती हैं, जिसके कारण अनुपमा अपने बच्चों के सामने हुई बेइज्जती सह नहीं पाती और घर छोड़ने का फैसला लेती है. वहीं बापूजी इसमें अनुपमा का साथ देते हैं और उसे अपने लिए सही कदम उठाने के लिए कहते हैं. साथ ही समर भी अपनी मां का साथ देता नजर आता है.

 

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मायके पहुंचेगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा अपनी मां और भाई के घर जाएगी. जहां दोनों उसके इस फैसले में साथ देते नजर आएंगे, जिसके बाद समर अपनी मां अनुपमा को खुश करने की कोशिश करेंगे. दूसरी तरफ, वनराज को काव्या भड़काएगी, जिसके चलते वह अनुपमा की सारी निशानियां मिटाएगा और कहेगा कि वह उसे अपनी जिंदगी में नहीं रखना चाहता.

 

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अनुपमा की जिंदगी में आएगा नया ट्विस्ट

 

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खबरों की मानें तो अनुपमा के चले जाने के बाद काव्या शाह हाउस की मालकिन बन जाएगी और घरवालों पर राज चलाएगी. वहीं काव्या, बा को घर की नौकरानी बना देगी, जिसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाएगा. दूसरी तरफ अनुज, अनुपमा के घर छोड़ने के फैसले से बेहद खुश होगा और अनुपमा को एक अपार्टमेंट गिफ्ट में देने की योजना बनाएगा. साथ ही वह ये ध्यान रखेगा कि किसी को इस बात का ना पता चल पाए ताकि वह अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर सके.

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Top 10 Diwali Fashion Tips In Hindi: इस दिवाली ट्राय करें ये टॉप 10 फैशन टिप्स

Diwali Fashion Tips In Hindi: Diwali Celebration का दौर शुरु हो चुका है. अब हर कोई सेफ्टी के साथ फैमिली गैदरिंग और पार्टी का लुत्फ उठा रहा है. लेकिन इस साल त्योहार मनाने के तरीके के साथ फैशन में भी बदलाव देखने को मिला है. जहां लोग Diwali Fashion में इंडियन लुक्स कैरी करते नजर आते थे. वहीं कुछ लोग वेस्टर्न लुक का तड़का लगाते हुए भी नजर आते हैं. तो इसीलिए आज हम आपको टीवी एक्ट्रेसेस के लुक्स की झलक दिखाएंगे, जिसे आप Diwali 2021 Fashion के लिए ट्राय कर सकती हैं.

1. Diwali Special: शादी के बाद नुसरत जहां के ये लुक करें ट्राय

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बशीरहाट से तृणमूल कांग्रेस सांसद और बंगाली एक्ट्रेस नुसरत जहां एक बार फिर अपनी खूबसूरती के चलते सोशल मीडिया पर छा गई हैं. हाल ही में नुसरत जहां के हौट लुक की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे आप भी ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको बताते हैं नुसरत जहां के कुछ लुक्स, जिसे आप किसी भी पार्टी, फंक्शन में औफिस में ट्राय कर सकती हैं.

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2. DIWALI 2019: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ये फैशन ट्रेंड

diwali tips in hindi

दिवाली में हम सभी चीज़ो पर खास ध्यान देते है. दिवाली में हम सभी को मौका मिलता है की हम अपनी सुंदरता पर खास ध्यान दे सकते, और ट्रेंडी कपडे पहनकर दिवाली को यादगार बनाये. आज हमारे साथ फैशन डिज़ाइनर सान्या गुलाटी , ब्रांड ओनर ऑफ़ लेबल सान्या गुलाटी है जो हमें दिवाली के लिए कुछ खास टिप्स देंगी की हम इस दिवाली किस तरह का फैशन कर सकते है.

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3. Diwali Special: प्रैग्नेंसी में अटैंड करनी है दिवाली पार्टी तो ट्राय करें अनुष्का शर्मा के ये लुक्स

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फैस्टिव सीजन का दौर शुरु हो चुका है. अब हर कोई सेफ्टी के साथ फैमिली गैदरिंग और पार्टी का लुत्फ उठा रहा है. लेकिन इस साल त्योहार मनाने के तरीके के साथ फैशन में भी बदलाव देखने को मिला है. जहां लोग फैस्टिव सीजन में इंडियन लुक्स कैरी करते नजर आते थे. वहीं कुछ लोग वेस्टर्न लुक का तड़का लगाते हुए भी नजर आते हैं. इसीलिए आज हम आपको प्रैग्नेंसी के दौरान अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) की तरह कैसे अपने लुक को चार चांद लगाएं इसके कुछ औप्शन्स के बारे में आपको बताएगें….

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4. Diwali Special: फैस्टिव सीजन में ट्राय करें आमना शरीफ का ज्वैलरी क्लेक्शन

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सीरियल कहीं तो होगा से अपने करियर की शुरूआत करने वाली एक्ट्रेस आमना शरीफ बीते दिनों कोमोलिका के रोल में फैंस को काफी पसंद आई थीं. वहीं उनका लुक और ज्वैलरी भी फैंस को काफी पसंद आया था. लेकिन क्या आप जानते हैं आमना कपड़ों के अलावा इंडियन ज्वैलरी की काफी शौकीन हैं. झुमके से लेकर बालियों का कलेक्शन आमाना के पास मौजूद हैं, जिसको वह सोशलमीडिया के जरिए फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

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5. Diwali Special: इस दीवाली ट्राय करें ‘धक-धक गर्ल’ माधुरी के ये ट्रेडिशनल लुक

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बौलीवुड में डांसिंग क्वीन के रूप में फेमस 52 साल की उम्र में भी एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित जितना अपने डांस और एक्टिंग के लिए फेमस है उतना ही अपने फिटनेस और इंडियन फैशन के लिए भी जानी जाती हैं. माधुरी दो बच्चों की मां हैं फिर भी वह अपने फैशन और फिटनेस का ख्याल रखती हैं. माधुरी का इंडियन फैशन लड़कियां और महिलाएं ट्राय कर सकती हैं. ये आपको अलग लुक के साथ फैशनेबल भी बनाएगा. इसीलिए आज हम आपको माधुरी के कुछ इंडियन फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप चाहें किसी पार्टी या शादी में ट्राय कर सकती हैं.

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6. Diwali Special: इस फैस्टिव सीजन ट्राय करें काजल अग्रवाल के 5 लुक्स

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बीते दिनों साउथ की फिल्मों से बौलीवुड की फिल्मों में धूम मचाने वाली सिंघम एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने व्यापारी गौतम किचलू संग शादी की थी, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थीं. जहां शादी के लहंगे को लेकर काजल ने सुर्खियां बटोरीं थीं. तो वहीं उनके वेडिंग फंक्शन के हर लुक को फैंस ने काफी पसंद किया था. इसीलिए आज हम काजल अग्रवाल के कुछ लुक्स बताने जा रहे हैं, जिसे नई दुल्हनें फेस्टिव हो या वेडिंग सीजन, हर ओकेशन पर ट्राय कर सकती हैं.

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7. Diwali Special: हेल्दी गर्ल्स के लिए परफेक्ट है ‘मिशन मंगल’ एक्ट्रेस के ये आउटफिट

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साउथ की सुपरहिट हीरोस के साथ काम कर चुकी एक्ट्रेस नित्या मेनन की बौलीवुड फिल्म मिशन मंगल के साथ बौलीवुड में एंट्री हो गई. नित्या ने अक्षय कुमार जैसे एक्टर के साथ काम करके अपनी पहचान बना ली है. पर आज हम निथ्या मेनन के स्टाइल स्टेटमेंट की बात करेंगे. हेल्दी होने के बावजूद नित्या का स्टाइल स्टेटमेंट लेडिज को इंस्पायर करने वाला है. आज हम आपको नित्या के कुछ फैशन बताएंगे, जिन्हें आप पार्टी हो या आउटिंग कहीं भी आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

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8. DIWALI 2019: ट्राय करें ये हेयर स्टाइल्स

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फेस्टिवल में कपड़ों के बाद हेयरस्टाइल जरूरी होता है. हर को कोई चाहता है कि वह नया हेयरस्टाइल ट्राय करके खूबसूरत दिखे अगर आप भी अपने बालों को दिवाली पर खूबसूरत लुक देना चाहती हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. आज हम आपको बन हेयरस्टाइल फैशन के कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप आसानी से ट्राय कर सकते हैं.

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9. DIWALI 2019: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ये साड़ी लुक

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दिवाली पर अगर कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो ये साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट है. ये साड़ी आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन रहेंगे. त्यौहारों का सीजन आ गया है और साडि़यों का चलन आजकल उफान पर है. साड़ी एक स्टेटस सिंबल है, क्योंकि सादा और सरल लुक काफी आकर्षक लगता है. पेश हैं, त्यौहारों में साड़ी पहनने के नएनए तरीके:

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10. DIWALI 2019: ‘किन्नर बहूू’ के ये स्टाइलिश ब्लाउज, हर लड़की के लिए हैं परफेक्ट

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फेस्टिवल में इन दिनों लहंगा साड़ी के साथ फैशनेबल ब्लाउज लोगों को काफी अट्रेक्ट कर रहा है. अगर आप भी फेस्टिवल में ट्रेंडी दिखना चाहते हैं तो ये ब्लाउज आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. आजकल शादी हो कोई भी पार्टी हर कोई अपने आप को खूबसूरती बनाने के लिए हर कोशिश करते हैं, जिसके लिए बौलीवुड या टीवी एक्ट्रैसेस बेस्ट औप्शन होते हैं. आजकल डिजाइनर ब्लाउज के साथ लहंगा हो या साड़ी सभी के लिए फैशन ट्रैंड में हैं. आपने देखा होगा कि ‘किन्नर बहू’ के रोल से फेमस टीवी एक्ट्रेस रुबीना दिलाइक अपने सीरियल शक्ति-अस्तित्व के एहसास की के हर एक एपिसोड में नए-नए डिजाइन के ब्लाउज पहनती हैं, जिसे आप भी ट्राई करना चाहती होंगी. आज हम रुबीना दिलाइक के कुछ ब्लाउज के ट्रैंडी फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप शादी हो या औफिस कहीं भी ट्राय कर सकती हैं.

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हिमालय की पहाडिय़ों का नुकसान

शहरी लोगों की अब से छुटकारा पाने की इच्छा और धर्म के दुकानदारों की भक्ति के नाम पर लूटने की लालची आदत का मिलाजुला असर हिमालय में विकास के नाम पर बनती सडक़ें और पेड़ों की कटाई है जिस में जरा सी ज्यादा बारिश में भूस्खलन हो जाते है और पहाड़ों की ढलानों  को काट कर बनाई सडक़ें बंद हो जाती है. टूरिज्म को डेवेलप करने की इच्छा हर पहाड़ी राज्य की है क्योंकि इस से अतिरिक्त आय होती है जो पहाड़ी इलाकों की खेती या छोटे धंधों से संभव नहीं है.

आज का टूरिस्ट चाहे सैरसपार्ट के लिए आए धर्म प्रचार के चलते पाप धोने और पुण्य कमाने के लिए आए, हजार तरह की सुविधाएं चाहता है. उसे अपने होटल तक भी सडक़ चाहिए और धर्म की हर साल आलीशान और फैलती दुकान के दरवाजे तक भी. नतीजा यह है कि पेड़ काट कर, जमीन समतल कर के निरंतर पहाड़ों की शक्ल खराब की जा रही है. जहां पहले रात को पहाड़ों पर घना अंधकार होता था अब सब जगह बिजली की रोशनी दिखती है. पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य तो अब सिर्फ पुराने फोटोग्राफी में मिलेगा.

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शिमला, नैनीताल, मसूरी, दाजीङ्क्षलग अब दिल्ली, मुंबई जैसे लगने लगे है जिन से भाग कर लोग इन पर्यटन स्थलों में पहुंचते हैं. इसी का लाभ उठाने के लिए धर्म के दुकानदारों ने वैष्णोदेवी, केदारनाथ, बद्रीनाथ, चारधाम यात्रा, गंगोत्री जमुनोत्री डेवलप कर दिया ताकि शहरी थकान से भागे लोगों से धर्म के नाम पर मोटी दक्षिणा वसूली जा सके. भारतीय जनता पार्टी परिवार इस दुकानदारी को बढ़ावा देने के लिए वहां भी सडक़ें बनवा रहा है, जहां नहीं बननी चाहिए, उन पहाड़ों में सुरंगे बनवा रहा है, जो कमजोर हैं, वहां पेड़ कटवा रहा है, जहां से पीने को पानी साल भर मैदानी इलाकों को मिला करता था. अब नतीजा यह है कि पर्यटन के केंद्र शहरी इलाके ठसाठस भर गए हैं और पहाड़ों में रिजौर्ट बनने लगे हैं. मंदिर भी ढूंढ़े जाने लगे हैं और पहाड़ी देवीदेवताओं को ठोकपीट कर पैसा उगलने वाली मशीन बनाया जाने लगा है.

भाजपा परिवार की सरकारें मंदिर मठ पर्यटन के नाम पर हिमालय की पहाडिय़ों को जो नुकसान पहुंचा रही हैं, प्रकृति उस का बदला लेने लगी है. वर्षा अब रिकार्ड तोड़ होने लगी है और बारिश अपने साथ पहाड़ों को ढहाने लगी है. जहां पतली नाली सीजनल नदी का रास्ता बना कर वहां समुद्र का सा तूफान आने लगा है.

पर्यटन अच्छा है. घर से निकल कर कहीं जाना सेहत के लिए जरूरी है पर अब पर्यटन केंद्र सेहत के लिए नुकसानदेय और जान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. सडक़ों पर जाना, होटलों का अभाव और ऊपर से बारिश की मार का डर.

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DIWALI 2021: शादी के बाद पहली दीवाली ऐसे बनाएं यादगार

शादी के बाद सृष्टि की पहली दीवाली थी. उस के सासससुर और जेठजेठानी पास ही दूसरे फ्लैट में रहते थे. सृष्टि के पति मनीष को कंपनी की तरफ से अलग मकान दिया गया था जिस में दोनों पतिपत्नी अकेले रहते थे. सृष्टि भी जौब करती थी इसलिए घर में दिन भर ताला लगा रहता था.

औफिस में दीवाली की छुट्टी एक दिन की ही थी पर सृष्टि ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. वह अपनी पहली दीवाली यादगार बनाना चाहती थी. दीवाली वाले दिन मनीष को जरूरी मीटिंग के लिए बाहर जाना पड़ा. मीटिंग लंबी खिंच गई. लौटतेलौटते शाम हो गई. मनीष ने सृष्टि को फोन किया तो उस ने उठाया नहीं. घर लौटते वक्त मनीष यह सोचसोच कर परेशान था कि जरूर आज सृष्टि उस की खिंचाई करेगी या नाराज बैठी होगी.

असमंजस के साथ उस ने घंटी बजाई. दरवाजा खुला पर अंदर अंधेरा था. वह पल भर में ही तनाव में आ गया और जोर से चिल्लाया, ‘‘सृष्टि कहां होयार, आई एम सौरी.’’  तभी अचानक सृष्टि आ कर उस से लिपट गई और धीमे से बोली, ‘‘आई लव यू डियर हब्बी, हैप्पी दीवाली.’’

तभी दोनों के ऊपर फूलों की बारिश होने लगी. पूरे कमरे में रंगबिरंगी कैंडल्स जल उठीं और मनमोहक खुशबू से सारा वातावरण महक उठा. सामने बेहद आकर्षक कपड़ों और पूरे श्रृंगार के साथ सृष्टि खड़ी मुसकरा रही थी. मनीष ने लपक कर उसे बाहों में उठा लिया. सारा घर खूबसूरती से सजा हुआ था. टेबल पर ढेर सारी मिठाइयां और फायरक्रैकर्स रखे थे. सृष्टि मंदमंद मुसकरा रही थी. दोनों ने 1-2 घंटे आतिशबाजी का मजा लिया. तब तक मनीष के मातापिता, भाईभाभी और उन के बच्चे भी आ गए, सृष्टि ने सभी को पहले ही आमंत्रित कर रखा था. पूरे परिवार ने मिल कर दीवाली मनाई. यह दीवाली मनीष और सृष्टि के जीवन की यादगार दीवाली बन गई.

दिलों को भी रोशन करें

इसे कहते हैं पहली दीवाली की रौनक जो घरआंगन के साथसाथ दिलों को भी रोशन कर जाए. शादी के बाद की पहली दीवाली का खास महत्त्व होता है. यदि इस दिन को लड़ाईझगड़ों या तनातनी में गंवा दिया तो समझिए आप ने बेशकीमती लमहे यों ही लुटा दिए. जिंदगी खुशियों को सैलिब्रेट करने का नाम है तो फिर दीवाली जैसे रंग और रोशनी के त्योहार के दिन अपना मनआंगन क्यों न जगमगाएं?

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अक्सर शादी के बाद जब लड़की ससुराल में पहली दीवाली मनाती है तो उसे होम सिकनैस और घरवालों की कमी महसूस होती है. ऐसा होना स्वाभाविक है पर इस का मतलब यह नहीं कि दीवाली जैसे मौके का मजा किरकिरा कर  दें. बेहतर होगा कि नए माहौल और नए लोगों के साथ दीवाली इतने प्यार से मनाएं कि आप का आने वाला समय भी नई खुशियों से रोशन  हो जाए.

इनलौज के साथ करें शौपिंग

मौके को यादगार बनाना है तो अपनी सास या ननद के साथ जी भर कर शौपिंग करें. पूरे परिवार के लिए तोहफे खरीदें. किस के लिए क्या खरीदना है, इस की एक लिस्ट पहले ही बना कर रख लें. इस काम में अपनी सास की सहायता ले सकती हैं. वह आप को पूरे परिवार की पसंदनापसंद बता सकेंगी. सारे गिफ्ट्स खूबसूरती से रैप कर के सरप्राइज के लिए सुरक्षित जगह  पर रख दें. गिफ्ट्स के अलावा मिठाइयां, चौकलेट्स, फायरक्रैकर्स और सजावटी सामानों की शौपिंग भी कर लें.

रोशन करें घर का कोनाकोना

दीवाली रोशनी का त्योहार है इसलिए पूरे घर को दीपों मोमबत्तियों और दूसरे डिजाइनर बल्बस से सजा दें. लाइटिंग अरैंजमैंट ऐसी करें कि आप का घर अलग ही जगमगाता नजर आए.

घर में बनाएं मिठाइयां

यह एक पुरानी मगर सटीक कहावत है कि किसी के दिल तक पहुंचने का रास्ता उस के पेट से हो कर जाता है. शादी के बाद अपने इनलौज व हसबैंड के दिल तक इसी रास्ते पहुंचा जा सकता है. आप को अपनी पाक कला में निखार लाना होगा. स्वादिष्ठ फैस्टिव मील्स और स्वीट्स तैयार करने होंगे. ज्यादा नहीं जानतीं तो अपनी मां या सास की सहायता लेने से हिचकें नहीं. पत्रिकाओं में भी हर तरह की रैसिपीज छपी होती हैं. उन की सहायता लें और सब को खुश कर दें.

दीवाली पार्टी

अपनी पहली दीवाली यादगार बनाने आसपड़ोस के लोगों व रिश्तेदारों को जाननेसमझने व रिश्तों को प्रगाढ़ करने का इस से बेहतर मौका नहीं मिलेगा. घर में दीवाली पार्टी और्गनाइज करें और लोगों को बुला कर खूब मस्ती करें.

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एकल परिवार

यदि आप शादी के बाद किसी वजह से इनलौज से अलग रह रही हैं तो आप की चुनौतियां कुछ अलग होंगी. आप को ध्यान रखना होगा कि जिस प्रकार आप होमसिकनैस महसूस कर रही हैं वैसे ही आप के पति भी परिवार से दूर पहली दफा दीवाली मना रहे हैं. ऐसे में आप को प्रयास करना होगा कि पति को खास महसूस कराएं और उन के लिए खास सरप्राइज तैयार कर के रखें.

इस संदर्भ में आप अपनी मां से यह पूछ सकती हैं कि उन्होंने अपनी पहली दीवाली में क्या खास किया था? अपनी सास को फोन करें और बताएं कि आप ने दीवाली के लिए क्या स्पैशल सरप्राइजेज तैयार किए हैं. उन से कहिए कि वह आप के पति को ज्यादा बेहतर जानती हैं इसलिए आप की सहायता करें. आप की सास यह जान कर स्पैशल महसूस करेंगी कि आप उन के बेटे के जीवन में उन की खास जगह को स्वीकार करती हैं और महत्त्व देती हैं. वह आप की सहायता कर के खुश होंगी.

अपने पति के लिए एक खास दीवाली तोहफा खरीदें. यह कोई गैजेट हो सकता है या नई ड्रैस या फिर अपनी बजट के हिसाब से कुछ और खरीदें. उन की पसंद की मिठाइयां तैयार करें, फैवरिट डिश बनाएं और फिर खास उन के लिए सजें. रात में घर का कोनाकोना रोशन करें. आज के समय में आप स्काइप या फेसबुक आदि की सहायता से इस खास मौके को यादगार बनाते हुए इन लमहों को दूसरों से शेयर भी कर सकती हैं.

खुद के लिए एक दिन

कोरोनाकाल में घर और दफ्तर की भागतीदौड़ती जिंदगी में थोड़ा सा ठहरती हुई मैं रिश्तों के जाल में फंसी हुई खुद से ही खुद का परिचय कराती हुई मैं. एक बेटी, एक बहू, एक पत्नी, एक मां और एक कर्मचारी की भूमिका निभाते हुए खुद को ही भूलती हुई मैं, इसलिए सोचा चलो आज खुद के साथ ही 1 दिन बिताती हूं मैं.

अब आप लोग सोच रहे होंगे कि कोरोनाकाल में भी अगर मुझे खुद के लिए समय नहीं मिला तो फिर ताउम्र नहीं मिलेगा. पर अगर सच बोलूं तो शायद कोरोनाकाल में हम लोगों की अपनी प्राइवेसी खत्म हो गई है.

हम चाहें या न चाहें हम सब परिवाररूपी जाल में बंध गए हैं. घर में कोई भी एक ऐसा कोना नहीं है जहां खुद के साथ कुछ समय बिता सकूं. सब से पहले अगर यह बात सीधी तरह किसी को बोली जाए तो अधिकतर लोगों को समझ ही नहीं आएगा कि खुद के साथ समय बिताने के लिए 1 दिन की आवश्यकता ही क्या है?

आज का समय तो जब तक जरूरी न हो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए पर क्या हर इंसान को भावनात्मक और मानसिक आजादी की आवश्यकता नहीं होती है? लोग माखौल उड़ाते हुए बोलेंगे कि यह नए जमाने की नई हवा है जिस के कारण यह फितूर मेरे दिमाग मे आया है. कुछ लोग यह जुमला उछालेंगे कि जब कोई काम नहीं होता न तो ऐसे ही खुद को पहचानने का कीड़ा दिमाग को काटता है. यह मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि शायद मैं भी उन लोगों मे से ही हूं जो ऐसे ही प्रतिक्रिया करेगा.

अगर कोई मुझ से भी बोले कि आज मैं खुद के साथ समय बिताना चाहती या चाहता हूं, तो ऐसे लोगों को हम स्वार्थी या बस अपने तक सीमित या बस केवल अपनी खुशी देखने वाला और भी न जाने क्याक्या बोलते हैं.

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चलिए, अब रबरबैंड की तरह बात को न खींचते हुए मैं अपने अनुभव को साझा करना चाहती हूं. खैर लौकडाउन खत्म हुआ और मेरा दफ्तर चालू हो गया पर बच्चों और पति का अभी भी घर से स्कूल और दफ्तर जारी था. छुट्टी का दिन मेरे लिए और अधिक व्यस्त होता है क्योंकि जिन कार्यों की अनदेखी मैं दफ्तर के कारण कर देती थी वे सब कार्य ठुनकते हुए कतार में सिर उठा कर खड़े रहते थे कि उन का नंबर कब आएगा? बच्चे अगर सामने से नहीं पर आंखों ही आंखों में यह जरूर जता देते हैं कि मैं हर दिन कितनी व्यस्त रहती हूं, उन को जब मेरी जरूरत होती है तो मैं दफ्तर के कार्यों में अपना सिर डाल कर बैठी रहती हूं.

पति महोदय का बस यही वाक्य होता है कि तुम्हें ही सारा काम क्यों दिया जाता है? जरूर तुम ही भागभाग कर हर काम के लिए लपकती होंगी. अरे, वर्कफ्रौम होम के लिए बात क्यों नहीं करती हो? पर फिर जब हर माह की 5 तारीख को जब वेतन आता है तो वे सारी चीजें भूल जाते हैं और नारीमुक्ति या उत्थान के पुजारी बन जाते हैं.

ऐसे ही एक ठिठुरते हुए रविवार में सब के लिए खाना परोसते हुए मेरे दिमाग में यह खयाल आया कि क्यों न दफ्तर से छुट्टी ले ली जाए और बस लेटी रहूं. घर पर तो यह मुमकिन नहीं था. पहले तो बिना किसी कारण छुट्टी लेना किसी को हजम नहीं होगा. दूसरा, अगर ले भी ली तो सारा समय घर के कामों में ही निकल जाना है. कहने को तो मेरे जीवन में बहुत सारे मित्र हैं पर ऐसा कोई नहीं है जिस के साथ मैं यह दिन साझा कर सकूं. पर न जाने क्यों मन ने कुछ नया करने की ठानी थी, खुद के साथ समय बिताने की दिल ने की मनमानी थी.

जब से यह खयाल मन में आया तो कुछ जिंदगी में रोमांच सा आ गया साथ ही साथ एक अनजाना डर भी था कि कहीं मैं इस वायरस की चपेट में न आ जाऊं पर फिर अंदर की औरत बोल उठी,’अरे तो रोज दफ्तर भी तो जाती हो. उस में भी तो इतना ही जोखिम है. मेरे पास भी कुछ ऐसा होना चाहिए जो मेरा बेहद निजी हो.’

पूरा रविवार पसोपेश में बीत गया. ‘करूं या न करूं…’ सोचते हुए सांझ हो गई. मुझे कहीं घूमने नहीं जाना था, न ही किसी दर्शनीय स्थल के दर्शन करने थे, कारण था कोरोना. मुझे तो अपने अंदर की औरत को पहचाना था कि क्या इस कोरोना की आपाधापी में उस में थोड़ी सी चिनगारी अभी भी बाकी है?

दफ्तर में तो छुट्टी की सूचना दे दी थी पर अब सवाल यह था कि खुद को कहां पर ले जाऊं? क्या होटल सेफ रहेगा या मौल के किसी कैफे में? तभी फेसबुक पर ओयो रूम दिखाई पड़े. यहां पर घंटों के हिसाब से कमरे उपलब्ध थे. किराया भी बस ₹1,000 तक था. कोरोना के कारण घर से ही चेकइन करने की सुविधा थी पर फिर दिमाग में आया कि कहीं पुलिस की रेड न पड़ जाए क्योंकि ऐसे माहौल में कमरे घंटों के हिसाब से क्यों लिए जाते हैं यह सब को पता है तो ऐसे कमरों में ठहरना क्या सुरक्षित रहेगा?

इधरउधर होटल खंगाले तो कोई भी होटल ₹5,000 से कम नहीं था. पति महोदय मेरी समस्या को चुटकी में ही हल कर सकते थे पर यह तो मेरी खुद के साथ की डेट थी फिर उन से मदद कैसे ले सकती थी? और अगर सच बोलूं तो मुझे अपने पति से कोई लैक्चर नहीं सुनना था. यह बात नहीं सुननी थी कि मैं मिडऐज क्राइसिस से गुजर रही हूं इसलिए ऐसी बचकानी हरकतें कर रही हूं.

माह की 27 तारीख थी. बहुत अधिक शाहीखर्च नहीं हो सकती थी इसलिए धड़कते दिल से एक ओयो रूम ₹900 में 8 घंटों के लिए बुक कर दिया. वहां से कन्फर्मेशन में भी आ गया. फिर शाम के 5 बजे से मैं अपने मोबाइल को ले कर बेहद सजग हो गई जैसे मेरी कोई चोरी छिपी हो उस में.

बेटे ने जैसे ही हमेशा की तरह मेरे मोबाइल को हाथ लगाया, मैं फट पड़ी,”मैं तुम्हारे मोबाइल को हाथ नहीं लगाती हूं तो तुम्हें क्या जरूरत पड़ी है?”

बेटा खिसिया कर बोला,”मम्मी, मेरे एक फ्रैंड ने मुझे ब्लौक कर रखा है या नहीं, बस यही देखना चाहता था.”

पति और घर के अन्य सदस्य मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे. मैं बिना कोई उत्तर दिए रसोई में घुस गई. फिर रात को मैं ने अपने कार्ड्स और आईडी सब अपने पर्स में रख लिए. सुबह दफ्तर के समय ही घर से निकली और धड़कते दिल से कैब बुक करी. कैब ड्राइवर ने कैब उस गंतव्य की तरफ बढ़ा दी और फिर करीब आधे घंटे के बाद हम वहां पहुंच गए.

मुझे उतरते हुए कैब ड्राइवर ने पूछा,”मैम, आप को यहीं जाना था न?”

मुझे पता था वह बाहर ओयो रूम का बोर्ड देख कर पूछ रहा होगा. मैं कट कर रह गई पर ऊपर से खुद को संयत करते हुए बोली,”हां, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?” वह कुछ न बोला पर उस के होंठों पर व्यंगात्मक मुसकान मुझ से छिपी न रही.

मैं अंदर पहुंची पर कोई रिसैप्शन नहीं दिखाई दिया, फिर भी मैं अंदर पहुंच गई तो एक ड्राइंगरूम दिखाई दिया. 2 बड़े बड़े सोफे पड़े हुए थे और एक डाइनिंग टेबल भी थी. 2 लड़के सोए हुए थे. मुझे देखते हुए आंखे मलते हुए उठने ही वाले थे कि मैं तीर की गति से बाहर निकल गई. खुद पर गुस्सा आ रहा था कि एक भी ऐसा कोना नहीं है मेरे इस शहर में.शहर में ही क्यों, मेरा निजी कुछ भी नहीं है मेरे जीवन में.

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अब खुद के साथ समय बिताना भी मुश्किल हो गया था. जो फोन नंबर वहां पर अंकित था, वह मिलाया तो पता लगा कि वह नंबर आउट औफ सर्विस है. यह स्थान एक घनी आबादी में स्थित था इसलिए सड़क पर आतेजाते लोगों में से कुछ मुझे आश्चर्य से और कुछ बेशर्मी से देख रहे थे. मैं बिना कुछ सोचे तेजतेज कदमों से बाहर निकल गई. नहीं समझ आ रहा था कि कहां जाऊं?

ऐसे ही चलती रही. एक मन किया कि किसी मौल मैं चली जाऊं पर फिर वहां पर मैं क्या खुद से गुफ्तगू कर पाऊंगी? करीब 1 किलोमीटर चलतेचलते फिर से एक इमारत दिखाई दी. ओयो रूम का बोर्ड यहां भी मौजूद था. न जाने क्या सोचते हुए मैं उस इमारत की ओर बढ़ गई. वहां पर देखा कि रिसैप्शन आरंभ में ही था. उस पर बैठे हुए पुरूष को देख कर मैं ने बोला,”सर, कमरा मिल जाएगा?”

रिसैप्शनिस्ट बोला,”जरूर मैडम, कितने लोगों के लिए?”

मैं ने कहा,”बस मैं…”

उस ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा और फिर बोला,”मैडम, कोई मेहमान या दोस्त आएगा आप से मिलने?”

मैं बोली,”नहीं, दरअसल घर की चाबी नहीं मिल रही है,” न जाने क्यों एक झूठ जबान पर आ गया खुद को सामान्य दिखाने के लिए. मुझे मालूम था कि अगर उसे पता चलेगा कि मैं ऐसे ही समय बिताने आई हूं तो शायद वह मुझे पागल ही करार कर देता.

आज पहली बार मन ही मन कोरोना को धन्यवाद दिया. मास्क के पीछे मुझे बेहद सुरक्षित महसूस हो रहा था. रूम नंबर 202 के अंदर घुसते ही मैं ने देखा एक छोटा सा बैड है, साफसुथरी रजाई भी रखी हुई थी. मेरे सामने ही रूम को दोबारा सैनिटाइज करा गया था. मैं ने राहत की सांस ली और अपना मास्क निकाला और फिर दोबारा से हाथ सैनिटाइज कर लिए थे. टीवी चलाने की कोशिश करी तो जाना मुझे तो पता ही नहीं यह नए जमाने के स्मार्ट टीवी कैसे चलाते हैं. थोड़ीबहुत कोशिश करी और फिर नीचे से लड़का बुला कर टीवी को चलवाया गया.

एक म्यूजिक चैनल औन किया तो जाना कि न जाने कितने साल हाथों से फिसल गए. न कोई गाना पहचान पा रही थी और न ही कोई अभिनेता या अभिनेत्री. फिर भी कुछ झिझक के साथ रजाई ओढ़ते हुए मैं लेट गई. मन में यह सोचते हुए कि न जाने कितने जोड़ों ने इस को ओढ़ कर प्रेमक्रीड़ा करी होगी.

टनटन करते हुए व्हाट्सऐप के दफ्तर वाले ग्रुप पर कार्यों की बौछार हो रही थी. मैं ने तुरंत डेटा बंद किया और मन ही मन मुसकराने लगी.

कुछ आधे घंटे बाद एक असीम शांति महसूस हुई. ऐसी शांति जो कभी योगा में भी लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हुई थी. लेटे हुए मैं यही सोच रही थी कि कौनकौन से मोड़ से जिंदगी गुजर गई और मुझे पता भी नहीं चला. फिर गुसलखाने जा कर अपनेआप को निहारने लगी. घर पर न तो फुरसत थी और न ही इजाजत, जैसे ही देखना चाहती कि एकाएक एक जुमला उछाला जाता,”अब क्या देख रही हो? कौनसा 16 साल की हो….” जैसे सुंदर दिखना बस युवाओं का मौलिक अधिकार है. 40 वर्ष की महिला तो महिला नहीं एक मशीन है.

आईना देखते हुए मेरी त्वचा ने चुगली करी कि कब से पार्लर का मुंह नहीं देखा? शायद पहले तो फिर भी माह में 1 बार चली जाती थी पर अब तो 9 माह से भी अधिक समय हो गया था. बाल भी बेहद रूखे और बेजान लग रहे थे. झिझकते हुए रूम से बाहर निकली तो देखा सामने ही पार्लर भी था. बिना कुछ सोचे कमरे में ताला लगाया और पार्लर चली गई. हेयर स्पा और फेसियल कराया तो बहुत मजा आया. ऐसा लगा जैसे खुद के लिए कुछ करना अंदर से असीम शांति और खुशी भर देता है.

जब 3 घंटे बाद कमरे में पहुंची तो कस कर भूख लग गई थी. इंटरकौम से खाना और्डर किया. बहुत दिनों बाद बिना किसी ग्लानि के अपना पसंदीदा तंदूरी रोटी और बेहद तीखा कोल्हापुरी पनीर खाया.

अब कोरोना का डर काफी हद तक दिमाग से निकल गया था. जब पूरे 8 घंटे बिताने के बाद मैं घर पहुंची तो देखा चारों ओर घर में तूफान आया हुआ है. अभीअभी दोनों बच्चे लड़ाई कर के बैठे थे. पर यह क्या मुझे बिलकुल भी गुस्सा नहीं आया. गुनगुनाती हुई मैं रसोई में घुस गई और गरमगरम पोहे बनाने में जुट गई.

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अंदर बैठी हुई खूबसूरत महिला फिर से दिल के दरवाजे पर दस्तख दे रही थी कि मैं अगली डेट पर कब जा रही हूं? शायद दूसरों को खुश करने से पहले खुद को खुश करना जरूरी है. इस कोरोनाकाल में मेरे अंदर चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ गया था, जो आज काफी हद तक कम हो गया था.

बात तो समझ आ गई कि खुद के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है. लेकिन एक डेट के बाद यह भी समझ में अवश्य आ गया कि ऐसा कौंसैप्ट हमारे समाज मे अभी प्रचिलित नहीं है. अभी यह रचना लिखते हुए भी मेरे दिमाग मे यह बात आ रही है कि अगर उस दिन मुझे किसी जानपहचान वालों ने देख लिया होता तो शायद मैं भी उन के लिये एक अनसुलझी कहानी बन जाती. पर हम सब को तो मालूम है न कि हर प्रेमकहानी में थोड़ाबहुत जोखिम तो होता ही है और यह जोखिम मैं अब लेने के लिए तैयार हूं.

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