हल्की आईलैशेज से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी आईलैशेज बहुत हलकी हैं. मेकअप करते वक्त जब मसकारा लगाती हूं तो थोड़ी ठीक लगती हैं वरना बहुत ही छोटी लगने की वजह से आंखों की खूबसूरती खत्म हो जाती है. ऐसा क्या करूं कि ये बड़ी, घनी व सुंदर दिखें?

जवाब-

आईलैशेज की ग्रोथ के लिए आप 1 चम्मच जैतून के तेल में कुछ ड्रौप्स कैस्टर औयल की मिला लें. इस मिक्स्चर को अपनी पलकों पर लगा कर हलके हाथ से मसाज करती रहें. ऐसा नियमित रूप से करने से पलकों की ग्रोथ में जरूर फर्क नजर आएगा. डेली बेसिस पर अपनी लैशेज को घना और लंबा दिखाने के लिए वौल्यूमाइज मसकारा लगा सकती हैं. इस से आंखें खुली हुई और बड़ी नजर आती हैं. यदि मसकारा लगाने से पहले पलकों को कर्लर से कर्ल करें और फिर मसकारा लगाएं तो पलकें ज्यादा घनी व घुमावदार दिखती हैं. आर्टिफिशियल लैशेज लगा कर भी अपनी लैशेज को बड़ा दिखा सकती हैं.

पलकों का जादू बरकरार रखने के लिए आईलैश ऐक्सटैंशन भी करवा सकती हैं. इस से पलकें घनी दिखती हैं. यह एक सेमीपरमानैंट समाधान है. इस के अंतर्गत पलकों पर 1-1 लैश चिपकाई जाती है जिस से ये बिना मसकारा लगाए लंबी व घनी दिखाई देती हैं. 20 दिन के बाद धीरेधीरे निकलने लगती हैं. आप चाहें तो हर हफ्ते कुछकुछ लैशेज जो निकली हैं उन्हें लगवा कर हमेशा खूबसूरत बनी रह सकती हैं.

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40 पार करने का यह मतलब नहीं कि आप मेकअप से तोबा कर लें. इस उम्र में भी आप मेकअप के सही शेड्स और तकनीक का इस्तेमाल कर यंग लुक पा सकती हैं. 40+महिलाएं यंग ऐंड फ्रैश लुक के लिए क्या रखें अपने वैनिटी बौक्स में यह जानने के लिए हम ने बात की मेकअप आर्टिस्ट मनीष केरकर से.

कौन्फिडैंस बढ़ाता है मेकअप

माना कि मेकअप चेहरे की खूबसूरती बढ़ाता है, लेकिन यह भी एक सच है कि मेकअप करने से आत्मविश्वास भी दोगुना हो जाता है. जब आप कहीं सजधज कर जाती हैं और लोग आप की तारीफ करते हैं तो खुदबखुद आप की बौडी लैंग्वेज बदल जाती है क्योंकि उस समय आप खुद को कौन्फिडैंट महसूसकरती हैं. इसलिए जब भी घर से बाहर जाएं, मेकअप करना न भूलें.

मेकअप से परहेज क्यों

ज्यादातर एकल महिलाएं खासकर तलाकशुदा या विधवाएं मेकअप से परहेज करती हैं, जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. डार्क न सही, मगर मेकअप के लाइट शेड्स आप की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं. ऐसे प्रोडक्ट्स को मेकअप बौक्स में खास जगह दें. फाउंडेशन के बजाय बीबी या सीसी क्रीम लगाएं. इस से आप को नैचुरल लुक मिलेगा. होंठों पर लिप बाम लगाएं. आई मेकअप के लिए काजल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह न भूलें कि भीड़ में अपनी मौजदूगी दर्ज कराने के लिए प्रेजैंटेबल नजर आना जरूरी है.

मौइस्चराइजर

बढ़ती उम्र के साथ त्वचा भी रूखी हो जाती है. ऐसे में त्वचा को जरूरत होती है ऐक्स्ट्रा मौइस्चराइजर की, जो त्वचा में नमी की कमी को पूरा कर सके. अत: चेहरे के रूखेपन को कम करने के लिए दिन और रात दोनों समय मौइस्चराइजर लगा कर चेहरे को मौइस्चराइज करें. इस से त्वचा मुलायम महसूस होगी और ग्लो भी करेगी.

ड्राय स्किन और स्किन प्रौब्लम से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी त्वचा वैसे तो रूखी है पर जब भी मैं क्रीम लगाती हूं तो कुछ देर में रंग काला लगने लग जाता है. कालापन हटाने के लिए साबुन से धोती हूं तो रूखापन नजर आने लगता है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की त्वचा को नमी की आवश्यकता है तेल की नहीं. ऐसी त्वचा को डिहाइड्रेटेड स्किन कहते हैं जिस का सर्वोत्तम उपाय है आइओनिजेशन. इस ट्रीटमैंट में आप की त्वचा के भीतर गैलवेनिक मशीन के जरीए कुछ ऐसे मिनरल डाले जाते हैं जो त्वचा के अंदर पानी ठहराने में मदद करते हैं. यह ट्रीटमैंट आप किसी अच्छे कौस्मैटिक कौस्मैटिक क्लीनिक से करवा सकती हैं. ऐलोवेरा फेशियल भी करवा सकती हैं. दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं और हमेशा क्रीम के बजाय किसी मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.

सवाल-

ज्यादा धूप में जाने के कारण मेरी गरदन का रंग गहरा हो गया है. इसे कैसे ठीक करूं?

जवाब-

यदि गरदन का रंग गहरा हो गया है तो सब से पहले आप ब्लीच कर सकती हैं. पपीते की फांक से उस स्थान पर धीरेधीरे मसाज करें. इस से कालापन काफी हद तक दूर हो जाता है. नीबू को आधा काट लें. उस के अंदर चीनी के कुछ दाने डाल दें और गरदन पर हलके हाथों से रगड़ें. दें इस से स्किन गोरी भी होगी और मौइस्चराइज भी रहेगी. धूप में निकलने से पहले चेहरे व गर्दन पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं. ऐसा करने से आप की गरदन फिर चमक उठेगी.

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कई बार रूखी त्वचा की वजह से चेहरे पर ड्राई पैचेस होने लगते हैं जो अलग से ही चेहरे पर दिखने लगते हैं. ड्राई स्किन की वजह से मेकअप भी जल्दी सैट नहीं होता और चेहरे की खूबसूरती ढल जाती है.

रूखी त्वचा को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेसमास्क का इस्तेमाल करती हैं, जिन का असर कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेसमास्क हैं जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन फेसमास्क की मदद से त्वचा में लंबे समय तक नमी बनी रहती है.

एलोवेरा फेसमास्क

एलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने  वाले एंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. एलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी आती है और जरूरी पोषण भी मिलता है.

एलोवेरा का फेसमास्क बनाने के लिए एलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को आप फेस वाश करने के बाद चेहरे पर लगाएं और कुछ देर के लिए छोड़ दें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

 एवोकाडो फेसमास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. फलों से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर चमक भी बनी रहती है. एवोकाडो पोषक तत्त्वों से युक्त होता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाने में फायदेमंद होता है.

मुंहासे और झाइयों से मेरी स्किन खराब हो गई है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 35 वर्ष है. काफी पहले मेरे चेहरे पर मुंहासे हुए थे जिन के दाग अभी तक हलके नहीं हुए हैं. चेहरे पर झांइयां भी हैं. मेरा रंग बहुत गोरा है. ऐसे में दाग ज्यादा दिखाई देते हैं. ऐसा कोई उपाय बताएं जिस से मेरा चेहरा एकसार दिखाई दे?

जवाब-

मुंहासों के दाग व झांइयों को हटाने के लिए आप एक पैन में 1 कप पानी डाल कर मध्यम आंच पर रखें. इस में ओट मील व नीबू का रस डाल कर धीरेधीरे पकाएं. जब पेस्ट थोड़ा गाढ़ा होने लगे तो इसे आंच से उतार लें. दालचीनी मिला लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं. 20 मिनट बाद कुनकुने

पानी से धो लें. इस के बाद मौइस्चराइजर लगाएं. ऐसा हफ्ते में 1 बार करें तो आप के दाने धीरेधीरे ठीक होने लग जाएंगे. मगर झांइयों के लिए किसी कौस्मैटोलौजिस्ट या डाक्टर से जरूर मिलें. वह आप की मैडिकल हिस्ट्री ले कर यह बता पाएंगे कि आप के हारमोन में इंबैलेंस तो नहीं. अगर है तो उस के लिए दवा खाना जरूरी है. तभी आप इन से पूरी तरह छुटकारा पाएंगी. घर से बाहर निकलते वक्त सनस्क्रीन जरूर लगा लें.

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उम्र बढने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें बाहरी से लेकर अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं. सबसे ज्यादा आसानी से लोग आपकी स्किन या स्किन को देखकर अंदाजा लगाते है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ध्यान रखें और खुद को काॅन्फिडेंट महसूस करें.

एक्सपर्ट सौमाली अधिकारी ब्यूटी एंड लाइफ़स्टाइल एक्सपर्ट की मानें तो 30 के बाद स्किन पर समस्याएं दिखने लगती हैं. इनमें

सुस्त स्किन (स्किन डलनेस)

फाइन लाइंस

अर्ली एजिंग (जल्दी बुढापा)

झाइयां

झुर्रियां

मॉइश्चराइजर लगाएं

यदि आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले स्किन को पहचानें कि ये ऑयली है या ड्राई. घर से बाहर या धूप में निकलने से पहले स्किन के हिसाब से फेसवॉश चुनें. इसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं. मॉइश्चराइजर के बाद चाहें तो आप अपनी पसंद की कोई भी क्रीम लगा सकती हैं. मॉइश्चराइजर लगाने से स्किन को नमी मिलती है. इससे झु्र्रियां कम दिखाई देती है. विटामिन सी और बायो-ऑयल्स से भरे मॉइश्चराजर का इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी.

आंखों की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी

उम्र बढने के साथ ही सबसे पहले आंखों के आसपास वाली स्किन पर असर दिखने लगता है. बहुत बारीक रेखाएं इसके आसपास दिखने लगती है, जो उम्र बढने का संकेत देती हैं. इसीलिए आंखों की क्रीम का इस्तेमाल करें, इससे आंखों के आसपास मौजूद स्किन हमेशा नम रहेगी और इससे आंखों की थकान भी दूर होगी. साथ ही ध्यान रखें कि आंखों को बार-बार न रगड़ें और न ही बार-बार पानी का छींटा मारें. इससे आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बेदाग सुंदरता के नए ट्रीटमैंट्स

ब्यूटी करैक्शन के लिए ऐसे बहुत सारे ट्रीटमैंट्स और सर्जरी आ गई हैं जो कुछ वक्त के लिए ही सही लेकिन बेदाग खूबसूरती देने के लिए कारगर हैं:

स्किन ग्लोइंग ऐंड मार्क्स रिमूवल ट्रीटमैंट

चेहरे की स्किन चमकदार और ग्लोइंग दिखे इस के लिए लड़कियां न जाने क्याक्या चेहरे पर लगाती रहती हैं, लेकिन अवलीन की माने तो घर से बाहर निकलते ही स्किन को धूप और प्रदूषण का सामना करना पड़ता है खासतौर पर सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणों से स्किन पर जमा होने वाला मैलानिन स्किन की मासूमियत को छीन लेता है. लेकिन स्किन को नयापन देने और बच्चों की स्किन जैसी कोमलता देने के लिए अब निम्न ट्रीटमैंट्स उपलब्ध हैं:

सुपर फेशियल कैमिकल पील्स

गोरा होना हर लड़की का ख्वाब होता है. इस बाबत कौस्मैटोलौजिस्ट अवलीन खोकर कहती हैं कि भारतीय महिलाओं में बहुत कम प्रतिशत में स्किन का रंग पेल व्हाइट पाया जाता है. ज्यादातर का रंग डस्की या व्हीटिश होता है. लेकिन बौलीवुड अभिनेत्रियों के हैवी मेकअप को देख कर सभी लड़कियों पर गोरा होने का जनून सवार रहता है, जबकि बायोलौजिकल कलर को कभी भी नहीं बदला जा सकता, हां उसे 2 लैवल बेहतर जरूर बनाया जा सकता है. कैमिकल पील्स ऐसा ही एक ट्रीटमैंट है, जो स्किन में उम्र के 25 वर्षों में आई हारमोनल खराबी से स्किन पर पड़े फर्क को सुधार देता है.

दरअसल इस ट्रीटमैंट में एलका हाइड्रौक्सी ऐसिड्स द्वारा स्किन की ऊपरी लेयर को जल्दीजल्दी निकाला जाता है, जिस से नई स्किन आती है. इस से स्किन को अच्छा कौंप्लैक्शन भी मिलता है. लेकिन इस ट्रीटमेंट के बाद स्किन का बहुत अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. द स्किन सैंटर, दिल्ली में कंसलटैंट डर्मैटोलौजिस्ट एवं कौस्मैटोलौजिस्ट डाक्टर वरुण कत्याल कहते हैं कि ट्रीटमैंट के बाद स्किन बहुत पतली हो जाती है, इसलिए उसे सूर्य की रोशनी से तब तक बचा कर रखना चाहिए जब तक उस पर सुरक्षित स्किन की परत न चढ़ जाए.

यदि सुरक्षित स्किन के आने के इंतजार में खुद को 2-3 दिन के लिए एक कमरे में बंद भी करना पड़े तो कर लेना चाहिए क्योंकि जरा सी भी लापरवाही स्किन को संक्रमित कर सकती है. साथ ही ट्रीटमैंट के बाद ऐंटीबायोटिक, ऐंटीबैक्टीरियल एवं ऐंटीफंगल क्रीम लगानी चाहिए. ट्रीटमैंट के बाद जो नई स्किन आती है उस में बच्चों की स्किन जैसी कोमलता और चमक रहती है.

अवलीन आगे कहती हैं कि कैमिकल पील कराने के साइड इफैक्ट्स भी कभीकभी देखने को मिलते हैं, इसलिए शादी की तारीख से ठीक 6 माह पहले यह ट्रीटमैंट कराना चाहिए क्योंकि कभीकभी इस ट्रीटमैंट के बाद जलने के निशान और संक्रमण होने का खतरा रहता है.

– कैमिकल पील में स्किन की ऊपर की लेयर को ट्रीट किया जाता है. इसे ऐपिडर्मिस लेयर कहते हैं.

– ट्रीटमैंट के बाद लगभग 2 दिन तक स्किन में खिंचाव और जलन महसूस होती है, इसलिए सनस्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए.

– इस ट्रीटमैंट के लिए 6 से 12 सिटिंग्स लेनी पड़ती हैं और खर्चा लगभग ₹15 हजार से ₹30 हजार तक आता है.

लेजर फोटो फेशियल

यह थेरैपी फेशियल का एक नया स्वरूप है. इस ट्रीटमैंट में इंटेंस पलस्ड लेजर लाइट के द्वारा स्किन के उस हिस्से का ट्रीट किया जाता है जहां सन डैमेजेस, डिसकलरेशन, एज स्पौट या फिर इनलार्ज्ड पोर्स होते हैं. बकौल अवलीन आईपीएल लेजर के द्वारा इफैक्टेड एरिया पर विजिबल ब्रौडबैंड लाइट से स्पार्क मारते हैं. स्पार्क के स्किन पर स्पर्श के दौरान चींटी के काटने जैसा एहसास भी होता है, लेकिन यह पेनफुल नहीं है.

यह ट्रीटमेंट ज्यादातर लड़कियां अपने पिगमैंटेशन सैल्स को डिस्ट्रौय करने और दागधब्बों को मिटाने के लिए भी करवाती हैं. चूंकि इस में इफैक्टेड एरिया को बिजली का शौट दिया जाता है, इसलिए उस स्थान की स्किन पर जलन या खुजली की समस्या होने की संभावना रहती है. ट्रीटमैंट के बाद ट्रीट किए गए स्थान पर आइसिंग की जानी चाहिए और सनस्क्रीन लगाने के बाद ही बाहर निकलना चाहिए.

इस ट्रीटमैंट को शादी से 6 महीने पहले करवाएं. इस की एक सिटिंग के चार्जेस ₹3,500 से ₹5 हजार हैं.

माइक्रोडर्माब्रेशन

स्किन की मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए यह बहुत ही सेफ  ट्रीटमैंट है. इस ट्रीटमैंट के बाद स्किन के रंग और टैक्स्चर दोनों में ही सुधार आता है. थेरैपी के बारे में डाक्टर वरुण का कहना है कि इस थेरैपी में मशीनों के माध्यम से स्किन की ग्राइंडिंग की जाती है. यह एक स्ट्रौंग ऐक्सफौलिएशन प्रोसैस है. इस थेरैपी द्वारा स्किन पर पड़े स्कार्स और कालेपन को दूर किया जा सकता है. इस के लिए मृतकोशिकाओं को हटाने के लिए ऐपिडर्मिक स्किन को पतला किया जाता है.

वैसे कभीकभी इस प्रोसैस में स्किन से खून भी आ जाता है. इस थेरैपी में मशीनों में ऐल्यूमिनियम और डायमंड पाउडर भरा जाता है और उसी से स्किन का ट्रीटमैंट किया जाता है. इस ट्रीटमैंट के लिए 6 से 8 सिटिंग्स की जरूरत पड़ती है. इस थेरैपी को कराने में लगभग ₹20 हजार से ₹25 हजार तक का खर्च आ जाता है.

फेशियल लाइंस, बोंस एनहैंसमैंट और डिंपल्स: हंसते वक्त चेहरा कैसा लग रहा है? कहीं अनवौंटेड लाइंस तो नहीं दिख रहीं? डिंपल पड़ रहे हैं या नहीं? शादी के पहले लड़कियां अचानक इन सब पर ध्यान देना शुरू कर देती हैं. इस की वजह भी खास होती है क्योंकि शादी में ब्राइड पर ही सब की नजरें टिकी होती हैं. कैमरामैन भी ज्यादा तसवीरें ब्राइड की ही लेता है. ऐसे में फेशियल लाइंस और अनबैलेंस्ड स्माइल दुलहन का चेहरा बिगाड़ सकती है. इस से बचने के लिए आजकल की ब्राइड्स में बोटोक्स, फिलर्स और डिंपल सर्जरी आम हो गई है. आइए, जानते हैं इन ट्रीटमैंट्स के बारे में:

बोटोक्स

कई महिलाओं के हंसते वक्त नाक की दोनों ओर से होंठों तक लकीरें बनने लगती हैं जिन्हें लाफिंग लाइंस कहते हैं. इसी तरह बातचीत करते वक्त कई लोगों की आंखों के कोनों पर क्रो लाइंस बन जाती हैं या फिर माथे पर ऐक्सप्रैशन लाइंस दिखने लगती हैं, जो बेहद भद्दी लगती हैं. इन्हें बोटोक्स ट्रीटमैंट के द्वारा मिटाया जा सकता है.

डाक्टर वरुण का इस ट्रीटमैंट के बारे में कहना है कि बोटोक्स बोट्यूलियन टौक्सिन टाइप ए का प्यूरिफाइड और डिल्यूटेड फौर्म है, जो चेहरे की मसल्स को रिलैक्स कर के फेशियल क्रीज को मिटाता है. इस ट्रीटमैंट में इंजैक्शन द्वारा बोटोक्स को इफैक्टेड एरिया में इंजैक्ट किया जाता है. इस का असर 4 से 6 महीने तक रहता है. लेकिन यदि यह गलत तरीके से इंजैक्ट किया जाए तो चेहरा इंबैलेंस हो जाता है, साथ ही इंजैक्ट किए गए एरिया में सूजन भी आ जाती है.

फिलर

आजकल सब को पाउटी लिप्स चाहिए. यह ट्रैंड सा बन चुका है खासतौर पर बौलीवुड ऐक्ट्रैसेज में यह ट्रैंड बहुत आम है. अब उन्हीं को देख कर ब्राइड बनने जा रही लड़कियों को भी अपने लिप्स पाउटी चाहिए. इस ट्रीटमैंट को करवाने में कोई जोखिम भी नहीं. पतले होंठों वाली लड़कियों के लिए यह ट्रीटमैंट किसी वरदान से कम नहीं. लेकिन अवलीन की माने तो फिलर ब्यूटी इंडस्ट्री में अब बहुत कौमन हो चुके हैं. लेकिन इस का असर इफैक्टेड एरिया में जबरदस्त दिखता है. इस लिए इस ट्रीटमैंट को तब ही करवाया जाए जब आप पूरी तरह से बदलाव के लिए तैयार हों. थेरैपी और इसे किसी अच्छे कौस्मैटोलौजिस्ट से ही करवाएं.

इस थेरैपी द्वारा अंडर आई बैग्स को कंट्रोल करने, लिप्स को शेप देने और चीकबोंस को उठाने के लिए फिलर लिपिड्स होते हैं जो पानी की कमी को पूरा करते हैं और बैठी हुई स्किन को उभारते हैं. इस थेरैपी पर ₹25 हजार से ₹30 हजार तक खर्चा आता है.

आर्टिफिशियल डिंपल सर्जरी

फोर्टिस अस्पताल की कौस्मैटिक सर्जन रश्मि तनेजा का कहना है, ‘‘आजकल बहुत सी लड़कियां डिंपल सर्जरी के लिए आती हैं.

लेकिन इस के लिए हमें उन के चेहरे की प्रौपर सर्जरी करनी पड़ती है. इस के लिए हम स्किन को काट कर मसल्स से जोड़ देते हैं. सर्जरी से हुए घाव को भरने में लगभग 3 हफ्ते लग जाते हैं. लेकिन यह जरूरी नहीं कि सर्जरी सक्सैसफुल हो. कई बार सर्जरी के बाद भी डिंपल नहीं बनता बल्कि ऐसा भी होता है कि हंसने पर या न हंसने भी सर्जरी की जगह क्रीज बन जाती है, जबकि प्राकृतिक तौर पर बनने वाले डिंपल स्किन पर क्रीज नहीं बनाते.

इस सर्जरी को शादी से 8 माह पूर्व करवाना चाहिए. इसे करवाने में लगभग ₹50 हजार से ₹60 हजार तक लग सकते हैं और इस का असर भी 6 महीने तक ही रहता है.

हेयर रिमूवल थेरैपी

इस बाबत अवलीन कहती हैं कि चेहरे पर बाल होना न होना हारमोंस पर निर्भर करता है. कई लड़कियों में लड़कों वाले हारमोंस का लैवल ज्यादा होता है. उस केस में चेहरे पर लड़कों की तरह बाल आ जाते हैं. अब इन बालों की शेव तो की नहीं जा सकती है, इसलिए कई लड़कियां थ्रैड से बाल हटवा लेती हैं. लेकिन इस से दोबारा निकलने वाले बाल कड़े जो जाते हैं और उन की संख्या भी बढ़ जाती है. उन्हें हटाने के लिए हेयर रिमूवल लेजर थेरैपी का सहयोग लिया जा सकता है. इस के लिए स्पार्क्स द्वारा बालों को जलाया जाता है.

इस थेरैपी में एनडीयोग लेजर, डायर्ड लेजर और आईपीएल लेजर का इस्तेमाल होता है. लेकिन एक बार इस थैरेपी को करवाने के बाद चेहरे पर ब्लीच नहीं किया जा सकता. थेरैपी का असर खत्म होने के बाद बालों की डैंसिटी और मोटाई दोनों ही कम हो जाती हैं. कभीकभी इस थेरैपी के रिएक्शन भी देखने को मिलते हैं. कई बार इस थेरैपी के बाद स्किन पर रैशेज, इरीटेशन हो जाती है. इस थेरैपी के लिए मल्टीपल स्टिंग (12-20) भी लेनी होती हैं. थेरैपी को कराने में खर्च ₹2 हजार से ₹2,500 तक आता है.

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Summer Special: जानिए कैसी है आपकी स्किन

स्किन का वह असामान्य हिस्सा, जहां के रंग में बदलाव आ गया हो, एक आम समस्या है जिस के कई संभावित कारण हो सकते हैं. हो सकता है कि आप की स्किन के उस हिस्से के मेलानिन के स्तर में अंतर की वजह से पिग्मैंटेशन में बदलाव आ गया हो. दागधब्बे वाली स्किन के भी कई संभावित कारण होते हैं, जो साधारण से जटिल भी हो सकते हैं, जैसे कीलमुंहासे, धूप या अन्य किसी कारण से झुलसना, संक्रमण, ऐलर्जी, हारमोन में बदलाव, जन्मजात निशान आदि. परंतु आम धारणा के उलट, आप के चेहरे के दाग सिर्फ मुंहासों की वजह से ही नहीं होते.

कीलमुंहासों की वजह से होने वाले घाव भी दाग छोड़ सकते हैं. यहां तक कि उन्हें आप नहीं छेड़ते तो भी आप उन से नहीं बच सकते. कुछ द्रव से भरे घाव ऐसे होते हैं, जिन की वजह से स्किन के भीतर दर्द महसूस होता है और वास्तव में ऐसे घाव स्किन की बाहरी सतह पर नहीं होते. जलन सा दर्द देने वाले ये मुंहासे ऐसे होते हैं, जिन में श्वेत रक्तकण की मात्रा अधिक जमा होती है और इस वजह से उस क्षेत्र में ज्यादा ऐंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं और ये ज्यादा घातक होते हैं. ऐसी स्थिति में आप की स्किन स्वयं ही घाव भरने की कोशिश करती है और इस की वजह से दागधब्बे उभर आते हैं. मुंहासे अकेले स्किन पर बदरंग दाग के कारक नहीं होते. अन्य गहरे रंग के धब्बे और ज्यादा पिग्मैंटेशन वाली स्किन के प्रकार के लिए आप की ढलती उम्र, धूप से होने वाला नुकसान, यहां तक कि गर्भनिरोधक गोलियां तक जिम्मेदार हो सकती हैं. अगर धब्बे, ऐलर्जी या हाइपरपिग्मैंटेशन जैसी स्किन की गंभीर समस्या है तो स्किन रोग विशेषज्ञ के पास जाने से गुरेज न करें.

निशान और धब्बों में फर्क

मुंहासों के निशान और स्किन के धब्बों में बहुत फर्क होता है. इन के बीच फर्क समझने में जिस एक बिंदु पर लोग भ्रमित होते हैं, वे हैं वास्तविक मुंहासे के दाग और उस के फटने के बाद लाल धब्बा अथवा डिसकलरेशन. स्किन की उपरी सतह पर जो गुलाबी, लाल अथवा भूरे निशान होते हैं वे तो समय के अंतराल के साथ ठीक हो जाते हैं. वे असल में मुंहासे होते ही नहीं, पर वास्तविक मुंहासों के धब्बे स्किन के अंदरूनी नुकसान का परिणाम होते हैं, और अपने पीछे धब्बे छोड़ सकते हैं.

दरअसल, स्किन की अंदरूनी परत में नुकसान के ही परिणाम होते हैं ये धब्बे, जो स्किन को सहारा देने वाली संरचना में टूटफूट की वजह से होते हैं. ये कोलेजन और ऐलेस्टिन के टूटने के कारण बनते हैं. स्वाभाविक तौर पर स्किन पर आए निशान बिना चिकित्सीय इलाज के ठीक नहीं होते. उन्हें खत्म होने में ज्यादा समय लगता है और सिर्फ लेजर उपचार के जरीए ही उन्हें हटाया जा सकता है, क्योंकि ये स्किन के अंदरूनी हिस्सों में पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं, जो प्राय: मुंहासों को छेड़ने की वजह से होता है. हालांकि हमेशा ही ऐसा नहीं होता.

रक्ताल्पता के परिणामस्वरूप बने ऐट्रौफिक निशान खरोंच या गहराई जैसे दिखते हैं. जिन्हें प्राय: आइस पिक के नाम से जाना जाता है. वहीं हाइपरट्रौफिक निशान ज्यादा मोटे दिखते हैं. ये स्किन की ऊपरी सतह पर उभार लिए फोड़े की तरह होते हैं. सांवले रंग की स्किन वाले लोगों में प्राय: पोस्टइनफ्लैमेटरी हाइपरपिग्मैंटेशन का मामला देखने को मिलता है. इस के निशान भूरे रंग के होते हैं. तुलनात्मक तौर पर गोरे रंग के लोगों में पोस्टइनफ्लैमेटरी ऐरीथेमा होता है, जो पर्पल और लाल रंग का होता है.

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सचेत रहना जरूरी

वास्तव में मुंहासे के दाग उस चरण में दिखते हैं, जब शरीर के भीतर घाव भरने की प्रक्रिया चल रही होती है और इस वजह से सामान्य तरीके से कोलेजन नहीं बन पाता. मुंहासे के घाव अपने आसपास मौजूद कोलेजन और ऐलेस्टीन जैसे सारे ऐंजाइम को खत्म कर देते हैं. इस दौरान स्किन में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है. कोलेजन और ऐलेस्टीन के ऊतक और अधिक कोलेजन और ऐलेस्टीन उत्पन्न करने में नाकाम रहते हैं या फिर यों कहें कि वे विकृत और लचर ढंग से ऐसा कर पाते हैं और चेहरे पर दागधब्बे छोड़ जाते हैं.

स्वस्थ और सुंदर स्किन पाना बहुत मुश्किल काम नहीं है. बस, आप को स्किन की देखभाल के मामले में लगातार गंभीर रहने की जरूरत है. पिग्मैंटेशन, काला धब्बा, झांइयां और असमान स्किन टोन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिन का हम सामना करते हैं. यहां तक कि एक दाग के साथ भी बाहर निकलना बहुत परेशान करने वाली स्थिति होती है. इसलिए सब से पहले आप अपनी स्किन के प्रकार के बारे में जानें और फिर उस के अनुसार ही उत्पाद का इस्तेमाल करें. सामान्य, तैलीय, मिश्रित, शुष्क व संवेदनशील आदि स्किन के प्रकार हैं. कुछ लोगों के मामले में उन की स्किन विभिन्न जगहों पर भिन्नभिन्न प्रकार की होती है. बदलते वक्त के साथ स्किन के प्रकार में भी परिवर्तन हो सकता है. स्किन के प्रकार का बदलना विभिन्न तथ्यों पर निर्भर करता है मसलन:

पानी के अवयव, जो स्किन को आराम पहुंचाते हैं. इन से इस की लोच प्रभावित होती है.

तेल (लिपिड) सामग्री, जो स्किन की कोमलता को प्रभावित करती है.

संवेदनशीलता का स्तर.

सामान्य स्किन

सामान्य स्किन न तो ज्यादा शुष्क और न ही ज्यादा तैलीय होती है. इस में न के बराबर खामियां होती हैं. इस में ज्यादा संवेदनशीलता नहीं होती और मुश्किल से दिखने लायक रोमछिद्र होते हैं. इस का रंग चमकदार होता है.

मिश्रित स्किन

मिश्रित प्रकार की स्किन का कुछ हिस्सा शुष्क या सामान्य हो सकता है, तो दूसरे हिस्से जैसे टीजोन (नाक, माथा और ठुड्डी) तैलीय हो सकते हैं. कई लोगों की स्किन मिश्रित प्रकार की होती है, जो अपने भिन्नभिन्न हिस्सों की स्किन के अलगअलग प्रकार के लिए अलगअलग तरह की देखभाल का लुत्फ ले सकते हैं. मिश्रित स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

ज्यादा फैले हुए रोमछिद्र.

कीलमुंहासे.

चमकदार स्किन.

शुष्क स्किन

शुष्क स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

लगभग न दिखने वाले रोमछिद्र.

बिना चमक का रूखा रंग.

लाल धब्बे.

कम लोचदार.

ज्यादा दिखने वाली धारियां.

शुष्क स्किन के निम्न कारण हो सकते हैं या इन की वजह से स्थिति और बदतर हो सकती है:

आनुवंशिक कारक.

ढलती उम्र या हारमोन में बदलाव.

तेज हवा, धूप या ठंड जैसे मौसम.

पराबैगनी विकिरण.

बंद कमरे को गरम करना.

लंबे समय तक गरम पानी से नहाना.

साबुन, सौंदर्य प्रसाधन या क्लींजर्स की सामग्री.

दवा का प्रयोग.

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स्किन की देखभाल

ज्यादा देर तक न नहाएं.

हलके व कोमल साबुन अथवा क्लींजर्स का इस्तेमाल करें.

नहाने के बाद मौइचराइजर जरूर लगाएं. शुष्क स्किन के मामले में लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम ज्यादा कारगर साबित हो सकते हैं, परंतु लोग प्राय: इन से दूर रहते हैं. दिन भर में जरूरत पड़ने पर इन्हें दोहराएं.

बंद कमरे का तापमान ज्यादा न बढ़ने दें.

तैलीय स्किन

तैलीय स्किन के मामले में निम्न बातें दिख सकती हैं:

बढ़े हुए रोमछिद्र.

चमकदार या बिना चमक वाली स्किन.

कीलमुंहासे और अन्य दागधब्बे.

मौसम के परिवर्तन पर तैलीय स्किन में परिवर्तन आ सकता है. निम्न तथ्य तैलीय स्किन के कारक हो सकते हैं या स्किन को और अधिक तैलीय बना सकते हैं:

प्रौढता या हारमोन में असंतुलन.

तनाव.

गरमी या बहुत ज्यादा आर्द्रता का होना.

स्किन की देखभाल

दिन भर में 2 बार से ज्यादा चेहरे को न धोएं.

हलके क्लींजर का इस्तेमाल करें और स्किन को न रगड़ें.

मुंहासों को न छेड़ें. इस से उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

संवेदनशील स्किन

अगर आप की स्किन संवेदनशील है, तो यह पता लगाने की कोशिश करें कि संवेदनशीलता किनकिन चीजों को ले कर है. फिर उन से परहेज करें. संवेदनशील स्किन के कई कारक हो सकते हैं परंतु कई मामलों में स्किन की देखभाल से संबंधित उत्पाद भी इस के कारण हो सकते हैं.

स्किन में अगर लाली, खुजलाहट, जलन व रूखापन हो तो ये लक्षण संवेदनशील स्किन के हो सकते हैं.

डा. पंकज चतुर्वेदी स्किन रोग विशेषज्ञ, मेडलिंक्स

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सांवलेपन से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 17 वर्षीय कालेज स्टूडैंट हूं. मैं अपने सांवलेपन से परेशान हूं. मेरी स्किन औयली है और मेरे मुंह के चारों तरफ सांवलापन है, जो कभी कम नहीं होता है. कोई क्रीम बताएं जिस से सांवलापन जल्दी हट जाए.

जवाब-

आप लैक्टिक बेस्ड चीजें इस्तेमाल करें. जैसे दूध व दही लगाने से सांवलेपन में फर्क पड़ता है. औयली स्किन में दही व बेसन को मिला कर लगाएं. कुछ देर लगा रहने के बाद सादे पानी से धो दें. अपनी डाइट में विटामिन, कैल्सियम युक्त चीजें शामिल करें. स्प्राउट्स खाने की आदत डालें.

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सवाल-

मेरी उम्र 17 वर्ष है. मेरी गरदन का पिछला हिस्सा बहुत सांवला दिखता है. उस सांवलेपन को दूर करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

कभीकभी सनबर्न होने के कारण या हारमोन असंतुलन के कारण ऐसा होता है. आप सिट्रिक बेस्ड पिल्स ले सकती हैं. इस के अलावा बेसन, नीबू का रस व हलदी पाउडर को मिला कर गरदन पर लगाएं. सूखने पर दूध और पानी के घोल से इस मिश्रण को हटा दें.

इस के अलावा पपीता, केला, दूध, शहद व नीबू का रस मिला कर गरदन पर 25 मिनट तक लगाए रखें. सूखने पर सादे पानी से धो लें. बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन लोशन जरूर लगाएं. अपना हारमोन बैलेंस भी जरूर चैक करवाएं.

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सांवली त्वचा के नाम से ही हम भारतीय अपनी सुंदरता में कमी महसूस करने लगते हैं. कई महिलाएं तो सांवले रंग को ले कर हीनभावना का शिकार हो जाती हैं, जबकि सांवलासलोना रंग अधिक आकर्षित करता है. अगर एक ब्यूटीशियन की नजर से देखा जाए तो हर तरह की रंगत खूबसूरत होती है. सिर्फ जरूरत है अपनी त्वचा को पहचानने की और उसे संवारने की.

सांवली त्वचा की देखभाल

रोज सुबह नहाने से पहले 1 चम्मच कच्चा दूध, 1 चुटकी नमक, 2 बूंदें नीबू का रस व 2 बूंदें शहद डाल कर 5 मिनट तक चेहरे पर लगाएं. बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें.

हफ्ते में 2 बार चंदन व गुलाबजल का फेस पैक जरूर लगाएं.

धूप में सांवली त्वचा गोरी त्वचा से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

किसी अच्छी कंपनी के वाइटनिंग फेस वाश से चेहरे को दिन में 2 बार जरूर धोएं.

रात को सोते समय अपनी त्वचा के अनुसार वाइटनिंग क्रीम लगाएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- सांवली स्किन की करें देखभाल

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्रशिंग से पाएं Soft Skin

त्वचा लचीली रहे तो झुर्रियां बहुत देर से पड़ती हैं. इस के लिए न्यूयार्क की एनलीज हेगन का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. जिस के चलते चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, साथ ही चेहरे की चमक कम होने लगती है. लेकिन त्वचा को यदि खूबसूरत और रेशमी रखना है तो इस के लिए त्वचा पर चिपकी गंदगी और तेल को साफ करना जरूरी है. हमारी त्वचा में निरंतर नई कोशिकाएं उत्पन्न होती रहती हैं और पुरानी निकल जाती हैं. इन्हीं मृत कोशिकाओं की सफाई यदि त्वचा से नहीं की जाती है तो ये रोमछिद्रों को बंद कर देती है. परिणामस्वरूप त्वचा पर ब्लैकहैड्स और दूसरे दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. इस से त्वचा सांवली और मुरझाई हुई लगती है, साथ ही बढ़ती उम्र त्वचा की रौनक और कसावट दोनों को ही कम कर देती है.

अपनी त्वचा को रेशमी और स्वस्थ बनाए रखने के लिए हफ्ते में 2 बार ब्रशिंग करें जिस से मृत कोशिकाएं निकलेंगी और त्वचा के रोमरोम की सफाई होगी. दरअसल, दिन भर की दौड़धूप व ज्यादा काम के कारण आप का ऊर्जा स्तर शून्य हो जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए डिटोक्स अपनाना जरूरी है. डिटोक्स सफाई की नई प्रक्रिया है, जिस के जरिए शरीर की सफाई तो होती है, साथ ही दिमाग भी तरोताजा हो जाता है. इस के लिए रात को सोने से पहले अपनी त्वचा पर हलके हाथों से ब्रश चलाएं. ध्यान रखें कि त्वचा सूखी होनी चाहिए.

हमेशा नहाने से पहले त्वचा पर ब्रश करें.

ब्रश की शुरुआत अपने पैरों से करें. पंजे, एड़ी और फिर पैर के आगे और पीछे की तरफ लंबाई में ब्रश चलाएं.

ब्रश चलाने का सही तरीका होता है नीचे से ऊपर की तरफ.

पैरों के बाद अपने नितंबों पर अच्छी तरह ब्रश चलाएं.

अब हाथों और बांहों से ब्रश को ऊपर की तरफ चलाते हुए बगलों की तरफ आएं.

फिर कंधे और छाती से नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

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गरदन के पीछे वाले हिस्से में नीचे की तरफ ब्रश चलाएं.

 पेट पर ब्रश चलाने का सही तरीका यहहै कि ब्रश को धीरेधीरे क्लाकवाइज यानी घड़ी की सूई की तरह गोलगोल चलाएं.

अब 2 बूंदें रोजमेरी के तेल मिले हुए पानी से नहाएं.

इस के आधे घंटे बाद ठंडे पानी से नहाएं.

खास सावधानी

बौडी ब्रशिंग के लिए उचित प्रकार केलूफे का प्रयोग करें. बाजार में ब्रशिंग के लिए तुरई के पारंपरिक लूफे के अलावा नायलोन के लूफे भी मिल जाएंगे.

लूफे का इस्तेमाल हमेशा दबाव के साथ करें. पर अधिक दबाव डालने से त्वचा पर झुर्रियां पड़ सकती हैं.

बौडी पैक लगाने के बाद लूफे का इस्तेमाल करने से पहले पैक को एक बार शावर बाथ से गीला कर लें. लूफे से बहुत दबाव के साथ छुड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

एक्सफोलिएशन

इसी तरह त्वचा की मृत कोशिकाओं की सफाई का सब से आसान तरीका एक्सफोलिएशन है. एक्सफोलिएट करने से पहले निम्न सावधानियां रखना जरूरी है :

त्वचा को किसी माइल्ड साबुन से अच्छी धो लें ताकि पहले से त्वचा पर लगी क्रीम या अन्य पदार्थ त्वचा से चिपके नरह जाएं.

स्क्रब करने के दौरान त्वचा को हलका गीला अवश्य करें, क्योंकि सूखी त्वचा पर स्क्रब करने से त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

चेहरे से मृत त्वचा हटाने के लिए सर्कुलर मूवमेंट का प्रयोग करें.

स्क्रब के बाद चेहरे पर मास्चराइजर जरूर लगाएं.

एक्सफोलिएशन के लिए अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट भी उपलब्ध हैं.

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ह्यलुरोनिक एसिड सीरम फोर फेस 

हर महिला चाहती है कि उसकी स्किन का टेक्सचर सोफ्ट , स्मूद होने के साथ हमेशा जवां नजर आए. इसके लिए कभी घरेलू टिप्स अपनाती हैं , तो कभी पार्लर का रुख करती हैं . मन में यही चाहा होती है कि उनकी स्किन बस हर दम चमकती दमकती रहे. लेकिन सिर्फ कभी कभार स्किन की देखभाल करने से स्किन की हैल्थ ठीक नहीं होती है, बल्कि उसके लिए रेगुलर स्किन को पैंपर करने की जरूरत होती है. ऐसे में लेटेस्ट स्किन केयर प्रोडक्ट में आजकल ह्यलुरोनिक एसिड सीरम काफी डिमांड में है, जो न सिर्फ स्किन को स्मूद बनाने में सक्षम है, बल्कि इसके रेगुलर इस्तेमाल करने से मात्र कुछ ही हफ्तों में स्किन अंदर से खिल भी उठती है. तो आइए जानते हैं इसके बारे में.

क्या है ह्यलुरोनिक एसिड

ह्यलुरोनिक एसिड एक हुमेक्टैंट के रूप में प्रयोग किया जाता है. जो एक ऐसा पदार्थ है , जो स्किन में पानी को होल्ड करने का काम करता है और  स्किन की आउटर लेयर को हाइड्रेट करके स्किन की रंगत को इंप्रूव करता है. जिससे स्किन ज्यादा ग्लोइंग व यूथफुल लगने लगती है. बता दें कि ह्यलुरोनिक एसिड त्वचा को संरचना देने वाला मुख्य घटक होता है. जो स्किन को प्लंप व हाइड्रेट करता है. ह्यलुरोनिक एसिड के मोलिकुलिस में ये प्रोपर्टी होती है कि वे पानी को अपने से 1000 गुना ज्यादा सोखने की क्षमता रखते हैं, जिसके कारण ये स्किन को हाइड्रेट रखते हैं.

क्या हैं इसके फायदे 

एंटी एजिंग 

आपको जानकर हैरानी होगी कि शरीर के कुल ह्यलुरोनिक एसिड का लगभग 50 पर्सेंट स्किन में मौजूद होता है. लेकिन ज्यादा यूवी किरणों के संपर्क में आने की वजह से इस मात्रा में कमी आती है, जो झुर्रियों का कारण बनती है. अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जिन भी महिलाओं ने लगातार कुछ महीनों तक ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल किया है, उनमें झुर्रियों की समस्या बहुत कम दिखने के साथसाथ उनकी स्किन की इलास्टिसिटी भी काफी इम्प्रूव हुई है. क्योंकि इसकी हाइड्रेशन प्रोपर्टीज स्किन को ज्यादा प्लंप करने का काम करती है. और ऐसी स्किन पर झुर्रियां व फाइन की समस्या बहुत कम होती है.

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अनक्लोग पोर्स 

जब स्किन की प्रोपर केयर नहीं होती है, तो स्किन पर जमी डेड स्किन सेल्स स्किन में जम कर पोर्स को क्लोग करने का काम करते हैं , जो एक्ने, ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स का कारण बनते हैं. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड में ऐसे गुण हैं , जो पोर्स को क्लोग होने से रोकने के साथ स्किन को ज्यादा क्लीन व स्मूद बनाए रखते हैं. साथ ही पोर्स के ओपन रहने से स्किन में ओक्सीजन का फ्लो आसानी से हो जाता है, जो स्किन की रौनक को बढ़ाने में भी मददगार है.

आयल को कंट्रोल करे 

जब हमारी स्किन में मोइस्चर की कमी होती है, तो वो स्किन में आयल के अत्यधिक उत्पादन का कारण बनता है. लेकिन ह्यलुरोनिक एसिड युक्त सीरम का इस्तेमाल करके आप अपनी स्किन में मोइस्चर को बढ़ाकर सीबम के उत्पादन को नियंत्रण में रख सकते हैं. ये स्किन में एक्सेस आयल, पसीना और सीबम को कम करता है, जो आपकी स्किन को ब्रेकआउटस से भी बचाने का काम करता है.

यूथफुल स्किन 

ड्राई स्किन जहां रूखी व बेजान लगती है, वहीं ऐसी स्किन ज्यादा प्रोब्लम्स की गिरफ्त में भी आती है. ऐसे में स्किन को नौरिश करने व न्यू हैल्दी स्किन सेल्स के निर्माण करने वाले इंग्रीडिएंट्स से युक्त ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना जरूरी होता है, ताकि स्किन एक्सफोलिएट होकर यंग लुक में नजर आने लगे. ऐसे में ह्यलुरोनिक एसिड सीरम को अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल करने से स्किन पर काफी अमेजिंग रिजल्ट देखने को मिलते हैं. क्योंकि ये स्किन को हाइड्रेट करने के साथ स्किन की हैल्थ को अंदर से इम्प्रूव करती है, जिससे धीरेधीरे स्किन डलनेस से यंग लुक में नजर आने लगती है.

डार्क स्पोट्स को कम करे 

हाइपर पिगमेंटेशन की वजह से स्किन पर डार्क स्पोट्स की समस्या देखने को मिलती है. जबकि ह्यलुरोनिक एसिड यूवी किरणों के कारण होने वाली हाइपरपिगमेंटेशन से स्किन को बचाने का काम करता है. साथ ही ये स्किन पर प्रोटेक्टिव लेयर का काम करके उसे धूलमिट्टी , पोलूशन से भी बचाकर स्किन को डार्कस्पोट्स से दूर रखता है.

बेस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम 

– लोरियल पेरिस का 1.5 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम सभी स्किन टाइप पर सूट करने के साथ आपकी स्किन को तुरंत फ्रेश व ग्लोइंग बनाने का काम करता है. इसका लाइटवेट फॉर्मूला स्किन में मोइस्चर को बनाए रखकर आपकी स्किन पर रेडियंट ग्लो लाने का काम करता है. साथ ही चेहरे की झुर्रियां भी धीरेधीरे कम होने लगती है. इजी टू यूज़ के साथ इजी टू अवेलेबल भी है.

– डर्मडॉक 2 पर्सेंट प्योर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, नार्मल से ड्राई स्किन सभी के लिए परफेक्ट है. ये स्किन में तुरंत अब्सोर्ब होकर स्किन को हाइड्रेट रखता है. साथ ही ये फ्रैग्रैंस व सिलिकोन फ्री भी है. यानि बेटर रिजल्ट के साथ सेफ फोर स्किन.

– प्लम 2 पर्सेंट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसका अल्ट्रा हाइड्रेटेड फेस सीरम , जो स्किन को इंस्टेंट हाइड्रेट करके स्किन को प्लंप व बाउंसी बनाने का काम करता है. ये ड्राई व इन्फ्लेमेड स्किन से भी राहत पहुंचाता है. ये सीरम काफी पौकेट फ्रैंडली भी है.

– एअर्थ rhythm का मल्टी मोलिक्युलर ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, स्किन को नौरिश करने के साथ डैमेज स्किन को रिपेयर करने का भी काम करता है. ये सीरम स्किन लेयर्स में आसानी से जाकर स्किन को डीपली हाइड्रेट करके सोफ्ट फील देने का काम करता है . ये सीरम आपको अंडर 1000 में मिल जाएगा.

– न्यूट्रोजेना का हाइड्रो बूस्ट ह्यलुरोनिक एसिड सीरम, जिसमें हैं 17 पर्सेंट हाइड्रेशन काम्प्लेक्स. ये ड्राई स्किन पर बहुत ही अमेजिंग रिजल्ट देता है. साथ ही आयल व फ्रेग्रेन्स फ्री होने के कारण स्किन पर किसी भी तरह की एलर्जी का डर नहीं रहता.

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कैसे अप्लाई करें 

किसी भी ब्यूटी प्रोडक्ट का रिजल्ट तभी बेस्ट आता है जब आपकी स्किन क्लीन हो. इसलिए जरूरी है कि आप फेस सीरम को अप्लाई करने से पहले चेहरे को अच्छे से क्लीन कर लें. उसके बाद सीरम की 3 – 4 ड्रोप्स को चेहरे पर अप्लाई करें और फिर उंगलियों की मदद से पूरे फेस पर इसकी मसाज करें. इसके बाद मॉइस्चराइजर जरूर अप्लाई करें, ताकि मोइस्चर स्किन में आसानी से लौक हो सके. आप रोजाना इसे सुबह व शाम दो बार अप्लाई करके हैल्दी व हाइड्रेट स्किन पा सकती हैं.

ब्यूटी सोप से निखारें Skin

गोरी काया हर स्त्री की चाहत होती है. पहले महिलाएं अपने कामकाज से समय निकाल कर बेसन, चंदन, हलदी व मुलतानी मिट्टी के लेप बना कर अपनी त्वचा पर लगाती थीं, परंतु आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इतना समय कहां. शरीर में चेहरे की त्वचा सब से ज्यादा संवेदनशील होती है और भागमभाग से भरपूर दिनचर्या का सब से ज्यादा बुरा असर इसी पर पड़ता है. यदि सही देखभाल न की जाए तो हवा के थपेड़ों व धूप की तपिश से चेहरे की त्वचा अपनी आभा खोने लगती है.

त्वचा के प्रकार

यदि 2 से 4 घंटों के अंतराल पर आप को अपनी त्वचा चिपचिपी प्रतीत होती है तो त्वचा का स्वभाव तैलीय है और इस प्रकार की त्वचा के रखरखाव की ज्यादा जरूरत होती है.

घर से बाहर निकलने के कुछ समय बाद ही यदि आप त्वचा में खिंचाव महसूस करती हैं तो आप की त्वचा रूखी है.

यदि धूप और हवा का असर त्वचा पर तुरंत नजर आने लगे तो आप की त्वचा अति संवेदनशील है.

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सांवलेपन का कारण

त्वचा का सीधे तेज धूप में संपर्क में आना, सांवलेपन का प्रमुख कारण है. सूर्य की पराबैगनी किरणें और तपिश त्वचा के बाहरी आवरण को नुकसान पहुंचाती हैं. त्वचा पर जमा होती गंदगी त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देती है और इन से निकलने वाले पोषक तत्त्व निष्क्रिय हो जाते हैं. इन कारणों से ब्लैक स्पौट, पिगमैंटेशन व सांवलेपन की समस्या पैदा हो जाती है.

त्वचा का रखरखाव

ब्यूटी सोप त्वचा की देखभाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथसाथ आप को तरोताजा भी रखता है. परंतु ब्यूटी सोप का चुनाव करते समय सावधानी बरतना जरूरी है. इसे खरीदने से पहले प्रोटीन फार्मूला व सौंदर्य निखारने वाले अन्य तत्त्वों की जानकारी अवश्य लें. ध्यान रखें कि सोप में कैमिकल की मात्रा ज्यादा न हो, क्योंकि यह त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है.

अपने चेहरे पर दिन में कई बार पानी का छिड़काव कर साफ करें. इस से गंदगी भी साफ होगी और त्वचा की आभा भी बनी रहेगी.

अच्छे ब्यूटी सोप से अपने चेहरे को साफ करें.

ब्यूटी सोप का इस्तेमाल करने से पहले रुई के फाहे में गुलाबजल डाल कर चेहरे को हलके हाथों से साफ करें.

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सौफ्ट & शाइनी स्किन के लिए अपनाएं ये 10 टिप्स

अंजली का चेहरा हमेशा बुझाबुझा सा नजर आता था. अरे यार, वह अपने चेहरे पर ध्यान देगी तभी तो उस की त्वचा साफ, कोमल और दमकी नजर आएगी. क्या आप को भी लगता है कि आप अपने चेहरे को साफ रखती हैं, तब भी उस में चमक नहीं आ पाती है? कई बार ऐसा होता है कि त्वचा पर से डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर त्वचा बेजान और धुंधली दिखाई देने लगती है.

इस के अलावा त्वचा की नमी और तैलीयता बनाए रखने की शक्ति भी कम होती जाती है. डेड सेल्स ठीक से न निकलने पर नए सेल्स को निकलने के लिए जगह नहीं मिलती, जिस के कारण त्वचा पर कई तरह की समस्याएं जैसे मुंहासे, ब्लैकहेड्स और दागधब्बे दिखाई देने लगते हैं. त्वचा को पानी या साबुन से धोने से उस पर जमी धूलमिट्टी और चिकनाई तो दूर हो जाती है लेकिन डेड सेल्स अच्छी तरह से नहीं निकल पाते हैं. इसलिए त्वचा पर से डेड सेल्स को अच्छी तरह से निकालने के लिए कुछ खास उपायों की आवश्यकता होती है.

1. एस्ंट्रिजेंट

बाजार में कई प्रकार के एस्ट्रिंजेंट उपलब्ध हैं. अल्कोहल बेस्ड एस्ट्रिंजेंट त्वचा पर से डेड सेल्स को हटाता है.

2. प्यूमिक स्टोन

त्वचा पर हलके हाथों से प्यूमिक स्टोन को रगड़ने से डेड सेल्स निकल जाते हैं. प्यूमिस स्टोन जब इस्तेमाल करें तब इसे त्वचा पर जोरजोर से न रगड़ें. इस से त्वचा के डेड सेल्स तो हट जाते हैं, लेकिन नए सेल एमीलोइड नामक एक प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं और यही प्रोटीन त्वचा पर काले दागधब्बे के रूप में उभर आता है.

3. बौडी ब्रशिंग

पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद लूफा या ब्रश से हलके हाथों से त्वचा को रगड़ना चाहिए. बौडी ब्रशिंग से त्वचा पर जमे डेड सेल्स अच्छी तरह से निकल जाते हैं.

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4. स्क्रब

स्क्रब द्वारा त्वचा के डेड सेल्स को आसानी से निकाला जा सकता है. स्क्रब करने से पहले त्वचा को माइल्ड सोप से अच्छी तरह धो लें. होममेड स्क्रब त्वचा के लिए काफी अच्छे रहते हैं. इन्हें आप आसानी से घर पर ही बना कर इस्तेमाल कर सकती हैं. सप्ताह में एक बार त्वचा पर होममेड स्क्रब करना चाहिए. इस से त्वचा दमकती रहती है.

5. फेस पैक और फेस मास्क

फेस पैक और फेस मास्क चेहरे और गरदन के डेड सेल्स को हटाने के अच्छे उपाय हैं. फेस पैक को चेहरे पर लगाया जाता है. सूख जाने पर हलके हाथ से रगड़ कर निकाल दिया जाता है. इस के बाद ठंडे पानी से त्वचा को साफ कर लिया जाता है. फेस मास्क को त्वचा की प्रकृति के हिसाब से इस्तेमाल कर सकती हैं.

6. फेशल

फेशल एक प्रकार की मसाज है. यह भी त्वचा पर से डेड सेल्स निकालने का अच्छा उपाय है. फेशल से त्वचा में निखार आता है. चेहरे की त्वचा में रक्तसंचार ठीक से होने लगता है. त्वचा की झुर्रियां नष्ट हो जाती हैं. आंखों के डार्क सर्कल्स खत्म हो जाते हैं.

7. प्रिजरवेटिव फेशल

स्वस्थ त्वचा पर प्रिजरवेटिव फेशल किया जाता है.

8. हर्बल फेशल

हर्बल फेशल में कुकुंबर, रोज, लैमन, संदल आदि मिला होता है. घरेलू हर्बल फेशल आप खुद भी घर पर कर सकती हैं.

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9. यों करें फेशल

हलके हाथों से त्वचा पर मालिश करें. हाथों की दिशा को अप एंड आउट चलाएं, जिस से त्वचा को टोन मिलेगा. आउट यानी बाहर की ओर स्ट्रोक करें. इस से त्वचा के जहरीले पदार्थ हट जाएंगे. त्वचा पर मुंहासे हैं, तो फेशल से पहले स्टीम अवश्य लें. त्वचा पर संक्रमण, एक्ने तथा त्वचा अधिक संवेदनशील होने पर फेशल न करें.

10. पैडीक्योर और मैनीक्योर

हाथपैरों के डेड सेल्स को निकालने के लिए पैडीक्योर और मैनीक्योर सब से आसान और अच्छे उपाय हैं. सप्ताह में एक बार पैडीक्योर और मैनीक्योर अवश्य करना चाहिए. 

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