मै 5 साल से रिलेशनशिप में हूं, पर मै अब बोर हो गया हूं,क्या मुझे अब ब्रेकअप कर लेना चाहिए?

सवाल

मैं अपनी गर्लफ्रैंड के साथ 5 साल से रिलेशनशिप में हूं. वह बहुत अच्छी है. मेरी सारी बातें मान जाती है. मेरा खयाल भी बहुत रखती है लेकिन पता नहीं क्यों कुछ दिनों से मेरा दिमाग कुछ इधरउधर दौड़ रहा है. शायद मैं इस रिलेशनशिप से बोर हो गया हूं. क्या ऐसा सिर्फ मेरे साथ हो रहा है या रिलेशनशिप जो लंबे समय से चल रही हो उस में बोरियत होने लगती है. क्या मुझे ब्रेकअप कर लेना चाहिए या मैं गलत सोच रहा हूं और गलत दिशा में जा रहा हूं? मुझे सही रास्ता सुझाएं ताकि मैं कुछ गलत फैसला न ले लूं.
जवाब

आप कहीं बेवजह रिश्ता तोड़ने में तो नहीं लगे. आप को ऐसी गर्लफ्रैंड मिली जो आप का हर तरह से खयाल रखती है, आप की हर बात मानती है तो आप उसे टेकन फौर ग्राटेंड ले रहे हैं. गर्लफ्रैंड आप को नखरे दिखाती, आप की हर बात काटती, आप के प्रति बेपरवाह होती, क्या यह चाहते हैं आप?

अरे, आप को तो खुश होना चाहिए कि आप को इतनी अच्छी लड़की मिली है. खुश होना चाहिए आप को जो इतनी केयर करने वाली गर्लफ्रैंड आप के पास है वरना गर्लफ्रैंड क्याक्या नहीं नखरे उठवातीं अपने ब्रौयफ्रैंड से.

पता नहीं क्यों ब्रेकअप का खयाल आप के जेहन में आया. अपने मन की कुछ उल?ाने हैं तो उन पर विचार कीजिए. किसी भी रिश्ते में ताजगी बनाए रखने का एक ही तरीका है एकदूसरे को भरपूर समय देना. आप का समय आप के पार्टनर के लिए किसी कीमती तोहफे से भी ज्यादा होता है जो उसे सारे जहां की खुशियां दे सकता है. अगर आप का पार्टनर आप के साथ समय बिताने को बेताब रहता है तो फिर आप लकी हैं क्योंकि समय से कीमती कुछ नहीं. इतने प्यारे साथी को भूल से भी न जाने दें. ब्रेकअप करने की एक और महत्त्वपूर्ण वजह होती है आपस में एकदूसरे को सम्मान न देना. लेकिन आप के रिश्ते में आप का पार्टनर आप को हर तरह से सम्मान देता है तो फिर आप को ऐसे रिश्ते को खत्म करने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए.

इंसान की फितरत बड़ी खराब होती है. जिंदगी में सब अच्छा चल रहा होता है तो हमें कुछ खालीखाली सा लगने लगता है. ऐसे में कोई दूसरा विकल्प तलाशने लगते हैं लेकिन यह बिलकुल गलत है.

कई बार पार्टनर के साथ ट्यूनिंग मैच नहीं होना या फिर आदतें अलगअलग होना इस की वजह हो सकती है. पसंदनापसंद एक सी नहीं होती. लेकिन आप के केस में ऐसा कुछ भी नहीं है. आप का अपनी गर्लफ्रैंड से रिश्ता आप के लिए सब से अच्छा तोहफा है. इसे तोड़ें नहीं, बल्कि सहेज लें.

Valentine’s Special: कैसें संभाले Intimate रिलेशनशिप को

जब लगातार दूसरे महीने भी पीरियड्स नहीं आए तो 44 वर्षीय निमिषा घबरा उठी. एक आशंका उन के जेहन में कौंध गई कि कहीं वह प्रैगनैंट तो नहीं हो गई.

एक सरकारी विभाग में ऊंच पद पर कार्य कर रही निमिषा के संबंध अपने ही सहकर्मी मनीष से थे पर इस की हवा किसी को उन्होंने नहीं लगने दी थी. दफ्तर में वे एकदूसरे से औपचारिक तरीके से पेश आते थे. अपने काम से काम रखने वाली निमिषा कब और कैसे मनीष के इतने नजदीक आ गई कि उस से वर्षों से दबी सैक्स इच्छा पूरी करने को तैयार हो गई.

अब वह घबरा रही है कि कहीं गर्भ न ठहर गया हो. शहर के दूरदराज के कैमिस्ट के यहां से वह झिझकते झिझकते प्रैगनैंसी किट लाई और यूरिन टैस्ट किया तो 2 गुलाबी लाइनें देख उस के होश उड़ गए.

कुछ पारिवारिक वजहों के चलते निमिषा वक्त रहते शादी नहीं कर पाई थी, इस का उसे कोई खास मलाल नहीं था, लेकिन करीब 10 साल पहले तक मां बनने की इच्छा होती थी, फिर धीरेधीरे कब इस सुखद अनुभूति को भी दूसरे जज्बातों की तरह तनहाई निगल गई इस का भी उसे पता नहीं चला.

करीब 4 साल पहले जब मनीष उस के नजदीक आया तो सारी वर्जनाएं टूट गईं हालांकि परिचय को सैक्स तक पहुंचने के दिन मनीष ने उसे समझया भी था कि सोचा लो कोई जबरदस्ती नहीं, कल को यदि मन में कोई गिल्ट या पछतावा आए तो सैक्स बहुत जरूरी नहीं.

हरज की बात नहीं

मगर निमिषा के लिए अब खुद को और नियंत्रित कर पाना मुश्किल लग रहा था. खुद उस ने यह फैसला लेने के पहले बहुत सोचविचार कर लिया था और इस नतीजे पर पहुंची थी कि इस में कोई हरज की बात नहीं. आखिर कब तक अपनी इच्छा को मारती रहेगी. मनीष की हिचक को देख खुद उस ने उसे बढ़ावा दिया और फिर यह रोजरोज का तो नहीं पर महीने में 2-3 बार का सिलसिला हो गया.

मनीष से वह बहुत खुल गई थी और जबजब वह सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करता था तो निमिषा ही मजाक में उसे टोक देती थी कि अब क्या बुढ़ापे में बच्चा होगा तो जवाब में मनीष उसे समझता था कि यह खतरा तो 60 के बाद तक या मेनोपौज तक बना रहता है और तुम्हारी प्रतिष्ठा और मेरी घरगृहस्थी के लिए यह सावधानी भी जरूरी है.

जरूरी बातें

पिछले 2-3 बार से जल्दबाजी में मनीष कंडोम नहीं खरीद पाया था क्योंकि कैमिस्टों पर तो कोविड-19 वालों की भीड़ लगी रहती थी, जिस का नतीजा सामने था. मौका पा कर जब निमिषा ने मनीष को प्रैगनैंट होने की बात बताई तो एक दफा तो वह भी घबरा गया जो पहले से ही 2 बच्चों का पिता था, लेकिन फिर जल्द ही संभल भी गया. शाम को अंधेरा होते ही हमेशा की तरह अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी कर के पैदल ही निमिषा के घर पहुंचा और हमेशा की तरह पीछे के दरवाजे से दाखिल हुआ तो निमिषा का उतरा चेहरा देख ग्लानि से भर उठा.

काफी देर विचारविमर्श करने के बाद दोनों ने फैसला किया कि जितनी जल्दी हो सके अबौर्शन करा लेना ही बेहतर रास्ता है. मनीष को थोड़ीबहुत जानकारी डाक्टरों की थी पर दोनों साथ जाएं कैसे इस में वे हिचक रहे थे.

आखिर में तय हुआ कि निमिषा अकेले ही जा कर लेडी डाक्टर से बात करेगी और अबौर्शन करा लेगी. मनीष अप्रत्यक्ष रूप से उस के साथ रहेगा.

मनीषा ने जब योजना के मुताबिक डाक्टर को सारा सच बता दिया तो कोई खास दिक्कत नहीं आई. लेडी डाक्टर ने जांच कर आश्वस्त किया कि भ्रूण अभी 8 सप्ताह के लगभग का है और आसानी से अबौर्शन हो जाएगा तो उन्हें सुकून मिला और डाक्टर से बात कर लेने से घबराहट भी कम हुई.

3 दिन बाद ही छुट्टी ले कर वह चुपचाप भरती हो गईर् और 2 दिन बाद गर्भ से छुटकारा पा कर घर वापस भी आ गई. पड़ोसी को यह कह कर गई थी कि 3 दिन के लिए बाहर टूर पर जा रही है.

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

हफ्तेभर बाद ही वह और मनीष के शहर के एक नामी होटल में कौफी पीते जश्न मना रहे थे क्योंकि एक मामली चूक भयंकर बखेड़ा करने वाली थी. उंगलियां एक प्रतिष्ठित परिवार की अकेली रह रही महिला के चालचलन पर भी उठ सकती थीं जिस की अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियां थीं और उस के सहकर्मी पर भी उठतीं जिस के बारे में लोग यह जानते थे कि वह अपने बीवी बच्चों को बहुत प्यार करता है.

मनीष बेवजह 2 पाटों के बीच पिसना नहीं चाहता था तो निमिषा की मजबूरी यह थी कि प्राइवेसी और सैक्स के मामले में मनीष उसे भरोसेमंद और समझदार व्यक्ति लगा था जो आखिरकार निकला भी. प्रैगनैंसी की बात सुनते ही खुद की बराबर की गलती और लापरवाही मानते जैसे निमिषा चाहे वैसा करने की बात पूरी ईमानदारी से उस ने कह दी थी कि उस पर अमल करने के लिए दृढ़ भी दिख रहा था.

वैसे भी मनीषा को उस पर किसी तरह का शक नहीं था इसलिए अबौर्शन कराने में उसे ज्यादा मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ा जितनी कि वह सोच रही थी. दोनों अब भी पहले की तरह तयशुदा दिनों में मिलते हैं, लेकिन कोई रिस्क नहीं उठाते.

हरेक के लिए जरूरी

वजहें कुछ भी हों निमिषा जैसी अकेली रह रही महिलाओं के लिए सैक्स संबंध बनाने से पहले यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि यह कभीकभी बेहद दिक्कत वाला काम भी साबित हो सकता है. लिहाजा किसी किस्म की लापरवाही काफी महंगी पड़ सकती है.

सैक्स किसी भी वयस्क के लिए किसी भी लिहाज से वर्जित नहीं है पर कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें अकेली रह रही महिला वह भी अधेड़ावस्था में नजरअंदाज नहीं कर सकती और अगर करेगी तो बड़ी दिक्कतों में पड़ जाएगी.

सैक्स संबंध क्यों जिम्मेदारी से निभाएं

समझदार और समाज के प्रति जवाबदेह लोगों के बीच मरजी से बने सैक्स संबंध क्यों जिम्मेदारी से निभाने चाहिए लापरवाही से नहीं, आइए जानते हैं:

– जिस से सैक्स संबंध बनाएं वह विश्वसनीय होना चाहिए.

– विश्वसनीयता आंकने का हालांकि कोई तयशुदा पैमाना नहीं पर वह हर लिहाज से बराबरी का होना चाहिए.

– आमतौर पर शादीशुदा गृहस्थ पुरुष सैक्स संबंधों के लिए विश्वसनीय होते हैं क्योंकि उन पर कई पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं जिन के चलते वे भी आप की तरह नहीं चाहते कि ये संबंध आम हों.

– सैक्स संबंध रोजरोज खुलेआम या दिनदहाड़े नहीं बनाना चाहिए.

– आतेजाते कोई देखे नहीं या जासूसी या फिर निगरानी न करे इस बात का खयाल रखा जाना चाहिए.

– सैक्स करने के लिए महिला का खुद का ही घर उपयुक्त रहता है बजाय पुरुष के साथ कहीं और जाने के क्योंकि खुद के घर में सुरक्षा भी रहती है और बेफिक्री भी.

– सैक्स के लिए घर के बाहर खासतौर से होटलों में जाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि आजकल आए दिन पुलिस ताकझंक करते हैं और होटल वाले भी रिश्ते को ले कर कभीकभी प्रमाण मांगने लगते हैं.

– संबंध शारीरिक स्तर तक ही सीमित रहे तो बेहतर है. पुरुष से भावनात्मक लगाव या प्यार करना बाद के लिए दिक्कत देने वाला काम साबि होता है. कोई पुरुष अपनी गृहस्थी और सामाजिक प्रतिष्ठा में आग लगाना पसंद नहीं करता.

– मोबाइल पर ज्यादा बात न करें कि कहीं दूसरा रिकौर्ड न कर रहा हो. जिस के साथ आज खुशी से रहे हैं वह कल को ब्लैकमेल भी कर सकता है.

– पीरियड्स का विशेष खयाल रखें खासतौर से यह कि उम्र का गर्भधारण से कोई संबंध नहीं होता. जरा सी लापरवाही से गर्भ ठहर सकता है जैसाकि निमिषा के साथ हुआ.

– गर्भनिरोधकों की जानकारी शैक्षणिक तरीके से हासिल कर खासतौर से पत्रपत्रिकाओं से. जरूरत पड़ने पर डाक्टर से भी जानकारी ली जा सकती है.

– सैक्स को आदत न बनाएं, इस के लिए जरूरी है कि बीचबीच में संबंधों में लंबा गैप दें.

– यह ठीक है कि जिस से सैक्स संबंध बनाएंगी उस से बहुत कुछ छिपा नहीं रह पाएगा लेकिन फूहड़ हंसीमजाक और अश्लील मैसेज तथा सोशल मीडिया पर अश्लील कहीं जाने वाली पोस्टों के आदानप्रदान से बचें.

– बहुत ज्यादा पुरुषों से सैक्स संबंध स्थापित करने से बचें.

– शराब या किसी दूसरे नशे में आदी पुरुष से संबंध न बनाएं न ही उस के साथ बैठ कर कभी शराब पीएं. अगर यह संबंध बनाए रखने की जिद है तो संबंध तोड़ लेना ही बेहतर होता है.

– पार्टनर से पैसों का लेनदेन कतई न करें.

– अगर कभी वह किसी भी तरह की ब्लैकमेलिंग करे या संबंध उजागर करने की धमकी दे तो डरें बिलकुल नहीं उलटे उसे धमकाएं कि आप की एक शिकायत से उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है.

Valentine’s Special: इन टिप्स से खुशहाल बनाएं रिश्ता

आज पतिपत्नी का रिश्ता मित्रता, प्यार, सहभागिता का बन गया है, जिस में दोनों को एकदूसरे को समझाने के बजाय एकदूसरे को समझने की कोशिश करनी पड़ती है. ऐसा करने पर ही एक सुखी वैवाहिक जीवन की कल्पना की जा सकती है. उम्र के जिस पड़ाव पर पतिपत्नी शादी की दहलीज पार करते हैं वह एक अहम पड़ाव और दौर होता है. शुरू के कुछ वर्ष उन को खुद में बदलाव लाने के होते हैं. वैवाहिक संबंध की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:

2 अलगअलग व्यक्तित्व वाले शख्स दांपत्य सूत्र में बंध जाते हैं. दोनों को अपने अतीत को भूल कर एकदूसरे में समाना होता है. कुछ छोड़ना पड़ता है कुछ अपनाना पड़ता है.

पतिपत्नी दोनों विलक्षण और अद्भुत किस्म के व्यक्तित्व होते हैं, जिन में आवश्यक बदलाव धीमी गति से आवश्यकता के अनुसार ही संभव होता है. दोनों से तीव्र गति से बदलाव की अपेक्षा करना अव्यावहारिक है.

दोनों के काम करने के तरीके और दिनचर्या भिन्न होने के कारण उन्हें नए माहौल में ऐडजस्ट करने के लिए कुछ समय देना होता है. यह ससुराल पक्ष के लोगों के लिए परीक्षा की घड़ी होती है. धैर्यपूर्वक इस कसौटी पर खरा उतरने का परिणाम यह होता है कि रिश्ते स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं और सभी को रिश्तों में आनंद और सुकून मिलता है.

नए दांपत्य रिश्ते में 2 ऐसे लोग बंधते हैं जो अलगअलग पारिवारिक वातावरण, संस्कारों और परंपराओं की संस्कृति में पलेबढ़े होते हैं. ऐसे में पतिपत्नी के लिए आवश्यक बदलाव को स्वीकार करना नामुमकिन नहीं होता है, मुश्किल जरूर होता है. इस बदलाव को जिम्मेदारी और सूझबूझ से अपनी शख्सीयत में लाया जाए.

सूझबूझ है जरूरी

हां यह समझना बहुत जरूरी है कि जैसे ही नई दुलहन ससुराल में प्रवेश करती है सब उसे उस की जिम्मेदारी महसूस कराने लग जाते हैं जबकि उन्हें नई बहू के अधिकारों के प्रति सजग होने की जरूरत होती है. पतिपत्नी के अधिकारों का संरक्षण हर हाल में होना चाहिए ताकि उन्हें स्पेस और स्वतंत्रता महसूस हो सके. वह जमाना लद गया जब पत्नी को दासी या गुलाम समझा जाता था. आज की पत्नियां शिक्षित, परिपक्व और सकारात्मकता के गुणों से परिपूर्ण होती हैं. उन्हें ससुराल पक्ष के लोग किसी भी तरह हलके में नहीं ले सकते हैं. आज की नारी पढ़ीलिखी और सजग है.कहते हैं, व्यवहारकुशलता इस में है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. अधिकार छीन कर नहीं लिए जाते हैं. पत्नी अपने अधिकारों का संरक्षण सूझबूझ के साथ कर सकती है. पत्नी के कुछ अधिकार इस प्रकार हैं:विवाह के बाद उसे अधिकार है कि वह अपनी पसंद का पहनावा पहन सके. वह सास बहुत अच्छी मानी जाती है जो नई बहू को इस बात की स्वतंत्रता देती है.

मधु एक स्मार्ट लड़की थी. उस ने देखा कि उस के पति के पास उस की पसंद के अनुसार ड्रैस नहीं थी. अत: मधु ने नीतियुक्त तरीके से इस का हल ढूंढ़ निकाला. एक दिन जब वह शौपिंग के लिए गई तो अपने पति के लिए अपनी पसंद की शर्ट और पैंट खरीद लाई. सास के लिए भी एक साड़ी खरीद लाई. इस व्यवहारकुशलता का असर यह हुआ कि सास को साड़ी पसंद आई. पति को भी मधु द्वारा लाई गई ड्रैस अच्छी लगी. सास अच्छे मूड में थीं अत: मधु से बोलीं, ‘‘अगली बार शौपिंग के लिए जाओ तो अपनी पसंद के कुछ सूट और साडि़यां खरीद लाना. तुम पर दोनों ही ड्रैसेज अच्छी लगती हैं. पैसे मुझ से ले जाना.’’

विवाह के बाद भी पति को यह अधिकार होता है कि वह अपने मित्रों से पहले की तरह मिलताजुलता रहे. पत्नी निरर्थक टोकाटाकी न करे. अपने मित्रों से मिलतेजुलते रहने के लिए पति को प्रेरित करती रहे. बस पति को चाहिए कि पारिवारिक सीमाओं में रह कर कुछ समय पत्नी के साथ अवश्य बिताए.कामकाजी महिला की दिनचर्या बहुत व्यस्त होती है. सुबह बच्चों को तैयार करना, नाश्ता व खाना बनाना, पति का टिफिन तैयार करना फिर खुद तैयार हो कर दफ्तर के लिए निकलना. सारे दिन की व्यस्तता के बाद शाम को घर आ कर फिर खाना बनाना. इन सब कामों को बखूबी करने पर वह डिजर्व करती है कि उसे परिवार से सम्मान मिले. पति को इस बात का एहसास हो कि वह वर्किंग वूमन है. घर में उस का सम्मान हो, यह उस का अधिकार है. कामकाजी पत्नी को घर पर पूरा आराम मिलना चाहिए. स्त्री जिसे अपने अधिकारों की रक्षा करनी होती है वह डिजर्विंग होनी चाहिए. हमारे सामने 6 प्रकार के दोषों की चर्चा होती है- शराब पीना, दुष्टों का संग, पति से अलग रहना, अकेले घूमना, अधिक सोना तथा दूसरों के घर में निवास करना पत्नी के लिए दोष हैं. इन्हें उसे अपने जीवन से दूर रखना चाहिए. ऐसे में पत्नी कुलकुटुंब की भलीभांति सेवा करती हुई स्वयं भी सुरक्षित रहती है और पत्नी का कर्तव्य भी निभाती है.

ऐसे बैठाएं तालमेल

नेहा का जब विवाह हुआ तो उस ने सुन रखा था कि ससुराल में पहुंचने पर सास नई बहू के आभूषणों पर यह कह कर कब्जा कर लेती है कि इन्हें सुरक्षित रखना है. इस से पहले कि सास इस विषय में कुछ कहतीं, नेहा ने सास से कहा कि मम्मीजी मैं 2 सैट अपने पास रख लेती हूं, क्योंकि पति के साथ डिनर पार्टियों में जाना होगा. बाकी जेवर आप अपनी अलमारी में रख लें या बैंक के लौकर में रखवा दें. इस प्रकार उस के अपने अधिकार की भी रक्षा हो गई और सास भी ऐसा करने के लिए हंसीखुशी राजी हो गईं. जब हनीमून के लिए प्रस्ताव आया तो नेहा ने सास से कहा, ‘‘मम्मीजी, हम बाहर जा कर अंडरस्टैंडिंग बनाने के पक्ष में नहीं हैं. यहीं आप सब के पास रह कर आप सब के साथ अपने संबंध मधुर और स्थायी बनाएंगे. इस के बाद जब कभी नेहा रेस्तरां में डिनर के लिए अपने पति के साथ जाती थी, तो अपनी सास और ससुर के लिए खाना पैक करवा कर जरूर ले आती थी. सासससुर दोनों को यह बात बहुत अच्छी लगती. नववधू का यह अधिकार होता है कि जो आभूषण उस के मातापिता ने इतने चाव से बनवा कर उसे दिए हैं उन का इस्तेमाल करने की उसे स्वतंत्रता हो.

कामकाजी पत्नी का अपनी मासिक तनख्वाह पर पूरा हक होता है. सासससुर को यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि वह पूरी सैलरी उन के हाथ पर रखे. पति भी कमाता है और पत्नी भी परिश्रम से तनख्वाह अर्जित करती है. अच्छा होगा दोनों मिल कर घर चलाएं. उन के अधिकारों की सुरक्षा तभी होती है जब वे दोनों मिल कर घर के सदस्यों के साथ मधुर संबंध बनाए रखते हैं और समयसमय पर उन के लिए उपहार ला कर उन्हें उन की अहमियत का एहसास दिलाते हैं. उन के साथ अपनापन बनाए रखते हैं.

बनाएं बेहतर माहौल

चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस का मत है, ‘‘हम उसी चीज से घृणा करते हैं जो चीज हमें अति प्यारी होती है.’’ सास अपनी बहू पर शासन करने को अच्छा समझती है, लेकिन जब बहू उस पर शासन करने की प्रवृत्ति रखती है तो उसे अच्छा नहीं लगता है. अत: सुझाव है कि पतिपत्नी के अधिकारों की रक्षा सासससुर और ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों द्वारा ऐसे की जानी चाहिए कि ये अधिकार मांगने की नौबत ही न आए. ऐसा माहौल बनाया जाए जिस में पतिपत्नी को पर्याप्त स्पेस मिले और वैवाहिक संबंध को आनंदपूर्वक जीने की स्वतंत्रता मिलती रहे.

मैं अपनी फीलिंग्स को कैसे कंट्रोल करुं?

सवाल

मैं एक 20 वर्षीय युवती हूं. मेरा मन सैक्स करने का करता है. ऐसा कोई उपाय बताएं जिस से सैक्स की फीलिंग न हो?

जवाब

सैक्स की फीलिंग नौर्मल फीलिंग है, लेकिन आप की समस्या से लगता है कि आप इस के बारे में बहुत ज्यादा सोच रही हैं. आप अपनी लाइफस्टाइल में कुछ चेंज करें. फ्रैंड सर्कल में ऐसी फ्रैंड्स के साथ कम रहें जो केवल सैक्स से संबंधित बातें ही करती हों. पौर्न साइट्स न देखें, हैल्दी मनोरंजन से भरपूर किताबें पढ़ें. जैसे ही आप का ध्यान इस ओर डाइवर्ट होने लगे, स्वयं को कहीं और व्यस्त कर लें. सुधार दिखने पर आप को अच्छा लगेगा.

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सैक्स जानकार कैसोनोवा और क्लियोपेट्रा

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है. दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं.

एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है.

प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं.

प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे.

कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है.

शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं.

शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं.

कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

एक महिला मेरे पीछे पड़ गई है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 23 साल का हूं. मेरे रिश्ते की दादी 35 साल की हैं. उन के 4 बच्चे हैं और पति 4 साल पहले गुजर चुके हैं. मैं ने उन के साथ लगातार एक महीने तक हमबिस्तरी की है, उस से कुछ होगा क्या? वे मुझे फोन कर के बारबार बुलाती हैं?

जवाब

आप ने महीनेभर मौज की. इस से वे पेट से भी हो सकती हैं. तब आप फंस सकते हैं. बेहतर होगा कि उन के पास न जाएं.

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इज्जत : भाभी ने दिए दोनों लड़कों को मजे

बात उन दिनों की है, जब मेरे बीटैक के फाइनल सैमैस्टर का इम्तिहान होने वाला था और मैं इसी की तैयारी में मसरूफ था. अपनी सुविधा और आजादी के लिए होस्टल में रहने के बजाय मैं ने शहर में एक कमरा किराए पर ले कर रहने का फैसला किया था. शहर में अकेला रहना बोरिंग हो सकता है. यही सोच कर मैं ने अपने साथी रंजीत को अपना रूममेट बना लिया था.

फाइनल सैमैस्टर का इम्तिहान सिर पर था, इसलिए मैं इसी में बिजी रहता था, पर रंजीत को इस की कोई परवाह नहीं थी. वह पिछले हफ्ते अपने घर से आया था और अब उसे फिर वहां जाने की धुन सवार हो गई थी.

जब रंजीत अपने घर जाने के लिए निकल गया, तो मैं भी अपनी पढ़ाई में मस्त हो गया.

अभी आधा घंटा भी नहीं बीता होगा कि रंजीत लौट कर मुझ से बोला, ‘‘भाई, यह बता कि अगर किसी को मदद की जरूरत हो, तो उस की मदद करनी चाहिए या नहीं?’’

रंजीत और मदद… मुझे हैरत हो रही थी, क्योंकि किसी की मदद करना उस के स्वभाव के बिलकुल उलट था, पर पहली बार उस के मुंह से मदद शब्द सुन कर अच्छा लगा.

मैं ने कहा, ‘‘बिलकुल. इनसान ही इनसान के काम आता है. जरूरतमंद की मदद करने से बेहतर और क्या हो सकता है. पर आज तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो? तुम्हारे घर जाने का क्या हुआ?’’

‘‘यार, बात यह है कि मैं घर जाने के लिए टिकट खरीद कर जब प्लेटफार्म पर पहुंचा, तो देखा कि एक औरत अपने 2 बच्चों के साथ बैठी रो रही थी. मुझ से रहा न गया और पूछ बैठा, ‘आप क्यों रो रही हैं?’

‘‘उस औरत ने जवाब दिया, ‘मुझे जहानाबाद जाना है. इस समय वहां जाने वाली कोई गाड़ी नहीं है. अगली गाड़ी के लिए मुझे कल सुबह तक यहां इंतजार करना होगा.’

‘‘मैं ने पूछा, ‘तो इस में रोने वाली क्या बात थी?’’’

रंजीत ने उस औरत की बात को और आगे बढ़ाया. वह बोली थी, ‘रात के 8 बज चुके हैं. मैं जानती हूं कि 9 बजे के बाद यह स्टेशन सुनसान हो जाता है. मेरे साथ 2 बच्चे भी हैं. कोई अनहोनी न हो जाए, यही सोचसोच कर मुझे रोना आ रहा है. मैं इस स्टेशन पर रात कैसे गुजारूंगी?’

‘‘मैं सोच में पड़ गया कि मुझे उस औरत की मदद करनी चाहिए या नहीं. यही सोच कर तुम से पूछने आ गया,’’ रंजीत मेरी ओर देखते हुए बोला.

‘‘देखो भाई रंजीत, हम लोग यहां बैचलर हैं. किसी की मदद करना तो ठीक है, पर किसी अनजान औरत को अपने कमरे पर लाना मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. मकान मालकिन पता नहीं हम लोगों के बारे में क्या सोचेगी?’’

मुझे उस समय पता नहीं क्यों उस अनजान औरत को कमरे पर लाने का खयाल अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए अपने मन की बात उसे बता दी.

‘‘मकान मालकिन पूछेगी, तो बता देंगे कि रामध्यान की भाभी है, यहां डाक्टर के पास आई है. वैसे भी हम लोगों के गांव से अकसर कोई न कोई मिलने तो आता ही रहता है,’’ रंजीत ने एक उपाय सुझाया.

आप को बताते चलें कि जिस बिल्डिंग में हम लोग रहते थे, उस की दूसरी मंजिल पर रामध्यान भी किराए पर रह रहा था. वह वैसे तो हमारे ही कालेज का एक शरीफ छात्र था, पर हम लोगों से जूनियर था, इसलिए न केवल हमारी बातें मानता था, बल्कि हमें इज्जत भी देता था.

‘‘ठीक है. अब अगर तुम उस औरत की मदद करना ही चाहते हो, तो मुझे क्या दिक्कत है. रामध्यान को सारी बातें समझा दो.’’

रंजीत तेजी से सीढि़यां चढ़ता हुआ रामध्यान के पास गया और उसे सारी बातें बता दीं. उसे कोई दिक्कत नहीं थी, बल्कि उस औरत के रातभर रहने के लिए वह अपना कमरा देने को भी तैयार था. वह उसी समय अपनी कुछ किताबें ले कर हमारे कमरे में रहने चला आया.

‘‘अब तुम जाओ रंजीत. उसे ले आओ. और हां, उसे यह भी समझा देना कि अगर कोई पूछे, तो खुद को रामध्यान की भाभी बताए.’’

‘‘नहीं, तुम भी मेरे साथ चलो,’’ वह मुझे भी अपने साथ ले जाना चाहता था.

‘‘मुझे पढ़ने दो यार, इम्तिहान सिर पर हैं. मैं अपना समय बरबाद नहीं करना चाहता,’’ मैं बहाना करते हुए बोला.

‘‘अच्छा, किसी की मदद करना समय बरबाद करना होता है. तुम्हारा अगर नहीं जाने का मन है, तो साफसाफ कहो. वैसे भी एक दिन में तुम्हारी कितनी तैयारी हो जाएगी? एक दिन किसी की मदद के लिए तो कुरबान किया ही जा सकता है,’’ रंजीत किसी तरह मुझे ले ही जाना चाहता था.

‘‘ठीक है भाई, जैसी तुम्हारी मरजी. आज की शाम किसी की मदद के नाम,’’ मैं मजबूर हो कर बोला. थोड़ी देर में मैं भी तैयार हो कर उस के साथ निकल पड़ा.

रंजीत आगेआगे और मैं पीछेपीछे. वह मुझे स्टेशन के सब से आखिरी प्लेटफार्म के एक छोर पर ले गया, जहां वह औरत अपने दोनों बच्चों के साथ बैठी थी. वह हमें देख कर मुसकराने लगी. न जाने क्यों, उस का इस तरह मुसकराना मुझे अच्छा नहीं लगा.

मैं सोचने लगा कि न जाने कैसी औरत है, पर उस समय मुझ से कुछ बोलते नहीं बना.

स्टेशन से बाहर आ कर मैं ने 2 रिकशे वाले बुलाए. मुझे टोकते हुए वह औरत बोली, ‘‘2 रिकशों की क्या जरूरत है. एक ही में एडजस्ट कर चलेंगे न. बेकार में ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं.’’

‘‘पर हम एक ही रिकशे में कैसे चलेंगे?’’ मैं ने सवाल किया.

वह बोली, ‘‘देखिए, ऐसे चलेंगे…’’ कह कर वह रिकशे की सीट पर ठीक बीच में बैठ गई और दोनों बच्चों को अपनी गोद में बिठा लिया, ‘‘आप दोनों मेरे दोनों ओर बैठ जाइए,’’ वह हम दोनों को देख कर मुसकराते हुए बोली.

मुझे इस तरह बैठना अच्छा नहीं लग रहा था, पर उस दौर में पैसों की बड़ी किल्लत थी. अगर उस समय इस तरह से कुछ पैसे बच रहे थे, तो क्या बुरा था. आखिरकार हम दोनों उस के दोनों ओर बैठ गए.

हमारे बैठते ही अपने एकएक बच्चे को उस ने हम दोनों को थमा दिया. मैं अब भीतर ही भीतर कुढ़ने लगा था. हमारी अजीब हालत थी. हम उस की मदद कर रहे थे या वह हम से जबरदस्ती मदद ले रही थी.

रिकशे की रफ्तार तेज होती जा रही थी और मेरे सोचने की रफ्तार भी तेज होने लगी थी. मैं कहां हूं, किस हालत में हूं, यह भूल कर मैं अपनी सोच में ही डूबने लगा था. न जाने क्यों मुझे बारबार यह खयाल आ रहा था कि कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं.

कमरे पर पहुंचतेपहुंचते रात के 8 बज चुके थे. रंजीत ने उसे सारी बात समझा कर रामध्यान के कमरे में ठहरा दिया.

मैं ने रंजीत से कहा, ‘‘भाई, जब यह हमारे यहां आ गई है, तो इस के खानेपीने का इंतजाम भी तो हमें ही करना पड़ेगा. जाओ, होटल से कुछ ले आओ.’’

रंजीत खुशीखुशी होटल की ओर चल पड़ा. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कि रंजीत को आज क्या हो गया है, पर मैं चुप था. वह जितनी तेजी से गया था, उतनी ही तेजी से और बहुत जल्दी खानेपीने का सामान ले कर लौटा था.

‘‘जाओ, उसे खाना दे आओ. हम दोनों रामध्यान के साथ यहीं खा लेंगे,’’ मैं ने रंजीत से कहा.

रंजीत खाना देने ऊपर के कमरे  गया और तकरीबन आधा घंटे बाद लौटा. मुझे भूख लगी थी, लेकिन मैं उस का इंतजार कर रहा था. सोच रहा था कि उस के आने के बाद साथ बैठ कर खाएंगे.

मैं ने पूछा, ‘‘तुम ने इतनी देर क्यों लगा दी?’’

‘‘भाई, उस के कहने पर मैं ने भी उसी के साथ खाना खा लिया,’’ रंजीत धीरे से बोला.

‘‘कोई बात नहीं… आओ रामध्यान, हम दोनों खाना खा लें. हम तो इसी का इंतजार कर रहे थे और यह तुम्हारी भाभी के साथ खाना खा आया,’’ मैं ने मजाक करते हुए कहा.

रामध्यान को भी हंसी आ गई. वह हंसते हुए खाने की थाली सजाने लगा.

रात को खाना खाने के बाद अकसर हम लोग बाहर टहलने के लिए निकला करते थे, इसलिए खाने के बाद मैं बाहर जाने के लिए तैयार हो गया और रंजीत को भी तैयार होने के लिए कहा.

‘‘आज मेरा जाने का मन नहीं है,’’ रंजीत टालमटोल करने लगा.

आखिरकार मैं और रामध्यान टहलने के लिए निकले. तकरीबन आधा घंटे के बाद लौटे. वापस आने पर देखा कि हमारे कमरे पर ताला लगा हुआ था.

रामध्यान ने हंसते हुए कहा, ‘‘भैया, हो सकता है रंजीत भैया भाभी के पास गए हों.’’

‘‘हो सकता है. जा कर दे,’’ मैं ने रामध्यान से कहा.

‘‘थोड़ी देर बाद रामध्यान और रंजीत हंसतेमुसकराते सीढि़यों से नीचे आ रहे थे.

‘‘भाभीजी तो बहुत मजाकिया हैं भाई. सच में मजा आ गया,’’ उतरते ही रंजीत ने कहा.

‘‘अब हंसना छोड़ो और जल्दी कमरा खोलो,’’ वे दोनों हंस रहे थे, पर मुझे गुस्सा आ रहा था.

मैं ने चुपचाप कमरे में जा कर अपने कपड़े बदले और बैड पर सोने चला गया. थोड़ी देर तक बैड पर लेटेलेटे मैं ने पढ़ाई की और उस के बाद मुझे नींद आ गई.

देर रात को रंजीत और रामध्यान की बातों से मेरी नींद टूटी. उन दोनों को देख कर लग रहा था कि वे दोनों अभीअभी कहीं से लौटे हैं.

मैं ने उन से पूछा, ‘‘तुम दोनों कहां गए थे और अभी तक सोए क्यों नहीं?’’

‘कहीं… कहीं नहीं. बस अभी सोने ही वाले हैं,’ दोनों ने एकसुर में कहा.

थोड़ी देर बाद रंजीत ने मुझे जगाते हुए कहा, ‘‘भाई, तुम्हें एक बात कहनी है.’’

‘‘इतनी रात को… बोलो, क्या बात कहनी है?’’ मैं ने पूछा.

‘‘तुम बुरा तो नहीं मानोगे?’’ उस ने पूछा.

‘‘अगर बुरा मानने वाली बात नहीं होगी, तो बुरा क्यों मानूंगा?’’ मैं ने कहा.

‘‘तुम चाहो तो भाभीजी के मजे ले सकते हो,’’ रंजीत थोड़ा संकोच करते हुए बोला.

‘‘क्या बक रहे हो रंजीत? तुम्हें क्या हो गया है?’’ मैं ने हैरानी और गुस्से में उस से पूछा.

‘‘भाई, अच्छा मौका है. चाहो तो हाथ साफ कर लो,’’ रंजीत के चेहरे पर इस समय एक कुटिल मुसकान थी. वह अपनी इसी मुसकान से मुझे कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘‘हम ने उसे सहारा दिया है. वह हमारी मेहमान है. तुम ऐसा कैसे

सोच सकते हो?’’ मैं ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘इस तरह भी हम उस की मदद कर सकते हैं. मैं ने उस से बात कर ली है. एक बार के लिए 2 सौ रुपए में सौदा पक्का हुआ है,’’ वह मुझे ऐसे बता रहा था, जैसे कोई बड़ा उपहार भेंट करने जा रहा हो.

‘‘मुझे तुम्हारी सोच से घिन आती है रंजीत. आखिर तुम अपने असली रूप में आ ही गए. मुझे हैरत हो रही थी कि तुम भला किसी की मदद कैसे कर सकते हो. अब तुम्हारी असलियत सामने आई.

‘‘मुझे पहले से ही शक हो रहा था, पर मैं यह सोच कर चुप था कि चलो, एक अच्छा काम कर रहे हैं. अच्छा क्या खाक कर रहे हैं,’’ मुझे उस पर गुस्सा भी आ रहा था, पर इस समय उसे समझाने के अलावा मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था.

रंजीत कुछ नहीं बोला. वह सिर झुकाए बैठा था.थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही चुपचाप बैठे रहे. रामध्यान अब तक सो चुका था. थोड़ी देर बाद रंजीत बोला, ‘‘ठीक है भाई, सो जाओ. मैं भी सोता हूं.’’ सुबह जब मैं उठा, तब तक 7 बज चुके थे. रामध्यान की तथाकथित भाभी इस समय हमारे कमरे में बैठी थी. रामध्यान और रंजीत भी उस के पास ही बैठे थे.

‘‘मैं आप के ही उठने का इंतजार कर रही थी,’’ मुझे देखते हुए वह बोली.

‘‘क्या हुआ?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हुआ कुछ नहीं. मैं जा रही हूं. कुछ बख्शीश तो दे दीजिए,’’ उस ने हंसते हुए कहा.

‘‘बख्शीश किस बात की?’’ मुझे हैरानी हुई.

‘‘देखो मिस्टर, आप के इस दोस्त ने 2 सौ रुपए में एक बार की बात कर मेरी इज्जत का सौदा किया था. इन दोनों ने 2-2 बार मेरी इज्जत को तारतार किया. इस तरह पूरे 8 सौ रुपए बनते हैं. और ये हैं कि मुझे केवल 4 सौ रुपए दे कर टरकाना चाहते हैं. मैं भी अड़ चुकी हूं. बंद कमरे में मेरी इज्जत जाते हुए किसी ने नहीं देखा. अब अगर मैं यहां चिल्ला कर बताने लगी कि तुम लोग मुझे यहां क्यों लाए थे, तो तुम लोगों की इज्जत गई समझो,’’ वह बड़े ही तीखे अंदाज में बोले जा रही थी.

मैं ने रंजीत और रामध्यान की ओर देखा. वे दोनों सिर झुकाए चुपचाप बैठे थे. मुझ से कोई भी नजरें नहीं मिला रहा था. मैं सारी बात समझ चुका था. यह भी जानता था कि रंजीत और रामध्यान के पास और पैसे नहीं होंगे. ऐसे में मुझे ही अपनी जेब ढीली करनी होगी. मैं ने अपना पर्स निकाला और उसे 4 सौ रुपए देते हुए बोला, ‘‘लीजिए अपने पैसे.’’

पैसे मिलते ही वह खुश हो गई और अपने रास्ते चल पड़ी. मैं सोच रहा था कि इज्जत आखिर है क्या? कल उस की इज्जत बचाने के लिए हम ने उसे सहारा दिया था और आज अपनी इज्जत बचाने के लिए हमें उसे पैसे देने पड़े.

इस तरह कहने को तो दुनिया की नजरों में हम सभी की इज्जत जातेजाते बची है. वह औरत बाइज्जत अपने रास्ते गई और हम अपने घर में. आज भी जब मैं उस घटना को याद करता हूं, तो सोचने को मजबूर हो जाता हूं कि क्या वाकई उस औरत के साथसाथ हम सभी ने अपनीअपनी इज्जत बचा ली थी? ‘इज्जत’ हमारे हैवानियत से भरे कामों के ऊपर पड़ा परदा है. इसी परदे को तारतार होने से बचाने के लिए हम ने उस औरत को पैसे दिए. यह परदा दुनिया से तो हमारी हिफाजत करता नजर आ रहा है, पर हम सभी ने एकदूसरे को बिना इस परदे के देख लिया है. दुनियाभर के लिए हम भले ही इज्जतदार हों, पर अपनी सचाई का हमें पता है.

मैरिड लाइफ से जुड़ी प्रौब्लम के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहिता युवती हूं. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या प्रथम बार सैक्स करते समय ब्लीडिंग होनी जरूरी है और क्या उस समय दर्द भी होता है? मेरे मन में इस बात को ले कर अनेक डर व शंकाएं हैं. कृपया समाधान करें.

जवाब

पहली बार इंटरकोर्स के समय ब्लीडिंग हो यह जरूरी नहीं और न ही इसे वर्जिनिटी के साथ जोड़ें. कुछ लड़कियों को पहली बार सैक्स करते समय स्पौटिंग होती है, कुछ को कुछ घंटों तक ब्लीडिंग होती है तो कुछ को मासिकधर्म की तरह होती है. दरअसल, ब्लीडिंग होने का कारण सैक्स करते समय हाइमन का ब्रेक होना होता है. कई बार लड़कियों में हाइमन घुड़सवारी, मैस्ट्रूबेरेशन या टैंपून के प्रयोग से भी ब्रेक हो जाता है. सो, उन लड़कियों को फर्स्ट इंटरकोर्स के समय ब्लीडिंग नहीं होती. जहां तक पहली बार सैक्स के समय दर्द का सवाल है, वह भी तब होता है जब महिला शारीरिक व भावनात्मक रूप से पूरी तरह से तैयार न हो. अगर सैक्स से पहले फोरप्ले किया जाए और युवती इमोशनली और फिजिकली कंफर्टेबल हो तो दर्द नहीं होता. आप चाहें तो अपनी समस्या के लिए किसी गाइनीकोलौजिस्ट से भी संपर्क कर सकती हैं.

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कई दिनों से निशा की बढ़ती व्यस्तता नितिन की बेचैनी बढ़ा रही थी. जब भी नितिन सेक्स के मूड में होता वह उस की व्यस्तता के कारण यौनसुख प्राप्त नहीं कर पाता. यह नहीं कि निशा को इस की जरूरत महसूस नहीं होती, पर वह अपने काम को अपनी इस जरूरत से अधिक महत्त्व देती. इस से नितिन की यौन भावनाएं आहत होतीं.  धीरेधीरे वह यौन कुंठा का शिकार हो गया. अकसर व्यस्त दंपती अपनी सेक्सलाइफ का पूर्णरूप से आनंद नहीं उठा पाते, क्योंकि अगर वे सेक्स करते भी हैं तो किसी कार्य को निबटाने की तरह. न तो उन्हें एकदूसरे से रोमांटिक बातें करने की फुरसत होती, न ही वे परस्पर छेड़छाड़ का मजा ले पाते. सेक्स विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्स में चरमसुख की प्राप्ति तभी हो पाती है जब पतिपत्नी दोनों पूरी तरह उत्तेजित हों और यह उत्तेजना उन में तभी आ सकती है, जब वे सेक्स से पहले आवश्यक क्रियाएं जैसे परस्पर छेड़छाड़, एकदूसरे के गुप्त अंगों को सहलाना, होंठ चूमना, आलिंगनबद्ध होना इत्यादि करें. इन क्रियाओं से सेक्सग्रंथियां तेजी से काम करना शुरू कर देती हैं व पतिपत्नी में अत्यधिक उत्तेजना पैदा हो जाती है, जो उन्हें चरमसुख प्रदान करने में सहायक होती है. पर जो दंपती अपने काम को सेक्स से ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानते हैं, वे ऐसा कदापि नहीं कर पाते.

घातक स्थिति है यह

राघव की जौब ऐसी है कि वह रात को 11 बजे से पहले घर नहीं लौट पाता. उस की पत्नी ट्विंकल भी नौकरी करती है. दोनों इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें एकदूसरे से ढंग से बात  करने तक की फुरसत नहीं मिलती. सेक्स को भी दोनों अपने जौबवर्क की तरह ही निबटाते हैं. नतीजा यह होता है कि वे कई सप्ताह तक शारीरिक तौर पर एकदूसरे के साथ जुड़ते ही नहीं, क्योंकि सेक्स में उन्हें बिलकुल भी आनंद नहीं आता और इसी कारण उन की इस में रुचि घटती जा रही है. अधिक व्यस्त रहने के कारण पतिपत्नी लगातार अपनी यौनइच्छाओं को दबाते रहते हैं, क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति भी आती है कि उन में से एक जल्दी फ्री हो जाता है व दूसरे के साथ अपना समय गुजारना चाहता है, शारीरिक सुख प्राप्त करना चाहता है परंतु उस की यह चाहत पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि उस का साथी बिजी है. ऐसे में पतिपत्नी न तो कभी अपनी यौन भावनाओं को एकदूसरे से शेयर कर पाते हैं, न ही सेक्स के विषय पर एकदूसरे से खुल कर बातचीत करते हैं. या तो वे लगातार सेक्स को नजरअंदाज करते हैं या इसे सिर्फ निबटाते हैं. ऐसी स्थिति में उन के सेक्स संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. धीरेधीरे सेक्स उन्हें बोर करने लगता है.

शादी से पहले की मेरी गर्लफ्रेंड अब मुझे परेशान कर रही है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक विवाहित पुरुष हूं. विवाह को 3 वर्ष हो गए हैं और मैं अपने वैवाहिक जीवन से पूरी तरह से संतुष्ट हूं लेकिन एक समस्या है जिस का समाधान मैं आप से चाहता हूं. दरअसल, विवाह से पूर्व मैं एक लड़की से प्यार करता था और अब वह मुझे परेशान कर रही है. मैं ने उस को समझाया कि अब मैं विवाहित हूं और अपनी जिंदगी में बहुत खुश हूं लेकिन फिर भी वह बारबार मुझ से संपर्क करती रहती है. मुझे डर है कि उस की वजह से मेरे वैवाहिक जीवन में कोई तूफान न आ जाए. मुझे सलाह दें, मैं क्या करूं?

जवाब

आप उस से साफ साफ बात करें और पूछें कि वह आप से संबंध क्यों रखना चाहती है. उसे समझाएं कि आप से संबंध रख कर उसे कुछ हासिल नहीं होगा. उस के पास आप को ब्लैकमेल करने का कोई जरिया तो नहीं जिस की वजह से वह आप को परेशान कर रही हो.

इस के अलावा आप एक काम और कर सकते हैं, अगर आप पतिपत्नी के बीच पूर्ण विश्वास है तो आप अपनी पत्नी को विश्वास में ले कर उन से अपनी परेशानी शेयर कर सकते हैं क्योंकि विवाह पूर्व प्रेम प्रसंग होना आज की तारीख में आम बात है. ऐसा करने के बाद आप को अपनी पूर्व प्रेमिका से डरने की कोई जरूरत नहीं होगी और आप की प्रेमिका आप को ब्लैकमेल नहीं कर पाएगी. लेकिन ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लें क्योंकि अगर आप की पत्नी को आप की बात पर विश्वास नहीं हुआ तो आप की बसीबसाई जिंदगी में तूफान आ सकता है.

आखिरी मुलाकात : सुमेधा ने एक बिजनैसमैन के साथ क्यों की शादी

समीर ने अपनी घड़ी की तरफ देखा और उठ गया. आज रविवार था तो समय की कोई पाबंदी नहीं थी. आज न तो कोई मीटिंग थी, न ही औफिस जाने की जल्दी, न ही आज उस को सुबहसुबह अपने पूरे दिन का टाइमटेबल देखना था.

समीर की नौकरानी की आज छुट्टी थी या फिर यह कहा जा सकता है कि समीर नहीं चाहता था कि आज कोई भी उस को डिस्टर्ब करे. समीर ने खुद अपने लिए कौफी बनाई और बालकनी में आ कर बैठ गया. कौफी पीतेपीते वह अपने बीते दिनों की याद में डूबता गया.

अपना शहर और घर छोड़े उसे 2 साल हो चुके थे. यह नौकरी काफी अच्छी थी, इसलिए उस ने घर छोड़ कर दिल्ली आ कर रहना ही बेहतर समझा था, वैसे यह एक बहाना था. सचाई तो यह थी कि वह अपनी पुरानी यादों को छोड़ कर दिल्ली आ गया था.

उस की पहली नौकरी अपने ही शहर लुधियाना में थी. वहां औफिस में पहली बार वह सुमेधा से मिला था. औफिस में वह उस का पहला दिन था. वहां लंच से पहले का समय सब लोगों के साथ परिचय में ही बीता था. सब एकएक कर के अपना नाम और पद बता रहे थे…

एक बहुत प्यारी सी आवाज मेरे कानों में पड़ी. एक लड़की ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम सुमेधा.’

सीधीसादी सी दिखने वाली सुमेधा में कोई खास बात तो थी जिस की वजह से मैं पहली ही मुलाकात में उस की तरफ आकर्षित होता चला गया था और मैं ने उस से हाथ मिलाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम समीर.’

हमारी बात इस से आगे बढ़ी नहीं थी. दूसरे दिन औफिस के कैफेटेरिया में मैं अपने औफिस में बने नए दोस्त नीलेश के साथ गया तो सुमेधा से मेरी दूसरी मुलाकात हुई. सुमेधा वहां खड़ी थी. नीलेश ने उस की तरफ देखते हुए कहा, ‘सुमेधा, तुम भी हमारे साथ बैठ कर लंच कर लो.’

सुमेधा हम लोगों के साथ बैठ गई. मैं चोरीचोरी सुमेधा को देख रहा था. मैं ने पहले कभी किसी लड़की को इस तरह देखने की कोशिश नहीं की थी.

मेरे और सुमेधा के घर का रास्ता एक ही था. हम दोनों एकसाथ ही औफिस से घर के लिए निकलते थे. उस समय मेरे पास अपनी बाइक तक नहीं थी, तो बस में सुमेधा के साथ सफर करने का मौका मिल जाता था. रास्ते में हम बहुत सारी बातें करते हुए

जाते थे, जिस से हमें एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जानने को मिला. वह अपने जीवन में कुछ करना चाहती थी, सफलता पाना चाहती थी. उस के सपने काफी बड़े थे. मुझे अच्छा लगता था उस की बातों को सुनना.

धीरेधीरे मैं और सुमेधा एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगे. शायद सुमेधा भी मुझे पसंद करने लगी थी, ऐसा मुझे लगता था.

‘कल रविवार को तुम लोगों का क्या प्लान है?’ एक दिन मैं और नीलेश जब औफिस की कैंटीन में बैठे थे, तो सुमेधा ने बड़ी बेबाकी से आ कर पूछा.

‘कुछ खास नहीं,’ नीलेश ने जवाब दिया.

‘और तुम्हारा कोई प्लान हो तो बता दो समीर,’ सुमेधा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

‘नहीं…कुछ खास नहीं. तुम बताओ?’ मैं ने कहा.

‘कल मूवी देखने चलें?’ सुमेधा ने कहा.

‘आइडिया अच्छा है,’ नीलेश एकदम से बोला.

‘तो ठीक है तय हुआ. कल हम तीनों मूवी देखने चलेंगे,’ कह कर सुमेधा चली गई.

‘देखो समीर, कल तुम अपने दिल की बात साफसाफ सुमेधा से बोल देना. मुझे लगता है कि सुमेधा भी तुम्हें पसंद करती है,’ नीलेश ने एक सांस में यह बात बोल दी.

मैं उस का चेहरा देखे जा रहा था. वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया था. शायद अब वह मेरे दिल की बात भी पढ़ने लगा था.

‘देखो, मैं ने जानबूझ कर हां बोला है और मैं कोई बहाना बना कर कल नहीं आऊंगा. तुम दोनों मूवी देखने अकेले जाना. इस से तुम्हें एकसाथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा और अपने दिल की बात कहने का भी.’

‘लेकिन…’

‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम्हें अपने दिल की बात कल उस से कहनी ही होगी. वह आ कर तो यह बात बोलेगी नहीं.’

मैं ने नीलेश को गले लगा लिया,

‘धन्यवाद नीलेश…’

‘ओह रहने दे, तेरी शादी में भांगड़ा करना है बस इसलिए ऐसा कर रहा हूं,’ यह कह कर नीलेश हंसने लगा.

आज रविवार था और नीलेश का प्लान कामयाब हो चुका था. उस ने सुमेधा को फोन कर के कह दिया था कि उस की मौसी बिना बताए उस को सरप्राइज देने के लिए पूना से यहां उस से मिलने आई हैं. इसलिए वह मूवी देखने नहीं आ सकता. लेकिन हम उस की वजह से अपना प्लान और मूड खराब न करें. इस से उस को अच्छा नहीं लगेगा.

सुमेधा मान गई और न मानने का तो कोई सवाल ही नहीं था. मैं मन ही मन नीलेश के दिमाग की दाद दे रहा था.

मौल के बाहर मैं सुमेधा का इंतजार कर रहा था. सुमेधा जैसे ही औटो से उतरी मैं ने उस को देख लिया था. सफेद सूट में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. मैं उस को बस देखे जा रहा था. उस ने मेरी तरफ आ कर मुझ से हाथ मिलाया और कहा, ‘ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा?

‘नहीं, मैं बस 20 मिनट पहले आया था,’

मैं ने उस की तरफ देखते हुए कहा.

‘ओह, आई एम सौरी. ट्रैफिक बहुत है आज, रविवार है न इसलिए,’ उस ने हंसते हुए कहा.

हम दोनों ने मूवी साथ देखी. लेकिन मूवी बस वह देख रही थी. मेरा ध्यान मूवी पर कम और उस पर ज्यादा था.

मूवी के बाद हम दोनों वहीं मौल के एक रेस्तरां में बैठ गए. सुमेधा मूवी के बारे में ही बात कर रही थी.

‘मुझे तुम से कुछ कहना है सुमेधा,’ मैं ने सुमेधा की बात बीच में ही काटते हुए कहा.

‘हां, बोलो समीर…,’ सुमेधा ने कहा.

‘देखो, मैं ने सुना है कि लड़कियों का सिक्स सैंस लड़कों से कुछ ज्यादा होता है, लेकिन फिर भी मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. अगर तुम को मेरी बात पसंद न आए तो तुम मुझ से साफसाफ बोल देना. और हां, इस से हमारी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आना चाहिए.’

‘लेकिन बात क्या है, बोलो तो पहले,’ सुमेधा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

‘मुझे डर था कि कहीं अपने दिल की बात बोल कर मैं अपने प्यार और दोस्ती दोनों को ही न खो दूं. फिर नीलेश की बात याद आई कि कम से कम एक बार बोलना जरूरी है, जिस से सचाई का पता चल सके. मैं ने सुमेधा की तरफ देखते हुए अपनी पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘आई…आई लव यू सुमेधा. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.’

मेरी बात सुन कर सुमेधा एकदम अवाक रह गई. उस के चेहरे के भाव एकदम बदल गए.

‘सुमेधा, कुछ तो बोलो… देखो, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहूंगा. जो मेरे मन में था और जो मैं तुम्हारे लिए महसूस करता हूं वह मैं ने तुम से कह दिया और यकीन मानो आज तक यह बात न तो मैं ने कभी किसी से कही है और न ही कहने का दिल किया कभी.’

सुमेधा मुझे देखे जा रही थी और मेरी घबराहट उस की नजरों को देख कर बढ़ती जा रही थी. वह धीमी आवाज में बोली, ‘मैं तुम से नाराज हूं…’

मैं उस की तरफ एकटक देखे जा रहा था.

‘मैं तुम से नाराज हूं इसलिए क्योंकि तुम ने यह बात कहने में इतना समय लगा दिया और मुझे लगता था कि मुझे ही प्रपोज करना पड़ेगा.’

उस की बात को सुन कर मुझे लगा कि कहीं मेरे कानों ने कुछ गलत तो नहीं सुन लिया था. कहीं यह सपना तो नहीं? लेकिन वह कोई सपना नहीं हकीकत थी.

मैं ने लंबी सांस लेते हुए कहा, ‘तुम ने मुझे डरा दिया था सुमेधा. मुझे लगा कहीं प्यार की बात बोल कर मैं अपनी दोस्ती न खो दूं.’

‘अच्छा… और अगर न बताते तो शायद अपने प्यार को खो देते,’ सुमेधा ने कहा.

उस दिन से ज्यादा खुश शायद मैं पहले कभी नहीं हुआ था. जब एम.ए. में फर्स्ट क्लास आया था तब भी और जब नौकरी मिली थी तब भी. एक अजीब सी खुशी थी उस दिन.

सुमेधा और मैं घंटों मोबाइल पर बात किया करते थे और मौका मिलते ही एकदूसरे के साथ वक्त बिताते थे.

उस दिन के बाद एक दिन सुमेधा ने मुझे बहुत खूबसूरत सा हार दिखाते हुए बाजार में कहा, ‘देखो समीर, कितना प्यारा लग रहा है.’

मैं ने कहा, ‘तुम से ज्यादा नहीं.’

वह बोली, ‘जनाब, यह मेरी खूबसूरती को और बढ़ा सकता है.’

उस वक्त मन तो था कि मैं उस को वह हार दिलवा कर उस की खूबसूरती में चार चांद लगा दूं, लेकिन मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि उस को वह हार दिलवा सकता.

सुमेधा समझ गई थी. उस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, ‘इतना भी खूबसूरत नहीं है कि इस हार की इतनी कीमत दी जाए. लगता है अपने शोरूम के पैसे भी जोड़ दिए हैं. चलो समीर चाय पीते हैं.’

मुझे सुमेधा की वह बात अच्छी लगी. वह खूबसूरत तो थी ही, समझदार भी थी.

वक्त बीतता गया. सुमेधा चाहती थी कि मैं शादी से पहले अपने पैरों पर अच्छे से खड़ा हो जाऊं ताकि शादी के बाद बढ़ती हुई जिम्मेदारियों से कोई परेशानी न आए. बात भी सही थी. अभी मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि मैं शादी जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा सकूं.

हमारे प्यार को 1 साल से ज्यादा हो गया था. वक्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला.

आज सुमेधा औफिस नहीं आई थी. मैं ने सुमेधा को फोन किया, लेकिन पूरी रिंग जाने के बाद भी उस ने मोबाइल नहीं उठाया.

हो सकता है वह व्यस्त हो किसी काम में. क्या हुआ होगा, जो सुमेधा ने मुझे नहीं बताया कि आज वह छुट्टी पर है. पूरा दिन बीत गया लेकिन सुमेधा का कोई फोन नहीं आया. मुझे बहुत अजीब लग रहा था. क्या आज वह इतनी व्यस्त है कि एक बार भी फोन या मैसेज करना जरूरी नहीं समझा?

अगले दिन भी वही सब. न मेरा फोन उठाया और न खुद फोन या मैसेज किया. बस अपने सर को उस ने अपनी छुट्टी के लिए एक मेल भेजा था, जिस में बस यह लिखा था कि कोई जरूरी काम है.

क्या जरूरी काम हो सकता है? मैं सोच नहीं पा रहा था.

नीलेश ने कहा, ‘तुम उस के घर के फोन पर बात करने की कोशिश क्यों नहीं करते?’

‘अगर किसी और ने फोन उठाया तो?’ मैं ने उस के सवाल पर अपना सवाल किया.

‘तो तुम बोल देना कि तुम उस के औफिस से बोल रहे हो और यह जानना चाहते हो कि कब तक छुट्टी पर है वह.’

हिम्मत कर के मैं ने उस के घर के फोन पर काल किया. पहली बार किसी ने फोन नहीं उठाया. नीलेश के कहने पर मैं ने दोबारा कोशिश की. इस बार फोन पर आवाज आई जो मैं सुनना चाहता था.

‘हैलो सुमेधा, मैं समीर बोल रहा हूं. कहां हो, कैसी हो? और तुम औफिस क्यों नहीं आ रही हो? मैं ने तुम्हारा मोबाइल नंबर कितनी बार मिलाया, लेकिन तुम ने फोन नहीं उठाया. सब ठीक तो है?’

सुमेधा चुपचाप मेरी बातों को बस सुने जा रही थी.

‘सुमेधा कुछ तो बोलो.’

‘अब मुझे कभी फोन मत करना समीर…’ सुमेधा ने धीमी आवाज में कहा.

‘क्या, पर हुआ क्या यह तो बताओ?’ मैं ने बेचैन हो कर पूछा.

‘पापा को माइनर हार्ट अटैक आया था. अब उन की हालत ठीक है. मेरे लिए एक रिश्ता आया था पापा ने वह रिश्ता तय कर दिया है और उन की हालत को ध्यान में रखते हुए मैं न नहीं कर पाई.’

‘तुम्हें उन्हें मेरे बारे में तो बताना चाहिए था,’ मैं ने कहा.

‘समीर वह लड़का बिजनैसमैन है,’ सुमेधा ने एकदम से कहा.

‘ओह, तो शायद इसीलिए तुम्हारी उस से शादी हो रही है,’ मैं ने कहा.

‘तुम जो भी समझो मैं मना नहीं करूंगी. अगले महीने मेरी शादी है. मैं ने आज ही अपना रिजाइनिंग लैटर अपने सर को मेल कर दिया है. बाय समीर.’

मैं बस फोन को देखे जा रहा था और नीलेश मुझे देखे जा रहा था. उस का मेरे प्यार को स्वीकार करना जितना खूबसूरत सपने की तरह था, उतना ही आज उस का यह बोलना किसी बुरे सपने से कम नहीं था. मैं चाहता था कि दोनों बातों में से सिर्फ एक ख्वाब बन जाए, लेकिन दोनों ही हकीकत थीं.

आज इस बात को पूरे 3 साल हो गए. उस दिन के बाद मैं ने कभी सुमेधा को न तो फोन किया और न ही उस ने मेरा हाल जानने की कोशिश की. जिस दिन उस की शादी थी उसी दिन मुझे दिल्ली की एक मल्टीनैशनल कंपनी से इस नौकरी का औफर आया था. यहां की सैलरी से दोगुनी सैलरी और एक फ्लैट. सब कुछ ठीक ही नहीं बल्कि एकदम परफैक्ट. आज जो मेरे पास है अगर वह मेरे पास 3 साल पहले होता तो शायद आज सुमेधा मिसेज समीर होती.

वक्त बदल गया और वक्त के साथ लोग भी. आज मैं जिस मुकाम पर पहुंच गया हूं शायद उस समय इन सब चीजों की कल्पना उस ने कभी की ही नहीं होगी. उस वक्त मैं सिर्फ समीर था लेकिन आज एक मल्टीनैशनल कंपनी का जनरल मैनेजर. आज मेरे पास सब कुछ है लेकिन मेरी सफलता को बांटने के लिए वह नहीं है जिस के लिए शायद मैं यह सब करना चाहता था.

अचानक मेरे मोबाइल की बजी. घंटी ने मुझे मेरी यादों से बाहर निकाला.

नीलेश का फोन था. सब कुछ बदल जाने के बाद भी मेरी और नीलेश की दोस्ती नहीं बदली थी. शायद कुछ रिश्ते सच में सच्चे और अच्छे होते हैं.

‘‘कब तक पहुंचेगा?’’ नीलेश ने पूछा.

‘‘निकलने वाला हूं बस,’’ मैं ने नीलेश से कहा.

‘‘जल्दी निकल यार,’’ कह कर नीलेश ने फोन रख दिया.

नीलेश की शादी है आज. शादी दिल्ली में ही हो रही थी. मुझे सीधे शादी में ही शरीक होना था. अपने सब से अच्छे दोस्त की शादी में न जाने का कोई बहाना होता भी तो भी मैं उस को बना नहीं सकता था.

मैं फटाफट तैयार हुआ. अपनी कार निकाली और चल दिया. वहां पहुंचा तो चारों तरफ फूलों की भीनीभीनी खुशबू आ रही थी. नीलेश बहुत स्मार्ट लग रहा था. मैं ने उस की तरफ फूलों का गुलदस्ता बढ़ाते हुए कहा, ‘‘यह तुम्हारी नई जिंदगी की शुरुआत है और मेरी दिल से शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं.’’

नीलेश मेरे गले लग गया. और लोगों को भी उसे बधाइयां देनी थीं, इसलिए मैं स्टेज से नीचे उतर गया. उतर कर जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि लाल साड़ी में एक महिला मेरे पीछे खड़ी थी. उस के साथ उस का पति और बेटा भी था.

वह कोई और नहीं सुमेधा थी, जो मेरी ही तरह अपने दोस्त की शादी में शामिल होने आई थी. मुझे देख कर वह चौंक गई. वह मुझ से कुछ कहती, इस से पहले ही मेरी पुरानी कंपनी के सर ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘वैल डन समीर. मुझे तुम पर बहुत गर्व है. थोड़े से ही समय में तुम ने बहुत सफलता हासिल कर ली है. मैं सच में बहुत खुश हूं तुम्हारे लिए.’’

मैं बस हां में सिर हिला रहा था और जरूरत पड़ने पर ही जवाब दे रहा था. मेरा दिमाग इस वक्त कहीं और था.

सुमेधा अपने पति के साथ खड़ी थी. उस का पति एक बिजनैसमैन था, लेकिन उस की कंपनी इतनी बड़ी नहीं थी. आज मेरा स्टेटस उस से ज्यादा था.

यह मैं क्या सोच रहा हूं? मेरी सोच इतनी गलत कब से हो गई? मुझे किसी की व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिंदगी से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. मेरा दम घुट सा रहा था. अब इस से ज्यादा मैं वहां नहीं रुक सकता था. मैं जैसे ही बाहर जाने लगा सुमेधा ने पीछे से मुझे आवाज लगाई.

‘‘समीर…’’

उस के मुंह से अपना नाम सुनते ही मन में आया कि उस से सारे सवालों के जवाब मांगूं. पूछूं उस से कि जब प्यार किया था तो विश्वास क्यों नहीं किया? सब कुछ एकएक कर के उस की आवाज से मेरी आंखों के सामने आ गया.

लेकिन अब वह पहले वाली सुमेधा नहीं थी. अब वह मिसेज सुमेधा थी. मुझे उस का सरनेम तो क्या उस के पति का नाम भी मालूम नहीं था और मुझे कोई दिलचस्पी भी नहीं थी ये सब जानने की. न मैं उस का हाल जानना चाहता था और न ही अपना बताना.

मैं ने पलट कर उस की आंखों में आखें डाल कर कहा, ‘‘क्या मैं आप को जानता हूं?’’

वह मेरी तरफ एकटक देखती रही. अगर मैं पहले वाला समीर नहीं था तो वह भी पहले वाली सुमेधा नहीं रही थी.

शायद मेरा यही सवाल हमारी आखिरी मुलाकात का जवाब था. उस की चुप्पी से मुझे मेरा जवाब मिल गया और मैं वहां से चल दिया.

बेमेल विवाह में कैसे हो तालमेल, जानिए

आज भी बहुत से ऐसे बेमेल विवाह देखने को मिलते हैं, जिन में पतिपत्नी की आयु में अत्यधिक खटकने वाला अंतर होता है या पति अनपढ़ या कम पढ़ालिखा होता है या पत्नी नौकरीशुदा होती है और पति बेरोजगार. हालांकि हर मांबाप और लड़कालड़की यही चाहते हैं कि पति अधिक पढ़ालिखा हो और पत्नी उस से कम पढ़ीलिखी हो. पति घर के लिए व्यवसाय या नौकरी कर के उपार्जन करे और पत्नी घर संभाले. लेकिन कभीकभी ऐसी मजबूरियां हो जाती हैं, जिन से बेमेल विवाह भी संपन्न हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ नीलम के साथ भी हुआ. नीलम सुंदर और पढ़ीलिखी युवती थी तथा रक्षा मंत्रालय में कार्य करती थी. मातापिता ने उस के विवाह के लिए अनेक लड़के देखे, किंतु नीलम को हर लड़के में कोई न कोई दोष दिखाई देता था.

धीरेधीरे नीलम की उम्र बढ़ती गई और वह अपनी उम्र का 35वां वर्ष भी पार कर गई. फिर लड़कों ने नीलम को नकारना आरंभ कर दिया. हार कर नीलम को एक अधेड़ व्यक्ति से विवाह करना पड़ा. वह सजातीय तो था, लेकिन वह 12वीं कक्षा पास था और आमदनी के नाम पर मकान से आने वाला थोड़ाबहुत किराया था. उस में भी भाइयों का हिस्सा अलग था.

नीलम को बताया गया था कि लड़का प्रौपर्टी डीलर है, जबकि वास्तव में उस के कुछ दोस्त प्रौपर्टी डीलर थे और वह केवल शाम को उन के पास शराब पीने बैठता था. अकसर ऐसा भी देखा गया है कि लड़की के मांबाप केवल सजातीय लड़के की खोज में लगे रहते हैं और लड़की पढ़ाई की सीढि़यां चढ़ती चली जाती है.

फिर उस जाति में उतने पढ़ेलिखे लड़के नहीं मिलते जितनी लड़की पढ़लिख जाती है. तब मजबूरन कम पढ़ेलिखे लड़के से विवाह करना पड़ता है.

1. मनोवैज्ञानिक दबाव

यदि लड़का लड़की से कम पढ़ालिखा हो या लड़की नौकरी करती हो और लड़का बेरोजगार हो तो ऐसे पति और पत्नी दोनों ही मनोवैज्ञानिक दबाव में जीते हैं. मैरिज काउंसलर एवं वकील नलिन सहाय बताते हैं कि प्राय:ऐसे मामले मध्यवर्गीय परिवारों में ही पाए जाते हैं और वे कभीकभार ही सलाह लेने आते हैं.

2. न्यायालय की नीति

सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट आर.के. सिंह का मानना है कि इस तरह के बेमेल विवाह की जड़ आधुनिक भौतिकवादी जीवनशैली ही है. उन्होंने बताया कि पंजाब उच्च न्यायालय के एक लीडिंग केस तीरथ कौर बनाम किरपाल सिंह के मामले में पहले तो गरीब और बेरोजगार पति ने अपनी पत्नी को प्रशिक्षण दिलवाया और फिर जब उस की नौकरी लग गई तो उसे नौकरी छोड़ कर गांव में आ कर अपने साथ रहने के लिए जोर देने लगा. पत्नी उसे तलाक भी नहीं देना चाहती थी और नौकरी भी नहीं छोड़ना चाहती थी.

सुरिंद्र कौर और गुरदीप सिंह का मामला भी ऐसा ही था. मगर इस मामले में पत्नी ने पति को तलाक दे दिया, लेकिन अपनी नौकरी नहीं छोड़ी. न्यायालय हिंदू पतिपत्नी के एक ही जगह रहने के पक्ष में है, क्योंकि हिंदू विधि के अनुसार पत्नी मात्र एक पत्नी न हो कर धर्मपत्नी है और धर्म के अनुसार पत्नी का धर्म पति के संरक्षण में एक छत के नीचे रह कर पति की गृहस्थी को संभालना है. ऐसे में बदले आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जब पति और पत्नी की भूमिकाएं बदल रही हैं, क्या न्यायालय भी हिंदू विधि में बदलाव के पक्ष में होंगे?

3. पतिपत्नी यथार्थ को समझें

आज अर्थोपार्जन सब से महत्त्वपूर्ण है, चाहे यह कार्य पति करे या पत्नी अथवा दोनों. यदि घर में धन का अभाव होता है तो अनेक परेशानियां उठ खड़ी होती हैं. इसलिए यदि पति कम पढ़ालिखा है या बेरोजगार है तो अपने परिवार की भलाई के लिए अपने अहं को ताक पर रख कर, जो कार्य पत्नी घर के लिए करती है उन्हें वह स्वयं करे ताकि पत्नी को घर और बाहर दोनों का बोझ न उठाना पड़े.

4. पति संभाले घर की जिम्मेदारी

पति चाहे तो घर के बहुत से काम अपने जिम्मे ले सकता है जैसे, बच्चों को स्कूल छोड़ना व लाना, उन का होमवर्क करवाना, पत्नी को औफिस छोड़ना व ले जाना, सुबह और शाम चाय बना देना, सब्जी, चावल आदि बना लेना, बाजार की खरीदारी कर लेना. चूंकि ये सभी काम वह अपने परिवार के लिए ही कर रहा है, इसलिए इस में किसी भी प्रकार के अहं को बीच में न आने दें.

दूसरी ओर पत्नी का भी दायित्व है कि वह किसी भी बात में पति के कम पढ़ालिखा होने या नौकरीव्यवसाय न करने का जिक्र न करे ताकि पति हीनभावना से ग्रस्त न हो. इस तरह की भावनाएं आगे चल कर मनोग्रंथि का रूप धारण कर लेती हैं और पति छोटीछोटी बातों पर घर के वातावरण को कलहपूर्ण बना देता है.

5. प्रेम और साहचर्य

एक मुसकराहट सभी परेशानियों से मुक्त कर देती है. नौकरी पर जाते समय और थकेहारे वापस आने पर एक मुसकराहट सारे दुखों और पीड़ाओं को हर लेती है. साथ खाना खाने और रात को एक ही बिस्तर पर सोने से कौन बड़ा है कौन छोटा है की भावना खत्म हो जाती है. इस से पति और पत्नी दोनों ही समानता के स्तर पर आ जाते हैं. यही नहीं वे एकदूसरे के पूरक भी बन जाते हैं. उन्हें कोई भी परिस्थिति अलग नहीं कर सकती है.

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है, लेकिन मेरी फैमिली पुराने खयालों की है?

सवाल-

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया यानी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोचसोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए? रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

– प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

– दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

– रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

– मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

– गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

फ्लर्ट से जिंदगी में नया मजा

‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’ वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सीयत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होेते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

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