जानें क्या है प्यार की झप्पी के 5 फायदे

पतिपत्नी के बीच छोटेमोटे झगड़े उन के डेली रूटीन का हिस्सा होते हैं, जहां वे बिना सोचेसमझे झगड़ पड़ते हैं. वहीं ऐसे में प्यार की एक छोटी सी झप्पी बड़ा कमाल दिखा सकती है. वह छोटे से झगड़े को बड़ा झगड़ा बनने की स्पीड में बे्रक लगा सकती है.

ऐसा नहीं कि प्यार की झप्पी सिर्फ झगड़ों को ही सुलझाती है. दरअसल, प्यार की छोटी सी झप्पी पतिपत्नी के रिश्ते में बड़ेबड़े कमाल भी दिखाती है.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब हम किसी को गले लगाते हैं, तो हमारे शरीर से गुस्से को बढ़ाने वाले हारमोन तेजी से कम होने लगते हैं. सामने वाला गुस्से को भूल कर आप के प्यार को महसूस करता है यानी आप की प्यार की झप्पी उस के गुस्से को पल भर में दूर कर देती है और वह आप को माफ कर देता है.

बिना बोले सब कुछ बोले

पतिपत्नी के बीच प्यार को प्रकट करने का सब से अनूठा व कारगर तरीका है प्यार की झप्पी, जिस में बिना बोले आप अपनी भावनाएं प्रकट कर सकते हैं. पत्नी ने अगर अच्छा खाना बनाया हो तो पति दे उसे प्यार की एक झप्पी और अगर पति ने किसी अच्छी इनवैस्टमैंट पौलिसी में इनवैस्ट किया हो तो पत्नी दे उसे एक प्यार की झप्पी. पतिपत्नी के बीच हैल्दी और हैप्पी मैरिड लाइफ का अचूक नुसखा है प्यार की झप्पी, जिसे कभी भी और कहीं भी दिया जा सकता है.

पतिपत्नी का एकदूसरे के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन का तरीका है प्यार की झप्पी, जिस का अर्थ होता है कि तुम मुझे सब से प्यारे हो. प्यार की झप्पी देते समय यह हरगिज न सोचें कि आप कहां हैं किस के सामने हैं. दोस्तों के समक्ष जब आप पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करने के लिए एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो दोस्तों की नजरों में आप का सम्मान और अधिक बढ़ जाता है. आप दोनों की नजदीकी और प्यार जगजाहिर हो जाता है.

दुखसुख का साथी

ऐसा नहीं कि सिर्फ खुशी के मौकों पर पतिपत्नी एकदूसरे को गले लगा कर अपना प्यार और नजदीकी जाहिर कर सकते हैं. वे परेशानी और दुख के पलों में भी एकदूसरे को गले लगा कर एकदूसरे के और करीब आ सकते हैं और दुख साझा कर सकते हैं.

आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान के बाद निष्कर्ष निकाला है कि जब हम किसी को दुख या तकलीफ में गले लगाते हैं, तो वह राहत महसूस करता है. रिपोर्ट में इस बात को मां व बच्चे के उदाहरण से स्पष्ट किया गया है कि जब बच्चे को चोट लगती है और मां उसे गले लगाती है तो उस का दर्द व तकलीफ दूर हो जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, दरअसल होता यह है कि जब हम अपने साथी को गले लगाते हैं तो खून में औक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जिस से उच्च रक्तचाप में कमी आती है, तनाव व बेचैनी कम होती है और स्मरण शक्ति भी बेहतर होती है.

दुख व तकलीफ के क्षणों में जब पतिपत्नी एकदूसरे को प्यार वाली झप्पी देते हैं, तो सारी तकलीफ दूर हो जाती है, क्योंकि उन में बढ़ता है प्यार और जुड़ जाता है अटूट बंधन.

गिलेशिकवे मिटाती

औफिस से घर पहुंचने में देर हो गई. पत्नी ने बाजार से जरूरी सामान लाने को बोला था लेकिन आप भूल गए या फिर पत्नी ने अच्छी साड़ी पहनी, लेकिन आप तारीफ करना भूल गए तो पत्नी की नाराजगी जायज है. ऐसे में पत्नी की नाराजगी दूर करने का सब से अच्छा तरीका है प्यार की झप्पी. फिर देखिएगा कि कैसे उस की नाराजगी पल भर में दूर हो जाएगी. पत्नी के गुस्से को शांत करने का सब से बेहतर माध्यम है उसे गले लगा कर उस से माफी मांगना और अपने प्यार का प्रदर्शन करना. आप की यह झप्पी उस के गुस्से को बर्फ की तरह पिघला देगी, क्योंकि उस में होगी आप के प्यार की गरमाहट.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार आलिंगन और स्पर्श का संबंध ऐसे कई स्वास्थ्य गुणों से है, जो तनाव और पीड़ा को कम करते हैं. शोध के अनुसार इस का सब से अधिक असर महिलाओं पर होता है यानी अगर पत्नी नाराज हो तो उसे प्यार की झप्पी से पल भर में मनाया जा सकता है.

कीजिए प्यार का इजहार

जब शाहरुख खान, गौरी खान, अरबाज व मलाइका जैसी सैलिब्रिटीज पब्लिक प्लेस में एकदूसरे को गले लगाते हैं, तो आप कितना रोमांचित महसूस करते हैं. अपने रिश्ते में भी उसी रोमांस को लाइए. अपने प्यार को सार्वजनिक कीजिए. एकदूसरे को प्यार की झप्पी देते समय उस में झिझक, दुविधा या संशय को कोई स्थान न दीजिए, क्योंकि जब आप सार्वजनिक स्थल पर सब के सामने अपनी पत्नी को गले लगाते हैं, तो वह आप दोनों के बीच एक सुरक्षा चक्र बना देता है और आप का प्यार का प्रदर्शन आप की प्रबल मानसिकता के साथसाथ आप के सच्चे प्यार को प्रदर्शित करता है.

वैसे भी जब आप दोनों के पास विवाह का सर्टिफिकेट है तो फिर खुल्लमखुला प्यार किया तो डरना क्या की तर्ज पर अपने प्यार का इजहार कीजिए.

पुराने दिन ताजा कीजिए

विवाह के कुछ वर्षों बाद जब घर व औफिस की जिम्मेदारियों के बीच पतिपत्नी के रिश्तों में बोझिलता आ जाती है, तो ऐसे में प्यार की झप्पी पुराने दिनों की यादों को ताजा करती है और पतिपत्नी के प्यार में रोमांस का तड़का लगाती है. जिंदगी में मिठास घोलती है. जब आप एकदूसरे के अच्छे काम से और परेशानी में प्यार की झप्पी देते हैं, तो सैंस औफ टुगेदरनैस का एहसास होता है. प्यार की झप्पी एक ऐसा रामबाण है जिस से पतिपत्नी के जीवन में पुरानी यादों के खुशनुमा लमहों को दोबारा लाया जा सकता है.

सफलता पाने के लिए खुद को सुलझाएं ऐसे

समस्या छोटी हो या बड़ी, अगर सुलझाने बैठें तो पता चलता है कि इस का हल तो हमारे पास पहले ही था. उस वक्त लगता है कि काश, किसी ने पहले समझा दिया होता.  सब को बता कर ऊर्जा बरबाद न करें :  हर किसी दोस्त, रिश्तेदार से सलाह मांगना या शान जताने के लिए अपने लक्ष्य बताना नुकसानदायक हो सकता है.  लक्ष्य पूरा हो गया तो यह आप की आदत हो जाएगी. पर जरा सोचिए, जब सबकुछ होना ही है तो, जब हो जाएगा, स्वयं ही पता चल जाएगा.

मूर्खता की हद तो अंशु के साथ हो गई. उस ने अपने इंटरव्यू की बात सब को बताई. परंतु जब कैंपस सैलेक्शन नहीं हुआ तो उसे लगा कि किसी की नजर लग गई.  अब नौकरी के लिए कई जगह ट्राई करना ही पड़ता है. पंडितजी के चक्कर में पड़ गई. कभी सोमवार के व्रत रखती तो कभी किसी ग्रह के अनुसार अंगूठी पहनती.

समस्या साझा करने की बीमारी : 

रिनी को समस्या होती नहीं कि सारे  जानने वालों को पता चल जाता है कि क्या हुआ है. पहले काफी गंभीर हो कर सलाह देते थे दोस्त. पर अब सब उस से कन्नी काटने लगे हैं. आप अपनी समस्या खास लोगों से ही साझा करें. रोने वालों का कोई साथ नहीं देता, यह एक सचाई है.

बातों का मतलब खोजने का फलसफा :

क्या आप भी उन महान लोगों में से हैं जो सीधी बात को भी बेहद गहरे अर्थ में ले लेते हैं? बात को पकड़ कर न बैठें. यह भी समझें कि कभीकभी लोग सही अर्थ में नहीं कहते. झूठ बोलना या थोड़ीबहुत फेंकना लोगों की आदत होती है. इसलिए किसी बात को बेहद तूल देना या अत्यधिक बहस करना बेकार ही है.

अपनी शक्लोसूरत पर गौर जरूर करें : 

‘आईने में शक्ल देखी है’, यह कहावत तो जरूर सुनी होगी. अपनी त्वचा, बाल और साफसफाई का विशेष खयाल करें. अनचाहे बाल, दागधब्बों से छुटकारा पाएं. विशेषकर, फिटनैस रूटीन को मेंटेन करें. फिट रहना शरीर और दिमाग दोनों की जरूरत है. इसे ले कर सतर्क व गंभीर रहें. जो व्यक्ति अपने शरीर की देखभाल नहीं कर सकता, वह दूसरी जिम्मेदारी भी पूरी नहीं कर पाएगा. अगर करेगा भी, तो रोधो कर.

लड़ाई कर लें पर बोलचाल बंद न करें : 

किसी से कितनी भी बहस हो जाए लेकिन बोलचाल बंद नहीं करनी चाहिए. रचिता को उस के पंडितजी ने एक सलाह दी कि सब से बोलचाल रखो, कड़वा न बोलो, इस से ग्रह ठीक रहेंगे. पंडितजी को 21 सौ रुपए की दक्षिणा मिली. अरे भाई, यह व्यावहारिक  सलाह है. चूंकि पंडितजी ने अपनी झोली भरने के लिए कहा, इसलिए कीमती हो गई. खैर, किसी से भी झगड़ा करने में पहल न करें. कहीं पर जरूरी भी हो बहस कर लें, मगर बोलचाल बंद न करें.

प्रैक्टिस जरूर करें  :

कोई भी काम, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो, करने से पहले होमवर्क जरूर करें. प्रैक्टिस से काम जल्दी पूरे होने के आसार होते हैं. जैसे, मोना ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने से पहले कभी प्रैक्टिस कर के नहीं जाती थी. नतीजा, 5 बार टैस्ट देने के बाद ही पास हो पाई थी. इसलिए इंटरव्यू हो या कोई और काम, थोड़ा समय पहले दे कर होमवर्क करने में कोई बुराई नहीं. सफल खिलाड़ी कितने ही सफल क्यों न हो जाएं, अपने प्रतिद्वंद्वी की कमजोरी या तकनीक देखते हैं, चाहे वह कितना ही कमजोर या नया क्यों न हो.

हमेशा सकारात्मक नहीं रह सकते :

कोई भी हमेशा सकारात्मक नहीं रह सकता. निराशा और कुंठा के क्षण सभी के जीवन में आते हैं. चाहे कोई कितना भी सफल क्यों न हो. सफलतम आदमी भी निराश होता है. पर एक फर्क जरूर है. अकसर सफल व्यक्ति रोनेधोने के बजाय कुछ नया सीखने में वक्त देते हैं.

ओवर रिऐक्शन ठीक नहीं  :

प्रिया छोटीछोटी बातों को ले कर जल्दी चिड़चिड़ी हो जाती है. कामवाली हो, या ड्राइवर, वह जल्दी ही आपा खो देती है. कहते हैं, ज्यादा गुस्से वाले व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता. पूरी दुनिया आप के हिसाब से नहीं चल सकती.

ओवरइमोशंस को करें कंट्रोल  :

पल में बेहद खुश और मिलनसार लगी सोनम जब दीक्षा को दोबारा मिली तो उस से हायहैलो भी नहीं कहा. सोनम खुश भी जल्दी हो जाती, तो गुस्सा भी तुरंत हो जाती थी. पर सब से अजीब बात जो थी वह यह कि अगर किसी की तारीफ करती तो इतनी ज्यादा करती थी कि व्यक्ति स्वयं ही शरमा जाए. बुराई करती तो इतनी ज्यादा कि सुनने वाला परेशान हो जाए. और तो और, छोटी सी बात बुरी लग जाती तो पचासों बातें सुनाने से न चूकती. समाज में और सफलता के लिए यह रवैया ठीक नहीं है वरना आप नुकसान ही उठाते रहेंगे. खुश रहिए और खुश दिखिए भी.

पति को तलाक देना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 23 साल की हूं. मेरी 3 साल की बेटी भी है. अजीब बात है, पर सच है कि मैं एक लड़की से प्यार करती हूं. वह लड़की कहती है कि मैं अपने पति को तलाक दे कर उस के साथ भाग जाऊं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप पति व बच्चे का सुख भोग कर भी बेवकूफी की बात कर रही हैं. आप उस लड़की को बताएं कि पति का सुख कितना मजेदार होता है. आदमी का साथ पा कर वह लड़की भी लाइन पर आ जाएगी.

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बाहर ड्राइंगरूम में नितिन की जोरजोर से चिल्लाने की आवाज आ रही थी, “मैं क्या पागल हूं, बेवकूफ हूं, जो पिछले 5 सालों से मुकदमे पर पैसा फूंक रहा हूं. और सिया पीछे से राघव
के साथ प्रेम की पींगें बढ़ा रही है.”

तभी नितिन की मम्मी बोली, “बेटा, पिछले 5 सालों से तो वनवास भुगत रही है तेरी बहन. जाने दे, अब अगर उसे जाना है…”

नितिन क्रोधित होते हुए बोला, “पहले किसने रोका था?”

सिया अंदर कमरे में बैठेबैठे घबरा रही थी. उस ने फैसला तो ले लिया था, पर क्या यह उस के लिए सही साबित होगा, उसे खुद पता नही था.

सिया 28 वर्ष की एक आम सी नवयुवती थी. 5 वर्ष पहले उस की शादी आईटी इंजीनियर राघव से हुई थी.

सिया के पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो गई थी. सिया के बड़े भाई नितिन और रौनक ने ही सिया के लिए राघव को चुना था. जब राघव सिया को देखने आया था, तो दुबलापतला राघव सिया को थोड़ा अटपटा लगा था. राघव और सिया के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी. सिया की बड़ीबड़ी आंखें और शर्मीली मुसकान राघव के दिल को दीवाना बना गई थी.

राघव ने रिश्ते के लिए हां कर दी थी. मम्मी सिया की किस्मत की तारीफ करते नहीं थक रही थी. एक सिंपल ग्रेजुएट को इतना पढ़ालिखा पति जो मिल गया था.

सिया को विवाह के समय भी लग रहा था कि उस का ससुराल पक्ष अधिक खुश नही है. सिया को लगा, शायद राघव के घर वालों को उन की आशा के अनुरूप उपहार नहीं मिले थे.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- वनवास: क्या सिया को आसानी से तलाक मिल गया?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

5 Tips: अच्छे पेरेंट्स बनने के गुर

कई बार ऐसा होता है कि आप अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के बच्चे से पहली बार मिलती हैं. किसी ने आप को बताया नहीं होता है कि यह फलां का बच्चा है, लेकिन उस की आदतें और आचारव्यवहार देखते ही आप समझ जाती हैं कि यह फलां का बच्चा है. सच तो यह है कि बच्चे पर उस के पेरैंट्स की पूरी छाप होती है. जीवन के प्रति उस के नजरिए में उस के पेरैंट्स की झलक दिखती है. इसलिए अगर आप चाहती हैं कि आप का बच्चा आइडियल बने, तो इस के लिए आप को भी आइडियल बनना होगा. मतलब यह कि आप को अपने बच्चे से वैसा ही व्यवहार करना होगा जैसा आप बच्चे से अपेक्षा करती हैं.

रिलेशनशिप काउंसलर डा. निशा खन्ना के अनुसार, पेरैंट्स और बच्चे का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. इस में जरा सी भी चूक दोनों के संबंध में दरार डालने के लिए काफी है. आप का संयमित और समझदारी भरा व्यवहार आप के बच्चे के विकास को प्रभावित करता है. अगर आप जिंदगी को ले कर सकारात्मक सोच रखती हैं, तो आप का बच्चा भी वैसा ही होगा, लेकिन अगर आप की आदत हर बात में नुक्ताचीनी करने की है और अगर आप बिना बात अपने साथी के या परिवार के किसी भी सदस्य के साथ उलझ जाती हैं, तो यकीनन आप का बच्चा भी झगड़ालू किस्म का होगा. सच तो यह है कि बच्चा अपने पेरैंट्स में ही अपना आइडियल देखता है. अगर लड़का है, तो वह अपने पिता की तरह बनना चाहता है और लड़की में स्वत: ही उस की मां के गुण आ जाते हैं. इसलिए आप जिस तरह का व्यवहार अपने बच्चे से चाहती हैं आप को भी घर का माहौल वैसा ही बना कर रखना होगा, उसी तरह का व्यवहार अपने बच्चे और दूसरे लोगों के साथ रखना होगा.

1. तूतू मैंमैं न बाबा न

अगर आप की आदत छोटी से छोटी बात का भी तिल से ताड़ बनाने की है, तो पेरैंट्स बनने के बाद अपनी इस आदत को छोड़ देना ही श्रेयस्कर है. अपने जीवनसाथी और परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ जराजरा सी बात पर तकरार करने की आदत को छोड़ कर आपसी संबंधों में प्रेम और दोस्ती का भाव रखें ताकि आप का बच्चा भी समाज में और परिवार में संयमित व्यवहार करना सीखे.

2. मैं ही सही हूं

आमतौर पर बहुत से पेरैंट्स की यह आदत होती है कि वे सोचते हैं कि वे जो कर रहे हैं, वही सही है. अगर आप की सोच भी इस तरह की है, तो उसे बदल डालिए, क्योंकि सच तो यह है कि कोई भी व्यक्ति परफैक्ट नहीं होता है. सभी में कोई न कोई कमी होती है. अगर आप में अपनी गलती को स्वीकार करने की क्षमता नहीं है, तो यकीन मानिए आप का बच्चा भी अपनी गलत बात को सही साबित करने की कोशिश करेगा. इस तरह की सोच से वह दूसरों की बातों को अहमियत देना नहीं सीख पाएगा, जो आगे चल कर उस के हित में नहीं होगा.

3. मेरे पेरैंट्स ने तो इतनी ढील नहीं दी

बहुत सारे पेरैंट्स अपनी तुलना अपने बच्चों से करते हैं. उन की आदत होती है कि वे हर बात को अपने साथ अपने मातापिता द्वारा किए हुए व्यवहार से आंकते हैं. अगर आप के पेरैंट्स ने आप को कोई काम करने की आजादी नहीं दी तो इस का यह अर्थ नहीं है कि आप भी अपने बच्चे को स्पेस न दें. अब पहले का जमाना नहीं रह गया है, जिस में बच्चे अपने पेरैंट्स की सहीगलत सारी बातें मानते थे. अपने बच्चे से सही संबंध बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप समयसमय पर उस के साथ दोस्त की तरह पेश आएं. अनुशासन रखें, लेकिन साथ ही उसे अपनी तरह सोचने और अपनी भावनाओं को जाहिर करने की आजादी भी दें.

4. बच्चों को दें क्वालिटी लव की सीख

आमतौर पर पतिपत्नी के बीच तकरार का एक मुख्य कारण बच्चा हो जाने के बाद पत्नी का पति की तरफ से उदासीन हो जाना भी होता है. बहुत सारे पेरैंट्स ऐसा सोचते हैं कि मांबाप बन जाने के बाद उन के बीच का प्यार खत्म हो गया है. अब उन्हें एकदूसरे के साथ कहीं घूमने जाने या फिर एकदूसरे से प्यार जताने की जरूरत नहीं है. इस तरह की सोच बिलकुल गलत है. सच तो यह है कि पेरैंट्स बनने के बाद आप की बौंडिंग और गहरी हो जाती है. आप को एकदूसरे से अपने प्यार को जाहिर करते रहने की जरूरत है ताकि आप का बच्चा आप से यह सीखे कि अपने जीवनसाथी को किस तरह से प्यार करना है, उस की जरूरतों का किस तरह ध्यान रखना है, उसे कैसे सम्मान देना है. इस तरह से जब आप का बच्चा बड़ा होने के बाद आप की भूमिका में उतरेगा, तो वह संबंधों में तालमेल बैठा कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी पाएगा.

5. एकदूसरे का सम्मान करें

पतिपत्नी के संबंधों को सुचारु रूप से चलाने के लिए बेहद जरूरी है कि वे एकदूसरे की भावनाओं का खयाल रखें और एकदूसरे का सम्मान करें. चाहे आप कितने भी गुस्से में क्यों न हों अपने बच्चे के सामने भूल कर भी अपने जीवनसाथी से ऊंची आवाज में और अभद्र भाषा में बातचीत न करें, क्योंकि आप जिस तरह का व्यवहार करते हैं आप का बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार करता है. अगर आप दोनों एकदूसरे का सम्मान करेंगे और एकदूसरे की भावनाओं का खयाल रखेंगे, तो बच्चे में भी वही सोच विकसित होगी.      

कर डालिए जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज

आज की भागमभाग वाली जिंदगी में इंसान सब कुछ होते हुए भी कभीकभी नितांत अकेलापन महसूस करता है. चिंता, अवसाद व तनाव से घिर कर वह अनेक प्रकार की बीमारियों से जकड़ा जा रहा है. हर समय मोबाइल पर बतियाना या एस.एम.एस. करना दिनचर्या का अभिन्न अंग बनता जा रहा है. ऐसे में यदि मोबाइल के सिमकार्ड की वैलिडिटी खत्म हो जाए तो व्यक्ति खुद को असहाय व सब से कटा हुआ महसूस करता है. सिमकार्ड से कई गुना अधिक जीवन का मोल है, इसलिए जिंदगी की वैलिडिटी की चिंता ज्यादा जरूरी है. जिंदगी की वैलिडिटी बढ़ती रहे, इस के लिए हमें स्वयं ही कुछ प्रयास करने पड़ेंगे. मसलन:

गमों को कहें अलविदा

समाजसुधारक दयानंद का कहना है कि इंसान खुद ही अपनी जिंदगी के सुखदुख का जिम्मेदार होता है, तो क्यों न हर समय गमों या दुख के समय को याद करने के बजाय सुख वाले समय को याद करें. इस से मनोबल बढ़ेगा, मन हलका रहेगा. यदि कोई समस्या आए भी तो उस का उचित हल ढूंढ़ें, न कि उस से चिंतित हो कर मन को गमगीन बना लें. यदि मन हमेशा पिछली बातों, दुखों या गमों से घिरा रहेगा तो आने वाली खुशियों का स्वागत नहीं कर पाएगा. अत: कंप्यूटर की भाषा में गमों को सदैव डिलीट करते चलें और खुशियों को सेव. यदि अच्छा समय सदैव नहीं रहता तो बुरा समय भी बीत जाएगा.

दोस्ती को डाउनलोड करें

दोस्ती एक ऐसा अचूक मंत्र है, जिस से समस्याएं कभीकभी चुटकी बजाते हल हो जाती हैं. अत: ऐसे दोस्तों की संख्या बढ़ाएं, जो सुखदुख में आप के भागीदार बन सकें. दोस्ती से प्यार बढ़ता है तो जीवन में बहार बनी रहती है. प्यार, उत्साह, उमंग तीनों ही प्रवृत्तियां दोस्ती में ही पनपती हैं. शुष्क व नीरस जीवन भारी लगने लगता है. अत: अच्छे व सच्चे मित्रों की संख्या बढ़ाएं, जो सही माने में आप के हितैषी हों.

रिश्तों को रीचार्ज करते रहें

रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या पारिवारिक, उस को प्यार से सींचना होता है. यदि रिश्तों में स्वार्थभाव हो तो उन के चरमराने में देर नहीं लगती. अत: समयसमय पर अपने रिश्तों को रीचार्ज करते रहें, जिस से मन में आई दूरियां व गलतफहमियां दूर होती रहें. रिश्तों में यह उम्मीद कतई न करें कि दूसरा ही पहल करे. स्वयं भी पहल करें. प्यार को सीमित करने से घुटन होने लगती है.

भाषा पर नियंत्रण रखें

बातचीत करते समय शब्दों का प्रयोग सोचसमझ कर करें. हो सके तो मीठे वचन बोलें, रहीम ने क्या खूब कहा है-

रहिमन मीठे वचन ते

सुख उपजत चहुं ओर

वशीकरण एक मंत्र है

तज दे वचन कठोर.

कहा भी गया है कि तलवार का घाव भर जाता है, शब्दों का नहीं. कड़वी बात भी यदि शालीनता से बोली जाए तो बुरी नहीं लगती. अत: वाणी में सदैव शीतलता व मधुरता बनाए रखें. आप का मन भी खुश रहेगा व सुनने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

कबीरदास ने कहा भी है-

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय,

औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय.

मीठी व मधुर भाषा में बात करने से बिगड़े काम भी कभीकभी आसानी से बन जाते हैं.

मुसकराहट को करें इनबौक्स

हंसनेमुसकराने की क्रिया इंसान के ही पास है तो क्यों न मुसकराने की आदत डालें. यदि आप मुसकराते हैं, तो सामने वाला भी प्रत्युत्तर में मुसकराएगा. परंतु रोते हुए या मायूस चेहरे से सभी दूर भागते हैं, कोई उस का साथ नहीं देता. सभी को मुसकराता चेहरा ही अच्छा लगता है. तो क्यों न हंसने व दूसरों को हंसाने की आदत अपनाएं.

नफरत व दुश्मनी को करें इरेज

जहां तक हो सके किसी के लिए भी मन में नफरत व दुश्मनी की भावना न पनपने दें. इस भावना से दूसरे का कम, आप का मन ज्यादा दूषित होगा. मन विकारग्रस्त होगा तो नकारात्मकता आएगी, जिस से आप का तन भी प्रभावित होगा. आप की कार्यक्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और फिर नफरत से नफरत को कभी मिटाया नहीं जा सकता. उस को मिटाने के लिए प्यार के शस्त्र की जरूरत पड़ती है. अगर किसी से दोस्ती नहीं रख सकते तो कबीर की राह पर चल कर किसी से दुश्मनी भी न रखें-

कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सब की खैर

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर.

प्यार की करें इनकमिंग

अपने मन में प्यार की भावना विकसित करें, फिर देखें कैसे आप का तनमन प्रफुल्लित रहता है और फिर प्यार की भाषा तो हर कोई समझता है.

कबीरदास के शब्दों में-

पोथी पढ़पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय

ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय.

गुस्से या क्रोध को रखें होल्ड

प्लूटार्क ने कहा है, ‘क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल कर अंदर से दरवाजा लौक कर लेता है.’ क्रोध में मनुष्य सोचनेसमझने की शक्ति खो देता है. जिस किसी पर क्रोध आए उस के सामने से हट जाएं. किसी काम में लग जाएं या 1 गिलास पानी पिएं. क्रोध को होल्ड करने के लिए जेफासन ने कहा है, ‘यदि आप क्रोध में हैं, तो बोलने से पूर्व 10 तक गिनें. यदि अत्यधिक क्रोधित हैं तो 100 तक गिनें. साथ ही, अपने मन में यह संकल्प दोहराएं कि मुझे शांत रहना है, क्रोध नहीं करना है. निश्चित तौर से आप को चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेंगे.’ सेनेका ने भी कहा है, ‘क्रोध की सर्वोत्तम औषधि है विलंब.’

परिवर्तनों को कहें वैलकम

परिवर्तन प्रकृति का नियम है. यदि परिवर्तन न हों तो जिंदगी नीरस हो जाएगी. परिवर्तनों के अनुरूप चलने वाले व्यक्ति जीवन में दुखी नहीं रहते. जो इंसान इन परिवर्तनों को खुशीखुशी स्वीकार कर लेता है, वह कई प्रकार के सुखों को अपने साथ जोड़ लेता है. परिवर्तन को स्वीकारने वाला व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में अपेक्षाकृत अधिक आगे बढ़ता है.

महत्त्वाकांक्षी बनें

सुखी व संतुलित जीवन जीने के लिए अपने जीवन में छोटेछोटे लक्ष्य तय करें, फिर इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्त्वाकांक्षी बनें. एक बार जो भी मन में ठान लें, उसे पूरा करने में जीजान से जुट जाएं. फिर चाहे अपना खुद का घर खरीदना हो या कार. जरूरत है प्रबल इच्छा की. यह प्रबल इच्छा ही महत्त्वाकांक्षा बन जाती है. हां, महत्त्वाकांक्षी बनने से पहले समय व परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपना आकलन अवश्य कर लें. आचार्य श्री राम शर्मा ने कहा है कि परिस्थिति एवं योग्यता के विपरीत महत्त्वाकांक्षा रखने वाला मनुष्य हमेशा दुखी रहता है. तो कर ही डालिए जल्दी से अपनी जिंदगी का मोबाइल रीचार्ज.

मैरिड लाइफ की इस प्रौब्लम से पाएं छुटकारा

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है, क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सेक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है. इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है, जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सेक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं, जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें, क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है. जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं. आमतौर पर 1 से 2% महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. अत: यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रांड बदलने को कहें. इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इसके कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

दोस्ती करें और ब्रेकअप फीवर से बचें

अकसर ब्रेकअप के बाद प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे को भूलने के लिए हर फंडा अपनाते हैं. एकदूसरे को सोशल साइट्स पर ब्लौक करते हैं. वैसी जगहों पर जाना छोड़ देते हैं जहां उन के पार्टनर आते हैं. कुछ तो कौमन फ्रैंड्स से भी दूरी बना लेते हैं ताकि उन्हें ब्रेकअप का कारण न बताना पड़े.

पर कभी ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती करने के बारे में नहीं सोचते, जबकि ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती रखना  न केवल फायदेमंद होता है, बल्कि यह आप को मानसिक रूप से भी सबल बनाता है, जिस से आप खुश रहते हैं और डिप्रैशन से बाहर निकलते हैं.

क्यों पसंद नहीं करते दोस्ती करना

आमतौर पर ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना इसलिए पसंद नहीं किया जाता, क्योंकि इस से साथी और उस की यादों से निकलने में काफी तकलीफ होती है, पर ब्रेकअप के बाद आपस में दोस्ती का रिश्ता रख कर आप एकदूसरे की मदद कर सकते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है बल्कि इस से यह स्पष्ट होता है कि आप के दिल में एकदूसरे के प्रति कोई गलत धारणा नहीं है.

बौलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण ने अपने ऐक्स बौयफ्रैंड रणवीर कपूर से ब्रेकअप के बाद भी बहुत ही प्यारा और दोस्ताना रिश्ता रखा है. दीपिका की कई बातें ब्रेकअप के बाद मूवऔन करना और अपने ऐक्स के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना सिखाती हैं. पर्सनल बातों को किनारे रखते हुए प्रोफैशनली दीपिका ने रणवीर कपूर के साथ फिल्म साइन की और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी सराहा. इस बात से पता चलता है कि हमें प्यार और काम में कैसे बैलेंस बना कर रखना चाहिए. अगर आप और आप का ऐक्स एक ही जगह पढ़ते या काम करते हैं तो अपने काम को कभी भी रिश्ते की खातिर इग्नोर न करें और न ही ब्रेकअप को खुद पर हावी होने दें.

बौलीवुड कपल्स जिन्होंने ब्रेकअप के बाद भी निभाई दोस्ती

रणवीर दीपिका

रणवीर और दीपिका की दोस्ती को बौलीवुड सलाम करता है. ब्रेकअप के बाद दोस्ती के रिश्ते को मैंटेन रखना कोई इन से सीखे.

अनुष्का रणबीर

रणबीर सिंह और अनुष्का शर्मा ने अपनी पहली फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ के बाद एकदूसरे को डेट करना शुरू कर दिया था. लेकिन इन का यह रिश्ता बहुत समय तक चल नहीं पाया और ब्रेकअप हो गया. ब्रेकअप के बाद ये कुछ समय के लिए एकदूसरे से दूर थे, लेकिन फिर दोनों ने दोस्ती कर ली.

शिल्पा अक्षय

90 के दशक में इन की हिट जोड़ी थी, लेकिन कुछ समय बाद ये अलग हो गए और अक्षय ने टिंवकल से शादी कर ली और शिल्पा ने राज कुंदरा में प्यार ढूंढ़ लिया, लेकिन आज भी दोनों अच्छे दोस्त की तरह मिलते हैं.

ऋषि डिंपल

रणवीर ने दीपिका से ब्रेकअप के बाद दोस्ती काफी अच्छे से बरकरार रखी. आखिरकार इतने अच्छे से मैनेज करना उन्होंने अपने पापा से सीखा है. ऋषि कपूर ने भी एक जमाने में डिंपल कापडि़या के साथ दोस्ती मैंटेन की थी.

क्या न करें

सोशल प्लेटफौर्म न छोड़ें

अकसर ऐसा होता है कि ब्रेकअप के बाद हम सोशल प्लेटफौर्म छोड़ देते हैं, अकाउंट डिऐक्टिवेट कर देते हैं या फिर पार्टनर को ब्लौक कर देते हैं. ऐसे में सोशल साइट्स पर बने रहें, लेकिन वहां अपने इमोशंस को ज्यादा पोस्ट न करें.

इंसल्ट करने की गलती न करें

ब्रेकअप की वजह से हम इतने तनाव में आ जाते हैं कि हम क्या करते हैं, हमें खुद भी पता नहीं होता, इसलिए इंसल्ट करने की गलती न करें. अगर आप ऐसा करती हैं तो नुकसान आप का ही है.

इमोशनल ब्लैकमेल न करें

युवतियां ब्रेकअप के बाद काफी इमोशनल ब्लैकमेल करती हैं, बारबार फोन पर रोती हैं. इस तरह की हरकत न करें. ऐसा करने से पार्टनर को लगने लगता है कि अगर वह आप के टच में रहेगा तो उसे हमेशा आप का यह ड्रामा झेलना पड़ेगा.

ब्रेकअप के बाद न दिखाएं पजैसिवनैस

कुछ युवतियां जब तक रिलेशन में होती हैं तब तक वे रिलेशन को तवज्जो नहीं देतीं, लेकिन जैसे ही ब्रेकअप होता है वे पजैसिव बनने लगती हैं, अजीबअजीब हरकतें करने लगती हैं और दोस्ती बरकरार रखने का मौका खो देती हैं.

शहर व जौब न छोड़ें

ब्रेकअप के बाद अकेलापन लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता. ऐसे में कुछ तो जौब छोड़ देते हैं या फिर शहर बदल लेते हैं ताकि सबकुछ भूल जाएं. लेकिन ऐसा करना समस्या का हल नहीं है. ऐसा कर के आप खुद का भविष्य खराब करते हैं.

अवौइड करने की भूल न करें

ब्रेकअप के बाद आप पार्टनर को अवौइड न करें. ऐसा न करें कि जहां आप का पार्टनर जा रहा हो, आप वहां सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दें कि वहां आप का ऐक्स बौयफ्रैंड भी आ रहा है. अवौइड कर के आप लोगों को बातें बनाने का मौका देती हैं.

क्या करें

मिलें तो नौर्मल बिहेव करें

ब्रेकअप के बाद जब पार्टनर से मिलें तो नौर्मल बिहेव करें, ऐसा न हो कि आप उसे हर बात पर पुरानी बातें याद दिलाते रहें, कहते रहें कि पहले सबकुछ कितना अच्छा था, हम कितनी मस्ती करते थे और आज देखो, हमारे पास बात करने के लिए भी कुछ नहीं है. ऐसा भी न करें कि ब्रेकअप के बाद मिलें तो ओवर ऐक्साइटेड बिहेव करें, यह दिखाने के लिए कि आप पहले से ज्यादा खुश हैं, बल्कि ऐसे रहें जैसे आप अपने बाकी फैं्रड्स के साथ रहती हैं.

चिल यार का फंडा अपनाएं

ब्रेकअप के बाद खुद को स्ट्रौंग रखने के लिए चिल यार का फंडा अपनाएं. आप सोच रही होंगी कि चिल यार का फंडा क्या है? चिल यार का फंडा है जैसे अपना मेकओवर करवाएं, फ्रैंड्स के साथ पार्टी करें, वे सारी चीजें करें जो आप रिलेशनशिप की वजह से नहीं कर पाती थीं.

अपनी तरफ से दें फ्रैंडशिप प्रपोजल

भले ही सामने वाला आप से फ्रैंडशिप रखने में रुचि न दिखाए, लेकिन आप फिर भी खुद से फ्रैंडशिप का प्रपोजल दें. आप के व्यवहार को देख कर सामने वाला भी आप से दोस्ती बरकरार रखेगा.

एक सीमा तय करें

ब्रेकअप के बाद की दोस्ती में एक दायरा तय करें, क्योंकि पहले की बात कुछ और थी. अब चीजें बदल चुकी हैं. अब आप दोनों दोस्त हैं. ऐसा न हो कि आप के बीच का रिश्ता तो खत्म हो गया है लेकिन इस के बाद भी आप के बीच कभी शारीरिक संबंध बन जाएं. इसलिए एक दायरा तय करें. अगर आप ने तय किया है कि दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे तो इस रिश्ते की गरिमा को बना कर रखें.

मैरिड लाइफ से जुड़ी समस्या का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीय विवाहिता हूं. सहवास के दौरान पति यौनांग में चिकनाहट के लिए किसी वाटरबेस्ड क्रीम का नाम जानना चाहते हैं. वे तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते. कृपया बताएं कि कौन सी क्रीम प्रयोग में सही रहेगी?

जवाब-

आप के पति को आवश्यक लगता है तो वे कोई भी गोल्ड क्रीम लगा सकते हैं. कुछ क्रीम उत्तेजना को भी बनाए रखती हैं.

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प्यार के महकते फूल को बचाए रखने के लिए यह जरूरी है कि बैडरूम को कुरुक्षेत्र नहीं, बल्कि प्रणयशाला बनाया जाए और इस के लिए यह बेहद जरूरी है कि बैडरूम लव की ए टु जैड परिभाषा को कायदे से जाना जाए. तो फिर चलिए प्रणयशाला की क्लास में:

1. अटै्रक्ट-आकर्षित करना

अपने साथी को आकर्षित करना ही प्रणयशाला का प्रथम अक्षर है. पत्नी को चाहिए कि वह पति के आने से पहले ही अपने काम निबटा कर बनावशृंगार कर ले और पतिदेव औफिस के काम का बोझ औफिस में ही छोड़ कर आएं.

2. ब्यूटीफुल-सुंदर

सुंदरता और आकर्षण सिक्के के 2 पहलू हैं. हर सुंदर चीज अपनी ओर देखने वाले को आकर्षित करती ही है, इसलिए शादी के बाद बढ़ते वजन पर लगाम लगाएं और ब्यूटीपार्लर जा कर अपनी सुंदरता को फिर से अपना बनाएं ताकि आप की सुंदरता को देख कर उन्हें हर दिन खास लगे.

3. चेंज-बदलाव

अगर जिंदगी एक ही धुरी पर घूमती रहे तो बेमजा हो जाती है. इसलिए अपनी सैक्स लाइफ में भी थोड़ा चेंज लाएं. मसलन, प्यार को केवल बैडरूम तक ही सीमित न रख कर एकसाथ बाथ का आनंद लें और अगर जौइंट फैमिली में हैं तो चोरीछिपे उन्हें फ्लाइंग किस दें, कभी अपनी प्यार की कशिश का चोरीछिपे आतेजाते एहसास कराएं. यकीन मानिए कि यह प्यार की लुकाछिपी आप की नीरस जिंदगी को प्यार से सराबोर कर देगी.

4. डेफरेंस-आदर

पतिपत्नी को चाहिए कि वे एकदूसरे को उचित मानसम्मान दें. साथ में एकदूसरे के परिवार का भी आदर करें, क्योंकि जिस दर पर आदर व कद्र हो, प्यार भी वहीं दस्तक देता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- इन 26 टिप्स से बढ़ाएं पति-पत्नी का प्यार

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ससुराल या मायका, बेटी का घर आखिर कहां

नीलम के पति की अचानक मृत्यु से वह अपने दोनों छोटे बच्चों के साथ अकेली रह गई. बेटे की मृत्यु के बाद ससुराल वाले आ कर कुछ दिन ठीकठाक रहे, उस के बाद सास और नीलम के साथ रोजरोज किसी न किसी बात को ले कर कहासुनी होने लगी. इस में उस की छोटी ननद भी मां के साथ मिल कर भलाबुरा कहने लगी. इस से बचने के लिए नीलम ने अपने पति की कंपनी में नौकरी की तलाश की और उसे नौकरी मिल गई, पर सास के ताने कम नहीं हुए, उन का कहना था कि भले ही तुम नौकरी करती हो, लेकिन घर का काम नहीं करती. मेरे लिए बच्चों की देखभाल करना और खाना बनाना संभव नहीं.

तब नीलम ने खाना बनाने वाली और घर के सारे कामों के लिए एक नौकरानी रख दी पर इस से भी सास संतुष्ट नहीं हुई क्योंकि वह अच्छा खाना नहीं बनाती. समस्या तो उस दिन हुई जब सास और ननद ने नीलम को अपने मायके जाने के लिए कह दिया. नीलम का कहना था कि मां के घर से उस का औफिस काफी दूर है, ऐसे में वहां जा कर रहना संभव नहीं और यह घर भी तो उस का है.

इस पर सास ने तुरंत कहा कि नहीं इस में तुम्हारा नाम नहीं है और तुम्हारे ससुर ने पैसा दिया था, इसलिए बेटा और पिता ने इसे तुम्हारी शादी से पहले खरीदा है, इसलिए तुम्हारा नाम नहीं है. इस पर नीलम ने कहा कि मैं तो उन की पत्नी हूं और कानूनन मेरा हक है.

इस पर सास ने कहा कि ठीक है, कानून की सहायता से लड़ लो क्योंकि पहले तुम ने ससुर की डैथ के बाद मुझे और मेरी बेटी को अपने पास नहीं रखा, मैं विवश हो कर अलग रही, लेकिन अब तुम भी उसी रास्ते पर हो, जहां पर मैं आज से कुछ साल पहले से हूं. तब नीलम को लगने लगा कि वह इस घर में नहीं रह सकती. शांति के लिए उसे घर छोड़ना पड़ेगा.

नीलम ने पिता को फोन कर अपनी बात बताई और बच्चों के साथ रहने चली गई. वहां भी कुछ दिनों तक ठीक था, लेकिन भाई और भाभी के आते ही कभी खाना तो कभी बच्चों को ले कर कहासुनी होने लगी. एक दिन नीलम ने अपनी सहेली को सारी बातें बताईं, तो सहेली ने उसे अलग किराए का घर ले कर रहने की सलाह दी, लेकिन बच्चों को छोड़ कर वह औफिस कैसे जाएगी? उस के पूछने पर सहेली ने उसे डे केयर में बच्चे को रखने की सलाह दी.

नीलम ने वैसा ही किया और एक नौकरानी भी कुछ समय के लिए रख ली. ऐसे में नीलम जितना कमाती थी, उतना उस के लिए काफी नहीं था. अत: रात में कुछ डाटा जैनरेटिंग का काम भी शुरू कर दिया क्योंकि वह अब कानून के पचड़े में नहीं पड़ना चाहती और बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने लगी.

इस से यह पता चलता है कि अगर लड़की की शादी हो जाने पर किसी एक को किसी कारण से सूटकेस ले कर बाहर निकलना पड़े तो वह व्यक्ति खाली हाथ ही बाहर निकलता है, उस के रहने की जगह न तो मायके में होती है और न ही ससुराल में. हालांकि ऐसा अधिकतर महिलाओं के साथ होता है, लेकिन कई पुरुषों को भी ऐसी नौबत आती है, अगर घर पत्नी के नाम हो क्योंकि आजकल अधिकतर युवा खुद के नाम से घर न खरीद कर पत्नी के नाम से खरीदते हैं. इस की वजह सरकारी स्टैंप ड्यूटी का कम लगना, टैक्स में कमी, लोन की ब्याज दर में कमी आदि कई सुविधाएं हैं.

अगर पतिपत्नी दोनों काम करते हों तो दोनों को अलगअलग टैक्स में भी राहत मिलती है. इस के अलावा कई शहरों में स्टैंप ड्यूटी में कमी होती है, मसलन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा आदि कई शहरों में महिला के नाम प्रौपर्टी खरीदने पर 1 से 2% की छूट मिलती है, लेकिन दोनों के बीच अधिक झगड़े होने पर इसे खुद के नाम से करवाना पति के लिए समस्या हो जाती है.

समझें पार्टनर की नियत

नीलम के अलावा आशा भी ऐसी ही समस्या की शिकार हुई. 10 साल परिचय के बाद उस ने अपने बौयफ्रैंड के साथ शादी की. आशा दूसरे शहर से मुंबई आ कर पेइंग गैस्ट में रहती थी क्योंकि उस की पोस्टिंग मुंबई में थी.

एक दिन आशा अपने पुराने साथी विमल से मौल में मिली क्योंकि वह मुंबई का लड़का था. पहले तो वह हैरान हुई, पर बाद में बातचीत गहरी होने लगी, दोस्ती प्यार में बदल गई तो दोनों ने शादी की और मुंबई में एक छोटा फ्लैट खरीद कर रहने लगी.

कुछ दिनों तक सब ठीक चला, लेकिन आशा की बेटी जब 6 महीने की हुई, तो दोनों के बीच काम और बेटी की देखभाल को ले कर झगड़ा होने लगा. रोजरोज की चिकचिक से परेशान हो कर आशा अपने 6 महीने की बेटी को ले कर अलग हो गई. वह मायके न जा कर आसपास एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगी.

सुबह भागदौड़ कर वह बेटी का टिफिन बना कर बेटी को मां के पास छोड़ती और शाम को वापस आते वक्त बेटी को घर ले आती थी. आशा ने इस में सब से पहले लोन ले कर एक छोटा फ्लैट खरीदा और वहां रहने लगी, इस के बाद उस ने कभी मुड़ कर नहीं देखा. आज उस की बेटी 20 साल की हो चुकी है.

बढ़ी है महिलाओं की आत्मनिर्भरता

एक सर्वे में यह भी पाया गया है कि महिलाएं आज खुद के नाम से प्रौपर्टी खरीदने में काफी उत्सुक रहती हैं क्योंकि वे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होती हैं. इस में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की घर खरीदारी में वनफिफ्थ की बढ़ोतरी हुई है. रियल स्टेट अब केवल पुरुषप्रधान ही नहीं रहा, बल्कि 30% महिलाएं शहरों में घर खरीद रही हैं.

रियल स्टेट के सीनियर कर्मचारी श्वेता बताती है कि आजकल महिलाएं एक अच्छी नौकरी या व्यवसाय में होती हैं और वे कार से पहले अपने नाम का घर खरीदना चाहती हैं. यह ऐज ग्रुप 25 से 34 की होता है. इस दिशा में घर की खरीदारी अधिक बढ़ने की वजह महिलाओं का अपने लिए एक सुरक्षित जीवन निश्चित करना है.

मुंबई में बिल्डर्स भी अकेले रहने वाली महिलाओं के लिए नईनई स्कीम्स निकालते हैं, जहां सुरक्षा और आराम को प्राथमिकता दी जाती है.

परिवारों का शिक्षित होना जरूरी

इस बारे में मुंबई की एडवोकेट बिंदु दूबे बताती हैं कि शादी से पहले एकदूसरे का परिवार कितना शिक्षित है यह देखना जरूरी है क्योंकि शिक्षित परिवार की सोच बदलने की संभावना रहती है. इस के अलावा दोनों परिवारों के बीच में यह समझता होना चाहिए कि वे दहेज लेने और देने पर विश्वास नहीं करते क्योंकि कई बार लड़के भी मातापिता के आगे बोल नहीं पाते. जबकि लड़कों को मजबूती से कुछ गलत होने पर पेरैंट्स का विरोध करना जरूरी होता है.

इस से लड़की की शादी के समय कुछ ऐसी स्थिति हो जाती है, जिस में वह पिता को असम्मानित, विवश होते हुए देखती है. वह तब चुप रह कर सहती है, लेकिन उस के मन में ये बातें बैठ जाती हैं. इस कटुता को वह शादी के बाद कैसे बाहर निकाले. इस से परिवार में कहासुनी होने लगती है.

इसलिए दहेज न देने और न ही लेने को शादी से बहुत पहले ही सुनिश्चित कर लें हालांकि कई बार सबकुछ देखने के बाद भी गलत हो सकता है, लेकिन जहां तक हो सके दोनों परिवार में पारदर्शिता होनी चाहिए. लड़के के अलावा परिवार के शिक्षित होने पर परिवार की सोच और आदतें अच्छी होने का अंदेशा रहता है.

एकदूसरे से झठ न बोलें

ऐडवोकेट बिंदु आगे कहती हैं कि मेरे पास ऐसे कई केसेज डोमैस्टिक वायलैंस के आते हैं, जिन का हल अभी तक नहीं हो पाया. पहले से एकदूसरे के बारे में जानकारी होने पर भी बाद में खटपट चलती रहती है, दोनों परिवारों के बीच आरोपप्रत्यारोप का दौर चलता रहता है. परिवारों का आपसी मेलमिलाप से बेटी और बेटे के पेरैंट्स को एकदूसरे के रहनसहन का पता चलता है. शादी से पहले लड़के को अपने घर की स्थिति को बिना छिपाए लड़की को बता देना उचित होता है. दोनों में एकदूसरे के साथ तालमेल बैठाने में समय लगता है. इस में सब से जरूरी शिक्षा है, जिस के द्वारा आपसी तालमेल बैठाना संभव होता है.

बेटी की शादी कर देने से पहले कुछ और बातों पर ध्यान देने की जरूरत है:

– कम पढ़ेलिखे, शादी न करने वाली और अनपढ़ बेटियों के पेरैंट्स को बेटी के नाम कुछ प्रौपर्टी का हिस्सा लिख देना आवश्यक है क्योंकि आजकल की बहुत सारी पढ़ीलिखी लड़कियां शादी नहीं करतीं. कानूनन बेटी को पेरैंट्स की प्रौपर्टी का अंश मिलता है, लेकिन आज के अधिकतर पेरैंट्स बेटे को अपनी सारी प्रौपर्टी दे देते हैं. उन का मानना है कि बेटी की शादी करवाने में खर्च करना पड़ता है, इसलिए उन की शिक्षा पूरी नहीं करवाते, उन की इच्छा के अनुरूप काम करने नहीं देते, जबकि बेटे को हायर ऐजुकेशन देने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं. इस सोच की वजह से बेटी के ससुराल वालों को लगता है कि उन के घर से निकलने के बाद वह लड़की दरदर भटकेगी. इसलिए पेरैंट्स को चाहिए कि लड़कियों को कुछ प्रौपर्टी उन के नाम कर देनी चाहिए.

– पहली अनबन दहेज से ही शुरू होती है, जिस का अंत अभी तक नहीं हो पाया. यह एक गलत कुचक्र है. आज अशिक्षित बेटी की शादी नहीं होती, भले ही घर में बैठना पड़े पर ससुराल पक्ष को लड़की पढ़ीलिखी होनी चाहिए.

– लड़की अधिक लालची नहीं होनी चाहिए. पेरैंट्स के द्वारा दी गई संपत्ति को कई बार पति के कहने पर बेचने के लिए राजी हो जाती है. यह एक आश्चर्य की बात है कि आज भी अधिकतर लड़कियों को अपने कानूनी हक का पता नहीं होता. परिवार और समाज की सोच में बदलाव अभी ट्रांजिशन पीरियड में है.

उठाती है गलत फायदे

बिंदु का कहना है कि इस में नुकसान भी है, कुछ लड़कियां जिन्हें कानून की जानकारी है, वे चुपचाप निकल पाती हैं, कुछ जान कर भी घर से नहीं जातीं क्योंकि वे रिश्ते और बदनाम से डरती हैं. जबकि कुछ लड़कियां इस कानून का गलत फायदा उठाती हैं, मेरे पास कई पति ऐसे भी आए, जो पत्नियां कानून का गलत इस्तेमाल कर पति के घर पर कब्जा कर लेती है और पति बाहर रहने पर मजबूर होता है. सासससुर भी वहां नहीं रह सकते.

असल में यहां सही बैलेंस का होना जरूरी है, जिस में बच्चों की सही परवरिश, उन के साथ खुल कर बातचीत करना आदि. बेटियों को पता होना चाहिए कि पति उन का बैंक बैलेंस नहीं, उन्हें भी कमाना है. केवल चूल्हेचौके पर काम करना उन का जीवन नहीं. शिक्षित हो कर काम करना और आत्मनिर्भर बनना ही उन के जीवन की पूंजी है. केवल पारिवारिक झगड़े ही नहीं, बल्कि पति की अचानक मृत्यु के बाद उन्हें कौन देखेगा? शिक्षा और रोजगार के समुचित अवसर दोनों को ही मिलने चाहिए.

नई मैरिड लाइफ की प्रौब्लम को लेकर सुझाव दें?

सवाल-

मैं 24 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 2 महीने हुए हैं. सुहागरात को मुझे सहवास के दौरान थोड़ा दर्द तो हुआ पर रक्तस्राव नहीं हुआ. मैं ने कभी किसी से संबंध बनाना तो दूर किसी लड़के से मित्रता तक नहीं की. फिर रक्तस्राव क्यों नहीं हुआ? पति ने तो कुछ नहीं कहा पर मुझे स्वयं हैरत हो रही है कि ऐसा कैसे हो सकता है. मेरी 2 सहेलियों का मुझ से पहले विवाह हुआ था. दोनों ने ही बताया था कि प्रथम सहवास के दौरान उन्हें रक्तस्राव हुआ था. फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ?

जवाब-

प्रथम समागम के दौरान आप को रक्तस्राव नहीं हुआ तो यह कोई अनहोनी घटना नहीं है, जिस से आप इतनी चिंतित हैं. कई बार दौड़नेभागने, उछलनेकूदने, साइकिल चलाने या गिरने से कौमार्य झिल्ली फट जाती है. हो सकता है आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ हो. अत: इस प्रसंग को भुला दें. आप की नईनई शादी हुई है. अत: बेकार की चिंता छोड़ कर नववैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद उठाएं.

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दिल्ली के दीपक का मानना है कि शारीरिक संबंध तभी बनाया जाए जब इस की भूख हो. भावना और प्यार की इन की सोच में कहीं जगह नहीं है.

ऐसा अकसर देखने में आता है कि पतिपत्नी सहवास के दौरान एकदूसरे की इच्छा और भावना को नहीं समझते. वे बस एक खानापूर्ति करते हैं. लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि खानापूर्ति से सैक्सुअल लाइफ तो प्रभावित होती ही है, पतिपत्नी के संबंधों की गरमाहट भी धीरेधीरे कम होती जाती है. ऐसा न हो इस के लिए प्यार और भावनाओं को नजरअंदाज न करें. अपने दांपत्य जीवन में गरमाहट को बनाए रखने के लिए आगे बताए जा रहे टिप्स को जरूर आजमाएं.

1. पत्नी की इच्छाओं को समझें

सागरपुर में रहने वाली शीला की अकसर पति के साथ कहासुनी हो जाती है. शीला घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल वगैरह से अकसर थक जाती है, लेकिन औफिस से आने के बाद शीला के पति देवेंद्र उसे सहवास के लिए तैयार किए बिना अकसर यौन संबंध बनाते हैं. वे यह नहीं देखते कि पत्नी का मन सहवास के लिए तैयार है या नहीं.

सैक्सोलौजिस्ट डा. कुंदरा के मुताबिक, ‘‘महिलाओं को अकसर इस बात की शिकायत रहती है कि पति उन की इच्छाओं को बिना समझे सहवास करने लगते हैं. लेकिन ऐसा कर के वे केवल खुद की इच्छापूर्ति करते हैं. पत्नी और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. आगे चल कर इसी बात को ले कर आपसी संबंधों में कड़वाहट पैदा होती है.

‘‘पति को चाहिए कि सैक्स करने से पहले पत्नी की इच्छा को जाने. उसे सैक्स के लिए तैयार करे. तभी संबंधों में गरमाहट बरकरार रहती है.’’

पूरी खबर पढ़ने के लिए- कैसे बनाएं सुखद मैरिड लाइफ, ये टिप्स जरूर आजमाएं

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