मनचाहा फिगर पाएं ऐसे

महिलाओं में जिम आज फैशन स्टेटस बन गया है. पहले जहां महिलाएं खुद को स्लिम रखने के लिए डाइटिंग आदि करती थीं, वहीं आज जिम की तरफ रुख कर रही हैं. जिम में वे तरहतरह के व्यायाम कर के खुद को स्लिम व सैक्सी बना रही हैं.

दिल्ली के ‘जी जिम’ के टे्रनर राज जुगल बताते हैं, ‘‘जिम में कुछ लड़कियां वजन कम करने आती हैं, तो कुछ शरीर के किसी खास अंग की चरबी घटाने के लिए. उन्हें उन की बौडी के अनुसार व्यायाम बताया जाता है और साथ ही डाइट प्लान भी दिया जाता है, जिसे फौलो करने पर बौडी शेप में आती है. जिम में वेट लिफ्टिंग, साइक्लिंग, टे्रडमिल, कार्डियो, स्टै्रचिंग, ट्विस्टर, क्रौस टे्रनर, बैंच प्रैस, ऐब्डोमन आदि व्यायाम कराए जाते हैं.’’

आप भी जिम जौइन कर अपने मोटापे को कम कर परफैक्ट बौडीशेप दे सकती हैं. आइए जानें कैसे:

सैक्सी थाइज

अगर आप की थाइज बहुत ही मोटी हैं, तो आप कार्डियो ऐक्सरसाइज कर के अपनी थाइज को सही शेप में ला सकती हैं. कार्डियो में टे्रडमिल, साइक्लिंग व क्रौस टे्रनर करवाया जाता है. टे्रडमिल पर हर दिन 20 मिनट दौड़ने से थाइज कम होती हैं. रोइंग मशीन पर ऐक्सरसाइज करने से आप की थाइज, पेट और कूल्हों की अतिरिक्त चरबी कम हो जाती है. बैठ कर साइकिल चलाने से थाइज कम होती है तो खड़े हो कर व आगे झुक कर हैंडल पकड़ कर चलाने से थाइज व लोअर टमी कम होती है.

अगर आप के पैर पतले हैं और आप उन्हें मोटा करना चाहती हैं तो स्क्वैट लैग और लैग ऐक्सटैंशन ऐक्सरसाइज करें.

जीरो साइज कमर

दिल्ली के ही ‘बिग बौडी एम’ जिम के टे्रनर आशीष कुमार बताते हैं, ‘‘कमर के आसपास जमी चरबी को कम करने के लिए ट्विस्टर करवाया जाता है. इस से बौडी के निचले हिस्से का फैट कम होता है और बौडी में फ्लैक्सिबिलिटी आती है. कमर की साइड का फैट कम करने के लिए डंबल साइड वेट ऐक्सरसाइज करवाई जाती है. इस में एक हाथ में डंबल पकड़ कर डंबल वाली साइड की तरफ झुका जाता है. एक साइड में ऐसा 20-25 बार करने के बाद इसे दूसरी साइड में दोहराएं. इस तरह से इस के 2-3 सैट करने से कमर शेप में आ जाती है.’’

फ्लैट बैली

जब बौडी का मैटाबोलिज्म घटने लगता है तब बैली फैट बढ़ने लगता है. बैली फैट को कम करने के लिए कार्डियो ऐक्सरसाइज, स्ट्रैंथ टे्रनिंग और स्क्वैट करवाया जाता है. रोज 15 मिनट कं्रचेस करने से भी बैली फैट कम होता है.

लोअर बौडी

लोअर स्टमक, मिडल ऐब व हिप्स को कम करने के लिए लैग रेंज किया जाता है. सिटअप्स से भी ऊपरी स्टमक शेप में आता है. इस से पेट कम होता है. पेट कम करने के लिए क्रौस क्रंच भी किया जाता है. इस के लिए लेट कर दोनों हाथों को सिर के नीचे रख कर व पैरों को ऊपर उठा कर कुहनियों से घुटनों को क्रौस करते हुए टच किया जाता है.

स्लिम आर्म्स

जिन की आर्म्स मोटी होती हैं, उन्हें क्रौस ट्रेनर करवाया जाता है. इस से आर्म्स की शेप सही हो जाती है. कुछ लड़कियों की आर्म्स काफी पतली होती हैं और वे उन्हें मोटा करना चाहती हैं. आर्म्स मोटी करने के लिए डंबल के साथसाथ वेट लिफ्टिंग, आल्टरनेट डंबल कर्ल और हैमर भी करवाया जाता है.

मसल्स टोनअप

महिलाएं 2-3 किलोग्राम के डंबल से ही शुरुआत करती हैं और जहां तक सैट की बात है, तो शुरू में 1-2 सैट ही लगाए जाते हैं. उस के बाद धीरेधीरे 3 सैट तक पहुंचते हैं. मसल्स की टोनिंग के लिए डंबल कर्ल बैस्ट है. इस में दोनों डंबल्स को एकसाथ दोनों हाथों से उठाया जाता है.

मजबूत हड्डियां

स्ट्रैंथनिंग ऐक्सरसाइज जैसे वेट लिफ्टिंग, स्टैपर, ऐरोबिक्स, जौगिंग आदि से हड्डियों को मजबूत बनाया जाता है. नियमित रूप से टे्रडमिल पर दौड़ने से भी हड्डियों की मोटाई बढ़ती है. हड्डी जितनी मोटी होगी वह उतनी ही मजबूत होगी.

सिक्स ऐब्स

लड़कों की तरह अगर आप भी सिक्स ऐब्स बनाना चाहती हैं, तो जिमिंग के द्वारा आसानी से बना सकती हैं. सिक्स ऐब्स के लिए हाफ क्रंच, फुल क्रंच, लैग रेंज, लैग राउंड और सिटअप्स कराए जाते हैं.

ब्रैस्ट

अगर आप की ब्रैस्ट के पास का हिस्सा हैवी है और आप उसे परफैक्ट शेप देना चाहती हैं, तो आप को अपने शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करना होगा. साथ ही ब्रैस्ट को शेप देने के लिए फ्लैट बैंच, इंकलाइन बैंच और बटरफ्लाई ऐक्सरसाइज करनी होगी. डंबल्स के साथ ऐक्सरसाइज करने से भी ब्रैस्ट की ऐक्सरसाइज होती है.

परफैक्ट फिगर

परफैक्ट फिगर के लिए कार्डियो ऐक्सरसाइज कराई जाती है. इस में टे्रडमिल, क्रौस ट्रैंड, वाकिंग, साइक्लिंग और रनिंग खास हैं. इन से पूरी बौडी की ऐक्सरसाइज होती है और फिगर को परफैक्ट शेप मिलती है.

चुनौती स्वीकारें, श्रेष्ठ बनें

जीवन में हर व्यक्ति का उद्देश्य शिखर तक पहुंचना होता है. युवावस्था में सभी अपना लक्ष्य निर्धारित ही नहीं करते बल्कि उसे प्राप्त करने के लिए प्रयत्न भी करते हैं. यह उम्र अनेक सपने संजोने की होती है. कोई ऐक्टर बनना चाहता है तो कोई लेखक, कोई डाक्टर तो कोई सिंगर. युवा ऐसे ही न जाने कितने सपने देखते हैं. परंतु समय बीतने के साथसाथ उन के ये सपने धुंधले हो जाते हैं और कुछ साल बाद समय के साथ समझौता करते हुए वे अपना लक्ष्य भूल जाते हैं.

जीवन के अगले पड़ाव पर वे परिस्थितियों तथा लोगों पर दोषारोपण कर के अपनी नाकामी स्वीकार करते हैं. वास्तव में यदि हम विचार करें तो हमें जीवन में जो भी उपलब्धि हासिल होती है उस का सारा श्रेय हमें ही जाता है. यदि हम सफल हैं तो उस में भी हमारा दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति का ही हाथ होता है और यदि हम असफल रहते हैं तो भी इस का कारण हम में आत्मविश्वास तथा सतत प्रयास की कमी ही होता है.

सुखदुख, उतारचढ़ाव, आर्थिक कठिनाइयां, स्वास्थ्य व पारिवारिक समस्याएं सभी के जीवन में आती हैं, लेकिन वे व्यक्ति ही श्रेष्ठ होते हैं जो चुनौतियों से हार न मान कर उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ते हैं. आइए, ऐसे ही कुछ उदाहरण हम देखते हैं :

विश्व प्रसिद्ध लेखिका हेलन केलर 2 वर्ष की भी नहीं थीं कि उन की सुनने की क्षमता तथा आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन हेलन ने परिस्थितियों को दोष देने के बजाय चुनौतियों को स्वीकारा. उन्होंने बधिर और दृष्टिहीन होते हुए भी स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

उन्होंने न केवल खुद शिक्षा प्राप्त की बल्कि श्रमिकों और महिला मताधिकार के लिए भी अभियान चलाया. हेलन ने अनेक पुस्तकें भी लिखीं. इन्हीं चुनौतियों ने उन्हें श्रेष्ठ बना दिया.

पूरी दुनिया को रोशन करने वाले एडिसन को उन के विद्यालय से मंदबुद्धि कह कर निकाल दिया गया था, पर उन की मां ने इस चुनौती को स्वीकारा और वे एक महान वैज्ञानिक बने.

बिल गेट्स का नाम कौन नहीं जानता. माइक्रोसौफ्ट की सफलता से पहले उन का व्यवसाय पूरी तरह असफल रहा था. यदि वे वहीं हार मान जाते तो क्या आज विश्व के सामने आते. मिकी माउस नाम का कार्टून कैरेक्टर बनाने वाले वाल्ट डिजनी को नौकरी से इसलिए निकाल दिया गया था कि उन में क्रिएटिविटी की कमी है.

फिजिक्स के क्षेत्र में नोबेल सम्मान प्राप्त करने वाले आइंस्टाइन 7 साल की उम्र तक पढ़ना नहीं जानते थे. उन के अध्यापक तथा परिवार के लोग उन्हें मंदबुद्धि मानते थे. ब्रिटेन के 2 बार प्रधानमंत्री रह चुके चर्चिल 62 साल की उम्र तक हर चुनाव में हारते रहे यदि वे प्रयास छोड़ देते तो क्या ऐसी प्रसिद्धि पाते?

प्रसिद्ध लेखिका जे के रौलिंग की कृति हैरी पौटर 12 पब्लिशिंग हाउस द्वारा लौटा दी गई थी. यदि वे बारबार प्रयास न करतीं तो हैरी पौटर जैसी कृति विश्व को न दे पातीं.  

डा. ममता रानी बडोला                                 

बी पौजिटिव एटिट्यूड बेहतर भविष्य के लिए जरूरी

फिल्म ‘नो एंट्री’ में अनिल कपूर का किरदार जब भी किसी मुश्किल हालात में फंसता था तो वह पैनिक होने के बजाय बी पौजिटिव कहता था. इस से उस के न सिर्फ बिगड़े काम बनते थे, बल्कि एक हास्य भी पैदा होता था. फिल्म में बी पौजिटिव के फलसफे को भले ही हंसीमजाक की चाश्नी में लपेट कर दिखाया गया हो लेकिन असल जिंदगी में अगर युवाओं को बेहतर भविष्य की कल्पना करनी है तो यही एटिट्यूड काम आता है.

युवावस्था अकसर कई तरह के भ्रम पैदा करती है, जिस से भविष्य की राह मुश्किल लगने लगती है. ऐसे में किस तरह एक बेहतर भविष्य की बुलंद इमारत के लिए सफलता की नीव रखी जाए, आइए जानते हैं :

हमेशा सकारात्मक सोचें

कहते हैं, ‘जहां चाह वहां राह.’ जीवन में सफलता का पहला फौर्मूला यही है कि आप हमेशा आशावादी रहें, क्योंकि इस नजरिए से हर कठिन काम को पलभर में हल कर सफलता हासिल की जा सकती है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए कौशल विकास के साथसाथ सकारात्मक सोच का होना भी जरूरी है. अकसर नकारात्मक रवैए के चलते आत्मविश्वास डगमगा जाता  है. जो व्यक्ति अपनी सोच व अपनी मानसिक दशा को हमेशा सकारात्मक रखता है उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. जैसे ही हमारे मन में किसी प्रोजैक्ट या फ्यूचर प्लान के लिए नैगेटिव थौट्स आने लगते हैं तो हम अपने सफल भविष्य की मंजिल से उतनी ही दूर चले जाते हैं. जीवन में आगे बढ़ने के लिए कौशल विकास के साथसाथ सकारात्मक सोच का होना भी जरूरी है. आशावादी बनें, नकारात्मक विचार कभी मन में न लाएं. नकारात्मक विचारों से आत्मविश्वास कम होता है, अत: हमेशा आशावादी दृष्टिकोण ही अपनाएं. 

जोखिम उठाने का जज्बा

नो रिस्क नो गेन यानी बिना जोखिम के कुछ भी हासिल करना संभव नहीं होता. भविष्य उस का ही संवरता है जो लीक से हट कर कुछ नया और बड़ा अचीव करने के लिए जोखिम उठाता है. लकीर के फकीर बने रहने से बेहतर और सफल भविष्य की मंजिल तक नहीं पहुंचा जा सकता.

युवा पीढ़ी क्रिएटिव को कानून के दायरे में रहते हुए जोखिम उठाने की क्षमताओं को विकसित करना होगा. एक छोटा सा जोखिम आप की सफलता में बड़ा बदलाव ला सकता है. जोखिम लेना हर किसी के बस की बात नहीं है. उस के लिए कौन्फिडैंस की जरूरत होती है. विश्वास में वह शक्ति है जिस से उजड़ी दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है.

अकसर जोखिम न लेने वाले यह तर्क देते हैं कि इस राह में फेल होने के अवसर बढ़ जाते हैं, लेकिन याद रखें असफलता का मतलब है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया. असफलता किसी काम को दोबारा शुरू करने का एक मौका देती है कि उस काम को और अच्छे तरीके से किया जाए.

जब आप यह निश्चय करते हैं कि चाहे कुछ भी हो, कितनी भी मेहनत करनी पड़े लेकिन मुझे अपना लक्ष्य हासिल करना है तो यह जोखिम आप के सुनहरे कल की तस्वीर प्रस्तुत करता है.

खुद करें अपना मूल्यांकन

सफलता का पहला नियम यही है कि जिस काम में मन न लगे वही पहले करना चाहिए. वैसे भी जिस विषय या क्षेत्र में आप को महारत हासिल हो उस में भविष्य बनाने से कामयाबी का प्रतिशत बढ़ जाता है. काम यदि आप की रुचि अनुसार होता है तो आप उस में अपना 100त्न देते हैं. बिना अपना मूल्यांकन किए कोई काम करना वैसा ही है जैसे बिना गहराई का अंदाजा लगाए नदी या तालाब में कूदना.

इसलिए सब से पहले यह पता लगाएं कि आप को क्या करना अच्छा लगता है और उसी काम को करें. अपनी शक्ति या सामर्थ्य का हमें पता होना चाहिए. हमेशा लक्ष्य ऐसा चुनें, जो अपनी शक्तिसामर्थ्य में हो. कभी भी ऐसा लक्ष्य चुनने की गलती न करें, जो स्वयं की सामर्थ्य से बाहर हो. उदाहरण के लिए किसी की रुचि विज्ञान या तकनीक में है तो उसे कला सब्जैक्ट लेने से बचना चाहिए. अगर जबरदस्ती कोई और राह चुनेंगे तो असफलता ही हाथ लगेगी.

नया विचार नई क्रांति

आने वाले कल की बेहतरी के लिए आज की युवापीढ़ी अपने भविष्य के लिए क्या विचार या सोच रखती है, इस बिंदु पर सफलता और असफलता टिकी होती है. नए विचार व नई योजनाएं अपनाने में घबराएं नहीं. नए विचार नई क्रांति को जन्म देते हैं. नए विचार व नई योजनाएं सफलता की धुरी होते हैं.

आजकल की प्रतिस्पर्धा और भागदौड़ भरी जिंदगी में पुराने विचारों की कोई पूछ नहीं है. नई पीढ़ी अपने नए विचारों से दुनिया भर में अपनी सफलता का परचम लहरा रही है. फेसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग हों या कोई अन्य  सफलतम युवा उद्यमी, सब ने नए आइडिया के दम पर दुनिया को अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है.

युवाओं को चाहिए कि वे हमेशा अच्छा सोचें. ज्यादातर अपनी मंजिल या लक्ष्य इतना कम सैट करते हैं कि बाद में पिछड़ जाते हैं, जबकि कुछ लोग बहुत बड़ा लक्ष्य  और बेहतर भविष्य पाते हैं. वह समय बीत गया जब युवा किसी भी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी कर के खुश हो जाते थे. अब वे अपना भविष्य बेहतर बनाने के लिए खुद अपने आइडिया के दम पर अपनी कंपनी के मालिक बनते हैं और सफलता की राह में बहुत जल्द बड़ा नाम बन जाते हैं.

असफलता, गलतियां और संकल्प

जीवन में संकल्प हमें सफल बनाता है. हमारे कैरियर, स्कूल या दोस्ती में कई मनमुटाव या छोटीमोटी लड़ाइयां चलती रहती हैं, लेकिन हम उन्हें किस तरह से सुलझा कर अपनी सफलता के असली संकल्प को पूरा करते हैं, यही एक भावना सफल भविष्य की इमारत बुलंद करती है, यही हमारी सफलता को भी सुनिश्चित करती है. असफलता से घबराने के बजाय अपने लक्ष्य तक पहुंचने का संकल्प जरूरी है.

सफलता हमारा परिचय दुनिया से करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है. सफलता की राह पर अग्रसर होते हुए कुछ निराशात्मक बातें हमारे सामने आती हैं, यदि हम उन बातों पर ध्यान न दे कर सिर्फ अपने लक्ष्य के बारे में सोचते हैं तो हमें सफलता जरूर मिलती है.

गलती करना बुरी बात नहीं है, लेकिन उन से कुछ सबक न सीखना और बारबार उन्हें दोहराना जरूर सफलता की राह में रोड़े पैदा करता है.  आप गलतियों से तभी सीख सकते हैं जब अपनी उन गलतियों को स्वीकार करते हैं और उन पर मनन करते हैं.

सदैव कड़ी मेहनत करें. ईमानदारी, सकारात्मक ऊर्जा से असफलता का डट कर मुकाबला करें. सिर्फ और सिर्फ सफल और सुनहरा भविष्य आप का इंतजार करता नजर आएगा.                              

इस खूबसूरत लड़की के साथ जमकर नाचा भारतीय सेना का ये जवान

कौन कहता है कि भारतीय सैनिक मौज-मस्ती नहीं करते हैं. भारतीय सैनिक हर काम करने में माहिर होते हैं. जब दुश्मन को जवाब देना होता है तो मुंहतोड़ जवाब भी देते हैं और जब मौज-मस्ती करने की बात आती है तो वह भी धमाकेदार तरीके से करते हैं. यह सही बात है कि उन्हें ज्यादा मौज-मस्ती करने का मौका नहीं मिलता है, लेकिन जितना मिलता है उतने में ही खुलकर मस्ती करते हैं.

हालांकि इस समय सीमा के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं. आये दिन भारतीय सेना को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी वह खुलकर जिंदगी जीने में यकीन करते हैं. भारतीय सैनिक सबसे कठिन हालात में भी रहकर देश की सीमा की रक्षा करते हैं.

उन्ही की वजह से देश के अन्य लोग चैन से सो पाते हैं और पब में जाकर पार्टी कर पाते हैं. अगर सीमा पर सैनिक नहीं होते तो यह सब शायद संभव नहीं होता. वह अपने जान की बाजी लगाकर दुश्मनों से टक्कर लेते हैं और देश की रक्षा करते हैं. इसके साथ ही जब कभी भी समय मिलता है तो दोस्तों के साथ मिलकर मस्ती भी करते हैं.

आज हम आपको भारतीय सेना के एक जवान का ऐसा वीडियो दिखाने जा रहे हैं, जिसमें जवान ने एक खूबसूरत लड़की के साथ चिकनी चमेली गाने पर धमाकेदार डांस किया. दरअसल कुछ सिपाहियों के कहने पर एक सिपाही एक लड़की के साथ डांस करता है. हालांकि पहले तो वह काफी शर्माता है, लेकिन जब वह अपने रंग में आता है तो खुलकर डांस करने लगता है.

वीडियो में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि एक सिपाही एक लड़की के साथ डांस कर रहा है, जबकि उसके साथी सैनिक उसका डांस देखकर उसकी तारीफ कर रहे हैं. इन्ही में से एक साथी ने इस डांस का वीडियो बनाकर यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया. देखते ही देखते इस सैनिक का डांस सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर काफी वायरल हो गया था. हालांकि यह वीडियो भारत के किस स्थान का है, इसका पता नहीं चल पाया.

आप भी देखिए वीडियो…

तो क्या एडल्ट फिल्म है बाहुबली 2..!

‘बाहुबली-2: द कन्क्लूजन’ को दुनिया भर में जोरदार रिस्पॉन्स मिला है. बड़ों के साथ इस फिल्म ने बच्चों को भी खूब लुभाया है. वे भी यह जानने को थिएटर्स में पहुंचे कि आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था.

लेकिन सिंगापुर में इस फिल्म को बच्चे नहीं देख पा रहे हैं क्योंकि वहां बाहुबली-2 को ए सर्टिफिकेट दिया गया है. फिल्म में दिखाई गई हिंसा को देखते हुए सिंगापुर के सेंसर बोर्ड ने फिल्म को NC16 सर्टिफिकेट दिया है जिसका मतलब है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे इस फिल्म को नहीं देख पाएंगे.

खबरों की मानें तो भारतीय सेंसर बोर्ड के चेयरपर्सन पहलाज निहलानी ने बताया कि हमारी ओर से फिल्म को U/A सर्ट‍िफिकेट के साथ बिना किसी कट के रिलीज किया गया था. लेकिन सिंगापुर के फिल्म सेंसर बोर्ड के हिसाब से बाहुबली-2 में जरूरत से ज्यादा हिंसक दृश्य दिखाए गए हैं. सिंगापुर के सेंसर बोर्ड को युद्ध वाले सीन, सैनिकों के गला काटने वाले सीन बेहद हिंसक लगे. एशिया और यूरोप में ज्यादा भारतीय फिल्मों को ए सर्टिफिकेट दिया जाता है.

पहलाज ने यह भी स्पष्ट किया कि एशिया और यूरोप के कई देशों में भारत की तुलना में ज्यादा फिल्मों को ए-सर्टिफिकेट मिलता है.

पहलाज निहलानी का इस बारे में कहना है कि, हमारी और उनकी संस्कृति में फर्क है. इसकी कई वजहें भी हैं. जैसे कि भारतीय कहानियों में राक्षस के सिर काटने का जिक्र होता है. हमारे देश के बच्चे इस तरह की कहानियां सुनकर हुए बड़े होते हैं. अगर हम इस तरह का कोई सीन काटते तो हमें गैर धार्मिक माना जाता.

इसी के साथ पहलाज निहलानी सेंसर बोर्ड और फिल्म सर्टिफिकेट से जुड़े विवादों पर अपना दर्द भी बयां कर गएं. उनका कहना है कि भारत में सेंसरशिप सही चीज के लिए नहीं है बल्क‍ि यह भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. अगर हम बाहुबली-2 में सर काटने का कोई सीन चॉप कर देते तो लोगों की भावनाएं आहत हो जातीं. अगर हम कोई किस सीन काटते हैं तो हमें पिछड़ी सोच वाला कहा जाता है.

सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’ का इमोजी हुआ वायरल

बॉलीवुड स्टार सलमान खान की फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ इन दिनों कई वजहों से चर्चा में है. इस बीच एक और खबर आई कि सलमान खान की फिल्‍म ‘ट्यूबलाइट’ ट्विटर पर अपना खुद का इमोजी पाने वाली पहली फिल्‍म बन गई है.

यह पर्सनलाइज्‍ड इमोजी दरअसल इस फिल्म के पहले पोस्‍टर से बनाया गया है जिसमें सलमान खान अपने गले में जूते लटकाये नजर आ रहे हैं.

सबसे पहले फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान ने इसकी जानकारी दी.

उसके बाद सलमान ने ट्वीट कर कहा, ‘ट्विटर को फुल लाइट कर देगा अब ये ट्यूबलाइट इमोजी.’

फिल्म ट्यूबलाइट का एक गाना भी रिलीज किया गया. गाने का बोल हैं ‘अब बजेगा रेडियो’. इस गाने को दुबई में लॉन्च किया गया क्योंकि सलमान इस वक्त अबू धाबी में कटरीना कैफ के साथ ‘टाइगर जिंदा है’ की शूटिंग कर रहे हैं.

इस गाने को सलमान ने अपने इंस्टाग्राम पर #TheRadioSong के नाम से शेयर किया है. इसकी जानकारी देते हुए सलमान ने इंस्टाग्राम पर लिखा, लेकर आ रहा हूं ट्यूबलाइट का पहला गाना 16 मई को! अब बजेगा #TheRadioSong .

गौरतलब है कि ईद के मौके पर 23 जून को रिलीज होने वाली ‘ट्यूबलाइट’ को कबीर खान ने डायरेक्ट किया है. यह कबीर के साथ सलमान की तीसरी फिल्म है. इससे पहले जोड़ी ने ‘एक था टाइगर’ (2012) और ‘बजरंगी भाईजान’ (2015) जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है.

इस फिल्‍म में सलमान के साथ पहली बार चीनी एक्‍टर झू झू भी नजर आएंगी, वहीं शाहरुख खान भी इस फिल्‍म में केमियो करते नजर आएंगे.

प्रतिभाशाली अभिनेत्री सुगंधा मिश्रा

विरासत में मिली शास्त्रीय गायकी छोड़ कर छोटे परदे का रुख करने वाली सुगंधा मिश्रा की पहचान एक कौमेडियन की ही है. जालंधर, पंजाब के एक मध्यवर्गीय परिवार की सुगंधा की इच्छा गायिका बनने की थी, लेकिन जब उसे लाफ्टर चैलेंज शो में मौका मिला तो हंसाना न केवल उन की पहचान बल्कि पेशा बन कर रह गया.

28 वर्षीय सुगंधा बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश हैं और छोटे परदे की कौमेडियन टीम का अहम हिस्सा भी. एक टीवी शो ‘द वाइस औफ इंडिया’ के प्रमोशन के लिए वे भोपाल आईं तो लंबी बातचीत में उन्होंने स्वीकारा कि कौमेडी, गायकी के मुकाबले ज्यादा कठिन काम है. इस में चुनौतियां बहुत हैं खासतौर से युवतियों के लिए जिन्हें अपना हर ऐक्ट संभल कर करना होता है.

आज के मशहूर कौमेडियन कपिल शर्मा, सुदेश लहरी और भारती सिंह के साथ एक ही यूनिवर्सिटी में पढ़ीं सुगंधा होनहार और प्रतिभाशाली भी हैं. वे बताती हैं, ‘‘मैं कोई 10 से 5 बजे की नौकरी नहीं करना चाहती थी. मेरे परिवार में सभी शिक्षक हैं, घर वालों को मुझ से भी यही अपेक्षा थी कि मैं स्नातकोत्तर करने के बाद किसी कालेज में नौकरी कर लूं पर मैं काफी कुछ हासिल करना चाहती थी, इसलिए हर क्षेत्र में काम करती हूं. मैं पीएचडी भी कर रही हूं लेकिन अब इंडस्ट्री कभी नहीं छोडूंगी.’’

गायकी और कौमेडी की तुलना करते हुए वे कहती हैं कि वे एक प्रशिक्षित गायिका हैं. इस के लिए दादाजी रोज रिहर्सल कराते थे. एक गाना तो रोज गाया जा सकता है लेकिन कौमेडी में रोज कुछ नया लाना होता है.

बिग एफएम रेडियो पर बतौर आरजे अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को आकार देने वाली सुगंधा के लिए सबकुछ उम्मीद के मुताबिक नहीं था, न ही बैठेबैठाए मिल गया, जो भी है उसे हासिल करने हेतु उन्होंने काफी मेहनत की है.

स्कूल टाइम से ही मिमिक्री करने वाली सुगंधा कहती हैं कि युवक किसी भी तरह की कौमेडी कर लें, चलता है पर युवतियों को साफसुथरी कौमेडी करते हुए ही दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनानी पड़ती है, जो बेहद मुश्किल काम है. ऐसा कई बार उन के साथ भी हुआ कि कमैंट्स आए और सीटियां भी बजीं लेकिन वे मानती हैं कि इन चीजों को नजरअंदाज कर अपने काम पर ध्यान देने के बाद ही आगे बढ़ा जा सकता है.

छोटे परदे के अनुभव कैसे रहे? इस सवाल के जवाब में सुगंधा बताती हैं, ‘‘कमोबेश ठीक ही रहे. कुछ समय पहले शाहरुख खान ने कौमेडी शो में मेरा ही मजाक बनाया तो मैं स्टेज पर ही रोने लगी.’’

दूसरा अनुभव तो वे उत्साहपूर्वक बताती हैं कि जब उन्होंने एक शो में लता मंगेशकर की आवाज की नकल उतारी तो कई नामी कलाकारों ने उन की आलोचना की पर जब खुद लताजी ने तारीफ की तो जान में जान आई. सुगंधा का इरादा उन्हें अपमानित करने का नहीं था.

कपिल शर्मा को सुगंधा भाई मानती हैं. बीते दिनों एक शो के दौरान उन की टीम के साथ विदेश जाना हुआ तो उन्होंने उन्हें खूब खरीदारी कराई. सुगंधा बताती हैं, ‘‘मैं अपने काम को खूब ऐंजौय करती हूं.’’

भविष्य के लिए क्या योजना है, पूछने पर वे बताती हैं, ‘‘मैं ऐक्टिंग तो कर ही रही हूं पर गाते भी रहना चाहती हूं और एक संगीत स्कूल खोलना चाहती हूं, कभी अपने दादा से छिप कर रेडियो पर शो देने जाती थी और अब मेरा इरादा उभरती प्रतिभाओं को मंच और मौका देने का है.’’

गर्मियों में चाहिए सर्दियों का मजा तो जाएं यहां

गर्मी आते ही भारतीय अपनी छुट्टियों की प्लानिंग में लग जाते हैं. कारण दो है एक तो तपा देने वाली गर्मी और दूसरी बच्चों के स्कूल की छुट्टियां. लेकिन घूम फिर कर हमारे दिमाग में मनाली, शिमला, कश्मीर, मसूरी आदि आते हैं. लेकिन छुट्टियां होने के कारण यहां भीड़ इतनी अधिक हो जाती है यहां पर्यटक अपनी छुट्टियों को अच्छे से एन्जॉय नहीं कर पाते हैं.

तो आज हम आपको कुछ ऐसी जगहों से रूबरू कराने जा रहे हैं जहां आपको मनाली से भी ज्यादा ठंडक का एहसास होगा और भीड़भाड़ से दूर आप अपनी छुट्टियों को और भी यादगार बना सकेंगे. तो आइये नजर डालते हैं इन जगहों पर..

द्रास

कारगिल से करीब 62 किलोमीटर दूर स्थित खूबसूरत और बेहद ठंडा शहर द्रास समुद्र तल से करीब 3280 मीटर ऊंचाई पर बसा है. इसे ‘लदाख का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है. राष्ट्रीय राज मार्ग-1 पर शानदार सड़क है, जिस पर आप बेहतरीन नजारों के बीच यात्रा कर सकते हैं. यह शहर पर्यटकों के बीच अपने उबड़ खाबड़ प्राकृतिक दृश्य के लिए मशहूर है.

हेमकुंड साहिब

हेमकुंड साहिब जिसे गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी भी कहते हैं, सिक्खों का मुख्य तीर्थस्थल है, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह क्षेत्र ग्लेशियर झील से घिरा हुआ है. लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा या फिर खच्चर द्वारा यात्रा करनी होती है. ठंड के मौसम में बर्फ से ढके हुए इस क्षेत्र की सैर, गर्मी में ही की जाती है.

उत्तरी सिक्किम

सिक्किम राज्य का उत्तरी सिक्किम क्षेत्र, सबसे उंची चोटी कंचनजंगा का घर भी है. उत्तरी सिक्किम भारत के सबसे ठंडे क्षेत्रों में से एक है. यहां का तापमान कम से कम -40 डिग्री तक पहुंच जाता है. यहां की कई लोकप्रिय जगह जैसे लाचुंग मठ, जीरो पॉइंट आदि और यहां की संस्कृति पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

लेह

प्राचीन राज्य लद्दाख की राजधानी लेह पर्यटकों का सबसे मनपसंद पर्यटन स्थल है. लोग दूर दूर से यहां की संस्कृति और परंपरा के साथ, यहां के कई आकर्षक केंद्रों का मजा लेने आते हैं. यहां साल भर तापमान लगभग 7 डिग्री से ज्यादा नहीं होता और ठंड के समय और घटता जाता है.

पश्चिमी सिक्किम

पश्चिमी सिक्किम खासतौर पर ट्रेकर्स को अपनी ओर आकर्षित करती है. यहां के गेजिंग, पेल्लिंग और जोर्थांग नगर सबसे उंचाई पर बसे नगर हैं. अपने और अन्य आकर्षक केंद्रों के साथ इस क्षेत्र का सामान्य तापमान लगभग 13 डिग्री सेल्सीयस है.

कारगिल

हमेशा समाचारों में छाया रहने वाला, जम्मू कश्मीर में बसा कारगिल सबसे ठंडा क्षेत्र होने के लिए भी प्रसिद्ध है. सिंधु नदी के साथ ही बसे इस क्षेत्र का तापमान ठंड के मौसम में -48 डिग्री तक पहुंच जाता है. इसके पास ही सैर के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर पाशकुम और बौद्धिक गांव मूलबेक भी स्थित है.

स्पिति

स्पिति का मतलब होता है ‘मध्य भूमि’. भारत और तिब्बत के बीच, हिमालय पर्वतों पर बसा छोटा सा क्षेत्र गर्मी के मौसम में पर्यटकों को सबसे ज्यादा राहत दिलाता है. यहां का दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा. स्पिति अपने बौद्धिक संस्कृति के कारण भी लोकप्रिय है.

हेमिस

पहाड़ों की सैर और खूबसूरती देखने के लिए लद्दाख सभी के बीच में मशहूर है लेकिन कुछ अनजानी जगहों में से एक जम्‍मू और कश्‍मीर का यह छोटा सा कस्‍बा भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है. यहां का तापमान भी बहुत सौम्‍य रहता है.बस 4 से 21 डिग्री के बीच.

अमरनाथ

अमरनाथ हिंदुओं का सबसे प्रमुख तीर्थस्थल है. लोग पहाड़ियों पर उंची उंची चढ़ाई कर जमा देने वाली ठंड में यहां स्थित प्राकृतिक लिंग के दर्शन करने आते हैं. यहां का सामान्य तापमान लगभग 7.5 डिग्री रहता है.

तवांग

अरुणांचल प्रदेश का ये छोटा सा शहर अपने रंग-बिरंगे घरों और खूबसूरत झरनों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यहां की हरी-भरी वादियां मन को शांति और तन को ठंडक देने के लिए काफी हैं.

लजीज जायका पौमफ्रेट मैंगो करी

सामग्री

500 ग्राम पौमफ्रेट फिश

1/2 कप कच्चे आम के टुकड़े

1 छोटा चम्मच तेल

1 छोटा चम्मच मस्टर्ड सीड्स

थोड़े से करीपत्ते

1 प्याज कटा

1 हरीमिर्च कटी

थोड़ा सा अदरक बारीक कटा

1/2 छोटा चम्मच हलदी

1 कप कोकोनट मिल्क

पानी जरूरतानुसार

नमक स्वादानुसार

विधि

फिश में थोड़ी थोड़ी दूर चीरा लगा कर हलदी व नमक लगाएं और 30 मिनट तक मैरिनेट करें. कड़ाही में तेल गरम कर के मस्टर्ड सीड्स व करी पत्ते भूनें. अब प्याज, अदरक व हरीमिर्च डाल कर अच्छी तरह भूनें.

कोकोनट मिल्क मिला कर उबाल आने तक पकाएं. फिर फिश और आम के टुकड़े डाल कर फिश के पकने तक पकाएं और चावल के साथ गरमगरम परोसें.

-व्यंजन सहयोग: शैफ रनवीर बरार

आपकी वेडिंग ड्रेस हो खास

भारत में विवाह बहुत बड़ा जश्न होता है. दुल्हन के खूबसूरत कढ़ाई वाले चमकीले, चटख रंगों की ड्रेस तो इस जश्न में चार चांद लगाते हैं. हालांकि बाजार में इन दिनों शादी में पहने जाने वाले परिधानों पर भारतीय और पश्चिमी शैली दोनों का मिश्रण व छाप देखने को मिल रहा है.

आप अपने शादी की ड्रेस को कुछ ऐसे और भी ज्यादा खूबसूरत और खास बना सकती हैं.

हमारा देश अनोखी संस्कृतियों और विभिन्न विशेषताओं का खूबसूरत मेल है. हर दुल्हन अपनी जिंदगी के सबसे बड़े अलग अंदाज में दिखना चाहती है और अलग दिखने के लिए वह अपना निजी स्टाइल फ्लांट करना पसंद करती है.

कैजुअल लुक के लिए टिश्यू साड़ी के साथ स्नीकर्स या हल्की घाघरा चोली के साथ क्रॉप टॉप को पहन सकती हैं, जिससे आप औरों से अलग नजर आएंगी.

ब्राइडल सिलूएट वाले परिधान आजकल चलन में हैं और ये कई मौकों पर पहने जा सकते हैं. आप भारी लहंगा के साथ साधारण मोनोक्रोम शर्ट पहन सकती हैं या पश्चिमी रूपांकनों व प्रिंट वाले शॉर्ट जैकेट पहन सकती हैं, जो आपको आकर्षक और भीड़ से अलग लुक देगा.

मुकाइश और जरदोजी की कढ़ाई वाले परिधान हमेशा चलन में रहेंगे, जबकि मोती और मनकों का इस्तेमाल इसे कंटेम्पररी टच देंगे. वेलवेट, सिल्क और ओरगेंजा के कपड़े भी इस सीजन में चलन में रहेंगे और आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा देंगे.

सिर्फ दुल्हन क्यों शादी का दिन तो दुल्हा के लिए भी खास होता है. तो उन्हें भी हक है कि वह इस मौके पर खास दिखें.

पुरुषों के जीवन के जब सबसे बड़े समारोह की बात आती है तो इन दिनों पेस्टल रंग वाले फूलों के रूपांकन वाले, बोल्ड प्रिंट और घनी कढ़ाई व काम वाले चमकीले और चटख रंगों के परिधान प्रचलन में हैं.

दिन में होने वाले कार्यक्रम में हल्की कढ़ाई पिट्टा और आरी वाले परिधान पहनें. वे शानदार व भव्य दिखते हैं, लेकिन ज्यादा भड़कीले भी नहीं लगते हैं. मॉडर्न टच देने के लिए आप टी-शर्ट के साथ बंडी और पजामा के बजाय कुर्ते के साथ जींस भी पहन सकते हैं.

शाम के समारोह में 100 फीसदी वेलवेट से बना बंद गला पहनना अच्छा विकल्प होगा. पारंपरिक कामों व रूपांकनों के साथ इस आधुनिक परिधान को पहनना सुरुचिपूर्ण होगा. ब्रेडेड ट्राउजर के साथ इसे पहनें. पारंपरिक परिधानों के साथ कई तरह के प्रयोग करना आजकल चलन में है. आप चाहे तो जैकेट की लाइनिंग बटन में बदलाव कर अपने लुक को आकर्षक बना सकते हैं.

भारतीय और पश्चिमी शैली के फ्यूजन के लिए आप 100 फीसदी लिनेन से बने माओ जैकेट भी पहन सकते हैं, जो हल्के और आरामदायक होते हैं. इन्हें कॉटन के ट्राउजर या जींस के साथ स्मार्ट कैजुअल लुक के लिए पहना जा सकता है.

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