अरबपति हैं बॉलीवुड के ये सितारे

बॉलीवुड में कामयाबी, नाम और शोहरत की उम्र छोटी होती है, पता नहीं कौन रातों-रात स्टार बन जाए और कौन गुमनाम हो जाए. बॉलीवुड एक्टर्स कमाई के मामले में बहुत आगे हैं, पर ऐसा नहीं है कि इनकी आमदनी का जरिया सिर्फ फिल्में ही हैं, बल्कि विज्ञापनों से भी इन्हें लाखों-करोड़ो की आमदनी होती हैं. बॉलीवुड में कुछ अभिनेता ऐसे हैं जो वर्तमान में अरबों के मालिक हैं.

शाहरुख खान

शाहरुख खान को जहां बॉलीवुड का बादशाह कहा जाता है, वहीं बिजनेस की दुनिया में भी उनका काफी नाम चलता है, बॉलीवुड में शाहरुख सबसे सफल एक्टर्स में से एक हैं और सबसे ज्यादा कमाई वाले स्टार भी हैं. फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें सबसे अमीर सितारों की सूची में भी रखा है शाहरुख की कमाई 600 मिलियन डॉलर है.

अमिताभ बच्चन

अमीर एक्टर्स की लिस्ट में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन का स्थान भी ज्यादा पीछे नहीं है. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की कुल संपत्ति 2800 करोड़ रुपए की है. अगर पूरी बच्चन फैमिली की बात की जाए तो बच्चन परिवार 400 मिलमयन डॉलर का मालिक है, अमिताभ कई ऐड करते हैं जिससे उन्हें कई गुना पैसे मिलते हैं.

सलमान खान

बॉलीवुड के सुल्तान खान सलमान अपनी हर फिल्म में कुछ नया रिकॉर्ड कायम करते हैं. सलमान की हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों में कमाती है. सलमान 200 मिलियन के मालिक हैं बीइंग ह्यूमन से सलमान अच्छी कमाई करते हैं वहीं विज्ञापन और बिग बॉस में बतौर होस्ट सलमान की फीस आसमान छु रही है.

अक्षय कुमार

एक साल में सबसे ज्यादा फिल्में करने वाले बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार अक्षय सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले सेलिब्रिटी हैं. अक्षय की कुल संपत्ति 100 मिलियन डॉलर की है. अक्षय एक फिल्म के लिए करीब 40 से 45 करोड़ की राशि लेते हैं. अक्षय ने एक ऐड कंपनी से करीब 18 करोड़ रुपए लि ए थे.

आमिर खान

मिस्टर परफेक्टनिस्ट आमिर खान भी पीछे नहीं है. आमिर भी अपनी फिल्म के लिये 50 करोड़ के लगभग पैसा लेते हैं. आमिर शो सत्यमेव जयते के लिए 2 करोड़ रूपये हर एपिसोड के लेते थे. वहीं विज्ञापन से भी आमिर अच्छी कमाई करते हैं. आमिर की कुल संपत्ति 185 मिलियन डॉलर की है.

ऋतिक रोशन

अपनी पहली ही फिल्म से सुपरस्टार का तमगा अपने नाम करने वाले ऋतिक ने इतने सालों में काफी संपत्ति अपने नाम की है. ऋतिक की 70 मिलियन डॉलर के मालिक हैं. ऋतिक रोशन ने अपनी फीस 40 करोड़ कर दी है.

ऐश्वर्या राय

बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक ऐश्वर्या राय के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, ऐश बॉलीवुड और हॉलीवुड में भी काम कर चुकी हैं. उनकी विज्ञापन की फीस बहुत ज्यादा है, वो करीब 35 मिलियन डॉलर की मालिकन हैं.

दीपिका पादुकोण

दुनिया की 10 सबसे ज्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्रियों की सूची में भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का नाम है. हालांकि दीपिका के पास कुल दौलत करीब 20 मिलियन डॉलर की है.

प्रियंका चोपड़ा

मॉडल, एक्ट्रेस और मिस वर्ल्ड रह चुकी प्रियंका ने कम समय में बहुत नाम कमाया है. बॉलीवुड के साथ प्रियंका हॉलीवुड में भी बहुत अच्छा नाम कमा रही हैं, उनके एल्बम ने भी खूब धमाल मचाया है प्रियंका कुल 8 मिलियन डॉलर की मालकिन हैं.

फिल्मी गानों से ज्यादा यादगार टीवी शो के ये गाने!

हिंदी टीवी सीरियल्स अपनी कथानक और अपने किरदारों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ऐसे भी कई शो हैं जो हमें उनके अच्छे गाने और संगीत की वजह से याद रह जाते हैं. इन सारे सीरियल्स के टाइटल ट्रैक्स या फिर शो के बीच में चलने वाले गाने आपके दिल में एक खास जगह बनाते हैं और बाद में ये गाने आपको शोज के खत्म होने के बाद भी याद रहते हैं.

आज हम आपके लिए लेकर आये है ये 14 खास टीवी सीरियल्स के बेहतरीन और यादगार गाने..

1. रीमिक्स : साल 2004 से साल 2006 दो साल तक, स्टार प्लस के ही चैनल स्टार वन पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘रीमिक्स’ का टाइटल ट्रेक रीमिक्स बहुत लोकप्रिय हुआ था. यह आज भी लोगों के द्वारा सुना जाता है.

2. ‘तेरी यादें’ और ‘दिल करता है नादानियां’ : आज भी लोगों की जुबान पर रहने वाला गाना ‘तेरी यादें’ साल 2007 और 2008 में सब टीवी पर आने वाले शो ‘लव स्टोरी’ का है. ये गाना आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना उन सालों में हुआ था.

3. लेफ्ट राइट लेफ्ट : ये शो भी टेलीविजन पर काफी लोकप्रिय हुआ था. लगभग दो साल, 2006 से साल 2008 तक आने वाले इस शो ‘लेफ्ट राइट लेफ्ट’ का टाइटल ट्रैक आज भी लोगो का पसंदीदा गाना है.

4. इश्क लेता है कैसे इंतेहां : साल 2007 से 2010, तीन साल चलने वाले शो ‘दिल मिल गए’ का गाना शायद आपको याद होगा. लोगों की जुबान पर रहने वाले इस गोने को खासा पसंद किया गया था.

5. जंगल बुक : बच्चों का पसंदीदा किरदार ‘मोगली’ और पसंदीदा सारियल जंगल बुक का टाइटल ट्रैक बहुत ही लोकप्रिय गाना है.

6. कितनी मोहब्बत है : साल 2009 में इमैजिन चैनल पर प्रसारित होने वाले शो ‘कितनी मोहब्बत है’ का टाइटल ट्रैक किसी भी अच्छे बॉलीवुड के गाने जैसा ही लोगों का पसंदीदा बना हुआ है.

7. कैसा ये प्यार है : साल 2005 से 2006 तक चलने वाले इस शो का टाइटल गीत ‘कैसा ये प्यार है’ आज भी लगभग सभी युवाओं का पसंदीदा गाना है. काफी कम समय में इस शो ने लोगों के दिलों में इच्छी जगह बना ली थी.

8. शरारत : स्टार प्लस पर साल 2004 से साल 2009 के बीच पांच सालों तक चलने वाले शो शरारत का गाना ‘श्शश्शर्रात’ भी लोगों को रटा हुआ था. इस शो में परियों और जादू की कहानी दिखाई गई है.

9. क्यों होता है प्यार : साल 2002 से साल 2004 तक प्रसारित होने वाले शो ‘क्यों होता है प्यार’

10. जस्सी जैसी कोई नहीं : साल 2003 से साल 2007 तक चलने वाले इस शो का टाइटल ट्रैक आज भी लोगों की जुबान से सुनने को मिलता है. उस समय में यह शो काफी लोकप्रिय हुआ था.

11. बड़े अच्छे लगते हैं : साल 1976 में रिलीज हुई फिल्म ‘बालिका वधु’ का गाना बड़े अच्छे लगते हैं, काफी लोकप्रिय था. इसके बाद ये गाना सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ में उसके टाइटल ट्रेस की तरह आया और फिर लोगों की जुबान पर चढ़ गया. ये गाने को इस शो ने ही वापस यादगार बनाया.

12. मालगुडी डेज : ‘तनानातनातनान’ ये धुन तो आप सभी को याद ही होगी. जा हां यह वही धुन है जो इस शो के जरिये बहुत लोकप्रिय हुई थी. आज भी ये धुन बजते ही नब्बे के दशक की यादें ताजा हो जाती हैं.

13. मिले जब हम तुम : साल 2008 से साल 2010 तक आने वाले इस शो का टाइटल ट्रैक ‘मिले जब हम तुम’ आज भी युवाओं का पसंदीदा बना हुआ है.

14. देख भाई देख : साल 1993 और 1994 में आने वाला शो देख भाई देख का गाना भी बहुत लोकप्रिय गाना रहा.

‘मंटो’ बने नवाज को देखा आपने!

अभिनेत्री नंदिता दास पिछले काफी समय से जाने-माने साहित्यकार सहादत हसन मंटो और उनकी कहानियों पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रही थीं. फिल्म में ‘मंटो’ का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी निभा रहे हैं. नंदिता पिछले कई सालों से इस प्रॉजेक्ट पर काम कर रहीं थीं, अब जाकर ‘मंटो’ की शूटिंग शुरू हो गई है.

पिछले एक महीने से ‘मंटो’ के वर्कशॉप में फिल्म की पूरी टीम व्यस्त थी. इस बीच ‘मंटो’ पर बनी एक शॉर्ट फिल्म में नवाजुद्दीन की पहली झलक देखने के बाद कहा जा सकता है कि उन्होंने फिल्म के लिए जमकर मेहनत की है.

उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंस हम पहले भी देख चुके हैं और अब इस अवतार में उन्हें देखकर कोई हैरानी नहीं होती कि डायरेक्टर नंदिता दास ने क्यों उन्हें इस रोल के लिए चुना. नवाज ने नैचुरल लुक के साथ-साथ एक छाप छोड़ने वाली परफॉर्मेंस दी है.

एक्टर शमस एन सिद्दीकी ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए एक शॉर्ट फिल्म ट्विटर पर शेयर किया है. इस शॉर्ट फिल्म में नवाजुद्दीन मंटो के अवतार में अभिव्यक्ति की आजादी पर बात कर रहे हैं. यह आज के समय पर बिल्कुल फिट बैठता है. इसे देखकर आप एक अंदाजा लगा सकते हैं कि जब शॉर्ट फिल्म में नवाज का ये जलवा है तो फिल्म में उन्होंने क्या कमाल किया होगा.

मंटो के किरदार को उन्होंने बखूबी पकड़ा है. नंदिता दास की फिल्म मंटो रिलीज होने से पहले यह शॉर्ट फिल्म सामने आई है. यह फिल्म हाल ही में हुए इंडिया टुडे कॉनक्लेव में दिखाई गई थी.

इस शॉर्ट फिल्म में नवाज क्लासरूम में बैठी कुछ ऑडियंस से बात कर रहे हैं. वह अभिव्यक्ति की अपनी आजादी और समाज की सच्चाई को आइना दिखाती अपनी लिखने की शैली के बारे में बात कर रहे हैं. सफेद कुर्ता और बड़ा चश्मा पहने कड़वी सच्चाई बयान करते नवाज बेहद इंप्रेसिव लग रहे हैं.

आपको बता दें कि रसिका दुग्गल फिल्म में मंटो की पत्नी साफिया का किरदार करती नजर आएंगी. फिल्म मंटो के व्यक्तिगत जीवन के कई पन्नों को उलटती नजर आएगी. इसमें दर्शक मंटो के एटिट्यूड उनकी संवेदनशीलता, साहस और खौफ के बारे में जान पाएंगे.

बस एक गलती और छिन गया स्टारडम

बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक धुरंधर और टैलेंटेड सितारे मौजूद हैं. इन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर ऐसे मुकाम पा लिए हैं जिसे पाना आसान बात नहीं होता.

शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार, आमिर खान, अमिताभ बच्चन के साथ साथ इस लिस्ट में कई नाम शामिल हैं, जिन्होंने सफलता का स्वाद बखूबी चखा है. लेकिन इसी बीच इंडस्ट्री में ऐसे सितारे भी हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत काफी शानदार की लेकिन एक गलत आदत ने उनके करियर को बर्बाद कर दिया.

आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही बॉलीवुड सितारों पर.

शाइनी आहूजा

शाइनी आहूजा ने भी अपने करियर की अच्छी शुरुआत की थी लेकिन इस पर ग्रहण तब लगा जब उनकी नौकरानी ने 2009 में उनपर रेप का आरोप लगाया. 

मनीषा कोइराला

मनीषा कोइराला 90 के दशक की काफी पॉपुलर एक्ट्रेस थीं. लोग उन्हें काफी पसंद करते थे. लेकिन उनपर स्टारडम का बोझ कुछ इस कदर हावी हुआ कि उन्होंने खुद को शराब के नशे में डुबा दिया. शराब के नशे की लत में वो करियर को भी नजरअंदाज करने लगीं.

फरदीन खान

साल 2011 में इन्हें नार्कोटिक विभाग ने ड्रग्स लेते हुए पकड़ा था. बाद में उन्हें समझा बुझा कर छोड़ दिया गया. लेकिन उनका बॉलीवुड करियर खत्म हो गया.

अमीषा पटेल

अमीषा ने ‘कहो ना प्यार है’, ‘गदर’ जैसी सुपहिट फिल्में दी हैं. लेकिन इस फिल्म के बाद उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया. हालांकि बहुत सी एक्ट्रेस ब्रेक लेती हैं लेकिन इन्होंने इतना लंबा ब्रेक लिया जो इनके करियर के लिए नुकसानदायक साबित हुआ.

विवेक ऑबरॉय

बॉलीवुड एक्टर विवेक ऑबरॉय ने भी अपने करियर की शुरुआत काफी अच्छी की थी. लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान खान के बारे में बेतुकी बातें करके उन्होंने अपने करियर पर काफी बुरा असर डाला.

आफताब शिवदसानी

आफताब को जी सिने बेस्ट मेल डेब्यू और स्टार स्क्रीन अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. लेकिन इनका करियर तब डूबा जब 2005 में वो भी ड्रग्स के जाल में फंसे.

विजय राज

जाने मानें कॉमेडियन विजय राज को यूएई पुलिस ने ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के बाद तो मानों वो बॉलीवुड से गायब ही हो गए और उनके चमकते करियर पर फुल स्टॉप लग गया.

थाम लें उम्र की डोर

कोई अगर आप से कहे कि अब आप की उम्र हो चली है, आप की त्वचा से आप की उम्र का पता चलने लगा है, अब आप में वह बात नहीं रही, तो कितना बुरा लगता है. और फिर आप मन ही मन सोचने लगते हैं कि कैसे फिसलती उम्र को थामा जाए.

खुद को सदा युवा व स्वस्थ दिखाने की चाहत हर किसी में होती है. लेकिन हैरानी की बात है कि आज के आधुनिक जमाने में जब हैल्दी और फिट रहने के सभी साधन मौजूद हैं, फिर भी लोग उम्र से पहले बुजुर्ग या अपनी उम्र से अधिक के दिखने लगे हैं. आइए जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिन से युवाओं में बुढ़ापा जल्दी आ रहा है और इन से कैसे बचा जा सकता है.

पौष्टिक और संतुलित भोजन

डाइटीशियन गीतू अमरनानी का मानना है कम उम्र में अधिक उम्र का दिखने का एक मुख्य कारण जंकफूड को नियमित दिनचर्या में शामिल करना है. आप ने एक ही जगह बैठ कर ढेर सारा जंकफूड जैसे पिज्जा, पास्ता, नूडल्स आदि खा लिए, लेकिन अपनी जगह से इंचभर भी नहीं हिले तो यह आप को उम्र से पहले बूढ़ा बनाएगा.

अपनी इस लाइफस्टाइल को बदलें और दिनभर कुछ न कुछ खाते रहने की आदत छोड़ दें. भूख लगने पर ही भोजन करें और जंक फूड के बजाय पौष्टिक व संतुलित भोजन करें. साथ ही, जितनी भूख हो, उस से थोड़ा कम खाएं. मौसमी फलों व सब्जियों का सेवन अवश्य करें. इस के अलावा त्वचा को जवां बनाए रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी जरूर पिएं. जब आप के शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो डिटौक्सिफिकेशन नहीं हो पाता है, जिस से त्वचा सांस लेना बंद कर देती है और मुरझाने लगती है. लिहाजा, 35 वर्ष की उम्र का व्यक्ति भी 40-45 वर्ष का दिखने लगता है.

फल खाएं, जवान दिखें

आपहम ऊपरी तौर पर त्वचा पर भले ही कितने भी कौस्मेटिक्स प्रयोग कर लें, लेकिन त्वचा की भीतरी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप की त्वचा भीतर से भी स्वस्थ हो. कोई भी त्वचा बीमार, थकी हुई और असमय बूढ़ी तभी दिखती है जब आप के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. ऐसे में पौष्टिक और संतुलित आहार के साथ फलों के सेवन से भी आप बढ़ती उम्र की निशानियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

गीतू अमरनानी का मानना है कि फलों में मौजूद जरूरी एंटीऔक्सिडैंट्स त्वचा को हर दम जवां बनाए रखने में सक्षम होते हैं. जब हम दैनिक आहार में फलों को शामिल करते हैं तो त्वचा पर निखार आता है क्योंकि फलों में मौजूद कैल्शियम, मैगनीशियम, विटामिन सी, आयरन, बीटा कैरोटीन व फोलिक एसिड और बहुत कम मात्रा में मौजूद कैलोरीज त्वचा को स्वस्थ व चमकदार रखने में मदद करते हैं.

खट्टेफल जैसे नीबू और संतरे में मौजूद विटामिन सी कोलेजन बनाने में मदद करता है और कोलेजन त्वचा के लिए प्रोटीन बनाता है, जिस से झुर्रियां कम दिखती हैं.

धूम्रपान व शराब से दूरी

धूम्रपान और शराब के सेवन से सेहत  पर विपरीत असर पड़ता है. धूम्रपान से जहां त्वचा खुश्क होती है और चेहरे पर झुर्रियां पड़ती हैं, वहीं शरीर में विटामिन सी का स्तर भी घटता है. इन खराब आदतों के साथ ही यदि हफ्ते में 2 घंटे से कम शारीरिक व्यायाम किया जाए तो ये दुष्प्र्रभाव और बढ़ जाते हैं. इन बुरी आदतों के शिकार लोग या तो अपनी उम्र से 12 साल कम जीते हैं या फिर ऐसे लोग अपनी वास्तविक उम्र से 12 साल अधिक के लगते हैं.

व्यायाम करें नियमित

आज के युवा एक ही जगह घंटों बैठ कर काम करते हैं, जिस के कारण उन्हें कमरदर्द, स्पौंडिलिसिस की परेशानी होने लगती है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि व्यायाम कर के वक्त से पहले बूढ़ा होने वाली प्रक्रिया से बचा जा सकता है और साथ ही अनहैल्दी फूड के कारण होने वाले हानिकारक प्रभावों से भी बचा जा सकता है. दरअसल, आप दिनभर में जितनी कैलोरी लेते हैं उसे बर्न करना भी जरूरी होता है और इस का सब से सरल उपाय व्यायाम करना है.

ब्यूटी स्लीप के फायदे

यह बात शोधों में साबित हो चुकी है कि गहरी नींद की कमी के कारण उम्र बढ़ने की प्रक्रिया तेज होती है और उन लोगों की, जो पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, चयापचय प्रणाली पर असर पड़ता है.

6 घंटे से कम नींद लेने से त्वचा पर झुर्रियां हो जाती हैं और चेहरे से आप की उम्र बड़ी लगने लगती है. जबकि भरपूर नींद त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ा देती है, जो त्वचा के लिए जरूरी प्रोटीन होता है. यह त्वचा को कई फायदे पहुंचाता है यानी ब्यूटी स्लीप अपनेआप में एक बेहतरीन ब्यूटी ट्रीटमैंट है.

तनाव से दूर रहें

नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि जो लोग ज्यादा टैंशन लेते हैं उन के ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन ज्यादा कंसन्ट्रेट हो जाता है और वहां ब्लड की मात्रा ज्यादा हो जाती है और ज्यादा प्रैशर पड़ने से लोग वास्तविक उम्र से अधिक उम्र के दिखने लगते हैं. इस के अतिरिक्त ज्यादा तनाव की वजह से शारीरिक क्षमताओं पर भी बुरा असर पड़ता है. शरीर के सेल्स में एजिंग की प्रक्रिया तेज हो जाती है. इसलिए क्रोध, चिंता, तनाव, भय, घबराहट, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या जैसी भावनाओं को त्यागें व हमेशा खुश रहने का प्रयास करें और उम्र को अपने ऊपर हावी होने से रोकें.

गर्मियों में ऐसे पाएं टैनिंग से राहत

गर्मियों के दिनों में त्वचा पर टैनिंग होना तो आम बात है. दिनभर बाहर रहने की वजह से या धूप में काम करने की वजह से आप टैनिंग की समस्या से जूझती हैं.

लेकिन कुछ घरेलू उपायों की मदद से आप इनसे छुटकारा पा सकते हैं. आइए हम आपको बताते हैं इन उपायों के बारे में.

शहद और नींबू

टैंनिग से निजात पाने के लिए एक चम्मच शहद में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर, इस मिश्रण को चहरे पर लगाएं और दस मिनट बाद धो लें. ये उपाय आपको काफी जल्दी टैनिंग से छुटकारा दिला सकता है.

बेकिंग सोडा

टैनिंग से निजात पाने के लिए बेकिंग सोडा काफी असरदार होता है. इसमें मौजूद सोडियम कार्बोनेट त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए एक चम्मच बेकिंग सोडे को थोड़े से पानी में मिला, पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं. 10 से 15 मिनट बाद चेहरा धो लें, इससे आपको फर्क महसूस होगा.

दही

दही में एंटी-बैक्टीरियल गुण होता है, जो टैनिंग हटाने के साथ-साथ त्वचा की रंगत भी बढ़ाते हैं. इसके लिए आपको चाहिए कि दही में हल्दी और बेसन मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और दस मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं. सूखने पर इसे धो लें. टैनिंग होने पर इसका इस्तेमाल, इसके लिए रामबाण उपाय माना गया है.

एलोवेरा

टैनिंग से छुटकारा पाने के लिए एलोवेरा एक अच्छा उपाय साबित हुआ है. इसके लिए आपको एलोवेरा जेल को करीब 15 मिनट के लिए टैंनिग से प्रभावित हिस्सो पर लगाएं और फिर धो लें. हफ्ते में दो बार करने से आपको फर्क महसूस होगा.

..तो चमकेंगे आपके भी दांत

सफेद और साफ दांत किसे पसंद नहीं आता. वह दांत ही है जो आपके चेहरे को और भी खूबसूरत और हसीन बना देता है. लेकिन अकसर ही हेल्दी डाइट न लेने या प्रॉपर सफाई नहीं करने से दांतो का पीलापन बढ जाता है.

ऐसे में आप कुछ नैचुरल टीथ व्हाइटनर्स का प्रयोग कर दांतो का पीलापन दूर कर सकती हैं. जानिए दांत चमकाने की 10 ट्रिक्स.

1. नींबू के छिलकों को दातों पर हल्का रब करने से दांतो की शाइनिंग बढ़ती है.

2. अखरोट का पेस्ट बनाकर दांतो पर लगाकर हल्की मालिश करने से दांतों का पीलापन दूर होता है.

3. तुलसी के पत्तों को बारीक पीस लें. इसे दांतों पर लगाकर मालिश करने से दांतों की चमक बढ़ती है.

4. नमक में सरसों का तेल मिलाकर दांतों की हल्की मालिश करने से दांतों की व्हाइटनिंग बढ़ती है.

5. दांतों पर बेकिंग सोडा लगाने से दांतों का पीलापन दूर होता है.

6. संतरे के छिलकों को सुखाकर पाउडर बना लें. इसे दांतों पर लगाने से दांतों की चमक बढ़ती है.

7. ऑलिव ऑयल को दांतों पर लगाएं. इसे पांच मिनट बाद पानी से धो लें. इससे दांत चमक जाते हैं.

8. ब्रश करने के बाद दांतों पर नारियल तेल लगाएं. इस से दांतों की शाइनिंग बढ़ती है.

9. स्ट्रॉबेरी को पीसकर पेस्ट बना लें. इस से दांतों की मालिश करने से दांत चमक जाते हैं.

10. सेब को दांतों पर रगड़ने से दांत साफ होता है.

ऐसे संवारें अपने आशियाने को

आजकल घरों को सजाने के लिए जितनी नईनई चीजों का इस्तेमाल हो रहा है उतना पहले कभी नहीं हुआ. जो ट्रैंड चल रहा है वह बहुत मैचिंगमैचिंग वाला नहीं है. जब आप भी अपने घर को सजाएं तो अलगअलग चीजों को मिक्सअप करने से न हिचकिचाएं. हमेशा ध्यान रखें कि घर को बहुत अधिक परफैक्ट भी नहीं लगना चाहिए. घर सजाते समय जरूरी है कि कौन सा ट्रैंड चल रहा है, आप का बजट कितना है, आप को कितने समय में घर तैयार करना है के साथसाथ इस बात का भी ध्यान रखें कि आप कैसे घर में रहने में सहज महसूस करेंगे. ट्रैंड के साथसाथ अपनी पसंद का ध्यान भी रखें तभी आप इस में रहने का आनंद उठा पाएंगे.

सिमिट्री का ध्यान रखें

घर को एक सिमिट्री में सजाएं. इस से न केवल आप का घर सुंदर लगेगा, बल्कि आप के डैकोरेटिव पीसेस का आकर्षण भी बढ़ेगा. आप ने कितनी भी सुंदर और कलात्मक चीजें खरीदी हों अगर आप इन्हें व्यवस्थित रूप से नहीं रखेंगे तो ये घर का लुक बढ़ाने के बजाय कम कर देंगी.

सादगी से सजाएं

घर को संवारते समय आप को सादगी में ही सौंदर्य है वाली कहावत को हमेशा याद रखना है. थोड़ा व्यावहारिक बनें, बिना सोचेसमझे खरीदारी न करें. आप बहुत सारी ऐक्सैसरीज चुन सकते हैं, मूर्तियां, कैंडल होल्डर आर्ट पीसेस आदि. जब भी कोई ऐंटिक चीज खरीदें, सोच लें कि वह आप के इंटीरियर से मैच खाएगी या नहीं. कमरे में अधिक चीजें न रखें. वैसे भी आजकल सिंपल लुक का प्रचलन अधिक है.

पेंट : कलर थेरैपिस्ट का मानना है कि जो रंग आप घर में इस्तेमाल करते हैं उन का आप की भावनात्मक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है. डल कलर घर को उदास लुक देते हैं. दीवारों पर ब्राइट रंग कराएं. आजकल पिंक और पर्पल के शेड बहुत चल रहे हैं. आप लाइट रंग की थीम भी रख सकते हैं. लेकिन उस में थोड़ी ब्राइटनैस होनी चाहिए. ब्राइट कलर और अच्छी लाइटिंग कमरों में पौजिटीविटी बढ़ाती है. कमरे की एक दीवार को अपने मनपसंद रंग में पेंट करें. इसे फोकल पौइंट बनाएं. उस दीवार पर कोई आर्ट पीस लगाएं.

फर्नीचर : वुडन फर्नीचर के लिए वुड पौलिश के बजाय फैब्रिक का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस का इस्तेमाल पुराने और नए दोनों फर्नीचर में किया जा सकता है. फ्लोरल, प्लेन, ज्योमैट्रिकल पैटर्र्न जो भी आप को अच्छा लगे आप चुन सकते हैं. कई लोग कैनवास का इस्तेमाल भी करते हैं.

लाइट्स : अगर आप के घर के लैंप पुराने हो गए हैं तो उन्हें बदल दें, क्योंकि इस से देखने वाले को समझ में आ जाएगा कि आप का घर आउटडेटेड है. नई डिजाइन के लैंप लगाएं. लिविंग रूम में हमेशा सौफ्ट लाइट का इस्तेमाल करें जैसे कैंडल्स या वोटिव्स. बैडरूम के लैंप पर लैंप शेड जरूर लगाएं जिस से बैडरूम आकर्षक लगे. अपनी डाइनिंग टेबल के ऊपर शैंडलियर लटकाएं. इस से खाना खाते समय सीधा ग्लेयर नहीं पड़ेगा और यह रमणीय लगेगा. सीलिंग लाइट के बजाय हैंगिग लाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं. छोटी लाइट्स को मिला कर आप शैंडलर्स बना सकते हैं. आप घर को सजाने के लिए रंगबिरंगी लाइटों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

किचन : किचन को थोड़ा खुलाखुला रखें. अपनी कटलरी और क्रौकरी को ऐसी अलमारी में रखें जिस के दरवाजों पर कांच लगी हो. किचन में प्राकृतिक प्रकाश आने की व्यवस्था करें, इस से किचन न केवल आकर्षक लगेगा, बल्कि उस में ताजगी भी बनी रहेगी. कटलरी और क्रौकरी को डिस्प्ले करने के लिए आप किचन में अलग से अलमारियां भी बनवा सकते हैं.

शीशे और पेंटिंग्स : हर कमरे में कम से कम एक शीशा लगाएं. शीशों को हमेशा इस तरह लगाएं कि उन में कमरे की किसी सुंदर चीज का प्रतिबिंब दिखाई दे. इस की फ्रेम ऐसी हो जो कमरे के फर्नीचर से मैच खाए. आप छोटीबड़ी आकर्षक पेंटिंग्स से अपने घर की दीवारों को सजा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि  बहुत अधिक संख्या में पेंटिंग्स न लगाएं.

डैकोरेटिव पिलो व कुशन : बैड और सोफा दोनों के लिए कलरफुल कुशन व पिलो का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं और आप के कमरे का टैक्सचर और पैटर्न बढ़ाने में योगदान देते हैं.

परदे : परदे कमरे को हाईलाइट करते हैं, इसलिए इन का चयन बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए. परदेपसंद करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप की दीवारों पर किस रंग का पेंट है, किस कमरे के लिए आप परदे ले रहे हैं, कमरे का फर्नीचर कैसा है आदि. परदे कई पैटर्न और प्रिंट्स में आते हैं जैसे फ्लोरल, प्लेन, ज्योमैट्रिकल आदि. आजकल नैट के परदों का प्रचलन भी काफी है.

बैडशीट्स : कौटन या लिनेन की बैडशीट इस्तेमाल करें. बैडशीट के साथ मैचिंग पिलो कवर भी लें. बैडरूम की दीवारों से मैच करती हुई या कंट्रास्ट कलर वाली बैडशीट्स खरीदें.

वाल पेपर या फोटो वाल: घर को स्पोर्टी लुक देने के लिए वाल पेपर या फोटो वाल क्रिएट कर सकते हैं. इस से कमरे को नया लुक भी मिलेगा और उस का आकर्षण भी बढ़ेगा. वाल पेपर और कैनवास का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ्लोर : आजकल फ्लोर पर डैकवुड चलन में है. टाइल्स लगवाने के बाद जगह छोड़ कर डैकवुड लगवा सकते हैं. इस का प्रयोग अधिकतर लिविंग रूम में किया जाता है.

इनडोर प्लांट्स : नैचुरल फील देने के लिए इनडोर प्लांट्स लगाएं. आजकल के घर बहुत बंदबंद होते हैं. प्रदूषण की भी बहुत समस्या है. ऐसे में ये पौधे हवा को साफ रखते हैं और घर में ताजगी का एहसास दिलाते हैं. ये केवल आप के घर का आकर्षण ही नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि आप की सेहत भी सही रखेंगे. लेकिन पौधों का चयन करने से पहले इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि कहां कौन सा पौधा लगाएं. स्पाइडर प्लांट, स्नैक प्लांट, फिलोडैंड्रौन, लिली, गरबेरा डेजी, मनीप्लांट और पोथोस से अपने घर को सजाएं. अगर आप को पौधों के रखरखाव में रुचि नहीं है और आप केवल सुंदरता बढ़ाना चाहते हैं, तो आप कृत्रिम पौधों का चयन कर सकते हैं.

बालकनी : अधिकतर अपार्टमैंट्स में बालकनी होती है लकिन कई लोग अपनी बालकनी को सजाने में रुचि नहीं लेते हैं. आप को अपनी बालकनी को इस प्रकार सजाना चाहिए कि वह न केवल दिखने में सुंदर लगे, बल्कि आप इस का बेहतर तरीके से इस्तेमाल भी कर सकें. बालकनी में ऐंटीक फर्नीचर सब से बेहतर लगता है, इसलिए मौडर्न के बजाय एंटीक फर्नीचर का चयन करें. बालकनी की दीवार पर कोई आर्ट पीस लगाएं. बालकनी को न पूरी तरह कवर करें, न ही पूरी खुली रखें.

कौरिडोर : अगर आप का घर काफी बड़ा है और इस में कौरिडोर भी है तो इसे खाली न छोडे़ं. यहां की दीवारों पर कोईर् पेंटिंग या फोटो वाल क्रिएट करें. अगर कौरिडोर में जगह ज्यादा है तो इस में 2-3 जगह अलगअलग शोपीस रखे जा सकते हैं.

टैरेस : अगर आप के घर में टैरेस है, तो उसे एक आउटिंग स्पौट का लुक दें. आप यहां एक छोटा सा गार्डन बना सकते हैं, सुंदर लैंप लगा सकते हैं. थोड़ी जगह को कवर कर के वहां फर्नीचर रख सकते हैं. टैरेस पर केन का फर्नीचर काफी आकर्षक लगता है, टैरेस गार्डन के साथ इस का कौंबिनेशन आप की टैरेस को एक अलग ही लुक देगा. अगर आप की टैरेस पर जगह अधिक है तो आप झूला भी लगा सकते हैं.  

– सरवेश चड्ढा, आर्किटैक्ट, ग्रे इन स्टुडियो, दिल्ली

जल्लीकट्टू : पशुओं को सताना इंसानियत नहीं

जल्लीकट्टू खेल का यह नाम सल्ली कासू से बना है. सल्ली का मतलब सिक्का और कासू का मतलब सींगों में बंधा हुआ. सींगों में बंधे सिक्कों को हासिल करना इस खेल का मकसद होता है. धीरे-धीरे सल्लीकासू का नाम जल्लीकट्टू हो गया.

इस खेल से जुड़ी एक रोचक बात यह भी सुनी जाती है कि खेल के दौरान जो मर्द बंधन खोल देता था, उस को शादी के लिए दुलहन मिलती थी. लेकिन, अब यह प्रचलन में नहीं है. जल्लीकट्टू की परंपरा कई सालों से चली आ रही है और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह खेल तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बड़ा लोकप्रिय है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि सांड को काबू में करने के लिए उस के साथ कू्ररता बरती जाती थी.

तमिलनाडु के रहने वाले कुतुबुद्दीन कहते हैं, ‘‘लेकिन क्या इस वजह से जल्लीकट्टू पर ही रोक लगा दी जाए? शायद कड़ाई से इतनाभर कहना काफी होता कि पशु के साथ हिंसा का बरताव नहीं होना चाहिए. जानवर को कोई नुकसान न पहुंचे, यह पक्का करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस को निर्देश दिए जा सकते थे. इस से विवाद का दोनों पक्षों के लिए संतोषजनक हल निकलता, अदालत के फैसले और जनभावना के बीच टकराव नहीं होता.’’

चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों लोग विरोधप्रदर्शन के लिए जुटे. रजनीकांत, ए आर रहमान, जग्गी वासुदेव जैसी फिल्मी हस्तियों समेत कई दूसरी शख्सीयतें इस आंदोलन को समर्थन देती दिखीं. मुंबई में भी लोग मानव श्रंखला बना कर जल्लीकट्टू के समर्थन में विरोधप्रदर्शन कर रहे थे.

वोटबैंक की राजनीति

तमिलनाडु में कोई राजनीतिक पार्टी इस खेल पर पूरे बैन का समर्थन नहीं करती. एक अखिल भारतीय औनलाइन जनमत के अनुसार 79.56 प्रतिशत लोग चाहते थे कि यह प्र्रथा बंद हो जाए जबकि सिर्फ 14.53 प्रतिशत चाहते थे कि यह प्र्रथा चलती रहनी चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि क्या वे 14.53 प्रतिशत इतने प्रभावी हैं कि पूरी चेन्नई उन के प्रभाव से ग्रस्त है और सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ रहे हैं?

जल्लीकट्टू के आयोजन पर लगी रोक के खिलाफ जारी विरोधप्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने इस खेल के आयोजन को मंजूरी दे दी और अध्यादेश राज्य सरकार को सौंप दिया. क्यों? क्या आज की सरकार में इतना भी दम नहीं है कि वह 14 प्रतिशत लोगों का सामना कर सके, उन को समझा सके? क्यों हर बार सरकार को कुछ चंद लोगों के आगे झुकना पड़ जाता है? क्यों हर बार किसी प्रदेश, किसी जाति के लोगों से जुड़ी भावनाएं और विश्वास का हवाला दे कर किसी अच्छे विचार को टाल दिया जाता है या दबा दिया जाता है?

रजनीकांत व कमल हासन जैसी चर्चित हस्तियां और कुछ नेतावर्ग क्यों चाहते थे कि यह प्रथा चलती रहे? क्यों वे इस क्रूर प्रथा पर रोक के खिलाफ थे? क्या सदियों से चली आ रही नकारात्मक प्रथा को खत्म करना सही नहीं? असल में ये सब वोटबैंक की राजनीति है. अगर ये सब मुद्दे उठेंगे ही नहीं, तो ये सब लोग प्रसिद्घि कैसे पाएंगे, इन को पूछेगा कौन?

पशुओं के साथ क्रूरता

भोजन के लिए जानवर को मारा जाता है तो वह फिर भी न्यायसंगत है क्योंकि यह प्रकृतिदत्त है. पर अपने शौक के लिए किसी बेगुनाह को मारना या कष्ट देना कहां का न्याय है. कड़वी हकीकत यह है कि कुछ भद्र लोग सिर्फ अपने भय और आशंका को दूर करने के लिए बलि जैसे टोनेटोटके अपनाते हैं. यहां तक कि पाकिस्तान जैसे कई देश हैं, जहां के नेता या नामी लोग उड़ान से पहले रनवे पर एक काले बकरे की बलि देते हैं ताकि यात्रा सुगम व सुरक्षित रहे. क्या यह न्याय है, कतई नहीं.

जानीमानी कुछ जमीनी हस्तियों के मुताबिक, ‘‘जल्लीकट्टू के आयोजन के जरिए वे सांडों की बेहतर नस्ल संरक्षित करते हैं. उन के अनुसार, यह मशीनी युग है. मशीनी खेतीबाड़ी के इस दौर में पशुधन उपयोगी नहीं रह गया है.’’ कई का कहना है कि शायद इस प्रथा के जरिए वे पौरुष यानी मर्दवाद को स्थापित करना चाहते हैं.

आज की तारीख में जितने भी सभ्य माने जाने वाले अभिनेता जल्लीकट्टू का समर्थन करते हैं, उन्हें किसी समय में हम सब ने रुपहले परदे पर सांड के साथ भिड़ते हुए व जीतते हुए देखा है. वे शायद वही वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं.

इस खेल में सांड को क्रूरता के साथ पीटा जाता है, कई लोग एकसाथ उस की पीठ पर सवार होते हैं, उसे शराब या नशीला पेय पिला कर हिंसक व उन्मुक्त किया जाता है, उन की आंखों में मिर्च तक डाली जाती है और उन की पूंछों को मरोड़ा भी जाता है, ताकि वे तेज दौड़ सकें. परंपरा के नाम पर बेजबानों को तकलीफ देना आखिर कहां की इंसानियत है?

आफत बनते त्योहार

देश का हर तीजत्योहार अपने साथ कुछ न कुछ सिरदर्दी का मसला ले कर आता है. पूजा के दौरान लाउडस्पीकर गरजते हैं. प्रतिमाविसर्जन के समय ट्रैफिक की हालत खस्ता हो जाती है. लेकिन इन बातों का त्योहार के मूलभाव से कोई रिश्ता नहीं है. त्योहार का मूलभाव अकसर धार्मिक होता है. बहुत से लोगों को परेशानी होती है, परेशानी के मारे कुछ लोग अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं.

ज्यादा दिन नहीं हुए जब अदालत का फैसला आया था कि एक खास वक्त के बाद लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता. दीवाली के दिन ज्यादा शोर न हो, इसे ले कर भी एक सीमा निर्धारित की गई थी. सिरदर्दी पैदा करने वाली ऐसी बातों पर रोक लगती है, पर इस तरह की रोकथाम हमेशा विवाद पैदा करती है और फिर राजनीतिक विवाद के रूप में सामने आती है.

यह शायद इंसानी प्रवृत्ति ही है कि वह जीव को तकलीफ दे कर खुश होता है. इसलिए ही, वह नहीं चाहता कि ऐसे उत्सव बंद हों.

त्योहार जैसे दशहरा, दीवाली, मकरसंक्रांति, पोंगल तथा होली का उत्साह मनोरंजन के लिए पशुओं पर शामत बन कर आते हैं. इन त्योहारों में सांडों की लड़ाई व बैलगाड़ी दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन देश के अनेक हिस्सों में किया जाता है तथा पशुओं के साथ कू्ररतम तरीके से व्यवहार किया जाता है. इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन को आयोजक एवं दर्शक बड़े गौरव की बात मानते हैं, जबकि ये कृत्य भारतीय दंड विधान के अनुसार दंडनीय अपराधों की श्रेणी में शामिल हैं.

पशु कू्ररता अधिनियम 1960 एवं भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत यह कृत्य वर्जित एवं दंडनीय है. इन के आयोजक एवं प्रायोजक सभी अपराधी माने जाते हैं. सांडों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है. बग्घी दौड़ जैसे आयोजनों पर भी विभिन्न राज्यों की न्यायपालिका ने रोक लगाई है.

तमाम रोकों के बाद भी पशुओं की लड़ाई एवं बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन लगातार किया जा रहा है. इस प्रकार के आयोजनों के बाकायदा विज्ञापन दिए जाते हैं. प्रिंट व टीवी चैनलों द्वारा ऐसे कार्यक्रमों का कवरेज भी किया जाता है. इसी प्रकार मध्य प्रदेश के महाकौशल एवं महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बग्घी दौड़ के आयोजनों की खबरें भी मिलती हैं. वास्तव में ये तमाम घटनाएं हमारी परंपरा के खिलाफ तो हैं ही, साथ ही पशु प्रेमियों को परेशान करती हैं कि तमाम कानूनों के बाद भी पशुओं पर इस प्रकार के अत्याचार जारी हैं.

मुंबई में रहने वाले चेतन का कहना है, ‘‘यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. जल्लीकट्टू में वक्त बीतने के साथ कुछ बुराइयां आई हैं, जैसे सांड को चोट पहुंचाना आदि. इन्हें रोकने के लिए कोई नियम बनता है तो लोग उसे मानेंगे. सांड को चोट पहुंचाना जल्लीकट्टू का असल मकसद नहीं है. यह बहुतकुछ वैसा ही है जैसे कि त्योहार में लाउडस्पीकर बजाना. रोक लगाने की जगह पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग यानी पीपल्स फौर द ऐथिकल ट्रीटमैंट औफ ऐनिमल्स संस्था के कार्यकर्ताओं और कोर्ट को जल्लीकट्टू के इस पहलू पर विचार करना चाहिए था. महाराष्ट्र के दहीहांडी वाले मामले में जैसा आदेश दिया गया था, कुछ वैसा ही जल्लीकट्टू के मामले में कारगर होता.’’

आंकड़े यह भी बताते हैं कि ऐसे आयोजनों में बहुत से लोग घायल होते हैं या मारे जाते हैं. यह हिंसा फिर मानव की, मानव के खिलाफ इस्तेमाल होती है. कुछ लोगों, जो इस प्रथा का समर्थन करते हैं, का मानना है, ‘‘यह स्पेन की बुल फाइट से अलग है. जल्लीकट्टू हजारों वर्षों से खेला जाने वाला खेल है. इस में सांड को मारा नहीं जाता. सारा खेल तीखे सींग वाले सांड पर बांधे गए सोने या पैसे को खोलने का होता है.’’

इस के विपरीत, इस खेल का समर्थन करने वाले बालकुमारन सोमू कहते हैं, ‘‘तमिलनाडु में 6 स्थानीय नस्लें थीं. उन में से एक नस्ल अलामबदी को तो आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया है. सरकार का बैन लगा रहा तो बची नस्लें भी खत्म हो जाएंगी.’’ वहीं कार्तिकेयन शिव सेनापति कहते हैं, ‘‘जल्लीकट्टू ने लोगों को उत्साहित किया है कि वे अपने बैलों, सांडों को पालें. चूंकि यह परिवार और समुदाय की इज्जत की बात है, किसान उन का अच्छा खयाल रखते हैं. ये बैन लागू रहा तो लोगों में सांडों को रखने का उत्साह नहीं बचेगा.’’

जल्लीकट्टू का समर्थन करने वालों का कहना है, ‘‘घोड़ों की रेस पर क्यों कोई रोक नहीं लगाई जाती, या मंदिरों में रखे जाने वाले हाथियों पर कोई कुछ क्यों नहीं कहता? अगर कोई सांड को मारता है, उसे चोट पहुंचाता है तो उसे पकड़ें, सजा दें, इस में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इस के लिए इस खेल पर बैन लगाना सही नहीं.’’

कोलकाता निवासी अमित अंबस्था का मानना है, ‘‘संस्कृति और परंपरा के नाम पर बेजबान जानवरों से हिंसक खेल 21वीं सदी में स्वीकार्य नहीं है. अकसर हम लोगों में से ही कुछ या सरकार कहती है कि ‘सोच बदलो, तो देश बदलेगा.’ पर क्या, ऐसी सोच के साथ देश बदलेगा? सोच बदलने के लिए पहले हम को खुद भी तो बदलना होगा.’’

मनुष्य, पशु, धर्म और कानून

मनुष्य पशुपक्षियों पर कितना और किसकिस प्रकार अत्याचार करता है, कितनी बुरी तरह से उन का उत्पीड़न कर रहा है, इस को आएदिन सामान्य जीवन में देखा जा सकता है. यह और भी दुख व खेद की बात है कि मनुष्य का यह अत्याचार उन्हीं पशुपक्षियों पर चल रहा है जो उस के लिए उपयोगी, उस के मित्र, सेवक तथा सुखदुख के साथी व आज्ञाकारी हैं.

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार यह सही नहीं है कि एक जानवर को बस अपनी नस्ल बचाने के लिए हिंसाभरी जिंदगी जीनी पड़े.

जल्लीकट्टू के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सहमति हासिल करने के तमिलनाडु सरकार के प्रयास नाकाम हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह 3,500 वर्षों पुरानी परंपरा है जो धर्म से जुड़ी है. पर न्यायपीठ ने कहा, ‘‘यह धर्म से मेल या जुड़ाव नहीं है.’’

यहां तक कि वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर ने भी कहा, ‘‘यही एक सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजन है जो फसलों की कटाई से जुड़ा है. यह धार्मिक प्रचलन नहीं है. इस का धर्म से कोई लेनादेना नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत दी गईर् धर्म की स्वतंत्रता की धारणा से यह बाहर है.’’ इसे वर्ष 1964 के पशु अत्याचार निरोध कानून के खिलाफ करार देते हुए अदालत ने 7 मई, 2014 के फैसले में सांड से लड़ाई पर प्रतिबंध लगाया था. उस में कहा गया था, ‘‘सांड को किसी अभिनय में भाग लेने का हिस्सा नहीं बनाया जाए चाहे वह जल्लीकट्टू का कार्यक्रम हो या बैलगाड़ी की दौड़.’’

नेता, अभिनेता या कुछ सभ्रांत लोग अगर कुछ करते हैं तो किसी न किसी राजनीति के तहत ही करते हैं. किसी भी मुद्दे को उठाओ और उस को बीच में ही छोड़ दो, क्योंकि अगर मुद्दा खत्म हो गया तो जिन्हें लाभ होता है उन को पूछेगा कौन? इसलिए हर मुद्दा 2-4 दिनों या कुछ महीनों तक चर्चा में रहता है. बाद में इस मसले को बीच में ही दबा दिया जाता है. यह सब राजनीति का तरीका है.

– मोनिका अग्रवाल

अमेरिका की फर्स्ट लेडीज

45वें प्रैसिडैंट डोनाल्ड ट्रंप और फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप पर टिकी हैं. भूतपूर्व यूगोस्लाविया में जन्मी 46 वर्षीया मेलानिया ने 2006 में अमेरिकी नागरिकता ग्रहण की. विवाह से पहले वे मौडलिंग करती थीं. वे अपने रईस व आशिकमिजाज पति ट्रंप से 24 वर्ष छोटी हैं. सीक्रेट सर्विस ने मेलानिया ट्रंप को कोड नाम दिया है ‘म्यूज,’ जिस का अर्थ सुबुद्धिदाता. काफी हद तक अक्खड़ स्वभाव के प्रैसिडैंट ट्रंप को ऐसी ही पत्नी चाहिए भी थी.

महिलाओं के प्रति डोनाल्ड ट्रंप के जानेअनजाने अशिष्ट रिमार्क्स को मीडिया खूब उछालता रहा है. मेलानिया ने दबी जबान से उन रिमार्क्स का विरोध किया है और अपेक्षा की है कि भविष्य में वे पति को ऐसी बयानबाजी करने से रोक सकेंगी.

तीन बार विवाहित प्रैसिडैंट ट्रंप यों तो अपने बड़े कुनबे को यथासंभव लाइमलाइट में रखते हैं लेकिन उन्हें इस बात का विशेष ध्यान भी रखना होगा कि विशिष्ट दंपती द्वारा औपचारिक स्वागत के समय वे अपनी पत्नी को बगल में ले कर चलेंगे. एक प्रमुख मैगजीन ने ओबामा दंपती द्वारा व्हाइटहाउस में आयोजित स्वागत कार्यक्रम के अवसर पर डोनाल्ड ट्रंप को अकेले आगे बढ़ आते और मेलानिया ट्रंप को कई कदम पीछे छूटते दिखाया भी है.

अपने 11 वर्षीय पुत्र बैरन की शिक्षादीक्षा को समर्पित वर्तमान फर्स्ट लेडी मेलानिया गरमी तक न्यूयौर्क में ही रहेंगी, लेकिन फर्स्ट लेडी की भूमिका निबाहने के लिए व्हाइटहाउस में आती रहेंगी. डोनाल्ड ट्रंप और उन की पूर्व पत्नी इवाना की पुत्री इवांका अपने पति जैरेड कश्नर सहित पिता के बहुत निकट हैं और उन की विश्वासपात्र हैं. जैरेड और इवांका ने वाश्ंिगटन में घर खरीद लिया है और आवश्यकता पड़ने पर वे संभवतया पिता की औफिशियल हौस्टैस का रोल अदा करेंगी. यह असामान्य नहीं. बैचलर 15वें पै्रसिडैंट जेम्स ब्यूकैनन की भतीजी भी हैरियट लेन व्हाइटहाउस में फर्स्ट लेडी के सारे दायित्व पूरे करती थीं.

35वीं फर्स्ट लेडी जैकलीन केनेडी ने पति जौन फिटजेरल्ड केनेडी की प्रैसिडैंसी की शुरुआत में अपने नवजात शिशु पैट्रिक को खो दिया था. जीवनभर वे इस सदमे से पूरी तरह न उबर पाईं. पुत्री कैरोलाइन तथा पुत्र जौन जूनियर के पालनपोषण और व्हाइटहाउस में अपनी गृहस्थी के संचालन में उन्होंने खुद को बिलकुल रमा लिया था. प्रैसिडैंट केनेडी के भाषणों के लिए वे अनेक ऐतिहासिक व साहित्यिक तथ्य जुटाती थीं. जैकलीन केनेडी के अथक प्रयासों से राष्ट्रीय स्तर पर कला व मानविकी के उत्थान के लिए दानकोष की स्थापना हुई. उन का ‘पिल्बौक्स हैट’ लोकप्रिय फैशन प्रतीक था. अभिनेत्री मर्लिन मुनरो के साथ प्रैसिडैंट केनेडी का अफेयर उन दिनों सब की जबान पर था. मर्लिन के अलावा अन्य सुंदरियों के साथ भी उन के अफेयर्स का जिक्र अकसर होता है.

ऐयाशी और रंगीले मिजाज के लिए मशहूर विश्व के सब से बड़े प्राइवेट जहाजी बेड़े के मालिक ग्रीक शिपिंग टायकून ऐरिसटोटल ओनैसिस ऊंचे हलकों में घूमने के शौकीन थे और अपनी दौलत से हाई सोसायटी की महिलाओं को रिझाया करते थे. अमेरिकी फर्स्ट कपल के नजदीक आने की उन की कोशिश से प्रैसिडैंट केनेडी भलीभांति अवगत थे. मशहूर औपेरा सिंगर मारिया कैलस के साथ ओनैसिस की तूफानी मोहब्बत जगजाहिर थी.

जौन केनेडी देखते थे कि विधुर ओनैसिस जैकलीन केनेडी को प्रभावित करने की हर संभव कोशिश करते रहते हैं. निजी स्टाफ को उन का आदेश था कि मिसेज केनेडी को ओनैसिस से दूर रखा जाए. पति की असामयिक मृत्यु के कुछ वर्ष बाद जैकलीन केनेडी ने ओनैसिस से विवाह किया जिस के चलते वे न सिर्फ सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा से ही वंचित हुईं बल्कि आम जनता ने भी अपनी चहेती फर्स्ट लेडी को दिल से उतार दिया.

ओनैसिस की बेवफाई से दुखी हो कर उन्होंने तलाक ले लिया. उस के बाद वे न्यूयौर्क लौट आईं और जनता ने भी उन्हें फिर दिल से लगा लिया. 1994 में कैंसर से उन की मृत्यु हो गई. केनेडी दंपती के होनहार पुत्र जौन 1999 में अपनी पत्नी सहित हवाई दुर्घटनाग्रस्त हो गए. लेखक, कलाकार और डिजाइनर एडविन श्लौसबर्ग की पत्नी और जौन व जैकलीन केनेडी की एकमात्र वारिस कैरोलाइन 2013 से ले कर 18 जनवरी, 2017 तक जापान में अमेरिकी राजदूत रहीं.

कुछ अन्य फर्स्ट लेडीज ने भी अपने पतियों की आशिकमिजाजी भुगती है:

34वें प्रैसिडैंट ड्वाइट डेविड आयजेन्हौवर की ड्राइवर उन की प्रेमिका रहीं. बिल क्लिंटन के अफेयर्स के कारण उन पर महाभियोग की नौबत आने वाली थी. पत्नी हिलेरी क्लिंटन का सपोर्ट उन्हें महासंकट से उबार सका था. येल यूनिवर्सिटी से डौक्टरेट की डिगरी प्राप्त हिलेरी क्लिंटन बालाधिकार और जनस्वास्थ्य मुद्दों को समर्पित हैं.

36वीं फर्स्ट लेडी क्लौडिया जौनसन सुशिक्षित ही नहीं, कुशल प्रबंधक व चतुर निवेशक भी थीं. अपने पति लिंडन जौनसन की प्रारंभिक राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपना निजी धन लगाया. जिद्दी स्वभाव के प्रैसिडैंट जौनसन संपर्क में आने वाले कई लोगों को नाराज कर देते थे जबकि ‘लेडी बर्ड’ के नाम से लोकप्रिय, व्यवहारकुशल क्लौडिया जौनसन सब की नाराजगी दूर कर देती थीं.

प्रैसिडैंट जौनसन से खिन्न एक फोटोग्राफर ने तो यहां तक कहा कि अपनी नाराजगी के बावजूद वह ‘लेडी बर्ड’ के लिए अंगारों पर भी चल लेगा. पत्नियों से बेवफाई करने वाले अन्य प्रैसिडैंट्स से भी आगे प्रैसिडैंट जौनसन ने बजर सिस्टम लगवा रखा था. उन के स्टाफ को मिस्ट्रैसेज की जानकारी गुप्त रखने की हिदायत थी, लेकिन ‘लेडी बर्ड’ उन के ‘हरम’ से भलीभांति अवगत थीं.

29वें प्रैसिडैंट वारेन हार्डिंग की पत्नी फ्लौरेंस ज्यादा सहिष्णु नहीं थीं. एक कोठरी में अपने पति और एक युवती के सैक्स में लिप्त होने की भनक पा कर दरवाजा पीटपीट कर तोड़ डालने पर आमादा फ्लौरेंस को मुश्किल से रोका गया था.

7वें प्रैसिडैंट ऐंड्रू जैकसन दिलफेंक प्रैसिडैंट्स से अलग थे और अफवाहों को काटते थे. अपनी पत्नी रेचल की मर्यादा रक्षा के लिए उन्होंने अनेक द्वंद्व किए और सीने व बांह में गोली भी खाई.

अमेरिका में अनेक प्रैसिडैंट्स अपनी पत्नियों को समुचित आदर व मान देते थे. कई फर्स्ट लेडीज पत्नियां प्रशासन से बाहर रह कर भी मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, मानवाधिकार और पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दों को आगे बढ़ाती थीं.

39वें प्रैसिडैंट जिमी कार्टर की पत्नी रोजलिन कार्टर को सीक्रेट सर्विस ने कोड नाम दिया था डांसर. व्हाइटहाउस के कुशल संचालन करने के अलावा वे कैबिनेट मीटिंग्स में भी बैठती थीं. वे नीतिगत मामलों में पति की निजी सलाहकार थीं. व्हाइटहाउस की ईस्ट विंग में उन का अपना औफिस था.

32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट की पत्नी ऐन्ना एलिनोर रूजवेल्ट प्रगतिशील विचारों वाली थीं. बहुत लोग उन्हें आज भी आदर्श फर्स्ट लेडी मानते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना में उन की अहम भूमिका थी. वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रथम अध्यक्ष थीं. 1933 में उन्होंने विश्व की प्रथम महिला विमानचालक अमीलिया ईयरहार्ट के साथ एक छोटी फ्लाइट ली थी.

41वीं फर्स्ट लेडी बारबरा मानसिक रोगों के निवारण व साक्षरता को समर्पित हैं.

43वें प्रैसीडैंट जौर्ज वौकर बुश की पत्नी लारा बुश टीचर और लाइब्रेरियन रह चुकी हैं और साक्षरता व शिक्षा का प्रबल समर्थन करती रहीं. मिशेल ओबामा से उन की दोस्ती राजनीतिक मतभेदों से परे रही.

– इंदिरा मितल

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