मेरा पहला प्यार वापस लौट आया है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं एक लड़के से प्यार करती थी. फिर किसी बात पर हम दोनों में अनबन हो गई. 2 साल तक न उस ने मुझ से बात की और न ही मैं ने. इस बीच मेरी जिंदगी में एक और लड़का आ गया. मैं उसे प्यार करती हूं पर अपने पहले प्रेमी जितना नहीं. हम ने विवाह करने का फैसला कर लिया है. घर वाले भी हमारे रिश्ते से सहमत हैं. अब जब हमारी शादी होने वाली है मेरा पहला प्रेमी जिसे मैं अभी तक भुला नहीं पाई हूं, लौट आया है. वह भी अब मुझ से शादी करने को तैयार है. मैं समझ नहीं पा रही कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

शादी कोई हंसीखेल नहीं है. आप का पहला प्रेमी 2 साल के लंबे अंतराल के बाद उस समय लौटा है जब आप किसी और लड़के से विवाह करने जा रही हैं. आप का पूर्वप्रेमी अवसरवादी लगता है. इसीलिए आप की शादी तय हो जाने के बाद उस ने अचानक न केवल आप से संपर्क साधा वरन तुरतफुरत आप के सामने विवाह का प्रस्ताव भी रख दिया. आप को अपने निर्णय पर अडिग रहना चाहिए. आप उस से कह दें कि आप का विवाह तय हो चुका है. वह अब आप से कभी संपर्क न करे.

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‘‘दा,तुम मेरी बात मान लो और आज खाने की मेज पर मम्मीपापा को सारी बातें साफसाफ बता दो. आखिर कब तक यों परेशान बैठे रहोगे?’’

बच्चों की बातें कानों में पड़ीं तो मैं रुक गई. ऐसी कौन सी गलती विकी से हुई जो वह हम से छिपा रहा है और उस का छोटा भाई उसे सलाह दे रहा है. मैं ‘बात क्या है’ यह जानने की गरज से छिप कर उन की बातें सुनने लगी.

‘‘इतना आसान नहीं है सबकुछ साफसाफ बता देना जितना तू समझ रहा है,’’ विकी की आवाज सुनाई पड़ी.

‘‘दा, यह इतना मुश्किल भी तो नहीं है. आप की जगह मैं होता तो देखते कितनी स्टाइल से मम्मीपापा को सारी बातें बता भी देता और उन्हें मना भी लेता,’’ इस बार विनी की आवाज आई.

‘‘तेरी बात और है पर मुझ से किसी को ऐसी उम्मीद नहीं होगी,’’ यह आवाज मेरे बड़े बेटे विकी की थी.

‘‘दा, आप ने कोई अपराध तो किया नहीं जो इतना डर रहे हैं. सच कहूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मम्मीपापा आप की बात सुन कर गले लगा लेंगे,’’ विनी की आवाज खुशी और उत्साह दोनों से भरी हुई थी.

‘बात क्या है’ मेरी समझ में कुछ नहीं आया. थोड़ी देर और खड़ी रह कर उन की आगे की बातें सुनती तो शायद कुछ समझ में आ भी जाता पर तभी प्रेस वाले ने डोर बेल बजा दी तो मैं दबे पांव वहां से खिसक ली.

बच्चों की आधीअधूरी बातें सुनने के बाद तो और किसी काम में मन ही नहीं लगा. बारबार मन में यही प्रश्न उठते कि मेरा वह पुत्र जो अपनी हर छोटीबड़ी बात मुझे बताए बिना मुंह में कौर तक नहीं डालता है, आज ऐसा क्या कर बैठा जो हम से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. सोचा, चल कर साफसाफ पूछ लूं पर फिर लगा कि बच्चे क्या सोचेंगे कि मम्मी छिपछिप कर उन की बातें सुनती हैं.

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- पहला पहला प्यार : मां को कैसे हुआ अपने बेटे की पसंद का आभास

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रिश्तों को जोड़ने की कड़ी हैं बच्चे

प्रिया की शादी के 1 साल तक घर वालों ने उस से मां बनने या परिवार आगे बढ़ाने को ले कर कोई बात नहीं की. इस मामले में उस के पति भी हमेशा सपोर्टिव रहे और पूछने पर यही कहा कि जब तुम चाहो सिर्फ तभी मां बनने का फैसला लेना. मगर जब शादी के कुछ साल तक बच्चा नहीं हो तो लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही बात आती है कि कुछ कमी होगी. प्रिया के साथ भी ऐसा ही हुआ. लोग उस में ही कमी तलाशने लगे और दबे मुंह ताने भी देने लगे.

‘बच्चा नहीं हो रहा, जरूर कुछ कमी होगी’ प्रिया को इस तरह की बातें भी सुनने को मिलने लगीं. दरअसल, आज भी कई लोगों को फैमिली प्लानिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्हें लगता है कि बस शादी हुई और बच्चा हो जाना चाहिए और अगर नहीं हुआ है तो जरूर कोई कमी होगी. देखा जाए तो यह कमी पुरुष में भी हो सकती है. लेकिन प्रैक्टिकली इस कमी का इशारा सिर्फ महिला की तरफ ही होता है.

इन तानों से बचने के लिए प्रिया ने शादी के करीब 2 साल बाद ही फैमिली प्लानिंग खत्म कर मां बनने का फैसला लिया. उस ने अपने पति से इस बारे में बात की. इस के बाद शुरू हुई वह कहानी जहां कई लोगों की जिंदगी एक नए रास्ते की तरफ मुड़ जाती है. प्रिया ने प्राकृतिक तरीके से प्रैगनैंट होने की काफी कोशिश की, मगर ऐसा नहीं हो सका. घर में सब उदास से रहते. सास और वह खुद भी किसी छोटे बच्चे को देखती तो दिल में हूक सी उठती. हर महीने वे 3 दिन आते और उसे फिर से निराश कर के चले जाते.

कई तरह के डाक्टरी चैकअप और इलाज के बाद भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तब प्रिया को प्रैगनैंसी के लिए आईवीएफ की मदद लेनी पड़ी. आईवीएफ के जरीए वह जल्द ही प्रैगनैंट हो गई. फिर बहुत इंतजार के बाद जब नन्हा सा फूल उस की गोद में खेलने लगा तो घर भर में खुशी की लहर दौड़ गई. बच्चे को गोद में लेते ही सब के चेहरे पर रौनक छा जाती. वह बच्चा पूरे परिवार को जोड़ने और घर भर की खुशियों की वजह बन गया.

नई खुशी और उत्साह की वजह

सच में किसी भी परिवार के लिए बच्चे का जन्म एक नई खुशी और उत्साह की वजह बनता है. बच्चा उन के जीवन में नए रंग ले कर आता है. बच्चे के जन्म के साथ ही शादीशुदा जिंदगी में एक मजबूती आ जाती है. रिश्तों में प्रगाड़ता और घर में रौनक आ जाती है. पतिपत्नी एकदूसरे के ज्यादा करीब आते हैं. एकदूसरे की तकलीफ सम झने लगते हैं और एक अनकहा सा जुड़ाव महसूस करते हैं.

जिन मुद्दों पर शादी के बाद 2 लोगों के बीच अकसर बहस हो जाती थी, बच्चे पैदा होने के बाद वे मुद्दे कहीं खो जाते हैं. दोनों मिल कर केवल बच्चे की सेहत और उस की सुरक्षा के बारे में सोचने लग जाते हैं. बच्चे की मासूमियत के आगे घर के सारे गम फीके से लगने लग जाते हैं. लेकिन वही बच्चा जब बीमार हो जाता है तो जैसे मांबाप के दिन का चैन और रातों की नींदें ही उड़ जाती हैं.

दरअसल, बच्चे परिवार का वह हिस्सा होते हैं जो बीज से निकल कर एक छोटे से पौधे के रूप में जन्म लेते हैं. बच्चों के जन्म लेने से हर परिवार की खुशियां दोगुनी हो जाती हैं. मातापिता बच्चों की परवरिश से ले कर उन्हें बड़ा करने तक उन की सारी जिम्मेदारियां उठाते हैं. बच्चा जबजब रोता है तबतब माता अपने सारे काम छोड़ कर उस को चुप करवाने के लिए चली आती है.

बच्चा जब भी किसी वस्तु के लिए जिद करता है तो पिता समेत पूरा घर उस की हर जिद के लिए दिनरात एक कर देता है. बच्चे के जन्म के साथ ही पति का पत्नी के साथसाथ परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ भी रिश्ता और मजबूत हो जाता है.

पतिपत्नी करीब आते हैं

बच्चे का आगमन पतिपत्नी को जोड़ता है. वे एक इकाई के रूप में काम करने लगते हैं. दोनों का ध्येय अपने दिल के टुकड़े को आराम पहुंचाना और सही तरीके से उस का विकास होता देखना होता है. उन के पास एकदूसरे के साथ लड़ने का समय नहीं रहता. वे सम झने लगते हैं कि बच्चे को अपने पेरैंट्स का प्यार चाहिए. बच्चे को प्यारदुलार देने के लिए पतिपत्नी को भी करीब आना पड़ता है ताकि उसे एक खुशहाल माहौल में मां और पिता दोनों का प्यार एकसाथ मिल सके. इस तरह से एक बच्चा पतिपत्नी को दूर नहीं बल्कि करीब लाने का काम करता है.

साथ समय बिताना

नन्हे बच्चे के आने के साथ ही मातापिता की दिनचर्या बदल जाती है. वे बच्चे के साथ जागते हैं और बच्चे के साथ ही सोते हैं. उस के साथ हंसते हैं और बच्चे के रोने पर एकसाथ परेशान भी होते हैं. बच्चे का डायपर बदलने से ले कर उस के खानेपीने का इंतजाम करने और खिलौने से खिलाने, नहलानेधुलाने और बीमार पड़ने पर रातभर उस का खयाल रखने का काम भी दोनों मिल कर करते हैं और इस वजह से उन्हें ज्यादा समय साथ बिताने का मौका मिलता है.

सिर्फ मातापिता ही नहीं बल्कि दादादादी, बूआ, चाचा जैसे घर के दूसरे सदस्यों को भी बच्चे के साथ समय बिताने का मौका मिलता है और वे इसे भरपूर ऐंजौय करते हैं. इस तरह पूरा परिवार एकजुट हो जाता है.

जुड़ाव

एक बच्चे के आ जाने के बाद मांबाप उस के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते हैं. इस दौरान उन्हें भी एकदूसरे से एक खास जुड़ाव का एहसास होने लगता है. एकदूसरे के लिए की गई छोटीछोटी कोशिश पतिपत्नी को और करीब लाने का काम करती है. बच्चे की देखभाल के बहाने पतिपत्नी कई तरह की बातें शेयर करते हैं. उन के बीच कम्यूनिकेशन मजबूत होता है और इसी के साथ उन का रिश्ता भी मजबूत होता है.

औरत के जीवन में प्रैगनैंसी यानी गर्भावस्था एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मुकाम होता है. कुछ दंपती बच्चे की प्लानिंग करते हैं और उन का मातापिता बनने का सफर आसानी से शुरू हो जाता है, वहीं कुछ दंपतियों को कई कोशिशों के बाद भी यह खुशी मिलने में एक अरसा लग जाता है. इस के अलावा कई बार कुछ सामान्य शारीरिक दोषों की वजह से भी औरत गर्भावस्था के सुख से वंचित रह जाती है. ऐसे में आजकल पतिपत्नी यह सपना आईवीएफ के जरीए भी पूरा करने लगे हैं. यह बच्चे के लिए तरसते दंपतियों की जिंदगी में खुशियों के दीप जलाने की एक बेहतरीन और नई तकनीक है.

आइए, जानते हैं प्रैगनैंसी और आईवीएफ से जुड़ी कुछ रोचक और जरूरी बातें:

गर्भावस्था क्या है: गर्भावस्था का एहसास और इस की पूरी प्रक्रिया से ले कर बच्चे के मां के हाथों में आने तक सबकुछ इतना जादुई है कि कभीकभी यकीन करना कठिन होता है कि छोटा सा फर्टिलाइज्ड एग कैसे मां के गर्भाशय में पहुंच कर एक बच्चे का रूप ले लेता है. दरअसल, गर्भावस्था का पूरा मामला हारमोंस के एक ऐसे बायोलौजिकल डांस पर टिका होता है जिस की एक भी बीट आप को मिस नहीं करनी चाहिए वरना फिर अगले महीने का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता है. अगला महीना यानी अगला औव्यूलेशन पीरियड.

एक सामान्य लड़की के यूटरस यानी गर्भाशय में सिर्फ 10 मिलीलिटर यानी 2 चम्मच पानी समाने जितनी क्षमता होती है. लेकिन जब गर्भावस्था का समय आता है तब इस की क्षमता बढ़ कर इतनी ज्यादा हो जाती है कि इस में लगभग 5 लिटर फ्लूड आ जाता है. गर्भाशय खुद को इतना ज्यादा फैला लेता है कि इस में बढ़ते बच्चे के लिए पूरी जगह बनने लगती है.

एक औरत के मां बनने के लिए पतिपत्नी का सिर्फ शारीरिक संबंध बनाना ही काफी नहीं है बल्कि यह संबंध महिला का औव्यूलेशन पीरियड के समय बनाना जरूरी होता है. कई लड़कियों को औव्यूलेशन पीरियड के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसलिए मां बनने की उन की इच्छा बहुत देर से पूरी होती है.

जटिल प्रक्रिया: सामान्य रूप से गर्भावस्था एक एग और स्पर्म के मिलने की प्रक्रिया है. लेकिन वास्तव में इस के पीछे शरीर के भीतर बहुत कुछ घटित होता है. साइंस की भाषा में गर्भावस्था तब शुरू होती है जब एक फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय में प्रवेश करता है. यह पूरी प्रक्रिया काफी जटिल है और इस को सम झने के लिए स्पर्म और एग के बारे में सम झना जरूरी है.

स्पर्म एक प्रकार के माइक्रोस्कोपिक सैल होते हैं जो टैस्टिकल्स में बनते हैं. स्पर्म अन्य फ्लूड्स के साथ मिल कर सीमन तैयार करता है जो इजैक्यूलेशन के दौरान पुरुष जननांग से बाहर निकलता है. जितनी बार इजैक्युलेशन होता है उतनी बार लाखों की संख्या में स्पर्म निकलते हैं, लेकिन गर्भावस्था के लिए सिर्फ एक स्पर्म और एग के मिलने की जरूरत होती है. एग्स ओवरीज में होते हैं. हारमोंस जो महिलाओं के मासिकचक्र के लिए जिम्मेदार होते हैं उन की ही वजह से हर महीने कुछ एग मैच्योर हो जाते हैं.

एग के मैच्योर होने का मतलब है कि वह स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होने के लिए तैयार है. हारमोंस की वजह से गर्भाशय की बाहरी सतह भी थोड़ी मोटी हो जाती है जिस से महिला का शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार होता है.

औव्यूलेशन पीरियड और गर्भावस्था

मासिकचक्र शुरू होने से कुछ दिनों पहले एक मैच्योर एग ओवरी से बाहर निकलता है और फैलोपियन ट्यूब से होते हुए यूटरस में प्रवेश करता है जिसे औव्यूलेशन पीरियड कहा जाता है. इस दौरान गर्भवती होने की संभावना सब से ज्यादा होती है. इस दौरान जब स्पर्म और एग जुड़ते हैं तो इसे फर्टिलाइजेशन कहा जाता है. जब यह फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय की तरफ जाता है तब वह ज्यादा से ज्यादा सैल्स में विभाजित होने लगता है जिस से एक बौलनुमा आकृति बन जाती है.

कोशिकाओं की ये गेंदनुमा आकृति फर्टिलाइजेशन के 3-4 दिन बाद गर्भाशय में प्रवेश करती है. जब यह गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाती है तो इसे इंप्लांटेशन कहा जाता है जो गर्भावस्था की औफिशियल शुरुआत होती है. इन सारी प्रक्रियाओं के करीब 9 महीने के बाद बच्चे का जन्म होता है.

कमी महिला में ही नहीं पुरुष में भी हो सकती है: जब एक फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय में इंप्लांट हो जाता है तब प्रैगनैंसी हारमोंस की वजह से पीरियड्स रुक जाते हैं. लेकिन अगर एग स्पर्म से नहीं जुड़ता है या फर्टिलाइज्ड एग यूटरस में इंप्लांट नहीं होता है तो पीरियड्स के साथ ये फर्टिलाइज्ड एग्स भी बाहर निकल जाते हैं और गर्भवती होने के लिए अगले महीने का इंतजार जरूरी हो जाता है.

कई बार महीनों तक कोशिश करने के बाद भी गर्भावस्था की स्थिति सामने नहीं आती. इस की वजह मोटापा और ज्यादा उम्र के अलावा पीसीओएस (पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) या पीसीओडी जैसे कारण हो सकते हैं. कई दफा 2 खास हारमोन प्रोजेस्टेरौन और ऐस्ट्रोजन के बीच संतुलन बिगड़ जाता है या कई बार अंडाशय में सिस्ट (गांठ) बनने लगती हैं. इस से शरीर में कई समस्याएं होने लगती हैं और गर्भ ठहरने में बाधा पहुंचती है.

शादी के बाद सबकुछ सही होने पर भी दंपती को 6 महीनों से ले कर साल तक का समय गर्भावस्था की स्थिति तक पहुंचने में लग सकता है. इस से ज्यादा समय लगने पर जरूर डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उसी के अनुसार दवा व उपचार किया जाना चाहिए. कमी सिर्फ महिला में ही नहीं बल्कि पुरुष में भी हो सकती है. हालांकि इन समस्याओं का उपचार भी संभव है.

मां न बन पाने पर हत्या

हाल ही में बिहार के बगहा में संतान नहीं होने पर विवाहिता के गले में रस्सी डाल कर

हत्या का मामला सामने आया. हत्या के बाद ससुराल वाले घर छोड़ कर फरार हो गए. रामनगर थाना के भुवाल साह ने अपनी बेटी निर्मला की शादी 4 साल पूर्व बगहा नगर के कैलाश नगर निवासी भोला साह से की थी. 4 साल बीत जाने के बाद उस की कोई संतान नहीं हुई जिस को ले कर ससुराल वाले उस को प्रताडि़त करते थे, उस के साथ मारपीट करते थे और आएदिन ताने देते थे. कई बार घर से भी निकाल देते थे.

उसे घर में रखने के लिए रुपयों की मांग करते थे. सास अपने बेटे पर दूसरी शादी करने का दबाव भी बनाती थी. अंत में उन्होंने महिला की हत्या ही कर दी.

यह कोई अकेली घटना नहीं है. इस तरह की घटनाएं अकसर होती रहती हैं जब औरत पर बां झ होने का आरोप लगा कर और प्रताडि़त कर उसे दुनिया से ही रुखसत कर दिया जाता है मानों सारा दोष स्त्री का ही हो. ऐसे घर भी होते हैं जहां बच्चा न होने की वजह से घर में रोजरोज कलह होती है.

लड़ाई झगड़ों के बीच रिश्तों के बीच का प्रेम दम तोड़ने लगता है. घर में हमेशा अ

शांति और असंतुष्टि का साम्राज्य छाया रहता है. इस से भी बढ़ कर कुछ लोग तो संतान न होने पर ओ झामौलवी और बाबाओं के दर का चक्कर लगाने लगते हैं और इस तरह रहासहा सुकून और लाखों रुपए भी बरबाद करते हैं.

उपचार के कई विकल्प

भारत में बां झपन के उपचार के कई विकल्प मौजूद हैं, जिन में अंडाशय को अंडे की बेहतर गुणवत्ता के लिए स्टिम्युलेट करने की दवाएं शामिल हैं. इस के साथ अब दूरबीन से होने वाली सर्जरी में काफी तरक्की हुई है जैसे लैप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी. ये न केवल समस्या का पता लगाने में मदद करती हैं, बल्कि बेहतर सफलता दर के साथ इस समस्या का उपचार भी करती हैं.

इस के अलावा कृत्रिम प्रजनन तकनीक जैसे इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) मौजूद है. इस में अंडे और शुक्राणुओं को मिलाया जाता है और इन विट्रो यानी शरीर के बाहर निषेचित किया जाता है. उस के बाद उसे फिर गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है. यह तकनीक दंपतियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

एआरटी जैसे आईवीएफ, आईसीएसआई आदि बां झपन के लिए एक वरदान है, मगर काफी महंगी है. इस का खर्च प्रति साइकिल करीब 1.5 से 2.5 लाख रुपए आता है जो इसे गरीबों की पहुंच से बाहर कर देता है.

कुछ समय पहले तक बेऔलाद महिलाओं को आईवीएफ की मदद से 45 साल की उम्र तक मां बनने की इजाजत थी, लेकिन लोकसभा में ‘असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी (रैगुलेशन) यानी एआरटी बिल 2020’ पास होने के बाद संतानहीन महिलाएं आईवीएफ की मदद से 50 साल की उम्र तक मां बन सकेंगी.

एग डोनर महिलाओं को मिलने वाले मेहनताने में सुधार होगा और उन की सेहत का खयाल भी रखा जाएगा. बहुत सारी महिलाओं के शरीर में ‘एग’ की कमी होती है. इन के लिए एग डोनर की सुविधा ली जाती है.

उम्मीदों को मिली उड़ान

आज पूरे विश्व में करीब 90 लाख बच्चे आईवीएफ की मदद से जन्म ले रहे हैं. ‘इंडियन आईवीएफ मार्केट आउटलुक 2020’ की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2020 के बीच आईवीएफ मार्केट में 15% की बढ़त हुई. ‘आरएनसीओएस’ बिजनैस कंसल्टैंसी सर्विसेज की इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में कई वजहों से इनफर्टिलिटी बढ़ी है, जिस में अधिक उम्र में शादी होना और लाइफस्टाइल को जिम्मेदार ठहराया गया है. यूनाइटेड नेशंस के डेटा के अनुसार भारत में इनफर्टिलिटी रेट बढ़ी है.

कुछ इस तरह निभाएं घर की जिम्मेदारी

अकसर पत्नियों को शिकायत रहती है कि पति घरेलू कामों में उन की मदद नहीं करते. किसी हद तक उन की यह शिकायत सही भी है, क्योंकि शादी के बाद ज्यादातर पति घर के बाहर की जिम्मेदारी तो बखूबी निभाते हैं, मगर बात अगर रसोई में पत्नी की मदद करने की हो या घर की साफसफाई की तो अमूमन सभी पति कोई न कोई बहाना बना कर इन कामों से बचने की कोशिश करते नजर आते हैं. कहने को तो पतिपत्नी गाड़ी के 2 पहियों की तरह होते हैं, मगर जब आप एक ही पहिए पर घरगृहस्थी का सारा बोझ डाल दोगे तो फिर गाड़ी का लड़खड़ाना तो लाजिम है.

अकसर पत्नियां घर के कामों में इतनी उलझ जाती हैं कि उन के पास खुद के लिए भी समय नहीं होता. ऐसे में यदि उन्हें घर के कामों में पति का सहयोग मिल जाए तो उन का न सिर्फ बोझ कम हो जाता है, बल्कि पतिपत्नी के रिश्ते में मिठास और बढ़ जाती है.

यों बांटें काम

घर के काम को हेय समझना छोड़ कर पति कुछ कामों की जिम्मेदारी ले कर अननी गृहस्थी की बगिया को महका सकते हैं. ऐसे कई काम हैं, जिन्हें पतिपत्नी दोनों आपस में बांट कर कर सकते हैं:

– किचन को लव स्पौट बनाएं, अकसर पति किचन में जाने के नाम से ही कतराते हैं, मगर यहां आप पत्नी के साथ खाना पकाने के साथसाथ प्यार के एक नए स्वाद का भी आनंद ले सकते हैं. सब्जी काटना, खाना टेबल पर लगाना, पानी की बोतलें फ्रिज में भर कर रखना, सलाद तैयार करना आदि काम कर आप पत्नी की मदद कर सकते हैं. यकीन मानिए आप के इन छोटेछोटे कामों को आप की पत्नी दिल से सराहेगी.

– कभी पत्नी के उठने से पहले उसे सुबह की चाय पेश कर के देखिए, आप के इस छोटे से प्रयास को वह दिन भर नहीं भूलेगी. अगर पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है तो ऐसे में हलकाफुलका नाश्ता बना कर उसे थोड़ा आराम दे सकते हैं.

– यदि पति किचन में कुछ पकाना चाहे तो उन्हें टोकिए मत. रसोईघर को व्यवस्थित रखें. सभी डब्बों में लेबल लगा कर रखने से पति हर चीज के लिए आप से बारबार नहीं पूछेंगे.

– अगर आप को शिकायत है कि आप की पत्नी सारा वक्त बाथरूम में कपड़ों की सफाई में गुजार देती है और आप के लिए उन से पास जरा भी फुरसत नहीं है तो इस का सारा दोष पत्नी को मत दीजिए. छुट्टी वाले दिन आप इस काम में उस का हाथ बंटा सकते हैं. कपड़ों को ड्रायर कर के उन्हें सुखाने डालते जाएं. इस तरह एकसाथ काम करते हुए आप दोनों को बतियाने का मौका भी मिल जाएगा.

– अकसर सभी घरों में हफ्ते भर की सब्जियां ला कर फ्रिज में स्टोर कर दी जाती हैं. टीवी पर अपना पसंदीदा शो या क्रिकेट मैच देखने में मशगूल पति को आप मटर छीलने के लिए बोल सकती हैं या फिर सब्जियां साफ करने के लिए दे सकती हैं.

– गार्डन में लगे पौधों को पानी देने का काम पति से बोल कर करवा सकती हैं.

– घर में कोई पालतू जानवर है तो उसे टहलाने की जिम्मेदारी दोनों मिल कर उठाएं.

– बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ विषय आप चुन लें. कुछ पति को दें.

– पति व घर के अन्य सदस्यों में अपने छोटेमोटे काम स्वयं करने की आदत डलवाएं. नहाने के बाद गीला तौलिया सूखने डालना, अपने कपड़े, मोजे आदि अलमारी में सलीके से रखने जैसे कई ऐसे काम हैं, जिन्हें घर का हर सदस्य खुद कर सकता है.

– यदि आप चाहती हैं कि पति घरेलू कामों में आप की दिल से मदद करें तो प्यार व मनुहार से कहें. यदि आप जबरदस्ती कोई काम उन पर थोपेंगी तो जाहिर है मिनटों का काम करने में उन्हें घंटों लग जाएं और कार्य भी ढंग से पूरा न हो. शुरू में उन के साथ मिल कर काम करें.

थोड़ा धैर्य बनाए रखें. धीरेधीरे ही सही, मगर एक बार पति आप के कामों में सहयोग देने लगेंगे तो उन्हें भी इस बात का एहसास होगा कि आप दिन भर में कितना खटती हैं. पति हो या पत्नी जब घर दोनों का है तो घर के कामों का जिम्मा भी दोनों मिल कर उठाएं. तभी तो वैवाहिक जीवन की गाड़ी सुचारु रूप से चलेगी.

पहली नजर का प्यार और अट्रैक्शन

यह पहली नजर का उफ क्या असर है. तुम्हारी कसम, डगमगाए से हम हैं… उंगलियों में चाबी का गुच्छा नचाते, फुल वौल्यूम में गाते हुए अतुल ने बंधु के कमरे में प्रवेश किया. मेज पर फैली अपनी किताबों को समेटते हुए बंधु ने अतुल से पूछा, ‘‘यार, क्या बात है, बड़ा खुश नजर आ रहा है?’’ ‘‘यार, बात ही ऐसी है,’’ कहते हुए अतुल गाने की फिर वही पंक्तियां दोहराने लगा.

बंधु ने अपनी बेचैनी दबाते हुए फिर पूछा, ‘‘अब कुछ बताएगा भी या यों ही गला फाड़ता रहेगा?’’ जब अतुल ने कालेज में ही पढ़ने वाली नीता के साथ अपनी पहली नजर में ही प्यार हो जाने का किस्सा सुनाया तो बंधु हंसने लगा और हंसतेहंसते बोला, ‘‘यार, तू इसे पहली नजर क्यों कह रहा है? मुझे तो लगता है यह शायद तेरी 26वीं नजर वाला प्यार है. एमए में हम दोनों को साथ पढ़ते हुए अभी सिर्फ एक साल ही बीता है, लेकिन इन 12 महीनों में तेरी नजरें 25 युवतियों से तो पहली नजर वाला प्यार कर ही चुकी हैं.

अपनी पहली नजर के प्यार की यों मखौल उड़ता देख अतुल चिढ़ सा गया, बोला, ‘‘मैं सब समझता हूं, तुझ से तो कुछ होता नहीं, बस, बैठाबैठा मेरी तरक्की देख कर जलता रहता है.’’ दोस्त को मनाते हुए बंधु बोला,’’ यार, तू तो नाराज हो रहा है. अरे, मैं क्यों तेरी तरक्की से जलने लगा, मैं तो चाहता हूं कि तू और तरक्की करे. लेकिन जिसे तू प्यार कह रहा है वह प्यार न हो कर मात्र आकर्षण है.’’

बंधु की बात बीच में ही काटता हुआ अतुल बोला, ‘‘यार, तेरी हर समय यह लैक्चरबाजी मुझे पसंद नहीं. अरे, दिलों की बात तू क्या जाने? नीता और मैं दोनों एकदूसरे को कितना चाहने लगे हैं, हम शादी भी करेंगे. तब तेरा मुंह बंद हो जाएगा.’’ कुछ दिनों बाद अतुल के नीता से चल रहे प्रेमप्रसंग का वही अंत हुआ जो उस के पिछले 25 का हुआ था. क्या सच में पहली नजर का प्यार प्रेमियों के अंदर पनपता है? अगर पहली नजर वाला प्यार उत्पन्न होता है तो कुछ समय बाद प्यार से लहराता दिल अचानक सूख क्यों जाता है.

विपरीत सैक्स के प्रति अपार आकर्षण पहली नजर में होने वाला प्यार काफी हद तक यौनाकर्षण से जुड़ा होता है. लड़केलड़कियां एकदूसरे से विपरीत सैक्स के कारण अपार आकर्षण अनुभव करने लगते हैं. उस आकर्षण को ही वे सच्चा प्यार समझने लगते हैं. वास्तव में यह प्यार नहीं होता. यह तो मात्र एक आकर्षण है, जो विपरीत सैक्स के बीच स्वाभाविक रूप से होता है.

विपरीत सैक्स की आपस में बहुत ज्यादा निकटता से कभीकभी प्यार होने जैसी गलतफहमी होने लगती है. 15 वर्ष की शालू को लगने लगा जैसे वह अपने मास्टर के बिना नहीं जी पाएगी. 25 वर्षीय मास्टरजी उसे घर में सितार सिखाने आते थे. एकांत कमरे में मास्टरजी की समीपता से उसे लगने लगा कि वह मास्टरजी से बहुत प्यार करने लगी है. वह तो अच्छा हुआ कि शालू पर चढ़ा मास्टरजी का आकर्षण सिर चढ़ कर बोलने लगा. रातदिन बेटी के मुंह से मास्टरजी के किस्से सुन कर शालू की मम्मी का माथा ठनका, बात बिगड़ने से पहले ही मम्मी ने संभाल ली. कुछ दिन तो शालू ने मास्टरजी को बहुत मिस किया, लेकिन धीरेधीरे वह मास्टरजी को भूलने लगी. अब तो मास्टरजी को देख कर उस का मन दुखी हो जाता है. वह स्वयं से प्रश्न करती है, आखिर इन बौनेकाले मास्टरजी में ऐसा क्या था जो मैं इन पर लट्टू हो गई थी. विपरीत सैक्स के आकर्षण का समीपता के अलावा और भी कारण हो सकते हैं जो दिल में प्यार पैदा कर देते हैं.

कल्पना के अनुरूप मिल जाना हर लड़का या लड़की की जीवनसाथी के बारे में जरूर कुछ न कुछ कल्पना होती है. कल्पना के अनुरूप कोई भी एक गुण मिल जाने पर प्यार हो जाता है. एक कौन्फ्रैंस में देवेश नागपुर गए थे. वहीं उन्होंने जींसटौप में सजी हंसमुख मीनाक्षी को देखा, तो उन्हें लगा वे उसे अपना दिल ही दे बैठे हैं. एक सप्ताह की कौन्फ्रैंस में 5 दिन दोनों ने साथसाथ बिताए. वहां आए सभी लोगों को भी देवेश और मीनाक्षी के प्रेम को प्रेमविवाह में बदलने का पूरा विश्वास था. लेकिन जाने से 2 दिन पहले की बात है. मीनाक्षी देवेश से मिलने उन के कमरे में आई.

देवेश उस समय चाय बना रहे थे. मीनाक्षी को आया देख कर उन्होंने उस के लिए भी चाय बनाई. 2 कपों में चाय बना कर देवेश ने मेज पर रखी, मीनाक्षी ने चाय उठाई. अपने कप में बाहर की ओर लगी चाय को उस ने रूमाल से नजाकत से पोंछा. देवेश इस उम्मीद में थे कि उन के कप में लगी चाय भी पोंछेगी, लेकिन उस ने उन के कप की ओर ध्यान ही नहीं दिया. चाय पी कर जूठे कपप्लेट वहीं छोड़ कर वह चली गई. देवेश मीनाक्षी के इस व्यवहार से आहत हो गए. मीनाक्षी के प्रति उन के मन में प्यार का छलकता सागर उसी समय सूख गया. यह अवश्य था कि उन की पसंद के अनुसार मीनाक्षी स्मार्ट थी, हंसमुख थी, लेकिन जिसे उन की जरा भी परवाह नहीं, ऐसी जीवनसाथी उन्हें जीवन में क्या सुख देगी.

उसी समय कई दिनों से बढ़ाई प्यार की डोर उन्होंने एक झटके से काट डाली. उस के बाद मीनाक्षी से उन्होंने कोई बात नहीं की. अगले दिन वे नागपुर से कानपुर लौट आए. जब मीनाक्षी की ही समझ में कोई कारण न आया तो औरों की समझ में क्या आता. आखिर सब ने देवेश के जाने के बाद उन्हें धूर्त, मक्कार तथा फ्लर्ट की संज्ञा दी.

अवगुण आकर्षण पर भारी प्यार हो जाने तथा प्यार के टूट जाने के पीछे मुख्य कारण है हमारी पंसद का बिखरी अवस्था में होना. हमारे दिमाग में जहां एक ओर गुणों की लंबीचौड़ी लिस्ट होती है, वहीं अवगुणों की लिस्ट भी मौजूद रहती है. हमारे इच्छित सभी गुणों का एकसाथ मिलना असंभव होता है.

जब किसी से प्यार होता है तो उस प्यार के पीछे हम उस के किसी गुण से आकर्षित हो कर उस से प्यार करते हैं. लेकिन प्यार में नजदीकी बढ़ने के साथ ही अगर कोई बुराई सामने आ जाती है, तो वह प्यार के आकर्षण को वहीं समाप्त कर देती है. एक श्रीमान हैं. उम्र 40 वर्ष के लगभग है. लेकिन अभी तक कुंआरे हैं. दिल हथेली पर लिए घूमते हैं. मौका मिलते ही दिल लड़की को सौंपने में नहीं हिचकिचाते, चाहे बदले में उन्हें जूते ही खाने पड़ें. लेकिन कई लड़कियों से दिल लगाने के बाद भी वे अकेले के अकेले हैं. कारण, एक न एक गुण तो उन्हें हर लड़की का आकर्षित कर ही लेता है. लेकिन प्यार में नजदीक आने के बाद कोई अवगुण उन के शादी के जोश को समाप्त कर देता है.

वैसे, दिल के साथ दिमाग का प्रयोग करने वाले प्रेमियों की संख्या काफी कम होती है. चूंकि प्यार अंधा होता है, इसलिए अवगुणों की ओर तो ध्यान जाता ही नहीं. प्यार में डूबे अकसर प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे के अवगुणों के प्रति आंखें मूंद कर प्यार के अंधे होने को सत्य साबित करते हैं. किस की कौन सी अदा कब किस के दिल में

मुग्धा बस से दिल्ली जा रही थी. मुग्धा खिड़की से बाहर का दृश्य निहार रही थी अचानक सिगरेट का धुआं उस की नाक में घुसा. उस ने बुरा सा मुंह बनाते हुए पलट कर देखा. बगल की सीट पर ही बैठा नवयुवक बड़ी मस्ती से सिगरेट के छल्ले निकालनिकाल कर मंत्रमुंग्ध हो, उसे देख रहा था. मुग्धा बुरी तरह झल्लाई, ‘‘आप को कुछ तमीज है.’’ युवक ने सहम कर देखा और फौरन जली हुई सिगरेट अपने जूतों के नीचे मसल डाली. मुग्धा उसे देखती रह गई. अब बाहर के दृश्यों को देखने में उस का मन न लगा. रहरह कर आंखें उसी युवक पर टिक जातीं जो सिगरेट बुझा कर उदास सा बैठा था.

न जाने उस में मुग्धा को क्या लगा कि वह उस युवक के भोलेपन पर मुग्ध हो गई. कुछ देर पहले जितनी बेरुखी से उस ने उसे डांटा था, अब आवाज में उस से दोगुनी मिठास घोलते हुए उस ने युवक से पूछा, ‘‘आप इतनी सिगरेट क्यों पीते हैं?’’ फिर बातचीत का ऐसा सिलसिला चला कि कुछ ही घंटों में वे दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. इस घटना के कुछ ही समय बाद दोनों विवाहबंधन में भी बंध गए. ठीक इसी तरह निशा अंगरेजी वाले सर, आनंद की आवाज पर फिदा है. सहेलियों के बीच बैठी हो या परिवार वालों के, उस की बातों का केंद्रबिंदु आनंद सर ही रहते हैं.

‘‘क्या आवाज है उन की. लगता है जैसे कहीं बहुत दूर से आ रही है.’’ जितनी देर आनंद सर कक्षा में पढ़ाते, निशा पढ़ाईलिखाई भूल, मंत्रमुग्ध हो आनंद सर की आवाज के जादू में डूबी रहती. निशा अपने सर की आवाज की दीवानी है तो कक्षा में सब से स्मार्ट दिखने वाली शशि, ग्रामीण कैलाश को देखते न अघाती थी, उस के आकर्षण का केंद्रबिंदु था कैलाश की ठोड्डी में पड़ने वाला गड्ढा. इसी तरह न जाने किस की कौन सी अदा कब किसी के दिल में प्यार की चिनगारी सुलगा दे, यह बतलाना बहुत मुश्किल है.

अपने देवर से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 23 साल की हूं. शादी को 2 साल हुए हैं. मैंने 6 महीने पहले अपने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की, पर अब नहीं करना चाहती. अब देवर जबरदस्ती करता है. मैं उसे कैसे रोकूं?

जवाब

आप ने अपनी मरजी से भूखे को लजीज खाने का चसका लगा दिया और अब उस के आगे से प्लेट हटा रही हैं. ऐसे में वह झपट्टा मारेगा ही. अब बेहतर यही है कि उसे ऐसा मौका ही न दें कि वह खींचातानी कर सके. उस से अकेले में कतई न मिलें. यकीनन वह खुद चोर है, इसलिए किसी से नहीं कहेगा.

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जिस्म की भूख क्या न करा दे

‘यार, हौट लड़कियां देखते ही मुझे कुछ होने लगता है.’

मेरे पतिदवे थे. फोन पर शायद अपने किसी दोस्त से बातें कर रहे थे. जैसे ही उन्होंने फोन रखा, मैं ने अपनी नाराजगी जताई, ‘‘अब आप शादीशुदा हैं. कुछ तो शर्म कीजए.’’

‘‘यार, यह तो मर्द के ‘जिंस’ में होता है. तुम इस को कैसे बदल दोगी? फिर मैं तो केवल खूबसूरती की तारीफ ही करता हूं. पर डार्लिंग, प्यार तो मैं तुम्हीं से करता हूं,’’ यह कहते हुए उन्होंने मुझे चूम लिया और मैं कमजोर पड़ गई.

एक महीना पहले ही हमारी शादी हुई थी, लेकिन लड़कियों के मामले में इन की ऐसी बातें मुझे बिलकुल अच्छी नहीं लगती थीं. पर ये थे कि ऐसी बातों से बाज ही नहीं आते. हर खूबसूरत लड़की के प्रति ये खिंच जाते हैं. इन की आंखों में जैसे वासना की भूख जाग जाती है.

यहां तक कि हर रोज सुबह के अखबार में छपी हीरोइनों की रंगीन, अधनंगी तसवीरों पर ये अपनी भूखी निगाहें टिका लेते और शुरू हो जाते, ‘क्या ‘हौट फिगर’ है?’, ‘क्या ‘ऐसैट्स’ हैं?’ यार, आजकल लड़कियां ऐसे बदनउघाड़ू कपड़े पहनती हैं, इतना ज्यादा ऐक्सपोज करती हैं कि आदमी बेकाबू हो जाए.’

कभी ये कहते, ‘मुझे तो हरी मिर्च जैसी लड़कियां पसंद हैं. काटो तो मुंह ‘सीसी’ करने लगे.’ कभीकभी ये बोलते, ‘जिस लड़की में सैक्स अपील नहीं, वह ‘बहनजी’ टाइप है. मुझे तो नमकीन लड़कियां पसंद हैं…’

राह चलती लड़कियां देख कर ये कहते, ‘क्या मस्त चीज है.’

कभी किसी लड़की को ‘पटाखा’ कहते, तो कभी किसी को फुलझड़ी. आंखों ही आंखों में लड़कियों को नापतेतोलते रहते. इन की इन्हीं हरकतों की वजह से मैं कई बार गुस्से से भर कर इन्हें झिड़क देती.

मैं यहां तक कह देती, ‘सुधर जाओ, नहीं तो तलाक दे दूंगी.’

इस पर इन का एक ही जवाब होता, ‘डार्लिंग, मैं तो मजाक कर रहा था. तुम भी कितना शक करती हो. थोड़ी तो मुझे खुली हवा में सांस लेने दो, नहीं तो दम घुट जाएगा मेरा.’

एक बार हम कार से डिफैंस कौलोनी के फ्लाईओवर के पास से गुजर रहे थे. वहां एक खूबसूरत लड़की को देख पतिदेव शुरू हो गए, ‘‘दिल्ली की सड़कों पर, जगहजगह मेरे मजार हैं. क्योंकि मैं जहां खूबसूरत लड़कियां देखता हूं, वहीं मर जाता हूं.’’

मेरी तनी भौंहें देखे बिना ही इन्होंने आगे कहा, ‘‘कई साल पहले भी मैं जब यहां से गुजर रहा था, तो एक कमाल की लड़की देखी थी. यह जगह इसीलिए आज तक याद है.’’

मैं ने नाराजगी जताई, तो ये कार का गियर बदल कर मुझ से प्यारमुहब्बत का इजहार करने लगे और मेरा गुस्सा एक बार फिर कमजोर पड़ गया.

लेकिन, हर लड़की पर फिदा हो जाने की इन की आदत से मुझे कोफ्त होने लगी थी. पर हद तो तब पार होने लगी, जब एक बार मैं ने इन्हें हमारी जवान पड़ोसन से फ्लर्ट करते देख लिया. जब मैं ने इन्हें डांटा, तो इन्होंने फिर वही मानमनौव्वल और प्यारमुहब्बत का इजहार कर के मुझे मनाना चाहा, पर मेरा मन इन के प्रति रोजाना खट्टा होता जा रहा था.

धीरेधीरे हालात मेरे लिए सहन नहीं हो रहे थे. हालांकि हमारी शादी को अभी डेढ़दो महीने ही हुए थे, लेकिन पिछले 10-15 दिनों से इन्होंने मेरी देह को छुआ भी नहीं था. पर मेरी शादीशुदा सहेलियां बतातीं कि शादी के शुरू के महीने तक तो मियांबीवी तकरीबन हर रोज ही… मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या थी. इन की अनदेखी मेरा दिल तोड़ रही थी. मैं तिलमिलाती रहती थी.

एक बार आधी रात में मेरी नींद टूट गई, तो इन्हें देख कर मुझे धक्का लगा. ये आईपैड पर पौर्न साइट्स खोल कर बैठे थे और…

‘‘जब मैं यहां मौजूद हूं, तो तुम यह सब क्यों कर रहे हो? क्या मुझ में कोई कमी है? क्या मैं ने तुम्हें कभी ‘न’ कहा है?’’ मैं ने दुखी हो कर पूछा.

‘‘सौरी डार्लिंग, ऐसी बात नहीं है. क्या है कि मैं तुम्हें नींद में डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था. एक टैलीविजन प्रोग्राम देख कर बेकाबू हो गया, तो भीतर से इच्छा होने लगी.’’

‘‘अगर मैं भी तुम्हारी तरह इंटरनैट पर पौर्न साइट्स देख कर यह सब करूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?’’

‘‘अरे यार, तुम तो छोटी सी बात का बतंगड़ बना रही हो,’’ ये बोले.

‘‘लेकिन, क्या यह बात इतनी छोटी सी थी?’’

कभीकभी मैं आईने के सामने खड़ी हो कर अपनी देह को हर कोण से देखती. आखिर क्या कमी थी मुझ में कि ये इधरउधर मुंह मारते फिरते थे?

क्या मैं खूबसूरत नहीं थी? मैं अपने सोने से बदन को देखती. अपने हर कटाव और उभार को निहारती. ये तीखे नैननक्श. यह छरहरी काया. ये उठे हुए उभार. केले के नए पत्ते सी यह चिकनी पीठ. डांसरों जैसी यह पतली काया. भंवर जैसी नाभि. इन सब के बावजूद मेरी यह जिंदगी किसी सूखे फव्वारे सी क्यों होती जा रही थी.

एक रविवार को मैं घर का सामान खरीदने बाजार गई. तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए मैं जरा जल्दी घर लौट आई. घर का बाहरी दरवाजा खुला हुआ था. ड्राइंगरूम में घुसी तो सन्न रह गई. इन्होंने मेरी एक सहेली को अपनी गोद में बैठाया हुआ था.

मुझे देखते ही ये घबरा कर ‘सौरीसौरी’ करने लगे. मेरी आंखें गुस्से और बेइज्जती के आंसुओं से जलने लगीं.

मैं चीखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी. पति नाम के इस प्राणी का मुंह नोच लेना चाहती थी. इसे थप्पड़ मारना चाहती थी. मैं कड़कती बिजली बन कर इस पर गिर जाना चाहती थी. मैं गहराता समुद्र बन कर इसे डुबो देना चाहती थी. मैं धधकती आग बन कर इसे जला देना चाहती थी. मैं हिचकियां लेले कर रोना चाहती थी. मैं पति नाम के इस जीव से बदला लेना चाहती थी.

मुझे याद आया, अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके बिल क्लिंटन भी अपनी पत्नी हिलेरी क्लिंटन को धोखा दे कर मोनिका लेविंस्की के साथ मौजमस्ती करते रहे थे, गुलछर्रे उड़ाते रहे थे. क्या सभी मर्द एकजैसे बेवफा होते हैं? क्या पत्नियां छले जाने के लिए ही बनी हैं. मैं सोचती.

रील से निकल आया उलझा धागा बन गई थी मेरी जिंदगी. पति की ओछी हरकतों ने मेरे मन को छलनी कर दिया था. हालांकि इन्होंने इस घटना के लिए माफी भी मांगी थी, फिर मेरे भीतर सब्र का बांध टूट चुका था. मैं इन से बदला लेना चाहती थी और ऐसे समय में राज मेरी जिंदगी में आया.

राज पड़ोस में किराएदार था. 6 फुट का गोराचिट्टा नौजवान. जब वह अपनी बांहें मोड़ता था, तो उस के बाजू में मछलियां बनती थीं. नहा कर जब मैं छत पर बाल सुखाने जाती, तो वह मुझे ऐसी निगाहों से ताकता कि मेरे भीतर गुदगुदी होने लगती.

धीरेधीरे हमारी बातचीत होने लगी. बातों ही बातों में पता चला कि राज प्रोफैशनल फोटोग्राफर था.

‘‘आप का चेहरा बड़ा फोटोजैनिक है. मौडलिंग क्यों नहीं करती हैं आप?’’ राज मुझे देख कर मुसकराता हुआ कहता.

शुरूशुरू में तो मुझे यह सब अटपटा लगता था, लेकिन देखते ही देखते मैं ने खुद को इस नदी की धारा में बह जाने दिया.

पति जब दफ्तर चले जाते, तो मैं राज के साथ उस के स्टूडियो चली जाती. वहां राज ने मेरा पोर्टफोलियो भी बनाया. उस ने बताया कि अच्छी मौडलिंग असाइनमैंट्स लेने के लिए अच्छा पोर्टफोलियो जरूरी था. लेकिन मेरी दिलचस्पी शायद कहीं और ही थी.

‘‘बहुत अच्छे आते हैं आप के फोटोग्राफ्स,’’ उस ने कहा था और मेरे कानों में यह प्यारा सा फिल्मी गीत बजने लगा था :

‘अभी मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है जिंदगी…’

मैं कब राज को चाहने लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मुझ में उस की बांहों में सो जाने की इच्छा जाग गई. जब मैं उस के करीब होती, तो उस की देहगंध मुझे मदहोश करने लगती. मेरा मन बेकाबू होने लगता. मेरे भीतर हसरतें मचलने लगी थीं. ऐसी हालत में जब उस ने मुझे न्यूड मौडलिंग का औफर दिया, तो मैं ने बिना झिझके हां कह दिया.

उस दिन मैं नहाधो कर तैयार हुई. मैं ने खुशबूदार इत्र लगाया. फेसियल, मैनिक्योर, पैडिक्योर, ब्लीचिंग वगैरह मैं एक दिन पहले ही एक अच्छे ब्यूटीपार्लर से करवा चुकी थी. मैं ने अपने सब से सुंदर पर्ल ईयररिंग्स और डायमंड नैकलैस पहना. कलाई में महंगी घड़ी पहनी और सजधज कर मैं राज के स्टूडियो पहुंच गई.

उस दिन राज बला का हैंडसम लग रहा था. गुलाबी कमीज और काली पैंट में वह मानो कहर ढा रहा था.

‘‘हे, यू आर लुकिंग ग्रेट,’’ मेरा हाथ अपने हाथों में ले कर वह बोला. यह सुन कर मेरे भीतर मानो सैकड़ों सूरजमुखी खिल उठे.

फोटो सैशन अच्छा रहा. राज के सामने टौपलेस होने में मुझे कोई संकोच नहीं हुआ. मेरी देह को वह एक कलाकार सा निहार रहा था.

किंतु मुझे तो कुछ और की ही चाहत थी. फोटो सैशन खत्म होते ही मैं उस की ओर ऐसी खिंची चली गई, जैसे लोहा चुंबक से चिपकता है. मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था. मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया.

‘‘नहीं नेहा, यह ठीक नहीं. मैं ने तुम्हें कभी उस निगाह से देखा ही नहीं. हमारा रिलेशन प्रोफैशनल है,’’ राज का एकएक शब्द मेरे तनमन पर चाबुकसा पड़ा.

‘…पर मुझे लगा, तुम भी मुझे चाहते हो…’ मैं बुदबुदाई.

‘‘नेहा, मुझे गलत मत समझो. तुम बहुत खूबसूरत हो. पर तुम्हारा मन भी उतना ही खूबसूरत है, लेकिन मेरे लिए तुम केवल एक खूबसूरत मौडल हो. मैं किसी और रिश्ते के लिए तैयार नहीं और फिर पहले से ही मेरी एक गर्लफ्रैंड है, जिस से मैं जल्दी ही शादी करने वाला हूं,’’ राज कह रहा था.

तो क्या वह सिर्फ एकतरफा खिंचाव था या पति से बदला लेने की इच्छा का नतीजा था?

कपड़े पहन कर मैं चलने लगी, तो राज ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया. उस ने स्टूडियो में रखे गुलदान में से एक पीला गुलाब निकाल लिया था. वह पीला गुलाब मेरे बालों में लगाते हुए बोला, ‘‘नेहा, पीला गुलाब दोस्ती का प्रतीक होता है. हम अच्छे दोस्त बन कर रह सकते हैं.’’

राज की यह बात सुन कर मैं सिहर उठी थी. वह पीला गुलाब बालों में लगाए मैं वापस लौट आई अपनी पुरानी दुनिया में…

उस रात कई महीनों के बाद जब पतिदेव ने मुझे प्यार से चूमा और सुधरने का वादा किया, तो मैं पिघल कर उन के आगोश में समा गई.

खिड़की के बाहर रात का आकाश न जाने कैसेकैसे रंग बदल रहा था. ठंडी हवा के झोंके खिड़की में से भीतर कमरे में आ रहे थे. मेरी पूरी देह एक मीठे जोश से भरने लगी.पतिदेव प्यार से मेरा अंगअंग चूम रहे थे. मैं जैसे बहती हुई पहाड़ी नदी बन गई थी. एक मीठी गुदगुदी मुझ में सुख भर रही थी. फिर… केवल खुमारी थी. और उन की छाती के बालों में उंगलियां फेरते हुए मैं कह रही थी, ‘‘मुझे कभी धोखा मत देना.’’

कमरे के कोने में एक मकड़ी अपना टूटा हुआ जाला फिर से बुन रही थी. इस घटना को बीते कई साल हो गए हैं. इस घटना के कुछ महीने बाद राज भी पड़ोस के किराए का मकान छोड़ कर कहीं और चला गया. मैं राज से उस दिन के बाद फिर कभी नहीं मिली. लेकिन अब भी मैं जब कहीं पीला गुलाब देखती हूं, तो सिहर उठती हूं. एक बार हिम्मत कर के पीला गुलाब अपने जूड़े में लगाना चाहा था, तो मेरे हाथ बुरी तरह कांपने लगे थे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ऐसे संभालें मैरिड लाइफ

आजकल पढ़ीलिखी लड़कियां शादी के 2-3 साल बाद ही तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. आखिर क्यों तलाक की नौबत आती है, आइए जानते हैं:

तलाक के कारण

  1. पतिपत्नी को एकदूसरे का व्यवहार पसंद न आना.
  2. दोनों में से किसी एक के घर वालों की दखलंदाजी तथा उन के ऊपर उन का अत्यधिक प्रभाव.
  3. दोनों या किसी एक को छोटीछोटी बातों पर भी गुस्सा आना.
  4. अहं का टकराव.
  5. अच्छे संस्कारों की कमी.
  6. रिश्तों को दिमाग से तोलना.
  7. लड़के का सपनों का सौदागर न निकलना.
  8. कई बार लड़की या लड़का एकदूसरे का चेहरा या बाहरी दिखावा देख कर आकर्षित हो जाते हैं, परंतु शादी होते ही एकदूसरे का वास्तविक व्यवहार सामने आने पर लड़ाईझगड़ा शुरू हो जाता है.
  9. कुछ लड़कियां शादी के बाद तलाक को कमाई का जरीया भी बना लेती हैं.
  10. आजकल के लड़केलड़कियां प्रेम किसी और से करते हैं पर घर वालों के डर से शादी किसी और से कर लेते हैं.

तलाक के नुकसान

  1. पहली शादी में जैसा पति या पत्नी मिलती है दूसरी शादी में वैसा ही पति या पत्नी मिले यह जरूरी नहीं. कोई न कोई समझौता करना ही पड़ता है.
  2. चूंकि पहला रिश्ता बहुत सोचसमझ कर किया जाता है, इसलिए समाज में थोड़ी मानप्रतिष्ठा बढ़ जाती है. लोग भी बधाई देते समय कहते हैं कि बहुत अच्छा रिश्ता मिला. ऐसा दूसरी बार नहीं मिल पाता.
  3. दूसरी बार जो साथी होगा, हो सकता है वह पहले जितना पढ़ालिखा या अमीर न हो. दूसरी शादी में जो लड़की या लड़का होता है वह ज्यादातर उम्मीद से कम ही होता है.
  4. रिश्ता टूटने पर बहुत दुख भी होता है और यह बात वही जानता है जिस का रिश्ता टूटता है.
  5. जब तक दूसरी शादी नहीं हो जाती तब तक लड़की तथा उस के अभिभावकों को असुरक्षा की भावना घेरे रहती है.

तलाक समाधान नहीं

  1. मांबाप समाज में लोगों से नजरें नहीं मिला पाते.
  2. फिर दूसरी शादी करने पर इस बात की क्या गारंटी है कि वह सही चलेगी. दूसरी शादी करने पर लड़का या लड़की न चाहते हुए भी हर बात सहते हैं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि कुछ कहा तो कहीं यह शादी भी न टूट जाए.
  3. पहले पति या पत्नी की याद हमेशा दुख देती है.
  4. किसी भी तलाकशुदा लड़की को मांबाप ज्यादा समय तक घर में नहीं रखते. उस की जल्दी से जल्दी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं. कई बार लड़की खुद भी मांबाप के घर में खुद को उन पर बोझ समझने लगती है.
  5. तलाकशुदा होने पर लड़की समाज में अकेला रहने पर असुरक्षित भी महसूस करती है.

समाधान

अगर तलाक के इतने नुकसान हैं तो फिर जहां तक हो सके रिश्ते को संभालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर कोई पति मारपीट करता है, शक करता है या फिर साइकिक है, तो उस का कोई हल नहीं. उस के लिए आप एनजीओ की मदद लें या पुलिस की. तलाक लेना जायज है, परंतु आजकल ज्यादातर तलाक अहं के टकराव की वजह से हो रहे हैं.

  1. शादी से पहले लड़कालड़की को एकदूसरे से अकेले में मिलने दें. उन्हें एकदूसरे को समझने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए.
  2. अभिभावकों को अपने बच्चे की कमजोरियां पता होती हैं जैसे गुस्सा आना या कोई और कमी होना आदि. ऐसे में उन्हें अपने बच्चों से पूछते रहना चाहिए कि तुम्हारी इस बात पर तुम्हारी होने वाली पत्नी या पति ने कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
  3. रिश्ते को दिमाग से नहीं दिल से जोड़ने की कोशिश करें. हर लड़कालड़की कहीं न कहीं एकदूसरे में अपना प्रेमी या प्रेमिका भी ढूंढ़ रहा होता हैं.
  4. अगर अपने मंगेतर को देख कर आप के दिल की धड़कनें नहीं बढ़तीं या आप को खुशी नहीं मिलती तो आप इस रिश्ते पर दोबारा विचार करें.

अच्छी सोच

अकसर देखा गया है कि लगभग सभी घरों में सासससुर आपस में बहुत अच्छी तरह से रिश्ते निभा रहे होते हैं और आप सोचती हो कि मेरा पति इन के जैसा क्यों नहीं? पहले वे भी आप की तरह लड़ते रहे होंगे, परंतु रिश्ता सींचने में उन्हें समय मिल गया. सोचो एक दिन आप का रिश्ता भी ऐसा ही हो जाएगा.

  1. रिश्ते को समय दें. कुछ सह लें तो कुछ मना लें.
  2. लड़केलड़की में परिपक्वता तथा तजरबे की कमी होती है, क्योंकि आजकल बच्चे ज्यादा समय पढ़ाई को देते हैं. फिर संयुक्त परिवार भी नहीं देखा होता, इसलिए किसी दूसरे के साथ घर में रहने के तौरतरीकों की समझ भी कम ही होती है. ऐसे में अभिभावकों को इन की मदद करनी चाहिए.
  3. समाज की एक दुविधा यह भी है कि लड़की को ही अपने मांबाप का घर छोड़ कर लड़के के घर जाना पड़ता है. इस बात से दुखी होने के बजाय आप इस के फायदे ढूंढें़.

दिल में जगह

  1. अपने रिश्ते तथा घर की हर बात अपने मांबाप या रिश्तेदारों को बताना सही नहीं. वे नहीं जानते कि आप जो बात कर रही हैं, उस में आप का क्या रोल था. उन की सलाह आप को महंगी भी पड़ सकती है.
  2. कुछ ही सालों में आप अपने पति का दिल जीत लेंगी और उसी घर में रानी के समान बन जाएंगी, क्योंकि समय रुकता नहीं है. एक समय ऐसा भी आता है जब सासससुर बुजुर्ग हो रहे होते हैं और आप के बच्चे जवान.
  3. शादी के बाद पति या पत्नी पर शक करना या उस की आजादी पर अंकुश लगाना रिश्ते को एक बंदिश बना देता है.
  4. आप रात को पति के साथ कमरे में अकेली होती ही होंगी. उस समय का सही उपयोग करें. पति के साथ बैठ कर भावनात्मक बातें करें. धीरेधीरे पति के दिल में जगह बनाएं, क्योंकि आप को यह जंग दिल तथा दिमाग से जीतनी है, तलवार से नहीं.

सब कुछ अनुरूप नहीं

  1. हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता. अत: जो अधूरा है उसे पूरा करने की कोशिश करें.
  2. अकेले में आप अपने पति या पत्नी की बुरी आदतों या फिर वे जो आप को पसंद नहीं हैं उन के बारे में उसे अवगत कराएं.
  3. अगर पति मौडर्न या पुराने विचारों का है तो थोड़ा आप भी बदलें, क्योंकि आप को उस घर में ऐडजस्ट होना है.
  4. अगर पति हर बात अपने मांबाप से करता है, तो आप वही बातें करें, जो मांबाप तक पहुंचें तो कोई गलत प्रतिक्रिया न हो.
  5. बातबात पर रिश्ते को तोड़ने की धमकी न दें. घर छोड़ कर न जाएं तथा जल्दी से नाराज न हों. अगर हों भी तो जल्दी मान जाएं.

घर की बात घर में

  1. ज्यादातर लड़की को ही ऐडजस्ट करना पड़ता है, क्योंकि लड़की को अपने घर में, चाहे हजार रुपए लेने में झिझक महसूस होती हो, परंतु शादी होते ही वह लड़के की आधी प्रौपर्टी की हकदार बन जाती है.
  2. अपने लड़ाईझगड़े की किसी तीसरे से शिकायत करने पर आप के रिश्ते की बागडोर अनजान हाथों में चली जाएगी, जैसे गांव की पंचायत, कोई एनजीओ ग्रुप इत्यादि. वे अपनी वाहवाही बटोरने के लिए आप की पत्नी या पति के स्वाभिमान को ठेस भी पहुंचा सकते हैं, जिस से आप के रिश्ते में गांठ पड़ जाएगी.
  3. अगर उसी घर में रहने की इच्छा हो तो किसी को बीच में न लें, क्योंकि डर से हो सकता है ससुराल वाले आप को तंग न करें, परंतु आप से कोई बात भी नहीं करेगा तो आप वहां पर अकेली पड़ जाएंगी.
  4. यह टीवी सीरियल नहीं है जहां कई शादियां होती हैं. यह आप का जीवन है और दूसरी शादी एक समझौता है.
  5. अगर आप अपनी अटैची पकड़ कर बसस्टैंड पर खड़ी हैं और पति का घर छोड़ आई हैं तो आप कोई भी बहाना बना कर वापस चली जाएं. क्या मालूम वे सब बहुत पछताए हों. औरत चूंकि हमेशा ही महानता की मूर्ति रही है, इसलिए इस रिश्ते को आप ज्यादा अच्छी तरह संभाल सकती हैं.

प्यार के बारे में ये भी जानना आपके लिए है जरूरी

प्यार खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि युवाओं पर चढ़े प्यार का खुमार शादी होने के बाद तेजी से उतरने लगता है. हाथों में हाथ ले कर प्यार में जीनेमरने के वादे करने वाले जल्द ही मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. दरअसल, शादी के बाद रिश्ते को कानूनी अधिकार व सामाजिक मान्यता मिलने से नवयुगल की एकदूसरे से चाहत और उम्मीदें भी अधिक बढ़ जाती हैं. अब वे एकदूसरे में अपने मनमुताबिक बदलाव देखना चाहते हैं.

ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर द्वारा नए शादीशुदा कपल्स पर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में कई रोचक परंतु चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘इस सर्वे में कई चौंका देने वाली बातें सामने आई हैं, जिन से पता चलता है कि नए कपल्स को एकदूसरे के प्यार की किस कदर जरूरत महसूस होती है. स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में अपने पार्टनर से स्नेह की अधिक चाह होती है. शादी के बाद एक पत्नी की चाहत होती है कि पति शादी से पहले की अपनी तमाम बुरी आदतों को छोड़ दे. बातबात में उस से नाराज न हो और उस की बातों को ध्यान से सुने, उस की तारीफ करे.’’

जबकि पति चाहता है कि पत्नी से वह अधिक प्यार करे. वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी दूसरे की पत्नी से ज्यादा ग्लैमरस दिखे. वह अपनी पत्नी को दूसरी औरतों से ज्यादा स्मार्ट रखना चाहता है. वह चाहता है कि उस की पत्नी थकी न दिखे. शादी होते ही एकदूसरे में बहुत कुछ बदलाव देखना चाहते हैं न्यू कपल. इन बदलावों के न होने पर उन्हें मायूसी हाथ लगती है, जो धीरेधीरे खीज में बदल जाती है.

बदलने की शिकायत

जहां एक तरफ नईनई हुई शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे में बदलाव देखना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर शादी के बाद कई पतिपत्नी यह भी कहते सुने जाते हैं, ‘तुम पहले तो ऐसे न थे या शादी के बाद तुम बहुत बदल गए हो.’

इस की जड़ में मूलतया यही बात होती है कि शादी के बाद हर वक्त साथ रहने से पतिपत्नी को एकदूसरे के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं, जिन्हें वे शादी से पहले नहीं जान पाते. मसलन, पार्टनर का देर तक सोना, देर से नहाना, काम टालना, किसी दूसरे रिश्ते को ज्यादा महत्त्व देना, अपने कमरे व सामान को बेतरतीब रखना इत्यादि, कई लोग शादी के पहले अपने पार्टनर को इंप्रैस करने के चक्कर में वे काम भी करने लगते हैं, जो उन की आदत में शामिल नहीं होते. फलतया शादी के बाद वे जब अपने असली रूप में आते हैं तो पार्टनर को लगता है कि वह बदल गया.

पहले तो ऐसे नहीं थे

सुयश की दीवानी विभा को शादी होते ही सुयश की कई नई आदतों का पता चला जो उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगीं. शादी के पहले उस ने सुयश को हमेशा टिपटौप देखा था. उसे लगा था कि खुद को इतने अच्छे तरीके से प्रेजैंट करने वाला सुयश घर में भी ऐसे ही साफसफाई और सलीके से रहता होगा. पर वास्तव में सुयश ऐसा नहीं था. सिर्फ विभा को इंप्रैस करने के लिए वह स्मार्ट बन कर रहता था.

सच तो यह था कि सुयश कईकई दिनों तक नहाता भी नहीं था. बाथरूम यूज करने के बाद फ्लश नहीं चलाता था. यहां तक कि अपना वार्डरोब और कमरा भी बेहद गंदा रखता था. उस की आदतें देख विभा के मुंह से अब अकसर यही निकलता कि कितने बदल गए हो तुम. पहले तो ऐसे न थे और इन्हीं बातों पर अकसर उन की हलकी सी कहासुनी एक बड़ी झड़प में बदल जाती.

बदलाव के मूल में परिस्थितियां

हकीकत में शादी के बाद बदलता कुछ भी नहीं है. न ही पतिपत्नी की सोच, न ही उन का व्यवहार या रवैया. हां, यदि इस बीच उन में कोई बदलाव दिखाई देता है तो उस बदलाव के मूल में होती हैं परिस्थितियां. ये बदलाव अनायास हमारी जिंदगी के साथ होते हैं, जो बदलती परिस्थितियों के साथ स्वाभाविक तौर पर हमारे स्वभाव में शामिल होते चले जाते हैं.

पहले जिन्हें सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लाइफ से सरोकार था, स्वछंद जिंदगी जीना जिन की आदत में शुमार था, पर चूंकि शादी के बाद दोनों मिल कर एक परिवार बनाते हैं, इस नाते वे कई नई पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ जाते हैं. कभीकभी समय व उचित प्रबंधन की कमी भी उन्हें अपने पार्टनर की कसौटी पर खरा नहीं उतरने देती, जिस से पार्टनर अपनेआप को उपेक्षित मानने लगता है और शिकायत करने लगता है.

इस वक्त थोड़ी सी समझदारी

जरा सा आपसी तालमेल रिश्तों की इस नई पौध को नवजीवन दे सकता है. आइए, जानें कि कौनकौन सी बातें नवदंपती को जीवनपर्यंत एकदूसरे से जोड़े रख सकती हैं:

कोई भी व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न नहीं होता, इसलिए पार्टनर को उस की कमियों के साथ स्वीकार करें. धीरेधीरे उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जा सकती है.

अगर अपने पार्टनर में कोई सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं तो उस के लिए प्यारमनुहार का सहारा लीजिए, क्योंकि क्रोध और जबरदस्ती रिश्तों की जड़ को सुखाने का काम करते हैं.

लाइफ पार्टनर पर भरोसा जताएं, उसे बताएं कि आप उस की फिक्र करते हैं. इस के लिए छोटेछोटे मौकों पर छोटेछोटे गिफ्ट दे कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है, क्योंकि पार्टनर के लिए आप का प्रयास और भावनाएं अधिक महत्त्वपूर्ण हैं बजाय वस्तु की कीमत के.

याद रखें किसी भी बात को छिपाना या झूठ बोलना किसी भी रिश्ते पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है. अत: अपने से हुई किसी भी गलती को छिपाने के बजाय ईमानदारी से अपने हमराही को बता दें.

रूठनामनाना हर रिश्ते के लिए संजीवनी का काम करता है. इस रिश्ते में भी इस संजीवनी बूटी को उपयोग में लाएं. हमसफर से रूठें परंतु जल्द ही मान भी जाएं और उसे प्यार से मनाएं भी.

शादी होने के बाद यह न सोचें कि आप के प्यार को मंजिल मिल गई. अब आप को उस के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं,

बल्कि शादी तो सिर्फ एक पड़ाव है पूरी जीवनयात्रा जीवनसाथी के साथ तय करनी बाकी है. अत: अपने साथी को खुश करने हेतु प्रयास जारी रखें.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को ले कर टकराहट का माहौल न बनने दें. अपनेअपने घर वालों को सही साबित करने की फिराक में न लगें.

खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने करने वाली किसी होड़ का हिस्सा न बनें, बल्कि जीवनसाथी के मन व भावनाओं का सम्मान करें. सौरी, प्लीज, थैंक्यू जैसे छोटेछोटे शब्द जीवनसाथी के जीवन में आप की गरिमा निश्चित रूप से बढ़ा देते हैं.

छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करना सीखें. पार्टनर पर बेवजह शक कर के उसे शर्मिंदा न करें. याद रखें 2 दिलों के इस पवित्र बंधन में अहं व वहम का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

शादी के बाद हुए बदलावों को हौआ समझ कर बवाल खड़ा न करें, बल्कि हर बदलाव या परिवर्तन को समझें और उसे स्वीकार करें. वक्त व हालात के अनुसार स्वयं को ढालने की कोशिश आप दोनों की जिंदगी को बेहतर मोड़ दे सकती है. एकदूसरे से हुई छोटीमोटी गलतियों को माफ करते चलें, मुसकरा कर.

पति की इस आदत से स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा?

सवाल

मैं 25 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे पति बहुत ही रोमांटिक हैं. नियमित सहवास करते हैं. कई तरह की रतिक्रीड़ाएं करते हैं. मैं भी उन्हें पूरा सहयोग देती हूं. आजकल उन पर मुखमैथुन का जनून सवार है. मैं जानना चाहती हूं कि इस से हमारे स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा. कई बार मुखमैथुन करते हुए उन का वीर्य मेरे मुंह में ही स्खलित हो जाता है.

जवाब

मुखमैथुन भी संभोग की एक प्रक्रिया है. यदि इस में आप के पति को आनंद मिलता है, तो इस में कोई हरज नहीं है. जहां तक स्वास्थ्य पर इस के दुष्प्रभाव की बात है, तो यदि यौनांगों की साफ सफाई पर खास ध्यान दिया जाए, तो इस का स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता.

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अनुभा ने कैसे लिया जिस्म का मजा

क्लासरूम से बाहर निकलते ही अनुभा ने अनुभव से कहा, ‘‘अरे अनुभव, कैमिस्ट्री मेरी समझ में नहीं आ रही है. क्या तुम मेरे कमरे पर आ कर मुझे समझा सकते हो?’’

‘‘हां, लेकिन छुट्टी के दिन ही आ पाऊंगा.’’

‘‘ठीक है. तुम मेरा मोबाइल नंबर ले लो और अपना नंबर दे दो. मैं इस रविवार को तुम्हारा इंतजार करूंगी. मेरा कमरा नीलम टौकीज के पास ही है. वहां पहुंच कर मुझे फोन कर देना. मैं तुम्हें ले लूंगी.’’

रविवार को अनुभव अनुभा के घर में पहुंचा. अनुभा ने बताया कि उस के साथ एक लड़की और रहती है. वह कंप्यूटर का कोर्स कर रही है. अभी वह अपने गांव गई है.

अनुभव ने अनुभा से कहा कि वह कैमिस्ट्री की किताब निकाले और जो समझ में न आया है वह पूछ ले. अनुभा ने किताब निकाली और बहुत देर तक दोनों सूत्र हल करते रहे.

अचानक अनुभा उठी औैर बोली, ‘‘मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

अनुभव मना करना चाह रहा था लेकिन तब तक वह किचन में पहुंच गई थी. थोड़ी देर में वह एक बडे़ से मग में चाय ले कर आ गई. अनुभव ने मग लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी मग की चाय उस की शर्टपैंट पर गिर गई.

‘‘सौरी अनुभव, गलती मेरी थी. मैं दूसरी चाय बना कर लाती हूं. तुम्हारी शर्टपैंट दोनों खराब हो गई हैं. ऐसा करो, कुछ देर के लिए तौलिया लपेट लो. मैं इन्हें धो कर लाती हूं. पंखे की हवा में जल्दी सूख जाएंगे. तब मैं प्रैस कर दूंगी.’’

अनुभव न… न… करता रहा, लेकिन अनुभा उस की ओर तौलिया उछाल कर भीतर चली गई.

अनुभव ने शर्टपैंट उतार कर तौलिया लपेट लिया. तब तक अनुभा दूसरे मग में चाय ले कर आ गई थी. वह शर्टपैंट ले कर धोने चली गई. अनुभव ने चाय खत्म की ही थी कि अनुभा कपड़े फैला कर वापस आ गई. उस ने ढीलाढाला गाउन पहन रखा था. अनुभव ने सोचा शायद कपड़े धोने के लिए उस ने ड्रैस बदली हो.

अचानक अनुभा असहज महसूस करने लगी मानो गाउन के भीतर कोई कीड़ा घुस गया हो. अनुभा ने तुरंत अपना गाउन उतार फेंका और उसे उलटपलट कर देखने लगी.

अनुभव ने देखा कि अनुभा गाउन के भीतर ब्रा और पैंटी में थी. वह जोश और संकोच से भर उठा. एकाएक हाथ बढ़ा कर अनुभा ने उस का तौलिया खींच लिया.

अनुभव अंडरवियर में सामने खड़ा था. अनुभा उस से लिपट गई. अनुभव भी अपनेआप को संभाल नहीं सका. दोनों वासना के दलदल में रपट गए.

अगले रविवार को अनुभा ने फोन कर अनुभव को आने का न्योता दिया. अनुभव ने आने में आनाकानी की, पर अनुभा के यह कहने पर कि पिछले रविवार की कहानी वह सब को बता देगी, वह आने को तैयार हो गया. अनुभव के आते ही अनुभा उसे पकड़ कर चूमने लगी और गाउन की चेन खींच कर तकरीबन बिना कपड़ों के बाहर आ गई. अनुभव भी जोश में था. पिछली बार की कहानी एक बार फिर दोहराई गई. जब ज्वार शांत हो गया, अनुभा उसे ले कर गोद में बैठ गई और उस के नाजुक अंगों से खेलने लगी.

अनुभा ने पहले से रखा हुआ दूध का गिलास उसे पीने को दिया. अनुभव ने एक ही घूंट में गिलास खाली कर दिया.अभी वे बातें कर ही रहे थे कि भीतर के कमरे से उस की सहेली रमा निकल कर बाहर आ गई.

रमा को देख कर अनुभव चौंक उठा. अनुभा ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है. वह उस की सहेली है और उसी के साथ रहती है. रमा दोनों के बीच आ कर बैठ गई. अचानक अनुभा उठ कर भीतर चली गई. रमा ने अनुभव को बांहों में भींच लिया. न चाहते हुए भी अनुभव को रमा के साथ वही सब करना पड़ा. जब अनुभव घर जाने के लिए उठा तो बहुत कमजोरी महसूस कर रहा था. दोनों ने चुंबन ले कर उसे विदा किया.

इस के बाद से अनुभव उन से मिलने में कतराने लगा. उन के फोन आते ही वह काट देता. एक दिन अनुभा ने स्कूल में उसे मोबाइल फोन पर उतारी वीडियो क्लिपिंग दिखाई और कहा कि अगर वह आने से इनकार करेगा तो वह इसे सब को दिखा देगी.

अनुभव डर गया और गाहेबगाहे उन के कमरे पर जाने लगा. एक दिन अनुभव के दोस्त सुरेश ने उस से कहा कि वह थकाथका सा क्यों लगता है? इम्तिहान में भी उसे कम नंबर मिले थे. अनुभव रोने लगा. उस ने सुरेश को सारी बात बता दी.

सुरेश के पिता पुलिस इंस्पैक्टर थे. सुरेश ने अनुभव को अपने पिता से मिलवाया. सारी बात सुनने के बाद वे बोले, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘18 साल.’’

‘‘और उन की?’’

‘‘इसी के लगभग.’’

‘‘क्या तुम उन का मोबाइल फोन उठा कर ला सकते हो?’’

‘‘मुझे फिर वहां जाना होगा?’’

‘‘हां, एक बार.’’

अब की बार जब अनुभा का फोन आया तो अनुभव काफी नानुकर के बाद हूबहू उसी के जैसा मोबाइल ले कर उन के कमरे में पहुंचा. 2 घंटे समय बिताने के बाद जब वह लौटा तो उस के पास अनुभा का मोबाइल फोन था.

मोबाइल क्लिपिंग देख कर इंस्पैक्टर चकित रह गए. यह उन की जिंदगी में अजीब तरह का केस था. उन्होंने अनुभव से एक शिकायत लिखवा कर दोनों लड़कियों को थाने बुला लिया.

पूछताछ के दौरान लड़कियां बिफर गईं और उलटे पुलिस पर चरित्र हनन का इलजाम लगाने लगीं. उन्होंने कहा कि अनुभव सहपाठी के नाते आया जरूर था, पर उस के साथ ऐसीवैसी कोई गंदी हरकत नहीं की गई. अब इंस्पैक्टर ने मोबाइल क्लिपिंग दिखाई. दोनों के सिर शर्म से झुक गए. इंस्पैक्टर ने कहा कि वे उन के मातापिता और प्रिंसिपल को उन की इस हरकत के बारे में बताएंगे.

लड़कियां इंस्पैक्टर के पैर पकड़ कर रोने लगीं. इंस्पैक्टर ने कहा कि इस जुर्म में उन्हें सजा हो सकती है. समाज में बदनामी होगी और स्कूल से निकाली जाएंगी सो अलग. उन के द्वारा बारबार माफी मांगने के बाद इंस्पैक्टर ने अनुभव की शिकायत पर लिखवा लिया कि वे आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेंगी.

अनुभव ने वह स्कूल छोड़ कर दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया. साथ ही उस ने अपने मोबाइल की सिम बदल दी. इस घटना को 7 साल गुजर गए.

अनुभव पढ़लिख कर कंप्यूटर इंजीनियर बन गया. इसी बीच उस के पिता नहीं रहे. मां की जिद थी कि वह शादी कर ले.अनुभव ने मां से कहा कि वे अपनी पसंद की जिस लड़की को चुनेंगी, वह उसी से शादी कर लेगा.

अनुभव को अपनी कंपनी से बहुत कम छुट्टी मिलती थी. ऐन फेरों के दिन वह घर आ पाया. शादी खूब धूमधाम से हो गई.

सुहागरात के दिन अनुभव ने जैसे ही दुलहन का घूंघट उठाया, वह चौंक पड़ा. पलंग पर लाजवंती सी घुटनों में सिर दबाए अनुभा बैठी थी.

‘‘तुम…?’’ अनुभव ने चौंकते हुए कहा.

‘‘हां, मैं. अपनी गलती का प्रायश्चित्त करने के लिए अब जिंदगीभर के लिए फिर तुम्हारी देहरी पर मैं आ गई हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना,’’ इतना कह कर अनुभा ने अनुभव को गले लगा लिया.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताकि न टूटे बसी बसाई गृहस्थी

पतिपत्नी के बीच जब ‘वो’ आ जाए तो आपसी विश्वास खत्म हो जाता है और रिश्तों को दरकते देर नहीं लगती. अगर ‘वो’ सास हो या अपनी ही मां जो छोटीछोटी बातों का बतंगड़ बनाए तो भी बसीबसाई गृहस्थी को आग लगते देर नहीं लगती. ऐसे कई परिवार हैं जहां पतिपत्नी के बीच संबंध आपसी तकरार की वजह से नहीं टूटते बल्कि सास या मां की बेवजह की रोकटोक, जरूरत से ज्यादा हुक्म जताने और परिवार के बीच फूट डालने से टूटते हैं. सास और मां का कहर बाहरी औरत से ज्यादा ही होता है.

जरूरी नहीं हमेशा सास ही गलत हो और यह भी जरूरी नहीं कि हमेशा बहू की ही गलती हो. आखिर अधिकतर मामलों में इन के रिश्ते सुल?ो हुए क्यों नहीं होते? क्यों बहू अपनी सास को मां का दर्जा नहीं दे पाती और सास अपनी बहू को बेटी का दर्जा देने से कतराती हैं?

क्योंकि सास सास होती है

आजकल लड़कियों के मन में पहले से ही ससुराल के प्रति नकारात्मक छवि बना दी जाती है. अब मांएं समझदार हो गई हैं पर फिर भी एक मां का अपने बेटे की चिंता रहती है. मन में कई सवाल दौड़ रहे होते हैं कि पता नहीं मेरी बहू कैसी होगी, कहीं कुछ समय बाद हमें अलग न कर दे, कहीं बेटा बदल न जाए आदि. शादी के बाद वह बेटे को बातबात पर भड़काने लगती है यह उस से बहू की छोटीछोटी शिकायतें करने लगती है.

बेटी की गृहस्थी में मां बनी विलेन

सास और बहू के अलावा लड़की की मां का भी अहम किरदार होता है. हर मां चाहती है कि उस की बेटी राजकुमारी बन कर रहे. जब मां अपनी बेटी को ससुराल में थोड़ाबहुत काम करते देखती या सुनती है, तो उसे लगता है कि उस के पैसे बरबाद हो गए, शादी में जितना पैसा खर्च किया था वह बेटी के लिए ही तो किया था कि वह राजकुमारी बन कर रहे. मगर वहां तो उसे नौकरानी बना कर रखा हुआ है. ये सब देख कर वह बेटी को यह सिखाती है कि किस तरह ससुराल में अपना रुतबा बनाना है.

अब श्रेया को ही देख लीजिए. मांबाप की इकलौती बेटी श्रेया की शादी बहुत अच्छे परिवार में हुई. वह अपनी शादी से बहुत खुश थी. उस की मां अकसर उस का हालचाल पूछने के लिए फोन करती रहती थी.

एक दिन मां ने श्रेया को फोन किया. उस वक्त श्रेया कहीं जाने की तैयारी में थी. बोली, ‘‘हैलो, हां मां.’’

‘‘कैसी हो तुम? क्या चल रहा

है वहां?’’

‘‘मैं ठीक हूं मां, कपड़े प्रैस कर रही हूं.’’

‘‘कपड़े प्रैस? क्यों तुम्हारे घर में धोबी नहीं आता क्या?’’

‘‘नहीं, मां यहां सब अपने कपड़े खुद प्रैस करते हैं और टाइम भी ज्यादा नहीं लगता. फिर वैसे भी धोबी के प्रैस किए कपड़े किसी को पसंद नहीं आते. इसलिए हम प्रैस खुद ही कर लेते हैं.’’

‘‘अरे, तुम ने तो यहां कभी कपड़े प्रैस नहीं किए और वहां तुम प्रैस करने लगी हुई हो. यहां तुम रानी बन कर रहती थी?’’

अब श्रेया की मां ने अपनी बेटी के मन में ससुराल वालों के प्रति गांठ डालने का काम शुरू कर दिया.

याद आती हैं मां की बातें

उस दिन के बाद से श्रेया जब भी कपड़े प्रैस करती उसे अपनी मां की बात याद आने लगती, जिस से उसे कपड़े प्रैस करना अखरने लगा. सिर्फ कपड़े प्रैस करना ही नहीं वरन घर के दूसरे काम करने के लिए भी मुंह बनाने लगी. उस के व्यवहार में बदलाव शुरू हो गया. अब श्रेया जब भी कोई काम करती तो चिड़चिड़ी हो कर. इस से उस की सास और उस के बीच संबंध खराब होने लगे. जब उस का पति उसे समझने की कोशिश करता तो वह अपनी ससुराल और मायके के बीच तुलना करने लगती. अपनी पत्नी के बदले व्यवहार से पति भी तंग आ गया और फिर दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

अकसर इस तरह की छोटीछोटी बातें आपस में कटुता पैदा कर देती हैं. कपड़े प्रैस करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है. लेकिन श्रेया की मां ने उसे इतना बड़ा काम बता दिया जैसे श्रेया अपनी ससुराल में कोई मजदूरी का काम कर रही हो. अगर श्रेया की मां चाहती तो वह अपनी बेटी के इस काम से खुश हो सकती थी क्योंकि जिस लड़की ने अपने मायके में कोई काम नहीं किया, वह आज अपनी जिम्मेदारी समझ रही है. लेकिन यहां तो उलटा ही देखन को मिला.

दूसरों की बात में न आएं

ऊष्मा की मां ने भी उस की गृहस्थी में कुछ ऐसे ही जहर घोला. ऊष्मा और उस की सास में बहुत बनती थी. घर में 2 नौकरानियां थीं. ऊष्मा की सास खाना बहुत अच्छा बनाती है, इसलिए ज्यादातर खाना वही बनाती थी. खाना बनाते समय ऊष्मा अपनी सास की मदद कर देती थी. एक दिन ऊष्मा की मां ने वीडियोकौल की और ऊष्मा बात करतेकरते रसोई में चली गई.

‘‘चाय तुम बना रही हो? लगता है आज तुम्हारी मेड नहीं आई.’’

‘‘नहींनहीं मां, मेड आई है, लेकिन सामान लेने बाजार गई है.’’

‘‘अरे काम के समय बाजार चली गई. उसे तो इस समय रसोई में होना चाहिए था. मैं जब भी तुम्हें फोन करती हूं, तुम हमेशा बिजी मिलती हो. तुम से 2 मिनट बात करना भी मुश्किल हो गया है. क्या यही दिन देखने के लिए इतना पैसा खर्च कर के हम ने तुम्हारी शादी इतने बड़े परिवार में की थी?’’

‘‘क्या मौम कुछ भी बोलती रहती हो. यहां सब लोग मु?ो बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘तुम्हारी सास को तो पूरा आराम है. खूब ऐश कर रही है न?’’

‘‘अरे मां, ऐसे क्यों बोल रही हो? वे भी तो कुछ न कुछ करती रहती हैं.’’

‘‘अच्छा तुम्हें उन का पक्ष लेने की ज्यादा जरूरत नहीं है. वह महारानी की तरह ऐसी में बैठ कर आराम फरमाए और तुम नौकरानी बन कर रसोई में लगी रहो. मेरी बात ध्यान से सुनो, अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये लोग तुम्हें अपने पैरों तले रखेंगे. तुम ने अपने घर पर आज तक एक पानी का गिलास नहीं उठाया और वहां सभी के लिए चाय बना रही हो?’’

‘‘अरे मौम…’’

‘‘मैं तुम्हारी मां हूं ऊष्मा. तुम्हारे भले के लिए बोल रही हूं.’’

ऊष्मा की हंसतीखेलती गृहस्थी में अचानक तूफान आ गया. उस की मां ने चिनगारी जो लगा थी.

सासबहू के बीच बढ़ती है दरार

एक दिन ऊष्मा ने अपने पति से बंटवारे की बात कह दी. उस का कहना था कि वह और उस का पति अलग रहेंगे. यह सुन कर सब हक्काबक्का रह गए. सास और बहू के बीच बढ़ती दरार को देख उस के पति ने अलग होने का फैसला ले लिया.

यहां ऊष्मा की ससुराल वालों की कोई गलती नहीं थी. उस की ससुराल वाले ऊष्मा को बेटी की तरह मानते थे. थोड़ाबहुत घर का काम तो हम सभी करते हैं और करना भी चाहिए. इस का मतलब यह नहीं कि आप नौकरानी हो. ऊष्मा की सास सब के लिए खाना बनाती थी. आज ऊष्मा खुद अपने और अपने पति के लिए अकेले खाना बनाती है और घर के दूसरे सब काम भी खुद करती है. ऊष्मा का पति उस के साथ रहता तो है, लेकिन दोनों के बीच अब पहले जैसा प्यार नहीं है.

जब पति घुन की तरह पिसने लगे

आजकल ससुराल में नई शादीशुदा लड़कियां छोटीछोटी बातों का इशू बना लेती हैं. यदि सास या ननद किसी भी बात पर थोड़ा भी कुछ कह दे तो वे झट से मायके फोन कर देती हैं और ससुराल की शिकायतें मां से करने लगती हैं. ऐसे मामलों में पति बेचारा चक्की के दो पाटों में पीसा जाता है.

घर पर लड़के की मां अपने लड़के को बहू के खिलाफ भड़काती है. यदि बेटा जरूरत से ज्यादा समय बीवी को देता है तो इस में भी मां को दिक्कत होने लगती है. उसे लगता है कि बेटा हाथ से निकल रहा है. दोनों ही स्थितियों में पति की स्थिति दयनीय बन जाती है. वह बीवी और घर के बीच पिस कर रह जाता है.

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे मतलब रिश्तों के बीच कड़वाहट भी खत्म हो जाए और रिश्ते भी न टूटें. बेटे की शादी के बाद अकसर मां में बेटे को ले कर ज्यादा पजैसिवनैस आने लगती है. ऐसे में बेटे को अपनी मां को पहले की ही तरह समय देना चाहिए. जिन बातों को वह अपनी मां से शेयर करता था उन्हें शादी के बाद भी शेयर करते रहना चाहिए. यदि मां को अपने बेटे में थोड़ा भी बदलाव दिखता है तो उस का सीधा निशाना उस की बीवी बनती है और फिर सासबहू के बीच दरार आने लगती है.

बहू को भी अपनी सास को मां की तरह पूरा सम्मान देना चाहिए. पति को अपनी बीवी को घर के सभी सदस्यों की पसंदनापसंद के बारे में बताना चाहिए ताकि वह उन्हें आसानी से समझ सके और सभी के दिल में जगह बना सके.

बेटी को मां और सास दोनों को बराबर मानसम्मान देना चाहिए. पति के विश्वास के साथसाथ घरपरिवार का विश्वास जीतने की कोशिश भी करनी चाहिए. ससुराल में जितना जरूरी पति का प्यार है उतना ही जरूरी बाकी सदस्यों का भी है.

हमारे समाज में सास और बहू के रिश्ते को हमेशा नकारात्मक रूप से दिखाया जाता है. फिर चाहे वह सीरियल हों या हिंदी सिनेमा. ऐसे कई सीरियल्स और फिल्में हैं, जिन में सास को विलेन के रूप में दिखाया गया है, जिस से हमारी मानसिकता वैसी ही हो गई है. हम यही मानते हैं कि सास मां की जगह कभी नहीं ले सकती. इसलिए हम रिश्ते से तो उन्हें अपना मान लेते हैं, लेकिन दिल से मानने में बहुत वक्त लग जाता है. ऐसा सिर्फ सास और बहू के बीच ही नहीं, बल्कि मां और बेटी के बीच भी होता है, जिस से रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है और दूरियां बढ़ने लगती हैं.

समाज में हर पति है खलनायक नहीं

क्या आप ने कभी किसी पुरुष को फूटफूट कर रोते देखा है? यह प्रश्न अजीब लगता है क्योंकि पुरुष के साथ आंसुओं का कोई संबंध हो सकता है, यह बात आमतौर पर गले नहीं उतरती. लेकिन यह सत्य है कि पुरुष भी रोते हैं खासतौर पर तब जब पुरुष किसी ऐसी स्त्री से शादी कर लेता है, जिस से तालमेल तो नहीं बैठता, लेकिन जीवन निभाने वाली स्थिति में भी नहीं रह पाता क्योंकि पत्नी के रूप में उस के जीवन में आई स्त्री उस का जीना दूभर कर देती है. ऐसी पत्नियों को आतंकवादी पत्नियां कहना कोई गलत न होगा.

पत्नी द्वारा आतंकवाद क्या और कैसे होता है? पतियों की यह आम शिकायत होती है कि जब पत्नियां अपनी समस्याओं के बारे में बात करती हैं तो सारा दोष पतियों पर मढ़ देती हैं, साथ ही पुरुषों के लिए यह भी कहा जाता हैं कि वे पत्नियों को बिलकुल नहीं समझते और उन का केवल ‘सैक्स’ के लिए इस्तेमाल किया जाता है. तभी तो छोटी सी बात पर भी पत्नियों को मारने के लिए हाथ तक उठा देते हैं. यहां तक कि जला भी डालते हैं.

पुरुष ही विलेन क्यों

भारतीय पुरुषों को तो मीडिया ने काफी हद तक विलेन बना कर दिखाया है. ज्यादातर भारतीय पुरुषों को संवेदनशीलता से दूर क्रूर और दुष्ट माना जाता है, लेकिन जैसे अच्छे और बुरे दोनों पुरुष होते हैं वैसे ही अच्छी और बुरी दोनों तरह की स्त्रियां होती हैं.

प्रमोद कुमार एक सफल डाक्टर हैं. उन का खुशमिजाज स्वभाव उन के अपने मरीजों से बातचीत करते समय साफ पता चलता है. लेकिन घर में पहुंचते ही उनकी यह मुसकराहट गायब हो जाती है. एक भरेपूरे संपन्न परिवार से संबंध रखते हुए डा. प्रमोद घर पहुंचते ही पूर्णया चुप्पी साध लेते हैं.

उन के अनुसार, ‘‘घर की चारदीवारी में मैं जो झेलता हूं उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मेरी पत्नी ने शादी के बाद सब से पहले मेरी डाक्टरी की डिगरी देखने की मांग की. उसे शक था कि कहीं मेरे मातापिता झठ तो नहीं बोले थे. उसे मेरे खानेपीने, पहनने से ले कर मेरे बातचीत करने तक में कमी नजर आती है. उस का रौद्ररूप मेरे कपड़े तक फाड़ देता है, मेरी किताबें जला देता है. यहां तक कि कई बार वह अपने बढ़े हुए नाखूनों से नोच भी देती है.’’

पतियों के बीच यह डर आज बहुत ज्यादा घर कर गया है कि पत्नी दहेज की मांग का डर दिखा कर उन्हें ब्लैकमेल कर सकती है. विवाह की जरूरत सिर्फ पुरुष को ही नहीं होती बल्कि स्त्री को भी होती है और हर पुरुष अपनी पत्नी को खुश रखना चाहता है. ज्यादातर पत्नियों को किसी के भी आगे रोनेधोने की आदत होती है, जबकि पुरुष को अपनी परेशानी बयां करने में शर्म आती है. पत्नी अगर आंसू बहाती है तो पति आंसू पीता है क्योंकि अदालतें, पुलिस और कानून सभी स्त्री का साथ देते हैं.

अविनाश एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है तथा 2 लाख रुपए महीना वेतन ले रहा है. उस की पत्नी एक फाइव स्टार होटल में उच्च प्रशासनिक अधिकारी है.

झगड़े की वजह

दिल्ली के सुंदर व संपन्न इलाके में अपने घर और 2 बच्चों का भरापूरा परिवार छोड़ कर अविनाश की पत्नी अकसर एक सहयोगी के साथ शाम गुजारने चली जाती है. अविनाश की मजबूरी है कि वह अपने बच्चों के आगे इस बात को जाहिर नहीं करना चाहता और न ही यह चाहता है कि उस के मातापिता को इस दुख का सामना करना पड़े. अविनाश कभी लड़ कर तो कभी रो कर इस स्थिति को झेल रहा है.

वैवाहिक मामलों के सलाहकार सुभाष वधावन कहते हैं कि इस तरह की पत्नियों के पति यह शिकायत करते मिलते हैं कि उन की पत्नियां उन्हें सिर्फ एक लेबल की तरह इस्तेमाल करना चाहती हैं. पति के नाम के लेबल के नीचे वे कुछ भी कर के सुरक्षित बच निकलती हैं. इस तरह की पत्नियां अपने तौरतरीकों में किसी भी तरह का दखल पसंद नहीं करतीं. वे कहां जा रही हैं, कब लौटेंगी पूछना झगड़े की शुरुआत का कारण बन जाता है.

विवाह सलाहकार डा. राखी आनंद के अनुसार, ‘‘अकसर युवा पुरुष जो अपने कैरियर पर विशेषतौर पर ध्यान देते हैं, पत्नियों द्वारा थोपी जाने वाली लड़ाई से बचे रहना चाहते हैं. लेकिन कैरियर की सफलता पत्नी के रोज चढ़तेउतरते पारे की भेंट चढ़ जाती है.’’

हमारा सामाजिक परिवेश हमें यह सिखाता है कि पुरुषों को चुप रहना चाहिए तथा उन में सहनशीलता भी ज्यादा होनी चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. इस का प्रभाव पुरुष के मानसिक संतुलन पर पड़ता है, जिस के कारण वह गहरी उदासी में डूब जाता है.’’

पत्नी अत्याचार के विरोध में मोरचा

पारिवारिक मामलों में स्त्रियों की गलती पुरुषों से ज्यादा होती है. पुरुष समझौता करना चाहता है. वह क्लेश से भी बचना चाहता है, लेकिन आतंकवादी किस्म की पत्नियां क्लेश को बनाए रखना पसंद करती हैं.

सभी महिलाएं या पत्नियां बुरी नहीं होतीं, लेकिन पतिपत्नी या पारिवारिक विवादों में पुरुषों की बात भी सुनी जानी चाहिए. सुधीर के अत्यधिक धार्मिक मातापिता ने जन्मपत्री अच्छी तरह मिलाने व सारे धार्मिक रीतिरिवाजों के अनुसार अपने बेटे की शादी की थी. शादी के बाद कुछ रातें होटल में ठहरी बहू ने घर जाने से साफ इनकार कर दिया. उस का कहना था कि वह संयुक्त परिवार की भीड़ का हिस्सा नहीं बन सकती. मजबूरन सुधीर को अपनी पत्नी को होटल से सीधे किराए पर लिए गए फ्लैट में ले जाना पड़ा.

अजीबोगरीब सवाल

सुधीर का कहना है कि आज भी उस की पत्नी को मेरा अपने मातापिता से मिलना पसंद नहीं. कभी भी दफ्तर से देरी होने पर उस के प्रश्न कुछ इस प्रकार होते है कि मां से मिल कर आए हो? मां को कितने पैसे दिए? मुझे पहले क्यों नहीं बताया?

इस तरह प्रताडि़त पतियों का कहना है कि इस तरह की पत्नियों के शारीरिक और मानसिक व्यवहार की कोई गारंटी नहीं होती. यह मत करो, वह मत करो से बात शुरू हो कर कहां खत्म होगी इस का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है.

ऐसी पत्नियां अपने पति के संबंध किसी के साथ भी जोड़ देती हैं, फिर चाहे वह भाभी हो या रिश्ते की बहन. पत्नी को ‘बैटर हाफ’ कहने वाले यह जानने की कोशिश अवश्य करें कि क्या वह वाकई बैटर कहलाने के काबिल है?

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