बादाम के साथ ठंडा पानी पीने के हैं कई फायदे

बादाम खाने के ढेरों फायदे और गुण आपको पता होंगे लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बादाम खाने के बाद ठंडा पानी क्‍यों पीना चाहिए. विशेषज्ञ का मानना है कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए दिन की शुरूआत ठंडा पानी, बादाम और वर्कआउट के साथ करनी चाहिए. ऐसा करने से आप दिन भर तरोताजा महसूस करेंगे और यह आपकी फिटनेस को मजबूत बनाने में भी सहायक होता है.

आइए जानें, ऐसे ही 5 तरीके जिनके साथ करें दिन की शुरुआत…

1. सुबह उठते ही सबसे पहले आधा लीटर ठंडा पानी पिएं. खाली पेट ठंडा पानी पीने से मेटाबॉलिज्म (उपापचय) बढ़ाने में मदद मिलती है.

2. खाली पेट छह से दस बादाम और अखरोट खाएं, इससे कुछ इंजाइम्स बनते हैं जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सहायक हैं.

3. ब्रेकफास्ट थोड़ा भारी हो ताकि दिन भर के लिए ऊर्जा की कमी न हो. यह कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर होना चाहिए.

4. बादाम और अखरोट ऊर्जा के भंडार हैं. अगर आप बादाम आरे अखरोट नहीं खा पाते हैं तो दिन भर थोड़ी-थोड़ी मूंगफली भी खा सकते हैं.

5. मेडिटेशन करने से शरीर को तुस्‍त होता है और दिमाग शांत रहता है.

रातों रात दूर हो जायेंगे मुंहासे

यहां हम मुंहासों को रातों रात दूर करने के उपाय बता रहे हैं. ये सभी उपाय सुरक्षित और कारगर हैं.

मुंहासों को हाथ न लगायें और फोड़े नहीं. ऐसा करने से समस्या बढ़ जाती है तथा इससे मुंहासों के दाग पड़ जाते हैं. इसके अलावा मुंहासों को फोड़ने से जलन होती है और खून भी निकलता है. क्या आप ऐसा चाहते हैं? नहीं न? तो इन्हें हाथ न लगाएं.

इनमें से अधिकांश उपाय मुंहासे को सुखा देते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि अधिक सूखने से यह भाग लाल और पपडीदार हो जाता है. अत: सीमित मात्रा में इन उपायों को अपनाएं. आइए जानें इन उपायों के बारे में.

1. टी ट्री ऑइल

यह निश्चित रूप से मुंहासों और फुंसियों को दूर करने का उत्तम तरीका है. जब आप इसका उपयोग करेंगे तो थोड़ी जलन महसूस होगी हालांकि इसका अर्थ यह है कि यह अपना काम कर रहा है.

2. टूथपेस्ट

यह एक अन्य आश्चर्यजनक उपचार है. टूथपेस्ट में हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है जो मुंहासे को सुखाने में सहायक होता है.

3.कैलामाइन लोशन

कैलामाइन एक प्रकार की मिट्टी होती है जो इसे सुखाती है तथा जलन और खुजली को कम करती है. रातों रात मुंहासों को दूर करने का यह एक प्रभावी तरीका है.

4. मुल्तानी मिट्टी

मुल्तानी मिट्टी चेहरे से अतिरिक्त तेल को सोख लेती है तथा रातों रात मुंहासे को सुखा देती है. मुंहासों को दूर करने के लिए आप इस घरेलू उपाय को अपना सकते हैं.

5. नारियल का तेल

 जी हां, तेल से भी रातों रात मुंहासों को ठीक किया जा सकता है. मुंहासे पर थोडा सा नारियल का तेल लगायें, इसे रात भर लगा रहने दें और आप देखेंगे कि दूसरे दिन यह गायब हो गया है.

6. एलो वेरा जेल

एलो वेरा जेल मुंहासों से आराम दिलाता है तथा सूजन को काफी हद तक कम करता है. अत: मुंहासों पर एलो वेरा जेल लगाकर रात भर छोड़ दें और आप देखेंगे कि सुबह यह गायब हो गया है.

बंद हो रहा है बिग बॉस का घर

‘बिग बॉस’ का घर बंद होने जा रहा है. ये खबर जितना दर्शकों को चौंका रही है उससे कहीं ज्यादा यह जानकर ‘बिग बॉस’ के कंटेस्टेंट सदमे में हैं.

‘बिग बॉस 10’ के आने वाले एपिसोड्स में आप घरवालों को ‘बिग बॉस’ के घर के बाहर देखेंगे क्योंकि बिग बॉस अपना घर बंद करने जा रहे हैं. ‘बिग बॉस’ के इस फैसले की पूरी सच्चाई यह है कि ‘बिग बॉस’ चाहते हैं कि घर के सभी सदस्य घर नहीं बल्कि जंगल जैसे माहौल में सादे ढंग से रहें और वहां आने वाली चुनौतियों का सामना करें. यहां तक कि घर के सभी सदस्यों का सामान भी जब्त कर लिया गया है ताकि वह पूरी तरह से जंगल वाले लाइफस्टाइल को अपना सके.

घरवालों के इस जंगली लाइफस्टाइल को ‘बिग बॉस’ के ट्विटर पर शेयर किए गए प्रोमो वीडियो में देखा जा सकता है. ‘बिग बॉस’ के आलीशान घर से बंजर हुए घर के माहौल में क्या सिलेब्रिटी और कॉमनर्स खुद को सहज कर पाएंगे? अब यह देखना मजेदार होगा.

आओ नुक्स निकालें

हमारे पिताश्री सुबह शाम नियमित रूप से लंबी सैर को जाया करते थे. दादाजी ज्यादा उम्र होने के कारण सैर करने नहीं जा पाते थे तो भोजनोपरांत आवाज लगाते, ‘‘बेटा, थोड़ा चूरन खिला दे, खाना हजम हो जाए.’’

पर हमारे पड़ोसी नंदलालजी का तरीका कुछ हट कर है. भोजन से पहले, भोजन के दौरान और भोजन के पश्चात वे किसी न किसी की बुराई करते ही रहते हैं, नुक्स निकालते ही रहते हैं. क्या करें, इस के बगैर उन का भोजन हजम ही नहीं होता. दूसरों की खामियां निकालना वे अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. उन्हें यह खुशफहमी है कि वे दुनिया के सब से अक्लमंद व्यक्ति हैं. देश के प्रधानमंत्री से ले कर घर के नौकरनौकरानी तक, कोई ऐसा नहीं, जिस में वे कोई त्रुटि न निकाल सकते हों.

कभी मक्खी को देखा है आप ने? आप कहेंगे कि लो, कर लो बात. हमारे प्यारे वतन में मक्खियों की कोई कमी है क्या? आम की एक फांक रख दो, अभी 10 आ बैठेंगी. पर मेरा आशय उस के पंखों और पैरों से नहीं है, उस के फोटो तो बच्चों की पुस्तक में भी मिल जाएंगे. मैं उस के स्वभाव की बात कर रही हूं.

अगली बार वह आप के घर पधारे तो जरा गौर करना. जब वह आप के घर में घुसती है तो इधरउधर देख कर यह नहीं सोचती कि आहा, क्या सुंदर घर सजाया है अथवा क्या कलात्मक रुचि है, बल्कि वह अपनी घ्राणशक्ति का प्रयोग यह जानने के लिए करती है कि कचरे का डब्बा कहां रखा है और फिर उसे तलाशती हुई सीधे वहीं पहुंचती है. वह किसी सुंदर मुखड़े या परफैक्ट काया को देख यह नहीं कहती है कि आहा, क्या लावण्य है. वह तलाशती है कि इस परफैक्ट शरीर पर कोई फोड़ाफुंसी है क्या? आप उसे भगाने की कितनी भी कोशिश करें, वह वहीं बैठने का हठ करेगी. चिपक ही जाएगी उस जगह पर.

ठीक ऐसे ही स्वभाव के कुछ लोग भी होते हैं. कुछ लोग? यदि आप इधरउधर नजर घुमाएंगे तो पाएंगे कि अधिकांश लोग इसी किस्म के होते हैं. दूसरों के नुक्स निकालना और निकालते ही रहना उन का एकमात्र शगल होता है. प्रजातंत्रीय सरकार के विरोधी दल की मानिंद. सरकार जो कुछ भी करे, जो भी करना चाहे, उस का एकमात्र एजेंडा होता है-बिना सोचेविचारे उस का विरोध करना. सामने रखे प्रोपोजल में एक सौ एक नुक्स निकालना और फिर अपनी सरकार बनते ही वैसा कोई प्रोपोजल पेश कर देना.

गहराई से सोचा जाए तो कितने भले और नि:स्वार्थी होते हैं ऐसे लोग. अपनी ओर देखने का तो उन के पास समय ही नहीं होता. तभी तो वे बेचारे अपनी कमियां, अपनी कमजोरियां नहीं जान पाते. हरदम औरों की चिंता लगी रहती है उन्हें. उन्हें आईना दिखा कर, उन की कमियों की ओर इंगित कर सब को सुधारना चाहते हैं वे. स्वयं को भुला कर दूसरों की बेहतरी की ही सोचते रहते हैं, दूसरों की चिंता में ही घुलते रहते हैं वे. आभार मानना चाहिए हमें उन का.

चाहिए तो यह भी कि हर सरकारीगैरसरकारी दफ्तर में एक मीनमेख निकालने वाला अफसर नियुक्त कर दिया जाए. दफ्तर के लोग चौकन्ने हो कर काम करने लगेंगे. यकीन मानिए, प्रार्थियों की कमी नहीं होगी इस पद के लिए. अनेक लोग दक्ष होते हैं इस कला में.

कहने को तो मनोवैज्ञानिक यों कहते हैं कि व्यक्ति में स्वयं में जो बुराई होती है वही उसे औरों में सब से पहले दिखाई देती है. मसलन, यदि किसी को झूठ बोलने की आदत है तो किसी अन्य को झूठ बोलता देख वही सब से पहले उंगली उठाएगा. दरअसल, वह तो अपने मन को तसल्ली दे रहा होता है कि देखो फलां व्यक्ति भी तो झूठ बोलता है. इस तरह वह खुद की नजरों में कुछ ऊपर उठ जाता है.

बहरहाल, इस तरह वह खुद को चाहे धोखा दे ले, औरों को नहीं दे पाता- आगाह करते हैं मनोवैज्ञानिक. खैर, इन मनोवैज्ञानिकों की तो फालतू की बातों में सिर खपाने की आदत होती है. आप इन्हें अनसुना कर मस्त रहिए और ऐरेगैरे सब में नुक्स निकाल कर स्वयं की नजरों में ऊपर उठते रहिए.

एक चित्रकार ने एक बार एक रेखाचित्र दीवार पर टांगा और नीचे लिखा कि इस चित्र में आप को जो भी गलती नजर आए, उस पर कृपया लाल पेन से निशान लगा दें. अगले दिन पूरा चित्र लाल चिह्नों से भरा था. दूसरे दिन फिर से वैसा ही चित्र टांगते हुए कलाकार ने लिखा कि आप को इस चित्र में जहां भी नुक्स नजर आए, कृपया उसे संशोधित कर दें. तब अगले दिन चित्र उसे ज्यों का त्यों मिला.

दूसरों के काम में नुक्स निकालना जितना आसान है उसे बेहतर करना उतना ही कठिन. आजमा कर देखिए, अनाड़ी व्यक्ति ही नुक्स निकालेगा, क्योंकि जिस ने स्वयं वह काम कर देखा होगा वह तो उस की सीमाएं भी पहचानेगा ही.

नंदलालजी चाहें तो नुक्स निकालने की कला सिखाने हेतु कोचिंग क्लासेज शुरू कर सकते हैं. बहुत काम आएंगी. आजकल तो फैशन ही है कोचिंग क्लासेज में जाने का. हर बात के लिए कोचिंग की सुविधा है. फिजिक्स, कैमिस्ट्री से ले कर अंगरेजी बोलने और खाना बनाने तक की कोचिंग. विश्व सुंदरी प्रतियोगिता में भाग लेने वाली बालाओं को तो खड़ा होने, बात करने और पलक झपकाने तक की कोचिंग दी जाती है. विश्वास न हो तो उन्हीं से पूछ देखिए.

हर बात में, हर किसी में नुक्स निकाल पाना सब के बस की बात है भी नहीं. कुछ लोग ही पारंगत हो सकते हैं इस कला में. पर सीख तो हम सभी सकते हैं न. और सीखनी भी चाहिए. अनेक लाभ हैं इस के. प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या और हाथ कंगन को आरसी क्या. यदि नजर उठा कर देखेंगे, तो पाएंगे कि औरों में नुक्स निकालते रहने वाले मक्खी स्वभाव के लोग ही सफलता की सीढि़यां सब से तेज चढ़ जाते हैं न कि दिनरात चुपचाप खटने वाले. दिनरात मशक्कत करना तो चींटी का धर्म है और चींटियों के वंशज कितना भी तेज चलें, कितना ही भागने की कोशिश करें, मक्खियों से कैसे जीत पाएंगे भला.

कैसे बचाएं स्मार्टफोन को वायरस से

आज स्मार्टफोन सभी के लिए एक बड़ी जरूरत बन चुका है. हाउसवाइफ से ले कर बड़ेबड़े बिजनैसमैनों तक को बिना स्मार्टफोन के कई कार्यों को करने में परेशानी होती है. लेकिन स्मार्टफोन रखने वाले ज्यादातर लोगों को उस के बेसिक फीचरों के अलावा ज्यादा कुछ पता नहीं होता या कह लें

कि वे जानना ही नहीं चाहते, क्योंकि उन की जरूरत बेसिक फीचर्स की जानकारी से ही पूरी हो जाती है. लेकिन लोगों को नहीं पता कि स्मार्टफोन के कुछ फीचर्स ऐसे होते हैं जिन की जानकारी होने से फोन को ‘हैंग’ होने और ‘वायरस अटैक’ जैसी बड़ी परेशानियों से बचाया जा सकता है.

जरा सोचिए, आप अपने क्लाइंट को एक जरूरी मेल भेज रहे हों और फोन हैंग हो जाए या फिर किसी जरूरी मैसेज को पढ़ने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन मैसेंजर बौक्स खुले ही नहीं. ऐसे में काम का जो नुकसान होता है वह तो होता ही है, लेकिन साथ ही होने वाली इरिटेशन ब्लडप्रैशर भी बढ़ा देती है. लेकिन इस समस्या की जड़ में वायरस ही होता है.

आप को यह जान कर हैरानी होगी कि इंटरनैट पर हर सैकंड नए वायरस का जन्म होता है और यह वायरस ही आप के मोबाइल में घुसपैठ कर उस की स्पीड को कम कर देता है, जिस से फोन हैंग होना शुरू हो जाता है. अत: इन बातों को ध्यान में रख कर आप अपने फोन को वायरस से बचा सकते हैं:

सिस्टम अपडेट

आप के फोन में कभी औपरेटिंग सिस्टम अपडेट का डायलौग बौक्स बन कर आए, तो उसे नजरअंदाज न करें, बल्कि सैटिंग में सिस्टम अपडेट पर जा कर देखें कि क्या आप के स्मार्टफोन के लिए कोई नया सिस्टम सौफ्टवेयर उपलब्ध है? यदि है तो उस में लेटर या नाऊ का बटन दिया गया होता है. आप को नाऊ बटन दबाना होगा. आप चाहें तो अपडेट हाइलाइट्स भी पढ़ सकते हैं. इस से आप जान सकेंगे कि इस नए सौफ्टवेयर से आप के फोन को क्या फायदे होंगे. दरअसल, पुराने ओएस में पैच न होने की वजह से वायरस ज्यादा अटैक करता है.

अननोन सोर्स ऐप को करें औफ

अपने स्मार्टफोन की सैटिंग में जा कर सिक्युरिटी सेटिंग को क्लिक करें. इस में डिवाइस ऐडमिनिस्ट्रेशन नाम का विकल्प होगा, जिस में अननोन सोर्स का औप्शन मिलेगा. यदि आप के फोन में अननोन सोर्स बटन औन होगा, तो आप के फोन में बिना किसी जानकारी के अपनेआप कई ऐप्स डाउनलोड हो जाएंगे. इसलिए इस बटन को औफ कर दें. इस को हटाने से आप के फोन में वे ऐप्स इंस्टौल नहीं होंगे जो वैरिफाइड नहीं हैं.

स्क्रीन लौक का करें इस्तेमाल

साधारण मोबाइल फोन की तरह ही स्मार्टफोन में भी स्क्रीन लौक सिस्टम होता है, बल्कि स्मार्टफोन में कई तरह के लौक सिस्टम होते हैं. मसलन, पैटर्न लौक, पिन लौक, ड्रैग स्क्रीन लौक आदि. किसी भी विकल्प के इस्तेमाल से मोबाइल स्क्रीन को लौक किया

जा सकता है. इस के लिए सैटिंग्स में जा कर स्मार्टफोन में दिए गए स्क्रीन लौक को इनैबल

कर लें.

ऐंटीवायरस करें इंस्टौल

कंप्यूटर और लैपटौप की ही तरह स्मार्टफोन के लिए भी ऐंटीवायरस आता है. आप के स्मार्टफोन के गूगल प्लेस्टोर में आप को फ्री ऐंटीवायरस मिल जाएंगे. आप उन में से वह ऐंटीवायरस डाउनलोड करें, जो वैरिफाइड हो और जिस के रिव्यू अच्छे हों. रिव्यू देखने के लिए ऐप को दिए गए स्टार्स देखें. जिसे ज्यादा स्टार मिले हों उसी ऐंटीवायरस को चुनें. ऐंटीवायरस से समयसमय पर अपने फोन को स्कैन करते रहें. इस से यदि वायरस होगा भी तो डिलीट हो जाएगा.

ब्लूटूथ औफ रखें

ब्लूटूथ एक बहुत अच्छी सुविधा है, बशर्ते इस का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए वरना यह एक बहुत ही खतरनाक चीज भी साबित हो सकती है. अकसर लोग दूसरों के फोन से सामग्री लेने के लिए इसे औन तो करते हैं, मगर औफ करना भूल जाते हैं. यह भूल आप के लिए बहुत घातक साबित हो सकती है, क्योंकि ब्लूटूथ के जरीए कोई भी अपने मोबाइल से आप के मोबाइल में घुस कर कोई भी जानकारी हासिल कर सकता है.

इतना ही नहीं, आप की पर्सनल तसवीरें, बैंक अकाउंट की डिटेल, यहां तक कि आप के सोशल नेटवर्क अकाउंट को भी हैक कर सकता है. ब्लूटूथ के जरीए आप के फोन में मैलवेयर भी भेजा जा सकता है.

ओपन वाईफाई हौटस्पौट यूज न करें

आजकल जगहजगह वाईफाई की सुविधा मिल जाती है. कभीकभी बिना पासवर्ड मांगे ही वाईफाई कनैक्ट भी हो जाता है. लेकिन क्या आप को पता है कि कभी भी फ्री इंटरनैट के लालच में नहीं आना चाहिए और कभी खुले हुए वाईफाई हौटस्पौट से अपना फोन कनैक्ट नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर आप के फोन में वायरस तो आएगा ही, आप का फोन हैक भी हो सकता है.

पौपअप औप्शन को करें ब्लौक

अकसर इंटरनैट इस्तेमाल करते वक्त क्लिक करने पर पौपअप खुल जाता है और गलती से उस पर क्लिक भी हो जाता है, जिस से वायरस आसानी से फोन में घुस जाता है. इसलिए अपने स्मार्टफोन के ब्राउजर की सैटिंग में जाएं. यहां आप को साइट सैटिंग का औप्शन मिलेगा. वहां से पौपअप को ब्लौक कर दें. साथ ही कैमरा और माइक्रोफोन औप्शन को आस्क फर्स्ट कर दें ताकि वैबसाइट्स आप के कैमरे और माइक्रोफोन का यूज न कर सकें.

ईमेल अटैचमैंट खोलने से बचें

हम सभी को मेल बौक्स में कई स्पैम मेल्स आते हैं. कई बार हम समझ नहीं पाते और उन्हें ओपन कर देते हैं. इन मेल्स में कई बार अटैचमैंट फाइल्स भी दी गई होती हैं. इन में कई लुभावने औफर होते हैं, लेकिन वास्तव में ये सब झूठे होते हैं. इन्हें खोलने पर वायरस अटैक भी हो सकता है, इसलिए कोई भी अनजान ईमेल का अटैचमैंट खोलने से बचें, क्योंकि ज्यादातर वायरस ईमेल अटैचमैंट के जरीए ही आता है. मोबाइल में कभी कोई अटैचमैंट तब तक न खोलें, जब तक आप को विश्वास न हो कि यह किसी जानकार ने ही आप को भेजा है.

शोध के नाम पर निर्मम हत्या

चूहे ऐसे सामाजिक जीव हैं जिन का सैंस औफ ह्यूमर काफी अच्छा होता है, खासतौर पर तब जब वे अपने साथियों के साथ मस्ती कर रहे होते हैं. इन के अंदर दया की भावना भी होती है. यदि 2 चूहों में से एक को कोई आघात लगा हो और ऐसे में दूसरे को खाना परोसा जाए तो वह अपने साथी की हालत को देखते हुए भूखा रहना पसंद करेगा. व्यवहार में चूहे काफी हद तक इनसानों की तरह होते हैं, फिर भी शारीरिक तौर पर चूहों और इनसानों में कोई समानता नहीं होती. यहां तक कि चूहों पर किए गए शोध भी इनसानों पर व्यावहारिक सिद्ध नहीं होते.

कितनी अजीब बात है कि एक तरफ जहां सारा संसार करुणामयी बनने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कोई भी उन 1 करोड़ चूहों के बारे में बात तक नहीं कर रहा, जो बेनतीजा शोधों के चलते वैज्ञानिकों द्वारा निर्ममता से मौत के घाट उतार दिए जाते हैं.

शोधों का सच

वैज्ञानिक अनुसंधानों में 60% से ज्यादा शोध ऐसे वेतनभोगी शोधकर्ताओं के द्वारा किए जाते हैं, जो सिर्फ अपना मासिक वेतन पाने के लिए बेवजह के शोध करते रहते हैं. लगभग 30% शोधों में सिर्फ दोहराव होता है.

भारत किसी भी तरह का मैडिकल ऐक्सपैरीमैंट, जानवरों पर किए गए शोध स्वीकार नहीं करता. यहां तक कि इस के लिए और्गनाइजेशन फौर इकोनौमिक कोऔपरेशन ऐंड डैवलपमैंट (ओइसीडी) के साथ एक इंटरनैशनल प्रोटोकाल भी साइन किया गया है. इस के बावजूद हमारे कुछ वैज्ञानिक अंतर्राष्ट्रीय शोधों का बेवजह दोहराव करते रहते हैं.

शोधों का दोहराव करने वाले वैज्ञानिकों को इस तरह व्यस्त रहने के लिए कुछ करने का मौका मिल जाता है, क्योंकि शायद उन की प्रतिभा इतनी ही है. ऐसे 5% शोध मैडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के द्वारा परीक्षा में नंबर पाने के लिए भी किए जाते हैं. सिर्फ 5% शोध ही किसी गंभीर कारण से किए जाते हैं और इन में से भी 0.1% शोधों का कोई नतीजा निकलता है.

इतना सब होने पर भी चूहों पर किए गए प्रयोगों को इनसानों पर आजमाया नहीं जाता. वैज्ञानिक सिर्फ अपना हाथ साफ करने के लिए चूहों पर प्रयोग करते हैं ताकि किसी बड़ी रिसर्च जौब में काम करने का मौका मिल सके.

कू्ररता की हद

क्या शोधों में ज्यादातर चूहों का इस्तेमाल मात्र इसलिए किया जाता है कि वे अहिंसक और आसानी से अपनी नस्ल बढ़ाने वाले जीव हैं? इंसानी शरीर की जटिलताओं को समझने की वजह से शोध 1 करोड़ चूहों की जान ले चुके हैं. हम लोग हिटलर को कू्रर कहते हैं तो फिर ऐसा कर के हम खुद को क्या कहलाना पसंद करेंगे?

इन छोटेछोटे जीवों के साथ शोध के दौरान कैसीकैसी कू्ररता की जाती है, जान कर आप सिहर उठेंगे:

– चूहों को बिजली के झटके दिए जाते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि एक जीव कितना दर्द सह सकता है.

– सर्जरी से जुडे़ शोधों के दौरान चूहों के शरीर को विकृत कर दिया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कुछ खास अंगों के बगैर जीव की प्रतिक्रिया क्या होगी.

– कुछ खास शोधों में तो इन के शरीर में कोकीन से ले कर मेथमफेटामाइन जैसी ड्रग्स भी पंप की जाती है.

– कैंसर वाले ट्यूमर और मानव शरीर की कोशिकाओं को इन के शरीर में डाला जाता है ताकि आनुवांशिक शोधों को अंजाम दिया जा सके.

– इन की खोपड़ी में छेद कर दिया जाता है और जबरन कुछ खास रसायन पिलाए जाते हैं ताकि दिमाग में तेजी से होने वाली प्रतिक्रियाओं का पता लगाया जा सके.

– बेरहमी यहीं पर खत्म नहीं होती. इन का इस्तेमाल हो जाने के बाद इन को उसी हालत में कूड़े की तरह फेंक दिया जाता है.

निर्मम शोध

व्यावसायिक कंपनियों में चुहियों को पाला जाता है ताकि उन पर शरीर को कमजोर करने वाली बीमारियों जैसे कैंसर वाले ट्यूमर, मोटापा, पैरालाइसिस, तनावयुक्त प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) और अवसाद से जुड़े शोधों को अंजाम दिया जा सके. इतना ही नहीं, इन चुहियों को शोध के लिए पूरी दुनिया की प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है. इन मासूम जीवों पर होने वाले प्रयोग इतने निर्मम और गैरजरूरी हैं कि मैं इन्हें अंजाम देने वालों से बेहद निराश हूं.

मुझे इन शोधकर्ताओं और उन लोगों में कोई फर्क नहीं नजर आता जो बम बनाते हैं या बारूदी सुरंगें बिछाते हैं ताकि निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जा सके. ये शोधकर्ता चूहों को मटमैले पानी में तैरने के लिए छोड़ देते हैं जहां इन्हें डूबने से बचने का जरीया खोजना पड़ता है. यह शोध समझदारी के स्तर को जांचने के लिए किया जाता है. मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस तरह के शोध में पूरी तरह असफल हो जाऊंगी. मैं क्या कोई भी हो जाएगा. पर ऐसा होने पर भी यह कैसे सिद्ध होगा कि कोई समझदार है या मूर्ख?

चूहों को 131 डिग्री फारेनहाइट पर गरम प्लेट पर रख दिया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दर्द का एहसास होने के बाद चीखने में कितना समय लगता है. बिना दर्दनिवारक दवा दिए ही इन की पूंछें काट दी जाती हैं. चूहों पर की जाने वाली सर्जरी ज्यादातर बिना ऐनेस्थीसिया दिए की जाती है और सर्जरी के बाद इन्हें दर्द कम करने की कोई दवा भी नहीं दी जाती. शोध के दौरान चूहे जल जाते हैं, इन को आघात लग जाता है, जहर दिया जा सकता है, इन को भूखा रखा जाता है, नशीली दवाएं दी जाती हैं और कभीकभी तो इन का दिमाग भी क्षतविक्षत हो जाता है. कोई भी प्रयोग, चाहे वह कितना ही दर्दनाक क्यों न हो, प्रतिबंधित नहीं है और दर्दनिवारक दवाओं की भी जरूरत नहीं समझी जाती.

प्रयोगशालाओं के अंदर के वीडियो फुटेज देखने पर पता चलता है कि पिंजरों में बंद चूहे इतने भयभीत रहते हैं कि इन के पास से कोई गुजर भर जाए तो ये दुबक जाते हैं. इन को पता भी नहीं होता कि कब इन में से कोई एक बिजली के झटके देने के लिए, दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरने के लिए या मौत के लिए पिंजरे से बाहर खींच लिया जाएगा. ये अपने सामने अपने साथियों को मरते हुए देखते हैं.

3 प्रयोग, कई जानवर

ये 3 प्रयोग हर साल कई जानवरों पर किए जाते हैं:

आंखों का टैस्ट: आई इरिटैंसी या ड्रेज टैस्ट के दौरान जानवरों की आंखों में एक कैमिकल जबरन डाला जाता है. एनेस्थीसिया और दर्दनिरोधी उपचार के अभाव में जानवर जबरदस्त पीड़ा के दौर से गुजरते हैं. कई जानवर असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए इतना संघर्ष करते हैं कि उन की रीढ़ की हड्डी तक टूट जाती है और वे मर जाते हैं.

स्किन टैस्ट: त्वचा पर होने वाली प्रतिक्रियाओं को जानने के लिए जानवरों की त्वचा के नाजुक भाग पर जानलेवा रसायन डाले जाते हैं. ऐसे में उन के शरीर पर खुले हुए घाव और उन से खून बहना आम हो जाता है.

ओरल टौक्सिसिटी: इस टैस्ट के दौरान पूरी तरह स्वस्थ जानवर को एलडी 50 रसायन 14 से 28 दिनों तक जबरन दिया जाता है. यह सिलसिला जानवरों की मौत हो जाने के बाद ही थमता है.

आजकल चूहों, चुहियों और चिडि़यों पर होने वाले शोध उस ‘3 आर’ का हिस्सा नहीं, जो दुनिया भर के शोधकर्ताओं को एक बनाते हैं.

‘3 आर’ यानी रिप्लेसमैंट, रिडक्शन और रिफाइनमैंट. रिप्लेसमैंट यानी शोधों के लिए जानवरों के बजाय उन की कंप्यूटर से बनी नकल का प्रयोग हो. रिडक्शन यानी कम से कम जानवरों का शोध में इस्तेमाल हो. रिफाइनमैंट यानी शोध के तरीकों को कम से कम पीड़ा देने वाला बनाया जाए.

कोई भी वैज्ञानिक जानवरों पर शोध करने की तैयारी करने से पहले इंटरनल ओवरसाइट कमेटी (आईएसीयूसी) से ‘3 आर’ मानकों के अनुरूप अप्रूवल लेता होगा. हालांकि, असलियत में ऐसा कोई नियम शोध के दौरान चुहिया या अन्य जानवरों पर लागू नहीं होता फिर चाहे उस की कंप्यूटर नकल कितनी ही कारगर क्यों न हो. ऐसे में किसी भी वैज्ञानिक को छूट है कि वह शोध के दौरान कितने ही जानवरों पर कू्ररता कर सकता है. वह भी तरहतरह की और बेवजह.

यहां कुछ उदाहरण पेश हैं ऐसे नतीजों के जो हजारों छोटी चुहियों को मौत के घाट उतारने के बाद निकले:

आर्थ्राइटिस टैस्ट: दवाओं के चलते चूहों में होने वाली आर्थ्राइटिस की समस्या व्यायाम की प्रक्रिया को कठिन बनाने के संकेत देती है.

अब आप ही सोचें कि टैक्स भरने वालों के पैसे का इस तरह के शोधों में इस्तेमाल करना क्या सही है?

चूहे कड़वी चीजें चख सकते हैं: यह शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने 10 चूहों की गरदन में चीरा लगा दिया ताकि एक नस को काटा जा सके. इस के अलावा और 10 चूहों के कान के परदे को पंक्चर कर दिया ताकि नस को काट कर अलग किया जा सके. इस के बाद अपनी कू्ररता को छिपाने के लिए इन वैज्ञानिकों ने विज्ञान का सहारा लिया ताकि शोधों में पैसे और जानवरों की बरबादी के खिलाफ आवाज उठाने वालों से बच सकें और अपनी डिग्री या सैलरी पा सकें.

नैतिक रूप से इस कू्ररता का समर्थन नहीं किया जा सकता क्योंकि शोधों के दौरान चूहेचुहियों को दर्द, डर और तनाव की हद से गुजरना पड़ता है.

भारत में सीपीसीएसईए जानवरों पर होने वाले शोधों की निगरानी करता है और ऐसी सूचनाएं यहां दी जा सकती हैं. एक विश्वविद्यालय शोधकर्ता ने एक शोध के लिए 20 साल लगा दिए. इस शोधकर्ता ने पानी से भरे टब के बीच में एक कार्ड पर चूहे को बैठा दिया. काफी वक्त गुजर जाने के बाद जब चूहे की जागने की क्षमता समाप्त हो गई तो वह पानी में गिर कर डूब गया. इस शोध को करने के पीछे की वजह मात्र यह जानना था कि चूहे कब सोते हैं और कब वे सब नहीं कर पाते जो वे जागते हुए करते हैं.

क्या हमें वाकई ऐसे लोगों की जरूरत है या इन को पागलखाने भेज देना चाहिए, खासतौर पर उस शोधकर्ता को जोकि भय और मौत को देखना पसंद करता रहा.

ट्रिप के दौरान बचें ठगों से

कम से कम साल में एक बार तो आप ट्रिप प्लान करती ही होंगी. अगर आप कहीं घूमने का प्लान बना रही हैं तो जरा इन ठगों से बचकर रहें.

टैक्सी ड्राइवर

रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से निकलते ही आपको ढेरों टैक्सी/ऑटो ड्राइवर मिलते हैं, जो आपको करीबी और अच्छे होटल तक पहुंचाने की बात कहते हैं. इन ड्राइवर्स को होटल की तरफ से कमिशन मिलता है, जो कि होटल किसी न किसी रूप में आपसे वसूलता है. बेहतर है कि अपने लिए होटल पहले से बुक करके डेस्टिनेशन पर जाएं.

नकली पुलिस अधिकारी

यह पुलिस अधिकारी अक्सर आपसे नियम न फॉलो करने और यह कहकर कि यहां के नियम अलग हैं, आपका चालान काटते हैं और इस तरह आपसे पैसे ऐंठ लेते हैं. ऐसा नहीं है कि मिलने वाले सभी पुलिस अधिकारी नकली होते हैं, लेकिन इस तरह ठगने के मामले भी सामने आए हैं.

होटेल रूम सिक्यॉरिटी

यह लोगों को लूटने का नया तरीका है. इसमें कई बार जब आप होटेल से बाहर होते हैं, तो आपको फोन करके कोई सिक्यॉरिटी के नाम पर होटेल रूम की चेकिंग के लिए पूछता है और होटेल रूम में हिडन कैमरा लगा दिया जाता है. इस तरह की सिक्यॉरिटी चेकिंग को अपनी गैर-मौजूदगी में कतई इजाजत न दें.

ध्यान भटकाना

टूरिस्टों से सामान छीनने का यह सबसे आसान तरीका है. इसमें कोई व्यक्ति या बच्चा आपसे ऐड्रेस या डायरेक्शन पूछता है और जैसे ही आपका ध्यान बच्चे की तरफ जाता है, तभी दूसरा आदमी आपका सामान चोरी कर लेता है या छीनकर भाग जाता है इसलिए अपने सामान को हमेशा अपने हाथ में टाइट पकड़कर रखें.

सैराट का हिंदी रिमेक बनाएंगे करण

मशहूर हिंदी फिल्म निर्देशक करन जौहर सुपरहिट मराठी फिल्म सैराट की हिंदी रिमेक बनाएंगे. कहा जा रहा है कि फिल्म को धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनाया जाएगा और सैराट फिल्म के प्रोड्युसर ही इस फिल्म को फाइनेंस करेंगे. इसकी चर्चा तेज हो गई है कि अगर फिल्म बनती है तो इसमें कौन-कौन कलाकार काम करेंगे. हालांकि अभी तक करन जौहर की तरफ से कोई भी बयान नहीं आया है.

कयास लगाए जा रहे है कि कई स्टार किड अपनी फिल्मी पारी शुरू कर सकते हैं. जिनमें शाहरुख के बेटे आर्यन खान, सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान, अमिताभ की नातिन नव्या नवेली और श्रीदेवी की बेटी जहानवी कपूर का नाम शामिल है. खबरों की माने तो अगर फिल्म बनती है तो कहानी की शुरूआत तो ओरिजनल फिल्म की तरह ही रहेगी लेकिन बीच की कहानी को बदला जा सकता है ताकि यह हिन्दी के दर्शकों के लायक बन सके.

मराठी फिल्म सैराट में मुख्य भूमिका में रिंकू राजगुरू और आकाश तोसार हैं, जिन्होंने शानदार अभिनय के दम पर लोगों का दिल जीता. इस फिल्म को चौतरफा तारिफे मिली थी. साथ ही साथ फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार कमाई करते हुए 100 करोड़ कल्ब में भी शामिल होने में कामयाब रही. यह फिल्म 29 अप्रैल को रिलीज हो गई थी. इस फिल्म की तारीफ करन जौहर ने करते हूए इसे शानदार बताया था.

‘पद्मावती अब तक की सबसे चैलेंजिंग फिल्म’

बॉलीवुड में नौ साल पूरे कर चुकीं दीपिका पादुकोण इन दिनों अपने करियर के बेहतरीन मुकाम पर हैं. पिछले साल उनकी दो फिल्म्स ‘पीकू’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, तो इस साल उन्हें पहली बार हॉलिवुड में काम करने का मौका मिला और वह फिल्म ‘XXX:द रिटर्न ऑफ जेंडर केज’ का हिस्सा बनीं. अब साल का अंत आते-आते दीपिका की झोली एक बार फिर भर गई है.

संजय लीला भंसाली ने लगातार अपनी तीसरी फिल्म में दीपिका को लीड रोल में लिया है, और अब वह जल्द ही ‘पद्मावती’ की शूटिंग शुरू करने जा रही है. वैसे तो अपने अब तक के करियर में दीपिका कई तरह की चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभा चुकी हैं, मगर उनका मानना है कि ‘पद्मावती’ उनके लिए अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण फिल्म साबित होने वाली है. हालांकि वह इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं.

एक अवॉर्ड फ़ंक्शन में पहुंचीं दीपिका ने कहा, ‘मुझे बिल्कुल ऐसा नहीं लगता कि मैं इंडस्ट्री में नौ साल पूरे कर चुकी हूं. मुझे अब भी ऐसा लगता है कि मैंने सिर्फ शुरुआत की है. मुझे लगता है कि अभी मुझे और भी बहुत कुछ साबित करना है. मैं चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं और फिल्मों के लिए पूरी तरह तैयार हूं.’

फिल्म से एक सीन भी काटना गुनाह

शाहरुख खान की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ का इंतजार कर रहे उनके प्रशंसको के लिए अच्छी खबर है. इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने बिना किसी कट के पास कर दिया है. फिल्म को सेंसर बोर्ड की तरफ से युए सर्टिफिकेट मिला है. यानि आप फिल्म को पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं.

इस फिल्म में किसी भी तरह के आपत्तिजनक सीन नही हैं. सेंसर बोर्ड ने फिल्म की तारीफ करते हुए कहा कि फिल्म से एक छोटे सीन को भी काटना क्राइम होगा. बता दें फिल्म में शाहरुख के साथ आलिया भट्ट अहम भूमिका में नजर आएंगी. दोनों पहली बार सिल्वर स्क्रीन पर साथ नजर आएंगे. इस बात को लेकर आलिया खासी उत्साहित भी हैं.

गौरतलब है कि फिल्म में पाकिस्तानी एक्टर अली जफर को लेकर विवाद खड़ा हुआ था. खबर है कि उनकी जगह फिल्म में ताहिर राज भसीन को लिया गया है. इस पर आलिया ने कहा, ‘किसी को नहीं बदला जा रहा. फिल्म अपने पूरे स्वरूप में आएगी. किसे बदला जा रहा है और किसे नहीं, इस बारे में ज्यादा बातचीत नहीं हो रही. इसलिए हम इस मुद्दे को कुछ समय के लिए छोड़ सकते हैं.’

गौरी शिंदे निर्देशित इस फिल्म में शाहरुख और आलिया के साथ अंगद बेदी, कुणाल कपूर भी मुख्य किरदार में नजर आएंगे. यह फिल्म 25 नवंबर को रिलीज होगी.

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