धोखा देने की क्या हो सजा

’धोखेबाज’, ’दगाबाज’, ’झूठा’, ’मक्कार…’ कुछ समय पहले तक युवतियां अकसर इस तरह के संबोधनों से अपने बेवफा प्रेमी को संबोधित करती थीं और छटपटा कर रह जाती थीं, लेकिन वक्त के साथसाथ युवतियों की सोच और उन के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. अब वे भी ’जैसे को तैसा’ की नीति पर विश्वास करते हुए सिसकियां भर कर अपने दगाबाज प्रेमी को भुलाने के बजाय उसे सबक सिखाना ज्यादा उचित समझती हैं.

हाल ही में लंदन की एक डैंटिस्ट प्रेमिका ने भी अपने बौयफ्रैंड को सबक सिखाने के लिए कानून तक को अपने हाथ में ले लिया. हुआ यों कि जब प्रेमिका को अपने प्रेमी की बेवफाई के बारे में पता चला तो उसे सबक सिखाने के चक्कर में उस ने उस के  सारे दांत तोड़ डाले. डैंटिस्ट ने बहाने से अपने प्रेमी को क्लिनिक पर बुलाया और चैकअप का झांसा दे कर उस के सारे दांत निकाल दिए. जब तक प्रेमी को होश आया, तब तक उसे धोखेबाजी की सजा मिल चुकी थी. उसे बिना दांत के देख उस की दूसरी प्रेमिका भी उसे छोड़ कर भाग गई, लेकिन बाद में उस डैंटिस्ट को जेल की हवा खानी पड़ी.

अकसर देखा गया है कि युवतियां बदला लेने के चक्कर में यह भूल जाती हैं कि उन्हें खुद को नहीं बल्कि अपने बेवफा प्रेमी को दुख पहुंचाना है. इस चक्कर में वे ऐसे काम कर जाती हैं, जिन से उन का भी नुकसान हो जाता है. इस बाबत बालाजी ऐक्शन मैडिकल इंस्टिट्यूट की साइकोलौजिस्ट शिल्पी आस्ता कहती हैं, ’’किसी युवक को सबक सिखाना या उस से बदला लेना गलत नहीं है, लेकिन ऐसा करते समय युवतियों को अपना मानसिक संतुलन बनाए रखना चाहिए.’’

बीते दिनों एक खबर ने लोगों को चौंका दिया था. दिल्ली की दीपिका ने अपने धोखेबाज मंगेतर पर शादी से ठीक एक सप्ताह पहले तेजाब फेंक दिया. इस से उस की एक आंख की रोशनी चली गई और एक कान से सुनाई देना बंद हो गया. दीपिका की इस करतूत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. दीपिका की तरह ही बहुत सी युवतियां हैं, जो बदले को क्राइम का रूप दे बैठती हैं.

बदले की भावना के चलते युवतियां भले ही अपने साथ हुए धोखे का बदला ले लेती हों, मगर यह बदला कभीकभी इतना खतरनाक हो जाता है कि उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं.

डा. शिल्पी कहती हैं कि सब से बड़ा बदला तो यही है कि युवक को इस बात का एहसास करा दो कि उस के बिना भी आप खुश हैं और ठीक तरह से अपनी जिंदगी बिता सकती हैं, लेकिन इस के बावजूद अगर आप का मन बिना उस को नुकसान पहुंचाए नहीं मानता तो बदला लेने के कुछ ऐसे तरीके भी हैं, जिन से आप कानूनी चाबुक पड़ने से बच सकती हैं.

बदले के 30 तीर… और प्रेमी ढेर

1 सब से पहला और आसान तरीका तो यह है कि आप अपने बौयफ्रैंड के दोस्त को ही पटा लें. इस से आप के बौयफ्रैंड के अंदर जलन की भावना पैदा हो जाएगी. हो सकता है उसे अपनी गलती का एहसास हो जाए और वह आप की जिंदगी में वापस आना चाहे.

2 आप अपने बौयफ्रैंड को फर्जी एसएमएस मसलन, ’हैलो डार्लिंग, कैसे हो?’, ’यू फिल्ड माई लाइफ विद हैपीनैस’, ’आई मिस यू, आई लव यू’,’तुम जो आए जिंदगी में बात बन गई…’ भेजें और तुरंत बाद अगले ही मैसेज में खेद प्रकट करते हुए लिखें कि यह मैसेज उस के लिए नहीं किसी और के लिए था.

3 अपने धोखेबाज प्रेमी से बदला लेने के लिए सभी फ्रैंड्स के बीच यह बात फैला दें कि वह गे था इसलिए उसे छोड़ दिया.

4 अपने धोखेबाज प्रेमी को नीचा दिखाने के लिए आप यह भी कर सकती हैं कि कालेज और उस के औफिस में यह अफवाह फैला दें कि आप के दगाबाज प्रेमी को मानसिक रोग है और अपनी इस बीमारी के चलते वह किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

5 जिस युवती के लिए उस ने आप को धोखा दिया उस युवती के सामने प्रेमी की सारी पोलपट्टी खोल दें. उस की नई प्रेमिका को अपनी और उस की तसवीरें दिखाएं या फिर उस के ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप दिखाएं.

6 अपने बौयफ्रैंड के नाम पर उस के पड़ोसियों के घर के पते पर कोई अश्लील पत्रिका भिजवा दें. इस से उस के आसपास रहने वालों में उस की  इमेज बिगड़ेगी.

7 अगर आप का धोखेबाज प्रेमी आप के कालेज में ही आप के साथ है, तो मौका देख कर उस की शर्ट पर ’मैं धोखेबाज हूं’ की चिट चिपका दें. जब इस चिट के साथ कालेज के अन्य छात्रछात्राएं उसे देखेंगे, तो वह सब के आगे हंसी का पात्र बनेगा.

8 अगर इतने से भी जी न भरे तो किसी अनजान युवती को हायर कर बीच सड़क पर अपने बेवफा आशिक पर छेड़छाड़ का इलजाम लगवा कर उसे पिटवा दें.

9 अपनी किसी फ्रैंड को उस से फ्लर्ट करने को कहें और जब प्रेमी रिलेशनशिप में सीरियस हो जाए तो अपनी दोस्त को उसे धोखा देने को कहें.

10 अलगअलग नंबरों से फोन कर उसे धमकी दें. जब तक वह अपना नंबर बदल न ले ऐसा करते रहें. नंबर बदल लेने के बाद फिर कहीं से उस का नंबर पता लगाएं और फिर से उसे परेशान करें.

11 अगर संभव हो तो अपने प्रेमी की ऐसी तसवीरें जो उस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हों, अपने सारे दोस्तों को एमएमएस कर दें या फिर अलगअलग साइट पर अपलोड कर दें.

12 प्रेमी के घर उस की शादी का नकली कार्ड बनवा कर भिजवा दें. ऐसा करने से उस के घर में बवाल मच जाएगा.

13 बदला लेने के लिए आप प्रेमी को एक बेनाम गिफ्ट पैक  भेज सकती हैं. गिफ्ट हेयर रिमूवर की बौटल पर किसी शैंपू का स्टीकर चिपका कर उसे ऐसे रखें कि वह नया लगे.

14 अगर प्रेमी उसी कालेज या औफिस में हो जहां आप भी काम करती हों, तब आप के लिए उस की चाय या कौफी में जमालगोटा मिलाने में मुश्किल नहीं होगी. पेट पकड़ कर जब पूरा दिन वह वाशरूम के चक्कर लगाता दिखेगा, तो आप के कलेजे को पक्का ठंडक मिलेगी.

15 कालेज के बुलेटिन बोर्ड का सही इस्तेमाल करें और प्रेमी की तसवीर पर बिंदी व लिपस्टिक लगा कर बोर्ड पर चिपका दें.

16 प्रेमी के नाम पर एक आपत्तिजनक सीडी उस के प्रिंसिपल या बौस तक पहुंचा दें. खरीखोटी तो वह सुनेगा ही उस की नौकरी पर भी तलवार लटकने लगेगी.

17 आप एक गुप्त पत्र प्रिंसिपल के नाम लिख कर उस में प्रेमी की करतूतों का बखान कर सकती हैं.

18 किसी बच्चे को कहें कि उस की गर्लफ्रैंड के आगे उसे पापा कह कर बुलाए. बच्चे की इस हरकत से उस की नई गर्लफ्रैंड के अंदर शक के बीज अंकुरित हो जाएंगे.

19 प्रेमी की डैस्क पर गर्भनिरोधक गोलियां और कंडोम के डब्बे डाल दें. उस के साथ जब ये अश्लील सामग्री उस की डैस्क पर देखेगी तो सब उसे संदेह की नजरों से देखने लगेंगे.

20 अगर एक ही औफिस में साथ काम करते हों तो धोखेबाज प्रेमी को मजा चखाने के लिए उस की सीट पर फैवीक्विक डाल दें. जब फैवीक्विक अपना कमाल दिखाएगा तो लोग उस पर हंसेंगे.

21 अपनी पहचान गुप्त रख कर टैलीविजन पर प्रेमी के नाम पर लापता का विज्ञापन चलवा दें. उस विज्ञापन में प्रेमी को घर से भागा हुआ बताएं और उसी की नई गर्लफ्रैंड का नंबर दे दें.

22 यही काम अखबार में भी पहचान गुप्त रख कर करवाया जा सकता है. प्रेमी के फोटो के साथ विज्ञापन छपवाएं और विज्ञापन में उसे चोर घोषित करते हुए उस के नाम पर इनाम की घोषणा कर दें. विज्ञापन में नंबर उस की नई गर्लफ्रैंड का और पता उस के घर का दे दें. आप अपने प्रेमी का नंबर भी विज्ञापन में दे सकती हैं.

23 अगर आप दोनों एक ही पार्टी में मौजूद हैं तो अपने प्रेमी के कपड़ों पर कुछ गिरा दें. कोशिश करें कि ऐसी जगह गिरे जहां वह देख भी न सके और लोग उस का मजाक बनाएं. वैसे मौका मिले तो उस के कपड़ों पर ’मैं बेवफा हूं’ लिखा कागज चिपका दें. ऐसा करने पर वह पार्टी में आकर्षण का केंद्र बन जाएगा.

24 इंटरनैट पर ऊटपटांग साइटों पर उस के नाम और मोबाइल नंबर को रजिस्टर कर दें. जब उस के फोन पर अनचाहे मैसेज और कौल्स आएंगी तो वह परेशान हो जाएगा.

25 एक ही औफिस में काम करते हों तो उस के कंप्यूटर से सारा डेटा डिलीट कर दें या फिर उस की प्रैजैंटेशन सीडी को फिल्म की सीडी से बदल दें.

26 कालेज की दीवारों पर जगहजगह अश्लील मैसेज लिखें और मैसेज के नीचे अपने बौयफ्रैंड का नंबर लिख दें.

27 आप अपने बौयफ्रैंड को सोशल नैटवर्किंग साइट पर भी बदनाम कर सकती हैं. अपने सभी फ्रैंड्स को बौयफ्रैंड की आईडी के साथ एक मैसेज भेजें, जिस में आप अपनी आपबीती उन से शेयर कर सकती हैं.

28 उस की कार या बाइक का टायर पंक्चर कर दें.

29 अपनी पहचान गुप्त रखते हुए पुलिस में उस के खिलाफ धोखाधड़ी और नशीले पदार्थों का सेवन करने की शिकायत दर्ज करा दें.

30 फोटोशौप पर प्रेमी की तसवीर बिगाड़ कर सभी दोस्तों को फर्जी ईमेल आईडी से मेल कर दें. हो सके तो उस की पोलपट्टी भी उस मेल में खोल दें.

क्यों देते हैं युवक धोखा

धोखा देना युवकों की फितरत होती है,’ यह कहना गलत होगा. सचाई तो यह है कि युवक हमेशा रिश्तों में भटकाव की समस्या से ग्रसित होते हैं और बात जब सही युवती के चुनाव की होती है, तो यह समस्या और भी प्रबल हो जाती है.

डा. शिल्पी आस्ता का मानना है, ’’युवकों को रिश्तों में हमेशा नएपन की तलाश रहती है. वे किसी भी तरह के दोहराव से बहुत जल्दी ऊब जाते हैं. युवतियों का रिश्तों को ले कर अति उतावलापन भी युवकों को रास नहीं आता. बारबार युवकों पर शादी के लिए दबाव बनाना या उन की तुलना किसी दूसरे से करना भी युवकों के मन में अलगाव की भावना पैदा करता है.’’

इन फिल्मों को जरूर देखें

– ’लव का द ऐंड’ युवक को सबक सिखाने के लिए युवती उस के ड्रिंक में कुछ ऐसा पदार्थ मिला देती है, जिस से वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है.

– ’प्यार तो होना ही था’ इस फिल्म में युवक से बदला लेने के लिए युवती एक युवक को हायर कर उस से प्यार का नाटक करती है.

– ’तेरी मेरी कहानी’ फिल्म में हीरो से रिवैंज लेने के लिए उस की ऐक्स गर्लफ्रैंड उस के निजी वीडियोज सब को एमएमएस कर देती है.

– ’एक हसीना थी’ इस फिल्म में हीरो से बदला लेने के लिए हीरोइन उस से प्यार का नाटक करती है. बाद में उसे एक ऐसी जगह पर छोड़ देती है, जहां बहुत सारे चूहे होते हैं और हीरो उन से बचने के लिए कुछ नहीं कर पाता.

– ’अंजाम’ मूवी में हीरो से बदला लेने के लिए हीरोइन उस की नर्स बन जाती है और मौका मिलते ही उसे चट्टान से धक्का मार देती है.

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चैन न छीन ले यह दोस्ताना

दोस्ती की जरूरत जीवन के हर पड़ाव पर होती है. फिर चाहे वह बचपन में स्कूल या पड़ोस की दोस्ती हो, किशोरावस्था या युवावस्था में अपने हमउम्र कालेज, औफिस की दोस्ती हो. लेकिन जब एक लड़का और लड़की वैवाहिक बंधन में बंध कर पतिपत्नी बन जाते हैं तो दोस्ती के माने बदल जाते हैं.

अधिकांश मामलों में विवाह के बाद लड़कियों का अपनी सहेलियों से साथ छूट जाता है और उन्हें पति के दोस्तों की पत्नियों से ही दोस्ती निभानी पड़ती है. लेकिन कुछ केसेज अपवाद भी होते हैं जहां लड़की की विवाह के बाद भी अपनी सहेली से दोस्ती बरकरार रहती है. विवाह के बाद भी उन का एकदूसरे से मिलनाजुलना, एकदूसरे के घर आनाजाना जारी रहता है और आप की सहेली के पति की दोस्ती आप के पति से हो जाती है.

शुरूशुरू में तो दोनों सहेलियों को अपने पतियों की यह दोस्ती खूब भाती है. उन्हें लगता है कि कितना अच्छा है कि दोनों के पति भी आपस में दोस्त बन गए हैं. अब इन की दोस्ती भी ताउम्र बरकरार रहेगी, लेकिन पतियों की दोस्ती का शुरुआत में अच्छा लगना बाद में किस कदर मुसीबतों व परेशानियों का सबब बन सकता है आइए एक नजर डालें:

1. मेरा पति मेरा न रहा:

सहेली के पति के साथ आप के पति की दोस्ती कभीकभार साथ में चाय पीने, महीने में एकाध बार आउटिंग तक सीमित हो तो ठीक, लेकिन जब यह दोस्ती 24×7 की हो जाए यानी आप का पति आप का टाइम चुरा कर सहेली के पति को देने लगे तो आप के मन में यही खयाल आएगा न कि मेरा पति मेरा न रहा.

सुबह की व्हाट्सऐप गुडमौर्निंग से ले कर दिन भर एकदूसरे के साथ जोक्स शेयर करना, औफिस से इकट्ठे लौटना, लौटने के बाद बाहर घूमने निकल जाना और तो और आप डिनर टेबल पर उन की मनपसंद डिश बना कर उन का इंतजार कर रही हैं और वे आप की सहेली के पति के साथ बाहर से खाना खा कर आएं तो आप के पास अपना सिर पीटने और उस दिन को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा, जिस दिन आप ने अपने पति की दोस्ती सहेली के पति से कराई थी.

2. सहेली का पति बनाम सौतन:

पहला उदाहरण, आप ने पति के साथ शाम में रोमांटिक मूवी देखने का प्रोग्राम बनाया, लेकिन पति भूल कर सहेली के दोस्त के साथ हौरर मूवी देखने चले गए.

दूसरा उदाहरण, आप की शादी की सालगिरह का खास दिन है. आप पति से कुछ अपनी पसंद का सरप्राइज गिफ्ट, कैंडल लाइट डिनर की उम्मीद कर रही हैं, लेकिन पहले तो पति लेट आते हैं और फिर आते हैं, तो सहेली की पसंद का गिफ्ट उस के पति के साथ ले कर आ धमकते हैं. गिफ्ट और सहेली के पति को देख कर आप को उस में अपनी सौतन दिखने लगती है.

तीसरा उदाहरण, आप को अपनी सहेली से अपने बैडरूम की वे बातें पता चलती हैं, जो केवल आप और आप के पति के बीच थीं, तब आप को समझते देर नहीं लगती कि ये बातें सहेली तक आप के पति द्वारा इन के खास दोस्त यानी सहेली के पति द्वारा ही पहुंची हैं. अपने प्राइवेट पलों के बारे में अपनी सखी के मुंह से सुन कर आप के पास झेंपने के अलावा कोई चारा नहीं रहता.

3. आर्थिक मामलों में दखलंदाजी:

सहेली के पति से आप के पति की दोस्ती ने आप का पर्सनल टाइम तो चुराया ही, लेकिन जब वह आप के फाइनैंशियल मैटर्स में भी दखल देने लगे तो आप पर क्या गुजरेगी. सहेली के पति से दोस्ती से पहले आप के पति घर के आर्थिक मामलों पर आप की राय लेते थे. कौन सी पौलिसी लेनी है, निवेश कितना और कहां करना है. इन सभी मसलों पर आप को साझीदार बनाते थे, लेकिन जब से उन का यह दोस्ताना हुआ उन्होंने आप की राय लेनी बंद कर दी.

ऐसे में आप को सहेली के पति को देख कर कुढ़न ही होगी और ऐसा होना वाजिब भी है, क्योंकि आर्थिक मसलों पर आप के परिवार का भविष्य जो निर्भर करता है. वैसे भी यह भला किस पत्नी को सुहाएगा कि उस का पति घर के महत्त्वपूर्ण मामलों में उस की राय लेने, उसे महत्त्व देने के बजाय दोस्त को महत्त्व देने लगे.

4. हाथ से न निकल जाए पति:

आप ने तो अपने पति की दोस्ती सहेली के पति से यह सोच कर कराई थी कि आप दोनों सहेलियों का दोस्ताना बना रहेगा, लेकिन कहीं भविष्य में इस की आप को बड़ी कीमत न चुकानी पड़े, क्योंकि हो सकता है आप का पति सीधासादा, बिना कोई ऐब वाला फैमिली पर्सन हो, लेकिन सहेली का पति ऐब वाला हो यानी वह शराब, शबाब सब का सेवन करता हो. ऐसे में सहेली के पति की संगत आप के पति को भी बिगाड़ सकती है और वह गलत आदतों का शिकार हो कर हो सकता है आप के हाथ से भी निकल जाए.

5. सहेलियों की दोस्ती में दरार:

सहेलियों के पतियों की दोस्ती आप दोनों सहेलियों की दोस्ती में दरार डालने का भी सबब बन सकती है, क्योंकि हो सकता है आप को लगे आप के पति को सहेली का पति बिगाड़ रहा है. उधर आप की सहेली को लगे कि आप का पति उस के पति को बिगाड़ रहा है. तो इस आरोपप्रत्यारोप के चलते आप दोनों की दोस्ती में दरार आ सकती है.

6. पति हो सकता है गैरजिम्मेदार:

एक स्थिति ऐसी भी आ सकती है कि आप के पति को आप की सहेली के पति यानी आप के इस नए दोस्त पर कुछ ज्यादा ही विश्वास हो और वह अपनी गैरमौजूदगी में हर काम के लिए दोस्त पर निर्भर रहने लगे. मसलन, आप के पति कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जा रहे हैं पीछे से वे आप के घरपरिवार की जिम्मेदारी बेफिक्र हो कर दोस्त को सौंप जाए.

ऐसी स्थिति में कोई भी पत्नी नहीं चाहेगी जहां उस का पति अपने परिवार की हर जिम्मेदारी अपने दोस्त को सौंपने लगे, क्योंकि आप के परिवार की जिम्मेदारी आप के पति की है और आप चाहेंगी उसे आप का पति ही निभाए.

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आपके शादीशुदा रिश्ते को मजबूती देंगी ये 5 बातें

जीवनसाथी ही वह शख्स होता है, जिससे हम हर मुसीबत में हमारे साथ खड़े होने की उम्मीद करते हैं. इस भरोसे और आपसी समझ को मजबूत बनाने के लिए अपने रिश्तें में इन खास बातों का ध्यान जरूर रखें…

1. पर्सनल स्पेस दें

क्लोज रिलेशनशिप में भी पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है. यह बात आपको समझनी चाहिए. हर वक्त और हर चीज में दखल देना आपको आपके पार्टनर के नजदीक लाने के बजाए, आपके बीच दूरी बढ़ने का कारण हो सकता है. इसलिए एक-दूसरे के पर्सनल स्पेस का ख्याल रखें.

2. पढ़ें नैनों की भाषा

जरूरी नहीं आपका पार्टनर आपसे अपनी हर जरूरत बोलकर ही बताए. आप एक-दूसरे को समझने का प्रयास करें. एक-दूजे को वक्त दें और हर मुद्दे पर खुलकर बात करें. ताकि आपकी आपसी समझ विकसित हो सके. वक्त और मौके की नजाकत को देखते हुए अपने पार्टनर की जरूरतों को उसके बिन बोले ही समझने का प्रयास करें. ऐसी समझ गुजरते वक्त के साथ डिवेलप होती है, लेकिन उसके बिन बोले आपका समझ जाना, उसे आपके और करीब ला देगा.

3. रखें सॉफ्ट स्किल्स का ध्यान

सॉफ्ट स्किल्स केवल प्रफेशनल लाइफ के लिए ही नहीं होती हैं. अपने रिश्ते में भी इनका ध्यान रखें. पार्टनर से प्यार और रिस्पेक्ट से बात करना, उसकी बात को तरजीह देना, बिना टोके ध्यान से उसकी बात सुनना, जैसी आदतें आपकी म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग को बढ़ाती हैं.

4. रखें पसंद-नापसंद का ख्याल

आपके पार्टनर को क्या पसंद है और क्या नहीं, इसका पूरा ध्यान रखें. फिर बात चाहे खाने की हो, कपड़ों में कलर सलेक्शन की हो या फिर आदतों की. इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने रिश्ते को बहुत मजबूत बना सकते हैं.

5. झगड़ें मगर प्यार से

रिश्ते में कितना भी प्यार क्यों न हो, झगड़ा हो ही जाता है. वैसे, झगड़ा होना भी चाहिए, क्योंकि इससे आपका प्यार और भरोसा अधिक मजबूत होता है. लेकिन ऐसा तभी संभव है जबकि आप झगड़े के बीच भी अपनी सीमाओं का ध्यान रखें. नाराजगी जाहिर करने के दौरान अपनी टोन और लहजे का ध्यान रखें.

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रिश्ते में जरुरी है थोड़ा प्यार, थोड़ी छेड़छाड़

नेहा ने कुहनी मार कर समर को फ्रिज से दूध निकालने को कहा तो, वह चिढ़ गया, ‘‘क्या है? नजर नहीं आता, मैं कपड़े पहन रहा हूं?’’

लेकिन नेहा ने तो ऐसा प्यारवश किया था. और बदले में उसे भी इसी तरह के स्पर्श, छेड़छाड़ की चाहत थी. मगर समर को इस तरह का स्पर्श पसंद नहीं आया.

नेहा का मूड अचानक बिगड़ गया. वह आंखों में आंसू भर कर बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आकर्षित करने के लिए कुहनी मारी थी. इस के बदले में तुम से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया चाहिए थी, पर तुम तो गुस्सा हो गए.’’

समर यह सुन कर कुछ पल सहमा खड़ा रहा, फ्रिज से दूध निकाल कर देते हुए बोला, ‘‘सौरी, मैं तुम्हें समझ नहीं सका. मैं ने तुम्हारे इमोशंस को नहीं समझा. मैं शर्मिंदा हूं. इस मामले में शायद अभी अनाड़ी हूं.’’

शब्द को कई खास नहीं थे पर दिल की गहराइयों से निकले थे. बोलते समय समर के चेहरे पर शर्मिंदगी की झलक भी थी.

नेहा का गुस्सा काफूर हो गया. वह समर के पास आई और उस के कालर को छूते हुए बोली, ‘‘तुम ने मेरी नाराजगी को महसूस किया, इतना ही मेरे लिए काफी है. तुम ने अपनी गलती मान ली यह भी एक स्पर्श ही है. मेरे दिल को तुम्हारे शब्द सहला गए हैं… मेरे तनमन को पुलकित कर गए हैं,’’ और फिर वह उस के गले लग गई.

समर के हाथ सहसा ही नेहा की पीठ पर चले गए औैर फिर नेहा की कमर को छूते हुए बोला, ‘‘कितनी पतली है तुम्हारी कमर.’’

समर का यह कहना था कि नेहा ने समर के पेट में धीरे से उंगली चुभा दी. वह मचल कर पलंग पर गिर पड़ा तो नेहा भी हंसते हुए उस के ऊपर गिर पड़ी. फिर कुछ पल तक वे यों ही हंसतेखिलखिलाते रहे.

इस तरह बढ़ेगा प्यार

ऐसे ही जीवन में रोमांस बढ़ता है. तीखीमीठी दोनों ही तरह की अनुभूतियां जीवन में रस घोलती हैं और रिलेशन को आसान एवं जीने लायक बनाती हैं. आजकल वैसे भी कई तरह के तनाव औैर जिम्मेदारियां दिमाग में चक्कर लगाती रहती हैं. पास हो कर भी पतिपत्नी हंसबोल नहीं पाते. बस दूरदूर से ही एकदूसरे को देखते रह जाते हैं. ऐसे बोर कर देने वाले पलों में साथी को छेड़ना किसी औषधि से कम मूल्यवान नहीं हो सकता. अधिकतर पतिपत्नी तनाव के पलों में चाह कर भी आपस में बोलबतिया नहीं पाते. ऐसे ही क्षणों में पहल करने की जरूरत होती है. आप हिम्मत कर के साथी का माथा चूमें या सहलाएं. शुरू में तो वह आप को अनदेखा करेगा पर अधिक देर तक नहीं कर सकेगा, क्योंकि छेड़छाड़ से दिमाग को पौजिटिव रिस्पौंस मिलता है. आप पत्नी हैं यह सोच कर न डरें. यह सोच कर अबोलापन न पसरने दें कि न जाने पति आप की पहल को किस रूप में लेगा. इस तरह के डर के साथ जीने वालों की लाइफ में कभी रोमांस नहीं आ पाता और उम्र यों ही निकल जाती है. आप हिम्मत कर के साथी का माथा चूमें या गले लगें अथवा कमर पर हाथ रख कर स्पर्श करें, शुरू में तो साथी आप की छेड़खानी नजरअंदाज करने लगेगा, पर अधिक देर तक वह आप की छेड़खानी को अनदेखा नहीं कर सकेगा, क्योंकि छूने या छेड़छाड़ से दिमाग को पौजिटिव संदेश मिलता है और इस संदेश के पहुंचते ही धीरेधीरे दिमाग से तनाव की काली छाया हट जाती है. आप उसे अच्छे लगने लगते हैं. वह गुड फील करने लगता है. यह फीलिंग ही रोमांस के पलों को आप के बीच विकसित करने में मदद करती है.

सुखद पहलू

नेहा ने चुपचाप खड़े समर को अचानक कुहनी मार कर फ्रिज से दूध निकालने को कहा था, उस पर वह चिढ़ गया. लेकिन नेहा डरीसहमी नहीं, बल्कि उस ने अपनी फीलिंग्स और अंदर के प्यार व इमोशंस को बताने की पूरी कोशिश की. समर का गुस्सा छूमंतर हो गया और वह शर्मिंदा भी हुआ. फिर उस ने भी नेहा के प्रति अपनी फीलिंग्स जाहिर करनी शुरू कर दीं. दोनों अगले ही पल रोमांस के रंगों में रंग गए. उन का मूड आशिकाना हो गया. एकदूसरे को अच्छे लगने लगे.

यही है रोमांस और रोमांच को वैवाहिक जीवन में लाने की तकनीक, जिस का हम में से अधिकांश दंपतियों को पता ही नहीं होता. बस साथ रहते हैं. मन करता है तो बोल लेते हैं या बहस कर लेते हैं. ज्यादा ही तनाव में होते हैं, तो एकदूसरे के आगे रो लेते हैं. लेकिन यह मैरिड लाइफ का नैगेटिव पक्ष है इस से पतिपत्नी कभी रोमांटिक कपल नहीं बन सकते. उन के जीवन में जो भी घटता है, वह स्वाभाविक या नैचुरल रूप से नहीं, बल्कि जबरदस्ती, यौन संबंध हो या प्यार अथवा हंसीमजाक, जिसे इन चीजों की जरूरत होती है, वह खुद शादी के करीब आ कर कोशिश करता है. अब सब सामने वाले साथी के मूड पर निर्भर करता है. वह अपने पार्टनर की इच्छा की पूर्ति करना चाहता है या नहीं. यही मैरिड लाइफ का सुखद पहलू है, रोमांटिक पहलू है. ऐसा कब तक एक साथी दूसरे के साथ जोरजबरदस्ती करेगा? एक दिन थकहार कर कोशिश करना ही छोड़ देगा.

कैसे बनें रोमांटिक

आज की मैरिड लाइफ में जिम्मेदारियों के बोझ के कारण एकदूसरे को देख कर कोई भी प्यारअनुराग मन में पैदा नहीं हो पाता. ये सिर्फ और सिर्फ मन से ही उत्पन्न हो सकती हैं और आप दोनों में से किसी एक को ही इस के लिए आगे आना होगा. अब आगे आए कौन? इस दुविधा में ही जोड़ी रोमांस के पल हाथ से जाने देती है, मेरी राय में पत्नी से बेहतर जीवन को समझने वाला कोई हो ही नहीं सकता. एक औरत होने के नाते वह स्नेही हृदय की होती है, दिल वाली होती है. प्रेम का अर्थ वह जानती है. फिर जो प्यार को जानता है वही पुरुष को रोमांटिक बना सकता है. नेहा ने कोशिश की तो उसे बदले में रोमांस के पल मिले. आप भी इस मामले में हठी न बनें. मन में इगो न पालें कि जब पति को मेरी कोई जरूरत नहीं है, वह मुझ से बात करने को राजी नहीं है, तो मैं क्यों फालतू में उस के साथ जबरदस्ती जा कर बात करूं. ऐसे विचार मन में नहीं लाने चाहिए. इस  से दांपत्य जीवन बंजर बन जाता है. आप औरत हैं, आप में पैदाइशी प्यार, रोमांस सैक्स के भाव हैं. आप जब चाहें जैसे चाहें पति को रोमांटिक बना सकती हैं. रोमांस आप से पैदा होता है और आप के भीतर हमेशा ही होता है. जरूरत है बस उसे जीवन में लाने की. फिर देखिए, तनाव और जिम्मेदारियों पर कैसे रोमांस भारी पड़ने लगता है.

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गुस्सैल पार्टनर को प्रेम से करें कंट्रोल

प्रेमी प्रेमिका में भले कितना प्रेम हो, फिर भी कई बार छोटीछोटी बातों पर तूतू मैंमैं हो ही जाती है. ऐसे में अगर प्रेमी गुस्सैल है तो गुस्से में कुछ भी कह देता है या मिलने आना तक छोड़ देता है. ऐसे में अगर प्रेमिका सोचती है कि मैं क्यों मनाऊं, मैं क्यों झुकूं इस के सामने, कुछ दिन दूरी बनाए रखूंगी तो खुद ही कौल करेगा और इसे सबक भी मिलेगा, तो रिलेशन में यह ईगो कभी काम नहीं करती और अगर प्रेमी गुस्सैल है तो उम्मीद के विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है.

ऐसे में अगर बे्रकअप हो जाए तो प्रेमीप्रेमिका अपनेअपने स्तर पर यह कहते पाए जाते हैं कि पार्टनर ने हमें प्रेम में धोखा दे दिया जबकि यह धोखा नहीं बल्कि ईगो का सवाल होता है. ऐसे में जरूरत है उसे प्यार से समझने व समझाने की, इस से धीरेधीरे आप उस का बिहेव भी अपने प्रति पौजिटिव देखने लगेंगी.

कैसे करें कंट्रोल

ऐक्शन में रिऐक्शन नहीं

आप के प्रेमी ने आप को मिलने के लिए बुलाया था लेकिन आप ट्रैफिक जाम या फिर अन्य किसी कारण से टाइम पर नहीं पहुंच पाईं जिस कारण प्रेमी को काफी देर तक वेट करना पड़ा और आते ही वह आप पर बरस पड़ा, तो आप भी चिल्लाने न लग जाएं कि तुम्हारी तो आदत ही ऐसी है, मैं ने गलती की जो तुम से मिलने आई.

ऐसे में दोनों तरफ गरमागरमी का माहौल होने के कारण बात बिगड़ सकती है. इसलिए खुद को कंट्रोल करते हुए कहें कि बेबी मेरे स्वीटहार्ट, नैक्स्ट टाइम से ऐसा नहीं होगा प्लीज, कूल डाउन. आप की यह बात सुन कर वह खुद को कूल करने पर मजबूर हो जाएगा. आप की इस समझदारी के कारण आप का रिलेशन भी मजबूत होगा.

छोटी छोटी बात का इश्यू न बनाएं

आप का अपने प्रेमी के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम था, लेकिन ऐन वक्त पर उस ने यह कह कर मना कर दिया कि मुझे आज राहुल के साथ शौपिंग पर जाना ज्यादा जरूरी है, इसलिए आज का प्लान कैंसिल.

उस की ऐसी बात सुन कर आप की नाराजगी जायज है, लेकिन चाहे आप को कितना भी गुस्सा आए, क्योंकि आप जानती हैं कि ऐन वक्त पर ऐसे नाटक करने की उसे आदत है, तब भी आप दिल पर न लें और न ही इस बात को ले कर इश्यू बनाएं. जब आप की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं होगा तो उसे भी अपनी गलती का एहसास होगा. इस से बात बिगड़ेगी नहीं और उस के मन में आप के लिए प्रेम भी बढ़ेगा.

रोमांस से करें कंट्रोल

प्रेमी अकसर प्रेमिका का स्पर्श चाहता है और अगर उसे एक बार स्पर्श मिल जाए तो चाहे वह कितने भी गुस्से में हो, उस का गुस्सा पल में छूमंतर हो जाता है.

ऐसे में जब वह गुस्सा करे तो उसे कौंप्लिमैंट दें कि वाहवाह तुम गुस्से में कितने स्मार्ट लगते हो, उस के लिप्स पर किस करें, उसे अपनी बांहों में लेते हुए कहें कि तुम ही मेरी दुनिया हो, हाथों में हाथ डालें, बारबार उस के हाथों पर किस करें. इस से आप उसे कंट्रोल में करने में कामयाब हो जाएंगी और वह  आप के इस रोमांटिक अंदाज के सामने अपना गुस्सा भी भूल जाएगा.

अकेले छोड़ कर न भागें, बात सुनें

हो सकता है आप का बौयफ्रैंड ऐसी सिचुऐशन से गुजर रहा हो, जिस के कारण उसे छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आ जाता हो और वह आप को अपने मन की बात भी न बता पा रहा हो. ऐसे में यह सोच कर कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है उस की प्रौब्लम को समझें. उसे अकेला छोड़ने की भूल न करें, क्योंकि ऐसे वक्त पता होने के बावजूद मेरी गलती है वह फिर भी आप का साथ चाहेगा. इसलिए चाहे वह कितना भी रूठा हो उसे मनाएं जरूर और अकेला न छोड़ें वरना इस से आप के बीच दूरियां ही बढ़ेंगी. धीरेधीरे हो सकता है वह भी अपनी आदतों को छोड़ दे.

नापसंद चीजों को अवौइड करें

आप अपने प्रेमी के नेचर को अच्छी तरह जानती हैं और उस की पसंदनापसंद से भी वाकिफ हैं, तो ऐसे में जब आप को पता है कि उसे लेट आना या फिर जब आप उस के साथ हों, तब किसी का फोन अटैंड करना पसंद नहीं है तो इन सब चीजों को अवौइड करें. आप की तरफ से इस तरह का एफर्ट आप के गुस्सैल प्रेमी को कंट्रोल में रखने में मददगार साबित होगा, क्योंकि उसे तो यही लगेगा कि आप सिर्फ दुख की साथी हैं सुख की नहीं.

फेवरिट डिश से करें गुस्सा ठंडा

आप ने बिजी होने के कारण उस का फोन नहीं उठाया. इस कारण वह आप से रूठ गया है, तो ऐसे में आप की जिम्मेदारी है कि आप उस का रोमांटिक अंदाज में गुस्सा ठंडा करें. इस के लिए उस की फेवरिट डिश खुद अपने हाथों से बना कर उस पर प्यार की बौछार कर दें और साथ ही उस की डैकोरेशन भी काफी सैक्सी अंदाज में करें कि उसे देख कर उस का खुद पर कंट्रोल ही न रहे.

सरप्राइज दें

किसी बात को ले कर आप में और आप के प्रेमी के बीच काफी समय से अनबन चल रही है, तो ऐसे में फोन पर बात करने से मिसअंडरस्टैंडिंग और बढ़ेगी ही. इस से अच्छा है कि उस के औफिस जा कर उसे सरप्राइज दें. इस से उसे काफी खुशी मिलेगी. उसे लगेगा कि आप की लाइफ में उस की वैल्यू है तभी आप उस के लिए इतनी दूर तक आई हैं. इस से वह भी आप को गले लगाने में देर नहीं लगाएगा.

उस की पसंद की चीजों में हामी भरें

भले ही आप दोनों की पसंद न मिलती हो, लेकिन फिर भी आप को अपने प्रेमी की खुशी के लिए उस की पसंद को अपनी पसंद बनाने की कोशिश करनी होगी. ऐसा बिलकुल न करें कि वह कोई भी चीज दिखाए और आप बस हर बार यही कहें कि मुझे तो यह बिलकुल पसंद नहीं बल्कि कहें कि तुम्हारी पसंद कितनी अच्छी है, मुझे भी बिलकुल ऐसी चीज ही पसंद आती है. आप के ऐेसे पौजिटिव ऐटिट्यूड को देख कर वह भी खुद को आप के लिए इंप्रूव करेगा.

पुरानी यादों से बिखेरें स्माइल

प्रेमी के चेहरे पर मुसकान लाने के लिए या फिर उसे कूल करने के लिए उस के सामने पुरानी यादों का पिटारा खोल डालिए, जिस में आप एकदूसरे को हग कर रहे थे, एकदूसरे के साथ खूबसूरत लमहे बिता रहे थे, एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए थे. जब वह पुरानी यादों को इन फोटोज के जरिए याद करेगा तो निश्चित ही वह कितने भी गुस्से में हो उस के चेहरे पर मुसकान लौट आएगी.

रोमांटिक पलों के लिए टाइम निकालें

हर प्रेमी चाहता है कि उस की प्रेमिका उस के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथसाथ रोमांटिक टाइम भी बिताए और उस के कहे बिना जब आप उस के साथ खूबसूरत पलों को ऐंजौय करेंगी तो वह चाह कर भी आप से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाएगा.

इस तरह आप अपने गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से बड़ी आसानी से कंट्रोल कर पाएंगी.

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हैप्पी मैरिड लाइफ: जीवन का आधार

शादी अपने साथ कई चुनौतियां ले कर आती है. यदि खुशी है तो गम भी आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उस में संतुलन बना कर चलें. पति और पत्नी एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों में  से एक को कभी भी किसी मोड़ पर दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में ध्यान रखना आवश्यक है कि आप उसे परेशानी नहीं समझें बल्कि अपना कर्तव्य समझ कर समझदारी से काम लें.

ऐसा ही कुछ अभिनव और आरती के साथ हुआ. अभिनव की नौकरी किसी कारणवश छूट गई जिस के चलते वह घर में रहने लगा. वह चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सैल स्वभाव का बरताव करने लगा. उस का ऐसा बरताव आरती से सहन नहीं हो पाया और वह अपने मायके में जा कर बैठ गई.

आरती को थोड़े संयम की आवश्यकता थी. आरती को समझने की जरूरत थी कि समय कभी एकजैसा नहीं रहता. यदि आज परेशानी है तो कल उस से छुटकारा भी मिल ही जाएगा. आइए जानें किस तरह पत्नियां स्वयं को घर में कैद न समझ, प्रेमपूर्वक अपने जीवनसाथी का साथ निभाएं :

पति, पत्नी का मजबूत रिश्ता

प्यार व विश्वास पर टिका है पतिपत्नी का रिश्ता. किसी भी इमारत को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस की नींव मजबूत हो, अगर नींव मजबूत नहीं होगी तो इमारत गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ठीक इसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते की इमारत के 2 आधार स्तंभ होते हैं प्यार और विश्वास. यही स्तंभ अगर कमजोर हों तो रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल सकता. जिन पतिपत्नी के बीच ये दोनों बातें मजबूत होती हैं, उन का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.

बीमार पड़ने पर

जब आप को पता चले कि आप का जीवनसाथी किसी बीमारी से ग्रस्त है तो जरूरी है कि आप प्यार और संयम से काम लें. जीवनसाथी में यदि पति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो पत्नी ध्यान दे कि इस समय उन के पति को सब से ज्यादा उन के सहयोग की उन्हें आवश्यकता है क्योंकि ज्यादातर पुरुषों को कार्य के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता है और जब उन्हें घर में बैठना पड़ जाता है तो उन से यह कतई बरदाश्त नहीं हो पाता है.

साथ ही, बीमार होने के कारण उन का चिड़चिड़ापन और बातबात में गुस्सा आना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में पत्नियों का बेहद महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. पत्नियां प्यार और धैर्य से उन्हें समझाती हैं और उन का ध्यान रखती हैं.

ऐसे बहुत से जोड़े देखने को मिलते हैं जो अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर में एकदूसरे का साथ दे पाए हैं. यहां तक कि उन्होंने गंभीर बीमारी के साथ खुशीखुशी जीना भी सीख लिया है.

ऐसा ही कुछ अक्षय और पारुल के साथ हुआ. अक्षय की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण वह बिना किसी की मदद के जरा भी हिलडुल नहीं सकता था. उस की पत्नी पारुल ने समझदारी से उस का साथ निभाया. वह हमेशा अक्षय के साथ रहती थी, उस की हर जरूरत को पूरा करती थी, यहां तक कि करवट लेने तक में भी उस की मदद करती थी. वह अपने पति और अपने रिश्ते को पहले से भी अधिक मजबूत महसूस कर रही थी.

तालमेल है जरूरी

अकसर देखा जाता है कि पति की नाइटशिफ्ट की जौब होती है जिस में पति पूरी रात औफिस में रहता है और पूरा दिन घर में आराम करता है. या फिर शिफ्ट चेंज होती रहती है. ऐसे में जौब करना चाहते हुए भी पत्नियां अपने जीवनसाथी की देखभाल के लिए घर में रहती हैं क्योंकि औरों को देखते हुए उन की दिनचर्या का पूरा सिस्टम ही अलग तरह से चलता है. जब पति पूरी रात कार्य करेंगे तो वे पूरा दिन घर में आराम करेंगे. ऐसे में पत्नी को उन के नहाने, खाने व सोने आदि का ध्यान रखते हुए अपने कार्यों का एक रुटीन बनाना होता है.

आभा, जिन के पति की नाइटशिफ्ट की नौकरी है, बताती हैं, ‘‘मेरे पति जब घर पर आते हैं तो मैं ध्यान रखती हूं कि उन के सोने के समय में कोई भी उन्हें परेशान न करे क्योंकि वे पूरी रात के जगे होते हैं. मैं उन के आने से पहले उन का नाश्ता और बाकी सभी चीजों का ध्यान रखती हूं जो उन्हें चाहिए होती हैं. हम दोनों में किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है.’’

जौब छूट जाने पर

औफिस में किसी परेशानी के चलते या फिर किसी कारणवश पति की अच्छीखासी जौब छूट जाती है, तो नई जौब मिलने तक पति को अपनी पत्नी की सब से ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐसे में सब से ज्यादा साथ देने वाली पत्नियां अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना लेती हैं. जब पति कमा कर लाता है तो हर पत्नी को अच्छा लगता है लेकिन जब वही पति घर में बैठ जाता है तो वह उन से बरदाश्त नहीं होता है.

जौब छूटने पर पति मानसिक रूप से टूट जाते हैं लेकिन एक समझदार पत्नी  उन का ध्यान रखने के साथ उन का मनोबल बढ़ाती है, घर में रह कर उन की जरूरतों को पूरा करती है जिस से पति को किसी भी तरह तनाव महसूस न हो, वह अपने को अकेला महसूस न करे. साथ ही, नई नौकरी ढूंढ़ने में पत्नी उन का पूरा साथ देती है. वह अपने पति के खानपान और रहनसहन का पूरा खयाल रखती है. इस तरह दांपत्य खुशहाल रहता है.

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मैरिज रजिस्ट्रेशन है जरूरी

कानूनन जरूरी होने के बावजूद लोग शादी का रजिस्टे्रशन तभी कराते हैं जब उन्हें वीजा आदि के लिए आवेदन करना होता है. शादी या उस के बाद और बातों का तो बड़ा ध्यान रखा जाता है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन कराने को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. अनपढ़ लोगों का ही नहीं शिक्षित लोगों का भी यही हाल है.

चलिए, बात करते हैं कि शादी का रजिस्ट्रेशन कितना जरूरी है तथा यह करवाना कितना आसान है और आगे चल कर इस के क्या फायदे हैं:

मैरिज सर्टिफिकेट इस बात का आधिकारिक प्रमाण होता है कि 2 लोग शादी के बंधन में बंधे हैं. आजकल जन्म प्रमाणपत्र को उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जितनी विवाह प्रमाणपत्र को दी जाती है. लिहाजा, इसे बनवाना अहम है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. अत: यहां 2 ऐक्ट्स के तहत शादियों का रजिस्ट्रेशन होता है- हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 और स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954.

आप की शादी हुई है और अमुक तारीख को हुई है, इस बात का अनिवार्य कानूनी सुबूत है मैरिज सर्टिफिकेट. आप बैंक खाता खोलने, पासपोर्ट बनवाने या किसी और दस्तावेज के लिए आवेदन करते हैं, तो वहां मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है. जब कोई दंपती ट्रैवल वीजा या किसी देश में स्थाई निवास के लिए आवेदन करता है, तो मैरिज सर्टिफिकेट काफी मददगार साबित होता है.

भारत या विदेश में स्थित दूतावास पारंपरिक विवाह समारोहों के सुबूत को मान्यता नहीं देते. उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट देना होता है. जीवन बीमा के फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट जमा कराना (जिन मामलों में पति या पत्नी में से किसी की मौत हो गई हो) होता है. नौमिनी अपने आवेदन की पुष्टि में कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे तो कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर शादी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य घोषित कर दिया था.

कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन

हिंदू ऐक्ट या स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराना कतई मुश्किल नहीं है. पति या पत्नी जहां रहते हैं, उस क्षेत्र के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के दफ्तर में अर्जी दे सकते हैं. अर्जी पर पतिपत्नी दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए. अर्जी देते वक्त उस के साथ लगाए गए दस्तावेज की जांचपरख होती है. उस के बाद औफिस की ओर से एक दिन तय किया जाता है. इस की सूचना दंपती को दे दी जाती है. उस वक्त पहुंच कर पतिपत्नी शादी को रजिस्टर्ड करा सकते हैं. उस वक्त एसडीएम के सामने पतिपत्नी के साथ एक गैजेटेड औफिसर को भी मौजूद रहना पड़ता है, जो शादी में मौजूद रहा हो. प्रमाणपत्र उसी दिन जारी कर दिया जाता है.

आवेदन के लिए क्याक्या है जरूरी

  1. पूरी तरह भरा आवेदनपत्र, जिस पर पतिपत्नी और उन के मातापिता के हस्ताक्षर हों. रिहाइश का प्रमाणपत्र जैसे वोटर आईडी/राशन कार्ड/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसैंस, पति और पत्नी दोनों का जन्म प्रमाणपत्र, 2-2 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ्स, शादी का एक फोटोग्राफ.
  2. सारे दस्तावेज सैल्फ अटैस्टेड होने चाहिए. आवेदन के साथ शादी का एक निमंत्रणपत्र भी लगाना होता है.
  3. अर्हताएं: दूल्हा या दुलहन उस तहसील का निवासी हो जहां शादी रजिस्टर्ड कराई जानी है. शादी के वक्त दुलहन की उम्र 18 और दूल्हे की 21 साल से कम न हो.
  4. जुर्माना: अगर कोई शख्स विवाह प्रमाणपत्र नहीं दे पाता है, तो उसे क्व10 हजार जुर्माना भरना पड़ सकता है.
  5. विवाह प्रमाणपत्र के लिए अर्जी देने में कोई ज्यादा खर्च नहीं आता है और न ही यह लंबी प्रक्रिया है. हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत प्रमाणपत्र लेने के लिए आवेदन फीस 100 रुपए और स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत लेने के लिए क्व150 है. फीस डीएम औफिस के कैशियर के पास जमा कराई जाती है और उस की रसीद अर्जी के साथ लगानी होती है. सरकार ने औनलाइन रजिस्ट्रेशन की पहल भी की है.

विवाह प्रमाणपत्र के फायदे

  1. भारत में स्थित विदेशी दूतावासों या विदेश में किसी को पतिपत्नी साबित करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है.
  2. विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओं में विश्वास और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है. पतिपत्नी के बीच किसी तरह का विवाद (दहेज, तलाक, गुजाराभत्ता लेने आदि) होने की स्थिति में विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है.
  3. इस से प्रशासन को बाल विवाह पर लगाम लगाने में मदद मिलती है. अगर आप की उम्र शादी लायक नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.
  4. शादीशुदा हों या तलाकशुदा, दोनों ही सूरत में विवाह प्रमाणपत्र काम आता है. इस के अलावा इस प्रमाणपत्र की सब से ज्यादा उपयोगिता तलाकशुदा महिलाओं के लिए है क्योंकि तलाक के बाद महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है.

स्पैशल मैरिज ऐक्ट 1954

  1. स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत भी आसानी से शादी रजिस्टर्ड कराई जा सकती है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:
  2. पतिपत्नी जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां के मैरिज अफसर को शादी की सूचना देनी होती है.
  3. नोटिस की तारीख से कम से कम 1 महीना पहले से उस क्षेत्र में रिहाइश होनी जरूरी है.
  4. नोटिस मैरिज अफसर के औफिस में किसी ऐसी जगह पर चस्पां करना चाहिए जहां सब की नजर पड़े.
  5. अगर पतिपत्नी दोनों अलगअलग इलाके में रहते हैं तो नोटिस की एक कौपी दूसरे क्षेत्र के मैरिज अफसर को भेजनी होगी. नोटिस पब्लिश होने के 1 महीने बाद शादी को कानूनी वैधता दे दी जाती है.
  6. अगर कहीं से कोई आपत्ति आती है तो मैरिज अफसर दंपती से संपर्क कर पूछता है कि शादी को वैधता प्रदान की जाए या नहीं.

शादी रजिस्टर्ड कराने के स्टैप्स

  1. हिंदु मैरिज ऐक्ट के तहत कोई भी अपनी शादी को रजिस्टर्ड करा सकता है. इस के लिए निम्न स्टैप्स हैं:
  2. दंपती को रजिस्ट्रार के यहां आवेदन करना होता है. यह रजिस्ट्रार या तो उस क्षेत्र का होगा जहां शादी हुई हो या फिर वहां का जहां पतिपत्नी में से कोई कम से कम 6 महीने से रह रहा हो.
  3. दंपती को शादी के 1 महीने के भीतर गवाह के साथ रजिस्ट्रार के सामने हाजिर होना होगा. बतौर गवाह मातापिता, अभिभावक, दोस्त कोई भी हो सकता है.
  4. रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर 5 साल तक रजिस्ट्रार को माफी देने का अधिकार है. इस से ज्यादा वक्त होने पर संबंधित डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के पास इस का अधिकार ह – विपुल माहेश्वरी (सीनियर ऐडवोकेट)

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अपनों के बिना फीकी सफलता

जीवविज्ञान की कक्षा चल रही थी. अध्यापक छात्रों को ककून से तितली बनने की प्रक्रिया के बारे में बता रहे थे. उन के सामने एक ककून रखा हुआ था और उस में बंद तितली बाहर आने के लिए लगातार कठिन संघर्ष कर रही थी. इतने में ही अध्यापक कुछ कार्यवश थोड़ी देर के लिए कक्षा से बाहर निकल गए. छात्रों ने देखा कि तितली को अपने ककून से बाहर आने में काफी कष्ट व असहनीय पीड़ा हो रही है तो उन्होंने बालसुलभ सहानुभूतिवश ककून से तितली को निकलने में मदद करने की कोशिश की.

छात्रों ने ककून से बाहर आ रही अति नाजुक तितली को हाथ से पकड़ कर बाहर की तरफ खींच लिया. तितली बाहर तो आई किंतु इस प्रक्रिया के दौरान उस की मौत हो गई. जब अध्यापक कक्षा में वापस आए, छात्रों को मौन देख कर बड़ी हैरत में पड़ गए. किंतु पास में ही जब उन्होंने तितली को मृत देखा तो उन्हें सारी बातें समझने में तनिक भी देर नहीं लगी.

अध्यापक ने कहा, ‘‘तुम लोगों ने तितली को उस के ककून से बाहर आने में मदद कर उस की जान ले ली है. तितली अपने ककून से बाहर आने में जिस संघर्ष का सामना करती है, जिस दर्द को बरदाश्त करती है, वह उस के जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य होता है.

‘‘इस धरती पर जीवित रहने के लिए उसे वह पीड़ा सहनी ही पड़ती है. जन्म के समय के इस संघर्ष में जीवन जीने के लिए अनिवार्य गुणों को तितलियां बड़ी आसानी से सीख लेती हैं. कोई भी केटरपिलर अपने जीवन के इन कष्टों को सहन किए बिना जीवित नहीं रह सकता है. तुम लोगों ने उस तितली को उन जीवनदायी कष्टों से बचा कर उस की जान ले ली है.’’

सच पूछिए तो जीवन में कामयाबी प्राप्त करने तथा इस दुनिया में अपना अस्तित्व बनाए रखने का फार्मूला भी इस जीवनदर्शन से अलग नहीं है. इस धरती पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को अपने जीवन के हिस्से के दुखदर्द तथा संताप को खुद सहन करना होता है.

सफर आसान नहीं

महान कूटनीतिज्ञ तथा राजनीतिज्ञ बेंजामिन डिजरायली कहा करते थे, ‘सफलता प्राप्त करना एक नया जीवन प्राप्त करने सरीखा होता है. जैसे एक नए जीव के जन्म के लिए प्रसवपीड़ा अनिवार्य तथा सर्वविदित सत्य है, उसी प्रकार सफलता के मुरीद व्यक्ति को जीवन की बेशुमार पीड़ाओं का सामना करना होता है.

‘सफलता बहुत संघर्ष व बलिदान मांगती है. निश्चय सुदृढ़ हो तथा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए यदि कोई शख्स आने वाली हर मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार हो तो फिर कामयाबी पाने में कोई संदेह शेष नहीं रह जाता है.’

महात्मा गांधी के बारे में कहा जाता है कि वे अपनी पूरी जिंदगी में रोजाना 2 घंटे से अधिक कभी भी नहीं सोए. थौमस अल्वा एडीसन को अपने अनुसंधानों के समय रात और दिन का फर्क मालूम नहीं होता था. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बेतरतीब बाल तथा बढ़ी दाढ़ी के साथ घुटने तक फटे हुए पतलून में किसी ट्रेन के थर्ड क्लास कंपार्टमैंट में यात्रा करने वाले तथा अति साधारण दिखने वाले व्यक्ति के अंदर महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टाइन का जादुई व्यक्तित्व भी छिपा हो सकता है?

आशय यह है कि जीवन के किसी क्षेत्र तथा मानव ज्ञान की किसी भी विधा में सफलता का सफर आसान नहीं होता. हमें हर मोड़ पर त्याग करने तथा कुरबानी देने की दरकार होती है.

त्याग काफी नहीं

किंतु केवल बलिदान तथा त्याग का होना ही सफलता की कसौटी नहीं है. अहम बात यह है कि सफलता के लिए किया जा रहा संघर्ष सच्चा है या नहीं. संघर्ष सही दिशा में किया जा रहा है या नहीं? क्योंकि समर्पण जितना सच्चा होता है, जितना सुदृढ़ होता है, सफलता उतनी ही निश्चित मानी जाती है.

यहां पर सब से अधिक जरूरी तथा विचारणीय प्रश्न यह उठता है कि संघर्ष करने तथा सफल होने की उत्कट लालसा में कहीं हम अपनों को ही नजरअंदाज तो नहीं कर रहे हैं? कामयाबी की रोशनी में चकाचौंध हो कर हम जिस अहम चीज को नकार जाते हैं वह होती है हमारी अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी का एहसास तथा कर्तव्य का भाव.

इस सच से कदाचित ही कोई इनकार कर पाए कि सफलता के लिए त्याग की जरूरत होती है, किंतु अहम प्रश्न यह उठता है कि सफलता त्याग की किस कीमत पर एवं कितनी कीमत पर?

कहानी जिंदगी की

प्रतीक की जिंदगी की कहानी उस के खुद के परिवार की खुशियों तथा निरंतर सफल होने की चाहत के मध्य की सुविधा से परे नहीं है. प्रतीक किसी मल्टीनैशनल कंपनी में काम करता था. वह अपनी महत्त्वाकांक्षा की प्राप्ति की राह में इस कदर व्यस्त हो गया था कि उस के पास अपनी पत्नी तथा बेटे के साथ अपने गम व खुशियों को बांटने का न तो वक्त होता था और न ही वह इस की कोई आवश्यकता समझता था. उस की पत्नी स्वाति को भी इस बात की हमेशा शिकायत रहती थी कि प्रतीक के पास उस के लिए कोई समय नहीं होता है. इस वजह से आएदिन परिवार में कलह तथा अशांति का माहौल रहता था. स्वाति ने कुछ दिनों के बाद इसे ही अपनी नियति मान कर प्रतीक से शिकायतें करनी बंद कर दीं.

प्रतीक के इकलौते बेटे आकाश को भी अकसर यही शिकायत रहती थी. ‘पापा, आप के पास तो मेरे लिए कोई वक्त ही नहीं है. आप तो मेरे साथ कभी खेलते भी नहीं हैं. यदि आप आज मेरे साथ नहीं खेलेंगे तो जान लीजिए, मैं कभी भी आप से बात नहीं करूंगा.’

सच पूछिए तो अपने बेटे की इन दोटूक बातों से प्रतीक के दिल को बहुत ठेस लगती थी और वह भावनात्मक रूप से थोड़ी देर के लिए परेशान हो उठता था. किंतु नौकरी की जिम्मेदारियों तथा सब से आगे बढ़ने की महत्त्वाकांक्षा के चक्रव्यूह में वह फिर से उलझ जाता.

वक्त गुजरता गया. प्रतीक व उस के परिवार के मध्य की नाराजगी धीरेधीरे उसे अपनों से दूर करती गई. सब लोगों ने उस से बातें करनी बंद कर दी. हां, उस का बेटा कभीकभी जरूर उस से आ कर चिपक जाता था, किंतु जब वह अपनी मम्मी को देखता तो शीघ्र भागने की कोशिश करने लगता. साथ रहते भी तनहातनहा रहने का क्रम कुछ दिनों तक इसी प्रकार जारी रहा.

सहसा एक दिन अपनी पत्नी के एक प्रश्न ने प्रतीक को अंदर से झकझोर कर रख दिया. ‘आखिर आप चाहते क्या हैं? आप को यदि अपनी नौकरी से इतनी ही मुहब्बत थी तो फिर आप ने मुझ से शादी क्यों की? यदि आप के पास अपनी पत्नी तथा अपने बेटे के लिए वक्त नहीं है तो फिर आप हम लोगों को छोड़ क्यों नहीं देते हैं?’

‘मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूं,

वह तुम लोगों के सुखद जीवन के लिए कर रहा हूं. जीवन के भोगविलास तथा ऐशोआराम के लिए मेरी कोशिश केवल मेरे जीवन के लिए नहीं है, यह सब केवल और केवल तुम लोगों के लिए है,’ प्रतीक अकसर यही उत्तर दे कर अपनी पत्नी का मुंह बंद कर दिया करता था.

‘मैं मानती हूं कि आप की महत्त्वाकांक्षा में, आप के सपनों में हम सभी की सुख तथा सुविधाएं निहित हैं, किंतु सोच कर देखिए यदि मैं ही जीवित नहीं रही तो आप की शोहरत व सफलता की दुहाई देने वाले कौन होंगे? आप अपनी शानोशौकत किसे दिखाएंगे व आप किस पर गर्व करेंगे?

‘सफलता के शिखर पर पहुंच कर आप दुनिया की नजर में नाम तो कमा लेंगे, किंतु जब आप के खुद अपने ही आप के करीब नहीं होंगे तो क्या आप की वे खुशियां अधूरी तथा निरर्थक नहीं रह जाएंगी?’ प्रतीक की पत्नी ने बड़ी संजीदिगी से ये बातें कहीं.

अपनी पत्नी के आत्मदर्शन पर प्रतीक ने बड़ी गंभीरता से सोचा और आखिरकार उसे जो आत्मबोध हुआ, उस की स्निग्ध छांह में उस के मन पर वर्षों से जमी भ्रम की तपिश किसी मोम की तरह पिघलती गई और उसे अपने मन के जख्म पर किसी मरहम सरीखे ठंडक की अनुभूति हुई. उस आत्मानुभूति ने उस के जीवन की दिशा व दशा दोनों में कई अहम तबदीलियां ला दीं.

ऐसा नहीं है कि प्रतीक ने सपने देखना छोड़ दिया है. आज भी वह जीवन के वही सारे सपने देखता है, किंतु उस के पास उन सपनों को साकार करने की वो बेचैनी अब नहीं रही. परिवार की खुशियों की कीमत पर प्रतीक ने सपनों का पीछा करना छोड़ दिया. वह अब अपने बेटे के साथ खेलने के लिए तथा भागनेदौड़ने के लिए पूरा वक्त निकालता है. ऐसे में पत्नी भी खुश रहने लगी है.

परिवार की भूमिका

सच पूछें तो आधुनिक अर्थव्यवस्था की सूचना क्रांति के वर्तमान जादुई युग में जनमानस की सोच तथा जीवनशैली में जिस प्रकार के बदलाव आए हैं, उन के चलते हम ने आज यदि कुछ खोया है, तो वह है मानसिक शांति व आत्मिक सुकून. भौतिक भोगविलास की अंतहीन खोज में हम ने यदि कुछ खोया है, तो वह पारिवारिक सुखसुकून की वो स्निग्धता, जिस के कोमल एहसास में जीवन का परम सुख निहित होता है.

कदाचित इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते कि मानव जीवन में परिवार की भूमिका उस कुशन या गद्दे की तरह की होती है, जो हमें जीवन में सफलता की ऊंचाइयों से अचानक गिरने पर हमें जख्मी होने से बचाती है. इसीलिए सफलता पाने की कोशिश में केवल संघर्ष ही अनिवार्य नहीं है, बल्कि उन अपनों के प्यार व सहानुभूति की भी दरकार होती है जिन की उपस्थिति के बिना जीवन तथा जहान की सारी खुशियां अधूरी प्रतीत होती हैं.

आप के अपने आप के सपनों के पीछे भागने की रेस में आप के साथ होंगे तो आप को एक अद्भुत ऊर्जा तथा प्रेरणा का एहसास पलप्रतिपल होगा. अपनों के प्यार को खो कर पाई गई किसी भी कामयाबी की कीमत कभी भी इतनी अधिक नहीं होती, जो आप के जीवन की भावनात्मक कमी की भरपाई कर सके.

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Social media आधी हकीकत-आधा फसाना

अंजूजब कहती है कि मु झे तो घर के कामों से फुरसत ही नहीं मिलती जो सोशल मीडिया पर रहूं, मु झे तो शौक ही नहीं है तो उस की सहेलियां रेनू और दीपा हंस रही होती हैं. उस समय तो दोनों चुप रहती हैं पर बाद में दोनों इस बात पर अंजू की जो छीछालेदर करती हैं, अंजू अगर सुन ले तो इन दोनों के सामने कभी भोली बनने का नाटक न करे.

इस समय यही तो हो रहा है, अंजू की बात पर दोनों अकेले में हंस रही हैं. दीपा कह रही है, ‘‘यार, यह किसे बेवकूफ सम झती है, हर समय फेसबुक पर औनलाइन दिखती है. इस से किसी की पोस्ट पर न लाइक का बटन दबता है, न कमैंट करती है, जौब यह करती नहीं, बच्चे बड़े हो गए हैं, पढ़ने का कोई शौक है नहीं, सारा दिन इस के नाम के आगे ग्रीन लाइट जलती रहती है. सोच रही हूं एक स्क्रीनशौट इसी का ले कर इसी को दिखा दूं किसी दिन. तभी इस  झूठ से हमारा पीछा छूटेगा. यार, इसे पता नहीं है कि अब किसी की लाइफ प्राइवेट नहीं रही.’’

रेनू हंसी, ‘‘सोशल मीडिया कमाल की चीज है, भाई. लोग अपनेआप को होशियार सम झ रहे होते हैं. उन्हें पता ही नहीं चलता कि उन पर कैसी पैनी नजरें रखी जाती हैं. हीररां झा को ही ले लो,’’ इतना कहते ही दोनों फिर हंसहंस कर लोटपोट होती रहीं.

राज खुलने का भय

बात यह है कि रेनू और दीपा दोनों एक ही स्कूल में टीचर्स हैं इन्हीं के स्कूल में लाइब्रेरियन हैं दीपकजी और ड्राइंग टीचर हैं, सपनाजी. दोनों की उम्र 55 के आसपास है. दीपकजी जरा रंगीन तबीयत के इंसान हैं. महिलाओं से बात करना उन्हें खूब भाता है. महिला किसी भी उम्र की हो, कोई फर्क नहीं पड़ता, बस महिला होनी चाहिए. सपनाजी के दोनों बच्चे विदेश में हैं. यहां अपने रिटायर्ड पति के साथ रहती हैं. उम्र तो 55 हो गई पर दिल 20 पर ही अटक गया है.

एक दिन लाइब्रेरी में कोई बुक लेने गईं तो दीपकजी से ऐसे दिल मिला कि आज रेनू और दीपा जैसी शैतान, नटखट टीचर्स ने उन का नाम ही हीररां झा रख दिया है. इन की चोरी सब ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही तो पकड़ी. अब सब लोग फेसबुक पर तो एकदूसरे के फ्रैंड्स हैं ही.

सपनाजी या दीपकजी बस कोई पोस्ट डाल दें, ऐसा मनोरंजन होता है सब का सारा दिन लोग स्कूल में दोनों की तरफ इशारे करते घूमते हैं. दोनों एकदूसरे की पोस्ट पर इतनी तारीफ भरे लंबेलंबे कमैंट करते हैं कि कुछ दिन तो लोगों ने हलके में लिया पर बात छिपी न रही, सब को सम झ आ गया कि कुछ तो है जिस की परदादारी है. अब तो यह हाल है कि रां झा ओह सौरी दीपकजी अगर एक पोस्ट मिले तो सब इंतजार करते हैं कि अभी देखते हैं. आज ही ओह सौरी सपनाजी क्या लिख कर  झंडे गाड़ेंगी. ऐसा लगता है कि बस लंबे कमैंट लिख कर एक दूसरे के गले में ही लटक जाएंगे किसी दिन.

अगर किसी दिन सपना हीर, यही नाम हो गया है अब इन का. कोई अपना पुराना फोटो डाल दें तो उफ, यह एडल्ट लव स्टोरी… रां झा दीपक के कमैंट पर सारा दिन शैतान जूनियर टीचर्स एकदूसरे को फोन कर के हंसती हैं. अब बेचारे इन दोनों अधेड़ आशिकों को सपने में भी उम्मीद नहीं होगी कि वे कितना बदनाम हो चुके हैं, दोनों अच्छेभले अपने रोमांस पर उम्र का परदा डाले चल रहे थे पर सोशल मीडिया ने सारे भेद खोल दिए.

बेवकूफ बनते लोग

अब बात सीमा की जो एक उभरती सिंगर है, अभी तक तो सोसाइटी और कालेज के प्रोग्राम में गागा कर अपना शौक पूरा कर रही थी पर उस की फ्रैंड नेहा उस से थोड़ी तेज है. नेहा भी सिगिंग में आगे बढ़ना चाहती है. दोनों के 1 ही बेटा है जो अभी छोटे हैं. दोनों के पति फुल सपोर्ट करते हैं. अचानक नेहा ने सीमा को बताया कि मशहूर गायक सुधीर वमास ने उसे मिलने के लिए बुलाया है तो सीमा का दिमाग घूम गया कि इसे कैसे बुला लिया?

यह भी तो मेरे जैसी ही है. इसे कैसे यह मौका मिला? उस ने पूछ ही लिया, ‘‘अरे, पर तु झे ये मिले कहां?’’

‘‘इंस्टाग्राम पर फौलो करती हूं.’’

‘‘तो इस से क्या हुआ? वह तो मैं भी

करती हूं.’’

‘‘बस वे धीरेधीरे मु झे पहचान गए.’’

सीमा को सम झ नहीं आया कि फौलो करने से क्या होता है. अब दोनों अच्छी सहेलियां हैं पर कंपीटिशन भी तो है, आगे भी तो बढ़ना है. अब सब नेहा ही क्यों बताए. सीमा ने घर जाकर सुधीर वर्मा को हर जगह खंगाल डाला, उन की हर पोस्ट पर नेहा के कमैंट्स दिखे. ओह, तो यह बात है. मैडम हर जगह उन्हें अच्छेअच्छे लंबे कमैंट्स कर के अपने बारे में बताती रही हैं. ओह, मैं कितनी बेवकूफ हूं उन का पेज बस लाइक कर के छोड़ दिया. उफ, चलो, अब भी क्या बिगड़ा है.

अभी शुरू कर देती हूं. फिर तो जहां सुधीर वर्मा, वहां सीमा. रियाज एक तरफ, लाइक्स और कमट्ंस एक तरफ. सुधीर वर्मा क्या, सीमा ने और भी सिंगर्स को फौलो करना शुरू कर दिया है. सारी ताकत उन की नजरों में आने के लिए  झोंक दी है. गाने का क्या है, गा तो लेती ही है.

कोई पूछे तो. कोई चांस तो दे. अब ये पैतरे भला नेहा से कैसे छिपे रहते. सीमा हर जगह दिख रही है, उसे भी औरों को फौलो करना होगा. दोनों आजकल काफी व्यस्त हैं.

नकली लोग नकली कमैंट्स

कालेज की कैंटीन में सुजाता उदास सा मुंह लटका कर बैठी थी. दोस्त रीनी ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, बौयफ्रैंड भाग गया क्या?’’

‘‘बकवास मत कर.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’

‘‘यार, मैं कितनी ही अच्छी पोएम फेसबुक पर पोस्ट कर दूं, मेरी पोस्ट को लाइक्स ज्यादा क्यों नहीं मिलते? मेरी कजिन रोमा कितना बेकार लिखती है, उसे कितनी वाहवाही मिलती है.’’

‘‘तु झे नहीं पता?’’

‘‘क्या?’’

‘‘वह अपने कितने फोटो मिलाती है पोएम के साथ, वह भी फिल्टर वाली. सीख कुछ, मूर्ख लड़की. ऐसे ही नहीं मिलता सबकुछ. कुछ अदाएं दिखाओ, अपने जलवे दिखाओ, लिखो चाहे बेकार पोएम पर अपने को दिखाओ. तुम्हारी कजिन को उस की पोएम पर नहीं, उस के नकली फोटो पर लाइक्स मिलते हैं.’’

सुजाता को बात सम झ आई. रीनी का कहा माना, अब वह खुश है.

आशिकी के फसाने

तो बात यह है कि सोशल मीडिया पर आप कितने ही अपनेआप को बुद्धिमान सम झ रहे हों, आप पर नजर रखने वाले आप से ज्यादा होशियार हैं. आप कभी भी बोर हो रहे हों, आप के पास बहुत टाइम हो तो आराम से सोशल मीडिया पर टाइम खराब कर सकते हैं. देखिए, लोग क्याक्या कर रहे हैं, कहीं जाना भी नहीं, ओमीक्रोन का टाइम है, सब से सेफ है सोशल मीडिया पर मनोरंजन करना. बस दूसरों को बैठ कर देखिए, पर अंजू की तरह यह कहने की गलती न कीजिए कि आप सोशल मीडिया पर नहीं रहते, सब को आप की प्रैजेंस का पता रहता है.

घर में बंद बैठ कर थोड़ा मनोरंजन करना आपका हक है. आराम से दूसरों के मामलों में टांग अड़ाइए. सोशल मीडिया बहुत काम की चीज है, जिस के बारे में पता करना हो, खंगाल लिए उसकी लाइफ को और फिर भोले बन कर आशिकी के उन फसानों का आनंद लीजिए जिन में हीर रां झा जैसे लोग एकदूसरे में डूबे हैं.

दोस्तों के साथ हंसी, मस्ती जरूर करें, बस आप के इस मनोरंजन से किसी को कोई नुकसान न पहुंचे, इस बात का ध्यान जरूर रखें.

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सास कमाऊ-बहू घरेलू तो कैसे निभाएं

कुमकुम भटनागर 55 साल की हैं पर देखने में 45 से अधिक की नहीं लगतीं. वे सरकारी नौकरी में हैं और काफी फिट हैं. स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं और आत्मविश्वास के साथ चलती हैं.

करीब 25 साल पहले अपने पति के कहने पर उन्होंने सरकारी टीचर के पद के लिए आवेदन किया. वे ग्रैजुएट थीं और कंप्यूटर कोर्स भी किया हुआ था. इस वजह से उन्हें जल्द ही नौकरी मिल गई. कुमकुमजी पूरे उत्साह के साथ अपने काम में जुट गईं.

उस वक्त बेटा छोटा था पर सास और पति के सहयोग से सब काम आसान हो गया. समय के साथ उन्हें तरक्की भी मिलती गई. आज कुमकुम खुद एक सास हैं. उन की बहू प्रियांशी पढ़ीलिखी, सम झदार लड़की है. कुमकुम ऐसी ही बहू चाहती थीं. उन्होंने जानबू झ कर कामकाजी नहीं बल्कि घरेलू लड़की को बहू बनाया क्योंकि उन्हें डर था कि सासबहू दोनों औफिस जाएंगी तो घर कौन संभालेगा?

प्रियांशी काफी मिलनसार और सुघड़ बहू साबित हुई. घर के काम बहुत करीने से करती. मगर प्रियांशी के दिल में कहीं न कहीं एक कसक जरूर उठती थी कि उस की सास तो रोज सजधज कर औफिस चली जाती है और वह घर की चारदीवारी में कैद है.

वैसे जौब न करने का इरादा उस का हमेशा से रहा था, पर सास को देख कर एक हीनभावना होने लगी थी. कुमकुम अपने रुपए जी खोल कर खुद पर खर्च करतीं. कभीकभी बहूबेटे के लिए भी कुछ उपहार ले आतीं. मगर बहू को हमेशा पैसों के लिए अपने पति की तरफ देखना पड़ता. धीरेधीरे यह असंतोष प्रियांशी के दिमाग पर हावी होने लगा. उस की सहेलियां भी उसे भड़काने लगीं.

नतीजा यह हुआ कि प्रियांशी चिड़चिड़ी होती गई. सास की कोई भी बात उसे अखरने लगी. घर में  झगड़े होने लगे. एक हैप्पी फैमिली जल्द शिकायती फैमिली में तबदील हो गई.

आज लड़कियां ऊंची शिक्षा पा रही हैं. कंपीटीशन में लड़कों को मात दे रही हैं. भारत में आजकल ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं कामकाजी ही हैं खासकर नई जैनरेशन की लड़कियां घर में बैठना पसंद नहीं करतीं. ऐसे में यदि घर की सास औफिस जाए और बहू  घर में बैठे तो कई बातें तकरार पैदा कर सकती हैं. ऐसे आवश्यकता है इन बातों का खयाल रखने की:

रुपयों का बंटवारा

यदि सास कमा रही हैं और अपनी मनमरजी पैसे खर्च कर रही हैं तो जाहिर है कहीं न कहीं बहू को यह बात चुभेगी जरूर. बहू को रुपयों के लिए अपने पति के आगे हाथ पसारना खटकने लगेगा. यह बहू के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात होगी. वह मन ही मन सास के साथ प्रतियोगिता की भावना रखने लगेगी.

ऐसे में सास को चाहिए कि अपनी और बेटे की कमाई एक जगह रखें और इस धन को कायदे से 4 भागों में बांटें. एक हिस्सा भविष्य के लिए जमा करें, एक हिस्सा घर के खर्चों के लिए रखें, एक हिस्सा बच्चे की पढ़ाई और किराए आदि के लिए रख दें और बाकी बचे हिस्से के रुपए बहू, बेटे और अपने बीच बराबरबराबर बांट लें. इस तरह घर में रुपयों को ले कर कोई  झगड़ा नहीं होगा और बहू को भी इंपौर्टैंस मिल जाएगी.

काम का बंटवारा

सास रोज औफिस जाएगी तो जाहिर है कि बहू का पूरा दिन घर के कामों में गुजरेगा. उसे कहीं न कहीं यह चिढ़न रहेगी कि वह अकेली ही खटती रहती है. उधर सास भी पूरा दिन औफिस का काम कर के जब थक कर लौटेंगी तो फिर घर के कामों में हाथ बंटाना उन के लिए मुमकिन नहीं होगा. ऐसे में उन की बहू से यही अपेक्षा रहेगी कि वह गरमगरम खाना बना कर खिलाए.

इस समस्या का समाधान कहीं न कहीं एकदूसरे का दर्द सम झने में छिपा हुआ है. सास को सम झना पड़ेगा कि कभी न कभी बहू को भी काम से छुट्टी मिलनी चाहिए. उधर बहू को भी सास की उम्र और दिनभर की थकान महसूस करनी पड़ेगी.

जहां तक घर के कामों की बात है तो सैटरडे, संडे को सास घर के कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले कर बहू को आराम दे सकती हैं. वे बहू को बेटे के साथ कहीं घूमने भेज सकती हैं या फिर बाहर से खाना और्डर कर बहू को स्पैशल फील करवा सकती हैं. इस तरह एकदूसरे की भावनाएं सम झ कर ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.

फैशन का चक्कर

कामकाजी सास की बहू को कहीं न कहीं यह जरूर खटकता है कि उस के मुकाबले सास ज्यादा फैशन कर रही हैं. वह खुद तो सुबह से शाम तक घरगृहस्थी में फंसी पड़ी है और सास रोज नए कपड़े पहन और बनसंवर कर बाहर जा रही हैं. औफिस जाने वाली महिलाओं का सर्कल भी बड़ा हो जाता है. सास की सहेलियां और पौपुलैरिटी बहू के अंदर एक चुभन पैदा कर सकती है.

ऐसे में सास का कर्तव्य बनता है कि फैशन के मामले में व बहू को साथ ले कर चलें. बात कपड़ों की हो या मेकअप प्रोडक्ट्स की, सैलून या फिर किट्टी पार्टी में जाने की, बहू के साथ टीमअप करने से सास की खुशी और लोकप्रियता बढ़ेगी और बहू भी खुशी महसूस करेगी.

वैसे भी आजकल महिलाएं कामकाजी हों या घरेलू, टिपटौप और स्मार्ट बन कर रहना समय की मांग है. हर पति यही चाहता है कि जब वह घर लौटे तो पत्नी का मुसकराता चेहरा सामने मिले. पत्नी स्मार्ट और खूबसूरत होगी तो घर का माहौल भी खुशनुमा बना रहेगा.

प्रोत्साहन जरूरी

यह आवश्यक नहीं कि कोई महिला तभी कामकाजी कहलाती है जब वह औफिस जाती है. आजकल घर से काम करने के भी बहुत सारे औप्शन हैं. आप की बहू घर से काम कर सकती है. वह किसी औफिस से जुड़ सकती है या फिर अपना काम कर सकती है. हर इंसान को प्रकृति ने कोई न कोई हुनर जरूर दिया है. जरूरत है उसे पहचानने की.

यदि आप की बहू के पास भी कोई हुनर है तो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. वह कई तरह के काम कर सकती है जैसे पेंटिंग, डांस या म्यूजिक टीचर, राइटर, इवेंट मैनेजर, फोटोग्राफर, ट्रांसलेटर, कुकिंग ऐक्सपर्ट या फिर कुछ और. इन के जरीए एक महिला अच्छीखासी कमाई भी कर सकती है और समाज में रुतबा भी हासिल कर सकती है.

घर में सास का रुतबा

पैसे के साथ इंसान का रुतबा बढ़ता है. बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी. जाहिर है जब पत्नी घरेलू हो और मां कमाऊ तो पति भी अपनी मां को ही ज्यादा भाव देगा. घर के हर फैसले पर मां की रजामंदी मांगी जाएगी. पत्नी को कोने में कर दिया जाएगा. इस से युवा पत्नी का कुढ़ना स्वाभाविक है.

ऐसे में पति को चाहिए कि वह मां के साथसाथ पत्नी को भी महत्त्व दे. पत्नी युवा है, नई सोच और बेहतर सम झ वाली है. वैसे भी पतिपत्नी गृहस्थी की गाड़ी के 2 पहिए हैं. पत्नी को इग्नोर कर वह अपना ही नुकसान करेगा.

उधर मां भी उम्रदराज हैं और वर्किंग हैं. उन के पास अनुभवों की कमी नहीं. ऐसे में मां के विचारों का सम्मान करना भी उस का दायित्व है.

जरूरत है दोनों को आपस में तालमेल बैठाने की. घर की खुशहाली में घर के सभी सदस्यों की भूमिका होती है, इस बात को सम झ कर समस्या को जड़ से ही समाप्त किया जा सकता है.

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