संगीत की बदलती दुनिया के बारें में क्या कहती है सिंगर प्रिया सरैया

सिर्फ 6 साल की उम्र से संगीत की क्षेत्र में कदम रखने वाली गायिका और गीतकार प्रिया सरैया मुंबई की है. उन्होंने गान्धर्व महाविद्यालय से हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग ली है. इसके बाद लंदन, ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ म्यूजिक, मुंबई ब्रांच से वेस्टर्न म्यूजिक का  प्रशिक्षण लिया है.इसके बाद वह कल्यानजी आनंदजी के साथ कई वर्षो तक स्टेज शो की और तालीम ली. काम के दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार, गायक जिगर सरैया से हुई और कई साल की परिचय के बाद शादी की और एक बेटे माहित की माँ बनी. उनकी इस जर्नी में उनके ससुर मुकुल सरैया ने काफी सहयोग दिया है. मृदुभाषी और शांत प्रिया सरैया ने संगीत क्षेत्र के बारें में बात की पेश है अंश.

सवाल- संगीत की क्षेत्र में कैसे आना हुआ, किससे आप प्रेरित हुई?

मैने छोटी उम्र से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेना शुरू किया. आगे बढ़ने पर मेरी मुलाकात संगीतकार पद्मश्री कल्याण-आनंद जी से हुई. उनके साथ रहते हुए मैंने बहुत सारे स्टेज शो किये. उन्होंने ही स्टेज शो का दौर शुरू किया था. इस तरह से मेरा उनके साथ 16 साल का एसोसिएशन स्टेज शो के लिए रहा. आगे कुछ नया करने की सोच ने मुझे गीतकार बना दिया, क्योंकि बचपन से ही मुझे लिखने का शौक था, लेकिन उसे प्रोफेशनल तरीके से नहीं किया था. इसके अलावा कई नामी-गिरामी लोगों से मिलना, आई.पी.आर.एस. में काम करना, जहाँ बड़े-बड़े लेखक और कंपोजर आते है. उनके साथ मिलकर मैंने बहुत सारे काम सीखे और हिंदी सिनेमा में मैंने गीतकार के रूप में भी काम किया.

परिवार में कोई भी संगीत से जुड़े नहीं है, लेकिन संगीत सबको पसंद है. मेरे दादाजी रतिलाल पांचाल बहुत अच्छा गाते थे, प्रोफेशनली कोई जुड़ा नहीं था. मैं परिवार की पहली लड़की हूं ,जिसे संगीत में इतनी उपलब्धि मिली है. कल्याण जी से मेरी मुलाकात स्कूल की एक कम्पटीशन में हुई थी, वहां जज के रूप में वे आये थे और मुझे चुना था. उन्होंने ही मेरे परेंट्स से कहा था कि मुझे संगीत की तालीम देने पर मैं अच्छा कर सकती हूं. मेरे पेरेंट्स ने उनकी बात मानी और आज मैं यहाँ हूं. मेरे पिता जीतेन्द्र पांचाल इंजिनियर है और इंटीरियर डेकोरेटर का काम करते है, माँ हंसा पांचाल हाउसवाइफ है.

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सवाल- आपके साथ परिवार का सहयोग कितना था?

पूरे परिवार का ही सहयोग रहा है, आज से 25 साल पहले जब मैं स्टेज शो में जाती थी, आज की तरह टीवी रियलिटी शो नहीं थी. संगीत और नृत्य को हॉबी ही माना जाता था, ऐसे में लड़कियों का बाहर जाकर शो करने को लोग अच्छा नहीं मानते थे, कईयों ने यहाँ तक कहा कि बेटी को रात-रात भर आप बाहर क्यों रखते हो? ऐसी कई कमेंट्स पेरेंट्स को सुनने पड़ते थे, पर उन्होंने आगे की बात सोचकर तालीम दी. लड़की और लड़के में कभी फर्क नहीं समझा.

सवाल- जिगर सरैया से मिलना कैसे हुआ?

उनसे मैं फेसबुक के ज़रिये मिली थी. हिंदी फिल्म ‘फालतू’ का काम चल रहा था. उन्होंने फेसबुक के जरिये एक यंग राइटर चाहते थे, क्योंकि फिल्म कॉलेज बेस्ड थी और शब्द यंग बच्चों को ध्यान में रखकर लिखना था. मैं उनसे स्टूडियों में जाकर मिली और काम शुरू किया. वे जो भी धुन बनाते थे, मैं उसमे शब्द भरने का काम डमी में करती थी, जिसे निर्देशक और निर्माता सभी ने पसंद किया. इस तरह से मैंने करीब 20 फिल्मों के शब्द लिखे है.

सवाल- क्या दोनों एक क्षेत्र से होने की वजह से कभी किसी गीत को लेकर मतभेद हुई?

ये सामान्य है और बहुत बार होता है, क्योंकि ये ह्युमन एक्सप्रेशन है. कई बार लड़ाईयां भी होती है, लेकिन जब गाना तैयार होकर आता है और लोग पसंद करते है, तो सब भूल जाते है.

सवाल- आजकल फिल्मों में गाने कम रह गयी है, रियल कहानियों को लोग पसंद कर रहे है,जिसमे गाने कम होते है,ऐसे में प्ले बैक सिंगर की भूमिका हिंदी फिल्मों में कितनी रह जाती है?

फिल्मों में गाने भले ही कम हो, लेकिन इंडिपेंडेंट गानों का क्रेज़ बढ़ा है. सारे सिंगर्स इंडिपेंडेंटली अपनी टैलेंट को दिखा रहे है. सिंगर्स अभी कंपोज करने के अलावा गाने को लिख भी रहे है. कलाकार को बाँध कर नहीं रखा जा सकता.

सवाल- आज अभिनय करने वाले भी गाना गा रहे है और उनके स्वर में किसी प्रकार की कमी को तकनीक के सहारे ठीक कर लिया जाता है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

मेरा मानना है कि पुराने ज़माने में भी अभिनय करने वाले गाया भी करते थे, जिसमें किशोर कुमार, गीता दत्त,नूरजहाँ आदि थे, लेकिन उनकी आवाज अच्छी थी. आज तकनीक से कुछ गानों को ठीक भले ही कर लें, एक समय बाद सिंगर जरुरी है. सारे लोग अपने शौक पूरे कर रहे है और मंच मिलने पर ये करना सही भी है.

सवाल- गीत के बोल पहले जैसे खूबसूरत अब नहीं है, सुर बनाने के बाद उसमें बोल फिट कर दिये जाते है,इसे कैसे आप लेती है?

गानों में कवितायेँ कम हो रही है, इस बात से मैं सहमत हूं और एक लेखक होने की वजह से मैं इसकी महत्व को समझती हूं. इसमें मैं श्रोता जो गानों को सुनती और हिट बनाती है, उनके लिए वे जो सुनना चाहते है, उसे ही वे बनाते है, कविताओं के शौक़ीन लोग इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्या के गाने सुनते है. ये तो चलने वाला है.

सवाल- पहले संगीत के बोल कहानी के आधार पर लिखी जाती रही है, क्योंकि हिंदी फिल्मों में गीत भी कहानी को आगे बढाती है, अब गानों को पहले बनाकर फिल्मों में फिट कर दिया जाता है, क्या इसकी वजह से फिल्मो की कहानी और गानों का तालमेल सही हो पाता है?

पहले साल में 3 से 4 फिल्में बनती थी, अब साल में 250 से 300 फिल्में बनती है. अब प्रोड्यूसर को फटाफट गाने चाहिए, वे रुक नहीं सकते, समय नहीं है. पहले लिरिक्स लिखने वालो को काफी समय शब्दों को लिखने के लिए मिलता था. इससे वे कहानी को सुनकर उसके आधार पर एक फ्रेश कविता संगीतकार को दे पाते थे और गाने अच्छे बनते थे. मैंने तेरे नाल इश्क हो गया, बदलापुर आदि के गाने सिचुएशन के आधार पर लिखे है, कुछ निर्माता, निर्देशक बोल लिखने के लिए आज भी काफी समय देते है.

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सवाल- आगे की योजनायें क्या है?

पेंडेमिक ख़त्म होने के बाद खुलकर गानों का लिखना, गाना और शो करने की इच्छा है.

सवाल- नए सिंगर्स के लिए क्या मेसेज देना चाहती है?

रियलिटी शो की वजह से आज के गायकों को मंच मिलता है, लेकिन इसके बाद इंडस्ट्री में कायम रहने के लिए उन्हें आगे बढ़ने की भूख कम दिखाई पड़ती है, क्योंकि सबको काम मिल जाता है. शार्टटर्म प्रसिद्धी के बाद उन्हें उस ताज के ईगो को हटाकर अधिक मेहनत और सीखने की जरुरत होती है, ताकि वे आगे भी अच्छा काम कर सकें.

REVIEW: दिल को छू लेने वाली कहानी है ईशा देओल की ‘एक दुआ’

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः वेंकीस, भारत तख्तानी,  ईशा देओल तख्तानी और अरित्रा दास

निर्देशकः राम कमल मुखर्जी

लेखकः अविनाश मुखर्जी

कलाकारः ईशा देओल, राजवीर अंकुर सिंह, बॉर्बी शर्मा , निक शर्मा व अन्य

अवधिः लगभग एक घंटा

ओटीटी प्लेटफार्मः वूट सेलेक्ट

पुरूष प्रधान भारतीय समाज में आज भी बेटे व बेटी के बीच भेदभाव किया जाता है. अत्याधुनिक युग में भी भ्रूण हत्या की खबरें आती रहती हैं. सरकार इस दिशा में अपने हिसाब से कदम उठा रही है. पर इसके सार्थक परिणाम नही मिल रहे हैं. इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर फिल्म सर्जक राम कमल मुखर्जी और कहानीकार अविनाश मुखर्जी एक फिल्म‘‘एक दुआ’’लेकर आए हैं,  जिसका निर्माण ईशा देओल तख्तानी व उनके पति  तख्तानी ने  किया है. जो कि 26 जुलाई से ओटीटी प्लेटफार्म ‘वूट ’’पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

फिल्म की कहानी टैक्सी ड्रायवर सुलेमान(राजवीर अंकुर सिंह)के परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. सुलमान के परिवार में उनकी मां, पत्नी आबिदा(ईशा देओल तख्तानी),  बेटा फैज(निक शर्मा ) व बेटी दुआ(बार्बी शर्मा )हंै. बेटी दुआ के जन्म से सुलेमान की मॉं खुश नही है और सुलेमान भी अपनी बेटी से कटा कटा सा रहता है. सुलेमान के आर्थिक हालात अच्छे नही है, मगर वह अपने बेटे को स्कूल ख्ुाद छोड़ने जाता है. बेटे के लिए उपहार भी लाता है. सुलेमान बेटी दुआ को पढ़ाना नहीं चाहता. हर जगह उसकी उपेक्षा करता रहता है. लेकिन आबिदा हमेशा अपनी बेटी दुआ का खास ख्याल रखती है. वह बेटी को स्कूल भी भेजती है और बेटेे के साथ ही बेटी को भी बर्फ के गोले भी खिलाती है. ईद आने से पहले वह चुपचाप अपनी बेटी दुआ के लिए उपहार भी खरीद लाती है. जबकि ईद के दिन सुलेमान पूरे परिवार के साथ मस्जिद व दरगाह पर जाता है. सुलेमान ईद के अवसर पर अपनी मॉं के अलावा पत्नी व बेटे को ईदी यानी कि उपहार देता है. मगर वह बेटी दुआ के लिए कुछ नही लाता. यह देख दुआ की आॅंखों से आंसू बहते हैं, पर वह चुप रहती है. लेकिन आबिदा उसे उसकी पंसदीदा फ्राक ईदी यानी कि उपहार में देकर उसके चेहरे पर मुस्कान ले आती है. इस बीच दुआ की दादी सुलेमान से कहती है कि वह दूसरा बेटा पैदा करे. जबकि घर के बदतर आर्थिक हालात को देखते हुए आबिदा ऐसा नही चाहती. मगर मां की इच्छा के लिए सुलेमान पत्नी आबिदा को धोखा देकर उसे गर्भवती कर देता है. दुआ की दादी गभर्वती आबिदा के पेट की सोनोग्राफी के साथ ही लिंग परीक्षण भी करवा देती है, जिससे पता चलता है कि आबिदा बेटी को ही जन्म देने वाली है. अब दुआ की दादी चाहती हैं कि डाक्टर, आबिदा गर्भपात कर दे. मगर डाक्टर ऐसा करने की बजाय सुलेमान व उनकी मॉं को ही फटकार लगाती है. मगर सुलेमान की मां कहां चुप बैठने वाली. वह एक दूसरी औरत की मदद से ऐसा खेल खेलती है कि दूसरी दुआ नहीं आ पाती.

लेखन व निर्देशनः

अविनाश मुखर्जी ने अपनी कहानी में एक ज्वलंत व अत्यावश्क मुद्दे को उठाया है. लेकिन इसे जिस मनोरंजक तरीके से निर्देशक राम कमल मुखर्जी ने फिल्माया है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं. राम कमल मुखर्जी ने इस फिल्म में लंैगिक समानता, भ्रूण हत्या, नारी स्वतंत्रता व नारी सशक्तिकरण के मुद्दों को बिना किसी तरह की भाषण बाजी या उपेदशात्मक जुमलों के मनोरंजन के साथ प्रभावशली ढंग से उकेरा है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कम संवादों के साथ बहुत गहरी बात कही गयी है. इसमें लिंग भेद व ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’की बात इस तरह से कही गयी है कि उन पर यह आरोप नहीं लग सकता कि इसी मुद्दे के लिए फिल्म बनायी गयी. इतना ही राम कमल मुखर्जी ने अपनी पिछली फिल्मों की ही तरह इस फिल्म में भी रिश्तों को उकेरा है.  इसमें मां बेटी के बीच के रिश्ते की गहराई को उकेरा गया है. तो वही फिल्मकार ने बदलते युग में किस तरह से ‘ओला’ व ‘उबर’की एसी वाली गाड़ियों के चलते दशकों से काली पीली टैक्सी वालों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट पैदा होता जा रहा है, उसे भी बड़ी खूबसूरती से उकेरा है. एक गरीब मुस्लिम परिवार हो या बाजार या स्कूल के सामने का माहौल या दरगाह व उसके अंदर हो रही कव्वाली हो, फिल्मकार ने हर बारीक से बारीक बात को जीवंतता प्रदान करने में कोई कसर नही छोड़ी है. मगर कहीं न कहीं इसे कम बजट में बनाने का दबाव भी नजर आता है. फिल्म की गति थोड़ी धीमी है. फिर भी हर इंसान को सेाचे पर मजबूर करती है.

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गीत संगीत पर थोड़ी सी मेहनत की जाती, तो बेहतर होता.

कैमरामैन मोधुरा पालित बधाई की पात्र हं. उन्होने अपने कैमरे से मंुबई शहर को एक नए किरदार में पेश किया है.

अभिनयः

आबिदा के किरदार में ईशा देओल तख्तानी ने शानदार अभिनय किया है. एक बार फिर उन्होने साबित कर दिखाया कि ग्रहस्थ जीवन या दो बेटियों की मां बनने के बावजूद उनकी अभिनय क्षमता में निखार ही आया है. तो वहीं टैक्सी ड्रायवर सुलेमान के किरदार को जीवंतता प्रदान करने में राजवीर कंुवर सिंह सफल रहे हैं. राजवीर,  मां व पत्नी के बीच पिसते युवक के साथ ही आर्थिक हालात से जूझते इंसान के दर्द को बयां करने में सफल रहे हैं. दुआ के किरदार में बॉर्बी शर्मा बरबस  लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं. वह बिना संवाद के महज अपने चेहरे के भाव व आंखों से ही दर्द, खुशी सब कुछ जितनी खूबसूरती से बयां करती है, वह बिरले बाल कलाकारों के ही वश की बात है. बेटे फैज के किरदार में निक शर्मा ठीक ठाक हैं.

 

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बच्चे के जीवन में पेरेंट्स की भूमिका को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस मेघना मलिक, पढ़ें इंटरव्यू

लड़कियों ने अगर कोई सपना किसी क्षेत्र में जाने के लिए देखा है…. तो उनको सिर्फ एक सहारे की जरुरत होती है….उनके माता-पिता, समाज और उनकी कम्युनिटी आगे बढ़ने में रोड़े न अटकाएं………जो पिता अपने बेटियों को रोकेगा नही….. वे आगे अपना रास्ता अवश्य बना लेंगी….लड़कियों में प्रतिभा है…..उन्होंने जो सोचा है, उसे अवश्य कर लेगी. कहना है अभिनेत्री मेघना मलिक का, जिन्होंने एक लम्बी जर्नी एंटरटेनमेंट की दुनिया में तय किया है और अपने काम से संतुष्ट है.

अभिनेत्री मेघना मलिक हरियाणा के सोनीपत की है. धारावाहिक ‘न आना देस लाडो’ में अम्मा की भूमिका से वह चर्चा में आई. मेघना एक थिएटर आर्टिस्ट है. इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर डिग्री लेने के बाद मेघना दिल्ली आई और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में ग्रेजुएट किया और अभिनय की तरफ मुड़ी. सौम्य और हंसमुख स्वभाव की मेघना हमेशा खुश रहना पसंद करती है. फिल्म साइना में वह साइना की माँ उषा रानी नेहवाल की भूमिका निभाई है, जिनका उद्देश्य बेटी को एक मंजिल तक पहुंचाने की रही और इसके लिए उन्होंने बेटी को भरपूर सहयोग दिया. पेरेंट्स डे के अवसर पर मेघना ने पेरेंट्स की सहयोग का बच्चे की कामयाबी पर असर के बारें में बातचीत की. आइये जाने क्या कहती है, मेघना मलिक अपनी जर्नी और जर्नी के बारें में.

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सवाल-इस फिल्म में माँ की भूमिका निभाना कितना चुनौतीपूर्ण रहा?

जब मैंने निर्देशक अमोल गुप्ते की स्क्रिप्ट पढ़ी और मेरे किरदार को जाना, तो लगा कि यही एक भूमिका जो मुझे हमेशा से करनी थी और मुझे उसे करने को मिल रहा है. कहानी की पृष्ठभूमि हरियाणा की है. असल में भी साइना नेहवाल भी हरियाणा की है. उनकी बैडमिन्टन खेल ने नयी जेनरेशन को पूरी तरह से प्रभावित किया है. उन्हें देखकर बच्चों में इस खेल के प्रति रूचि बढ़ी है. पहले बैडमिन्टन इतना प्रचलित खेल नहीं था, लेकिन सायना की जीत ने सबको प्रेरित किया है. उषा रानी नेहवाल लाइमलाइट में नहीं थी, पर उन्हें अपनी बेटी की प्रतिभा की जानकारी थी. माता-पिता दोनों ने सायना के सपनों को पूरा किया है. इसके अलावा उषा रानी को सभी जानते है, इसलिए उनकी भूमिका को सही तरह से पर्दे पर लाना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी. जब उषा रानी फिल्म को देखे,तो उन्हें लगना चाहिए  कि ये अभिनय वे खुद कर रही है, क्योंकि एक माँ जो बेटी की हर अवस्था में साथ थी, उस चरित्र को मुझे क्रिएट करना था. साइना के पेरेंट्स फिल्म देखकर मुझे फ़ोन पर बताया कि मेरी भूमिका में वे खुद को देख पा रही है. मुझे ये कोम्प्लिमेंट्स बहुत पसंद आया.

 

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सवाल-माँ की भूमिका लड़कियों की परवरिश में कितनी होती है?

मेरी फिल्म देखने के बाद एक आर्मी ऑफिसर ने फ़ोन किया और कहा कि मैं लद्दाख में पोस्टेड हूं, लेकिन मेरा परिवार दिल्ली में रहता है. मेरी पत्नी और बेटी फिल्म देखने के बाद फ़ोन कर बताया कि बच्चे की परवरिश में पत्नी भी मेरा साथ देगी. जबकि पहले वह मना कर रही थी. आपकी फिल्म ने सोच को बदला है.

सवाल-आपने अधिकतर माँ की भूमिका निभाई है, क्या आपने कभी हिरोइन बनने का सपना नहीं देखा?

मैं एक अभिनेत्री हूं, फिर चाहे मुझे माँ, चाची या सांस की भूमिका मिले, चरित्र कैसा है उस पर अधिक फोकस्ड रहती हूं. अगर कोई मुझे हिरोइन बना देगा, तो वह भी बन जाउंगी.(हंसती हुई) ये सामने वाले की सोच है, मेरी नहीं.

सवाल-आपने एक लम्बी जर्नी तय की है, कितने खुश है?

बचपन से अभिनय का शौक था, लेकिन वहां थिएटर नहीं था, कोई गाइड करने वाला भी नहीं था. मेरी माँ डॉ. कमलेश मलिक जो एक अध्यापिका थी अब रिटायर्ड हो चुकी है. एक लेखिका और कवयित्री है. वह मेरे लिए मोनो एक्ट लिखती थी और मैं उसे करती थी. फिर उसे मैं स्कूल में करती थी. उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और बहुत सहयोग दिया. मैं केवल 4 साल की अवस्था में मंच तक पहुँच चुकी थी, जिसमें नाटक, मोनोएक्टिंग आदि करने लगी और अभिनय से जुड़ गयी. इसके अलावा स्कूल, कॉलेज में भी मैंने हमेशा मंच पर कुछ न कुछ किया है. जर्नी वही से शुरू किया. मुझे जो स्क्रिप्ट पसंद आती है, उसमें किसी भी चरित्र में मैं काम कर सकती हूं. कई बार चुनौती तो कई बार पैसे के लिए भी काम करना पड़ता है, जो मुंबई में रहने के लिए बहुत जरुरी है.

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सवाल-पेरेंट्स की कौन सी बात जीवन में उतारना चाहती है?

मेरी माँ की स्प्रिट बहुत अच्छी है. क्लब जाना, मेंबर बनना, लिखना आदि सब करती है. इसके अलावा खाना बनाना, हम दोनों बहनों को पढ़ाना, संस्कृत में पी एच डी करना सब साथ-साथ करती रही. मैंने उन्हें कभी थकते हुए नहीं देख. मुझे उनसे ऐसी स्प्रिट और आत्मविश्वास को अपने जीवन में लाना चाहती हूं. मेरे पिता भी हमेशा चाहते थे कि हम दोनों वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो. कर्म को ही उन्होंने धर्म बताया है.

सवाल-कुछ पेरेंट्स अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते है, उनके लिए आप क्या कहना चाहती है?

बच्चों पर कभी भी पेरेंट्स को अपनी इच्छाओं को थोपना नहीं चाहिए, इससे बच्चे को किसी भी चीज में मन नहीं लगता. केवल डॉक्टर और इंजिनियर बनना ये पुरानी बात हो चुकी है. बच्चे की रूचि के हिसाब से जाने दे, इससे उसकी रूचि के बारें में पता लग सकेगा और उसकी ग्रोथ भी अच्छी होगी. अपने सपने में बच्चों को ढूढने के वजाय, उन्हें सपनों को देखने दें और थोड़ी सहयोग दे. पैरेंट्स की भूमिका इतनी ही होनी चाहिए. इससे बच्चे का भविष्य अच्छा होता है.

REVIEW: जानें कैसी हैं शिल्पा शेट्टी और परेश रावल की ‘Hungama 2’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः वीनस वल्र्डवाइड इंटरटेनमेंट

निर्देशकः प्रियदर्शन

कलाकारः परेश रावल, शिल्पा शेट्टी, आशुतोष राणा, मिजान जाफरी,  प्रणिता सुभाष, टीकू टलसानिया, जॉनी लीवर, राजपाल यादव, मनोज जोशी व अन्य.

अवधिः दो घंटे 36 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिजनी

मशहूर फिल्मसर्जक प्रियदर्शन हमेशा अपनी सफल मलयालम फिल्मों का ही हिंदी रीमेक बनाते रहे हैं. इस बार वह अपनी 1994 की सफल मलयालम हास्य फिल्म ‘‘मिन्नारम’’का हिंदी रीमेक ‘‘हंगामा 2’’लेकर आए हैं, जिसे 2003 की उनकी सफलतम हिंदी फिल्म ‘हंगामा’का सिक्वअल बताया जा रहा है. दो घंटे 36 मिनट लंबी हास्य फिल्म ‘हंगामा 2’’देखकर हंसी आती ही नही है.

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कहानीः

कहानी के केंद्र में दो परिवार हैं. एक परिवार वकील राधे तिवारी(  परेश रावल)  और उनकी पत्नी अंजली( शिल्पा शेट्टी) का है. और दूसरा परिवार तिहाड़ जेल में सुपरीटेंडेंट रहे कपूर(  आशुतोष राणा )  का है. कपूर के परिवार में उनके दो बेटे अमन(रमन त्रिखा )  और आकाश(मिजान जाफरी) तथा एक बेटी है. अमन की पत्नी श्वेता(नायरा शाह) हैं. अमन के तीन बेटे व एक बेटी छोटे है और वह अपने दादाजी कपूर के साथ ही रहते हैं. कपूर के घर मे रसोइया नंदन(टीकू टलसानिया) है. अमन व श्वेता विदेश में रहते हैं. अमन व श्वेता के बीच तलाक होते होते बचा है. इधर कपूर ने अपने दूसरे बेटे आकाश का विवाह अपने मित्र बजाज(मनोज जोशी )  की बेटी सिमरन के साथ तय कर दी है. अमन की जिंदगी व कैरियर को सुधारने के लिए कपूर अपने मित्र बजाज से दस करोड़ रूपए उधार भी मागते हैं. आकाश व सिमरन की सगाई होने से पहले ही एक दिन वाणी(प्रणिता सुभाष )  एक छोटी बच्ची गहना के साथ कपूर के घर पहुंचती है और दावा करती है कि वह आकाश की पत्नी तथा गहना आकाश की बेटी है. आकाश यह स्वीकार करता है कि  कालेज में वह वाणी से प्यार करता था. उनके इस प्यार कीक हानी से कालेज कैंटीन का मैनेजर पोपट (राजपाल यादव ) वाकिफ है. मगर उसने वाणी से शादी नही की है. वाणी धमकी देती है कि न्याय न मिलने पर वह कपूर के घर के बाहर बैठकर धरना देगी. मामले को सुलझाने तक कपूर, वाणी को अपने घर में रहने के लिए कह देते हैं और सच का पता लगाना शुरू करते हैं. इस बीच वह वाणी का सच बजाज से भी छिपाने की कोशिश करते रहते हैं. आकाश इस मुसीबत से बचने के लिए अंजली की मदद लेता है. कपूर, अंजली से कह देते हैं कि यह बात राधे तिवारी को भी पता न चले. राधे छिपकर अंजली व आकाश की बातें सुनकर अंदाजा लगाता है कि उसकी पत्नी अंजली, आकाश के बेटे क मां बनने वाली है.  अब राधे, आकाश  की हत्या करना चाहता है. उधर आकाश अपने तरीके से वाणी से छुटकारा पाना चाहता है. . पर हर बार असफलता ही हाथ लगती है.

लेखन व निर्देशनः

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसके पटकथा लेखक युनुस सजावल और निर्देशक प्रियदर्शन हैं. इसके अलावा कई किरदारों में कलाकारों का गलत चयन भी कमजोर कड़ी है. इसका अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि मलयालम फिल्म में जिस किरदार को मोहनलाल ने निभाया था, उसी किरदार में यहां मिजान हैं. निर्देशक प्रियदर्शन  इस बात को भूल गए कि मलयालम भाषी और हिंदी भाषी दर्शकों की रूचि अलग है. हिंदी रीमेक करते समय कुछ बदलाव करने चाहिए थे, प्रियदर्शन अतीत में अपनी हर फिल्म के साथ ऐसा करते रहे हैं. मगर इस बार प्रियदर्शन ने अपनी मलयालम फिल्म ‘मिन्नारम’’का हिंदी रीेमेक करते समय सीन दर सीन फिल्मा डाला. मगर मलयालम फिल्म के इमोशनल कर देने वाले क्लायमेक्स को हिंदी में बदलकर फिल्म का बंटाधार कर दिया. इतना ही नही संवाद लेखक ने मलयालम फिल्म के संवादों का शब्दशः हिंदी में अनुवाद कर डाला. इससे ह्यूमर खत्म हो गया. कुछ संवाद अति घटिया व पुराने हैं. एक दो दृश्यों को नजरंदाज कर दें, तो हंसी आती ही नही है. फिल्म में  कहानी के एक दो सब प्लॉट बेवजह ठूंसे हुए लगते हैं. इसमें जबरन ठूंसा हुआ हास्य जरुर है. पहली बार प्रियदर्शन ने अपने प्रशंसको को बुरी तरह से निराश किया है.

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अभिनयः

पूरे 14 वर्ष बाद शिल्पा शेट्टी ने इस फिल्म से अभिनय में वापसी की है, मगर उनका वनवास खत्म नही हुआ. अंजली के किरदार के साथ न्याय करने में असफल रही हैं. राधे तिवारी के किरदार में परेश रावल भी नही जमे. परेश रावल की बॉडी लैंगवेज, उनके संवाद व उनकी हरकतों से हंसी नही आती. कपूर के किरदार में आशुतोष राणा काफी निराश करते हैं. आकाश के किरदार के लिए मिजान का चयन ही गलत रहा. मिजान को अभी अपने अभिनय को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. मिजान के चेहरे पर भाव ही नही आते हैं. एक दृश्य है जब प्रणिता सुभाष आती है, उसे देखकर आकाश के चेहरे पर डर,  गुस्सा, प्रणिता को पहचानते हुए भी न पहचानने का नाटक करने के भाव चेहरे पर एक साथ आने चाहिए थे, पर उनका चेहरा एकदम सपाट रहता है. यह निर्देशक की भी कमी है कि उसने ऐसे दृश्य को ओके कर दिया. वाणी के किरदार में प्रणिता सुभाष कुछ नही कर पायी. प्रणिता को अभिनय की ट्रेनिंग लेना चाहिए. टीकू टलसानिया के किरदार को ठीक से गढ़ा ही नहीं गया. जॉनी लीवर की प्रतिभा को जाया किया गया है. अक्षय खन्ना छोटे से किरदार में भी अपनी छाप नही छोड़ पाते. पोपट के किरदार में राजपाल यादव भी नही जमे. उनकी कॉमिक टाइमिंग भी गड़बड़ है. मनोज जोशी का भी अभिनय बहुत खराब है.

पति की गिरफ्तारी के बाद Shilpa Shetty को मिली क्लीन चिट! पढ़ें खबर

बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा (Raj Kundra) बीते सोमवार देर रात गिरफ्तार हो गए. वहीं खबरों की मानें तो राज कुंद्रा पर पोर्न फिल्में बनाने और उनके बेचने के आरोप लगाए गए हैं. इसी के चलते शिल्पा शेट्टी सदमे हैं, जिसके कारण उन्होंने अपने रियलिटी डांस शो की शूटिंग भी कैंसल कर दी है. वहीं कुछ लोग शिल्पा शेट्टी के भी इस मामले होने के भी कयास लगा रहे हैं. लेकिन पुलिस ने इस मामले में शिल्पा को क्लीन चिट दे दी है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शिल्पा शेट्टी को मिली क्लीन चिट

 

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राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने शिल्पा शेट्टी को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. वहीं पुलिस ने साफ कर दिया कि इस पूरे मामले में अभी तक शिल्पा शेट्टी की कोई भूमिका नजर नहीं आई है. दरअसल, मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस मिलिंद भारंबे ने कहा, ‘हमें इस मामले में अभी तक शिल्पा शेट्टी की किसी भी तरह की भूमिका नजर नहीं आई है. हम जांच कर रहे हैं. हम सभी पीड़ितों से अनुरोध करते हैं कि वे आगे आएं और क्राइम ब्रांच से संपर्क करें. हम उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई करेंगे.’

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कपिल शर्मा के शो की वीडियो हुआ वायरल

जहां दूसरे ट्रोलर्स ने लिखा, ‘बॉलीवुड इस समय धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. कई लोग इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. ऐसे में लोग पोर्न बिजनेस के जरिए पैसा कमाने का घिनोना काम कर रहे हैं. इस अश्लील काम में कई प्रोडक्शन्स भी शामिल हो सकते हैं.’ वहीं दूसरी तरफ कपिल शर्मा के शो का एक पुराना वीडियो शो हो रहा है, जिसमें शो शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा कपिल के सवालों का जवाब देते नजर आ रहे हैं.

बता दें, शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. दोनों अक्सर अपनी कौमेडी वाली वीडियो शेयर करते हैं, जिसके कारण फैंस भी एंटरटेन होते हैं. लेकिन इस केस के बाद देखना है कि दोनों के फैंस का क्या रिएक्शन देखने को मिलेगा.

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credit-Viral Bhayani

शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा हुए गिरफ्तार, पोर्नोग्राफी बनाने व बेचने के लगे आरोप

बौलीवुड की मशहूर अदाकारा के पति व व्यवसायी राज कुंद्रा को सोमवार की देर रात मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने अश्लील फिल्में पोर्नोग्राफी बनाने और उन्हे ऐप के माध्यम से वितरित करने के मुख्य साजिश कर्ता के आरोप के साथ गिरफ्तार कर लिया. अब आज, मंगलवार को राज कुंद्रा की मेडीकल जांच के पास अदालत में पेश किया जाएगा. मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने दावा किया है कि उनके पास राज कुंद्रा के खिलाफ ठोस सबूत हैं. सोमवार की देर रात गिरफतार करने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने राज कुंद्रा से सख्ती से पूछताछ की है.

इस वर्ष की शुरूआत यानी कि फरवरी 2021 माह में मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने अश्लील फिल्में पोर्नोग्राफी बनाने और उन्हे ऐप तथा अलग अलग ओटीटी प्लेटफार्म के जरिए स्ट्रीम करने का केस दर्जकर जांच शुरू की थी. उस वक्त क्राइम ब्रांच ने नौ लोगों को गिरफ्तार भी किया था. उसके बाद पुलिस ने कई जगह छापेमारी की थी. मुंबई क्राइम ब्रांच का कहना है कि बाकायदा ‘हॉटशॉट’नामक एक ऐप बनाया गया था और उस पर अश्लील फिल्मों को स्ट्ीम@रिलीज किया जाता था.  उसके बाद लोगों से पैसे लिए जाते थे.  पुलिस के मुताबिक, इस ऐप के मालिक राज कुंद्रा हैं. जबकि राज कुंद्रा ने दावा किया था कि इससे उनका कोई संबंध नहीं है. मगर अब पुलिस ने राज कुंद्रा के खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात कहते हुए उन्हे गिरफ्तार किया है.

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लेकिन पुलिस सुत्रों के अनुसार गिरफ्तार नौ लोगों के बयान तथा तकनीकी सबूतों के आधार पर ही राज कुंद्रा की गिरफ्तारी हुई है. अब तक की जांच के अनुसार राज कुंद्रा ही मुख्य आरोपी और साजिश कर्ता हैं.

मुंबई पुलिस के अनुसार जो लड़कियां मुंबई फिल्म नगरी में अभिनेत्री बनने के मकसद से आती थीं,उन भोली भाली व संघर्षरत लड़कियों को फंसाकर अश्लील फिल्में बनायी जाती थी. इन लड़कियों को बड़े बैनरों की फिल्मों में हीरोईन बनाने का लालच देकर उनसे जबरन अश्लील फिल्मों में अभिनय करवाया जाता था. इस तरह अश्लील फिल्म बनाने के बाद उन्हें मोबाइल ऐप और  ओटीटी प्लेटफार्म पर स्ट्रीम कर लाखों रूपए कमाए जाते थे. फरवरी माह में  एपीआई लक्ष्मीकांत सालूखे ने जानकारी मिलने पर मुंबई,मढ़ आईलेंड के एक बंगले पर छापा मारा,तो उस वक्त वहां पर अश्लील फिल्म की शूटिंग चल रही थी. जिसके चलते  अभिनेत्री व निर्माता गहना वशिष्ठ सहित कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. तभी से मुंबई क्राइम ब्रांच पोर्नोग्राफी के इस गैर कानूनी धंधे की जांच में जुट गयी थी.

मूलतः भारतीय मगर लंदन में जन्मे व पले राज कुंद्रा का लंदन में बहुत बड़ा व्यवसाय है. राज कुंद्रा के पिता लुधियाना,पंजाब,भारत से लंदन चले गए थे. 2004 में उन्हें अमीरो में 198 वां ब्रिटिश एशियन व्यवसायी माना गया था. राज कुंद्रा ने अपनी पहली पत्नी कविता को तलाक देकर   22 नवंबर 2009 में फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी से विवाह रचाया था. यहां वह और शिल्पा शेट्टी जुहू में समुद्र के किनारे एक आलीशान बंगले में रहते हैं. शिल्पा शेट्टी ने बेटे को 21 मई 2012 को जन्म दिया. फिर सरोगसी से 15 फरवरी 2020 को एक बेटी के पिता बने.

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राज कुंद्रा ने 2015 में भारत में ‘‘बेस्ट डील’’नामक टी वी चैनल की शुरूआत की. इसके अलावा ‘सुपर फ्लाइट लीग’,‘विआन इंडस्ट्रीज’ सहित उनकी कई दूसरी कंपनियां भी हैं.

यूं तो राज कुंद्रा पहले भी विवादो में रहे हैं. राज कुंद्रा के खिलाफ अभिनेत्री व मॉडल पूनम पांडे ने आपराधिक केस दर्ज कराया था.

कोरोना ने बदल दी ओटीटी प्लेटफौर्म की सूरत

योंतो 2015 से भारत में ओटीटी प्लेटफौर्म पैर पसारने लगे थे, मगर 2016 में भारत सरकार द्वारा मनोरंजन क्षेत्र में ‘सौ प्रतिशत एफडीआई’ का नियम लागू करने के साथ ‘नैटफ्लिक्स,’ ‘अमेजन,’ ‘डिज्नी प्लस हौट स्टार’ सहित कई ओटीटी प्लेटफौर्र्म भारत में तेजी से उभरे, पर 2020 में कोरोना महामारी और लौकडाउन के चलते सभी ओटीटी प्लेटफौर्र्म तेजी से लोकप्रिय हुए क्योंकि इस दौरान अपनेअपने घर में कैद हर इंसान के लिए मनोरंजन का एकमात्र साधन ओटीटी प्लेटफौर्म ही रहे. हर ओटीटी प्लेटफौर्म ने अपने साथ लोगों को जोड़ने के सारे तरीके अपनाए.

इन में से ज्यादातर ओटीटी प्लेटफौर्म मासिक या वार्षिक शुल्क लेते हैं, जबकि ‘जी-5’ और ‘सिनेमा पे्रन्योर’ जैसे कुछ ओटीटी प्लेटफौर्म दर्शकों से फिल्म देखने के प्रति फिल्म अलगअलग शुल्क वसूलते हैं.

मगर ओटीटी प्लेटफौर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ अपने दर्शकों से कोईर् शुल्क नहीं लेता. कोई भी शख्स ‘एमएक्स प्लेयर’ पर स्ट्रीम हो रहे कार्यक्रम को मुफ्त में देख सकता है, मगर उसे हर कार्यक्रम या वैब सीरीज या फिल्म देखते समय बीचबीच में विज्ञापन भी देखने पड़ते हैं क्योंकि ‘एमएक्स प्लेयर’ विज्ञान पर आधारित ओटीटी प्लेटफौर्म है.

यों तो ‘गूगल प्ले स्टोर’ पर एमएक्स प्लेयर का एक प्रीमियम ऐप है, जो 5 डौलर में विज्ञापन स्ट्रिप्स चलाता है. लेकिन यह ऐप ज्यादातर विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व पर ही निर्भर करता है. इन दिनों ‘एमएक्स प्लेयर’ करीब  3 दर्जन से अधिक स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय  ओटीटी प्लेटफौर्म संग प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

फिलहाल ‘एमएक्स प्लेयर का स्वामित्व ‘टाइम्स ग्रुप’ के पास है और इस का मुख्यालय सिंगापुर  (71 राबिंसन रोड, सिंगापुर-068895) में है तथा यह कंपनी सिंगापुर के कानून के तहत संचालित होती है.

मोबाइल ऐप से ओटीटी प्लेटफौर्म तक

मूलत: एमएक्स प्लेयर की शुरुआत  कोरिया में एक ऐप के रूप में हुई थी, जो कि वीडियो फाइल के रूप में संग्रहीत वैब सीरीज  का प्रसारण स्थानीय मोबाइल फोन पर करता  था. छोटे संसाधनों का उपयोग करते हुए ऐप ने भारत जैसे उभरते बाजारों में कम लागत वाले ऐंड्रौइड स्मार्टफोन के साथ लाखों उपयोगकर्ताओं का विश्वास जीतने में कामयाब रहा. धीरेधीरे टाइम्स गु्रप की कंपनी ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने इस  में निवेश शुरू किया. फिर 2017  के अंत में ‘टाइम्स इंटरनैट’ ने एमएक्स प्लेयर में  140 मिलियन डौलर का निवेश कर स्वामित्व  हासिल किया. उस के बाद एमएक्स प्लेयर  का मूल्यांकन 500 मिलियन डौलर आंका  गया था.

चाइनीज कंपनी टेनसेंट ने किया लगभग 111 मिलियन डौलर का निवेश

30 अक्तूबर, 2019 को एमएक्स प्लेयर ने सूचित किया था कि चीनी इंटरनैट की दिग्गज कंपनी टेनसेंट ने 110.8 मिलियन की राशि ‘एमएक्स प्लेयर’ ऐप में निवेश किए हैं और ‘एम एक्स प्लेयर’ वीडियो ऐप भारत और अन्य अंतर्राष्ट्रीय देशों में अपने कारोबार का विस्तार करना चाहता है.

‘‘एमएक्स प्लेयर’’ से पहले टेनसेंट ‘टाइम्स इंटरनैट’ के स्वामित्व वाले गाना विशाल ओला, टेक स्टार्टअप बायूज क्च२क्च ई कौमर्स, स्टार्टअप उडान और व्यापारियों के लिए बहीखाता सेवा ‘खाताबुक’ सहित कुछ भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों में निवेश किया था. टेनसेंट के ‘एमएक्स प्लेयर’ में निवेश करने पर ‘टाइम्स इंटरनेट’ के उपाध्यक्ष सत्यन गजवानी ने कहा था, ‘‘टेनसेंट संगीत और वीडियो में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति है और हमें उन की क्षमताओं से सीखने और लाभ उठाने के लिए बहुत कुछ है.’’

जबकि ‘एमएक्स प्लेयर’ के सीईओ करण बेदी ने एक अखबार से बातचीत करते हुए कहा था, ‘‘निवेश के रूप में मिली इस रकम का उपयोग वीडियो ऐप के लिए मौलिक टीवी कार्यक्रमों का उत्पादन बढ़ाने और लाइसैंस प्राप्त साम्रग्री की अपनी सूची को व्यापक बनाने के लिए करेगा. फर्म ने अब तक अपने प्लेटफार्म पर 15 मौलिक शो जोड़े हैं तथा इस साल के अंत तक 20 अन्य का उत्पादन शुरू कर दिया है.

2019 तक भारत में एमएक्स प्लेयर के  175 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता थे, जबकि वैश्विक स्तर पर 280 मिलियन से  अधिक उपयोगकर्ताओं को एकत्र किया था.

2020 में तेजी से बढ़ा एमएक्स प्लेयर

जी हां, कोरोनाकाल व लौकडाउन का फायदा ‘एमएक्स प्लेयर’ को भी मिला. इस संबंध में नवंबर, 2020 में एक अखबार से बात करते हुए एमएक्स प्लेयर के सीईओ करण बेदी कह चुके हैं, ‘‘हकीकत में आज की तारीख में ‘एमएक्स प्लेयर’ भारत का सब से बड़ा ओटीटी प्लेटफौर्म है. हमारे उपयोगकर्ताओं की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. हम ने अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से पार कर लिया है. हमारे पास सब से बड़ा होने की दृष्टि थी, लेकिन यह नहीं सोचा था कि यह जल्दी से होगा, हमारे मन में थोड़ी लंबी अवधि की रूपरेखा थी. हम ने स्क्रैच से शुरुआत की. हमें मदद करने के लिए हमारे पीछे कोई भी टीवी नैटवर्क नहीं है.

जाहिर तौर पर ‘टाइम्स’ समूह व्यवसाय में बहुत सारी मीडिया कंपनियों को लाता है, लेकिन यह मुख्य रूप से एक समाचार समूह था न कि एक मनोरंजन समूह. हमारी टीम और शेयरधारक वास्तव में इसे उभारने में कामयाब रहे. ‘एमएक्स प्लेयर’ प्लेटफौर्म कुल मिला कर 220 एमएयू के करीब है. यह एक बहुत बड़ी छलांग है, जो हमारे अलगअलग मीडिया प्लेटफौर्मों पर हुई है और ‘एवरीटेनमैंट’ की अवधारणा संग हम लगातार नए उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे.

विस्तार का आधार

‘‘इतना ही नहीं हम अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के विस्तार का आधार तैयार करने में सफल रहे. यही नहीं हम ने अपने मौजूदा उपयोगकर्ताओं के आधार को पूरी तरह से बनाए रखा है और पुन: प्राप्त किया है. जब हम ने ‘एमएक्स प्लेयर’ का अधिग्रहण किया था, तब 175 मिलियन उपभोक्ता थे.’’

एमएक्स प्लेयर ने 2018 के मध्य में फिल्में और वैब सीरीज की स्ट्रीमिंग शुरू की. आज लगभग 200 टीवी चैनलों, उन के वर्तमान और अतीत के सीरियलों के अलावा ‘गाना’ के साथ एकीकरण के माध्यम से संगीत का भी स्ट्रीमिंग करता है.

‘एमएक्स प्लेयर’ ने भारत में होईचोई जैसी सभी वैब सीरियल निर्माताओं और सोनी और सन सहित शीर्ष 5 टीवी स्थानीय केबल नैटवर्क में से 3 के साथ सम झौता किया है और अब कई विदेशी वैब सीरीज व फिल्मों को हिंदी में डब कर स्ट्म कर रहा है.

डिश टीवी इंडिया की भागीदारी

अप्रैल, 2020 में लौकडाउन के समय ही डिश टीवी ने घोषणा की थी कि उस ने अपने ग्राहकों को वीडियो औन डिमांड सामग्री की पेशकश करने के लिए एमएक्स प्लेयर के साथ भागीदारी की है. डिश टीवी और डी2एच उपयोगकर्ता अपने ऐंड्रौइड सैट टौप बौक्स के माध्यम से एमएक्स प्लेयर की सामग्री का उपयोग कर सकते हैं.

उपयोगकर्ता अब लोकप्रिय एमएक्स प्लेयर की मौलिक वैब सीरीज व फिल्म, टीवी सीरियल, म्यूजिक वीडियो और फिल्मों को कई शैलियों और भाषाओं में स्ट्रीम करने में सक्षम होंगे.

सा झेदारी पर टिप्पणी करते हुए डिश टीवी इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक और समूह के सीईओ अनिल दुआ ने कहा था, ‘‘एमएक्स प्लेयर के साथ हमारी सा झेदारी हमारी ऐंड्रौइड बौक्स उपयोगकर्ताओं के लिए 10 से अधिक भाषाओं में फैले बड़े कंटैंट लाइब्रेरी तक पहुंचना आसान बनाती है.

हमारे ग्राहकों के लिए अद्वितीय सामग्री की पेशकश हमेशा हमारे लिए एक सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस सा झेदारी के माध्यम से हम ने अपना वादा पूरा करने के लिए एक और कदम उठाया है.’’

खर्च व परेशानी

माना कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एमएक्स प्लेयर’’ पर उपलब्ध किसी भी वैब सीरीज या फिल्म को दर्शक मुफ्त में देख सकता है. (लेकिन इंटरनैट या यों कहें कि वाईफाई का खर्च तो उसे वहन ही करना पड़ता है.) लेकिन दर्शक की अकसर शिकायत रहती है कि फिल्म या वैब सीरीज रुकरुक कर चलती है अथवा आवाज टूटती रहती है, जिस के चलते उन का इंटरनैट का बिल बढ़ जाता है.

एमएक्स प्लेयर का बिजनैस मौडल क्या है

अब अहम सवाल यह है कि जब दर्शक ‘एमएक्स प्लेयर’ के कार्यक्रम मुफ्त में देखता है, तो फिर ‘एमएक्स प्लेयर’ की अपनी कमाई का जरीया क्या है? जैसा कि हम ने पहले भी बताया कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म विज्ञापन पर आधारित है यानी एमएक्स प्लेयर की कमाई का जरीया विज्ञाप होते हैं, जिन्हें वह अपने वीडियो पर लगा कर धन कमाता है.

यह विज्ञापन उस के प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं की संख्या बल पर मिलते हैं, मगर विज्ञापन की रकम विज्ञापन को जितने दर्शक देखते हैं, उस आधार पर मिलती है. सूत्रों की मानें तो यह लगभग 23 पैसे प्रति व्यू है. जबकि बैनर विज्ञापन के लिए 13 पैसे प्रति व्यू है. वीडियों की सूची के बीच रखे गए विज्ञापन के लिए 10 पैसे प्रति व्यू है.

2019 के अंत तक एमएक्स प्लेयर के भारत में 280 मिलियन से अधिक सक्रिय मासिक उपयोगकर्ता हो चुके थे, जो देश के अन्य ओटीटी प्लेटफौर्म के मुकाबले अधिक संख्या थी. गत वर्ष इंगलैंड व अमेरिका में भी यह देखा जाने लगा है. इस के अलावा अब एमएक्स प्लेयर दूसरे निर्माता से उन की वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण अधिकार लेने के बजाय स्वयं मौलिक कार्यक्रम बनाने की दिशा में प्रयासरत है.

लेकिन वैब सीरीज ‘आश्रम अध्याय 1’ और ‘अध्याय 2’ की संयुक्त दर्शक संख्या एक बिलियन रही. इस से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्लेटफौर्म के उपयोगकर्ताओं का आधार कितना विशाल है. इसी वजह से इस प्लेटफौर्म पर लोग विज्ञापन देना पसंद करते हैं.

प्रत्येक ऐपिसोड में लगभग 6-7 विज्ञापन होते हैं. हर विज्ञापन की अवधि 30 सैकंड से ले कर 2 मिनट तक की होती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वैब सीरीज के दोनों अध्याय को मिला कर करीब 6 बिलियन विज्ञापन देखे गए. लेकिन ‘एमएक्स प्लेयर’ की हर वैब सीरीज या फिल्म को इतने दर्शक नहीं मिल रहे हैं.

निर्माताओं के साथ ऐग्रीमैंट

‘एमएक्स प्लेअर’ अपने प्लेटफौर्म पर किसी भी वैब सीरीज या फिल्म के प्रसारण के अधिकार हासिल करने के लिए 15 पन्नों का लंबाचौड़ा ऐग्रीमैंट करता है. इस के अनुसार ‘एमएक्स प्लेयर’ पूरे 24 माह तक सारे अधिकार रखता है. इस बीच वह कंटैंट का किसी भी रूप में उपयोग कर सकता है और अपने हिसाब से उस में विज्ञापन आदि जोड़ कर स्ट्रीम करेगा.

इस के एवज में ‘एमएक्स प्लेयर’ निर्माता को महज उस फिल्म या वैब सीरीज के लिए मिले नैट विज्ञापन राशि का सिर्फ 40-60% ही दिया जाता है. यह प्रतिशत निर्माता व कंटैंट को देख कर तय होता है जब कि ऐग्रीमैंट बनाने के खर्च से ले कर स्टांप ड्यूटी तक का खर्च भी निर्माता को ही वहन करना पड़ता है.

ऐग्रीमैंट के अनुसार हर तीन माह में इस का हिसाब किया जाता है और निर्माता को देय राशि, उस के बाद 60 दिन में देने की बात कही गई है. लेकिन अब तक कई निर्माताओं से बात करने से पता चला कि किसी को भी ‘एमएक्स प्लेयर’ से कोई रकम नहीं मिली. लेकिन सभी निर्माता फिलहाल चुप रहने में ही अपनी भलाई सम झ रहे हैं.

वास्तव में यदि अब तक ‘एमएक्स प्लेयर्स’ पर प्रसारित फिल्मों पर गौर किया जाए, तो ज्यादातर कम बजट वाली फिल्में या वैब सीरीज ही ज्यादा प्रसारित हुई हैं. इसी बीच ‘आश्रम’ सहित कुछ बड़ी वैब सीरीज भी प्रसारित हुईं. ‘एमएक्स प्लेयर’ की इस नीति के चलते अभी तक छोटे निर्माताओं को आर्थिक रूप से कोई लाभ भले न हुआ हो, मगर उन छोटे निर्माताओं का इस माने में भला हो गया कि कई वर्षों से डब्बे में बंद उन की फिल्में दर्शकों तक पहुंच गईं. एमएक्स प्लेयर ने कुछ फिल्मों को वैब सीरीज के नाम पर कई ऐपीसोडों में विभाजित कर के भी स्ट्रीम किया.

मगर अफसोस की बात यह है कि ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से किसी भी वैब सीरीज या फिल्म का सही ढंग से प्रचार नहीं किया जाता. ‘आश्रम’ या ‘बिसात’ जैसी वैब सीरीज, जिन के निर्माण से बड़े निर्माता जुड़े हुए हैं, इन के विज्ञापन जरूर दिए गए. वैसे ‘एमएक्स प्लेयर’ की पीआर टीम तो खुद को किसी से कम नहीं सम झती. वास्तव में पीआर टीम की कोई जवाबदेही तय नहीं है.

पीआर टीम पत्रकारों को प्रैस रिलीज भेज कर अपने कर्तव्यों की ‘इतिश्री’ सम झ लेती है. इस का खमियाजा ‘एमएक्स प्लेयर’ के साथ ही इस प्लेटफौर्म पर अपनी वैब सीरीज या फिल्म देने वाले निर्माताओं को भी भुगतना पड़ रहा है.

‘एमएक्स टकाटक’ और ‘एमएक्स गेमिंग’

‘‘एमएक्स प्लेयर’’ के 2 अन्य प्लेटफार्म हैं- ‘‘एमएक्स टकाटक’’ और ‘‘एमएक्स गेमिंग.’’ ‘एमएक्स गेमिंग’ तो काफी चर्चित ऐप है. वास्तव में दर्शक किसी वैब सीरीज या फिल्म को देखते समय विज्ञापन मजबूरी में देखता है. मगर गेमिंग ऐप पर वह स्वयं चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन हों, जिस से उस के बोनस पौइंट बढ़ जाएं.

इस संबंध में करण बेदी ने कहा है, ‘‘जहां तक ग्राहकों का सवाल है, तो गेमिंग एक ‘इंगेजमैंट’ और विज्ञापन के लिए सब से अच्छे प्लेटफौर्मों में से एक है. भारत अभी भी सब्सक्रिप्शन वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली के बजाय बहुत एडवर्टाइजिंग वीडियो औन डिमांड फ्रैंडली मार्केट है.

इसलिए जब हम वीडियो में कोई विज्ञापन दिखाते हैं या उस व्यक्ति को प्रदर्शित करते हुए कहते हैं, ‘ठीक है, मु झे अपने वीडियो को जारी रखने के लिए विज्ञापन को देखना होगा.’ गेमिंग में इस के विपरीत, गेमर्स अधिक विज्ञापन चाहते हैं क्योंकि यह विज्ञापन उन के खेल में अलगअलग सकारात्मक परिणाम लाते हैं. इसलिए यदि आप एक अतिरिक्त जीवन चाहते हैं, या आप खेल में एक शक्ति चाहते हैं तो विकल्प यह है कि इसे खरीदें या विज्ञापन देखें. ज्यादातर लोग विज्ञापन देखना पसंद करते हैं. हर जगह लोग किसी भी तरह से विज्ञापनों से बचना चाहते हैं, मगर यहां गेम खेलने वाला अधिक बोनस पौइंट पाने के लिए और अधिक विज्ञापन की मांग करते हैं.

यदि आप वास्तव में चाहते हैं कि आप का ब्रैंड दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो, तो इसे लगाने का सही स्थान वह है जहां लोग इसे मजबूरी के रूप में अधिक दोस्ताना तरीके से देखना चाहते हैं. इसलिए गेमिंग ऐंगेजमैंट और हमारे राजस्व में वृद्धि के लिए एक बहुत ही सकारात्मक बदलाव है.

टिकटौक पर पाबंदी

जहां तक ‘एम एक्स टकाटक’ का सवाल है, तो भारत में चाइनीज ऐप ‘टिकटौक’ बच्चों से ले कर बूढ़ों तक काफी लोकप्रिय रहा है. कईर् लोगों ने ‘टिकटौक’ बन कर काफी धन कमाया. मगर चीन से संबंधों में कड़वाहट आने के बाद भारत सरकार ने कई ‘टिकटौक’ सहित कई और चाइनीज ऐपों पर पाबंदी लगाई. ‘टिकटौक’ के बंद होते ही उसी तर्ज पर ‘एमएक्स प्लेयर’ तुरंत ‘एमएक्स टकाटक’ ले कर आ गया और उसे सब से बड़ा फायदा यह हुआ कि ‘टिकटौक’ पर लोकप्रियता बटोर चुके आधे से ज्यादा मौलिक कंटैंट बनाने वाले लोग ‘एमएक्स टकाटक’ के संग जुड़ गए.

एमएक्स टकाटक से जुड़ने पर लोगों को एक फायदा यह हो रहा है कि उन्हें उन की लोकप्रियता के आधार पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की वैब सीरीज या फिल्म से जुड़ने के साथसाथ बौलीवुड से भी जुड़ने का अवसर मिलने की संभवनाएं हैं. इसलिए ‘एमएक्स प्लेयर’ के कर्ताधर्ताओं को यकीन है कि ‘एमएक्स टकाटक’ एक दिन ‘टिकटाक’ से अधिक लोगों तक पहुंच जाएगा.

‘एमएक्स प्लेयर’ की कार्यशैली में तमाम कमियां हैं, यदि इन पर गौर कर के सुधार किया जाए तो इस तरह के ओटीटी प्लेटफौर्म और अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं. वैसे भी ‘प्राइस वाटर हाउस कूपर्स’ के अनुसार दुनिया में दूसरे सब से बड़े इंटरनैट बाजार के रूप में जाना जाने वाले भारत देश में वीडियो स्ट्रीमिंग का बाजार अगले 4 वर्षों में 1.7 बिलियन डौलर का होने वाला है.

  उपयोगकर्ता हैं मगर दर्शक

‘एमएक्स प्लेयर’ के मासिक उपयोगकर्ताओं की संख्या 280 मिलियन से भी अधिक है. इस के बावजूद ‘एमएक्स प्लेयर’ के दावे के ही अनुसार ‘चक्रव्यूह’ को महज 70 मिलियन, ‘बुलेट्स’ को 68 मिलियन, ‘डैंजर्स’ को 48 मिलियन लोगों ने ही देखा. यह महज प्रचार की कमी और वैब सीरीज की गुणवत्ता में कमी का ही नतीजा है.

  ‘एमएक्स प्लेयर’ को 100 से 150 मिलियन डौलर के निवेश  की तलाश

इन दिनों चर्चा है कि ‘एमएक्स प्लेयर’’ करीब 150 मिलियन डालर की राशि जुटाने के लिए प्रयत्नशील है. सूत्रों की मानें तो वर्तमान निवेशक ‘टेनसेंट’ अमेरिकन कंपनी के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रहा है और उस के बाद हो सकता है कि इस का नाम बदल कर ‘यूनीकार्न’ हो जाए. पर इस संबंध में स्पष्ट कुछ नहीं है. न्यूयौर्क स्थित मर्चेंट बैंक राइन गु्रप इस सौदे पर एमएक्स प्लेयर को सलाह दे रहा है.

राइन अपने स्वयं के पैसे के साथ नए दौर में भी भाग लेने की संभावना है. पर ‘एमएक्स प्लेयर’ की तरफ से इस की पुष्टि नहीं की गई

  कुछ चर्चित वैब सीरीज

‘एमएक्स प्लेयर’ ने अब तक ‘हे प्रभु,’ ‘थिंकिस्तान’ और ‘अपरिपक’ सहित तमाम वैब सीरीज को बड़े पैमाने पर कालेज के छात्रों को लक्ष्य कर के बनाया. लेकिन कंपनी धीरेधीरे क्वीन जैसी वैब सीरीज के साथ मंच को पौपुलर कर रही है.

इतना ही नहीं पोंगा पंडितों की पोल खोलने वाली ‘आश्रम’ जैसी वैब सीरीज भी स्ट्रीम की. मादक द्रव्यों, ड्रग्स के कारोबार के इर्दगिर्द घूमती कहानी पर वैब सीरीज ‘हाई’ उस वक्त प्रसारित हुई, जब बौलीवुड में ड्रग्स की जांच एनसीबी कर रही थी. इस के अलावा ‘रक्तांचल,’ ‘भौकाल,’ ‘आप के कमरे में कौन रहता है,’ ‘बुलेट्स,’ ‘शोर इन द सिटी’ ‘चक्रव्यूह,’ ‘द मिसिंग स्टोन,’ ‘पतिपत्नी और पंगा,’ ‘बीहड़ का बागी,’ ‘हैलो मिनी,’ ‘एक थी बेगम,’ ‘विश लिस्ट’ जैसी वैब सीरीज के साथ ही ‘आखेट,’ ‘लंगड़ा राज कुमार’ जैसी कई छोटे बजट की फिल्में स्ट्रीम हो रही हैं.

इसी 26 अप्रैल से विक्रम भट्ट की रहस्य रोमांच प्रधान वैब सीरीज ‘बिसात’ भी स्ट्रीम होना शुरू हुई है. ज्ञातव्य है कि यह ओटीटी प्लेटफौर्म बोल्डनैस व सैक्स को ज्यादा परोसता आ रहा है..

दूसरी बार मां बनने वाली हैं नेहा धूपिया, पति और बेटी के साथ फ्लॉन्ट किया बेबी बंप

बीते कई दिनों शादी से लेकर नए मेहमान का घर में आने का सिलसिला जारी है. हालांकि इस दौरान इंडस्ट्री से बुरी खबर भी सुनने को मिली थी. इसी बीच बौलीवुड एक्ट्रेस नेहा धूपिया ने अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खबर से फैंस को चौंका दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बेबी बंप की शेयर की फोटो

 

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने फैंस को अपनी दूसरी प्रैग्नेंसी की खुशखबरी दी है.  दरअसल, नेहा धूपिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें वह पति अंगद बेदी और बेटी मेहर के साथ नजर आ रही हैं. वहीं फोटो में उनका बेबी बंप साफ नजर आ रहा है.

 

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फोटो के साथ लिखा खास मैसेज

 

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प्रैग्नेंसी की खबर शेयर करते हुए नेहा धूपिया ने लिखा, ‘इस फोटो का कैप्शन सोचने में 2 दिन लग गए. सबसे बेहतरीन कैप्शन जो हम सोच पाए. वो था, ‘थैंक यू गॉड.’ वहीं नेहा के पति अंगद ने भी फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘घर का नया प्रोडक्शन जल्द ही आ रहा है.’

 

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बता दें, रोडीज में नजर आने वाली नेहा धूपिया मिस इंडिया भी रह चुकी हैं. वह कई बौलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं.  वहीं 10 मई 2018 को नेहा धूपिया ने अंगद बेदी संग शादी की थी, जिसके बाद उनकी बेटी मेहर का जन्म हुआ था. हांलांकि नेहा धूपिया कई बार सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी हो चुकी हैं. लेकिन उनका मानना है कि उन्हें इस ट्रोलिंग से कोई फर्क नही पड़ता.

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करीना कपूर की छोटे बेटे ‘जेह’ की फोटो हुई वायरल! तैमूर से तुलना कर रहे फैंस

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान आए दिन किसी ना किसी बात पर ट्रोलिंग का सामना करती रहती हैं. दरअसल, हाल ही में रिलीज हुई अपनी बुक ‘प्रेग्नेंसी बाइबल’ को लेकर करीना सोशलमीडिय पर छाई हुई थीं. वही अब उनके दूसरे बेटे जेह की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो गई है, जिसे देखकर फैंस का रिएक्शन देखने को मिल रहा है. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज की झलक…

किताब में देखने मिली अनदेखी फोटोज


दरअसल, करीना की बुक ‘प्रेग्नेंसी बाइबल’ से उनके बेटे की फोटो वायरल हुई है, जिसे देखकर फैंस दावा कर रहे हैं कि ये उनके दूसरे बेटे जेह की फोटोज हैं. जबकि करीना कपूर खान ने जेह के जन्म से अब तक एक भी फेस दिखाते हुए फोटोज शेयर नही की हैं. वहीं फोटोज देखने के बाद फैंस उनके बेटे को तैमूर की तरह ही प्यार दे रहे हैं.

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किताब में की अनकही बातें शेयर

 

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दरअसल करीना ने अपनी किताब में मां बनने के सफर को लेकर अनकहे किस्से शेयर किए हैं. उन्होंने लिखा, ‘तैमूर के जन्म के वक्त मुझे नहीं पता था कि बच्चे के पूप को कैसे साफ करते हैं या डायपर कैसे पहनाते हैं. मेरे ठीक से डायपर ना पहना पाने के कारण तैमूर का टॉयलेट कई बार लीक हो जाता था. वहीं दूसरी तरफ करीना ने एक मां के तौर पर यह भी सलाह दिया है कि बच्चे के जन्म के बाद ज्यादा से ज्यादा काम न करें. वह काम करें जो आसान है, क्योंकि अगर मां कंफरटेबल फील करेगी तो बच्चा भी इसे महसूस करता है.

बता दें, हाल ही में सोशलमीडिया पर वायरल हुआ था कि करीना कपूर खान के दूसरे बेटे का नाम जेह रखा गया है. हालांकि कहा जा रहा है कि उनका नाम मंसूर रखा जाएगा, जो कि उनके दादा के नाम पर रखा जाएगा.

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REVIEW: जानें कैसी है फरहान अख्तर की स्पोर्ट्स फिल्म ‘Toofan’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः रितेश सिद्धवानी, फरहान अख्तर, राकेश ओमप्रकाश मेहरा

निर्देशकः राकेश ओमप्रकाश मेहरा

कलाकारः फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर, परेश रावल, विजय राज,  मोहन अगाशे, हुसेन दलाल,  दर्शन कुमार, सुप्रिया पाठक, अभिषेक खंडेकर, गगन शर्मा, राकेश ओमप्रकाश मेहरा व अन्य.

अवधिः दो घंटे 42 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः अमेजॉन प्राइम वीडियो

मशहूर धावक स्व.  मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म बना चुके फिल्मकार राकेश ओप्रकाश मेहरा इस बार एक दूसरे स्पोर्ट्स बाक्सिंग पर फिल्म‘‘तूफान’’लेकर आए हैं, जो कि अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है जफर(विजय राज)  के इशारे पर एक रेस्टारेंट के मालिक व उसके गुर्गों की डोंगरी के युवा गैंगस्टर अजीज अली(फरहान अख्तर)  द्वारा पिटाई करने से. उसके बाद अपनी मरहम पट्टी कराने वह अस्पताल जाता है,  जहां डॉं. अनन्या प्रभु(मृणाल ठाकुर )  उसे गैंगस्टर कह कर बाहर बैठने के लिए कह देती है. डॉं.  अनन्या का मानना है कि हर इंसान अपनी पसंद से ही अच्छा या बुरा इंसान बनता है. जबकि नर्स मिसेस डिसूजा(सुप्रिया पाठक ) ऐसा नही मानती. नर्स मिसेस डिसूजा उसके घाव की सफाई करने के बाद डॉ.  अनन्या से उसकी मरहम पट्टी करने के लिए कहती है. डॉं. अनन्या की बातों का अजीज अली पर काफी गहरा असर होता है. वास्तव में अजीज अली अनाथ है और उसे माफिया नेता जफर ने पाला है. अजीज अली, जफर के लिए वसूली करने का काम करता है और जो धन उसे मिलता है, उसे वह एक अनाथालय के बच्चो में खर्च करता रहता है. दूसरी बार वह मशहूर बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू(परेश रावल)  के पास बॉक्सिंग सीखने जाता है, तो अजीज अली के एटीट्यूड के चलते उनके बाक्सर से पिटकर पुनः डॉं. अनन्या के पास पहुॅचता है. इस बार डां.  अनन्या कहती है कि उसे तय करना है कि उसे बॉक्सर बनना है या गैंगस्टर.

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डॉ.  अनन्या के पिता तथा बॉक्सिंग कोच नाना प्रभू बम विस्फोट में अपनी पत्नी सुमिति को खो चुके हैं. इसलिए उनकी नजर में हर मुस्लिम अपराधी है. फिर भी वह अजीज अली में मौजूद ताकत को देखकर उसे एक गैंगस्टर और बाक्सर के अंतर को समझाते हुए उसे बॉक्ंिसग की कोचिंग देते हैं. अजीज अली राज्य स्तर पर बाक्सिंग में विजेता बनता है और नाना प्रभू उसे तूफान नाम देते हैं. इसी बीच नाना प्रभू को पता चलता है कि उनकी बेटी के साथ अजीज अली उर्फ तूफान शादी करने की सोच रहे हैं, यह बात उन्हे पसंद नहीं आती. वह इसे ‘लव जेहाद’ की संज्ञा देते हैं. मगर पिता के खिलाफ जाकर डां. अनन्या, अजीज अली से शादी करने के लिए घर छोड़ देती है. अनन्या हिंदू है और वह धर्म परिवर्तन नही करना चाहती,  इसलिए मुस्लिम बस्ती में भी किराए का मकान नही मिलता. एक किराए के घर के लिए आठ लाख डिपोजिट और अस्सी हजार मासिक किराया देना है. फिलहाल डॉ.  अनन्या औरतों के होस्टल में रहने लगती है. अजीज अली उर्फ तूफान दिल्ली राष्ट्रीय बौक्सिंग चैंपियन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाता है,  जहां बारह लाख की रकम लेकर बॉक्सिंग रिंग में हार जाता है, मगर उस पर मैच फिक्सिंग का आरोप सही साबित होने के चलते पांच वर्ष का बाक्सिंग खेलने पर प्रतिबंध लग जाता है. इस घटनाक्रम से नाना प्रभू की इज्जत पर भी धब्बा लगता है. डॉ.  अनन्या भी नाराज होकर उससे संबंध खत्म करने का निर्णय लेती है, पर अजीज अली का मैनेजर कहता है कि सारी गलती उसकी है. उसके बाद अजीज अली और डॉ.  अनन्या कोर्ट मैरिज कर लेते हैं. नर्स डिसूजा उन्हे अपना मकान किराए पर रहने के लिए देती है. डॉ. अनन्या एक बेटी को जन्म देती है. अब अजीज अली ने ट्यूरिस्ट का व्यापार शुरू कर दिया है. सब कुछ खुश हैं. नाना प्रभू ने जरुर संबंध खत्म कर दिए हैं. पांच वर्ष बाद अजीज अली पर से प्रतिबंध हट जाता हैलेकिन अजीज अली को अब बाक्सिंग में रूचि नही है. उधर डा. अनन्या उसका बौक्सिंग का लायसेंस लेकर आते समय सड़क  पर बम विस्फोट में मारी जाती हैं. अब पत्नी अनन्या के लिए वह पुनः बौक्सिंग में उतरता है. कहानी में कई मोड़ आते हैं.

लेखन व निर्देशनः

कहानी में कुछ भी नयापन नही है. फिल्म में जिस अंदाज में ‘लव जेहाद’और हिंदू मुस्लिम की बात पिरोयी गयी है, वह कम से कम फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा की शैली से मेल नही खाता. मगर राकेश मेहरा की निर्देशन में जबरदस्त वापसी जरुर कही जा सकती है. फिल्म के दृश्यों को जिस तरह से उन्होने गढ़ा है, वह कमाल के हैं. इतना ही नही राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी चिर परिचित शैली के अनुसार खेल संघों में व्याप्त भ्रष् टाचार पर भी कुठाराघात किया है तो वहीं खेल के प्रति युवाओं की बदलती सोच का भी सटीक चित्रण किया है. फिल्म की लंबाई अखरती है. फिल्म का दूसरा हिस्सा शानदार है. पर फिल्म की लंबाई अखरती है.

कहानी में कुछ नयापन नही है. इस तरह की कहानी कई बार बन चुकी हैं. जिन्होने ‘मैरी कॉम’, ‘दंगल’,  सुल्तान’, ‘साला खड़ूस’देखी है, उन्हे बार बार यही अहसास होगा कि वह एक पुरानी कहानी देख रहे हैं. प्रेमिका से प्रेरणा लेकर जिंदगी बदल लेने वाली कहानियां भी कई फिल्मों में दोहरायी जा चुकी हैं.  मगर दूसरी फिल्मो से इतर फिल्म‘‘तूफान’’एक मुक्केबाज की जिंदगी में सब कुछ खो देने के बाद पुनः वापसी की कहानी है. बहरहाल, राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने ‘तूफान’से साबित कर दिखाया कि एक बेहतरीन पटकथा और बेहतरीन निर्देशन से चिरपरिचित सी लगने वाली कहानी पर भी कितनी बेहतरीन फिल्म बन सकती है.

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अभिनयः

अजीज अली के किरदार में फरहान अख्तर ने बेहतरीन अभिनय किया है. उन्होने मुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाले लड़की की बोलचाल की भाषा और बॉडी लैंगवेज को भी सटीक ढंग से पकड़ा है.  वहीं अनन्या के किरदार में मृणाल ठाकुर अपना प्रभाव छोड़ जाती हैं. बाक्सिंग कोच नाना प्रभू के किरदार में परेश रावल ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. अजीज अली के दोस्त के किरदार में हुसेन दलाल भी अपने उत्कृष्ट अभिनय से लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं. सुप्रिया पाठक, विजय राज और दर्शन कुमार की प्रतिभा को जाया किया गया है.

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