समर में स्किन डार्क होने से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

कहते हैं चेहरे पर बाल अगर डार्क हों तो ब्लीच करानी चाहिए. मेरे चेहरे पर बाल बिलकुल नहीं हैं पर मुझे अपनी स्किन थोड़ी डार्क नजर आने लग गई है. तो क्या मैं ब्लीच करा सकती हूं?

जवाब-

डार्क स्किन हो या बाल दोनों को ब्लीच किया जा सकता है और दोनों का रंग हलका किया जा सकता है. अगर चेहरे पर बाल नहीं हैं तो ब्लीच करते वक्त थोड़ा ज्यादा ध्यान ध्यान देने की जरूरत होती है. ब्लीच बहुत सौफ्ट और लाइट होनी चाहिए. जल्द ही रंग में फर्क आ जाता है.

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सवाल-

मैं वर्किंग लेडी हूं और रोज सुबहशाम धूप का सामना करती हूं, जिस से मेरा रंग काफी डार्क होता जा रहा है. कोई घरेलू उपाय बताएं जिस से कि मैं अपना रंग साफ कर सकूं?

जवाब-

सब से पहले मैं सज्जैस्ट करूंगी कि घर से निकलने से पहले हमेशा सनस्क्रीन लगा कर ही निकलें. अगर आप धूप में बहुत ज्यादा देर रहती हैं तो 3 घंटे बाद सनस्क्रीन दोबारा भी लगाएं क्योंकि 30 या 40 एसपीएफ का सनस्क्रीन 3-4 घंटे काम करता है.

अगर आप ज्यादा देर धूप में रहें तो दोबारा सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. हो सके तो अंब्रेला का इस्तेमाल भी करें जो आप की स्किन को तो बचाएगा ही आप के बालों को भी सन के साइड इफैक्ट से बचाएगा. फेस की टैनिंग को खत्म करने के लिए गरमियों में ऐलोवेरा बहुत अच्छा काम करता है.

आप ऐलोवेरा का एक पत्ता ले लें. उस को धो कर नीचे से टेढ़ा काट कर 1/2 घंटे के लिए किसी गिलास में रख दें. उस में से पीले रंग का एक लिक्विड निकल जाएगा. उस के बाद उस को सैंटर से 1/2-1/2 कर के जैल को निकाल लें. इस जैल में कुछ बूंदें नीबू के रस की मिलाएं और कुछ ड्रौप्स शहद की मिला लें.

इस मिक्सर से फेस पर हर रोज रात को 2 मिनट मसाज करें और सुबह धो लें. ऐसा लगातार करने से सन टैनिंग का असर खत्म हो जाएगा और आप का रंग पहले जेसा गोरा हो जाएगा.

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गरमियों में भी एड़ियां फटने से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

ज्यादातर देखा गया है कि सर्दियों में एडि़या फटती हैं, पर मेरी एडि़यां गरमियों में भी फटने लग जाती हैं. क्या करूं?

जवाब-

गरमियों में हम न तो पैरों की मसाज करती हैं न ही उन पर कोई क्रीम लगाती हैं. कुछ महिलाओं की स्किन बहुत ड्राई होने की वजह से गरमियों में क्रीम न लगाने की वजह से उन की एडि़यां फटने लग जाती हैं. गरमियों में पैर जल्दी गंदे भी हो जाते हैं क्योंकि शूज के बदले चप्पलें पहनी जाती हैं. ऐसे में पैरों के फटने के चांसेज और ज्यादा बढ़ जाते हैं.

आप हमेशा रात को पैरों को ठीक से धो कर हलकी सी क्रीम लगा कर थोड़ी सी मसाज कर के सोएं. इस से एडि़या नहीं फटेंगी. यदि फटी हुई हैं तो कुछ दिन लगातार गरम पानी में थोड़ा सा नीबू का रस, थोड़ी सी फिटकरी और शैंपू डाल कर पैरों को भिगोए. कुछ देर बाद निकाल कर स्क्रब कर लें. पैरों को साफ पानी से धो व पोंछ कर कोई क्रीम लगा कर अच्छी तरह मसाज करें. हो सके तो कौटन की सौक्स पहन कर रखें. ऐसा लगातार करने से फटी एडि़यां ठीक हो जाएंगी. अगर बहुत ज्यादा फट गई हैं तो वैसलीन लगा लें.

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बदलते मौसम में हम अपने चेहरे और हाथों की स्किन का तो खूब खयाल रखते हैं, लेकिन अकसर यह भूल जाते हैं कि हमारी पर्सनैलिटी में जितनी इंपौर्टैंस चेहरे और हाथों की खूबसूरती की है उतने ही अहम हमारे पैर भी हैं, जिन पर मौसम की मार सब से पहले पड़ती है, लेकिन हम उन्हीं को अपनी टेक केयर लिस्ट में सब से आखिर में रखते हैं. नतीजा यह होता है कि हमारी एडि़यां फट जाती हैं, पैर बेजान नजर आने लगते हैं.

आप अपने पैरों का खयाल कैसे रख सकती हैं और ऐसी कौन सी चीजें हैं, जो आप के पैरों में फिर से जान डाल देंगी, यही बताने के लिए हम यह लेख आप के लिए ले कर आए हैं.

एडि़या फटने के कारण

एडि़या फटने की सब से आम वजह है मौसम का बदलना, साथ ही मौसम के अनुरूप पैरों को सही तरीके से मौइस्चराइज न करना और जब मौसम शुष्क हो जाता है तो यह परेशानी और बढ़ जाती है.

देखा जाए तो अधिकतर महिलाएं फटी एडि़यों से परेशान होती हैं, क्योंकि काम करते समय अकसर उन के पैर धूलमिट्टी का ज्यादा सामना करते हैं इस के साथ ही इन कारणों की वजह से भी एडि़यां फटती हैं:

– लंबे समय तक खड़े रहना

– नंगे पैर चलना

– खुली एडि़यों वाले सैंडल पहनना

– गरम पानी में देर तक नहाना

– कैमिकल बेस्ड साबुन का  इस्तेमाल करना – सही नाप के जूते न पहनना.

बदलते मौसम के कारण वातावरण में नमी कम होना फटी एडि़यों की आम वजह है. साथ ही बढ़ती उम्र में भी एडि़यों का फटना आम बात है. ऐसे में कई बार एडि़यां दरारों के साथ रूखी हो जाती हैं. कई मामलों में उन दरारों से खून भी रिसना शुरू हो जाता है, जो काफी दर्दनाक होता है.

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समर में ब्लैकहैड्स और पिंपल्स से कैसे बचें?

सवाल-

गरमियां शुरू होते ही मेरे चेहरे पर ब्लैकहैड्स और पिंपल्स निकलने शुरू हो जाते हैं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

गरमियों में स्किन ज्यादा औयल प्रोड्यूस करती है और उस के ऊपर धूलमिट्टी व गंदगी मिल कर ब्लैकहैड बन जाते हैं. अगर इन ब्लैकहैड्स को न निकाला जाए तो इन में इन्फैक्शन हो कर ये एक्ने में तबदील हो जाते हैं. सब से ज्यादा जरूरी है कि चेहरे को साफ रखा जाए. अगर एक्ने नहीं हैं सिर्फ ब्लैकहैड्स हैं तो फेस पर रोज स्क्रब करने से एक्ने होने के चांसेज कम हो जाते हैं और अगर ऐक्टिव एक्ने हो चुके हैं तो स्किन टोनर से फेस को साफ करती रहें.

नीम के पत्ते या पुदीने के पत्ते पीस कर हरे रंग का रस निकाल लें और उसे ऐक्टिव एक्ने पर दिन में

2 या 3 बार लगाएं. इस से एक्ने निकलने भी कम हो जाते हैं. ज्यादा मीठा खाने से बचें. जब भी आप खाएं आम खाएं, उस के साथ ठंडी लस्सी पीएं. गरमियों में आम खाने की वजह से भी एक्ने बढ़ जाते हैं. गरमियों में खूब पानी पीएं. नीबू पानी भी पीती रहें.

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बेदाग स्किन की चाह हर महिला रखती है. मगर यदि चेहरे पर एक भी पिंपल आ जाए तो सुंदरता में कमी आ जाती है. पिंपल्स दूर करने के लिए महिलाएं न जाने कितने प्रयास करती हैं पर रिजल्ट कोई खास नहीं निकलता. मगर अब आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम आप को कुछ ऐसे होममेड फेस पैक की जानकारी दे रहे हैं, जो चेहरे पर दिखाई देने वाले दागों व जिद्दी पिंपल्स को जड़ से खत्म कर आप को देंगे चमकती-दमकती स्किन.

क्यों होते हैं मुंहासे

वैसे तो मुंहासों की समस्या तैलीय त्वचा पर ज्यादा होती है, लेकिन आजकल हरकोई मुंहासों से परेशान रहता है. इस का कारण है खराब लाइफस्टाइल, हारमोनल बदलाव और गलत व जल्दीजल्दी कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स चेंज करना.

मुंहासे तब होते हैं जब स्किन के रोमछिद्रों में तेल व डैड स्किन इकट्ठी हो जाती है. यह मुंहासों का कारण बनती है. असल में सीबम औयल स्किन के रोमछिद्र में उत्पन्न होता है. सीबम खराब सैल्स को रोमछिद्र से बाहर लाने में मदद करता है, जिस से नए सैल्स बनते हैं. मगर कई बार हारमोंस की गड़बड़ी के कारण सीबम औयल ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, जिस से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और मुंहासे हो जाते हैं.

ऐक्नों से छुटकारा पाने वाले फेस पैक

1. ऐलोवेरा व नीबू का कौंबिनेशन

ऐलोवेरा में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण यह डैमेज स्किन की रिपेयर करता है. विटामिन सी, ई और जिंक की मौजूदगी मुंहासों को खत्म करने के साथसाथ दागधब्बों को हटाने का भी काम करती है, जिस से स्किन क्लीयर व स्मूद नजर आती है.

ड्राय स्किन और स्किन प्रौब्लम से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी त्वचा वैसे तो रूखी है पर जब भी मैं क्रीम लगाती हूं तो कुछ देर में रंग काला लगने लग जाता है. कालापन हटाने के लिए साबुन से धोती हूं तो रूखापन नजर आने लगता है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की त्वचा को नमी की आवश्यकता है तेल की नहीं. ऐसी त्वचा को डिहाइड्रेटेड स्किन कहते हैं जिस का सर्वोत्तम उपाय है आइओनिजेशन. इस ट्रीटमैंट में आप की त्वचा के भीतर गैलवेनिक मशीन के जरीए कुछ ऐसे मिनरल डाले जाते हैं जो त्वचा के अंदर पानी ठहराने में मदद करते हैं. यह ट्रीटमैंट आप किसी अच्छे कौस्मैटिक कौस्मैटिक क्लीनिक से करवा सकती हैं. ऐलोवेरा फेशियल भी करवा सकती हैं. दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं और हमेशा क्रीम के बजाय किसी मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.

सवाल-

ज्यादा धूप में जाने के कारण मेरी गरदन का रंग गहरा हो गया है. इसे कैसे ठीक करूं?

जवाब-

यदि गरदन का रंग गहरा हो गया है तो सब से पहले आप ब्लीच कर सकती हैं. पपीते की फांक से उस स्थान पर धीरेधीरे मसाज करें. इस से कालापन काफी हद तक दूर हो जाता है. नीबू को आधा काट लें. उस के अंदर चीनी के कुछ दाने डाल दें और गरदन पर हलके हाथों से रगड़ें. दें इस से स्किन गोरी भी होगी और मौइस्चराइज भी रहेगी. धूप में निकलने से पहले चेहरे व गर्दन पर सनस्क्रीन जरूर लगाएं. ऐसा करने से आप की गरदन फिर चमक उठेगी.

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कई बार रूखी त्वचा की वजह से चेहरे पर ड्राई पैचेस होने लगते हैं जो अलग से ही चेहरे पर दिखने लगते हैं. ड्राई स्किन की वजह से मेकअप भी जल्दी सैट नहीं होता और चेहरे की खूबसूरती ढल जाती है.

रूखी त्वचा को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेसमास्क का इस्तेमाल करती हैं, जिन का असर कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेसमास्क हैं जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन फेसमास्क की मदद से त्वचा में लंबे समय तक नमी बनी रहती है.

एलोवेरा फेसमास्क

एलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने  वाले एंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. एलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी आती है और जरूरी पोषण भी मिलता है.

एलोवेरा का फेसमास्क बनाने के लिए एलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को आप फेस वाश करने के बाद चेहरे पर लगाएं और कुछ देर के लिए छोड़ दें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

 एवोकाडो फेसमास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. फलों से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर चमक भी बनी रहती है. एवोकाडो पोषक तत्त्वों से युक्त होता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाने में फायदेमंद होता है.

Summer Special: पसीने की बदबू को कहें बायबाय

झुलसाती गरमी में स्किन और स्वास्थ्य संबंधी नईनई समस्याएं सिर उठाने लगती हैं. इन में बड़ी समस्या पसीना आने की होती है. सब से ज्यादा पसीना बांहों के नीचे यानी कांखों, तलवों और हथेलियों में आता है. हालांकि ज्यादातर लोगों को थोड़ा ही पसीना आता है, लेकिन कुछ को बहुत ज्यादा पसीना आता है. कुछ लोगों को गरमी के साथसाथ पसीने की ग्रंथियों के ओवर ऐक्टिव होने के चलते भी अधिक पसीना आता है जिसे हम हाइपरहाइड्रोसिस सिंड्रोम कहते हैं. बहुत ज्यादा पसीना आने की वजह से न सिर्फ शरीर में असहजता महसूस होती है, बल्कि पसीने की दुर्गंध भी बढ़ जाती है. इस से व्यक्ति का आत्मविश्वास डगमगा जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय हाइपरहाइड्रोसिस सोसाइटी के मुताबिक हमारे पूरे शरीर में 3 से 4 मिलियिन पसीने की ग्रंथियां होती हैं. इन में से अधिकतर एन्काइन ग्रंथियां होती हैं, जो सब से ज्यादा तलवों, हथेलियों, माथे, गालों और बांहों के निचले हिस्सों यानी कांखों में होती हैं. एन्काइन ग्रंथियां साफ और दुर्गंधरहित तरल छोड़ती हैं जिस से शरीर को वाष्पीकरण प्रक्रिया से ठंडक प्रदान करने में मदद मिलती है. अन्य प्रकार की पसीने की ग्रंथियों को ऐपोन्काइन कहते हैं. ये ग्रंथियां कांखों और जननांगों के आसपास होती हैं. ये गं्रथियां गाढ़ा तरल बनाती हैं. जब यह तरल स्किन की सतह पर जमे बैक्टीरिया के साथ मिलता है तब दुर्गंध उत्पन्न होती है.

पसीने और उस की दुर्गंध पर ऐसे पाएं काबू

साफसफाई का विशेष ध्यान रखें: पसीना अपनेआप में दुर्गंध की वजह नहीं है. शरीर से दुर्गंध आने की समस्या तब होती है जब यह पसीना बैक्टीरिया के साथ मिलता है. यही वजह है कि नहाने के तुरंत बाद पसीना आने से हमारे शरीर में कभी दुर्गंध नहीं आती. दुर्गंध आनी तब शुरू होती है जब बारबार पसीना आता है और सूखता रहता है. पसीने की वजह से स्किन गीली रहती है और ऐसे में उस पर बैक्टीरिया को पनपने का अनुकूल माहौल मिलता है. अगर आप स्किन को सूखा और साफ रखें तो पसीने के दुर्गंध की समस्या से काफी हद तक बच सकती हैं.

स्ट्रौंग डियोड्रैंट और ऐंटीपर्सपिरैंट का इस्तेमाल करें: हालांकि डियोड्रैंट पसीना आने से नहीं रोक सकता है, लेकिन यह शरीर से आने वाली दुर्गंध को रोकने में मददगार हो सकता है. स्ट्रौंग पर्सपिरैंट पसीने के छिद्रों को बंद कर सकते हैं, जिस से पसीनाकम आता है. जब आप के शरीर की इंद्रियों को यह महसूस हो जाता है कि पसीने के छिद्र बंद हैं तो वे अंदर से पसीना छोड़ना बंद कर देती हैं. ये ऐंटीपर्सपिरैंट अधिकतम 24 घंटे तक कारगर रहते हैं. अगर इन का इस्तेमाल करते समय इन पर लिखे निर्देशों का पालन न किया जाए तो ये स्किन के इरिटेशन की वजह भी बन सकते हैं. ऐसे में कोई भी ऐंटीपर्सपिरैंट इस्तेमाल करने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर लें.

लोंटोफोरेसिस: यह तकनीक आमतौर पर उन लोगों पर इस्तेमाल की जाती है, जो हलके ऐंटीपर्सपिरैंट इस्तेमाल कर चुके होते हैं, लेकिन उन्हें इस से कोई फायदा नहीं होता है. इस तकनीक से आयनोटोफोरेसिस नामक मैडिकल डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जिस के माध्यम से पानी वाले किसी बरतन या ट्यूब में हलके इलैक्ट्रिक करंट डाले जाते हैं और फिर प्रभावित व्यक्ति को इस में हाथ डालने के लिए कहा जाता है. यह करंट स्किन की सतह के माध्यम से भी प्रवेश करता है. इस से पैरों और हाथों में पसीना आने की समस्या बेहद कम हो जाती है. लेकिन कांखों के नीचे अधिक पसीना आने की समस्या को ठीक करने के लिए यह तरीका उपयुक्त नहीं होता है.

मैसोबोटोक्स: बांहों के नीचे बेहद ज्यादा पसीना आना न सिर्फ दुर्गंध की वजह बनता है, बल्कि आप की ड्रैस भी खराब कर सकता है. इस के इलाज हेतु कांखों में प्यूरिफाइड बोटुलिनम टौक्सिन की मामूली डोज इंजैक्शन के माध्यम से दी जाती है, जिस से पसीने की नर्व्ज अस्थायी रूप से बंद हो जाती हैं. इस का असर 4 से 6 महीने तक रहता है. माथे और चेहरे पर जरूरत से ज्यादा पसीना आने की समस्या के उपचार हेतु मैसोबोटोक्स एक बेहतरीन समाधान साबित होता है, इस में पसीना आना कम करने के लिए डाइल्युटेड बोटोक्स को इंजेक्शन के जरीए स्किन  में लगाया जाता है. खानपान पर भी रखें ध्यान: खानपान की कुछ चीजों से भी पसीना अधिक आ सकता है. उदाहरण के तौर पर गरममसाले जैसेकि कालीमिर्च ज्यादा पसीना ला सकती है. इसी तरह से अलकोहल और कैफीन का अधिक इस्तेमाल पसीने के छिद्रों को ज्यादा खोल सकता हैं. इस के साथ ही प्याज के अधिक इस्तेमाल से पसीने की दुर्गंध बढ़ सकती है. गरमी के दिनों में इन चीजों के अधिक इस्तेमाल से बचें.

 –डा. इंदू बालानी डर्मैटोलौजिस्ट, दिल्ली

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ब्यूटी ट्रैंड में आए वाटर टिंट फाउंडेशन लुक के बारे में जानना चाहती हूं?

सवाल-

मैं आप के कौलम में पढ़ती आई हूं कि फाउंडेशन मेकअप का बेस बनता है. इसलिए हाल ही में ब्यूटी ट्रैंड में आए वाटर टिंट फाउंडेशन लुक के बारे में जानना चाहती हूं?

जवाब-

वाटर टिंट फाउंडेशन मेकअप में अभी लेटैस्ट ट्रैंड है जिस में फाउंडेशन की पतली सी लेयर आप की स्किन को हैल्दी व हाइड्रेटेड लुक देती है. इस तरह का लुक पाने के लिए आप को टिंटेड मौइस्चराइजर या लाइटवेट फाउंडेशन अप्लाई करना होगा, जो आप की स्किन को दे ईवन टोन, लाइट और वाटरी लुक.

वाटर टिंट फाउंडेशन लुक पाने के लिए आप स्किन की क्लींजिंग और टोनिंग के बाद टिंटेड मौइस्चराइजर लगाएं. यह एक तरह का डबल कोट वर्क वाला मौइस्चराइजर होता है. अगर आप इस का इस्तेमाल करती हैं तो यह आप की स्किन को हाइड्रेट रखने का भी काम करेगा. आप इस गरमी वाले मौसम में अपनी स्किन को प्रोटैक्ट करने के लिए यह मौइस्चराइजर इस्तेमाल कर सकती हैं.

यह हर तरह की स्किन को सूट करता है और साथ ही सैंसिटिव स्किन के लिए भी उपयुक्त है. अब वाटर टिंट फाउंडेशन चुनें, जोकि स्किन पर आसानी से लगता है और ब्लैंड हो जाता है. यदि आप की स्किन ड्राई है तो फैशियल मिस्ट लगाएं ताकि आप का वाटरी लुक मैंटेन रह सके.

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अगर आप को अपनी फ्रैंड की पार्टी में जाना हो और आप की स्किन डल, चेहरे पर दागधब्बे नजर आ रहे हों, जिन के कारण आप पार्टी में नहीं जाना चाहती हैं. लेकिन आप की फ्रैंड ने झट  से आप को एक समाधान बता दिया, जिस से मिनटों में आप की स्किन चमकदमक उठेगी और कोई यकीन भी नहीं कर पाएगा कि आप ने पार्लर से नहीं, बल्कि खुद से अपना रूप निखारा है.

अगर आप ने उस प्रोडक्ट को अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर नहीं खरीदा तो आप का चेहरा इतना बेढंगा लगेगा कि आप खुद उसे देख कर हैरान रह जाएंगी.

जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं फाउंडेशन की, जो स्किन को खूबसूरत बनाने का काम करता है. इसलिए इस के चयन में अपनी स्किन टाइप को ध्यान में जरूर रखें.

कैसेकैसे फाउंडेशन

लिक्विड फाउंडेशन: अगर बिगनर्स और ड्राई स्किन वालों की बात करें तो लिक्विड फाउंडेशन उन के लिए बैस्ट है क्योंकि यह एक तो इजी टु अप्लाई है और दूसरा यह आसानी से स्किन में ब्लैंड हो जाता है. लिक्विड फाउंडेशन औयल और वाटर बेस फौर्मूले से मिल कर बनाया जाता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- कैसे चुनें परफैक्ट फाउंडेशन

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सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Summer Tips: जानें क्या है डार्क सर्कल्स हटाने के आसान तरीके

कहते हैं आंखें दिल का हाल बयां करती हैं, मगर आप शायद यह नहीं जानते कि आंखें सेहत का हाल भी सुनाती हैं. स्वस्थ चमकदार आंखों की तुलना में थकीथकी, डार्क सर्कल्स से घिरी आंखें आप की गलत जीवनशैली और खराब सेहत का संकेत देती हैं. साथ ही आप को उम्रदराज भी दिखाती हैं. मेकअप से डार्क सर्कल्स छिपाने की कितनी भी कोशिश की जाए ये छिपते नहीं हैं.

क्यों होते हैं डार्क सर्कल्स

डार्क सर्कल्स अस्तव्यस्त जीवनशैली, हारमोंस में परिवर्तन, आनुवंशिकता, तनाव आदि कई कारणों से हो सकते हैं.

थकान और तनाव: महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं. पूरा दिन घर वालों की फरमाइशें पूरी करने में लगी रहती हैं. उन्हें अपने खानेपीने या आराम करने का होश नहीं रहता. औफिस जाने वाली महिलाओं पर काम का दोहरा बोझ होता है. इस तरह तनाव, शारीरिक थकावट और नींद की कमी उन की आंखों के नीचे काले घेरों के रूप में उभरने लगती है.

बीमारी: ऐनीमिया, किडनी रोग, टीबी, टाइफाइड जैसी कई बीमारियों में कमजोरी से आंखों के नीचे काले घेरे बन सकते हैं.

पानी की कमी: डिहाईड्रेशन की वजह से अकसर इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है. कम पानी पीने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही ढंग से नहीं हो पाता, जिस से आंखों के नीचे की नसों को पूरा खून नहीं मिल पाता. नतीजतन डार्क सर्कल्स हो जाते हैं.

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नशा: धूम्रपान, शराब, कैफीन या और किसी तरह का नशा करने की आदत भी डार्क सर्कल्स की वजह बन सकती है.

पिगमैंटेशन: तेज धूप में ज्यादा रहने से भी डार्क सर्कल्स पड़ जाते है.

मेकअप: आंखों के नीचे की त्वचा काफी पतली और सैंसिटिव होती है. गलत मेकअप प्रोडक्ट्स का प्रयोग डार्क सर्कल्स की वजह बन सकता है.

सोडियम और पोटैशियम की अधिकता: भोजन में इन की ज्यादा मात्रा से डार्क सर्कल्स हो सकते हैं. बींस, पीनट बटर, योगर्ट, दूध, टमाटर, संतरे, आलू वगैरह में पोटैशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है. अधिक नमक की वजह से भी शरीर में सोडियम अधिक मात्रा में पहुंच जाता है.

ऐलर्जी पैदा करने वाले खाद्यपदार्थ: डार्क सर्कल्स किसी खास खाद्यपदार्थ के प्रति ऐलर्जिक रिएक्शंस या सैंसिटिविटी का नतीजा भी हो सकते हैं. चौकलेट, मटर, यीस्ट, खट्टे फल, चीनी आदि सामान्य ऐलर्जिक फूड्स हैं.

क्या है उपाय

संतुलित और पौष्टिक भोजन: कोशिश करें कि आप के भोजन में विटामिन और आयरनयुक्त खाद्यपदार्थ पर्याप्त मात्रा में हों जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, मौसमी फल, मछली, अंडे आदि.

नींद: वैसे तो हर व्यक्ति के लिए नींद की जरूरत अलगअलग होती है, फिर भी औसतन एक युवा महिला को 6-7 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए. कोशिश करें कि रोज रात में जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें.

आंखों को तेज धूप से बचाएं: अपनी आंखों को अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में न आने दें. जब भी तेज धूप में निकलना हो काला चश्मा जरूर पहनें.

विटामिन सप्लिमैंट्स: विटामिन बी 12, बिटामिन ए, के, ई या डी, फौलिक एसिड आदि की कमी से भी डार्क सर्कल्स हो सकते हैं. इस के लिए डाक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन और दूसरे सप्लिमैंट्स ले सकती हैं.

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खूब पानी पीएं: दिनभर में 7-8 गिलास पानी जरूर पीएं. डिहाइड्रेशन से बचने के लिए जूस, सूप और दूसरे पौष्टिक पेयपदार्थ भी बीचबीच में लेती रहें.

दूध: दूध लैक्टिक एसिड, अमीनो एसिड, ऐंजाइम्स, प्रोटीन और दूसरे कई ऐंटीऔक्सीडैंट्स के गुणों से भरपूर होता है. अत: दिन में 2 बार दूध पीने की आदत डालें.

कंसीलर: एक अच्छी क्वालिटी का कंसीलर उपयोग में लाएं, जो त्वचा की टोन से मिलता हो. इस की सहायता से डार्क सर्कल्स कवर करें. फिर पाउडर बुरक कर इसे सैट कर लें.

स्किन पैच टैस्ट करें: जो उत्पाद त्वचा पर जलन पैदा करे या रैशज लाए, आंखों में दर्द या पानी आने की वजह बने उस का उपयोग तुरंत बंद कर दें.

भीनी-भीनी खुशबू से महके आशियाना

अगर आप का घर साफ नहीं, तो दुर्गंध आना स्वाभाविक है. इस की वजहें पुराने कारपेट, फफूंद लगी दीवारें, पालतू जानवर, डस्टबिन का अच्छी तरह साफ न होना, कपड़ों का धूप में सही तरह न सूखना आदि हैं. नमी वाले मौसम में तो दुर्गंध दोगुनी हो जाती है. ऐसे में घर की सफाई के साथसाथ उस की दुर्गंध निकालने के बारे में भी सोचना आवश्यक है.

कई बार ऐसा होता है कि घर तो साफ है, लेकिन दुर्गंध आप को परेशान करती है. ऐसे में अरोमायुक्त कैंडल, धूप और अगरबत्तियां आप को दुर्गंध से बचा सकती हैं. आजकल बाजार में तरहतरह के स्प्रे भी मिलते हैं, जो दुर्गंध को आसानी से हटा देते हैं, लेकिन इन का नियमित उपयोग सही नहीं होता. ऐसे में प्राकृतिक अरोमा युक्त कैंडल या धूप दुर्गंध दूर करने का अच्छा विकल्प होती हैं. इस बारे में मुंबई के डिजाइन एमएफ के इंटीरियर डिजाइनर स्वप्निल मोरे बताते हैं कि पहले इंटीरियर के लिए लकड़ी का फर्नीचर ट्रैंड में था, जिसे बीचबीच में पौलिश करवाना पड़ता था, लेकिन आजकल लैमिनेट फर्नीचर अधिक चलता है, जिसे साफ करना आसान होता है और उस में नमी भी अधिक जमा नहीं होती, जिस से किसी प्रकार की स्मैल नहीं आती.

दुर्गंध दूर करने के टिप्स-

पेश हैं  घर की दुर्गंध दूर करने के कुछ टिप्स:

– सब से जरूरी है घर में वैंटिलेशन का सही होना ताकि गंध बाहर निकल सके. घर के खिड़कीदरवाजों को ऐसे खोलें ताकि क्रौस वैंटिलेशन हो और स्मैल घर से निकल जाए.

– सुगंधयुक्त अगरबत्तियां, पौटपूरी, स्प्रे आदि का प्रयोग कमरों में ही करें. इन का   किचन में प्रयोग न करें.

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– कारपेट को फ्रैश बनाने के लिए उस पर रोजाना प्रयोग में लाने वाले पाउडर का छिड़काव कर वैक्यूम क्लीनर से साफ करें. इस से कारपेट साफ होने के साथसाथ महकेगा भी.

– कपड़ों की दुर्गंध को हटाने के लिए उन्हें धोने के बाद फैब्रिक रिफ्रैशर का प्रयोग  करें. ऐसा करने से कपड़े मुलायम होने के साथसाथ सुगंध भी बिखेरेंगे.

– दुर्गंध को दूर करने के लिए फर्नीचर को समयसमय पर पौलिश करवाती रहें.

– बिस्तर, कपड़ों, बाथरूम आदि जगहों पर फिनाइल की गोलियों का प्रयोग करने से दुर्गंध कम हो जाती है.

– घर के लिए फ्रैगरैंस लैवेंडर, लैमन, क्लोव आदि लेनी सही होती है. इस से दुर्गंध आसानी से चली जाती है.

घरेलू उपाय-

-घर की दुर्गंध को भगाने के लिए कुछ घरेलू नुसखे भी अपनाए जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं.

– अलमारी में नीम की पत्तियां रखें. ऐसा करने से कपड़ों से फफूंद की दुर्गंध दूर हो जाएगी.

– नीबू को 2 टुकड़ों में काट कर एक कटोरी में रख कर घर के किसी कोने में रखें.

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– थोड़ी मात्रा में कपूर को प्लेट में रख कर जला लें और घर के खिड़कीदरवाजे बंद रखें. कपूर के पूरी तरह जल जाने के बाद खिड़कीदरवाजे खोल दें.

.- घर पर खुद पौटपूरी बनाने के लिए किसी भी मनपसंद फूल की पंखुडि़यों को  थोड़े पानी में उबाल लें. ऐसा करने पर उन की महक पूरे घर में फैल जाएगी. फूलों के अलावा संतरे के छिलके, दालचीनी के टुकड़ों, लौंग आदि का भी  प्रयोग किया जा सकता है.

मौनसून में आंखों का संक्रमण ज्यादा हो रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा 24 साल की कामकाजी महिला हूं. मौनसून का मौसम जल्द ही शुरू होने वाला है. मैं ने सुना है कि इस मौसम में आंखों के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. क्या यह सच है? यदि यह सच है तो कृपया इस से बचाव का उपाय बताएं?

 जवाब-

आप ने बिलकुल सही सुना है. दरअसल, बारिश के पानी में कई प्रकार के बैक्टीरिया जन्म लेते हैं और साथ ही इस मौसम में कीड़ेमकोड़ों की भरमार हो जाती है.

वातावरण में नमी और बैक्टीरिया के कारण आंखों के संक्रमण का खतरा बढ़ता है. इस से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वछता जरूरी है. आंखों को छुएं नहीं, रगड़ें नहीं और दिन में कम से कम 2-3 बार आंखों पर साफ और ठंडे पानी के छींटे मारें. इस से संक्रमण का खतरा कम होता है.

जिस जगह पानी भरा हो उस से दूर रहें, क्योंकि वहां पर बैक्टिरिया सब से ज्यादा पनपते हैं. आंखों में बारिश का पानी बिलकुल न जानें दें.

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कई बीमारियों के भी चपेट में आ जाते है. ऐसे में शरीर के सबसे नाजुक अंगों में से एक आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है क्योंकि आंखों में होने वाली जरा सी दिक्कत चिंता का सबब बन सकती है. अक्सर लोग आंख में धूल या मिट्टी चले जाने पर उसे तेजी से रगड़ने लगते हैं जिसके कारण आंखे लाल हो जाती है और उन्हें परेशानियां होने लगती है. गर्मी के मौसम में सबसे आम दिक्कत है एलर्जिक रिएक्शन. आंखों में एलर्जी होने से आंखों में पानी, चुभन होना और लालपन आने लगता है. एलर्जिक कांजेक्टिवआइटिस इस मौसम में सबसे आम है जो कि एलर्जिक रिएक्शन के कारण होता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- आंखों को ऐसे बचाएं एलर्जी से…

मेरे पैरों के नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन हो गया है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 28 वर्ष की महिला हूं. मेरे पैरों के नाखूनों में फंगस इन्फैक्शन हो गया है. इसे ठीक करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब-

नाखूनों में फंगस की समस्या तब होती है, जब आप के पैर बहत देर तक जूते में बंद रहते हैं, उन की सही ढंग से साफसफाई नहीं होती.

फंगस से छुटकारा पाने के लिए लहसुन और लौंग के तेल को सरसों के तेल में मिला कर अच्छे से गरम कर लें. अब इसे रात को सोने से पहले पैरों और नाखूनों में लगाएं.

तेल लगाने के बाद जुराब पहन कर सोएं. ऐसा करने से फंगल इन्फैक्शन में सुधार देखने को मिलेगा.

छुटकारा पाने के लिए आप ऐंटीस्पिरैंट पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यदि फिर भी परेशानी बनी रहती हैं तो संबंधित डाक्टर से जरूर सलाह लें.

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पैरों को साफ और स्वस्थ रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के किसी दूसरे अंग को. पैरों की साफसफाई एक निश्चित अंतराल पर होती रहनी चाहिए. इस के लिए आप नियमित साफसफाई के अलावा पैडिक्योर का सहारा भी ले सकती हैं.

ऐसे करें पैडिक्योर

पैडिक्योर करने से पहले नाखूनों पर लगी नेल पौलिश को हटा दें. फिर टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपना पसंदीदा साल्ट या क्रीम सोप डालें. अगर आप के पैरों की त्वचा ज्यादा रूखी है, तो उस में औलिव आयल भी डाल लें. साल्ट आप के पैरों की त्वचा को नरम बनाएगा, तो औलिव आयल उस के लिए माश्चराइजर का काम करेगा. पैरों का कम से कम 15 मिनट तक इस पानी में रखने के बाद बाहर निकाल कर बौडी स्क्रबर से स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से पैरों को अच्छी तरह साफ कर लें. ध्यान रहे कि पैरों की उंगलियों के बीच में  कहीं सोप बचा न रहे. अब पैरों पर कोल्ड क्रीम से हलकी मालिश करें. रूई की सहायता से उंगलियों के बीच फंसी क्रीम को साफ करें. अब पैरों के नाखूनों पर नेल पौलिश का सिंगल कोट लगाएं और इसे सूखने दें. जब यह सूख जाए तो नेल पौलिश से फाइनल टच दें.

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