कितना जरूरी है किसी का साथ

वह जमाना गया जब प्रेम को वासना कहा जाता था और किसी का मधुर स्पर्श कोई वर्जित अपराध जैसा हुआ करता था. आज तो मनोवैज्ञानिक सलाहकार अपने हर सुझाव में यही बात कहते हैं कि कोई साथी होना चाहिए जो आप को प्रेम करे.

तकनीक, वैज्ञानिक सोच, पूंजीवाद आदि ने मानव को ऐसा व्याकुल किया है कि समाज किसी सुकून देते हुए स्पर्श की तरफ झुका चला जाता है.

भागदौड़ करती और आत्मनिर्भर बनती नई पीढ़ी को अब यह बिलकुल डरावना नहीं लगता कि किसी की मधुर संगति में रहने से कुछ गलत हो जाएगा. अकेलेपन से जूझतेजूझते जब मन किसी की जरूरत महसूस करता है तो इस में कौन सी बुराई है कि वह कोई अपना बिलकुल नजदीक ही बैठा हो. महानगरीय जीवन में रोज 15 घंटे तक खपने वाली युवा पीढ़ी अब ऐसा दर्शन बिलकुल नहीं समझना चाहती कि तनहाई में जिस की आस लगाए बैठे हैं वह न मिले तो ऐसी दशा में हम क्या करें? निराश हो जाएं? यह तक तय नहीं है कि जीवन कल या परसों कौन सा मोड़ लेने वाला है. प्रकृति का मिजाज भी ठीकठाक मालूम नहीं.

क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इस जीवन का मूल उद्देश्य आनंद की खोज ही है और यह आनंद प्रयोजनातीत है. किसी के पास बैठ कर मनचाही सुंदर बातें करनेसुनने से हमें आनंद प्राप्त होता है और उस से हमारा मन संतोष ही नहीं पाता बल्कि दिल को गहराई तक एक अपूर्व शांति भी प्राप्त होती है.

तो हमें यह जरूरी क्यों लगता है? इस का कोई कारण नहीं बताया जा सकता. वह केवल अनुभव ही किया जा सकता है. ‘ज्यों गूंगे मीठे फल को रस अंतर्गत ही भावै,’ आनंद का भाव वाणी और मन की पहुंच के बिलकुल अतीत है. ‘यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह पर प्रेम, स्नेह, मधुर छुअन इन सब का संबंध मन के साथ है. मन बिना साथी के, आनंद के सहज भाव को ग्रहण नहीं करना चाहता.

उस को एक साक्षात प्रेमी चाहिए जिस के साथ वह कुछ देर मौन भी रह सकता है पर उस का आनंद बना रहता है. बावरा मन अपना बैंक बैलेंस देख कर भी कुछ अतृप्त ही रहता है. मन ही मन वह खोज में लग जाता है कि कहीं कोई ऐसा हो जिस के पास जा कर स्वर्ग सा सुख मिले. वह यह नहीं समझना चाहता कि इस में आनंद का जो अमिश्रित रस है वह समय मांग रहा है या कोई मूल्य. पर जो लोग इस बेचैन मन को समझ लेने में समर्थ होते हैं, वे एक प्रिय के पास जा कर आनंद के ‘आनंदरूपमृतम’ का अनुभव कर लेते हैं.

अब यह तो एक अकाट्य सत्य है ही कि प्यार इस जीवन की प्राण वायु है. किसी प्रिय संग बैठना, बतियाना यह सब तो मानव सभ्यता के आरंभ में भी रहा है. हमारे समाज में वही कथा बारबार कहीसुनी जाती है जिस में प्यार का  किस्सा हो, ऐसा कोई जिक्र हो. मनुष्य कहीं भी हो, कैसा भी हो वह हर हाल में सहज हो कर ही जीना चाहता है. अगर उसे बहुत दिनों तक प्रेम न मिले तो उस की मानसिक दशा पर कुप्रभाव पड़ता ही है.

दूसरों को अपना बनाएं

दो मीठे बोल और किसी के आसपास रहने  की जो खूबसूरती है वह सौ फीसदी एक टौनिक का काम करती है. इसीलिए प्रेम सामान्य रूप से हर किसी को आकर्षित करता है. यही कारण है कि देशविदेश में ऐसे लोगों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है जो कुछ देर प्रीत से लबालब गपशप करना चाहते हैं या किसी से मिल कर उसे देख कर अपना दैहिक, मानसिक दुख भूल ही जाते हैं.

मनोविज्ञान के अनुसार किसी विपरीतलिंगी के पास होना शरीर में सकारात्मक परिवर्तन शुरू कर देता है यह एक प्राकृतिक मांग है जो जीवन की निशानी और सेहत का प्रतीक भी है. किसी की मनभावन या मनपसंद संगति को औषधि का प्रतीक मान कर उस पर कायम रहना चाहिए. इस से न केवल पागलपन तथा अवसाद कम होता है बल्कि आत्महत्या जैसे मामले भी रुकने लगते हैं. समाज में लोग जब किसी के साथ मनपसंद वार्त्तालाप का सुख पा लेते हैं तो समाज में जातिधर्मों के बीच भी प्रेम बढ़ता है, नफरत कम होती है और सहानुभूति का खयाल ही बारबार आता है.

बहुत से लोग अपनी इच्छा को दबाने लगते हैं या अपनेआप को घर में कैद कर के फिल्म या धारावाहिक में मन लगाते हैं या फिर घर की दीवार पर कुछ तसवीरें लगाते हैं ताकि जो बेचैनी है वह कम होने लगे. मगर मनोविज्ञान कहता है कि इस तरह की तसवीरें और घर पर अकेले कैद हो जाना पागलपन को बढ़ाता है.

यह समझदारी नहीं

इस का कारण यह है कि समाज इस तरह की चीजों, ऐसे साथियों पर प्रश्न उठाता है और यह एक धारणा बन गई है कि किसी मनचाहे की  संगति चरित्रहीनता है. यह समाज की दृष्टि में पतन  को दर्शाता है. समाज के मामले में आदमी जितना विनम्र, सौम्य होगा वह चरित्रवान होगा भले ही  यह उस इंसान की मानसिक खुशहाली के लिए कभी बेहतर नहीं होता.

बस एक अच्छी छवि बनी रहे और सब परिचय देते हुए अच्छा ही कहें यह तो मूर्खता है. सामाजिक तालमेल के लिए खुद को तकलीफ में रखना, दुख पहुंचाना यह सम?ादारी नहीं है.

उथलपुथल से उबर कर संपूर्ण शांति, शांत मन, भावनाओं में तरंग और हलकापन, स्वस्थ शरीर, सदा सहयोग के लिए तैयार हृदय और हमारे व्यवहार में संतुष्टि को इंगित करता है. यह संतुष्टि तभी आती है जब प्रेम भरपूर मिल रहा हो. आज समय का पहिया कुछ इस तरह चल रहा है कि आजीविका के लिए अपनों से, अपने गांव, शहर, कसबे से दूर रहना ही पड़ता है.

ऐसे में हरकोई अपने परिवार, समूह या संबंधियों के साथ नहीं रह पाता. अब समय ऐसा है कि अपने मन की दुनिया को एक सुंदर आकार देने के लिए जीवन ऊर्जा की ओर बढ़ने का समय है जो किसी भी मानसिक सेहत का आधार है.

आंतरिक संतोष से ही बाहरी शांति संभव है. यही आंतरिक चैन और सुकून लंबी आयु की कुंजी भी है. यह जागरूकता कि जीवन का सब सुख  एक साथी के पास जा कर पल दो पल बतिया कर सौगुना होने जा रहा है, तो यह काम मन की चिंतात्मक प्रवृत्ति को मिटा सकता है. अकेलेपन से दिल में बहुत सी दुखदाई चीजें हो जाती हैं.

क्या है सही तरीका

मन को मन की विविधता पसंद है. एक अकेले और संतोषी आदमी का मन भी हमेशा गतिशील और चंचल रहता है. अत: मन को किसी घबराहट में ही सीमित नहीं करना चाहिए. स्नेह और प्रेम कर के सृजन की विविधता का आनंद लेना एक ईमानदार लेनदेन है.

हम अकसर मन का आराम शब्द का उपयोग करते रहे हैं. यही है उस का सही तरीका. यही आज स्वस्थ समाज की निशानी और जरूरत दोनों है.

मेरी मां का अफेयर चल रहा है, क्या इस बारे में मुझे सवाल करना चाहिए?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 15 वर्षीय छात्र हूं. आजकल बहुत तनाव में जी रहा हूं. दरअसल, मुझे अपनी मां की उच्छृंखलता देख कर उन से नफरत होने लगी है. हमारे एक अंकल जो मेरे पापा के अच्छे दोस्त हैं, उन से मेरी मां की नजदीकियां दिनोंदिन बढ़ रही हैं. वे अंकल अकसर मेरे पापा की गैरमौजूदगी में घर आते हैं और घंटों मां के साथ गप्पबाजी करते हैं. भद्देभद्दे मजाक सुन कर मेरा खून खौलने लगता है, जबकि मां खूब मजा लेती हैं. कई बार दोनों ऐसे चिपक कर बैठे होते हैं जैसे पति पत्नी हों. उन्हें लगता है कि मैं उन की हरकतों से अनजान हूं. बताएं, क्या करूं?

जवाब

आप अच्छे बुरे की समझ रखने वाले विवेकशील युवक हैं. आप को लगता है कि आप की मां और आप के तथाकथित अंकल का व्यवहार अमर्यादित है, तो आप अपनी मां से एतराज जता सकते हैं.

आप उन से साफ शब्दों में कहें कि आप को पिता की गैरमौजूदगी में उस तथाकथित अंकल का रोज आना और घंटों गप्पें लगाना नागवार गुजरता है. इतने से ही वे दोनों सतर्क हो जाएंगे. अगर न हों तो आप कह सकते हैं कि आप पिता से उन की शिकायत करेंगे. इस के बाद आप की समस्या स्वत: हल हो जाएगी.

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‘‘अब आ भी जाओ सुनी, इतनी देर से कंप्यूटर पर क्या कर रही है?’’

सुनील अधीर हो रहा था सुनयना को अपनी बांहों में लेने के लिए, पर सुनयना को उसे तड़पाने में मजा आ रहा था. उस ने एक नजर सुनील को देखा, फिर शरारत से मुसकरा कर वापस कंप्यूटर पर अपना काम करने लगी.

‘‘आ रही हूं, बस अपनी प्रोफाइल पिक्चर लगा दूं.’’

‘‘अरे नहीं, ऐसा मत करना. तुम्हारा यह दीवाना क्या कम है जो अब फेसबुक पर भी अपने दीवानों की फौज खड़ी करना चाहती हो,’’ सुनील परेशान होने का नाटक करता हुआ बोला.

सुनयना ने उस की बात पर ध्यान न देते हुए फोटोगैलरी से एक खूबसूरत सी फोटो ढूंढ़ निकाली, जिस में उस ने पीले रंग की सिल्क की साड़ी पहनी हुई थी और अपने सुंदर, लंबे, कालेघने बालों को आगे की ओर फैला रखा था. अपनी प्रोफाइल पिक्चर लगाते हुए वह गुनगुनाने लगी, ‘‘ऐ काश, किसी दीवाने को हम से भी मोहब्बत हो जाए…’’

‘‘है वक्त अभी तौबा कर लो अल्लाह मुसीबत हो जाए,’’ सुनील ने गाने की आगे की लाइन को जोड़ा और उसे कंप्यूटर टेबल से अपनी गोद में उठा कर बैड पर ले आया. सुनील की बांहों में सिमटी सुनयना के चेहरे पर आज अजब सी मुसकराहट थी.

‘‘अब पता चलेगा बच्चू को, हर वक्त मुझे चिढ़ाता रहता है.’’

सुदर्शन व्यक्तिव और हंसमुख स्वभाव का धनी सुनील कालेज में सभी लड़कियों के आकर्षण का केंद्र था. उस के पास गर्लफ्रैंड्स की लंबी लिस्ट थी जिन्हें ले कर वह अकसर सुनयना को चिढ़ाया करता था और सुनयना चिढ़ कर रह जाती थी. कभीकभी सोचती कि काश, शादी से पहले उस का भी कम से एक अफेयर तो होता, तो वह भी सुनील को करारा जवाब दे पाती.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेड मैनेजमैंट: प्रबंधन की एक नई विधा

हमारीभारतीय नारी को, गृहिणी को सब से ज्यादा यदि कोई चीज परेशान करती है, तो वह है… लो अभी हम ने बात पूरी भी नहीं की और आप ने कयास लगाने शुरू कर दिए. यह आदत हम हिंदुस्तानियों की जाती नहीं है. पूरी बात सुनी नहीं कि कयास लगाने शुरू कर दिए कि वह सब से ज्यादा परेशान रहती है. म्यूनिसिपैलिटी वालों से. उन के नल की टोंटी कितनी भी मोटी हो उस से जल समय पर नहीं आता है या फिर असमय आता है. रात को 1 बजे नलजी कलकल कर जल गिराते हैं, तो उत्पन्न होने वाले जलतरंगी संगीत से नींद खुल जाती है. यह नल से जल आने के पूर्व के खर्राटे हैं, जो हमारे खर्राटों पर भारी पड़ जाते हैं.

नहीं यह बात नहीं है. अब आप सोच रहे होंगे कि कचरे वाला कचरा नियमित रूप से नहीं उठाता होगा. नहीं, यह बात भी नहीं है. तो आप सोचने लगे होंगे कि पड़ोसिन पलपल किचकिच करने वाली आ गई होगी? नहीं यह परेशानी भी नहीं है. तो उस की ननद, देवर, सास आदि संताप देते होंगे. नहीं, ये तो दकियानूसी बातें हैं. देखा नहीं आप ने कुछ सीरियलों में कि सासू को बहू मां मानती है.

तो अब आप सोचने लगे होंगे कि दूध वाला पानी मिला कर दूध दे कर परेशान कर रहा होगा. वैसे पानी मिलाना तो दूध वालों का ऋगवेदकाल से चला आ रहा धर्म है. मगर नहीं, यह भी कोई बड़ी परेशानी नहीं है. आजकल पैक्ड दूध आसानी से उपलब्ध है. तो फिर प्रैस वाला परेशान कर रहा होगा. हफ्ते भर से ले गया कपड़ा वापस नहीं ला रहा होगा और इकट््ठे हो गए कपड़े ले जा नहीं रहा होगा या फिर माली परेशान कर रहा होगा. नहीं यह भी नहीं है. तो फिर क्या है? स्त्री को ये सारे के सारे पुरुष प्रजाति के लोग परेशान नहीं कर रहे हैं? तो फिर कौन कर रहा है? क्या स्त्री ही कर रही है? सही पकड़ा. स्त्री को एक स्त्री ही परेशान कर रही है. एक बात और समझ लीजिए कि केवल गृहिणी ही नहीं, कामकाजी स्त्री भी इस समस्या से परेशान है. आखिर दफ्तर से लौटने पर कौन से पति महोदय सारे काम करने के बाद पलकपावड़े बिछाए खड़े रहते हैं. वे तो और कोई न कोई काम ही फैलाए बैठे मिलते हैं. यह आज की स्त्री की ज्वलंत समस्या है. केवल जो स्त्री स्वयं मेड है मतलब ‘सैल्फ मेड’ है अपने इन कामों के लिए वह इस से मुक्त है.

यह मेड सर्वैंट है, जोकि हमारी गृहिणी को टैंशन देती है, आए दिन देती है, रोज देती है. बिना लेट देने में इस का लंबा रिकौर्ड है. यह क्या इस के डीएनए में है? कभी लेट आएगी, तो कभी बिना बताए गायब हो जाएगी. बहाने भी एक से एक नायाब. कभी तबीयत का, तो कभी मेहमान अचानक आ टपकने का, कभी बरसात में छत के टपकने का, तो कभी पानी न आने का, कभी भी कोई भी बेसिरपैर का बहाना. मेड के टैंशन देने के और भी कई तरीके हैं. जैसे काम ठीक से न कर बला टाल देना. यदि झाड़ूपोंछे वाली है, तो किसी दिन पोंछा लगाने का काम चुपचाप गोल कर देना.

एक मेड का नाम ‘कचरा बाई’ था, तो कचरा हर कमरे में थोड़ा सा अपने नाम को सार्थक करते हुए छोड़ ही देती थी. यदि बरतन वाली है, तो बरतन में साबुन लगा छोड़ देना या मौका देख कर पानी से ही साफ कर हाथ की सफाई दिखा देती है. यदि रोटी वाली मेड है

और आने का समय 10 बजे है तो 12 बजे आएगी. मैडम से नाराज है तो खुन्नस निकालने के लिए मिर्चमसाला सब्जी में ज्यादा डाल देगी

या फिर किसी दिन जानबूझ कर नमक डालना भूल जाएगी.

किसी दिन पता चला कि गृहिणी को खुद ही खाना बनाना पड़ा. मेम साहब खूब लेट आ कर केवल किचन साफ करने का काम कर चलती बनी और 2 रोटी व सब्जी भी भूख लगी है कह कर पालथी मार कर ठसके से मार ली. मतलब जिस मेड को खाना बनाने रखा था वह मैडम के हाथ का बना खा गई और उन्हें खून का घूंट पिला गई.

यदि शौकीन परिवार है, तो भी फीका सा खाना बना देना. महीने में 2-3 बार गैस खुली छोड़ देना, सब्जीदाल जला देना. चावलदाल में कंकड़ भी उबाल देना. वैसे ये उबलते नहीं हैं और न ही निगलते बनते हैं. हां, जिस की थाली में आ जाएं, वह जरूर गुस्से में उबलना शुरू हो जाता है.

एक आम लक्षण सभी मेड में होता है और वह यह कि काम करतेकरते 10 बार मोबाइल पर अपने आदमी से या फिर अपनी लड़की अथवा लड़के से बात करना. आग लगे इन सस्ती प्लान्स को. मेड जब चाहे कोई भी लिखापढ़ी का काम ले आएगी और मैडममैडम कर के उन से पूरा करवा लेगी. लेकिन दूसरे दिन से फिर वही हरकतें शुरू. घर में 3-4 मेड हैं, तो आपस में मंडली बना कर मैडम की पीठ पीछे बुराई करना, कानाफूसी कर के मैडम को तनावग्रस्त करना आम बात है. अरे, ये समझती क्यों नहीं कि एक महिला दूसरी महिला की कानाफूसी से परेशान हो जाती है. गृहस्वामिनी को लगता है कि हो न हो उस की घोर तरीके से निंदा हो रही है. भले ही कोई किसी की तारीफ करना चाह रहा हो, ये यह क्यों नहीं समझतीं?

गंगू तो कहता है कि मेड को आज की असली मेम साहब कहना चाहिए.

मेड हुई ही इसलिए है कि मैडम को तंग करे, तनाव दे, 2 पल भी सुकून की जिंदगी न जीने दे. यदि आप मेरी बात से सहमत नहीं हैं, तो अपने सीने पर हाथ रख कर बताएं कि आप का ऐसा सौभाग्य रहा कभी कि मेड ऐसी मिली हो जिस ने आप को अपनी हरकतों से कभी तंगाया न हो, नचाया न हो, उलझाया न हो? इतना तो आप अपने पति को भी नहीं नचा पाती हैं.

यहीं से मैनेजमैंट की एक बिलकुल नई ब्रांच ‘मेड मैनेजमैंट’ का स्कोप शुरू होता है.

गंगू की सलाह है कि सभी गृहिणियां, इन में कामकाजी भी शामिल हैं, इसे जौइन करें. यह एक संपूर्ण पाठ्यक्रम है. इस में यह बताया जाएगा कि मेड सिस्टम का विश्व व भारत में उदय व इतिहास, कितनी तरह की होती हैं, मेडों का स्वभाव, लाइक व डिसलाइक्स, उन से कैसे पेश आएं, क्या बात करें क्या नहीं. ‘मेड मैनेजमैंट’  में एक ‘मेड नीति’ बनाई गई है. उसे पढ़ने से ‘चाणक्य नीति’ की तरफ आप मेड से पार पा सकेंगी, नहीं तो वह आप को इसी तरह आरपार करती रहेगी. मेड मैनेजमैंट के निम्न सिद्धांतों पर गंभीरता से गौर करें:

– यदि आप के यहां एक से अधिक मेड हैं तो कभी भी उन्हें एक ही समय पर न बुलाएं. ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’. सीधी से सीधी मेड भी दूसरे के सान्निध्य में बिगड़ जाती है. जो पहले दिन अपनी आंखें नीचे जमीन में गड़ाए आप से बात करती थी उसी तरह जैसेकि नईनवेली बहू शुरू में सास से करती है, वह भड़कावे में आ कर अब आंखें मिला कर जोरजोर से ऐसे बात करे जैसेकि आप की सास या बौस हो.

– यदि झाड़ूपोंछा वाली को सुबह 9 बजे बुलाया है, तो बरतन वाली को उस के रुखसत होने के बाद 10 या 11 बजे बुलाएं.

– गंगू यह भलीभांति जानता है और मानता है कि यह भारतीय स्त्री के डीएनए में ही होता है कि वह मेड से जमाने भर की बातें किए बिना रह ही नहीं सकती है. वह यह न करे तो उसे बदहजमी हो जाएगी. जिन्हें बदहजमी हो वे कृपया नोट कर लें कि कहीं उन्होंने मेड से दूरी तो नहीं बना ली है. मेड पैरालाइसिस की पौलिसी ठीक नहीं. और यहीं पर जबान फिसल जाती है. वह कई बातें घरपरिवार की भी कर बैठती है और फिर मेड उन्हें यहां से वहां तक खूब नमकमिर्च लगा कर फैला देती है.

– कभी किसी दूसरे घर या मैडम की बात अगर मेड कर रही हो, तो कितनी भी आप के कानों में खुजली हो रही हो, कान न दें. कारण, आप के यहां की बातें भी वह दूसरे के यहां इसी तरह बताएगी.

– यदि आप को समाजसेवा का शौक है, तो आप सब से पहले जोरआजमाइश मेड के बच्चों पर करें. जैसेकि उस के बच्चों को मुफ्त ट्यूशन दें. वह गद्गद हो जाएगी. और आप के सिर पर तबला नहीं बजाएगी.

– सब से बेहतर है ‘एकल मेड’ या ‘ए टु जैड मेड’ जोकि घर के सभी काम करती हो. यह न किसी से बात कर पाएगी और न ही दूसरा इस से बात कर पाएगा.

– कभी जवान व सुंदर मेड को काम पर न लगाएं. विशेषरूप से तब जब आप के पति दिलफेंक स्वभाव के हों. खूसट मेड को खोजबीन कर लाएं. गंगू को माफ करें कि आप खुद ऐसी हैं, तो फिर तो और सतर्क रहने की जरूरत है कि कहीं सुंदरी मेड के रूप में घर न आ जाए.

– मेड की हस्ती कोई सस्ती नहीं होती. उसे चायनाश्ता जरूर करवा दें वरना वह बुरा मानती है. 10 घरों में आप की बुराई करती है.

– यहां आप अंगरेजों की ‘फूट डालो राज करो’ नीति अपनाएं. यदि एक से अधिक मेड हैं, तो एक की कमियां निकाल कर दूसरी के सामने बताएं. वह फील गुड करेगी. कभी उन्हें एकदूसरे से इस तरह भिड़ा भी दें. इस तरह आप का काम निकलता रहेगा.

– बाजारवाद के इस युग में सारी बातें मुफ्त में नहीं बताई जातीं. ‘मेड मैनेजमैंट’ के बाकी सिद्धांत विस्तार से समझने हैं, तो पत्राचार से इस का कोर्स जौइन कर सकते हैं. यदि यह आप के काम का नहीं निकले तो आप के पैसे वापस की भी गारंटी.

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Diwali Special: परिवार की खुशियों के साथ रखें उनके सेहत का ध्यान

दिवाली के त्योहार में फल, मिठाईयां तथा पकवान का विशेष आनंद लिया जाता है. लेकिन इस दिन खान पान की मिलने वाली आजादी कई बार घातक भी हो जाती है. यदि आप खान-पान संबंधी किसी विशेष प्रकार का डाईट चार्ट को फौलो कर रही हैं तो आपको और भी सतर्क रहने की जरुरत है. यदि आप इस दिवाली बिना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए इस त्योहार का पूरा आनंद लेना चाहती हैं तो आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.

मिठाई

आप चाहें जो भी मिठाई खा रही हों, उसको छोटे-छोटे टूकड़ों में खायें तथा उसका पूरा स्वाद लें. इससे आप उस मिठाई की अगली पीस को लेने से आसानी से बच जायेंगी. ज्यादातर कोशिश यह करें कि आप गुड़ तथा सुखे फल की बनी मिठाईयों को ही प्राथमिकता दें. ध्यान रखें कि ज्यादा मीठा खाना आपके लीवर पर असर कर सकता है.

छोटे प्लेट का उपयोग

यह जरुर ध्यान रखें कि खाने में कमी करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खाने की प्लेट ही छोटी रखें. इससे आप प्लेट में कम खाना लेंगी. इसके अलावा जब भी आप मिठाईयों का उपयोग करें तब यह निश्चित करें कि आपके द्वारा उपयोग में ली गई वस्तु उच्च गुणवत्ता वाली है.

पानी की मात्रा को बनाए रखें

शरीर में हमेशा पानी की मात्रा को बढ़ाकर रखें जिसके लिए आप फलों के ताजा जूस तथा नारियल पानी का उपयोग कर सकती हैं. पानी को सादा पीने के बजाय उसमें नीबूं, मिंट, मिलाकर ही पीयें और पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए खीरा, ककड़ी का भी उपयोग कर सकती हैं.

हेल्दी दिवाली गिफ्ट को चुने

दिवाली के अवसर पर आपस में गिफ्ट देने का प्रचलन है. अतः आपस में जब भी गिफ्ट का आदान-प्रदान करें तो उसमें स्वास्थ का ध्यान जरुर रखें. जिसमें काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट, सुखे मेवे, किशमिश आदि हो तो अच्छा रहेगा.

खरीदारी करते समय पैदल ही घूमें

जब भी कोई खरीदारी करने या फिर किसी पार्टी में आप जाएं तो उसमें आप पैदल चलने को ही प्राथमिकता दें. यह आपके शरीर के लिए फायदेमंद तो होगा ही साथ में पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होगा. इससे आप मिठाईयों को खाने से पैदा हुई एक्स्ट्रा कैलोरी को भी कम कर सकेंगे. त्योहार का दिन होने से आप जिम या रनिंग पर शायद न जा पायें तो चिंता न करें, घर की ही सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना प्रारंभ करें. इसके अलावा घर में मौजूद टेबल, डेस्क का सहारा लेकर स्ट्रेचिंग भी कर सकती हैं.

चीनी और शक्कर की मात्रा को कम करें

ज्यादा चीनी और नमक के सेवन को ना कहें. इससे आपके शरीर में सूजन, मोटापा तथा अन्य प्रकार की बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है.

हाथी के दांत: क्या हुआ उमा के साथ

कहानी- रामेश्वर कांबोज

स्वामी गणेशानंद खड़ाऊं पहने खटाकखटाक करते आगे बढ़ते जा रहे थे. उन के पीछे उन के भक्तों की भीड़ चल रही थी. दाएंबाएं उन के शिष्य शिवानंद और निगमानंद अपने चिमटे खड़खड़ाते हुए हल में जुते मरियल बैलों की तरह चल रहे थे. उन्हें पता था कि भीड़ स्वामीजी का अनुसरण कर रही है, उन का नहीं.

शिवानंद ने भभूत में अटे अपने बालों को खुजलाया और पीछे मुड़ कर एक बार भीड़ को देखा. उस की खोजपूर्ण आंखें कुछ ढूंढ़ रही थीं. निगमानंद ने आंख मिचका कर शिवा को संकेत किया. वह पीले दांत दिखा कर मुसकरा पड़ा. इस का अर्थ था कि वह उस का आशय समझ गया.

भीड़ जलाशय के निकट पहुंच गई थी. सब स्वामीजी की जयजयकार कर रहे थे. शिवा और निगम दूसरे किनारे की ओर, जहां औरतें नहा रही थीं, आ कर बैठ गए.

शिवा बोला, ‘‘गुरु, ऐसे क्यों बैठे हो? कुछ हो जाए.’’

‘‘क्या हो जाए बे, उल्लू के चरखे? फिल्मी नाच हो जाए या कालिज का रोमांस हो जाए?’’ निगम गुर्राया.

‘‘अरे, कैसी बातें करता है? देखता नहीं, नाचने वाली छोकरी गोता लगा रही है. गोलमटोल चेहरा, बाढ़ की तरह चढ़ती जवानी. क्या खूबसूरती है. खैर, छोड़ो इन बातों को. बूटी तैयार करो. एकएक लोटा चढ़ाएंगे. राम कसम, इस के नशे में हर चीज, हर औरत मुंहजोर घोड़े की तरह हावी हो जाती है.’’

निगम ने आंखों से कीचड़ पोंछ कर स्वामीजी की तरफ ताका. वह मटमैले पानी में एक टांग पर खड़े कुछ गुनगुना रहे थे. वह चिमटे को धरती में ठोंक कर बोला, ‘‘स्वामीजी जब से बूटी चढ़ाने लगे हैं, उसी दिन से भगतिनियों की गिनती बढ़ने लगी है. कहते हैं भंगेड़ी के चक्कर में औरतें ज्यादा आती हैं.’’

एकाएक दोनों चुप हो गए. गुरुजी सब भक्तों को आशीर्वाद दे रहे थे. निगम चुपचाप बूटी तैयार कर रहा था. बारीबारी से दोनों ने एकएक लोटा गटक लिया. भक्तगण पांव छूते, स्वामीजी भभूत का तिलक लगाते और आशीर्वाद देते. फिर उमा की बारी आई. ऐसा सलोना, कुंआरा सौंदर्य सामने देख कर स्वामीजी ठगे से रह गए. उमा ने चरण छुए तो स्वामीजी ने दोनों हाथों से उस का मुखड़ा ऊपर उठा दिया. तिलक लगाते समय उन का हाथ गालों से हो कर फिसलता हुआ उमा के कंधे पर जा टिका.

वह बोले, ‘‘बेटी, तुझ में माधव का वास है. अभीअभी भगवान ने मेरे दिल में आ कर कहा है. तेरी आत्मा माधव की प्यासी है. मुझे सपने में रात जो देवी दिखाई दी उस का रूप तेरी ही तरह था.

‘‘उस ने मुझे नींद से जगा कर कहा, गणेशानंद, यह मेरा गांव है. मैं यहां  प्रकट होना चाहती हूं. मैं अपने गांव को स्वर्ग बनाना चाहती हूं. तुम जहां पर लेटे हुए हो, यहां से सौ कदम पूरब को चलो. ऊपर से मिट्टी हटाओ. वहां तुम मुझे देखोगे. उस जगह एक मंदिर बनवाना. यह काम तुम्हें ही करना है.

‘‘मैं देवी के चरणों पर गिर पड़ा. मंदिर बनवाने का वचन दे दिया. वह स्थान मैं ने तुम सब के सामने खुदवाया है. अगर तुम लोगों ने मिलजुल कर मंदिर न बनवाया तो न जाने गांव पर कैसी विपदा आ पड़े.’’

उमा चुप बैठी थी. उस की मां की आंखों में आनंद के आंसू चमक रहे थे. सब गांव वालों ने स्वामीजी को सहायता देने का पूरा विश्वास दिलाया. उमा की मां स्वामीजी के चरणों को छू कर बोली, ‘‘महात्माजी, मेरे पल्ले कुछ नहीं है. बस, यह छोकरी है, उमा. मैं क्या दे सकूंगी.’’

‘‘चिंता क्यों करती हो उमा की मां, उमा तुम्हारे घर की ही नहीं, पूरे गांव की देवी है. मैं मंदिर की धूपबाती का काम इसे ही सौंपना चाहता हूं. अगर इस ने भगवान को खुश कर लिया तो तुम्हें मनचाही मुराद मिल जाएगी.’’

‘‘स्वामीजी, मुझे कुछ नहीं चाहिए. इस नासपीटी का बापू घर लौट आए, यही बहुत है. मुझे धनदौलत की इच्छा नहीं है,’’ उमा की मां उदास हो कर बोली.

‘‘घबरा मत. तेरी मनसा जल्दी पूरी हो जाएगी. उमा को हरेक काम में हमारे साथ रहना पड़ेगा. कल भंडारा करेंगे और मंदिर की नींव रखेंगे.’’

अगले दिन भंडारा हुआ. गांव के लोगों ने 10 हजार रुपए इकट्ठे कर के गणेशानंद को भेंट कर दिए. आसपास के गांव वाले भी आए. सूर्यास्त तक बहुत गहमागहमी रही. गणेशानंद ऊंची चौकी पर बैठे थे. शिवानंद और निगमानंद भंडारे की देखरेख के लिए खड़े थे. प्रबंध उमा के हाथ में था. गांव वालों की वाहवाही हो उठी.

रात को खापी कर सब स्वामीजी की धूनी के पास इकट्ठे हो गए. उमा पास ही बैठी थी. उस ने चेहरे पर हलकी सी भभूत लगा रखी थी. भभूत के प्रभाव से वह और अधिक प्यारी लग रही थी. दहकते कोयलों की चमक में उस का मुखमंडल पलाश के फूल सा लग रहा था.

कीर्तन शुरू हुआ. शिवानंद ने करताल संभाली, निगमानंद ने चिमटा. स्वामीजी गाते, फिर उमा दोहराती और तब सब के स्वर में स्वर मिला कर दोनों शिष्य गाते. आधी रात बीत गई. लोग जादू में बंधे से बैठे रहे. अंत में मीरा का पद गाया गया. उस पद की ‘तेरे कारण जोगन हूंगी, करवट लूंगी कासी’ पंक्ति वातावरण में काफी देर तक तैरती रही.  पूरी सभा भावविभोर हो उठी. निगम और शिवा उमा के पास बैठने से ही खुश थे.

शांतिपाठ के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए. वहां रह गई उमा और उस की मां, जो गणेशानंद के पांव दबा रही थीं. तनिक हट कर अंधेरे में चुपचाप बैठा एक व्यक्ति सब बातों का जायजा ले रहा था. वह था अमरेश.

‘‘कल मैं तीर्थभ्रमण करने जाऊंगा. उमा, तुम भी साथ चलना. हृदय पवित्र हो जाएगा. आंखें देवीदेवताओं के

दर्शन कर के निहाल हो जाएंगी,’’ स्वामीजी उमा के चेहरे पर दृष्टि गड़ा कर बोले.

शिवा ने सुल्फे पर कोयले रख

कर कश लिया और फिर स्वामीजी की तरफ बढ़ा दिया. गणेशानंद ने पूरा दम लगाया. सुल्फे की लपट निकली, जिस में उमा का चेहरा उसे सुर्ख दिखाई दिया.

अमरेश अधीर हो उठा. उमा उस की सगी बहन नहीं थी, पर वह उसे बेहद चाहता था. किसी भी कार्य से पराएपन का आभास नहीं होने देता था. उसी की कृपा से वह चिट्ठीपत्री पढ़ने लायक हो गई. उसे उमा के कारण गांव वालों का कोपभाजन भी बनना पड़ा था. वह अपने को संभाल नहीं सका. वहीं बैठेबैठे बोला, ‘‘उमा, इधर आ.’’

उमा इस अप्रत्याशित स्वर से चौंक उठी. वह अमरेश के पास आ कर खड़ी हो गई, ‘‘क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है, जो इस तरह पहरा दे रहे हो?’’

‘‘विश्वास था, अब नहीं रहा,’’ अमरेश के स्वर में आक्रोश था.

‘‘क्यों, अब क्या हो गया?’’

‘‘मैं ने कुछ गलत नहीं कहा. इस भंगेड़ी के चक्कर में तेरी अक्ल मारी गई है. गांव वाले सब जा चुके हैं, तू फिर भी यहां डटी हुई है. अगर तेरी आंख में जरा भी शरम है तो यहां से चलती बन,’’ अमरेश अधिकारपूर्वक बोला.

विवाद सुन कर स्वामीजी और उमा की मां भी उन के पास आ पहुंचे. उमा स्वामीजी की नजरों में अपने को बहुत ऊंचा समझ रही थी. इसीलिए उस ने स्वयं को अपमानित महसूस किया.

वह तैश में आ कर बोली, ‘‘भैया, तुम हद से बाहर पांव रख रहे हो. मैं किसी के चक्कर में नहीं आई. तुम ईश्वर को मानते तो इस तरह की बातें न करते. जिस बात को तुम समझते नहीं हो, उस में टांग न अड़ाओ.’’

‘‘तुम मुझे गलत समझ रही हो. अगर तुम्हें अक्ल होती तो इन सुल्फा पीने वालों के ढोंग में न फंसतीं.’’

‘‘क्या भौंकता है बे बदजात,’’ गणेशानंद ने उस की ओर चिमटा घुमाया.

‘‘जरा होश में बातचीत करो. ऐसे पहुंचे हुए महात्मा होते तो घर बैठे पूजे जाते. यहां दरदर मारे न फिरते. ज्यादा चबरचबर किया तो मारतेमारते भुरकस बना दूंगा,’’ अमरेश ने उमा को बांह पकड़ कर खींचा, ‘‘भला इसी में है कि इस समय यहां से चलती बनो.’’

उमा ने उस का हाथ झटक दिया. वह गिरतेगिरते बचा. संभलने पर उस ने उमा के गाल पर थप्पड़ जमा दिया.

उमा की मां भभक पड़ी, ‘‘लुच्चे कहीं के, चला जा इसी वक्त मेरे आगे से, नहीं तो तेरा खून पी जाऊंगी,’’ इतना कह कर वह उमा को ले कर घर चल पड़ी.

उमा ने आग्नेय नेत्रों से अमरेश की ओर देखा. वह गुस्से में होंठ चबा कर बोली, ‘‘अमरेश, मेरे लिए तुम मर गए. तुम ने अपनी औकात पर ध्यान नहीं दिया. भला इसी में है कि मुझे अपनी घिनौनी सूरत न दिखाना.’’

अमरेश का चेहरा लटक गया. वह ठगा सा वहीं खड़ा रहा. सारी धरती उसे आंखों के सामने घूमती प्रतीत हो रही थी. स्वामीजी उस की ओर क्रूरतापूर्ण दृष्टि से घूर रहे थे. थोड़ी देर की चुप्पी के बाद स्वामीजी कुटिया में चले गए. अमरेश भी ढीले कदमों से घर की ओर मुड़ गया. उमा के व्यवहार से उस का हृदय बिंधा जा रहा था.

वह उस पर क्रुद्ध होते हुए भी उस का अहित नहीं सोच सकता था. उस ने रूठने पर उमा को न जाने कितनी बार मनाया था, कितनी बार उस की गीली आंखें पोंछी थीं. वह भी उस के तनिक से दुख में बेचैन हो जाती थी. जराजरा सी बात पर उसे कसमें दिलाती. दोनों में कभी ठेस पहुंचाने वाली बातें नहीं हुई थीं.

अगले दिन अमरेश को पता चला कि उमा और उस की मां तीर्थयात्रा के लिए स्वामी गणेशानंद के साथ चली गई हैं. सुन कर उस के पैरों तले जमीन खिसक गई. क्या इस दुनिया के सभी संबंध थोथे हैं? यह प्रश्न उस के मन को मथने लगा. उस जैसे अनाथ के लिए उमा और उस की मां सागर में नौका की तरह थीं. उस का समूचा हार्दिक प्रवाह उन्हीं की ओर था.

रिक्तता से उस का हृदय कराह उठा. उमा जो बचपन में उस के कंधे पर सवार रहती थी, उस की घोर उपेक्षा कर बैठी, यह कम दाहक बात न थी. शत्रु का शत्रुतापूर्ण आचरण क्षमा किया जा सकता है, परंतु मित्र का दुर्व्यवहार क्षमा करने पर भी फांस की तरह चुभता रहता है.

2 दिन बाद उमा की मां लौट आई. उस की सूनीसूनी आंखों को देख कर अमरेश सिहर उठा. उस के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी.

आखिर अमरेश ने ही पूछा, ‘‘मांजी, उमा कहां है?’’

वह उत्तर नहीं दे सकी और प्रत्युत्तर में फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘मांजी, बताओ, उमा को क्या हो गया? मेरी उस लाड़ली को कहां छोड़ आईं?’’ अमरेश व्याकुल हो उठा.

‘‘वह ढोंगी स्वामी उसे न जाने कहां उड़ा ले गया. मेरी बच्ची…’’ वह आगे और कुछ नहीं बोल सकी.

‘‘मैं ने कितना समझाया था कि इन लोगों पर भरोसा करना मूर्खता है, पर तुम दोनों ने मेरी एक न सुनी. मुझे पता था कि इन दुष्टों ने रात के समय देवी की एक मूर्ति अपनी कुटिया के पास धरती में दबा दी थी, लेकिन तुम्हारे ऊपर पागलपन सवार था.’’

उमा की मां ने सिर ऊपर नहीं उठाया. धुंधलका छाने लगा. अमरेश खाट  पर बैठा था और उमा की मां लुटीहारी सी उस के सामने भूमि पर. दोनों चुप थे.

इसी बीच अमरेश का ध्यान दरवाजे की ओर गया. एक पगलाई सी परछाईं वहां जड़वत खड़ी थी. ज्यों ही वह खड़ा हुआ, परछाईं उस की ओर बढ़ी और दौड़ कर उस के गले से लिपट गई. वह उमा थी, उस के वस्त्र चिथेड़ेचिथड़े हो रहे थे.

‘‘अमरेश,’’ कह कर वह अचेत हो कर धरती पर गिर पड़ी.

अमरेश का दिल पसीज गया. उस ने उमा को चारपाई पर लिटा दिया. बहुत देर बाद उस की चेतना लौटी तो वह फफक पड़ी, ‘‘अमरेश, मुझे माफ मत करना. मैं ने तुम्हारी बात नहीं मानी. अपने हाथों से मेरा गला घोंट दो. मुझ पर पागलपन सवार था.

‘‘उस भेडि़ए ने मेरी इज्जत लूटी. उस के चेलों ने भी मुंह काला किया. उस के बाद मुझे 8 हजार रुपए में एक वेश्या के हाथ बेच दिया. मैं कहीं की नहीं रही. किसी तरह चकले से भाग आई, सिर्फ तुम्हारी सूरत देखने के लिए. मेरी तरफ एक बार अपना चेहरा तो घुमाओ.’’

अमरेश ने उस के सिर पर हाथ फेर कर सांत्वना देने की कोशिश की. काफी देर तक वह उस की आंखों की ओर टुकुरटुकुर देखती रही. उस समय अमरेश की आंखों में आंसू भर आए.

कुछ देर चुप रहने के बाद उमा जोर से खिलखिला पड़ी. उस ने अपनी मां को एक तरफ धकेल दिया, ‘‘मां, अब मैं ऐसे स्वामियों का खून करूंगी,’’ उस की क्रूर हंसी से दोनों सहम गए.

‘‘तुम ने मुझ को चौपट किया है, मां. तुम्हारी विषैली श्रद्धा मुझे डस गई. मैं तुम्हारा भी खून करूंगी,’’ वह फिर जोर से अट्टहास कर उठी.

उमा की मां सहम कर एक ओर हट गई. अमरेश ने उमा को पकड़ कर चारपाई पर लिटा दिया, ‘‘चुप रहो, उमा. मैं सब संभाल लूंगा.’’

उमा दोनों हाथों में सिर ले कर सुबकने लगी.

17 साल बाद भूल भुलैया 3 में ओजी मंजुलिका के रूप में लौटीं Vidya Balan, दिवाली पर फिल्म होगी रिलीज

बहुमुखी प्रतिभा की धनी और प्रतिभाशाली अभिनेत्री विद्या बालन (Vidya Balan) ‘भूल भुलैया 3’ में ओजी मंजुलिका के रूप में लौटीं. हौररकौमेडी फ्रैंचाइज की तीसरी फिल्म इस दिवाली सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है, इस फिल्म के साथ विद्या 17 साल बाद फ्रैंचाइज में लौटीं और उन्होंने ट्रेलर में सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.

फिल्म ने मुझे बहुत प्यार दिया

ट्रेलर लौन्च इवेंट के दौरान विद्या बालन ने फ्रैंचाइज़ में अपनी वापसी के बारे में बात की और कहा, “मुझे खुशी है कि मैं 17 साल बाद फ्रैंचाइज में लौटी हूं और पिछले कुछ सालों में इस फिल्म ने मुझे बहुत प्यार दिया है. आज मुझे एहसास हुआ है कि आने वाले 17 सालों में मुझे दर्शकों से और भी ज्यादा प्यार मिलेगा.”

फिल्म में हौरर और रोमांच

ओजी मंजुलिका के रूप में विद्या बालन की जगह कोई नहीं ले सकता और ‘भूल भुलैया 3’ में उनकी मौजूदगी ने फिल्म में हौरर और रोमांच के तत्व जोड़े हैं. दर्शकों ने उनके द्वारा निभाए गए हर किरदार को पसंद किया है, लेकिन मंजुलिका के रूप में उनके अभिनय ने उनके दिलों में खास जगह बनाई है. और अब, माधुरी दीक्षित तीसरी किस्त में विद्या बालन के साथ शामिल हो गई हैं, और उनका सहयोग दर्शकों के लिए एक रोमांचक मुकाबला होने का वादा करता है.

दिवाली पर रिलीज

यह फिल्म सिनेमाघरों में दिवाली पर रिलीज़ के लिए तैयार है और इसमें कार्तिक आर्यन और त्रिप्ति डिमरी मुख्य भूमिकाओं में हैं. अनीस बज्मी द्वारा निर्देशित इस फिल्म का निर्माण टीसीरीज़ द्वारा किया गया है.

मैं साली के साथ रिलेशनशिप में हूं, अगर ये बात पत्नी को पता चल गया तो…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं शादीशुदा हूं. मेरे 2 बेटे हैं. शादी के 3 साल बाद मेरी साली ने मुझे आई लव यू बोला तो मैं भी बहक गया. हम ने नैतिकता की सारी हदें पार कर ली हैं. हम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हैं. मेरी पत्नी भी हमारे रिश्ते के बारे में जानती है. साली की सगाई हो चुकी है और शीघ्र शादी होने वाली है. मैं जब भी ससुराल जाता हूं. वह मुझे चुंबन दे कर बांहों में भर लेती है. मैं जानता हूं कि यह ठीक नहीं है पर स्वयं को रोक नहीं पाता. घर आ कर भी उस की बहुत याद आती है. कृपया उसे भुलाने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

आप अल्हड़ किशोर नहीं हैं, जो बहक गए. उस पर हिमाकत इतनी कि पत्नी को भी अपने व्यभिचार की बाबत बता दिया. यदि आप वास्तव में किसी एक कमजोर पल में बहक गए थे तो आप को अपने किए पर पछतावा होता. पर आप जानतेबूझते यह सब कर रहे हैं, जो बहुत ही निंदनीय है. आप की साली भी बराबर की कुसूरवार है. यदि आप दोनों ने इस अवैध संबंध को समाप्त नहीं किया तो आप की साली की शादीशुदा जिंदगी में तूफान उठ सकता है. साथ ही आप की भी समाज में थूथू होगी. इसलिए अच्छा होगा कि इस अनाचार को जल्दी से जल्दी छोड़ दें.

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दौलत और राशि को आदर्श पतिपत्नी का खिताब महल्ले में ही नहीं, उस के रिश्तेदारों और मित्रों से भी प्राप्त है. 3 साल पहले रुचि के पैदा होने पर डाक्टर ने साफ शब्दों में बता दिया था कि आगे राशि मां तो बन सकती है पर उसे और उस के गर्भस्थ शिशु दोनों को जीवन का खतरा रहेगा, इसलिए अच्छा हो कि वे अब संतान की इच्छा त्याग दें.

माहवारी समय से न आने पर कहीं गर्भ न ठहर जाए यह सोच कर राशि सशंकित हो चली कि आदर्श पतिपत्नी से आखिर चूक हो ही गई. अपनी शंका राशि ने दौलत के सामने रखी तो वह भी सशंकित हुए बिना नहीं रहा. झट से राशि को डाक्टर के पास ले जा कर दौलत ने अपना भय बता दिया, ‘‘डाक्टर साहब, आप तो जानते ही हैं कि राशि के गर्भवती होने से मांबच्चा दोनों को खतरा है, आप की सलाह के खिलाफ हम से चूक हो गई. इस खतरे को अभी क्यों न खत्म कर दिया जाए?’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं? 10 दिन बाद आ जाना,’’ डाक्टर ने समझाते हुए कहा.

रास्ते में राशि ने दौलत से कहा, ‘‘सुनो, यह बेटा भी तो हो सकता है…तो क्यों न खतरे भरे इस जुए में एक पांसा फेंक कर देखा जाए? संभव है कि दैहिक परिवर्तनों के चलते शारीरिक कमियों की भरपाई हो जाए और हम खतरे से बच जाएं.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो,’’ दौलत बोला, ‘‘सोचो कि…एक लालच में कितना बड़ा खतरा उठाना पड़ सकता है. नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता. इतना बड़ा जोखिम…नहीं, तुम्हें खो कर मैं अधूरा जीवन नहीं जी सकता.’’

बहुत ही कम समय में आलू से तैयार करें ये मजेदार स्नैक्स, यहां जानें आसान रेसिपी

आलू (Potato) खाने के शौकीनों की कमी नहीं है. आलू को सब्जियों का राजा माना जाता है, घर में कोई हरी सब्जी न हो, तो उस समय आलू की कुरकुरी भुजिया की याद आती है और यह फटाफट आसानी से बन भी जाती है.

अगर आप घर से बाहर अकेले रहती हैं या आप वर्किंग वुमन हैं, तो बहुत ही कम समय में आप आलू की आसान और टैस्टी स्नैक्स कई तरीकों से बना सकती हैं. जिनका लुत्फ शाम में चाय के साथ उठा सकती हैं. ये स्नैक्स बड़ों और बच्चों दोनों को पसंद आएंगे. तो देर किस बात की आलू की चटपटी इन स्नैक्स की रेसिपी जरूर ट्राई करें.

1. पोटैटो वेजेस

French fries potato wedges

सामग्री:
6 बड़े आलू
4-5 कप पानी
स्वादानुसार नमक
5 बड़े चम्मच तेल
1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
1 टी स्पून पिसी काली मिर्च
1 टी स्पून अजवाइन मसाला

विधि:

  • आलू को अच्छी तरह धोकर वेजेस के आकार में काट लें.
  • अब एक पैन में तीन कप पानी डालें और इसे उबालने के लिए गैस पर रख दें, जब इसमें उबाल आने लगे तो आधा चम्मच नमक और आलू के वेजेस डालें.
  • फिर इसे 4-5 मिनट तक उबालें, गैस बंद कर दें और वेजेस को एक बाउल में निकालें, इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें.
  • अब कटोरे में दो बड़े चम्मच तेल, लाल मिर्च पाउडर, पिसी काली मिर्च डालें और अच्छी तरह मिलाएं.
  • एक कड़ाही में तेल गरम करें और वेजेस को तब तक डीप फ्राई करें जब तक कि वे कुरकुरे और सुनहरे भूरे रंग के न हो जाए.
  • अजवाइन मसाला से गार्निश करें और इसका आनंद उठाएं.

2. आलू चाट

Delicious Crispy Aloo Chaat with Tangy Chutneys and Refreshing Yogurt

सामग्री:
2 चम्मच काली मिर्च
3 चम्मच जीरा
2 चम्मच सौंफ
1 टी स्पून अजवायन
1 चम्मच साबूत धनिया
1 चम्मच चीनी
1 टी स्पून अमचूर पाउडर
1 बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
बारीक कटा हुआ प्याज
उबले हुए 6 आलू
कद्दूकस किया हुआ 1 चम्मच अदरक
1 चम्मच नींबू का रस
स्वादानुसार नमक
5 बड़े चम्मच तेल

विधि:

  • एक पैन में काली मिर्च, जीरा, सौंफ, अजवायन, धनिया के बीज डालें और 3-4 मिनट तक सूखा भून लें.
  • फिर इसे प्लेट में निकाल लें और ठंडा होने दें. अब इसमें नमक, लाल मिर्च पाउडर, चीनी और अमचूर पाउडर डालें, इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं. फिर इसे बारीक पीस लें.
  • उबले आलू के टुकड़ों में काट लें, ध्यान रखें कि ये मैश न हो. एक पैन में तेल गरम करें और इसे सुनहरा होने तक तलें.
  • अब भूने हुए आलू को कटोरे में रखें, फिर इसमें कटा हुआ प्याज, अदरक, धनिया पत्ती, नींबू का रस और मसाला पाउडर डालें.
  • इसे अच्छे से मिलाएं और धनिया पत्ते से गार्निश करें, तैयार है आपका आलू चाट.

3. पोटैटो लौलीपौप

Crispy Veg lollipop recipe made using boiled potato with spices covered with corn flour and bread crumbs coating and then deep fried, served with toothpick or ice cream stick

सामग्री:

उबले हुए 4 आलू
बारीक कटा हुआ एक प्याज
2 कप ब्रेड क्रम्बस
1 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
1 टीस्पून धनिया पाउडर
1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट
1छोटा चम्मच अमचूर पाउडर
स्वादानुसार नमक
3 बड़ा चम्मच मैदा
आधा कप पानी
1 कप तेल
1 टीस्पून अजवायन मसाला
2-3 साबूत लाल मिर्च

विधि:

  • एक कटोरे में आलू को मैश करें और उसमें कटा हुआ प्याज, धनिया पत्ता, आधा कप ब्रेड क्रम्ब्स, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, अदरक-लहसुन पेस्ट, अमचूर पाउडर और नमक डालें.
  • इन सामग्री को अच्छी तरह से मिलाएं और एक तरफ रख दें.
  • अब एक छोटा कटोरा लें और उसमें मैदा डालें. इसका पतला घोल बना लें.
  • दूसरे बाउल में बचे हुए ब्रेड क्रम्ब्स, लाल मिर्च के टुकड़े और अजवाइन डालकर अच्छी तरह मिलाएं.
  • अपनी हथेलियों पर थोड़ा तेल लगाएं और आलू के मिश्रण से छोटेछोटे बौल्स बनाएं.
  • मैदा के घोल में इन बौल्स को अच्छी तरह कोट करें.
  • इसे 10 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें.
  • एक कड़ाही में तेल गरम करें और बौल्स को सुनहरा भूरा होने तक तलें.
  • तैयार है पोटैटो लौलीपौप, अब इसे गरमागरम परोसें.

Hina Khan की आंखों में बची सिर्फ एक पलक, इस इमोशनल मैसेज के जरिए बयां किया कैंसर का दर्द

हिना खान (Hina Khan) अपने ऐक्टिंग और अच्छे बिहेवियर की वजह से फैंस के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही हैं. इन दिनों वह जानलेवा बीमारी कैंसर से जूझ रही हैं. वह अक्सर अपने हैल्थ से जुड़े अपडेट फैंस को देती हैं. फैंस को भी हिना के हैल्थ से जुड़ी अपडेट के बारे में इंतजार रहता है.

कीमोथैरिपी के आखिरी पड़ाव में हैं हिना खान

hina khan
हाल ही में हिना खान ने अपना जन्मदिन सेलीब्रेट किया. सैलिब्रेशन से जुड़े फोटोज और वीडियोज उन्होंने इंस्टाग्राम पर शेयर किया. अब हिना खान ने अपनी आखिरी कीमोथैरिपी की तैयारी कर रही हैं. इस बारे में हिना ने सोशल मीडिया पर फैंस को अपनी सेहत के बारे में बड़ी जानकारी दी है.

एक पलक बनी हिना की हिम्मत

इंस्टाग्राम पर हिना खान ने अपनी एक फोटो शेयर की है. जिसमें हिना खान की आंख पर सिर्फ एक ही पलक नजर आ रहा है. हिना के आईब्रो के बाल भी नहीं हैं.  ऐक्ट्रैस ने इस फोटो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, ‘अब मुझे ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी मदद से मेरा मोटिवेशन ऐसे ही बना रहे. मेरी आंखों की खूबसूरती अब जा चुकी है. मेरे जेनिटिक की वजह से लंबे आईलैशेज हुआ करते थे. अब मेरी आंख पर केवल एक पलक बची है. ये पलक गिरने से पहले जंग लड़ रही है. वो भी मेरी तरह बहुत मजबूत है.’
hina khan

कभी नहीं पहना नकली आई लैश

हिना खान ने ये भी लिखा, मेरा लास्ट कीमोथैरेपी में बहुत कम समय बचा है. ऐसे में ये अकेली पलक मुझे मोटिवेशन दे रही है. मुझे उम्मीद है कि हम ये जंग जीत लेंगे. हिना खान ने अपनी आंखों की खूबसूरती के बारे में लिखा कि अब तक मैंने नकली आई लैश नहीं पहने थे लेकिन काम करने के लिए ये भी करना पडे़गा. कोई न सब ठीक हो जाना है. दुआ…’

हिना को कैंसर को देंगी मात

हिना खान की इस तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. फैंस अपनी फेवरेट स्टार के लिए काफी चिंतिंत है. सभी हिना खान को ठीक होने के लिए गुड विशेज दे रहे हैं. फैंस का मानना है कि हिना खान इस गंभीर बीमारी को जरूर मात देंगी.

पाना चाहती हैं स्मार्ट और फैशनेबल लुक, तो चेहरे के आकार के हिसाब से करें Nose Pin का चुनाव

नोजपिन को किसी भी शादीशुदा महिला के सोलह श्रृंगार में गिना जाता है लेकिन अब यह सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि एक फैशन ऐक्सेसरीज में भी देखा जाता है क्योंकि यह छोटी सी ज्वैलरी आप के चेहरे का लुक बिलकुल बदल देती है.

लेकिन अपने इस लुक को परफैक्ट बनाने के लिए जरूरी है कि आप को पता हो के आप के चेहरे पर किस तरह की नौजपिन (Nose Pin) फबेगी. तो चलिए, आप की दुविधा को कम करते हैं और जानते हैं कि चेहरे पर कौन सी नोजपिन खूब जंचेगी :

लंबे चेहरे के लिए

लंबे चहरे की लड़कियों का माथा अकसर बड़ा होता है और चिन छोटी, जिस कारण उन के फेस पर बीडेड हूप्स बहुत जंचती हैं. अगर आप के पूरे चेहरे के हिसाब से आप का माथा काफी चौड़ा है और चिन काफी पतली है तो बीडेड हूप्स नथ आप के चेहरे के लिए सही चयन है.

सोने या स्टोंस वाले हैवी डिजाइन नोजपिन आप के चेहरे की खूबसूरती बढ़ाएंगे.

गोल चेहरे के लिए

गोल चेहरे वाली लड़कियां बहुत ही सुंदर लगती हैं. अपनी खूबसूरती को और निखारने के लिए आप बीडेड या चौड़ी कलरफुल स्टोन नोज रिंग कैरी कर सकती हैं. ऐसी रिंग ट्रैडिशनल के साथसाथ वैस्टर्न ड्रैस के साथ बहुत जंचती हैं.

डायमंड शेप

डायमंड फेस शेप वाली लड़कियों को फ्लोरल डिजाइन नोजपिन कैरी करनी चाहिए. इस से चेहरा अनोखा दिखता है.

हार्ट शेप

हार्ट शेप वाली लड़कियों की चिन लंबी होती है. फेस का संतुलन बनाए रखने के लिए हैवी नोजपिन आप के लिए बैस्ट है.

चोकोर फेस

इस फेस शेप की लड़कियों का फेस देखने में हैवी लगता है. इन के लिए हाफ नोज पिंस बैस्ट हैं। हाफ नोज पिंस चेहरे की चौड़ाई को भी कम दिखाती हैं.

छोटा फेस

अपर नोज पिन आप के लिए बैस्ट है। अपर नोज रिंग नाक के थोड़ा ऊपर की तरफ सैट हो जाती है, जो आप के फेस की खूबसूरती में चार चांद लगाती है.

नाक की शेप

मोटी नाक वाली लड़कियों को एक बड़े स्टोन वाले नोज स्टड कैरी करने चाहिए. वहीं अगर आप की नाक संकरी है तो आप छोटे स्टड ट्राई कर सकती हैं.

लंबी और तीखी नाक वाली

हूप नोज रिंग या छोटी बाली पहनें. यह आप की लंबी नाक को छोटा दिखाने का काम करती है.

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