वक्त का पहिया: सेजल को अपनी सोच क्यों छोटी लगने लगी?

‘‘आज फिर कालेज में सेजल के साथ थी?’’ मां ने तीखी आवाज में निधि से पूछा.

‘‘ओ हो, मां, एक ही क्लास में तो हैं, बातचीत तो हो ही जाती है, अच्छी लड़की है.’’

‘‘बसबस,’’ मां ने वहीं टोक दिया, ‘‘मैं सब जानती हूं कितनी अच्छी है. कल भी एक लड़का उसे घर छोड़ने आया था, उस की मां भी उस लड़के से हंसहंस के बातें कर रही थी.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’ निधि बोली.

‘‘अब तू हमें सिखाएगी सही क्या है?’’ मां गुस्से से बोलीं, ’’घर वालों ने इतनी छूट दे रखी है, एक दिन सिर पकड़ कर रोएंगे.’’

निधि चुपचाप अपने कमरे में चली गई. मां से बहस करने का मतलब था घर में छोटेमोटे तूफान का आना. पिताजी के आने का समय भी हो गया था. निधि ने चुप रहना ही ठीक समझा.

सेजल हमारी कालोनी में रहती है. स्मार्ट और कौन्फिडैंट.

‘‘मुझे तो अच्छी लगती है, पता नहीं मां उस के पीछे क्यों पड़ी रहती हैं,’’ निधि अपनी छोटी बहन निकिता से धीरेधीरे बात कर रही थी. परीक्षाएं सिर पर थीं. सब पढ़ाई में व्यस्त हो गए. कुछ दिनों के लिए सेजल का टौपिक भी बंद हुआ.

घरवालों द्वारा निधि के लिए लड़के की तलाश भी शुरू हो गई थी पर किसी न किसी वजह से बात बन नहीं पा रही थी. वक्त अपनी गति से चलता रहा, रिजल्ट का दिन भी आ गया. निधि 90 प्रतिशत लाई थी. घर में सब खुश थे. निधि के मातापिता सुबह की सैर करते हुए लोगों से बधाइयां बटोर रहे थे.

‘‘मैं ने कहा था न सेजल का ध्यान पढ़ाई में नहीं है, सिर्फ 70 प्रतिशत लाई है,’’ निधि की मां निधि के पापा को बता रही थीं. निधि के मन में आया कि कह दे ‘मां, 70 प्रतिशत भी अच्छे नंबर हैं’ पर फिर कुछ सोच कर चुप रही.

सेजल और निधि ने एक ही कालेज में एमए में दाखिला ले लिया और दोनों एक बार फिर साथ हो गईं. एक दिन निधि के पिता आलोकनाथ बोले, ‘‘बेटी का फाइनल हो जाए फिर इस की शादी करवा देंगे.’’

‘‘हां, क्यों नहीं, पर सोचनेभर से कुछ न होगा,’’ मां बोलीं.

‘‘कोशिश तो कर ही रहा हूं. अच्छे लड़कों को तो दहेज भी अच्छा चाहिए. कितने भी कानून बन जाएं पर यह दहेज का रिवाज कभी नहीं बदलेगा.’’

निधि फाइनल ईयर में आ गई थी. अब उस के मातापिता को चिंता होने लगी थी कि इस साल निकिता भी बीए में आ जाएगी और अब तो दोनों बराबर की लगने लगी हैं. इस सोचविचार के बीच ही दरवाजे की घंटी घनघना उठी.

दरवाजा खोला तो सामने सेजल की मां खड़ी थीं, बेटी के विवाह का निमंत्रण पत्र ले कर.

निधि की मां ने अनमने ढंग से बधाई दी और घर के भीतर आने को कहा, लेकिन जरा जल्दी में हूं कह कर वे बाहर से ही चली गईं. कार्ड ले कर निधि की मां अंदर आईं और पति को कार्ड दिखाते हुए बोलीं, ‘‘मैं तो कहती ही थी, लड़की के रंगढंग ठीक नहीं, पहले से ही लड़के के साथ घूमतीफिरती थी. लड़का भी घर आताजाता था.’’

‘‘कौन लड़का?’’ निधि के पिता ने पूछा.

‘‘अरे, वही रेहान, उसी से तो हो रही है शादी.’’

निधि भी कालेज से आ गई थी. बोली, ‘‘अच्छा है मां, जोड़ी खूब जंचेगी.’’ मां भुनभुनाती हुई रसोई की तरफ चल पड़ीं.

सेजल का विवाह हो गया. निधि ने आगे पढ़ाई जारी रखी. अब तो निकिता भी कालेज में आ गई थी. ‘निधि के पापा कुछ सोचिए,’ पत्नी आएदिन आलोकनाथजी को उलाहना देतीं.

‘‘चिंता मत करो निधि की मां, कल ही दीनानाथजी से बात हुई है. एक अच्छे घर का रिश्ता बता रहे हैं, आज ही उन से बात करता हूं.’’

लड़के वालों से मिल के उन के आने का दिन तय हुआ. निधि के मातापिता आज खुश नजर आ रहे थे. मेहमानों के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं. दीनानाथजी ठीक समय पर लड़के और उस के मातापिता को ले कर पहुंच गए. दोनों परिवारों में अच्छे से बातचीत हुई, उन की कोई डिमांड भी नहीं थी. लड़का भी स्मार्ट था, सब खुश थे. जाते हुए लड़के की मां कहने लगीं, ‘‘हम घर जा कर आपस में विचारविमर्श कर फिर आप को बताते हैं.’’

‘‘ठीक है जी,’’ निधि के मातापिता ने हाथ जोड़ कर कहा. शाम से ही फोन का इंतजार होने लगा. रात करीब 8 बजे फोन की घंटी बजी. आलोकनाथजी ने लपक कर फोन उठाया. उधर से आवाज आई, ‘‘नमस्तेजी, आप की बेटी अच्छी है और समझदार भी लेकिन कौन्फिडैंट नहीं है, हमारा बेटा एक कौन्फिडैंट लड़की चाहता है, इसलिए हम माफी चाहते हैं.’’

आलोकनाथजी के हाथ से फोन का रिसीवर छूट गया.

‘‘क्या कहा जी?’’ पत्नी भागते हुए आईं और इस से पहले कि आलोकनाथजी कुछ बताते दरवाजे की घंटी बज उठी. निधि ने दरवाजा खोला. सामने सेजल की मां हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए खड़ी थीं और बोलीं, ’’मुंह मीठा कीजिए, सेजल के बेटा हुआ है.’’

अब सोचने की बारी निधि के मातापिता की थी. ‘वक्त के साथ हमें भी बदलना चाहिए था शायद.’ दोनों पतिपत्नी एकदूसरे को देखते हुए मन ही मन शायद यही समझा रहे थे. वैसे काफी वक्त हाथ से निकल गया था लेकिन कोशिश तो की जा सकती थी.

मेरा प्यार था वह: प्रेमी को भूल जब मेघा ने की शादी

मुझे ऐसा लगा कि नीरज वहीं उस खिड़की पर खड़ा है. अभी अपना हाथ हिला कर मेरा ध्यान आकर्षित करेगा. तभी पीछे से किसी का स्पर्श पा कर मैं चौंकी.

‘‘मेघा, आप यहां क्या कर रही हैं? सब लोग नाश्ते पर आप का इंतजार कर रहे हैं और जमाईजी की नजरें तो आप ही को ढूंढ़ रही हैं,’’ छेड़ने के अंदाज में भाभी ने कहा.

सब हंसतेबोलते नाश्ते का मजा ले रहे थे, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मैं एक ही पूरी को तोड़े जा रही थी.

‘‘अरे मेघा, खा क्यों नहीं रही हो? बहू, मेघा की प्लेट में गरम पूरियां डालो,’’ मां ने भाभी से कहा.

‘‘नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरा नाश्ता हो गया,’’ कह कर मैं उठ गई.

प्रदीप भैया मुझे ही घूर रहे थे. मुझे भी उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि आखिर उन्होंने मेरी खुशी क्यों छीन ली? पर वक्त की नजाकत को समझ कर मैं चुप ही रही. मां पापा भी समझ रहे थे कि मेरे मन में क्या चल रहा है. मैं नीरज से बहुत प्यार करती थी. उस के साथ शादी के सपने संजो रही थी. पर सब ने जबरदस्ती मेरी शादी एक ऐसे इनसान से करवा दी, जिसे मैं जानती तक नहीं थी.

‘‘मां, मैं आराम करने जा रही हूं,’’ कह कर मैं जाने ही लगी तो मां ने कहा, ‘‘मेघा, तुम ने तो कुछ खाया ही नहीं… जूस पी लो.’’

‘‘मुझे भूख नहीं है,’’ मैं ने मां से रुखे स्वर में कहा.

‘‘मेघा, ससुराल में सब का व्यवहार कैसा है और तुम्हारा पति सार्थक, तुम्हें प्यार करता है कि नहीं?’’ मां ने पूछा.

‘‘सब ठीक है मां,’’ मन हुआ कि कह दूं कि आप लोगों से तो सब अच्छे ही हैं. फिर मां कहने लगी, ‘‘सब का मन जीत लेना बेटा, अब वही तुम्हारा घर है.’’

‘‘मांबेटी में क्या बातें हो रही हैं?’’ तभी मेरे पति सार्थक ने कमरे में आते ही कहा.

‘‘मैं इसे समझा रही थी कि अब वही तुम्हारा घर है. सब की बात मानना और प्यार

से रहना.’’

‘‘मां, आप की बेटी बहुत समझदार है. थोड़े ही दिनों में मेघा ने सब का मन जीत लिया,’’ सार्थक ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मेरी शादी को अभी 3 ही महीने हुए थे, मैं शादी के बाद पहली बार मां के घर आई

थी. हमारे यहां आने से सब खुश थे, पर मेरी नजर तो अभी भी अपने प्यार को ढूंढ़ रही थी.

सार्थक ने रात में कमरे में आ कर कहा, ‘‘मेघा क्या हुआ? अगर कोई बात है तो मुझे बताओ. जब से यहां आई हो, बहुत उदास लग रही हो.’’

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है,’’ मैं ने अनमने ढंग से जवाब दिया. सार्थक मुझे एकदम पसंद नहीं. मेरे लिए यह जबरदस्ती और मजबूरी का रिश्ता है, जिसे मैं पलभर में तोड़ देना चाहती हूं पर ऐसा कर नहीं सकती हूं.

‘‘अच्छा ठीक है,’’ सार्थक ने बड़े प्यार से कहा.

‘‘आज मेरे सिर में दर्द है,’’ मैं ने अपना मुंह फेर कर कहा.

रात करीब 3 बजे मेरी नींद खुल गई. सोने की कोशिश की, पर नींद नहीं आ रही थी. फिर पुरानी यादें सामने आने लगीं…

हमारे घर में सब से पहले मैं ही उठती थी. मेरे पापा सुबह 6 बजे ही औफिस के लिए निकल जाते थे. मैं ही उन के लिए चायनाश्ता बनाती थी. बाकी सब बाद में उठते थे.

मेरे पापा रेलवे में कर्मचारी थे, इसलिए हम शुरू से ही रेलवे क्वार्टर में रहे. रेलवे क्वार्टर्स के घर भले ही छोटे होते थे, पर आगे पीछे इतनी जमीन होती थी कि एक अच्छा सा लौन बनाया जा सकता था. हम ने भी लौन बना कर बहुत सारे फूलों के पौधे लगा रखे थे, शाम को हम सब कुरसियां लगा कर वहीं बैठते थे.

मेरे घर के सामने ही मेरी दोस्त नम्रता का घर था, उस के पापा भी रेलवे में एक छोटी पोस्ट पर काम करते थे. मैं और नम्रता एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थीं. हम दोनों पक्की सहेलियां थीं. बेझिझक एकदूसरे के घर आतीजाती रहती थीं. एक रोज मैं और नम्रता बाहर खड़ी हो कर बातें कर रही थीं, तभी मेरी नजर उस के घर की खिड़की पर पड़ी तो देखा कि नीरज यानी नम्रता का बड़ा भाई मुझे एकटक देख रहा है. मुझे थोड़ा अजीब लगा. नीरज भी सकपका गया. मैं अपने घर के अंदर चली गई, पर बारबार मेरे दिमाग में उलझन हो रही थी कि आखिर वह मुझे ऐसे क्यों देख रहा था.

मैं ने महसूस किया कि वह अकसर मुझे देखता रहता है. नीरज का मुझे देखना मेरे दिल को धड़का जाता था. शायद नीरज मुझे पसंद करने लगा था. धीरेधीरे मुझे भी नीरज से प्यार होने लगा. हमारी आखें चार होने लगीं. उस की आंखों ने मेरी आंखों को बताया कि हमें एकदूसरे से प्यार हो गया है. अब तो हमेशा मैं उस खिड़की के सामने जा कर खड़ी हो जाती थी. नीरज की भूरी आंखें और सुनहरे बाल मुझे पागल कर देते थे. अब हम छिपछिप कर मिलने भी लगे थे.

सुबह मैं फिर उसी खिड़की के पास जा कर बैठ गई. तभी पीछे से किसी का स्पर्श पा

कर मैं हड़बड़ा गई और मेरी सोच पर पूर्णविराम लग गया.

‘‘मेघा, तुम कब से यहां बाहर बैठी हो? चलो अंदर चाय बनाती हूं,’’  मां ने कहा.

‘‘मैं यहीं ठीक हूं मां, आप जाओ, मैं थोड़ी देर में आती हूं.’’

मां ने मुझे शंका भरी नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘तुम अभी तक उस लफंगे को नहीं भूली हो? अरे, सब कुछ एक बुरा सपना समझ कर क्यों नहीं भूल जाती हो? उसी में सब की भलाई है. बेटा, अब तुम्हारी शादी हो चुकी है, अपनी घरगृहस्थी संभालो. अपने पति को प्यार करो. इतना अच्छा जीवनसाथी और ससुराल मिली है. एक लड़की को और क्या चाहिए?’’

मां की बातों से मुझे रोना आ गया. मेरी गलती क्या थी? यही न कि मैं ने प्यार किया और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है? अपने पति से कैसे प्यार करूं. जब मुझे उन से प्यार ही नहीं है?

‘‘अब क्यों रो रही हो? अगर तेरी करतूतों के बारे में जमाई राजा को पता चल गया, तो क्या होगा? अरे बेवकूफ लड़की, क्यों अपना सुखी संसार बरबाद करने पर तुली हो,’’ मां ने गुस्से में कहा.

‘‘कौन क्या बरबाद कर देगा मांजी?’’ सार्थक ने पूछा? जैसे उन्होंने हमारी सारी बातें सुन ली हों.

मां हड़बड़ा कर कहने लगी, ‘‘कुछ नहीं जमाईजी, मैं तो मेघा को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि अब पिछली बातें भूल जाओ… यह अपनी सब सहेलियों को याद कर के रो रही हैं.’’

‘‘ऐसे कैसे भूल जाएगी अपनी सहेलियों को… स्कूलकालेज अपने दोस्तों के साथ बिताया वह पल ही तो हम कभी भी याद कर के मुसकरा लेते हैं,’’ सार्थक ने कहा, ‘‘मेघा, दुनिया अब बहुत ही छोटी हो गई है. हम इंटरनैट के जरीए कभी भी, किसी से भी जुड़ सकते हैं.’’

हम मां के घर 3-4 दिन रह कर अपने घर रांची चल दिए. पटना से रांची करीब 1

दिन का रास्ता है. सार्थक तो सो गए पर ट्रेन की आवाज से मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं फिर वही सब सोचने लगी कि कैसे मेरे परिवार वालों ने हमारे प्यार को पनपने नहीं दिया.

प्रदीप भैया को कैसे भूल सकती हूं. उन की वजह से ही मेरा प्यार अधूरा रह गया था. मेरी आंखों के सामने ही उन्होंने नीरज को कितना मारा था. अगर तब नीरज की मां आ कर प्रदीप भैया के पैर न पकड़ती, तो शायद वे नीरज को मार ही डालते. उस दिन के बाद हम दोनों कभी एकदूसरे से नहीं मिले.

भैया ने तो यहां तक कह दिया था नीरज को कि आइंदा कभी यहां नजर आया या  मेरी बहन को नजर उठा कर भी देखने की कोशिश की, तो मार कर ऐसी जगह फेंकूंगा कि कोई ढूंढ़ नहीं पाएगा.

प्रदीप भैया की धमकी से डर कर नीरज और उस के परिवार वाले यहां से कहीं और

चले गए.

नम्रता को हमारे प्यार के बारे में सब पता था. एक दिन नम्रता मेरी मां से यह कह कर मुझे अपने घर ले गई कि हम साथ बैठ कर पढ़ाई करेंगी. हमारी 12वीं कक्षा की परीक्षा अगले महीने शुरू होने वाली थी. अत: मां ने हां कर दी. अब तो हमारा मिलना रोज होने लगा.

एक रोज जब मैं नम्रता के घर गई तो कोई नहीं दिखा सिर्फ नीरज था. उस ने बताया कि नम्रता और मां बाहर गई हैं. मैं वापस अपने घर आने लगी तभी नीरज ने मेरा हाथ अपनी ओर खींचा.

‘‘नीरज, छोड़ो मेरा हाथ कोई देख लेगा,’’ मैं ने नीरज से कहा.

‘‘कोई नहीं देखेगा, क्योंकि घर में मेरे अलावा कोई है ही नहीं,’’ उस ने शरारत भरी नजरों से देखते हुए कहा. उस की नजदीकियां देख कर मेरा दिल जोरजोर से धड़कने लगा. मैं अपनेआप को नीरज से छुड़ाने की कोशिश कर भी रही थी और नहीं भी. मैं ने अपनी आंखें बंद कर लीं. तभी उस ने मेरे अधरों पर अपना होंठ रख दिया.

‘‘नीरज, यह क्या किया तुम ने? यह तो गलत है.’’

‘‘इस में गलत क्या है? हम एकदूसरे से प्यार करते हैं,’’ कह कर उस ने मेरे गालों को

चूम लिया.

किसी को हमारे प्यार के बारे में अब तक कुछ भी पता नहीं था, सिर्फ नम्रता को छोड़ कर सुनहरे सपनों की तरह हमारे दिन बीत रहे थे. हमारे प्यार को 3 साल हो गए.

नीरज की भी नौकरी लग गई, और मेरी भी स्नातक की पढ़ाई पूरी हो गई. अब तो हम अपनी शादी के सपने भी संजोने लगे.

मैं ने नीरज को अपने मन का डर बताते हुए कहा, ‘‘नीरज, अगर हमारे घर वाले हमारे शादी नहीं होने देंगे तो?’’

‘‘तो हम भाग कर शादी कर लेंगे और अगर वह भी न कर पाए तो साथ मर सकते हैं न? बोलो दोगी मेरा साथ?’’

‘‘हां नीरज, मैं अब तुम्हारे बिना एक दिन भी नहीं सकती हूं,’’ मैं ने उस के कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा.

हमें पता ही नहीं चला कि कब प्रदीप भैया ने हमें एकदूसरे के साथ देख लिया था.

मेरे और नीरज के रिश्ते को ले कर घर में बहुत हंगामा हुआ. मुझे भैया से बहुत मार भी पड़ी. अगर भाभी बीच में न आतीं, तो शायद मुझे मार ही डालते. उस वक्त मांपापा ने भी मेरा साथ नहीं दिया था.

जल्दीजल्दी में मेरी शादी तय कर दी गई. इन जालिमों की वजह से मेरा प्यार अधूरा रह गया. कभी माफ नहीं करूंगी इन प्यार के दुश्मनों को.

‘‘हैलो मैडम, जरा जगह दो… मुझे भी बैठना है,’’ किसी अनजान आदमी ने मुझे छूते हुए कहा, तो मैं चौंक उठी.

मैं ने कहा, ‘‘यह तो आरक्षित सीट है.’’ तभी 2 लोग और आ गए और मेरे साथ बदतमीजी करने लगे. मैं चिल्लाई, ‘‘सार्थक.’’

सार्थक हड़बड़ा कर उठ गए. जब उन्होंने देखा कि कुछ लड़के मेरे साथ छेड़खानी करने लगे हैं, तो वे सब पर टूट पड़े. रात थी, इसलिए सारे पैसेंजर सोए हुए थे. मैं तो डर गई कि कहीं चाकूवाकू न चला दें.

अत: मैं जोरजोर से रोने लगी. तब तक डिब्बे की लाइट जल गई और पैसेंजर उन बदमाशों को पकड़ कर मारने लगे. कुछ ही देर में पुलिस भी आ गई.

‘‘मेघा, तुम ठीक हो न, तुम्हें कहीं लगी तो नहीं?’’ सार्थक ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. उन के सीने से लगते ही लगा जैसे मैं ठहर गई. अब तक तो बेवजह भावनाओं में बहे जा रही थी, जिन की कोई मंजिल ही न थी.

‘‘मैं ठीक हूं, मैं ने कहा.’’ सार्थक के हाथ से खून निकल रहा था, फिर भी उन्हें मेरी ही चिंता थी.

तभी किसी पैसेंजर ने कहा, ‘‘आप चिंता न करें भाई साहब इन्हें कुछ नहीं हुआ है. पर थोड़ा डर गई हैं. खून तो आप के हाथ से निकल रहा है.’’

तभी किसी ने आ कर सार्थक के हाथों पर पट्टी बांध दी. तब जा कर खून का बहना रुका.

मैं यह क्या कर रही थी? इतने अच्छे इनसान के साथ इतनी बेरुखी. सार्थक को अपने से ज्यादा मेरी चिंता हो रही थी… मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हूं?

अब सार्थक ही मेरी दुनिया है, मेरे लिए सब कुछ है. नीरज तो मेरा प्यार था. सार्थक तो मेरा जीवनसाथी है.

बालों को करें त्योहार के लिए तैयार

निशा ने इस दीवाली अपने लिए एक बेहद खूबसूरत ड्रैस ली थी. नैट के दुपट्टे और लहरदार डिजाइन वाले इस लाइट पिंक स्लीवलैस सूट में वह बहुत प्यारी लग रही थी. मगर जब शाम में तैयार होते समय उस ने ड्रैस के हिसाब से बालों में एक अच्छा स्टाइल बनाने की कोशिश की तो वह सही लुक में नहीं आ पाया. उस के बाल रूखे और बेजान से लग रहे थे जिन में वह स्टाइल सूट नहीं कर रहा था. फिर उस ने बालों को खुला छोड़ने की सोची तो भी वे अच्छे नहीं लगे.

दरअसल, दीवाली से जस्ट पहले निशा एक ऐग्जाम देने लखनऊ गई थी और फिर आ कर शौपिंग में लग गई. इस वजह से वह अपने बालों का खयाल नहीं रख पाई और जब खूबसूरत दिखने का समय आया तो बालों की वजह से वह मात खा गई.

त्योहार एक ऐसा मौका है जब हर लड़की या महिला सब से खूबसूरत दिखना चाहती है. रंगबिरंगे नए कपड़ों के साथ स्टाइलिश या खुले बालों में सब की निगाहों पर छा जाना चाहती है, जबकि त्योहारों के सीजन में हमारा अधिकांश समय तैयारियों और व्यस्तता में व्यतीत होता है. ऐसे में अपने बालों की देखभाल करने के लिए समय निकालना कठिन हो जाता है.

त्योहारों में आकर्षक दिखने के लिए लड़कियां बाल खुले रखती हैं और खुले बाल अच्छे लगें इस की तैयारी पहले से करनी होती है. त्योहारों के आगमन से कुछ समय पहले से एक हेयर केयर रूटीन अपनाने की जरूरत है ताकि आप अच्छा हेयरस्टाइल बना सकें या लहराते खुले बाल रख सकें.

त्योहारी सीजन से पहले ऐसे करें हेयर केयर:

  1. अपने आहार पर ध्यान दें

पौष्टिक आहार का सेवन करना सब से महत्त्वपूर्ण है. विटामिन सी, आयरन और प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों का सेवन आप के सिर की त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है और बालों के ?ाड़ने से लड़ने में मदद करता है. इस के अतिरिक्त आहार में अधिक ओमेगा थ्री और ओमेगा 6 वाले खाद्यपदार्थ जैसे अंडे, बादाम और अखरोट शामिल करें.

2. बालों की नियमित रूप से ट्रिमिंग

नियमित रूप से ट्रिम करवाना स्वस्थ बालों को बनाए रखने का एक अनिवार्य हिस्सा है. हर 7-8 सप्ताह में अपने बालों को ट्रिम करने से दोमुंहे बालों को बालों की जड़ों तक बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है, जिस से बाल टूटते और बेजान होने लगते हैं. नियमित ट्रिम्स बालों के विकास को बढ़ावा देती है और बालों को एक ताजा, जीवंत रूप देती है. इस से बालों में मजबूती आती है और आप नएनए स्टाइल बना पाती हैं.

3. नियमित सफाई

अगला कदम उपयुक्त शैंपू से नियमित सफाई का महत्त्वपूर्ण कदम है विशेषरूप से त्योहारी सीजन के दौरान ऐसा करना बहुत जरूरी है. इस समय आप अकसर मार्केट वगैरह में घूमती हैं और धूलमिट्टी से आप का सामना होता रहता है. यदि आप ने बालों में कोई कैमिकल ट्रीटमैंट लिया है तो आप के क्लींजर में पीएच संतुलन और मौइस्चराइजिंग प्रभाव होना चाहिए. जो महिलाएं या लड़कियां रोजाना बाल धोती हैं उन के लिए सल्फेट मुक्त शैंपू जरूरी है. साथ ही ऐसा शैंपू चुनें जो आप के बालों के प्रकार से मेल खाता हो और आप की किसी भी समस्या जैसे रूसी या रूखापन का समाधान करता हो.

धीरेधीरे शैंपू को अपनी स्कैल्प में लगाएं और गंदगी, अतिरिक्त तेल आदि को हटाने के लिए इस की मालिश करें. अब कुनकुने पानी से अच्छी तरह धो लें. अपने बालों को पूरा दिन ताजा बनाए रखने के लिए फल या नीबू जैसी हलकी सुगंध वाले शैंपू का उपयोग कर सकती हैं.

4. बालों की कंडीशनिंग

यदि बालों की कंडीशनिंग नियमित रूप से की जाए तो यह बालों की देखभाल के लिए सब से सरल और प्रभावी कदम हो सकता है. आप को बस थोड़े ऐलोवेरा में नारियल तेल की थोड़ी मात्रा गरम करनी है. फिर अपनी उंगलियों को इस गरम तेल में डुबोएं और इसे अपने बालों में लगाएं. उन जगहों पर ज्यादा लगाएं जो शुष्क या रूखी है. कंडीशनर को कुछ मिनट तक अपना जादू चलाने दें ताकि यह आप के बालों में प्रवेश कर उन्हें हाइड्रेट कर सके.

इस से आप के बालों की समस्याएं दूर हो जाएंगी. ऐलोवेरा+नारियल का मेल न केवल आप के बालों को पोषण देगा और उन्हें स्वस्थ बनाएगा बल्कि ऐलोवेरा के कंडीशनिंग प्रभाव के कारण आप के बाल मुलायम भी बनेंगे. इस से आप के लिए किसी भी उत्सव के ट्रैंडी हेयरस्टाइल को बनाने में आसानी होगी.

अपने बालों को नियमित रूप से ब्रश करने से आप को बालों को साफ करने में मदद मिलेगी. चौड़े दांतों वाली कंघी से ब्रश करने की सही तकनीक स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने में मदद करेगी जिस से बालों का रूखापन कम होगा. इस से आप के बाल फ्रैश और स्टाइलिश बने रहेंगे.

5. हेयर मास्क लगाना

त्योहार के मौके पर स्टाइलिंग के लिए बालों को तैयार करने के लिए करीब 6-7 दिन पहले हेयर मास्क लगाना भी आवश्यक है क्योंकि आप के बाल जितने अधिक हाइड्रेटेड होंगे उतना बेहतर होगा. हेयर मास्क आप मेहंदी का भी लगा सकती हैं या दूसरे और भी कई तरह के बेहतरीन हेयर मास्क हैं जैसे ऐलोवेरा और नारियल तेल का हेयर मास्क, मेहंदी और आंवला का हेयर मास्क, शहद और अंडे का हेयर मास्क, ऐवोकाडो और औलिव औयल हेयर मास्क, नारियल तेल और अंडे का हेयर मास्क और बालों में तेल लगाना.

अपने बालों को नमी देने के लिए तेल का उपयोग करें. तेल आप के बालों को मौइस्चराइज करता है. इस से आप का हेयरस्टाइल अच्छा दिखता है. जिन दिनों आप हेयर मास्क नहीं लगाती हैं उन दिनों बालों को धोने के बाद उन में कुछ घंटों के लिए या फिर रातभर के लिए तेल लगाएं. थोड़ी मात्रा में तेल लें और अपनी उंगलियों का उपयोग कर के गोलाकार गति में अपने सिर की मालिश करें. रात को सोने से पहले अपने बालों में आवश्यक तेलों का मिश्रण लगाएं. इस से रूखे व बेजान बाल भी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं.

तेल के मिश्रण को अपनी स्कैल्प और बालों पर अच्छे से लगाने के बाद अपने बालों को 10 मिनट के लिए गरम तौलिए में लपेटें और फिर छोड़ दें. सुबह हलके हेयर क्लींजर से धो लें. आप जरूरत के हिसाब से नारियल तेल, सरसों तेल, आंवला, बादाम या ऐसे हर्बल तेल चुनें जो बालों की जड़ों में प्रवेश करते हैं, जड़ों को मजबूत करते हैं और आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं. ये बालों के विकास को उत्तेजित कर प्राकृतिक चमक प्रदान करते हैं.

6. बालों को कोमल बनाएं

मुलायम, रेशमी बाल त्योहार के दौरान आप की खूबसूरती को और भी खास बना सकते हैं. इस के लिए निम्न सामग्री का प्रयोग करें:

1 अंडा, 1 चम्मच ऐलोवेरा जूस और कुछ बूंदें नीबू का रस एक साफ कांच के कटोरे में मिलाएं और अपने साफ और सूखे बालों पर लगाएं. अपने सिर को शौवर कैप से ढक कर एक घंटे के लिए छोड़ दें. फिर हलके शैंपू से धो लें और बालों को सूखने दें.

7. हीटिंग टूल्स का कम प्रयोग

त्योहारों के समय हेयरस्टाइल बनाने के लिए आमतौर पर हीटिंग टूल्स का काफी इस्तेमाल किया जाता है. मगर हीटिंग टूल्स के साथ स्टाइल करने से आप के बालों की प्राकृतिक नमी खत्म हो जाती है. इसलिए ब्लोड्राइंग, स्ट्रेटनिंग और कर्लिंग से बचें. इस के बजाय यदि आप ऐलोवेरा और नारियल तेल जैसे प्राकृतिक तत्त्वों को अपनाती हैं तो इस से न केवल आप के बालों को आवश्यक डिटौक्स ट्रीटमैंट मिलेगा बल्कि ये नर्म, मजबूत और स्वस्थ भी बनेंगे.

8. त्योहार के दिन हेयर केयर

त्योहार के दिन अपने बालों को किसी अच्छे शैंपू से धोएं. फिर कंडीशनर का इस्तेमाल कर इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें. बाल तैयार हो जाएं तो अपनी ड्रैस के हिसाब से एक खूबसूरत, स्टाइलिश लेकिन सरल हेयरस्टाइल बनाएं. त्योहारों के दौरान हमें लगातार कई मौकों के लिए तैयार होना होता है. ऐसे में कोशिश करें कि आप हर दिन अलगअलग हेयरस्टाइल बनाएं.

9. बालों को कलर करें

अपने बालों पर कलर लगा कर आप इन्हें एक अलग लुक दे सकती हैं और अपनी खूबसूरती में चार चांद लगा सकती हैं. मार्केट में मिलने वाले कलर्स का प्रयोग कर सकती हैं या फिर मेहंदी या चुकंदर का रस ट्राई करें. ये प्राकृतिक रूप से आप के बालों को काला कर आकर्षक बनाएंगे और कंडीशन भी करेंगे. चुकंदर के रस का उपयोग करने के बाद आप को अपने बालों पर पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए और ध्यान रखें कि एक बार जब आप अपने बालों पर पानी का उपयोग कर लेंगी तो रंग नहीं रहेगा.

10. बाल सावधानी से सुलझाएं

बालों के अनावश्यक टूटने और खिंचने से बचने के लिए बालों को धीरे से सुल?ाना महत्त्वपूर्ण है. कंडीशनर लगाने के बाद चौड़े दांतों वाली कंघी या विशेषरूप से सुल?ाने के लिए डिजाइन किए गए ब्रश का उपयोग करें. सिरों से शुरू करें और धीरेधीरे किसी भी गांठ या उल?ान को हटाते हुए ऊपर की ओर बढ़ें. इस से बाल कम टूटते हैं.

त्योहारी सीजन के दौरान जब आप हर दिन नया हेयरस्टाइल बनाने के लिए हीट का उपयोग करती हैं तो यह आप के बालों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है. इस के विपरीत अगर आप पहले से बालों की देखभाल करेंगी तो उन्हें अपने हिसाब से संवारना बहुत आसान हो जाएगा और हीटिंग टूल्स के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी.

कहीं आप फ्रोजन शोल्डर के शिकार तो नहीं, डौक्टर की राय जानें यहां

मुंबई की एक पाश एरिया में रहने वाले 40 वर्षीय मोहन के बाई हाथ और कंधों  में बहुत दर्द रहता था, उन्हें लगा कि ये हार्ट की कोई बीमारी है, उन्होंने कई डौक्टर को कंसल्ट किया, सारे टेस्ट करवा डालें, लेकिन कुछ नहीं निकला. अंत में जब वे ओर्थोपेडिक सर्जन के पास गए, तो उन्होंने उनके लाइफस्टाइल के बारें में बात की और पता चला कि उनके बायें हाथ का दर्द उनकी गलत सोने की पोस्चर की वजह से है. वे अपने सिर के नीचे हाथ रखकर सोते है और लगातार ऐसा करने की वजह से उन्हें फ्रोजन शोल्डर की शिकायत हो चुकी है, जिसकी वजह से उनके बाए हाथ और कंधों में दर्द रहता है. डौक्टर ने उन्हें कुछ एक्सरसाइज और सोने की आदत को बदलने के लिए कहा, जिससे उनके फ्रोजन शोल्डर की शिकायत और हाथ दर्द ठीक हो गया.

इस बारें में एमीकेयर हौस्पिटल के जौइंट स्पेशलिस्ट और ओर्थोपेडिक सर्जन डा. हिमांशु गुप्ता कहते है कि कंधे के जोड़ों में जकड़न यानी फ्रोजन शोल्डर, जिसे एडहेसिव कैप्सूलाइटिस भी कहा जाता है. यह स्थिति मधुमेह ग्रस्त और उन लोगों में अधिक होती है जो अपनी बाहों को अधिक अवधि के लिए एक स्थान पर स्थिर रखते हैं. समय रहते इसका ध्यान देने पर आसानी से इसका इलाज हो सकता है. इसकी शुरूआती लक्षण, जांच और इलाज की जानकारी होने की जरुरत होती है. वैसे तो इसका इलाज नौनसर्जिकल ही होता है, लेकिन कई बार सर्जिकल भी करना पड़ता है. इसके लक्षण निम्न है,

जानें वजह

हालांकि फ्रोजन शोल्डर के स्पष्ट कारणो के सन्दर्भ में कुछ कहा नहीं जा सकता परन्तु इसकी शुरुआत अक्सर कुछ विशेष कारकों से जुड़ी होती है. 40 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है. मधुमेह, थायरौयड और हृदय रोग जैसे शारीरिक स्थितियों में इसके होने की संभावना बढ़ सकती है. किसी चोट या सर्जरी के बाद लंबे समय तक स्थिर रहने से औटोइम्यून विकारों और हार्मोनल असंतुलन के साथ-साथ कंधे जम जाते हैं, जिसका दर्द नीचे हाथ तक आ सकता है.

क्या है लक्षण

फ्रोजन शोल्डर के लक्षणों को तीन अलग-अलग स्टेज में देखा जा सकता है, प्रत्येक की पहचान विशेष संकेतों से होती है,

  1. फ्रीजिंग स्टेज

इसके शुरूआती दौर में दर्द और अकड़न बढ़ जाती है, जिससे कंधे की गति सीमित हो जाती है. बालों में कंघी करना या कपड़े पहनना जैसे साधारण कार्यों में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

2. फ्रोजन स्टेज

इसमें दर्द कुछ हद तक कम रह सकता है, लेकिन जकड़न बनी रहती है. कंधे की गतिशीलता काफी कम हो जाती है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां प्रभावित होने लगती है.

3. थाइंग स्टेज

इस स्टेज में व्यायाम से सुधार होता है, दर्द थोडा कम हो जाता है, और अधिकतर मरीज फिर से अपने कंधे का प्रयोग कर पाते हैं.

क्या है इलाज

फ्रोजन शोल्डर के सही इलाज के लिए रोगी के मेडिकल हिस्ट्री,  उनका संपूर्ण शारीरिक परीक्षण और कभीकभी, एक्स-रे या एमआरआई स्कैन जैसी अन्य इमेजिंग तकनीकों के संयोजन की जरुरत होती है. सही इलाज के लिए फ्रोजन शोल्डर के लक्षणों को बारीकी से देखना पड़ता है, ताकि इसकी शिकायत को जल्दी कम किया जा सकें.

बिना सर्जरी के इलाज प्रक्रिया में दर्द को कम करना और कंधे की कार्यप्रणाली को वापस शुरु करना शामिल होता है. इसमें दवा के साथ कई बार फिजियोथिरेपिस्ट की सहायता लेनी  सकती है.

फिजियोंथिरेपिस्ट द्वारा बताए गए व्यायाम और स्ट्रेच कंधे की गतिशीलता को बनाए रखने और सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

दर्द और सूजन को कम करने के लिए नौनस्टेरायडल एंटीइन्फ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs) और कॉर्टिकोस्टेरौइड इंजेक्शन का सही तरीके से उपयोग किया जा सकता है.

इसके इलाज में थर्मल थेरेपी काफी कारगर होती है. गर्मी या ठंडे पैक का इस्तेमाल परेशानी को कम कर सकता है और मांसपेशियों की जकड़न में ये प्रक्रियां आराम दे सकता है.

जब पारंपरिक तरीके काम नही आते हैं और मरीज का जीवन स्तर लगातार प्रभावित होता रहता है, तो सर्जिकल इलाज एकलौता विकल्प बच जाता हैं:

मैनीपुलेशन अंडर एनेस्थीसिया (MUA) में, मरीज एनेस्थीसिया के तहत होता है तो ओर्थोपेडिक सर्जन कंधे को विभिन्न गतियों से घुमाता है, जिससे स्थिर टिश्यू में गति आ जाती है.

आर्थ्रोस्कोपिक रिलीज़ भी एक प्रकार की न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल है. इस तरीके की इलाज में कंधे के जोड़ के अन्दर बारीक़ टिश्यू को सही करना पड़ता है.

सर्जिकल और नौनसर्जिकल तरीकों के बीच का निर्णय फ्रोजन शोल्डर की गंभीरता और दैनिक गतिविधियों पर इसके असर पर निर्भर करता है. शुरुआत में, व्यायाम और दवाओं के साथ नौनसर्जिकल तरीकों से इलाज की कोशिश की जाती है, जबकि कुछ जटिल मामलों में सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जाता है जब पारंपरिक  तरीकों से इलाज के बावजूद दर्द और परेशानियां बनी रहती है.

सावधानियां

  • उपचार के साथसाथ, डौक्टर्स द्वारा बताये गए निर्देशों का पालन करना और उनका सलाह लेना आवश्यक है.
  • नियमित निर्देश के अनुसार व्यायाम करें, जिसमे हल्के स्ट्रेच और व्यायाम को जारी रखना आवश्यक है, ताकि लचीलेपन को बढाने और स्वास्थ्य के सुधार में सहायता मिले.
  • अत्यधिक तनाव से बचने की हमेशा कोशिश करें, कंधे का अधिक से अधिक प्रयोग करने से बचें, ताकि उस पर अधिक दबाव न पड़ें.
  • अपने पोस्चर सही रखने की हमेशा कोशिश करें, अगर आप एक स्थान पर बैठकर लैपटॉप या मोबाइल पर अधिक समय तक काम करते हो तो समयसमय पर उठकर थोड़ी टहल लें, इससे कंधे के जोड़ को राहत मिलती है और दर्द में भी कमी आती है.
  • इलाज को कारगर बनाने के लिए तय दवाईओं और नियमों का पालन करना जरूरी होता है, इससे दर्द से बहुत हद तक राहत मिलती है.

इस प्रकार फ्रोजन शोल्डर शरीर में उत्पन्न एक विशेष डिसऔर्डर है, जिसके सभी लेवेल्स, लक्षणों और उपचार के तरीके की जानकारी आवशयक है. सर्जरी या नौन सर्जरी के माध्यम से इलाज संभव होता है, ताकि दर्द कम हो और दैनिक जीवन में व्यक्ति की गतिशीलता लगातार बनी रहे.

Diwali Special: शादी के बाद है पहली दीवाली ? तो इन तरीकों से बनाएं बेहद स्पेशल

शादी के बाद सृष्टि की पहली दीवाली थी. उस के सासससुर और जेठजेठानी पास ही दूसरे फ्लैट में रहते थे. सृष्टि के पति मनीष को कंपनी की तरफ से अलग मकान दिया गया था जिस में दोनों पतिपत्नी अकेले रहते थे. सृष्टि भी जौब करती थी इसलिए घर में दिन भर ताला लगा रहता था.

औफिस में दीवाली की छुट्टी एक दिन की ही थी पर सृष्टि ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. वह अपनी पहली दीवाली यादगार बनाना चाहती थी. दीवाली वाले दिन मनीष को जरूरी मीटिंग के लिए बाहर जाना पड़ा. मीटिंग लंबी खिंच गई. लौटतेलौटते शाम हो गई. मनीष ने सृष्टि को फोन किया तो उस ने उठाया नहीं. घर लौटते वक्त मनीष यह सोचसोच कर परेशान था कि जरूर आज सृष्टि उस की खिंचाई करेगी या नाराज बैठी होगी.

असमंजस के साथ उस ने घंटी बजाई. दरवाजा खुला पर अंदर अंधेरा था. वह पल भर में ही तनाव में आ गया और जोर से चिल्लाया, ‘‘सृष्टि कहां होयार, आई एम सौरी.’’  तभी अचानक सृष्टि आ कर उस से लिपट गई और धीमे से बोली, ‘‘आई लव यू डियर हब्बी, हैप्पी दीवाली.’’

तभी दोनों के ऊपर फूलों की बारिश होने लगी. पूरे कमरे में रंगबिरंगी कैंडल्स जल उठीं और मनमोहक खुशबू से सारा वातावरण महक उठा. सामने बेहद आकर्षक कपड़ों और पूरे श्रृंगार के साथ सृष्टि खड़ी मुसकरा रही थी. मनीष ने लपक कर उसे बाहों में उठा लिया. सारा घर खूबसूरती से सजा हुआ था. टेबल पर ढेर सारी मिठाइयां और फायरक्रैकर्स रखे थे. सृष्टि मंदमंद मुसकरा रही थी. दोनों ने 1-2 घंटे आतिशबाजी का मजा लिया. तब तक मनीष के मातापिता, भाईभाभी और उन के बच्चे भी आ गए, सृष्टि ने सभी को पहले ही आमंत्रित कर रखा था. पूरे परिवार ने मिल कर दीवाली मनाई. यह दीवाली मनीष और सृष्टि के जीवन की यादगार दीवाली बन गई.

दिलों को भी रोशन करें

इसे कहते हैं पहली दीवाली की रौनक जो घरआंगन के साथसाथ दिलों को भी रोशन कर जाए. शादी के बाद की पहली दीवाली का खास महत्त्व होता है. अगर इस दिन को लड़ाईझगड़ों या तनातनी में गंवा दिया तो समझिए आप ने बेशकीमती लमहे यों ही लुटा दिए. जिंदगी खुशियों को सैलिब्रेट करने का नाम है तो फिर दीवाली जैसे रंग और रोशनी के त्योहार के दिन अपना मनआंगन क्यों न जगमगाएं?

अक्सर शादी के बाद जब लड़की ससुराल में पहली दीवाली मनाती है तो उसे होम सिकनैस और घरवालों की कमी महसूस होती है. ऐसा होना स्वाभाविक है पर इस का मतलब यह नहीं कि दीवाली जैसे मौके का मजा किरकिरा कर  दें. बेहतर होगा कि नए माहौल और नए लोगों के साथ दीवाली इतने प्यार से मनाएं कि आप का आने वाला समय भी नई खुशियों से रोशन  हो जाए.

इनलौज के साथ करें शौपिंग

मौके को यादगार बनाना है तो अपनी सास या ननद के साथ जी भर कर शौपिंग करें. पूरे परिवार के लिए तोहफे खरीदें. किस के लिए क्या खरीदना है, इस की एक लिस्ट पहले ही बना कर रख लें. इस काम में अपनी सास की सहायता ले सकती हैं. वह आप को पूरे परिवार की पसंदनापसंद बता सकेंगी. सारे गिफ्ट्स खूबसूरती से रैप कर के सरप्राइज के लिए सुरक्षित जगह  पर रख दें. गिफ्ट्स के अलावा मिठाइयां, चौकलेट्स, फायरक्रैकर्स और सजावटी सामानों की शौपिंग भी कर लें.

रोशन करें घर का कोनाकोना

दीवाली रोशनी का त्योहार है इसलिए पूरे घर को दीपों मोमबत्तियों और दूसरे डिजाइनर बल्बस से सजा दें. लाइटिंग अरैंजमैंट ऐसी करें कि आप का घर अलग ही जगमगाता नजर आए.

घर में बनाएं मिठाइयां

यह एक पुरानी मगर सटीक कहावत है कि किसी के दिल तक पहुंचने का रास्ता उस के पेट से हो कर जाता है. शादी के बाद अपने इनलौज व हसबैंड के दिल तक इसी रास्ते पहुंचा जा सकता है. आप को अपनी पाक कला में निखार लाना होगा. स्वादिष्ठ फैस्टिव मील्स और स्वीट्स तैयार करने होंगे. ज्यादा नहीं जानतीं तो अपनी मां या सास की सहायता लेने से हिचकें नहीं. पत्रिकाओं में भी हर तरह की रैसिपीज छपी होती हैं. उन की सहायता लें और सब को खुश कर दें.

दीवाली पार्टी

अपनी पहली दीवाली यादगार बनाने आसपड़ोस के लोगों व रिश्तेदारों को जाननेसमझने व रिश्तों को प्रगाढ़ करने का इस से बेहतर मौका नहीं मिलेगा. घर में दीवाली पार्टी और्गनाइज करें और लोगों को बुला कर खूब मस्ती करें.

एकल परिवार

अगर आप शादी के बाद किसी वजह से इनलौज से अलग रह रही हैं तो आप की चुनौतियां कुछ अलग होंगी. आप को ध्यान रखना होगा कि जिस प्रकार आप होमसिकनैस महसूस कर रही हैं वैसे ही आप के पति भी परिवार से दूर पहली दफा दीवाली मना रहे हैं. ऐसे में आप को प्रयास करना होगा कि पति को खास महसूस कराएं और उन के लिए खास सरप्राइज तैयार कर के रखें.

इस संदर्भ में आप अपनी मां से यह पूछ सकती हैं कि उन्होंने अपनी पहली दीवाली में क्या खास किया था? अपनी सास को फोन करें और बताएं कि आप ने दीवाली के लिए क्या स्पैशल सरप्राइजेज तैयार किए हैं. उन से कहिए कि वह आप के पति को ज्यादा बेहतर जानती हैं इसलिए आप की सहायता करें. आप की सास यह जान कर स्पैशल महसूस करेंगी कि आप उन के बेटे के जीवन में उन की खास जगह को स्वीकार करती हैं और महत्त्व देती हैं. वह आप की सहायता कर के खुश होंगी.

अपने पति के लिए एक खास दीवाली तोहफा खरीदें. यह कोई गैजेट हो सकता है या नई ड्रैस या फिर अपनी बजट के हिसाब से कुछ और खरीदें. उन की पसंद की मिठाइयां तैयार करें, फैवरिट डिश बनाएं और फिर खास उन के लिए सजें. रात में घर का कोनाकोना रोशन करें. आज के समय में आप स्काइप या फेसबुक आदि की सहायता से इस खास मौके को यादगार बनाते हुए इन लमहों को दूसरों से शेयर भी कर सकती हैं.

दिल की आवाज: क्या थी अविनाश के कंपनी की शर्तें

आज सुबह से ही अविनाश बेहद व्यस्त था. कभी ईमेल पर, कभी फोन पर, तो कभी फेसबुक पर.

‘‘अवि, नाश्ता ठंडा हो रहा है. कब से लगा कर रखा है. क्या कर रहे हो सुबह से?’’

‘‘कमिंग मम्मा, जस्ट गिव मी फाइव मिनट्स,’’ अविनाश अपने कमरे से ही चिल्लाया.

‘‘इतने बिजी तो तुम तब भी नहीं थे जब सीए की तैयारी कर रहे थे. हफ्ता हो गया है सीए कंप्लीट हुए, पर तब से तो तुम्हारे दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं या तो नैट से चिपके रहते हो या यारदोस्तों से, अपने मांबाप के लिए तो तुम्हारे पास समय ही नहीं बचा है,’’ अनुराधा लगातार बड़बड़ किए जा रही थी. उस की बड़बड़ तब बंद हुई जब अविनाश ने पीछे से आ कर उस के गले में बांहें डाल दीं.

‘‘कैसी बात कर रही हो मम्मा, तुम्हारे लिए तो टाइम ही टाइम है. चलो, आज तुम्हें कहीं घुमा लाऊं,’’ अविनाश ने मस्ती की.

‘‘रहने दे, रहने दे. घुमाना अपनी गर्लफ्रैंड को, मुझे घुमाने को तो तेरे पापा ही बहुत हैं, देख न कब से घुमा रहे हैं. अब मेरे साथ 2-3 दिन के लिए भैया के पास चलेंगे. वे लोग कब से बुला रहे हैं, कह रहे थे पिताजी क्या गए कि तुम लोग तो हमें बिलकुल ही भूल बैठे हो. आनाजाना भी बिलकुल बंद कर दिया,’’ अनुराधा ने नाश्ता परोसते हुए शिकायती लहजे में कहा. उसे अच्छे से पता था कि पीछे खड़े पतिदेव मनोज सब सुन रहे हैं.

‘‘बेटे से क्या शिकायतें हो रही हैं मेरी. कहा तो है दिसंबर में जरूर वक्त निकाल लूंगा, मगर तुम्हें तो मेरी किसी बात का भरोसा ही नहीं होता,’’ मनोज मुंह में टोस्ट डालते हुए बोले. टोस्ट के साथ उन के वाक्य के आखिरी शब्द भी पिस गए.

‘‘तो अब आगे क्या प्लान है अवि?’’ डायनिंग टेबल पर मनोज ने अविनाश से पूछा.

‘‘इस के प्लान पूछने हों तो इसे ट्विट करो. यह अपने दोस्तों के संग न जाने क्याक्या खिचड़ी पकाता रहता है. हमें यों कहां कुछ बताएगा.’’ अनुराधा का व्यंग्य सुन कर अविनाश झल्ला गया. उसे झल्लाया देख मनोज ने बात संभाली.

‘‘तुम चुप भी करो जी, जब देखो, मेरे बेटे के पीछे पड़ी रहती हो. कितना होनहार बेटा है हमारा,’’ मनोज ने मस्का मारा तो अविनाश के चेहरे पर मुसकान दौड़ आई.

‘‘हां, तो बेटा मैं पूछ रहा था कि आगे क्या करोगे?’’

‘‘वो पापा… सीए कंप्लीट होने के बाद दोस्त लोग कब से पार्टी के लिए पीछे पड़े हैं, सोच रहा हूं आज उन्हें पार्टी…’’ अविनाश की सवालिया नजरें मनोज से पार्टी के लिए फंड की रिक्वैस्ट कर रही थीं. अविनाश की शौर्टटर्म फ्यूचर प्लानिंग सुन मनोज ने अपना सिर पीट लिया.

‘‘मेरा मतलब है आगे… पार्टी, मौजमस्ती से आगे… कुछ सोचा है… नौकरी के बारे में,’’ मनोज ने जोर दे कर पूछा.

‘‘अ…हां…सौरी…वो… पापा दरअसल… एक कंसलटेंसी फर्म में अप्लाई किया है.

2-3 दिन में इंटरव्यू के लिए काल करेंगे. होपफुली काम बन जाएगा.’’

‘‘गुड.’’

‘‘पापा, वह पार्टी…’’

‘‘ठीक है, प्लान बना लो.’’

‘‘प्लान क्या करना पापा… सब फिक्स्ड है,’’ अविनाश ने खुशी से उछलते हुए कहा तो अनुराधा और मनोज एकदूसरे का मुंह ताकने लगे.

24 साल का स्मार्ट, चुलबुला अविनाश पढ़ाई में जितना तेज था शरारतों में भी उतना ही उस्ताद था. उस के दोस्तों का बड़ा ग्रुप था, जिस की वह जान था. अपने मातापिता की आंखों का इकलौता तारा जिसे उन्होंने बेहद लाडप्यार से पाला था. वह अपने भविष्य के प्रति अपनी जिम्मेदारियां बखूबी समझता था इसलिए अनुराधा और मनोज उस की मौजमस्ती में बेवजह रोकटोक नहीं करते थे. उस के 2 ही शौक थे, दोस्तों के साथ मौजमस्ती करना और तेज रफ्तार बाइक चलाना. कभीकभी तो वह बाइक पर स्टंट दिखा कर लड़कियों को प्रभावित करने की कोशिश भी करता था.

आज अविनाश के लिए बहुत बड़ा दिन था. उस ने एक प्रतिष्ठित एकाउंटेंसी फर्म में इंटरव्यू क्लीयर कर लिया था. कैरियर की शुरुआत के लिए यह उस की ड्रीम जौब थी. स्वागत कक्ष में बैठे अविनाश को अब एचआर की काल का इंतजार था.

‘‘मि. अविनाश, प्लीज एचआर राउंड के लिए जाइए.’’ काल आ गई थी. एचआर मैनेजर ने अविनाश को उस के जौब प्रोफाइल, सैलरी स्ट्रैक्चर, कंपनी की टर्म और पौलिसी के बारे में समझाया और एक स्पैशल बांड पढ़ने के लिए आगे बढ़ाया, जिसे कंपनी जौइन करने से पहले साइन करना जरूरी था.

‘‘यह कैसा अजीब सा बांड है सर, ऐसा तो किसी भी कंपनी में नहीं होता.’’ बांड पढ़ कर अविनाश सकते में आ गया.

‘‘मगर इस कंपनी में होता है,’’ एचआर मैनेजर ने मुसकराते हुए जवाब दिया. बांड वाकई अजीब था. कंपनी की पौलिसी के अनुसार कंपनी के प्रत्येक कर्मचारी को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक था. मसलन, अगर कर्मचारी कार चलाता है तो उसे सेफ्टी बैल्ट लगानी अनिवार्य होगी, अगर कर्मचारी टू व्हीलर चलाता है तो उसे हेलमेट पहनना और नियमित स्पीड पर चलना अनिवार्य होगा. जो कर्मचारी इन नियमों का उल्लंघन करता पाया गया उसे न सिर्फ अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, बल्कि जुर्माना भी भरना पड़ेगा.

अविनाश के भीतर उबल रहा गुस्सा उस के चेहरे और माथे की रेखाओं से स्पष्ट दिख रहा था. वह बेचैन हो उठा. यह क्या जबरदस्ती है. अव्वल दरजे की बदतमीजी है. सरासर तानाशाही है. क्यों पहनूं मैं हेलमेट? हेलमेट वे पहनते हैं जिन्हें अपनी ड्राइविंग पर भरोसा नहीं होता, जिन के विचार नकारात्मक होते हैं, जिन्हें सफर शुरू करने से पहले ही दुर्घटना के बारे में सोचने की आदत होती है.

मैं ऐसा नहीं हूं और मेरे बालों का क्या होगा, कितनी मुश्किल से मैं इन्हें सैट कर के रखता हूं, हेलमेट सारी की सारी सैटिंग बिगाड़ कर रख देगा. कितना कूल लगता हूं मैं बाइक राइडिंग करते हुए. हेलमेट तो सारी पर्सनैलिटी का ही कबाड़ा कर देता है और फिर मेरे इंपोर्टेड गौगल्स… उन्हें मैं कैसे पहनूंगा, क्या दिखता हूं मैं उन में.

‘‘कहां खो गए अविनाश साहब… ’’ मैनेजर के टोकने पर अविनाश दिमागी उधेड़बुन से बाहर निकला.

‘‘सर, मैं इस बांड से कनविंस नहीं हूं. ऐसे तो हमारे देश का ट्रैफिक सिस्टम भी हेलमेट पहनने को ऐनफोर्स नहीं करता, जैसे आप की कंपनी कर रही है.’’

‘‘तभी तो हमें करना पड़ रहा है. खैर, यह तो कंपनी के मालिक का निर्णय है, हम कुछ नहीं कर सकते. यह सरकारी कंपनी तो है नहीं, प्राइवेट कंपनी है सो मालिक की तो सुननी ही पड़ेगी. अगर जौब चाहिए तो इस पर साइन करना ही पड़ेगा.’’

अविनाश कुछ नहीं बोला तो उस का बिगड़ा मिजाज देख कर मैनेजर ने उसे फिर कनविंस करने की कोशिश की, ‘‘वैसे आप को इस में क्या समस्या है. यह तो मैं ने भी साइन किया था और यह आप की भलाई के लिए ही है.’’

‘‘मुझे फर्क पड़ता है सर, मैं एक पढ़ालिखा इंसान हूं. अपना बुराभला समझता हूं. भलाई के नाम पर ही सही, आप मुझे किसी चीज के लिए फोर्स नहीं कर सकते.’’

‘‘देखो भई, इस कंपनी में नौकरी करनी है तो बांड साइन करना ही पड़ेगा. आगे तुम्हारी मर्जी,’’ मैनेजर हाथ खड़े करते हुए बोला.

‘‘ठीक है सर, मैं सोच कर जवाब दूंगा,’’ कह कर अविनाश वहां से चला आया, मगर मन ही मन वह निश्चय कर चुका था कि अपनी आजादी की कीमत पर वह यहां नौकरी नहीं करेगा.

‘‘कैसा रहा इंटरव्यू, क्या हुआ,’’ अविनाश का उदास रुख देख कर मनोज ने धीमे से पूछा.

‘‘इंटरव्यू अच्छा हुआ था, एचआर राउंड भी हुआ मगर…’’

‘‘मगर क्या…’’ फिर अविनाश ने पूरी रामकहानी सुना डाली.

‘‘अरे, तो क्या हुआ, तुम्हें बांड साइन करना चाहिए था. इतनी सी बात पर तुम इतनी अच्छी नौकरी नहीं छोड़ सकते.’’

‘‘पर पापा, मुझे नहीं जम रहा. मुझे हेलमेट पहनना बिलकुल पसंद नहीं है और बांड के अनुसार अगर मैं कभी भी बिदआउट हेलमेट टू व्हीलर ड्राइव करता पकड़ा गया तो न सिर्फ मेरी नौकरी जाएगी बल्कि मुझे भारी जुर्माना भी अदा करना पड़ेगा.’’

‘‘देखो, अवि, अब तुम बड़े हो गए, अत: बचपना छोड़ो. तुम्हारी मां और मैं पहले से ही तुम्हारी ड्राइविंग की लापरवाही से काफी परेशान हैं. इस नौकरी को जौइन करने से तुम्हारा कैरियर भी अच्छे से शुरू होगा और हमारी चिंताएं भी मिट जाएंगी,’’ पापा का सख्त सुर सुन कर अविनाश ने बात टालनी ही बेहतर समझी.

‘‘देखूंगा पापा.’’ वह उठ कर अपने कमरे में चला गया, मगर मन ही मन बांड  पर किसी भी कीमत पर साइन न करने की ही बात चल रही थी. विचारों में डूबे अविनाश को फोन की घंटी ने सजग किया.

‘‘हाय अवि, रितेश बोल रहा हूं, कैसा है,’’ उस के दोस्त रितेश का फोन था.

‘‘ठीक हूं, तू सुना क्या चल रहा है.’’

‘‘कल सुबह क्या कर रहा है.’’

‘‘कुछ खास नहीं.’’

‘‘तो सुन, कल नोएडा ऐक्सप्रैस हाईवे पर बाइक रेसिंग रखी है. पूरे ग्रुप को सूचित कर दिया है. तू भी जरूर आना. सुबह 6 बजे पहुंच जाना.’’

‘‘ठीक है.’’

बाइक रेसिंग की बात सुन कर अविनाश का बुझा दिल खिल उठा. यही तो उस का प्रिय शौक था. अकसर जिम जाने का बहाना कर वह और उस के कुछ दोस्त बाइक रेसिंग किया करते थे और अधिकतर वह ही जीतता था. हारने वाले जीतने वाले को मिल कर पार्टी देते, साथ ही कोई न कोई प्राइज आइटम भी रखा जाता. अपना नया टचस्क्रीन मोबाइल उस ने पिछली रेस में ही जीता था.

रात को अविनाश ने ठीकठाक सोचा, मगर रात को उसे बुखार ने जकड़ लिया. वह सुबह चाह कर भी नहीं उठ पाया. फलस्वरूप उस की रेस मिस हो गई. सुबह जब वह देर तक बिस्तर पर निढाल पड़ा रहा तो मनोज ने उसे क्रोसीन की गोली दे कर लिटा दिया. थोड़ी देर बाद जब बुखार कम हुआ तो वह थोड़ा फ्रेश फील कर रहा था, मगर सुबह का प्रोग्राम खराब होने की वजह से उस का मूड ठीक नहीं था.

‘‘अरे अवि, जरा इधर आओ, देखो तो अपने शहर की न्यूज आ रही है,’’ ड्राइंगरूम से पापा की तेज आवाज आई तो वह उठ कर ड्राइंगरूम में गया.

टीवी पर बारबार ब्रैकिंग न्यूज प्रसारित हो रही थी. आज सुबह नोएडा ऐक्सप्रैस हाईवे पर बाइक रेसिंग करते हुए कुछ नवयुवकों की एक ट्रक से भीषण टक्कर हो गई. उन में से 2 ने मौके पर ही दम तोड़ दिया तथा 3 गंभीर रूप से घायल हैं. उन की हालत भी नाजुक बताई जा रही थी. घटना की वजह बाइक सवारों की तेज रफ्तार और हेलमेट न पहनना बताई जा रही थी. टीवी पर नीचे नवयुवकों के नाम प्रसारित हो रहे थे. अनिल, रितेश, सुधांशु, एकएक नाम अविनाश के दिलोदिमाग पर गाज बन कर गिर रहा था. ये सब उसी के दोस्त थे. आज उसे अगर बुखार न आया होता तो इस लिस्ट में उस का नाम भी जुड़ा होता. अविनाश जड़ बना टीवी स्क्रीन ताक रहा था.

दिमाग कुछ सोचनेसमझने के दायरे से बाहर जा चुका था. मनोज आजकल की पीढ़ी के लापरवाह रवैए को कोस रहे थे. मां दुर्घटना के शिकार युवकों के मातापिता के हाल की दुहाई दे रही थी और अविनाश… वह तो जैसे शून्य में खोया था. उसे तो जैसे आज  एक नई जिंदगी मिली थी.

‘‘अवि, तुम बांड साइन कर कब से नौकरी जौइन कर रहे हो,’’ मनोज ने अविनाश की तरफ घूरते हुए सख्ती से पूछा.

‘‘जी पापा, आज जाऊंगा,’’ नजरें नीची कर अविनाश अपने कमरे में चला गया. आवाज उस की स्वीकृति में जबरदस्ती नहीं, बल्कि उस के अपने दिल की आवाज थी.

 

ओए पुत्तर: सरदारजी की जिंदगी में किस चीज की थी कमी?

सुबह के 10 बजे अपनी पूरी यूनिट के साथ राउंड के लिए वार्ड में था. वार्ड ठसाठस भरा था, जूनियर डाक्टर हिस्ट्री सुनाते जा रहे थे, मैं जल्दीजल्दी कुछ मुख्य बिंदुओं का मुआयना कर इलाज, जांचें बताता जा रहा था. अगले मरीज के पास पहुंच कर जूनियर डाक्टर ने बोलना शुरू किया, ‘‘सर, ही इज 65 इयर ओल्ड मैन, अ नोन केस औफ लेफ्ट साइडेड हेमिप्लेजिया.’’

तभी बगल वाले बैड पर लेटा एक वृद्ध मरीज (सरदारजी) बोल पड़ा, ‘‘ओए पुत्तर, तू मुझे भूल गया क्या?’’

बड़ा बुरा लगा मुझे. न जाने यह कौन है. नमस्कार वगैरह करने के बजाय, मुझ जैसे सीनियर व मशहूर चिकित्सक को पुत्तर कह कर पुकार रहा है. मेरे चेहरे के बदलते भाव देख कर जूनियर डाक्टर भी चुप हो गया था.

‘‘डोंट लुक एट मी लाइक ए फूल, यू कंटीन्यू विद योअर हिस्ट्री,’’ उस मरीज पर एक सरसरी निगाह डालते हुए मैं जूनियर डाक्टर से बोला.

‘‘क्या बात है बेटे, तुम भी बदल गए. तुम हो यहां, यह सोच कर मैं इस अस्पताल में आया और…’’

मुझे उस का बारबार ‘तुम’ कह कर बुलाना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था. मेरे कान ‘आप’, ‘सर’, ‘ग्रेट’ सुनने के इतने आदी हो गए थे कि कोई इस अस्पताल में मुझे ‘तुम’ कह कर संबोधित करेगा यह मेरी कल्पना के बाहर था. वह भी भरे वार्ड में और लेटेलेटे. चलो मान लिया कि इसे लकवा है, एकदम बैठ नहीं सकता है लेकिन बैठने का उपक्रम तो कर सकता है. शहर ही क्या, आसपास के प्रदेशों से लोग आते हैं, चारचार दिन शहर में पड़े रहते हैं कि मैं एक बार उन से बात कर लूं, देख लूं.

मैं अस्पताल में जहां से गुजरता हूं, लोग गलियारे की दीवारों से चिपक कर खड़े हो जाते हैं मुझे रास्ता देने के लिए. बाजार में किसी दुकान में जाऊं तो दुकान वाला अपने को धन्य समझता है, और यह बुड्ढा…मेरे दांत भिंच रहे थे. मैं बहुत मुश्किल से अपने जज्बातों पर काबू रखने की कोशिश कर रहा था. कौन है यह बंदा?

न जाने आगे क्याक्या बोलने लगे, यह सोच कर मैं ने अपने जूनियर डाक्टर से कहा, ‘‘इसे साइड रूम में लाओ.’’

साइड रूम, वार्ड का वह कमरा था जहां मैं मैडिकल छात्रों की क्लीनिकल क्लास लेता हूं. मैं एक कुरसी पर बैठ गया. मेरे जूनियर्स मेरे पीछे खड़े हो गए. व्हीलचेयर पर बैठा कर उसे कमरे में लाया गया. उस की आंखें मुझ से मिलीं. इस बार वह कुछ नहीं बोला. उस ने अपनी आंखें फेर लीं लेकिन इस के पहले ही मैं उस की आंखें पढ़ चुका था. उन में डर था कि अगर कुछ गड़बड़ की तो मैं उसे देखे बगैर ही न चला जाऊं. मेरे मन की तपिश कुछ ठंडी हुई.

सामने वाले की आंखें आप के सामने आने से डर से फैल जाती हैं तो आप को अपनी फैलती सत्ता का एहसास होता है. आप के बड़े होने का, शक्तिमान होने का सब से बड़ा सबूत होता है आप को देख सामने वाले की आंखों में आने वाला डर. इस ने मेरी सत्ता स्वीकार कर ली. यह देख मेरे तेवर कुछ नरम पड़े होंगे शायद.

तभी तो उस ने फिर आंखें उठाईं, मेरी ओर एक दृष्टि डाली, एक विचित्र सी शून्यता थी उस में, मानो वह मुझे नहीं मुझ से परे कहीं देख रही हो और अचानक मैं उसे पहचान गया. वे तो मेरे एक सीनियर के पिता थे. लेकिन ऐसा कैसे हो गया? इतने सक्षम होते हुए भी यहां इस अस्पताल के जनरल वार्ड में.

आज से 15 वर्ष पूर्व जब मैं इस शहर में आया था तो मेरे इस मित्र के परिवार ने मेरी बहुत सहायता की. यों कहें कि इन्होंने ही मेरे नाम का ढिंढोरा पीटपीट कर मेरी प्रैक्टिस शहर में जमाई थी. उस दौरान कई बार मैं इन के बंगले पर भी गया. बीतते समय के साथ मिलनाजुलना कम हो गया, लेकिन इन के पुत्र से, मेरे सीनियर से तो मुलाकात होती रहती है. उन की प्रैक्टिस तो बढि़या चल रही थी. फिर ये यहां इस फटेहाल में जनरल वार्ड में, अचानक मेरे अंदर कुछ भरभरा कर टूट गया. मैं बोला, ‘‘पापाजी, आप?’’

‘‘आहो.’’

‘‘माफ करना, मैं आप को पहचान नहीं पाया था.’’

‘‘ओए, कोई गल नहीं पुत्तर.’’

‘‘यह कब हुआ, पापाजी?’’ उन के लकवाग्रस्त अंग को इंगित करते हुए मैं बोला.

‘‘सर…’’ मेरा जूनियर मुझे उन की हिस्ट्री सुनाने लगा. मैं ने उसे रोका और पापाजी की ओर इशारा कर के फिर पूछा, ‘‘यह कब हुआ, पापाजी?’’

‘‘3 साल हो गए, पुत्तर.’’

‘‘आप ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?’’

‘‘कहा तो मैं ने कई बार, लेकिन कोई मुझे लाया ही नहीं. अब मैं आजाद हो गया तो खुद तुझे ढूंढ़ता हुआ आ गया यहां.’’

‘‘आजाद हो गया का क्या मतलब?’’ मेरा मन व्याकुल हो गया था. सफेद कोट के वजन से दबा आदमी बेचैन हो कर खड़ा होना चाहता था.

‘‘पुत्तर, तुम तो इतने सालों में कभी घर आ नहीं पाए. जब तक सरदारनी थी उस ने घर जोड़ रखा था. वह गई और सब बच्चों का असली चेहरा सामने आ गया. मेरे पास 6 ट्रक थे, एक स्पेयर पार्ट्स की दुकान, इतना बड़ा बंगला.

‘‘पुत्तर, तुम को मालूम है, मैं तो था ट्रक ड्राइवर. खुद ट्रक चलाचला कर दिनरात एक कर मैं ने अपना काम जमाया, पंजाब में जमीन भी खरीदी कि अपने बुढ़ापे में वापस अपनी जमीन पर चला जाऊंगा. मैं तो रहा अंगूठाछाप, पर मैं ने ठान लिया था कि बच्चों को अच्छा पढ़ाऊंगा. बड़े वाले ने तो जल्दी पढ़ना छोड़ कर दुकान पर बैठना शुरू कर दिया, मैं ने कहा कोई गल नहीं, दूजे को डाक्टर बनाऊंगा. वह पढ़ने में अच्छा था. बोलने में भी बहुत अच्छा. उस को ट्रक, दुकान से दूर, मैं ने अपनी हैसियत से ज्यादा खर्चा कर पढ़ाया.

‘‘हमारे पास खाने को नहीं होता था. उस समय मैं ने उसे पढ़ने बाहर भेजा. ट्रक का क्या है, उस के आगे की 5 साल की पढ़ाई में मैं ने 2 ट्रक बेच दिए. वह वापस आया, अच्छा काम भी करने लगा. लेकिन इन की मां गई कि जाने क्या हो गया, शायद मेरी पंजाब की जमीन के कारण.’’

‘‘पंजाब की जमीन के कारण, पापाजी?’’

‘‘हां पुत्तर, मैं ने सोचा कि अब सब यहीं रह रहे हैं तो पंजाब की जमीन पड़ी रहने का क्या फायदा, सो मैं ने वह दान कर दी.’’

‘‘आप ने जमीन दान कर दी?’’

‘‘हां, एक अस्पताल बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन.’’

‘‘लेकिन आप के पास तो रुपयों की कमी थी, आप ट्रक बेच कर बच्चों को पढ़ा रहे थे. दान करने के बजाय बेच देते जमीन, तो ठीक नहीं रहता?’’

‘‘अरे, नहीं पुत्तर. मेरे लिए तो मेरे बच्चे ही मेरी जमीनजायदाद थे. वह जमीन गांव वालों के काम आए, ऐसी इच्छा थी मेरी. मैं ने तो कई बार डाक्टर बेटे से कहा भी कि चल, गांव चल, वहीं अपनी जमीन पर बने अस्पताल पर काम कर लेकिन…’’

आजकल की ऊंची पढ़ाई की यह खासीयत है कि जितना आप ज्यादा पढ़ते जाते हैं. उतना आप अपनी जमीन से दूर और विदेशी जमीन के पास होते जाते हैं. बाहर पढ़ कर इन का लड़का, मेरा सीनियर, वापस इंदौर लौट आया था यही बहुत आश्चर्य की बात थी. उस ने गांव जाने की बात पर क्या कहा होगा, मैं सुनना नहीं चाहता था, शायद मेरी कोई रग दुखने लगे, इसलिए मैं ने उन की बात काट दी.

‘‘क्या आप ने सब से पूछ कर, सलाह कर के जमीन दान करने का निर्णय लिया था?’’ मैं ने प्रश्न दागा.

‘‘पूछना क्यों? मेरी कमाई की जमीन थी. उन की मां और मैं कई बार मुंबई, दिल्ली के अस्पतालों में गए, अपने इसी लड़के से मिलने. वहां हम ने देखा कि गांव से आए लोग किस कदर परेशान होते हैं. शहर के लोग उन्हें कितनी हीन निगाह से देखते हैं, मानो वे कोई पिस्सू हों जो गांव से आ गए शहरी अस्पतालों को चूसने. मजबूर गांव वाले, पूरा पैसा दे कर भी, कई बार ज्यादा पैसा दे कर भी भिखारियों की तरह बड़ेबड़े अस्पतालों के सामने फुटपाथों पर कईकई रात पड़े रहते हैं. तभी उन की मां ने कह दिया था, अपनी गांव की जमीन पर अस्पताल बनेगा. यह बात उस ने कई बार परिवार वालों के सामने भी कही थी. वह चली गई. लड़कों को लगा उस के साथ उस की बात भी चली गई. पर तू कह पुत्तर, मैं अपना कौल तोड़ देता तो क्या ठीक होता?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘मैं ने बोला भी डाक्टर बेटे को कि चल, गांव की जमीन पर अस्पताल बना कर वहीं रह, पर वह नहीं माना.’’

पापाजी की आंखों में तेज चमक आ गई थी. वे आगे बोले, ‘‘मुझे अपना कौल पूरा करना था पुत्तर, सो मैं ने जमीन दान कर दी, एक ट्रस्ट को और उस ने वहां एक अस्पताल भी बना दिया है.’’

इस दौरान पापाजी कुछ देर को अपना लकवा भी भूल गए थे, उत्तेजना में वे अपना लकवाग्रस्त हाथ भी उठाए जा रहे थे.

‘‘सर, हिज वीकनैस इस फेक,’’ उन को अपना हाथ उठाते देख एक जूनियर डाक्टर बोला.

‘‘ओ नो,’’ मैं बोला, ‘‘इस तरह की हरकत लकवाग्रस्त अंग में कई बार दिखती है. इसे असोसिएट मूवमैंट कहते हैं. ये रिफ्लेक्सली हो जाती है. ब्रेन में इस तरह की क्रिया को करने वाली तंत्रिकाएं लकवे में भी अक्षुण्ण रहती हैं.’’

‘‘हां, फिर क्या हुआ?’’ पापाजी को देखते हुए मैं ने पूछा.

‘‘होना क्या था पुत्तर, सब लोग मिल कर मुझे सताने लगे. जो बहुएं मेरी दिनरात सेवा करती थीं वे मुझे एक गिलास पानी देने में आनाकानी करने लगीं. परिवार वालों ने अफवाह फैला दी कि पापाजी तो पागल हो गए हैं, शराबी हो गए हैं.’’

‘‘सब भाई एक हो कर मेरे पीछे पड़ गए बंटवारे के वास्ते. परेशान हो कर मैं ने बंटवारा कर दिया. दुकान, ट्रक बड़े वाले को, घर की जायदाद बाकी लोगों को. बंटवारे के तुरंत बाद डाक्टर बेटा घर छोड़ कर अलग चला गया. इसी दौरान मुझे लकवा हो गया. डाक्टर बेटा एक दिन भी मुझे देखने नहीं आया. मेरी दवा ला कर देने में सब को मौत आती थी. मैं कसरत करने के लिए जिस जगह जाता था वहां मुझे एक वृद्धाश्रम का पता चला.’’

‘‘आप वृद्धाश्रम चले गए?’’ मैं लगभग चीखते हुए बोला.

‘‘हां पुत्तर, अब 1 साल से मैं आश्रम में रह रहा हूं. सरदारनी को शायद मालूम था, मां अपने बच्चों को अंदर से पहचानती है, एक ट्रक बेच कर उस के 3 लाख रुपए उस ने मुझ से ब्याज पर चढ़वा दिए थे कि बुढ़ापे में काम आएंगे. आज उसी ब्याज से साड्डा काम चल रहा है.’’

‘‘आप के बच्चे आप को लेने नहीं आए,’’ मैं उन का ‘आजाद हो गया’ का मतलब कुछकुछ समझ रहा था.

‘‘लेने तो दूर, हाल पूछने को फोन भी नहीं आता. उन से मेरा मोबाइल नंबर गुम हो गया होगा, यह सोच मैं चुप पड़ा रहता हूं.’’

जिस दिन पापाजी से बात हुई उसी शाम को मैं ने उन के लड़के से बात की. उन को पापाजी का हाल बताया और समझाया कि कुछ भी हो उन्हें पापाजी को वापस घर लाना चाहिए. एक ने तो इस बारे में बात करने से मना कर दिया जबकि दूसरा लड़का भड़क उठा. उस का कहना था, ‘‘पापाजी को हम हमेशा अपने साथ रखना चाहते थे, लेकिन वे ही पागल हो गए. आखिर आप ही बताओ डाक्टर साहब, इतने बड़े लड़के पर हाथ उठाएं या बुरीबुरी गालियां दें तो वह लड़का क्या करे?’’

दवाओं व उपचार से पापाजी कुछ ठीक हुए, थोड़ा चलने लगे. काफी समय तक हर 1-2 महीने में मुझे दिखाने आते रहे, फिर उन का आना बंद हो गया.

समय बीतता गया, पापाजी नहीं आए तो मैं समझा, सब ठीक हो गया. 1-2 बार फोन किया तो बहुत खुशी हुई यह जान कर कि वे अपने घर चले गए हैं.

कई माह बाद पापाजी वापस आए, इस बार उन का एक लड़का साथ था. पापाजी अपना बायां पैर घसीटते हुए अंदर घुसे. न तो उन्होंने चहक कर पुत्तर कहा और न ही मुझ से नजरें मिलाईं. वे चुपचाप कुरसी पर बैठ गए. एकदम शांत.

शांति के भी कई प्रकार होते हैं, कई बार शांति आसपास के वातावरण में कुछ ऐसी अशांति बिखेर देती है कि उस वातावरण से लिपटी प्राणवान ही क्या प्राणहीन चीजें भी बेचैनी महसूस करने लगती हैं. पापाजी को स्वयं के बूते पर चलता देखने की खुशी उस अशांत शांति में क्षणभर भी नहीं ठहर पाई.

‘पापाजी, चंगे हो गए अब तो,’’ वातावरण सहज करने की गरज से मैं हलका ठहाका लगाते हुए बोला.

‘‘आहो,’’ संक्षिप्त सा जवाब आया मुरझाए होंठों के बीच से.

गरदन पापाजी की तरफ झुकाते हुए मैं ने पूछा, ‘‘पापाजी, सब ठीक तो है?’’

पतझड़ के झड़े पत्ते हवा से हिलते तो खूब हैं पर हमेशा एक घुटीघुटी आवाज निकाल पाते हैं : खड़खड़. वैसे ही पापाजी के मुरझाए होंठ तेजी से हिले पर आवाज निकली सिर्फ, ‘‘आहो.’’

पापाजी लड़के के सामने बात नहीं कर रहे थे, सो मेरे कहने पर वह भारी पांव से बाहर चला गया.

‘‘चलो पापाजी, अच्छा हुआ, मेरे फोन करने से वह आप को घर तो ले आया. लेकिन आप पहले से ज्यादा परेशान दिख रहे हैं?’’

पापाजी कुछ बोले नहीं, उन की आंख में फिर एक डर था. पर इस डर को देख कर मैं पहली बार की तरह गौरवान्वित महसूस नहीं कर रहा था. एक अनजान भय से मेरी धड़कन रुकने लगी थी. पापाजी रो रहे थे, पानी की बूंदों से नम दो पत्ते अब हिल नहीं पा रहे थे. बोलना शायद पापाजी के लिए संभव न था. वे मुड़े और पीठ मेरी तरफ कर दी. कुरता उठा तो मैं एकदम सकपका गया. उन की खाल जगहजगह से उधड़ी हुई थी. कुछ निशान पुराने थे और कुछ एकदम ताजे, शायद यहां लाने के ठीक पहले लगे हों.

‘‘यह क्या है, पापाजी?’’

‘पुत्तर, तू ने फोन किया, ठीक किया, लेकिन यह क्यों बता दिया कि मेरे पास 3 लाख रुपए हैं?’’

‘‘फिर आज आप को यहां कैसे लाया गया?’’

‘‘मैं ने कहा कि रुपए कहां हैं, यह मैं तुझे ही बताऊंगा… पुत्तर जी, पुत्तर मुझे बचा लो, ओए पुत्तर जी, मुझे…’’ पापाजी फूटफूट कर रो रहे थे.

मेरे कान के परदे सुन्न हो गए थे. आगे मैं कुछ सुन नहीं पा रहा था, कुछ भी नहीं.

Festival Special: पार्टी में दिखना चाहती हैं सबसे खूबसूरत, तो इस तरह करें मेकअप

मौका कोई भी हो, महिलाओं को तो बस सजनेसंवरने का बहाना चाहिए. फिर जब बात पार्टी की हो तो मेकअप और भी महत्त्वपूर्ण होता है. जानिए कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स:

फेस मेकअप

मेकअप करने से पहले फेसवाश जरूर करें. इस से फेस साफ हो जाता है और मेकअप अच्छे से अप्लाई होता है. इस के बाद वेट टिशू पेपर से फेस क्लीन करें और टोनर स्प्रे कर के 5-7 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे ब्रश से मिक्स करें. थोड़ी देर के बाद मौइश्चराइजर अप्लाई कर के मसाज करें. मसाज के बाद फेस पर प्राइमर अप्लाई करें. इस के बाद कंसीलर लगाएं. अगर टैनिंग वाली स्किन है, तो औरेंज कंसीलर लगाएं. फिर कौंपैक्ट पाउडर लगा कर ब्रश से अच्छी तरह से मिक्स करें. अब ब्रश से फेस पर मिनरल लूज पाउडर अप्लाई करें.

आई मेकअप

जब भी मेकअप करें तो आइब्रोज को डिफाइंड जरूर करें. इस के लिए ब्राउन आईशैडो का प्रयोग करें. सब से पहले आंखों पर आईबेस अप्लाई करें. इस के बाद पिंक कलर का आईशैडो लगाएं. आई कौर्नर को मर्ज करने के लिए ब्राउन शैडो का प्रयोग करें. अब आंखों को अटै्रक्टिव लुक देने के लिए ब्रो बोन पर गोल्डन हाईलाइटर लगा कर हाईलाइट करें. अंत में जैल लाइनर और मसकारा लगाएं.

फेस कटिंग

फेस कटिंग से फेस को बड़ा, छोटा, पतला और मोटा दिखाया जा सकता है. फेस कटिंग के लिए पहले चेहरे पर डार्क शेड के बेस का प्रयोग करें. फिर कान के ऐंड से ले कर चीक्स के बीच तक कटिंग करें. इस के बाद चीक्स को उभारने के लिए पिंक ब्लशर लगाएं.

लिप मेकअप

लिपलाइनर से लिप्स की लाइनिंग करने के साथसाथ इसी से लिप्स भी फिल करें. फिर ब्रश से मैट लिपस्टिक लगाएं. यह लंबे समय तक रहती है. शाइनिंग के लिए इस के ऊपर लिपग्लौस लगाएं.

पार्टी बन

पार्टी बन बनाने के लिए सब से पहले इयर टु इयर पार्टीशन करें, फिर क्राउन एरिया पर स्टफिंग लगाएं. इस के बाद आगे से थोड़े से बाल ले कर बैक कौंबिंग करें और स्टफिंग को कवर कर के पिन लगा लें. फिर पीछे के बाकी बालों को ले कर पोनी बनाएं. अब पोनी को आगे की तरफ करें और उस के ऊपर स्टफिंग लगाएं. फिर पोनी को पीछे ला कर स्टफिंग को कवर कर के अच्छी तरह से पिन लगाएं. अब ऐक्सटैंशन लगा कर ट्विस्ट बनाएं और आगे की तरफ हेयर ऐक्सटैंशन बो लगाकर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

रिंग जूड़ा

रिंग जूड़ा बनाने के लिए इयर टु इयर पार्टीशन करें. इस के बाद पीछे के थोड़े से बाल ले कर एक पोनी बनाएं. अब क्राउन एरिया पर स्टफिंग लगा कर आगे के हिस्से से बाल ले कर स्टफिंग को कवर करें. फिर बाकी बालों के छोटेछोटे सैक्शन ले कर रिंग्स बनाएं. जब पूरे बालों की रिंग्स बन जाएं, तब रिंग्स को राउंड कर के स्टफिंग पर पिन लगाएं. फिर बाकी बालों को ले कर पोनी बना लें. अंत में हेयर ऐक्सटैंशन लगाएं और ऐक्सैसरीज से सजाएं. 

गर्लफ्रैंड मेरे दोस्त के बहुत क्लोज हो गई है, मैं क्या करूं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं एक युवती से बेहद प्यार करता हूं लेकिन अब वह मुझे घास नहीं डालती. दरअसल, पिछले महीने मैं ने उसे अपने एक दोस्त से मिलवाया था. हम तीनों उस दोस्त की गाड़ी से घूमने गए थे. उस के बाद से वह मुझ में कम रुचि लेती है और उस में ज्यादा. मुझे किसी से पता चला कि वह मेरे उसी दोस्त के साथ घूमतीफिरती भी है?

जवाब

आप जिस से प्यार करते हैं लगता है वह आप के बजाय पैसे से प्यार करती है, इसी कारण वह आप के गाड़ी वाले दोस्त से जल्दी इंप्रैस हो गई और उस से दोस्ती कर ली. पहले तो इस बात का पता कर लें कि क्या वाकई उन में दोस्ती हो गई है? अगर हां, तो उसे भूलने में ही भलाई है और अगर नहीं तो जानने की कोशिश करें कि अब वह आप से क्यों नहीं मिलती? अगर आप का साथ उसे प्यारा है तो आप से अवश्य मिलेगी. अगर पैसे का साथ प्यारा है तो आप तो क्या किसी भी अमीर को देख कर उस की ही हो जाएगी.

आप इसे दिल पर न लें बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति सुधारें और आगे बढ़ें. आप भी गाड़ी लें. जब उसे यह पता लगेगा तो अवश्य आप के पास आएगी. तब आप भी उसे घास मत डालिएगा और एहसास करवा दीजिएगा कि प्यार और पैसे में बहुत अंतर है.

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मात्र 24 साल की छोेटी सी उम्र में वह 2 बड़े हादसे झेल चुकी थी. पहली घटना उस के साथ 20 वर्ष की उम्र में घटी थी. तब वह बीकौम कर रही थी. उम्र के इस पड़ाव में युवाओं का किसी के प्यार में पड़ना आम बात होती है. आधुनिक शिक्षा व पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और समाज की बेडि़यों में ढीलापन होने के कारण युवा आपस में बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं. उन के  संबंध जितनी तीव्रता से परवान चढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से टूटते भी हैं. कच्ची उम्र की सोच भी कच्ची होती है और इस उम्र में युवाओं के लिए सही निर्णय लेना लगभग असभंव होता है.

मिलिंद उस का पहला प्यार था. वह भी उसी के कालेज में पढ़ता था और एक साल सीनियर था. पढ़ाई के दौरान होने वाला प्यार मात्र मौजमस्ती के लिए होता है. यह सारे युवा जानते हैं. एकदूसरे को भरोसे में लेने के लिए वे बड़ेबड़े वादे करते हैं, लेकिन जब उन के बीच शारीरिक संबंध कायम हो जाते हैं, तो उस के बाद सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं. तब प्यार के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं. फिर प्यार में कटुता पनपती है, दूरियां बढ़ती हैं और कई बार इस की परिणति बहुत दुखद होती है.

मिलिंद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे पता चला कि वह एक बदमाश किस्म का युवक है. छोटीमोटी लूटपाट, मारपीट ही नहीं, वह युवतियों के साथ जोरजबरदस्ती भी करता था. जो युवती उस के झांसे में नहीं आती, उसे वह अपने मित्रों के माध्यम से अगवा कर उस की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करता. कालेज में वह बहुत बदनाम था, लेकिन किसी युवती ने अभी तक उस पर कोईर् दोष नहीं मढ़ा था, इसीलिए उस की हिम्मत दिनोदिन बढ़ती जा रही थी.

शादीशुदा होने के बावजूद मैं किसी दूसरी लड़की के साथ रिलेशनशिप में हूं…

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सवाल

26 वर्षीय विवाहित युवक हूं. विवाह को 5 वर्ष हो चुके हैं. 3 वर्ष का बेटा और 8 महीने की बेटी है. मेरी पत्नी के घर वालों ने उस की शिक्षा को ले कर झूठ बोला था. हम से कहा गया था कि लड़की बीए पास है, जबकि वह सिर्फ 10वीं कक्षा पास है. वह न तो मुझे ठीक से प्यार करती है और न ही बच्चों की परवरिश ठीक से कर पाती है. जिस रिश्ते की बुनियाद ही झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता कितने दिन टिक सकता है? मैं पत्नी को नहीं चाहता. एक और लड़की है जो हर तरह से मेरे लिए उपयुक्त है. मैं उस से शादी करना चाहता हूं. बताएं कि यह कैसे संभव है?

जवाब

रिश्ता तय होने से पहले आप को लड़की के बारे में सारी तहकीकात करनी चाहिए थी पर आप ने ऐसा नहीं किया. अब शादी के 5 साल बीत जाने और 2 बच्चों का पिता बनने के बाद पत्नी की खामियां देख रहे हैं. आप मानते हैं कि आप की बीवी अपने बच्चों की सही परवरिश नहीं कर सकती. ऐसे में बच्चों के प्रति आप की जिम्मेदारी बढ़ गई है. मगर बजाय इस ओर ध्यान देने के आप किसी लड़की के प्रेम में पड़े हैं और उस से शादी के सपने देख रहे हैं. आप को समझना चाहिए कि एक पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह गैरकानूनी होगा. अत: किसी मुगालते में न रहें. पत्नी से तालमेल बैठाने और घरपरिवार को संभालने का प्रयास करें.

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शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

आपसी वार्तालाप ना होना- पुरूष अकसर चाहते हैं कि वो अपनी पत्नी से खूब बातें करें और उनकी पत्नी भी अपनी बातें शेयर करें लेकिन जब आपसी वार्तालाप या संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है तो रिश्तों में दरार आने और धोखा देने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

प्रयोगवादी होना- लोग आजकल नए-नए एक्सपेरिमेंट करते हैं. जब कोई पुरूष रिश्तों से उबने लगता है तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

अफेयर होना- आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद पुरूषों को इसीलिए धोखा देने लगती हैं, क्योंकि उनका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उनका पहला प्रेमी उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करता है जिससे वे धोखा देने पर मजबूर हो जाती हैं.

विश्वास ना होना- इसीलिए कुछ महिलाएं धोखा देने लगती हैंक्योंकि उनका पति उन पर विश्वास नहीं करता या फिर बिना किसी वजह शक करता है.

बोरियत होना- कई बार महिलाएं घर में रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती हैं और अकेले रहते-रहते वे बाहर की और आकर्षित होती हैं. नतीजन कई बार उनके इससे विवाहेत्तर संबंध भी बन जाते हैं.

साथी से विचार ना मिलना- कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी महिलाएं बाहर की ओर आकर्षित होती हैं.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

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