‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ के फैंस के लिए गुड न्यूज, इस कौमेडी फिल्म में आमिर खान आएंगे नजर

करोड़ों के बजट वाली फिल्म लाल सिंह चड्ढा की अपार असफलता के बाद आमिर खान ने अभिनय से किनारा कर लिया था  और उनका पूरा ध्यान अपनी फिल्म सितारे जमीन पर केंद्रित था जिसकी एडिटिंग में अभी वह व्यस्त है. सितारे ज़मीन पर दिसंबर में रिलीज होने वाली है. क्योंकि लाल सिंह चड्ढा के बाद आमिर किसी भी फिल्म में नजर नहीं आये.  इसलिए दर्शकों को भी काफी समय से आमिर खान की वापसी का इंतजार है. आमिर खान को प्यार करने वाले ऐसे ही दर्शकों के लिए एक खुशखबरी है कि आमिर खान जल्द ही एक कौमेडी फिल्म में नजर आने वाले हैं जिसका नाम चार दिन की चांदनी है.

सूत्रों के अनुसार, राजकुमार संतोषी के साथ आमिर खान गुपचुप  इस प्रोजेक्ट को लेकर मीटिंग कर रहे हैं. खबरों के अनुसार राजकुमार संतोषी की इस कौमेडी फिल्म में आमिर खान कोलैबोरेट तो करेंगे ही लेकिन साथ ही मुख्य भूमिका भी निभाएंगे .

आज से 30 साल पहले आमिर खान ने राजकुमार संतोषी की फिल्म अंदाज अपना अपना में सलमान खान के साथ जोड़ी बनाकर काम किया था. यह फिल्म भी एक कौमेडी फिल्म थी जो दर्शकों को आज भी याद है. इसी वजह से राजकुमार संतोषी को पूरा यकीन है आमिर खान के साथ बनी कौमेडी फिल्म दर्शक जरूर एंजौय करेंगे. चार दिन की चांदनी और सितारे जमीन पर के अलावा आमिर खान जोया अख्तर की भी एक फिल्म कर रहे हैं. इसके अलावा दिनेश विजन की भी एक फिल्म के लिए आमिर खान के साथ बात चल रही है .

ऐसे में कहना गलत न होगा  कि आमिर खान 4 दिन की चांदनी नहीं है बल्कि आसमान में दिखने वाले सितारे हैं. जो कभी भी नजर आएंगे तो चमकेंगे. फिर चाहे उनकी फिल्म हिट हो या फ्लौप.

अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा का ‘धूम 4’ से पत्ता साफ, इस फिल्म में Ranbir Kapoor मचाएंगे धमाल ?

जौन अब्राहम, उदय चोपड़ा, और अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) फिल्म धूम में सबसे पहले नजर आए थे और धूम मचाले गाने के साथसाथ इस फिल्म में भी इन तीनों ने धूम मचा दी थी. आदित्य चोपड़ा की फिल्म धूम को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था. इसलिए इसके बाद धूम 2 और धूम 3 भी बनी. जिसमें आमिर खान और ऋतिक रोशन दमदार अभिनय करते नजर आए. हालांकि धूम2 और धूम 3 इतनी सफल नहीं हुई जितनी कि पहली फिल्म धूम हुई थी. लेकिन फिर भी दोनों फिल्मों धूम 2 और धूम 3 को दर्शकों द्वारा पसंद किया गया था.

लिहाजा धूम 4 का भी निर्माण कार्य शुरू हुआ और तभी से इसकी चर्चा भी चल रही है. आदित्य चोपड़ा की धूम 4 में कौन से हीरो की एंट्री होगी इस बात को लेकर सभी अटकलें लग रहे थे. धूम 4 के हीरो के लिए कई नाम भी सामने आए थे. लेकिन अब फाइनली धूम 4 के हीरो की तलाश पूरी हो गई है . जो रोमांटिक हीरो से एंटी हीरो तक लंबा सफर तय करके बौलीवुड में अपनी अलग पहचान बना रहे है. और हालिया प्रदर्शित फिल्म एनिमल से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने वाले रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) धूम 4 में हीरो के किरदार में नजर आएंगे .

आदित्य चोपड़ा और रणबीर कपूर की इस फिल्म को लेकर बहुत समय से बात चल रही है और सूत्रों के अनुसार अब फाइनली धूम 4 रणबीर कपूर ही करने जा रहे हैं. इस फिल्म को लेकर एक खबर यह भी है की पहली जो धूम बनी थी जिसमें अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा ने काफी धमाल मचाया था. अब धूम 4 में यह दोनों नजर नहीं आएंगे. खबरों के अनुसार चोपड़ा और अभिषेक बच्चन की जगह पर दो नये हीरो की एंट्री हो सकती है. धूम 4 की शूटिंग 2025 में ही शुरू होगी. तब तक बाकी कास्ट को भी फाइनल किया जाएगा.

रेड साड़ी में Mannara Chopra का फास्ट एंड फ्यूरियस डांस मूव्स, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दिया ये रिएक्शन

बिग बौस 17 की कंटेस्टंट मन्नारा चोपड़ा (Mannara Chopra) अपने एक धमाकेदार डांस मूव्स के कारण खूब वायरल हो रही है. प्रियंका चोपड़ा की कजिन सिस्टर मन्नारा चोपड़ा का एक डांस वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वह साउथ फिल्म ‘तिरागबादरा सामी’ के सांग ‘राधाभाई’ पर डांस कर रही हैं. इस वीडियो में आप मन्नारा की जबरदस्त एनर्जी और डांस मूव्स साफ देख सकते हैं डांस करते हुए जो एनर्जी उन्होंने दिखाई है उस पर लोग आश्चर्य में है और खूब रिएक्शन दे रहे हैं.

सोशल मीडिया पर रिएक्शन

रेड साड़ी और स्लीव्स लैस डीप नेक का रेड ब्लाउज पहने मन्नारा बहुत ही रिवीलिंग लग रही हैं. डांस के साथ उनकी मटकती-झटकती अदाएं देख कर लोग दांतों तले उंगली दबा रहे हैं. और मिलेजुले रिएक्शन दे रहे है. लोगों ने इस वीडियो को देखकर कहा है- ये यहां बौडी बिल्डर ज्यादा लग रही हैं. वहीं दूसरे ने कहा- भाई, ये क्या है, मैं तो डर गया. एक अन्य यूजर ने कहा- बिग बौस से निकलने के बाद यही हाल होता है, किसी के अच्छे किसी के बुरे, इनका बुरा चल रहा. एक यूजर ने पूछा- मन्नारा, आखिर क्या मजबूरी रही होगी आपकी? एक ने कहा- पहला आयशा और अब ये. ये कितनी खतरनाक लग रही हैं, कोई बताओ इनको. एक ने कहा- मुन्ना (मुन्नवर) की सारी आइटम ऐसे ही डांस करती है?

इतराती अदाओं ने मचाई तबाही

‘तिरागबादरा सामी’ के इस डांस वीडियो के क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस सांग के लिरिक्स भोले शावली के हैं और इसे आवाज दी है श्रवण भार्गवी ने. और मन्नारा की इतराती कातिल अदाओं ने तो तबाही मचाई हुई है. लोग इसे बारबार देख रहे है.

वर्क फ्रंट

मन्नारा के फिल्मों में काम की बात करें तो वह साउथ की फिल्मों में खूब नजर आती है. उनकी पहली फिल्म ‘जिद’ 2014 में, ‘हाले दिल ऑन ब्रोकन नोट्स’ 2021 में आई. इसके अलावा उनकी सभी फिल्में तमिल, तेलुगू, या कन्नड़ हैं. हिंदी लैंग्वेज में उन्होंने चर्चित शो ‘बिग बॉस में ही काम किया और अपनी खास पहचान बनाई.

मेरी पत्नी का संबंध किसी गैर मर्द के साथ है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 5 साल हो गए. मेरे दो बच्चे भी हैं. लेकिन मुझे कुछ दिनों पहले पता चला कि मेरी पत्नी का संबंध किसी दूसरे लड़के के साथ है. ये सुनने के बाद मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं उससे क्या बात करूं? हालांकि ये जानने के बाद मैं अपने घर भी नहीं गया हूं, कुछ दिनों से मैं अपने दोस्त के साथ रह रहा हूं. आप ही बताएं, इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ?

जवाब

देखिए आपको इस तरह से घर नहीं छोड़ना चाहिए. पहले आप अपनी पत्नी से बात करें. अगर आपने खुद देखा है कि आपकी पत्नी का संबंध किसी गैर मर्द से है, तो इसमें सच्चाई है, लेकिन अगर किसी दूसरे शख्स ने आपसे कहा है, तो उस पर भरोसा न करें. आप खुद अपनी पत्नी से इस बारे में बात करें. कई बार लोग अफवाह भी फैलाते हैं, जिससे किसी की शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाए.

कोई भी कदम उठाने से पहले आप बात की तह तक जाएं और पत्नी से खुल कर बात करें. अगर आपकी पत्नी ये बात ऐक्सैप्ट करती है कि उनका संबंध किसी गैर मर्द के साथ है, तो ही आप दोनों अपने रिश्ते के बारे में फैसला करें. समाज में लोग क्या कहेंगे आप ये मत सोचें. आपकी जिंदगी का फैसला आपके हाथ में है.

तलाक के बाद डेटिंग की कर रही हैं प्लानिंग, तो बड़े काम के हैं ये टिप्स

  • अगर तलाक के बाद किसी को डेट करने के लिए आप इमोशनली तैयार हैं, तो घर से बाहर निकलें, मन न भी हो तो भी बाहर निकलें. नए लोगों से मिलें. आर्ट, डांस, कुकिंग, कौमेडी, टैनिस, गोल्फ, पार्टी, कहीं भी जाएं, अपनी रुचि के अनुसार ही इन जगहों पर आप का नए लोगों से मिलना होगा.
  • छोटी-छोटी हल्कीफुल्की बातें करना शुरू करें. इस से आगे की बातचीत आसान हो जाती है. थोड़ी बहुत आम विषयों पर बात कर के आगे की बातचीत का आधार बन जाता है.
  • बौडी लैंग्वेज बहुत महत्त्वपूर्ण है. मुसकराएं पर स्वाभाविक रूप से. ऐसा कुछ न करें कि उसे लगे कि आप तो फर्स्ट डेट में ही गले पड़ रही हैं और फिर वह कभी आप से मिलना न चाहे.
  • अगर आप हंसमुख स्वभाव की हैं, तो आप के लिए कई हल्कीफुल्की बातें करना आसान होगा. अगर आप को जोक्स सुनाना पसंद है, तो सुनाएं पर अश्लील न हों, सिचुएशन में फिट बैठते हों.
  • आंखें मिला कर बात करें. आप ने दूसरी डेटिंग वैबसाइट्स पर भी कुछ किया हो तो उस की बात न करें.

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YRKKH : अभिरा और अरमान के बीच बढ़ रही हैं दूरियां, रूही बनने वाली है मां

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. सीरियल में अरमान और अभिरी की शादी का ट्रैक चल रहा है. जिससे दर्शकों का भरपूर एंटरटेनमैंट हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि अरमान की मां विद्या इस शादी से खुश नहीं है. शो के अपकमिंग ट्विस्ट के बारे में…

सीरियल में आएगा 3 साल का लीप

शो में दिखाया जा रहा है कि विद्या ने अरमान को अपना बेटा मानने से मना कर दिया है. दूसरी तरफ रूही और रोहित अपनी लाइफ में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच खबर आ रही है कि सीरियल में मेकर्स नया लीप लाने की तैयारी कर रहे हैं.अगर सीरियल में लीप दिखाया जाता है, तो अरमान, अभिरा और रूही की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आएंगे.

 अभिरा और अरमान के बीच बढ़ रही हैं दूरियां

सीरियल में दिखाया जा रहा है कि अरमान और अभिरा की शादी के बाद उन्हें कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दोनों पतिपत्नी आपस में ठीक से बात भी नहीं कर रहे हैं. शादी के बाद अरमान की मां ने नया ड्रामा खड़ा कर दिया है, जिसके कारण वह अभिरा से दूरदूर रह रहा है. जिसके कारण अभिरा बहुत दुखी है, उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है.

क्या अरमान को भूल जाएगी रूही

तो वहीं रूही अरमान को भूलकर रोहित के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, शो में तीन साल का लीप आएगा, जिससे शो में महाट्विस्ट दिखाया जाएगा. सीरियल गौसिप के अनुसार, अभिरा पोद्दार फर्म ज्वाइन कर लेगी, लेकिन वह अरमान से दूर हो जाएगी. दोनों शादी का सिर्फ फर्ज निभाएंगे. उनके बीच कई गलतफहमियां बढ़ेंगी.

रूही बनने वाली है मां?

शो में दिखाया जा रहा है कि विद्या अपने बेटे अरमान और अभिरा को जमकर कोस रही है. जिससे दादी सा भड़की है. लेकिन इसी बीच दी सा अभिरा को पोद्दार फर्म ज्वाइन करने का औफर देगी. तो वहीं अभिरा परेशान होगी. वह दादी सा को मना करे या नहीं ? सीरियल के आने वाले एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि अरमान अपने पापा समझाएगा कि उसे अभिरा से दूर रहना होगा. दूसरी तरफ रूही परिवार को पता चलेगा कि रूही मां बनने वाली है. ये सुनकर सबके होश उड़ जाएंगे.

अभिरा और रूही करवाचौथ का रखेंगी व्रत

शो में करवाचौथ का ट्रैक भी दिखाया जाएगा. अभिरा और रूही शादी के पहली करवाचौथ की तैयारी करेंगे. हालांकि रूही रूही अरमान के लिए व्रत रखेगी. जैसे ही ये सच अभिरा के सामने आएगा. उसे बड़ा झटका लगेगा. शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अभिरा और अरमान की जिंदगी में आया तूफान कैसे थमेगा?

एक नई शुरुआत: स्वाति का मन क्यों भर गया?

बिखरे पड़े घर को समेट, बच्चों को स्कूल भेज कर भागभाग कर स्वाति को घर की सफाई करनी होती है, फिर खाना बनाना होता है. चंदर को काम पर जो जाना होता है. स्वाति को फिर अपने डे केयर सैंटर को भी तो खोलना होता है. साफसफाई करानी होती है. साढ़े 8 बजे से बच्चे आने शुरू हो जाते हैं.

घर से कुछ दूरी पर ही स्वाति का डे केयर सैंटर है, जहां जौब पर जाने वाले मातापिता अपने छोटे बच्चों को छोड़ जाते हैं.

इतना सब होने पर भी स्वाति को आजकल तनाव नहीं रहता. खुशखुश, मुसकराते-मुसकराते वह सब काम निबटाती है. उसे सहज, खुश देख चंदर के सीने पर सांप लोटते हैं, पर स्वाति को इस से कोई लेनादेना नहीं है. चंदर और उस की मां के कटु शब्द बाण अब उस का दिल नहीं दुखाते. उन पराए से हो चुके लोगों से उस का बस औपचारिकता का रिश्ता रह गया है, जिसे निभाने की औपचारिकता कर वह उड़ कर वहां पहुंच जाती है, जहां उस का मन बसता है.

‘‘मैम आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं,‘‘ नैना ने कहा, तो स्वाति मुसकरा दी. नैना डे केयर की आया थी, जो सैंटर चलाने में उस की मदद करती थी.

‘‘अमोल नहीं आया अभी,‘‘ स्वाति की आंखें उसे ढूंढ़ रही थीं.

याद आया उसे जब एडमिशन के पश्चात पहले दिन अमोल अपने पापा रंजन वर्मा के साथ उस के डे केयर सैंटर आया था.

अपने पापा की उंगली पकड़े एक 4 साल का बच्चा उस के सैंटर आया, जिस का नाम अमोल वर्मा और पिता का नाम रंजन वर्मा था. रंजन ही उस का नाम लिखा कर गए थे. उन के सुदर्शन व्यक्तित्व से स्वाति प्रभावित हुई थी.

‘‘पति-पत्नी दोनों जौब करते होंगे, इसलिए बच्चे को यहां दाखिला करा कर जा रहे हैं,‘‘ स्वाति ने उस वक्त सोचा था.

रंजन ने उस से हलके से नमस्कार किया.

‘‘कैसे हो अमोल? बहुत अच्छे लग रहे हो आप तो… किस ने तैयार किया?‘‘ स्वाति ने कई सारे सवाल बंदूक की गोली जैसे बेचारे अमोल पर एकसाथ दाग दिए.

‘‘पापा ने,‘‘ भोलेपन के साथ अमोल ने कहा, तो स्वाति की दृष्टि रंजन की ओर गई.

‘‘जी, इस की मां तो है नहीं, तो मुझे ही तैयार करना होता है,‘‘ रंजन ने कहा, तो स्वाति का चौंकना स्वाभाविक ही था.

‘‘4 साल के बच्चे की मां नहीं है,‘‘ यह सुन कर उसे धक्का सा लगा. सौम्य, सुदर्शन रंजन को देख कर अनुमान भी लगाना मुश्किल था कि उन की पत्नी नहीं होंगी.

‘‘कैसे?‘‘ अकस्मात स्वाति के मुंह से निकला.

‘‘जी, उसे कैंसर हो गया था. 6 महीने के भीतर ही कैंसर की वजह से उस की जान चली गई,‘‘ रंजन की कंपकंपाती सी आवाज उस के दिल को छू सी गई. खुद को संयत करते हुए उस ने रंजन को आश्वस्त करने की कोशिश की, ‘‘आप जरा भी परेशान न हों, अमोल का यहां पूरापूरा ध्यान रखा जाएगा.‘‘

रंजन कुछ न बोला. वहां से बस चला गया. स्वाति का दिल भर आया इतने छोटे से बच्चे को बिन मां के देख. बिन मां के इस बच्चे के कठोर बचपन के बारे में सोचसोच कर उस का दिल भारी हो उठा था. उस दिन से अमोल से उस का कुछ अतिरिक्त ही लगाव हो गया था.

रंजन जब अमोल को छोड़ने आते तो स्वाति आग्रह के साथ उसे लेती. रंजन से भी एक अनजानी सी आत्मीयता बन गई थी, जो बिन कहे ही आपस में बात कर लेती थी. रंजन की उम्र लगभग 40 साल के आसपास की होगी.

‘‘जरूर शादी देर से हुई होगी, तभी तो बच्चा इतना छोटा है,’’ स्वाति ने सोचा.

रंजन अत्यंत सभ्य, शालीन व्यक्ति थे. स्त्रियों के प्रति उन का शालीन नजरिया स्वाति को प्रभावित कर गया था, वरना उस ने तो अपने आसपास ऐसे ही लोग देखे थे, जिन की नजरों में स्त्री का अस्तित्व बस पुरुष की जरूरतें पूरी करना, घर में मशीन की तरह जुटे रहने से ज्यादा कुछ नहीं था.

स्वाति का जीवन भी एक कहानी की तरह ही रहा. मातापिता दोनों की असमय मृत्यु हो जाने से उसे भैयाभाभी ने एक बोझ को हटाने की तरह चंदर के गले बांध दिया.

शराब पीने का आदी चंदर अपनी मां पार्वती का लाड़ला बेटा था, जिस की हर बुराई को वे ऐसे प्यार से पेश करती थीं, जैसे चंदर ही संसार में इकलौता सर्वगुण सम्पन्न व्यक्ति है.

चंदर एक फैक्टरी में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था और अपनी तनख्वाह का ज्यादातर हिस्सा यारीदोस्ती और दारूबाजी में उड़ा देता. मांबेटा मिल कर पलपल स्वाति के स्वाभिमान को तारतार करते रहते.

‘‘चल दी महारानी सज कर दूसरों के बच्चों की पौटी साफ करने,‘‘ स्वाति जब भी अपने सैंटर पर जाने को होती, पार्वती अपने व्यंग्यबाण छोड़ना न भूलतीं.

‘‘जाने दे मां, इस बहाने अपने यारदोस्तों से भी मिल लेती है,‘‘ चंदर के मुंह से निकलने वाली प्रत्येक बात उस के चरित्र की तरह ही छिछली होती.

स्वाति एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल कर अपने काम पर निकल लेती.

‘‘उस की कमाई से ही घर में आराम और सुविधाएं बनी हुई थीं. शायद इसीलिए वे दोनों उसे झेल भी रहे थे, वरना क्या पता कहीं ठिकाने लगा कर उस का क्रियाकर्म भी कर देते,‘‘ स्वाति अकसर सोचती.

नीच प्रकृति के लोग बस अपने स्वार्थवश ही किसी को झेलते या सहन करते हैं. जरूरत न होने पर दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकते हैं… स्वाति अपने पति और सास की रगरग से वाकिफ थी और कहीं न कहीं भीतर ही भीतर उन से सजग और सावधान भी रहती थी.

स्वाति ने अपना ‘डे केयर सैंटर‘ घर से कुछ दूर ‘निराला नगर‘ नामक पौश कालोनी में एक खाली मकान में खोल रखा था. घर की मालकिन मिसेज बत्रा का शू बिजनैस था और ज्यादातर समय वे कनाडा में ही रहती थीं. शहर में ऐसे उन के कई मकान पड़े थे. स्वाति से उन्हें किराए का भी लालच नहीं था. बस घर की देखभाल होती रहे और घर सुरक्षित रहे, यही उन के लिए बहुत था. साल में 1-2 बार जब वे इंडिया आतीं, तो स्वाति से मिल कर जातीं. अपने घर को सहीसलामत हाथों में देख कर उन्हें संतुष्टि होती.

मिसेज बत्रा से स्वाति की मुलाकात यों ही अचानक एक शू प्रदर्शनी के दौरान हुई थी. स्वाति का मिलनसार स्वभाव, उस की सज्जनता और अपने से बड़ों को आदर देने की उस की भावना लोगों को सहज ही उस से प्रभावित कर देती थी. वह जहां भी जाती, उस के परिचितों और शुभचिंतकों की तादाद में इजाफा हो जाता.

बातों ही बातों में मिसेज बत्रा ने जिक्र किया था कि उन का यह मकान खाली पड़ा है, जिसे वे किसी विश्वसनीय को सौंपना चाहती हैं जो उस की देखभाल भी कर सके और खुद भी रह सके.

स्वाति उस समय अपने वजूद को तलाश रही थी. उस के पास न कोई बहुत भारी रकम थी और न कोई उच्च या स्पैशल शैक्षिक प्रशिक्षण था. ऐसे में उसे डे केयर सैंटर चलाने का विचार सूझा.

स्वाति ने मिसेज बत्रा से बात की. उन्होंने सहर्ष सहमति दे दी. स्वाति ने घर वालों की हर असहमति को दरकिनार कर अपने इस सैंटर की शुरुआत कर दी.

सुबह से शाम तक स्वाति थक कर चूर हो जाती. उस के काम के कारण बच्चे उपेक्षित होते थे, वह जानती थी. पर क्या करे.

शादी के बाद जब इस घर में आई तो कितने सपने सजे थे उस की आंखों में. फिर एकएक, सब किर्चकिर्च होने लगे. चंदर पक्का मातृभक्त था और मां शासन प्रिय. परिवार का प्रत्येक व्यक्ति उन के दबाव में रहता. ससुर भी सास के आगे चूं न करते. हां, उन के धूर्त कामों में साथ देने को हमेशा तैयार रहते. चंदर जो भी कमाता या तो मां के हाथ में देता या दारू पर उड़ा देता.

स्वाति से उस का सिर्फ दैहिक रिश्ता बना, स्वाति का मन कभी उस से नहीं जुड़ा. उस ने कोशिश भी की, तो हमेशा चंदर के विचारों, कामों और आचरण से वह हमेशा उस से और दूर ही होती गई.

‘‘देखो तुम्हारी मां तुम्हारा ध्यान नहीं रख सकतीं और दूसरों के बच्चों की सूसूपौटी साफ करती है,” सास उस के दोनों बच्चों को भड़काती रहतीं.

राहुल 7 साल का था और प्रिया 5 साल की होने वाली थी. दोनों कच्ची मिट्टी के समान थे. स्वाति बाहर रहती और दादी जैसा मां के विरुद्ध उन्हें भड़काती रहती. उस से बच्चों के मन में मां की नकारात्मक छवि बनती जाती. यहां तक कि दोनों स्वाति की हर बात को काटते.

‘‘आप तो जाओ अपने सैंटर के बच्चों को देखो, वही आप के अपने हैं, हम तो पराए हैं. हमारे साथ तो दादी हैं. आप जाओ.‘‘

प्रिया और राहुल को आभास भी न होता होगा कि उन की बातों से स्वाति का दिल कितना दुखता था. ऊपर से चंदर, उसे खाना, चाय, जूतेमोजे, कच्छाबनियान सब मुंह से आवाज निकलते ही हाजिर चाहिए थे.

बिस्तर से उठते ही यदि चप्पल सामने न मिले तो हल्ला मचा देता. स्वाति को बेवकूफ, गंवार सब तरह की संज्ञाओं से नवाजता और खुद रोज शाम को बदबू मारता, नशे में लड़खड़ाता हुआ घर आता.

यही जिंदगी थी स्वाति की घर में. अपनी छोटीछोटी जरूरतों के लिए भी मोहताज थी वह. ऐसे में आत्मसम्मान किस चिड़िया का नाम होता है, ये उजड्ड लोग जानते ही न थे. तब स्वाति को मिसेज बत्रा मिलीं और उसे आशा की एक किरण दिखाई दी.

इन्हीं आपाधापियों में उस के ‘डे केयर‘ की शुरुआत हो गई. अब तो बच्चे भी बहुत हो गए हैं, जिन में अमोल से उसे कुछ विशेष लगाव हो गया था. उस के पिता रंजन वर्मा से भी. उस का एक आत्मीय रिश्ता बन गया था. जब से उसे पता चला था कि रंजन की पत्नी की कैंसर से मृत्यु हो चुकी है और अमोल एक बिन मां का बच्चा है, तब से अमोल और रंजन दोनों के ही प्रति उस के दिल में खासा लगाव पैदा हो गया था.

हालांकि रंजन के प्रति अपनी मनोभावनाओं को उस ने अपने दिल में ही छुपा रखा था, कभी बाहर नहीं आने दिया था.

अपनी सीमाओं की जानकारी उसे थी. यहां व्यक्ति का चरित्र आंकने का बस यही तो एक पैमाना है. मन की इच्छाओं को दबाते रहना. जो हो वह नहीं दिखना चाहिए बस एक पाकसाफ, आदर्श छवि बनी रहे तो कम से कम इस दोहरे मानदंडों वाले समाज में सिर उठा कर जी तो सकते हैं वरना तो लोग आप को जीतेजी ही मार डालेंगे.

शर्म, ग्लानि और अपराध बोध बस उन के लिए है, जो स्वाभिमानी हैं और अपने अस्तित्व की रक्षा करते हुए सम्मान से जीना चाहते हैं और चंदर जैसे दुर्गुणी, नशेबाज के लिए कोई मानमर्यादा नहीं है.

चंदर के मातापिता जैसे चालाक और धूर्तों के लिए भी कोई नैतिकता के नियम नहीं हैं. उन की बुजुर्गियत की आड़ में सब छुप जाता है.

पर हां, अगर स्वाति किसी भावनात्मक सहारे के लिए तनिक भी अपने रास्ते से डगमग हो गई तो भूचाल आ जाएगा और उस का सारा संघर्ष और मेहनत बेमानी हो जाएगी, यह स्वाति अच्छी तरह जानती और समझती थी. इसीलिए उस ने रंजन के प्रति अपनी अनुरक्ति को केवल अपने मन की परतों में ही दबा रखा था. पर यह भी उसे अच्छा लगता था. चंदर और उस के स्वार्थी परिवार से उस का यह मौन विद्रोह ही था, जो उसे परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देता था और उस का मनोबल बढ़ाता था.

राहुल और प्रिया का टिफिन तैयार कर उन्हें स्कूल के लिए छोड़ कर, घर के सब काम निबटा कर जैसे ही स्वाति घर से निकलने को हुई, सास की कर्कश आवाज आई, ‘‘चल दी गुलछर्रे उड़ाने महारानी… हम लोगों के साथ इसे अच्छा ही कहां लगता है.‘‘ चंदर भी मां का साथ देता.

आखिर स्वाति कितना और कब तक सुनती. दबा हुआ आक्रोश फूट पड़ा स्वाति का, ‘‘जाती हूं तो क्या… कमा कर तो तुम्हारे घर में ही लाती हूं. कहीं और तो ले जाती नहीं हूं.‘‘

‘‘अच्छा, अब हम से जबान भी लड़ाती है…’’ गाली देते हुए चंदर उस पर टूट पड़ा. सासससुर भी साथ हो लिए.

पलभर के लिए हैरान रह गई स्वाति… उसे लगा कि ये लोग तो उसे मार ही डालेंगे. उस के कुछ दिमाग में न आया, तो जल्दीजल्दी रंजन को फोन लगा दिया और खुद भी अपने सैंटर की ओर भाग ली.

‘‘अब इस घर में मुझे नहीं रहना है,‘‘ उस ने मन ही मन सोच लिया, ‘‘कैसे भी हो, अपने बच्चों को भी यहां से निकाल लेगी. सैंटर पर कमरा तो है ही. कैसे भी वहीं रह लेगी. मिसेज बत्रा को सबकुछ बता देगी. वे नाराज नहीं होंगी.‘‘

स्वाति के दिमाग में तरहतरह के खयाल उमड़घुमड़ रहे थे. सबकुछ अव्यवस्थित हो गया था. समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा…

सैंटर पहुंच कर कुछ देर में स्वाति ने खुद को व्यवस्थित कर लिया. उस के फोन लगा देने पर रंजन भी वहां आ गया था.

रंजन के आत्मीयतापूर्ण व्यवहार का आसरा पा कर वह कुछ छुपा न पाई और सबकुछ बता दिया…अपने हालात… परिस्थितयां, बच्चे… सब.

पहलेपहल तो रंजन को कुछ समझ ही न आया कि क्या कहे. एक शादीशुदा स्त्री की निजी जिंदगी में इस तरह दखल देना सही भी होगा या नहीं… फिर भी स्वाति की मनोस्थिति देख कर रंजन ने कहा, ‘‘कोई परेशानी या जरूरत हो तो वह उसे याद कर ले और अगर उस की जान को खतरा है, तो वह उस घर में वापस न जाए.‘‘

रंजन का संबल पा कर स्वाति का मनोबल बढ़ गया और उस ने सोच लिया कि अब वह वापस नहीं जाएगी. रहने का ठिकाना तो उस का यहां है ही. यहीं से रह कर अपना सैंटर चलाएगी. कुछ दिन नैना को यहीं रोक लगी अपने पास.

उस दिन स्वाति घर नहीं गई. उस का कुछ विशेष था भी नहीं घर में. जरूरत भर का सामान, थोड़ेबहुत कपड़े बाजार से ले लेगी. पक्का निश्चय कर लिया था उस ने. बस अपनेआप को काम में झोंक दिया स्वाति ने.

अपने डे केयर को प्ले स्कूल में और बढ़ाने का सोच लिया उस ने और कैसे अपने काम का विस्तार करे, बस इसी योजना में उस का दिमाग काम कर रहा था.

स्वाति के चले जाने से घर की सारी व्यवस्था ठप हो गई थी. स्वाति तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी थी. वह ऐसा जोर का झटका देगी, ऐसी उम्मीद न थी. चंदर और उस की मां तो उसे गूंगी गुड़िया ही समझते थे, जिस का उन के घर के सिवा कोई ठौरठिकाना न था. आखिर जाएगी कहां? अब खिसियाए से दोनों क्या उपाय करें कि उन की अकड़ भी बनी रहे और स्वाति भी वापस आ जाए, यही जुगाड़ लगाने में लगे थे.

मां के चले जाने पर बच्चे राहुल और प्रिया को भी घर में उस की अहमियत पता चल रही थी. जो दादी दिनरात उन्हें मां के खिलाफ भड़काती रहती थी, उन्होंने एक दिन भी उन का टिफिन नहीं बनाया. 2 दिन तो स्कूल मिस भी हो गया.

स्कूल से आने पर न कोई होमवर्क को पूछने वाला और न कोई कराने वाला. बस चैबीस घंटे स्वाति की बुराई पुराण चालू रहता. उन से हजम नहीं हो रहा था कि स्वाति इस तरह उन सब को छोड़ कर भी जा सकती है. ऊपर से सारा घर अव्यवस्थित पड़ा रहता था.

स्वाति को गए एक हफ्ता भी न हुआ था कि दोनों बच्चों के सामने उन सब की सारी असलियत खुल कर सामने आ गई. उन का मन हो रहा था कि उड़ कर मां के पास पहुंच जाएं, पर दादादादी और पिता के डर से सहमे हुए बच्चे कुछ कहनेकरने की स्थिति में नहीं थे.

एक दिन दोनों स्कूल गए तो लौट कर आए ही नहीं, बल्कि स्कूल से सीधे अपनी मां के पास ही पहुंच गए. सैंटर तो उन्होंने देख ही रखा था. स्वाति को तो जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई. उस के कलेजे के टुकड़े उस के सामने थे. कैसे छाती पर पत्थर रख कर उन्हें छोड़ कर आई थी, यह वह ही जानती थी.

चंदर और स्वाति के सासससुर बदले की आग में झुलस रहे थे. सोने का अंडा देने वाली मुरगी और घर का काम करने वाली उन्हें पलभर में ठेंगा दिखा कर चली जो गई थी.

बेइज्जती की आग में जल रहे थे तीनों. चंदर किसी भी कीमत पर स्वाति को घर वापस लाना चाहता था. शहर के कुछ संगठन जो स्त्रियों के चरित्र का ठेका लिए रहते थे और वेलेंटाइन डे पर लड़केलड़कियों को मिलने से रोकते फिरते थे, उन में चंदर भी शामिल था. वास्तव में तो इन छद्म नैतिकतावादियों से स्त्री का स्वतंत्र अस्तित्व ही बरदाश्त नहीं होता और यदि खोजा जाए तो उन सभी के घरों में औरत की स्थिति स्वाति से बेहतर न मिलती.

स्वाति के चरित्र पर भद्दे आरोप लगाता हुआ अपने ‘स्त्री अस्मिता रक्षा संघ‘ के नुमाइंदों को ले कर चंदर स्वाति के डे केयर सैंटर पहुंच गया.

यह देख स्वाति घबरा गई. उस ने रंजन को, अपने सभी मित्रों, बच्चों के मातापिता को जल्दीजल्दी फोन किए. सैंटर के बाहर दोनों गुट जमा हो गए. रंजन भी पुलिस ले कर आ गया था. दोनों पक्षों की बातें सुनी गईं.

स्वाति ने अपने ऊपर हो रहे उत्पीड़न को बताते हुए ‘महिला उत्पीड़न‘ और ‘घरेलू हिंसा‘ के तहत रिपोर्ट लिखवा दी. रंजन, उस के दोस्त और बच्चों के मातापिता सभी स्वाति के साथ थे.

पुलिस ने चंदर को आगे से स्वाति को तंग न करने की चेतावनी दे दी और आगे ‘कुछ अवांछित करने पर हवालात की धमकी भी.‘ चंदर और उस के मातापिता अपना से मुंह ले कर चलते बने.

स्वाति ने सोच लिया था कि अब वह चंदर के साथ नहीं रहेगी. अपने जीवन के उस अध्याय को बंद कर अब वह एक नई शुरुआत करेगी.

शाम का धुंधलका छा रहा था. स्वाति अकेले खड़ी डूबते हुए सूरज को देख रही थी. सामने रंजन आ रहा था, अमोल का हाथ पकड़े.

अमोल ने आ कर अचानक स्वाति का एक हाथ थाम लिया और एक रंजन ने. राहुल और प्रिया भी वहीं आ गए थे. अब वे सब साथ थे एक परिवार के रूप में मजबूती से एकदूसरे का हाथ थामे हुए, ‘एक नई शुरुआत के लिए और हर आने वाली समस्या का सामना करने को तैयार.

Pregnancy में हील पहनना और सफर करना क्या खतरनाक है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 3 महीने की प्रैगनैंट हूं, क्या मैं हाई हील सैंडल पहन सकती हूं?

जवाब-

प्रैगनैंसी के दौरान हाई हील सैंडल पहनना आप के लिए ही सब से ज्यादा तकलीफ देह साबित होगा, इसलिए हाई हील सैंडल पहनने की इच्छा को 9 महीने दिल से निकाल दें. प्रैगनैंसी के दौरान शरीर से रिलैक्सएक्स नाम का हारमोन निकलता है जो शिशु के जन्म लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है. लेकिन इस हारमोन के कारण पैरों में दर्द, जोड़ों में अकड़न जैसी समस्याएं होने लगती हैं. हाई हील सैंडल पहनने से पैरों में सूजन आ सकती है, पेट लटक सकता है क्योंकि पैरों पर भार ज्यादा पड़ने लगता है यानी शरीर का आकार बेढंगा बन सकता है. इसलिए प्रैगनैंसी के दौरान ब्लौक या प्लैटफौर्म हील पहनना सब से सेफ होता है.

सवाल-

मेरा 5वां महीना चल रहा है, मैं मां के पास जाना चाहती हूं. ट्रेन, हवाईजहाज या कार किस से सफर करना मेरे और मेरे बच्चे के लिए सुरक्षित रहेगा?

जवाब-

आप का 5वां महीना चल रहा है, इस का मतलब आप को दूसरी तिमाही है. इस दौरान ट्रेन, प्लेन या कार से ट्रेन से सफर करना मां और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित होता है. ट्रेन उबड़खाबड़ नहीं समतल रेल लाइन पर चलती है, जिस से हिचकोले खाने का डर नहीं रहता. अगर आप को पानी पीना है या आराम करना है तो आप आसानी

से कर सकती हैं. जबकि प्लेन में 32 हफ्ते बाद सफर करने की अनुमति नहीं मिलती और कार में धक्का या हिचकोले खाने की आशंका भी रहती है. यहां तक कि हवाईजहाज में सांस लेने में परेशानी हो सकती है, इसलिए 32 महीने पहले यदि सफर करना चाहती हैं तो डाक्टर से जरूर सलाह ले लें.

अगर कार से सफर करेंगी तो बीचबीच में पेशाब करने के लिए जाना पड़ सकता है, जो हाइजीन के नजरिए से भी सेफ नहीं होता है. इस के अलावा अगर किसी को उलटियां करने की समस्या है तो उन के लिए कार से सफर करना मुश्किल हो सकता है. इसलिए अगर सुरक्षित और आराम से सफर करना है तो ट्रेन से ही सफर करना अच्छा होता है. इस से पैर फैला कर आराम से खातेपीते सफर का आनंद मां और शिशु दोनों उठा सकते हैं.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

हाथरस पाखंडी बाबाओं के निशाने पर महिलाएं ही क्यों

22 जुलाई, 2024 को हाथरस में एक सत्संग में हुई भगदड में तकरीबन 121 लोग मारे गए और कई घायल हुए. मारे गए लोगों की संख्या और भी बढ़ सकती है. जिस ने यह सब करीब से देखा उन का कहना था कि जब बाबा ने अपने भक्तों से अपने चरणों की धूल लेने के लिए कहा तब अचानक से लोग दौड़ने लगे और भगदड मच गई. घटना के बाद से ही चमत्कारी बाबा गायब है.

भारत के लगभग हर कोने में ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो अपने ऐजेंटों की मदद से शहरों और गांवों में अपना
प्रचार करते हैं और अपना गोरखधंधा चलाते है. सोशल मीडिया के इस युग में इन का काम और भी आसान हो गया है. टीवी चैनलों पर रातदिन इन के प्रवचनों के वीडियो लगातार प्रसारित होते हैं जहां ये खुद को ऐसे दिखाते हैं जैसेकि भगवान के भेजे हुए कोई दूत हों. बड़ेबड़े सिंहासन, चारों तरफ चकाचौंध और भक्तों से घिरे ये बाबा बड़ी ही आसानी से लोगों को बेवकूफ बनाने का काम करते हैं।

कोई भी बन जाता है भगवान

वैसे, कमाल की बात यह है कि भारत में मामूली लोगों को भी भगवान बना दिया जाता है और उन्हें पूजना शुरू कर दिया जाता है और इस तरह से खुद को भगवान, बाबा और गुरु घोषित कर देने वाले 1-2 या दर्जनभर नहीं बल्कि सैकड़ों और हजारों की तादात में होते हैं.

आज भारत के किसी भी कोने में ऐसे ढोंगी बाबा मिल जाएंगे. उन में से बहुत कम को छोड़ कर, जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है सही कामों में लगे हुए हैं लेकिन उन्हें बाबा नहीं कहा जा सकता है, बाकी ज्यादातर बदमाश हैं जो तथाकथित आश्रमों में 10-20 बौडीगार्ड के साथ राइफलों से लैस और युवा भारतीय या विदेशी महिला अनुयायियों के साथ आलीशान भवनों में रहते हैं.

आश्चर्य की बात तो यह है कि इन के आश्रमों में जाने की फीस है, उन से मिलने की फीस है, उन से अपनी समस्याएं साझा करने की फीस है। फिर ये ऐसेऐसे तरीके बताते हैं कि एक सामान्य इंसान हो तो हंसी छूट जाए. कोई रात को 2 बजे दीए जलाने को कहेगा तो कोई पानी में डुबकी लगाने को कहेगा. कोई कागज पर समस्याएं लिखने को कहेगा तो कोई गोलगप्पे खाने को कहेगा. मानसिक रूप से जूझ रहे लोगों को बेवकूफ बनाने के सैकड़ों उपाय इन के पास होते हैं.

क्यों फंसते हैं लोग जाल में

बदलते सामाजिकआर्थिक ढांचे ने लोगों में तनाव, चिंता और असुरक्षा को बढ़ाया है, जिस से वे बाबाओं
के चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं. मानसिक रूप से बीमार ऐसे लोग इन बाबाओं के चंगुल में तो आसानी से फंस जाते हैं मगर यही लोग घरों में अपने बुजुर्गों की बात मानने से साफ इनकार कर देते हैं क्योंकि वहां उन का ज्ञान उन की शिक्षा उन्हें ऐसा करने से मना कर देता है. लेकिन ऐसे बाबाओं को ईश्वर बनाने की बुद्धि दे देता है. दूसरा, कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे लोग इन्हें अपना सहारा बनाने लगते हैं.

ऐसे बाबा देश के हर राज्य और गांवशहरों में भरे पड़े हैं. सत्संगों के नाम पर लोगों को इकट्ठा कर के उन के मानसिक तनाव को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. कभी भगवान के नाम पर तो कभी खुद ही को भगवान का भेजा हुआ दूत बता कर ये बाबा लोगों को अच्छाखासा बेवकूफ बनाते हैं. इन में महिलाओं की संख्या सब से अधिक होती है। ऐसी महिलाएं जो हर घर में किसी न किसी रूप में प्रताड़ित की जाती हैं, इन बाबाओं के जाल में आसानी से फंस जाती हैं.

जान पर भारी अंधविश्वास

हाथरस में हुई घटना में भी मरने वालों में 112 महिलाएं थीं जो इस बात की पुष्टी भी करता है कि आखिर क्यों अधिकतर महिलाएं ही इन भगदङों में मारी जाती हैं? आखिर क्या वजह है कि महिलाएं बङी संख्या में इन सत्संगों और धार्मिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनती हैं जबकि लगातार खबरों से इस बात की पुष्टी भी होती रहती है कि कितने ही धार्मिक कार्यक्रमों और सत्संगों में आयोजकों द्वारा महिलाओं का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है.

आशाराम हो, राम रहीम हो या फिर रामपाल जैसे पाखंडी बाबा, सभी ने धर्म को धंधा बनाया और लोगों खासकर महिलाओं को निशाने पर लिया.

यह कैसा धर्म

हाथरस में भी जिस तथाकथित भोले बाबा नारायण हरि के सत्संग में भगदड़ मची और 121 लोगों की मौतें हुईं, उसी भोले बाबा के अलवर आश्रम से कुछ बातें अब सामने आ रही हैं. दरअसल, जिस गांव में बाबा का आश्रम है, वहां के लोगों का कहना है कि जब बाबा आश्रम में आता था, तो गांव वालों को आश्रम में घुसने नहीं दिया जाता था लेकिन लड़कियों को आश्रम में बिना रोकटोक के प्रवेश की इजाजत दी जाती थी. ऐसी घटनाएं साफसाफ इस बात की तरफ इशारा करती है कि इन बाबाओं का उद्देश्य सिर्फ दौलत कमाना और महिलाओं को टारगेट करना ही होता है.

महिलाएं हैं आसान टारगेट

महिलाएं इन का आसान टारगेट होती हैं. आसान इसलिए क्योंकि उन्हें महिलाओं पर बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती क्योंकि धार्मिक भीरु उन्हीं के घर में उन की माताएं, दादीनानी उन्हें बचपन से ही सिखा रही होती हैं.

बचपन से ही महिलाओं को अंधविश्वासों के चंगुल में फंसाने का प्रयास उन की मांओं और बुजुर्ग महिलाओं द्वारा लगातार किया जाता है. मसलन, ‘सोमवार को व्रत रखो तुम्हें अच्छा प्यार करने वाला पति मिलेगा’,’तुम गुरुवार का व्रत रखो तुम्हारे सारे कष्ट दूर होंगे’,’रात में बाल मत खुले रखो’,’परफ्यूम मत लगाओ…’ वगैरह कितने ही अंधविश्वास की बाते महिलाओं को बचपन से ही सिखासिखा कर बड़ा किया जाता है.

एक कहावत है ‘बारबार झूठ को दोहराने से झूठ भी सच लगने लगता है’ और वयस्क होतेहोते यही लड़कियां इन अंधविश्वासों के चंगुल में फंस चुकी होती हैं और फिर इन्हें इसी तरह इन बाबाओं द्वारा नएनए प्रवचनों और ट्रिक्स से आसानी से बेवकूफ बनाया जाता है और ये बनती भी चली जाती हैं.

घर भी सुरक्षित नहीं

अच्छे पति और घर की कामना में युवा लङकियां व्रत तो रखती हैं, लेकिन फिर भी घरेलू हिंसा और आत्महत्या के आंकड़े बाताते हैं कि भारत में अपने ही घरों में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-2021 के अनुसार, 18 से 49 वर्ष की आयु के बीच की 29.3% विवाहित भारतीय महिलाओं ने घरेलू/यौन हिंसा को झेला है, 18 से 49 वर्ष की आयु की 3.1% गर्भवती महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान शारीरिक हिंसा का सामना किया है. यह वे आंकड़े हैं जो रजिस्टर्ड हैं, ऐसी और भी न जानें कितनी घटनाएं होंगी जिन्हें डर और समाजिक बदनामी के नाम पर छिपा लिया जाता है। आसपड़ोस में शारीरिक और मानसिक रूप से महिलाओं को प्रताड़ित करना तो आज आम बात है.

बावजूद, कोई महिला पढ़ीलिखी हो या फिर अनपढ़, अंधविश्वास के चक्कर में न सिर्फ अपना कैरियर चौपट कर लेती है, बल्कि अंधविश्वास के रास्ते चल कर घरपरिवार की तरक्की में अपना योगदान तक नहीं दे पाती.

पूजापाठ से अगर सभी कष्ट दूर होते तो लोगों को मेहनत करने की कोई जरूरत ही नहीं पङती. सच तो यह है कि आज लोगों खासकर महिलाओं को शिक्षा को हथियार बनाना चाहिए और वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।

5 इंस्टैंट इवनिंग स्नैक्स आइडियाज, नोट करें ये आसान रेसिपी

नाश्ता सुबह का हो या शाम का, समय पर करना हर किसी के लिए तब बड़ी समस्या हो जाती है, जब आप वर्किंग हैं और समय का बहुत अभाव हो. ऐसे में नाश्ते के हैल्दी औप्शंस दिमाग में ही नहीं आते. आज हम आप को लिए 5 ऐसे नाश्तों के आइडियाज दे रहे हैं, जिन्हें आप झटपट घर के कम सामान से बड़ी आसानी से बना सकती हैं. इन नाश्तों की सब से बड़ी खासियत है कि ये हैल्दी तो हैं ही साथ ही आप इन्हें पहले से बना कर भी फ्रिज में रख सकती हैं.

तो आइए, देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है :

शेजवान पोटैटो बौल्स

6 उबले आलू को मैश कर के 2 टीस्पून कौर्नफ्लोर, 1/4 टीस्पून नमक और 1 चुटकी अजवाइन मिला कर छोटेछोटे बौल्स बना कर उबलते पानी में डाल दें. जब बौल्स ऊपर आ जाएं तो छलनी से बाहर निकाल कर एक बाउल के ऊपर रख दें ताकि पानी निकल जाए. अब एक बाउल में कश्मीरी लालमिर्च, नमक, शेजवान चटनी, औरिगेनो, चाटमसाला और थोड़ी सी कसूरी मैथी डालें. एक सौसपैन में तेल गरम कर के कटा प्याज और लहसुन भूनें और इस गरम तेल को मसाले वाले बाउल में डाल दें. अब तैयार उबली बौल्स को इस गरम तेल में अच्छी तरह मिक्स करें. हरे धनिए से गार्निश कर के सर्व करें.

चिली गार्लिक चपाती

एक बाउल में बारीक कटा 10 कली लहसुन, 1/4 टीस्पून चिली फ्लैक्स, 1 बड़ा चम्मच मक्खन, बारीक कटी हरीमिर्च, कटी धनियापत्तियां और 1/4 टीस्पून नमक अच्छी तरह मिलाएं. अब इसे एक चपाती पर इस तरह लगाएं कि पूरी चपाती कवर हो जाए. इस के ऊपर 1 चीज क्यूब कसें और दूसरी चपाती से कवर कर दें. तैयार चपाती को बटर लगा कर तवे पर एकदम धीमी आंच पर सुनहरा होने तक सेंकें. बीच से काट कर सर्व करें.

चौकलेटी पौपकौर्न

आप इसे बनाने के लिए रैडीमेड पौपकौर्न ले सकतीं हैं या फिर मक्के से घर पर पौपकौर्न बना सकती हैं. एक माइक्रोवेब सेफ बाउल में 100 ग्राम डार्क और 100 ग्राम मिल्क चौकलेट को माइक्रोवेब में मेल्ट करें. अब इस पिघली चौकलेट में तैयार मखाने डाल कर अच्छी तरह चलाएं. यदि आपस में चिपक जाएं तो गरम में ही अलग कर दें. एअरटाइट डब्बे में भर कर प्रयोग करें.

पापड़ रोल

मैश किए उबले आलू में किसी गाजर, बारीक कटा प्याज, कटी हरीमिर्च, कटी शिमलामिर्च, कटा प्याज, सभी बेसिक मसाले और हरा धनियापत्ती मिला कर फिलिंग तैयार कर के छोटेछोटे रोल्स बना लें. अब एक दाल के पापड़ को पानी में भिगो कर तुरंत निकाल कर सूती कपड़े पर रखें. बीच में फिलिंग वाला रोल रख कर पार्सल जैसा बना लें. अब इस पार्सल को गरम तेल में तल कर बटर पेपर पर निकाल कर टोमेटो सौस के साथ सर्व करें.

फ्रूट मलाई सैंडविच

1 कप मलाई में नारियल बुरादा, बारीक कटे खजूर अच्छी तरह मिलाएं. तैयार स्प्रेड को 2 ब्राउन ब्रैडस्लाइस पर फैलाएं. दोनों स्लाइस के बीच में कटे फल और पिसा पनीर भरें. ऊपर से कटी मेवा से गार्निश कर के सर्व करें.

क्या है नैनोप्लास्टिया ऐडवांस हेयर ट्रीटमैंट, इस फैस्टिवल में अपने बालों को दें अलग लुक

महिलाओं के लुक को बैस्ट बनाने में बालों का हैल्दी होना बहुत जरूरी है. लेकिन आजकल बालों में सब से बड़ी प्रौब्लम ड्राई, रफ और फ्रिजिनैस की होती है. इन दिक्कतों की वजह से किसी का भी पूरा लुक बिगड़ सकता है और ये अधिकतर कलर किए बालों में ज्यादा दिखाई देते हैं.

बालों की इन परेशानियों को दूर करने के लिए अब तक आप ने केराटिन, स्मूथिंग और स्ट्रैटनिंग ही करवाई होगी, लेकिन अब बालों का एक ऐडवांस और बैनिफिट ट्रीटमैंट आया है वह है नैनोप्लास्टिया, जो बालो को स्ट्रैट और चमकदार बनाने का एक खास ट्रीटमैंट है.

आइए हेयर ऐक्सपर्ट से जानें नैनोप्लास्टिया होता क्या है और बालों के लिए किस तरह फायदेमंद है :

नैनोप्लास्टिया ऐडवांस हेयर ट्रीटमैंट

यूनिसेक्स सैलून के हेयर ऐक्सपर्ट सलीम का कहना है, “नैनोप्लास्टिया को नैनो केराटिन ट्रीटमैंट या ब्राजीलियाई नैनोप्लास्टी भी कहा जाता है. यह एक अंर्गेनिक ऐडवांस हेयर ट्रीटमैंट है.

इस में नैनोटेक्नोलौजी और नैनोसाइज्ड पार्टिकल्स का इस्तेमाल कर बालों को रूट्स तक कंडीशन किया जाता है. इस से बालों में न्यूट्रिऐंट्स, अमीनो एसिड और केराटिन प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है और बाल स्ट्रैट, हैल्दी और शाइन वाले बनते हैं.

नैनोप्लास्टिया करवाने के फायदे

नैनोप्लास्टिया बालों में आई रफ, ड्राई और फ्रीजिनैस जैसी समस्याओं को दूर कर उन्हें हैल्दी बनाता है जिस से बालों की इलास्टिसिटी बढ़ती है, फ्रीजिनैस कम होता है और वह स्ट्रैट बनता है. यह स्मूथिंग और केराटिन ट्रीटमैंट के सभी लाभ प्रदान करता है, क्योंकि इस में फौर्मेल्डिहाइड नहीं होता है. नैनोप्लास्टिया से बालों को स्ट्रैट करने का प्रोसेस हेयर बोटोक्स से तेज होता है.

इस ट्रीटमैंट को करवाने के बाद इस का असर हेयर्स में 6 महीने तक रहता है. नैनोप्लास्टिया इंटैंसिव न्यूट्रिशन प्रदान करता है और पूरे हेयर के टेक्सचर को इंप्रूव करता है. इस का प्रभाव अन्य ट्रीटमैंट की तुलना में अधिक समय तक रहता है.

सभी प्रकार के बालों के लिए बैस्ट

यह सभी प्रकार के बालों के लिए बेहतर होता है और इसे अपनी जरूरतों के आधार पर कस्टमाइज्ड किया जा सकता है. नैनोप्लास्टिया में टाइम पीरियड ज्यादा लगता है. यह बिना किसी नुकसान के लंबे समय तक चलने वाला रिजल्ट देता है. मगर इसे किसी हेयर ऐक्सपर्ट से ही करवाएं.

नैनोप्लास्टिया हेयर ट्रीटमैंट के साइड इफैक्ट्स

अगर इसे बहुत लांग पीरियड तक बालों में लगा रहने दिया जाए या जरूरत से ज्यादा स्टीम दी जाए, तो इस से हेयरफौल की समस्या आ सकती है.

इस के अलावा जरूरी नहीं कि ट्रीटमैंट में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी कैमिकल्स सिर की स्किन के लिए सही ही हो, कुछ लोगों को ट्रीटमैंट के दौरान ऐलर्जी भी हो जाती है लेकिन ऐक्सपर्ट की सलाह से इसे ठीक किया जा सकता है. इसे ठीक से न किया जाए तो इस से बालों में मौजूद नैचुरल औयल निकल सकता है, जिस से बाल ड्राई और डैमेज हो सकते हैं.

टाइम पीरियड और कीमत

इस ट्रीटमैंट को करवाने के बाद इस का असर बालों में 3 से 6 महीने तक रहता है. आमतौर पर इस में कोई ज्यादा हार्मफुल कैमिकल्स शामिल नहीं होते और यह लौंग पीरियड तक टिकता है. कम टचअप की भी आवश्यकता होती है.

नैनोप्लास्टिया की कीमत सैलून के ब्रैंड और ऐक्सपोजर के आधार पर ₹5,000 से शुरू हो कर ₹15,000 तक हो सकती है.

तो क्यों न इस फैस्टिवल पर थोड़ा सा बजट बढ़ा कर बालों में ऐडवांस ट्रीटमैंट करवाया जाए और लुक को चेंज किया जाए.

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