विवाह बाद प्रेम में कटौती नहीं

विवाह के बाद पुरुषों की प्रेमभावना कुंद हो जाने पर अधिकांश महिलाएं खुद को छला हुआ महसूस करती हैं, जबकि पुरुष भी ऐसा ही महसूस करते हैं. अकसर महिलाएं शिकायत करती हुई कहती हैं कि जैसे ही कोई महिला किसी पुरुष के प्रति प्रेम में प्रतिबद्घ होती है वैसे ही उन की प्रेमभावना स्त्री के प्रति खत्म हो जाती है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के जानेमाने समाजशास्त्री डा. अमित कुमार शर्मा का कहना है, ‘‘कुछ प्राकृतिक गुणों के कारण स्त्रियों के प्रति पुरुषों की प्रेमभावना अधिक समय तक सशक्त नहीं रह पाती है जिस के कारण महिलाएं खुद को उपेक्षित और छला हुआ अनुभव करती हैं और ऐसे क्षणों की तलाश में रहती हैं कि जब पुरुष उन के प्रति आकर्षित हो. लेकिन पहले जैसी आसक्ति व प्रेमाभिव्यक्ति हो पाना संभव नहीं हो पाता.’’

अधिकतर पुरुष, स्त्रीप्राप्ति के लिए अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को एक हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं. उन का यह हथियार उसी प्रकार होता है जिस तरह कोई शिकारी अपने हथियार से शिकार करने के बाद उसे खूंटी पर टांग देता है. उसी प्रकार पुरुष अपनी प्रेमाभिव्यक्ति को अपनी जेब में रख लेते हैं जब तक कि उन्हें दोबारा इस की जरूरत न पड़े. दूसरी ओर, महिलाएं आवेश में किए गए प्रेम को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेती हैं.

प्रेम आनंद-प्रेम दर्द

यौवन से भरपूर 24 वर्षीय मिनीषा गुप्ता का कहना है, ‘‘प्रेम आनंद के साथ शुरू होता है और जब हम शादी कर लेते हैं तो यही प्रेम दर्द का कारण बनता है. जैसा कि मैं देख रही हूं कि हमारी शादी को मात्र 2 वर्ष हुए हैं और अभी से मेरे पति मुझे नजरअंदाज करने लगे हैं. जबकि, शादी से पहले वे मुझे दुनिया की सब से खूबसूरत युवती बताते थे. मेरे हाथों को सहलाते हुए उन्हें दुनिया के सब से मुलायम हाथ करार देते थे. वे अब मेरी भौतिक सुविधाओं का तो खयाल करते हैं लेकिन मैं उन के मुंह से प्यार के दो बोल सुनने को तरस जाती हूं.’’

पत्नियों की यह भी एक आम शिकायत है कि उन के पति उन्हें एक साथी या पार्टनर के रूप में बहुत कम स्वीकारते हैं. अधिकतर पुरुष भावनात्मक स्तर पर बिना कुछ बांटे पति की भूमिका निभाते हैं.

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कुछ महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि कई पतियों को पत्नी से जुड़ी जानकारी तक नहीं होती. वे जल्दी बच्चे भी नहीं चाहते पर किसी प्रकार के गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के प्रति भी लापरवाह होते हैं और पत्नी के गर्भवती होते ही वे अपनी दुनिया में खो जाते हैं. पत्नी को अपना ध्यान रखने की हिदायतें देने के बाद वे किसी किस्म की जिम्मेदारी नहीं बांटते.

दांपत्य जीवन

पत्नियां अब शादी को सिर्फ खाना पकाना, बच्चे पैदा करना और घरगृहस्थी संभालना मात्र ही नहीं मानतीं. लेकिन फिर भी महिलाओं के मन में यह कसक तो बनी ही रहती है कि पति शादी से वह सबकुछ पा जाता है जो वह चाहता है लेकिन उसे उस का पूरा हिस्सा ईमानदारी के साथ नहीं मिलता. जिस शारीरिक जरूरत को पति बेफिक्री व हक से प्राप्त कर लेता है जबकि पत्नी द्वारा उसी जरूरत की मांग करने पर उस को तिरस्कार से देखा जाता है.

अधिकतर महिलाएं पुरुषों की मानसिकता अब अच्छी तरह समझने लगी हैं. उन के अनुसार, भारतीय पुरुष आज भी दांपत्य रिश्तों के मामलों में आदिमानव की तरह ही हैं. जबकि पुरुषों के लिए यह समझना जरूरी है कि उन का दांपत्य जीवन और सैक्स से जुड़ी हर गतिविधि तभी सुखद व आनंददायी होगी जब वे शारीरिक व मानसिक तौर पर फिट होंगे.

आज के दौर में पति व पत्नी में शारीरिक संबंधों को खुल कर भोगने की लालसा तेज हुई है. लिहाजा, यह जरूरी है कि दांपत्य में झिझक से परे हो कर सुखों को आपस में ज्यादा से ज्यादा बांटने की कोशिश की जाए. भारतीय पुरुषों की सब से बड़ी समस्या यह है कि उन्हें एक अच्छे प्रेमी की भूमिका निभानी नहीं आती है और जो थोड़ीबहुत आती भी है वह पति के रूप में आते ही लगभग खत्म हो जाती है. पति के लिए करवाचौथ का व्रत रखने वाली, साड़ी और बिंदी में सजीसंवरी पत्नी अगर प्यार के सुख की चाहत रखती है तो वह पति की भृकुटि का निशाना बन जाती है.

एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार  67 प्रतिशत भारतीय पुरुष पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को ले कर ज्यादा खुदगर्ज होते हैं.

पुरुष बनाम महिला

ब्रिटेन की आर्थिक एवं सामाजिक शोध परिषद द्वारा 40 हजार गृहिणियों पर किए गए अध्ययन से भी ज्ञात होता है कि पुरुषों की अपेक्षा वे विवाह से जल्दी ऊब जाती हैं क्योंकि महिलाएं संबंध बनाने में अधिक निष्ठा से सम्मिलित होती हैं जबकि पुरुष परस्पर संबंधों में लापरवाह होने के कारण भूल जाता है कि महिला को प्रेम की भी आवश्यकता है.  पुरुष अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहते हैं कि प्रेम में कमी के लिए महिलाएं खुद दोषी हैं. क्योंकि शादी के बाद महिलाएं उतनी आकर्षक नहीं रह पातीं, जितनी वे शादी से पूर्व होती हैं. वे अपनी देखभाल उतनी नहीं करती हैं जितनी वे शादी से पूर्व करती थीं.

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इस संबंध में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि विपरीत लिंगी को आकर्षित करने के लिए किसी प्रकार के ढोंग की आवश्यकता नहीं है. सच्चे प्रेमी भौतिक प्रेम की अपेक्षा आत्मिक प्रेम को अधिक महत्त्व देते हैं. इसलिए शारीरिक रूप से आकर्षित करने का तरीका छोड़ना आप के लिए बेहतर होगा. जिसे आप पसंद करते हो, तो, ‘जो है जैसा है’ के आधार पर करें. यदि आप की प्रेमभावना उस के प्रति वास्तविक है तो वह ऐसी नहीं होगी कि वह शादी के बाद खत्म हो जाए. असीमित और अनावश्यक उम्मीद रखने पर आप को निराश होना पड़ेगा. अपनेआप को सच्चे जीवनसाथी के रूप में ढालने के बाद ही आप उन्मुक्त हो कर एकदूसरे के साथ जीवन का आनंद ले सकते हैं.

जानलेवा रोग पत्नी वियोग

प्यार वाकई आदमी को अंधा बना देता है. इस के चलते आदमी इतना भावुक, भयभीत और संवेदनशील हो जाता है कि फिर व्यावहारिकता और दुनियादारी नहीं सीख पाता. यही ऋषीश के साथ हुआ, जिस ने नेहा से लव मैरिज की थी. प्रेमिका को पत्नी के रूप में पा कर वह बहत खुश था. पेशे से फुटबाल कोच और ट्रेनर ऋषीश की खुशी उस वक्त और दोगुनी हो गई जब करीब डेढ़ साल पहले नेहा ने प्यारी सी गुडि़या को जन्म दिया. भोपाल के कोलार इलाके में स्थित मध्य भारत योद्धाज क्लब को हर कोई जानता है, जिस का कर्ताधर्ता ऋषीश था. हंसमुख और जिंदादिल इस खिलाड़ी से एक बार जो मिल लेता था वह उस का हो कर रह जाता था. मगर कोई नहीं जानता था कि ऊपर से खुश रहने का

नाटक करने वाला यह शख्स कुछ समय से अंदर ही अंदर बेहद घुट रहा था. ऋषीश की जिंदगी में कुछ ऐसा हो गया जिस की उम्मीद शायद खुद उसे भी न थी. गत 3 जुलाई को 32 साल के ऋषीश दुबे ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली तो जिस ने भी सुना वह खुदकुशी की वजह जान कर हैरान रह गया. ऋषीश ने पत्नी वियोग में जान दे दी. उस के मातापिता दोनों बैंक कर्मचारी हैं. उस शाम जब वे घर लौटे तो ऋषीश घर में बेहोश पड़ा था.

घबराए मातापिता तुरंत बेटे को नजदीक के अस्पताल ले गए जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मौत संदिग्ध थी इसलिए पुलिस को बुलाया गया तो पता चला कि ऋषीश ने जहर खाया था. उस की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. मगर मरने से पहले ऋषीश ने अपनी यादों का जो पोस्टमार्टम कलम से कागज पर किया वह शायद ही कभी मरे, क्योंकि वह जिस्म नहीं एहसास है. तो मैं नहीं रहूंगा

परिवार, समाज और दुनिया से विद्रोह कर नेहा से शादी करने वाला ऋषीश यों ही 3 जुलाई को हिम्मत नहीं हार गया था. हिम्मत हारने की वजह थी कभी उस की हिम्मत रही नेहा जो कुछ महीनों से उस का साथ छोड़ मायके रह रही थी. पति से विवाद होने पर पत्नी का मायके जा कर रहने लगना कोई नई बात नहीं, बल्कि एक परंपरा सी हो चली है, जिस का निर्वाह नेहा ने भी किया और जातेजाते नन्हीं बेटी को भी साथ ले गई, जिस में ऋषीश की सांसें बसती थीं.

2 महीने पहले किसी बात पर दोनों में विवाद हुआ था. यह भी कोई हैरत की बात नहीं थी, लेकिन नेहा ने ऋषीश की शिकायत थाने में कर दी. अपने सुसाइड नोट में ऋषीश ने नेहा को संबोधित करते हुए लिखा कि तुम साथ छोड़ती

हो तो मैं नहीं रहूंगा और मैं साथ छोड़ूंगा तो तुम नहीं रहोगी. 4 पेज का लंबाचौड़ा सुसाइड नोट भावुकता और विरह से भरा है, जिस का सार इन्हीं 2 पंक्तियों में समाया हुआ है. दोनों ने एकदूसरे से वादा किया था कि कुछ भी हो जाए कभी एकदूसरे के बिना नहीं रहेंगे यानी बात मिल के न होंगे जुदा आ वादा कर लें जैसी थी.

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वादा नेहा ने तोड़ा और इसे पुलिस थाने जा कर सार्वजनिक भी कर दिया तो ऋषीश का दिल टूटना स्वाभाविक बात थी. यह वही पत्नी थी जो कभी उस के दिल का चैन और रातों की नींद हुआ करती थी. एक जरा सी खटपट क्या हुई कि वह सब भूल गई. अलगाव से आत्महत्या तक

तुम ने मुझे धोखा दिया धन्यवाद… पत्नी को शादी के पहले के वादे याद दिलाने वाला ऋषीश क्या वाकई पत्नी को इतना चाहता था कि बिना उस के जिंदा नहीं रह सकता था? इस सवाल का जवाब अच्छेअच्छे दार्शनिक और मनोविज्ञानी भी शायद ही दे पाएं. ऋषीश की आत्महत्या की वजह का एक पहलू जो साफ दिखता है वह यह है कि उसे पत्नी से यह उम्मीद नहीं थी. मगर ऐसा तो कई पतियों के साथ होता है कि पत्नी किसी विवाद या झगड़े के चलते मायके जा कर रहने लगती है. लेकिन सभी पति तो पत्नी वियोग में आत्महत्या नहीं कर लेते?

तो क्या आत्महत्या कर लेने वाले पति पत्नी को इतना चाहते हैं कि उस की जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाते? इस सवाल के जवाब हां में कम न में ज्यादा मिलते हैं, जिन की अपनी व्यक्तिगत पारिवारिक और सामाजिक वजहें हैं जो अब बढ़ रही हैं, इसलिए पत्नी वियोग के चलते पतियों द्वारा आत्महत्या करने के मामले भी बढ़ रहे हैं. सामाजिक नजरिए से देखें तो वक्त बहुत बदला है. कभी पत्नी तमाम ज्यादतियां बरदाश्त करती थी, लेकिन मायके वालों की यह नसीहत याद रखती थी कि जिस घर में डोली में बैठ कर जा रही हो वहां से अर्थी में ही निकलना.

इस नसीहत के कई माने थे, जिन में पहला अहम यह था कि बिना पति और ससुराल के औरत की जिंदगी दो कौड़ी की भी नहीं रह जाती. दूसरी वजह आर्थिक थी. समाज और रिश्तेदारी में उन महिलाओं को अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता था जो पति को छोड़ देती थीं या जिन्हें पति त्याग देता था. अब हालत उलट है. अब उन पतियों को अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता जिन की पत्नियां उन्हें छोड़ कर चली जाती हैं. पति को छोड़ना आम बात

पत्नी वियोग पहले की तरह सहज रूप से ली जाने वाली बात नहीं रह गई कि गई तो जाने दो दूसरी शादी कर लेंगे. ऐसा अब नहीं होता है, तो यह भी कहा जा सकता है कि हम एक सभ्य, अनुशासित और रिश्तों के समर्पित समाज में रहते हैं. इसी सभ्य समाज का एक उसूल यह भी है कि पत्नी अगर पति को छोड़ कर चली जाए तो पति का रहना दूभर हो जाता है. उसे कठघरे में खड़ा कर तमाम ऐसे सवाल पूछे जाते हैं कि वह घबरा उठता है. ऐसे ही कुछ कमैंट्स इस तरह हैं:

क्या उसे संतुष्ट नहीं रख पा रहे थे? क्या उस का कहीं और अफेयर था? क्या घर वाले उसे परेशान करते थे? क्या उस में कोई खोट आ गई थी? क्या यार एक औरत नहीं संभाल पाए, कैसे मर्द हो? आजकल औरतें आजादी और हालात का फायदा इसी तरह उठाती हैं. जाने दो चली गई तो भूल कर भी झुक कर बात मत करना. अब फंसो बेटा पुलिस, अदालत के चक्करों में. सुना है उस ने रिपोर्ट लिखा दी? अब कैसे कटती हैं रातें? कोई और इंतजाम हो गया क्या? कोई भी पति इन और ऐसे और दर्जनों बेहूदे सवालों से बच नहीं सकता. खासतौर से उस वक्त जब पत्नी किसी भी शर्त पर वापस आने को तैयार न हो.

क्या करे बेचारा पत्नी के वापस न आने की स्थिति में पति के पास करने के नाम पर कोई खास विकल्प नहीं रह जाते. पहला रास्ता कानून से हो कर जाता है जिस पर कोई पढ़ालिखा समझदार तो दूर अनपढ़, गंवार पति भी नहीं चलना चाहता. इस रास्ते की दुश्वारियों को झेल पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. पत्नी को वापस लाने का कानून वजूद में है, लेकिन वह वैसा ही है जैसे दूसरे कानून हैं यानी वे होते तो हैं, लेकिन उन पर अमल करना आसान नहीं होता.

दूसरा रास्ता पत्नी को भूल जाने का है. ज्यादातर पति इसे अपनाते भी हैं, लेकिन इस विवशता और शर्त के साथ कि जब तक रिश्ता पूरी तरह यानी कानूनी रूप से टूट न जाए तब तक भजनमाला जपते रहो यानी तमाम सुखों से वंचित रहो.

तीसरा व चौथा रास्ता भी है, लेकिन वे भी कारगर नहीं. असल दिक्कत उन पतियों को होती है जो वाकई अपनी पत्नी से प्यार करते हैं. ये रास्ता नहीं ढूंढ़ते, बल्कि सीधे मंजिल पर आ पहुंचते हैं यानी खुदकुशी कर लेते हैं जैसे भोपाल के ऋषीश ने की और जैसे राजस्थान के उदयपुर के विनोद मीणा ने की थी. आत्महत्या और प्रतिशोध भी

गत 14 जुलाई को उदयपुर के गोवर्धन विलास थाना इलाके में रहने वाले विनोद का भी किसी बात पर पत्नी से विवाद हुआ तो वह भी मायके चली गई. 5 दिन विनोद ने पत्नी का इंतजार किया पर वह नहीं आई तो कुछ इस तरह आत्महत्या की कि सुनने वालों की रूह कांप गई. कोल माइंस में काम करने वाले विनोद ने खुद को डैटोनेटर बांध लिया यानी मानव बम बन गया और खुद में आग लगा ली. विनोद के शरीर के इतने चिथड़े उड़े कि उस का पोस्टमार्टम करना मुश्किल हो गया.

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विनोद के उदाहरण में प्यार कम दबाव ज्यादा है, जिस का बदला उस ने खुद से लिया. मुमकिन है विनोद को भी दूसरे आत्महत्या करने वाले पतियों की तरह पुरुषोचित अहम पर चोट लगी हो या स्वाभिमान आहत हुआ हो अथवा वह भी दुनियाजहान के संभावित सवालों का सामना करने से डर रहा हो. जो भी हो, लेकिन पत्नी वियोग में इतने घातक और हिंसक तरीके से आत्महत्या कर लेने का यह मामला अपवाद था, जिस में ऋषीश की तरह काव्य या भावुकता नहीं थी. थी तो एक खीज और बौखलाहट जो हर उस पति में होती है, जिस की पत्नी उसे घोषित तौर पर छोड़ जाती है. क्या पति इतने पजैसिव हो सकते हैं कि पत्नी वियोग में जान ही दे दें? इस का सवाल रोजाना ऐसे मामले देखने के चलते न में तो कतई नहीं दिया जा सकता.

तो फिर जाने क्यों देते हैं पत्नी वियोग में आत्महत्या मध्य प्रदेश के सागर जिले के 21 वर्षीय ब्रजलाल ने भी की थी. लेकिन यहां वजह जुदा थी. ब्रजलाल की शादी को अभी 3 महीने ही हुए थे कि उस की पत्नी अपने प्रेमी के साथ भाग गई.

ब्रजलाल के सामने चिंता या तनाव यह था कि अब किस मुंह से वह रिश्तेदारों और समाज के चुभते सवालों का सामना करेगा. हालांकि चाहता तो कर भी सकता था, लेकिन 21 साल के नौजवान से ऐसी उम्मीद लगाना व्यर्थ है कि वह दुनिया से लड़ पता. यहां वजह वियोग नहीं, बल्कि कहीं नाक थी. ब्रजलाल के पास मुकम्मल वक्त और मौका था कि वह अपनी पत्नी की करतूत और उस के मायके वालों की गलती लोगों को बताता और फिर तलाक ले कर दूसरी शादी कर लेता. यह भी लंबी प्रक्रिया होती, लेकिन इस के लिए उस के पास समय तो था पर हिम्मत, सब्र और समझदारी नहीं थी.

समय उन के पास नहीं होता जिन की पत्नियां कुछ या कईर् साल प्यार से गुजार चुकी होती हैं, लेकिन फिर एकाएक छोड़ कर चली जाती हैं, ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जो पति बगैर पत्नियों के नहीं रह सकते वे आखिर उन्हें जाने ही क्यों देते हैं? यह एक दुविधाभरा सवाल है, जिस में लगता नहीं कि पत्नी को चाहने वाला कोई पति जानबूझ कर उसे भगाता या जाने देता हो. तूतू, मैंमैं आम है और दांपत्य का हिस्सा भी है, लेकिन यहां आ कर पतियों की वकालत करने को मजबूर होना ही पड़ता है कि पत्नियां अपनी मनमानी के चलते जाती हैं. वे अपनी शर्तों पर जीने की जिद करने लगें तो पति बेचारे क्या करें सिवा इस के कि पहले उन्हें जाता हुए देखते रहें, फिर विरह के गीत गाएं और फिर पत्नी को बुलाएं. इस पर भी वे न आएं तो उन की जुदाई में खुदकुशी कर लें.

क्या कुछ पत्नियां पति के प्यार को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं? इस सवाल का जवाब भी साफ है कि हां करती हैं, जिस की परिणीति कभीकभी पति की आत्महत्या की शक्ल में सामने आती है. कोई पत्नी इस जिद पर अड़ जाए कि शादी के 5 साल हो गए अब मांबाप या परिवार से अलग रहने लगें तो पति का झल्लाना स्वाभाविक है कि जब सबकुछ ठीकठाक चल रहा है तो अलग क्यों होएं? इस पर पत्नी जिद करते यह शर्त थोप दे कि ठीक है अगर मांबाप से अलग नहीं हो सकते तो मैं ही चली जाती हूं. जब अक्ल ठिकाने आ जाए तो लेने आ जाना. और वह सचमुच सूटकेस उठा कर बच्चों सहित या बिना बच्चों के चली भी जाती है. पीछे छोड़ जाती है पति के लिए एक दुविधा जिस का कोई अंत या इलाज नहीं होता.

ऐसी और कई वजहें होती हैं, जिन के चलते पत्नियां आगापीछा कुछ नहीं सोच पातीं सिवा इस के कि चार दिन अकेला रहेगा तो पत्नी की कीमत समझ आ जाएगी. ये पत्नियां यह नहीं सोचतीं कि उन की कीमत तो पहले से ही पति की जिंदगी में है जिसे यों वसूला जाना घातक सिद्घ हो सकता है. इस पर भी पति न माने तो पुलिस थाने और कोर्टकचहरी की नौबत लाना पति को आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी ही बात है.

बचें दोनों पत्नी को हाथोंहाथ लेने को तैयार बैठे मायके वाले भी बात की तह तक नहीं पहुंच पाते. बेटी या बहन जो कह देती है उसे ही सच मान बैठते हैं और उस का साथ भी यह कहते हुए देते हैं कि अच्छा यह बात है, तो हम भी अभी मरे नहीं हैं.

मरता तो वह पति है जो ससुराल वालों से यह झूठी उम्मीद लगाए रहता है कि वे बेटी की गलती को शह नहीं देंगे, बल्कि उसे समझाएंगे कि वह अपने घर जा कर रहे. वहां पति और उस के घर वालों को उस की जरूरत है. ऐसी कहासुनी तो चलती रहती है. इस की वजह से घर छोड़ आना बुद्धिमानी की बात नहीं. मगर जब ऐसा होता नहीं तो पति की रहीसही उम्मीदें भी टूट जाती हैं. भावुक किस्म के पति जो वाकई पत्नी के बगैर नहीं रह सकते उन्हें अपनी जिंदगी बेकार लगने लगती है और फिर वे जल्द ही सब का दामन छोड़ देते हैं, इसलिए थोड़े गलत तो वे भी कहे जाएंगे. पत्नी के चले जाने

पर पति थोड़ी सब्र रखें तो उन की जिंदगी बच सकती है. कई मामलों में देखा गया है कि पति अहं, स्वाभिमान या जिद को छोड़ पत्नी के मायके जा कर उस से घर चलने के लिए मिन्नतें करता है तो पत्नी के भाव और बढ़ जाते हैं और वह वहीं उस का तिरस्कार या अपमान कर देती है. ऐसी हालत में अच्छेअच्छे का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है तो फिर ऋषीश जैसों की गलती या हैसियत क्या जो प्यार के हाथों मजबूर होते हैं.

क्या करे पत्नी पत्नियों को चाहिए कि समस्या वाकई अगर कोईर् है तो उसे पति के साथ रहते ही सुलझाने की कोशिश करें, वजह पतिपत्नी दोनों वाकई एक गाड़ी के 2 पहिए होते हैं, जिन्हें घर के बाहर की लड़ाई संयुक्तरूप से लड़नी होती है. पति अगर आर्थिक, भावनात्मक या व्यक्तिगत रूप से पत्नी पर ज्यादा निर्भर है या असामान्य रूप से संवेदनशील है तो जिम्मेदारी पत्नी की बनती है कि वह उसे छोड़ कर न जाए.

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क्या किसी ऐसी जिद की सराहना की जानी चाहिए जिस के चलते पत्नी खुद अपनी ही वजह से विधवा हो रही हो. कोई भी हां नहीं कहेगा. मातापिता की भूमिका पति के घर वालों खासतौर से मांबाप को भी चाहिए कि वे ऐसे वक्त में बेटे का खास खयाल रखें बल्कि वह भावुक हो तो नजर रखें और बहू न आ रही हो तो बेटे को समझाएं कि इस में कुछ खास गलत नहीं है और न ही प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है और हो भी रही हो तो उस की कीमत बेटे की खुशी के आगे कुछ नहीं. इस तरह की बातें उसे हिम्मत देने वाली साबित होंगी. अगर इतना भी नहीं कर सकते तो उस पर ताने तो बिलकुल न कसें. पतियों को छोड़ कर चली जाने वाली पत्नियां और दुविधा में पड़े विरह में जी रहे पतियों को फिल्म ‘आप की कसम’ का यह गाना जरूर गुनगुना लेना चाहिए- ‘जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम वे फिर नहीं आते…’

पत्नी विरह प्रधान इस फिल्म में नायक बने राजेश खन्ना ने आत्महत्या तो नहीं की थी पर उस की जिंदगी किस तरह मौत से भी बदतर हो गई थी, यह फिल्म में खूबसूरती से दिखाया गया है. इसलिए पतियों को भी इस गाने का यह अंतरा याद रखना चाहिए- ‘कल तड़पना पड़े याद में जिन की, रोक लो उन को रूठ कर जाने न दो…’

मेरी बीवी को कंसीव करने में दिक्कत आ रही हैं, कृपया कारण बताएं?

सवाल

मैं 35 साल का हूं और मेरी बीवी 33 साल की है. मेरी एक बेटी भी है, पर बीवी और बच्चे चाहती है. दिक्कत यह है कि अब वह पेट से नहीं हो पा रही है. मैं ने उसे महिला डाक्टर को भी दिखाया, पर सबकुछ ठीक है. फिर वह पेट से क्यों नहीं हो रही? इस बारे में आप मुझे खुल कर बताएं?

जवाब

जब बीवी में कोई कमी नहीं है, तो वह कभी न कभी जरूर दोबारा पेट से हो जाएगी. आप किसी और माहिर डाक्टर से खुद की भी जांच करा लें. आप के पास बेटी तो है ही. लिहाजा, ज्यादा परेशानी वाली बात नहीं है.

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एक दिन का बौयफ्रैंड

‘‘क्या तुम मेरे एक दिन के बौयफ्रैंड बनोगे?’’ उस लड़की के कहे ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे. मैं हक्काबक्का सा उस की तरफ देखने लगा. काली, लंबी जुल्फों और मुसकराते चेहरे के बीच चमकती उस की 2 आंखें मेरे दिल को धड़का गईं. एक अजनबी लड़की के मुंह से इस तरह का प्रस्ताव सुन कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.

मैं अच्छे घर का होनहार लड़का हूं. प्यार और शादी को ले कर मेरे विचार बिलकुल स्पष्ट हैं. बहुत पहले एक बार प्यार में पड़ा था पर हमारी लव स्टोरी अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. लड़की बेवफा निकली. वह न सिर्फ मुझे, बल्कि दुनिया छोड़ कर गई और मैं अकेला रह गया.

लाख चाह कर भी मैं उसे भुला नहीं सका. सोच लिया था कि अब अरेंज्ड मैरिज करूंगा. घर वाले जिसे पसंद करेंगे, उसे ही अपना जीवनसाथी मान लूंगा.

अगले महीने मेरी सगाई है. लड़की को मैं ने देखा नहीं है पर घर वालों को वह बहुत पसंद आई है. फिलहाल मैं अपने मामा के घर छुट्टियां बिताने आया हूं. मेरे घर पहुंचते ही सगाई की तैयारियां शुरू हो जाएंगी.

‘‘बोलो न, क्या तुम मेरे साथ..,’’ उस ने फिर अपना सवाल दोहराया.

‘‘मैं तो आप को जानता भी नहीं, फिर कैसे…’’ में उलझन में था.

‘‘जानते नहीं तभी तो एक दिन के लिए बना रही हूं, हमेशा के लिए नहीं,’’ लड़की ने अपनी बड़ीबड़ी आंखों को नचाया. ‘‘दरअसल,

2-4 महीनों में मेरी शादी हो जाएगी. मेरे घर

वाले बहुत रूढि़वादी हैं. बौयफ्रैंड तो दूर कभी मुझे किसी लड़के से दोस्ती भी नहीं करने दी. मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है. घर

वाले मेरे लिए जिसे ढूंढ़ेंगे उस से आंखें बंद कर शादी कर लूंगी. मगर मेरी सहेलियां कहती हैं कि शादी का मजा तो लव मैरिज में है, किसी को बौयफ्रैंड बना कर जिंदगी ऐंजौय करने में है. मेरी सभी सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं. केवल मेरा ही कोई नहीं है.

‘‘यह भी सच है कि मैं बहुत संवेदनशील लड़की हूं. किसी से प्यार करूंगी तो बहुत गहराई से करूंगी. इसी वजह से इन मामलों में फंसने से डर लगता है. मैं जानती हूं कि मैं तुम्हें आजकल की लड़कियों जैसी बिलकुल नहीं लग रही होऊंगी. बट बिलीव मी, ऐसी ही हूं मैं. फिलहाल मुझे यह महसूस करना है कि बौयफ्रैंड के होने से जिंदगी कैसा रुख बदलती है, कैसा लगता है सब कुछ, बस यही देखना है मुझे. क्या तुम इस में मेरी मदद नहीं कर सकते?’’

‘‘ओके, पर कहीं मेरे मन में तुम्हारे लिए फीलिंग्स आ गईं तो?’’

‘‘तो क्या है, वन नाइट स्टैंड की तरह हमें एक दिन के इस अफेयर को भूल जाना है. यह सोच कर ही मेरे साथ आना. बस एक दिन खूब मस्ती करेंगे, घूमेंगेफिरेंगे. बोलो क्या कहते हो? वैसे भी मैं तुम से 5 साल बड़ी हूं. मैं ने तुम्हारे ड्राइविंग लाइसैंस में तुम्हारी उम्र देख ली है. यह लो. रास्ते में तुम से गिर गया था. यही लौटाने आई थी. तुम्हें देखा तो लगा कि तुम एक शरीफ लड़के हो. मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे, इसीलिए यह प्रस्ताव रखा है.’’

मैं मुसकराया. एक अजीब सा उत्साह था मेरे मन में. चेहरे पर मुसकराहट की रेखा गहरी होती गई. मैं इनकार नहीं कर सका. तुरंत हामी भरता हुआ बोला, ‘‘ठीक है, परसों सुबह 8 बजे इसी जगह आ जाना. उस दिन मैं पूरी तरह तुम्हारा बौयफ्रैंड हूं.’’

‘‘ओके थैंक्यू,’’ कह कर मुसकराती हुई वह चली गई.

घर आ कर भी मैं सारा समय उस के बारे में सोचता रहा.

2 दिन बाद तय समय पर उसी जगह पहुंचा तो देखा वह बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी.

‘‘हाय डियर,’’ कहते हुए वह करीब आ गई.

‘‘हाय,’’ मैं थोड़ा सकुचाया.

मगर उस लड़की ने झट से मेरा हाथ थाम लिया और बोली, ‘‘चलो, अब से तुम मेरे बौयफ्रैंड हुए. कोई हिचकिचाहट नहीं, खुल कर मिलो यार.’’

मैं ने खुद को समझाया, बस एक दिन. फिर कहां मैं, कहां यह. फिर हम 2 अजनबियों ने हमसफर बन कर उस एक दिन के खूबसूरत सफर की शुरुआत की. प्रिया नाम था उस का. मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था और वह मेरी बगल में बैठी थी. उस की जुल्फें हौलेहौले उस के कंधों पर लहरा रही थीं. भीनीभीनी सी उस की खुशबू मुझे आगोश में लेने लगी थी. एक अजीब सा एहसास था, जो मेरे जिस्म को महका रहा था. मैं एक गीत गुनगुनाने लगा. वह एकटक मुझे निहारती हुई बोली, ‘‘तुम तो बहुत अच्छा गाते हो.’’

‘‘हां थोड़ाबहुत गा लेता हूं… जब दिल को कोई अच्छा लगता है तो गीत खुद ब खुद होंठों पर आ जाता है.’’

मैं ने डायलौग मारा तो वह खिलखिला कर हंस पड़ी. दूधिया चांदनी सी छिटक कर उस की हंसी मेरी सांसों को छूने लगी. यह क्या हो रहा है मुझे. मैं मन ही मन सोचने लगा.

तभी उस ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, ‘‘माई प्रिंस चार्मिंग, हम जा कहां रहे हैं?’’

‘‘जहां तुम कहो. वैसे मैं यहां की सब से रोमांटिक जगह जानता हूं, शायद तुम भी जाना चाहोगी,’’ मेरी आवाज में भी शोखी उतर आई थी.

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‘‘श्योर, जहां तुम चाहो ले चलो. मैं ने तुम पर शतप्रतिशत विश्वास किया है.’’

‘‘पर इतने विश्वास की वजह?’’

‘‘किसीकिसी की आंखों में लिखा होता है कि वह शतप्रतिशत विश्वास के योग्य है. तभी तो पूरी दुनिया में एक तुम्हें ही चुना मैं ने अपना बौयफ्रैंड बनाने को.’’

‘‘देखो तुम मुझ से इमोशनली जुड़ने की कोशिश मत करो. बाद में दर्द होगा.’’

‘‘किसे? तुम्हें या मुझे?’’

‘‘शायद दोनों को.’’

‘‘नहीं, मैं प्रैक्टिकल हूं. मैं बस 1 दिन के लिए ही तुम से जुड़ रही हूं, क्योंकि मैं जानती हूं हमारे रिश्ते को सिर्फ इतने समय की ही मंजूरी मिली है.’’

‘‘हां, वह तो है. मैं अपने घर वालों के खिलाफ नहीं जा सकता.’’

‘‘अरे यार, खिलाफ जाने को किस ने कहा? मैं तो खुद पापा के वचन में बंधी हूं. उन के दोस्त के बेटे से शादी करने वाली हूं. 6-7 महीनों में वह इंडिया आ जाएगा और फिर चट मंगनी पट विवाह. हो सकता है मैं हमेशा के लिए पैरिस चली जाऊं,’’ उस ने सहजता से कहा.

‘‘तो क्या तुम भी ‘कुछकुछ होता है’ मूवी की सिमरन की तरह किसी अजनबी से शादी करने वाली हो, जिसे तुम ने कभी देखा भी नहीं है?’’ कहते हुए मैं ने उस की आंखों में झांका. वह हंसती हुई बोली, ‘‘हां, ऐसा ही कुछ है. पर चिंता न करो. मैं तुम्हें शाहरुख यानी राज की तरह अपनी जिंदगी में नहीं आने दूंगी. शादी तो मैं उसी से करूंगी जिस से पापा चाहते हैं.’’

‘‘तो फिर यह सब क्यों? मेरे इमोशंस के साथ क्यों खेल रही हो?’’

‘‘अरे यार, मैं कहां खेल रही हूं? फर्स्ट मीटिंग में ही मैं ने साफ कह दिया था कि हम केवल 1 दिन के रिश्ते में हैं.’’

‘‘हां वह तो है. ओके बाबा, आई ऐम सौरी. चलो आ गई हमारी मंजिल.’’

‘‘वैरी नाइस. बहुत सुंदर व्यू है,’’ कहते हुए उस के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई.

थोड़ा घूमने के बाद वह मेरे पास आती हुई बोली, ‘‘लो अब मुझे अपनी बांहों में भरो जैसे फिल्मों में करते हैं.’’

वह मेरे और करीब आ गई. उस की जुल्फें मेरे कंधों पर लहराने लगीं. लग रहा था जैसे मेरी पुरानी गर्लफ्रैंड बिंदु ही मेरे पास खड़ी है. अजीब सा आकर्षण महसूस होने लगा. मैं अलग हो गया, ‘‘नहीं, यह नहीं होगा मुझ से. किसी गैर लड़की को मैं करीब क्यों आने दूं?’’

‘‘क्यों, तुम्हें डर लग रहा है कि मैं यह वीडियो बना कर वायरल न कर दूं?’’ वह शरारत से खिलखिलाई. मैं ने मुंह बनाया, ‘‘बना लो. मुझे क्या करना है? वैसे भी मैं लड़का हूं. मेरी इज्जत थोड़े ही जा रही है.’’

‘‘वही तो मैं तुम्हें समझा रही हूं. तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, तुम तो लड़के हो,’’ वह फिर से मुसकराई, ‘‘वैसे तुम आजकल के लड़कों जैसे बिलकुल नहीं.’’

‘‘आजकल के लड़कों से क्या मतलब है? सब एकजैसे नहीं होते.’’

‘‘वही तो बात है. इसीलिए तो तुम्हें चुना है मैं ने, क्योंकि मुझे पता था तुम मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे वरना किसी और लड़के को ऐसा मौका मिलता तो उसे लगता जैसे लौटरी लग गई हो.’’

‘‘तुम मेरे बारे में इतनी श्योर कैसे हो कि वाकई मैं शरीफ ही हूं? तुम कैसे जानती हो कि मैं कैसा हूं और कैसा नहीं हूं?’’

‘‘तुम्हारी आंखों ने सब बता दिया मेरी जान, शराफत आंखों पर लिखी होती है. तुम नहीं जानते?’’

इस लड़की की बातें पलपल मेरे दिल को धड़काने लगी थीं. बहुत अलग सी थी वह. काफी देर तक हम इधरउधर घूमते रहे. बातें करते रहे.

एक बार फिर वह मेरे करीब आती हुई बोली, ‘‘अपनी गर्लफ्रैंड को हग भी नहीं करोगे?’’ वह मेरे सीने से लग गई. लगा जैसे वह पल वहीं ठहर गया हो. कुछ देर तक हम ऐसे ही खड़े रहे. मेरी बढ़ी हुई धड़कनें शायद वह भी महसूस कर रही थी. मैं ने भी उसे आगोश में ले लिया. उस पल को ऐसा लगा जैसे आकाश और धरती एकदूसरे से मिल गए हों. कुछ पल बाद उस ने खुद को अलग किया और दूर जा कर खड़ी हो गई.

‘‘बस, कुछ और हुआ तो हमारे कदम बहक जाएंगे. चलो वापस चलते हैं,’’ वह बोली. मैं अपनेआप को संभालता हुआ बिना कुछ कहे उस के पीछेपीछे चलने लगा. मेरी सांसें रुक रही थीं. गला सूख रहा था. गाड़ी में बैठ कर मैं ने पानी की पूरी बोतल खाली कर दी.

सहसा वह हंस पड़ी, ‘‘जनाब, ऐसा लग रहा था जैसे शराब की बोतल एक बार में ही हलक के नीचे उतार रहे हो.’’

उस के बोलने का अंदाज कुछ ऐसा था कि मुझे हंसी आ गई. ‘‘सच, बहुत अच्छी हो तुम. मुझे डर है कहीं तुम से प्यार न हो जाए,’’ मैं ने कहा.

‘‘छोड़ो भी यार. मैं बड़ी हूं तुम से, इस तरह की बातें सोचना भी मत.’’

‘‘मगर मैं क्या करूं? मेरा दिल कुछ और कह रहा है और दिमाग कुछ और.’’

‘‘चलता है. तुम बस आज की सोचो और यह बताओ कि हम लंच कहां करने वाले हैं?’’

‘‘एक बेहतरीन जगह है मेरे दिमाग में. बिंदु के साथ आया था एक बार. चलो वहीं चलते हैं,’’ मैं ने वृंदावन रैस्टोरैंट की तरफ गाड़ी मोड़ते हुए कहा, ‘‘घर के खाने जैसा बढि़या स्वाद होता है यहां के खाने का और अरेंजमैंट देखो तो लगेगा ही नहीं कि रैस्टोरैंट आए हैं. गार्डन में बेंत की टेबलकुरसियां रखी हुई हैं.’’

रैस्टोरैंट पहुंच कर उत्साहित होती हुई प्रिया बोली, ‘‘सच कह रहे थे तुम. वाकई लग रहा है जैसे पार्क में बैठ कर खाना खाने वाले हैं हम… हर तरफ ग्रीनरी. सो नाइस. सजावटी पौधों के बीच बेंत की बनी डिजाइनर टेबलकुरसियों पर स्वादिष्ठ खाना, मन को बहुत सुकून देता होगा.

है न?’’

मैं खामोशी से उस का चेहरा निहारता रहा. लंच के बाद हम 2-1 जगह और गए. जी भर कर मस्ती की. अब तक हम दोनों एकदूसरे से खुल गए थे. बातें करने में भी मजा आ रहा था. दोनों ने ही एकदूसरे की कंपनी बहुत ऐंजौय की थी, एकदूसरे की पसंदनापसंद, घरपरिवार, स्कूलकालेज की कितनी ही बातें हुईं.

थोड़ीबहुत प्यार भरी बातें भी हुईं. धीरेधीरे शाम हो गई और उस के जाने का समय आ गया. मुझे लगा जैसे मेरी रूह मुझ से जुदा हो रही है, हमेशा के लिए.

‘‘कैसे रह पाऊंगा मैं तुम से मिले बिना? नहीं प्रिया, तुम्हें अपना नंबर देना होगा मुझे,’’ मैं ने व्यथित स्वर में कहा.

‘‘आर यू सीरियस?’’

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‘‘यस आई ऐम सीरियस,’’ मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुम्हें भूल सकूंगा. नो प्रिया, आई थिंक आई लाइक यू वैरी मच.’’

‘‘वह डील न भूलो मयंक,’’ प्रिया ने याद दिलाया.

‘‘मगर दोस्त बन कर तो रह सकते हैं न?’’

‘‘नो, मैं कमजोर पड़ गई तो? यह रिस्क मैं नहीं उठा सकती.’’

‘‘तो ठीक है. आई विल मैरी यू,’’ मैं ने जल्दी से कहा. उस से जुदा होने के खयाल से ही मेरी आंखें भर आई थीं. एक दिन में ही जाने कैसा बंधन जोड़ लिया था उस ने कि दिल कर रहा था हमेशा के लिए वह मेरी जिंदगी में आ जाए.

वह मुझ से दूर जाती हुई बोली, ‘‘गुडबाय मयंक, मैं शादी वहीं करूंगी जहां पापा चाहते हैं. तुम्हारा कोई चांस नहीं. भूल जाना मुझे.’’ वह चली गई और मैं पत्थर की मूर्त बना उसे जाते देखता रहा. दिल भर आया था मेरा. ड्राइविंग सीट पर अकेला बैठा अचानक फफकफफक कर रो पड़ा. लगा जैसे एक बार फिर से बिंदु मुझे अकेला छोड़ कर चली गई है. जाना ही था तो फिर जरूरत क्या थी मेरी जिंदगी में आने की. किसी तरह खुद को संभालता हुआ घर लौटा. दिन का चैन, रात की नींद सब लुट चुकी थी. जाने कहां से आई थी वह और कहां चली गई थी? पर एक दिन में मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई थी. देवदास बन गया था मैं. इधर घर वाले मेरी सगाई की तैयारियों में लगे थे. वे मुझे उस लड़की से मिलवाने ले जाना चाहते थे, जिसे उन्होंने पसंद किया था. पर मैं ने साफ इनकार कर दिया.

‘‘मैं शादी नहीं करूंगा,’’ मेरा इतना कहना था कि घर में कुहराम मच गया.

‘‘क्यों, कोई और पसंद आ गई?’’ मां ने अलग ले जा कर पूछा.

‘‘हां.’’ मैं ने सीधा जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, उसी से बात करते हैं. पता और फोन नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास कुछ नहीं है.’’

‘‘कुछ नहीं, यह कैसा प्यार है?’’ मां ने कहा.

‘‘क्या पता मां, वह क्या चाहती थी? अपना दीवाना बना लिया और अपना कोई अतापता भी नहीं दिया.’’

फिर मैं ने उन्हें सारी कहानी सुनाई तो वे खामोश रह गईं. 6 माह बीत गए. आखिर घर वालों की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा. लड़की वाले हमारे घर आए. मुझे जबरन लड़की के पास भेजा गया. उस कमरे में कोई और नहीं था. लड़की दूसरी तरफ चेहरा किए बैठी थी. मैं बहुत अजीब महसूस कर रहा था.

लड़की की तरफ देखे बगैर मैं ने कहना शुरू किया, ‘‘मैं आप को किसी भ्रम में नहीं रखना चाहता. दरअसल मैं किसी और से प्यार करने लगा हूं और अब उस के अलावा किसी से शादी का खयाल भी मुझे रास नहीं आ रहा. आई एम सौरी. आप इस रिश्ते के लिए न कह दीजिए.’’

‘‘सच में न कह दूं?’’ लड़की के स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं हैरान रह गया. यह तो प्रिया के स्वर थे. मैं ने लड़की की तरफ देखा तो दिल खुशी से झूम उठा. यह वाकई प्रिया ही थी.

‘‘तुम?’’

‘‘हां मैं, कोई शक?’’ वह मुसकराई.

‘‘पर वह सब क्या था प्रिया?’’

‘‘दरअसल, मैं अरेंज्ड नहीं, लव मैरिज करना चाहती थी. अत: पहले तुम से प्यार का इजहार कराया, फिर इस शादी के लिए रजामंदी दी. बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइज.’’

‘‘बहुत खूबसूरत,’’ मैं ने पल भर भी देर नहीं की कहने में और फिर उसे बांहों में भर लिया.

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कुछ सच शादी के बारे में

व्हाट्सऐप पर शादी को ले कर यह जोक काफी चर्चित हुआ, ‘जो लोग जल्दबाजी में बिना सोचेसमझे शादी का फैसला कर लेते हैं वे अपनी आगे की जिंदगी बरबाद कर लेते हैं, लेकिन जो लोग बहुत सोचसमझ कर शादी करते हैं वे भी क्या कर लेते हैं?’

सच, मजाकमजाक में इस जोक ने शादी का सच बयान कर दिया है. शादी एक जुआ ही तो है. या तो आप का चुनाव सही होगा या फिर नहीं. तो इस से पहले कि आप गठबंधन में बंधने का मन बना लें और 7 वचनों का आदानप्रदान करें, जरा इन बातों पर भी गौर कर लें जो ‘पोस्ट मैरिज बदलाव’ के बारे में हैं और जिन के बारे में आप के मातापिता, दोस्तयार, शुभचिंतक नहीं बताने वाले. अगर आप शादी का लड्डू चख चुके हैं, तो भी इन्हें पढ़ ही लीजिए ताकि आप यह सोचना बंद कर सकें कि यार हमारी रिलेशनशिप में क्या गलत है या हम दोनों में से कौन गलत है, जो गाड़ी बारबार पटरी से उतर जाती है.

जस्ट चिल, यह सब कुछ नौर्मल है, शादी के बाद आदर्श और अवश्यभावी फेज हैं ये:

शादी हर समस्या का समाधान नहीं

भारतीय समाज में शादी को कुछ इस तरह महिमामंडित किया गया है कि हम यह यकीन कर बैठते हैं कि शादी हर समस्या का रामबाण इलाज है. शादी के बाद सब कुछ अपनेआप ठीक हो जाएगा, तो कोई हैरानी की बात नहीं कि दुलहन बनी लड़की यह उम्मीद अपनी पलकों पर सजा लेती है कि उस की जिंदगी शादी के बाद जन्नत बन जाएगी. चांदी के दिन और सोने की रातें होंगी. उस का प्रिंस चार्मिंग उसे एक प्रिं्रसेस की तरह ट्रीट करेगा. बेशक कुछ हद तक ऐसा होता भी है. जिंदगी खुशनुमा होती है, बदलती है, लेकिन शादी से यह उम्मीद न रखें कि यह आप की जिंदगी की हर कमी को पूरा कर देगी, क्योंकि शादी के बाद आप को एक अदद पति ही मिलता है, अलादीन का चिराग नहीं.

दो जिस्म मगर एक जान हैं हम

यह कहना, सुनना, गुनगुनाना बेहद रोमांटिक, हसीन और सच्चा लगता है. मगर वास्तविकता में एक सक्सैसफुल मैरिज वह होती है जहां 2 अलगअलग व्यक्तित्व अपनी रिलेशनशिप को जीवंत और कामयाब बनाए रखने के लिए एकसाथ, लगातार, सामान रूप से प्रयास करते हैं. एकदूसरे के इर्दगिर्द घूमते रहना और शादी के बाद अपनी जिंदगी यह कहते बिताना कि  ‘तेरे नाम पे शुरू तेरे नाम पे खत्म’ एक बोरिंग, आउटडेटेड तरीका है मैरिड लाइफ बिताने का.

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हमेशा अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाएंगे

शादी के बाद एक वक्त ऐसा भी आएगा जब आप मानसिक धरातल पर, भावनात्मक रूप से एकदूसरे से जुड़े रहेंगे, एकदूसरे के प्रति वफादार रहेंगे, मगर हो सकता है कि आप दोनों के बीच फिजिकल अट्रैक्शन की कमी हो जाए. मतलब कि जो पति आप को पहले रितिक रोशन सा डैशिंग नजर आता था, जिस की फिजिक पर से आप की आंखें नहीं हटती थीं, वह अब आप की आंखों के आकर्षण का केंद्र बिंदु न रहे. इस की 2 वजहे हो सकती हैं. पहली शारीरिक बदलाव. जैसे वजन का बढ़ना, क्योंकि आप भी मानती होंगी कि पति के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर गुजरता है और आप ने यह रास्ता अपना कर उन्हें गुब्बारा बना दिया और दूसरी मानसिक बदलाव जैसे कहते हैं न, घर की मुरगी दाल बराबर, तो रोजरोज उन्हें देखने पर कुछ खास कशिश महसूस न होती हो. खैर, कारण जो भी हों, लेकिन ऐसा होने पर घबराएं नहीं. अपने पार्टनर को आकर्षक नहीं पाने का मतलब यह हरगिज नहीं होता कि आप का प्यार खत्म हो गया है. यह शादी के बाद का एक अस्थाई दौर है. यह भी गुजर ही जाएगा.

प्यार में डूबे रहने की स्टेज की समाप्ति

हम सब जानते हैं हनीमून फ्रेज यानी हैप्पिली एवरआफ्टर अथवा लव फौरएवर के बारे में. लेकिन यह फीलिंग परमानैंट नहीं होती और कई बार तो शादी के कुछ समय बाद एक ऐसा दौर भी आ जाता है कि जब प्यार महसूस होना तो दूर आप स्वयं ही हैरान हो कर खुद से पूछ बैठते हैं कि यार मैं ने इस बंदे से शादी क्यों की? इस में ऐसा क्या खास देख लिया मैं ने?

आप के साथ भी ऐसा हो सकता है, पर रिलैक्स, हर मैरिड कपल इस दौर से कभी न कभी गुजरता है. आप भी गुजर जाएंगे. फिर वक्त बीतने पर एकदूसरे को अच्छी तरह समझने के बाद आप की शादीशुदा जिंदगी में खूबसूरत कागजी फूलों की जगह हकीकत की पथरीली, मगर ठोस जमीन पर सच्चे प्यार के फूल खिलेेंगे, जिन की खुशबू आप की जिंदगी को महका देगी.

कभीकभी पार्टनर से चिढ़, नफरत हो जाना

यहां हम नफरत शब्द का इस्तेमाल शाब्दिक रूप से नहीं कर रहे हैं. लेकिन हां एक ऐसा समय आता है जब हम उन बातों की वजह से ही अपने पार्टनर से चिढ़ने लग जाएं, जिन बातों पर फिदा हो कर से अपना जीवनसाथी चुना था या यह कह लीजिए कि उन की खूबियां ही बाद में आप को उस की खामियां लगने लगें. जैसे उस का सैंस औफ ह्यूमर, उस की हाजिरजवाबी या सब की मदद को सदा तत्पर रहना अथवा क्रिकेट, फुटबौल को ले कर छाया जनून.

फिर भी आप उन बातों को बदलने की कोशिश न करें. आप का जीवनसाथी जैसा है उसे उसी रूप में उन्हें अपनाएं. आखिरकार यह वही व्यक्ति है जिसे आप ने शिद्दत से चाहा था.

अपने पार्टनर से कैसे ट्रीट करें

यह एक और पौपुलर नोशन है. आप पति से यह उम्मीद करती हैं कि वे आप के फैवरेट रोमांटिक हीरो की तरह आप से पेश आएं. जो मौकेबेमौके प्यार भरी बातें करता, लाल गुलाब पेश करता है या मिडनाइट सरप्राइज प्लान करता है.

लेकिन एक सच यह भी है कि अगर आप अपनी शादी में रोमांस को जिंदा रखना चाहती हैं, तो अपने पति को उस तरीके से ट्रीट करें, जो तरीका आप खुद के लिए चाहती हैं. कहने का मतलब यह कि आप उन्हें वैसे सरप्राइज दीजिए, जिन्हें पाने की चाहत आप को है. उन के लिए कैंडल लाइट डिनर अरेंज करें जो आप को भी पसंद है. गुडमौर्निंग किस दीजिए रोज, जो आप खुद पाना चाहती हैं. एक बार उन्हें इस की आदत पड़ने दीजिए, फिर आप को खुद ही रिटर्न ट्रीट मिलनी शुरू हो जाएगी.

शादी हमेशा खुशियों भरी नहीं होती

यह जाननासमझना औैर स्वीकरना आवश्यक है और यह भी कि वक्त जैसेजैसे गुजरता जाएगा हमेशा कोईर् न कोई ऐसा इश्यू आप दोनों के बीच आ खड़ा होेगा, जिस पर आप एकमत नहीं होंगे. लेकिन आप को इन सब से डील करना सीखना होेगा. ऐसा बहुत बार होगा कि पार्टनर की बातें, हरकतें आप को हैरान कर दें. आप उन की मेरी मरजी वाले ट्रैक से परेशान हो जाएं, लेकिन कुछ भी हो, आप को सब्र से काम लेना होगा. कुछ वक्त लें, कुछ उन्हें दें, अपने ईगो को बीच में न आने दें. समस्या जैसी भी हो, सुलझ ही जाएगी.

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एक बच्चा टूटती शादी को नहीं बचा सकता

सच तो यह है कि एक मुश्किल दौर से गुजरते कपल के बीच एक नन्हेमुन्ने की मौजूदगी हालात, तनाव को और बढ़ा देती है. अगर आप को यह सदियों पुरानी दादी, नानी की आजमाई गोल्डन ऐडवाइज मिले कि हैव ए किड ऐंड सेव योर मैरिज यानी जल्दी से एक बच्चा प्लान करो औैर देखो कैसे सब कुछ ठीक हो जाता है, तो इस सलाह पर अमल न करें, क्योंकि यह मुश्किल का हल नहीं, बल्कि मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम साबित होगा. एक बच्चे को दुनिया में लाना बहुत बड़ा दायित्व होता है. इस का निर्णय तभी लिया जाना चाहिए जब आप दोनों उस की परवरिश के लिए पूरी तरह तैयार हों.

सच यही है कि शादी हर सवाल का जवाब नहीं होती, बल्कि यह तो अपनेआप में एक पहेली होती है, जिस का हल तभी निकलता है जब दोनों अपने अहं और स्वार्थ का त्याग कर एक इकाई बन जाते हैं.

प्यार को प्राथमिकता दें

दरअसल, पतिपत्नी के मध्य टकराव ही वैवाहिक जीवन के लिए अभिशाप बनता है. जहां ईगो का टकराव न हो, वहां वैवाहिक जीवन निरंतर सफलता के साथ चलता है. एक कारण यह भी है कि जहां अपेक्षाएं ज्यादा हों, वहां अगर उन की पूर्ति नहीं होती, तो प्रतिदिन नई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है कि परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, पतिपत्नी के मध्य प्रेम हमेशा कायम रहे. पतिपत्नी एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसलिए दोनों को ही अपने अहम के टकराव से बचना चाहिए और प्रेम के मूलमंत्र पर अमल करना चाहिए, क्योंकि दांपत्य जीवन अगर सहज नहीं है, तो पारिवारिक जीवन भी परेशानियों का केंद्र बन जाता है.

-ऋचा पांडे, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट औफ इंडिया एवं ग्लोबल ऐंबैसेडर सिरोज यूनाइटेड (यूएसए)

एकदूसरे की भावनाओं को समझें

पतिपत्नी को हमेशा एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का प्रयास करना चाहिए. जरूरी है कि वे साथ में कुछ समय बैठें, बातें करें. एकदूसरे की भावनाओं को समझें, एकदूसरे को प्रोत्साहित करें. मगर अपनी इनडीविजुअल आईडैंटिटी को भी मैंटेन रखें. दूसरे को अपने जैसा बनाने का प्रयास कतई न करें. जिंदगी के महत्त्वपूर्ण निर्णय एकदूसरे के साथ बैठ कर ही लें.

-डा. गौरव गुप्ता, मनोवैज्ञानिक, तुलसी हैल्थकेयर

शादी से जुड़े कुछ तथ्य

विवाह एक अनूठा बंधन है, जिस में 2 व्यक्ति 7 फेरे ले कर एकदूसरे के साथ सदा के लिए जुड़ जाते हैं. पर क्या वाकई यह बंधन इतना ही मजबूत होता है? या फिर कुछ ऐसे तथ्य भी हैं, जिन से आप वाकिफ नहीं. आइए, आप को रूबरू कराते हैं, शादी से जुड़े ऐसे ही तथ्यों से:

– नौकरी, बच्चे, टीवी, इंटरनैट, हौबीज व घरपरिवार की जिम्मेदारियों की वजह से एक औसत दंपती दिन में केवल 4 मिनट ही अकेले एकदूसरे के साथ वक्त बिता पाते हैं.

– 25 साल से कम उम्र में शादी होने पर तलाक का खतरा ज्यादा होता है. महिला यदि पुरुष से काफी बड़ी है, तो भी तलाक की संभावना बढ़ जाती है. जबकि पुरुष काफी बड़ा हो तो ऐसा होने की संभावना कम रहती है.

– एक व्यक्ति का शैक्षिक स्तर इस बात पर काफी प्रभाव डालता है कि वह शादी किस उम्र में करेगा. अधिक पढ़ेलिखे लोग सामान्यतया या अधिक उम्र में शादी करते हैं जबकि कम पढ़ेलिखों की शादी जल्दी होती है.

– एक अध्ययन में पाया गया है कि वे महिलाएं जिन के यहां घर के कामों का संतुलित विभाजन होता है और जिन के पति अपने हिस्से का काम बखूबी निभाते हैं, ज्यादा खुश व संतुष्ट दिखती हैं. बनिस्बत कि वे महिलाएं जिन्हें अपने पति से इस संदर्भ में शिकायत रहती है.

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– 15 साल के लंबे अध्ययन में पाया गया कि शादी से पूर्व एक व्यक्ति की प्रसन्नता का स्तर शादी के बाद उस की सफल और खुशहाल वैवाहिक जिंदगी का अच्छा सूचक है. दूसरे शब्दों में स्वयं विवाह व्यक्ति की प्रसन्नता की वजह नहीं होता.

– बर्थ और्डर भी कहीं न कहीं आप के विवाह की सफलता/असफलता निर्धारित करते हैं. सब से ज्यादा सफल शादियां वे रही हैं, जहां भाइयों में सब से बड़ी बहन की शादी बहनों में सब से छोटे भाई के साथ हुई. जबकि 2 पहली संतानों के बीच हुई शादी कम निभ पाती है.

– शादी और सगाई की अंगूठी बाएं हाथ की चौथी उंगली में पहनी जाती है. रोम में लोग यह विश्वास करते थे कि इस उंगली की एक खास वेन सीधी दिल तक जाती है.

– न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक, ठिगने व्यक्ति ज्यादा गंभीरता से शादी निभाते हैं और अपने ठिगनेपन को कंपेनसेट करने के लिए अधिक कमाते हैं.

– गरिमा पंकज 

ताकि प्यार कम न हो

आज जब रंजना दफ्तर में आई तो कुछ रोंआसी सी दिखी. हमेशा मुसकराने वाली रंजना के चेहरे के भाव किसी से छिपे नहीं रहे तो सभी सहेलियां उस से पूछने लगीं, ‘‘रंजना क्या बात है,आज तेरे चेहरे की रंगत कुछ फीकीफीकी क्यों नजर आ रही है?’’

‘‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही.’’

उस का जवाब सुन सभी समझ गए कि कुछ बात जरूर है, लेकिन वह बताना नहीं चाहती.

थोड़ी देर में रंजना इस्तीफा ले कर बौस के पास गई. बौस भी उस के उदास चेहरे और अचानक इस्तीफे को देख कर सोच में पड़ गईं. बोलीं, ‘‘बैठो रंजना, क्या बात है, यह अचानक इस्तीफा क्यों?’’

यहां औफिस में तुम्हारी प्रतिष्ठा भी अच्छी है. फिर क्या तकलीफ है तुम्हें?’’

बौस की बात सुन रंजना की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ‘‘मैडम, वैसे तो कोई खास बात नहीं. लेकिन जब से शादी हुई है, हम दोनों पतिपत्नी में कुछ न कुछ झगड़ा चलता ही रहता है. दोनों नौकरी वाले हैं. घर तो संभालना ही पड़ता है, ऊपर से मेरे पति की टूरिंग जौब. इसलिए सोचती हूं कि मैं ही नौकरी छोड़ दूं.’’

‘‘तो यह बात है,’’ रंजना की बौस बोलीं, ‘‘लेकिन रंजना ये सब तो छोटीमोटी बातें हैं. शायद सभी को ऐसी परेशानियां हों, फिर भी कितनी महिलाएं दफ्तर में काम कर रही हैं. ऐसे हिम्मत हारने से थोड़े ही काम चलता है. मैं स्वयं भी तो इतने सालों से नौकरी कर रही हूं.’’

अपनी बौस की बात सुन कर रंजना मुंह बना कर बोली, ‘‘आप तो जौब में वैल सैटल्ड हैं मैडम, लेकिन मेरी जौब भी नई और शादी भी. पता नहीं सब क्यों मैनेज नहीं हो पा रहा.’’

‘‘पहले तो तुम अपना त्यागपत्र वापस लो, उस के बाद यदि तुम उचित समझो तो अपनी घरेलू समस्या मुझे बता सकती हो. हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं,’’ रंजना की बौस ने मुसकरा कर कहा.

उन्हें मुसकराते और मदद को तैयार देख रंजना में थोड़ी हिम्मत आ गई. वह मुसकरा कर बोली, ‘‘सिर्फ एक परेशानी नहीं, समय तो इतना मिलता नहीं, सो कई बार तो खाना नहीं बना पाती और पति को खाना समय पर और स्वाद में भी अच्छा चाहिए.

‘‘दूसरे मेरे पति हैं फिटनैस और फैशन कौंशस. वे चाहते हैं कि मैं उन के साथ रोज वाक पर जाऊं, सुबह जल्दी जागूं. पर रात को सोतेसोते ही इतनी देर हो जाती है कि सुबह नींद ही नहीं खुलती. बस ऐसी ही छोटीछोटी बातें हैं, जिन के कारण हमारे संबंध में दरार पड़ने लगी है,’’ रंजना ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं रंजना, पर इतनी छोटीछोटी बातों के लिए कोई इतने बरसों की मेहनत पर पानी फेरता है क्या? ये सब समस्याएं तो शायद सभी के घर में होंगी. तुम पहली नहीं हो. मेरे

20 साल के तजरबे में ऐसी बहुत महिलाएं आई हैं, जो किसी न किसी कारण से नौकरी छोड़ देना चाहती थीं, पर आज अच्छे पद पर काम कर रही हैं. अगर पतिपत्नी दोनों नौकरी वाले हों तो निम्न बातें ध्यान में रखनी होती हैं ताकि वैवाहिक जीवन सुखमय हो सके:

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घरेलू काम का दबाव कम हो

सब से पहले तुम्हें टाइम मैनेजमैंट करना पड़ेगा. जैसे तुम्हें सुबह 9 बजे दफ्तर पहुंचना है और वाक के लिए भी जाना है, तो कम से कम 3 घंटे तो चाहिए कि तुम वाक करो, दफ्तर के  लिए तैयार हो और अपना नाश्ता भी आराम से कर सको.

सुबह सफाई के लिए एक और खाने के लिए एक कुक का इंतजाम कर लो. जब तुम सुबह उठो उसी समय उसे बुलाओ ताकि जब तक वह खाना व नाश्ता तैयार करे तुम वाक कर के आ जाओ. इस से तुम्हें व तुम्हारे पति को आपस में बातचीत का समय भी मिलेगा और तुम्हारी फिटनैस भी बरकरार रहेगी. घर आओ, नाश्ता करो और दोनों तैयार हो कर अपनेअपने दफ्तर निकल जाओ. ऐसे ही उसे शाम के समय बुलाओ ताकि तुम पर घरेलू काम का दबाव कम हो जाए.

क्वांटिटी नहीं क्वालिटी टाइम आवश्यक

पतिपत्नी जब साथ समय बिताएं तो एकदूसरे के बारे में और अपने घर के बारे में बातें करें न कि इधरउधर की. नौकरी वाली महिला के पास तो समय की भी कमी होगी सो पतिपत्नी दोनों ही अपने हर पल को क्वालिटी पल बनाने की कोशिश करें. एकदूसरे के सुखदुख के बारे में बातें करें न कि इधरउधर की. जरूरी बातों के अलावा जितना हो सके एकसाथ मनोरंजन में समय व्यतीत करें.

सैक्स लाइफ भी है आवश्यक

जिस तरह खानापीना, सोना हमारे शरीर की जरूरत है उसी तरह सैक्स भी बेसिक नीड है. विवाहित जीवन में यदि पतिपत्नी दोनों में से किसी एक को भी सैक्सुअल संतुष्टि नहीं है तो रिश्ते में दरार पड़ते देर नहीं लगती.

एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करें कई बार न चाहते हुए भी गलत शब्द मुंह से निकल जाता है, जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए. लेकिन ऐसी स्थिति में भी बात आगे नहीं बढ़ाना चाहिए.

रखें भरोसा

पत्नी पति पर शक करती हैं और अपने वैवाहिक जीवन को नर्क बना लेती हैं. इस में समझने की बात यह है कि अब जब स्त्री और पुरुष दफ्तर में एकसाथ काम कर रहे हैं तो किसी न किसी का आपस में लगाव होना स्वाभाविक है. ऐसे में पतिपत्नी आपस में एकदूसरे पर भरोसा रखें तो अलगाव की स्थिति पैदा नहीं होगी.

फाइनैंशियल प्लानिंग भी है आवश्यक

जब पतिपत्नी दोनों मिल कर घर के खर्च की जिम्मेदारी उठाएं तो आपसी निकटता बढ़ना स्वाभाविक है. इसलिए प्लानिंग बहुत जरूरी है कि कौन कितना और कहां खर्च करेगा? अपनीअपनी तनख्वाह के लिए घर में झगड़ा न हो तो अच्छा.

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बांटिए घर व बाहर के काम भी

जहां पत्नी भी कामकाजी है तो यह तो तय है कि उस पर दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है. ऐसे में यदि पति उसे घर के काम में मदद करे तो वह अपने कामकाजी होने का महत्त्व समझती है औैर दोनों यदि साथ मिल कर काम करें तो बातबात में काम हो जाता है, जिस से समय की बचत तो होती ही है, पत्नी को भी यह एहसास नहीं होता कि वह दोहरी जिंदगी जी रही है. दोनों के मन में प्यार का एहसास भी बना रहता है. यदि बच्चे हैं तो उन की देखरेख और पढ़ाई में दोनों को मिल कर भागीदारी निभानी चाहिए. जैसे कभी पीटीएम के लिए पति छुट्टी ले तो कभी पत्नी. उन्हें स्कूल छोड़ने की जिम्मेदारी भी दोनों की हो.

कभी कभी डेट पर जाएं

कामकाजी दंपती को आपस में बिताने के लिए समय हमेशा कम ही पड़ता है. ऐसे में जब बच्चे भी हों तो वह समय औैर भी बंट जाता है. तो कभीकभी डेट पर भी जाएं यानी एक दिन सुनिश्चित कर लें और सिर्फ दोनों ही जाएं. बच्चे को किसी पड़ोसी, आया, घर में कोई बड़ा हो तो उन की निगरानी में छोड़ कर जाएं. बच्चों व नौकरी के रहते कई बार पतिपत्नी आपस में कई दिनों तक बात भी नहीं कर पाते, जिस से आपस में दूरियां बनने लगती हैं.

रहें अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार

सुधा बड़े ही हंसमुख स्वभाव की थी. जब वह खिलखिला कर हंसती तो समझो सब के दिलों पर बिजलियां गिर जातीं. बस ऐसे ही किसी सहकर्मी को उस से प्यार हो गया और उस ने इजहार करने में भी देर न लगाई. लेकिन सुधा अपने परिवार के बारे में न सोच उस बहाव में बह गई. जब उस के पति को यह बात मालूम हुईर् तो उसे जरा भी बरदाश्त नहीं हुआ क्योंकि वह स्वयं एक जिम्मेदार एवं बहुत प्यार करने वाला पति है. नतीजा दोनों अलगअलग रहने लगे और इस का नुकसान भुगता उन के बच्चों ने. महिलाओं और पुरुषों के एकसाथ दफ्तर में काम करने से कईर् बार लगाव होना स्वाभाविक होता है. इस स्थिति में परिवार टूटने की शतप्रतिशत संभावना रहती है. अत: अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहने की पूरी कोशिश करें एवं दफ्तर में व्यवहार की सीमाएं स्वयं तय करें.

अपने बौस के द्वारा बताए गए इतने सारे किस्से सुन कर रंजना को अपनी परेशानी बहुत छोटी लगी. अत: कहने लगी, ‘‘मैडम, आप की बातें सुन कर मेरी थोड़ी हिम्मत बंधने लगी है. मैं एक बार और सोचती हूं,’’ और फिर मुसकराते हुए कैबिन से बाहर चली गई.

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आज पूरे 7 वर्ष हो गए उसे विवाह पश्चात नौकरी करते हुए. इन 7 वर्षों में एक बेटी की मां भी बन गई. वह बहुत खुशहाल जिंदगी जी रही है. जब भी अपनी बौस से मिलती है, उन का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलती.

7 Tips: परखिए अपने हमसफर का अपनापन

एक शख्स, जिस की खातिर मन जमाने से बगावत करने पर उतर आता है. हर आहट में उसी का खयाल आने लगता है. उसे पाने की हसरत जिंदगी का मकसद बन जाती है, बस, यही है मुहब्बत. आप का किसी को पूरी शिद्दत से चाहना ही काफी नहीं होता, जरूरी है कि वह भी आप के खयालों में गुम हो.

वैसे तो प्यार को परखने का कोई पैरामीटर नहीं होता, लेकिन निम्न बातों पर ध्यान दे कर आप कुछ हद तक अपने बौयफ्रैंड की हकीकत से रूबरू हो सकती हैं :

1. आप के प्रति उस का नजरिया

आप जब उस के साथ होती हैं तो आप के प्रति उस का नजरिया क्या होता है? यदि वह आप को समानता के स्तर पर रखता है तो यह सब से प्रमुख बात है. इस से यह जाहिर होता है कि मुसीबत के पलों में वह पल्ला नहीं झाड़ेगा. हमेशा आप का साथ देगा.

2. आप की कही बात पर उस की सोच

जब वह आप से बात करता है तो क्या वह जिंदगी के बारे में भी बातें करता है? अगर हां तो वह सही माने में गंभीर है, क्योंकि फ्लर्ट करने वाले अकसर मौजमस्ती की बातों को ही प्रमुखता देते हैं.

3. अपेक्षाएं जायज रखता है

क्या वह आप से आत्मीय सहयोग तथा अपनापन रखता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि घूमनेफिरने या अकसर अकेले में घूमने की जिद करता है. न मानने पर डांट भी देता है. इस से न तो आप खुश रह सकती हैं और न ही वह.

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4. आप की सहेलियों से उस का व्यवहार

एक अच्छे इंसान की तरह पेश आता है या आशिक मिजाज के रूप में. इस से उस का चरित्र पता चलता है. स्त्रीपुरुष के परस्पर रिश्तों में ईमानदारी बरतना जरूरी है, क्योंकि यदि आप समाज और परिवार में रहते हैं तो उन के उत्तरदायित्वों का पालन करना आप का नैतिक कर्तव्य भी है. यदि आप के चोरीछिपे कहीं और रिश्ते हैं तो एक दिन आप की पोल खुलनी तय है.

5. आप का मूड खराब होने पर क्या करता है

कभीकभी सामान्य बातचीत में आप का मूड खराब हो जाता है तब क्या वह आप को खुश करने का प्रयास करता है या उसे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता या  उस की ईगो आड़े आती है कि मैं क्यों मनाऊं. समस्याएं तो जीवन का हिस्सा हैं, अत: उन का दोनों को ही डट कर मुकाबला करना चाहिए. मैं और तुम का चक्कर छोड़ हम पर महत्त्व देना चाहिए.

6. तारीफ भी जरूरी है

क्या वह आप का बर्थडे याद रखता है? अगर नहीं तो समझ लीजिए कि उस का प्रेम बनावटी है और ये ही छोटीछोटी बातें बाद में कई बार तनाव की वजह बन जाती हैं. वैसे भी सफल रिश्ते का मूलमंत्र है अपने जीवन साथी की तारीफ करना.

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7. सब से जरूरी बात

क्या वह आप पर भरोसा करता है या सुनीसुनाई बातों पर यकीन कर के झगड़ा मोल लेता है.

तो अब देखें क्या आप का भावी जीवन साथी आप की बातों पर खरा उतरता है. ये बातें दिखनेसुनने में भले ही सामान्य लगें, पर पूरे जीवन का सफल मूलमंत्र हैं.

जब कहना हो न

20 सितंबर, 2021 की सुबह. करीब 9 बजे का समय. सड़क पर लोगों की आवाजाही आम दिनों की तरह थी. दिल्ली के लेबर चौक के पास से 2 युवतियां गुजर रही थीं. सहसा वहां एक बाइक आ कर रुकती है. बाइक सवार बाइक को ठोकर मार कर एक युवती की तरफ लपक कर उस पर एक के बाद एक कैंची से वार करने लगता है. खून से लथपथ लड़की जमीन पर गिर जाती है. मगर युवक  रुकता नहीं. लड़की पर करीब 25-26 दफा वार कर डालता है.

युवक युवती की गरदन को बुरी तरह गोद देता है. पीठ पर भी वार करता है. लात भी जमाता है. यहां तक कि कई नसें भी काट देता है. हैवानियत का यह घिनौना खेल करीब 10 मिनट तक चलता है. इस बीच लोग मूकदर्शक बने खड़े रहते हैं. कोई बचाव के लिए आगे नहीं आता है.

दिलोदिमाग को झकझोर देने वाली इस घटना को देख कर कोई भी समझ सकता है कि वह शख्स उस लड़की से बेतहाशा नफरत करता होगा.

सुरेंद्र नाम का यह शख्स 3 वर्षों से करुणा नाम की उस युवती से प्यार करने का दंभ भरता था. एकतरफा प्यार में पागल यह युवक एक कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट चलाता था और शादीशुदा था. उस के 2 बच्चे भी हैं. पत्नी के साथ तलाक का केस चल रहा था. करीब 3 साल पहले करुणा ने उस के सैंटर में दाखिला लिया था. तभी से सुरेंद्र उस का पीछा करने लगा था और प्यार करने का दावा करता था. करुणा ने उस का प्रेमप्रस्ताव ठुकरा दिया था. पुलिस में भी शिकायत की थी. पर सुरेंद्र के प्यार का भूत नहीं उतरा. उसे शक था कि करुणा किसी और से जुड़ी हुई है. करुणा के रिजैक्शन ने सुरेंद्र के अहं पर ऐसी चोट की कि उस ने अपने तथाकथित प्यार के जनून में करुणा का कत्ल ही कर डाला.

ऐसी ही एक घटना 19 सितंबर, 2016 को दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में घटी. जब एक दिलजले आशिक ने अपनी प्रेमिका को तीसरी मंजिल की बालकनी से फेंक दिया. वजह वही थी, एकतरफा प्यार में रिजैक्शन का दर्द.

करीब डेढ़ साल पहले आरोपी अमित ने ब्यूटीपार्लर में काम करने वाली उस युवती से फेसबुक पर दोस्ती की थी. दोनों के बीच जानपहचान बढ़ती गई. व्हाट्सऐप पर खूब चैटिंग भी होने लगी पर अमित द्वारा विवाह का प्रस्ताव रखने पर लड़की ने इनकार कर दिया और इस इनकार की कीमत उसे अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी.

दरअसल, 19 सितंबर की रात अमित अपनी बहन के साथ लड़की के घर पहुंचा और बातचीत के दौरान फिर से विवाह का प्रस्ताव रखा पर युवती द्वारा फिर इनकार किए जाने पर वह आगबबूला हो गया और युवती को बालकनी से नीचे फेंक दिया.

इसी तरह गत 23 सितंबर को ईस्ट दिल्ली क्रौस रिवर मौल की तीसरी मंजिल से एक 17 वर्षीय लड़की ने छलांग लगा कर खुदकुशी कर ली. इस घटना की तह में भी एक असफल हिंसक प्रेमी का बदला ही था. दरअसल, यह युवक 1 माह से लड़की को परेशान कर रहा था. लड़की के परिवार वालों ने इंदिरापुरम थाने में आरोपी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी. मगर वह लड़की का पीछा नहीं छोड़ रहा था.

उस ने लड़की का अपने साथ लिया गया फोटो व्हाट्सऐप पर डाल दिया. इस घटना से लड़की को इतनी शर्मिंदगी उठानी पड़ी कि उस ने आहत हो कर अपनी जान दे दी.

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ऐसी घटनाएं समाचारों की सुर्खियां बनती रहती हैं. हाई प्रोफाइल केसेज (1996 का प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड/नैना साहनी तंदूर कांड) हों या मध्य अथवा निम्नवर्गीय केसेज जनून और अहं के आवेश में पागल पुरुष (भले ही वह पति हो या प्रेमी) स्त्री के प्रति हिंसक हो उठता है. तब उसे अपने ही प्रेम को बेदर्दी से मौत के घाट उतारते जरा भी संकोच नहीं होता है.

अब सवाल उठता है कि प्रेम जैसे खूबसूरत और दिल के रिश्ते में बदला और नफरत जैसे नकारात्मक भावों की जगह कहां है? प्रेम तो ऐसा एहसास है. जो दिल की गहराइयों को छूता है. सच्चा प्यार करने वाला इनसान कभी अपने प्रेमी को दुखतकलीफ में नहीं देख सकता. वह तो प्रेमी के चेहरे पर मुसकान सजाने के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगा सकता है. फिर जान लेना तो कल्पनातीत बात है. दरअसल, इन घटनाओं के मूल में है रिजैक्शन.

प्यार में रिजैक्शन

जिंदगी में अकसर हम चीजें रिजैक्ट करते हैं. कभी कोई चीज, जो हमें पसंद न हो उसे, तो कभी नौकरी, जो रास न आ रही हो या फिर कभी कोई आइडिया जो हमारी अपेक्षाओं के अनुकूल न हो. जैसे अप्रूवल, वैसे ही रिजैक्शन. दोनों ही हमारी जिंदगी के हिस्से हैं. इस से हैल्दी कंपीटिशन और बेहतर क्वालिटी निश्चित होती है. मगर मुश्किल तब पैदा होती है जब मनुष्य एकदूसरे को रिजैक्ट करते हैं खासकर जब लड़की/ स्त्री किसी लड़के/पुरुष को रिजैक्ट करती है.

मर्दवादी मानसिकता पर चोट

ऐसा होने पर उन के अहं पर चोट लगती है. लड़के कभी यह सहने को तैयार नहीं होते कि कोई लड़की उन के प्रेम को अस्वीकार कर किसी और को गले लगा ले. वे प्रेम पर एकाधिकार चाहते हैं. दरअसल, बचपन से ही हमारे यहां घरों में लड़कों की हर इच्छा पूरी की जाती है. मनपसंद चीज न मिलने पर यदि वे तोड़फोड़ भी करते हैं, तो भी घर वाले कुछ नहीं कहते.

घर के पुरुष महिलाओं पर रोब झाड़ते हैं. भाइयों के आगे बहनों में चुप रह कर सब सह जाने की आदत डाली जाती है. नतीजतन बड़े हो कर भी बहुत से लड़के स्वयं को इस मर्दवादी मानसिकता से मुक्त नहीं कर पाते.

नफरत में बदलती चाहत

इस तरह की मर्दवादी मानसिकता वाले शख्स जब एकतरफा प्यार में किसी को जनून की हद तक चाहने लगते हैं और लड़की यदि उन की इस चाहत को गंभीरता से नहीं लेती या अस्वीकार कर देती है, तो उन के प्यार को नफरत में बदलते देर नहीं लगती.

इस संदर्भ में क्रिमिनल साइकोलौजिस्ट अनुजा कपूर कहती हैं, ‘‘एक अध्ययन में पाया गया है कि किसी के प्रति एकतरफा चाहत जब जनून का रूप ले लेती है, तो वह इनसान को बड़े से बड़ा अपराध तक करने को मजबूर कर देती है. नाकाम चाहत में कुछ व्यक्ति डिप्रैशन में आ जाते हैं, तो कुछ घटिया करतूतों पर उतर आते हैं जैसे धमकी भरे मैसेज भेजना, पीछा करना, परेशान करना आदि. नफरत के ज्वार में बह कर कुछ लड़के कई दफा लड़की के साथसाथ अपनी जिंदगी भी बरबाद कर लेते हैं.’’

स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब प्रेमी/पति साइकोपैथ हो. इन का कोई भरोसा नहीं होता. अपने जनून में ये बर्बरता की हद तक जा सकते हैं.

साइकोपैथ प्रेमियों के लक्षण

साइकोलौजिस्ट डा. गौरव गुप्ता का कहना है, ‘‘साइकोपैथ जोड़तोड़ या झांसा देने में माहिर होते हैं. किसी लड़की/लड़के की शुरुआती मुलाकातों में इस बात का पता नहीं चल पाता कि  वह साइकोपैथ के साथ है. इस तरह के व्यक्ति के किसी के साथ जुड़ने पर उस के जीवन में काफी बदलाव नजर आने लगते हैं. वह अपने पहनावे को ले कर सतर्क होने लगता है. ऐसा व्यक्ति अपने पार्टनर को बोलने नहीं देता. सामने वाले की बातों को नजरअंदाज करता है. दूसरे की योजनाओं को चुटकियों में पलट कर अपनी योजना थोप देता है. अगर आप ब्रेकअप करने का प्रयास करेंगे तो वह परेशान हो उठेगा, माफी मांगेगा, लेकिन यह सब प्लानिंग के तहत होता है. उसे कभी अपने किए का पछतावा नहीं होता. वह आंखों में आंखें डाल कर झूठ बोलने में माहिर होता है. वह धीरेधीरे आप को दोस्तों से अलग करता जाएगा और केवल वही आप की जिंदगी में रहेगा ताकि वह आप पर और अधिकार जमा सके. उस का व्यवहार पलपल बदलता है. हर बार वह अपने बुरे बरताव के लिए माफी मांगेगा, लेकिन उस में सुधार नहीं होता.’’

कानून की ढीली पकड़

इस तरह की घटनाओं की एक और मुख्य वजह कानून की ढीली पकड़ भी है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में महिलाओं के हित में अनेक कानून बने हैं. फिर भी उन के खिलाफ अपराधों में कमी नहीं आ रही. वजह है कानून की ढीली पकड़ और अपराधी को सजा मिलने में होने वाला विलंब.

बड़े से बड़ा अपराध कर के भी अपराधी बच निकलता है. सजा मिलती भी है तो वर्षों बाद. ऐसे में लोगों के बीच कानून का खौफ घटा है. लड़कियों के साथ खुलेआम छेड़छाड़, कहीं भी शराबसिगरेट पीना, बीच सड़क पर थूकना, गंदगी फैलाना, गालियां देना, ट्रैफिक नियमों की अवहेलना जैसे काम करने के बावजूद व्यक्ति को सजा मिलनी तो दूर उसे टोकने वाला भी कोई नहीं होता है. वह स्वयं को सिस्टम के ऊपर समझने लगता है और फिर जो मन करता है वही करने लगता है.

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न कहें मगर संभल कर

लाइफ कोच, अनामिका यदुवंशी कहती हैं, ‘‘जिस शख्स के लिए आप का दिल गवाही न दे रहा हो उसे अपने साथी के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. अत: न कहते समय कुछ बातों का खयाल रखें ताकि सामने वाला आप से बदला लेने को उतारू न हो.’’

न कहना हो तो न करें इंतजार: किसी को भी ज्यादा समय तक मौका दे कर आप उस के मन में यह संशय पनपने का समय दे रही हैं कि कहीं न कहीं उस के पास अब भी मौका है. जितनी देर आप लटकी रहेंगी, उतनी ही उस की उम्मीदें बढ़ती रहेंगी. ऐसे में किसी को ज्यादा दिनों तक लटका कर न कहने से आप उसे न केवल ज्यादा दुख देंगी, बल्कि इस से उस का ईगो भी ज्यादा हर्ट होगा और वह अपना गुस्सा संभालने की स्थिति में नहीं रहेगा.

अत: आप की किसी लड़के में रुचि नहीं है तो शुरूआत से ही सारी चीजें साफ रखनी चाहिए.

सब से बेहतरीन तरीका है ईमानदारी से सीधे तौर पर न कहना: मैसेज से कहें न. सामने न कहने से किसी के भी अहं को चोट लग सकती है, क्योंकि हो सकता है वह उस समय भावनाओं से अभिभूत हो या फिर जब आप न कहें वह उस समय नशे में हो और आप पर गुस्सा करे, चिल्लाए. अत: इन स्थितियों से बचने के लिए अपनी अस्वीकृति मैसेज द्वारा भेज सकती हैं.

अनदेखा करें: कोई आप की प्रतिक्रिया पाने के लिए लगातार आप को मैसेज करेगा. आप के सामने गिड़गिड़ाएगा कि आप उसे क्यों छोड़ रही हैं. हो सकता है, आप को सब के सामने बेइज्जत भी करे या आप का मजाक उड़ाए. ऐसे में आप को खुद को सही ठहराने के लिए कोई सफाई देने की जरूरत नहीं है. बस हर स्थिति को अनदेखा करें और धैर्य रखें.

न कह कर मत करें हां: भले ही कोई आप को कितने भी मैसेज करे या दबाव बनाए, लेकिन अपना मन या निर्णय न बदलें. उसे यह मौका कतई न दें कि वह आप की नजरों में आप को ही दोषी बना दे और इस कारण आप उस से बातचीत जारी रखें. यदि आप नहीं चाहती हैं तो दोस्ती रखने की भी जरूरत नहीं है. उसे दुख न हो, इस के लिए दूसरी कहानी बनाने की जरूरत नहीं है और न ही भविष्य के लिए उसे फिर से उम्मीद बंधाने की जरूरत है.

यदि उसे अनदेखा करना मुश्किल है, तो ब्लौक कर दें. एक बार जब कोई न कर देता है और किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं रखता तो अधिकांश लोग आगे बढ़ जाते हैं.

आप को न कहने का हक है. बस इस के बारे में खुद को स्पष्टवादी रखे, लेकिन स्थिति साफ रखें. अस्पष्टता लिए कोई गुंजाइश न छोड़ें बिना दुख पहुंचाए न कहने का सब से बेहतर तरीका यही है.

अनामिका यदुवंशी कहती हैं कि पुरुषों को नफरत से नहीं, सकारात्मक सोच से डील करना चाहिए. यदि न आप का साथी कह रहा है या दुनिया में आप को सब से ज्यादा समझने वाला अथवा वह जो आप को खुद भी बहुत प्यार करता है, पर उस की कोई मजबूरी है तब उस की न को दिल पर न ले कर उस की भावनाओं को समझें वरना उस की न को अहं पर ले कर आप खुद को नुकसान पहुंचाएंगे और भविष्य के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी करेंगे.

न का सीधा असर दिमाग पर: दरअसल, जब हम न सुनते हैं तो हमारे दिमाग का कुछ हिस्सा तेजी से कार्य करता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आप शारीरिक रूप से दर्द या दुख महसूस करते हैं तो उस का सीधा असर दिमाग पर होता है. इसी कारण न सुनना ज्यादा दुख पहुंचाता है.

मनोवैज्ञानिक घावों को भी भरा जा सकता है: भावनात्मक दर्द, किसी की अस्वीकृति और मानसिक पीड़ा से उत्पन्न घावों को भरा जा सकता है. इस के लिए हमें सकारात्मक सोच रखनी होगी. सकारात्मक सोच के साथ जीवन के दोनों पहलुओं हां और न को साथ ले कर चलें. निश्चय ही किसी की न आप को कभी परेशान नहीं करेगी.

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सेक्सुअल लाइफ से जुड़े फैक्ट बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्ष की युवती हूं. जब मैं ने पहली बार अपने बौयफ्रैंड के साथ सैक्स किया तो मुझे ब्लड नहीं आया. ऐसा क्यों हुआ, जबकि मैं ने पहले कभी सैक्स किया ही नहीं था?

जवाब

पहली बार सैक्स करने पर खून निकले ही यह जरूरी नहीं. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में युवतियां पचासों काम करती हैं. खेलतेकूदते, साइकिल चलाने, भागदौड़ भरे कामों से कब झिल्ली फट जाती है पता भी नहीं चलता. ऐसे में जब पहली बार संसर्ग में ब्लड नहीं निकलता तो गलत धारणा बना ली जाती है कि युवती पहले सैक्स कर चुकी है.

आप तो पढ़ीलिखी युवती हैं और बौयफ्रैंड बनाने व उस से सैक्स संबंध बनाने तक में आधुनिका हैं फिर आप के दिमाग में यह कैसे आया. हां, अगर आप के बौयफ्रैंड ने ऐसा कहा तो जरूर वह दकियानूसी या शक्की होगा. पढ़ालिखा होने के बावजूद उस का यह कहना अचंभित ही करता है. बहरहाल, आप के केस में घबराने की कोई बात नहीं. बेवजह अपने मन में भ्रम न पालें, लाइफ ऐंजौय करें.

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वर्जिनिटी टेस्ट : पास या फेल पर टिका रिश्ता

स्थान – महाराष्ट्र का जिला नासिक, पति ने शादी के सिर्फ 48 घंटे बाद इसलिए अपनी शादी तोड़ दी, क्योंकि पत्नी वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हो गयी यानी प्यार और विश्वास पर टिका होने वाला पति पत्नी का रिश्ता वर्जिनिटी टेस्ट में पास न होने पर फेल हो गया. हुआ यह था कि नवविवाहित लड़की के पति ने पंचायत को बताया था कि, जिस लड़की से उसकी शादी हुई है वो ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ में फेल हो गई और इसके बाद गांव की पंचायत ने शादी खत्म करने का फैसला सुना दिया. पंचायत द्वारा दूल्हे को सुहागरात के दिन एक सफेद चादर दी गई और उससे कहा गया कि वह अगले दिन इसे वापस करे. सुहागरात के बाद दूल्हे ने पंचायत को चादर दिखाई जिसमें कोई खून के धब्बे नहीं थे और इसके बाद पंचायत ने दूल्हे को रिश्ता खत्म करने का आदेश दे दिया, जबकि वास्तविकता यह है कि लड़की पुलिस में  भर्ती की तैयारी कर रही  है और इस कारण फिजिकल टेस्ट के लिए ट्रेनिंग करती है. इसमें दौड़, लॉन्ग जम्प, साइकलिंग जैसी एक्सरसाइज शामिल है.

वर्जिनिटी  से ही जुडा एक अन्य मामला  बेंगलुरू  में भी सामने आया था जिसमे शादी से करीब दो माह पहले लड़के ने लड़की से मांग की कि अगर वह वर्जिनिटी टेस्ट कराने को तैयार होती है तभी वह उससे शादी करेगा. लडकी को यह बात बुरी भी लगी लेकिन वह लड़के से विवाह करने का मौका भी नहीं खोना चाहती थी इसलिए वह टेस्ट के  लिए तैयार हो गई. लडकी टेस्ट में पास हो गई और दोनों की धूमधाम से शादी हो गई. लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं होती. विवाह के बाद भी लड़के ने लडकी पर शक करना जारी रखा और वह उसे प्रताड़ित करने लगा. लड़के  को अभी भी शक था कि लडकी  का चरित्र ठीक नहीं है, जबकि वह वर्जिनिटी टेस्ट में भी पास हो चुकी थी. आये रोज की  प्रताडऩा से तंग आकर  लडकी ने शादी के चार माह बाद पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया. पुलिस ने लड़के के खिलाफ उत्पीडऩ करने और दहेज के परेशान करने का मामला दर्ज कर लिया है.

हैरानी की बात है कि एक तरफ  जहाँ  एक तरफ हम मंगल और चाँद पर पहुँच गए है वहीँ आज भी वर्जिनिटी को मूल्यों और संस्कारों से जोड़कर देखा जाता है. विवाह की बात आते ही मामला लड़की की वर्जिनिटी पर आ कर अटक जाता है. बेंगलुरु और नासिक का मामला भी यही है. विवाह से पहले लोग अक्सर  यह पूछते  नज़र आते हैं कि अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में कैसे पता लगाया जाये. इसका बस यही एक जवाब है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है.

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दरअसल लोगों के बीच यह धारणा आम है कि जब भी कोई युवती पहली बार शारीरिक सम्बन्ध बनाती है तो उसे ब्लीडिंग होती है. लेकिन यह धारणा सही नहीं है. क्योंकि जहाँ कई महिलाओं में हाइमन नहीं होता, वहीँ कुछ महिलाओं में यह  इतना लचीला होता है कि कुछ केस में तो यह बचपन में खेलते कूदते समय ही फट जाता है, इसलिए अगर पहली बार संबंध बनाने पर भी लड़कियों को ब्लीडिंग नहीं होती तो इसका मतलब ये नहीं कि वो वर्जिन नहीं है. वैसे भी हाइमनोप्लास्टी द्वारा आर्टिफीशियल हाईमन की तरह के टिशुज भी बनाये जा सकते हैं.

कोई महिला वर्जिन है या नहीं, यह केवल उसकी प्रेग्नेंसी हिस्ट्री से पता चल सकता है. या फिर तब जब वह खुद इस के बारे में बताये. वैसे भी फैक्ट्स के अनुसार केवल ४२ प्रतिशत महिलाओं को पहले इंटरकोर्स के दौरान ब्लीडिंग होती है इसलिए पहली बार ब्लीड होने का अर्थ वर्जिन होना कदापि नहीं है. ऑनलाइन सेक्स टॉय रिटेलर लव हनी डॉट को डॉट यूके द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार जहाँ महिलाएं 17 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी खो देती हैं और 28 की उम्र में यौन संबंधों को सबसे ज्यादा एंजाय करती हैं वहीँ  पुरूष 33 वर्ष की उम्र में यौन संबंधों को सबसे ज्यादा एंजाय करते हैं. सर्वे में शामिल 40 फीसदी लोगों ने माना कि वे सेक्स के लिए 28 की उम्र को सबसे बेहतर मानते हैं. सर्वे में यह बात भी सामने आई कि पुरूष 18 की उम्र में अपनी सेक्सुअल पीक पर पहुंचते हैं, जबकि महिलाएं 30 की उम्र में.

आपको जानकार हैरानी होगी कि स्कूल कॉलेज में एडमिशन  व नौकरी के लिए टेस्ट के अलावा एक देश ऐसा भी है जहां स्कॉलरशिप के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना होता है. साउथ अफ्रीका के उथूकेला में स्कूल-कॉलेज जाने वाली वर्जिन छात्राओं को जिले की महिला मेयर डूडू मोजिबूको स्कॉलरशिप देती है. इस स्कॉलरशिप को पाने के लिए छात्राओं को वर्जिनिटी टेस्ट देना होता  है.

कितना दोगला है हमारा पुरुष समाज जिनके लिए विवाह पूर्व रिलेशनशिप में  वर्जिनिटी कोई माने नहीं रखती, लेकिन रिलेशनशिप के बाद जब बात विवाह की आती है तो वर्जिनिटी उनके लिए बहुत बड़ा सवाल बन जाता है. वैसे भी विवाह के बाद एक महिला को ही क्यों अपनी वर्जिनिटी साबित करनी  पड़ती है? एक पुरुष से यह  क्यों नहीं पूछा जाता कि वह वर्जिन है कि नहीं या उसने विवाह पूर्व किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध तो नहीं बंनाये?

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ट्रौफी पत्नी: कैसे निभाएं रिश्ता

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी सुंदरता और बुद्धिमानी का अद्भुत संगम होती है. ऐसी पत्नी समाज में किसी सैलिब्रिटी से कम नहीं होती है. इस के साथ रिश्ता निभाने के लिए जरूरी है कि रिश्ता खुले दिल से निभाएं. दिल में कहीं कोई मैल रखा तो परेशानी खड़ी हो सकती है. शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर इस बात का सब से बड़ा उदाहरण हैं. आज समाज में ऐसी पत्नियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. कई बार दूसरी पत्नी के रूप में भी ऐसी सुंदर, चतुर और स्मार्ट ट्रौफी पत्नी मिलती है. ऐसे में जरूरी है कि उस के साथ रिश्ता खुले दिल से निभाएं. आज आपसी सहमति से तलाक जल्दी मिलने लगे हैं. ऐसे में दूसरी शादी का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इन रिश्तों में अगर किसी तरह का कोई छिपाव होता है, तो पतिपत्नी में से किसी के लिए ठीक नहीं होता. कई बार इस तरह के छिपाव अपराध का कारण भी बनते हैं, जो आप की खुशहाल जिंदगी को बरबाद कर सकते हैं.

सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी का अपना एक सामाजिक दायरा होता है. वह हर तरह के सामाजिक दायरे में अपने को फिट रखती है. ऐसे में कई बार पति को हीनभावना का शिकार होना पड़ता है. पति अगर हीनभावना का शिकार हो कर सुंदर, चतुर और समार्ट पत्नी पर किसी तरह की पाबंदी लगाता है, तो वह उसे बरदाश्त नहीं करती और रिश्ते बिगड़ जाते हैं. ऐसे में पति के पास समझौता कर के आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है.

पहले संबंध को न छिपाएं

अगर ट्रौफी पत्नी दूसरी वाली है, तो पहली पत्नी के साथ बीते संबंधों की उसे थोड़ीबहुत जानकारी जरूर दें. कई बार दूसरी पत्नी से संबंधों के समय में पहली पत्नी से जुड़ी तमाम बातों को छिपाने की कोशिश होती है. इस तरह की बातें कभी न कभी खुलती हैं, जिस की वजह से संबंध खराब होते हैं. ये संबंध केवल शारीरिक और मानसिक ही नहीं होते, कई बार संपत्ति और बच्चों से जुड़े विवाद भी होते हैं. ऐसे में दूसरी शादी करने से पहले पहली शादी से जुड़े विवाद को सुलझा लें. यह पतिपत्नी दोनों के लिए लाभकारी होता है.

खुल कर करें बातें

ट्रौफी पत्नी के साथ जरूरी है कि खुल कर बातें हों. जिन बातों को गैरजरूरी समझा जाता हो उन्हें भी साझा करें. मसलन, सैक्स और दूसरे दोस्तों के संबंध को ले कर भी परहेज न करें. कई बार पतिपत्नी दोनों के ही अपने निजी दोस्त होते हैं, जो बहुत करीबी होते हैं. इन के रिश्तों को देख कर सहज भरोसा करना संभव नहीं होता कि ये कितने करीबी हैं. जब इन्हें ले कर आपस में बात नहीं होती तो मन में शंका पनपने लगती है और फिर शंका एक ऐसे मुकाम तक पहुंच जाती है जहां संबंध का निर्वहन मुश्किल हो जाता है.

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इस का एक ही इलाज है कि आपस में खुल कर बातें करें. सैक्स को ले कर ऐसी पत्नी कुछ और की चाहत रखती है. इस में पोर्न सैक्स से ले कर पार्टी और मौजमस्ती सब कुछ होता है. कई बार ट्रौफी पत्नी अपने दोस्तों के साथ इतना घुलमिल जाती है कि पति को शक होने लगता है. यहां पति को समझदारी दिखाने की जरूरत है. ऐसे संबंधों में टोकाटाकी पत्नी को पसंद नहीं आती है.

रूढिवादी विचारों को छोड़ें

समाज में रूढिवादी विचार बहुत गहरे तक फैले हुए हैं कि पत्नी को पति से काबिल नहीं होना चाहिए. ऐसे विचार सुंदर, चतुर और स्मार्ट पत्नी के सामने कोई माने नहीं रखते हैं. अगर पत्नी बेहतर है, तो उसे काबिल मान लेने में कोई बुराई नहीं है. कई सफल जोड़े इस बात की मिसाल हैं, जिन की बीवी उन से अधिक सुंदर, बुद्धिमान और व्यवहारकुशल है. आज समाज में पति से उम्र में बड़ी, पति से ज्यादा कमाने वाली और पति से अधिक मानसम्मान वाली पत्नियां मौजूद हैं. अपने आसपास देखें तो कई ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं जहां हम पत्नी को जानते हैं पर उस के पति का नाम नहीं सुना है. राजनीति से ले कर समाजसेवा तक के क्षेत्र में तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं. पतियों को अपने रूढिवादी विचारों को छोड़ कर पत्नी के गुण को सम्मान देते हुए उसे पूरा मौका देना चाहिए.

सुंदरता की परेशानी

जब पत्नी सुंदर हो तो उस की तारीफ करने वालों की कमी नहीं होती है. इसे पति जलन के रूप में लेने लगता है. सुंदर पत्नी जब अल्ट्रामौडर्न ड्रैस पहन कर बाहर निकलती है, तो उस की तारीफ में कई तरह के ऐसे शब्दों का भी प्रयोग होता है जो सैक्स की भावना से ग्रस्त होते हैं. किसी भी पति के लिए इसे स्वीकार करना संभव नहीं होता. ऐसे में वह पत्नी पर तमाम तरह के आरोप लगाने लगता है. पार्टी में जाने पर लोग पति से अधिक पत्नी की तारीफ करते हैं. ऐसे में पति कुंठित होता है. जब तारीफ होती है तो पत्नी अपनी सुंदरता पर कुछ ज्यादा ही घमंड करती है. कई बार पति को लगता है कि यह उस की उपेक्षा कर रही है जबकि यह उपेक्षा नहीं होती है.

कई बार एक ओर पत्नी सुंदर और स्मार्ट दिखने की कोशिश करती है और पति पुराने तौरतरीकों से रहता है. ऐसे में पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट सी दिखती है. पतिपत्नी की जोड़ी अनफिट न दिखे, यह प्रयास करें. पति को खुद को इस तरह से रखना चाहिए कि उन की जोड़ी सुंदर दिखे.

सोच में खुलापन जरूरी

आज के समय में तारीफ करने के ऐसे तमाम मौके भी मिल जाते हैं. फेसबुक इन में सब से प्रमुख है. सुंदर इनसान के फोटो पर तमाम तरह के कमैंट और बहुत सारे लाइक मिलते हैं. ट्विटर पर उस के कमैंट की तारीफ करने वालों की लाइन लगी रहती है. फ्रैंडलिस्ट में उस के दोस्तों की संख्या अधिक होती है.

ऐसे में कई बार समयबेसमय मैसेज भी आते हैं. पत्नी भी ऐसे मैसेज को खुले दिल से लेती है. इस पर जब पति की नजर पड़ती है तो उसे बुरा लगता है.

यहां यह सोचने वाली बात है कि जब 2 दोस्तों में किसी भी तरह की बातचीत होती है तो पत्नी भी अपने दोस्तों के साथ कुछ भी बात कर सकती है. समाज में अभी भी औरत और मर्द की दोस्ती को सही नजरिए से नहीं देखा जाता है. उसे चरित्रहीनता से जोड़ कर देखा जाता है. अब इस तरह की सोच बदलनी चाहिए.

सोच बदल कर आगे बढ़ रही औरतें

लड़कियों की पढ़ाई के आंकड़ों के बाद भी देखा जाता है कि पढा़ई के बाद नौकरियों में उन का स्थान काफी पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि केवल 29% लड़कियां नौकरी में आती हैं. सिविल सेवा में लड़कियों का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले काफी पीछे है. आईएएस में 13%, आईपीएस में 5%, आईएफएस में 13% और आईआरएस में 7% महिलाओं की संख्या है. हर 20 में से केवल 3 महिला अफसर हैं. 1991 में नौकरीपेशा महिलाओं की संख्या 33.7% थी.

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2012 में यह घट कर 29 फीसदी ही रह गई. भारत में स्नातक करने वाली केवल

22 फीसदी लड़कियां ही नौकरी करती हैं. इस की मुख्य वजह यह है कि लड़कियों को आज भी पीछे रखने का काम किया जाता है. सामाजिक सोच है कि लड़कियों को केवल शादी तक की शिक्षा दी जाए. इस के बाद जैसा उस की ससुराल वाले चाहे करें. लड़की ससुराल और मायके के 2 पाटे में जिंदगी भर पिसती रहती है. जो लड़कियां अपनी सोच बदल रही हैं वे आगे बढ़ रही हैं. ऐसे में चतुर, स्मार्ट और सुंदर पत्नियों के पतियों को भी अपने विचार बदलने पड़ते हैं.

आईआईएम जैसी जगहों में भी लड़कियां काफी पीछे हैं. 2015-17 के बैच में ऐडमिशन लेने वाली लड़कियों की संख्या 31 फीसदी घट गई है. आईआईएम अहमदाबाद में इस साल केवल 14 फीसदी लड़कियों ने ही प्रवेश लिया जबकि पिछले साल लड़कियों की संख्या 29 फीसदी थी. स्नातक करने वाली लड़कियों में इंजीनियरिंग में 29 फीसदी, कंप्यूटर साइंस में 37 फीसदी, मैनेजमैंट में 32 फीसदी और कानून में 32 फीसदी लड़कियां होती हैं. इस के उलट सीबीएससी बोर्ड की परीक्षा के आंकड़े देखें तो लड़कियों का दबदबा साफ दिखता है. 2012 से ले कर 2015 तक की बोर्ड परीक्षाओं को देखें तो लगेगा कि लड़कियों ने हर साल लड़कों को पीछे छोड़ा है. इन परीक्षाओं में पास होने वाले लड़कों का प्रतिशत 77.77 रहा तो लड़कियों का 87.57.

पति की चाह पर आप की न क्यों?

हिंदी फिल्म ‘की एंड का’ में गृहिणी की भूमिका निभा रहा नायक पति की भूमिका निभा रही नायिका से रात में बिस्तर पर कहता है कि आज नहीं डार्लिंग, आज मेरे सिर में दर्द है. तात्पर्य यह कि यदि लड़का पत्नी की भूमिका निभाएगा, तो सैक्स के नाम पर उस के भी सिर में दर्द उठेगा. ऐसा क्यों होता है कि पति की तुलना में पत्नी को संभोग के प्रति थोड़ा ठंडा माना जाता है? सिरदर्द की बात चाहे बहाने के रूप में हो या सचाई, निकलती पत्नी के मुख से ही है. क्या वाकई सहवास का जिक्र पत्नियों के सिर में दर्द कर देता है? यदि पत्नी के मन में अपने पति के प्रति आकर्षण या प्रेम में कुछ कमी है, तो रोमांटिक होना कष्टदाई हो सकता है. लेकिन जब नानुकुर बिना किसी ठोस कारण हो तब?

मर्द और औरत की सोच का फर्क

सैक्स के मामले में मर्द और औरत भिन्न हैं. एक ओर जहां मर्द का मन स्त्री की शारीरिक संरचना के ध्यान मात्र से उत्तेजित हो उठता है, वहीं एक स्त्री को भावनात्मक जुड़ाव तथा अपने पार्टनर पर विश्वास सहवास की ओर ले जाता है. एक स्त्री के लिए संभोग केवल शारीरिक नहीं अपितु मानसिक और भावनात्मक स्तर पर होता है. पुरानी हिंदी फिल्म ‘अनामिका’ का गाना ‘बांहों में चले आओ…’ हो या नई फिल्म ‘रामलीला’ का गाना ‘अंग लगा दे…’ ऐसे कितने ही गाने इस विषय को उजागर करते हैं. जो पत्नियां अपने पति से प्यार करती हैं और उन पर विश्वास रखती हैं, उन के लिए संभोग तीव्र अंतरंगता और खुशी को अनुभव करने का जरीया बन जाता है. किंतु जिन पतिपत्नी का रिश्ता द्वेष, ईर्ष्या और अनबन का शिकार होता है वहां सहवास को अनैच्छिक रूप में या बदले के तौर पर महसूस किया जाता है. लेकिन कई बार हमारी अपनी मानसिकता, हमारे संस्कार, हमारी धारणाएं सैक्स को गलत रूप दे डालती हैं और हम अनजाने ही उसे नकारने लगते हैं. इस का इलाज संभव है और आसान भी.

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क्या कहता है शोध

ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के यौन चिकित्सा कार्यक्रम की निर्देशिका डा. रोसमैरी बेसन कहती हैं कि स्त्रियों में यौनसंतुष्टि से जुड़ी सब से बड़ी शिकायत उन में इच्छा, उत्तेजना और यौन संतुष्टि की कमी होती है.

एक और खास मुद्दा लैंगिक विभिन्नता का है. जहां एक ओर एकतिहाई औरतों में मर्दों से अधिक कामुकता होती है, वहीं दूसरी ओर दोतिहाई जोड़ों में मर्दों की कामप्रवृत्ति औरतों से ज्यादा होती है. इसी कारण ऐसे जोड़े में एक स्त्री को कामोत्तेजित पुरुष की वजह से अपनी कामेच्छा को अनुभव करने का मौका नहीं मिल पाता है.

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की डा. लौरी मिंज अपनी पुस्तक ‘अ टायर्ड विमंस गाइड टु पैशिनेट सैक्स,’ में बताती हैं कि जहां औरतों की कामप्रवृत्ति अधिक होती है, वहां भी रोजमर्रा की गृहस्थी संबंधी जिम्मेदारियों के कारण वे कामोत्तेजना तथा यौनसंतुष्टि नहीं भोग पाती हैं.

भारतीय कानून का नजरिया

जो पत्नी बिना कारण अपने पति को लगातार सैक्स से वंचित रखती है या सिर्फ अपनी मरजी से ही संबंध स्थापित करना चाहती है, उसे खुदगर्ज कहना अनुचित न होगा. भारतीय कोर्ट पति या पत्नी द्वारा बिना कारण लंबे समय तक अपने पार्टनर को सैक्स से वंचित रखने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कोर्ट ने सुनवाई में इस दलील पर तलाक तक की मंजूरी दे दी. अप्रैल, 2005 में पति केशव ने मद्रास हाई कोर्ट में पत्नी सविता के खिलाफ लंबे समय तक अंतरंग संबंध स्थापित न करने देने पर तलाक की मांग की, जिस की उसे मंजूरी मिल गई. मद्रास हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ पत्नी सविता सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां न्यायाधीश ज्योति मुखोपाध्याय एवं न्यायाधीश प्रफुल पंत ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को सही बताते हुए कहा कि बिना किसी ठोस कारण तथा बिना किसी शारीरिक दुर्बलता के यदि कोई अपने पति या पत्नी को लंबे समय तक संबंध स्थापित नहीं करने देता है तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में गिना जाता है. उन के शब्दों में, मानसिक क्रूरता शरीरिक चोट से अधिक आघात पहुंचा सकती है.

अतीत में झांक लें

मालिनी के एक रिश्तेदार ने उस के साथ दुष्कर्म करते समय उस का बाल उम्र का लिहाज नहीं किया. नतीजा यह रहा कि आज भी अपने पति के निकट जाते हुए उसे लगता है जैसे उस के शरीर पर वही लिजलिजे हाथ जबरदस्ती कर रहे हों. सैक्स को वह अपने पत्नी फर्ज की तरह निभाती है न कि अपने पति के साथ बिताए उन प्रेमालाप पलों को पूर्णरूप से जीती है. क्या आप के अतीत में ऐसा कुछ हुआ था, जिस की छाया आप के वर्तमान पर गहरी छाई है? हो सकता है पुराने किसी बुरे अनुभव के कारण आप आज संभोग से घबराती हों. यदि आप के अतीत में हनन या दुर्व्यवहार का ऐसा कोई अनुभव है, जिस से संबंध बनाते समय आप खुश नहीं रह पाती हैं तो आप को जल्द से जल्द प्रोफैशनल मदद लेनी चाहिए और स्वयं को अपने उस बुरे अतीत से मुक्त करना चाहिए.

शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाएं

कभीकभी शारीरिक समस्या जैसे हारमोनल इंबैलैंस के कारण भी स्त्री का मन सैक्स से उचट सकता है. यदि आप को स्वयं में सैक्स के प्रति अरुचि का कारण भावना से अधिक शारीरिक जवाबदेही की कमी लगती है तो आप को यौनरोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए. वे और भी परेशानियों से मुक्ति दिला सकते हैं जैसे चरमोत्कर्ष पर न पहुंच पाना, स्नेह की कमी, पीडा़दायक सहवास, आप के द्वारा खाई गई कुछ ऐसी दवाएं, जिन के कारण आप में यौन ड्राइव की कमी आई हो इत्यादि.

हमसफर के साथ को करें ऐंजौय

‘‘तुम्हारे साथ होते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं एक लाश के साथ हूं,’’ अंतरंग क्षणों में कभी पत्नी की तरह से कोई रिस्पौंस न मिलने पर अमित के मुंह से निकल गया. यदि पत्नी कभी प्यार में पहल नहीं करेगी तो पति को ही पहल करनी पड़ेगी. इस का परिणाम यह होगा कि पति असुरक्षित भावना का शिकार हो जरूरत से अधिक पहल करने लगेगा और इस का नतीजा यह हो सकता है कि पत्नी, पति की आवश्यकता से अधिक पहल पर उस से और दूर होती जाए. यदि पति को आश्वासन हो कि पत्नी भी पहल करेगी या उस की पहल पर पौजिटिव रिस्पौंस देगी तो वह धैर्य के साथ पत्नी के तैयार होने का इंतजार कर सकता है.

जब एक पत्नी सिर्फ ग्रहण नहीं करती, बल्कि शुरुआत भी करती है तो वह सैक्स को एक जबरदस्ती, जिम्मेदारी या दबाव के रूप में न देख कर आपसी मेल के रूप में देख पाती है.

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किताबें काफी मददगार

अधिकतर परिवारों से मिले संस्कार ऐसे होते हैं, जिन के कारण लड़कियां संभोग को गलत या वर्जित मानती हैं और इसी कारण विवाहोपरांत भी वे इस विषय पर खुल नहीं पातीं. अपनी इस हिचक को दूर करने के लिए ‘गाइड टु गैटिंग इट औन, ‘द गुड गर्ल्स गाइड टू ग्रेट सैक्स’ आदि किताबें पढ़ सकती हैं.

सैक्सुअल थेरैपी भी लाभकारी

कई बार केवल स्वयं कदम उठाना काफी नहीं होता. यदि आप को स्वस्थ  वैवाहिक जीवन जीने में असुविधा हो रही है तो आप प्रोफैशनल मदद के बारे में सोच सकती हैं. सैक्सुअल थेरैपी में एकदम शुरू से आरंभ किया जाता है. जैसे आप दोनों पहली बार मिल रहे हैं. जोड़ों में धीरधीरे रिश्ता कायम कराया जाता है. स्टैप बाई स्टैप सैक्स की ओर ले जाते हैं. हो सकता है कि आप के पति ऐसे प्रोग्राम में जाने को तैयार न हों. ऐसे में आप अकेले भी ऐसे प्रोग्राम का लाभ उठा सकती हैं. आप देखेंगी कि काउंसलर की मदद से आप न केवल सैक्स से संबंधित कितनी ही समस्याओं

का समाधान खोज पाएंगी, बल्कि अपने पति से इस विषय में बात करना भी आप के लिए आसान हो जाएगा.

समाज में आ रहे लगातार बदलाव से लिंग भूमिका व कामुकता में भी बदलाव आ रहे हैं. संभोग कोई ऐसा कार्य नहीं जो मर्द औरत के लिए करेगा या औरत मर्द के लिए. संभोग में समान रूप से भागीदारी करें.

वैवाहिक सुख की ओर मिल कर बढ़ाएं कदम

यदि हर बार आप को अपने पति का अंतरंग साथ बेचैनी की भावना की ओर धकेलता है, तो आप को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिन से आप दोनों को वैवाहिक सुख की प्राप्ति हो सके. यह समस्या संवेदनशील अवश्य है, किंतु इसे सुलझाना कठिन नहीं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे स्टैप्स जिन्हें आप आसानी से फौलो कर सकती हैं और इस में आप के पति भी यकीनन आप का साथ देंगे:

– हो सकता है कि रिश्ते की शुरुआत में कुछ समय के लिए आप वैवाहिक सुख के लिए तैयार न हों, लेकिन यदि आप के पति यह जानते हैं कि आप का उद्देश्य कम सैक्स नहीं, अपितु पूरे जीवन के लिए ज्यादा व बेहतर सैक्स है, तो वे आप की बात से सहमत होंगे. उन्हें आप के साथ इस विषय पर बातचीत करने, किताबें पढ़ने या किसी काउंसलर से मिलने में भी आपत्ति नहीं होगी. लेकिन यदि उन्हें आपत्ति हो तो आप अकेली ही काउंसलर से मिल कर इस समस्या का हल खोजने का प्रयास करें.

– कोई ऐसी बात या कोई ऐसी चीज जिस के कारण आप का अपने पति के निकट आना मुश्किल हो जाता हो जैसे उन के शरीर से आ रही पसीने की बू, उन के मुंह से आ रही गंध आदि के बारे में उन्हें अवश्य अवगत कराएं, क्योंकि ये छोटीछोटी बातें भी अंतरंग क्षणों पर असर डालती हैं.

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