अंतहीन : कौनसी अफवाह ने बदल दी गुंजन और उसके पिता की जिंदगी?

रामदयाल क्लब के लिए निकल ही रहे थे कि फोन की घंटी बजी. उन के फोन पर ‘हेलो’ कहते ही दूसरी ओर से एक महिला स्वर ने पूछा, ‘‘आप गुंजन के पापा बोल रहे हैं न, फौरन मैत्री अस्पताल के आपात- कालीन विभाग में पहुंचिए. गुंजन गंभीर रूप से घायल हो गया है और वहां भरती है.’’

इस से पहले कि रामदयाल कुछ बोल पाते फोन कट गया. वे जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचना चाह रहे थे पर उन्हें यह शंका भी थी कि कोई बेवकूफ न बना रहा हो क्योंकि गुंजन तो इस समय आफिस में जरूरी मीटिंग में व्यस्त रहता है और मीटिंग में बैठा व्यक्ति भला कैसे घायल हो सकता है?

गुंजन के पास मोबाइल था, उस ने नंबर भी दिया था मगर मालूम नहीं उन्होंने कहां लिखा था. उन्हें इन नई चीजों में दिलचस्पी भी नहीं थी… तभी फिर फोन की घंटी बजी. इस बार गुंजन के दोस्त राघव का फोन था.

‘‘अंकल, आप अभी तक घर पर ही हैं…जल्दी अस्पताल पहुंचिए…पूछताछ का समय नहीं है अंकल…बस, आ जाइए,’’ इतना कह कर उस ने भी फोन रख दिया.

ड्राइवर गाड़ी के पास खड़ा रामदयाल का इंतजार कर रहा था. उन्होंने उसे मैत्री अस्पताल चलने को कहा. अस्पताल के गेट के बाहर ही राघव खड़ा था, उस ने हाथ दे कर गाड़ी रुकवाई और ड्राइवर की साथ वाली सीट पर बैठते हुए बोला, ‘‘सामने जा रही एंबुलैंस के पीछे चलो.’’

‘‘एम्बुलैंस कहां जा रही है?’’ रामदयाल ने पूछा.

‘‘ग्लोबल केयर अस्पताल,’’ राघव ने बताया, ‘‘मैत्री वालों ने गुंजन की सांसें चालू तो कर दी हैं पर उन्हें बरकरार रखने के साधन और उपकरण केवल ग्लोबल वालों के पास ही हैं.’’

‘‘गुंजन घायल कैसे हुआ राघव?’’ रामदयाल ने भर्राए स्वर में पूछा.

‘‘नेहरू प्लैनेटोरियम में किसी ने बम होने की अफवाह उड़ा दी और लोग हड़बड़ा कर एकदूसरे को रौंदते हुए बाहर भागे. इसी हड़कंप में गुंजन कुचला गया.’’

‘‘गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम में क्या कर रहा था?’’ रामदयाल ने हैरानी से पूछा.

‘‘गुंजन तो रोज की तरह प्लैनेटोरियम वाली पहाड़ी पर टहल रहा था…’’

‘‘क्या कह रहे हो राघव? गुंजन रोज नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर टहलने जाता था?’’

अब चौंकने की बारी राघव की थी इस से पहले कि वह कुछ बोलता, उस का मोबाइल बजने लगा.

‘‘हां तनु… मैं गुंजन के पापा की गाड़ी में तुम्हारे पीछेपीछे आ रहा हूं…तुम गुंजन के साथ मेडिकल विंग में जाओ, काउंटर पर पैसे जमा करवा कर मैं भी वहीं आता हूं,’’ राघव रामदयाल की ओर मुड़ा, ‘‘अंकल, आप के पास क्रेडिट कार्ड तो है न?’’

‘‘है, चंद हजार नकद भी हैं…’’

‘‘चंद हजार नकद से कुछ नहीं होगा अंकल,’’ राघव ने बात काटी, ‘‘काउंटर पर कम से कम 25 हजार तो अभी जमा करवाने पड़ेंगे, फिर और न जाने कितना मांगें.’’

‘‘परवा नहीं, मेरा बेटा ठीक कर दें, बस. मेरे पास एटीएम कार्ड भी है, जरूरत पड़ी तो घर से चेकबुक भी ले आऊंगा,’’ रामदयाल राघव को आश्वस्त करते हुए बोले.

ग्लोबल केयर अस्पताल आ गया था, एंबुलैंस को तो सीधे अंदर जाने दिया गया लेकिन उन की गाड़ी को दूसरी ओर पार्किंग में जाने को कहा.

‘‘हमें यहीं उतार दो, ड्राइवर,’’ राघव बोला.

दोनों भागते हुए एंबुलैंस के पीछे गए लेकिन रामदयाल को केवल स्ट्रेचर पर पड़े गुंजन के बाल और मुंह पर लगा आक्सीजन मास्क ही दिखाई दिया. राघव उन्हें काउंटर पर पैसा जमा कराने के लिए ले गया और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों इमरजेंसी वार्ड की ओर चले गए.

इमरजेंसी के बाहर एक युवती डाक्टर से बात कर रही थी. राघव और रामदयाल को देख कर उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘गुंजन के पापा आ गए हैं, बे्रन सर्जरी के बारे में यही निर्णय लेंगे.’’

डाक्टर ने बताया कि गुंजन का बे्रन स्कैनिंग हो रहा है मगर उस की हालत से लगता है उस के सिर में अंदरूनी चोट आने की वजह से खून जम गया है और आपरेशन कर के ही गांठें निकालनी पड़ेंगी. मुश्किल आपरेशन है, जानलेवा भी हो सकता है और मरीज उम्र भर के लिए सोचनेसमझने और बोलने की शक्ति भी खो सकता है. जब तक स्कैनिंग की रिपोर्ट आती है तब तक आप लोग निर्णय ले लीजिए.

यह कह कर और आश्वासन में युवती का कंधा दबा कर वह अधेड़ डाक्टर चला गया. रामदयाल ने युवती की ओर देखा, सुंदर स्मार्ट लड़की थी. उस के महंगे सूट पर कई जगह खून और कीचड़ के धब्बे थे, चेहरा और दोनों हाथ छिले हुए थे, आंखें लाल और आंसुओं से भरी हुई थीं. तभी कुछ युवक और युवतियां बौखलाए हुए से आए. युवकों को रामदयाल पहचानते थे, गुंजन के सहकर्मी थे. उन में से एक प्रभव तो कल रात ही घर पर आया था और उन्होंने उसे आग्रह कर के खाने के लिए रोका था. लेकिन प्रभव उन्हें अनदेखा कर के युवती की ओर बढ़ गया.

‘‘यह सब कैसे हुआ, तनु?’’

‘‘मैं और गुंजन सूर्यास्त देख कर पहाड़ी से नीचे उतर रहे थे कि अचानक चीखतेचिल्लाते लोग ‘भागो, बम फटने वाला है’ हमें धक्का देते हुए नीचे भागे. मैं किनारे की ओर थी सो रेलिंग पर जा कर गिरी लेकिन गुंजन को भीड़ की ठोकरों ने नीचे ढकेल दिया. उसे लुढ़कता देख कर मैं रेलिंग के सहारे नीचे भागी. एक सज्जन ने, जो हमारे साथ सूर्यास्त देख कर हम से आगे नीचे उतर रहे थे, गुंजन को देख लिया और लपक कर किसी तरह उस को भीड़ से बाहर खींचा. तब तक गुंजन बेहोश हो चुका था. उन्हीं सज्जन ने हम लोगों को अपनी गाड़ी में मैत्री अस्पताल पहुंचाया.’’

‘‘गुंजन की गाड़ी तो आफिस में खड़ी है, तेरी गाड़ी कहां है?’’ एक युवती ने पूछा.

‘‘प्लैनेटोरियम की पार्किंग में…’’

‘‘उसे वहां से तुरंत ले आ तनु, लावारिस गाड़ी समझ कर पुलिस जब्त कर सकती है,’’ एक युवक बोला.

‘‘अफवाह थी सो गाड़ी तो खैर जब्त नहीं होगी, फिर भी प्लैनेटोरियम बंद होने से पहले तो वहां से लानी ही पड़ेगी,’’ राघव ने कहा.

‘‘मैत्री से गुंजन का कोट भी लेना है, उस में उस का पर्स, मोबाइल आदि सब हैं मगर मैं कैसे जाऊं?’’ तनु ने असहाय भाव से कहा, ‘‘तुम्हीं लोग ले आओ न, प्लीज.’’

‘‘लेकिन हमें तो कोई गुंजन का सामान नहीं देगा और हो सकता है गाड़ी के बारे में भी कुछ पूछताछ हो,’’ प्रभव ने कहा, ‘‘तुम्हें भी साथ चलना पड़ेगा, तनु.’’

‘‘गुंजन को इस हाल में छोड़ कर?’’ तनु ने आहत स्वर में पूछा.

‘‘गुंजन को तुम ने सही हाथों में सौंप दिया है तनु और फिलहाल सिवा डाक्टरों के उस के लिए कोई और कुछ नहीं कर सकता. तुम्हारी परेशानी और न बढ़े इसलिए तुम गुंजन का सामान और अपनी गाड़ी लेने में देर मत करो,’’ राघव ने कहा.

‘‘ठीक है, मैं दोनों काम कर के 15-20 मिनट में आ जाऊंगी.’’

‘‘यहां आ कर क्या करोगी तनु? न तो तुम अभी गुंजन से मिल सकती हो और न उस के इलाज के बारे में कोई निर्णय ले सकती हो. अपनी चोटों पर भी दवा लगवा कर तुम घर जा कर आराम करो,’’ राघव ने कहा, ‘‘यहां मैं और प्रभव हैं ही. रजत, तू इन लड़कियों के साथ चला जा और सीमा, मिन्नी तुम में से कोई आज रात तनु के साथ रह लो न.’’

‘‘उस की फिक्र मत करो राघव, मगर तनु को गुंजन के हाल से बराबर सूचित करते रहना,’’ कह कर दोनों युवतियां और रजत तनु को ले कर बगैर रामदयाल की ओर देखे चले गए.

गुंजन की चिंता में त्रस्त रामदयाल सोचे बिना न रह सके कि गुंजन के बाप का तो खयाल नहीं, मगर उस लड़की की चिंता में सब हलकान हुए जा रहे हैं. उन के दिल में तो आया कि वह राघव और प्रभव से भी जाने को कहें मगर इन हालात में न तो अकेले रहने की हिम्मत थी और फिलहाल न ही किसी रिश्तेदार या दोस्त को बुलाने की, क्योंकि सब का पहला सवाल यही होगा कि गुंजन नेहरू प्लैनेटोरियम की पहाड़ी पर शाम के समय क्या कर रहा था जबकि गुंजन ने सब को कह रखा था कि 6 बजे के बाद वह बौस के साथ व्यस्त होता है इसलिए कोई भी उसे फोन न किया करे.

रामदयाल तो समझ गए थे कि कहां किस बौस के साथ, वह व्यस्त होता था मगर लोगों को तो कोई माकूल वजह ही बतानी होगी जो सोचने की मनोस्थिति में वह अभी नहीं थे.

तभी उन्हें वरिष्ठ डाक्टर ने मिलने को बुलाया. रौंदे जाने और लुढ़कने के कारण गुंजन को गंभीर अंदरूनी चोटें आई थीं और उस की बे्रन सर्जरी फौरन होनी चाहिए थी. रामदयाल ने कहा कि डाक्टर, आप आपरेशन की तैयारी करें, वह अभी एटीएम से पैसे निकलवा कर काउंटर पर जमा करवा देते हैं.

प्रभव उन्हें अस्पताल के परिसर में बने एटीएम में ले गया. जब वह पैसे निकलवा कर बाहर आए तो प्रभव किसी से फोन पर बात कर रहा था… ‘‘आफिस के आसपास के रेस्तरां में कब तक जाते यार? उन दोनों को तो एक ऐसी सार्वजनिक मगर एकांत जगह चाहिए जहां वे कुछ देर शांति से बैठ कर एकदूसरे का हाल सुनसुना सकें. नेहरू प्लैनेटोरियम आफिस के नजदीक भी है और उस के बाहर रूमानी माहौल भी. शादी अभी तो मुमकिन नहीं है…गुंजन की मजबूरियों के कारण…विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है…हां, सीमा या मिन्नी से बात कर ले.’’

उन्हें देख कर प्रभव ने मोबाइल बंद कर दिया.

पैसे जमा करवाने के बाद राघव और प्रभव ने उन्हें हाल में पड़ी कुरसियों की ओर ले जा कर कहा, ‘‘अंकल, आप बैठिए. हम गुंजन के बारे में पता कर के आते हैं.’’

रामदयाल के कानों में प्रभव की बात गूंज रही थी, ‘शादी अभी तो मुमकिन नहीं है, गुंजन की मजबूरियों के कारण. विधुर पिता के प्रति इकलौते बेटे की जिम्मेदारियां और लगाव कुछ ज्यादा ही होता है.’ लगाव वाली बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता था लेकिन प्रेमा की मृत्यु के बाद जब प्राय: सभी ने उस से कहा था कि पिता और घर की देखभाल अब उस की जिम्मेदारी है, इसलिए उसे शादी कर लेनी चाहिए तो गुंजन ने बड़ी दृढ़ता से कहा था कि घर संभालने के लिए तो मां से काम सीखे पुराने नौकर हैं ही और फिलहाल शादी करना पापा के साथ ज्यादती होगी क्योंकि फुरसत के चंद घंटे जो अभी सिर्फ पापा के लिए हैं फिर पत्नी के साथ बांटने पड़ेंगे और पापा बिलकुल अकेले पड़ जाएंगे. गुंजन का तर्क सब को समझ में आया था और सब ने उस से शादी करने के लिए कहना छोड़ दिया था.

तभी प्रभव और राघव आ गए.

‘‘अंकल, गुंजन को आपरेशन के लिए ले गए हैं,’’ राघव ने बताया. ‘‘आपरेशन में काफी समय लगेगा और मरीज को होश आने में कई घंटे. हम सब को आदेश है कि अस्पताल में भीड़ न लगाएं और घर जाएं, आपरेशन की सफलता की सूचना आप को फोन पर दे दी जाएगी.’’

‘‘तो फिर अंकल घर ही चलिए, आप को भी आराम की जरूरत है,’’ प्रभव बोला.

‘‘हां, चलो,’’ रामदयाल विवश भाव से उठ खड़े हुए, ‘‘तुम्हें कहां छोड़ना होगा, राघव?’’

‘‘अभी तो आप के साथ ही चल रहे हैं हम दोनों.’’

‘‘नहीं बेटे, अभी तो आस की किरण चमक रही है, उस के सहारे रात कट जाएगी. तुम दोनों भी अपनेअपने घर जा कर आराम करो,’’ रामदयाल ने राघव का कंधा थपथपाया.

हालांकि गुंजन हमेशा उन के लौटने के बाद ही घर आता था लेकिन न जाने क्यों आज घर में एक अजीब मनहूस सा सन्नाटा फैला हुआ था. वह गुंजन के कमरे में आए. वहां उन्हें कुछ अजीब सी राहत और सुकून महसूस हुआ. वह वहीं पलंग पर लेट गए.

तकिये के नीचे कुछ सख्त सा था, उन्होंने तकिया हटा कर देखा तो एक सुंदर सी डायरी थी. उत्सुकतावश रामदयाल ने पहला पन्ना पलट कर देखा तो लिखा था, ‘वह सब जो चाह कर भी कहा नहीं जाता.’ गुंजन की लिखावट वह पहचानते थे. उन्हें जानने की जिज्ञासा हुई कि ऐसा क्या है जो गुंजन जैसा वाचाल भी नहीं कह सकता?

किसी अन्य की डायरी पढ़ना उन की मान्यताआें में नहीं था लेकिन हो सकता है गुंजन ने इस में वह सब लिखा हो यानी उस मजबूरी के बारे में जिस का जिक्र प्रभव कर रहा था. उन्होंने डायरी के पन्ने पलटे. शुरू में तो तनूजा से मुलाकात और फिर उस की ओर अपने झुकाव का जिक्र था. उन्होंने वह सब पढ़ना मुनासिब नहीं समझा और सरसरी निगाह डालते हुए पन्ने पलटते रहे. एक जगह ‘मां’ शब्द देख कर वह चौंके. रामदयाल को गुंजन की मां यानी अपनी पत्नी प्रेमा के बारे में पढ़ना उचित लगा.

‘वैसे तो मुझे कभी मां के जीवन में कोई अभाव या तनाव नहीं लगा, हमेशा खुश व संतुष्ट रहती थीं. मालूम नहीं मां के जीवनकाल में पापा उन की कितनी इच्छाआें को सर्वाधिक महत्त्व देते थे लेकिन उन की मृत्यु के बाद तो वही करते हैं जो मां को पसंद था. जैसे बगीचे में सिर्फ सफेद फूलों के पौधे लगाना, कालीन को हर सप्ताह धूप दिखाना, सूर्यास्त होते ही कुछ देर को पूरे घर में बिजली जलाना आदि.

‘मुझे यकीन है कि मां की इच्छा की दुहाई दे कर पापा सर्वगुण संपन्न और मेरे रोमरोम में बसी तनु को नकार देंगे. उन से इस बारे में बात करना बेकार ही नहीं खतरनाक भी है. मेरा शादी का इरादा सुनते ही वह उत्तर प्रदेश की किसी अनजान लड़की को मेरे गले बांध देंगे. तनु मेरी परेशानी समझती है मगर मेरे साथ अधिक से अधिक समय गुजारना चाहती है. उस के लिए समय निकालना कोई समस्या नहीं है लेकिन लोग हमें एकसाथ देख कर उस पर छींटाकशी करें यह मुझे गवारा नहीं है.’

रामदयाल को याद आया कि जब उन्होंने लखनऊ की जायदाद बेच कर यह कोठी बनवानी चाही थी तो प्रेमा ने कहा था कि यह शहर उसे भी बहुत पसंद है मगर वह उत्तर प्रदेश से नाता तोड़ना नहीं चाहती. इसलिए वह गुंजन की शादी उत्तर प्रदेश की किसी लड़की से ही करेगी. उन्होंने प्रेमा को आश्वासन दिया था कि ऐसा करना भी चाहिए क्योंकि उन के परिवार की संस्कृति और मान्यताएं तो उन की अपनी तरफ की लड़की ही समझ सकती है.

गुंजन का सोचना भी सही था, तनु से शादी की इजाजत वह आसानी से देने वाले तो नहीं थे. लेकिन अब सब जानने के बाद वह गुंजन के होश में आते ही उस से कहेंगे कि वह जल्दीजल्दी ठीक हो ताकि उस की शादी तनु से हो सके.

अगली सुबह अखबार में घायलों में गुंजन का नाम पढ़ कर सभी रिश्तेदार और दोस्त आने शुरू हो गए थे. अस्पताल से आपरेशन सफल होने की सूचना भी आ गई थी फिर वह अस्पताल जा कर वरिष्ठ डाक्टर से मिले थे.

‘‘मस्तिष्क में जितनी भी गांठें थीं वह सफलता के साथ निकाल दी गई हैं और खून का संचार सुचारुरूप से हो रहा है लेकिन गुंजन की पसलियां भी टूटी हुई हैं और उन्हें जोड़ना बेहद जरूरी है लेकिन दूसरा आपरेशन मरीज के होश में आने के बाद करेंगे. गुंजन को आज रात तक होश आ जाएगा,’’ डाक्टर ने कहा, ‘‘आप फिक्र मत कीजिए, जब हम ने दिमाग का जटिल आपरेशन सफलतापूर्वक कर लिया है तो पसलियों को भी जोड़ देंगे.’’

शाम को अपने अन्य सहकर्मियों के साथ तनुजा भी आई थी. बेहद विचलित और त्रस्त लग रही थी. रामदयाल ने चाहा कि वह अपने पास बुला कर उसे दिलासा और आश्वासन दें कि सब ठीक हो जाएगा लेकिन रिश्तेदारों की मौजूदगी में यह मुनासिब नहीं था.

पसलियों के टूटने के कारण गुंजन के फेफड़ों से खून रिसना शुरू हो गया था जिस के कारण उस की संभली हुई हालत फिर बिगड़ गई और होश में आ कर आंखें खोलने से पहले ही उस ने सदा के लिए आंखें मूंद लीं.

अंत्येष्टि के दिन रामदयाल को आएगए को देखने की सुध नहीं थी लेकिन उठावनी के रोज तनु को देख कर वह सिहर उठे. वह तो उन से भी ज्यादा व्यथित और टूटी हुई लग रही थी. गुंजन के अन्य सहकर्मी और दोस्त भी विह्वल थे, उन्होंने सब को दिलासा दिया. जनममरण की अनिवार्यता पर सुनीसुनाई बातें दोहरा दीं.

सीमा के साथ खड़ी लगातार आंसू पोंछती तनु को उन्होंने चाहा था पास बुला कर गले से लगाएं और फूटफूट कर रोएं. उन की तरह उस का भी तो सबकुछ लुट गया था. वह उस की ओर बढ़े भी लेकिन फिर न जाने क्या सोच कर दूसरी ओर मुड़ गए.

कुछ दिनों के बाद एक इतवार की सुबह राघव गुंजन का कोट ले कर आया.

‘‘इस की जेब में गुंजन की घड़ी और पर्स वगैरा हैं. अंकल, संभाल लीजिए,’’ कहते हुए राघव का स्वर रुंध गया.

कुछ देर के बाद संयत होने पर उन्होंने पूछा, ‘‘यह तुम्हें कहां मिला, राघव?’’

‘‘तनु ने दिया है.’’

‘‘तनु कैसी है?’’

‘‘कल ही उस की बहन उसे अपने साथ पुणे ले गई है, जगह और माहौल बदलने के लिए. यहां तो बम होने की अफवाहों को सुन कर वह बारबार उन्हीं यादों में चली जाती थी और यह सिलसिला यहां रुकने वाला नहीं है. तनु के बहनोई उस के लिए पुणे में ही नौकरी तलाश कर रहे हैं.’’

‘‘नौकरी ही नहीं कोई अच्छा सा लड़का भी उस के लिए तलाश करें. अभी उम्र नहीं है उस की गुुंजन के नाम पर रोने की?’’

राघव चौंक पड़ा.

‘‘आप को तनु और गुंजन के बारे में मालूम है, अंकल?’’

‘‘हां राघव, मैं उस के दुख को शिद्दत से महसूस कर रहा था, उसे गले लगा कर रोना भी चाहता था लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या, अंकल? क्यों नहीं किया आप ने ऐसा? इस से तनु को अपने और गुंजन के रिश्ते की स्वीकृति का एहसास तो हो जाता.’’

‘‘मगर मेरे ऐसा करने से वह जरूर मुझ से कहीं न कहीं जुड़ जाती और मैं नहीं चाहता था कि मेरे जरिए गुंजन की यादों से जुड़ कर वह जीवन भर एक अंतहीन दुख में जीए.’’

अंकल शायद ठीक कहते हैं.

 

मरीचिका: बेटी की शादी क्यों नहीं करना चाहते थे मनोहरलाल?

रूपाली के पांव जमीन पर कहां पड़   रहे थे. आज उसे ऐसा लग रहा था मानो सारी खुशियां उस की झोली में आ गिरी थीं. स्कूलकालेज में रूपाली को बहुत मेधावी छात्रा नहीं समझा जाता था. इंजीनियरिंग में दाखिला भी उसे इसलिए मिल गया क्योंकि वहां छात्राओं के लिए आरक्षण का प्रावधान था. हां, दाखिला मिलने के बाद रूपाली ने पढ़ाई में अपनी सारी शक्ति झोंक दी थी. अंतिम वर्ष आतेआते उस की गिनती मेधावी छात्रों में होने लगी थी.

कालेज के अंतिम वर्ष में कैंपस चयन के दौरान अमेरिका की एक मल्टीनैशनल कंपनी ने उसे चुन लिया तो उस के हर्ष की सीमा न रही. कंपनी ने उसे प्रशिक्षण के लिए अमेरिका के अटलांटा स्थित अपने कार्यालय भेजा. वहां से प्रशिक्षण ले कर लौटने पर रूपाली को कंपनी ने उसी शहर में स्थित अपने कार्यालय में ही नियुक्त कर दिया. आसपास की कंपनियों में उस के कई मित्र व सहेलियां काम करते थे. कुछ ही दिनों बाद रूपाली का घनिष्ठ मित्र प्रद्योत भी उसी कंपनी में नियुक्ति पा कर आ गया तो उसे लगा कि जीवन में और कोई चाह रह ही नहीं गई है. 23 वर्ष की आयु में 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष का वेतन तथा अन्य सुविधाएं. प्रद्योत जैसा मित्र तथा मित्रों व संबंधियों द्वारा प्रशंसा की झड़ी. ऐसे में रूपाली के मातापिता भी कुछ कहने से पहले कई बार सोचते थे.

‘‘हमारी रूपाली तो बेटे से बढ़ कर है. पता नहीं लोग क्यों बेटी के जन्म पर आंसू बहाते हैं,’’ पिता गर्वपूर्ण स्वर में रूपाली की गौरवगाथा सुनाते हुए कहते. कंपनी 8 लाख रुपए सालाना वेतन देती थी तो काम भी जम कर लेती थी. रूपाली 7 बजे घर से निकलती तो घर लौटने में रात के 10 बज जाते थे. सप्ताहांत अगले सप्ताह की तैयारी में बीत जाता. फिर भी रूपाली और प्रद्योत सप्ताह में एक बार मिलने का समय निकाल ही लेते थे. मां वीणा और पिता मनोहर लाल को रूपाली व प्रद्योत के प्रेम संबंध की भनक लग चुकी थी. इसलिए उन्हें दिनरात यही चिंता सताती रहती थी कि कहीं ऐसा न हो कि कोई कुपात्र लड़का उन की कमाऊ बेटी को ले उड़े और वे देखते ही रह जाएं.

उधर अच्छी नौकरी मिलते ही विवाह के बाजार में रूपाली की मांग साधारण लड़कियों की तुलना में कई गुना बढ़ गई थी. अब उस के लिए विवाह प्रस्तावों की बाढ़ सी आने लगी थी. वीणा और मनोहर लाल का अधिकांश समय उन प्रस्तावों की जांचपरख में ही बीतता. समस्या यह थी कि जो भी प्रस्ताव आते उन की तुलना, जब वे अपनी बेटी के साथ करते तो तमाम प्रस्ताव उन्हें फीके जान पड़ते. ऐसे में रूपाली ने जब प्रद्योत के साथ  विवाह करने की बात उठाई तो मां  वीणा के साथ पिता मनोहर लाल भी भड़क उठे. ‘‘माना कि कालेज के समय से तुम प्रद्योत को जानती हो, पर तुम ने उस में ऐसा क्या देखा जो उस से विवाह करने की बात सोचने लगीं?’’ मनोहर लाल ने गरज कर पूछा.

‘‘पापा, उस में क्या नहीं है? वह सभ्य, सुसंस्कृत परिवार का है. उस का अच्छा व्यक्तित्व है. सब से बड़ी बात तो यह है कि वह हर क्षण मेरी सहायता को तत्पर रहता है और हम एकदूसरे को बहुत चाहते भी हैं.’’

‘‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपने बारे में इस प्रकार के निर्णय लेने की? कान खोल कर सुन लो, यदि तुम ने मनमानी की तो समझ लेना कि हम तुम्हारे लिए मर गए,’’ मनोहर लाल के तीखे स्वर ने रूपाली को बुरी तरह डरा दिया.

‘‘पापा, आप एक बार प्रद्योत से मिल तो लें, मुझे पूरा विश्वास है कि आप उस से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे.’’

‘‘इतना समझाने के बाद भी तुम ने प्रद्योत के नाम की रट लगा रखी है? वह न हमारी भाषा बोलता है न हमारे क्षेत्र का है. हमारे रीतिरिवाजों तक को नहीं जानता. एक साधारण से परिवार के प्रद्योत में तुम्हें बड़ी खूबियां नजर आ रही हैं. कमाता क्या है वह? तुम से आधा वेतन है उस का. हम तुम्हारी खुशी के लिए तुम्हारे छोटे भाईबहन का भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते,’’ मनोहर लाल का प्रलाप समाप्त हुआ तो रूपाली फूटफूट कर रो पड़ी. पिता का ऐसा रौद्ररूप उस ने पहले कभी नहीं देखा था.

मांदेर तक उस की पीठ पर हाथ फेर कर उसे चुप कराती रहीं, ‘‘तू तो मेरी बहुत समझदार बेटी है. ऐसे थोड़े ही रोते हैं. तेरे पापा तेरी भलाई के लिए ही कह रहे हैं. कल ही कह रहे थे कि हमारी रूपाली ऐसीवैसी नहीं है. 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष वेतन पाती है. वे तो ऐसा वर ढूंढ़ रहे हैं जो कम से कम 20 लाख प्रतिवर्ष कमाता हो.’’

‘‘मां, मैं भी पढ़ीलिखी हूं, अपने पैरों पर खड़ी हूं. जब आप ने मुझे हर क्षेत्र में स्वतंत्रता दी है तो अपना जीवनसाथी चुनने में क्यों नहीं देना चाहतीं?’’ रूपाली बिलख उठी थी.

‘‘क्योंकि हम तुम्हारा भला चाहते हैं. विवाह के बारे में उठाया गया तुम्हारा एक गलत कदम तुम्हारा जीवन तबाह कर देगा,’’ मां ने पुन: उसे समझाया.

मनोहर लाल ने भी पत्नी की हां में हां मिलाई.

‘‘आप का निर्णय सही ही होगा, इस का भरोसा आप दिला सकते हैं?’’ रूपाली आंसू पोंछ उठ खड़ी हुई.

‘‘देखा तुम ने?’’ मनोहर लाल बोले, ‘‘कितनी ढीठ हो गई है तुम्हारी बेटी. यह इस का ऊंचा वेतन बोल रहा है. अपने सामने तो किसी को कुछ समझती ही नहीं. पर मैं एक बात पूर्णतया स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अपनी इच्छा से इस ने विवाह किया तो मेरा मरा मुंह देखेगी.’’

‘‘रूपाली, मैं तुझ से अपने सुहाग की भीख मांगती हूं. तू ने कुछ ऐसावैसा किया तो तेरे छोटे भाईबहन अनाथ हो जाएंगे,’’ मां वीणा ने बड़े नाटकीय अंदाज में अपना आंचल फैला दिया.

उस दिन बात वहीं समाप्त हो गई. अब दोनों ही पक्षों को एकदूसरे की चाल की प्रतीक्षा थी. रूपाली अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गई. यों उस ने प्रद्योत को सबकुछ बता दिया था. अब प्रद्योत को अपने परिवार की चिंता सताने लगी थी. हो सकता है वे भी इस विवाह को स्वीकार न करें.

‘‘यदि मेरे मातापिता ने भी इस विवाह का विरोध किया तो हम क्या करेंगे, रूपाली?’’ प्रद्योत ने प्रश्न किया.

‘‘विवाह नहीं करेंगे और क्या. तुम्हें नहीं लगता कि अभी हमें 4-5 वर्ष और प्रतीक्षा करनी चाहिए. शायद तब तक हमारे मातापिता भी हमारी पसंद को स्वीकार करने को तैयार हो जाएं,’’ रूपाली ने स्पष्ट किया.

‘‘तुम ठीक कहती हो. सच कहूं, तो मैं ने अभी तक विवाह के बारे में सोचा ही नहीं है,’’ प्रद्योत ने उस की हां में हां मिलाई तो रूपाली एक क्षण के लिए चौंकी अवश्य थी फिर एक फीकी सी मुसकान फेंक कर उठ खड़ी हुई.

उस के मातापिता का वरखोजी अभियान पूरे जोरशोर से चल रहा था. उन की 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष वेतन पाने वाली बेटी के लिए योग्य वर जुटाना इतना सरल थोड़े ही था. अधिकतर तो उन के मापदंडों पर खरे ही नहीं उतरते थे. जो उन्हें पसंद आते उन के समक्ष इतनी शर्तें रख दी जातीं कि वे भाग खड़े होते. कोई 1-2 ठोकबजा कर देखने पर खरे उतरते तो उन्हें ई-मेल, पता आदि दे कर रूपाली से संपर्क करने की अनुमति मिलती.

अपने एक दूर के संबंधी के पुत्र मधुकर को मनोहर लाल ने भावी वरों की सूची में सब से ऊपर रखा था. इस बीच प्रद्योत को एक अन्य कंपनी में नौकरी मिल गई थी और वह शहर छोड़ कर चला गया था.

मनोहर लाल ने मधुकर के मातापिता से स्पष्ट कह दिया था कि उन की लाड़ली बेटी रूपाली हैदराबाद छोड़ कर मुंबई नहीं जाएगी. मधुकर को ही मुंबई छोड़ कर हैदराबाद आना पड़ेगा. मधुकर और उस के मातापिता के लिए यह आश्चर्य का विषय था. उन्होंने तो यह सोच रखा था कि रूपाली विवाह के बाद मधुकर के साथ रहने आएगी. पर मनोहर लाल ने साफ शब्दों में बता दिया था कि इतनी अच्छी नौकरी छोड़ कर रूपाली कहीं नहीं जाएगी. मधुकर ने रूपाली को समझाने का प्रयत्न अवश्य किया था पर उस ने साफ शब्दों में कह दिया कि वह चाह कर भी मातापिता की इच्छा के विरुद्ध कुछ नहीं करेगी. बात आईगई हो गई थी. दोनों ही पक्ष एकदूसरे की ओर से पहल की आशा लगाए बैठे थे. दूसरे पक्ष की शर्तें मानने में उन का अहं आड़े आता था. फिर तो यह सिलसिला चल निकला, सुयोग्य वर ढूंढ़ा जाता. शुरुआती बातचीत के बाद फोन नंबर, ई-मेल आईडी आदि रूपाली को सौंप दिए जाते. विचारों का आदानप्रदान होता. घंटों फोन पर बातचीत होती पर बात न बनती.

अब मनोहर बाबू जेब में रूपाली का फोटो और जन्मपत्रिका लिए घूमते. अब उन की शर्तें कम होने लगी थीं. स्तर भी घटने लगा था. अब उन्हें रूपाली से कम वेतन वाले वर को स्वीकार करने में भी कोई एतराज नहीं था.

इसी प्रकार 4 साल बीत गए पर कहीं बात नहीं बनती देख मनोहर लाल ने रूपाली के छोटे भाई व बहन के विवाह संपन्न करा दिए. अब रूपाली के लिए वर खोजने की गति भी धीमी पड़ने लगी थी. न जाने क्यों उन्हें लगने लगा था कि रूपाली का विवाह असंभव नहीं पर कठिन अवश्य है.

उस दिन सारा परिवार छुट्टी मनाने के मूड में था. मां वीणा ने रात्रिभोज का उत्तम प्रबंध किया था. मनोहर लाल नई फिल्म की एक सीडी ले आए थे.

फिल्म शुरू ही हुई थी कि दरवाजे की घंटी बजी.

‘‘कौन?’’ मां वीणा ने झुंझलाते हुए दरवाजा खोला तो सामने एक आकर्षक युवक खड़ा था.

‘‘कहिए?’’ मां ने युवक से प्रश्न किया.

‘‘जी, मैं रूपाली का मित्र, 2 दिन पहले ही आस्ट्रेलिया से लौटा हूं.’’

अपना नाम सुनते ही रूपाली दरवाजे की ओर लपकी थी.

‘‘अरे, प्रद्योत तुम? कहां गायब हो गए थे. मैं ने कई मेल भेजे पर सब व्यर्थ.’’

‘‘अब तो मैं स्वयं आ गया हूं मिलने. रूपाली, मेरी नियुक्ति इसी शहर में हो गई है,’’ प्रद्योत का उत्तर था.

कुछ देर बैठने के बाद उस ने जाने की अनुमति मांगी तो मनोहर लाल और वीणा ने उसे रात्रि भोज के लिए रोक लिया.

‘‘कहां रहे इतने दिन? और आज इस तरह अचानक यहां आ टपके?’’ एकांत मिलते ही रूपाली ने आंखें तरेरीं.

‘‘तुम ने खुद ही प्रतीक्षा करने के लिए कहा था. पर अब मैं और प्रतीक्षा नहीं कर सकता इसलिए तुम्हारा हाथ मांगने स्वयं ही चला आया,’’ प्रद्योत बोला तो रूपाली की आंखें डबडबा आईं.

‘‘मेरे मातापिता नहीं मानेंगे,’’ किसी प्रकार उस ने वाक्य पूरा किया.

‘‘मैं ने सब सुन लिया है. हम से पूछे बिना ही तुम ने कैसे सोच लिया कि हम नहीं मानेंगे,’’ दोनों का वार्त्तालाप सुन कर मनोहर लाल बोले थे.

‘‘पता नहीं मेरा वेतन रूपाली के वेतन से अधिक है या कम. हमारी भाषाक्षेत्र सब अलग है. पर मैं आप को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मैं आप की बेटी को सिरआंखों पर बिठा कर रखूंगा,’’ प्रद्योत ने हाथ जोड़ कर कहा तो मनोहर लाल ने उसे गले लगा लिया.

‘‘मैं भी न जाने किस मृगमरीचिका में भटक रहा था. बहुत देर से समझ में आया कि मन मिले हों तो अन्य किसी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता,’’ मनोहर लाल बोले.

रूपाली कभी प्रद्योत को तो कभी अपने मातापिता को देख रही थी. उस की आंखों में सैकड़ों इंद्रधनुष झिल- मिला उठे थे.

Raksha Bandhan Special : स्किन के मुताबिक करें मेकअप, नहींं हटेगी देखने वालों की नजर

फेस्टिवल्स का समय हो और महिलाएं मेकअप न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता. इस समय तो हर महिला स्टाइलिश एथनिक ड्रेसेस और जूलरी के साथ ब्राइट मेकअप लुक को तरजीह देती है. मगर फेस्टिवल्स के दौरान काम भी बहुत बढ़ जाता है. ऐसे में स्वाभाविक है कि मेकअप के दौरान कुछ गलतियां या चूक हो जाती हैं, जिस से खूबसूरती निखारने के बजाय बिगड़ भी सकती है. आइये ऐल्प्स ब्यूटी क्लिनिक की फाउंडर भारती तनेजा से जानते हैं कि ऐसी गलतियों से कैसे बचा जा सकता है;

ट्रेंडी बनें

गलती 1 : फेस्टिव सीजन के हिसाब से ट्रेंडी ड्रेस और मेकअप सेलेक्ट न करना .

समाधान : फेस्टिव मेकअप करते समय सब से बड़ी गलती जो हम अक्सर कर जाते हैं वह ये कि हम बहुत डार्क और हेवी मेकअप कर लेते हैं. पर जरुरी यह है कि मेकअप करते समय हमें लेटेस्ट ट्रेंड की जानकारी हो. आप महफिल में आउट आफ प्लेस नज़र न आएं इस के लिए मेकअप हमेशा ट्रेंड के हिसाब से ही करें.

स्किन के मुताबिक करें मेकअप

गलती 2 : स्किन के मुताबिक मेकअप नहीं करने से मेकअप का रिजल्ट कम दिखाई देता है

समाधान : प्रोडक्ट्स खरीदते समय स्किनटोन ही काफी नहीं, इस के लिए स्किन टाइप को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है. अगर आप की स्किन औयली है तो फेस पाउडर ऐसा चुनें जिस में सिर्फ टैल्क या टैलकम हो क्यों कि यह चेहरे से औयल अब्जौर्ब कर आप को परफेक्ट फिनिश देता है. वहीं ड्राई स्किन वालों को हाइड्रोनिक एसिड और हाइड्रेटिंग प्रॉपर्टीज़ के साथ आने वाले फेस पाउडर का चुनाव करना बेहतर रिजल्ट देता है. यदि आप की त्वचा ड्राइ है तो फेस क्लीनिंग के लिए हमेशा क्लींजिंग मिल्क का प्रयोग करें. साथ ही मेकअप के लिए क्रीमी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर सकतें हैं. जबकि ऑयली स्किन  वालों को फेस क्लीन करने के लिए एसिट्रंजेंट का प्रयोग करना चाहिए और मेकअप के लिए वाटर बेसड प्रोडक्ट इस्तेमाल करें.

ब्लशर का प्रयोग ज्यादा न हो

गलती 3 : ब्लशर के ज्यादा होने से सुंदरता बढ़ने के बजाय घट जाती है.

समाधान : अगर ब्लशर करने के बाद आपको महसूस हो कि यह ज्यादा दिख रहा है तो एक साफ ब्लश-ब्रश से एक्स्ट्रा ब्लश साफ कर दें. टिश्यू पेपर से स्क्रब न करें, इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है. ब्लश इस्तेमाल करना हो तो फाउंडेशन जरूर लगाना च‍ाहिए. ब्लशर लगाते हुए यह पता होना चाहिए कि इसकी सही मात्रा क्या है और फिर इसे मेकअप बेस के साथ ब्लेंड करने के लिए क्लौकवाइज और एंटीक्लौकवाइज लगाये. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कौम्पेक्ट के साथ मिलने वाले ब्रश छोटे होते हैं. हमेशा फुल साइज ब्लश ब्रश का इस्तेमाल करें.

अंडर आई डार्क सर्कल के लिए कंसीलर

गलती 4 : काले घेरों को छिपाने के लिए कंसीलर लगाना स्वाभाविक नहीं लगता.

समाधान: आई क्रीम या आंखों का सीरम आवश्यक है लेकिन कंसीलर लगाने से पहले इसे त्वचा में अब्जॉर्ब होने देना चाहिए.वरना कंसीलर जल्दी क्रीज हो कर अन-नैचुरल लगने लगता है. आंखों के नीचे कंसीलर को रगड़ना नहीं थपथपाना चाहिए. रंगडने से यह चारों और फैल जाता है.

विंग्ड आईलाइनर का सही प्रयोग

गलती 5 : आंखों की सुंदरता को कम कर देता है टेढा-मेढा आईलाइनर लगना.

समाधान: आजकल विंग्ड आईलाइनर लगाना फैशन में है. अधिकतर महिलाएं विंग्ड आईलाइनर लगाना पसंद करती हैं, लेकिन इसे लगाने में थोड़ी दिक्कत और सावधानी की भी ज्यादा जरूरत होती है. ऐसे में विंग्ड आईलाइनर लगाने में आप का काफी समय बर्बाद होता है. कई बार तो इसे लगाना बहुत ही मुश्किल भरा लगता है और बाद में आप अपना आईलाइनर सामान्य तरीके से ही लगा लेते हैं. लेकिन आप की इस समस्या का भी समाधान है. आप बौबी पिन के उपयोग से विंग्ड आईलाइनर आसानी से लगा सकते हैं. बौबी पिन के अंतिम सिरे पर आईलाइनर लगाएं और अपनी आखों के छोर पर रखें. आईलाइनर के इस्तेमाल से विंग को भरें और इस के बाद आगे से सामान्य तरीके से आईलाइनर लगाएं.

ब्रेकअप के बाद नहीं खत्म होता प्यार !, ‘तू नहीं तो और सही’ का अपनाएं फार्मूला

आज के टाइम में ब्रेकअप होना कोई बड़ी बात नहीं है. यह तो अब लाइफ का पार्ट है जिस से कुछ सीख ही मिलती है. टीनएजर्स में यह काफी कौमन हो गया है. लेकिन ब्रेकअप होना एक बड़ा मुद्दा तब बन जाता है जब हम इसे दूसरों से शेयर कर के बड़ा बना देते हैं.

रचना ने बताया कि अभी कुछ महीने पहले ही उन का अपने बौयफ्रैंड, जिस के साथ उन्होंने शादी तक का सपना देखा था, उस से ब्रेकअप हो गया. जब यह बात मेरे घर में पता चली तो मुझ पर बेवजह का एक प्रैशर क्रिएट हो गया. हर समय हर कोई मुझे नसीहतें दे रहा था. मम्मी ने तो यहां तक कह दिया अब बाकी की पढ़ाई अपने ससुराल जा कर करना, हम तुम्हारे लिए लड़का देख रहे हैं. जब तक मैं अपने बौयफ्रैंड के साथ थी उन्हें कोई परवाह नहीं थी पर ब्रेकअप के होते ही उन्हें समाज की और लोग क्या कहेंगे की चिंता हो गई. यही हाल मेरे दोस्तों का भी था वे मुझे बेचारी की तरह देखने लगे.

इमोशनली वीक न बनें

अगर आप खुद इमोशनली वीक बनेंगे तो लोग तो आप पर तरस खाएंगे ही. इसलिए पहले आप खुद अपने को संभालें. जब लोग देखेंगे कि आप नौर्मल हैं तो वे भी आप को नौर्मल लेंगे लेकिन उन्हें लगेगा कि आप दुखी हैं तो वे भी परेशान होंगे और आप को इस परेशानी से निकलने का जो भी हल उन्हें समझ आएगा वे आप को वह करने को कहेंगे फिर आप उसे करना चाहें या न चाहें.

सोशल मीडिया पर शेयर क्यों करना

आजकल रिलेशनशिप स्टेटस सोशल मीडिया पर शेयर करना फैशन बन गया है. ब्रेकअप होते ही अपने रिलेशन का ढिंढोरा पीटना गलत है. ऐसा कर के आप खुद लोगों को अपने बारे में बात करने का मौका दे रहे हैं, साथ ही आप का पार्टनर जिस से ब्रेकअप हुआ है उसे भी शर्मिंदा कर रहे हैं. इसलिए ऐसा करने से बचें.

हंसी का पात्र ही बनेंगे

लोगों को बता कर आप हंसी का पात्र ही बनेंगे ये दुनिया का दस्तूर है कि वे रोरो कर आप से आप का गम पूछेंगे और हंसहंस के उड़ा देंगे. इस का मतलब वे आप के आगे तो आप के दुख में साथ होने का दिखावा करेंगे लेकिन जैसे ही आप चले जाएंगे. वे खुद आप की चुगलियां कर के सब को बताएंगे कि इस चोमू के साथ तो कोई लड़की रह ही नहीं सकती थी, पता नहीं उस लड़की ने ब्रेकअप करने में इतने देर क्यों कर दी ओर भी जाने कितनी बातें वे करेंगे.

बाउंडेशन लग जाएगी

अपने पेरैंट्स को बता देंगे इस बारे में तो वे कुछ ज्यादा ही परेशान हो जाएंगे. उन्हें लगेगा कि आप अपना कामधाम छोड़ कर इन बेकार की बातों में लगे हैं. आप उन्हें यह नहीं सम?ा पाएंगे कि यह भी लाइफ का पार्ट है. एग्जाम में नंबर कम आने से ले कर किसी शादी में न जाने का जिम्मेदार अब वे ब्रेकअप को ही ठहराएंगे, भले ही इस बात से उस का कुछ लेनादेना हो या नहीं.

इसे लाइफ के एक्सपीरिएंस की तरह ही लें

अपने अनुभव से सीखना, आप के अगले रिश्ते को मजबूत बना सकता है. आप एक बार फिर से डेटिंग करना शुरू करें, उस के पहले थोड़ा समय ले कर विचार करें कि आप का ब्रेकअप किस वजह से हुआ था. खुद से इस तरह की बातें पूछें, ‘जो हुआ उस से मैं क्या सीख सकता हूं?’ और ‘मैं इस अनुभव का उपयोग अपने अगले रिश्ते के लिए एक मजबूत नींव बनाने के लिए कैसे कर सकता हूं?’

ब्रेकअप सपोर्ट ग्रुप जौइन करें

अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को अपने ब्रेकअप के किस्से सुना कर क्यों परेशान करना. इस से तो अच्छा है कि आप कुछ अपने जैसे ही लोगों को ढूंढें़ और उन से बातचीत करें. इस से आप को पता चलेगा कि दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है. इस के लिए ब्रेकअप सपोर्ट गु्रप जौइन करें और जल्द से जल्द इस फेस से बाहर आने की कोशिश करें.

जजमैंटल हो जाएंगे लोग

आप की गलती निकालेंगे लोग. हो सकता है ब्रेकअप का जिम्मेदार वे आप के नेचर को ही ठहरा दें या फिर आप की कम हाइट और तो और आप के रंग और सुंदरता को ले कर भी सवाल उठा सकते हैं. हां, इस सब में बात घूमफिर कर आप के कैरियर पर कब आ जाएगी कह नहीं सकते. इसलिए किसी को बता कर कुछ हासिल नहीं होगा. यह आप का दर्द है तो इस से बाहर भी आप को खुद ही आना होगा.

ब्रेकअप को पौजिटिव लो

ब्रेकअप को पौजिटिव लो. यह किसी अच्छे के लिए ही हुआ होगा. हो सकता है कि आप उस से कुछ ज्यादा अच्छा डिजर्व करते हों. दूसरे, अब आप को अच्छेबुरे में फर्क करना भी आ गया होगा और अपनी चौइस के बारे में भी बेहतर पता चल गया होगा कि आप को अब कैसा पार्टनर चाहिए.

खुद से प्यार करो

अपना दर्द कम करने के उपाय करें और एक बार खुद के ही गले मिलें. खुद को सकारात्मक भावना के साथ अच्छे कामों में लगाएं. जब भी उन की याद आए तो आने दें. रोने का मन करे तो रो भी लें, लेकिन उस के बाद फिर से फ्रैश हो कर अपने जीवन में आगे बढ़ें और अपने लिए तय किए लक्ष्यों को पाने में जुट जाएं. खुद से प्यार करें और अपने को बेहतर बनाने में समय लगाएं.

तू नहीं तो और सही

अगर एक से ब्रेकअप हो गया तो क्या हुआ, उस से बाहर निकलें. जिंदगी बहुत खूबसूरत है उसे भरपूर जिएं. तू नहीं तो और सही का फार्मूला अपनाएं और खुश रहें.

विटिलिगो को हरा कर क्रिएटर बनी आस्था शाह, ‘कमजोरी को बनाया ताकत’

मुंबई की कंटैंट क्रिएटर आस्था शाह जब 77वें कान फिल्म फैस्टिवल में पहुंची तो लोगों की नजरें उस के चेहरे से हटी नहीं. खूबसूरत आस्था ने डिजाइनर फौद सरकिस द्वारा डिजाइन किया गया हरे रंग का एक गाउन पहना था. आस्था एक डिजिटल कंटैंट क्रिएटर है जो इंस्टाग्राम और फेसबुक पर एक्टिव रहती है. आस्था विटिलिगो नाम की एक स्किन डिजीज से पीडि़त है.

विटिलिगो के बारे में एक इंटरव्यू में बात करते हुए आस्था ने कहा कि वह सभी को दिखाना चाहती थी कि सुंदरता सभी रंगों और पैटर्न में होती है. आस्था ने अपनी सब से बड़ी प्रेरणा कनाडाई फैशन मौडल विनी हार्लो को बताया, जिन्हें विश्व स्तर पर ‘विटिलिगो क्वीन’ के नाम से जाना जाता है. उस ने कहा, ‘‘मुझे इन से आगे बढ़ने की ताकत मिलती है.’’

क्या है विटिलिगो

विटिलिगो एक क्रोनिक यानी लंबे समय तक चलने वाली औटोइम्यून डिजीज है, जिस के कारण स्किन के कुछ हिस्से रंग या पिगमैंट खो देते हैं. ऐसा तब होता है जब मेलानोसाइट्स (ये बौडी के वे सेल्स होते हैं जो पिगमैंट बनाते हैं), पर होता है और उन्हें खत्म कर दिया जाता है. ऐसा होने से स्किन का रंग दूधिया सफेद हो जाता है.

विटिलिगो किसी को भी हो सकता है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है. हालांकि विटिलिगो से पीडि़त कई लोगों में सफेद धब्बे 20 साल की उम्र से पहले ही दिखने लगते हैं और ये बचपन में ही शुरू हो सकते हैं. विटिलिगो उन लोगों में अधिक आम है जिन की फैमिली में इस डिजीज की हिस्ट्री रही हो या जिन्हें इन में से कोई बीमारी हो, जैसे, सोरायसिस, रूमेटाइड गठिया, थाइराइड, डाइबिटीज टाइप-1. इन बीमारियों की वजह से विटिलिगो होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.

बनी डिजिटल कंटैंट क्रिएटर

आस्था के इस समय सोशल मीडिया पर करीब 30 लाख से भी ज्यादा फौलोअर्स हैं. उस के रील्स बहुत तेजी से वायरल होते हैं. आस्था की जीवनशैली में डिजिटल कंटैंट क्रिएटर के साथसाथ डांस और ट्रैवल करना काफी महत्त्व रखता है. उस के सारे कंटैंट इन्हीं विषयों पर होते हैं. वह देशविदेश में ट्रैवल करती रहती है और इस के सारे अपडेट अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर देती है. वह डिजिटल कंटैंट क्रिएटर का सफर शुरू करने से पहले एचडीएफसी बैंक में फाइनैंशियल एनालिस्ट के रूप में भी काम कर चुकी है.

बड़े ब्रैंडों के साथ किया कोलैबोरेट

आस्था अपनी लोकप्रियता की बदौलत अब तक मेबेलिन इंडिया, लिवाइस, नायका, गार्नियर इंडिया, अमेजन प्राइम वीडियो, सोनी म्यूजिक इंडिया, डिजनी+ हौटस्टार और कई अन्य ब्रैंडों के साथ कोलैबोरेट भी कर चुकी है. आज के समय में आस्था एक बेहतरीन प्रेरणा और अनुभव का आदर्श बन चुकी है.

कमजोरी को बनाया ताकत

आस्था विटिलिगो से पीडि़त है फिर भी उस ने इंटरनैशनल लैवल पर जा कर इंडिया को रिप्रेजैंट किया, जहां एक ओर नाक टेढ़ीमेढ़ी और मोटी कमर होने पर उस की सर्जरी करवा लेते हैं वहीं दूसरी ओर आस्था ने विटिलिगो को दुनिया से छिपाया नहीं बल्कि वह इसी रूप में सब के सामने आई. इस का कारण यह है कि उन्होंने अपने शरीर के साथ विटिलिगो को अपना लिया है. अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया.

यहां क्या रह गई कमी

आस्था खुद विटिलिगो से पीडि़त है और अपने इंटरव्यू में भी कई बार वह इस बारे में बात करती है. लेकिन कहीं न कहीं वह इस के बारे में दुनिया को जागरूक कराने में नाकामयाब रही है. आज भी लोग विटिलिगो के बारे में न के बराबर ही जानते हैं. ऐसे में आस्था की सोशल मीडिया की चमक धुंधली सी लगती है. उस के सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर इस से संबंधित कोई वीडियो, पोस्ट नजर नहीं आती, नजर आते हैं तो बस फैशन, लाइफ स्टाइल, ट्रैवल से जुड़े व्लौग.

Raksha Bandhan Special: फैस्टिवल में घर पर बनाएं अंजीर ड्राईफ्रूट बर्फी, नोट करें ये रेसिपी

गर्म और मीठी चीज खाने का अलग ही मजा है. तो इस फेस्टिवल ट्राय करें अंजीर ड्राईफ्रूट बर्फी. अंजीर ड्राईफ्रूट बर्फी बनाने की रेसिपी.     

सामग्री

100 ग्राम सूखे अंजीर

50 ग्राम चीनी

1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

2 बड़े चम्मच छोटे टुकड़ों में कटे काजू व बादाम

1 बड़ा चम्मच देशी घी

विधि

अंजीर को 3 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. बीच में पलट दें ताकि दोनों तरफ से फूल जाएं. इन्हें मिक्सी में पीस लें.

एक नौनस्टिक कड़ाही में गरम कर के अंजीर का मिश्रण और चीनी अच्छी तरह चलाती रहें ताकि मिश्रण एकदम सूखा सा हो जाए.

इसमें काजू व बादाम हलका सा रोस्ट कर के मिला दें. साथ ही इलायची पाउडर भी. एक घी लगी थाली में जमा दें. और फिर मनपसंद आकार के टुकड़े काट लें.

व्यंजन सहयोग: नीरा कुमार

Abortion के साइड इफैक्ट्स हैं बहुत खतरनाक! आप भी जानें

कई वजहों से किसी महिला को गर्भपात कराना पड़ जाता है. कई बार अनचाहे गर्भधारण के कारण भी ऐसा कदम उठाना पड़ता है, जबकि कई बार भ्रूण की कुदरती खामियों या गर्भधारण से जुड़ी घातक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण दंपती गर्भ गिराने का फैसला लेते हैं. वजह चाहे जो भी हो, गर्भपात कराने से महिला पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से असर पड़ता है. गर्भपात किसी भी लिहाज से सुरक्षित नहीं है. कुछ शोध बताते हैं कि कुछ महिलाएं गर्भपात कराने के बाद राहत महसूस करती हैं, जबकि कुछ अनचाहे गर्भपात या मिसकैरिज के कारण अवसादग्रस्त हो जाती हैं. महिलाओं में राहत और अवसाद की वजह भी अलगअलग होती है.

गर्भपात कराने के बाद जितने शारीरिक साइड इफैक्ट्स होते हैं, उतने ही मानसिक साइड इफैक्ट्स भी होते हैं. गर्भपात कराने के बाद शारीरिक इफैक्ट्स से कहीं ज्यादा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक असर देखा गया है और इस में मामूली खेद से ले कर अवसाद जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. गर्भपात कराने के बाद किसी ऐसे अनुभवी प्रोफैशनल से सभी खतरों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है जो आप के सभी सवालों और उन से जुड़ी आशंकाओं का जवाब दे सके.

नकारात्मक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक असर से जुड़ा एक सब से महत्त्वपूर्ण फैक्टर यह है कि आप को यही लगता है कि आप के अंदर अभी भी बच्चा पल रहा है. कुछ महिलाओं में नकारात्मक भावनात्मक परिणाम विकसित होने की संभावना कम रहती है, क्योंकि गर्भधारण को ले कर उन का नजरिया बिलकुल अलग रहता है और वे समझती हैं कि भ्रूण एक अविकसित जीव है. हालांकि कुछ महिलाएं गर्भधारण के प्रति कुछ ज्यादा ही भावनात्मक लगाव पाल लेती हैं और अपने अंदर पल रहे बच्चे को जीव मान लेती हैं. ऐसी महिलाओं पर गर्भपात या मिसकैरिज के बाद कुछ ज्यादा ही नकारात्मक असर पड़ता है.

गर्भपात कराने के बाद निम्नलिखित संभावित भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक खतरे हो सकते हैं. अलगअलग व्यक्तियों पर इन नकारात्मक प्रभावों की अवधि और तीव्रता अलगअलग होती है. संभावित साइड इफैक्ट्स में ये शामिल हैं:

खानपान में डिसऔर्डर, बेचैनी, खेद, गुस्सा, अपराधबोध, शर्म, आपसी संबंध की समस्याएं, अकेलापन या अलगथलग रहने का एहसास, आत्मविश्वास में कमी, अनिद्रा या दु:स्वप्न, आत्महत्या का विचार, अवसाद.

गर्भपात कराने के बाद संभव है कि किसी को भी अनापेक्षित भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफैक्ट का अनुभव हो. हालांकि अकसर देखा गया है कि कुछ महिलाएं कुछ खास प्रकार के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक जद्दोजहद की चपेट में जल्दी आ जाती हैं. जिन महिलाओं पर नकारात्मक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफैक्ट पड़ने की संभावना अधिक रहती है, उन में ये शामिल हैं:

– जो महिलाएं गर्भधारण के बहुत बाद की अवस्था में गर्भपात कराती हैं.

– जो महिलाएं पहले से किसी भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक परेशानी से जूझ रही होती हैं.

– जो महिलाएं गर्भपात कराने के लिए अभिशप्त, बाध्य या बहकाई गई हों.

– गर्भपात को ले कर जिन महिलाओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हों.

– जिन महिलाओं को लगता है कि गर्भपात कराना अनैतिक है.

– जिन महिलाओं को इस के लिए अपने परिजनों या पार्टनर का सहयोग नहीं मिल रहा हो.

– जो महिलाएं आनुवंशिक या भू्रण संबंधी गड़बडि़यों के कारण गर्भपात करा रही हों.

कुछ सुझाव

मदद लें: अनियोजित गर्भधारण की समस्या से निबटने के लिए संभवतया सब से जरूरी चीज होती है ऐसे प्रशिक्षित प्रोफैशनल से सलाह लेना, जो आप के सवालों के जवाब दे सके और आप की व्यक्तिगत स्थितियों पर चर्चा कर सके.

एकांत में रहने से बचें: यदि आप अनियोजित गर्भधारण की समस्या से जूझ रही हैं तो हो सकता है कि आप इस समस्या को गोपनीय रखने के लिए दूसरों से कटने लगेंगी या अकेली ही इस समस्या का सामना करने की सोचेंगी. हालांकि यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस बारे में अपने परिजनों और मित्रों को बताने की कोशिश करें जो आप को सहयोग कर सकें.

अपनी स्थितियों का आकलन करें: उन महिलाओं की व्यक्तिगत समस्याओं पर गौर करें जिन्हें साइड इफैक्ट्स का अनुभव हुआ हो.

तनाव से बचें: ऐसे लोगों से बचें जो आप पर इस तरह का दबाव बना रहे हों कि वे जो सोचते हैं, वही सब से अच्छा है. आप चाहे मां बनना चाहें, बच्चे गोद लेना चाहें या गर्भपात कराना, आप अपनी पसंद के साथ जीने के लिए स्वतंत्र हैं. यानी कोई भी फैसला 100% आप का अपना ही होना चाहिए.

गर्भपात के बाद महिलाओं में अलगअलग शारीरिक साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं. गर्भपात के बाद संभावित विस्तृत साइड इफैक्ट्स के बारे में किसी अनुभवी हैल्थ प्रोफैशनल से जानकारी पाना जरूरी है. यह भी जरूरी है कि गर्भपात के 4 से

6 हफ्ते बाद आप की मासिक क्रिया सुचारु हो जाए और गर्भपात कराने के बाद आप दोबारा मां बनने लायक हो जाएं. संक्रमण से बचने के लिए अपने डाक्टर के परामर्श के मुताबिक ही दवा का सेवन करना चाहिए

सतर्कता जरूरी

गर्भपात कराने के बाद निम्न शारीरिक साइड इफैक्ट्स उभर सकते हैं और इन का असर 2 से 4 हफ्तों तक बना रह सकता है: पेट दर्द और मरोड़, दाग और रक्तस्राव.

करीब 5 से 10% महिलाएं तत्काल किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं. अत: निम्नलिखित खतरों से सतर्क रहें:

– लगातार रक्तस्राव.

– संक्रमण या सेप्सिस/पीआईडी/ऐंडोमैट्रियोसिस.

– गर्भाशय को नुकसान.

– गर्भाशय वाले हिस्से पर दाग.

एक नई शुरुआत : क्या परिवार के रिजेक्शन के बावजूद समर ने की निधि से शादी?

रोज रोज के ट्रैफिक जाम, नेताओं की रैलियां, वीआईपी मूवमैंट्स और अकसर होने वाले फेयर की वजह से दिल्ली में ट्रैवल करना समस्या बनता जा रहा है. अब अगर आप किसी बड़ी पोस्ट पर हैं तो कार से ट्रैवल करना आप की अनिवार्यता बन जाता है. बड़े शहरों में प्रैस्टिज इश्यू भी किसी समस्या से कम नहीं है. ड्राइवर रखने का मतलब है एक मोटा खर्च और फिर उस के नखरे. भीड़ भरी सड़कों पर जहां आधे से ज्यादा लोगों में गाड़ी चलाने की तमीज न हो, गाड़ी चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है और ऐसी सूरत में ड्राइविंग को ऐंजौय कर पाना तो बिलकुल ही संभव नहीं है.

समर को ड्राइविंग करना बेहद पसंद है. पर रोजरोज की परेशानी से बचने के लिए उस ने सोचा कि अब अपने ओहदे को भूल उसे मैट्रो की शरण ले लेनी चाहिए. कहने दो, लोग या उस के जूनियर जो कहें. पैट्रोल का खर्चा जो कंपनी देती है, उसे बचाने के चक्कर में बौस मैट्रो से आनेजाने लगे हैं, ऐसी बातें उस के कानों में भी अवश्य पड़ीं, पर सीधे उस के मुंह पर कहने की तो किसी की हिम्मत नहीं थी.  आरंभ के कुछ दिन तो उसे भी दिक्कत महसूस हुई. मैट्रो में कार जैसा  आराम तो नहीं मिल सकता था, पर कम से कम वह टाइम पर औफिस पहुंच रहा था और वह भी सड़कों पर झेलने वाले तनाव के बिना. हालांकि मैट्रो में इतनी भीड़ होती थी कि कभीकभी उसे झुंझलाहट हो जाती थी. धीरेधीरे उसे मैट्रो के सफर में मजा आने लगा.

दिल्ली की लाइफलाइन बन गई मैट्रो में किस्मकिस्म के लोग. लेडीज का अलग डब्बा होने के बावजूद उन का कब्जा तो हर डब्बे में होना और पुरुषों का इस बात को ले कर खीजते रहना देखना और उन की बातों का आनंद लेना भी मानो उस का रूटीन बन गया. पुरुषों के डब्बे में भी महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें होती हैं. लेकिन वह उन पर कम ही बैठता था. उस दिन मैट्रो अपेक्षाकृत खाली थी. सरकारी छुट्टी थी. वह कोने की सीट पर बैठ गया.  वह अखबार पढ़ने में तल्लीन था कि  तभी एक मधुर स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘ऐक्सक्यूज मी.’’

उस ने नजरें उठाईं. लगभग 30-32 साल की कमनीय काया वाली एक महिला उस के सामने खड़ी थी. एकदम परफैक्ट फिगर… मांस न कहीं कम न कहीं ज्यादा. उस ने पर्पल कलर की शिफौन की प्रिंटेड साड़ी और स्लीवलैस ब्लाउज पहना था. गले में मोतियों की माला थी और कंधे पर डिजाइनर बैग झूल रहा था. होंठों पर लगी हलकी पर्पल लिपस्टिक क अलग ही लुक दे रही थी. नफासत और सौंदर्य दोनों एकसाथ. कुछ पल उस पर नजरें टिकी ही रह गईं.

‘‘ऐक्सक्यूज मी, यह लेडीज सीट है. इफ यू डौंट माइंड,’’ उस ने बहुत ही तहजीब से कहा.

‘‘या श्योर,’’ समर एक झटके से उठ गया.

अगले स्टेशन के आने की घोषणा हो रही थी यानी वह खान मार्केट से चढ़ी थी. समर की नजरें उस के बाद उस से हटी ही नहीं. बारबार उस का ध्यान उस पर चला जाता था. बहुत चाहा उस ने कि उसे न देखे, पर दिल था कि जैसे उसी की ओर खिंचा जा रहा था. लेकिन यों एकटक देखते रहने का मतलब था कि उस के जैसे भद्र पुरुष का बदतमीजों की श्रेणी में आना और इस समय तो वह कतई ऐसा नहीं करना चाहता था. अपनी खुद की 35 साला जिंदगी में किसी के प्रति इस तरह का आकर्षण या किसी को लगातार देखते रहने की चाह इस से पहले कभी उस के अंदर इतनी तीव्रता से उत्पन्न नहीं हुई थी. वैसे भी सफर लंबा था और वह उस में किसी तरह का व्यवधान नहीं चाहता था.

वैल सैटल्ड और पढ़ीलिखी व कल्चर्ड फैमिली का होने के बावजूद न जाने क्यों उसे अभी तक सही लाइफ पार्टनर नहीं मिल पाया था. कभी उसे लड़की पसंद नहीं आती तो कभी उस के मांबाप को. कभी लड़की की बैकग्राउंड पर दादी को आपत्ति होती. ऐसा नहीं था शादी को ले कर उस ने सैट रूल्स बना रखे थे पर पता नहीं क्यों फिर भी 25 साल की उम्र से शादी के लिए लड़की पसंद करने की कोशिश 35 साल तक भी किसी तरह के निर्णय पर नहीं पहुंच पाई थी.

धीरेधीरे चौइस भी कम होने लगी थी और रिश्ते भी आने कम हो गए थे.  उस ने भी अपनी इस एकाकी जिंदगी को ऐंजौय करना शुरू कर दिया था. अब तो मम्मीपापा और भाईबहन भी उस से यह पूछतेपूछते थक गए थे कि उसे कैसे लड़की चाहिए. वह अकसर कहता लड़की कोई फोटो फ्रैम तो है नहीं, जो परफैक्ट आकार व डिजाइन की मिल जाएगी. मेरे मन में कोई इमेज तो नहीं है उस की, बस जैसी मुझे चाहिए जब वह सामने आएगी तो मैं खुद ही आप लोगों को बता दूंगा.

उस के बाद से घर वाले भी शांत हो कर बैठ गए थे और वह भी मस्त रहने लगा था. वह सीट से उठी तो एक बार उस ने फिर से उसे गहरी नजरों से देखा. एक स्वाभाविक मुसकान मानो उस के चेहरे का हिस्सा ही बन गई थी.

गालों पर डिंपल पड़ रहे थे. समर को सिहरन सी महसूस हुई. क्या है यह… क्यों उस के भीतर जलतरंग सी बज रही है. वह कोई 20-21 साल का नौजवान तो नहीं, एक मैच्योर इनसान है… फिर भी उस का रोमरोम तरंगित होने लगा था. अजीब सी फीलिंग हुई… अनजानी सी… इस से पहले किसी लड़की को देख कर ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था. मानो मिल्स ऐंड बून्स का कोई किरदार पन्नो में से निकल कर उस के भीतर समा गया हो और उसे आंदोलित कर रहा हो. यह खास फीलिंग उसे लुभा रही थी.  उस के नेहरू प्लेस उतरने के बाद जब तक मैट्रो चली नहीं वह उसे जाते देखता रहा. मन तो कर रहा था कि वहीं उतर जाए और पता करे कि वह कहां काम करती है. पर यह उसे शिष्ट आचरण नहीं लगा. उसे आगे ओखला जाना था. लेकिन मैट्रो से उतरने के बाद भी उसे लगा कि जैसे उस का मन तो उस कोने वाली सीट पर ही जैसे जा कर अटक गया है.

औफिस में भी वह बेचैन ही रहा. काम कर रहा था पर कंसनट्रेशन जैसे गायब हो चुकी थी. वह बारबार खुद से यही सवाल कर रहा था कि आखिर उस महिला के बारे में वह इतना क्यों सोच रहा है. क्यों उस के अंदर एक समुद्र उफान ले रहा है, क्यों वह चाहता है कि उस से दोबारा मुलाकात हो… बहुत बार उस ने अपने खयालों पर फाइलों के बोझ को डालना चाहा, बहुत बार कंप्यूटर स्क्रीन पर आंखें गड़ाने की कोशिश की पर नाकामयाब रहा. खुद को धिक्कारा भी कि किसी के बारे में यों मन में खयाल लाना अच्छी बात नहीं है. फिर भी घर लौटने के बाद और रात भर वह अपने अंदरबाहर फैली सिहरन को महसूस करता रहा.

सुबह बारबार यह सोच रहा था कि आज भी मैट्रो में उस से मुलाकात हो जाए. फिर खुद पर ही उसे हंसी आ गई. मान लो उस ने वही मैट्रो पकड़ी तब भी क्या गारंटी है कि वह आज भी उसी डब्बे में चढ़ेगी जिस में वह हो. उसे लग रहा था कि अगर उस का यही हाल रहा तो कहीं वह स्टौकर न बन जाए. समर खुद को संभाल… उस ने अपने को हिदायत दी. मैच्योर इनसान इस तरह की हरकतें करते अच्छे नहीं लगते… सही है पर खान मार्केट आते ही नजरें उसे ढूंढ़ने लगीं. पर नहीं दिखी वह.

अब तो जैसे सुबहशाम उसे तलाशना ही उस का रूटीन बन गया था. उसे लगा कि हो सकता है वह रोज ट्रैवल न करती हो. मायूस रहने लगा था समर… कोई इस तरह दिमाग पर हावी रहने लग सकता है. उस ने कभी सोचा नहीं था. क्या इसे ही लव ऐट फर्स्ट साइट कहते हैं. किताबी और फिल्मी बातें जिन का कभी वह मजाक उड़ाया करता था आज उसे सच लग रही थीं. काश, एक बार तो वह कहीं दिख जाए.

खान मार्केट से समर को कुछ शौपिंग करनी थी. वैलेंटाइनडे की वजह से खूब चहलपहल थी. बाजार रोशनी से जगमगा रहे थे, खरीदारी करने के बाद वह कौफी कैफे डे में चला गया. कौफी पी कर सारी थकान उतर जाती है उस की. एक सिप लिया ही था कि सामने से वह अंदर आती दिखी. हाथों में बहुत सारे पैकेट थे. आज मैरून कलर का कुरता और क्रीम कलर की लैगिंग पहन रखी थी उस ने. कानों में डैंगलर्स लटक रहे थे जो बीचबीच में उस की लटों को चूम लेते थे.

चांस की बात है कि सारी टेबलें भरी हुई थीं. वह बिना झिझक उस के सामने वाली कुरसी पर आ कर बैठ गई. समर को लगा जैसे उस की मनचाही मुराद पूरी हो गई. कौफी का और्डर देने के बाद वह अपने मोबाइल पर उंगली घुमाने लगी. फिर अचानक बोली, ‘‘आई होप मेरे यहां बैठने से आप को कोई प्रौब्लम नहीं होगी… और कोई टेबल खाली नहीं है…’’

उस की बात पूरी होने से पहले ही तुरंत समर बोला, ‘‘इट्स माई प्लैजर.’’

‘‘ओह रियली,’’ उस ने कुछ इस अंदाज में कहा कि समर को लगा जैसे उस ने व्यंग्य सा कसा हो. कहीं उस के चेहरे पर आए भावों का वह कोई गलत मतलब तो नहीं निकाल रही… कहीं यह सोचे कि वह उस पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है.

‘‘वैसे आप को कोने वाली सीट ही पसंद है… डिस्टर्बैंस कम होती है और आप को वैसे भी पसंद नहीं कि कोई आप की लाइफ में आप को डिस्टर्ब करे… अपने हिसाब से फैसले लेने पसंद करते हैं आप.’’  हैरानी, असमंजस… न जाने कैसेकैसे भाव उस के चेहरे पर उतर आए.

‘‘आप परेशान न हों, समर… मैं ने उस दिन मैट्रो में ही आप को पहचान लिया था. संयोग देखिए फिर आप से मुलाकात हो गई तो सोच रही हूं आज बरसों से दबा गुबार निकाल ही लूं. आप की हैरानी जायज है. हो सकता है आप ने मुझे पहचाना न हो. पर मैं आप को भूल नहीं पाई. अब तक तो आप को अपना परफैक्ट लाइफ पार्टनर मिल ही गया होगा. अच्छा ही है वरना बेवजह लड़कियों को रिजैक्ट करने का सिलसिला नहीं रुकता.’’

‘‘हम पहले कहीं मिल चुके हैं क्या?’’ समर ने सकुचाते हुए पूछा.  समर कहां तो इस से मुलाकात हो जाने की कामना कर रहा था और कहां अब  वही कह रही थी कि वह उसे जानती है और इतना ही नहीं उसे एक तरह से कठघरे में ही खड़ा कर दिया था.

‘‘हम मिले तो नहीं हैं, पर हमारा परिवार अवश्य एकदूसरे से मिला है. थोड़ा दिमाग पर जोर डालें तो याद आ जाए शायद कि एक बार आप के घर वाले मेरे घर आए थे. यहीं शाहजहां रोड पर रहते थे तब हम. पापा आईएएस अफसर थे. हमारी शादी की बात चली थी. आप के घर वालों को मैं पसंद आ गई थी. आप का फोटो दिखाया था उन्होंने मुझे. वे तो जल्दी से जल्दी शादी की डेट तक फिक्स करने को तैयार हो गए थे. फिर तय हुआ कि आप के और मेरे मिलने के बाद ही आगे की बात तय की जाएगी.

मैं खुश थी और मेरे मम्मीपापा भी कि इतने संस्कारी और ऐजुकेटेड लोगों के यहां मेरा रिश्ता तय हो रहा है. हम मिल पाते उस से पहले ही पापा पर किसी ने फ्रौड केस बना दिया. आप की दादी ने घर आ कर खूब खरीखरी सुनाई कि ऐसे घर में जहां बाप बेईमानी का पैसा लाता हो हम रिश्ता नहीं कर सकते हैं. पापा ने बहुत समझाया कि उन्हें फंसाया गया है पर उन्होंने एक न सुनी.

‘‘मुझे दुख हुआ पर इसलिए नहीं कि आप से रिश्ता नहीं हो पाया, बल्कि इसलिए कि बिना सच जाने इलजाम लगा कर आप की दादी ने मेरे पापा का अपमान किया था. उस के बाद मैं ने तय कर लिया था कि शादी करूंगी ही नहीं. पापा तो खैर बेदाग साबित हुए पर मेरा रिश्ता टूटने का गम सह नहीं पाए और चले गए इस दुनिया से.  ‘‘हमारे समाज में किसी लड़की को रिजैक्ट कर देना आम बात है पर कोई एक बार भी यह नहीं सोचता कि इस से उस के मन पर क्या बीतती होगी, उस के घर वालों की आशा कैसे बिखरती होगी… आप को कोई रिजैक्ट करे तो कैसा लगेगा समर?’’

‘‘मेरा यकीन करो…’’

‘‘मेरा नाम निधि है.’’

नाम सुन कर समर को लगा कि जैसे घर में उस ने कई बार इस नाम को सुना था. मम्मीपापा, भाईबहन यहां तक कि दादी के मुंह से भी. वह भी कई बार कि लड़की तो वही अच्छी थी पर उस का बाप… दादी उन से शादी हो जाती तो भैया अब तक कुंआरे न होते, बहन को भी उस ने कहते सुना था कई बार. पर आप की जिद ने सब गड़बड़ कर दिया… पापा भी उलाहना देते थे कई बार दादी को. अब तक जितनी लड़कियां देखी थीं, समर के लिए वही मुझे सब से अच्छी लगी थी. मम्मी के मुंह से भी वह यह बात सुन चुका था. जिसे देखा न हो उस के बारे में वह क्या कहता. इसलिए चुप ही रहता था.

‘‘निधि, सच में मुझे कोई जानकारी नहीं है. हालांकि घर में  अकसर तुम्हारी बात होती थी पर तुम मेरे लिए किसी अनजान चेहरे की तरह थीं. आई एम सौरी… मेरे परिवार वालों की वजह से तुम्हें अपने पापा को खोना पड़ा और इतना अपमान सहना पड़ा. पर…’’ कहतेकहते रुक गया समर. आखिर कैसे कहता कि जब से उसे देखा है वही उस के दिलोदिमाग पर छाई हुई है. अपने दिल की बात कह कर कहीं वह उस का दिल और न दुखा दे और फिर अब उस ने ही उसे रिजैक्ट कर दिया तो क्या होगा…

‘‘समर मुझे आप की सौरी नहीं चाहिए. यह तो आम लड़की की विडंबना है जिसे वह सहती आ रही है, उस के हर तरह से काबिल होने के बावजूद. एनी वे चलती हूं. आई होप फिर हमारी मुलाकात…’’

‘‘हो…’’ समर जल्दी से बोला, ‘‘एक मौका भूल सुधार का तो हर किसी को मिलता है. यह मेरा कार्ड है. फेसबुक पर आप को ढूंढ़ कर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजूंगा, प्लीज निधि ऐक्सैप्ट कर लेना… विश्वास है कि आप रिजैक्ट नहीं करेंगी… कोने वाली सीट नहीं चुनूंगा अब से,’’ समर ने अपना विजिटिंग कार्ड उसे थमाते हुए कहा, ‘‘पुराना सब कुछ भुला कर नई शुरुआत की जा सकती है.’’

कार्ड लेते हुए निधि ने अपने शौपिंग बैग उठाए. बाहर जाने के लिए पलटी तभी उस के डैंगलर ने उस की बालों की लटों को यों छुआ और लटें इस तरह हिलीं मानो कह रही हों इस बार ऐक्सैप्ट आप को करना है.

मेरी पत्नी दूसरे पुरुषों को घूरती है, मैं क्या करूं?

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सवाल

मैं एक शादीशुदा पुरुष हूं और मेरी गारमेंट्स की शौप है. मैं और मेरी पत्नी दोनों शौप पर बैठते हैं. यहां अक्सर कस्टमर्स की भीड़ लगी रहती है. जो मेल कस्टमर्स आते हैं, मेरी पत्नी ही उन्हें गारमेंट्स दिखाती है और कीमत भी बताती है.

मैं उसे अक्सर नोटिस करने लगा हूं कि वो लड़कों से ज्यादा घुलनेमिलने लगी है. जो लड़के हैंडसम होते हैं, वो उनकी तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं और उनकी बातों में आकर कपड़े भी कम पैसों में बेच देती है. मेरा बिजनैस ठप होता जा रहा है और मेरी पत्नी भी दूसरों मर्दों में इंट्रैस्ट ले रही है, मैं क्या करूं?

Couple has two different moods this morning

जवाब

शादीशुदा जिंदगी चलाने के लिए पतिपत्नी के बीच प्यार और विश्वास होना बहुत जरूरी है, लेकिन किसी भी वजह से जब दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती है, तो यह स्थिति रिश्ते के लिए गंभीर साबित हो सकती है. महिलाएं इस मामले से दूर नहीं है.

कई लड़कियों की शादी जबरदस्ती करवा दी जाती है, इस कारण भी यह समस्या होती है. आपको अपनी पत्नी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खुद पर काम करना होगा. आपको अपने लुक और एटीट्यूड पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है.

आप अपने हेयरस्टाइल, बियर्ड और कपड़ों पर जरूर ध्यान दें. आप अपनी पत्नी को रोमांटिक डेट पर ले जाएं. कोई रोमांटिक मूवी आप दोनों साथ देखने जाएं. कई बार दूसरों पुरुषों से अटेंशन मिलने के कारण भी महिलाएं उनकी तरफ आकर्षित होने लगती हैं. आप अपनी पत्नी को पूरा अटैंशन दें. उनसे प्यार से बात करें, साथ बैठकर समय बिताएं.

Man checking his girlfriends conversation on her phone

शादी के बाद भी महिलाओं को क्यों पसंद आते हैं पराए मर्द

कई बार पार्टनर से प्यार और वक्त की कमी के कारण भी महिलाएं दूसरे मर्दों की तरफ आकर्षित होने लगती है. वो अपनी शादी से ऊब चुकी होती है और ऐसे में उन्हें दूसरा व्यक्ति अटैंशन देता है, तो वो उससे इंप्रैस होने लगती है.

अक्सर देखा जाता है कि पुरुष काम की वजह से अपनी पत्नी को समय नहीं दे पाते हैं या उससे ठीक से बातचीत नहीं कर पाते हैं, रिश्ते में कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता है, तो दूसरे मर्दों के तरफ झुकाव लाजिमी है.

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विद्या बालन की फनी वीडियो देखकर हंसतेहंसते हो जाएंगे लोटपोट, एक्ट्रैस ने लिखा ‘हाहाहा’

इन दिनों अपनी फिल्मों से ज्यादा अपनी रील्स को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. अक्सर उनके एक से बढ़ कर एक मजेदार रील्स सोशल मीडिया पर देखने को मिलते हैं, जो उनके फैंस को खूब पसंद भी आते हैं. अभी हाल ही में उन्होंने अपने फैंस को एंटरटैन करने के लिए एक नया वीडियो शेयर किया है, जिसमें उनका काफी अलग अंदाज देखने को मिल रहा है.

अमेजिंग वीडियो

हाल ही में विद्या बालन ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ अमेजिंग वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो कौमेडियन कपिल शर्मा और कृष्णा अभिषेक के हिट कार्यक्रम के एक फनी औडियो क्लिप की नकल कर रही हैं. उनकी इस पोस्ट को देखने के बाद उनके फैंस आश्चर्य में पड़ गए विद्या का कौमेडियन अंदाज खूब वायरल हो रहा है. वो क्या है आइये जानते हैं.

डायलौग पर लिप-सिंक

विद्या बालन ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह एक लोकप्रिय कौमेडी शो का फेमस “मैंने आपका ट्रेलर देखा” डायलौग बोलती नजर आ रही हैं. विद्या ने वीडियो में कृष्णा के डायलौग पर लिप-सिंक भी किया है. वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए विद्या बालन ने लिखा, “हाहाहाहाहाहा.”

विद्या की कौमिक टाइमिंग

विद्या बालन के इंटरेस्टिंग अवतार ने सच में फैंस को आश्चर्य में डाल दिया है और अपनी कौमिक टाइमिंग के साथ, उन्होंने साबित कर दिया है कि वह भारतीय सिनेमा की एक टैलेंटेड एक्ट्रैस हैं, जो किसी भी रोल को बेहतरीन ढंग से निभा सकती है आपने देखा ही होगा विद्या का रील्स का कंटेंट हमेशा लाजवाब होता है और वह फैंस को जबरदस्त इंट्रैस्टिंग कंटेंट देती रहती हैं जो सभी को पसंद आते हैं और खूब वायरल भी होते हैं.

इससे पहले भी विद्या का भोजपुरी रंग में रंगा वीडियो वायरल हुआ था. जिसमे विद्या बालन किसी से भोजपुरी में प्यार का इजहार करती हुईं नजर आ रही थी. उनका ये वीडियो फैंस को खूब पसंद आया था और खूब वायरल भी हुआ था.

वर्क फ्रंट

एक्ट्रैस विद्या बालन की फिल्मों बात करें तो वह हौररकौमेडी फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ में ओजी मंजुलिका के रूप में नजर आएंगी. यह फिल्म दिवाली 2024 पर सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. इसमें विद्या के साथ कार्तिक आर्यन हैं.

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