
होली मतलब रंगों का त्योहार, अपनों का साथ, मस्ती और खूब सारा धमाल. रंगों की हमजोली में हर कोई डूब जाना चाहता है, लेकिन रंगों का ये त्योहार खुशियों के साथ में कभी कभी कुछ तकलीफें भी दे जाता है. कई बार हम इस डर से भी रंगों से तौबा कर लेते हैं कि कहीं इससे हमारे बाल या त्वचा खराब न हो जाए. लेकिन अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपके लिए कुछ ऐसे ब्यूटी टिप्स लेकर आएं हैं जो ना कि आपको रंगो से होने वाली समस्याओं से छुटकारा दिलाएगा बल्कि आपकी खूबसूरती में चार चांद भी लगाएगा.
अगर आप होली के रंगों की खुशियों में रंगने के साथ अपनी खूबसूरती भी बरकरार रखना चाहती हैं, तो इसके लिए आपको पहले से ही तैयार होना पड़ेगा. होली में रंगों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स-
ढीले-ढाले और फुलस्लीव कपड़े पहनें
रंगों से खुद को ज्यादा से ज्यादा बचा कर रखने का सबसे बेहतर तरीका है फुलकवर्ड कपड़े. होली में दोस्तों के संग टोलियों में रंगों का मजा लेने के लिए ढीले-ढाले कपड़े जैसे फुल जींस और फुलस्लीव टीशर्ट, सलवार कमीज आदि पहनने चाहिए. ऐसा करने से आपका बदन ढंका रहेगा और काफी हद तक रंगों से बचा भी रहेगा. इतना ही नहीं इन कपड़ों में आप खुद को कंफर्टेबल भी महसूस करेंगी.
अपनी स्किन पर चढ़ाएं सुरक्षा कवच
सुबह उठकर सबसे पहले अपने शरीर पर तिल का तेल, सरसों का तेल, औलिव औयल या फिर कोई अन्य बौडी औयल लगाएं. चेहरे और गर्दन की त्वचा को रंग के असर से बचाने के लिए उस पर वाटर प्रूफ बेस लगाएं. ऐसा करने से रंग त्वचा पर चढ़ेगा नहीं और नहाते समय आसानी से धुल जाएगा.
बालों की करें देखभाल
बालों को रंगों के प्रभाव से बचाने के लिए तेल अच्छा विकल्प है. बालों पर जोजोबा, रोजमेरी या नारियल तेल की मसाज करें. अगर बाल लंबे हैं, तो तेल लगाकर टाइट जूड़ा या पोनी बना लें. इससे स्कैल्प और बालों में रंग जड़ों तक नहीं समाएगा और आसानी से निकल भी जाएगा. यदि आपके बाल छोटे हैं, तो बालों में तेल लगाएं और फिर हेयर जेल लगाकर बालों को सेट करें.
नेलपेंट का डबलकोट लगाएं
होली के रंग सबसे ज्यादा हमारे नाखूनों को प्रभावित करते हैं. क्योंकि ये जल्दी छूटने का नाम ही नहीं लेता है और काफी दिनों तक हमारे नाखूनों को बदसूरत बनाए रखता है. इससे बचने के लिए किसी स्ट्रॉङ्ग नेलपेंट का डबलकोट अपने हाथों और पैरों के नाखूनों पर लगाएं. होली के बाद जब आप थिनर से अपना नेलपेंट हटायेंगे, तो आपके नाखून पहले जैसे ही खूबसूरत और बेदाग नजर आयेंगे.
होंठों पर लगाएं मैट लांग-स्टे लिपस्टिक
नाजुक होंठों को रंगों के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए उस पर अच्छी क्वालिटी की मैट लांग-स्टे लिपस्टिक लगाएं. ये लिपस्टिक आपके होठों पर काफी घंटों तक बरकरार रहेगी और रंग के प्रभाव से होंठों की रंगत भी फीकी नहीं पड़ेगी. अगर आप कलर लिपस्टिक नहीं लगाना चाहती हैं, तो नेचुरल शेड का लिप कलर लगाएं. ये होंठों पर सुरक्षा कवच का काम करेगा और इससे होठों पर रंग चिपकेगा भी नहीं.
होली खेलने के बाद
अगर आपने सूखी होली खेली है, तो धोने से पहले अच्छे से रंगों को कपड़े से झाड़ लें. चेहरे से रंग छुड़ाने के लिए बहुत अधिक स्क्रब ना करें, इससे त्वचा रूखी हो सकती है. रंग साफ करने या चेहरा धोने के लिए साबुन की जगह क्लींजर का इस्तेमाल करें.
होली खेलने के तुरंत बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धोएं और अच्छे से कंडीशनिंग करें. ये रंगों से बालों को डैमेज होने से बचाता है. दो बड़े चम्मच शहद में दो अंडे और एक बड़े चम्मच नारियल का तेल अच्छे से मिलाएं. इसे अपने बालों पर लगाएं और करीब एक घंटे तक रहने दें. इसके माइल्ड शैंपू और एक अच्छे कंडीशनर से धो लें. इस घरेलू कंडीशनिंग से आप अपने बालों को ज्यादा खूबसूरत पाएंगी.
आंखों को साफ पानी से धोने के बाद गुलाब जल आंखों में डाल सकती हैं या गुलाब जल में भीगे कौटन को आंखों पर कुछ देर रख आंख बंद करें.
किचन इन्ग्रीडियेंट का इस्तेमाल
चने का आटा, शहद और दूध को मिक्स करके स्क्रब बना लें और इसे फेस और बौडी पर स्क्रब करें. ये बौडी से कलर हटाने में आपकी मदद करेगा. साथ ही स्किन को चमकदार और मुलायम भी बनाता है. ज्यादा पोषण के लिए मौइस्चराइजिंग के पहले फ्रेश एलोवेरा जेल बौडी पर लगाएं.
होली के दिन आपका भी मन करता होगा रंगो में डूब जाने का और जी खोल कर मस्ती करने का. करें भी क्यों ना आखिर कितने इंतजार के बाद तो ये दिन आता है. तो खुद को जरा भी रोके बिना रंग का पूरा लुत्फ उठाइये पर जरा सानधानी से.
एक पुराना समय था जब लोग हल्दी, चदंन, गुलाब और टेसू के फूल से रंग बनाया करते थे पर आजकल तो रासायनिक रंगों का ही बोलबाला है. ऐसे मे सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. ऐसे रंगों मे कई तरह के रासायनिक और विषैले पदार्थ मिले होते हैं, जो त्वचा, नाखून व मुंह से शरीर मे प्रवेश कर अदंरूनी हिस्सों को क्षति पहुंचा सकते हैं. ऐसे में अगर होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां बरती जायें तो त्वचा को रासायनिक रंगों से होने वाले नुक्सान से काफी हद तक बचाया जा सकता है.
चलिए जानते हैं कि होली खेलने से पहले हमें क्या-क्या सावधानियां बरतने की जरुरत है-
1. होली खेलने से 20 मिनट पहले अपने शरीर पर खूब सारा तेल या फिर मौस्चराइजर लगा लें. इसके बाद अपने शरीर पर वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा कर ही होली खेलने निकलें.
2. होली के दिन आप पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनिए. अच्छा होगा कि कपड़े के अंदर कोई स्विम सूट पहन लें जिससे होली का रसायनयुक्त रंग अंदर जाने से बच जाए.
3. इस दिन बालों पर विशेष ध्यान देना जरुरी है. अपने बालों पर एक अच्छा तेल लगाएं जिससे नहाने के समय बालों पर रंग चिपके ना और आसानी से धुल भी जाए. चाहें तो टोपी भी पहन सकती हैं. तेल के अलावा अपने होंठों को हानिकारक रंगों से बचाने के लिए उस पर लिप बाम लगाना बिल्कुल न भूलें.
4. अपनी आखों का विशेष ध्यान रखें. आंखों को रंग, गुलाल, अबीर आदि से बचाएं क्योंकि इनमें मौजूद पोटेशियम हाईक्रोमेट नामक हानिकारक तत्व आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. यदि कुछ रंग आंख मे चला जाए तो आंखों को तब तक पानी से धोएं जब तक रंग ठीक से निकल न जाए.
5. नाखूनों पर जब रंग चढ़ जाते हैं तो जल्दी साफ नहीं होते. इसके लिए नाखूनों और उसके अंदर भी वैसलीन लगाएं. इससे नाखूनों और उसके अंदर रंग नहीं चढेगा. इसके अलावा महिलाएं किसी गहरे रंग की नेलपौलिश भी लगा सकती हैं.
6. जब भी रंग खरीदने जाएं तो कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि हरा, बैगनी, पीला और नारंगी रंग न लेकर लाल या फिर गुलाबी रंग खरीदें. वह इसलिए क्योंकि इन सब गहरे रंगों में ज्यादा रसायन मिले हुए होते हैं.
7. रंग खेलने के बाद त्वचा रुखी हो जाती है, तो इसके लिए शरीर पर मलाई या बेसन का पेस्ट बना कर लगाया जा सकता है. अगर शरीर पर कोई घाव या चोट आदि है तो होली खेलने से बचें, क्योंकि रंगों में मिले रासायनिक तत्व घाव के माध्यम से शरीर के रक्त में मिलकर नुकसान पहुंचा सकते हैं.
इन दी गई सावधानी को बरते और खुलकर होली का मजा ले.
होली रंगों का त्योहार है. होली के मौके पर अगर आप किसी होली इवेंट में जा रही हैं तो आपके फैब्युलस लुक का होना जरूरी है. अगर आप इस बात से चिंतित हैं कि होली इवेंट में किस तरह से ड्रेसअप करना चाहिए या किस तरह का मेकअप करना चाहिए तो चलिए हम आपकी ये परेशानी भी दूर कर देते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स जिसमें आप फैब्युलस लग सकती हैं.
1. ड्रेसअप
व्हाइट कलर होली पर पहनने वाला एक पुराना फैशन बन चुका है. अब आप व्हाइट के साथ अलग-अलग कलर को पेयर करके अपने पहनावे को और भी वाइब्रेंट और आकर्षक बना सकती हैं. ऐसे ड्रेस चुनें जो आपको होली सेलिब्रेशन के दौरान कंफर्ट का एहसास कराये.
अगर आप टीशर्ट और टौप को फैशनेबल प्लाजो या ट्राउजर के साथ पेयरअप करना चाहती हैं या आप ढ़ीली कुर्ती, लूज टौप के साथ हौट पैंट या लाइट ब्लू जींस कैरी करना चाहते हैं तो इसे जरुर ट्राय करें. फ्लोरल प्रिंट आपको होली पर एक नया लुक और एहसास देगा. इसी तरह युनिक लुक पाने के लिए लाइट कलर जैसे पिंक, येलो, पर्पल, ग्रीन को भी अपना सकती हैं.
2. हेयरडू
होली की मस्ती के साथ इसके हानिकारक रंगों से अपने बालों को बचाना भी उतना ही जरुरी होता है. इसलिए अपने बालों को इनसे बचाने के लिए पहले अपने बालों को नारियल तेल से मौइश्चराइज कर लें इसके बाद कोई चिक स्टाइल हेयरडू बनायें. जैसे पोनीटेल, ब्रेडेड बन, फ्रेंच बन या उंची चोटी पर डबल ब्रेड भी कर सकती हैं. हाइ पोनी करके क्यूट ड्रेस के साथ आप और भी क्यूट लगेंगी.
3. नेलआर्ट
अपने नेल्स को नेलपेंट की मदद से कवर करें और इसे होली के रंगों से बचायें. इसके अलावा कुछ युनिक करना चाहते हैं तो होली नेल आर्ट डिजाइन अपने नाखूनों पर बनायें. बेस कोट के अलावा आप अलग-अलग रंगों के साथ अपने नेल्स को सजा सकती हैं.
4. फुटवियर
इस फेस्टिव में हाइ हील्स पहनना सोचें भी नहीं. क्योंकि इवेंट के दौरान आपको रनिंग और डांसिंग भी करनी पड़ेगी तो इसे ध्यान में रखते हुए ही अपनी कंफर्ट के मुताबिक फुटवेयर का चयन करें. शूज का चुनाव करें. बैली या खूबसूरत स्लिपर भी चुन सकती हैं. अगर आप जींस, शार्ट्स के साथ टौप पहन रही हैं तो स्नीकर्स, बैली, लोफर या सिंपल स्लिपर आजमा सकती हैं.
होली वाले दिन सुबह से ही बच्चे धमाचौकड़ी मचाना प्रारम्भ कर देते हैं तो बड़े भी उत्साह से लबरेज नजर आते हैं, त्योहारों पर परिवार और दोस्तों के साथ पार्टी त्यौहार को और अधिक रंगीन बना देती हैं. कोई भी विशेष अवसर हो सबसे ज्यादा मुसीबत हम महिलाओं की होती है क्योंकि उनका तो अधिकांश समय किचिन में ही बीतता है जिससे वे पार्टी का आनन्द ही नहीं ले पातीं हैं परन्तु यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो आप भी होली की पार्टी का भरपूर आनन्द उठा सकतीं हैं.
1-परिवार के सभी सदस्यों के होली पर पहनने वाले कपड़े पहले से ही धो प्रेस करके रख दें ताकि होली वाले के दिन आपको परेशान न होना पड़े.
2-रंग, गुलाल, अबीर, पिचकारी आदि को एक ही स्थान पर रखकर परिवार के सभी सदस्यों को बता दें ताकि आप उनके प्रश्नों से बची रहकर अन्य कामों पर ध्यान दे सकें.
3-पानी की व्यवस्था घर से बाहर करने के साथ साथ बच्चों को बार बार घर में न आने की सख्त हिदायत दें ताकि घर गंदा होने से बचा रहे.
4-घर के सोफों, दीवान आदि के कवर आदि हटा दें या पुराने कवर लगा दें ताकि ये रंगों से बचे रहें, हो सके तो मेहमानों के बैठने के लिए प्लास्टिक की कुर्सियों का प्रयोग करें.
5-घर में आने वाले मेहमानों के लिए नाश्ता एक ट्रे में लगाकर पेपर से ढक दें यदि सम्भव हो तो सर्व करने के लिए डिस्पोजल प्लेट्स और कटोरियों का प्रयोग करें.
6-ठंडाई, शरबत, लस्सी, छाछ या मॉकटेल जो भी ड्रिंक आप मेहमानों को सर्व करना चाहतीं हैं उन्हें पहले से ही बनाकर मेहमानों की संख्या के अनुसार डिस्पोजल ग्लासों में डालकर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फिल्म से कवर करके फ्रिज में रख दें.
7-ताजे नाश्ते की जगह गुझिया, मठरी, शकरपारे, सेव, सूखी बेसन कचौरी, समोसे, दही बड़ा जैसे सूखे नाश्ते को प्राथमिकता दें ताकि मेहमानों के आने पर आपको परेशान न होना पड़े.
8-डेजर्ट में आप फ्लेवर्ड कुल्फी, आइसक्रीम, रबड़ी आदि को प्राथमिकता दें, साथ ही इन्हें सर्विंग बाउल में डालकर सिल्वर फॉयल से ढककर रखें ताकि पार्टी के बीच में आपको परेशान न होना पड़ें.
9-यदि आप मेहमानों पर अपना प्रभाव जमाना चाहतीं हैं तो चुकन्दर, पालक, हरे धनिया, आदि का प्रयोग करके आलू स्टफ्ड इडली, पनीर स्टफ्ड अप्पे या टमाटरी सेव आदि बनाएं इन्हें आप पहले से बनाकर भी रख सकतीं हैं.
10-कचौरी, समोसे, आलू बोंडा, पेटीज आदि को आप तेज आंच पर आप तलकर रख दें और मेहमानों के आने पर अच्छी तरह गर्म तेल में एक बार डालकर बटर पेपर पर निकाल दें इससे आपको किचिन में बहुत देर तक नहीं रहना पड़ेगा और मेहमानों को गर्म नाश्ता भी मिल सकेगा.
होली मतलब रंगों का त्योहार. अपनों का साथ, मस्ती और धमाल. रंगों का ये त्योहार जितनी खुशियां लेकर आता है साथ में कुछ तकलीफें भी दे जाता है. होली के बाद लोगों को कई परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. खासतौर पर स्किन और बालों से जुड़ी प्रॉब्लम्स तो आम बात हैं.
अगर आप होली के रंगों की खुशियों में रंगने के साथ अपनी खूबसूरती भी बरकरार रखना चाहती हैं, तो इसके लिए आपको पहले से ही तैयार होना पड़ेगा. होली में रंगों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स.
घर में तैयार करें स्क्रब
चने का आटा, शहद और दूध को मिक्स करके स्क्रब बना लें और इसे फेस और बॉडी पर स्क्रब करें. ये बॉडी से कलर हटाने में आपकी मदद करेगा. साथ ही स्किन को चमकदार और मुलायम भी बनाता है. एक्स्ट्रा पोषण के लिए मॉइस्चराइजिंग के पहले फ्रेश एलोवेरा जेल बॉडी पर लगाएं.
ऑइलिंग और मॉइस्चराइजर
रंगों के साइड इफेक्ट से अपनी स्किन को बचाने का सबसे आसान तरीका है कि आप रंग खेलने से पहले बॉडी पर ऑइलिंग करें. इसके बाद मॉइस्चराइजर का यूज करें. ये थोड़ा चिपचिपा जरूर होगा, लेकिन ये आपकी स्किन के लिए फायदेमंद साबित होगा. होली खेलने से पहले नहाएं जरूर और नहाने के बाद आइलिंग करना न भूलें.
बालों का रखें खास ख्याल
होली के बाद तुरंत बालों को अच्छे से कंडीशनिंग करें, लेकिन अगर उस दिन समय की कमी है तो दूसरे दिन भी आप ये कर सकती हैं. ये रंगों से बालों को डैमेज होने से बचाता है. दो बड़े चम्मच शहद में दो अंडे और एक बड़े चम्मच नारियल का तेल अच्छे से मिलाएं. इसे अपने बालों पर लगाएं और करीब एक घंटे तक रहने दें. इसे माइल्ड शैंपू और एक अच्छे कंडीशनर से धो लें. इस घरेलू कंडीशनिंग से आप अपने बालों को ज्यादा लाइव और खूबसूरत पाएंगी.
होली के दस दिन पहले से ही आपको अपने स्किन और बालों की केयर करनी चाहिए, ताकि नमी बरकरार रहे. होली वाला मौसम काफी ड्राई होता है. इसलिए पानी खूब पिएं और जमकर फल खाएं.
शैंपू और ऑइलिंग करें
होली के एक दिन पहले ही शाम को या होली खेलने के तुरंत पहले अपने बालों में आइलिंग जरूर करें. बहुत से लोग ये मानते हैं कि बालों को गंदा होना ही है, तो इसे शैंपू करने से क्या फायदा. लेकिन बालों में पहले से पड़ी गंदगी कलर के साथ मिलकर आपके बालों को और भी डैमेज कर सकती है. इसलिए पहले बालों को अच्छे से धो लें. इनमें कंडीशनिंग करें फिर सुखाने के बाद इसमें नारियल का तेल या ऑलिव ऑइल का इस्तेमाल करें. ये कलर को आपके स्कैल्प (बालों के जड़) तक पहुंचने से रोकता है.
नेलपेंट का डबलकोट लगाएं
होली के रंग सबसे ज्यादा हमारे नाखूनों को प्रभावित करते हैं. क्योंकि ये जल्दी छूटने का नाम ही नहीं लेता है और काफी दिनों तक हमारे नाखूनों को बदसूरत बनाए रखता है. इससे बचने के लिए नेलपेंट का डबलकोट अपने हाथों और पैरों के नाखूनों पर लगाएं. होली के बाद जब आप थिनर से अपना नेलपेंट हटायेंगे, तो आपके नाखून पहले जैसे ही खूबसूरत और बेदाग नजर आयेंगे.
लीलाबाई ने जिस लड़की को उस के पास भेजा था, उस की खूबसूरती देख कर ग्राहक गोविंदराम दंग रह गया था और बोला, ‘‘तुम चांद से भी ज्यादा खूबसूरत हो?
‘‘ठीक है, ठीक है. तारीफ करने का समय नहीं है. मैं एक धंधे वाली हूं और धंधे वाली ही रहूंगी. आप कितनी भी तारीफ कर लो.’’
‘‘लगता है, तुम कोठे पर अपनी मरजी से नहीं आई हो?’’ गोविंदराम ने सवाल पूछा.
‘‘देखिए मिस्टर, फालतू सवाल मत पूछो.’’
‘‘ठीक है नहीं पूछूंगा, मगर मैं नाम तो जान सकता हूं तुम्हारा?’’
‘‘आप को नाम से क्या है? लीलाबाई ने जिस काम से भेजा है, वह करो और भागो.’’
‘‘फिर भी मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं.’’
‘‘मेरा नाम जमना है.’’
‘‘क्या तुम अब भी शादी करने की इच्छा रखती हो?’’
‘‘अब कौन करेगा मुझ से शादी?’’
‘‘अगर कोई तुम से शादी करने को तैयार हो तो शादी कर लोगी?’’
‘‘मैं इन मर्दों को अच्छी तरह से जानती हूं. ये सब केवल औरत के जिस्म से खेल कर इस गंदगी में धकेलना जानते हैं.’’
‘‘तुम्हें मर्दों से इतनी नफरत क्यों?’’
‘‘मगर आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं? आप अभी धंधे वाली के पास हैं. आप अपना काम कीजिए और यहां से जाइए.’’
‘‘मैं ने अभी तुम से कहा था कि अगर कोई शादी करने को तैयार हो जाए, क्या तब तुम तैयार हो जाओगी?’’
‘‘ऐसा कौन बदनसीब होगा, जो मुझ से शादी करने को तैयार होगा?’’
‘‘क्या तुम मुझ से शादी करने के लिए तैयार हो?’’ कह कर गोविंदराम ने अपना फैसला सुना दिया.
यह सुन कर जमना हैरान रह गई और बोली, ‘‘आप करेंगे?’’
‘‘हां, तुम्हें यकीन नहीं है?’’
‘‘मैं कैसे यकीन कर सकती हूं… दरअसल, मुझे मर्द जात पर ही भरोसा नहीं रहा.’’
‘‘लगता है, तुम ने किसी मर्द से चोट खाई है, इसलिए हर मर्द से अब नफरत करने लगी हो.’’
‘‘बस, ऐसा ही समझ लो.’’
‘‘अपनी कहानी बताओ कि वह कौन था, जिस ने आप के साथ धोखा किया?’’
‘‘क्या करेंगे जान कर? सुन कर क्या आप मेरे घाव भर देंगे?’’ जमना ने जब यह सवाल उछाला, तब गोविंदराम सोच में पड़ गया. थोड़ी देर बाद इतना ही कहा, ‘‘अगर तुम बताना नहीं चाहती?हो तो मत बताओ, मगर इतना तो बता सकती हो कि यहां तुम अपनी मरजी से आई हो या कोई जबरन लाया है?’’
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‘‘प्यार में धोखा खाया है मैं ने,’’ कह कर जमना ने अपनी नजरें नीचे झुका लीं. मतलब, जमना के भीतर गहरी चोट लगी हुई थी.
‘‘साफ है कि जिस लड़के में तुम ने प्यार का विश्वास जताया, वही तुम्हें यहां छोड़ गया?’’
‘‘छोड़ नहीं गया, लीलाबाई को बेच गया,’’ बड़ी तल्खी से जमना बोली.
‘‘प्यार करने के पहले तुम ने उसे परखा क्यों नहीं?’’
‘‘एक लड़की क्याक्या करती? मैं अपनी सौतेली मां के तानेउलाहनों से तंग आ चुकी थी. ऐसे में महल्ले का ही कालूराम ने मुझ पर प्यार जताया. वह कभी मोबाइल फोन, तो कभी दूसरी चीजें ला कर देता रहा. मेरे ऊपर खर्च करने लगा, तो मैं भी उस के प्रेमजाल में उलझती गई.
‘‘जब सौतेली मां को हमारे प्यार का पता लगा, तब वे चिल्ला कर मारते हुए बोलीं, ‘नासपीटी, चोरीछिपे क्या गुल खिला रही है. तेरी जवानी में इतनी आग लगी है तो उस कालूराम के साथ भाग क्यों नहीं जाती है. खानदान का नाम रोशन करेगी.
‘‘‘खबरदार, जो अब उस के साथ गई तो… टांगें तोड़ दूंगी तेरी. तेरी मां ऐसी बिगड़ैल औलाद पैदा कर गई. अगर तुझ से जवानी नहीं संभल रही है, तो किसी कोठे पर बैठ जा. वहां पैसे भी मिलेंगे और तेरी जवानी की आग भी मिट जाएगी.’
‘‘इस तरह आएदिन सौतेली मां सताने लगीं. पर मैं कालूराम से बातें कहती रही. वह कहता रहा, ‘घबराओ मत जमना, मैं तुम से जल्दी शादी कर लूंगा.’
‘‘मैं ने उस से पूछा, ‘मगर, कब करोगे? मेरी सौतेली मां को हमारे प्यार का पता चल गया है. उन्होंने मुझे खूब पीटा है.’
‘‘यह सुन कर वह बोला, ‘ऐसी बात है, तब तो एक ही काम रह गया है.’
‘‘मैं ने हैरान हो कर पूछा, ‘क्या काम रह गया है?’
‘‘उस ने धीरे से कहा, ‘तुम्हें हिम्मत दिखानी होगी. क्या तुम घर से भाग सकती हो?’
‘‘यह सुन कर मैं ने कहा, ‘मैं तुम्हारे प्यार की खातिर सबकुछ कर सकती हूं.’
‘‘मेरी यह बात सुन कर कालूराम बहुत खुश हुआ और बोला, ‘चलो, आज रात को भाग चलते हैं. जबलपुर में मेरी लीला मौसी हैं. वहां हम दोनों मंदिर में शादी कर लेंगे. तुम घर से भागने के लिए तैयार हो न?’
‘‘मैं ने बिना कुछ सोचेसमझे कह दिया, ‘हां, मैं तैयार हूं.’
‘‘कालूराम जबलपुर में मुझे लीला मौसी के यहां ले गया. फिर वह यह कह कर वहां से चला गया कि मंदिर में पंडितजी से शादी की बात कर के आता हूं. पर वह मुझे छोड़ कर जो गया, फिर आज तक नहीं आया. बाद में पता चला कि वह औरत उस की लीला मौसी नहीं थी, बल्कि उसे तो वह मुझे बेच गया था.’’
‘‘सचमुच तुम ने प्यार में धोखा खाया है,’’ अफसोस जाहिर करते हुए गोविंदराम बोला, ‘‘फिर कभी तुम्हारी सौतेली मां ने तुम्हें ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की?’’
‘‘की होगी, मगर मुझे नहीं मालूम. उस के लिए तो अच्छा ही था कि एक बला टली. अगर मैं जाती भी तब मुझे नहीं अपनाती.’’
‘‘अब तुम ने क्या सोचा है?’’ गोविंदरम ने कुरेदा.
‘‘सोचना क्या है, अब लीलाबाई ने कोठे को ही सबकुछ मान लिया है,’’ जमना ने साफ कह दिया.
‘‘मतलब, तुम मुझ से शादी नहीं करना चाहती हो?’’
‘‘हम एकदूसरे को नहीं जानते हैं. फिर मैं औरत जात ठहरी, आप जैसे पराए मर्द पर कैसे यकीन कर लूं. कहीं दूसरे कालूराम निकल जाओ…’’
‘‘तुम्हारे भीतर मर्दों के लिए नफरत बैठ गई है. मगर मैं वैसा नहीं हूं जैसा तुम समझ रही हो.’’
‘‘एक ही मुलाकात से मैं कैसे मान लूं?’’
‘‘ठीक है. मैं कल फिर आऊंगा, तब तक अच्छी तरह सोच लेना,’’ कह कर गोविंदराम उठ कर चला गया.
जमना को यह पहला ऐसा मर्द मिला था, जो उस के शरीर से खेल कर नहीं गया था. 3-4 दिन तक गोविंदराम लगातार आता रहा, मगर कभी जमना के शरीर से नहीं खेला.
तब जमना बोली, ‘‘आप रोज आते हैं, पर मेरे शरीर से खेलते नहीं… क्यों?’’
‘‘जब तुम से मेरी शादी हो जाएगी, तब रोज तुम्हारे शरीर से खेलूंगा.’’
‘‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने मत देखो. जब तक लीलाबाई के लिए मैं खरा सिक्का हूं, वह मुझे नहीं छोड़ेगी.’’
‘‘यह बात है, तो मैं लीलाबाई से बात करता हूं.’’
‘‘कर के देख लो, वह कभी राजी नहीं होगी.’’
‘‘मैं लीलाबाई को राजी कर लूंगा.’’
‘‘मगर, मैं नहीं जाऊंगी.’’
‘‘देखो जमना, तुम्हारी जिंदगी का सवाल है. क्या जिंदगीभर इसी दलदल में रहोगी? अभी तुम्हारी जवानी बरकरार है, इसलिए हर कोई मर्द तुम से खेल कर चला जाएगा. तुम्हें तम्हारे शरीर की कीमत भी दे जाएगा, मगर जब उम्र ढल जाएगी, तब तुम्हारे पास कोई नहीं आएगा.
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‘‘तुम चाहती हो कि इतना पैसा कमा लूंगी… फिर बैठेबैठे वह पैसा भी खत्म हो जाएगा…’’ समझाते हुए गोविंदराम बोला, ‘‘इसलिए कहता हूं कि अपना फैसला बदल लो.’’
‘‘ऐ, तू रोजरोज आ कर जमना को क्यों परेशान करता है?’’ खुला दरवाजा देख कर लीलाबाई कमरे में घुसते हुए बोली.
गोविंदराम बोला, ‘‘लीलाबाई, मैं जमना से शादी करना चाहता हूं.’’
‘‘शादी… अरे, शादी की तो तू सोच भी मत. अभी जमना मेरे लिए सोने का अंडा देने वाली मुरगी है. मैं इसे कैसे छोड़ दूं,’’ लीलाबाई बोली.
‘‘यही सोचो कि यह मुरगी एक दिन सोने का अंडा देना बंद कर देगी, तब क्या करोगी इस का?’’
‘‘मगर, मुझे एक बात बताओ कि तुम जमना से शादी करने के लिए ही क्यों पीछे पड़े हो? इस कोठे में दूसरी लड़कियां भी तो हैं,’’ लीलाबाई ने पूछा.
‘‘दूसरी लड़कियों की बात मैं नहीं करता लीलाबाई. जमना मुझे पसंद है. मैं इसी से शादी करना चाहता हूं. आप अपनी रजामंदी दीजिए,’’ एक बार फिर गोविंदराम ने कहा.
‘‘ऐसे कैसे इजाजत दे दूं? तुम कौन हो? तुम्हारा खानदान क्या है? अपने बारे में कुछ बताओ?’’
‘‘अगर मैं अपना खानदान बता दूंगा, तब क्या तुम जमना से मेरी शादी के लिए तैयार होगी?’’
‘‘मुमकिन है कि मैं तैयार हो भी जाऊं,’’ लीलाबाई ने कहा.
‘‘देखो लीलाबाई, मरने से पहले मेरे पापा कह गए थे कि तुम अपनी मां नहीं धंधे वाली से पैदा औलाद हो. तुम्हारी मां तो बांझ है.’’
लीलाबाई खामोश हो गई. थोड़ी देर बाद वह बोली, ‘‘तुम्हारे पिता ने यह नहीं बताया कि वह धंधे वाली कौन थी?’’
‘‘बताना तो चाहते थे, मगर तब तक उन की मौत हो गई,’’ गोविंदराम ने कहा.
लीलीबाई ने पूछा, ‘‘अच्छा, तुम अपने पिता का नाम तो बता सकते हो?’’
‘‘गोपालराम.’’
तब लीलाबाई कुछ नहीं बोली. वह अपने अतीत में पहुंच गई. बात उन दिनों की थी, जब लीलाबाई जवान थी.
एक दिन गोपालराम का एक अधेड़ कोठे पर आया था और बोला, ‘देखो लीलाबाई, मैं तुम्हारे पास इसलिए आया हूं कि मुझे तुम्हारे पेट से बच्चा चाहिए.
‘मैं एक धंधे वाली हूं. मैं बच्चा नहीं चाहती हूं,’ लीलाबाई ने इनकार करते हुए कहा कि अगर बच्चा ही चाहिए तो किसी और से शादी क्यों नहीं कर लेते.
‘मेरी शादी के 10 साल गुजर गए हैं, मगर पत्नी मां नहीं बन पाई है.’
‘तब दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते हो?’ ‘कर सकता हूं, मगर मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं. उस की खातिर दूसरी शादी नहीं कर सकता…’ गोपालराम ने कहा, ‘मैं इसी उम्मीद से तुम्हारे पास आया हूं.’
तब लीलाबाई सोच में पड़ गई कि क्या जवाब दे? बच्चा देना मतलब 9 महीने तक धंधा चौपट होना.
उसे चुप देख कर गोपालराम ने पूछा, ‘क्या सोच रही हो लीलाबाई?’
‘देखो, मैं तो आप का नाम भी नहीं जानती हूं.’
‘मुझे गोपालराम कहते हैं. इस शहर से 30 किलोमीटर दूर रहता हूं. कपड़े की दुकान के साथ पैट्रोल पंप भी है. मेरे पास खूब पैसा है और अब मुझे अपना वारिस चाहिए.’
‘देखो, मेरे पेट में अगर आप का बच्चा आ गया, तो 9 महीने तक मेरा धंधा चौपट हो जाएगा. मैं अपना धंधा चौपट नहीं कर सकूंगी. आप कोई अनाथ बच्चा गोद ले लीजिए.’
‘अगर मुझे गोद ही लेना होता, तब मैं तुम्हारे पास क्यों आता?’ कह कर गोपालराम ने आगे कहा, ‘जब तुम्हारे पेट में बच्चा ठहर जाएगा, तब सालभर तक सारा खर्चा मैं उठाऊंगा.’
जब लीलाबाई ने यकीन कर लिया, तब गोपालराम अपनी गाड़ी ले कर रोज उस के कोठे पर आने लगा. महीनेभर के भीतर उस के बच्चा ठहर गया. वह सालभर तक रखैल बन कर रही. उस की सारी सुखसुविधाओं का ध्यान रखा जाने लगा.
9 महीने बाद लीलाबाई के लड़का हुआ, तब सारी बस्ती में मिठाई बांटी गई. 6 महीने के भीतर जब तक मां का दूध बच्चा पीता रहा, तब तक गोपालराम उसे अपने साथ नहीं ले गया.
बच्चा गोपालराम को सौंपने के बाद लीलाबाई अपने पुराने ढर्रे पर आ गई. जब शरीर ढलने लगा, ग्राहक कम आने लगे, तब वह कोठा चलाने वाली बन गई.
‘‘ओ लीलाबाई, कहां खो गई?’’ कह कर गोविंदराम ने उसे झकझोरा, तब वह अतीत से वर्तमान में लौटी.
गोविंदराम को अपने सामने देख कर लीलाबाई ने मन ही मन सोचा, अब बता दूं कि मैं इस की मां हूं? मगर यह राज राज ही रहेगा. मैं तो इसे जन्म दे कर अपनी गोद में खिलाना चाहती थी. रातरात भर तड़पती थी, ग्राहकों को भी संतुष्ट करती थी…
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‘‘अरे, आप फिर कहां खो गईं?’’ गोविंदराम ने एक बार फिर टोका.
‘‘तुम्हारी मां तो हैं न?’’
‘‘हां, मां हैं, मगर आप को यकीन दिलाता हूं कि जमना को मैं खुश रखूंगा. किसी तरह की तकलीफ नहीं होने दूंगा.’’
‘‘हां बेटे, जमना को ले जा. इस से शादी कर ले.’’
‘‘अरे, आप ने मुझे बेटा कहा,’’ गोविंदराम ने जब यह पूछा, तब लीलाबाई बोली, ‘‘अरे, उम्र में तुम से बड़ी हूं, इसलिए तू मेरा बेटा हुआ कि नहीं…
‘‘देख जमना, मैं तुझे आजाद करती हूं. तू इस के साथ शादी रचा ले. मेरी अनुभवी आंखें कहती हैं कि यह तुझे धोखा नहीं देगा.’’
‘‘मगर, मैं एक धंधे वाली हूं. यह दाग कैसे मिटेगा?’’ जमना ने पूछा, ‘‘क्या इन की मां एक धंधे वाली को अपनी बहू बना लेगी?’’
‘‘देखो जमना, मैं ने अपनी मां से इजाजत ले ली है, बल्कि मां ने ही मुझे यहां भेजा है,’’ कह कर गोविंदराम ने एक और राज खोल दिया.
‘‘जा जमना जा, कुछ भी मत सोच. इस गंदगी से निकल जा तू. वहां महारानी बन कर रहेगी,’’ दबाव डालते हुए लीलाबाई बोली.
‘‘ठीक है. आप कहती हैं तो मैं चली जाती हूं,’’ उठ कर जमना अपनी कोठरी में गई. मुंह से पुता पाउडरलाली सब उतार कर साड़ी पहन कर एक साधारण औरत का रूप बना कर जब गोविंदराम के सामने आ कर खड़ी हुई, तो वह देखता रह गया.
बाहर कार खड़ी थी. वे दोनों तो कार में बैठ गए.
लीलाबाई सोचती रही, ‘कभी इस का बाप भी इसी तरह कार ले कर आता था…’
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होली का पर्व रंगों के साथ साथ गुझिया, अनरसा और सेव मठरी जैसे पारम्परिक व्यंजनों के लिए जाना जाता है. फ़ास्ट फ़ूड और इंस्टेंट फ़ूड के इस दौर में बच्चों को इन व्यंजनों को खिलाना बेहद मुश्किल काम होता है. आज हमने होली के इन पारम्परिक व्यंजनों को थोड़ा सा ट्विस्ट देकर बनाया है जिससे आपको एक नया स्वाद तो मिलेगा ही साथ ही ये बच्चों को भी बहुत पसंद आयेंगें. तो आइये देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं.
-चाकलेटी गुली गुझिया
कितने लोगों के लिए 8
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाईप वेज
सामग्री
आटा 1 कटोरी
मैदा 1 कटोरी
घी 250 ग्राम
बारीक कटी मेवा (किसा नारियल, किशमिश, चिरोंजी)1 कटोरी
पिसी शकर 1 कटोरी
इलायची पाउडर 1/4 टीस्पून
चाकलेटी चिप्स 1 टेबलस्पून
चाकलेटी सौस 1 टेबलस्पून
विधि-
मैदा में 1 टी स्पून घी का मोयन डालकर कड़ा गूंधकर सूती गीले कपड़े से ढककर रख दें. आटे को पानी की सहायता से पूड़ी जैसा कड़ा गूंध लें. तैयार आटे से एक मोटा सा परांठा बनाएं और नानस्टिक तवे पर घी डालकर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक शैलो फ्राई करें. ठंडा होने पर मिक्सी में बारीक पीसकर छलनी से छान लें. अब 1 टी स्पून गरम घी में पिसे मिश्रण को भून लें. ठंडा होने पर शकर, मेवा और चाकलेट चिप्स मिलाएं. मैदे की छोटी पूड़ी बनाकर गुझिया के सांचे में रखें 1 चम्मच भरावन की सामग्री भरकर गुझिया बनाएं. गरम घी में हल्का सुनहरा होने तक तलें. चाकलेट सौस से गार्निश करके सर्व करें.
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-चीजी अनरसा
कितने लोगों के लिए 10
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाईप वेज
सामग्री
चावल 1/2 किलो
पिसी शकर 250 ग्राम
गाढा दही 1 कटोरी
चीज क्यूब्स 2
खसखस के दाने 1 टेबलस्पून
तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में घी
विधि
अनरसा बनाने से 12 घंटे पूर्व चावल को पानी में भिगो दें. सुबह पानी निकालकर एक सूती कपड़े पर फैला दें. लगभग 6 घंटे बाद इन्हें मिक्सी में बारीक पीस लें. अब पिसे चावल के आटे को दही और शकर मिलाकर सख्त गूंध लें. इसे 3-4 घंटे के लिए ढककर रख दें. 1 चीज क्यूब को 8 भाग में काट लें और हथेली पर छोटी सी लोई रखकर चपटी करके बीच में 1 टुकड़ा रखकर चरों तरफ से पैक कर दें और ऊपर से खसखस के दाने चिपकाएं. गरम घी में धीमी आंच पर हल्का सुनहरा होने तक तलें और गरम गरम में ही उपर से चीज किसकर सर्व करें.
-गुलाब कतरी लड्डू
कितने लोगों के लिए 10-12
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
मील बेसन 500 ग्राम
तेल पर्याप्त मात्रा में
मीठा सोडा 1/4 टी स्पून
गुड़ 500 ग्राम
रंग बिरंगी गुलाब कतरी 50 ग्राम
नारियल लच्छे 1 टेबलस्पून
विधि
बेसन में मीठा सोडा और 1 टेबलस्पून तेल डालकर नरम गूंध लें. अब गरम तेल में सेव बनाने के झारे अथवा सेव मेकर से मोटे सेव बना लें, ध्यान रखें कि सेव पतले न हों. अब गुड़ में 1 कप पानी डालकर तीन तार की गाढी चाशनी बनाएं. सेव, नारियल लच्छे और गुलाब कतरी को चाशनी में अच्छी तरह मिलाकर स्वादिष्ट लड्डू बना लें.
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-चाकलेटी शकरपारे
कितने लोगों के लिए 10
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज
सामग्री
मैदा 250 ग्राम
मोयन के लिए तेल 1 टी स्पून
तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल
डार्क चाकलेट 50 ग्राम
मिल्क चाकलेट 50 ग्राम
विधि
मैदा में मोयन डालकर गुनगुने पानी से पूड़ी जैसा गूंध लें. अब इससे एक मोटी सी पूड़ी बनाकर लंबी लंबी मठरी काट लें. इन्हें गरम तेल में धीमी आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. दोनों चाकलेट को छोटे छोटे टुकड़ों में कटकर एक कटोरे में डालें. गर्म पानी के ऊपर इस कटोरे को रखकर लगातार चलायें. जब चाकलेट पिघल जाये तो गैस बंद कर दें. तले हुए मठरी को एक एक करके चाकलेट में डुबोकर सिल्वर फॉयल पर रखें. आधे घंटे तक फ्रिज में रखकर सर्व करें.
कहानी- नलिनी शर्मा
सांझ का धुंधलका गहराते ही मुझे भय लगने लगता है. घर के सामने ऊंचीऊंची पहाडि़यां, जो दिन की रोशनी में मुझे बेहद भली लगती हैं, अंधेरा होते ही दानव के समान दिखती हैं. देवदार के ऊंचे वृक्षों की लंबी होती छाया मुझे डराती हुई सी लगती है. समझ में नहीं आता दिन की खूबसूरती रात में इतनी डरावनी क्यों लगती है. शायद यह डर मेरी नौकरानी रुकमा की अचानक मृत्यु होने से जुड़ा हुआ है.
रुकमा को मरे हुए अब पूरा 1 माह हो चुका है. उस को भूल पाना मेरे लिए असंभव है. वह थी ही ऐसी. अभी तक उस के स्थान पर मुझे कोई दूसरी नौकरानी नहीं मिली है. वह मात्र 15 साल की थी पर मेरी देखभाल ऐसे करती थी जैसे मां हो या कोई घर की बड़ी.
मेरी पसंदनापसंद का रुकमा को हमेशा ध्यान रहता था. मैं उस के ऊपर पूरी तरह आश्रित थी. ऐसा लगता था कि उस के बिना मैं पल भर भी नहीं जी पाऊंगी. पर समय सबकुछ सिखा देता है. अब रहती हूं उस के बिना पर उस की याद में दर्द की टीस उठती रहती है.
वह मनहूस दिन मुझे अभी भी याद है. रसोईघर का नल बहुत दिनों से टपक रहा था. उस की मरम्मत के लिए मैं ने वीरू को बुलाया और उसे रसोईघर में ले जा कर काम समझा दिया तथा रुकमा को देखरेख के लिए वहीं छोड़ कर मैं अपनी आरामकुरसी पर समाचारपत्र ले कर पसर गई.
सुबह की भीनीभीनी धूप ने मुझे गरमाहट पहुंचाई और पहाडि़यों की ओर से बहने वाली बयार ने मुझे थपकी दे कर सुला दिया था.
अचानक झटके से मेरी नींद खुल गई. ध्यान आया कि नल मरम्मत करने आया वीरू अभी तक काम पूरा कर के पैसे मांगने नहीं आया था. हाथ में बंधी घड़ी देखी तो उसे आए पूरा 1 घंटा हो चुका था. इतने लंबे समय तक चलने वाला काम तो था नहीं. फिर मैं ने रुकमा को कई बार आवाज दी पर उत्तर न पा कर कुछ विचित्र सा लगा क्योंकि वह मेरी एक आवाज सुनते ही सामने आ कर खड़ी हो जाती थी. मजबूर हो कर मैं खुद अंदर पता लगाने गई.
रसोईघर का दृश्य देख कर मैं चौंक गई. गैस बर्नर के ऊपर दूध उफन कर बह गया था जिस के कारण लौ बुझ गई थी और गैस की दुर्गंध वहां भरी हुई थी. वीरू और रुकमा अपने में खोएखोए रसोईघर में बने रैक के सहारे खडे़ हो कर एकदूसरे को देख रहे थे. सहसा मुझे प्रवेश करते देख दोनों अचकचा गए.
मैं ने क्रोधित हो कर दोनों को बाहर निकलने का आदेश दिया. नाक पर कपड़ा रख कर पहले बर्नर का बटन बंद किया. फिर मरम्मत किए हुए नल की टोंटी की जांच की और बाहर आ गई. वीरू को पैसे दे कर चलता किया और रुकमा को चायनाश्ता लाने का आदेश दे कर मैं फिर आरामकुरसी पर आ बैठी.
वातावरण में वही शांति थी. लेकिन रसोईघर में देखा दृश्य मेरे दिलोदिमाग पर अंकित हो गया था. रुकमा चाय की ट्रे सामने तिपाई पर रखने के लिए जैसे ही मेरे सामने झुकी तो मैं ने नजरें उठा कर पहली बार उसे भरपूर नजर से देखा.
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मेरे सामने एक बेहद सुंदर युवती खड़ी थी. वह छोटी सी बच्ची जिसे मैं कुछ साल पहले ले कर आई थी, जिसे मैं जानती थी, वह कहीं खो गई थी. मेरा ध्यान ही नहीं गया था कि उस में इतना बदलाव आ गया था. मेरी दी हुई गुलाबी साड़ी में उस की त्वचा एक अनोखी आभा से दमक रही थी. उस की खूबसूरती देख कर मुझे ईर्ष्या होने लगी.
मैं ने चाय का घूंट जैसे ही भरा, मुंह कड़वा हो गया. वह चीनी डालना भूल गई थी. वह चाय रखने के बाद हमेशा की तरह मेरे पास न बैठ कर अंदर जा ही रही थी कि मैं ने रोक लिया और कहा, ‘‘रुकमा, यह क्या? चाय बिलकुल फीकी है और मेरा नाश्ता?’’
बिना कुछ कहे वह अंदर गई और चीनी का बरतन ला कर मेरे हाथ में थमा दिया.
मैं ने फिर टोका, ‘‘रुकमा, नाश्ता भी लाओ. कितनी देर हो गई है. भूल गई कि मैं खाली पेट चाय नहीं पीती.’’
वह फिर से अंदर गई और बिस्कुट का डब्बा उठा लाई और मुझे पकड़ा दिया. मैं ने चिढ़ कर कहा, ‘‘रुकमा, मुझे बिस्कुट नहीं चाहिए. सवेरे नाश्ते में तुम ने कुछ तो बनाया होगा? जा कर लाओ.’’
वह अंदर चली गई. बहुत देर तक जब वह वापस नहीं लौटी तो मैं चाय वहीं छोड़ कर उसे देखने अंदर गई कि आखिर वह बना क्या रही है.
वह रसोईघर में जमीन पर बैठी धीरेधीरे सब्जी काट रही थी. उस का ध्यान कहीं और था. मेरे आने की आहट भी उसे सुनाई नहीं दी. कुछ ही घंटों में उस में इतना अंतर आ गया था. पल भर के लिए चुप न रहने वाली रुकमा ने अचानक चुप्पी साध ली थी.
रोज मैं उसे अधिक बोलने के लिए लताड़ लगाती थी पर आज मुझे उस का चुप रहना बुरी तरह अखर रहा था.
सिर से पानी गुजरा जा रहा था. मैं ने उस से दोटूक बात की, ‘‘रुकमा, जब से वह सड़कछाप छोकरा वीरू नल ठीक करने आया, तुम एकदम लापरवाह हो गई हो. क्या कारण है?’’
मेरे बारबार पूछने पर भी उस का मुंह नहीं खुला. मानो सांप सूंघ गया हो. उस के इस तरह खामोश होने से दुखी हो कर मैं ने उस वीरू के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि वह विवाहिता है तथा 2 छोटे बच्चे भी हैं. यह भी पता चला कि वह और रुकमा अकसर सब्जी की दुकान में मिला करते हैं.
मुझे रुकमा का विवाहित वीरू से इस तरह मिलने की बात सुन कर बहुत बुरा लगा. यह मेरी प्रतिष्ठा का प्रश्न था. उस की बदनामी के छींटे मेरे ऊपर भी गिर सकते थे. मैं रुकमा को बुला कर डांटने का विचार कर ही रही थी कि गेट के बाहर जोरजोर से बोलने की आवाज सुनाई दी. देखा, एक बूढ़ा व्यक्ति मैलेकुचैले कपड़ों में अंदर आने की कोशिश कर रहा है और चौकीदार उसे रोक रहा है. मैं ने ऊंचे स्वर में चौकीदार को आदेश दिया कि वह उसे अंदर आने दे.
आते ही वह बुजुर्ग मेरे पैरों पर गिर कर रोने लगा. बोला, ‘‘मां, मेरी बेटी का घर बचाओ. मेरा दामाद आप की नौकरानी रुकमा से शादी करने के लिए मेरी बेटी को छोड़ रहा है.’’
मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हारा दामाद कौन, वीरू?’’
प्रत्युत्तर में वह जमीन पर सिर पटक कर रोने लगा. मैं भौचक्की सी सोचने लगी ‘तो मामला यहां तक बिगड़ चुका है.’
मैं ने उसे सांत्वना देते हुए वचन दिया कि मैं किसी भी हालत में उस की बेटी का घर नहीं उजड़ने दूंगी.
आश्वस्त हो कर जब वह चला गया तो रुकमा को बुला कर मैं ने बुरी तरह डांटा और धमकाया, ‘‘बेशर्म कहीं की, तुझे शादी की इतनी जल्दी पड़ी है तो अपने बापभाई से क्यों नहीं कहती? विवाहित पुरुष के पीछे पड़ कर उस की पत्नी का घर बरबाद क्यों कर रही है? मैं आज ही तेरे भाई को बुलवाती हूं.’’
वह अपने बाप से ज्यादा हट्टेकट्टे भाई से डरती थी जो जरा सी बात पर झगड़ा करने और किसी को भी जान से मार देने की धमकी के लिए मशहूर था. रुकमा बुरी तरह से डर गई. बहुत दिनों बाद उस की चुप्पी टूटी. बोली, ‘‘अब मैं उस की ओर देखूं भी तो आप सच में मेरे भाई को खबर कर देना.’’
कान पकड़ कर वह मेरे पैरों में झुक गई. इस घटना के बाद सबकुछ सामान्य सा हो गया प्रतीत होता था. मैं अपने काम में व्यस्त हो गई.
मुश्किल से 15 दिन ही बीते थे कि एक दिन दोपहर में जब मैं बाहर से घर लौटी तो दरवाजे पर ताला लगा देख कर चौंक गई. रुकमा कहां गई? यह सवाल मेरे दिमाग में रहरह कर उठ रहा था. खैर, पर्स से घर की डुप्लीकेट चाबी निकाल कर दरवाजा खोला और अंदर गई तो घर सांयसांय कर रहा था. दिल फिर से आशंका से भर गया और रुकमा की अनुपस्थिति के लिए वीरू को दोषी मान रहा था.
शाम हो गई थी पर रुकमा अभी तक लौटी नहीं थी. चौकीदार सब्जी वाले के यहां पता लगाने गया तो पता चला कि आज दोनों को किसी ने भी नहीं देखा. वीरू के घर से पता चला कि वह भी सवेरे से निकला हुआ था. आशंका से मेरा मन कांपने लगा.
2 दिन गुजर गए थे. वीरू व रुकमा का कहीं पता नहीं था. मैं ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी थी. किसी ने रुकमा के बाप व भाई को भी सूचित कर दिया था. सब हैरान थे कि वे दोनों अचानक कहां गुम हो गए. पुलिस जंगल व पहाडि़यों का चप्पाचप्पा छान रही थी. उधर रुकमा का भाई अपने हाथ में फसल काटने वाला चमचमाता हंसिया लिए घूमता दिखाई दे रहा था.
एक सप्ताह बाद मुझे पुलिस ने एक स्त्री की क्षतविक्षत लाश की शिनाख्त करने के लिए बुलवाया जोकि पहाडि़यों के पास जंगली झाडि़यों के झुरमुट में पड़ी मिली थी. लाश के ऊपर की नीली साड़ी मैं तुरंत पहचान गई जोकि रुकमा ने मेरे घर से जाते समय चुरा ली थी. मुझे लाश पहचानने में तनिक भी समय नहीं लगा कि वह रुकमा ही थी.
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रुकमा का मृत शरीर मिल गया था. पर वीरू का कहीं पता नहीं था और उस का भाई अब भी हंसिया लिए घूम रहा था. चौकीदार ने बताया कि पहाड़ी लोग अपने घरपरिवार को कलंकित करने वाली लड़की या स्त्री को निश्चित रूप से मृत्युदंड देते हैं. साथ ही वह उस के प्रेमी को भी मार डालते हैं जिस के कारण उन के घर की स्त्री रास्ता भटक जाती है.
मुझे दुख था रुकमा की मृत्यु का. उस से भी अधिक दुख था मुझे कि मैं वीरू की पत्नी का घर बचाने में असमर्थ रही थी. मैं बारबार यही सोचती कि आखिर वीरू गया कहां? मैं इसी उधेड़बुन में एक शाम रसोईघर में काम कर रही थी कि पिछवाड़े किसी के चलने की पदचाप सुनाई दी. सांस रोक कर कान लगाया तो फिर से किसी के दबे पैरों की पदचाप सुनाई दी. हिम्मत बटोर कर जोर से चिल्लाई ‘‘कौन है? क्या काम है? सामने आओ, नहीं तो पुलिस को फोन करती हूं.’’
रसोईघर के पिछवाड़े की ओर खुलने वाली खिड़की के सामने जो चेहरा नजर आया उसे देख कर मेरे मुंह से मारे खुशी के आवाज निकल गई, ‘‘तुम जीवित हो?’’
वह वीरू था. फटेहाल, बदहवास चेहरा, मेरे घर के पिछवाडे़ में घने पेड़ों के बीच छिपा हुआ था. किसी ने भी मेरे घर के पीछे उसे नहीं खोजा था. वह डर के मारे बुरी तरह कांप रहा था.
मुझे आश्चर्य हुआ कि मेरे चौकीदार की चौकन्नी आंखों से वह कैसे बचा रहा. मुझे भी उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उस ने नल ठीक करने के साथ रुकमा को बिगाड़ दिया था. मन करने लगा कि लगाऊं उसे 2-4 थप्पड़. पर उस की हालत देख कर मैं ने क्रोध पर काबू पाना ही उचित समझा.
पिछवाड़े का दरवाजा खोल कर उसे रात के घुप अंधेरे में चुपचाप अंदर बुला लिया क्योंकि मुझे उस की पत्नी व बच्चों को उन का सहारा लौटाना था. मैं ने उसे खाने को दिया और वह उस पर टूट पड़ा. उस का खाना देख कर लगा कि भूख भी क्या चीज है.
वीरू के खाना खा लेने के बाद मैं ने उस से कहा, ‘‘तुम ने यह बहुत घिनौना काम किया है कि विवाहित हो कर भी एक कुंआरी लड़की को अपने जाल में फंसाया. तुम्हारे कारण ही उस की हत्या हुई है. तुम दोषी हो अपनी पत्नी व बच्चों के, जिन्हें तुम ने धोखा दिया. तुम ने तो रुकमा से कहीं अधिक बड़ा अपराध किया है. तुम्हारे साथ मुझे जरा भी सहानुभूति नहीं है पर मैं मजबूर हूं तुम्हारी रक्षा करने के लिए क्योंकि मैं ने तुम्हारी मासूम पत्नी के पिता को वचन दिया है कि उस की बेटी का घर मैं कदापि उजड़ने नहीं दूंगी.’’
ऐसा कहते हुए मैं ने उसे रसोईघर के भंडारगृह में बंद कर ताला लगा दिया. वीरू, रुकमा तथा उस का भाई तीनों अपराधी थे. लेकिन इन के अपराध की सजा वीरू की पत्नी व बच्चों को नहीं मिलनी चाहिए. करे कोई, भरे कोई. इन्हें न्याय दिलवाना ही होगा तो इस के लिए मुझे वीरू की रक्षा करनी होगी.
मुझे वीरू से पता चला कि रुकमा की हत्या के अपराध में उस के जिस भाई को पुलिस ढूंढ़ रही थी वह उस के घर में घात लगाए उस की बीवी व बच्चों को बंधक बना कर छिपा बैठा था. इस रहस्य को केवल वही जानता था क्योंकि रात के अंधेरे में जब वह अपने बीवीबच्चों से मिलने गया था तो तब उस ने उस को वहां छिपा हुआ देखा था.
वीरू को सुरक्षित ताले में बंद कर मैं आश्वस्त हो गई और फिर तुरंत ही रुकमा के भाई को सजा दिलवाने के लिए मैं ने पुलिस को फोन द्वारा सूचित कर दिया. यही एक रास्ता था मेरे पास अपना वचन निभाने का और वीरू की पत्नी व बच्चों का सहारा लौटा कर घर बचाने का, उन्हें न्याय दिलाने का.
मेरी शिकायत पर पुलिस रुकमा के भाई को पकड़ कर ले गई. मैं ने ताला खोल कर वीरू को बाहर निकाल कर कहा, ‘‘जाओ, अपने घर निश्ंिचत हो कर जाओ. अब तुम्हें रुकमा के भाई से कोई खतरा नहीं है. वह जेल में बंद है.’’
वीरू ने अपने घर जाने से साफ मना कर दिया. वह अब भी भयभीत दिखाई दे रहा था. मेरा माथा ठनका. रहस्य और अधिक गहराता जा रहा था. मैं ने उस से बारबार पूछा तो वह चुप्पी साधे बैठा रहा.
मैं क्रोध से चीखी, ‘‘आखिर अपने ही घर में तुम्हें किस से भय है? मैं तुम्हें सदा के लिए यहां छिपा कर नहीं रख सकती. अगर तुम ने सच बात नहीं बताई तो मैं तुम्हें भी पुलिस के हवाले कर दूंगी. क्योंकि सारी बुराई की जड़ तो तुम्ही हो.’’
वह हकलाता हुआ बोला, ‘‘मांजी, किसी से मत कहिएगा, मेरे बच्चे बिन मां के हो जाएंगे. मेरी पत्नी ने मेरे ही सामने रुकमा की हत्या की थी और अब वह मेरे खून की भी प्यासी है. मुझे यहीं छिपा लो.’’
कहते हुए वह फफकफफक कर रोने लगा.
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होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.
इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,
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ये सही है कि कई बार सब कुछ ध्यान रखने के बाद भी कुछ न कुछ समस्या होली के बाद त्वचा में आ जाती है, इसलिए त्वचा की सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है. कई बार रगड़ने के बावजूद भी रंग सही तरीके से नहीं उतरता, ऐसे में कुछ आसान टिप्स बेहद फायदेमंद होते हैं-
इसके आगे डा. अप्रतिम गोयल का कहना है कि होली पर लोग मस्ती करने के लिए जानवरों पर भी रंग फेकते हैं जो ठीक नहीं. जानवरों को रंग से हमेशा दूर रखना चाहिए. घरों में रहने वाले जानवर इस लिहाज से थोड़ा सुरक्षित रहता है, पर गली-मुहल्लों में शरारती बच्चे उन्हें परेशान करते है. जानवर अधिकतर चाटकर अपने आप को साफ करते हैं, ऐसे में केमिकल युक्त रंग उनके पेट में चला जाता है, जिससे उन्हें कई प्रकार के पेट की बीमारी हो जाती है, इतना ही नहीं अगर ये रंग उनके आंखों तक जाती है, तो वे अंधे भी हो सकते हैं, इसलिए अगर आपके पालतू जानवर के साथ ऐसा हुआ हो तो, उसे माइल्ड शैम्पू से धो लें और वेटिनरी डाक्टर से सम्पर्क करें.