Vegan Diet को हेल्दी बनाएंगे प्रोटीन से भरपूर ये 5 Food

क्या है वीगन डाइट

वीगन डाइट जिसे वीगानिज़्म भी कहा जाता है, एक ऐसी डाइट है, जिसमें मांस, अंडा, दूध, दही या पशु से बनने मिलने वाले उत्पादों को नहीं खाया जाता. बल्कि वीगन डाइट में सबसे अधिक पेड़पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को खाया जाता है.  इस डाइट में कच्चे ऑर्गेनिक आहार का अधिक सेवन किया जाता है. साबुत फल, सब्जियां और अनाज इस डाइट की विशेषता हैं.  इसे शुद्ध शाकाहारी आहार या प्लांट बेस्ड डाइट भी कहा जाता है.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि वीगन डाइट में मांस, अंडा, दूध, दही जैसे खाद्य पदार्थ न होने की वजह से प्रोटीन की कमी को कैसे पूरा किया जाए? इस संबंध में पल्लवबिहानी बोल्डफ़िट के फाउंडर ऐसे सुपरफूड्स के बारे में बताएंगे, जिनके सेवन से आप वीगन डाइट को फॉलो करते हुए प्रोटीन का भरपूर सेवन कर सकते हैं.

वीगन डाइट में प्रोटीन के स्रोत –

शाकाहारी लोगों में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए बहुत से खाद्य उत्पाद हैं.  उच्च गुणवत्ता वाले शाकाहारी प्रोटीन स्रोतों की कमी नहीं है, लेकिन बता दें कि सबसे अधिक सोया से बने उत्पादों में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. बता दें कि टोफू, दालें, बीन्स, अनाज सभी में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है.  जैसे-

  • दाल एक कप18 ग्राम प्रोटीन
  • काले राजमा एक कप15 ग्राम प्रोटीन
  • चना एक कप12 ग्राम प्रोटीन
  • 114ग्राम टोफू में 11 ग्राम प्रोटीन
  • क्विनोआ एक कप9 ग्राम प्रोटीन

इसके अतिरिक्त नट, नट बटर, कई प्रकार की फलियों और अनाज में भी प्रोटीन पाया जाता है. वीगन डाइट में प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए वेजीटेरियन प्रोटीन पाउडर या वेगन प्लांट प्रोटीन का भी स्मूदी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है. इसमें कार्ब की मात्रा बहुत कम होती है, शुगर शून्य के बराबर और यह कीटो फ्रेंडली भी होता है.

वीगन डाइट के लिए प्रोटीन से भरपूर 5 सुपरफूड्स –  

आपने सुना होगा कि वीगन डाइट को फॉलो करने के दौरान प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ या मल्टी विटामिन्स से भरपूर डाइट लेना जरूरी होता है. आइए जानते हैं वीगन डाइट के लिए प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ कौन से हैं.

टोफू टोफू पनीर या चीज का वीगन स्वरूप है.  टोफू डेयरी उत्‍पादों के बेहतरीन विकल्‍प के रूप में इस्‍तेमाल होता है.  हालांकि इसका स्‍वाद पनीर से थोड़ा अलग होता है. प्रोटीन से भरपूर टोफू का इस्‍तेमाल कई व्‍यंजनों को बनाने में किया जा सकता है. वीगन डाइट में टोफू को शामिल करके आप प्रोटीन की कमी को आसानी से दूर कर सकते हैं. इसके अलावा टोफू में अमीनो एसिड के नौ सभी जरूरी तत्‍व शामिल होते हैं.  इसमें आयरन, कैल्शियम और कई मिनरल्स जैसे मैंगनीज और फास्फोरस होता है. टोफू मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और विटामिन बी1 से भी भरपूर होता है.  ये सभी मल्टीविटामिन शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं.

फ्लैक्सीड्स–  फ्लैक्सीड्स यानि अलसी के बीज.  फ्लैक्सीड्स प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं. फ्लैक्सीड्स को दिनभर में किसी भी वक्त स्नैक्स के रूप में या स्मूीदी में मिलाकर या डेजर्ट के रूप खा सकते हैं. ये न सिर्फ कुछ समय के लिए भूख को शांत करेगा बल्कि इससे शरीर को आवश्यक प्रोटीन भी प्राप्त होता है. 100 ग्राम फ्लैक्सीड्स में 18 ग्राम प्रोटीन शामिल होता है. इसके अलावा इसमें विटामिन बी1, विटामिन बी6, फोलेट, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस,पोटेशियम जैसे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व शामिल होते हैं.

दाल हम सभी जानते हैं कि दालों में उच्‍च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. दाल चावल भारत में दोपहर के भोजन में बहुत मशहूर हैं. इसके सेवन से आप पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं. दालें कई प्रकार की हैं आप अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी दाल का सेवन करके प्रोटीन की कमी को दूर कर सकते हैं.  इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन, सेलेनियम और फोलेट होता है, जोकि शरीर को आवश्यक पोषण देने का काम करता है.

बीन्स  अगर आप वीगन डाइट को खास बनाने के लिए कुछ अलग सोर्स की तलाश कर रहे हैं तो बीन्स से बेहतर कुछ नहीं. राजमा, काले चने, छोले, इनमें से किसी को भी उबाल कर सलाद के तौर पर खाया जा सकता है. ये ना सिर्फ प्रोटीन से भरपूर होते हैं बल्कि ये एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कि शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से लड़ते हैं , इसके अलावा इनमें फोलेट, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम,फाइबर जैसे आवश्यक तत्व भी होते हैं.

एडामे: एडामे एक प्रकार की फली है, जिसमें सोयाबीन पाया जाता है.  ये फली भी मटर के समान दिखती है और हरी सब्जियों के परिवार से संबंधित है. यह एशिया और जापान में बहुत लोकप्रिय है. एडामे को उबालकर इसमें और थोड़ा नमक डालकर और अपनी पसंद के कई तरह के मसालों को मिलाकर इसे खाया जाता है. एडामे में उच्च स्तर का प्रोटीन भी होता है जो शरीर के संपूर्ण विकास में मदद करता है. एडामे फोलेट, विटामिन-के और फाइबर से भी भरपूर होता है. कम कैलोरी होने के कारण ये न सिर्फ वजन घटाने, बल्कि कॉलेस्ट्रॉफल को नियंत्रि‍त करने और कैंसर से लड़ने में भी मददगार साबित होता है.

ऐसी स्थिति में जरूरी होते हैं सप्लीमेंट्स

आमतौर पर देखा गया है कि वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोगों में विटामिन बी 12, विटामिनडी, आयोडीन, ओमेगा-3डीएचए और ईपीए, विटामिन के2, जिंक, सेलेनियम, मैगनीशियम की कमी हो जाती है.  ऐसे में लोगों को प्रोटीन और अन्य विटामिन्स से भरपूर खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन किन्हीं कारणों से जब खाद्य पदार्थों के माध्यम से विटामिन और मिनरल्स की कमी पूरी नहीं होती तो उन्हें वीगन एसेंशियल न्यूट्रिशन से भरपूर सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है.

जोड़ों के दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है गठिया बाय

हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी जोड़ों के दर्द से पीडि़त होते हैं. हालांकि सभी जोड़ों के दर्द का मतलब यह नहीं है कि हम आर्थराइटिस से पीडि़त हैं. लेकिन 1 से अधिक जोड़ों में लगातार होने वाले दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. जोड़ों के दर्द को नजरअंदाज करने से जोड़ों में खराबी आ सकती है और परिणामस्वरूप उनमें विकृति आ सकती है. इसलिए चिकित्सीय सहायता जरूरी है.

इसके अलावा आर्थराइटिस के 200 विभिन्न प्रकार हैं. विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस में गंभीरता के विभिन्न स्तर होते हैं. आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकारों में, गठिया बाय भारत में आर्थराइटिस का दूसरा सब से आम प्रकार है. गठिया बाय आर्थराइटिस का गंभीर प्रकार है क्योंकि यह सिर्फ जोड़ों का रोग नहीं है बल्कि यह त्वचा, आंखें, हृदय, फेफड़े और गुर्दे जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित करता है. गठिया बाय एक ऑटोइम्यून रोग है जिसका अर्थ है कि प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ समस्या है. गठिया बाय में रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देती है और दर्द और अन्य लक्षण जैसे सूजन और जकड़न का कारण बनती है. इससे शुरुआत में छोटे जोड़ प्रभावित होते हैं लेकिन बाद में शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं.

गठिया बाय बहुत तेजी से आगे बढ़ता है और इसलिए शरीर के अन्य भागों में विकृति और जटिलताओं को रोकने के लिए प्रारंभिक अवस्था में गठिया बाय का निदान और उपचार करना आवश्यक है.

यहां कुछ लक्षण दिए गए हैं जो गठिया बाय को पहचानने और अपने डॉक्टर से परामर्श करने में मदद कर सकते हैं.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द जो आराम करने से कम नहीं हो रहा है और दिनों दिन बढ़ रहा है. एक से अधिक जोड़ों में दर्द हाथ, कोहनी और कंधे आदि के जोड़. आपके हाथों की उंगलियों के जोड़ और पैरों के तलवों में सूजन इसकी वजह से मुट्ठी बांधना और वस्तुओं को पकड़ना मुश्किल हो जाता है और लोगों से हाथ मिलाते समय भी दर्द होता है.

सुबह 1 घंटे से अधिक समय तक जोड़ों में अकड़न सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना जिस से बिस्तर से उठना और दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है.

परिवार में किसी भी व्यक्ति को गठिया बाय होना गठिया बाय वंशानुगत हो सकता है. यदि आपके किसी निकट संबंधी को गठिया बाय है तो संभावना है कि आपको भी यह हो सकता है.

थकान और हल्का बुखार

आप थकान का अनुभव करते हैं जो आराम करने से भी कम नहीं होता है और हल्का बुखार रहता है.

जोड़ों के दर्द के लिए दर्द निवारक दवा लेने की जरूरत है 

आपको दर्द नाशक दवाएं लेनी पड़ती हैं क्योंकि घरेलू उपचार से दर्द कम नहीं हो रहा है. दर्द नाशक दवाएं केवल लक्षणों में आराम देते हैं. इसमें खुद से दवा लेना उपयोगी नहीं होता है. यह समय है जब आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें. डॉक्टर इसका सही निदान और उपचार करने में आपकी सहायता करेंगे.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द जो आराम करने से कम नहीं हो रहा है और दिनों दिन बढ़ रहा है. एक से अधिक जोड़ों में दर्द हाथ, कोहनी और कंधे आदि के जोड़.

आपके हाथों की उंगलियों के जोड़ और पैरों के तलवों में सूजन इसकी वजह से मुट्ठी बांधना और वस्तुओं को पकड़ना मुश्किल हो जाता है और लोगों से हाथ मिलाते समय भी दर्द होता है.

सुबह 1 घंटे से अधिक समय तक जोड़ों में अकड़न सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना जिस से बिस्तर से उठना और दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है.

परिवार में किसी भी व्यक्ति को गठिया बाय होना गठिया बाय वंशानुगत हो सकता है. यदि आपके किसी निकट संबंधी को गठिया बाय है तो संभावना है कि आपको भी यह हो सकता है.

थकान और हल्का बुखार

आप थकान का अनुभव करते हैं जो आराम करने से भी कम नहीं होता है और हल्का बुखार रहता है.

जोड़ों के दर्द के लिए दर्द निवारक दवा लेने की जरूरत है

आपको दर्द नाशक दवाएं लेनी पड़ती हैं क्योंकि घरेलू उपचार से दर्द कम नहीं हो रहा है. दर्द नाशक दवाएं केवल लक्षणों में आराम देते हैं. इसमें खुद से दवा लेना उपयोगी नहीं होता है. यह समय है जब आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें. डॉक्टर इसका सही निदान और उपचार करने में आपकी सहायता करेंगे.

Winter Special: कालेज के बाद भी रहें तरोताजा

कालेज लाइफ में युवतियों में एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ रहती है. बात चाहे पढ़ाई की हो, सुंदरता की हो या फिर हौट दिखने की, खुद को सब से बेहतर साबित करने के लिए युवतियां हरसंभव प्रयास करती हैं.

खुद को फिट रखने के लिए जहां जिम जौइन करती हैं, पार्कों में अकसर सुबह फिटनैस के तमाम उपाय अपनाती दिखती हैं, वहीं सुंदर लुक के लिए डिजाइनर कपड़े पहनती हैं. मौडर्न ड्रैसेज, मिड्डी, शौर्ट्स, जैगिंग्स का उन का सलैक्शन लाजवाब होता है. उन्हें लगता है कि बस वे सब पर छा जाएं. इस से उन के दोस्त बनेंगे जिस से वे अपने ग्रुप के साथसाथ अपने कालेज में भी चर्चित होंगी.

युवतियां अपने बाहरी रंगरूप को संवारने में ही आगे नहीं रहतीं, बल्कि अपनी जानकारी व इंटैलिजैंसी का लोहा मनवाने के लिए भी एकैडमिक रिजल्ट को सही रखने के साथसाथ तमाम कालेज ऐक्टिविटीज में बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं.

स्मार्ट दिखने, आगे रहने, ऐक्टिविटीज में भाग लेने व खुद को ऐनर्जैटिक रखने के ये तमाम प्रयत्न कालेज लाइफ खत्म होते ही डंप हो जाते हैं और उन की दिनचर्या में ढीलापन व सुस्ती हावी हो जाती है.

आखिर ऐसा क्यों होता है कि कालेज खत्म होते ही युवतियों के स्वभाव में चेंज आने लगता है. ये ढीलापन ड्रैस सैंस में, फिटनैस में, नौलेज में, बात करने के तरीके में भी स्पष्ट झलकने लगता है. कारण बताते हुए आकांक्षा कहती है कि कालेज लाइफ के बाद भी ऐसा लगने लगता है कि हम ने न तो ड्रैस फ्रैंड्स को दिखानी है और न ही अपना लुक. सिर्फ घर में ही तो रहना है इसलिए अब तो नाइट सूट में ही पूरे दिन मजे से रहो. जब चाहे सो कर उठो, जो मरजी खाओ, जितना चाहे टीवी देखो, पढ़ो या नहीं पढ़ो, सब अपनी मरजी के अनुसार होता है.

  1. मनमरजी को कहें बाय

कहने को तो मरजी कालेज में भी चलती है, लेकिन तब वह कुछ हद तक हमारी पर्सनैलिटी में निखार लाती है. घर बैठ कर मनमरजी चलाना खुद के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता.

पेरैंट्स जब इस सुस्ती व ढीलेपन पर बारबार टोकते हैं तो उन्हें भी वे नजरअंदाज करती हैं. सुस्ती व ढीलापन शरीर के साथसाथ मानसिक तनाव भी देता है, जिस से निकलना आसान नहीं होता.

अनुपमा सिन्हा कहती है, ‘‘कालेज के बाद आप रैस्ट मूड में हैं, आप का कमरा, ड्रैसेज, किचेन सब अस्तव्यस्त है, परंतु घर के बाकी सदस्य हमारे इस बदले लाइफस्टाइल से कितने डिस्टर्ब हो रहे हैं, यह समझने के मैनर्स तो हम में होने चाहिए,’’ लेकिन अनुपमा की बात काटते हुए शशांक बोला, ‘‘यार, हर समय, हर जगह तो हम खुद को नियमों में नहीं बांध सकते. आफ्टर औल, रिलैक्सेशन भी तो कोई चीज है, क्या हम इसे भी फुलफिल ऐंजौय नहीं कर सकते.’’

इन दोनों के मत को इस प्रतिनिधि ने कुछ यंगस्टर्स के सामने रखा तो अधिकतर गर्ल्स का यही कहना था कि ऐंजौय करने की भी एक सीमा होनी चाहिए. इसलिए मनमरजी को कहें बाय और अपनी पर्सनैलिटी को कहें हाय.

2. फिटनैस का फंडा

कुछ भी खानेपीने से परहेज करें

कालेज टाइम में आप ने अपना खाने का जैसा रूटीन बना रखा था उसी का पालन करें. ऐसा न हो कि जो मिला, जितनी बार मिला, खा लिया. अपने पेट को फैलता हुआ कुआं न बनाएं. फास्ट फूड से परहेज रखें, क्योंकि इस में कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिस से मोटापा बढ़ता है. मोटापा बढ़ने से कौन्फिडैंस लैवल भी घटेगा.

पोषक तत्त्वों से भरपूर डाइट लें. फल व सब्जियों में रस व फाइबर होने से ये जहां आप को ऊर्जा प्रदान करेंगे, वहीं इन से आप को लंबे समय तक भूख भी नहीं लगेगी. जब आप पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करेंगी तो इस से आप फिट तो रहेंगी ही साथ ही आत्मविश्वास भी बरकरार रहेगा.

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज से पासआउट स्नेहा ने बताया कि जब मैं कालेज में पढ़ती थी तो अपनेआप को फिट रखती थी, लेकिन जैसे ही कालेज की पढ़ाई खत्म हुई मैं ने खुद पर ध्यान देना ही छोड़ दिया, जिस का नतीजा यह हुआ कि कालेज में जो दोस्त मेरी फिटनैस और अपटुडेट रहने की तारीफ करते नहीं थकते थे आज वही मुझे बेवकूफ व झल्ली कहने से नहीं हिचकते. इसलिए मैं कालेज पासआउट युवतियां, जो घर में रहती हैं, से कहना चाहूंगी कि कालेज छूटने के बाद भी अपनी दिनचर्या पर विशेष ध्यान दें.

3. ऐक्सरसाइज जरूर करें

भले ही कालेज टाइम में आप बहुत ज्यादा ऐक्सरसाइज यह सोच कर न करती हों कि कालेज आनेजाने में ही काफी ऐक्सरसाइज हो जाती है, लेकिन ऐसी सोच कालेज के बाद सही नहीं है, क्योंकि घर पर रहने से शारीरिक व्यायाम कम ही हो पाता है जिस से मोटापा व अन्य बीमारियां बढ़ने की आशंका बनी रहती है, इसलिए ऐक्सरसाइज का रूटीन जरूर बनाएं.

रोजाना सुबह जल्दी उठ कर पार्क जाएं. पार्क जाने से जहां आप का ऐक्सरसाइज का रूटीन बनेगा वहीं आप का प्रकृति से लगाव भी बढ़ेगा. हो सकता है कि आप पार्क में जा कर ऐक्सरसाइज करने के मूड में न हों, ऐसे में आप जिम भी जौइन कर सकती हैं. लेकिन एक बात का ध्यान जरूर रखें कि ऐक्सरसाइज कभी न छोड़ें.

अंजू वर्मा का कहना है कि मैं कालेज टाइम में बहुत पतली थी. मुझे लगता था कि मैं हमेशा ऐसी ही रहूंगी, इसलिए मैं ने कालेज के बाद ऐक्सरसाइज करना छोड़ दिया, जिस का रिजल्ट यह हुआ कि मैं मोटी हो गई. आज मुझे इस बात का बहुत पछतावा है. काश, मैं उसी समय संभल जाती तो आज मेरी ऐसी हालत न होती.

दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कालेज से ग्रैजुएट दीक्षा का कहना है कि मैं ने अपना वही रूटीन रखा जो मेरा कालेज टाइम में था. ऐसा मैं इसलिए भी कर पाई, क्योंकि हमारे परिवार में सभी का सुबह जल्दी उठ कर ऐक्सरसाइज करने का रूटीन है. इस से मैं अब भी वैसी की वैसी ही हूं.

4. वजन पर नियंत्रण रखें

हफ्ते में एक बार वजन जरूर कराना चाहिए ताकि अगर आप का वजन बढ़ रहा है तो उसे शुरुआती दौर में ही नियंत्रित किया जा सके.

अगर आप ने जिम जौइन कर रखा है तो वहां रोजरोज वजन तौल कर खुद को परेशान न करें, क्योंकि यदि वजन बढ़ता है तो तनाव भी बढ़ता है. यदि आप को लग रहा है कि आप वजन पर नियंत्रण नहीं रख पा रही हैं तो अपने जिम के डाइटीशियन से डाइट चार्ट बनवा लें. फिर भी अगर वजन कम न हो तो चिकित्सक की राय लें. इस प्रकार आप खुद को फिट रख पाएंगी. इस विषय पर खासतौर से ध्यान दें कि अनेक कंपनियों के आज सप्लिमैंट्स फूड्स के नाम से कुछ पेय पदार्थ मार्केट में हैं, जिन्हें सुबह और रात को लेने से नाश्ता व रात का खाना नहीं खाना होता है लेकिन कहीं ये पेय पदार्थ आप की सेहत से तो खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं, इसलिए इन से सजग रहें.

5. स्मार्टनैस बरकरार रखें

खुद को समय के अनुसार ढालें. ऐसा न सोचें कि अब मुझे देखने वाला कौन है जो मैं कपड़ों पर या किसी अन्य चीज पर इतने पैसे खर्च करूं. स्मार्टनैस खुद के लिए भी बहुत महत्त्व रखती है. इस से आप कौन्फिडैंट भी फील करेंगी.

यहां स्मार्टनैस का मतलब सिर्फ कपड़ों से ही नहीं है बल्कि आप के बात करने के ढंग, भाषाशैली आदि से भी है. आप यह बात अच्छी तरह जानती हैं कि आज के युवक उन्हीं लड़कियों को पसंद करते हैं जो हर चीज में स्मार्ट हों इसलिए समय की मांग और खुद के लिए स्मार्टनैस को बरकरार रखें.

इस बारे में स्नेहा का कहना है कि मैं कालेज टाइम से ही अपनी स्मार्टनैस के लिए जानी जाती हूं. मेरे दोस्त मुझे स्मार्टी कह कर बुलाते थे. जब मैं ने कालेज छोड़ा तभी निश्चय कर लिया था कि मैं अपनी इस स्मार्टनैस को हमेशा बरकरार रखूंगी और मैं ने रखा भी. इसलिए हर किसी को हमेशा अपनी स्मार्टनैस का ध्यान रखना चाहिए.

6. रुचि वाले सब्जैक्ट की ट्यूशन पढ़ाएं

आप कालेज की पढ़ाई के बाद अपने ज्ञान को लौक न करें. आप ट्यूशन पढ़ा कर अपनी नौलेज को बरकरार रख सकती हैं. अगर आप में सीनियर क्लास के बच्चों को पढ़ाने का कौन्फिडैंस नहीं है तो प्राइमरी क्लास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएं. इस से आप का ज्ञान तो बढ़ेगा ही साथ ही घर बैठे आप की पौकेटमनी भी बन जाएगी. इस से आप आत्मनिर्भर भी बनेंगी. इस फैसले से आप के पेरैंट्स आप पर बहुत गर्व करेंगे.

इस संबंध में नेहा का कहना है कि कालेज के बाद जब मैं काफी समय तक खाली बैठी तो काफी बोरियत होने लगी साथ ही नकारात्मक विचार भी मन में आने लगे. तभी मेरे दोस्त ने मुझे ट्यूशन पढ़ाने की सलाह दी. उस की इस सलाह ने मेरी जिंदगी बना दी. आज मेरा अपना ट्यूशन सैंटर है और मैं महीने के 50 हजार रुपए कमा लेती हूं.

रेखा का इस संबंध में कहना है कि मेरी इंगलिश सब्जैक्ट  में खास रुचि है, लेकिन उस के बावजूद मैं ने अपनी इस क्षमता का फायदा नहीं उठाया, जिस का मुझे आज तक पछतावा है. मेरे दोस्त आज काफी आगे निकल गए हैं लेकिन मैं वहीं की वहीं हूं, सिर्फ सही निर्णय न लेने के कारण.

7. नौलेज अपडेट करती रहें

अगर आप पूरे दिन में 6 घंटे टीवी देख रही हैं तो उस में से 2 घंटे न्यूज, डिस्कवरी, नौलेज वाले चैनल्स जरूर देखें. इस से आप वर्ल्ड में घटित घटनाएं जान सकती हैं, साथ ही अगर आप किसी ऐग्जाम वगैरा की तैयारी कर रही हैं तो उस में भी आप को इस का काफी लाभ मिलेगा.

नौलेज अपडेट रखने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि आप समूह में बात करने से पीछे नहीं रहेंगी. जब आप को विषय की संपूर्ण जानकारी होगी तो आप अपना पक्ष भी रख सकेंगी. इस का सामने वाले पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा. हो सकता है कि इस से आप को कहीं अच्छी नौकरी का अवसर भी मिल जाए.

इस संबंध में स्वीटी का कहना है कि मैं अपने कालेज की टौपर रही हूं, लेकिन कालेज के बाद मैं ने नौलेज अपडेट करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जिस का मेरी पर्सनैलिटी पर तो प्रभाव पड़ा ही, साथ ही मुझे कही नौकरी भी नहीं मिली.

8. बुक्स पढ़ती रहें

कालेज के बिजी शैड्यूल की वजह से अकसर ऐसा होता होगा कि आप कोर्स के अलावा अन्य लेखकों की किताबें नहीं पढ़ पाई होंगी. तो अब तो गोल्डन टाइम है, जितनी बुक्स पढ़ सकें, पढ़ें. बुक्स में जो तथ्य आप को रोचक लगते हैं उन्हें एक डायरी में नोट करती रहें. आप अपनी यह रोचक जानकारी फेसबुक व व्हाट्सऐप पर सब के साथ शेयर कर सकती हैं, अगर किसी लेखक की जीवनदर्शन संबंधी कोई बात आप के दिल को छू जाए तो उसे भी शेयर करना न भूलें, क्योंकि आपाधापी, भागदौड़, फुल टैंशन लाइफ में ऐसे थौट्स मन को सुकून देते हैं. बुक्स अपने फ्रैंड्स के साथ भी शेयर कर सकती हैं. जिस बुक को पढ़ रही हैं उस के औथर का इंटरनैट से जीवनवृत्तांत भी खंगाल डालिए, उन का लाइफस्टाइल भी आप की लाइफ को स्टाइल देगा.

9. हौबी क्लासेज जौइन करें

आप की जो हौबी हो उसे बढ़ाएं. जैसे खाना बनाना, सिंगिंग, डांसिंग आदि जो अच्छा लगता हो उस की क्लासेज जौइन करें. इस से आप बोर भी नहीं होंगी और कुछ नया भी सीखेंगी. भविष्य में यह आप के काम आएगा. खाली समय का सदुपयोग करने वालों की ही जीत होती है.

Winter Special: ऐसे करें मोटापे से फाइटिंग

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम में से अधिकतर लोग न तो कसरत के लिए नियमित रूप से समय निकाल पाते हैं, न ही जीभ पर कंट्रोल रहता है. फिर ऐसे में भला कैसे घटे वजन और कैसे निखरे पर्सनैलिटी? लेकिन घबराइए नहीं, घर व आफिस के अपने बिजी शेड्यूल को डिस्टर्ब किए बिना या सुबहसुबह जल्दी बिस्तर छोड़ घंटों एक्सरसाइज करने की भी जरूरत नहीं, क्योंकि आप की सेहत को चुस्तदुरुस्त रखने के लिए कई ऐसे तरीके हैं, जिन की बदौलत आप खुद को स्लिम व आकर्षक बना सकते हैं.

जंक फूड से परहेज

विशेषज्ञों का मानना है कि सब से पहले हमें अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए. आप के आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होने चाहिए. इस के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, चिकन, मछली, दूध, अंडे और ताजे फलों को अपने आहार में जरूर शामिल करें. दिन भर में 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं. इस से न सिर्फ आप का शरीर चुस्तदुरुस्त और तंदुरुस्त रहेगा, बल्कि आप स्वस्थ भी रहेंगे. कोला व कौफी जैसे कैफीनयुक्त पेय पदार्थों और जंक फूड से आप जितना दूर रहेंगे आप के शरीर के लिए उतना ही अच्छा होगा.

मानव शरीर कुदरत की अद्भुत रचना है. हमारे शरीर की रचना इस प्रकार की है कि दिन भर के परिश्रम के बाद इसे स्वत: ही नींद की जरूरत होती है. भरपूर नींद शरीर के लिए जरूरी है. यथासंभव सोने व उठने का समय निश्चित करें. 7-8 घंटे की अच्छी नींद आप के शरीर में होने वाली टूटफूट की मरम्मत कर देती है और उठने पर आप तरोताजा महसूस करते हैं. अच्छी नींद ले कर और खूब पानी पी कर आप खुद को तरोताजा रख सकते हैं. अब जरा बात करें मोटापे की, तो मोटापा स्वस्थ शरीर के साथसाथ सुंदर शरीर का भी दुश्मन है, लेकिन मोटापे को ले कर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है. जैसा कि आमतौर पर देखा जाता है, अपने शरीर से अनावश्यक मेहनत करवा कर या खुद को भूखा रख कर मोटापा भले ही दूर हो या न हो, पर आप कमजोरी के शिकार जरूर हो सकते हैं और कमजोर शरीर पर रोग भी तेजी से हमला कर सकते हैं.

क्रेश डाइटिंग से बचें

हालांकि आमतौर पर माना जाता है कि वजन घटाना आसान नहीं होता है. इस में महिलाएं सब से ज्यादा पैसा खर्च करती हैं, लेकिन 90% मामलों में उतना वजन कम नहीं होता जितनी आशा की जाती है. अगर आप भी अपने वजन को ले कर परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. वीएलसीसी की डा. वीणा अग्रवाल कहती हैं कि औरतें वजन कम करने के चक्कर में क्रेश डाइटिंग करने लगती हैं. इस से वे एनीमिया, आरथ्राइटिस कमजोरी व थकान जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं. इसलिए वजन कम करने के लिए के्रश डाइटिंग जैसे तरीकों को हरगिज न अपनाएं.

वे कहती हैं कि खानेपीने में अचानक कमी करने से शरीर की मेटाबोलिक गतिविधियां मंद पड़ जाती हैं. विटामिनों व खनिज लवणों की कमी होने लगती है. बाल गिरने लगते हैं और पेट में ऐंठन की भी शिकायत होने लगती है. कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा कम करने पर शरीर कमजोर व थकाथका रहने लगता है. वजन कम करते समय हम इस तरह के परिणामों की आशा तो नहीं करते हैं. अत: अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो अपनी जरूरतों के मुताबिक सही किस्म का पर्याप्त आहार लें. रेशेदार खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियां, अनाज, दालें, दुग्ध उत्पाद, हलका मांसाहार, मछली आदि का सेवन करें. लेकिन चीनी व वसा जैसी चीजों को अपने आहार में शामिल करने से बचें.

वैसे वजन कम करने के लिए अब लूज पिल्स भी बाजार में आ गई हैं, लूज पिल्स यानी वजन कम करने की गोलियों के बारे में पूछने पर डाक्टर वीणा कहती हैं कि इन में से कुछ दिमाग पर असर करती हैं, इसलिए व्यक्ति को भूख नहीं लगती. कुछ पेट के अंदर जा कर वसा युक्त खाद्य पदार्थों को शरीर में घुलने नहीं देती हैं, लेकिन इन गोलियों के साइड इफेक्ट भी हैं. इस से व्यक्ति को घबराहट होने लगती है, हाथपांव कांपते हैं, पेट चल जाता है, बुखार होने लगता है. बाल झड़ने लगते हैं, कुछ मामलों में तो व्यक्ति काफी अवसादग्रस्त भी हो जाता है, दिल की धड़कन तेज चलने लगती है और उच्च रक्तचाप भी रहने लगता है. इसलिए वजन कम करने की कोई भी गोली लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें.

चेन्नई के रमेश का उदाहरण देते हुए वह कहती हैं कि जब वे हमारे पास आए थे तो उन का वजन करीब 100 किलोग्राम था. हालांकि वे छरहरे बदन के मालिक थे पर उन का ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ था और शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा भी सामान्य से लगभग दोगुनी थी. दरअसल, रमेश के साथ ऐसा इसलिए हुआ कि वे वजन घटाने के लिए अनापशनाप दवाओं का सेवन करते थे और उन का जीवन बिना किसी शारीरिक गतिविधि के चलता था. सुबह दफ्तर जाते तो दिन भर कुरसी पर बैठेबैठे बीत जाता. कोई निश्चित समय नहीं था.

हरी सब्जियों का सेवन

मेरे सामने सब से बड़ी चुनौती थी कि रमेश की बीमारियों पर कैसे नियंत्रण पाया जाए. फिर रमेश की पत्नी को समझाया कि खाने में रमेश को घीया, तुरई, नीबू, मौसमी, धनिया, सेलरी, पत्तागोभी, ब्रोकली, सूखे मेवे आदि दिए जाएं. प्रोसेस्ड फूड और छिलका रहित अनाजों के स्थान पर छिलकायुक्त अनाज और हरी पत्तियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने के लिए कहा गया. रेशेदार खाद्य पदार्थ लेने के लिए कहा गया. वहीं भोजन में वसा की मात्रा 15 से 20% कम की गई. मलाईयुक्त दूध की जगह स्किम्ड मिल्क और पकाने के लिए सरसों और जैतून का तेल इस्तेमाल करने के लिए कहा गया.

अगर आप भी मोटापे से परेशान हैं, तो आप भी ऐसा कर सकते हैं. अगर आप कौफी पीने के शौकीन हैं, तो उस की जगह आप ग्रीन टी ले सकते हैं, क्योंकि ग्रीन टी कोलेस्ट्रोल कम करती है और खून के थक्के जमने से रोकती है.  दिन में 10 से 12 गिलास पानी लें. साथ ही नारियल पानी को भी आहार में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यह मैग्नीशियम, कैल्सियम और पोटैशियम के अलावा जिंक, सेलेनियम, आयोडीन, सल्फर, मैगनीज जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है, आप कच्चा लहसुन भी खा सकते हैं. यह भी कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है.

दिल्ली स्थित मूलचंद अस्पताल व हार्ट केयर फाउंडेशन औफ इंडिया के डाक्टर के.के. अग्रवाल ने बताया कि मोटापे से बचना है तो अपनी जीवनशैली को बदलें. खानपान में विशेष ध्यान दें. चीनी, चावल और मैदा खाना बंद कर दें. संतुलित आहार लें. एक बार में 80 ग्राम से ज्यादा न खाएं. पेट की चौड़ाई  80 सेंटीमीटर से कम होनी चाहिए. मोटा होना सिर्फ सौंदर्य संबंधी समस्या ही नहीं है, बल्कि आप की सेहत और जान के लिए भी एक बड़ा खतरा है. मोटे और ज्यादा वजन के लोग अनेक रोगों के शिकार हो जाते हैं.

आधुनिक गैजेट का उपयोग

आज अत्याधुनिक गैजेट्स की मदद से फिटनेस की निगरानी करना आसान हो गया है. ये गैजेट आप के दिल की धड़कनों सहित शरीर की सभी गतिविधियों पर नजर रखते हैं और बताते हैं कि कहां सुधार की जरूरत है. कंप्यूटर ट्रेनिंग सर्किट ऐसा ही गैजेट है, जो युवाओं में लोकप्रिय हो रहा है. इस की मदद से आप अपने अनूकुल स्वस्थ रहने का कार्यक्रम बना सकते हैं और अपनी सुगठित देह के मालिक बन सकते हैं. मोटरगाडि़यों के स्पीड मीटर की तरह कलाई घडि़यां भी बाजार में उपलब्ध हैं. इन्हें आप अपनी कलाई पर बांध कर अपने चलने व दौड़ने की गति को जान सकते हैं. इस से आप को अपनी शरीर की कैलोरी का आइडिया मिलता है. 

एक अन्य गैजेट बौडी जेम आप को बताता है कि दिन भर में आप को कितनी कैलोरी ऊर्जा की जरूरत है. इस की मदद से कैलोरी पर नियंत्रण रखना आसान है. इस के अलावा रोमहोम क्रास ट्रेनिंग मशीन पर आप 4 मिनट में ही 20 से 45 मिनट तक के स्वस्थ रहने का लाभ उठा सकते हैं. पंप पौड का आप अपना पर्सनल ट्रेनर बना सकते हैं, वह भी बगैर किसी ट्रेनर की मदद से. यह पर्सनल ट्रेनिंग प्रोग्राम आप के पर्सनल आईपौड पर चल सकेगा. इन के अलावा स्मार्ट सोल वाले जूते भी उपलब्ध हैं, जो आप की दिल के धड़कनों पर नजर रखते हैं, साथ ही बाजार में डायनेमिक ब्रा भी उपलब्ध हैं, जो स्तनों को सही आकार में रखने में मदद करती हैं. 

 शारीरिक स्तर के अलावा मन को प्रसन्न रख कर भी अच्छा स्वास्थ्य हासिल किया जा सकता है. मानसिक थकान को मिटाने का यह कारगर उपाय है. पैदल चलना शुरू करें. आसपास के कामों के लिए पैदल आनाजाना शुरू कर आप पर्यावरण की रक्षा तो करेंगे ही, साथ ही नएनए अनुभवों का भी मजा ले सकेंगे. अंत में अपनी बोरियत भरी रुटीन जिंदगी से थोड़ा अलग हट कर बाहर जा कर भी आप तरोताजा हो सकते हैं.

ये 4 आदतें बढ़ाती हैं आपका मोटापा

अपने चारों ओर मोटापा या मोटे लोगों को देखना एक सामान्य बात है, पर मोटापा कोई आम बात नहीं है बल्कि यह एक बीमारी का नाम है जिसे नियंत्रण में करना और रखना बहुत ही मुश्किल है. मोटापे के लिए कौन जिम्मेदार है. आप स्वयं ही इस बामारी के लिए उत्तरदीयी होते हैं.

यूं तो मोटापे के कई कारण होता हैं. जंक फ़ूड, अनियमित भोजन, तनाव, पूरी नींद न ले पाना आदि वजन को बढ़ाने के कारण होते हैं. मोटापे के कारण शरीर को कई अन्य बीमारियाँ घेर लेती हैं. आप जानते हैं कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ होता है, आज हम आपको बताएंगे मोटापे के बढने के कारण .

कई लोग मोटे होने के बाद सोचते हैं कि कल से अपनी डाइटिंग और एक्सरसाइज शुरुआत कर देंगे, लेकिन सभी में कुछ गंदी आदते होती हैं जो कि आपको पतला नहीं होने देती. यदि आप अपने खाने-पीने पर कंट्रोल नहीं करते तो आप भले ही कितनी भी कोशिश कर लें, मोटापा कम नहीं कर सकेगें.

अगर आप मोटापा कम करना चाहते हैं, तो आपको अपनी कुछ आदतों को सुधारना चाहिए. यहां हैं कुछ गंदी आदते जिन्हें सुधार कर आप मोटापे से बच सकते हैं..

1. अधिक मीठा खाना

अगर नाश्ते की बात करें तो पैक्ड दही, चाय या कॉफी हर चीज में आपको शुगर या मीठे की मात्रा मिल ही जाती है. जो आपके शरीर में इकट्ठा होकर चर्बी का रूप धारण कर लेती है, इसलिए जब भी आप बाजार जाएं तो कुछ भी खरीदने से पहले उसमें उसका शुगर लेवल चेक कर लें.

2. रोज मिठाई का सेवन

आज के समय में कुछ लोगों को मीठा खाने की इतनी आदत पड़ चुकी है कि वे खाने के बाद मीठा जरूर खाते हैं. किसी-किसी डेजर्ट में काफी अधिक मात्रा में शुगर होती है जिसे रात में खाने से मोटापा तेजी से बढ़ता है .

3. हर समय खाते रहना

कुछ लोग फ्री टाइम में या अपने ऑफिस में बैठकर कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं. ऐसी आदतों के चलते आप कभी पतले नहीं हो सकेंगे.यदि आप पैकिट में बंद स्नेक्स वगैरह लेते हैं तो उनमें काफी मात्रा में सोडियम, कार्बोहाइड्रेट और शुगर होता है, जो मोटापा बढ़ाने में मददगार होता है. अगर आप स्नैक्स ही खाना चाहते हैं तो घर पर बने हुए फाइबर युक्त आहार का सेवन करें.

दिनभर मुंह में कुछ लेकर चबाते रहना भी एक बहुत ही गंदी आदत होती है. ये आपको मोटापे को और अधिक बढ़ाती है.

4. रोजाना शराब की आदत

जो लोग डिनर के साथ में शराब भी लेते हैं उनके पेट में सीधे तौर पर शक्कर जाती है, जो उन्हें चाहकर भी पतला नहीं होने देती. यदि आप अपनी आदत को थोड़ा काबू में कर लेंगे तो कुछ ही दिनों में आप अपना वजन कम कर सकते हैं.

व्यायाम न करना

अपने शरीर से लगातार काम लेते रहिए. अगर आप अपने शरीर से लगातार काम नहीं लेतो हैं और खाना खाने के बाद लेटे ही रहते हैं, तो आप कभी भी पतले नहीं हो पाएंगे. मोटापे को घटाने के लिए शरीर का वर्कआउट करना जरुरी है. शरीर से रोज खूब सरा पसीना बहाने पर आपका फेट अपने आप कम हो जाता है.

कैसे रखें खुद का खयाल

दिल्ली, मुंबई समेत देश के 7 बड़े शहरों में किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. ‘द इंडियन वूमन हैल्थ-2021’ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 67 फीसदी महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने से हिचकती हैं. उन का कहना है कि हमारे स्वास्थ्य के बारे में बात करना समाज में वर्जित माना जाता है.

देश में कामकाजी महिलाओं की सेहत ठीक नहीं है. आधी से अधिक महिलाओं को काम के साथ स्वयं को स्वस्थ रखना चुनौती साबित हो रहा है. महिलाएं लगातार काम करने और अपने दायित्वों का पालन करते हुए खुद की सेहत को दरकिनार करती हैं.

‘द इंडियन वूमन हैल्थ-2021’ की इस रिपोर्ट के अनुसार 22 से 55 की उम्र की 59 फीसदी कामकाजी महिलाएं सेहत से संबंधित समस्याओं के कारण नौकरी छोड़ देती हैं. 90 फीसदी महिलाओं को पारिवारिक दायित्वों के कारण दिक्कत होती है.

52 फीसदी महिलाओं के पास नौकरी, पारिवारिक दायित्वों के साथ स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए समय नहीं होता है. रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाएं कार्यस्थल पर सेहत से जुड़ी समस्याओं, पीरियड्स, ब्रैस्ट कैंसर, गर्भाशय समेत तमाम समस्याओं पर बात करने से हिचकती हैं. उन का कहना है कि जब हमारी सेहत की बात आती है तो 80 फीसदी पुरुष सहयोगी संवेदनशील नहीं होते हैं.

चौंकाने वाले परिणाम

देश में प्रत्येक 4 में से 3 नौकरीपेशा महिलाओं का स्वास्थ्य घरदफ्तर की भागदौड़ और उन के बीच संतुलन साधने में कहीं न कहीं कमजोर पड़ जाता है. एसोचैम के एक सर्वेक्षण में यह परिणाम सामने आया है कि दफ्तर का काम, बच्चों और घर की देखभाल की वजह से बने दबाव के चलते उन की दिनचर्या काफी व्यस्त रहती है और समय के साथ कई लंबी और गंभीर बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं.

सर्वेक्षण में पाया गया कि 32 से 58 साल की आयु के बीच की तीनचौथाई कामकाजी महिलाएं अपनी कठिन जीवनशैली के कारण लंबी तथा गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. उन्हें मोटापा, थकान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पीठ दर्द और उच्च कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां घेर लेती हैं.

इस सर्वे के अनुसार कामकाजी महिलाओं में दिल की बीमारी का जोखिम भी तेजी से बढ़ रहा है. 60% महिलाओं को 35 साल की उम्र तक दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है. 32 से 58 साल की उम्र की महिलाओं के बीच हुए इस सर्वे के अनुसार 83% महिलाएं किसी तरह का व्यायाम नहीं करतीं और 57% महिलाएं खाने में फलसब्जी का कम उपयोग करती हैं.

युवा लड़कियां जो इन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होती हैं उन पर भी बाद में इस तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाने का खतरा बना रहता है. सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं में 22% पुरानी लंबी बीमारी से ग्रस्त बताई गईं जबकि 14% गंभीर बीमारी से पीडि़त बताई गईं. एसोचैम का यह सर्वेक्षण अहमदाबाद, बैंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पुणे में 32 से 58 साल की 2,800 महिलाओं पर किया गया. ये महिलाएं 11 विभिन्न क्षेत्रों की 120 कंपनियों में कार्यरत हैं.

अतिरिक्त तनाव और दबाव

महिलाओं पर अच्छा अभिभावक, अच्छी मां बनने का काफी दबाव रहता है और यह उन के तनाव का कारण भी बनता है. महिलाएं सुबह से शाम तक भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार डाक्टर के पास भी नहीं जा पाती हैं.

एसोचैम द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि मां बनने के बाद कई महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं. सर्वे के मुताबिक 40% महिलाएं अपने बच्चों को पालने के लिए यह फैसला लेती हैं.

खुद की परवाह छोड़ कर मां जीती है बच्चे के लिए. बच्चे के जन्म से पहले ही मां अपने बच्चे का खयाल रखना शुरू कर देती है. जब बच्चा पेट में होता है तो हर मां ऐसी चीजें खाने से बचती हैं जिन से बच्चे की सेहत पर गलत असर हो. अपनी पसंद की चीजों को छोड़ कर हमेशा अच्छी चीजें ही खाती हैं ताकि बच्चे की हैल्थ अच्छी रहे.

फिर बच्चों के बड़े होने तक हर मां अपने बच्चों और घर के दूसरे सदस्यों के भी खानपान और सेहत का पूरा खयाल रखती हैं और इस कारण वे अपनी सेहत पर बिलकुल ध्यान नहीं दे पातीं. सेहत पर ध्यान न दे पाने से समय के साथसाथ कुछ बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है. ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं अपनी सेहत पर भी ध्यान दें.

याद रखिए आज बच्चे और परिवार आप की प्राथमिकता हैं, मगर बहुत जल्द वह समय आएगा जब बच्चे अपनी पढ़ाई या नौकरी के लिए दूर चले जाएंगे. यही नहीं शादी के बाद उन का अपना परिवार होगा और हो सकता है वे किसी और शहर या दूसरे देश में सैटल हो जाएं. ऐसे में आप को अपना संबल खुद बनना है. आप का जीवनसाथी आप के साथ होगा, मगर उन की देखभाल भी आप तभी कर सकती हैं जब खुद स्वस्थ रहें. बच्चे आप के ऊपर तभी तक निर्भर होते हैं जब तक वे बड़े नहीं हो जाते. उस के बाद आप को बाकी के 20-30 साल अकेले अपने बल पर ही बिताने हैं.

इस के लिए आप का शारीरिक और मानसिक रूप से हैल्दी रहना जरूरी है वरना आप दूसरों पर बोझ बन कर रह जाएंगी.

अपनी सेहत को इग्नोर न करें

बदलते वक्त ने महिलाओं को आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया है और उन की हैसियत एवं सम्मान में भी वृद्धि हुई है. अकसर यह देखा गया है कि जब महिलाएं घर, परिवार और कार्यस्थल हर जगह अपना दायित्व का पालन करती हैं उस वक्त वे अपनी सेहत पर बिलकुल ध्यान नहीं दे पाती हैं. जब परेशानी हद से ज्यादा बढ़ जाती है तब वे अपनी सेहत की जांच करवाती हैं. अत: बेहतर है कि वे समय रहते खुद का खयाल रखें.

समयसमय पर मैडिकल टैस्ट

घर के काम, बच्चों की जिम्मेदारियां, घरगृहस्थी और औफिस की टैंशन आदि के कारण महिला की सेहत पर गलत असर होता है और समय के साथ कई बीमारियां जन्म ले लेती हैं. इन बीमारियों से बचने का सब से अच्छा तरीका यह है कि समयसमय पर अपने कुछ मैडिकल टैस्ट कराए जाएं और डाक्टर को दिखाएं. अगर रिपोर्ट में कुछ गलत निकलता है तो डाक्टर समय रहते सही इलाज करेंगे जिस से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. मैमोग्राम, थायराइड, पैप स्मीयर, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि मैडिकल टैस्ट समयसमय कराती रहें.

खानपान का रखें ध्यान

सुबह जल्दी उठने से रात देर से सोने तक एक महिलाएं दिनभर घर के काम करने और अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में ही लगी रहती हैं. ऐसे में वे अपने खानपान पर ध्यान नहीं दे पातीं. कई बार तो वे खाली पेट रह कर भी घर के कामों में लगी रहती हैं. लेकिन ऐसा करना काफी गलत होता है. इसलिए खयाल रखें और रोजाना खाना समय पर व पौष्टिक लें. अपनी डाइट में फाइबर, प्रोटीन, फ्रूट्स, फल और सब्जियां भी शामिल करें.

फिजिकल ऐक्टिविटी

दिनभर घर के काम करने से आप की फिजिकल ऐक्टिविटी काफी हो जाती है. लेकिन इस के दूसरी ओर इन कामों से मानसिक थकान भी हो सकती है. इसलिए अपनी दिनचर्या में कुछ फन ऐक्टिविटीज डालने की भी कोशिश करें. ऐसा करने से आप का मूड सही रहेगा और फिजिकल ऐक्टिविटी भी हो जाएगी. आप समय निकाल कर गार्डनिंग कर सकती हैं, पार्क में घूमने जा सकती हैं, सहेलियों से मुलाकात कर सकती हैं.

आराम की भी है जरूरत

जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसेवैसे शरीर को अधिक आराम की जरूरत होती है. सुबह जल्दी उठने और रात देर से सोने के कारण कई बार नींद पूरी नहीं हो पाती होगी. इसलिए कोशिश करें कि आप कम से कम 8-9 घंटे की नींद जरूर लें. अगर किसी कारण से रात में पूरी नींद नहीं हो पाती तो दिन में भी 2-3 घंटे की नींद ले सकती हैं. ऐसा करने से थकान को दूर करने में मदद मिलेगी.

दूसरों से मदद लें

बच्चा छोटा होता है तो उस के काम बहुत ज्यादा होते हैं. बड़े होने के बाद भी एक मां के लिए बच्चे के सारे काम खुद संभालना कठिन होता है. इसी वजह से उसे अपने बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलता. इसीलिए जरूरी है कि आप घर के दूसरे सदस्यों की मदद लें ताकि अपने लिए थोड़ा समय बचा पाएं. अगर आप नईनई मां बनी हैं तो आप को अपना और ज्यादा खयाल रखना चाहिए. ऐसे में आप को बेहतर स्वास्थ्य के लिए चीजों को आसान बनाने की आवश्यकता है. आप पार्ट टाइम या फुलटाइम मदद के लिए घर में नौकर लगा लें. चाहें तो मदद के लिए मातापिता या सासससुर को बुला लें.

जिन घरों में पति या अन्य परिजन कामकाज में हाथ बंटाते हैं वहां महिलाओं का स्वास्थ्य अपेक्षाकृत बेहतर पाया जाता है. स्वस्थ महिला स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज का निर्माण करती है, इसलिए महिलाओं को तनावमुक्त और काम के बोझ से मुक्त रखना परिवार की जिम्मेदारी है.

बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्याएं और आत्मविश्वास की कमी

युवाओं और बच्चों में तेजी से फैलती फास्ट फूड की संस्कृति ने घर के खाने से मिलने वाले पोषक तत्वों को उनसे छीन लिया है, जिससे युवाओं और बच्चों में स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएँ हो रही हैं. कुछ दशकों पहले की तुलना में आजकल बच्चों और किशोरों में मोटापा एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसके अलावा, महामारी ने पहले से मौजूद कठिन परिस्थति को और भी बढ़ाने का काम किया है. वायरस को बढ़ने से रोकने के लिये घरों में रहने के आदेश ने गंभीर रूप से लोगों के बाहर निकलने को सीमित कर दिया और परिवारों के लिये कई सारी परेशानियाँ लेकर आया, जिनमें मोटापा और ज्यादा वजन शामिल है, खासकर बच्चों में. स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई होने से बच्चों के खानपान, एक्टिविटी और सोने के पैटर्न पर काफी प्रभाव पड़ा.

डॉ. निशांत बंसल, कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि खाने-पीने की पैकेटबंद चीजें और सुविधाजनक खाने से भी वजन में अस्वास्थ्यकर वृद्धि हो रही है. बच्चों में मोटापे के लिये पेरेंट्स का खाना नहीं बना पाना या सेहतमंद खाना नहीं पका पाना, इसका बहुत बड़ा कारक रहा. ज्यादातर बच्चे शरीर और दिमाग पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को जाने बिना, कैंडीज और सॉफ्ट ड्रिंक्स के रूप में काफी सारा शक्कर लेते हैं.

समय की कमी-

बच्चों के मोटापे में शारीरिक गतिविधि और खेलने के समय में कमी का भी योगदान है. यदि कोई व्यक्ति कम ऐक्टिव है तो उनका वजन बहुत तेजी से बढ़ जाता है, चाहे वे किसी भी उम्र के हों. एक्सरसाइज करने से कैलोरी जलाकर सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद मिलती है. मैदान पर खेलने का समय और बाकी एक्टिविटीज से बच्चों को ज्यादा कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है, लेकिन यदि आप ऐसा करने के लिये प्रेरित नहीं करते हैं तो हो सकता है वे ऐसा नहीं करें. वर्तमान दौर में बच्चे आमतौर पर कंप्यूटर, टेलीविजन या गेमिंग स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं, क्योंकि समाज कहीं ज्यादा असक्रिय हो गया है. पहले के दिनों की तुलना में अब बहुत कम बच्चे ही साइकिल चलाकर स्कूल जाते हैं.

मनोवैज्ञानिक समस्या-

एक और महत्वपूर्ण कारण जिसे अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है, वह यह है कि कुछ बच्चों का मोटापा मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण भी हो सकता है. बच्चे और किशोर जो ऊब गए हैं, चिंतित हैं, या परेशान हैं, वे अपनी नकारात्मक भावनाओं से निपटने में मदद के लिये अधिक खाना खा सकते हैं.

शारीरिक रूप से सक्रिय रहे-

खाने के साथ बच्चों का यह हानिकारक रिश्ता उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों को प्रभावित करता है. छोटे बच्चों में अक्सर बीमारियाँ होने की काफी अधिक संभावनाएं होती है, जोकि आगे चलकर उनकी जिंदगी को प्रभावित करती हैं. मोटे या ओवरवेट बच्चों को अक्सर अपने व्यक्तिगत जीवन में संघर्ष करना पड़ता है. उनका निम्न आत्मविश्वास उनके शरीर के बढ़े हुए वजन के कारण हो सकता है. वे बदमाशी या मजाक का केंद्र बन सकते हैं. ऐसा हो सकता है कि वे शारीरिक गतिविधि नहीं कर पाएँ और अपने वजन को लेकर शर्म महसूस करें.

अपने बच्चे का सेहतमंद वजन बनाए रखने और उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखने के लिये, कई ऐसे उपाय हैं जो किए जा सकते हैं. अपने बच्चे के बढ़े वजन के पीछे के मुख्य कारण को जानना भी जरूरी है. कई ऐसे तरीके हैं जिससे बचपन में होने वाले मोटापे से वजन बढ़ने से रोका जा सके और चाइल्डहुड ओबिसिटी का इलाज किया जा सकता है. इसके साथ ही, समस्या पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों को रोकना भी जरूरी है. शक्कर और स्टार्च युक्त स्नैक्स की जगह सेहतमंद विकल्प, हेल्दी लंच पैक करना और लो-फैट, हाई-फाइबर वाला डिनर बच्चे की संपूर्ण सेहत को बेहतर बना सकता है और बार-बार लगने वाली भूख को शांत कर सकता है.

ऐक्टिविटीज में हिस्सा ले-

बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिये अनुकूल सुरक्षित माहौल प्रदान करना, जैसे कि बाइक रूट, खेल का मैदान और ऐक्टिव रहने के लिये सुरक्षित जगहें, बच्चे के पूरे स्वास्थ्य के लिये जरूरी हैं. बच्चों को ऐक्टिव रहने के लिये प्रेरित करने का एक सबसे मजेदार तरीका है कि पेरेंट्स का ऐक्टिव रहना और शारीरिक गतिविधि में शामिल होना. पेरेंट्स को थोड़ा वक्त निकालकर और बच्चों के साथ उनकी पसंदीदा ऐक्टिविटीज में हिस्सा लेना चाहिए, इससे पेरेंट-बच्चे का रिश्ता बेहतर होगा. साथ ही उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद को देखने का बच्चे का नजरिया भी बेहतर होगा.

ज्यादा एक्सरसाइज करना आपके दिल की हेल्थ को पहुंचा सकता है नुकसान, पढ़ें खबर

जब एक्सरसाइज करने की बात आती है तो हम अपने शरीर और दिमाग पर एक गतिहीन जीवन शैली के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ सुनते है. लेकिन अत्यधिक एक्सरसाइज? “बहुत ज्यादा बहुत बुरा है,” और यह एक्सरसाइज के लिए भी सच है. जबकि कम एक्सरसाइज  भी एक गंभीर समस्या है, यह एक्सरसाइज का दूसरा पहलू भी है, जो अधिक एक्सरसाइज के साथ आता है. डॉ. सुब्रत अखौरी, निदेशक इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एशियन हॉस्पिटल फरीदाबाद का कहना है- एक्सरसाइज, जब सही तरीके से किया जाता है, तो हमारे शरीर के लिए कई लाभ होते हैं – रक्त परिसंचरण में सुधार और आपके लसीका तंत्र को उत्तेजित करता है, हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता हैं. लेकिन यहां, हमें ‘पर्याप्त’ शब्द पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि अधिक प्रशिक्षण आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को पंगु बना सकता है और आपके दिल को तनाव में डाल सकता है.

एक अध्ययन से पता चला है कि बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.

इससे पता चलता है कि जो लोग लंबे समय तक उच्च-तीव्रता वाले वर्कआउट में शामिल थे, उन्हें मध्य आयु तक पहुंचने तक कोरोनरी धमनी कैल्सीफिकेशन (CAC) विकसित होने का खतरा था. यह बताता है कि इतने सारे युवा और मध्यम आयु वर्ग के फिटनेस उत्साही अचानक दिल के दौरे से क्यों मर रहे हैं. जहां पर्याप्त एक्सरसाइज हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, वहीं अति-एक्सरसाइज आपके हृदय पर पूरी तरह से नकारात्मक प्रभाव डालता है.

जब आपके पास अपने स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त समय नहीं है तो आप अपने शरीर के सबसे अच्छे होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?  आज बहुत से युवा अति-प्रशिक्षण और कम खाने के प्रति जुनूनी हैं जो उनके शरीर को और अधिक क्षति पहुँचाता है.

नियमित एक्सरसाइज हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है. हमारे शरीर के लिए इसके अनगिनत लाभ हैं –

फिटनेस के स्तर को बढ़ाता है, और हमारे हृदय स्वास्थ्य में सुधार के अलावा स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है. इसके अलावा, यह हमारे मूड को को अच्छा करता है, नींद में सुधार करता है और हमारे दैनिक जीवन में तनाव को कम करता है. और इन सबसे बढ़कर यह हमारे शरीर को शेप में रखने का काम करता है.

बहुत अधिक एक्सरसाइज कितना है? यह एक ऐसा प्रश्न है जो कभी कभी एक्सरसाइज करने वालों और एथलीटों जैसे के मन में समान रूप से रहता है. हालांकि, ऐसा कोई एक उत्तर नहीं है जो सभी के लिए उपयुक्त हो. जो एक के लिए पर्याप्त हो, वह दूसरे के लिए नहीं हो सकता है. तो, आप कैसे जाने हैं कि आप सही दिशा में जा रहे हैं? कुछ संकेत हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए.

सबसे पहले, अपनी हृदय गति पर कड़ी नज़र रखें –

यदि यह आराम करते समय भी सामान्य से अधिक है, तो यह एक संकेत है कि आपको ध्यानकरने की आवश्यकता है. इसके बाद, अपने हृदय गति परिवर्तनशीलता (एचआरवी) की निगरानी करें. यह प्रत्येक दिल की धड़कन के बीच के समय का एक माप है और आपके दिल के समग्र स्वास्थ्य को दर्शाता है

कम एचआरवी का मतलब है कि आपका दिल एक्सरसाइज से स्वस्थ नहीं हो पा रहा है जिससे आगे समस्याएं हो सकती हैं. अपने शरीर पर ध्यान दे, यदि आप अत्यधिक थका हुआ या असामान्य रूप से बीमार महसूस करते हैं, तो अपना एक्सरसाइज कम करें और अपने शरीर को ठीक होने दें.

बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके दिल को तनाव में डाल सकता है –

तीव्र एक्सरसाइज आपके हृदय गति को बढ़ाता है जिसके परिणामस्वरूप तनाव हार्मोन का स्राव होता है जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, यदि आप हृदय रोग से पीड़ित हैं, तो बहुत अधिक एक्सरसाइज आपके लक्षणों और प्रभावी उपचारों को खराब कर सकता है. इसके अलावा, अति-एक्सरसाइज करने से अनियमित दिल की धड़कन तेज  होने का खतरा बढ़ सकता है, जो घातक हो सकता है. इसलिए, किसी भी नए एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है.

एक्सरसाइज और आराम- स्वस्थ संतुलन बनाए रखें

हम सभी नियमित एक्सरसाइज के स्वास्थ्य लाभों से सहमत हैं, यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर को आराम देने   के लिए समय निकालें. अपने एक्सरसाइज दिनचर्या के साथ ओवरबोर्ड जाने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. एक्सरसाइज और आराम के बीच स्वस्थ संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव है

  • अपने शरीर को स्वस्थ रखने लिए अपने एक्सरसाइज दिनचर्या से कम से कम एक दिन की छुट्टी लें.
  • अपने आप को कगार पर न धकेलें. यदि आप थकावट महसूस करते हैं, तो कुछ दिनों के लिए ब्रेक लेना आपके शरीर के लिए अच्छा हो सकता है.
  • एक्सरसाइज के दौरान अपनी हृदय गति और एचआरवी पर नजर रखें. अगर आपको सांस लेने में तकलीफ या सीने में किसी प्रकार का दर्द महसूस होता है, तो यह एक संकेत है कि आपको ब्रेक लेने की जरूरत है.

एक्सरसाइज और आराम के बीच सही संतुलन खोजना हर किसी के लिए अलग होता है लेकिन ये टिप्स आपको स्वस्थ रहने और अधिक एक्सरसाइज से बचने में मदद कर सकते हैं.

 मुख्य बात

एक नियमित एक्सरसाइज दिनचर्या आपके हृदय स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाती है, इसका बहुत अधिक वास्तव में अच्छे से अधिक नुकसान कर सकता है. यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको फिट रहने के लिए सही मात्रा में एक्सरसाइज की आवश्यकता है या आप अपने हृदय स्वास्थ्य को ट्रैक करना चाहते हैं और समय के साथ बदलाव देखना चाहते हैं, तो नियमित रूप से इसकी निगरानी करने पर विचार करें. यह न केवल आपको वर्कआउट करते समय सुरक्षित रहने में मदद करेगा बल्कि आपके संपूर्ण हृदय स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार के एक्सरसाइज के प्रभाव को समझने में भी आपकी मदद करेगा.

बढ़ते वजन से हैं परेशान

अकसर कोई अपने बढ़ते वजन को ले कर परेशान रहता है तो कोई अपने दुबलेपन के कारण. उन की समझ में नहीं आता कि उन का आहार कैसा हो. अगर आप के समक्ष भी यह परेशानी है तो परेशान न हों. इस संबंध में डाइटीशियन श्रेया कत्याल से की गई बातचीत पर गौर फरमाएं:

आहार का मतलब क्या है?

आहार का मतलब भोजन का स्वस्थ तरीका है, जिस में सभी पोषक तत्त्व मौजूद हों.

अच्छा भोजन व बुरा भोजन क्या है?

भोजन अच्छाबुरा नहीं होता है. हम कैसे, कब, क्या और कितना खाते हैं, वह उसे अच्छा या बुरा बनाता है. इसलिए व्यक्ति को सब कुछ खाना चाहिए, परंतु कम मात्रा में. खानेपीने की इच्छा का दमन करना शरीर से धोखा करना है.

स्वस्थ तरीके से इंसान 1 महीने में कितना वजन कम कर सकता है?

यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है. स्वस्थ तरीके से 1 महीने में औसतन कम से कम 3-4 किलोग्राम तक (1 किलोग्राम प्रति हफ्ते) वजन कम किया जा सकता है और ज्यादा से ज्यादा 8 किलोग्राम तक. वजन में कमी के साथसाथ जीवनशैली में परिवर्तन भी जरूरी होता है.

क्या स्वस्थ आहारशैली छोड़ने के बाद वजन फिर बढ़ जाएगा?

स्वस्थ तरीके से वजन में कमी लाने पर यह स्थिति आहार में परिवर्तन के बाद भी बनी रहती है. बावजूद इस के वजन में कमी तभी बनी रह सकती है, जब आप का ध्येय जीवनशैली में परिवर्तन हो. इसलिए जब आप एक बार आहार प्रबंधन के साथ सकारात्मक तौर पर जीवनशैली में परिवर्तन कर लेते हैं, तो आहारशैली से हटने के बावजूद आप अपनी यथास्थिति बनाए रख सकते हैं.

क्या आप वजन कम करने के लिए किसी खुराक, दवा आदि की सलाह देती हैं?

मैं वजन कम करने के लिए खुराक, दवा या किसी कृत्रिम तरीके पर भरोसा नहीं करती, क्योंकि लंबे अंतराल में इन चीजों के दुष्परिणाम सामने आते हैं.

ब्लड ग्रुप आधारित आहारशैली कितनी प्रभावी है और आप किस आधार पर आहार योजना तैयार करती हैं?

ए ब्लड ग्रुप आधारित आहारशैली एक सीमा तक ही सफल है. यह 100% सफल नहीं होती. यह प्रभावी तो है और इस के सकारात्मक परिणाम भी दिखते हैं, परंतु यह सभी लोगों पर पूरी तरह लागू नहीं की जा सकती. लोगों के लिए आहार योजना तैयार करते वक्त मैं उन के ब्लड ग्रुप को ध्यान में तो रखती हूं, परंतु वह पूरी तरह ब्लड ग्रुप पर आधारित नहीं होती. व्यक्ति विशेष की पसंदनापसंद व प्राथमिकता, दिनचर्या, जीवनशैली आदि आहार योजना बनाते वक्त अहम भूमिका निभाते हैं.

आमतौर पर यह कहा जाता है कि परहेज वाली आहारशैली के पश्चात त्वचा निष्प्रभाव हो जाती है. इस में कितनी सचाई है?

आहार योजना का पालन सिर्फ अतिरिक्त कैलोरी को खत्म करने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि आप की संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है. संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्त्वों की सही खुराक लेना सुनिश्चित करने के लिए पूरे दिन के दौरान 5-6 बार भोजन करने की योजना तैयार की जाती है ताकि चयापचय प्रक्रिया मजबूत हो सके और आप ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर सकें. स्वस्थ वसा को आप के आहार में शामिल किया जाता है तथा अस्वास्थ्यकर वसा को हटाया जाता है.

वजन कम करने के लिए क्या मिठाई खाना छोड़ना जरूरी है?

मिठाई पसंद करने वालों के लिए मेरा उत्तर न में है. हम एक निश्चित अंतराल के लिए आहार योजना का पालन कर सकते हैं और अपने पसंदीदा व्यंजन को हमेशा के लिए नहीं छोड़ सकते. इसलिए आप को जो पसंद है, खाएं परंतु सही ढंग व सही समय पर खाएं. एक वक्त के आहार के तौर पर मिठाई लें न कि खाना खाने के पश्चात मिठाई खाएं.

क्या रात्रि भोजन 8 बजे से पहले कर लेना चाहिए या फिर बगैर नमक का डिनर लेना चाहिए?

आप ने जितना वजन घटाया है, ऐसा नहीं है कि बगैर नमक का डिनर उसे हमेशा बनाए रखेगा, बल्कि त्याग किए हुए पानी के वजन को ही स्थिर रखेगा. इसलिए मैं नियमित तौर पर बगैर नमक के डिनर के पक्ष में नहीं हूं. इस के अलावा, कोई भी व्यक्ति बहुत लंबे समय तक बगैर नमक के डिनर या 8 बजे से पहले डिनर लेना जारी नहीं रख पाएगा. मैं ऐसी कोई सलाह नहीं देती, जिस पर लंबे समय तक अमल न किया जा सके. इसलिए सही वक्त पर डिनर लें ताकि डिनर व बिस्तर पर जाने के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतराल हो.

क्या आहार योजना के साथ कोई कसरत भी जरूरी है?

वजन में कमी लाने के मामले में 70% तक आहार और 30% तक कसरत की भूमिका मानी जाती है. इस के अलावा चूंकि वजन कम करने के प्रयास के दौरान जीवनशैली में परिवर्तन जरूरी होता है, इसलिए कुछ बुनियादी व्यायाम भी जरूरी हैं, क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों की जीवनशैली श्रमहीन हो चुकी है. व्यायाम हमारी चयापचय की प्रक्रिया को सुदृढ़ करता है तथा वजन कम होने की प्रक्रिया को गति प्रदान करता है.

श्रेया कत्याल, डाइटीशियन

वजन घटाने के लिए लाइफस्टाइल चेंज कैसे करुं?

सवाल-

मैं घरेलू महिला हूं, मेरा वजन काफी बढ़ गया है. मैं थोड़ा सा काम करने में ही काफी थक जाती हूं. मैं अपने खानपान में क्या बदलाव लाऊं कि मेरा वजन भी कम हो जाए और थकान से निढाल भी न रहूं?

जवाब-

आप अपने खानपान पर नियंत्रण रख कर और ऐक्सरसाइज कर के अपना वजन कम कर सकती हैं और थकान से भी छुटकारा पा सकती हैं. आप को रोजाना 1 घंटा तेज चलना चाहिए या ऐक्सरसाइज करना चाहिए. दिन में कम से कम

5 बार मिनी मील खाएं. नाश्ता हैवी करें, लंच और डिनर हलका लें. खाने के बीच में थोड़ा सलाद और फल खाएं. चीनी, आलू, नमकीन बिस्कुट का सेवन न करें. नाश्ते में डबल टोंड मिल्क, कौर्नफ्लैक्स या ओट्स आदि ले सकती हैं. व्हाइट ब्रैड के बजाय मल्टी ग्रेन ब्रैड खाएं. अब तो मल्टी ग्रेन आटा भी मिलने लगा है. सामान्य आटे के बजाय इसे प्राथमिकता दें.

आप को कुछ रूटीन टैस्ट जैसे थायराइड फंक्शन, ब्लड शुगर, विटामिन डी, विटामिन बी12 आदि कराने चाहिए.

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जब थायराइड ग्रंथि में थायराक्सिन हार्मोन कम बनने लगता है, तब उसे हाइपोथाइरॉयडिज्‍म कहते हैं. ऐसा होने पर शरीर का मेटाबॉलिज्‍म धीमा पड़ने लगता है और आप अपना वजन नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाते हैं.

इस बीमारी से अक्‍सर सबसे ज्‍यादा महिलाएं ही पीड़ित होती हैं. जो लोग हाइपोथाइरॉयडिज्‍म से पीडित हैं, उन्‍हें वजन घटाने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है.

मगर डॉक्‍टरों के अनुसार अगर एक स्‍वस्‍थ दिनचर्या रखी जाए तो आप अपना बढ़ा हुआ वजन आराम से घटा लेंगी. आइये जानते हैं कुछ उपाय :

अपना पोषण सुधारिये: आप दिनभर में जो कुछ भी खाते हैं, उसके पोषण का हिसाब रखिये. आपकी डाइट में लो फैट वाली चीजें होनी चाहिये. ऐसे आहार शामिल करें जिसमें आयोडीन हो. आप, बिना वसा का मीट, वाइट फिश, जैतून तेल, नारियल तेल, साबुत अनाज और बीजों का सेवन कर सकते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Hypothyroidism: कैसे कम करें वजन

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