Teen Age Problem : मेरे मम्मीपापा हर वक्त मुझ पर शक करते हैं… इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

Teen Age Problem : मैं 18 वर्षीय कालेज में पढ़ने वाली छात्रा हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे मम्मी पापा हर वक्त मुझ पर शक करते हैं. हर समय मुझ पर निगरानी रखते हैं कि मैं फोन पर किस से बात कर रही हूं. बात बात में जानने की कोशिश करती हैं कि कालेज में मैं किन दोस्तों के साथ रहती हूं. मेरे कितने दोस्त लड़के हैं और वे कौन हैं? मुझे उन का यह व्यवहार परेशान करता है. मैं क्या करूं कि वे मुझ पर शक न करें?

जवाब

देखिए, एक माता पिता होने के नाते आप के बारे में जानना आप के माता पिता का हक व जिम्मेदारी भी है. आप अपनी समस्या के समाधान के लिए उन से अपनी हर बात शेयर करें, अपने दोस्तों को उन से मिलवाएं, उन से कुछ भी छिपाएं नहीं. जब ऐसा होगा तो वे आप पर विश्वास करने लगेंगे और बात बात पर आप पर निगरानी नहीं रखेंगे. दरअसल वे आप की परवाह करते हैं इसलिए आप पर निगरानी रखते हैं.

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फोन पर ‘हैलो’ सुनते ही अंजलि ने अपने पति राजेश की आवाज पहचान ली.

राजेश ने अपनी बेटी शिखा का हालचाल जानने के बाद तनाव भरे स्वर में पूछा, ‘‘तुम यहां कब लौट रही हो?’’

‘‘मेरा जवाब आप को मालूम है,’’ अंजलि की आवाज में दुख, शिकायत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभरे.

‘‘तुम अपनी मूर्खता छोड़ दो.’’

‘‘आप ही मेरी भावनाओं को समझ कर सही कदम क्यों नहीं उठा लेते हो?’’

‘‘तुम्हारे दिमाग में घुसे बेबुनियाद शक का इलाज कर ने को मैं गलत कदम नहीं उठाऊंगा…अपने बिजनेस को चौपट नहीं करूंगा, अंजलि.’’

‘‘मेरा शक बेबुनियाद नहीं है. मैं जो कहती हूं, उसे सारी दुनिया सच मानती है.’’

‘‘तो तुम नहीं लौट रही हो?’’ राजेश चिढ़ कर बोला.

‘‘नहीं, जब तक…’’

‘‘तब मेरी चेतावनी भी ध्यान से सुनो, अंजलि,’’ उसे बीच में टोकते हुए राजेश की आवाज में धमकी के भाव उभरे, ‘‘मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा. अगर तुम फौरन नहीं लौटीं तो…तो मैं कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दूंगा. आखिर, इनसान की सहने की भी एक सीमा…’’

अंजलि ने फोन रख कर संबंधविच्छेद कर दिया. राजेश ने पहली बार तलाक लेने की धमकी दी थी. उस की आंखों में अपनी बेबसी को महसूस करते हुए आंसू आ गए. वह चाहती भी तो आगे राजेश से वार्तालाप न कर पाती क्योंकि उस के रुंधे गले से आवाज नहीं निकलती.

शिखा अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी. अंजलि के मातापिता अपने कमरे में आराम कर रहे थे. अपनी चिंता, दुख और शिकायत भरी नाराजगी से प्रभावित हो कर वह बिना किसी रुकावट के कुछ देर खूब रोई.

Relationship Tips For Couples : गर्लफ्रैंड को मैंने नाराज कर दिया है, उसे मनाने के लिए क्या करूं ?

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सवाल

Relationship Tips For Couples : मैं एक युवती से पिछले 2 वर्ष से प्यार करता हूं, लेकिन एक महीना पहले हम एक पार्क में बैठे आपस में बातें कर रहे थे. शाम गहरा रही थी. थोड़ा अंधेरा भी था तो एकांत पा कर मैं ने उसे बांहों में ले लिया और उस के कपड़ों के अंदर हाथ फेरने लगा. शुरू में तो उस ने मना नहीं किया पर जब अंतरंग अंगों तक मेरा हाथ पहुंचा तो हटाने लगी और उठ कर चल दी. फिर उसी रात फोन पर कभी न मिलने को कह दिया. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं? एक महीने से हम मिले भी नहीं, उसे फोन करूं तो काट देती है व मिलने भी नहीं आती?

जवाब

दरअसल, प्रेम की बात जब सैक्स तक पहुंचती है तो युवती खुद को असुरक्षित महसूस करती है. युवती प्यार में सब से अधिक प्रेमी द्वारा उस की सुरक्षा, प्यारभरी बातें और बांहों का आगोश चाहती है, लेकिन आप के सीमा लांघते ही उसे लगने लगता है कि वह असुरक्षित है. आज समाज में ऐसी कई घटनाएं सामने हैं जिन में प्रेमीप्रेमिका में सैक्स के बाद दूरी बढ़ी, ब्रेकअप हुआ या फिर एकदूसरे से मनमुटाव हुआ.

आप के मामले में उस से जब तक आप प्रेममयी बातें करते रहे तब तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जब आप उस के अंतरंग अंगों तक पहुंचे तो उस ने आप से पीछा छुड़ा लिया. हाथ रोक दिया. दरअसल, सैक्स की कामना तो उस की भी रही होगी, लेकिन वह इस धारा में नहीं बही और आप को भी बचाया. इसी कारण वह अब आप से मिलती नहीं है कि कहीं फिर कभी ऐसा न हो जाए.

आप उस से किसी मित्र के जरिए मिलें और आगे से ऐसा नहीं होगा, यह बात उसे समझाएं. सुरक्षित सार्वजनिक स्थान पर मिलें, एकांत में नहीं. जब उसे लगेगा कि वह सुरक्षित है तो जरूर सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा.

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Relationship : मेरी वजह से बौयफ्रैंड की पढ़ाई नहीं हो रही है, मैं क्या करूं?

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सवाल-

Relationship : मैं 19 साल की हूं और अपने से 2 साल बड़े लड़के से प्यार करती हूं. हम ने कई बार सैक्स का आनंद भी उठाया है. वह मुझे बहुत प्यार करता है और मुझ से शादी करना चाहता है. उस के घर वालों को भी कोई ऐतराज नहीं है पर मेरे घर वाले तैयार नहीं हो रहे, क्योंकि वह अलग जाति का है और मैं अलग जाति की. हमारे रिश्ते के बारे में घर वालों को पता चला तो मेरी पढ़ाई छुड़वा दी और मोबाइल भी ले लिया. फिर भी मैं लड़के से चोरीछिपे बात कर लेती हूं. बौयफ्रैंड मुझ से बिना बात किए नहीं रह सकता. इस की वजह से उस की पढ़ाई भी डिस्टर्ब हो रही है. वह कह रहा है कि अगर घर वाले नहीं मान रहे तो अभी रुको, 4 साल बाद जब मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो हम शादी कर लेंगे. मगर इस दिल को कैसे तसल्ली दूं, जो दिनरात उसी के लिए धड़क रहा है? बताएं मैं क्या करूं?

जवाब- 

अभी आप की उम्र काफी छोटी है. यह उम्र पढ़लिख कर कुछ बनने की होती है. मगर आप कच्ची उम्र में ही गलती कर बैठीं. यहां तक कि जिस्मानी संबंध भी बना लिए. आप के पेरैंट्स का सोचना सही है. वे भी यही चाहते होंगे कि पहले आप अपने पैरों पर अच्छी तरह खड़ी हो जाएं, कैरियर बना लें तभी शादी की सोचेंगे. खैर, जो होना था सो हो गया. अब समझदारी इसी में है कि आप पहले अपने घर वालों को विश्वास में ले कर अपनी पढ़ाई जारी रखें. बौयफ्रैंड को भी अपना कैरियर बनाने दें. अगर वह 4 साल इंतजार करने को कह रहा है तो उस का सोचना भी सही है. अगर वह आप से सच्ची मुहब्बत करता है तो 4 साल बाद ही सही, आप से जरूर विवाह करेगा. रही बात एकदूसरे की जाति अलगअलग होने की, तो आज के समय में ये सब दकियानूसी बातें हैं. समाज में ऐसी शादियां खूब हो रही हैं. देरसवेर आप के पेरैंट्स भी मान जाएंगे. अगर न मानें तो आप दोनों कोर्ट मैरिज कर सकते हैं. फिलहाल यही जरूरी है कि आप दोनों ही अपनेअपने कैरियर पर ध्यान दें.

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Healthy Relationship Tips : क्या बड़े उम्र के लोगों को संबंध बनाने में दिक्कत होती है?

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सवाल-

मैं 26 साल की हूं और मेरा बौयफ्रैंड मुझ से 5 साल बड़ा है. क्या इस वजह से सैक्स संबंध में कोई परेशानी आ सकती है? मैं उस से सैक्स करना चाहती हूं पर कभीकभी लगता है कि वह मेरा साथ नहीं दे पाता, क्योंकि एक बार जब देर तक फोरप्ले करने के बाद वह अपना पैनिस इंसर्ट करने की कोशिश कर रहा था तो बारबार की कोशिशों के बावजूद वह कामयाब नहीं हो पा रहा था. क्या उसे कोई परेशानी है? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप के पार्टनर की उम्र इतनी भी नहीं है कि वह सैक्स करने में सक्षम नहीं हो. सच तो यह है कि अगर उचित आहार संबंधी निर्देशों का पालन करें और नियमित व्यायाम की आदत डालें तो सैक्स का आनंद लंबी आयु तक किया जा सकता है.

ऐसा आमतौर पर सैक्सुअल इंटरकोर्स की जानकारी के अभाव में होता है. हो सकता है हड़बड़ी में अथवा किसी भय की वजह से वह सैक्स संबंध बनाने में नाकामयाब रहा हो. सैक्स आराम से निबटाने वाली प्रक्रिया है, जिस में दोनों का ही मन शांत हो और वातावरण भी शांत हो.

बेहतर होगा कि सैक्स से पहले आप दोनों फोरप्ले का आनंद लें. जब साथी पूरी तरह सैक्स के लिए तैयार हो जाए तभी पैनिस इंसर्ट करने को कहें. यकीनन, आप दोनों को ही इस में चरमसुख मिलेगा. पर ध्यान रहे, पुरुष साथी से इस दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने को जरूर कहें.

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ओसामा की पत्नी सैक्स की भूखी

अलकायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.

क्या कहता है सर्वे

अमेरिका ने भी सैक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

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मेरी बीवी का कोई प्रेमी है, क्या मुझे अपना रिश्ता खत्म कर देना चाहिए?

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सवाल

मैं 28 साल का हूं. मेरी शादी को 14 महीने हो चुके हैं. मुझे शक है कि मेरी बीवी का कोई प्रेमी है. बीवी कहती है कि वह उसे छोड़ चुकी है. मैं उस से बहुत प्यार करता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
शादी का रिश्ता प्यार व यकीन पर ही चल पाता है. जब बीवी कह रही है कि वह प्रेमी का साथ छोड़ चुकी है, तो आप को यकीन करना चाहिए. आप उसे प्यार करते ही हैं, तो अपने प्यार को इतना ज्यादा कर दें कि उस में दूसरे की गुंजाइश न रहे.

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यार के लिए पत्नी का वार

कृष्णा आगरा के थाना सदर के अंतर्गत आने वाले मधुनगर इलाके में अपने मांबाप और भाई अवनीत के साथ रहता था. इटौरा में उस की स्टील रेलिंग की दुकान थी जो काफी अच्छी चल रही थी. कृष्णा की अभी शादी नहीं हुई थी. उस की शादी के लिए जिला मैनपुरी के कस्बा बेवर की युवती प्रतिभा से बात चल रही थी. कृष्णा ने अपने परिवार के साथ जा कर लड़की देखी तो सब को लड़की पसंद आ गई. देखभाल के बाद शादी की तारीख भी नियत कर दी गई. फिर हंसीखुशी से शादी हो गई.

नई दुलहन को सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन कृष्णा की मां ने महसूस किया कि दुलहन के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं है. जबकि कृष्णा बहुत खुश था. मां ने सोचा कि प्रतिभा जब घर में सब से घुलमिल जाएगी तो ठीक हो जाएगी.

हफ्ते भर बाद जब सारे रिश्तेदार अपनेअपने घर चले गए तो प्रतिभा का भाई उसे लेने के लिए आ गया. किसी ने भी इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया कि प्रतिभा आम लड़कियों की तरह खुश क्यों नहीं है.

वह भाई के साथ पगफेरे के लिए चली गई और 4-6 दिन बाद कृष्णा उसे फिर ले आया. इस के बाद कृष्णा की पुरानी दिनचर्या शुरू हो गई. इसी बीच आगरा की आवासविकास कालोनी का रहने वाला ऋषि कठेरिया उस की दुकान पर आनेजाने लगा. ऋषि ठेके पर मकान बना कर देता था.

धीरेधीरे कृष्णा का ऋषि के साथ व्यापारिक संबंध जुड़ने लगा. ऋषि कृष्णा को स्टील रेलिंग के ठेके दिलवाने लगा.

दूसरी ओर प्रतिभा का व्यवहार परिवार वालों की समझ में नहीं आ रहा था. वह जबतब मायके जाने की जिद करने लगती तो सास उसे समझाती कि शादी के बाद बारबार मायके जाना ठीक नहीं है, ससुराल की जिम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं.

एक दिन प्रतिभा ने कृष्णा से कहा कि उसे अपने मांबाप की याद आ रही है, वह अपने मायके जाना चाहती है. इस पर कृष्णा ने कहा कि जब उसे फुरसत मिलेगी, वह उसे छोड़ आएगा.

ठीक उसी समय प्रतिभा के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो प्रतिभा ने फोन यह कह कर काट दिया कि वह फिर बात करेगी. लेकिन मायके जाने की बात पर वह अड़ी रही. आखिर कृष्णा ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी कर लो, मैं तुम्हें कल तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा.’’

अगले दिन घर वालों की इच्छा के खिलाफ कृष्णा उसे ससुराल ले गया. बस में बैठते ही प्रतिभा का मूड एकदम बदल गया. अब वह काफी खुश थी. शादी के 4 महीने बाद भी कृष्णा अपनी पत्नी के मूड को समझ नहीं पाया था. पर कृष्णा की मां की समझ में यह बात अच्छी तरह आ गई थी कि बहू कुछ तो उन से छिपा रही है.

प्रतिभा ने मायके जाने से पहले फोन द्वारा किसी को खबर तक नहीं दी थी. अत: जब वह मायके पहुंची तो उसे देख कर उस की मां हैरान हो कर बोली, ‘‘अरे दामादजी, आप अचानक ही… फोन कर के खबर तो कर दी होती.’’

इस से पहले कि कृष्णा कुछ कहता प्रतिभा बोली, ‘‘मम्मी, हमारा फोन खराब था, इसलिए खबर नहीं कर पाई.’’

कृष्णा पत्नी की इस बात पर हैरान था कि प्रतिभा मां से झूठ क्यों बोली. उस ने महसूस किया कि उस की सास लक्ष्मी के माथे पर बल पड़े हुए थे.

पत्नी को मायके छोड़ने के बाद कृष्णा जैसे ही आगरा वापस जाने के लिए घर से निकला तो उसे ऋषि दिख गया. उस ने पूछा, ‘‘अरे ऋषि, तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं गुप्ताजी से मिलने आया हूं.’’ उस ने एक घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह रहा गुप्ताजी का घर.’’

‘‘अरे वो तो प्रतिभा के चाचा का घर है.’’ कृष्णा बोला.

‘‘हां, वही गुप्ताजी. मेरे पुराने जानकार हैं.’’ ऋषि ने कहा.

कृष्णा हैरान था. तभी उस ने पूछा, ‘‘तब तो तुम यह भी जानते होगे कि गुप्ताजी के बड़े भाई मेरे ससुर हैं?’’

‘‘हांहां जानता हूं, प्रतिभा उन की ही तो बेटी है.’’ ऋषि ने लापरवाही से कहा.

‘‘लेकिन तुम ने यह बात मुझे पहले कभी नहीं बताई.’’ ऋषि ने पूछा.

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी.’’ ऋषि ने  कहा तो कृष्णा ने मुड़ कर प्रतिभा को देखा. शक का एक कीड़ा उस के दिमाग में घुस चुका था.

उस ने सामने से जाते हुए ईरिक्शा को रोका और बसअड्डे पहुंच गया. रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि यदि ऋषि का प्रतिभा के चाचा के घर आनाजाना था तो यह बात उस ने या प्रतिभा ने उसे क्यों नहीं बताई.

उस के जेहन में यह बात भी खटकने लगी कि मां ने उसे एकदो बार बताया था कि ऋषि उस की गैरमौजूदगी में भी कई बार उस के घर आया था. यह बातें सोच कर वह काफी तनाव में आ गया.

अभी तक तो वह यह समझ रहा था कि नईनई शादी होने की वजह से प्रतिभा को मायके वालों की याद आती होगी, इसलिए उस का मन नहीं लग रहा होगा, लेकिन अब उसे लगने लगा कि उस का जल्दीजल्दी मायके आने का कोई और ही मकसद है.

इसी तनाव में वह घर पहुंचा तो मां ने छूटते ही कहा, ‘‘बेटा, तेरी बीवी के रंगढंग हमें समझ नहीं आ रहे. उस का रोजरोज मायके जाना ठीक नहीं है.’’

उस समय कृष्णा ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अभी उसे केवल शक ही था, जब तक वह मामले की तह तक नहीं पहुंचता तब तक घर में बता कर बेकार का फसाद फैलाना ठीक नहीं था.

हफ्ते भर बाद वह पत्नी को मायके से लिवा लाया. कुछ दिन बाद पता चला कि प्रतिभा गर्भवती है. पिता बनने की चाह में कृष्णा के मन की कड़वाहट पिघलने लगी. लेकिन उस ने अब ऋषि से घुलमिल कर बातें करनी बंद कर दीं. इधर ऋषि भी समझ गया था कि कृष्णा के तेवर कुछ बदले हुए से हैं, इसलिए वह भी सतर्क हो गया.

शक का कीड़ा जो कृष्णा के दिमाग में रेंग रहा था, वह उसे चैन से नहीं रहने दे रहा था. वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकता था.

एक दिन कृष्णा के बहनबहनोई घर आए तो बहनोई ने बातों ही बातों में कृष्णा से पूछा, ‘‘आजकल लगता है दुकान पर तुम्हारा मन नहीं लगता. क्या कोई परेशानी है?’’

‘‘नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’’ कृष्णा ने जवाब दिया.

‘‘लगता है, प्रतिभा तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखती.’’ बहनोई ने पूछा तो कृष्णा की मां ने कह दिया, ‘‘अरे दामादजी, खयाल तो वो तब रखे जब उसे मायके आनेजाने से फुरसत मिले.’’

सास की बात प्रतिभा को अच्छी नहीं लगी. उस ने छूटते ही कहा, ‘‘इस घर में किसी को मेरी खुशी भी नहीं सुहाती.’’ कह कर वह दनदनाती हुई अपने कमरे में चली गई. इस से कृष्णा के बहनबइनोई समझ गए कि पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं हैं.

कृष्णा को पत्नी का यह व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. बहनबहनोई तो चले गए, लेकिन कमरे में आने के बाद उस ने प्रतिभा को दो  तमाचे जड़ते हुए कहा, ‘‘अपना व्यवहार सुधारो वरना अच्छा नहीं होगा.’’

‘‘अब इस से ज्यादा बुरा क्या होगा कि तुम्हारे जैसे आदमी के साथ मेरी शादी हो गई.’’ कह कर प्रतिभा बैड पर जा कर बैठ गई. उस दिन के बाद उन दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

दूसरी ओर प्रतिभा रात में देरदेर तक ऋषि के साथ मोबाइल पर बातें करती. एक दिन कृष्णा की नींद खुल गई तो उस ने देखा कि प्रतिभा किसी से बातें कर रही थी. वह समझ गया कि ऋषि से ही बातें कर रही होगी. कृष्णा समझ गया कि प्रतिभा अब आपे से बाहर होती जा रही है. पर करे तो क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था.

इसी बीच प्रतिभा ने एक बेटी को जन्म दिया. पूरे घर में जैसे खुशी छा गई. बच्ची का नाम राधिका रखा गया. कृष्णा को उम्मीद थी कि मां बन जाने के बाद शायद प्रतिभा के व्यवहार में कोई फर्क आ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं. कृष्णा को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि ऋषि के साथ प्रतिभा के नाजायज संबंध शादी से पहले से थे. चूंकि ऋषि शादीशुदा था, इसलिए उस के साथ शादी करना प्रतिभा की मजबूरी थी.

प्रतिभा के मांबाप को सब कुछ मालूम था, इसीलिए उन्होंने बेटी को कृष्णा के गले बांध दिया और सोचा कि शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन प्रतिभा का रवैया नहीं बदला.

कृष्णा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था. वह प्रतिभा को भी खुश रखने का भरसक प्रयास करता था लेकिन अपनी परेशानी घर में किसी को बता नहीं पा रहा था. जबकि प्रतिभा के व्यवहार से कोई भी खुश नहीं था.

धीरेधीरे समय गुजर रहा था. मौका मिलते ही प्रतिभा चोरीछिपे ऋषि से यहांवहां मिल लेती पर वह जानती थी कि कृष्णा जैसे व्यक्ति के साथ वह पूरा जीवन नहीं गुजार सकती. दूसरी ओर ऋषि भी शादीशुदा था, उसे लगता था कि उस का जीवन कटी पतंग की तरह है. प्रेमी ने कभी उसे इस बात के लिए आश्वस्त नहीं किया कि वह उसे अपने साथ रख सकता है.

संभवत: इसी कशमकश में प्रतिभा भी समझ नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे. कृष्णा से छुटकारा पाने के बारे में वह सोचने लगी पर वह जानती थी कि मायके वाले भी ऋषि के कारण उस के खिलाफ थे.

इसी बीच कृष्णा ने 25 लाख रुपए में अपनी एक जमीन बेच दी. वह रकम उस ने घर में ही रख दी थी. यह बात प्रतिभा को पता चल गई थी और अचानक उसे लगा कि पति के इस पैसे से वह प्रेमी को बाध्य कर देगी कि वह उस के साथ अपनी दुनिया बसा ले.

प्रेमी को पाने की धुन में वह गुनहगार बनने को भी तैयार हो गई. एक दिन उस ने ऋषि को फोन कर के कहा कि वह उसे बड़ा फायदा करा सकती है.

ऋषि हंसने लगा, ‘‘अरे तुम तो हमेशा ही मुझे खुशियां देती हो.’’

‘‘लेकिन तुम तो मुझे केवल सपने ही दिखाते हो जो आंखें खुलते ही टूट जाते हैं.’’ प्रतिभा ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘प्रतिभा, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरी मजबूरियां क्या हैं. मेरी पत्नी है, बच्चे हैं. मैं उन्हें किस के सहारे छोड़ सकता हूं.’’ ऋषि ने कहा.

प्रतिभा गुस्से में भर उठी, ‘‘तो मुझ से प्यार क्यों किया? क्यों मुझे झूठे सपने दिखाए? तुम ने तो सिर्फ अपना मतलब पूरा किया है. तुम्हें तो कभी मुझ से प्यार था ही नहीं.’’

प्रतिभा ने उस दिन ऋषि को साफसाफ कह दिया, ‘‘या तो तुम मुझे अपने साथ रखो अन्यथा मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर चली जाऊंगी. समझ लो मैं आत्महत्या भी कर सकती हूं, जिस का दोष तुम्हारे ऊपर आएगा.’’

ऋषि ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. अत: उस ने उस दिन प्रतिभा को किसी तरह समझाबुझा दिया कि वह कुछ सोचेगा. तभी प्रतिभा ने धीरे से कहा, ‘‘कृष्णा ने अपनी जमीन बेची है. 25 लाख की बिकी है.’’

ऋषि के कान खड़े हो गए. प्रतिभा ने आगे कहा, ‘‘इन 25 लाख के सहारे हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा सकते हैं.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो क्या, चोरी के इलजाम में जेल भिजवाओगी हमें.’’ ऋषि ने कहा. लेकिन वह जानता था कि प्रतिभा उस के प्यार में अंधी है और थोड़ाबहुत लाभ उसे हो सकता है. ऋषि ने उसे 2 दिन बाद किसी होटल में मिलने को कहा.

इस के बाद ऋषि को भी लालच आ गया. उस ने प्रतिभा से फोन पर बात की. प्रतिभा ने उस से साफ कह दिया, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. लेकिन कृष्णा हमारी खुशियों की राह में रोड़ा बना हुआ है.’’

फिर एक दिन बेटी को डाक्टर को दिखाने का बहाना कर प्रतिभा घर से निकली और एक कौफीहाउस में ऋषि से मिली. दोनों ने मिल कर एक षडयंत्र रचा, जिस में कृष्णा को रास्ते से हटाने की बात तय कर ली गई.

नादान प्रतिभा प्रेमी की आशिकी में अंधी हो चुकी थी. उसे भलाबुरा नहीं सूझ रहा था. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस की 9 माह की बेटी का क्या होगा. इधर प्रतिभा के बदले हुए तेवर देख कर एक दिन सास ने कहा, ‘‘बहू, क्या बात है आजकल तू हर वक्त घर से निकलने के बहाने ढूंढती रहती है?’’

‘‘नहीं तो मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है. राधिका की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए परेशान रहती हूं.’’ प्रतिभा ने बहाना बनाया.

‘‘देख बहू, हमारे परिवार का समाज में सम्मान है. हमारे परिवार में बहुएं सिर्फ घर के बच्चों और पति के लिए ही जीतीमरती हैं.’’ कह कर सास अपने कमरे में चली गई.

कृष्णा को रास्ते से हटाने की योजना बन चुकी थी और 25 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए देने का वादा कर ऋषि ने इस साजिश में अपने दोस्त पवन निवासी रायमा, जिला मथुरा को भी शामिल कर लिया था.

13 फरवरी, 2018 को कृष्णा के पास ऋषि का फोन आया. उस ने बताया कि उसे एक बहुत बड़ा ठेका मिला है. उस बिल्डिंग में स्टील ग्रिल भी लगनी है. अगर तुम यह काम करना चाहते हो तो बात करने के लिए रायमा आ जाओ. कृष्णा ने पहले तो सोचा कि वह उस से कोई संबंध नहीं रखना चाहता, क्योंकि वह विश्वास के काबिल नहीं है. पर फिर उसे लगा कि पारिवारिक बातों को व्यापार से अलग ही रखना चाहिए. अत: उस ने कह दिया कि वह शाम तक रायमा पहुंच जाएगा.

कृष्णा ने घर से निकलते वक्त अपनी मां को बता दिया कि एक सौदा करने के लिए वह रायमा जा रहा है. पति के घर से निकलने के बाद प्रतिभा ने अपने प्रेमी ऋषि को फोन कर के बता दिया कि कृष्णा घर से चल दिया है.

घर में किसी को भी नहीं मालूम था कि कौन सा कहर टूटने वाला था. कृष्णा रायमा पहुंचा तो वहां ऋषि, पवन और रायमा निवासी टिल्लू बातों में उलझा कर कृष्णा को खेतों की ओर ले गए. लेकिन तभी वहां कुछ लोग आ गए और वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. जब रात में कृष्णा घर पहुंचा तो उसे देख कर प्रतिभा हैरान रह गई. देर रात को प्रतिभा ने ऋषि को फोन किया तो उस ने प्रेमिका को सारी बात बता दी.

अगले दिन ऋषि ने कृष्णा के फोन पर बता दिया कि उस की पवन से बात हो गई है. वह अब अपने घर में रेलिंग लगाने का ठेका देने को तैयार हो गया है, तुम आ जाओ.

सीधासादा कृष्णा बिना कुछ सोचेसमझे 14 फरवरी, 2018 को अपनी मां से रायमा जाने की बात कह कर घर से निकल गया, जहां स्टेशन पर ही उसे ऋषि मिल गया. ऋषि उसे बातों में लगा कर इधरउधर घुमाता रहा. तब तक शाम हो गई. तभी पवन का फोन आ गया. उस के कहे मुताबिक, ऋषि कृष्णा को खेतों की तरफ ले गया. तब तक अंधेरा होने लगा था.

तभी वहां उसे पवन दिखाई दिया, जिस ने इशारा कर के उन्हें सड़क पार कर खेत में आने को कहा. कृष्णा को जब तक कुछ समझ में आता तब तक काफी देर हो चुकी थी. वहीं टिल्लू भी आ गया तो कृष्णा ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें सौदा मंजूर है तो अब जल्दी से कुछ एडवांस दे दो. रात भी हो रही है, मुझे घर पहुंचना है. प्रतिभा इंतजार कर रही होगी.’’

यह सुनते ही पवन हंसने लगा, ‘‘ओह क्या सचमुच तेरी बीवी तेरा इंतजार करती है. हमें तो यह पता है कि वह ऋषि का इंतजार करती है.’’

कृष्णा की समझ में अब कुछकुछ आने लगा था. उस ने कहा, ‘‘यह क्या बदतमीजी है, जल्दी करो मुझे जाना है.’’ यह कहते हुए वह अपनी बाइक की तरफ बढ़ा लेकिन तीनों झपट कर उसे खेत के अंदर ले गए और डंडों से उस की पिटाई शुरू कर दी. डंडों से पीटपीट कर उन्होंने उस की हत्या कर लाश वहीं छोड़ दी और चले गए.

इधर कृष्णा घर नहीं पहुंचा था. घर से जाने के बाद उस ने कोई फोन भी नहीं किया था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. सभी रिश्तेदारों को फोन कर पूछ लिया गया, पर वह कहीं नहीं था. अंतत: आगरा के थाना सदर में उस की गुमशुदगी लिखवा दी गई.

प्रतिभा के मायके वालों को फोन किया गया तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि ऋषि से पूछताछ करें. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने सभी थानों को वायरलैस द्वारा कृष्णा की गुमशुदगी की सूचना दे दी.

16 फरवरी को पुलिस को रायमा के खेत में एक लाश मिलने की सूचना मिली, जिसे कृष्णा के भाई अवनीश ने पहचान कर शिनाख्त कर दी.

घर वालों से पूछताछ की गई तो कृष्णा की मां ने कहा कि कृष्णा ने उसे बताया था कि रेलिंग का ठेका लेने के लिए वह रायमा जा रहा है. पर वह कहां जा रहा था, उसे पता नहीं था. 13 और 14 फरवरी को भी वह रायमा गया था. 13 को वह देर रात घर लौटा था. वह नहीं बता पाई कि कृष्णा रायमा में किस के पास गया था.

पुलिस टीम हत्यारे की खोजबीन में लग गई. पुलिस की एक टीम बेवर भेजी गई तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन यदि कृष्णा के दोस्त ऋषि से पूछताछ की जाए तो कुछ पता चल सकता है. जांच अधिकारी ने महसूस किया कि प्रतिभा के मायके वाले कुछ छिपा रहे हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने कृष्णा के घर जा कर प्रतिभा से पूछताछ की तो महसूस किया कि उसे पति की मौत का जैसे कोई दुख नहीं था. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि ऋषि की दोस्ती रायमा निवासी पवन के साथ है. अगर उसे हिरासत में लिया जाए तो केस खुल सकता है.

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पुलिस ने रायमा में पवन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतक की पत्नी प्रतिभा के साथ ऋषि के नाजायज संबंध थे. मृतक की पत्नी प्रतिभा ने ऋषि को बता दिया था कि कृष्णा ने जो 25 लाख रुपए की जमीन बेची है, उन पैसों से वे एक अच्छी जिंदगी की बुनियाद रख सकते हैं. इस के बाद पवन ने कृष्णा की हत्या की सारी कहानी बता दी.

पुलिस ने 18 फरवरी को प्रतिभा को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस बीच पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि ऋषि ने बाह थाने में अपने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिस में उस ने बताया था कि वह किसी तरह अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूट कर भागा है. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने ऋषि और टिल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया.

प्रतिभा ने योजना बना कर अपने हाथों अपना सुहाग तो उजाड़ दिया, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिन 25 लाख रुपयों के लालच में उस ने यह सब किया, वह रकम कृष्णा ने अपने कमरे में न रख कर अपनी मां के पास रख दी थी.

पुलिस ने ऋषि, प्रतिभा, पवन और टिल्लू से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. 9 माह की राधिका अनाथ हो चुकी है. मां जेल में है और पिता की हत्या कर दी गई है. बूढ़ी दादी अब कैसे उसे पाल पाएगी, यह बड़ा सवाल है.

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मैंने परिवार से छिप कर शादी की है, लेकिन कोई भी हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट नहींं कर रहा है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. अपनी मौसी के जेठ के बेटे से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. हम ने सब से छिप कर शादी की है. उस ने मेरी मांग में सिंदूर भरा था और मुझे मंगलसूत्र भी पहनाया था. इस बात के सिर्फ हम दोनों ही साक्षी हैं और कोई इस का गवाह नहीं है. घर में जब हम दोनों की शादी की बात चली तो हम ने उन्हें अपनी इस गुपचुप शादी के बारे में बताया पर इसे किसी ने स्वीकार नहीं किया. लड़के की सगाई कर दी गई है और मेरे घर वाले भी मेरे लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं. हम दोनों के शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. क्या हमें अन्यत्र शादी करनी चाहिए?

जवाब

यदि आप दोनों वास्तव में एकदूसरे से प्रेम करते तो आप अपने घर वालों को विवाह के लिए राजी कर सकते थे. पर आप ने ऐसा नहीं किया. शायद आप दोनों ही इस रिश्ते को ले कर गंभीर नहीं थे. इसीलिए लड़के (आप के बौयफ्रैंड) ने कहीं और सगाई कर ली और आप के घर वाले भी आप के लिए वर तलाश रहे हैं. इसलिए अपने प्रेम संबंध को समाप्त कर दें और भविष्य के बारे में सोचें. रही आप की चोरीछिपे शादी की बात तो इस तरह की शादी की कोई अहमियत नहीं होती. रही बात आप दोनों के अवैध संबंध की तो उसे अपने भावी जीवनसाथी से कतई जाहिर न करें.

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शादी और सेक्स से जुड़ी जिज्ञासाएं शांत करें ऐसे

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी अथवा बहन से.

सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए? तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे? हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो, आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है. अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

ध्यान देने योग्य बातें

– सैक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

– फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

– यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

– मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सैक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कालम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

– यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कालम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कालमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

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Relationship – डोमिनेशन : पत्नी का हो या पति का, रिश्तों में पैदा करता है दरार

आप दोनो कामकाजी हैं. आपका बच्चा बीमार है. आपके पति बच्चे की देखरेख के लिए छुट्टी न ले पाने की अपनी मजबूरी बताते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको उसकी देखभाल के लिए छुट्टी लेनी होगी. ऐसे में आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? दूसरी और आपके पति आपको आॅफिस से घर लौटकर आकर बताते हैं कि कल रात उन्होंने अपने दोस्तों को डिनर के लिए आमंत्रित किया है. ऐसे में आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? इस तरह की स्थितियां अकसर विवाहित पति पत्नी के जीवन में आती ही हैं और उस दौरान इनके जवाब किस तरह दिये जाते हैं. इसी से पता चलता है कि पति और पत्नी दोनो में से कौन डोमिनेटिंग हैं. सवाल पैदा होता है ये डोमिनेशन क्या है? डोमिनेशन का मतलब है अपने पार्टनर की इच्छाओं का सम्मान न करना, जबरन उसपर अपनी मर्जी थोपना. यह पति और पत्नी दोनो पर ही लागू होता है. कंसलटेंट साइकेट्रिक्ट डाॅ. समीर पारिख, डोमिनेशन को शारीरिक, वित्तीय, वरबल और साइकोलाॅजिकल इन तमाम श्रेणियों में विभाजित करते हैं. मसलन पति का यह कहना कि तुम आज किट्टी पार्टी के लिए नहीं जा सकती; क्योंकि तुम्हें मेरी मां को डाॅक्टर के पास लेकर जाना है. इस कथन के द्वारा पति अपनी इच्छा या अपेक्षा को जबरदस्ती पत्नी पर थोपता है. कई घरों में ऐसा भी देखा गया है कि पत्नी पति के इजाजत के बगैर अपने माता-पिता से मिल नहीं सकती.

समाज में क्या होता है?

हमारे समाज का ढांचा कुछ इस तरह बना है कि महिलाओं को इस बात का एहसास ही नहीं होता कि वह पति द्वारा शासित होती हैं. उनके रोजमर्रा की जिंदगी में अनेक ऐसी चीजें होती हैं, जिनमें उनकी इच्छाओं के कोई मायने ही नहीं समझे जाते. अब रमा और राहुल का ही मामला लें. दोनो साॅफ्टवेयर इंजीनियर है. रमा राहुल की तुलना में ज्यादा प्रतिभाशाली है. राहुल द्वारा उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता है. वह ज्यादा समय अपने बच्चों को देती है, पति के अहं के आगे उसने अपने कॅरिअर को एक किनारे करके खुद को घर परिवार के बीच ही रमा लिया है.

बलि का बकरा बनती हैं पत्नियां

सवाल पैदा होता है कि अपने कॅरिअर, इच्छाओं और अपेक्षाओं का गला घोंटने के लिए महिलाएं ही क्यों मजबूर होती हैं? यदि पत्नी पति की तुलना में ज्यादा प्रतिभाशाली हो तो वही अपने कॅरिअर की बलि चढ़ाती है. अगर महिलाओं से पूछा जाये कि उसके सपनों का राजकुमार कैसा हो, तो उसका जवाब होता है कि उससे बढ़कर हो. यही वजह है कि पढ़ने लिखने के बावजूद महिलाएं इन बातों पर समझौता करने के लिए आसानी से तैयार हो जाती हैं. बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों के नाम पर वही अपने कॅरिअर के साथ समझौता कर लेती है. यही वजह है कि वह पढ़ाने जैसी ऐसी जाॅब करना पसंद करती हैं या फ्रीलांसर के तौरपर काम करने लगती हैं, जिससे वह अपने घर और बच्चों को ज्यादा समय दे सकें ताकि पति पत्नी दोनो के बीच तनाव की स्थिति पैदा न हो.

आमतौर पर माना जाता है कि पति पत्नी के रिश्ते में पति ही डोमिनेट करता है. घर में उसकी इच्छा ही सर्वोपरि होती है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पुरुषों को समझौते नहीं करने पड़ते. या कहें तो वे भी शोषण का शिकार होते हैं. क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट राखी आनंद का कहना है कि मर्द और औरत दोनो ही कई तरह की हीनभावना का शिकार हो सकते हैं. डिप्रेशन, निराशा, आत्मविश्वास की कमी या अपने पार्टनर पर अत्याधिक निर्भरता यह स्थितियां पति और पत्नी दोनो के साथ हो सकती है. हमारे इर्दगिर्द तमाम ऐसे परिवार होते हैं, जहां पर तानाशाह पत्नियों के सामने उनके पतियों की आवाज दबकर रह जाती है.

तस्वीर का दूसरा रूख

रोहित और सुनैना की शादी को चार साल हो चुके हैं. सुनैना के बारे में यह कहा जाता है कि वह बेहद डोमिनेटिंग है. इस बारे में सुनैना का कहना है कि यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने पति को कैसे अपनी इच्छा के अनुसार चला सकती हैं. पति रोहित चाहकर भी सुनैना का विरोध नहीं कर पाते. घर में सब कुछ सुनैना की मर्जी से होता है इसका नतीजा है कि दोनो के बीच लड़ाई झगड़ा नहीं होता. दोनो को एक दूसरे कोई शिकायत नहीं हैं और दोनो एक दूसरे के साथ बेहद खुश हैं. अब सवाल पैदा होता है कि दरअसल रोहित क्या सोचता है? क्या कभी उसकी विरोध करने की इच्छा नहीं होती? क्या कभी उसके मन में यह सवाल पैदा नहीं होता कि वही क्यों समझौता करता है? सुनैना का घर में एकछत्र राज्य उसे भी अब बुरा नहीं लगता. क्योंकि वह चाहता है कि अगर ऐसा करने में उसकी पत्नी को खुशी मिलती है तो वह भी इसी में खुश है. पतियों को जब कहा जाता है कि वह जोरू के गुलाम है तो उन्हें कैसा लगता है. क्या वे खुश रहते हैं या क्या उन्हें ऐसा लगता है कि इससे उनकी अपनी पहचान खो गई है? और उनका एकमात्र लक्ष्य सिर्फ घर के भीतर शांति बनाये रखना है?

उदय एक गैर शादीशुदा युवक है. जिसकी सगाई हो चुकी है. उसका कहना है कि यदि मैं अपने पत्नी के कहे अनुसार सब कुछ करता हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उसका गुलाम हूं. वास्तव में डोमिनेशन का होना या न होना पूरी तरह से स्थिति पर निर्भर होता है. यह काफी हद तक किसी समस्या पर भी टिका होता है. घर में कई बार ऐसा होता है कि पत्नी की बात मानी जाती है. वहीं दूसरी तरफ अकसर पतियों के कहे आदेश ही अंतिम होते हैं. शादी के बाद मैं पहले अपनी पत्नी की बात सुनूंगा, अगर मुझे उसकी बात सही लगती है तो उसे मानने में हर्ज ही क्या है?

राजन और शीतल की शादी को तीन साल हो चुके हैं. शीतल शुरु से ही सेल्फ डिपेटेंट है. आत्मविश्वास से भरी शीतल को अपनी मनमर्जी के अनुसार जीवन जीने की आदत है. लेकिन राजन के साथ ऐसा नहीं है, चूंकि उसकी मां काफी डोमिनेटिंग रही हैं. नतीजतन शीतल की मर्जी के अनुसार घर चलता है, राजन यहां पर समझौता न कर पाने के कारण गहरे अवसाद में जा चुका है. इस बारे में क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट राखी आनंद का कहना है, ‘जिन घरों में पुरुष घर की मामलों में निरपेक्ष होते है. उनके व्यक्तित्व में कई किस्म की खामियां पैदा हो जाती हैं. पत्नी के सामने तो वह झुककर रहते हैं लेकिन पत्नी के घर में न होने पर वह वैसा ही जीवन जीना पसंद करते हैं. दरअसल जैसा उन्हें अच्छा लगता है.’ यही वजह है कि पत्नी के न होने पर उन्हें वही करना अच्छा लगता है, जिसकी छूट उन्हें पत्नी के होने पर करने की नहीं होती. ऐसे लोग ही विवाहेत्तर संबंधों के जाल में फसंते जाते हैं.

क्या होना चाहिए

पति पत्नी के रिश्तों में दोनो इस तरह का समीकरण बनाते हैं कि उनके जीवन में सुख शांति बनी रहे. हर रिश्ते के भीतर कई कहानियां होती हैं. कई घरों में तो पति पत्नी के बीच में डोमिनेट कौन करता है इस बात का पता ही नहीं चलता. क्योंकि दोनो के बीच के रिश्ते बेहद अच्छे होते हैं. लेकिन तमाम चीजों के बावजूद पति और पत्नी दोनो को एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए और घर की जिम्मेदारियों में बराबरी की साझेदारी करनी चाहिए. क्योंकि पति और पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास, समानता और एक दूसरे की इच्छाओं के सम्मान पर ही टिका होता है. एक ऐसा रिश्ता जिसमें एक पार्टनर दूसरे पार्टनर को कुछ स्पेस दे ताकि दोनो के बीच अच्छे रिश्ते कायम हो सकें और जिसमें न तो दोनो एक दूसरे पर हावी हों और न ही घर में किसी एक का एकछत्र राज्य चले.

सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं और अपने भाई भाभी के साथ रहती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरा भाई मुझ से नफरत करता है. मैं नहीं जानती मेरे प्रति उस के इस व्यवहार का क्या कारण है? सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं क्योंकि भाई की नफरत के साथ उस घर में रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है.

जवाब

सब से पहले आप अपने भाई से उस के मन में आप के प्रति नफरत का कारण जानने की कोशिश करें. भाई की नफरत का कारण बचपन की कोई घटना हो सकती हैं. जिस की वजह से भाई के दिल पर आप के प्रति नाराजगी पैदा हो गई हो. भाइयों को कई बार लगता है कि बहन संपत्ति में हिस्सा मांगेगी और बिना मांगे ही उसे शत्रु मान लेते हैं.

वैसे भी हमारे देश में पुरुष अपने को बहन का रखवाला मानते हैं और लड़के पिता की तरह पेश आते हैं. आप भाई के अच्छे मूड को देख कर उस से बात करें. भाभी को अपनी समस्या बताएं और आप उस कड़वाहट को आमनेसामने बैठ कर सुलझाने का प्रयास करें. बात करने से ही नफरत का कारण पता चलेगा और समस्या का समाधान भी तभी निकल पाएगा.

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जलन नहीं हो आपस में लगन

यों तो पैदा होते ही एक शिशु में कई सारी भावनाओं का समावेश हो जाता है, जो कुदरती तौर पर होना भी चाहिए, क्योंकि अगर ये भावनाएं उस में नजर न आएं तो बच्चा शक के दायरे में आने लगता है कि क्या वह नौर्मल है? ये भावनाएं होती हैं प्यार, नफरत, डर, जलन, घमंड, गुस्सा आदि.

अगर ये सब एक बच्चे या बड़े में उचित मात्रा में हों तो उसे नौर्मल समझा जाता है और ये नुकसानदेह भी नहीं होतीं. लेकिन इन में से एक भी भाव जरूरत से ज्यादा मात्रा में हो तो न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए समस्या का कारण बन जाता है, क्योंकि किसी भी भावना की अति इंसान को अपराध की तरफ ले जाती है. जैसे कुछ साल पहले भाजपा के प्रसिद्ध नेता प्रमोद महाजन के भाई ने अपनी नफरत के चलते उन्हें गोली मार दी.

कहने का तात्पर्य यह है कि जलन और द्वेष की भावना इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती. अगर द्वेष और जलन की यही भावना 2 बहनों के बीच होती है, तो उन से जुड़े और भी कई लोगों को इस की आग में जलना पड़ता है. ज्यादातर देखा गया है कि 2 बहनों के बीच अकसर जलन की भावना का समावेश होता है. अगर यह जलन की भावना प्यार की भावना से कम है, तो मामला रफादफा हो जाता है, लेकिन इस जलन की भावना में द्वेष और दुश्मनी का समावेश ज्यादा है, तो यह काफी नुकसानदेह भी साबित हो जाती है.

द्वेष व जलन नहीं

अगर 2 बहनों के बीच जलन का कारण ढूंढ़ने जाएं तो कई कारण मिलते हैं. जैसे 2 बहनों में एक का ज्यादा खूबसूरत होना, दोनों बहनों में एक को परिवार वालों का ज्यादा अटैंशन मिलना या दोनों में से किसी एक बहन को मां या पिता का जरूरत से ज्यादा प्यार और दूसरी को तिरस्कार मिलना, एक बहन का ज्यादा बुद्धिमान और दूसरी का बुद्धू होना या एक बहन के पास ज्यादा पैसा होना और दूसरी का गरीब होना. ऐसे कारण 2 बहनों के बीच जलन और द्वेष के बीज पैदा करते हैं.

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए 20 वर्षीय खुशबू बताती हैं कि उन के घर में उस की छोटी बहन मिताली को जो उस से सिर्फ 3 साल छोटी है, कुछ ज्यादा ही महत्ता दी जाती है. जैसे अगर दोनों बहनें किसी फैमिली फंक्शन में डांस करें, जिस में खुशबू चाहे कितना ही अच्छा डांस क्या करें, लेकिन उस की मां तारीफ उस की छोटी बहन की ही करती हैं.

खुशबू बताती है कि वह अपने घर में अपने सभी भाईबहनों में कहीं ज्यादा होशियार और बुद्धिमान है, बावजूद इस के उस को कभी प्रशंसा नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर उस की बहन में बहुत सारी कमियां हैं बावजूद इस के वह हमेशा सभी के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इस की वजह हैं खासतौर पर खुशबू की मां, जो सिर्फ और सिर्फ खुशबू की छोटी बहन की ही प्रशंसा करती हैं. इस बात से निराश हो कर कई बार खुशबू ने आत्महत्या तक करने की कोशिश की, लेकिन उस के पिता ने उसे बचा लिया.

वजह दौलत भी

खुशबू की तरह चेतना भी अपनी बहन की जलन का शिकार है, लेकिन यहां वजह दूसरी है. चेतना छोटी बहन है और उस की बड़ी बहन है आशा. जलन की वजह है चेतना की खूबसूरती. बचपन से ही चेतना की खूबसूरती के चर्चे होते रहते थे वहीं दूसरी ओर आशा को बदसूरत होने की वजह से नीचा देखना पड़ता था, जिस वजह से आशा चेतना को अपनी दुश्मन समझने लगी. चेतना की गलती न होते हुए भी उस को अपनी बहन के प्यार से न सिर्फ वंचित रहना पड़ा, बल्कि अपनी बड़ी बहन की नफरत का भी शिकार होना पड़ा.

कई बार 2 बहनों के बीच जलन, दुश्मनी, द्वेष का कारण जायदाद, पैसा व अमीरी भी बन जाती है. इस संबंध में नीलिमा बताती हैं, ‘‘हम 2 बहनों ने एक जैसी शिक्षा ली, लेकिन मैं ने मेहनत कर के ज्यादा पैसा कमा लिया. अपनी मां के कहे अनुसार बचत करकर के मैं ने अपनी कमाई से कार और फ्लैट भी खरीद लिया जबकि मेरी बहन ज्यादा पैसा नहीं कमा पाई और गरीबी में जीवन निर्वाह कर रही थी. इसी वजह से उस की मेरे प्रति जलन की भावना इतनी बढ़ गई कि वह दुश्मनी में बदल गई. आज हमारे बीच जलन का यह आलम है कि हम बहनें एकदूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करतीं. बहन होने के बावजूद वह हमेशा मेरे लिए गड्ढा खोदती रहती है. हमेशा इसी कोशिश में रहती है कि मेरे घरपरिवार वाले मेरे अगेंस्ट और उस की फेवर में हो जाएं.’’

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मेरी सास, ननद के ससुराल के मामले में दखलंदाजी करती हैं, मैं क्या करुं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी ननद की शादी को अभी केवल 4 महीने हुए हैं. वर का चुनाव घर वालों ने स्वयं किया था अर्थात ननद की अरेंज्ड मैरिज है. बावजूद इस के मेरी सास बेटी की ससुराल के सदस्यों के बारे में मीनमेख निकालती रहती हैं, जबकि सभी लोग काफी शिष्ट और शालीन हैं. सास दिन में कई कई बार फोन कर के बेटी के घर की खोज खबर लेती रहती हैं. उसे अनापशनाप सलाह देती हैं. उन का व्यवहार कहां तक उचित है? चाह कर भी मैं उन्हें मना नहीं कर सकती. क्या करूं कि वे अनावश्यक दखलंदाजी बंद कर दें?

जवाब

आप बहू हैं इसलिए यदि सास को कोई सलाह देंगी तो उन्हें नागवार गुजरेगा. इसलिए आप पति से कहलवाएं. वे अपनी मां को समझाएं कि वे बेटी के परिवार में हस्तक्षेप न करें. बेटे को समझाना आप की सास को अखरेगा नहीं और आप की चिंता भी दूर हो जाएगी.

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घरेलू हिंसा कानून : सास बहू दोनों के लिए

मेरे महल्ले में एक वृद्ध महिला अपने घर में अकेली रहती हैं. वे बेहद मिलनसार व हंसमुख हैं. उन का इकलौता बेटा और बहू भी इसी शहर में अलग घर ले कर रहते हैं. एक दिन जब मैं ने उन से इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने जो कुछ भी बताया वह सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए.

उन्होंने बताया, ‘‘मेरे बेटे ने प्रेमविवाह किया था. फिर भी हम ने कोई आपत्ति नहीं की. बहू ने भी आते ही अपने व्यवहार से हम दोनों का दिल जीत लिया. 2 साल बहुत अच्छे से बीते. लेकिन मेरे पति की मृत्यु होते ही मेरे प्रति अप्रत्याशित रूप से बहू का व्यवहार बदलने लगा. अब वह बेटे के सामने तो मेरे साथ अच्छा व्यवहार करती, परंतु उस के जाते ही वह बातबात पर मुझे ताने देती और हर वक्त झल्लाती रहती. मुझे लगता है कि शायद अधिक काम करने की वजह से वह चिड़चिड़ी हो गई है, इसलिए मैं ने उस के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. मगर उस ने तो जैसे मेरे हर काम में मीनमेख निकालने की ठान रखी थी.

‘‘धीरेधीरे वह घर की सभी चीजों को अपने तरीके से रखने व इस्तेमाल करने लगी. हद तो तब हो गई जब उस ने फ्रिज और रसोई को भी लौक करना शुरू कर दिया. एक दिन वह मुझ से मेरी अलमारी की चाबी मांगने लगी. मैं ने इनकार किया तो वह झल्लाते हुए मुझे अपशब्द कहने लगी. जब मैं ने यह सबकुछ अपने बेटे को बताया तो वह भी बहू की ही जबान बोलने लगा. फिर तो मुझे अपनी बहू का एक नया ही रूप देखने को मिला. वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी तथा रसोई में जा कर आत्महत्या का प्रयास भी करने लगी. साथ ही, यह धमकी भी दे रही थी कि वह यह सबकुछ वीडियो बना कर पुलिस में दे देगी और हम सब को दहेज लेने तथा उसे प्रताडि़त करने के इलजाम में जेल की चक्की पिसवाएगी. उस समय तो मैं चुप रह गई, परंतु मैं ने हार नहीं मानी.

‘‘अगले ही दिन बिना बहू को बताए उस के मातापिता को बुलवाया. अपने एक वकील मित्र तथा कुछ रिश्तेदारों को भी बुलवाया. फिर मैं ने सब के सामने अपने कुछ जेवर तथा पति की भविष्यनिधि के कुछ रुपए अपने बेटेबहू को देते हुए इस घर से चले जाने को कहा. मेरे वकील मित्र ने भी बहू को निकालते हुए कहा कि महिला संबंधी कानून सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं, बल्कि तुम्हारी सास के लिए भी है. तुम्हारी सास भी चाहे तो तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट कर सकती है. तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम सीधी तरह से इस घर से चली जाओ. मेरा यह रूप देख कर बहू और बेटा दोनों ही चुपचाप घर से चले गए. अब मैं भले ही अकेली हूं परंतु स्वस्थ व सुरक्षित महसूस करती हूं.’’

उक्त महिला की यह स्थिति देख कर मुझे ऐसा लगा कि अब इस रिश्ते को नए नजरिए से भी देखने की आवश्यकता है. सासबहू के बीच झगड़े होना आम बात है. परंतु, जब सास अपनी बहू के क्रियाकलापों से खुद को असुरक्षित व मानसिक रूप से दबाव महसूस करे तो इस रिश्ते से अलग हो जाना ही उचित है. बदलते समय और बिखरते संयुक्त परिवार के साथ सासबहू के रिश्तों में भी काफी परिवर्तन आया है.

एकल परिवार की वृद्धि होने के कारण लड़कियां प्रारंभ से ही सासविहीन ससुराल की ही अपेक्षा करती हैं. वे पति व बच्चे तो चाहती हैं परंतु पति से संबंधित अन्य कोई रिश्ता उन्हें गवारा नहीं होता. शायद वे यह भूल जाती हैं कि आज यदि वे बहू हैं तो कल वे सास भी बनेंगी.

फिल्मों और धारावाहिकों का प्रभाव:  हम मानें या न मानें, फिल्में व धारावाहिक हमारे भारतीय परिवार व समाज पर गहरा असर डालते हैं. पुरानी फिल्मों में बहू को बेचारी तथा सास को दहेजलोभी, कुटिल बताते हुए बहू को जला कर मार डालने वाले दृश्य दिखाए जाते थे.

कई अदाकारा तो विशेषरूप से कुटिल सास का बेहतरीन अभिनय करने के लिए ही जानी जाती हैं. आजकल के सासबहू सीरीज धारावाहिकों का फलक इतना विशाल रहता है कि उस में सबकुछ समाया रहता है. कहीं गोपी, अक्षरा और इशिता जैसी संस्कारशील बहुएं भी हैं तो कहीं गौरा और दादीसा जैसी कठोर व खतरनाक सासें हैं. कोकिला जैसी अच्छी सास भी है तो राधा जैसी सनकी बहू भी है. अब इन में से कौन सा किरदार किस के ऊपर क्या प्रभाव डालता है, यह तो आने वाले समय में ही पता चलता है.

आज के व्यस्त समाज में आशा सहाय और विजयपत सिंघानिया की स्थिति देख कर तो यही लगता है कि अब हम सब को अपनी वृद्धावस्था के लिए पहले से ही ठोस उपाय कर लेने चाहिए. कई यूरोपियन देशों में तो व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद शोक मनाने के लिए भी सारे इंतजाम करने के बाद ही मरता है. हमारे समाज का तो ढांचा ही कुछ ऐसा है कि हम अपने बच्चों से बहुत सारी अपेक्षाएं रखते हैं.

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, बेटेबहू के हाथ से तर्पण व मोक्ष पाने का लालच इतना ज्यादा है कि चाहे जो भी हो जाए, वृद्ध दंपती बेटेबहू के साथ ही रहना चाहते हैं. बेटियां चाहे जितना भी प्यार करें, वे बेटियों के साथ नहीं रह सकते, न ही उन से कोई मदद मांगते हैं. कुछ बेटियां भी शादी के बाद मायके की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना चाहती हैं. और दामाद को तो ससुराल के मामले में बोलने का कोई हक ही नहीं होता.

भारतीय समाज में एक औरत के लिए सास बनना किसी पदवी से कम नहीं होता. महिला को लगता है कि अब तक उस ने बहू बन कर काफी दुख झेले हैं, और अब तो वह सास बन गई है. सो, अब उस के आराम करने के दिन हैं. सास की हमउम्र सहेलियां भी बहू के आते ही उस के कान भरने शुरू कर देती हैं. ‘‘बहू को थोड़ा कंट्रोल में रखो, अभी से छूट दोगी तो पछताओगी बाद में.’’

‘‘उसे घर के रीतिरिवाज अच्छे से समझा देना और उसी के मुताबिक चलने को कहना.’’

‘‘अब तो तुम्हारा बेटा गया तुम्हारे हाथ से’’, इत्यादि जुमले अकसर सुनने को मिलते हैं. ऐसे में नईनई सास बनी एक औरत असुरक्षा की भावना से घिर जाती है और बहू को अपना प्रतिद्वंद्वी समझ बैठती है. जबकि सही माने में देखा जाए तो सासबहू का रिश्ता मांबेटी जैसा होता है. आप चाहें तो गुरु और शिष्या के जैसा भी हो सकता है और सहेलियों जैसा भी.

यदि हम कुछ बातों का विशेषरूप से ध्यान रखें तो ऐसी विपरित परिस्थितियों से निबटा जा सकता है, जैसे-

–       नई बहू के साथ घर के बाकी सदस्यों के जैसा ही व्यवहार करें. उस से प्यार भी करें और विश्वास भी, परंतु न तो चौबीसों घंटे उस पर निगरानी रखें और न ही उस की बातों पर अंधविश्वास करें.

–       नई बहू के सामने हमेशा अपने गहनों व प्रौपर्टी की नुमाइश न करें और न ही उस से बारबार यह कहें कि ‘मेरे मरने के बाद सबकुछ तुम्हारा ही है.’ इस से बहू के मन में लालच पैदा हो सकता है. अच्छा होगा कि आप पहले बहू को ससुराल में घुलमिल जाने दें तथा उस के मन में ससुराल के प्रति लगाव पैदा होने दें.

–       बहू की गलतियों पर न तो उस का मजाक उड़ाएं और न ही उस के मायके वालों को कोसें. बल्कि, अपने अनुभवों का इस्तेमाल करते हुए सहीगलत, उचितअनुचित का ज्ञान दें. परंतु याद रहे कि ‘हमारे जमाने में…’ वाला जुमला न इस्तेमाल करें.

–       बहू की गलतियों के लिए बेटे को ताना न दें, वरना बहू तो आप से चिढ़ेगी ही, बेटा भी आप से दूर हो जाएगा.

–       अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें तथा घरेलू कार्यों में आत्मनिर्भर रहने का प्रयास करें.

–       समसामयिक जानकारियों, कानूनी नियमों, बैंक व जीवनबीमा संबंधी नियमों तथा इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स के बारे में भी अपडेट रहें. इस के लिए आप अपनी बहू का भी सहयोग ले सकती हैं. इस से वह आप को पुरातनपंथी नहीं समझेगी, और वह किसी बात में आप से सलाह लेने में हिचकेगी भी नहीं.

–       अपने पड़ोसी व रिश्तेदारों से अच्छे संबंध रखने का प्रयास करें.

–       बेटेबहू को स्पेस दें. उन के आपसी झगड़ों में बिन मांगे अपनी सलाह न दें.

–       परंपराओं के नाम पर जबरदस्ती के रीतिरिवाज अपनी बहू पर न थोपें. उस के विचारों का भी सम्मान करें.

आखिर में, यदि आप को अपनी बहू का व्यवहार अप्रत्याशित रूप से खतरनाक महसूस हो रहा है तो आप अदालत का दरवाजा खटखटाने में संकोच न करें. याद रखिए घरेलू हिंसा का जो कानून आप की बहू के लिए है वह आप के लिए भी है.

कानून की नजर में

केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने एक अंगरेजी अखबार के जरिए यह कहा था कि घरेलू हिंसा कानून ऐसा होना चाहिए जो बहू के साथसाथ सास को भी सुरक्षा प्रदान कर सके. क्योंकि अब बहुओं द्वारा सास को सताने के भी बहुत मामले आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हिंदू मैरिज कानून के मुताबिक, कोई भी बहू किसी भी बेटे को उस के मांबाप के दायित्वों के निर्वहन से मना नहीं कर सकती.

क्या कहता है समाज

भारतीय समाज के लोगों ने अपने मन में इस रिश्ते को ले कर काफी पूर्वाग्रह पाल रखे हैं. विशेषकर युवा पीढ़ी बहू को हमेशा बेचारी व सास को दोषी मानती है. युवतियां भी शादी से पहले से ही सासबहू के रिश्ते के प्रति वितृष्णा से भरी होती हैं. वे ससुराल में जाते ही सबकुछ अपने तरीके से करने की जिद में लग जाती हैं. वे पति को ममा बौयज कह कर ताने देती हैं और सास को भी अपने बेटे से दूर रखने की कोशिश करती हैं.

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Divorce के बाद समझदारी से लें काम ताकि न हो पछतावा

जब निशा और रमेश ने शादी के 15 साल बाद एकदूसरे से अलग होने का फैसला किया तब निशा को मालूम नहीं था कि उस के हक क्या हैं, किसकिस चीज पर उसे हक मांगना चाहिए और किस चीज पर नहीं. इसलिए उस ने घर की संपत्ति में से अपना हिस्सा नहीं मांगा, जिस पर दोनों का अधिकार था. चूंकि रमेश ने बच्चे निशा के पास ही रहने दिए तो घर की संपत्ति पर उस का ध्यान ही नहीं गया जबकि निशा भी कामकाजी थी और मुंबई के उपनगर मीरा रोड में दोनों जिस फ्लैट में रहते थे, उसे दोनों के कमाए गए साझे पैसे से खरीदा गया था.

दरअसल, तलाक के समय निशा इतनी टूट गई थी कि भविष्य की किसी सोचसमझ या आ सकने वाली परेशानी पर अपना ध्यान ही नहीं लगा सकी. वास्तव में तलाक इमोशनल लैवल पर ऐसी ही चोट पहुंचाता है. लेकिन इस के आर्थिक परिणाम और भी खतरनाक होते हैं.

तलाक के कुछ महीनों बाद ही निशा को एहसास हो गया कि वह बड़ी गलती कर बैठी है. कुछ ही दिनों की अकेली जिंदगी के बुरे अनुभवों से वह जान गई कि सारी संपत्ति रमेश को दे कर उस ने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली है. तब उस ने रमेश से अपना हिस्सा मांगा और याद दिलाया कि मकान उन दोनों ने मिल कर खरीदा था.

प्रौपर्टी पर कानूनन हक

कानून के मुताबिक, वैवाहिक जीवन के दौरान खरीदी गई कोई भी प्रौपर्टी पतिपत्नी दोनों की होती है. उस पर दोनों का ही मालिकाना हक होता है. याद रहे यह नियम तब भी लागू होता है, जब संपत्ति खरीदने में पत्नी की कोई भूमिका न हो. हां, मगर विरासत में मिली या कोई दूसरी प्रौपर्टी इस कानून के दायरे में नहीं आती. लेकिन जिन चीजों में पत्नी का हक बनता है उन में अगर सुबूत न भी हों तो भी उन में पत्नी को हक मिलता है.

निशा के मामले में प्रौपर्टी यानी मकान रमेश के नाम था. लेकिन घर के लिए गए लोन में वह सहआवेदक और सहऋ णी थी. साथ ही उस ने अपने अकाउंट से घर के लिए कई ईएमआई भी अदा की थीं. तलाक के बाद अभी तक उस ने होम लोन ईएमआई का ईसीएस मैंडेट भी खत्म नहीं किया था. इस वजह से पति से अलग होने के बाद भी 2 महीने तक होम लोन की 2 ईएमआई उस के खाते से निकल गईं. इसे देख निशा ने अपने बैंक को आगे की ईएमआई रोकने के लिए कहा. इस पर बैंक ने इस के लिए लंबाचौड़ा प्रोसैस बता दिया, जिसे पूरा किए बिना इसे रोक पाना मुमकिन नहीं.

मुआवजे की मांग

तलाक के कुछ ही महीनों बाद सामने आ गई यह अकेली परेशानी नहीं थी. कई और परेशानियों ने उसे अचानक आ घेरा. दरअसल, निशा ने तलाक के वक्त पति से बच्चों की परवरिश के लिए किसी किस्म के मुआवजे की कोई मांग नहीं की थी. उस समय उसे लग रहा था कि वह जो कमाती है, उसी में कैसे भी कर के पूरा कर लेगी. उसे आर्थिक दिक्कत महसूस होने लगी.

निशा को बहुत जल्द समझ में आ गया कि उस ने अपना हक न मांग कर बड़ी गलती कर दी है.

अगर साथ रहना संभव न रह गया हो और तलाक लेना जरूरी बन गया हो तो किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं:

अपना हिस्सा जरूर लें:

कानून के मुताबिक अगर शादी के दौरान कोई प्रौपर्टी  खरीदी गई है, तो उस में पतिपत्नी दोनों की बराबर की हिस्सेदारी होती है. भले किसी एक ने ही अपनी कमाई से उसे खरीदा हो. यह हिस्सा तब भी मांगें जब आप आर्थिक रूप से मजबूत हों, क्योंकि तलाक के बाद किसी की भी जिंदगी में बड़ा आर्थिक बदलाव आ सकता है. जब लग रहा हो कि अब तलाक हो ही जाएगा तो उस समय कुछ और आर्थिक सजगता अमल में लाना जरूरी है जैसे साझे बैंक अकाउंट्स और क्रैडिट कार्ड्स जितनी जल्दी हो बंद कर दें.

इस मामले में विकास मिश्र का अनुभव आप को बहुत कुछ बता सकता है. विकास का जब शादी के 3 साल बाद सुनीता से तलाक हो गया तो उस के कुछ दिनों बाद उसे कूरियर से मिला पत्नी के एड औन क्रैडिंट कार्ड का भारीभरकम बिल बहुत नागवार गुजरा. वह गुस्से में भड़क उठा.

उस ने एक पल को तो सोचा कि क्रैडिट कार्ड बिल फाड़ कर फेंक दे. पैसा वह किसी भी कीमत पर नहीं चुकाना चाहता था. लेकिन उस के फाइनैंस ऐडवाइजर ने बताया कि पेमैंट डिफाल्ट से उस के क्रैडिट स्कोर पर भारी असर पड़ेगा. इसलिए विकास ने वह बिल चुका कर अपने बैंक को फोन कर के उस क्रैडिट कार्ड को ब्लौक करने को कहा.

बकाया लोन चुकाएं:

जब राजेश और सुमन तलाक ले रहे थे, तो कार सुमन ने अपने पास रखी, जिस के लिए दोनों ने मिल कर लोन लिया था. कार की 11 ईएमआई बची हुई थीं. तलाक के बाद जब राजेश ने किस्तें देना बंद कर दीं तो लोन चुकाने के लिए बैंक की ओर से उन से संपर्क किया गया.

राजेश ने पैसा सुमन से वसूलने के लिए कहा. सुमन ने कर्ज की बाकी रकम चुका भी दी. फिर भी बैंक ने राजेश को डिफाल्टर घोषित कर दिया. ऐसा क्यों किया गया. इस पर क्रैडिट इन्फौरमेशन ब्यूरो (सिबिल) में सीनियर अधिकारी कहते हैं कि अगर किसी कपल ने ज्वौइंट लोन लिया है, तो उसे चुकाने की जिम्मेदारी दोनों की है. तलाक के बाद भी वे इस फाइनैंशियल लायबिलिटी से मुक्त नहीं हो सकते.

क्रैडिट स्कोर पर रखें नजर:

अलग होने वाले कपल को अपने क्रैडिट स्कोर के बारे में खास सावधानी बरतनी चाहिए. अगर कोई ज्वौइंट लोन बकाया है, तो उस की पेमैंट को ले कर कभी भी विवाद हो सकता है. इस का असर दोनों के ही क्रैडिट स्कोर पर पड़ सकता है. यह तब भी हो सकता है जब बैंक अपना कर्ज वसूल ले.

राजेश और सुमन के मामले में राजेश ने सुमन के लिए ही कार का लोन लिया था और अंतत: चुकाया भी उसी ने. लेकिन इस के बाद भी राजेश डिफाल्टर हो गया, क्योंकि बुनियादी तौर पर किस्त वही भरता था. उसी की अकाउंट से जाती थी. मगर तलाक के बारे में उस ने बैंक को अपनी तरफ से सूचित नहीं किया और न ही ऐसे समय में पूरा किया जाने वाला प्रोसैस पूरा किया, इसलिए बैंक ने अपना कर्ज वापस पाने के बाद भी राजेश को डिफाल्टर घोषित कर दिया.

दरअसल, डिवौर्स सैटलमैंट में किसी एक को लोन चुकाने के लिए भी अगर कहा जाता है, तो भी बैंक के साथ औरिजनल ऐग्रीमैंट नहीं बदलेगा. जिस में दोनों पार्टनर की लोन चुकाने की जवाबदेही है.

परिसंपत्तियों का बंटवारा:

अगर तलाक आपसी सहमति से होता है तो संपत्तियों के बंटवारे जैसी तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है. हालांकि यह तभी हो पाता है, जब अलग होने वाले पार्टनर सही डिमांड करें. अलग होते वक्त दोनों को एसैट्स और लायबिलिटी की लिस्ट बना लेनी चाहिए. उन की मार्केट वैल्यू का ठीकठीक पता लगा लेना चाहिए.

कपल आपसी सहमति से इन सभी चीजों का बंटवारा कर सकते हैं और बकाया लोन के लिए जवाबदेही भी आपस में बांट सकते हैं. हालांकि यह काम करना इतना आसान नहीं है, जितना लगता है. फिर भी कोशिश की जाए तो दोनों को ही फायदा है. दोनों मिल कर तय कर सकते हैं कि पत्नी को घर मिले और दूसरे एसैट्स पति को.

ऐसा इसलिए क्योंकि पत्नी घर मिलने से खुद को आर्थिक तौर पर सुरक्षित महसूस करेगी. यह अलग बात है कि इस के बाद भी उसे फिक्स्ड इनकम की जरूरत होगी जो घर से नहीं मिल सकती. इसलिए पत्नी को ऐसे एसैंट्स की मांग करनी चाहिए. जिन से उसे नियमित इनकम हो सके.

वैसे समझदारी तो इसी में है कि रिश्ता बिगड़ने की तरफ बढ़े उस से पहले ही चौकन्ना हो घर को टूटने से बचा लें. अगर यह कतई मुमकिन न हो तो इन तमाम बातों का ध्यान जरूर रखें. ताकि तलाक के बाद बिलकुल बरबाद होने से बचा जा सके.

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