इन जगहों पर संभल कर जाएं नहीं तो..

भारत के हर कोने में प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है जो यात्रियों का मनमोह लेता है लेकिन यहां कि कई जगहें ऐसी हैं जहां पर जाने से पहले एक बार सोच लेना ही बेहतर है. भारत की खूबसूरती देसी-विदेशी पर्यटकों को ये जगह खूब लुभाती है और हर रोज हजारों की तादाद में विदेशी पर्यटक यहां घूमने आते हैं.

फुगताल मोनेस्ट्री, लद्दाख

इसे फुगताल गोस्पा के नाम से भी जाना जाता है. ऊंची खड़ी पहाड़ी के एक तरफ बनी हुई इस मोनेस्ट्री पर बाहरी लोगों का पहुंचना खतरे से खाली नहीं.

दमस बीच, गुजरात

गुजरात के समुद्री तट पर स्थ‍ित दमस बीच जिसे लोग डुमस बीच भी कहते हैं अपनी रहस्‍यमयी पहचान के लिए पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बना रहता है. यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार इस बीच पर रूहों का बसेरा है और सूर्य अस्त होने के बाद यहां पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई देती हैं.

अकसई चिन, जम्‍मू-कश्‍मीर

अक्साई चिन या अक्सेचिन चीन, पाकिस्तान और भारत की सीमा पर स्थित तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है. यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है. किसी खूबसूरती आपको यहां जाने पर मजबूर कर देगी लेकिन क्‍या आप जानते हैं यह दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक है.

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द्रास, लद्दाख

इसको लद्दाख का द्वार भी कहते है. यह दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह है और इसी के साथ यह आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र भी है. यहां अगर आप आतंकियों की गोलियों से बच गए तो ठंड से बचना मुश्किल है.

चंबल घाटी, मध्‍यप्रदेश

चंबल घाटी अपने खौफनाक इतिहास के लिए जानी जाती है क्‍योंकि एक जमाने में यहां पर डाकुओं का राज था और कहा जाता है कि अभी भी यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है.

खरदुंग ला, लद्दाख

खरदुंग ला दुनिया की सबसे ऊंची रोड है. यहां पर सीधी चमकती धूप, तेज हवा और कम ऑक्सीजन अधिकतर लोगों को यहां से जल्द ही वापस लौटने पर मजबूर कर देती हैं.

मानस नेशनल पार्क, असम

मानस नेशनल पार्क असम का एक प्रसिद्ध पार्क है. इसे यूनेस्को नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज साइट के साथ-साथ प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व और एलिफेंट रिजर्व घोषित किया गया है. इसकी सुंदरता में खो मत जाइएगा क्‍योंकि यहां पर बोडो उग्रवादियों का कब्‍जा है जो आपका स्‍वागत करने के लिए तैयार हैं.

निकोबार, आयलैंड

इस आयलैंड में समुद्री तट की खूबसूरती देखने के लिए पर्यटकों को प‍रमिशन की जरूरत होती है. यहां के जंगलों में आदिवासियों का कब्‍जा है इसलिए यहां जाने से पहले सारी जानकारी इकट्ठा कर लें.

फुलबानी, ओडिशा

भुवनेश्‍वर से 200 किलोमीटर दूर इस गांव का नैसर्गिक सौंदर्य आपको अपनी ओर खींचने के लिए काफी है लेकिन यहां जाना खतरे से खाली नहीं है. यहां पर भी माओवादी हर कोने पर फैले हुए हैं.

साइलेंट वैली, केरल

साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान उत्तरी केरल के पालक्काड जि‍ले के मन्नारकाड से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. पिछले कुछ समय से माओवादी हमलों के बाद इस जगह को पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है.

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बस्‍तर, छत्‍तीसगढ़

भारत का नियाग्रा फाल कहा जाने वाला चित्राकूट बस्‍मर में ही स्थित है लेकिन यहां पर फैला नक्‍सली आतंक पर्यटन के लिहाज से बहुत खतरनाक है.

तुरा, मेघालय

तुरा में फैला प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है लेकिन यहां पर भी आतंक का खौफ फैला हुआ है.

बेरेन आयलैंड, अंडमान

अंडमान बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत के अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह का उत्तरी भाग है. अंडमान के आंचल में मूंगे की दीवारों, साफ-स्वच्छ सागर तट, पुरानी यादों से जुड़े खंडहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां मौजूद हैं और इसी के साथ यहां पर भारत का एक मात्र ज्‍वालामुखी भी है.

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प्रकृति की गोद में बसे हैं भारत के ये 5 Tourist Spot

बात अगर इको फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में की जाए तो भारत में ऐसी कई जगहें है जहां जाकर आप प्रकृति का पूरा आनंद उठा सकतीं हैं. वैसे तो इन जगहों पर साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन कुछ कुछ मौसमों में तो ये और भी रोमांटिक लगने लगते हैं. इन जगहों पर आने के बाद आपको एहसास होगा की आप प्रकृति की गोद में बैठी हैं.

तो आज हम आपको ऐसे ही भारत के कुछ इको फ्रेंडली पर्यटन स्थलों के बारें में बताएंगे और उम्मीद करते हैं आपको ये जगहें पसंद आएंगी, क्योकि ये ट्रिप आपके लिये पैसा वसूल ट्रिप होगा.

केरल

इको फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिस्ट में केरल का नाम पहले आता है, केरल बहुत ही खूबसूरत और हरी भरी जगह है. यहां किसी भी मौसम में घूमा जा सकता है. केरल में प्रकृति‍ का एक अनोखा रूप देखने को मिलता है. इको-फ्रेंडली टूरिस्‍ट प्‍लेस पसंद करने वाले पयर्टकों के लिए यहां खूबसूरत रेतीले समुद्र तट, ताड़ के पेड़ और बैकवौटर जैसी चीजे हैं. जिनका अच्‍छे से मजा लिया जा सकता है. यहां की संस्कृति और परंपराएं भी पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

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कुर्ग

कुर्ग भी इको-फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है. यह भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में भी गिना जाता है. यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. मिस्टी पहाड़ियों, घने जंगल और कोहरे वाली शाम पयर्टकों को बहुत पसंद आती हैं. इतना ही नहीं यहां बहने वाली कावेरी नदी इस स्थान को और ज्‍यादा खूबसूरत बनाती है. इसके अलावा वन्य जीव स्‍थल पुष्‍पागिरि वन्‍यजीव अभयारण्‍य भी घूमा जा सकता है.

गोवा

इको-फ्रेंडली टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में गोवा का नाम न हो ऐसा शायद ही हो. यह भी भारत के खूबसूरत पयर्टन स्‍थलों में से एक है. गोवा की प्राकृतिक सुंदरता की भी जितनी तारीफ की जाए कम है. समुद्र तट के अलावा यहां बोंडला या कोटीगाओ वन्यजीव अभयारण्य जैसे स्‍थानों पर पयर्टकों को बहुत अच्‍छा लगता है. गोवा की यात्रा में सुंदर मंदिरों, चर्चों, किले और ऐतिहासिक स्मारकों को घूमा जा सकता है.

सिक्किम

हिमालय में एक छोटा सा पहाड़ी राज्य सिक्किम अपनी हरी भरी वनस्पति, घने जंगलों और असख्‍ंय किस्‍मों के फूलों से पयर्टकों को आकर्षित करता है. इसके अलावा यहां पयर्टकों को गहरी घाटियों, खूबसूरत झरनों और लहराती नदियों के किनारे शाम के समय वक्‍त बिताना अच्‍छा लगता है. एक खूबसूरत पयर्टन स्‍थल के रूप में सिक्किम के पास सबकुछ है. यहां पर विदेशी पयर्टकों की भी भीड़ रहती है.

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उत्तराखंड

उत्तराखंड धरती का स्वर्ग है. यह राज्‍य पूरे पहाड़ी इलाकों और खूबसूरत परिदृश्यों के लिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. गंगा और यमुना दो नदियां हैं जो उत्तराखंड में हिमालयी ग्लेशियरों से शुरू होती हैं. उत्तराखंड बहुत समृद्ध वनस्पतियों और जीवों का घर है. यहां हमेशा शुष्क सा मौसम बना रहता है. जिस वजह से पर्यटक इन जगहों के मुरीद हैं.

भारत का फ्रांस है पुडुचेरी, विदेश से कम नहीं है यह खूबसूरत जगह

आप कब से विदेश घूमने का प्लान बना रही हैं लेकिन किसी वजह से आपका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह पैसे हो सकती हैं. विदेश की ट्रिप के लिए अच्छे-खासे पैसे होने चाहिए. अगर हम आपसे कहें कि आप कम पैसों में ही विदेश घूमने का मजा ले सकती हैं, तो आपको शायद ये बात मजाक लगे, पुडुचेरी एक ऐसी जगह है, जिसे भारत का फ्रांस भी कहा जाता है. सबसे खास बात ये कि आप यहां बिना पासपोर्ट और वीजा के जा सकती हैं.

फ्रांस से जुड़ा है इतिहास, मिलती है खास झलक

इस छोटे से प्रदेश का इतिहास फ्रांस से जुड़ा हुआ है. 1673 ईस्वी में फ्रेंच लोग यहां आए और 1954 में ये भारतीय संघ का हिस्सा बना. इसकी बसावट समुद्र के किनारे होने के कारण भी यहां काफी टूरिस्ट आते हैं. दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर स्थित पुडुचेरी, भारत के खूबसूरत शहरों में से एक है.

टाउन प्लानिंग

पुडुचेरी अपनी बेहतरीन टाउन प्लानिंग के लिए जाना जाता है. फ्रांसिसी लोगों के लिए यहां बनाई गयी टाउनशिप व्हाइट टाउन के नाम से पहचानी जाती है.

महात्मा गांधी बीच

देश के कई महापुरुषों की मूर्तियों को पुडुचेरी के बीच पर लगाया गया है और प्रौमीनाड बीच पर महात्मा गांधी की मूर्ति लगाई गई है, इसलिए इस बीच को महात्मा गांधी बीच भी कहा जाता है.

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फ्रेंच वौर मेमोरियल

प्रौमीनाड बीच पर लगी गांधी जी की मूर्ति के सामने ही फ्रेंच वौर मेमोरियल है जिसे उन फ्रांसिसी सैनिकों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए थे और इसी स्थान पर हर साल 14 जुलाई को फ्रेंच सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

मनाकुला विलय कुलौन मंदिर

पुडुचेरी में मौजूद भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर 1673 से पहले बना था और इसे मनाकुला विलय कुलौन मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में हाथी द्वारा भक्तों को आशीर्वाद दिया जाता है इसलिए इस मंदिर की मान्यता के साथ-साथ सैलानियों का रोमांच भी बढ़ जाता है.

सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च

पुडुचेरी का सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च पूरी दुनिया में मशहूर है, जिसका निर्माण 1902 में शुरू हुआ था. इस चर्च में तमिल और अंग्रेजी भाषाओं में प्रार्थना होती है और एक साथ 2000 लोग इसमें प्रार्थना कर सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

यहां पहुंचने का सबसे आसान रास्ता तो ट्रेन या हवाई जहाज से चेन्नई पहुंचकर वहां से बस या टैक्सी से पुडुचेरी पहुंचने का है. वैसे ट्रेन से 40 किलोमीटर दूर विल्लुपुरम तक भी आया जा सकता है.

घूमने का बेस्ट टाइम : अक्टूबर से अप्रैल का महीना सबसे उचित है.

कहां ठहरे : आपको 1500 से 5000 में होटल मिल जाएगा. साथ ही आपकी जेब के हिसाब से यहां रिसौर्ट भी हैं.

खास जगह : पैराडाइस बीच, पुडुचेरी म्यूजियम के अलावा यहां पुरानी इमारतें भी देखी जा सकती हैं.

कश्मीर : हसीन वादियां बुलाएं बारबार

जम्मूकश्मीर की खूबसूरत वादियां और बर्फीले पहाड़ सैलानियों को बारबार यहां आने के लिए मजबूर करते हैं. इन गरमियों में आप भी जम्मूकश्मीर की फिजाओं में पर्यटन के नए अनुभवों से वाबस्ता हो कर मन और तन को सुकून दे सकते हैं.

आतंक के लंबे सिलसिले के बावजूद आज भी कश्मीर में दुनियाभर के सैलानी पहुंचते हैं और डल झील से ले कर गुलमर्ग तक सैरसपाटे करते हैं. अपने पहाड़ी स्वभाव और अपने मूल व्यवसाय के कारण यहां के लोग सैलानियों को सिरआंखों पर बैठाते हैं.

जम्मूकश्मीर हिमालय की बर्फीली पहाडि़यों पर भारत के मुकुट जैसा सजा हुआ है. अलगअलग ऊंचाइयों वाले इस के 3 हिस्से हैं. निचले हिस्से वाला जम्मू, मध्य हिस्से वाला कश्मीर और सब से ऊंचे हिस्से वाला लद्दाख.

जम्मू और श्रीनगर जाने के लिए दिल्ली से पठानकोट के रास्ते पहुंचा जा सकता है, जबकि लद्दाख के लिए दिल्ली से मनाली के रास्ते से हो कर जाया जा सकता है. श्रीनगर के लिए जम्मू के रास्ते से और लेह व लद्दाख को मनाली के रास्ते से दिल्ली और चंडीगढ़ से सीधी बसें हैं. लेह वाली बसें मनाली से आगे केलंग में एक रात के लिए रुकती हैं. मुसाफिर आसपास के होटलों में ठहरते हैं. पर्यटन विभाग की बसों के यात्री पर्यटक तंबुओं में ठहरते हैं.

श्रीनगर

श्रीनगर यानी सौंदर्य का नगर. समुद्रतल से 1,730 मीटर की बुलंदी पर यह कश्मीर का सब से बड़ा नगर है. यह  झेलम और डल झील के खूबसूरत किनारों पर बसा हुआ है. एक विशाल और मैदानी भूखंड के रूप में श्रीनगर चारों ओर फैली पर्वतमालाओं से घिरा है. यहां के सुंदर बाग, कलात्मक इमारतें, देवदार और चिनार के पेड़ इसे वास्तव में धरती पर एक बहुत ही खूबसूरत रूप देते हैं. गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग इस रूप में नगीनों जैसे लगते हैं. हर कहीं लोकल बसों से जुड़े श्रीनगर में टैक्सी और तिपहिया कदमकदम पर उपलब्ध हैं. डल झील के विशाल विस्तार के आरपार जाने के लिए हर कोने पर शिकारे और नौकाएं मिलती हैं. डलगेट पर सुस्ताते मुसाफिर अपने कार्यक्रम बनाते मिलते हैं.

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दर्शनीय स्थल

डल झील और डलगेट : यह झील नगर के पूर्व में 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. कभी इस का विस्तार 28 वर्ग किलोमीटर था. डलगेट इस  झील का वह पहला छोर है, जहां सैलानी सब से ज्यादा घूमतेफिरते हैं.

श्रीनगर के केंद्र लालचौक से डलगेट ढाई किलोमीटर है. पर्यटक स्वागत केंद्र पास ही है. यहां ठहरने के लिए हर प्रकार के होटल, गैस्टहाउस, हाउसबोट और मकान बड़ी संख्या में मौजूद हैं. रेस्तराओं की कतारें लगी हैं. मुख्य स्थानों पर सेना व पुलिस की मौजूदगी सैलानियों को निश्ंिचत रखती है.  झील के टापू पर बना नेहरू पार्क सब को आकर्षित करता है. पास ही चारचिनार नामक नन्हा टापू है. श्रीनगर के तमाम मशहूर बाग डल झील के तटों से जुड़े हैं. डल झील से बनी नगीन  झील भी दर्शनीय है.

निशात बाग :  झील के दाहिने किनारे पर बना यह सब से बड़ा मुगल गार्डन है. नगर से 8 किलोमीटर दूर यह बाग फूलों, फौआरों और पेड़ों से सजा हुआ है. इस की दूसरी ओर से पर्वत दिखाई देते हैं.

शालीमार बाग : इसे जहांगीर ने अपनी बीवी नूरजहां के लिए 1616 में बनवाया था. निशात बाग से 4 किलोमीटर आगे एक पहाड़ की तलहटी पर यह फूलों व वनों से मालामाल बाग है. फौआरे और सीढ़ीदार  झरने इसे अनोखा रूप देते हैं. निशात बाग की तरह ही यहां से भी सैलानी सामने की पर्वतमालाओं और डल झील के विस्तार को देख सकते हैं.

बोटैनिकल गार्डन : शालीमार बाग से डलगेट की ओर लौटते हुए एक संपर्क मार्ग से कुछ ही मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है. मखमली भूखंडों के बीच पहाड़ की ढलान पर फैले इस वनस्पति पार्क में दुनियाभर के अनोखे फूल, विविध वनस्पतियां और पेड़ मौजूद हैं. यहां एक छोटी  झील में नौकाविहार किया जा सकता है.

चश्मे शाही : इस बाग को शाहजहां ने बनवाया था. बोटैनिकल गार्डन के दाईं तरफ यह बाग अनोखी खूबसूरती का एक नमूना है.

परी महल : यह महल पहले बौद्ध मठ था. शहर से 11 किलोमीटर दूर इस जगह को बाद में शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने सूफी शिक्षाकेंद्र बनाया. यहां से डल झील को नए रूप में देखा जा सकता है.

सुलेमान पहाड़ : यह नगर से 1 हजार फुट की ऊंचाई पर है. यहां से श्रीनगर शहर, डल झील, बागों और बर्फीले पहाड़ों को देखना रोमांचक है.

हजरत बल : डलगेट से 6 किलोमीटर दूर  झील के पश्चिम तट पर और निशात बाग के बिलकुल सामने यह शाहजहां की बनवाई मसजिद है. इस के पीछे अकबर का बनवाया नसीम बाग है, जिस में चिनार के बहुत पुराने पेड़ हैं. यहां बैठ कर कुदरत के नजारों को देखना दिलचस्प है.

लाल चौक : यह श्रीनगर का प्रमुख बाजार है. यहां स्थानीय लोगों को भारी संख्या में देखा जाता है. इस के इर्दगिर्द शहर के अनेक बाजार हैं. लाल चौक क्षेत्र में सस्ते दामों में कपड़े, जूते और सजावट के सामान खरीदे जा सकते हैं.

बाहरी दर्शनीय स्थल

गुलमर्ग : श्रीनगर से गुलमर्ग 52 किलोमीटर दूर समुद्रतल से 2,730 मीटर की ऊंचाई पर है. वास्तव में यह फूलों और मखमली भूखंडों से सजी नूरानी घाटी है. वैसे यहां पानी की कमी नहीं है क्योंकि चारों ओर देवदारों और बर्फ से ढके पहाड़ों से गुलमर्ग तक पानी आता है, जिस से कुछ तालाब बनाए गए हैं.

सोनमर्ग : श्रीनगर-लेह मार्ग पर सोनमर्ग 86 किलोमीटर दूर कश्मीर की आखिरी घाटी है. सिंध नदी के किनारे समुद्रतल से 2,740 मीटर की ऊंचाई पर इस का समूचा इलाका सोने जैसी रंगत के फूलों से सजा हुआ है. इसे खूबसूरत और खतरनाक ढलानों के लिए भी जाना जाता है. यहां से जोजिला पास, कारगिल और लद्दाख के लिए रास्ता जाता है.

पहलगाम : जम्मूश्रीनगर मार्ग पर अनंतनाग है, जहां से 42 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम को रास्ता जाता है. लिद्दर नदी के तट पर बसे पहलगाम का अर्थ ‘गड़रियों का गांव’ है. कहा जाता है कि ईसा ने यहां अपने अज्ञातवास के कुछ वर्ष बिताए थे. यहां बर्फीले पर्वत, घने जंगल, सुंदर वन,  झरने, मखमली भूखंडों पर बहती जलधाराएं और कुदरत के करिश्मे एक नजर में देखे जा सकते हैं. श्रीनगर से 61 किलोमीटर दूर मट्टन नामक जगह पहलगाम जाने वालों के लिए अच्छा विश्रामस्थल है. यहां एक सुंदर झरना भी है.    -सैन्नी अशेष

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लेह लद्दाख

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से सटा लेह व लद्दाख भले ही आम लोगों की नजरों में छिपा हुआ हो लेकिन पर्यटकों के लिए लद्दाख नया नहीं है. पर्वतारोहण के लिए यह इलाका दशकों से आकर्षण का केंद्र है. लेह व लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य के दुर्गम इलाके हैं. विदेशी पर्यटकों का हमेशा से ही लद्दाख में आवागमन रहा है लेकिन आम लोगों के लिए लद्दाख तब से आकर्षण का केंद्र बना जब से फिल्म ‘थ्री इडियट’ में लद्दाख की हसीन वादियों के कई  दृश्यों का फिल्मांकन दिखाया गया. खासतौर पर पेंगगांग जहां पर खूबसूरत बीच में समुद्र के पानी में तीनों रंगों का संगम है और चारों तरफ पहाडि़यों की चादर है. इसी तरह वह स्कूल जहां पर आमिर खान बच्चों को पढ़ाते हैं. वह खूबसूरत स्कूल भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.

लद्दाख जाना लोगों को मुश्किल लगता था क्योंकि आम लोगों की यह धारणा रही है कि वहां पर आतंकवादियों का बसेरा है. लेकिन अब पिछले कुछ सालों से लेह लद्दाख भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हो रहा है. कुछ लोगों में यह धारणा भी थी कि लद्दाख भारत के बाहर है और वहां जाने के लिए पासपोर्ट लगता है. लेकिन अब ये सारी गलत धारणाएं दूर हो गई हैं और अब तो ट्रैवलिंग सर्विस और विमान सेवा की बदौलत लेह व लद्दाख जाना आसान और संभव भी हो गया है.

रास्ते खुले हों तो मनाली के रास्ते दिल्ली से लेह की बसें 1,045 किलोमीटर के रास्ते पर रोज आतीजाती हैं. बस या टैक्सी से मनाली से लेह तक का सफर बड़ा रोमांचक है.

मैं ऐसे समय में लद्दाख पहुंची जब वहां पर सिंधु नदी पर सिंधु त्योहार मनाया जाता है. इस अवसर पर वहां सांस्कृतिक ढंग से नाचगाना, लोकनृत्य, पोलो मैच आदि का आयोजन किया जाता है.

सिंधु उत्सव का आनंद उठाने के बाद जब मैं ने लेहलद्दाख की हसीन वादियों का आनंद उठाने के लिए यात्रा शुरू की तो मैं ने पहाड़ों की कटीली वादियों के बीच ज्यादातर बौद्ध स्तूप पाए जो तकरीबन 500 साल पुराने थे. पहाड़ों की चोटियों से घिरे लद्दाख की खूबसूरती देखते बनती थी.

कई जगहों पर पथरीले पहाड़ों पर बर्फ की चादर सी बिछी थी. लद्दाख की यात्रा के दौरान मुलतानी मिट्टी के पहाड़ के अलावा हमें जो मुख्य आकर्षण देखने को मिले वे थे सफेद रंग का बना हुआ शांति के प्रचार के लिए जापानी बुद्धिस्ट हिल टौप चैंगस्पा का बनाया हुआ शांति स्तूप, लेमायक हैफिस, हिक्से अल्ची, लेह का महल जोकि 17वीं शताब्दी में बना और उस में तिब्बत की कलाकृतियां देखने को मिलती हैं. हौल औफ फेम म्यूजियम जिस में लद्दाख की सांस्कृतिक कलाकृतियां, गौडेस तारा, पुरानी बंदूकें और पुराने सिक्के आदि का अच्छा संग्रह है.

लेह मार्केट में खूबसूरत मफलर, खूबसूरत लद्दाखी गहने, मास्क, प्रेयर व्हील आदि सजे हुए थे. हिमस मोनैस्ट्री वहां की प्रसिद्ध विशाल मोनैस्ट्री है. इस के अलावा एक जगह डबल हम्प है जहां अलग प्रकार के लद्दाखी ऊंट पाए जाते हैं. इन ऊंटों की खासीयत यह है कि इन के बाल सिल्क जैसे होते हैं और ये ऊंचाई में अन्य ऊंटों के मुकाबले अलग होते हैं.

कहां ठहरें

लेह के मुख्य बाजार, कारजू लेन, पर्यटन कार्यालय रोड, चांग्स्पा बाजार, शांति स्तूप रोड और आसपास के बाजारों में काफी होटल और गैस्टहाउस हैं. इस के अलावा कई लोगों ने अपने घरों में भी सैलानियों के लिए ठहरने की व्यवस्थाएं कर रखी हैं.

-आरती सक्सेना

पटनीटौप

जम्मू से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पटनीटौप घने देवदार, चीड़ के जंगल, कलकल करते  झरने, बर्फ से ढकी चोटियों और भीड़भाड़ से दूर कम आबादी वाला स्थान है. चिनाब की घाटी का सौंदर्य, मनलुभावन वादियां और कोहरे के बीच यहां का प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. पटनीटौप पहुंचने के लिए जम्मू और कटरा से नियमित बस सेवा के साथसाथ टैक्सी भी मिलती है.

यहां गरमी की छुट्टियों में लोग सर्दियों का मजा उठाते हैं. सर्दियों में यहां पैराग्लाइडिंग और स्कीइंग का अलग ही आनंद होता है. यहां आ कर सैलानी गोल्फ खेलने का भी लुत्फ खूब उठाते हैं. पटनीटौप में ठहरने के लिए राज्य पर्यटन विभाग के कई टूरिस्ट बंगले और होटल हैं.

दर्शनीय स्थलों में किस्तवाड़ एक अच्छा ट्रैकिंग स्थल है. पटनीटौप से 17 किलोमीटर दूर सनासर की खूबसूरती बेमिसाल है. प्याले के आकार की शांत व सुरम्य इस घाटी के चारों ओर हरेभरे मैदान हैं.

पटनीटौप की पर्वतश्रेणियों की ढलान पर मनोरम स्थान ‘बटोट’ चिनाब की घाटियों का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. पटनीटौप से लगभग 11 किलोमीटर दूर शिवगढ़ मरीजों के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयुक्त जगह है क्योंकि यहां की हवा व पानी बहुत शुद्ध हैं.

फिल्मों में कश्मीर की हसीन वादियां देख कर मेरा मन वहां जाने के लिए उतावला था इसलिए शादी के बाद हनीमून मनाने वहीं गए. वाकई वहां पहुंच लगा कि वहां की हसीन वादियों में बिताए हसीन पल कभी नहीं भूल सकते.

-सरिता कश्यप, नई दिल्ली

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Travel Special: प्रकृति का अनमोल तोहफा है नेतरहाट

प्राकतिक सौंदर्य एवं खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड राज्य के लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है. इसे प्रकृति का अनमोल तोहफा कहा जाता है, यही वजह है इस अनुपम स्थल को निहारने के लिए पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं. आने वाले पर्यटक प्रकृति के इस खूबसूरत स्थल को ‘नेचर हाट’ भी कहते हैं.

नेतरहाट को ‘छोटा नागपुर की रानी’ भी कहा जाता है. नेतरहाट शब्द की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि नेतुर (बांस) और हातु (हाट) मिलकर यह शब्द बना है. प्राचीन समय में यहां बांस का जंगल था, जिस कारण इसका नाम नेतरहाट पड़ गया. नेतरहाट पठार के निकट की पहाड़ियां सात पाट कहलाती हैं. यहां बिरहोर, उरांव और बिरजिया जाति के लोग निवास करते हैं.

रांची से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेतरहाट आने के लिए प्रतिदिन बसें चलती हैं. रांची से आने के दौरान नेतरहाट पहुंचने के 50 किलोमीटर पूर्व से ही पहाड़ियों पर बने टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर किसी वाहन की सवारी आपको रोमांचित कर देगी.

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नेतरहाट पहुंचने के लिए घने जंगलों और पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है. बनारी गांव से एक सर्पीला रास्ता हमें वहां तक ले जाता है. इन रास्तों से गुजरते हुए कभी-कभी लोग भयभीत भी हो जाते हैं. रास्तेभर बांस, सेमल, पलाश, पइन, साल और अयर के पेड़ आपका स्वागत करते नजर आएंगे तो कचनार फूल की महक आपको तरोताजा करती रहेगी.

नेतरहाट आने वाले पर्यटक यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना नहीं भूलते. सूर्योदय के दौरान इंद्रधनुषी छटा को देखकर ऐसा लगता है कि हरी वादियों से एक रक्ताभ

गोला धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है. इस क्षण प्रकृति का कण-कण सप्तरंगी हो जाता है और पर्यटक इस दृश्य को देखकर सहसा कह उठते हैं- अद्भुत!

सूर्यास्त देखने के लिए लोग नेतरहाट से 10 किलोमीटर दूर मैगनोलिया प्वाइंट जाते हैं.

पर्यटक यहां का प्रसिद्ध नेतरहाट आवासीय विद्यालय भी देखने आते हैं. इस विद्यालय की स्थापना इंडियन पब्लिक स्कूल कान्फ्रेंस के संस्थापक सदस्य एफ .जे. पायर्स ने वर्ष 1951 में किया था. यह विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विख्यात है.

पर्यटक पहाड़ी से उतरती कोयल नदी की बलखाती लहरों के नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए कोयल व्यू-प्वांइट पर पहुंचते हैं. नेतरहाट से 35 किलोमीटर दूर शंख नदी पर सदनी जल प्रपात एक महत्वपूर्ण पिकनिक स्थल है तो नेतरहाट से 65 किलोमीटर दूर लोध जलप्रपात भी है.

यदि जंगल-पहाड़ होते हुए पैदल जाएं तो 16 किलोमीटर की दूरी ही तय करनी पड़ती है. वैसे मैगनोलिया प्वाइंट से भी दूर पहाड़ों से गिरती लोधा जलप्रपात के पानी की तीन पतली धाराएं दिखती हैं. यह जलप्रपात 468 फीट की ऊंचाई से गिरती है.

यहां आने वाले पर्यटक ऊपरी घाघरी झरना और निचली घाघरी झरना भी देखना नहीं भूलते. झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात बरहा घाघ भी यहीं है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

यहां तीन से चार दिन रहकर प्रातिक छटा का लुत्फ पूरी तरह उठाया जा सकता है. यहां ठरहने के लिए वन विभाग के रेस्ट हाउस के अलावा विभिन्न श्रेणी के निजी रेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं.

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नेतरहाट आने के लिए रांची से गुमला होते भी एक मार्ग है और डालटनगंज या लातेहार से बेतला नेशनल पार्क और महुआडांड़ होते हुए भी यहां पहुंचा जा सकता है. प्रतिदिन पांच से छह बसें रांची और डालटनगंज से चलती हैं. अगर अपने वाहन से सैर करना चाहें तो कहना ही क्या!

अगर आप गर्मी की लंबी छुट्टी में किसी पर्यटन स्थल की सैर करना चाहते हैं तो नेतरहाट इसके लिए उत्तम स्थान हो सकता है.

बड़े शहरों की सस्ती लेकिन उम्दा मार्केट

जब भी आप कहीं घूमने जाते हैं तो बिना शॉपिंग आपकी ट्रिप अधूरी रहती है. शॉपिंग का असली मजा किसी मॉल में नहीं बल्कि शहर की लोकल और भीड़-भाड़ वाली मार्केट में होता है और यहां चीजें सही दामों पर मिल जाती हैं. यहां आपको शहर के कल्चर के बारे में भी बहुत कुछ पता चलता है. यहां जानिए कुछ बड़े शहरों की सस्ती लेकिन उम्दा मार्केट.

1. कोलाबा कॉजवे मार्केट, मुंबई

इस स्ट्रीट मार्केट में आपको किताबों से लेकर, हैंडीक्रॉफ्ट्स, कपड़ों और फुटवियर्स तक सबकी वैराइटी मिलेगी. यहां की सबसे खास बात है कि यहां ट्रेडिशनल और मार्डन दोनों ही तरह के कपड़ें अवेलेबल होते हैं.

2. सरोजिनी मार्केट, दिल्ली

दिल्ली यूं तो काफी मंहगी जगह है लेकिन यहां स्ट्रीट शॉपिंग काफी सस्ती है. यहां कम बजट के बावजूद आप दिल खोलकर शॉपिंग कर सकते हैं. इंडियन से लेकर वेस्टर्न कपड़े तक मिल जाते हैं.

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3. लाड बाजार, हैदराबाद

हैदराबाद का मोती मशहूर है. हैदराबाद के लाड बाजार पर्ल से लेकर बैंगल, ज्वैलरी और कपड़ों तक की शॉपिंग के लिए जाना जाता है लाड बाजार. शायद ही ऐसी कोई चीज है जो यहां न मिलती हो.

4. जोहरी बाजार, जयपुर

राजस्थान हैंडीक्राफ्ट के लिए जाना जाता. जयपुर के जोहरी बाजार सोने और चांदी की ज्वैलरी के लिए काफी फेमस हैं. इतना ही नहीं यहां के मार्केट में सस्ते दामों पर ज्वैलरी के साथ-साथ महंगी-महंगी साड़ियां और लहंगे भी लोग किराये पर ले जाते हैं.

5. गरियाहाट मार्केट, कोलकाता

कोलकाता की इस मशहूर मार्केट में कपड़े, ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, साड़ियों, फर्नीचर सब मौजूद है. यहां सड़क के दोनों ओर दुकानों सजी रहती हैं.

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Budget Friendly है इन जगहों पर घूमना

भागती दौड़ती जिन्दगी में कई बार हम खुद को खोने लगते हैं. ऐसे में हमें खुद अपने लिए टाइम नहीं मिलता और न ही हमारे कल्पनायें उड़ान भर पाती हैं. अगर आप भी कुछ दिनों के लिए अपने आप को समय देना चाहते हैं तो आप भी हमारे लिस्ट में से कोई जगह सेलेक्ट करें और निकल जाइए जिन्दगी को एन्जॉय करने. सबसे खास बात ये है कि ये सारे ट्रिप्स आपके बजट में हैं, और आप 5000 रुपए में इन जगहों पर घूमने जा सकते हैं.

1.कसोल, हिमाचल प्रदेश

कसोल हिमाचल में आपको हिप्पी वाली फिलिंग आएगी. यहां आपको खूबसूरत वादियों के बीच गोवा जैसे बार और रेस्त्रां मिलेंगे. ये जगह दिल्ली से दूर है, पर आप केवल 800 रुपए के किराए में यहां पहुंच सकते हैं. ऊंची पहाड़ीयों और घनी वादियां से ज्यादा एक्साइटिंग और क्या होगा?

2. जयपुर, राजस्थान

राजस्थान के इस खूबसूरत शहर तक की यात्रा दिल्ली से बहुत आसान है. आप इस शहर में किसी भी होटल में ओवरनाइट स्टे कर सकते हैं. शहर घूमने के लिए आप किसी गाइड की मदद ले सकते हैं, जो महज 500 रुपए में आपको शहर घूमा देगा. खाने पीने के लिए 500 रुपए, और आपकी जेब में अब भी 2000 रुपए बचेंगे. कोई भी ऐतिहासिक जगह इससे सस्ती नहीं हो सकती.

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3. लैंसडाउन, उत्तराखण्ड

आधुनिकता के इस दौर में भी लैंसडाउन ने अपना खूबसूरती बरकरार रखी है. दिल्ली से यहां पहुंचने के लिए आप कोटद्वार तक की बस ले सकते हैं, यह लैंसडाउन से 50 किमी की दूरी पर है. उसके बाद लोकल बस लेकर शहर घूम सकते हैं, जिसमें 1000 रुपए से अधिक खर्च नहीं होंगे. ठहरने के लिए यहां बहुत से होटल हैं, जिसमें सबसे शानदार होटल भी 1500 से अधिक चार्ज नहीं करेंगे. आपके पास अभी भी 2500 रुपए बचे रहेंगे.

4. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

यह खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा एक रिलीजियस डेस्टिनेशन है. कमर्शियलाइजेशन से अछूता यह स्थान आपके लिए पॉकेट फ्रेंडली है. यहां आपको प्रकृति का मेजिक देखने को मिलेगा और होट्लस भी अधिक चार्ज नहीं करते.

5. ऋषिकेश,उत्तराखण्ड

ऋषिकेश और वहां कि रिवर राफटिंग के बारे में तो आपने सूना ही होगा. ये शहर आस्था और एडवेंचर दोनों का केन्द्र है. दिल्ली से बस से आसानी से ऋषिकेश पहुंचा जा सकता है. वन-वे बस फेयर 200 से शुरू होकर 1400 तक हो सकते हैं. ऋषिकेश में कई आश्रम हैं जहां आप 150 प्रतिदिन के हिसाब से आराम से रुक सकते हैं.

6. कसौली, हिमाचल प्रदेश

कसौली शिमला के पास एक छोटा सा हिल स्टेशन है. कसौली तक पहुंचने के लिए आप दिल्ली से काल्का तक की ट्रेन लें और फिर कसौली के लिए टैक्सी शेयर कर लें. इसमें अधिक से अधिक 1500 रुपए खर्च होंगे. कसौली में आपको 1000 या उससे भी कम में होटल मिल जायेंगे. इसके बाद घूमने फिरने के लिए भी आपके पास 2500 रुपए बच जायेंगे.

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7. मसूरी, उत्तराखण्ड

मसूरी शहर अपने में प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ ब्रिटिश-अधीन भारत का इतिहास भी बताता है. मसूरी तक पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता है एक रोड ट्रिप. इससे आप प्रकृति के सौंदर्य का मजा भी ले पायेंगे. ओवरनाइट स्टे करने के लिए आपको 600 तक अच्छा होटल मिल जाएगा.

8. बिन्सर, उत्तराखण्ड

दिल्ली से 9 घंटे की दूरी पर है बिन्सर. यह जगह अपने वाइल्ड लाइफ के लिए फेमस है. दिल्ली से काठगोदाम के लिए आप ट्रेन से सकते हैं. उसके बाद लोकल बस से आप बिन्सर पहुंच सकते हैं.

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