Anupama: मुसीबत में पड़ी पाखी, खतरे में स्वीटी की इज्जत

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी ड्रामा चल रहा है. टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में लगातर ट्विस्ट और टर्न्स आ रहे है. शो मेकर्स एक और नया ट्विस्ट ले आए. ‘अनुपमा’ के अपकमिंग एपिसोड में बड़ा मोड़ आने वाला है. ‘अनुपमा’ के अपकमिंग स्पॉयलर में दिखाया गया सुनसान रास्ते में पाखी लफांगो के बीच फंस जाएगी.

रोमिल की वजह से खड़ी हुई मुसीबत

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में देखने को मिलेगा कि रोमिल बताएगा कि उसने अधिक और पाखी से बदला लेने के लिए यह कदम उठाया, लेकिन उसे पता नहीं होता कि ममला इतना बिगड़ जाएगा. शो में अनुपमा अंकुश के बेटे को करारा थप्पड़ मारेगी. वहीं तोषू और समर ने शहर के एक गुंडे से बात करके जानकारी निकलवाने के लिए बात करते है. दूसरी ओर प्रोमो में दिखाया जाता है पाखी लफंगो के बीच फंस जाती है.

 

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गुंडो के बीच फंसी स्वीटी

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ के प्रोमो में दिखाया जाता है कि पाखी सुनसान सड़को पर भूखी-प्यासी पाखी चक्कर खा के गिर जाती है. वहीं से गुजर रहे लफंगे उसे देख लेते है. प्रोमो में दिखाया गया कि ये लड़के पाखी के पास खड़े हो जाते है. पाखी बेसुध होती है और उसमें अभी हिम्मत नहीं होती कि वह खुद को बचा सके या इन लोगों को भगा सके. ऐसे में पाखी कौन बचाएगा या इन लफंगो का शिकार बनेंगी यह तो शो देखने से पता चलेगा.

 

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क्या पाखी शो को छोड़ रही है?

अभी हाल ही में स्टार परिवार ऑवर्ड्स 2023 में एक्ट्रेस मुस्कान बामने पहुंची. इस ऑवर्ड शो में उन्हें बेस्ट बहन का ऑवर्ड मिला. मीडिया ने जब मुस्कान मे सवाल किया कि वह शो में कहां गायब है. इस पर एक्ट्रेस ने कहा ये तो मुझे भी नहीं पता पाखी कहां गायब है. मुझे पता चलेगा तो जरुर बताऊंगी. शो छोड़ने के अटकलों पर मुस्कान ने कहा कि फिलहाल तो ऐसा कुछ नहीं है, क्या बोलूं मैं भाई.

बने एकदूजे के लिए: भाग 1- क्या विवेक और भावना का प्यार परवान चढ़ा

घर में कई दिनों से चारों ओर मौत का सन्नाटा छाया था, लेकिन आज घर में खटपट चल रही थी. मामाजी कभी ऊपर, कभी नीचे और कभी गार्डन में आ जा रहे थे. उन के पहाड़ जैसे दुख को बांटने वाला कोई सगासंबंधी पास न था. घर में सब से बड़ा होने के नाते सभी जिम्मेदारियों का बोझ उन्हीं के कंधों पर आ पड़ा था. वे तो खुल कर रो भी नहीं सकते थे.

उन के भीतर की आवाज उन्हें कचोटकचोट कर कह रही थी कि अमृत, अगर तुम ही टूट गए तो बाकी घर वालों को कैसे संभालोगे? कितना विवश हो जाता है मनुष्य ऐसी स्थितियों में. उन का भानजा, उन का दोस्त विवेक इस संसार को छोड़ कर जा चुका था, लेकिन वे ऊहापोह में पड़े रहने के सिवा और कुछ कर नहीं पा रहे थे. अपने दुख को समेटे, भावनाओं से जूझते वे बोले, ‘‘बस उन्हीं की प्रतीक्षा में2 दिन बीत गए.

मंजू, पता तो लगाओ, अभी तक वे लोग पहुंचे क्यों नहीं? कोई उत्सव में थोड़े ही आ रहे हैं. अभी थोड़ी देर में बड़ीबड़ी गाडि़यों में फ्यूनरल डायरैक्टर पहुंच जाएंगे. इंतजार थोड़े ही करेंगे वे.’’‘‘मामाजी, अभीअभी पता चला है कि धुंध के कारण उन की फ्लाइट थोड़ी देर से उतरी.

वे बस 15-20 मिनट में यहां पहुंच जाएंगे. वे रास्ते में ही हैं.’’‘‘अंत्येष्टि तो 4 दिन पहले ही हो जानी चाहिए थी लेकिन…’’‘‘मामाजी, फ्यूनरल वालों से तारीख और समय मुकर्रर कर के ही अंत्येष्टि होती है,’’ मंजू ने उन्हें समझाते हुए कहा.‘‘उन से कह दो कि सीधे चर्च में ही पहुंच जाएं. घर आ कर करेंगे भी क्या? विवेक को कितना समझाया था, कितने उदाहरण दिए थे, कितना चौकन्ना किया था लोगों ने तजुर्बों से कि आ तो गए हो चमकती सोने की नगरी में लेकिन बच के रहना.

बरबाद कर देती हैं गोरी चमड़ी वाली गोरियां. पहले गोरे रंग और मीठीमीठी बातों के जाल में फंसाती हैं. फिर जैसे ही शिकार की अंगूठी उंगली में पड़ी, उसे लट्टू सा घुमाती हैं. फिर किनारा कर लेती हैं.’’‘‘छोडि़ए मामाजी, समय को भी कोई वापस लाया है कभी? सभी को एक मापदंड से तो नहीं माप सकते. इंतजार तो करना ही पड़ेगा, क्योंकि हिंदू विधि के अनुसार बेटा ही बाप की चिता को अग्नि देता है. सच तो यही है कि जेम्स विवेक का बेटा है.

यह उसी का हक है.’’‘‘मंजू, उस हक की बात करती हो, जो धोखे से छीना गया हो. तुम तो उस की दोस्त हो. उसी के विभाग में काम करती रही हो. बाकीतुम भी तो समझदार हो. तुम्हें तो मालूम है यहां के चलन.‘‘और भावना को देखो. उसे बहुत समझाया कि उस गोरी मेम को बुलाने की कोई जरूरत नहीं. अवैध रिश्तों की गठरी बंद ही रहने दो. अगर मेम आ गईं तो पड़ोसिन छाया बेवजह ‘न्यूज औफ द वर्ल्ड’ का काम करेगी, लेकिन वह नहीं मानी.’’‘‘मामाजी, आप बेवजह परेशान हो रहे हैं. ऐसी बातें तो होती रहती हैं इन देशों में. वे तो जीवन का अंग बन चुकी हैं. मैं ने भी भावना से बात की थी. वह बोली कि पोलीन भी तो विवेक के जीवन का हिस्सा थी.

दोनों कभी हमसफर थे. फिर जेम्स भी तो है.’’इतने में एक गाड़ी पोर्टिको आ खड़ी हुई.‘‘लो आ गई गोरी और उस की नाजायज औलाद,’’ मामाजी ने कड़वाहट से कहा.‘‘मामाजी, प्लीज शांत रहिए. यह भी विवेक का परिवार है. पोलीन उस की ऐक्स वाइफ तथा जेम्स बेटा है. उसे झुठलाया भी तो नहीं जा सकता,’’ मंजू ने समझाते हुए कहा.विवेक का पार्थिव शरीर बैठक में सफेद झलरों से सजे बौक्स में अंतिम दर्शन के लिए पड़ा था.

पैडेड अंडरगारमैंट्स दिलाएं कौन्फिडैंस

वर्ष 2008 में हिंदी फिल्म ‘टशन’ में जब करीना कपूर खान अपने जीरो साइज फिगर में आई तो सब के दिलों पर छा गई. उस वक्त हर लड़की जीरो साइज फिगर चाहती थी. लेकिन यह भी सच है कि जीरो साइज फिगर वाली और स्किनी लड़कियां अपनी स्किनी बै्रस्ट और स्किनी हिप को ले कर कौन्फिडैंट फील नहीं करती हैं. उन के कौन्फिडैंस को बनाए रखने के लिए देशीविदेशी फैशन डिजाइनर और अंडरगारमैंट्स प्रोडक्शन हाउस हर रोज नए प्रोडक्ट्स मार्केट में ला रहे हैं. वे न केवल अलगअलग डिजाइनों और रंगों की पैडेड ब्रा मार्केट में ले आए हैं, बल्कि सपाट कूल्हे को 36, 38 दिखाने के लिए पैडेड पैंटी और पैंटी एन्हान्सर्स भी मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं.

  1. पैडेड ब्रा

पश्चिमी दिल्ली के वीरजी ऐंड संस नाम के अंडरगारमैंट्स हाउस की मालकिन मनमीत कौर का कहना है, ‘‘छोटी ब्रैस्ट वाली लड़कियां भी स्पैशल डिजाइन की गई पैडेड ब्रा से अपनी लो कट डै्रस में अपनी क्लीवेज उसी तरह दिखा सकती हैं जैसे कि बड़े ब्रैस्ट वाली लड़की विदेशी पैडेड ब्रा से जो ज्यादातर बिना सिलाई के बिना जोड़ के एक फोम से बनी होती है. इस से फायदा यह होता है कि टाइट टीशर्ट और पतली शर्ट के नीचे ब्रा की सिलाई की लाइनें नजर नहीं आतीं. जिन की ब्रैस्ट काफी कम है वे डबल पैडेड ब्रा का इस्तेमाल कर सकती हैं. ऐसी ब्रा में डबल फोम लगा हुआ होता है. इस से वे ज्यादा ब्यूटीफुल और कौन्फिडैंट फील करेंगी.’’

2. जैल साटिन पुशअप ब्रा

इस में ब्रा के अंदर जैलयुक्त कप और ऐसा फैब्रिक लगा होता है, जो आप की ब्रैस्ट को ऐसा उभार देता है जैसे कि नैचुरल हैवी बै्रस्ट हो. यह स्टै्रपलैस और बैकलैस दोनों ही तरह की ड्रैसेस को बहुत सुंदर शेप देती है.

मार्केट में ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं जो जैन साटिन पुशअप ब्रा बेचती हैं. अगर आप के पास मार्केट जा कर इसे खरीदने का समय नहीं है तो आप औनलाइन साइटों से भी इन्हें खरीद सकती हैं.

3. रिमूवेबल पैडिंग

सिलिकौन पैडिंग की तरह यह पैडिंग होती है लेकिन यह कपड़े से बनी होती है. इस के लिए अलग से ब्रा बनी होती है, जिस में पौकेट होती है. जब जरूरत हो तब इन जेबों में यह पैडिंग डाल लें. ये ऐसी महिलाओं के लिए बहुत अच्छी हैं, जिन का एक ब्रैस्ट छोटा हो और एक बड़ा हो या ऐसी महिलाओं के लिए जो कभीकभी किसी खास मौके पर पैडिंग वाली ब्रा पहनने की चाह रखती हों.

4. सिलिकौन पैडिंग

अब बाजार में ऐसी सिलिकौन पैडिंग आ गई हैं जिन्हें आप सीधे स्किन पर लगा सकती हैं. यह स्किन कलर की स्किन जैसी ही नरमनरम होती है. यह पैकिंग में आती है, इस की पैकिंग फेंकें नहीं. इसे प्रयोग करने के बाद सुखा कर या सूखे तौलिए से पोंछ कर वापस पैकिंग में ही रख दें. इसे 8 घंटे से ज्यादा प्रयोग में नहीं लाना चाहिए. जिन्हें स्किन एलर्जी हो, वे इस का प्रयोग न करें. यह कई बार प्रयोग में लाई जा सकती है. बहुत ज्यादा नमी के मौसम में यह खिसक सकती है, इसलिए वर्षा ऋतु में खास मौके पर ही इसे पहनें. बरसात के मौसम के लिए जल्दी सूखने वाली सिलिकौन पैडिंग भी आती हैं. वे महिलाएं जो अपने बेबी को फीड करा रही हों या जिन के निप्पल से किसी तरह का स्राव होता हो, वे इसे न पहनें.

ध्यान रखने वाली बातें

पैडेड ब्रा पहन कर आप मजाक का पात्र न लगें, इसलिए आप को सही बैंड साइज और सही कप साइज पता होना चाहिए. यदि वह ढीली हुई तो आप की ब्रैस्ट पुशअप नहीं होगी. पुशअप बीच में से होना चाहिए ताकि आप की क्लीवेज बन सके. अगर कप का साइज आप बड़ा ले लेंगी तो कसी हुई टीशर्ट पहनने पर इस के कप ऊपर से नजर आएंगे, जो देखने में अच्छे नहीं लगेंगे.

दूसरी बात यह देखें कि दोनों कप एकदूसरे से ज्यादा दूरी पर न स्थित हों. कई बार ऐसा होता है कि आप ने सही बैंड साइज और सही कप साइज भी खरीद लिया हो, लेकिन फिर भी आप की क्लीवेज नहीं बन रही है तो इस का सीधा सा मतलब यह है कि आप की ब्रा के दोनों कप ज्यादा दूरी पर हैं. इस का उपाय यह है कि ब्रा पहनें, थोड़ा सा आगे   झुकें और अपनी ब्रैस्ट्स को अपने हाथों से दबा कर देखें कि आप कहां क्लीवेज चाहती हैं. अब अपने अंगूठे और उंगली से दोनों कपों के बीच स्थित बैंड को खींच कर देखें कि कितना खींचने पर आप की ब्रैस्ट क्लीवेज बना रही है.

आप को जितना बैंड ज्यादा लग रहा है उसे मोड़ कर सिलाई लगा दें ताकि कप पास आ जाएं. इस बात का खास खयाल रखें कि पैडेड ब्रा को कभी भी वाशंगि मशीन में न धोएं.

सपाट कूल्हों के लिए पैडेड अंडरगारमैंट्स

पहले कंपनियों ने हौलीवुड, बौलीवुड की हीरोइनों के लिए कूल्हे पर पैड बांधने के प्रोडक्ट निकाले लेकिन इस से हीरोइनें सहज महसूस नहीं कर पाती थीं. लेकिन अब कंपनी निर्माताओं ने पैडेड पैंटी, हिपअप शेपर्स, बट बूस्टर्स, एन्हान्सर्स पैंटीज, पैडेड अंडरवियर, पैडेड शौर्ट्स, सिलिकौन पैडिंग और पैडेड शर्ट की तरह पैडेड लो कट जींस जैसे प्रोडक्ट कूल्हों को उभार देने के लिए बना दिए हैं.

इन पैडेड पैंटीज और दूसरे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर के आप जल्दी ही सहज और स्वाभाविक रूप से उभरे हुए बट्स पा लेती हैं. ऐसा नहीं है कि इस तरह के प्रोडक्ट मार्केट में कम हैँ. अब कई कंपनियों ने पैंडेट अंडरगारमैंट्स बनाने शुरू कर दिए हैं. इसलिए अब इन तक पहुंच आसान है. आप औनलाइन किसी भी लौंजरी स्टोर पर क्लिक कर के इन्हें खरीद सकती हैं. लेकिन ध्यान रहे इस तरह के अंडरगारमैंट्स खरीदते समय उन की तसवीर और उन की डिटेल ठीक से पढ़ लें.

ऐसा न करें कि एकसाथ कई सारे स्टाइल मंगा लें. सब से पहले किसी एक स्टाइल को मंगवाएं और यह जानकारी अवश्य ले लें कि क्या इसे रिटर्न किया जा सकता है. अब इस पैडेड पैंटी को अपनी सभी जींस के साथ पहन कर देखें. इन्हें पहन कर आप के बट्स बिग लगने लगेंगे.

डिंपल पाना है अब सिंपल

28 साल की ईशा अवस्थी देखने में बहुत अट्रैक्टिव है. उस की फीगर एकदम परफैक्ट है. लेकिन प्रोब्लम बस एक है. उस के फेस पर डिंपल नहीं है. बस एक यही कमी है जो उसे सताती है. जब भी वह दीपिका पादुकोण की कोई फोटो या रील देखती है तो उस की आंखें दीपिका के डिंपल पर आ कर रुक जाती हैं. इतना ही नहीं जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि उस के पार्टनर आदित्य को डिंपल वाली लड़कियां अट्रैक्ट करती हैं तो वह कौस्मैटिक सर्जन डाक्टर नागेश्वरी के पास गालों पर डिंपल्स बनवाने पहुंच गई ताकि वह अपने पार्टनर को एक आकर्षक तोहफा दे सके. डाक्टर ने उस के गालों पर डिंपल्स बना दिए. असल में, डिंपल गाल के मांसल हिस्से में एक छोटा सा गड्ढा होता है, जो मामूली पेशी विकृति के कारण होता है. वैसे तो डिंपल्स ज्यादातर जींस पर डिपैंड करते हैं पर आजकल आधुनिक तकनीक के द्वारा इन्हें बनवाया भी जा रहा है.

मुंबई के बेथनी अस्पताल की डा. नागेश्वरी शर्मा कहती हैं, ‘‘यह एक पेशी की कमी है, जो सुंदरता को बढ़ाती है. इसीलिए पुरुषों से ज्यादा महिलाएं मेरे पास डिंपल्स बनवाने आती हैं. यह एक छोटा सा सर्जरी प्रोसैस है. इसे करवाने वाले गालों पर डिंपल्स की जगह या तो खुद बताते हैं या फिर मैं उन्हें खुद सजैस्ट कर देती हूं. ये ज्यादातर आंखों के कोनों से लाइन ड्रा कर मुंह के कोने से खींची जाने वाली लाइन के मिलने वाले बिंदु पर बनाए जाते हैं. ये 2 तरह के होते हैं – सर्कुलर और लंबे. पहले गालों पर मार्क लगाया जाता है फिर सर्जरी की जाती है.

कैसे होती है सर्जरी

जिस पौइंट पर डिंपल बनाना होता है उस पौइंट के बाहर से हाथ लगाना पड़ता है. इस सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले औजार को कोर बायोप्सी नीडल कहते हैं. इस औजार की हैल्प से मुंह के अंदर से 0.5 मिलीमीटर या 0.7 मिलीमीटर का कट लगा कर गोलाई या लंबाकार में मसल्स को ध्यान से निकालना पड़ता है.  फिर अंदर के दोनों भागों की स्किन को जोड़ कर गांठ बना कर मसल्स पर चिपका दिया जाता है. इस के बाद जब मसल्स हिलती हैं तो गालों पर डिंपल्स पड़ने लगते हैं.

एक तरफ डिंपल बनाने की पूरी प्रक्रिया में 20 से 30 मिनट का समय लगता है. इसे करने से पहले लोकल ऐनेस्थीसिया देना पड़ता है. इस सर्जरी के लिए नींद की दवा भी दी जाती है.

शुरू में डिंपल्स हर समय गालों पर दिखते हैं, लेकिन 3 हफ्तों के बाद जब घाव भर जाते हैं तब ये डिंपल हंसने पर ही पड़ते हैं. सर्जरी के बाद ऐंटीबायोटिक माउथवाश और पेनकिलर दी जाती है. पहले दिन बर्फ की सिंकाई करने की भी सलाह दी जाती है. बात करें अगर खर्चे की तो एक तरफ का डिंपल बनवाने का खर्चा 15 से 20 हजार रुपए तक आता है.

सुंदर दिखने की चाह

डा. नागेश्वरी कहती हैं, ‘‘18 साल से ज्यादा एज की कोई भी महिला या पुरुष इन्हें बनवा सकते हैं. लेकिन मैं उन्हीं के गालों पर डिंपल्स बनाती हूं, जो सुंदर दिखने की चाह रखते हैं. इन्हें बनवाने का किसी पर कोई दबाव तो नहीं है, मैं इस की पूरी जांच करती हूं. आप में कौन्फिडैंट होना बहुत जरूरी है.

सावधानियां

  •    सर्जरी करवाने वाला पर्सन अगर किसी तरह की मैडिसिन ले रहा है तो इस के बारे में डाक्टर को जरूर बताएं.
  •     सर्जरी से कम से कम 3 दिन पहले स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से बचना चाहिए.
  •    सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक नरम और लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है.

इस बात का ध्यान रखें कि सर्जरी हमेशा प्रशिक्षित और हाइजीन से युक्त कौस्मैटिक सर्जन से ही करवाएं ताकि बाद में किसी भी प्रकार के इन्फैक्शन का खतरा न हो. डिंपल सर्जरी करवाने के बाद आप और अधिक अट्रैक्टिव लगते हैं.

8 लव मेकिंग मिस्टेक्स

क्या  औफिस से घर पहुंचने पर आप थक कर चूर हो जाते हैं और आप के पार्टनर का प्यार भरा स्पर्श भी आप में उत्तेजना पैदा नहीं करता? क्या उस के साथ प्यार करना आप को पहाड़ खोदने जैसा लगता है?

जी हां, शाम को थक कर चूर हुए कई कपल्स अकसर घर आ कर अपने पार्टनर से मुंह बिचकाते नजर आते हैं. अगर आप के साथ भी ऐसा होता है तो मुंह बिचकाने से पहले सोचें कि शादी का मतलब यह कतई नहीं है कि रोमांटिक फीलिंग्स ही हवा हो जाएं. प्यार का एहसास उस समय कंप्लीट होता है, जब 2 जिस्म 1 जान बन जाते हैं. तब उन के बीच लव की फीलिंग इतनी होती है कि उन की बौडी भी एकदूसरे को ऐक्सैप्ट कर लेती है और तब वे लव मेकिंग करने लगते हैं.

इस दौरान कपल्स ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं, जिस से वे सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय नहीं कर पाते. जानिए कैसे इन गलतियों से बचा जाए और लव मेकिंग से पहले किन बातों का ध्यान रखा जाए, ताकि जोड़ा दुनिया की सब से प्यारी फीलिंग को सम झ पाए और उसे दिल से अपना सके.

डिस्कस करने में हिचकिचाहट

कभीकभी एक पार्टनर अपनी लव मेकिंग को स्पाइसी तो बनाना चाहता है, लेकिन वह अपने पार्टनर से कुछ कहने में हिचकिचाता है. हो सकता है आप के साथ भी ऐसा होता हो. आप मानें या न मानें 90प्रतिशत केसेज में आप का पार्टनर भी नई चीजें करना पसंद करता है, लेकिन आप की ही तरह उसे भी बात करने में हिचकिचाहट या घबराहट होती है.

डिस्कस करने से घबराएं नहीं और यह कोई रूल नहीं है कि मेल पार्टनर ही पहल करे. दोनों में से कोई भी पहल कर सकता है और दर्जनों तरीकों में से किसी एक तरीके को चुन कर पूरे जोश से उसे ट्राई कर सकता है. सैक्स के बारे में डिस्कशन से जोड़े लव मेकिंग तो ऐंजौय करेंगे ही, अपने रिश्तों में मिठास भी लाएंगे.

कनविंस करना न आना

अगर एक पार्टनर थका हुआ है और सैक्स के मूड में नहीं है तो दूसरा कई बार उसे रेडी करने में असफल हो जाता है. एक सच यह भी है कि सैक्स के लिए जब कोई रेडी होता है, तो उस समय उस की बौडी से ऐड्रीनलीन कैमिकल रिलीज होता है, जो प्यार या सैक्स करने की भरपूर ऐनर्जी देता है.

पार्टनर को शाम को मूड में लाने के लिए सुबह 9 से 10 बजे के बीच उसे मैनुअली कई बार बेमतलब छुएं. दिन भर में इस समय टैस्टोस्टेरौन अपने हाई लैवल पर होता है. शाम को बैटर रिजल्ट के लिए आप सैक्सी गारमैंट्स पहनना भी न भूलें. यह उन्हें जरूर पसंद आएगा. ऐसा कर के आप अपनी लव मेकिंग को हमेशा के लिए स्ट्रौंग बना सकेंगे और पार्टनर में दिन भर के काम में थकान के बावजूद सैक्स की इच्छा बनी रहेगी.

जल्दबाजी का चक्कर

तुरंत मजे के चक्कर में कई पुरुष फोरप्ले अवौइड कर देते हैं. उन की कोशिश होती है कि वे जल्द से एक ही बाइट में पूरा सेब खा लें. लेकिन क्या आप को पता है कि फोरप्ले और्गेज्म की ओर बढ़ने में बहुत मदद करता है? अपने पार्टनर के साथ किसिंग, लव बाइट और टच करना आप की लव मेकिंग को ज्यादा मजेदार बनाता है, इसलिए स्पीड कम करिए, पूरा टाइम दीजिए और अपने पार्टनर को छेडि़ए. यह फौर्मूला शर्तिया ही काम करेगा और दोनों का मजा दोगुना हो जाएगा.

अगर आप को लगे कि किसी खास भूमिका में आप के पार्टनर को ज्यादा मजा आ रहा है, तो रुकें और उसे दोबारा करें. जितना ज्यादा आप उसे करेंगे, उतना ज्यादा मजा उसे आएगा और यह आप को भी अच्छा लगेगा. इस ढंग से आप यह गेम खेल कर पार्टनर को पूरे तौर पर सैटिस्फाई कर सकते हैं. इस से प्यार का मजा दोगुना भी हो जाएगा.

पोर्न मूवीज या टौय इस्तेमाल करना

सैक्स के दौरान कई लोगों को लगता है कि पोर्न मूवीज, वीडियो या फिर प्लास्टिक या रबर के टौय से मजा चरम पर पहुंचेगा. ऐसा सोचना या ऐसा करना गलत है. हालांकि टौयज का लव मेकिंग में खास महत्त्व है, लेकिन उन पर निर्भर होना खतरनाक हो सकता है. प्लेजर के लिए बाहरी सोर्स आप को कम मजा देंगे क्योंकि यह तो आप भी नहीं चाहेंगे कि आप के पार्टनर को आप के बजाय किसी सैक्स टौय से प्लेजर मिले.

कपल्स को अपने पार्टनर को सैटिस्फाई करने के लिए बाहरी चीजों के बजाय अपनी बौडी की मदद लेनी चाहिए. सैक्स टौयज को महज स्पाइस के तौर पर इस्तेमाल करें.

और्गेज्म के बारे में गलतफहमी

फीमेल पार्टनर को सैक्स से सैटिस्फाई न कर पाना, कई मेल पार्टनर्स को अपनी तौहीन लगती है, लेकिन उन को सम झने की जरूरत है कि ज्यादातर औरतें सिंपल या नौर्मल सैक्स से और्गेज्म हासिल नहीं कर पाती हैं. अगर पुरुष यह बात सम झ लें तो उन का यह प्रैशर जरूर कम हो जाएगा. अगर स्त्री और्गेज्म तक नहीं पहुंचती है, तो इस से परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस के बजाय पुरुष को बड़ी चतुराई के साथ स्त्री को डाउन पोस्चर में ला कर सैटिस्फाई करना चाहिए.

एकसाथ फिनिश करने की कोशिश

पार्टनर्स की एकसाथ फिनिश करने की कोशिश जैसी बातें हवाहवाई हैं. ऐसा होता नहीं है. इस के बजाय एक पार्टनर को पहले सैटिस्फाई करने की कोशिश होनी चहिए. इस में फीमेल पार्टनर पहले सैटिस्फाई हो तो बेहतर. ऐसे में दोनों को खूब मजा आएगा.

हर बार सैट रूटीन से चलना

अगर आप की सारी कसरत कपड़े उतारने और ‘प्लग’ को ‘सौकेट’ में फिट करने की कुछ मिनट की मेहनत तक है, तो यह काफी बासी और सैट रूटीन है. ऐसे में आप की लव मेकिंग चाहे कितनी भी फैंटास्टिक हो कुछ सालों के बाद बोरिंग हो ही जाती है, जिस का आप के रिश्ते पर भी असर पड़ सकता है. आप की लव लाइफ को बचाने का तरीका नए आइडियाज में छिपा है. अगर आप नए टिप्स और नई तकनीकें अपनाते हैं, तो इसे दोनों ऐंजौय करेंगे और आप हर बार प्यार में खो जाना चाहेंगे.

बेमतलब की बातें करना

अगर आप बिस्तर पर रोजाना लड़ाई झगड़े की या नैगेटिव बातें करेंगे, तो उस समय हो सकता है कि आप का मूड सैक्स से हट कर फ्यूचर प्लानिंग या लड़ाई झगड़े की बातें सुनने में रह जाए. अगर ऐसा कुछ करना हो तो बिस्तर

पर जाने के करीब 1 घंटा पहले कर लें. इस के लिए दोनों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए. दोनों पार्टनर्स की यही कोशिश हो कि वे एकदूसरे के मूड को स्पाइसअप करें और दोनों को चिल रखें, ताकि आप के बीच का प्यार बढ़ता

मैं रोज मेकअप करती हूं, इसलिए पलकों पर फुंसी और खुजली हो गई है, मैं क्या करुं

सवाल

मैं 32 वर्षी कामकाजी महिला हूं. मेरे प्रोफैशन की वजह से मु झे मेकअप में रहना होता है. मु झे बारबार पलकों पर फुंसी और खुजली हो जाती है, बताएं क्या करूं?

जवाब

अगर आप रोज आई मेकअप करती हैं तो आप को अपनी आंखों का खास खयाल रखना चाहिए. अधिकतर मेकअप प्रोडक्ट्स में कई रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जिन के कई साइड इफैक्ट्स होते हैं. आई मेकअप करने में ही नहीं उसे निकालने में भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. इस के कारण पलकों पर फुंसी, दर्द, खुजली या संक्रमण हो सकता है. रात को सोने से पहले अपनी आंखों से मेकअप जरूर निकालें वरना ये परेशानियां और बढ़ सकती हैं. जब जरूरत या प्रोफैशनल मजबूरी न हो तो मेकअप बिलकुल न करें.

आंखों को स्वस्थ रखने और संक्रमण से बचाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अपनी आंखों को स्वस्थ रखने और संक्रमण से बचाने के लिए निम्न उपाय करें:

  •     संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें. अपने डाइट चार्ट में हरी सब्जियां और मौसमी फलों को जरूर शामिल करें.
  •    प्राकृतिक रूप से आंखों को तरोताजा करने के लिए 6-8 घंटे की नींद लें.
  •   आंखों में नमी बनाए रखने के लिए पानी और अन्य तरल पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करें.
  •   एसी में अधिक देर न रहें, इससे आंखें ड्राई हो सकती हैं, और उन में जलन हो सकती है.
  •   आई हाइजीन के लिए अपनी आंखों को 2-3 बार ठंडे पानी से धोएं.
  •     आंखों के संक्त्रमण से बचने के लिए अपने टॉवेल, रूमाल, तकिए या मेकअप के सामान किसी से सा झा न करें.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

धोखा : काश वासना के उस खेल को समझ पाती शशि

घर में चहलपहल थी. बच्चे खुशी से चहक रहे थे. घर की साजसज्जा और मेहमानों के स्वागतसत्कार का प्रबंध करने में घर के बड़ेबुजुर्ग व्यस्त थे. किंतु शशि का मन उदास था. उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. दरअसल, आज उस की सगाई थी. घर की महिलाएं बारबार उसे साजश्रृंगार के लिए कह रही थीं लेकिन वह चुपचाप खिड़की से बाहर देख रही थी. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करे?

2 महीने पहले जब उस की शादी तय हुई थी तो वह खूब रोई थी. वह किसी और को चाहती थी. लेकिन उस के मातापिता ने उस से पूछे बगैर एक व्यवसायी से उस की शादी पक्की कर दी थी. वह अभी शहर में होस्टल में रह कर बीएड कर रही थी. वहीं अपने साथ पढ़ने वाले राकेश को वह दिल दे बैठी थी. लेकिन उस ने यह बात अपने मातापिता को नहीं बताई थी क्योंकि वह खुद या राकेश अभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाए थे. पढ़ाई पूरी होने में भी 2 साल बाकी थे. इसलिए वह चाहती थी कि शादी 2 साल के लिए किसी तरह से रुकवा ले. उस ने सोचा कि जब परिस्थितियां ठीक हो जाएंगी तो मन की बात अपने मातापिता को बता कर राकेश के लिए उन्हें राजी कर लेगी.

इसीलिए, पिछली छुट्टी में वह घर आई तो अपनी शादी की बात पक्की होने की सूचना पा कर खूब रोई थी. शादी के लिए मना कर दिया था, लेकिन किसी ने उस की एक न सुनी. पिताजी तो एकदम भड़क गए और चिल्लाते हुए बोले थे, ‘शादी वहीं होगी जहां मैं चाहूंगा.’ राकेश को उस ने फोन पर ये बातें बताई थीं. वह घबरा गया था. उस ने कहा था, ‘शशि, तुम शादी के लिए मना कर दो.’

‘नहीं, यह इतना आसान नहीं है. पिताजी मानने को तैयार नहीं हैं.’ ‘लेकिन मैं कैसे रहूंगा? अकेला हो जाऊंगा तुम्हारे बिना.’

‘मैं भी तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगी, राकेश,’ शशि का गला भर आया था. ‘एक काम करो. तुम पहले होस्टल आ जाओ. कोई उपाय निकालते हैं,’ राकेश ने कहा था, ‘मैं रेलवे स्टेशन पर तुम्हारा इंतजार करूंगा. 2 नंबर गेट पर मिलना. वहीं से दोनों होस्टल चलेंगे.’

उदास स्वर में शशि बोली थी, ‘ठीक है. मैं 2 नंबर गेट पर तुम्हारा इंतजार करूंगी.’ तय योजना के अनुसार, शशि रेल से उतर कर 2 नंबर गेट पर खड़ी हो गई. तभी एक कार आ कर शशि के पास रुकी. उस में से राकेश बाहर निकला और शशि के गले लग कर बोला, ‘मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’

शशि रोआंसी हो गई. राकेश ने कहा, ‘आओ, गाड़ी में बैठ कर बातें करते हैं.’ ‘राकेश कितना सच्चा है,’ शशि ने सोचा, ‘तभी होस्टल जाने के लिए गाड़ी ले आया. नहीं तो औटो से 20 रुपए में पहुंचती. 2 किलोमीटर दूर है होस्टल.’

गाड़ी में बैठते ही राकेश ने शशि का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘शशि, मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम नहीं मिलीं, तो अपनी जान दे दूंगा.’ कार सड़क पर दौड़ने लगी.

शशि बोली, ‘नहीं राकेश, ऐसा नहीं करना. मैं तुम्हारी हूं और हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी.’ ‘इस के लिए मैं ने एक उपाय सोचा है,’ राकेश ने कहा.

‘क्या,’ शशि बोली. ‘हम लोग शादी कर लेते हैं और अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं.’

शशि आश्चर्यचकित हो कर बोली, ‘यह क्या कह रहे हो, तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न.’ ‘तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है,’ तभी उस ने ड्राइवर से कार रोकने को कहा.

कार एक पुल पर पहुंच गई थी. नीचे नदी बह रही थी. राकेश कार से बाहर आ कर बोला, ‘तुम शादी के लिए हां नहीं कहोगी तो मैं इसी पुल से नदी में कूद कर जान दे दूंगा,’ यह कह कर राकेश पुल की तरफ बढ़ने लगा. ‘यह क्या कर रहे हो, राकेश?’ शशि घबरा गई.

‘तो मैं जी कर क्या करूंगा.’ ‘चलो, मैं तुम्हारी बात मानती हूं. लेकिन जान न दो,’ यह कह कर उस ने राकेश को खींच कर वापस कार में बिठा दिया और खुद भी बगल में बैठ कर बोली, ‘लेकिन यह सब होगा कैसे?’

शशि के हाथों को अपने सीने से लगा कर राकेश बोला, ‘अगर तुम तैयार हो तो सब हो जाएगा. हम दोनों आज ही शादी करेंगे.’ शशि चकित रह गई. इस निर्णय पर वह कांप रही थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? न कहे तो प्यार टूट जाता और राकेश जान दे देता. हां कहे तो मातापिता, रिश्तेदार और समाज के गुस्से का शिकार बनना पड़ेगा.

‘क्या सोच रही हो?’ राकेश ने पूछा. शशि बोली, ‘यह सब अचानक और इतनी जल्दी ठीक नहीं है, मुझे कुछ सोचनेसमझने का समय तो दो.’

‘इस का मतलब तुम्हें मुझ से प्यार नहीं है. ठीक है, मत करो शादी. मैं भी जिंदा नहीं रहूंगा.’ ‘अरे, यह क्या कर रहे हो? मैं तैयार हूं, लेकिन शादी कोई खेल नहीं है. कैसे शादी होगी. हम कहां रहेंगे? घर के लोग नाराज होंगे तो क्या करेंगे? हमारी पढ़ाई का क्या होगा?’ शशि ने कहा.

‘तुम इस की चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगा. एक बार शादी हो जाने दो. कुछ दिनों बाद सब मान जाएंगे. वैसे अब हम बालिग हैं. अपने जीवन का फैसला स्वयं ले सकते हैं,’ राकेश ने समझाया. ‘लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है.’

‘मैं हूं न. डरने की क्या बात है?’ ‘चलो, फिर ठीक है. मैं तैयार हूं,’ डरतेडरते शशि ने शादी के लिए हामी भर दी. वह किसी भी कीमत पर अपना प्यार खोना नहीं चाहती थी.

राकेश खुश हो कर बोला, ‘तुम कितनी अच्छी हो.’ थोड़ी देर बाद कार एक होटल के गेट पर रुकी. राकेश बोला, ‘डरो नहीं, सब ठीक हो जाएगा. हम लोग आज ही शादी कर लेंगे, लेकिन किसी को बताना नहीं. शादी के बाद कुछ दिन हम लोग होस्टल में ही रहेंगे. 15 दिनों बाद मैं तुम्हें अपने घर ले चलूंगा. मेरी मां अपनी बहू को देखना चाहती हैं. वे बहुत खुश होंगी.’

‘तो क्या तुम ने अपनी मम्मीपापा को सबकुछ बता दिया?’ ‘नहीं, सिर्फ मम्मी को, क्योंकि मम्मी को गठिया है. ज्यादा चलफिर नहीं पातीं. इसीलिए वे जल्दी बहू को घर लाना चाहती हैं. किंतु पापा नहीं चाहते कि मेरी शादी हो. वे चाहते हैं कि मैं पहले पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं, लेकिन वे भी मान जाएंगे फिर हम दोनों की सारी मुश्किलें खत्म हो जाएंगी,’ राकेश बोला.

‘सच, तुम बहुत अच्छे हो.’ ‘तो मेरी प्यारी महबूबा, तुम होटल में आराम करो और हां, इस बैग में तुम्हारी जरूरत की सारी चीजें हैं. तुम रात 8 बजे तक तैयार हो जाना. फिर हम दोनों पास के मंदिर में चलेंगे. वहां शादी कर लेंगे. फिर हम होटल में आ जाएंगे. आज हमारी जिंदगी का सब से खुशी का दिन होगा.’

कुछ प्रबंध करने राकेश बाहर चला गया. शशि उधेड़बुन में थी. उस के कुछ समझ में नहीं आ रहा था. अपने मातापिता को धोखा देने की बात सोच कर उसे बुरा लग रहा था, लेकिन राकेश जिद पर अड़ा था और वह राकेश को खोना नहीं चाहती थी. कब रात के 8 बज गए, पता ही नहीं चला. तभी राकेश आ कर बोला, ‘अरे, अभी तक तैयार नहीं हुई? समय कम है. तैयार हो जाओ. मैं भी तैयार हो रहा हूं.’

‘लेकिन राकेश यह सब ठीक नहीं हो रहा है,’ शशि ने कहा. ‘यदि ऐसा है तो चलो, तुम्हें होस्टल पहुंचा देता हूं. किंतु मुझे हमेशा के लिए भूल जाना. मैं इस दुनिया से दूर चला जाऊंगा. जहां प्यार नहीं, वहां जी कर क्या करना?’ राकेश उदास हो कर बोला.

‘तुम बहुत जिद्दी हो, राकेश. डरती हूं कहीं कुछ बुरा न हो जाए.’ ‘लेकिन मैं किसी कीमत पर अपना प्यार पाना चाहता हूं, नहीं तो…’

‘बस राकेश, और कुछ मत कहो.’ 1 घंटे में तैयार हो कर दोनों पास के एक मंदिर में पहुंच गए. वहां राकेश के कुछ दोस्त पहले से मौजूद थे.

राकेश मंदिर के पुजारी से बोला, ‘पंडितजी, हमारी शादी जल्दी करा दीजिए.’ जल्दी ही शादी की प्रक्रिया पूरी हो गई. शशि और राकेश एकदूसरे के हो गए. शशि को अपनी बाहों में ले कर राकेश बोला, ‘चलो, अब हम होटल चलते हैं. आज की रात वहीं बितानी है.’

दोनों होटल में आ गए. लेकिन यह दूसरा होटल था. शशि को घबराहट हो रही थी. राकेश बोला, ‘चिंता न करो. अब सब ठीक हो जाएगा. आज की रात हम दोनों की खास रात है न.’ शशि मन ही मन डर रही थी, किंतु राकेश को रोक न सकी. फिर उसे भी अच्छा लगने लगा था. दोनों एकदूसरे में समा गए. कब 2 घंटे बीत गए, पता ही नहीं चला.

‘थक गई न. चलो, पानी पी लो और सो जाओ,’ पानी का गिलास शशि की तरफ बढ़ाते हुए राकेश बोला. शशि ने पानी पी लिया. जल्द ही उसे नींद आने लगी. वह सो गई. सुबह जब शशि की नींद खुली तो वह हक्काबक्का रह गई. उस के शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं था. उस के मुंह से चीख निकल गई. जब उस ने देखा कि कमरे में राकेश के अलावा 3 और लड़के थे. सब मुसकरा रहे थे.

तभी राकेश बोला, ‘चुप रहो जानेमन, यहां तुम्हारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. ज्यादा इधरउधर की तो तेरी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर देंगे.’ ‘यह तुम ने अच्छा नहीं किया, राकेश,’ अपने शरीर को ढकने का प्रयास करती हुई शशि रोने लगी, ‘तुम ने मुझे बरबाद कर दिया. मैं सब को बता दूंगी. पुलिस में शिकायत करूंगी.’

‘नहीं, तुम ऐसा नहीं करोगी अन्यथा हम तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे. वैसे ऐसा करोगी तो तुम खुद ही बदनाम होगी,’ कह कर राकेश हंसने लगा. उस के दोस्त भी हंसने लगे. शशि का बदन टूट रहा था. उस के शरीर पर जगहजगह नोचनेखसोटने के निशान थे. वह समझ गई कि रात में पानी में नशीला पदार्थ मिला कर पिलाया था राकेश ने. उस के बेहाश हो जाने पर सब ने उस के साथ…

शशि का रोरो कर बुरा हाल हो गया. राकेश बोला, ‘अब चुप हो जा. जो हो गया उसे भूल जा. इसी में तेरी भलाई है और जल्दी से तैयार हो जा. तुझे होस्टल पहुंचा देता हूं. और हां, किसी से कुछ कहना नहीं वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’

शशि को अपनी व अपने परिवार की खातिर चुप रहना पड़ा था. ‘‘अरे, खिड़की के बाहर क्या देख रही हो? जल्दी तैयार हो जा. मेहमान आने वाले होंगे,’’ तभी मां ने उसे झकझोरा तो वह पिछली यादों से वर्तमान में लौटी.

‘‘वह प्यार नहीं धोखा था. उस ने अपने मजे के लिए मेरी सचाई और भावना का इस्तेमाल किया,’’ शशि ने मन ही मन सोचा. अपने आंसू पोंछते हुए शशि बाथरूम में घुस गई. उसे अपनी नासमझी पर गुस्सा आ रहा था. अपनी जिंदगी का फैसला उस ने दूसरे को करने का हक दे दिया था जो उस की भलाई के लिए जिम्मेदार नहीं था. इसीलिए ऐसा हुआ, लेकिन अब कभी वह ऐसी भूल नहीं करेगी. मुंह पर पानी के छींटे मार कर वह राकेश के दिए घाव के दर्द को हलका करने की कोशिश करने लगी.

मेहमान आ रहे हैं. अब उसे नई जिंदगी शुरू करनी है. हां, नई जिंदगी…वह जल्दीजल्दी सजनेसंवरने लगी.

वजह: प्रिया का कौन सा राज लड़के वाले जान गए?

‘‘अरे,संभल कर बेटा,’’ मैट्रो में तेजी से चढ़ती प्रिया के धक्के से आहत बुजुर्ग महिला बोलीं. प्रिया जल्दी में आगे बढ़ गई. बुजुर्ग महिला को यह बात अखर गई. वे उस के करीब जा कर बोलीं, ‘‘बेटा, चाहे कितनी भी जल्दी हो पर कभी शिष्टाचार नहीं भूलने चाहिए. तुम ने एक तो मुझे धक्का मार कर मेरा चश्मा गिरा दिया उस पर मेरे कहने के बावजूद मुझ से माफी मांगने के बजाय आंखें दिखा रही हो.’’

अब तो प्रिया ने उन्हें और भी ज्यादा गुस्से से देखा. मैं जानती हूं, प्रिया को गुस्सा बहुत जल्दी आता है. इस में उस की कोई गलती नहीं. वह घर की इकलौती लाडली बेटी है.

गजब की खूबसूरत और होशियार भी. वह जल्दी नाराज होती है तो सामान्य भी तुरंत हो जाती है. उसे किसी की टोकाटाकी या जोर से बोलना पसंद नहीं. इस के अलावा उसे किसी से हारना या पीछे रहना भी नहीं भाता.

जो चाहती उसे पा कर रहती. मैं उसे अच्छी तरह समझती हूं. इसीलिए सदैव उस के पीछे रहती हूं. आगे चलने या रास्ते में आने का प्रयास नहीं करती.

मुझे जिंदगी ने भी कुछ ऐसा ही बनाया है. बचपन में अपनी मां को खो दिया था. पिता ने दूसरी शादी कर ली. सौतेली मां को मैं बिलकुल नहीं भाती थी. मैं दिखने में भी खूबसूरत नहीं. एक ही उम्र की होने के बावजूद मुझ में और प्रिया में दिनरात का अंतर है. वह दूध सी सफेद, खूबसूरत, नाजुक, बड़ीबड़ी आंखों वाली और मैं साधारण सी हर चीज में औसत हूं. जाहिर है, पापा की लाडली भी प्रिया ही थी. मेरे प्रति तो वे केवल अपनी जिम्मेदारी ही निभा रहे थे. पर मैं ने बचपन से ही अपनी परिस्थितियों से समझौता करना सीख लिया था. मुझे किसी की कोई बात बुरी नहीं लगती. सब की परवाह करती पर इस बात की परवाह कभी नहीं करती कि मेरे साथ कौन कैसा व्यवहार कर रहा है. जिंदगी जीने का एक अलग ही तरीका था मेरा. शायद यही वजह थी कि प्रिया मुझ से बहुत खुश रहती. मैं अकसर उस की सुरक्षाकवच बन कर खड़ी रहती.

आज भी ऐसा ही हुआ. प्रिया को बचाने के लिए मैं सामने आ गई, ‘‘नहींनहीं आंटीजी, आप प्लीज उसे कुछ मत कहिए. प्रिया ने आप को देखा नहीं था. वह जल्दी में थी. उस की तरफ से मैं आप से माफी मांगती हूं, प्लीज, माफ कर दीजिए.’’ ‘‘बेटा जब गलती तूने की ही नहीं तो माफी क्यों मांग रही है? तूने तो उलटा मुझे मेरा गिरा चश्मा उठा कर दिया. तेरे जैसी बच्चियों की वजह से ही दुनिया में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बाकी है वरना इस के जैसी लड़कियां तो…’’

‘‘मेरे जैसी से क्या मतलब है आप का? ओल्ड लेडी, गले ही पड़ गई हो,’’ बुजुर्ग महिला को झिड़कती हुई प्रिया आगे बढ़ गई. मुझे प्रिया की यह बात बहुत बुरी लगी. मैं ने बुजुर्ग महिला को सहारा देते हुए खाली पड़ी सीट पर बैठाया और उन्हें चश्मा पहना कर प्रिया के पास लौट आई.

हम दोनों जल्दीजल्दी घर पहुंचे. प्रिया का मूड औफ हो गया था. पर मैं उसे लगातार चियरअप करने का प्रयास करती रही. मैं सिर्फ प्रिया की रक्षक या पीछे चलने वाली सहायिका ही नहीं थी वरन उस की सहेली और सब से बड़ी राजदार भी थी. वह अपने दिल की हर बात सब से पहले मुझ से ही शेयर करती. मैं उस के प्रेम संबंधों की एकमात्र गवाह थी. उसे बौयफ्रैंड से मिलने कब जाना है, कैसे इस बात को घर में सब से छिपाना है और आनेजाने का कैसे प्रबंध करना है, इन सब बातों का खयाल मुझे ही रखना होता था.

प्रिया का पहला बौयफ्रैंड 8वीं क्लास में उस के साथ पढ़ने वाला प्रिंस था. उसी ने पीछे पड़ कर प्रिया को प्रोपोज किया था. उस की कहानी करीब 4 सालों तक चली. फिर प्रिया ने उसे डिच कर दिया. दूसरा बौयफ्रैंड वर्तमान में भी प्रिया के साथ था. अमीर घर का इकलौता चिराग वैभव नाम के अनुरूप ही वैभवशाली था. प्रिया की खूबसूरती से आकर्षित वैभव ने जब प्रोपोज किया तो प्रिया मना नहीं कर सकी. आज भी प्रिया उस के साथ रिश्ता निभा रही है पर दिल से उस से जुड़ नहीं सकी है. बस दोनों के बीच टाइमपास रिलेशनशिप ही है. प्रिया की नजरें किसी और को ही तलाशती रहती हैं.

उस दिन हमें अपनी कजिन की शादी में नोएडा जाना था. मम्मी ने पहले ही ताकीद कर दी थी कि दोनों बहनें समय पर तैयार हो जाएं. प्रिया के लिए पापा बेहद खूबसूरत नीले रंग का गाउन ले आए थे जबकि मैं ने अपनी पुरानी मैरून ड्रैस निकाल ली. नई ड्रैस प्रिया की कमजोरी है. इसी वजह से जब भी पापा प्रिया को पार्टी में ले जाना चाहते तो इसी तरह एक नई ड्रैस उस के बैड पर चुपके से रख आते.

आज भी प्रिया ने नई डै्रस देखी तो खुशी से उछल पड़ी. जल्दी से तैयार हो कर निकली तो सब दंग रह गए. बहुत खूबसूरत लग रही थी. ‘‘आज तो तू बहुतों का कत्ल कर के आएगी,’’ मैं ने प्यार से उसे छेड़ा तो वह मुझे बांहों में भर कर बोली, ‘‘बहुतों का कत्ल कर के क्या करना है, मुझे तो बस अपने उसी सपनों के राजकुमार की ख्वाहिश है जिसे देखते ही मेरी नजरें झपकना भूल जाएं.’’

‘‘जरूर मिलेगा मैडम, मगर अभी सपनों की दुनिया से जरा बाहर निकलिए और पार्टी में चलिए. क्या पता वहीं कोई आप का इंतजार कर रहा हो,’’ मैं ने उसे छेड़ते हुए कहा तो वह हंस पड़ी. पार्टी में पहुंच कर हम मस्ती करने लगे. करीब 1 घंटा बीत चुका था. अचानक प्रिया मेरी बांह पकड़ कर खींचती हुई मुझे अलग ले गई और कानों में फुसफुसा कर बोली, ‘‘प्रज्ञा वह देखो सामने. ब्लू सूट पहने मेरे सपनों का राजकुमार खड़ा है. मुझे तो बस इसी से शादी करनी है.’’

मैं खुशी से उछल पड़ी, ‘‘सच प्रिया? तो क्या तेरी तलाश पूरी हुई?’’ ‘‘हां,’’ प्रिया ने शरमाते हुए कहा.

सामने खड़ा नौजवान वाकई बहुत हैंडसम और खुशमिजाज लग रहा था. मैं ने कहा, ‘‘मुझे तेरी पसंद पर नाज है प्रिया, मैं पता लगाती हूं कि यह है कौन? वैसे तब तक तुझे उस से दोस्ती करने का प्रयास करना चाहिए.’’ वह रोंआसी हो कर बोली, ‘‘यार यही तो समस्या है. वह पहला लड़का है जो मुझे भाव नहीं दे रहा. मैं ने 1-2 बार प्रयास किया पर वह अपने घर वालों में ही व्यस्त है.’’

‘‘यार कुछ लड़के शर्मीले होते हैं. हो सकता है वह दूसरे लड़कों की तरह बोल्ड न हो जो पहली मुलाकात में ही दोस्ती के लिए उतावले हो उठते हैं.’’ ‘‘यार तभी तो यह लड़का मुझे और भी ज्यादा पसंद आ रहा है. दिल कर रहा है कि किसी भी तरह यह मेरा बन जाए.’’

‘‘तू फिक्र मत कर. मैं इस के बारे में सारी बात पता करती हूं. सारी कुंडली निकलवा लूंगी,’’ मैं ने उस लड़के की तरफ देखते हुए कहा. जल्द ही कोशिश कर के मैं ने उस लड़के से जुड़ी काफी जानकारी इकट्ठी कर ली. वह हमारी कजिन के फ्रैंड का भाई था. उस का नाम मयूर था.

वह कहां काम करता है, कहां रहता है, क्या पसंद है, घर में कौनकौन हैं जैसी बातें मैं ने प्रिया को बता दीं. प्रिया ने फेसबुक, लिंक्डइन जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर जा कर उस लड़के के बारे में और भी जानकारी ले ली. प्रिया ने फेसबुक पर मयूर को फ्रैंड रिक्वैस्ट भी भेजी पर उस ने स्वीकार नहीं की. अब तो मैं अकसर देखती कि प्रिया उस लड़के के ही खयालों में खोई रहती है. उसी की तसवीरें देखती रहती है या उस की डिटेल्स ढूंढ़ रही होती है. मुझे समझ में आ गया कि प्रिया को उस लड़के से वास्तव में प्यार हो गया है.

एक दिन मैं ने यह बात पापा को बता दी और आग्रह किया कि वे उस लड़के के घर प्रिया का रिश्ता ले कर जाएं. पापा ने उस के परिवार वालों से बात चलाई तो पता चला कि वे लोग भी मयूर के लिए लड़की ढूंढ़ रहे हैं. पापा ने अपनी तरफ से प्रिया के लिए उन्हें प्रपोजल दिया.

रविवार के दिन मयूर और उस के परिवार वाले प्रिया को देखने आने वाले थे. प्रिया बहुत खुश थी. अपनी सब से अच्छी ड्रैस पहन कर वह तैयार हुई. मैं ने बहुत जतन से उस का मेकअप किया. मेकअप कर के बालों को खुला छोड़ दिया. वह बेहद खूबसूरत लग रही थी.

मगर आज पहली दफा प्रिया मुझे नर्वस दिखाई दे रही थी. जब प्रिया को उन के सामने लाया गया तो मयूर और उस की मां एकटक उसे देखते रह गए. मैं भी पास ही खड़ी थी. मयूर ने तो कुछ नहीं कहा पर उस की मां ने बगैर किसी औपचारिक बातचीत के जो कहा उसे सुन कर हम सब सकते में आ गए. लड़के की मां ने कहा, ‘‘खूबसूरती और आकर्षण तो लड़की में कूटकूट कर भरा है, मगर आगे कोई बात की जाए उस से पहले ही क्षमा मांगते हुए मैं यह रिश्ता अस्वीकार करती हूं.’’

प्रिया का चेहरा उतर गया. पापा भी इस अप्रत्याशित इनकार से हैरान थे. अजीब मुझे भी बहुत लग रहा था. आखिर प्रिया जैसी खूबसूरत और पढ़ीलिखी बड़े घर की लड़की को पाना किसी के लिए भी हार्दिक प्रसन्नता की बात होती और फिर प्रिया भी तो इस रिश्ते के लिए कितनी उत्साहित थी. पापा ने हाथ जोड़ते हुए धीरे से पूछा, ‘‘इस इनकार की वजह तो बता दीजिए. आखिर मेरी बच्ची में कमी क्या है?’’

लड़के की मां ने बात बदली और मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘मुझे यह लड़की पसंद है. यदि आप चाहें तो मैं इसे अपनी बहू बनाना पसंद करूंगी. आप घर में बात कर के जब चाहें अपना जवाब दे देना.’’ पापा ने उम्मीद के साथ मयूर की ओर देखा तो वह भी हाथ जोड़ता हुआ बोला, ‘‘अंकल, जैसा मम्मी कह रही हैं मेरा जवाब भी वही है. मैं भी चाहूंगा कि प्रज्ञा जैसी लड़की ही मेरी जीवनसाथी बने.’’

प्रिया रोती हुई अंदर भाग गई. मैं भी उस के पीछेपीछे अंदर चली गई. उन्हें बिदा कर मम्मीपापा भी जल्दी से प्रिया के कमरे में आ गए. मगर प्रिया किसी से भी बात करने को तैयार नहीं थी. रोती हुई बोली, ‘‘प्लीज, आप लोग बाहर जाएं, मैं अभी अकेली रहना चाहती हूं.’’

हम सब बाहर आ गए. इस समय मेरी स्थिति अजीब हो रही थी. समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं. कुसूरवार न होते हुए भी आज मैं सब की आंखों में चुभ रही थी. मम्मी मुझे खा जाने वाली नजरों से देख रही थीं तो प्रिया भी नजरें चुरा रही थी. मुझे रात भर नींद नहीं आई.

अगली सुबह भी प्रिया बहुत उदास दिखी. उस की नजरों में दोषी मैं ही थी और यह बात सहन करना मेरे लिए बहुत कठिन था. मैं ने तय किया कि मैं मयूर के घर वालों के इनकार की वजह जान कर रहूंगी. प्रिया को छोड़ कर उन्होंने मुझे क्यों चुना जबकि प्रिया मुझ से लाख गुना ज्यादा खूबसूरत और स्मार्ट है, होशियार है. मैं तो कुछ भी नहीं. बात की तह तक पहुंचने का फैसला कर मैं मयूर के घर पहुंच गई. बहुत आलीशान और खूबसूरत घर था उन का. महरी ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर आने को कहा. घर बहुत करीने से सजा था. मैं ड्राइंगरूम का जायजा ले रही थी कि तभी बगल के कमरे से चश्मा पोंछती बुजुर्ग महिला निकलीं.

मुझे उन्हें पहचानने में एक पल भी नहीं लगा. यह तो मैट्रो वाली वही बुजुर्ग महिला थीं जिन का चश्मा कुछ दिन पहले प्रिया ने गिरा दिया था. मैं ने उन्हें चश्मा उठा कर दिया था. मुझे सहसा सारी बात समझ में आने लगी कि क्यों प्रिया को रिजैक्ट कर उन्होंने मुझे चुना. सामने से मयूर की मां निकलीं. मुसकराती हुई बोलीं, ‘‘बेटा, मैं समझ सकती हूं कि तू क्या पूछने आई है. शायद तुझे अपने सवाल का जवाब मिल भी गया होगा. दरअसल, उस दिन मैट्रो में

मैं भी वहीं थी और सब कुछ अपनी नजरों से देखा था. खूबसूरती, रंगरूप, धन, इन सब से ऊपर एक चीज होती है और वह है संस्कार. हमें एक सभ्य और व्यवहारकुशल बहू चाहिए बिलकुल तुम्हारे जैसी.’’ मैं ने आगे बढ़ कर दोनों के पांव छूने चाहे पर अम्मांजी ने मुझे गले से लगा लिया.

घर पहुंची तो प्रिया ने पहले की तरह रूखेपन से मेरी तरफ देखा और फिर अपने काम में लग गई. मैं उस के पास जा कर धीरे से बोली, ‘‘कल के इनकार की वजह जानने मैं मयूर के घर गई थी. तुझे याद हैं वे बुजुर्ग महिला, जिन का चश्मा मैट्रो में तेरी टक्कर से नीचे गिर गया था? दरअसल, वे बुजुर्ग महिला मयूर की दादी हैं और इसी वजह से उन्होंने तुझे न कह दिया. पर तू परेशान मत हो प्रिया. तेरी पसंद के लड़के को मैं कभी अपना नहीं बनाऊंगी. मैं न कह कर आई हूं.’’

प्रिया खामोशी से मेरी तरफ देखती रही. उस की आंखों में रूखेपन की जगह बेचारगी और अफसोस ने ले ली थी. थोड़ी देर चुप बैठने के बाद वह धीरे से उठी और मुझे गले लगाती हुई बोली, ‘‘पागल है क्या? इतने अच्छे रिश्ते के लिए कभी न नहीं करते. मैं करवाऊंगी मयूर से तेरी शादी.’’

मैं आश्चर्य से उसे देखने लगी तो वह मुसकराती हुई बोली, ‘‘आज तक तू मेरे लिए जीती रही है. आज समय है कि मैं भी तेरे लिए कुछ अच्छा करूं. खबरदार जो न कहा.’’ मेरे दिल पर पड़ा बोझ हट गया था. मैं ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया.

बड़ा चोर: प्रवेश ने अपने व्यवहार से कैसे जीता मां का दिल?

मौल की सीढि़यां उतरते वक्त मैं बेहद थक गई थी. अंतिम सीढ़ी उतर कर खड़ेखड़े ही थोड़ा सुस्ताने लगी. तभी पीछे से एक मोटरसाइकिल तेजी से आई. उस पर पीछे बैठे नवयुवक ने झपट्टा मार कर एक झटके से मेरे गले से सोने की चेन तोड़ ली और पलक झपकते ही मोटरसाइकिल गायब हो गई.

मेरे मुंह से कोई बोल फूट पाते, इस से पहले ही एकदो प्रत्यक्षदर्शी ‘चोरचोर’ कहते मोटरसाइकिल के पीछे भागे पर 5 मिनट बाद ही मुंह लटकाए वापस लौट आए. चिडि़या उड़ चुकी थी. मेरे चारों ओर भीड़ जमा होने लगी. कोलाहल बढ़ता ही जा रहा था. थकान और घुटन के मारे मुझे चक्कर से आने लगे थे. इस से पहले कि मैं होश खो कर जमीन पर गिरती, 2 मजबूत बांहों ने मुझे थाम लिया.

‘‘हवा आने दीजिए आप लोग…पानी लाओ,’’ बेहोश होने से पहले मुझे ये ही शब्द सुनाई दिए. मैं ने पलकें झपकाते हुए जब फिर से आंखें खोलीं तो भीड़ छंट चुकी थी. एकदो लोग कानाफूसी करते खड़े थे. मैं मौल की अंतिम सीढ़ी पर लेटी थी और मेरा सिर एक युवक की गोद में था. हौलेहौले एक फाइल से वह मुझ पर हवा कर रहा था.

‘‘कैसी तबीयत है, मांजी?’’ उस ने पूछा.

‘‘मैं ठीक हूं,’’ कहते हुए मैं ने उठने का प्रयास किया तो उस ने सहारा दे कर मुझे बिठा दिया.

‘‘माताजी, चेन पहन कर मत निकला कीजिए. अब तो पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से भी कुछ नहीं होना…वह तो शुक्र मनाइए कि चेन ही गई, गरदन बच गई…’’ आसपास खड़े लोग राय दे रहे थे. मेरे पास चुप रहने के सिवा कोई चारा न था, जबकि मन में आक्रोश फूटा पड़ रहा था. ‘यही है आज की जेनरेशन…देश का भविष्य. हट्टेकट्टे नौजवान बुजुर्गों का सहारा बनने के बजाय उन्हें लूट रहे हैं? भारतीय संस्कृति का मखौल उड़ा रहे हैं.’

‘‘कहां रहती हैं आप? मैं छोड़ देता हूं,’’ युवक अब तक खड़ा हो गया था.

‘‘यहीं मौल के पीछे वाली गली में.’’

‘‘बाइक पर बैठ जाइए आप? मुझे पीछे से मजबूती से पकड़ लीजिएगा.’’

मैं ने कहना तो चाहा कि मैं पैदल चली जाऊंगी पर चंद कदमों का फासला मीलों का सफर लगने लगा था. इसलिए मैं ने उस युवक की बात मान लेने में ही भलाई समझी. बाइक चली तो ठंडी हवा के झोंके से तबीयत और भी संभल गई. पुराने दिनों की यादें ताजा हो उठीं जब रीना और लीना को ले कर उन के पापा के संग स्कूटर पर पिक्चर देखने और खरीदारी करने जाती थी. रीना आगे खड़ी हो जाती थी और लीना मेरी गोद में. स्कूटर के स्पीड पकड़ते ही संयुक्त परिवार की सारी जिम्मेदारियां, चिंताएं पीछे छूट जाती थीं और खुली हवा में मन एकदम हल्का हो जाता था. कभीकभी तो बिना किसी विशेष काम के ही मैं दोनों बच्चियों को लाद कर इन के संग निकल पड़ती थी. जिंदगी की उन छोटीछोटी खुशियों का मोल अब समझ में आता है.

‘‘बस, यहीं नीले गेट के बाहर,’’ मिनटों का फासला सैकंडों में ही तय हो गया था.

‘‘अरे, यहां तो ताला लगा है?’’ युवक ने चौंक कर पूछा.

मैं ने हंसते हुए चाबी निकाल ली. चेन जाने का गम काफी हद तक अब कम हो गया था.

‘‘वह इसलिए कि मैं अकेली ही रहती हूं. आओ, अंदर आओ,’’ ताला खोल कर मैं उसे अंदर ले गई. फ्रिज से पानी की बोतल निकाली. खुद भी पिया और उसे भी पिलाया. युवक बैठक में सजी तसवीरें देख रहा था, ‘‘ये मेरे पति हैं, जो अब नहीं रहे. और ये दोनों बेटियां और उन का परिवार. दोनों यूरोप में सैटल हैं. 2 बार मुझे भी वहां ले जा चुकी हैं पर मैं महीने भर से ज्यादा वहां नहीं रह पाती.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘बस, ऐसे ही…मन ही नहीं लगता. दामाद मां जैसा ही स्नेह और सम्मान देते हैं, पर मेरा मन तो यहां इंडिया में ही अटका रहता है. पता नहीं ये मेरे अंदर छिपे दकियानूसी भारतीय संस्कार हैं या कुछ और…वैसे यहां मेरा वक्त बहुत अच्छे से गुजर जाता है. पूजापाठ, आसपास की औरतों, बहूबेटियों से गपशप…कभी वे आ जाती हैं, कभी मुझे बुला लेती हैं… लो, मैं भी क्या अपनी ही गाथा ले कर बैठ गई. चाय पिओगे या शरबत?’’

‘‘बस, कुछ नहीं. अस्पताल जा रहा…’’

‘‘अस्पताल क्यों? कोई बीमार है?’’ मैं बीच में ही बोल पड़ी.

‘‘अरे, नहीं. मैं डाक्टर हूं. ड्यूटी पर जा रहा था. यहां से तीसरी गली में नालंदा स्कूल के पास रहता हूं. कभी फुरसत में आऊंगा आप की चाय पीने.’’

‘‘अच्छा बेटा, मदद के लिए बहुतबहुत धन्यवाद.’’

‘‘क्या मांजी, आप भी बेटा कहती हैं और धन्यवाद देती हैं,’’ वह मुसकराया और किक लगा कर चलता बना.

अंदर आ कर चाय के कप समेटते मुझे खयाल आया कि मैं ने उस का नाम तो पूछा ही नहीं. अजीब भुलक्कड़ हूं. अपनी सारी रामायण बांच दी और भले आदमी का नाम तक नहीं पूछा. इसीलिए तो रीना व लीना को हमेशा मेरी चिंता लगी रहती है. मैं अपने ही खयालों की दुनिया में खोई सोचने लगी, ‘मां, आप बहुत सीधी और सरल हैं. ठीक है, आसपड़ोस अच्छा है, रिश्तेदार भी संभालते रहते हैं. पर आप हमारे पास आ कर रह जाएं तो हम निश्ंिचत हो जाएं.’

‘मैं यहां बहुत खुश और मजे से हूं मेरी बच्चियों. मुझे अपनी जड़ों से मत उखाड़ो वरना मैं मुरझा जाऊंगी. जब तुम मेरी उम्र की होओगी तभी मेरी भावनाओं को समझ पाओगी,’’ दोनों बेचारी मायूसी में विदा हो जातीं.

दोनों दामादों के साथ दोनों बेटियां भी अच्छी नौकरी में हैं. किसी चीज की कमी नहीं है. मैं जब भी कुछ देना चाहती हूं, वे नम्रता से अस्वीकार कर देते हैं. बस, नातीनातिनों को ही दे कर मन को संतुष्ट कर लेती हूं. पिछली बार जब दोनों आईं तो मैं बैंक से अपने सारे गहने निकाल लाई.

‘तुम दोनों ये बराबरबराबर बांट लो. मुझ पके आम का क्या भरोसा? कब टपक जाऊं?’ दोनों ने पिटारी समेटी और फिर से मेरी झोली में रख दी.

‘हमारे तो शादी वाले गहने भी यहां इंडिया में ही पड़े हैं, मां. वहां इन सब का कोई काम नहीं है आप ही इन्हें बदलबदल कर पहना करें. थोड़ी हवा तो लगेगी इन्हें.’ मेरी पिटारी ज्यों की त्यों वापस लौकर में पहुंचा दी गई थी. दोनों दामाद भी मेरी बराबर परवा करते थे. अभी कल ही छोटे दामाद ने याद दिलाया था, ‘मम्मी, आप के रुटीन चैकअप का वक्त हो गया है. कल करवा आइएगा. मलिक को बोल दिया है न?’ मलिक हमारा विश्वासपात्र आटो वाला है. कभी भी, कहीं भी फोन कर के बुला लो, मिनटों में हाजिर हो जाएगा. यही नहीं, पूरे वक्त बराबर साथ भी बना रहेगा. घर का ताला खोल कर, सामान सहित अंदर पहुंचा कर ही वह लौटेगा.

अगले दिन वह वक्त पर आ गया था लेकिन ड्यूटी पर डाक्टर नदारद था. मुझे बैंच पर बैठा कर वह डाक्टर का पता करने गया. तभी सफेद कोट पहने, गले में स्टेथेस्कोप लटकाए वही युवक मुझे नजर आ गया.

‘‘अरे, मांजी? आप यहां? सब ठीक तो है?’’

‘‘हां, रुटीन चैकअप के लिए आई थी. लेकिन डाक्टर सीट पर नहीं है.’’

‘‘कौन? खुरानाजी? वे तो आज छुट्टी पर हैं. दिखाइए, कौनकौन से टैस्ट, चैकअप आदि हैं?’’

वह कुछ देर परची पढ़ता रहा था, ‘‘हूं, इन में से 2 तो मैं ही कर दूंगा और बाकी भी करवा दूंगा. चलिए, आप मेरे साथ…’’

तभी मलिक भी डाक्टर के छुट्टी पर होने की खबर ले कर लौट आया था. मैं ने मलिक को पूरी बात बताई और बोली, ‘‘बेटे, तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘प्रवेश शर्मा.’’

‘‘तो प्रवेश, इसे कितनी देर बाद बुलाऊं?’’

‘‘आप इसे रवाना कर दीजिए. टैस्ट होने तक लंच टाइम हो जाएगा. मैं घर जाऊंगा तो आप को भी छोड़ दूंगा.’’

घर लौट कर खाना खा कर मैं लेटी तो देर तक प्रवेश के ही बारे में सोचती रही. ‘कितना अच्छा लड़का है. दिल का जितना अच्छा है, उतना ही प्रोफेशनली साउंड भी है. पूरे वक्त मांजीमांजी ही पुकारता रहा. अस्पताल में तो सब मुझे उस की सगी मां ही समझ कर ट्रीट कर रहे थे…पर अब तक भी मैं ने उस के घरपरिवार के बारे में नहीं पूछा. शादीशुदा तो क्या होगा, कुंआरा ही लगता है. चलो, कल उस के घर हो कर आती हूं. पता बताया तो था उस ने.’

अगले दिन ही मैं ढूंढ़तेढूंढ़ते उस के घर पहुंच गई. वह अस्पताल से लौटा ही था.

‘‘अरे, मांजी आप? मैं तो अभी आप के पास ही आ रहा था. ये आप की 2 रिपोर्टें तो आ गई हैं. ठीक हैं. एक कल आएगी, मैं पहुंचा दूंगा. आप बैठिए न,’’ उस ने कुरसी पर फैले कपड़े समेटते हुए जगह बनाई.

‘‘अकेला हूं तो घर ऐसे ही फैला रहता है.’’

‘‘क्यों? घर वाले कहां गए?’’

‘‘मम्मीपापा और बड़े भैया, बस ये 3 ही लोग हैं परिवार के नाम पर. बड़े भैया एक दुस्साध्य बीमारी से पीडि़त हैं. मेडिकल टर्म में आप समझ नहीं पाएंगी. साधारण भाषा में अपने दैनिक कार्यों के लिए भी वे मम्मीपापा पर आश्रित हैं. पापा रिटायर हो चुके हैं. बड़ी उम्मीदों से वे मकान बेच कर, पैसा जुटा कर भैया को इलाज के लिए विदेश ले गए हैं. वे तो चाहते हैं कि मैं भी वहीं सैटल हो जाऊं. जितना पैसा मैं वहां कमा सकता हूं उतना यहां जिंदगी भर नहीं कमा पाऊंगा, लेकिन मैं अपनी प्रतिभा का लाभ अपने ही देश के लिए करना चाहता हूं. जहां पैदा हुआ, पलाबढ़ा, शिक्षा पाई, उसे जब कुछ देने का वक्त आया तो छोड़ कर चला जाऊं?…पर मांबाप और बड़े भैया के प्रति भी मेरा कर्तव्य बनता है. मैं यहां एक किराए के कमरे में गुजारा कर रहा हूं. अस्पताल के अलावा प्राइवेट क्लीनिक में भी काम कर के पैसा जुटाता हूं और उन्हें भेजता हूं. मैं किसी पर कोई एहसान नहीं कर रहा. बस, देश और बड़ों के प्रति अपना फर्ज पूरा कर रहा हूं.’’

प्रवेश ने मेरा विश्वास जीत लिया था. यदि मेरे कोई बेटा होता तो निश्चित रूप से प्रवेश जैसा ही होता. वही सोचने का अंदाज, वही संस्कार मानो मुझ से घुट्टी पी कर बड़ा हुआ हो. मैं अकसर कुछ न कुछ खास बना कर उसे फोन कर देती. उस के उधड़े कपड़े मरम्मत कर देती. कभी जा कर उस का कमरा ठीक कर आती. वह भी बेटे की तरह मेरा खयाल रखता था. मेरे बुखार में वह पूरी रात मेरे सिरहाने बैठा पानी की पट्टियां बदलता रहा. 2-3 दिन प्रवेश नहीं आया तो मैं व्याकुल हो गई. खीर बना कर मैं ने उसे फोन किया. फोन उस के दोस्त सकल ने उठाया. उस ने बताया कि प्रवेश आपरेशन थियेटर में है.

‘‘वह काफी दिनों से आया नहीं, उस की तबीयत तो ठीक है?’’ मैं अपनी व्यग्रता छिपा नहीं पा रही थी.

‘‘हां, ठीक ही है. वह तो मोना वाले कांड को ले कर अपसेट चल रहा है.’’

‘‘मोना? कौन मोना?’’

‘‘उस ने आप को बताया नहीं? मुझ से तो कह रहा था हम एकदूसरे से सब बातें शेयर करते हैं. तो फिर रहने दीजिए. वह मुझ पर गुस्सा होगा.’’

‘‘नहीं, तुम्हें मेरी कसम. मुझे पूरी बात बताओ.’’

‘‘मोना हमारे बौस की बेटी है. बौस उस की शादी प्रवेश से कर के प्रवेश को आगे की पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं. पर वह अपने आदर्शों पर अड़ा है. न तो वह मोना जैसी आधुनिका से शादी के लिए तैयार है और न विदेश में बसने के लिए.’’

‘‘फिर…’’ मेरी सांस अटकने लगी थी.

‘‘बौस ने उसे किसी बिगड़े हुए केस में फंसा दिया. एकाध दिन में उस के सस्पैंशन के आर्डर आने वाले हैं. हम लोग तो समझा रहे हैं कि बदनाम होने से अच्छा है पहले ही रिजाइन कर दो और अपना एक छोटा सा नर्सिंगहोम खोल लो.’’

‘‘सही है,’’ मैं सकल की बातों से सहमत थी.

‘‘पर आंटी, पैसे की समस्या है. प्रवेश जैसा खुद्दार लड़का किसी के आगे हाथ भी तो नहीं फैलाएगा.’’

‘‘अच्छा, उसे शाम को घर भेज देना. मैं ने उस के लिए खीर बनाई है.’’

शाम को उदास चेहरे और पपड़ाए होंठों के साथ प्रवेश कमरे में प्रविष्ट हुआ तो मैं समझ गई, वह रिजाइन कर के आ रहा है. मैं ने उस के हाथमुंह धुलाए और खीर की कटोरी पेश कर दी. वह चुपचाप खाने लगा. मुझे उस पर बेहद लाड़ आ रहा था. उस के बालों में उंगलियां फिराते हुए मैं ने कहा, ‘‘तुम रिजाइन कर आए?’’

‘‘हूं…आप को किस ने बताया?’’ वह बेतरह चौंक उठा.

‘‘परेशान होने की जरूरत नहीं है. अपनी इतनी बड़ी परेशानी तुम ने मुझ से, अपनी मां से छिपाई? तुम अपना नर्सिंगहोम खोलो. पैसा मैं दूंगी. कैश कम होगा तो गहने दूंगी.’’

‘‘नहीं, मांजी, नहीं मैं आप से पैसे…’’

‘‘क्यों? क्या मुझे अपनी मां नहीं मानते? यह मांजीमांजी की पुकार ढोंग है? वह रातरात भर पलक झपकाए बिना मेरे सिरहाने बैठना, दवाइयां लाना, देना, बुखार नापना दलिया खिलाना…’’

‘‘पर मैं यह सब…कैसे चुका पाऊंगा?’’

‘‘चुकाने की जरूरत भी नहीं…’’

‘‘नहींनहीं, फिर मैं यह सब नहीं लूंगा.’’

‘‘अच्छा, उधार समझ कर ले लो. धीरेधीरे चुकता कर देना. तुम जैसा खुद्दार आदमी कभी नहीं झुकेगा, मुझे मालूम था. मैं कल ही बैंक से सारा रुपया निकलवाती हूं. अब मुसकराओ और एक कटोरी खीर और लो.’’

अगले दिन प्रसन्नचित्त मन से बैंक से गहनों की पिटारी और ढेर सारा कैश ले कर मैं बाहर निकली. प्रवेश आएगा तो कितना खुश होगा. अगले ही पल मुझे खयाल आया, प्रवेश तो रिजाइन कर चुका है. फिर तो वह घर पर ही होगा. मैं ने मलिक से आटो उधर मोड़ने को कहा. दरवाजा खुला था. बैग लिए दरवाजे के समीप पहुंचते ही मेरे कदम ठिठक गए. प्रवेश और सकल का वार्तालाप साफ सुनाई दे रहा था :

‘क्या फांसा है तू ने बुढि़या को, कल सारा पैसा, गहने ले कर तू विदेश रफूचक्कर हो जाएगा और वहां माइकल के साथ नर्सिंगहोम की पार्टनरशिप में करोड़ों कमाएगा. क्याक्या कहानियां गढ़ी और कैसेकैसे नाटक किए तुम ने बुढि़या को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए. मेरे लिए भी कोई ऐसी बुढि़या फांस दे तो मैं भी वहां आ कर तुझे ज्वाइन कर लूं. आखिर तुम्हारे कहे अनुसार मोना वाली कहानी सुना कर मैं ने भी तुम्हारी हैल्प की है.’

‘श्योर, श्योर व्हाइ नौट,’ प्रवेश की खुशी में डूबी लड़खड़ाती आवाज उभरी. शायद उस ने पी रखी थी, ‘वैसे यही मुरगी क्या बुरी है? मेरे भाग जाने के बाद तुम इस के आंसू पोंछना. मुझे खूब गालियां देना कि वह तो भेड़ की खाल में भेडि़या निकला…बुढि़या के पास खजाना है. बेटियों के भी गहने रखे हैं. बहुत जल्दी भावनाओं में बह जाती है. तुझे थोड़ा वक्त लग सकता है, क्योंकि दूध का जला छाछ को भी फूंकफूंक कर पीता है…’ दोनों का सम्मिलित ठहाका मेरे कानों को बरछी की तरह बींध गया. मेरे कदम जो मुड़े तो फिर आटो तक आ कर ही रुके.

‘‘मलिक, वापस बैंक चलो,’’ बैग को मजबूती से थामे हुए मैं ने दृढ़ता से कहा. मेरा सबकुछ लुटतेलुटते बालबाल बच गया था. मुझे खूब खुश होना चाहिए था लेकिन मेरी आंखों से निशब्द अनवरत आंसू टपक रहे थे. इतना दुख तो मुझे सोने की चेन छिन जाने पर भी नहीं हुआ था.

पराया लहू: वर्षा को मजबूरन सुधीर से विवाह क्यों करना पड़ा

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