उसकी गली में- भाग 4 : आखिर क्या हुआ उस दिन

जुलेखा बोली, ‘‘साहब, मैं नादान बच्ची नहीं, पढ़ीलिखी समझदार हूं. विलायत से मैं ने कभी शादी के बारे में सोचा तक नहीं था, पर अब मुझे लग रहा है कि वह गनपतलाल व नजीर से बेहतर इंसान था. उस ने जान पर खेल कर मेरी जिंदगी बचाई थी. उस का यह एहसान मैं कभी नहीं भूल सकती. उसे झूठे चोरी के केस में फंसाया गया है. जरूर इस के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ होगा.’’ यह एक खास बात थी, जो मैं ने दिमाग में रख ली. विलायत अली के बारे में उसे कुछ खबर नहीं थी. मैं ने नजीर को गिरफ्तार किया और एक सिपाही को जुलेखा की हिफाजत के लिए छोड़ा. जुलेखा के भाई को भी हौस्टल से निकाल कर बहन के पास पहुंचा दिया.

नजीर को ले कर मैं थाने पहुंचा. थाने के गेट पर बहुत से सिपाही खड़े थे. सभी परेशान थे. पूछने पर एक सिपाही ने कहा, ‘‘साहब, बलराज साहब की किसी ने गोली मार कर हत्या कर दी है.’’

एक पल को मेरा दिमाग सुन्न हो गया. नजीर को 2 सिपाहियों के हवाले किया और 2 सिपाहियों के साथ मौकाएवारदात के लिए रवाना हो गया. सिपाही ने मुझे बताया था कि बलराज की लाश एक बोरी में दरिया के किनारे मिली थी. जब मैं वहां पहुंचा तो पुलिस वाले काररवाई कर रहे थे. डीएसपी साहब भी वहीं मौजूद थे. गोली बलराज के हलक में लगी थी. जिस्म पर वर्दी मौजूद थी, पर उस की हालत से लगता था कि उस की किसी से जम कर हाथापाई हुई थी. अचानक मेरे दिमाग में एक खयाल आया. बलराज चंद घंटे पहले जब थाने से निकला था तो वह ऐसे निकला था, जैसे मुलजिम को ले कर ही आएगा. पर उस का तो कत्ल हो गया था.

डीएसपी समेत तमाम अमला ड्यूटी पर था. जैसेजैसे रात बीत रही थी, सब की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. विलायत की तलाश में भेजी गई सारी टीमें मुस्तैदी से अपने काम में लगी थीं. बलराज के कत्ल ने मामले को और संगीन बना दिया था. हमारे पास सुबह साढ़े 10 बजे तक का वक्त था.

एसपी साहब की इत्तला के मुताबिक हालात बहुत खराब थे. शहर में काफी तनाव था. खबर मिली कि सुबह को हजारों लोग जुलूस की शक्ल में थाने तक पहुंचेंगे और धरना देंगे. डर यह था कि कहीं भीड़ थाने पर हमला न कर दे. इस खतरे को टालना जरूरी था और उस के लिए एक ही रास्ता था, विलायत अली की बरामदगी. उस वक्त रात के ढाई बजे थे. डीएसपी साहब ने मुझे अपने कमरे में बुलाया. मैं उस वक्त नजीर से पूछताछ कर रहा था.

सख्ती करने के बाद उस ने बताया कि उसी के कहने पर ही गनपतलाल और सेठ अहद ने विलायत अली को चोरी के झूठे केस में फंसाया था, लेकिन उसे उस के फरार होने के बारे में कुछ पता नहीं था. जब मैं डीएसपी साहब के कमरे में पहुंचा तो वहां वह सिपाही भी मौजूद था, जिसे मैं ने सेठ अहद की कोठी पर लगाया था. डीएसपी के कहने पर उस ने मेरे सामने अपनी रिपोर्ट दोहराई. उस ने बताया कि शाम 4 बजे बलराज सेठ अहद के घर गया था. फिर दोनों एक कार में बैठ कर कहीं चले गए थे. उस के डेढ़ घंटे बाद बलराज की लाश मिली थी. इस रिपोर्ट में खास बात यह थी कि बलराज ने ही विलायत को फरार कराया था और उस में सेठ अहद भी शामिल था.

डीएसपी से सलाह ले कर मैं सीधा सेठ अहद को गिरफ्तार करने पहुंचा. उस वक्त सुबह हो रही थी. सेठ अहद ने अपनी गिरफ्तारी पर बहुत हंगामा किया, धमकियां भी दीं. उस की कोठी की भी तलाशी ली गई, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला. सेठ अहद के थाने पहुंचते ही गनपतलाल और अन्य लोगों के सिफारिशी फोन आने लगे. इतना ही नहीं, 3-4 कारों से कुछ रसूख वाले लोग भी आए.

एसपी साहब भी थाने पहुंच गए. रसूखदार लोग सेठ अहद को जमानत पर छोड़ने की सिफारिश कर रहे थे. एसपी साहब ने उन की बात नहीं मानी. सेठ अहद से पूछताछ जारी थी. सुबह साढ़े 8 बज रहे थे, पर उस ने कुछ नहीं बताया था. एकाएक मेरे जेहन में बिजली कौंधी, मैं उछल पड़ा. मैं भागता हुआ एसपी साहब के पास पहुंचा. मैं ने पूछा, ‘‘सर, इस जुलूस का सरगना कौन है? इस विरोध के पीछे कौन है?’’

एसपी साहब बोले, ‘‘वैसे तो 2-4 लोग हैं, पर खास नाम नेता गनपतलाल का है.’’

मैं तुरंत 5-6 सिपाहियों व एक एएसआई को ले कर डीएसपी साहब की जीप से फौरन रवाना हो गया. मैं सीधा गनपतलाल की कोठी पर पहुंचा. उस समय गनपतलाल वहां नहीं था. कोठी की तलाशी लेने पर एक अंधेरे कमरे में विलायत मिल गया. तुरंत उसे कब्जे में ले कर कोठी से निकल आया. ठीक डेढ़ घंटे बाद जब मैं थाने वाली सड़क पर मुड़ा तो ट्रैफिक पुलिस वाले ने बताया कि आगे रास्ता बंद है. एक बड़ा जुलूस थाने की तरफ गया है. मैं ने घड़ी देखी, 11 बजने वाले थे.

मुलजिम विलायत अली मेरी जीप में 2 सिपाहियों के बीच पिछली सीट पर बैठा था. रास्ता बदल कर मैं थाने पहुंचा. मैं ने देखा 3-4 हजार लोगों का एक बड़ा हुजूम थाने की तरफ आ रहा था. लेकिन पुलिस ने भीड़ को थाने से करीब 50 गज दूर रोक रखा था. मैं जीप ले कर भीड़ के पास पहुंच गया. भीड़ में सब से आगे मुझे गनपतलाल नजर आया. उस के आसपास नौजवानों ने घेरा बना रखा था. वे जोरजोर से नारे लगा रहे थे. मैं ने डीएसपी साहब से मेगाफोन मांगा. उन दिनों यह नयानया आया था.

मैं ने मेगाफोन पर गनपतलाल का नाम पुकारा. एकदम शांति छा गई. मैं ने पूछा, ‘‘गनपतलाल, आप की डिमांड क्या है?’’

गनपतलाल भड़क कर 2 कदम आगे आया. वह चीख कर बोला, ‘‘आग लगाना चाहते हैं हम इस जुल्म के गढ़ को, जहां विलायत अली जैसे बेगुनाह लोगों की जान ली जाती है.’’ मैं ने एएसआई को इशारा किया. उस ने विलायत अली को थाम कर सारे हुजूम के सामने खड़ा कर दिया. विलायत को जीवित देख कर गनपतलाल का चेहरा एकदम सफेद पड़ा गया. उस की आंखें फटी की फटी रह गईं. भीड़ में कुछ विलायत अली के रिश्तेदार भी थे. उन्होंने आगे बढ़ कर उसे गले लगा लिया और जोर से पूछा, ‘‘विलायत अली, तुम किस की कैद में थे?’’ विलायत के एक रिश्तेदार ने मुझ से मेगाफोन ले कर जोश में कहा, ‘‘इस में पुलिस का कुसूर नहीं है. यह सारा दोष गनपतलाल का है.’’

भीड़ में मौजूद लोग आपस में खुसुरफुसुर करने लगे. मेरी नजर गनपतलाल पर ही जमी थी. अचानक वह लड़खड़ा कर गिर पड़ा. पुलिस वाले तेजी से उस की ओर बढ़े. उसे पुलिस की गाड़ी से अस्पताल भेजा गया, जहां पता चला कि उसे दिल का दौरा पड़ा था. अस्पताल में जब उसे होश आया तो उस से पूछताछ की गई. पता चला कि बलराज ने सेठ अहद और गनपतलाल के साथ मिल कर ही विलायत अली को थाने से फरार कराया था. बलराज के साथ उन दोनों के गहरे संबंध थे. इस तरह उन लोगों ने एक तीर से 2 शिकार किए थे. बलराज को मुझ से बदला लेना था और गनपतलाल को वह आदमी मिल गया था, जिस का वह कत्ल करना चाहता था.

वह उस का कत्ल कर के नजीर की इच्छा पूरी करना चाहता था, ताकि नजीर पर उस की पकड़ मजबूत हो जाए. लेकिन हालात कुछ इस तरह बने कि लोग पुलिस का विरोध करने पर उतर आए. गनपतलाल पुलिस को बदनाम करने का मौका खोना नहीं चाहता था. वह अपनी राजनीति की दुकान चमकाना चाहता था. उसी ने लोगों को भड़काया था कि पुलिस के जुल्म से विलायत मर गया है. विभागीय दबाव बढ़ने पर बलराज ने गनपतलाल से विलायत को छोड़ने के लिए कहा. उस ने उस की बात नहीं मानी. इसी बात पर दोनों में कहासुनी हुई, जो हाथापाई तक जा पहुंची. उसी दौरान बलराज ने रिवौल्वर निकाला. हाथापाई में बलराज से गोली चल गई, जो उसी को लगी.

जुलूस के सामने अगर विलायत को पेश नहीं किया जाता तो हालात बिगड़ सकते थे. जांच में नजीर मुलजिमों का साथी साबित हुआ. उस पर गबन का भी केस बना. अदालत में मामला चला तो उसे 7 सालों की सजा हुई.

सेठ अहद और गनपतलाल को मौत की सजा हुई. बाद में हाईकोर्ट ने उन की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. जुलेखा ने केस लड़ कर पति से तलाक ले लिया. बाद में उस ने विलायत अली से निकाह कर लिया. विलायत ने 2 सालों में बहुत तरक्की की. वह बर्फ के एक कारखाने में हिस्सेदार है. जुलेखा उस के साथ खुश है.

Star Parivaar Awards 2023: रेड कारर्पेट पर रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे ने बिखेरा जलवा

जब से स्टार प्लस ने आधिकारिक तौर पर स्टार परिवार अवॉर्ड्स की वापसी की घोषणा की है तब से टीवी प्रेमी स्टार परिवार अवॉर्ड्स 2023 का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. स्टार परिवार अवार्ड्स 2023 पांच साल के लंबे अंतराल के बाद छोटे पर्दे पर लौट रहा है. चूंकि यह भव्य आयोजन लंबे समय के बाद वापसी कर रहा है, इसलिए आयोजक इसे सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.

‘स्टार परिवार अवॉड्स’ में पहुंचे रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे

टीवी इंडस्ट्री के बीती रात को सबसे बड़े अवॉर्ड्स का आयोजन किया गया जिसमे टीवी के बड़े स्टार्स के शिरकत की. रेड कारर्पेट पर ‘ये रिश्ता कहलाता है’, ‘गुम है किसी के प्यार में’ और ‘अनुपमा’ की स्टारकास्ट में रेड कार्पेट पर खूब अपना जलवा बिखेरा. ‘अनुपमा’ शो की लीड रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे भी ‘स्टार परिवार अवॉर्ड्स 2023’ का हिस्सा बने. रुपाली गांगुली गोल्डन कलर के गाउन में बेहद ही प्यारी लग रही है. वहीं सुधांशु पांडे ब्लेजर में बहुत ही हैंडसम लग रही है.

 

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रुपाली गांगुली का लुक

वायरल तस्वीरों में एक्ट्रेस रुपाली गांगुली लाइट पिंक कलर के सिमरी गाउन में नजर आ रही. इस डैस में रुपाली बेहद ही खूबसूरत लग रही है.

 

ब्लैक लुक में हैंडसम लग रहे सुधांशु पांडे उर्फ वनराज

टीवी सीरियल में अनुपमा में किरदार निभाने वाले सुधांशु पांडे उर्फ वनराज ऑल ब्लैक लुक में काफी हैंडसम लग रहे थे. इन तस्वीरों में सुधांशु ब्लैक कलर का ब्लेजर पहनें नजर आ रहे हैं. ‘स्टार परिवार अवॉड्स’ में रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे ने रेड कारर्पेट पर जमकर पोज दिए है. इन तस्वीरों में रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे साथ में बहुत प्यारे लग रहे है.

अभिषेक मल्हान और मनीषा रानी का रियूनियन, वायरल हुआ वीडियो

बिग बॉस ओटीटी 2 के घर से बाहर आने के बाद से ही मनीषा और अभिषेक बेहद व्यस्त हैं. दोनों ने अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू भी कर दिया है. जहां मनीषा ने टोनी कक्कड़ के साथ एक म्यूजिक एल्बम में काम किया है, वहीं अभिषेक मल्हान भी एक रोमांटिक गाने में जिया शंकर के साथ रोमांस करते नजर आ रहे हैं.

बिग बॉस ओटीटी के अंदर रहने के दौरान अभिषेक और मनीषा गहरे दोस्त बन गए और उन्होंने कभी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. झगड़ों के दौरान एक-दूसरे के लिए खड़े होने से लेकर देखभाल करने तक, वे दोनों हमेशा एक-दूसरे के लिए अच्छा चाहते हैं.

अभिषेक और मनीषा ने ली साथ में सेल्फी

इन तस्वीरों में अभिषेक मल्हान और मनीषा रानी मिरर सेल्फी लेते नजर आ रही हैं. फोटो में ‘अभिषा’ की जोड़ी बहुत क्यूट लग रही है. अभिषेक ने कैप्शन में लिखा “हैशटैग अभिषा.’ अभिषेक और मनीषा की इन तस्वीरों पर लोग खूब रिएक्ट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

 

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डांस वीडियो आया सामने

अभिषेक मल्हन ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियों शेयर किया है. इस वीडियों में मनीषा रानी और अभिषेक मल्हन डांस कर रहे है. मनीषा ने टोनी कक्कड़ के साथ एक म्यूजिक एल्बम में काम किया है. जमना पार गाने पर अभिषेक और मनीषा डांस कर रहे है. इस डांस वीडियों में मनीषा प्रिंटेड कुर्ता सेट और ब्लैक हाई हील्स पहनकर अपने गाने पर ठुमकती नजर आ रही है साथ ही में अभिषेक डांस कर रहे है.

 

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इस रील वीडियों पर मनीषा ने कैप्शन दिया है ऑन द स्पॉट वाला डांस कुछ भी कर दिया. यह वीडियों तेजी से वायरल हो रहा है. फैंस इस वीडियों को खूब पसंद कर रहे है.

अपनापन: भाग 3-मोनिका को विनय की सेक्रेटरी क्यों पसंद नहीं थी?

लेकिन मेरी तो आंखें आत्मग्लानि के कारण ऊपर नहीं उठ रही थीं. बिना किसी को ठीक से जानेपहचाने हम कैसे उस के बारे में ऐसीवैसी धारणा बना लेते हैं? मोनिका के काम करने के तरीके, उस की झट से सही निर्णय लेने की योग्यता और उस के व्यवहार ने एक ही नजर में जब मुझे इतना प्रभावित कर दिया है, तो अगर दिन भर इस के साथ काम करने वाले विनय इस की तारीफ करते हैं तो उस में गलत क्या है? मैं तो बस मूरत बनी उसे सुन रही थी और देख रही थी.

मैं अंकित के पास जाने के लिए उठी ही थी कि जय बोला, ‘‘अब घबराने की कोई बात नहीं. बच्चों को तो चोटें लगती ही रहती हैं. थोड़ी देर बाद हम उसे घर ले जाएंगे. 2-4 दिन आराम करेगा, आप की देखरेख में रहेगा तो जल्दी ही भलाचंगा हो कर दौड़ने लगेगा.’’

कितना अपनापन, कितना माधुर्य, कितनी सांत्वना थी उस के शब्दों में.

‘‘आप की तो सारी शर्ट ही खराब हो गई है,’’ जय की शर्ट पर लगे अंकित के खून के धब्बे देख कर मैं ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं, अंकित के सामने शर्ट क्या महत्त्व रखती है? वैसे भी मैं इसे बहुत पहन चुका हूं. अब अलमारी से बाहर करने ही वाला था,’’ वह कितने अपनत्व से बात टाल गया था जबकि साफ नजर आ रहा था कि शर्ट नई भले ही नहीं थी, लेकिन बहुत अच्छी हालत में थी.

तभी नर्स ने बाहर आ कर हमें पुकारा. मैं जय के साथ अंदर गई. डाक्टर ने कुछ जरूरी दवाएं लिखीं और अंकित को कुछ दिन आराम करने की हिदायत दे कर उसे ले जाने के लिए कह दिया.

घर पहुंचते ही अंकित को बिस्तर पर ठीक से लेटा कर मैं ने उस को धन्यवाद करते हुए उसे 1 कप चाय के लिए रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं रुका.

अंकित नीम बेहोशी की हालत में सो रहा था. सारा घर बिखरा पड़ा था. यहां तक की बैडरूम में टूटे कांच के बहुत से टुकड़े भी बिखरे पड़े थे. लेकिन मेरा किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. रहरह कर एक ही विचार मन में आ रहा था कि आज जय समय पर न आता या मोनिका पल भर में हमारी मदद के लिए इतना सब न सोचती तो कितना बड़ा अनर्थ हो सकता था. फोन अगर विनय भी उठाते तो भी वे इतनी जल्दी घर नहीं पहुंच सकते थे, क्योंकि उन का औफिस घर से दूर है.

कांच के उन टुकड़ों को उठाते हुए मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वे मोनिका के कारण मेरे और विनय के बीच खिंची दीवार के टुकडे़ हैं, जो मोनिका से मिलने के बाद टूट कर बिखर गई है. उन टुकड़ों को बीनते हुए 1-1 टुकड़े में मुझे अपना बड़ा ही भद्दा अक्स दिखाई दे रहा था. मैं ने जल्दी से उन्हें इकट्ठा कर के घर से दूर फेंक दिया, लेकिन यह नहीं समझ पा रही थी कि मैं विनय का सामना कैसे करूंगी?

अंकित अब ठीक हो गया है. मैं ने घर पूरी तरह से सैट कर लिया है. मेरे विशेष आग्रह पर जय और मोनिका आज हमारे घर डिनर पर आ रहे हैं. मैं ने अपने हाथों से तरहतरह के व्यंजन तैयार किए हैं. अब मोनिका के बारे में मेरी सोच बिलकुल बदल गई है. दूसरे शब्दों में कहूं तो मोनिका ने ही अपने व्यवहार से मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया है. औरत हूं न, ईर्ष्या होना स्वाभाविक है.

लेकिन सच कहूं तो किसी से बिना मिले, बिना जाने हमें किसी के बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए. मैं कितनी गलत थी, यह सोचसोच कर मन आत्मग्लानि से भर जाता है. उस दिन की घटना ने मेरी समझ पर पड़ा नासमझ का परदा हटा कर मुझे एक नई सोच दी है. एक ऐसी नजर दी है जिस से व्यक्ति की सही पहचान कर सकूं.

मैं यह सब सोच ही रही थी कि दरवाजे की घंटी बज उठी. दरवाजा खोला तो जय और मोनिका हाथों में फूलों का बहुत ही सुंदर गुलदस्ता और अंकित के लिए गिफ्ट लिए मुसकराते हुए खड़े थे. वे हम सब से बड़े प्यार से मिले.

दोनों की शादी को अभी 2 वर्ष ही हुए हैं, लेकिन दोनों में आपसी प्यार और समझबूझ देखते ही बनती है. थोड़ी देर बाद जय और विनय ड्राइंगरूम में बैठ गए. मोनिका मेरे पास किचन में आ गई. हालांकि सब कुछ तैयार था फिर भी क्रौकरी सैट करने और खाना लगाने में मेरे बारबार मना करने पर भी वह मेरा हाथ बंटाती रही और बातचीत भी करती रही.

देर तक घुलमिल कर बातें करते हुए वह एकाएक बोली, ‘‘अगर आप को बुरा न लगे तो क्या मैं आप को भाभी कह सकती हूं?’’

इस से पहले कि मैं कुछ बोलती वह झेंपते हुए बोली, ‘‘यह तो मैं ऐसे ही कह रही थी, क्योंकि मेरा कोई भाई नहीं है न…फिर भी अगर आप को…’’ कहतेकहते वह रुक गई.

‘‘मुझे भला क्यों बुरा लगेगा? तुम बिलकुल मुझे भाभी कह सकती हो. विनय तो इकलौते हैं न, इसलिए मेरी ससुराल मेरे सिर्फ बूढ़े सासससुर हैं. वे भी गांव में रहते हैं. इसी बहाने कोई अपना यहां भी होगा,’’ कहते हुए मैं ने उसे गले से लगा लिया. सचमुच एक जादू सा था उस के व्यक्तित्व में.

अब घर चल : जब रिनी के सपनों पर फिरा पानी

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क्यों जरूरी है बौडी पौलिशिंग

दमकता और चमकता शरीर कौन नहीं चाहता. लेकिन बदलते मौसम के साथ शरीर खुद को जल्दी एडजस्ट नहीं कर पाता, जिस कारण कभी रूखी, कभी औयली, कभी बेजान, कभी टैनिंग स्किन हो जाती है. ऐसे में जरूरी है हर बदलते मौसम के साथ बौडी पौलिशिंग करवाने की.

गरमी के मौसम में पूरे शरीर की रंगत एकजैसी नहीं रहती. त्वचा पर कहीं ब्लैक पैचेज बन जाते हैं, तो कहीं त्वचा सन टैन हो जाती है. बहुत देर एसी में बैठने से त्वचा का मौइश्चराइजर कम होने लगता है, जिस से त्वचा शुष्क लगने लगती है. ऐसे में बौडी पौलिशिंग करा कर त्वचा का ग्लो वापस पाया जा सकता है. आइए, बौडी पौलिशिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं :

क्या-क्या होता है प्रयोग

बौडी पौलिशिंग में पूरे शरीर की पौलिशिंग की जाती है. इस के लिए खास तरह के प्रोडक्ट्स प्रयोग किए जाते हैं, जैसे बौडी क्रीम, बौडी औयल, बौडी सौल्ट, बाम, बौडी पैक, ऐक्सफौलिऐशन क्रीम आदि.

बौडी स्क्रब भी पौलिशिंग का एक हिस्सा है. इस से त्वचा के रोमछिद्रों की गंदगी भी साफ हो जाती है. फलों के तेल, फलों के बीज के टुकड़ों या ओटमील से बना स्क्रब त्वचा की रंगत को निखारने में सहायक होता है.

इन के अलावा कुछ खास फूलों का जूस भी शरीर पर लगाया जाता है. फूलों के जूस में आर्किड फ्लौवर्स का जूस खासकर प्रयोग किया जाता है. यह बौडी पर मैडिसिन का काम करता है, क्योंकि इस से दाने व फुंसियां आदि ठीक हो जाते हैं. यह पूरी तरह प्राकृतिक उपचार होता है, इसलिए शरीर पर इस का कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता.

पौलिशिंग का प्रोसैस

बौडी पौलिशिंग में सब से पहले शरीर की नौर्मल क्लींजिंग की जाती है. उस के बाद पूरे शरीर को स्क्रब किया जाता है. यह स्क्रब चेहरे पर प्रयोग होने वाले स्क्रब से सौफ्ट होता है और बिलकुल हलके हाथों से शरीर पर किया जाता है. इस से शरीर की डैड स्किन निकल जाती है और शरीर साफ हो जाता है. इस के बाद स्टीमर से स्टीम दी जाती है. स्टीम देने के बाद बाम, नीबू या वैजिटेबल जूस, पपीता, टमाटर, संतरे आदि से शरीर की मसाज की जाती है.

फिर अल्ट्रासोनिक मशीन से विटामिन व न्यूट्रिशंस त्वचा में पहुंचाए जाते हैं. इस के बाद औयल क्रीम से मसाज करने पर शरीर स्मूद हो जाता है और आप रिलैक्स फील करती हैं. चूंकि शरीर को क्लींजिंग, स्क्रब व मसाज देने से शरीर के रोमछिद्र खुल जाते हैं, इसलिए पूरे शरीर पर पैक लगा कर शरीर को फौयल पेपर से रैप कर दिया जाता है और उस के ऊपर गरम पानी में भीगा व निचोड़ा तौलिया लपेटा जाता है. शरीर को 20 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ देते हैं. इस के बाद शरीर को साफ कर के एसपीएफ क्रीम लगाई जाती है. इस पूरे प्रोसैस में 2-3 घंटे का समय लगता है.

पौलिशिंग के प्रकार

ब्राउनशुगर और जोजोबा औयल : ब्राउनशुगर और जोजोबा औयल की समान मात्रा में विटामिन ई के कैप्सूल डाल कर जो मिश्रण तैयार किया जाता है, उस से अगर पौलिशिंग की जाए तो त्वचा में प्राकृतिक नमी बरकरार रहती है.

  1. स्ट्राबैरी और शुगर 

स्ट्राबैरी और शुगर का स्क्रब, जिस में औलिव औयल की समान मात्रा हो, का शरीर पर उपयोग किया जाता है.

2. बेकिंग सोडा और ऐलोवेरा 

बौडी पौलिशिंग के लिए बेकिंग सोडा और ऐलोवेरा का भी उपयोग किया जाता है. बेकिंग सोडा एक्ने और मुंहासे दूर करने का काम करता है, ऐलोवेरा शरीर की प्राकृतिक मौइश्चराइजिंग का काम करता है.

3. हर्बल

इस के लिए तैयार किए जाने वाले पौलिशिंग मैटीरियल में रोजमैरी, लैवेंडर या त्वचा के प्रकार के अनुसार हर्बल औयल मिलाया जाता है. पौलिशिंग के दौरान शरीर तो तरोताजा हो ही जाता है, हर्बल औयल की प्राकृतिक सुगंध मन को खुशनुमा एहसास दिलाती है.

पौलिशिंग के फायदे

बौडी पौलिशिंग के निम्न फायदे हैं:

  •  बौडी पौलिशिंग द्वारा शरीर की फर्स्ट लेयर यानी डैड स्किन हट जाती है.
  •  सैकंड लेयर तक क्रीम पहुंचाई जाती है ताकि शरीर को उचित पोषण मिल सके.
  •   अगर आप स्ट्रैस में हैं, तो इस से आप को रिलैक्स मिलेगा.
  •  पूरी बौडी की रंगत एकजैसी हो जाती है.
  •   शरीर साफ हो जाता है व शाइन करने लगता है.

सावधानियां

बौडी पौलिशिंग कराने के बाद कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:

  •   2-3 दिन धूप में न निकलें. अगर जरूरी हो तो पूरा शरीर कवर कर लें.
  •   शरीर पर सनबर्न या अन्य किसी कारण से जलने या चोट के ताजे निशान हों तो पौलिशिंग न कराएं.
  •  पौलिशिंग कराने के लगभग 20 मिनट बाद साधारण पानी से स्नान कर सकती हैं. इस से पौलिशिंग के दौरान शरीर में लगे रह गए पदार्थ साफ हो जाते हैं.

कार्निवोर डाइट के फायदे

आजकल मसल्स बनाने का शौक हर किसी को है इसलिए कार्निवोर डाइट का चलन बढ़ रहा है. चूंकि हाई प्रोटीन डाइट हैल्थ के लिए फायदेमंद मानी जाती है इसलिए लोग हाई प्रोटीन के लिए इन दिनों कार्निवोर डाइट फौलो कर रहे हैं ताकि शरीर में मसल्स को बिल्डअप करने में प्रोटीन अधिक सक्रिय भूमिका निभा पाएं. वजन कम करने और मसल्स बनाने में हाई प्रोटीन और लो कार्ब्स डाइट अहम भूमिका निभाती है.

कार्निवोर डाइट क्या होती है

कार्निवोर डाइट बेहद स्ट्रिक्ट और मुश्किल डाइट होती है जिसे स्ट्रिकली फौलो करना पड़ता है. जो लोग कीटो डाइट नहीं अपना पाते वे भी इस डाइट का चुनाव कर सकते हैं. इस डाइट में केवल ऐसे खाद्यपदार्थों को शामिल किया जाता है जो मांस से संबंधित होते हैं जैसे चिकन, मछली और अंडे. इस डाइट का वजन कम करने और औटोइम्यून स्थिति को सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह हाई प्रोटीन डाइट होने की वजह से मसल्स को तेजी से टोन करती है जिस से व्यक्ति स्लिम और फिट नजर आता है.

  •  कार्निवोर डाइट एक प्रकार की जीरो कार्ब्स डाइट है जिस में प्रोटीन और फैट शामिल किया जाता है.
  •  कार्निवोर डाइट पूरी तरह से मांसाहारी डाइट है. इस से कई हैल्थ प्रौब्लम्स से छुटकारा मिल जाता है.
  •  इस डाइट में लैक्टोज वाले डेयरी पदार्थों के सेवन को खत्म या सीमित करने की सलाह दी जाती है जैसेकि दूध और डेयरी उत्पादों में पाई जाने वाला शुगर इत्यादि.
  • इस डाइट में फल और सब्जियों का पूरी तरह से परहेज किया जाता है.
  • यह डाइट डायबिटिक लोगों की ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है क्योंकि हाई प्रोटीन दे कर शरीर को बारबार होने वाली क्रेविंग से बचाया जाता है

कार्निवोर डाइट में इन चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है जैसे सब्जियां, फल, सीड्स, नट्स, अनाज, पास्ता, अल्कोहल. इस डाइट में मुख्य रूप से मांस से संबंधित फूड आइटम्स को शामिल किया जा सकता है. अंडे, मांस, चिकन, बोन मैरो बोन मैरो सूप, घी, बटर, मछली, क्रेब, प्रान आदि.

कार्निवोर डाइट के फायदे

कार्निवोर डाइट वजन घटाने से ले कर टेस्टोस्टेरौन के हाई लैवल को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद हो सकती है. यह एक ऐंटीइनफ्लैमेटरी डाइट होती है जो ऐंग्जौइटी, चिंता, आर्थ्राइटिस, डायबिटीज और मोटापे से छुटकारा दिला सकती है.

कार्निवोर डाइट के नुकसान

  •  इस में फैट, कोलैस्ट्रौल और सोडियम की मात्रा उच्च होती है.
  • कुछ सूक्ष्म पोषक तत्त्वों और लाभकारी चीजों की कमी हो सकती है.
  • शरीर को सही मात्रा में फाइबर नहीं मिल पाता है.

अबौर्शन महिला का हक है

एक एक छोटे क्लीनिक का स्त्रीरोग विभाग का आउटडोर. बाहर एक मेज पर हाउस सर्जन बैठी हैं, अंदर चैंबर में चीफ सर्जन. एक बाब कट बालों और जींसटौप पहने युवती आती है और हाउस सर्जन की मेज पर फाइल रख बिना किसी भूमिका के कहती है, ‘‘मुझे अबौर्शन कराना है.’’

हाउस सर्जन पूछती है, ‘‘अबौर्शन क्यों करवाना चाहती है?’’

‘‘बच्चा नहीं चाहती इसलिए और क्यों?’’ जवाब मिलता.

‘‘नहीं चाहती तो गर्भधारण ही क्यों किया था?’’

‘‘कौन सा चाह कर किया था, यह तो हो गया,’’ फिर थोड़ा    झुं   झलाते हुए बोली, ‘‘आप मु   झे चीफ सर्जन के पास ले चलेंगी?’’

वह युवती चीफ को बताती है, ‘‘मैं एक मल्टी नैशनल कंपनी में ऐग्जीक्यूटिव हूं, विवाह नहीं किया है. अपनी पसंद के लड़के के साथ रह रही हूं. चूक से गर्भ ठहर गया है. अबौर्शन करवाना है.’’

फाइल देख चीफ पूछती है, ‘‘चूक हो गई तो अभी तक क्या रही थी? 20 सप्ताह हो गए.’’

‘‘जी, काम ही ऐसा है. समय ही नहीं मिला. अभी भी दिक्कत है. अगर शनिवार को अबौर्शन कर दें तो सोमवार को औफिस चली जाऊं.’’

उसे मालूम है 20 सप्ताह तक गर्भपात कराना महिला का अधिकार है. वह पहले भी करवा चुकी है. सब जानती है.

चीफ उसे कानून विशेषज्ञ के पास भेज देती है. वे देख कर कहते हैं कि निरोध की असफलता से ठहरा गर्भ गिराना केवल विवाहित महिला में ही मान्य है.

वह बहस करती है कि कानून पढ़ा देते हैं. वह चली जाती है, और पति का नाम लिख दूसरी फाइल बनवाती है और कानून विशेषज्ञ को आ कर बताती है कि चीफ सर्जन मान गई हैं.

अस्पताल ने नई सोनोग्राफ मशीन ली है जिस से थ्री डाइमैंशनल वीडियोग्राफी हो सकती है. महिला उस की लिखित में अनुमती देती है. अबौर्शन होता है, उसका वीडियो बनता है. अबौर्शन के बाद चीफ सर्जन और सभी उसे देखने बैठते हैं. स्क्रीन पर नन्हे शिशु का चित्र उभरता है. हरकत करते नन्हे हाथपांव, बंद पलकें, होंठ, नाकनक्स. नीचे से औजार आता है, बच्चा बचने की कोशिश करता है और उस के बाद आताजाता औजार और छटपटाहट.

चीफ वीडियो बंद करने को कहती है. कहती है कि उस ने सैकड़ों अबौर्शन किए हैं, लेकिन इस में क्या होता है यह देखा पहली बार. जी खराब हो गया. वह तो अब गर्भपात कर ही नहीं पाएगी. फिर थोड़ी देर कुछ सोच कर कहती है, ‘‘यह तो औरत का हक है कि वह कब और कैसे अबौर्शन कराए. सरकार, समाज, अदालत और कानून को हक नहीं कि औरतों के अधिकार को कुचले.’’

फिर मुड़ कर हाउस सर्जन से कहा, ‘‘ऐसे मामलों में ज्यादा मीनमेख न निकाला करो. जब तक औरत की जान को खतरा न हो अबौर्शन कराना उस का हक है जैसे एक औरत का बच्चा पैदा करने का. हमें कोई हक नहीं कि जब तकनीक उपलब्ध है तो हम अपनी मोरैलिटी लोगों पर थोपें. बेकार में एक औरत अनचाहे बच्चेको जन्म देगी तो जिंदगीभर दोनों दुखी ही रहेंगे,’’ कह कर चीफ सर्जन ने अपने चैंबर में जा कर दरवाजा बंद कर लिया.

कंफर्ट फूड की बात ही अलग है

कभी-कभी नॉनवेज फूड खाने की बजाय कुछ ऐसा खाने का मन करता है जो थोड़ा स्पाइसी भी हो और कंफर्ट फूड का मजा भी दे. ऐसे में जैकफ्रूट यानी कटहल से बेहतर भला और कौन सी डिश होगी. कटहल की डिश बनाने का खयाल जैसे ही दिमाग में आता है वैसे ही वो मां के हाथ की बनाई कटहल की सब्जी भी याद आ जाती है. साथ ही याद आती है वो मीठी सी नोकझोंक कि मुझे तो कटहल का बीज ज्यादा परोसना या फिर मुझे तो कटहल सिर्फ चावल के साथ खाना है.

इन सब के बीच मां कैसे स्वाद और मीठी नोकझोंक का संतुलन बना लेती थी, सोच कर आज भी मुस्कुराहट आ ही जाती है.स्वाद की उस याद को फिर से जगाने के लिए कटहल की करी बनाइए और मसालों के संतुलन को सनराइज़ पर छोड़ दीजिए. सनराइज़ गरम मसाला आपकी कटहल करी में स्वाद का ऐसा जादू चलाएगा कि मीठी नोकझोंक का वो दौर डाइनिंग टेबल पर फिर वापस आएगा. कोई राइस के साथ मांगेगा तो कोई कहेगा कि मुझे तो थोड़ा ही मिला. तो आइए, जगाते हैं कटहल करी के स्वाद का जादू.

कटहल करी

सामग्री

1. 500 ग्राम कटहल क्यूब्स में कटा

2. 1/2  चम्मच हल्दी पाउडर

3. प्याज कटे

4. 1 चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

5. 2 टमाटरों का पेस्ट

6. 1 बड़ा चम्मच सनराइज़ गरम मसाला

7. तेल जरूरतानुसार

8. नमक स्वादानुसार.

विधि

पैन में थोड़ा सा तेल गरम कर कटहल क्यूब्स को हल्का तल लें. अब बचे तेल में प्याज पारदर्शी होने तक भूनें. अदरकलहसुन का पेस्ट भी मिला दें और चलाते हुए भूनें. अब हल्दी और सनराइज़ गरम मसाला मिलाकर धीमी आंच पर तेल छोड़ने तक भूनें. टमाटर का पेस्ट मिलाकर कुछ देर भूनें फिर कटहल क्यूब्स को इसमे मिक्स कर दें. मध्यम आंच पर अच्छी तरह चलाते हुए भूनें. अब नमक और जरूरतानुसार पानी मिलाकर कटहल मुलायम होने तक पकाएं. धनियापत्ती से गार्निश कर लच्छा परांठा या फिर चावल के साथ परोसें.

मौनसून में ऐसे करें घर की देखभाल

चिलचिलाती गरमी के बाद अपने साथ राहत की बरसात ले कर आ गया है मौनसून का मौसम. यह बारिश में भीगी मिट्टी की सौंधी सुगंध के साथ चाय का लुत्फ लेने का दौर है. इस सीजन में वीकैंड के सैरसपाटे पर निकलते ही हर तरफ छाई हरियाली भी आप का मन मोह लेती है फिर चाहे आप पहाड़ों पर जाएं या मैदानों की सैर पर निकलें.दूसरी तरफ बरसात के मौसम की अपनी चुनौतियां भी हैं. कभीकभी बारिश इतनी मूसलाधार होती है कि सड़कें नदियां बन जाती हैं और आप घर से निकल ही नहीं पाते. ऐसे दिनों में वर्क फ्रौम होम से भी काम चलाना पड़ सकता है. बेहतर होगा कि मौनसून के मौसम में आप घर पर ही अपना वर्क स्टेशन तैयार कर लें ताकि जरूरत पड़ने पर काम चल सके.

इस मौसम में गरम सूप और और खुशबूदार कौफी से भरी थर्मस के साथ गरम और ऊर्जावान रहें. अपने पास अतिरिक्त कपड़े और जूते रखें ताकि भले ही बारिश आप का मूड खराब कर दे, लेकिन यह आप का दिन खराब न कर पाए. हर समय पास में एक फोल्डेबल छाता और मच्छर भगाने वाला स्प्रे रखना न भूलें.

  1. मौनसून में रहें खुश

मौनसून के मौसम के दौरान बादलों के घिर आने से मन कभीकभी दबादबा या उदास महसूस कर सकता है. इस स्थिति को दूर भगाने के लिए बेहतर होगा कि आप अपने घर या वर्कस्पेस को उज्ज्वल और रोशनी से भरपूर रखें, रोशनी अपने मानस को खुशी महसूस करने के लिए प्रेरित करती है. फ्लोर लैंप एक शानदार तरीका है.वह न केवल पर्याप्त रोशनी प्रदान करता है बल्कि कमरे को बड़ा और अधिक बड़ा महसूस भी करवाता है. यदि आप का कमरा छोटा है तो आप वौल लैंप या टेबल लैंप लगा सकती हैं. मौसम खुलने पर घर की खिड़कियां खोलें और धूप अंदर आने दें.

2. छोटीछोटी बातों का रखें खयाल

बात जब रहने की जगह को तरोताजा रखने की हो रही है तो छोटीछोटी बातों पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है जैसे नमी सोखने वाली नेफ्थलीन बौल्स. इन बौल्स को प्लास्टिक या कांच के खुले कंटेनर में रखें. आरामदायक और आकर्षक माहौल बनाने के लिए गर्मजोशी भरी पीली रोशनी का विकल्प चुनें, जो कमरे को आरामदायक टच देती है. इस के अलावा नमी को अपनी अलमारी में जाने से रोकने के लिए शटर को फोम टेप या डस्ट सील से सील करें.

जहां तक इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स की बात है, तो उन्हें कभी भी खुली हवा में न छोड़ें. नमी निकालने के लिए उन्हें नियमित रूप से चलाती रहें ताकि वे गरम होते रहें. फफूंद से निबटने के लिए अपने सोफे की सतह को गरम करने के लिए वैक्यूम क्लीनर के गरम ब्लोअर का उपयोग करें और फिर इसे सूखे कपड़े से धीरे से पोंछ लें. ये छोटेछोटे लेकिन बहुत कारगर उपाय आप को मौनसून के मौसम में अपने रहने की जगह को स्वच्छ और आकर्षक बनाए रखने में मदद करेंगे.

मौनसून के मौसम में घर की देखभाल के लिए कुछ टिप्स:

  •  भारी परदों के स्थान पर    झीने परदे लगाएं ताकि रोशनी और हवा छनछन कर आती रहे. सूरज की रोशनी न केवल जगह को रोशन करती है, बल्कि कीटाणुओं के विकास को रोक कर इसे प्राकृतिक रूप से साफ भी रखती है. हर हफ्ते अपनी चादरें बदलना याद रखें और नियमित रूप से तौलिए और हाथ तौलिए को नए से बदलें. यह सरल दिनचर्या आप के घर में ताजा और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने में मदद करेगी.
  •  मनभावन सुगंध ला कर अपने घर में दुर्गंध से छुटकारा पाएं. गुलाब या लैवेंडर जैसी तरोताजा कर देने वाली सुगंधित मोमबत्तियां या आवश्यक औयल डिफ्यूजर का उपयोग करें. ताजा सुगंध के लिए सूखे फूलों या सुगंधित जड़ीबूटियों से भरे पाउच को अपनी अलमारी, रसोई और जूतों के रैक के पास लटकाएं.द्य बालकनियों के कोनों और किनारों पर सुगंधित कैंडल लगाने से बदबू को हटाने में मदद मिल सकती है. अपने पूरे घर में एक सुंदर खुशबू के लिए उन्हें लिविंगरूम और आसपास के कमरों के बीच में लटकाएं या रखें. यह सरल उपाय आप के घर को मनमोहक खुशबू से भर देंगे और तनाव से भी दूर रखेंगे.
  •  स्टोरेज स्पेस को भी कुछ सरल उपाय अपना कर नमी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. जंग से बचने के लिए दरवाजे के कब्जोंजोड़ों आदि पर अच्छी तरह से तेल लगा कर रखें. अपने वार्डरोब को सूखा और ताजा रखने के लिए नेफ्थलीन बौल्स और कपूर आदि  का उपयोग करें. नमी को रोकने के लिए पर्याप्त वैंटीलेशन होना जरूरी है.
  •  अपने वार्डरोब और अलमारियों के बीच स्पेस बनाएं. उन्हें दीवारों से कुछ इंच की दूरी पर रखें खासकर बरसात के मौसम में जब दीवारें नम हो जाती हैं. नमी सोखने के लिए अपनी अलमारी में नेफ्थलीन या कपूर की गोलियां रखें. सिल्वरफिश से बचने के लिए नीम की पत्तियों या लौंग का उपयोग करें.
  •  अपने घर में अच्छी रोशनी वाला और खुशनुमा माहौल बनाएं. फ्लोर लैंप न केवल रोशनी देते हैं बल्कि आप के स्थान को अधिक खुला भी महसूस कराते हैं. यदि पास जगह कम है, तो वौल लैंप और टेबल लैंप को सही जगह पर लगाएं. प्राकृतिक रोशनी आने और अपने घर को रोशन करने के लिए धूप वाले दिनों में अपनी खिड़कियां खोलना न भूलें.
  •  मौनसून के दौरान अपने लकड़ी के फर्नीचर का खयाल रखें. इसे साफ रखने के लिए नियमित रूप से धूल हटाएं और वैक्यूम करें. खासतौर पर नक्काशी वाली सतहों पर दाग बनने से रोकने के लिए धूल    झाड़ना बहुत जरूरी है. अपने लकड़ी के फर्नीचर की सुरक्षा के लिए मौसम रोधी पौलिश लगाएं. ऐसा आउटडोर फर्नीचर चुनें जो बरसात के मौसम का सामना कर सके.
  •  ऐसी तमाम जगहों पर नजर रखें, जहां नमी बन सकती है जैसे फर्श, दीवारों और छतों की दरारों में पौधे उग आने की जांच करें. ये नमी बना सकते हैं. किसी भी तरह की नमी को तुरंत हटाएं और आगे की समस्याओं को रोकने के लिए वाटरपू्रफिंग तकनीक लागू करें.
  •  सुरक्षित रहते हुए बारिश का आनंद लेने के लिए अपनी बालकनी में बैठने की जगह को कवर करें. बाहर पड़े फर्नीचर को बारिश से बचाने के लिए छतरियों या अच्छी क्वालिटी वाली कवरिंग का उपयोग करें. वाटरपू्रफ कुशन, आउटडोर गलीचे और सागौन या ऐल्यूमिनियम जैसी चीजों को अपनाने पर जोर दें.
  •  मौनसून के मौसम में अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा देने वाले रंगों का उपयोग करें. नीरस मौसम में खुश रहने के लिए घर में पीले, नारंगी और हरे जैसे वाइब्रैंट कलर चयन करें. आप फर्नीचर के कवर, परदे या सजावट में इन रंगों को शामिल कर सकती हैं.
  •  कम रखरखाव वाले हाउस प्लांट के साथ अपने घर में इनडोर हरियाली लाएं. ये न केवल हवा को शुद्ध करते हैं बल्कि ताजगी और शांति का एहसास भी दिलाते हैं. फर्न, स्नेक प्लांट या पीस लिली जैसी किस्मों को चुनें जिन्हें बरसात के मौसम में बहुत कम देखभाल की आवश्यकता होती है. प्राकृतिक वातावरण के लिए उन्हें खिड़कियों के पास या ऐसी जगह रखें जहां सूरज की रोशनी आती हो.
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