तो गर्लफ्रैंड खुश हो जाएगी

पढ़ाई लिखाई और ऐग्जाम्स के बाद अगर किशोरों की सब से बड़ी कोई परेशानी है तो वह है गर्लफ्रैंड को खुश रखना. बेचारे अपनी तरफ से खूब कोशिश करते हैं कि गर्लफ्रैंड खुश रहे, लेकिन फिर भी जरा सी चूक होते ही गर्लफ्रैंड मुंह फुला लेती है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो जरा गौर फरमाएं इन अचूक नुसखों पर जो आप की गर्लफ्रैंड का दिल जीतने में मददगार साबित होंगे.

–  अपनी गर्लफ्रैंड की पसंदीदा चीजों व चाहतों की एक लिस्ट बनाएं. व्यवहार विशेषज्ञों का मानना है कि लड़कियों को ऐसी चीजें बहुत याद रहती हैं लेकिन लड़के भूल जाते हैं. इसलिए आप हाथोंहाथ नोट कर लेंगे तो खास मौकों पर उसे गिफ्ट देने में आसानी रहेगी और वह अपनी मनपसंद चीज पा कर बेहद खुश हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड की कोई फ्रैंड साथ हो या उस से मिलने आई हो तो उस से बस, हायहैलो ही करें. ज्यादा हाहा, हीही करने की जरूरत नहीं. फ्लर्ट करने की तो भूल कर भी कोशिश न करें. उस के जाने के बाद अपनी गर्लफ्रैंड से कहें, क्या पकाऊ है यार. यकीन मानिए आप की गर्लफ्रैंड फूली नहीं समाएगी.

–  गर्लफ्रैंड से कभी हलकीफुलकी बहस हो जाए, तो अगले दिन उसे सौरी कहें और पूछें, ‘तुम कल बुरा तो नहीं मान गई? क्या बताऊं, कल मेरा मूड ठीक नहीं था.’

यकीन मानिए उस का दिल पिघल जाएगा, यह सोच कर कि आप वाकई उस की परवा करते हैं. कई बार गर्लफ्रैंड किसी छोटीमोटी बात को भूल जाती है या इग्नोर कर देती है और आप उस के लिए भी सौरी कहते हैं, तब तो वह आप से और भी ज्यादा इंप्रैस हो जाती है.

–  जब कभी वह अपनी किसी समस्या या किसी के साथ हुए विवाद की चर्चा आप के साथ करे, तो धैर्यपूर्वक, पूरी सहानुभूति से उस की बात सुनें. अगर आप को कहीं उस की गलती लगे, तो भी उस वक्त ऐसा न कहें उसे अपनी बात शेयर करने और उसे सुना कर मन हलका करने वाला चाहिए होता है न कि उस की कमी ढूंढ़ने वाला. उसे कहें, ‘मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. जब भी मेरी जरूरत हो, याद करना तुम आधी रात को कौल करोगी तो भी मैं हाजिर हो जाऊंगा.’ समस्या का हल करने में पूरी शिद्दत से उस की मदद करें. ऐसे समय में वह आप को ‘कौल मी’ का मैसेज दे तो तुरंत कौल बैक करें.

–  अगर कभी आप का गर्लफ्रैंड से झगड़ा हो जाए, वह रूठी हो और आप का फोन रिसीव न कर रही हो या फिर मैसेज का जवाब न दे रही हो, तो सोशल मीडिया पर उस की तारीफ करते हुए कोई रोमांटिक पोस्ट भेज दें. अगर आप चाहते हैं कि इसे सब न देखें, तो प्राइवेसी सैटिंग पर लगा दें. यकीन मानिए, वह आप से भले बातचीत न कर रही हो लेकिन सोशल मीडिया पर आप की गतिविधियों पर पूरी नजर रखती है. अपनी तारीफ सुनते ही उस का गुस्सा काफूर हो जाएगा.

–  जैसे कि युवक किसी सुंदर युवती को देख कर घूरने लगते हैं ऐसा आप के साथ हो और आप की गर्लफ्रैंड आप को रंगेहाथों पकड़ ले, तो फुरती से काम लीजिए और कहिए शायद स्कूल में मेरे साथ पढ़ती थी. कितनी मोटी और मैच्योर हो गई है या फिर ‘यह ड्रैस अगर तुम ने पहनी होती तो कितनी अच्छी लगती.’

जब भी गर्लफ्रैंड कोई नई ड्रैस ट्राई करे तो तारीफ करते हुए कहें, ‘क्या बात है यार, आजकल डाइटिंग पर हो क्या? बड़ी स्लिमट्रिम लग रही हो.’ गर्लफ्रैंड ऊपर से भले ही कुछ न कहे, लेकिन मन ही मन खुश हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड ने कोई नया कोर्स शुरू किया है या जौब में कोई प्रोजैक्ट हाथ में लिया है तो उस में दिलचस्पी दिखाएं. उस की मदद करने की कोशिश करें या उस प्रौपर व्यक्ति के बारे में उसे बताएं जो उस के लिए मददगार साबित हो सकता है. आप को मदद की इतनी कोशिश करते देख उसे यकीनन बहुत अच्छा लगेगा और वह आप के इस अपनेपन की मुरीद हो जाएगी.

–  गर्लफ्रैंड का मूड उखड़ा हुआ या उसे उदास देखें, तो उस की हर बात में हां कह दें. उस स्थिति में उस से उलझना ठीक नहीं बल्कि उस से उदासी या नाराजगी का कारण पूछते हुए कहें कि तुम तो कभी ऐसे उदास रहती ही नहीं, किसी ने तुम्हें परेशान किया है क्या?

–  गर्लफ्रैंड की आलोचना करने से बचें. अगर आप को उस की कोई कमी बतानी भी है, तो भी उस की तारीफ करते हुए कहें, ‘तुम वाकई आज के हिसाब से बहुत इनोसैंट हो, लेकिन लोग तुम्हें ठीक से समझते नहीं.’

–  गर्लफ्रैंड डै्रस खरीदते समय जब आप की चौइस पूछे तो कभी भी ऐसा न कहें, ‘देख लो, तुम को जो पसंद हो. दोनों ही ठीक हैं.’ ऐसे जवाब से वह झुंझला जाएगी. बेहिचक दोनों में से किसी एक ड्रैस को छांट कर अलग करें और कहें, ‘वैसे तो दोनों ड्रैस अच्छी हैं, लेकिन यह तुम पर सौ फीसदी सूट कर रही है.’

–  अगर आप उस का बर्थडे भूल गए हैं और अचानक दोपहर या शाम को याद आता है, तो कौल भूल से भी न करें. वह भड़क जाएगी कि तुम्हें शाम को मेरा बर्थ डे याद आया क्या? बल्कि संभव हो तो उस के लिए एक सरप्राइज पार्टी और्गेनाइज करें. उस की फ्रैंड्स और म्यूचुअल फ्रैंड्स को खबर दें या फिर उस के गिफ्ट और खानेपीने का सामान ले कर दलबल सहित उस के घर पहुंच जाएं या उसे किसी रेस्तरां में इनवाइट करें. वह खुश हो जाएगी कि आप उस की इतनी परवा करते हैं. इस से आप के रिश्ते में और मिठास आ जाएगी.

क्या शादी से पहले रिलेशन के बारे में मेरे पति को पता लग सकता है?

सवाल-

सुना है यदि विवाहपूर्व किसी युवती ने सैक्स संबंध बनाए हों तो उस के पति को इस बारे में पता चल जाता है. मैं जानना चाहती हूं कि यदि किसी युवती ने 2 बार किसी से सैक्स किया हो तो क्या कोई ऐसा उपाय है, जिस से सुहागरात को उस के पति को इस की भनक न लगे? क्या यौनांग में पहले जैसा कसाव रहता है?

जवाब-

1-2 बार शारीरिक संबंध बनाने से यौनांग में ढीलापन नहीं आता. जब तक आप स्वयं अपने मुंह से यह स्वीकार नहीं करेंगी कि पहले किसी से अवैध संबंध बना चुकी हैं तब तक पति पर यह बात जाहिर नहीं होगी. आप विवाह बाद पति से प्यार करेंगी तो वे इस फालतू बात को कभी कोई महत्त्व नहीं देंगे.

ये भी पढ़ें- 

अलकायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.

क्या कहता है सर्वे

अमेरिका ने भी सैक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जब अजीब हो सैक्सुअल व्यवहार

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

गर्लफ्रैंड के कारण उठाने पड़ सकते हैं नुकसान

सुरेश को पम्मी से पहली मुलाकात में ही प्यार हो गया. सुरेश अपनी गर्लफ्रैंड का इतना दीवाना हो गया कि वह अपने फ्रैंड्स को भूल गया. उन से मिलनाजुलना बंद कर दिया. उस ने अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना बंद कर दिया. सुरेश को हर वक्त सिर्फ एक ही बात का ध्यान रहता था प्यार, प्यार और सिर्फ प्यार.

इश्क, प्यार, मुहब्बत के चक्कर में पड़ कर अनेक युवा अपनी गर्लफ्रैंड के इतने दीवाने हो जाते हैं कि वे खानापीना, पढ़ाईलिखाई, सोना या घूमना, मिलनाजुलना आदि सबकुछ भूल जाते हैं. अनेक युवा इश्क के चक्कर में अपने कैरियर व फ्यूचर को दांव पर लगा देते हैं. वे फुलटाइम आशिक बन कर अपना सारा वक्त किसी पार्क, सी बीच, रैस्टोरैंट, पिक्चर हौल या मौल आदि जगहों पर बिताने लगते हैं.

माना कि जीने के लिए प्यार भी जरूरी है, मगर प्यार में पूरी तरह से डूब कर दिनरात सिर्फ प्यारप्यार की रट लगाना समझदारी नहीं है. आप ने किसी से प्यार किया है, अच्छी बात है. सही मौका मिलने पर प्यार करने में कोई बुराई नहीं है. प्यार की अहमियत अपनी जगह बहुत कुछ है. पर ध्यान रहे प्यार के चक्कर में अपना समय, स्वास्थ्य, पैसा, रिश्ते आदि को न भूल जाएं. कहीं ऐसा न हो कि आप को बाद में पछताना पड़े.

इन को न भूलें

इस बात का ध्यान रखें कि जीवन में सफल होने के लिए पढ़ाई जरूरी है. प्यार के चक्कर में अपनी पढ़ाई न छोड़ें.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने कैरियर को दांव पर न लगाएं. कैरियर बिगड़ा तो आप की लाइफ ही पूरी तरह डगमगा सकती है. प्यार अपनी जगह, कैरियर अपनी जगह.

गर्लफ्रैंड को किसी भी हाल में पाना या उसे हर हाल में खुश रखने को लाइफ का मकसद न बनाएं. इस के अलावा भी बहुत कुछ है, इस दुनिया में.

‘मैं सबकुछ भुला दूंगा, तेरी चाहत में…’ वाली सोच न रखें. गर्लफ्रैंड की चाहत में सबकुछ भुला देना कोई समझदारी की बात नहीं है.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने पेरैंट्स, भाईबहन, सगेसंबंधी, यारदोस्तों को न भूल जाएं. इन के बिना जीवन अधूरा है. इन से दूर रह कर जीवन का कोई सुख नहीं मिलेगा.

प्यार के चक्कर में पड़ कर खानापीना, घूमनाफिरना आदि न भूल जाएं. ऐसा करना प्यार नहीं पागलपन समझा जाएगा. शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खानापीना, घूमनाफिरना जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

किसी से प्यार होने पर अपना कामधंधा न छोड़ दें. जीवनयापन के लिए काम करना बहुत जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

गर्लफ्रैंड पर अपनी पूंजी दोनों हाथों से न लुटाएं. जिस दिन आप की पूंजी खत्म हो जाएगी, उस दिन प्यार नाम की चिडि़या भी आप के पास से उड़ जाएगी.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपना फर्ज, जिम्मेदारी, ईमानदारी जैसी बातों को अपने जीवन से दूर न करें.

गर्लफ्रैंड के चक्कर में लापरवाह, आलसी व निकम्मा न बनें. लाइफ में आगे बढ़ने के लिए इन से दूर रहना बेहद जरूरी है.

अधिकतर वक्त गर्लफ्रैंड के साथ बिता कर जीवन के कीमती समय को नष्ट न करें.

अपने काम, कैरियर व पढ़ाई को प्राथमिकता दें. निश्चित करें कि फिर से कहां, कब, कितने समय के लिए मिलना है. समय कम होने पर फोन, मोबाइल या इंटरनैट द्वारा इसे ऐडजस्ट करें.

छुट्टी के दिन अपनी गर्लफ्रैंड को कुछ अधिक समय दे कर उस के साथ वक्त बिता सकते हैं, पर ध्यान रखें, इस चक्कर में छुट्टी वाले दिन के जरूरी काम न भूल जाएं.

गर्लफ्रैंड की अधिक याद आने पर मन को काबू में लाएं. मुंह पर पानी के छींटें मारें. कमरे से बाहर घूमने निकल जाएं. फ्रैंड्स या फैमिली के साथ थोड़ा वक्त गुजारें.

अपना ध्यान बंटाने के लिए म्यूजिक सुनें. स्टोरी बुक या नौवेल पढ़ें. कोई क्रिएटिव काम करें या फिर अपनी हौबी पर ध्यान दें.

यदि आप नौकरी कर रहे हैं, तो मन लगा कर करें. ऐसा न हो गर्लफ्रैंड के चक्कर में समय से औफिस नहीं जा रहे हैं. ऐसा करने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसा न करें क्योंकि नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है.

परीक्षा या किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहे हैं, तो अपना सारा वक्त गर्लफ्रैंड के चक्कर में बरबाद न करें. उसे भी इस की जानकारी दें, जिस से वह भी आप के समय को नष्ट न करे.

रिश्ते में प्यार के बदलते मायने

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सैक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सैक्स शामिल हो गया है.

प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सैक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता.

प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं.

एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन.

शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है.

लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया.

कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए. कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए.

परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

क्या मुझ में मां बनने में कोई कमी है?

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. अपने बौयफ्रैंड के साथ 1 साल से कई बार शारीरिक संबंध बना चुकी हूं पर मुझे कभी संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई. मैं जानना चाहती हूं कि क्या मुझ में कोई कमी है और क्या मैं भविष्य में मां बन पाऊंगी या नहीं?

जवाब

सहवास के दौरान आनंदानुभूति न होने की मुख्य वजह सैक्स के प्रति आप की अनभिज्ञता ही है. जहां तक संतानोत्पत्ति का प्रश्न है तो उस का इस से कोई संबंध नहीं है. पीरियड के तुरंत बाद के कुछ दिनों में पति पत्नी समागम के बाद स्त्री गर्भ धारण कर लेती है, बशर्ते दोनों में से किसी में कोई कमी न हो. इसलिए आप कोई पूर्वाग्रह न पालें.

पर विवाह से पहले किसी से संबंध बनाना किसी भी नजरिए से उचित नहीं है. अत: इन संबंधों पर तुरंत विराम लगाएं वरना पछतावे के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा.

ये भी पढ़ें…

सैक्स से शर्म कैसी

तान्या की शादी तय हो गई थी और उस की विवाहित सहेलियां जबतब उसे छेड़ती रहती थीं. कभी सुहागरात की बात को ले कर, तो कभी पति के साथ हनीमून पर जाने की बात को ले कर. उन की बातें सुन कर अगर एक तरफ तान्या के शरीर में सिहरन दौड़ जाती, तो दूसरी ओर वह यह सोच कर सिहर जाती कि आखिर कैसे वह सैक्स संबंधों का मजा खुल कर ले पाएगी?

उसे तो सोचसोच कर ही शर्म आने लगती थी. आज तक वह यही सुनती आई थी कि सैक्स संबंधों के बारे में न तो खुल कर बात करनी चाहिए, न ही उसे ले कर उत्सुकता दिखानी चाहिए. पति के सामने शर्म का एक परदा पड़ा रहना आवश्यक है. नहीं तो पता नहीं वह क्या सोचे. दूसरी ओर उसे यह डर भी सता रहा था कि कहीं उस के पति को उस की देहयष्टि में कोई कमी तो महसूस नहीं होगी?

कितनी बार तो वह शीशे के सामने जा कर खड़ी हो जाती और हर कोण से अपने शरीर का मुआयना करती. पता नहीं, उस की फिगर ठीक है भी कि नहीं. कभी वह शरीर के गठन को ले कर कौंशस हो जाती, तो कभी यह सोच कर परेशान हो उठती कि पता नहीं वह अपने पति के साथ मधुर संबंध बना भी पाएगी या नहीं.

कहां से उपजती है शर्म

तान्या जैसी अनेक लड़कियां हैं, जो सैक्स को शर्म के साथ जोड़ कर देखती हैं, जिस की वजह से इस सहजस्वाभाविक प्रक्रिया व आवश्यकता को ले कर कई बार उन के मन में कुंठा भी पैदा हो जाती है. सैक्स के प्रति शर्म की भावना हमारे भीतर से नहीं वरन हमारे परिवेश से उत्पन्न होती है.

यह हमारे परिवारों से आती है, हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराओं से आती है, फिर हमारे मित्रों व हमारे समुदाय से हम तक पहुंचती है. आगे चल कर हम एक तरफ तो उन चित्रों और संदेशों को देख कर यह सीखते हैं जो हैं कि सैक्स एक सुखद एहसास है और जीवन में खुश रहने के लिए सफल सैक्स जीवन एक अनिवार्यता है तो दूसरी ओर उन संदेशों के माध्यम से सैक्स को शर्म से जोड़ कर देखते हैं, जो बताते हैं कि सैक्स संबंध बनाना गलत व एक तरह का पाप है. 

समाजशास्त्री कल्पना पारेख मानती हैं कि ज्यादातर ऐसा उन स्थितियों में होता है, जब लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती हैं. सैक्स से संबंधित कोई भी मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या भावनात्मक शोषण उस के प्रति अनासक्ति तो पैदा कर ही देता है, साथ ही अनेक वर्जनाएं भी लगा देता है.

जुड़ी हैं कई भ्रांतियां

शर्म इसलिए भी है क्योंकि हमारे समाज में सैक्स एक टैबू है और उस के साथ हमेशा कई तरह की भ्रांतियां जुड़ी रही हैं. अगर एक स्वाभाविक जरूरत की तरह कोई लड़की इस की मांग करे, तो भी शर्म की बात है. इस के अलावा सैक्स संबंधों को ले कर लड़कियों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि इस के लिए उन का शरीर सुंदर और अनुपात में होना चाहिए.

ऐसे में जब तक वे युवा होती हैं समझ चुकी होती हैं कि उन का शरीर कैसा लगना चाहिए और जब उन का शरीर उस से मेल नहीं खाता, तो उन्हें शर्मिंदगी का एहसास होने लगता है. मैत्रेयी का विवाह हुए 1 महीना हो गया है, पर वह अभी भी पति के साथ संबंध बनाने में हिचकिचाती है. वजह है, उस का सांवला और बहुत अधिक पतला होना. उसे लगता है कि पति उस की रंगत और पतलेपन को पसंद नहीं करेंगे, इसलिए वह उन के निकट जाने से घबराती है. 

पति जब नजदीक आते हैं, तो वह कमरे में अंधेरा कर देती है. अपने शरीर के आकार को ले कर वह इतनी परेशान रहती है कि सैक्स संबंधों को ऐंजौय ही नहीं कर पाती है.

मनोवैज्ञानिक संध्या कपूर कहती हैं कि सैक्स के प्रति शर्म पतिपत्नी के बीच दूरियों की सब से बड़ी वजह है. पत्नी कभी खुले मन से पति के निकट जा नहीं पाती. फिर वे संबंध या तो मात्र औपचारिकता बन कर रह जाते हैं या मजबूरी. उन में संतुष्टि का अभाव होता है. यह शर्म न सिर्फ औरत को यौन आनंद से वंचित रखती है, वरन प्यार, सामीप्य व साहचार्य से भी दूर कर देती है. 

न छिपाएं अपनी इच्छाएं

यह एक कटु सत्य है कि भारतीय समाज में औरतों की यौन इच्छा को महत्त्व नहीं दिया जाता है. वे सैक्स को आनंद या जरूरत मानने के बजाय उसे विवाह की अनिवार्यता व बच्चे पैदा करने का जरिया मान कर या तो एक दिनचर्या की तरह निभाती हैं या फिर संकोच के चलते पति से दूर भागती हैं. उन की सैक्स से जुड़ी शर्म की सब से बड़ी वजह यही है कि बचपन से उन्हें बताया जाता है कि सैक्स एक वर्जित विषय है, इस के बारे में उन्हें बात नहीं करनी चाहिए. 

‘‘ऐसे में विवाह के बाद सैक्स के लिए पहल करने की बात तो कोई लड़की सोच भी नहीं पाती. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़की की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुष के ऐंजौय करने की चीज है. जबकि संतुष्टिदायक सैक्स संबंध तभी बन सकते हैं, जब पतिपत्नी दोनों की इस में सक्रिय भागीदारी हो और वे बेहिचक अपनी बात एकदूसरे से कहें,’’ कहना है संध्या कपूर का.

संकोच न करें

सैक्स का शर्म से कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई गंदी क्रिया है न ही पतिपत्नी के बीच वर्जित चीज. बेहतर होगा कि आप दोनों ही सहज मन से अपने साथी को अपनाते हुए सैक्स संबंधों का आनंद उठाएं. इस से वैवाहित जीवन में तो मधुरता बनी ही रहेगी, साथ ही किसी तरह की कुंठा भी मन में नहीं पनपेगी. पति का सामीप्य और भरपूर प्यार तभी मिल सकता है, जब आप उसे यह एहसास दिलाती हैं कि आप को उस की नजदीकी अच्छी लगती है. 

आंखों में खिंचे शर्म के डोरे पति को आप की ओर आकर्षित करेंगे, पर शर्म के कारण बनाई दूरी उन्हें नागवार गुजरेगी. मन में व्याप्त हर तरह की हिचकिचाहट और संकोच को छोड़ कर पति के साहचर्य का आनंद उठाएं.          

सफल सैक्स एक अनिवार्यता है

  1. विशेषज्ञों द्वारा किए गए कई शोधों से यह साबित हो चुका है कि सैक्स एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और इस से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है, बल्कि शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है.
  2. धार्मिक आडंबरों में फंस कर सैक्स को बुरी नजर से देखना गलत है. हकीकत में हमारी उत्पत्ति ही इसी की देन है.
  3. सैक्स सुरक्षित और साथी की सहमति से करना चाहिए.
  4. सैक्स में असंतुष्टि अथवा शर्म से दांपत्य संबंधों में मौन पसर सकता है. इसलिए इस पर खुल कर बात करें और इसे भरपूर ऐंजौय करें.
  5. नीमहकीम या झोलाछाप डाक्टरों के चक्कर में फंस कर सैक्स जीवन प्रभावित हो सकता है. इन से दूर रहें.
  6. सैक्स में निरंतरता के लिए मानसिक मजबूती व भावनात्मक संबंध जरूरी है.

पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी लें सेक्स का आनंद

‘‘और्गेज्म क्या होता है? क्या यह सैक्स से जुड़ा है? मैं ने तो कभी इस का अनुभव नहीं किया,’’ मेरी पढ़ीलिखी फ्रैंड ने जब मुझ से यह सवाल किया तो मैं हैरान रह गई.‘‘क्यों, क्या कभी तुम ने पूरी तरह से सैक्स को एंजौय नहीं किया?’’ मैं ने उस से पूछा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘सैक्स मेरे एंजौयमैंट के लिए नहीं है, वह तो मेरे पति के लिए है. सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि मेरी संतुष्टि का तो प्रश्न ही नहीं उठता है, वैसे भी मेरी संतुष्टि को महत्त्व दिया जाना माने भी कहां रखता है.’’

यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारतीय समाज में औरत की यौन संतुष्टि को गौण माना जाता है. सैक्स को बचपन से ही उस के लिए एक वर्जित विषय मानते हुए उस से इस बारे में बात नहीं की जाती है. उस से यही कहा जाता है कि केवल विवाह के बाद ही इस के बारे में जानना उस के लिए उचित होगा. ऐसा न होने पर भी अगर वह इसे प्लैजर के साथ जोड़ती है तो पति के मन में उस के चरित्र को ले कर अनेक सवाल पैदा होने लगते हैं. यहां तक कि सैक्स के लिए पहल करना भी पति को अजीब लगता है. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़कियों की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुषों के एंजौय करने की चीज है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

झट प्यार पट ब्रेकअप

कुछ समय से सैलिब्रिटी ब्रेकअप्स सुर्खियों में छाए हुए हैं. पहले सलमान कैटरीना, फरहान अधुना, बिपाशा जौन अचानक अलग हो गए अब मलाइकाअरबाज ने अगल हो कर सब को हैरान कर दिया. छोटे परदे के मशहूर अभिनेता करण सिंह ग्रोवर का अपनी पहली पत्नी श्रद्धा निगम से तलाक, फिर जेनिफर से विवाह और फिर तलाक, फिर बिपाशा बसु से विवाह. यह रिश्ता कितने दिन या हमेशा चलेगा, यह देखना बाकी है. जैसे ही हम किसी सैलिब्रिटी को देख कर सोचते हैं कि वाह, क्या जोड़ी है. पता चलता है कि उस जोड़ी का भी ब्रेकअप हो चुका है और हमारा आधुनिक रिश्तों पर विश्वास डगमगाने लगता है.

रणबीर और दीपिका की जोड़ी देखते ही बनती थी, आज भी दोनों के फैंस दोनों को साथ देखना चाहते हैं. रितिक रोशन ने जब सुजैन से विवाह किया तो कइयों के दिल टूटे पर अब ये भी अलग हो चुके हैं.

हौलीवुड की जान ब्रैडपिट और जेनिफर का प्यार एक मिसाल था, पर ऐंजेलिना से ब्रैडपिट के संबंध होने पर इन का भी ब्रेकअप हो गया. बेन हिंजिस और लौरेन बुशनैल, कैटीपैरी और ओलैंडो ब्लूम, रिचर्ड पैरी और जेन फोंडा, निकी मिनाज और मीक मिल का ब्रेकअप भी सब को हैरान कर गया था.

टीवी की मशहूर हस्ती दिव्यांका त्रिपाठी और शरद मल्होत्रा दोनों ‘बनूं मैं तेरी दुलहन’ के सैट पर मिले थे. यह रिश्ता 7 साल चला पर फिर टूट ही गया. करण पटेल और काम्या पंजाबी का संबंध भी काफी चर्चा में रहा पर रिश्तों में अचानक आई खटास से ब्रेकअप भी हो गया. करण ने धूमधाम से अंकिता भार्गव से फिर जल्दी विवाह भी कर लिया.

आम लोगों में भी बढ़ता अलगाव

जहां मशहूर हस्तियों के टूटते रिश्तों के कई उदाहरण रोज देखने को मिलते हैं, वहीं आम लोगों के जीवन में भी इस तरह के रिश्ते कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. झट प्यार भी होता है पर ब्रेकअप की खबर आते भी देर नहीं लग रही. पवई निवासी जूही और प्रशांत का 4 सालों से अफेयर था, दोनों के दोस्तों के ग्रुप में यह बात तय थी कि जल्द ही दोनों विवाह भी कर लेंगे. अलगअलग जाति थी पर दोनों के परिवार आधुनिक थे. दोनों के परिवार को यह संबंध पता भी था पर जब जूही के परिवार ने इस विवाह के लिए हामी नहीं भरी तो जूही ने प्रशांत से दूरी बनानी शुरू कर दी. आधुनिक, सुशिक्षित जूही का पीछे हटना सब को हैरान कर गया. जूही ने बहुत ही सहजता से तर्क दिया कि कौन फैमिली की टैंशन मोल ले. जितना साथ रहना था रह लिए. अब आगे देखते हैं.

बात सुननेपढ़ने में मामूली सी है पर अब रिश्ते सचमुच कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. जूही का इतना व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रशांत को तोड़ गया. वह कई दिन तक आहत रहा. जूही ने 6 महीने के अंदर मातापिता की मरजी से एक लड़के से विवाह भी कर लिया. जीवन में आगे बढ़ने में कोई बुराई नहीं पर प्रश्न यह है कि आधुनिक रिश्ते इतने कमजोर क्यों हैं?

रिश्ते निभाना आजकल जटिल क्यों हो रहा है? क्या हम प्रेम करना भूल गए हैं? या उस से भी बुरा यह है कि हम यही भूल गए हैं कि प्रेम है क्या? आजकल के रिश्ते इतनी जल्दी क्यों टूट रहे हैं, कारणों पर एक नजर:

हम शायद त्याग के लिए, समझौते के लिए, बिना किसी शर्त के प्यार करने के लिए तैयार ही नहीं हैं. हम आजकल हर चीज सुगमता से पा लेना चाहते हैं. हम पलायन कर जाते हैं, हम अपना प्यार पूर्णतया विकसित ही नहीं होने देते. समय से पहले ही सब पा लेना चाहते हैं या सब छोड़ देते हैं.

यह वह प्यार है ही नहीं जिस की हमें तलाश है. हम लाइफ में अब उत्तेजना और रोमांच चाहते हैं. हमें मूवीज और पार्टियों के लिए एक साथी चाहिए, न कि कोई ऐसा जो हमारे मौन को भी समझ ले. हम साथ समय तो बिताते हैं पर यादें नहीं सहेजते. हम बोरिंग लाइफ नहीं चाहते. हम अब जीवनसाथी नहीं, बस इसी समय वर्तमान का साथी सोच रहे होते हैं. हम अब किसी रहस्य की सुंदरता में यकीन नहीं करते, क्योंकि अब हमें साहसपूर्ण रोमांच भाता है.

हमारे पास प्यार का समय ही नहीं है, रिश्तों को निभाने का धैर्य हम में बचा ही नहीं. शहरी भागदौड़ के बाद प्यार की जगह ही नहीं बचती. हम भौतिक सपने देखने वाले व्यस्त इंसान हो गए हैं. रिश्ते अब सुविधा से ज्यादा कुछ भी नहीं.

हमें हर चीज में फौरन खुशी चाहिए. चाहे वह हमारी औनलाइन पोस्ट हो, कैरियर हो या वह इंसान जिसे हम प्यार करते हैं. रिश्तों में गंभीरता समय के साथ आती है, दूसरे व्यक्ति से पूर्णतया जुड़ने में सालों लग जाते हैं. अब प्यार के लिए समय और धैर्य कम ही पड़ जाते हैं.

हम विकल्पों में विश्वास करने लगे हैं. हम सोशल लोग हैं, हम लोगों को जानने की बजाय बस उन से मिलते हैं. हम लालची हो गए हैं. हमें सब कुछ चाहिए. हम जरा से आकर्षण पर भी रिश्ता शुरू कर देते हैं और थोड़ा सा अपेक्षाकृत अच्छा साथी मिलने पर फौरन पुराने से बाहर आ जाते हैं.

टैक्नोलौजी हमें एकदूसरे के बहुत ज्यादा पास ले आई है. इतना पास कि सांस लेना मुश्किल हो गया है. हमारी शारीरिक उपस्थिति की जगह टैक्स्ट्स, वौइस मैसेज, स्नैप चैट्स, वीडियो कौल्स ने ले ली है. हमें एकदूसरे के साथ समय बिताने की जरूरत ही महसूस नहीं होती, हमारे पास एकदूसरे के बारे में पहले ही बहुत जानकारी होती है, बात करने के लिए कुछ रह ही नहीं जाता.

प्यार और सैक्स को अलगअलग ही देखा जाने लगा है. सैक्स अब आसान है, निष्ठा रखना मुश्किल है. रिश्तों के बाहर सैक्स अब बड़ी बात नहीं रही. प्यार की जगह हमारे जीवन में सीमित रह गई है.

यह व्यावहारिक पीढ़ी है, जो तर्क जानती है. हमें पागलपन की हद तक प्यार करना नहीं आता. हम अपना हितअहित सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाते हैं. प्यार में दीवानों की तरह किसी को देखने भागे जाने का समय अब किसी के पास नहीं.

हम प्यार में कमिटमैंट और दिल टूटने से डरते हैं. हम अब आंख बंद कर किसी के प्यार में पड़ कर अपनी लाइफ खराब नहीं कर सकते.

इंसान का सब से जरूरी गुण प्यार है. हम शायद धीरेधीरे इस शब्द के माने ही भूल रहे हैं. आधुनिक समय में रह रहे हम कहीं प्यार का वजूद, महत्त्व ही न भूल जाएं, यह विचारणीय है. रिश्तों से प्यार, सहयोग, समर्पण कहीं पूरी तरह से न खो जाए, इस बात का ध्यान रखना होगा. मशीन की तरह न जी कर जीवनरूपी पौधे को प्यार भरे रिश्तों से सींचना होगा ताकि चारों ओर हवाओं में प्यार भरे रिश्तों की खुशबू आए.

ये भी पढ़ें- साथ खाना बनाने के 4 फायदे

धोखा देने की क्या हो सजा

’धोखेबाज’, ’दगाबाज’, ’झूठा’, ’मक्कार…’ कुछ समय पहले तक युवतियां अकसर इस तरह के संबोधनों से अपने बेवफा प्रेमी को संबोधित करती थीं और छटपटा कर रह जाती थीं, लेकिन वक्त के साथसाथ युवतियों की सोच और उन के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. अब वे भी ’जैसे को तैसा’ की नीति पर विश्वास करते हुए सिसकियां भर कर अपने दगाबाज प्रेमी को भुलाने के बजाय उसे सबक सिखाना ज्यादा उचित समझती हैं.

हाल ही में लंदन की एक डैंटिस्ट प्रेमिका ने भी अपने बौयफ्रैंड को सबक सिखाने के लिए कानून तक को अपने हाथ में ले लिया. हुआ यों कि जब प्रेमिका को अपने प्रेमी की बेवफाई के बारे में पता चला तो उसे सबक सिखाने के चक्कर में उस ने उस के  सारे दांत तोड़ डाले. डैंटिस्ट ने बहाने से अपने प्रेमी को क्लिनिक पर बुलाया और चैकअप का झांसा दे कर उस के सारे दांत निकाल दिए. जब तक प्रेमी को होश आया, तब तक उसे धोखेबाजी की सजा मिल चुकी थी. उसे बिना दांत के देख उस की दूसरी प्रेमिका भी उसे छोड़ कर भाग गई, लेकिन बाद में उस डैंटिस्ट को जेल की हवा खानी पड़ी.

अकसर देखा गया है कि युवतियां बदला लेने के चक्कर में यह भूल जाती हैं कि उन्हें खुद को नहीं बल्कि अपने बेवफा प्रेमी को दुख पहुंचाना है. इस चक्कर में वे ऐसे काम कर जाती हैं, जिन से उन का भी नुकसान हो जाता है. इस बाबत बालाजी ऐक्शन मैडिकल इंस्टिट्यूट की साइकोलौजिस्ट शिल्पी आस्ता कहती हैं, ’’किसी युवक को सबक सिखाना या उस से बदला लेना गलत नहीं है, लेकिन ऐसा करते समय युवतियों को अपना मानसिक संतुलन बनाए रखना चाहिए.’’

बीते दिनों एक खबर ने लोगों को चौंका दिया था. दिल्ली की दीपिका ने अपने धोखेबाज मंगेतर पर शादी से ठीक एक सप्ताह पहले तेजाब फेंक दिया. इस से उस की एक आंख की रोशनी चली गई और एक कान से सुनाई देना बंद हो गया. दीपिका की इस करतूत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. दीपिका की तरह ही बहुत सी युवतियां हैं, जो बदले को क्राइम का रूप दे बैठती हैं.

बदले की भावना के चलते युवतियां भले ही अपने साथ हुए धोखे का बदला ले लेती हों, मगर यह बदला कभीकभी इतना खतरनाक हो जाता है कि उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं.

डा. शिल्पी कहती हैं कि सब से बड़ा बदला तो यही है कि युवक को इस बात का एहसास करा दो कि उस के बिना भी आप खुश हैं और ठीक तरह से अपनी जिंदगी बिता सकती हैं, लेकिन इस के बावजूद अगर आप का मन बिना उस को नुकसान पहुंचाए नहीं मानता तो बदला लेने के कुछ ऐसे तरीके भी हैं, जिन से आप कानूनी चाबुक पड़ने से बच सकती हैं.

बदले के 30 तीर… और प्रेमी ढेर

1 सब से पहला और आसान तरीका तो यह है कि आप अपने बौयफ्रैंड के दोस्त को ही पटा लें. इस से आप के बौयफ्रैंड के अंदर जलन की भावना पैदा हो जाएगी. हो सकता है उसे अपनी गलती का एहसास हो जाए और वह आप की जिंदगी में वापस आना चाहे.

2 आप अपने बौयफ्रैंड को फर्जी एसएमएस मसलन, ’हैलो डार्लिंग, कैसे हो?’, ’यू फिल्ड माई लाइफ विद हैपीनैस’, ’आई मिस यू, आई लव यू’,’तुम जो आए जिंदगी में बात बन गई…’ भेजें और तुरंत बाद अगले ही मैसेज में खेद प्रकट करते हुए लिखें कि यह मैसेज उस के लिए नहीं किसी और के लिए था.

3 अपने धोखेबाज प्रेमी से बदला लेने के लिए सभी फ्रैंड्स के बीच यह बात फैला दें कि वह गे था इसलिए उसे छोड़ दिया.

4 अपने धोखेबाज प्रेमी को नीचा दिखाने के लिए आप यह भी कर सकती हैं कि कालेज और उस के औफिस में यह अफवाह फैला दें कि आप के दगाबाज प्रेमी को मानसिक रोग है और अपनी इस बीमारी के चलते वह किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

5 जिस युवती के लिए उस ने आप को धोखा दिया उस युवती के सामने प्रेमी की सारी पोलपट्टी खोल दें. उस की नई प्रेमिका को अपनी और उस की तसवीरें दिखाएं या फिर उस के ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप दिखाएं.

6 अपने बौयफ्रैंड के नाम पर उस के पड़ोसियों के घर के पते पर कोई अश्लील पत्रिका भिजवा दें. इस से उस के आसपास रहने वालों में उस की  इमेज बिगड़ेगी.

7 अगर आप का धोखेबाज प्रेमी आप के कालेज में ही आप के साथ है, तो मौका देख कर उस की शर्ट पर ’मैं धोखेबाज हूं’ की चिट चिपका दें. जब इस चिट के साथ कालेज के अन्य छात्रछात्राएं उसे देखेंगे, तो वह सब के आगे हंसी का पात्र बनेगा.

8 अगर इतने से भी जी न भरे तो किसी अनजान युवती को हायर कर बीच सड़क पर अपने बेवफा आशिक पर छेड़छाड़ का इलजाम लगवा कर उसे पिटवा दें.

9 अपनी किसी फ्रैंड को उस से फ्लर्ट करने को कहें और जब प्रेमी रिलेशनशिप में सीरियस हो जाए तो अपनी दोस्त को उसे धोखा देने को कहें.

10 अलगअलग नंबरों से फोन कर उसे धमकी दें. जब तक वह अपना नंबर बदल न ले ऐसा करते रहें. नंबर बदल लेने के बाद फिर कहीं से उस का नंबर पता लगाएं और फिर से उसे परेशान करें.

11 अगर संभव हो तो अपने प्रेमी की ऐसी तसवीरें जो उस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हों, अपने सारे दोस्तों को एमएमएस कर दें या फिर अलगअलग साइट पर अपलोड कर दें.

12 प्रेमी के घर उस की शादी का नकली कार्ड बनवा कर भिजवा दें. ऐसा करने से उस के घर में बवाल मच जाएगा.

13 बदला लेने के लिए आप प्रेमी को एक बेनाम गिफ्ट पैक  भेज सकती हैं. गिफ्ट हेयर रिमूवर की बौटल पर किसी शैंपू का स्टीकर चिपका कर उसे ऐसे रखें कि वह नया लगे.

14 अगर प्रेमी उसी कालेज या औफिस में हो जहां आप भी काम करती हों, तब आप के लिए उस की चाय या कौफी में जमालगोटा मिलाने में मुश्किल नहीं होगी. पेट पकड़ कर जब पूरा दिन वह वाशरूम के चक्कर लगाता दिखेगा, तो आप के कलेजे को पक्का ठंडक मिलेगी.

15 कालेज के बुलेटिन बोर्ड का सही इस्तेमाल करें और प्रेमी की तसवीर पर बिंदी व लिपस्टिक लगा कर बोर्ड पर चिपका दें.

16 प्रेमी के नाम पर एक आपत्तिजनक सीडी उस के प्रिंसिपल या बौस तक पहुंचा दें. खरीखोटी तो वह सुनेगा ही उस की नौकरी पर भी तलवार लटकने लगेगी.

17 आप एक गुप्त पत्र प्रिंसिपल के नाम लिख कर उस में प्रेमी की करतूतों का बखान कर सकती हैं.

18 किसी बच्चे को कहें कि उस की गर्लफ्रैंड के आगे उसे पापा कह कर बुलाए. बच्चे की इस हरकत से उस की नई गर्लफ्रैंड के अंदर शक के बीज अंकुरित हो जाएंगे.

19 प्रेमी की डैस्क पर गर्भनिरोधक गोलियां और कंडोम के डब्बे डाल दें. उस के साथ जब ये अश्लील सामग्री उस की डैस्क पर देखेगी तो सब उसे संदेह की नजरों से देखने लगेंगे.

20 अगर एक ही औफिस में साथ काम करते हों तो धोखेबाज प्रेमी को मजा चखाने के लिए उस की सीट पर फैवीक्विक डाल दें. जब फैवीक्विक अपना कमाल दिखाएगा तो लोग उस पर हंसेंगे.

21 अपनी पहचान गुप्त रख कर टैलीविजन पर प्रेमी के नाम पर लापता का विज्ञापन चलवा दें. उस विज्ञापन में प्रेमी को घर से भागा हुआ बताएं और उसी की नई गर्लफ्रैंड का नंबर दे दें.

22 यही काम अखबार में भी पहचान गुप्त रख कर करवाया जा सकता है. प्रेमी के फोटो के साथ विज्ञापन छपवाएं और विज्ञापन में उसे चोर घोषित करते हुए उस के नाम पर इनाम की घोषणा कर दें. विज्ञापन में नंबर उस की नई गर्लफ्रैंड का और पता उस के घर का दे दें. आप अपने प्रेमी का नंबर भी विज्ञापन में दे सकती हैं.

23 अगर आप दोनों एक ही पार्टी में मौजूद हैं तो अपने प्रेमी के कपड़ों पर कुछ गिरा दें. कोशिश करें कि ऐसी जगह गिरे जहां वह देख भी न सके और लोग उस का मजाक बनाएं. वैसे मौका मिले तो उस के कपड़ों पर ’मैं बेवफा हूं’ लिखा कागज चिपका दें. ऐसा करने पर वह पार्टी में आकर्षण का केंद्र बन जाएगा.

24 इंटरनैट पर ऊटपटांग साइटों पर उस के नाम और मोबाइल नंबर को रजिस्टर कर दें. जब उस के फोन पर अनचाहे मैसेज और कौल्स आएंगी तो वह परेशान हो जाएगा.

25 एक ही औफिस में काम करते हों तो उस के कंप्यूटर से सारा डेटा डिलीट कर दें या फिर उस की प्रैजैंटेशन सीडी को फिल्म की सीडी से बदल दें.

26 कालेज की दीवारों पर जगहजगह अश्लील मैसेज लिखें और मैसेज के नीचे अपने बौयफ्रैंड का नंबर लिख दें.

27 आप अपने बौयफ्रैंड को सोशल नैटवर्किंग साइट पर भी बदनाम कर सकती हैं. अपने सभी फ्रैंड्स को बौयफ्रैंड की आईडी के साथ एक मैसेज भेजें, जिस में आप अपनी आपबीती उन से शेयर कर सकती हैं.

28 उस की कार या बाइक का टायर पंक्चर कर दें.

29 अपनी पहचान गुप्त रखते हुए पुलिस में उस के खिलाफ धोखाधड़ी और नशीले पदार्थों का सेवन करने की शिकायत दर्ज करा दें.

30 फोटोशौप पर प्रेमी की तसवीर बिगाड़ कर सभी दोस्तों को फर्जी ईमेल आईडी से मेल कर दें. हो सके तो उस की पोलपट्टी भी उस मेल में खोल दें.

क्यों देते हैं युवक धोखा

धोखा देना युवकों की फितरत होती है,’ यह कहना गलत होगा. सचाई तो यह है कि युवक हमेशा रिश्तों में भटकाव की समस्या से ग्रसित होते हैं और बात जब सही युवती के चुनाव की होती है, तो यह समस्या और भी प्रबल हो जाती है.

डा. शिल्पी आस्ता का मानना है, ’’युवकों को रिश्तों में हमेशा नएपन की तलाश रहती है. वे किसी भी तरह के दोहराव से बहुत जल्दी ऊब जाते हैं. युवतियों का रिश्तों को ले कर अति उतावलापन भी युवकों को रास नहीं आता. बारबार युवकों पर शादी के लिए दबाव बनाना या उन की तुलना किसी दूसरे से करना भी युवकों के मन में अलगाव की भावना पैदा करता है.’’

इन फिल्मों को जरूर देखें

– ’लव का द ऐंड’ युवक को सबक सिखाने के लिए युवती उस के ड्रिंक में कुछ ऐसा पदार्थ मिला देती है, जिस से वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है.

– ’प्यार तो होना ही था’ इस फिल्म में युवक से बदला लेने के लिए युवती एक युवक को हायर कर उस से प्यार का नाटक करती है.

– ’तेरी मेरी कहानी’ फिल्म में हीरो से रिवैंज लेने के लिए उस की ऐक्स गर्लफ्रैंड उस के निजी वीडियोज सब को एमएमएस कर देती है.

– ’एक हसीना थी’ इस फिल्म में हीरो से बदला लेने के लिए हीरोइन उस से प्यार का नाटक करती है. बाद में उसे एक ऐसी जगह पर छोड़ देती है, जहां बहुत सारे चूहे होते हैं और हीरो उन से बचने के लिए कुछ नहीं कर पाता.

– ’अंजाम’ मूवी में हीरो से बदला लेने के लिए हीरोइन उस की नर्स बन जाती है और मौका मिलते ही उसे चट्टान से धक्का मार देती है.

ये भी पढ़ें- चैन न छीन ले यह दोस्ताना

गुस्सैल पार्टनर को प्रेम से करें कंट्रोल

प्रेमी प्रेमिका में भले कितना प्रेम हो, फिर भी कई बार छोटीछोटी बातों पर तूतू मैंमैं हो ही जाती है. ऐसे में अगर प्रेमी गुस्सैल है तो गुस्से में कुछ भी कह देता है या मिलने आना तक छोड़ देता है. ऐसे में अगर प्रेमिका सोचती है कि मैं क्यों मनाऊं, मैं क्यों झुकूं इस के सामने, कुछ दिन दूरी बनाए रखूंगी तो खुद ही कौल करेगा और इसे सबक भी मिलेगा, तो रिलेशन में यह ईगो कभी काम नहीं करती और अगर प्रेमी गुस्सैल है तो उम्मीद के विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है.

ऐसे में अगर बे्रकअप हो जाए तो प्रेमीप्रेमिका अपनेअपने स्तर पर यह कहते पाए जाते हैं कि पार्टनर ने हमें प्रेम में धोखा दे दिया जबकि यह धोखा नहीं बल्कि ईगो का सवाल होता है. ऐसे में जरूरत है उसे प्यार से समझने व समझाने की, इस से धीरेधीरे आप उस का बिहेव भी अपने प्रति पौजिटिव देखने लगेंगी.

कैसे करें कंट्रोल

ऐक्शन में रिऐक्शन नहीं

आप के प्रेमी ने आप को मिलने के लिए बुलाया था लेकिन आप ट्रैफिक जाम या फिर अन्य किसी कारण से टाइम पर नहीं पहुंच पाईं जिस कारण प्रेमी को काफी देर तक वेट करना पड़ा और आते ही वह आप पर बरस पड़ा, तो आप भी चिल्लाने न लग जाएं कि तुम्हारी तो आदत ही ऐसी है, मैं ने गलती की जो तुम से मिलने आई.

ऐसे में दोनों तरफ गरमागरमी का माहौल होने के कारण बात बिगड़ सकती है. इसलिए खुद को कंट्रोल करते हुए कहें कि बेबी मेरे स्वीटहार्ट, नैक्स्ट टाइम से ऐसा नहीं होगा प्लीज, कूल डाउन. आप की यह बात सुन कर वह खुद को कूल करने पर मजबूर हो जाएगा. आप की इस समझदारी के कारण आप का रिलेशन भी मजबूत होगा.

छोटी छोटी बात का इश्यू न बनाएं

आप का अपने प्रेमी के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम था, लेकिन ऐन वक्त पर उस ने यह कह कर मना कर दिया कि मुझे आज राहुल के साथ शौपिंग पर जाना ज्यादा जरूरी है, इसलिए आज का प्लान कैंसिल.

उस की ऐसी बात सुन कर आप की नाराजगी जायज है, लेकिन चाहे आप को कितना भी गुस्सा आए, क्योंकि आप जानती हैं कि ऐन वक्त पर ऐसे नाटक करने की उसे आदत है, तब भी आप दिल पर न लें और न ही इस बात को ले कर इश्यू बनाएं. जब आप की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं होगा तो उसे भी अपनी गलती का एहसास होगा. इस से बात बिगड़ेगी नहीं और उस के मन में आप के लिए प्रेम भी बढ़ेगा.

रोमांस से करें कंट्रोल

प्रेमी अकसर प्रेमिका का स्पर्श चाहता है और अगर उसे एक बार स्पर्श मिल जाए तो चाहे वह कितने भी गुस्से में हो, उस का गुस्सा पल में छूमंतर हो जाता है.

ऐसे में जब वह गुस्सा करे तो उसे कौंप्लिमैंट दें कि वाहवाह तुम गुस्से में कितने स्मार्ट लगते हो, उस के लिप्स पर किस करें, उसे अपनी बांहों में लेते हुए कहें कि तुम ही मेरी दुनिया हो, हाथों में हाथ डालें, बारबार उस के हाथों पर किस करें. इस से आप उसे कंट्रोल में करने में कामयाब हो जाएंगी और वह  आप के इस रोमांटिक अंदाज के सामने अपना गुस्सा भी भूल जाएगा.

अकेले छोड़ कर न भागें, बात सुनें

हो सकता है आप का बौयफ्रैंड ऐसी सिचुऐशन से गुजर रहा हो, जिस के कारण उसे छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आ जाता हो और वह आप को अपने मन की बात भी न बता पा रहा हो. ऐसे में यह सोच कर कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है उस की प्रौब्लम को समझें. उसे अकेला छोड़ने की भूल न करें, क्योंकि ऐसे वक्त पता होने के बावजूद मेरी गलती है वह फिर भी आप का साथ चाहेगा. इसलिए चाहे वह कितना भी रूठा हो उसे मनाएं जरूर और अकेला न छोड़ें वरना इस से आप के बीच दूरियां ही बढ़ेंगी. धीरेधीरे हो सकता है वह भी अपनी आदतों को छोड़ दे.

नापसंद चीजों को अवौइड करें

आप अपने प्रेमी के नेचर को अच्छी तरह जानती हैं और उस की पसंदनापसंद से भी वाकिफ हैं, तो ऐसे में जब आप को पता है कि उसे लेट आना या फिर जब आप उस के साथ हों, तब किसी का फोन अटैंड करना पसंद नहीं है तो इन सब चीजों को अवौइड करें. आप की तरफ से इस तरह का एफर्ट आप के गुस्सैल प्रेमी को कंट्रोल में रखने में मददगार साबित होगा, क्योंकि उसे तो यही लगेगा कि आप सिर्फ दुख की साथी हैं सुख की नहीं.

फेवरिट डिश से करें गुस्सा ठंडा

आप ने बिजी होने के कारण उस का फोन नहीं उठाया. इस कारण वह आप से रूठ गया है, तो ऐसे में आप की जिम्मेदारी है कि आप उस का रोमांटिक अंदाज में गुस्सा ठंडा करें. इस के लिए उस की फेवरिट डिश खुद अपने हाथों से बना कर उस पर प्यार की बौछार कर दें और साथ ही उस की डैकोरेशन भी काफी सैक्सी अंदाज में करें कि उसे देख कर उस का खुद पर कंट्रोल ही न रहे.

सरप्राइज दें

किसी बात को ले कर आप में और आप के प्रेमी के बीच काफी समय से अनबन चल रही है, तो ऐसे में फोन पर बात करने से मिसअंडरस्टैंडिंग और बढ़ेगी ही. इस से अच्छा है कि उस के औफिस जा कर उसे सरप्राइज दें. इस से उसे काफी खुशी मिलेगी. उसे लगेगा कि आप की लाइफ में उस की वैल्यू है तभी आप उस के लिए इतनी दूर तक आई हैं. इस से वह भी आप को गले लगाने में देर नहीं लगाएगा.

उस की पसंद की चीजों में हामी भरें

भले ही आप दोनों की पसंद न मिलती हो, लेकिन फिर भी आप को अपने प्रेमी की खुशी के लिए उस की पसंद को अपनी पसंद बनाने की कोशिश करनी होगी. ऐसा बिलकुल न करें कि वह कोई भी चीज दिखाए और आप बस हर बार यही कहें कि मुझे तो यह बिलकुल पसंद नहीं बल्कि कहें कि तुम्हारी पसंद कितनी अच्छी है, मुझे भी बिलकुल ऐसी चीज ही पसंद आती है. आप के ऐेसे पौजिटिव ऐटिट्यूड को देख कर वह भी खुद को आप के लिए इंप्रूव करेगा.

पुरानी यादों से बिखेरें स्माइल

प्रेमी के चेहरे पर मुसकान लाने के लिए या फिर उसे कूल करने के लिए उस के सामने पुरानी यादों का पिटारा खोल डालिए, जिस में आप एकदूसरे को हग कर रहे थे, एकदूसरे के साथ खूबसूरत लमहे बिता रहे थे, एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए थे. जब वह पुरानी यादों को इन फोटोज के जरिए याद करेगा तो निश्चित ही वह कितने भी गुस्से में हो उस के चेहरे पर मुसकान लौट आएगी.

रोमांटिक पलों के लिए टाइम निकालें

हर प्रेमी चाहता है कि उस की प्रेमिका उस के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथसाथ रोमांटिक टाइम भी बिताए और उस के कहे बिना जब आप उस के साथ खूबसूरत पलों को ऐंजौय करेंगी तो वह चाह कर भी आप से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाएगा.

इस तरह आप अपने गुस्सैल प्रेमी को प्रेम से बड़ी आसानी से कंट्रोल कर पाएंगी.

ये भी पढ़ें- बच्चों में डालें बचत की आदत

शादी से डर कैसा

आप खूबसूरत हैं, शादी की उम्र भी है, संस्कारी भी हैं और अच्छा कमा भी रहे हैं यानी सुयोग्यतम भावी दूल्हा/दुलहन हैं, तो आप के चर्चे आसपास होने लगते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि आप सुयोग्यतम भावी दूल्हा/दुलहन हैं, लेकिन शादी से कतराते हैं. सुयोग्यतम भावी दूल्हा/दुलहन की शादी के बारे में उन से ज्यादा उन के दोस्त, परिवार वाले और पासपड़ोस के लोग बातें करते हैं. ऐसा सिर्फ छोटे या मैट्रो शहरों में ही नहीं होता, बल्कि देशविदेश सभी जगह यही हाल है.

मुंबई के मलाड में रहने वाली दीपा 30 साल की लड़की है. बेहद खूबसूरत है और अच्छा कमा भी रही है. अपने पैसे से देशविदेश हर जगह घूमती है. उस की बड़ी बहन और भाई की शादी 24-25 साल की उम्र में ही हो चुकी है, लेकिन दीपा अभी शादी नहीं करना चाहती. उस की मां जया शर्मा ने उस पर बहुत जोर डाला, लेकिन अंतत: हार मान ली. भाई की शादी और बच्चे होने पर छोटे घर में रहने की दिक्कत को देखते हुए दीपा ने अपनी मां को राजी कर लिया कि वह अलग घर ले कर अकेले रहेगी और शनिवारइतवार उन से मिलने आ जाया करेगी. लेकिन जब भी दीपा से उस की शादी की बात करो, वह शादी को जिंदगी का एक बहुत ही बड़ा निर्णय मानती है. यह निर्णय गलत न हो जाए, इसलिए फूंकफूंक कर कदम रखने के चक्कर में इस रास्ते पर आगे बढ़ ही नहीं पा रही. ऐसा नहीं है कि वह कभी शादी नहीं करना चाहती, लेकिन निर्णय नहीं ले पाती. अब तक उस की जिंदगी में 2 लड़के आ भी चुके हैं. एक रिश्तों के मामलों में बहुत गंभीर था. शादी भी जल्दी करना चाहता था तो दूसरे से दीपा की बनी नहीं, इसलिए दूरियां आ गईं.

ऐसा सिर्फ मुंबई में रहने वाली दीपा के साथ ही नहीं, कई लड़केलड़कियों के साथ होता है. वे शादी करना तो चाहते हैं, लेकिन शादी की उम्र और वक्त को पहचान नहीं पा रहे होते या कहें कि शादी के बाद के जिस डर से वे बच रहे होते हैं, दरअसल वह सब कुछ वे बिना शादी के भी झेल रहे होते हैं. इस संबंध में मुंबई के एस.एल. रहेजा (फोर्टिस एसोसिएट) के क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डा. भूपेश शाह बताते हैं कि आजकल की लड़कियां बहुत नाजुक मिजाज हैं, क्योंकि वे स्वावलंबी हैं. वे अपनी जिंदगी में कोई भी समझौता नहीं करना चाहतीं, इसलिए ऐसा घर ढूंढ़ती हैं, जहां पति सुंदर हो, उस के मातापिता साथ न रहते हों, अकेला बेटा हो, अच्छे पद पर हो, तनख्वाह भी अच्छी हो और उन्हें समझ भी सके. लेकिन सारी खूबियां एक शख्स में मिलना आसान नहीं होता, इसलिए लड़कियों का इंतजार लंबा होता जाता है.

31 साल की तान्या मूलत: लखनऊ से है, दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है और पिछले कई सालों से मातापिता के साथ दिल्ली में ही रह रही है, लेकिन शादी से डरती है. वह बताती है कि करीब 4-5 साल पहले उस के इर्दगिर्द दोस्तों की लाइन लगी रहती थी. जैसे ही आफिस में अपनी सीट से उठती, दोस्त आ जाते और फिर कहीं न कहीं खानेपीने जाने का प्रोग्राम बन जाता. इन में ज्यादातर लड़के थे और उसे शादी के लिए प्रपोज भी कर रहे थे. वे चाहते थे कि वह हां कर दे. लेकिन हर बार तान्या किसी न किसी बात को ले कर डर जाती. किसी लड़के के बातचीत के ढंग में अतिविश्वास झलकता था, तो किसी का परिवार रूढिवादी होता. कोई उस से जूनियर था, कमाता भी अच्छा नहीं था. राजीव नाम के एक लड़के से तो उस ने अपने मातापिता को भी मिलवाया था, लेकिन बाद में उसे राजीव बहुत ही भावुक और बेमतलब की बातें करने वाला बोरिंग लगने लगा. ऐसे ही समय निकल गया. आज उन सभी लड़कों की शादियां हो चुकी हैं, लेकिन अब भी तान्या का बहुत मन होता है, दोस्तों के साथ जाए, खाएपीए, घूमेफिरे. पहले की तरह उस का ग्रुप हो, लेकिन आज दोस्त अपनीअपनी जिंदगी में मसरूफ हैं. कभीकभी मिलने का कार्यक्रम बना कर रद्द तक कर देते हैं. तान्या की सुयोग्यतम भावी दुलहन वाली उम्र निकल गई. अब जब कभी दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाती है तो वही पैसे खर्च करती है, जबकि यही दोस्त महज कुछ साल पहले तक उस पर खर्च करने के लिए एक पांव पर खड़े रहते थे.

सुयोग्यतम दूल्हा/दुलहन होने में मजा

जो कैरियर में अच्छा कर रहे हों, होशियार हों, खूबसूरत हों और अच्छे परिवार से ताल्लुक रखते हों, तमाम लोग उन की तरक्की और उन की शादी के बारे में ही बातें करते हों, उन के यारदोस्त उन के जैसा बनने की कोशिश करते हैं, कुछ उन से जलते भी हैं. अगर ऐसे लड़केलड़की अपनी सारी खूबियों को खुद जानते हैं तो वे शादी करने से और भी ज्यादा डरने लगते हैं. उन्हें हमेशा इस बात का डर लगता है कि उन के बराबर का मैच नहीं मिला तो क्या होगा? डा. भूपेश शाह बताते हैं कि ऐसे लड़केलड़कियां बराबर का वर/वधू चाहने लगे हैं. वे अपने से थोड़ा ऊपर और नीचे के वर/वधू से सामंजस्य नहीं बैठाना चाहते.

यहां बात सिर्फ सेलिब्रिटी की नहीं है. आम जिंदगी में भी हमारे आसपास सुयोग्यतम भावी दूल्हा/दुलहन होते ही हैं. जब लड़के या लड़की को यह एहसास होता है कि वह तो सुयोग्यतम भावी दूल्हा/दुलहन है उस के व्यवहार या स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है. ऐसे युवा ऐसे वक्त का वे आनंद उठाने लगते हैं. उन के आसपास सब लोग उन के साथ खूब फ्लर्ट करते हैं. उन्हें खासी एहमियत मिलती है. ऐसे में उन के परिवार या दोस्तों की जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें सच से वाकिफ कराएं. आगे आने वाले वक्त के बारे में सोचने को कहें. डा. भूपेश शाह के मुताबिक, ऐसे संबंधों में रहते हुए भी मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से आप उतने ही तालमेल बैठा रहे होते हैं, जितना शादी के बाद बैठाना होता है.

शादी न करने के पीछे का डर

जब आप की जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा हो तो निम्न डर भी होते हैं, जो आप को शादी से रोकते हैं:

सामने वाला जो आप को प्रपोज कर रहा है, कहीं वह आप के पैसे और ओहदे के कारण तो आकर्षित नहीं है. हालांकि यह भय लड़कियों के मन में ज्यादा होता है. लेकिन लड़के भी चाहते हैं कि उन्हें पसंद किया जाए तो उन के स्वभाव या व्यक्तित्व को पसंद किया जाए न कि उन के ओहदे और कमाई को देख कर आप उन्हें पसंद करें. हालांकि वे आप को रिझाने के लिए अपने पैसे और ओहदे का इस्तेमाल कर रहे होते हैं.

अपने जैसी सोच वाले या अपने बराबर होशियार लड़कालड़की न मिलने का डर. यह भी लगता है कि कहीं गलती न हो जाए, सही व्यक्ति चुनने में, वह हमारे

सोचता है या नहीं, हमारी तरह होशियार है या नहीं. प्रोफैशन क्या है. कैरियर में आगे बढ़ने की इच्छा और काबिलीयत है या नहीं. यानी पहले की तरह अब हम सिर्फ एक घरेलू सीधीसादी लड़की या फिर एक बढि़या संस्कारी लड़का नहीं ढूंढ़ रहे होते, बल्कि एक पूरा पैकेज चाहिए और यह पैकेज जिस के पास है, वह खास हो जाता है.

कई बार मातापिता या किसी दोस्त की शादी में दूरियां देखी हों या असफल शादी देखी हो तो अपनी शादी के प्रति ज्यादा सतर्क हो जाते हैं. इसलिए इस शादी नाम के बंधन में बंधने से घबराहट होती है.

कुछ युवा खुद को किसी भी बंधन से आजाद रखना चाहते हैं. शादी कहीं उन के कैरियर में आगे बढ़ने के रास्ते न बंद कर दे. जिम्मेदारियों का बोझ उन की तरक्की में रुकावट होगा. शादी उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी या जवाबदेही लग रही होती है. डर होता है कि कहीं प्यार का रिश्ता, जबरदस्ती के रिश्ते में न बदल जाए.

जो जैसा चल रहा है बढि़या है. आप को पता ही नहीं है कि आप को शादी से किस तरह का डर है. बस, आप शादी करने के पीछे नहीं पड़ना चाहते, जब होनी होगी हो जाएगी. उस के लिए कोशिश करने का न तो वक्त न ही मन है.

शादी को ले कर आया लोगों की सोच में बदलाव

आज लड़का या लड़की ढूंढ़ने के मामले में सब से बड़ा आधार धर्म या जाति न हो कर प्रोफैशन और शिक्षा बन रही है. शादी डौटकौम के बिजनैस हैड गौरव रक्षित के मुताबिक, प्रोफैशन में भी कई श्रेणियां हैं. जैसे, अकसर कई गुजराती लोग बिजनैसमैन दामाद ही ढूंढ़ते हैं. उन्हें नौकरीपेशा लड़के पसंद नहीं आते. हालांकि जीवनसाथी चुनने के मामले में लोगों की पसंद में समयसमय पर बदलाव भी आते रहते हैं. जैसे आर्थिक मंदी के दौर के पहले तक भारत में सब से ज्यादा सौफ्टवेयर इंजीनियर्स की डिमांड थी, लेकिन मंदी के समय में जब विदेशों में कमा रहे बहुत से सौफ्टवेयर इंजीनियर भारत लौटे, तब से शादी के मामलों में उन की मांग घटी है. लड़कियों के मातापिता दूसरे व्यवसाय के लड़के ढूंढ़ने लगे. समय के साथ यह भी बदलाव आया है कि आज ज्यादातर लोग नौकरीपेशा बहू या बीवी ही ढूंढ़ रहे हैं.

गौरव कहते हैं कि यों तो शादी के लिए रजिस्टर करने वाले अधिकतर लोगों की उम्र 18 से 40 के बीच होती है, लेकिन सब से ज्यादा 24 से 30 साल के लोग इस में आते हैं और ज्यादातर लोग 30 से कम उम्र की लड़कियां ही ढूंढ़ते हैं. देर से शादी करने के बारे में डा. भूपेश शाह कहते हैं कि अधिक उम्र में शादी करने पर सब से ज्यादा मुश्किल लड़कियों को ही होती है, क्योंकि आज के जमाने में सचिन तेंदुलकर की तरह अधिक उम्र की लड़की से शादी करने के मामले अपवाद ही हैं.

वो गुजर रहे हैं उन्हीं परिस्थितियों से, जिन से शादी के बाद गुजरते

जिस तरह के जीवनसाथी की आप ने कल्पना की है, वैसा आप के इर्दगिर्द नहीं या फिर जो आप को पसंद आता है, उसे आप पसंद नहीं और जिन्हें आप पसंद हों, वे आप को पसंद नहीं. इसी कशमकश में जिंदगी के साल गुजर रहे हैं. लेकिन आप अड़े बैठे हैं कि जैसा जीवनसाथी आप चाहते हैं, उसी से शादी करेंगे नहीं तो शादी ही नहीं करेंगे. लेकिन इस दौरान अगर आप का बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड है तो क्या आप वैसे ही पूरी जिम्मेदारी उठा रहे हैं जैसे शादी के बाद उठाते? रीना उदय से शादी नहीं करना चाहती. अभी नहीं या कभी नहीं, यह तो वह भी नहीं जानती, लेकिन दोनों पिछले 3 सालों से गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड हैं. दोनों ने अलगअलग घर लिया लेकिन दोनों का ज्यादातर समय एकदूसरे के घर पर ही बीतता है. उदय और रोज शाम रीना को आफिस से घर छोड़ता है. दोनों ज्यादातर बाजार में खाते हैं या फिर रीना पका कर खिलाती है.

रीना की मां की तबीयत बिगड़ी तो उदय उस के साथ मेरठ गया और सारा खर्च उस ने उठाया. यानी जितनी जिम्मेदारी एक पति की उठाई जाती उतनी रीना उठा रही है और जितने नाजनखरे बीवियों के सहने पड़ते हैं वे सब उदय सह रहा है. बीच में करीब 8 महीने तक दोनों में बातचीत बंद थी. उस दौरान रीना के जीवन में एक लड़का भी आया, लेकिन उस के साथ भी बात आगे बनी नहीं. 8 महीने बाद रीना और उदय में फिर से सुलह हो गई. अब 2 साल से दोनों साथ हैं, लेकिन शादी के लिए रीना अभी भी तैयार नहीं. जीवन में जितने भी समझौते करने हैं वे तो आप कर ही रहे हैं तो फिर शादी से डर कैसा? यह तालमेल आप अपनी शर्तों पर भी कर सकते हैं, जैसे कि बौलीवुड एक्टर इमरान खान और उन की पत्नी अवंतिका ने किया. हाल ही में दोनों ने अपनी शादी पर थाईलैंड में अपनी लिखी शर्तें या कहें वादे पढे़. ऐसा कुछ आप भी सोच सकते हैं.

ये भी पढ़ें- स्पाइनल इंजरी और मैरिड लाइफ

अकेले हैं तो क्या गम है

महिलाएं अब शादी करने की सामाजिक बाध्यता से आजाद हो रही हैं. वे अपनी जिंदगी की कहानी अपने हिसाब से लिखना चाहती हैं और ऐसा करने वाली महिलाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है. पहले दहेज के कारण ही शादी न होना एक बड़ा कारण होता था.

2015 में डी पाउलो ने औनलाइन ऐसे लोगों को अपने अनुभव शेयर करने को आमंत्रित किया जो अपनी इच्छा से सिंगल थे और इस स्टेटस से खुश थे. ‘कम्युनिटी औफ सिंगल पीपुल’ नाम के इस गु्रप में 5 महीनों के अंदर अलगअलग देशों से 600 से ज्यादा लोग शामिल हो गए और मई 2016 तक यानी 1 साल बाद यह संख्या बढ़ कर 1170 तक पहुंच गई.

इस औनलाइन ग्रुप में सिंगल लाइफ से जुड़े हर तरह के मसले व अच्छे अनुभवों पर चर्चा की जाती है न कि किसी संभावित हमसफर को आकर्षित करने के तरीके बताए जाते हैं.

बदलती सोच

पिछले दशक से जनगणना करने वाले अमेरिकी ‘यू. एस. सैंसस ब्यूरो’ द्वारा सितंबर के तीसरे सप्ताह को अनमैरिड और सिंगल अमेरिकन वीक के रूप में मनाया जा रहा है. पिछले 10 सालों से स्थिति यह है कि तलाकशुदों, अविवाहितों या विधवा/विधुरों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है.

दरअसल, अब विवाह को खुशियों की गोली नहीं माना जाता. जरूरी नहीं कि हर शख्स विवाह कर परिवार के दायरे में स्वयं को सीमित करे. पुरुष हो या स्त्री, सभी को अपनी मंजिल तय करने का हक है. इस दिशा में कुछ हद तक सामाजिक सोच भी बदल रही है.

लोग मानने लगे हैं कि सिंगल एक स्टेटस नहीं वरन एक शब्द है, जो यह बताता है कि यह शख्स मजबूत और दृढ़ संकल्प वाला है और किसी पर निर्भर हुए बगैर अपनी जिंदगी जी सकता है.

सामाजिक दबाव

ऐसा नहीं है कि हर जगह सिंगल्स की भावनाओं को समझा जाता है. ‘यूनिवर्सिटी औफ मिसौरी’ के शोधकर्ताओं के नए अध्ययन के मुताबिक भले ही मिड 30 की सिंगल महिलाओं की संख्या बढ़ी हो, मगर सामाजिक अकेलेपन से जुड़ा खौफ कम नहीं हुआ है. अविवाहित महिलाओं पर सामाजिक परंपरा को निभाने का सामाजिक दबाव कायम है.

टैक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मध्यवर्ग की 32 अविवाहित महिलाओं का इंटरव्यू लिया गया. इन महिलाओं ने स्वीकार किया कि विवाह या दूसरे इस तरह के मौकों पर उन के सिंगल स्टेटस को ले कर बेवजह भेदते हुए से सवाल पूछे जाते हैं, तो वहीं बहुत से लोग यह कल्पना भी करने लगते हैं कि जरूर वह झूठ बोल रही है और उस की शादी हो चुकी होगी. पति से नहीं बनती होगी या वह तलाकशुदा होगी. कई लोग मुंह पर यह कह भी देते हैं कि शादी नहीं हुई तो जीवन बेकार है.

हाल के एक शोध के मुताबिक अविवाहित महिलाओं को दुख इस बात का नहीं होता कि वे सिंगल हैं बल्कि तकलीफ  यह रहती है कि समाज उन के सिंगल स्टेटस को स्वीकार नहीं करता और उन पर लगातार किसी से भी शादी कर लेने का दबाव बनाया जाता है.

‘ब्रिटिश सोशियोलौजिकल ऐसोसिएशन कौंन्फ्रैंस’ में किए गए एक अध्ययन में पूरे विश्व से 22,000 विवाहित और अविवाहित लोगों के प्रसन्नता के स्तर को मापा गया और पाया गया कि वैसे देश जहां विवाह से जुड़ी पारंपरिक सोच अधिक मजबूत है वहां अविवाहितों में अधिक अप्रसन्नता पाई गई क्योंकि वहां शादी न करने वाली महिलाओं को दया वाली या नीच निगाहों से देखा जाता है.

पाया गया है कि 35 साल से ऊपर की सिंगल महिलाएं फिर भी अपनी स्थिति से संतुष्ट रहती हैं, जबकि यंग वूमन खासकर 25 से 35 साल की जमाने से सब से ज्यादा खौफजदा होती हैं क्योंकि उन से सब से ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं. 25 साल से पहले इस संदर्भ में ज्यादा चर्चा नहीं होती.

कुछ तो लोग कहेंगे

सिंगल महिलाओं के लिए जरूरी है कि मुफ्त की सलाह देने वालों की बातों से दिलोदिमाग पर दबाव न बनने दें. आप जरा अपनी निगाहें घुमा कर देखिए, जो शादीशुदा हैं, क्या उन्हें हर खुशी मिल रही है? क्या उन की जिंदगी में नई परेशानियों ने धावा नहीं बोल दिया? कोई भी काम करने से पहले घर वालों को सूचित करना, पैसों के लिए दूसरों का मुंह देखना, एकएक पैसे का हिसाब देना, अपने वजूद को भूल कर हर तरह के कंप्रोमाइज के लिए तैयार रहना, घर संभालना ये सब आसान नहीं होता. बहुत से तालमेल बैठाने पड़ते हैं, जिन से जुड़े तनाव से सिंगल वूमन आजाद रहती है.

जो महिलाएं आप पर शादी करने का दबाव डाल रही हैं, वे दरअसल आप की स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और झंझटों से मुक्त जिंदगी से जलती हैं.

आप अपने दिल की सुनिए. यदि आप किसी ऐसे शख्स का इंतजार कर रही हैं, जो आप की सोच और नजरिए वाला हो तो इस में कुछ भी गलत नहीं. बस शादी करनी जरूरी है, इसलिए किसी से भी कर लो, भले ही वह आप के योग्य नहीं, इस बात का कोई औचित्य नहीं.

कुछ कर के दिखाना है

बहुत सी लड़कियों/महिलाओं के दिलों में कुछ करने का जज्बा होता है, मगर शादी के बाद आमतौर पर वे ऐसा कर पाने में स्वयं को असमर्थ पाती हैं. एक तरफ  घरपरिवार की जिम्मेदारियां, तो दूसरी तरफ बच्चे. ऐसे में वे चाह कर भी अपने सपनों को जी नहीं पातीं. जिन लड़कियों की प्राथमिकता अपना पैशन होता है, शादी नहीं वे सहजता से शादी न करने का फैसला ले पाती हैं या फिर शादी करती भी हैं तो अपने ही जैसे पैशन या हौबी रखने वाले से.

गलत से बेहतर है न हो जीवनसाथी

पेशे से पत्रकार 32 वर्षीय अनिंदिता कहती हैं, ‘‘गलत व्यक्ति के साथ आप जुड़ जाती हैं तो आप को धोखा मिलता है या फिर आप का जीवनसाथी गालीगलौज और मारपीट करता है तो क्या इस कदर अपने सम्मान को दांव पर लगा कर भी विवाह बंधन में बंधना जरूरी है?’’

सिंगल्स होते हैं ज्यादा जिम्मेदार

अकसर माना जाता है कि सिंगल व्यक्ति सैल्फ सैंटर्ड होता है, पर ऐसा नहीं है. सिंगल अपनी जिंदगी की स्क्रिप्ट स्वयं लिखता है. जब व्यक्ति शादी करता है तो उस का फोकस अपने परिवार और बच्चों तक सिमट कर रह जाता है. मगर सिंगल व्यक्ति दिल से मांबाप, दोस्तों, रिश्तेदारों व सभी करीबी व्यक्तियों के करीब होता है. सही अर्थों में वह स्वार्थरहित और सभी के लिए स्नेहपूर्ण व्यवहार कर पाता है.

शोधों के मुताबिक  हम सभी के पास खुशी की एक बेसलाइन होती है और शादी साधारणगत इसे बदलती नहीं, उस अल्पकालीन खुशी के सिवा.

ऐक्सपर्ट्स के विचार

विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में शादी या जीवन के अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सामाजिक अपेक्षाएं बनी रहती हैं और इन अपेक्षाओं को पूरा न करने पर चुनौतीपूर्ण एहसास का सामना करना पड़ता है. हालांकि यह ध्यान देना आवश्यक है कि हम में से प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को स्वयं स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार होता है. हालांकि इस तरह के दबाव से निबटना दुखदाई हो सकता है.

यदि इस से आप को असहज लगता है तो इस बारे में अपनी राय जोर दे कर रखनी होगी. याद रखें कि किसी भी प्रकार का दबाव मन पर न डालें क्योंकि शादी अपने व्यक्तिगत जीवन का विकल्प है और आप को इस के लिए निर्णय लेने से पहले मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है.

समीर पारीख, मनोचिकित्सक 

ये भी पढ़ें- 16 Tips: अच्छा पड़ोसी बनने के गुर

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें