सही शेप में नहीं आते आपके नाखून?

क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आपके नाखून जैसे ही शेप में आते हैं और आप यह सोचती हैं कि अब आप अपना फेवरिट नेल-पॉलिश लगाएंगी तभी ये टूट जाते हैं? अगर हां तो इसमें ज्यादा टेंशन वाली बात नहीं है. ज्यादातर महिलाओं को इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है.

पर क्या आप जानती हैं कि ऐसा क्यों होता है? कम लोगों को ही पता होता है कि हमारे नाखूनों को भी पर्याप्त पोषण की जरूरत होती है और जब उन्हें यह नहीं मिल पाता है तो वे रूखे होकर टूटने लगते हैं. हालांकि अगर आप नीचे बताए गए उपायों को अपनाती हैं तो आपके नाखून स्वस्थ और मजबूत बने रहेंगे :

1. विटामिन सी की मसाज

अगर आप अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम ले रहे हैं तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है और साथ ही आपके नाखूनों के लिए भी. पर आपको अलग से भी अपने नाखूनों पर ध्यान देने की जरूरत है. विटामिन सी से मसाज करने पर नाखून मजबूत बनते हैं. संतरे के छिलके में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. एक संतरे को छीलकर उसे धूप में सुखा लीजिए. बाद में इसे अच्छी तरह पीस लीजिए. इस पाउडर में कुछ मात्रा गुलाब जल की मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और इससे सप्ताह में दो बार अपने नाखूनों पर मसाज करें. इस उपाय से नाखूनों में चमक आने के साथ ही ये मजबूत भी बनेंगे

2. तेल से करें मसाज

नारियल के तेल और बादाम के तेल से मसाज करने से नाखून मजबूत होते हैं. आप चाहें तो इनमें से किसी भी एक तेल से नाखूनों की मसाज कर सकती हैं. ये नाखूनों को अंदर से पोषित करने का काम करते हैं.

3. मॉइश्चराइजर से पोषित करें

रात को सोने से पहले किसी अच्छे मॉइश्चराइजर या फिर लोशन से अपने नाखूनों की मसाज करके सोएं. ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और नाखून मजबूत होते हैं.

4. हरी सब्ज‍ियों के सेवन से

पालक और ब्रोकली जैसी हरी सब्जि‍यों में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. इन सब्जि‍यों में पाए जाने वाले तत्व नाखूनों की ग्रोथ और उनकी मजबूती के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.

फ्रांसीसी औरतें और रूस

रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के फ्रांसीसी औरतें कर्स कर रही हैं क्योंकि अब वे स्विमिंग पूल में अपनी सुंदर काया नहीं दिखा पाएंगी. दोनों का आपस में क्या रिलेशन है भई. असल में जब से भारत के प्रेसिडेंट ने अपनी पौवर दिखाने के लिए बिना बात के यूक्रेन पर अटैक किया है, यूरोप और अमेरिका ने रूस से ट्रेड पर पूरी सेंकशनें लगा दी हैं. बदले में रूस ने अपनी गैस यूरोप को बेचने पर रोक लगा दी है और धीरेधीरे यूरोप के घर ठंडे होते जा रहे हैं और इन सर्दियों में उन के ठिठुरने की नौबत आने वाली है.

इसी चक्कर में फ्रांस ने डिवाटड किया है कि पब्लिक स्वीङ्क्षमग पूलों में अब बहुत गर्भ पानी नहीं मिलेगा और यंग, स्लिम को मोटा, फुलबौडी स्विमिंग सूट पहनना होगा.

यह प्यार टौर्चर है. लड़कियां खाने में भरपूर डाइटिंग करती हैं, जौङ्क्षगग करती हैं, जिम जाती है. वर्क आउट करती हैं पर अब उन की स्लिम ट्रिस बौडी को कोई देख न सके तो सब करने का फायदा क्या.

हमारे यहां खातेपीते घरों की औरतें मोटी होती ही इसलिए हैं कि साड़ी और सलवारकमीज सूट में फैट लेयर काफी छिप जाती है और फिर बदन के बारे में लापरवाह हो जाती हैं. जहां बदन दिखाने की छूट होती है वहां लड़कियां अवेयर रहती हैं कि वे कैसी लग रही हैं.

पब्लिक गार्डन की तरह पब्लिक स्वीङ्क्षमग पूल सब से बड़े इंसैंटिव हो सकते हैं लड़कियों के फिट रखने के. यूरोप अमेरिका की लड़कियां इसीलिए ज्यादा फिट होती है क्योंकि वहां स्विमिंग पूल की भरमार है. हमारे यहां यह सिर्फ 5 स्टार कल्चर का हिस्सा है. होना तो यह चाहिए कि औरतों को केवल उस पार्टी को वोट देना चाहिए जो अपने मैनिफैस्टों में जौब्स दे या न दे, बहुत से स्विमिंग पुल जरूर दे. यह तो बेसिक वुमन राइट है न.

सीख: क्यों चिढ़ गई थी सक्कू

डोर बैल की आवाज सुनते ही मुझे झुंझलाहट हुई. लो फिर आ गया कोई. लेकिन इस समय कौन हो सकता है? शायद प्रेस वाला या फिर दूध वाला होगा.

5-10 मिनट फिर जाएंगे. आज सुबह से ही काम में अनेक व्यवधान पड़ रहे हैं. संदीप को औफिस जाना है. 9 बज कर 5 मिनट हो गए हैं. 25 मिनट में आलू के परांठे, टमाटर की खट्टी चटनी तथा अंकुरित मूंग का सलाद बनाना ज्यादा काम तो नहीं है, लेकिन इसी तरह डोरबैल बजती रही तो मैं शायद ही बना पाऊं. मेरे हाथ आटे में सने थे, इसलिए दरवाजा खोलने में देरी हो गई. डोरबैल एक बार फिर बज उठी. मैं हाथ धो कर दरवाजे के पास पहुंची और दरवाजा खोल कर देखा तो सामने काम वाली बाई खड़ी थी. मिसेज शर्मा से मैं ने चर्चा की थी. उन्होंने ही उसे भेजा था. मैं उसे थोड़ी देर बैठने को बोल कर अपने काम में लग गई. जल्दीजल्दी संदीप को नाश्ता दिया, संदीप औफिस गए, फिर मैं उस काम वाली बाई की तरफ मुखातिब हुई.

गहरा काला रंग, सामान्य कदकाठी, आंखें काली लेकिन छोटी, मुंह में सुपारीतंबाकू का बीड़ा, माथे पर गहरे लाल रंग का बड़ा सा टीका, कपड़े साधारण लेकिन सलीके से पहने हुए. कुल मिला कर सफाई पसंद लग रही थी. मैं मन ही मन खुश थी कि अगर काम में लग जाएगी तो अपने काम के अलावा सब्जी वगैरह काट दिया करेगी या फिर कभी जरूरत पड़ने पर किचन में भी मदद ले सकूंगी. फूहड़ तरीके से रहने वाली बाइयों से तो किचन का काम कराने का मन ही नहीं करता.

फिर मैं किचन का काम निबटाती रही और वह हौल में ही एक कोने में बैठी रही. उस ने शायद मेरे पूरे हौल का निरीक्षण कर डाला था. तभी तो जब मैं किचन से हौल में आई तो वह बोली, ‘‘मैडम, घर तो आप ने बहुत अच्छे से सजाया है.’’

मैं हलके से मुसकराते हुए बोली, ‘‘अच्छा तो अब यह बोलो बाई कि मेरे घर का काम करोगी?’’

‘‘क्यों नहीं मैडम, अपुन का तो काम ही यही है. उसी के वास्ते तो आई हूं मैं. बस तुम काम बता दो.’’

‘‘बरतन, झाड़ूपोंछा और कपड़ा.’’

‘‘करूंगी मैडम.’’

‘‘क्या लोगी और किस टाइम आओगी यह सब पहले तय हो जाना चाहिए.’’

‘‘लेने का क्या मैडम, जो रेट चल रहा है वह तुम भी दे देना और रही बात टाइम की तो अगर तुम्हें बहुत जल्दी होगी तो सवेरे सब से पहले तुम्हारे घर आ जाऊंगी.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छा होगा. मुझे सुबह जल्दी ही काम चाहिए. 7 बजे आ सकोगी क्या?’’ मैं ने खुश होते हुए पूछा.

‘‘आ जाऊंगी मैडम, बस 1 कप चाय तम को पिलानी पड़ेगी.’’

‘‘कोई बात नहीं, चाय का क्या है मैं 2 कप पिला दूंगी. लेकिन काम अच्छा करना पड़ेगा. अगर तुम्हारा काम साफ और सलीके का रहा तो कुछ देने में मैं भी पीछे नहीं रहूंगी.’’

‘‘तुम फिकर मत करो मैडम, मेरे काम में कोई कमी नहीं रहेगी. मैं अगर पैसा लेऊंगी तो काम में क्यों पीछे होऊंगी? पूरी कालोनी में पूछ के देखो मैडम, एक भी शिकायत नहीं मिलेगी. अरे, बंगले वाले तो इंतजार करते हैं कि सक्कू बाई मेरे घर लग जाए पर अपुन को जास्ती काम पसंद नहीं. अपुन को तो बस प्रेम की भूख है. तुम्हारा दिल हमारे लिए तो हमारी जान तुम्हारे लिए.’’

‘‘यह तो बड़ी अच्छी बात है बाई.’’

अब तक मैं उस के बातूनी स्वभाव को समझ चुकी थी. कोई और समय होता तो मैं इतनी बड़बड़ करने की वजह से ही उसे लौटा देती, लेकिन पिछले 15 दिनों से घर में कोई काम वाली बाई नहीं थी इसलिए मैं चुप रही.

उस के जाने के बाद मैं ने एक नजर पूरे घर पर डाली. सोफे के कुशन नीचे गिरे थे, पेपर दीवान पर बिखरा पड़ा था, सैंट्रल टेबल पर चाय के 2 कप अभी तक रखे थे. कोकिला और संदीप के स्लीपर हौल में इधरउधर उलटीसीधी अवस्था में पड़े थे. मुझे हंसी आई कि इतने बिखरे कमरे को देख कर सक्कू बाई बोल रही थी कि घर तो बड़े अच्छे से सजाया है. एक बार लगा कि शायद सक्कू बाई मेरी हंसी उड़ा रही थी कि मैडम तुम कितनी लापरवाह हो. वैसे बिखरा सामान, मुड़ीतुड़ी चादर, गिरे हुए कुशन मुझे पसंद नहीं हैं. लेकिन आज सुबह से कोई न कोई ऐसा काम आता गया कि मैं घर को व्यवस्थित करने का समय ही न निकाल पाई. जल्दीजल्दी हौल को ठीक कर मैं अंदर के कमरों में गई. वहां भी फैलाव का वैसा ही आलम. कोकिला की किताबें इधरउधर फैली हुईं, गीला तौलिया बिस्तर पर पड़ा हुआ. कितना समझाती हूं कि कम से कम गीला तौलिया तो बाहर डाल दिया करो और अगर बाहर न डाल सको तो दरवाजे पर ही लटका दो, लेकिन बापबेटी दोनों में से किसी को इस की फिक्र नहीं रहती. मैं तो हूं ही बाद में सब समेटने के लिए.

तौलिया बाहर अलगनी पर डाल ड्रैसिंग टेबल की तरफ देखा तो वहां भी क्रीम, पाउडर, कंघी, सब कुछ फैला हुआ. पूरा घर समेटने के बाद अचानक मेरी नजर घड़ी पर गई. बाप रे, 11 बज गए. 1 बजे तक लंच भी तैयार कर लेना है. कोकिला डेढ़ बजे तक स्कूल से आ जाती है. संदीप भी उसी के आसपास दोपहर का भोजन करने घर आ जाते हैं. मैं फुरती से बाकी के काम निबटा लंच की तैयारी में जुट गई.

दूसरे दिन सुबह 7 बजे सक्कू बाई अपने को समय की सख्त पाबंद तथा दी गई जबान को पूरी तत्परता से निभाने वाली साबित करते हुए आ पहुंची. मुझे आश्चर्यमिश्रित खुशी हुई. खुशी इस बात की कि चलो आज से बरतन, कपड़े का काम कम हुआ. आश्चर्य इस बात का कि आज तक मुझे कोई ऐसी काम वाली नहीं मिली थी, जो वादे के अनुरूप समय पर आती.

दिन बीतते गए. सक्कू बाई नियमित समय पर आती रही. मुझे बड़ा सुकून मिला. कोकिला तो उस से बहुत हिलमिल गई थी. सवेरे कोकिला से उस की मुलाकात नहीं होती थी, लेकिन दोपहर को वह कोकिला को कहानी सुनाती, कभीकभी उस के बाल ठीक कर देती. जब मैं कोकिला को पढ़ने के लिए डांटती तो वह ढाल बन कर सामने आ जाती, ‘‘क्या मैडम क्यों इत्ता डांटती हो तुम? अभी उम्र ही क्या है बेबी की. तुम देखना कोकिला बेबी खूब पढ़ेगी, बहुत बड़ी अफसर बनेगी. अभी तो उस को खेलने दो. तुम चौथी कक्षा की बेबी को हर समय पढ़ने को कहती हो.’’

एक दिन मैं ने कहा, ‘‘सक्कू बाई तुम नहीं समझती हो. अभी से पढ़ने की आदत नहीं पड़ेगी तो बाद में कुछ नहीं होगा. इतना कंपीटिशन है कि अगर कुछ करना है तो समय के साथ चलना पड़ेगा, नहीं तो बहुत पिछड़ जाएगी.’’

‘‘मेरे को सब समझ में आता है मैडम. तुम अपनी जगह ठीक हो पर मेरे को ये बताओ कि तुम अपने बचपन में खुद कितना पढ़ती थीं? क्या कमी है तुम को, सब सुख तो भोग रही हो न? ऐसे ही कोकिला बेबी भी बहुत सुखी होगी. और मैडम, आगे कितना सुख है कितना दुख है ये नहीं पता. कम से कम उस के बचपन का सुख तो उस से मत छीनो.’’

सक्कू बाई की यह बात मेरे दिल को छू गई. सच तो है. आगे का क्या पता. अभी तो हंसखेल ले. वैसे भी सक्कू बाई की बातों के आगे चुप ही रह जाना पड़ता था. उसे समझाना कठिन था क्योंकि उस की सोच में उस से अधिक समझदार कोई क्या होगा. मेरे यह कहते ही कि सक्कू बाई तुम नहीं समझ रही हो वह तपाक से जवाब देती कि मेरे को सब समझ में आता है मैडम. मैं कोई अनपढ़ नहीं. मेरी समझ पढ़ेलिखे लोगों से आगे है. मैं हार कर चुप हो जाती.

धीरेधीरे सक्कू बाई मेरे परिवार का हिस्सा बनती गई. पहले दिन से ले कर आज तक काम में कोई लापरवाही नहीं, बेवजह कोई छुट्टी नहीं. दूसरों के यहां भले ही न जाए, पर मेरे यहां काम करने जरूर आती. न जाने कैसा लगाव हो गया था उस को मुझ से. जरूरत पड़ने पर मैं भी उस की पूरी मदद करती. धीरेधीरे सक्कू बाई काम वाली की निश्चित सीमा को तोड़ कर मेरे साथ समभाव से बात करने लगी. वह मुझे मेरे सादे ढंग से रहने की वजह से अकसर टोकती, ‘‘क्या मैडम, थोड़ा सा सजसंवर कर रहना चाहिए. मैं तुम्हारे वास्ते रोज गजरा लाती हूं, तुम उसे कोकिला बेबी को लगा देती हो.’’

मैं हंस कर पूछती, ‘‘क्या मैं ऐसे अच्छी नहीं लगती हूं?’’

‘‘वह बात नहीं मैडम, अच्छी तो लगती हो, पर थोड़ा सा मेकअप करने से ज्यादा अच्छी लगोगी. अब तुम्हीं देखो न, मेहरा मेम साब कितना सजती हैं. एकदम हीरोइन के माफिक लगती हैं.’’

‘‘उन के पास समय है सक्कू बाई, वे कर लेती हैं, मुझ से नहीं होता.’’

‘‘समय की बात छोड़ो, वे तो टीवी देखतेदेखते नेलपौलिश लगा लेती हैं, बाल बना लेती हैं, हाथपैर साफ कर लेती हैं. तुम तो टीवी देखती नहीं. पता नहीं क्या पढ़पढ़ कर समय बरबाद करती हो. टीवी से बहुत मनोरंजन होता है मैडम और फायदा यह कि टीवी देखतेदेखते दूसरा काम हो सकता है. किताबों में या फिर तुम्हारे अखबार में क्या है? रोज वही समाचार… इस नेता का उस नेता से मनमुटाव, महंगाई और बढ़ी, पैट्रोल और किरोसिन महंगा. फलां की बीवी फलां के साथ भाग गई. जमीन के लिए भाई ने भाई की हत्या की. रोज वही काहे को पढ़ना? अरे, थोड़ा समय अपने लिए भी निकालना चाहिए.’’

सक्कू बाई रोज मुझे कोई न कोई सीख दे जाती. अब मैं उसे कैसे समझाती कि पढ़ने से मुझे सुकून मिलता है, इसलिए पढ़ती हूं.

एक दिन सक्कू बाई काम पर आई तो उस ने अपनी थैली में से मोगरे के 2 गजरे निकाले और बोली, ‘‘लो मैडम, आज मैं तुम्हारे लिए अलग और कोकिला बेबी के लिए अलग गजरा लाई हूं. आज तुम को भी लगाना पड़ेगा.’’

‘‘ठीक है सक्कू बाई, मैं जरूर लगाऊंगी.’’

‘‘मैडम, अगर तुम बुरा न मानो तो आज मैं तुम को अपने हाथों से तैयार कर देती हूं,’’ कुछ संकोच और लज्जा से बोली वह.

‘‘अरे नहीं, इस में बुरा मानने जैसी क्या बात है. पर क्या करोगी मेरे लिए?’’ मैं ने हंस कर पूछा.

‘‘बस मैडम, तुम देखती रहो,’’ कह कर वह जुट गई. मैं ने भी आज उस का मन रखने का निश्चय कर लिया.

सब से पहले उस ने मेरे हाथ देखे और अपनी बहुमुखी प्रतिभा व्यक्त करते हुए नेलपौलिश लगाना शुरू कर दिया. नेलपौलिश लगाने के बाद खुद ही मुग्ध हो कर मेरे हाथों को देखने लगी ओर बोली, ‘‘देखा मैडम, हाथ कित्ता अच्छा लग रहा है. आज साहबजी आप का हाथ देखते रह जाएंगे.’’

मैं ने कहा, ‘‘सक्कू बाई, साहब का ध्यान माथे की बिंदिया पर तो जाता नहीं, भला वे नाखून क्या देखेंगे? तुम्हारे साहब बहुत सादगी पसंद हैं.’’

मेरे इतना कहने पर वह बोली, ‘‘मैं ऐसा नहीं कहती मैडम कि साहबजी का ध्यान मेकअप पर ही रहता है. अरे, अपने साहबजी तो पूरे देवता हैं. इतने सालों से मैं काम में लगी पर साहबजी जैसा भला मानुस मैं कहीं नहीं देखी. मेरा कहना तो बस इतना था कि सजनासंवरना आदमी को बहुत भाता है. वह दिन भर थक कर घर आए और घर वाली मुचड़ी हुई साड़ी और बिखरे हुए बालों से उस का स्वागत करे तो उस की थकान और बढ़ जाती है. लेकिन यदि घर वाली तैयार हो कर उस के सामने आए तो दिन भर की सारी थकान दूर हो जाती है.’’

मैं अधिक बहस न करते हुए चुप हो कर उस का व्याख्यान सुन रही थी, क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरे कुछ कहने पर वह तुरंत बोल देगी कि मैं कोई अनपढ़ नहीं मैडम…

इस बीच उस ने मेरी चूडि़यां बदलीं, कंघी की, गजरा लगाया, अच्छी सी बिंदी लगाई. जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो गई तब उस ने मुझे छोड़ा. फिर अपना काम निबटा कर वह घर चली गई. मैं भी अपने कामों में लग गई और यह भूल गई कि आज मैं गजरा वगैरह लगा कर कुछ स्पैशल तैयार हुई हूं.

दरवाजे की घंटी बजी. संदीप आ गए थे. मैं उन से चाय के लिए पूछने गई तो वे बड़े गौर से मुझे देखने लगे. मैं ने उन से पूछा कि चाय बना कर लाऊं क्या? तो वे मुसकराते हुए बोले, ‘‘थोड़ी देर यहीं बैठो. आज तो तुम्हारे चेहरे पर इतनी ताजगी झलक रही है कि थकान दूर करने के लिए यही काफी है. इस के सामने चाय की क्या जरूरत?’’ मैं अवाक हो उन्हें देखती रह गई. मुझे लगा कि सक्कू बाई चिढ़ाचिढ़ा कर कह रही है, ‘‘देखा मैडम, मैं कहती थी न कि मैं कोई अनपढ़ नहीं.’’

Winter Special: थोड़ी सी लापरवाही दे सकती है बीमारियों को न्यौता

बरसात जाने और फिर ठंड के आने के बीच मौसम में जिस तरह का बदलाव होता है, वह कई तरह की बीमारियों को न्यौता देने का सबसे बड़ा कारण होता है. इस बदलते मौसम में स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही हमें बीमार करने के लिए काफी है. इस मौसम में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है. ऐसे में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारियां आपके घर दस्तक देने को तैयार रहती हैं. इनसे बचाव के लिए आपको काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता होता है. आज हम ऐसी ही कुछ बीमारियों तथा उनसे बचाव के बारे में आपको बताने जा रहे हैं-

डायरिया

शरीर में पानी की कमी से डायरिया रोग होता है. इसमें दस्त, पेशाब न आना, पेट में ऐंठन या तेजदर्द, बुखार और उल्टी आना जैसे लक्षण प्रदर्शित होते हैं. इससे सर्वाधिक खतरा बच्चों को होता है. समय पर इलाज न करने पर यह बीमारी आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है. इससे राहत मिलने पर भी एक हफ्ते तक उपचार करते रहना बेहद जरूरी है.

इससे बचने के लिए जरूरी है कि शरीर में पानी की कमी न होने दें. इलेक्ट्राल व ओआरएस घोल डायरिया का सबसे सस्ता व कारगर उपचार है. इसके अलावा फलों का रस नियमित रूप से लेते रहे. यह घरेलू उपचार करने के बाद भी यदि समस्या बढ़ती दिखे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

वायरल फीवर

यह वायरस के इंफेक्शन से होता है इसलिए इसे इन्फ्लूएंजा वायरस भी कहते हैं. जब शरीर में 100 डिग्री से ज्यादा बुखार और सर्दी-जुकाम, गले में दर्द के साथ बदन दर्द के लक्षण महसूस हों तो यह वायरल फीवर का संकेत होता है.

बचाव के लिए हमेशा भोजन करने से पहले व बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं. घर में और आसपास साफ-सफाई रखें. बीमार व्यक्ति से ज्यादा संपर्क न बनाएं क्योंकि यह वायरस से फैलने वाला रोग है. इसके अलावा छींकते समय मुंह पर रुमाल जरूर रखें.

डेंगू

एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू रोग होता है. डेंगू होने पर ठंड के साथ तेज बुखार महसूस होता है. इसके अलावा सिर, हाथ, पैर व बदन में तेज दर्द, उल्टी, जोड़ों में दर्द, दस्त व प्लेटलेट्स का अनियंत्रित रूप से घटना आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं.

डेगू से बचाव के लिए मच्छरदानी में सोएं. अपने घर के आसपास पानी जमा न होनें दें. खाली गमले, कूलर आदि को साफ रखें. जहां भी पानी जमा है वहां किरोसिन डाल दें या फिर कीटनाशक छिड़काव करें.

मैं अपनी नाराज दोस्त से दोबारा कैसे मिलूं?

सवाल-

कुछ महीनों पहले एक युवक से इंटरनैट के माध्यम से मेरी दोस्ती हुई. नैट पर चैटिंग के अलावा फोन पर भी हम दिन में कई बार बात करते हैं. अब तक वह मुझे काफी शरीफ और संजीदा युवक लगा पर एक दिन उस ने अचानक मुझे डिनर के लिए एक होटल में आमंत्रित किया तो मैं सन्न रह गई. मैं ने कहा कि दिन में कहीं मिल सकती हूं पर रात में और वह भी किसी होटल में नहीं. मेरे घर वाले इस की इजाजत नहीं देंगे. इस पर उस ने मुझे काफी भलाबुरा कहा कि मैं किस जमाने में जी रही हूं. ऐसी छोटी सोच रखने वाली लड़की से वह दोस्ती नहीं रख सकता वगैरहवगैरह. उस दिन से हमारी बात नहीं हुई है. मुझे उस की बहुत याद आती है. क्या उस की बात मान लूं? 

जवाब-

दोस्ती के बीच किसी प्रकार की शर्त या जिद नहीं आनी चाहिए. यदि आप के दोस्त को आप से मिलना था तो वह अपनी सुविधा को देखते हुए दिन में भी मिल सकता था. यदि वह इतनी सी बात के लिए आप से दोस्ती खत्म कर रहा है तो आप को इस अध्याय को यहीं बंद कर देना चाहिए. उस के आगे झुकने की जरूरत नहीं है. जहां तक उस की याद आने की बात है, तो वह समय के साथ धूमिल पड़ जाएगी.

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सोनिका सुबह औफिस के लिए तैयार हो गई तो मैं ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटी, आराम से नाश्ता कर लो, गुस्सा नहीं करते, मन शांत रखो वरना औफिस में सारा दिन अपना खून जलाती रहोगी. मैनेजर कुछ कहती है तो चुपचाप सुन लिया करो, बहस मत किया करो. वह तुम्हारी सीनियर है. उसे तुम से ज्यादा अनुभव तो होगा ही. क्यों रोज अपना मूड खराब कर के निकलती हो?’’

पूरी कहानी पढ़ने के लिए- जूनियर, सीनियर और सैंडविच: क्यों नाराज थी सोनिका

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अंतिम प्रहार: क्या शिवानी के जीवन में आया प्यार

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अमीरी का डर- भाग 2: खाई अंतर्मन की

मौडर्न, डिजाइनर लहंगाचुन्नी में वह किसी राजकुमारी जैसी लग रही थी, सब रस्में हुई थीं, गोयल दंपती ने इतने उपहार दिए थे कि वैशाली समेटतीसमेटती थक गर्ई थी, वैशाली को एक डायमंड नेकलेस दिया था, उसे अजीब लग रहा था, वह तो इतने दिन से कोर्ई खुशी महसूस नहीं कर पा रही थी, बहू की अमीरी का डर उस के दिल में बुरी तरह बैठ गया था, जो लड़की अपने घर में किचन में पैर नहीं रखती, जिस के एक बार कहने पर मातापिता ने यह रिश्ता कर लाखों रुपए आज सगाई में खर्च कर दिए, इतने लाड़प्यार में पली लड़की कैसे 4 कमरे के इस फ्लैट में उस के साथ एडजस्ट करेगी, वो तो किचन के सारे काम अपनेआप करती है, एक फुलटाइम मेड है, पर अगर मेड नहीं आती तो झाड़ूपोंछा, खाना भी खुद कर लेती है, अब अमीर बहू आएगी तो क्या होगा. वो बैठी रहेगी और वह सारे काम करती रहेगी, यह भी तो सहन नहीं होगा, फिर क्या होगा, उसे गुस्सा आएगा, घर में कलह होगा, महेश और विपिन तो औफिस चले जाएंगे, अंजलि भी तो इंजीनियर है, अभी तो कहती है, सोचा नहीं हैै क्या करेगी, मन करेगा तो अपने डैड का बिजनैस देखेगी, आज तो वह सगाई में अपने समधियों का वैभव देखती रह गई. उस के सारे परिचितों को अंजलि बहुत पसंद आई थी. अब तक विपिन भी आ चुका था, कितने ही खयालों में डूबतेउतरते उस की आंख लग गई थी.

अगले दिन से रोज के काम शुरू हो गए, साथसाथ शादी की तैयारियां भी, अंजलि अकसर वैशाली से मिलने आ जाती, वैशाली को अच्छा लगता, अपनी शौपिंग के बारे में बताती रहती. मि. गोयल ने एक फाइवस्टार होटल शादी के लिए बुक कर दिया था.

एक दिन अंजलि संडे को वैशाली से मिलने आई हुर्ई थी, कहने लगी, ‘‘आप को पता है मम्मा, मम्मी मुझे बारबार किचन में कुछ काम सीखने के लिए कह रही हैं, मैं किचन में जाती हूं, और फिर तुरंत निकल आती हूं, क्या करूं?’’ वहीं बैठे महेश और विपिन हंस पड़े, विपिन कहने लगा, ‘‘मां, आप का क्या होगा, इस के बस का तो कोई काम नहीं है.’’

वैशाली मन मार मुसकुरा दी, मन में गुस्सा तो तीनों पर आया, इसे कुछ नहीं आता तो हंसने की क्या बात है इस में.

विवाह का दिन आ गया, बहुत ही भव्य तरीके से विवाह संपन्न हुआ और अंजलि दुलहन बन कर घर आ गई, महेश और वैशाली के सारे रिश्तेदारों, पड़ोसियों, किट्टी मेंबरों को गोयल दंपती ने इतने भारी लिफाफे पकड़ाए कि महिलाएं तो कह उठी, ‘‘यह कहां की राजकुमारी आ रही है तुम्हारे घर, भई, नखरे उठाने के लिए तैयार हो जाओ.’’

सब मेहमान एकएक कर चले गए. अंजलि अपनी चीजें वैशाली को दिखा रही थी, हर चीज एक से एक महंगे ब्रांड की, अचानक अंजलि ने वैशाली के गले में बांहें डाल कर कहा, ‘‘मम्मा, आप ने मुझे जो भी चीजें दी हैं, मुझे वे सब से अच्छी लगी, थैंक्यू मम्मा.’’ वैशाली हंस पड़ी उस के भोले से चेहरे पर छाई चमक को देख कर.

अब महेश ने औफिस ज्वाइन कर लिया था, विपिन अभी छुट्टी पर था. विपिन आर अंजलि काफी देर में सो कर उठते. एक दिन महेश कहने लगे, ‘‘वैशाली, बच्चों को मत उठाना, उन के जीवन का यह अनमोल समय है, फिर तो जिम्मेदारियां आ जाती हैं, हम उन्हें डिस्टर्ब नहीं करेंगे,’’ फिर पूछा, ‘‘बच्चों का हनीमून पर जाने का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘मिसेज गोयल शायद उन्हें स्विट्जरलैंड भेजने की बात कर रही थी, पैसा है जहां चाहे भेजें बेटी को, आज दिन में पता करती हूं कि क्या प्रोग्राम है.’’

10 बजे के आसपास अंजलि और विपिन उठे. अंजलि ने ‘गुडमार्निंग मम्मा’ कहते हुए वैशाली के पैर छुए, तो वैशाली को बहुत अच्छा लगा, फिर अंजलि ने बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा, ‘‘मम्मा, मैं नहा कर आती हूं, नाश्ते में क्या है, बड़ी भूख लगी है.’’

पीछे से विपिन की आवाज आई, ‘‘मम्मामम्मा छोड़ो, नहा कर मां के साथ किचन में देखो कि नाश्ते में क्या है,’’ लेकिन अपनी नईनई बहू का मम्मामम्मा करना वैशाली के मन को तृप्त कर रहा था, लग रहा था एक बेटी है घर में, जिस पर उस का दिल अपार स्नेह लुटाने के लिए तैयार है. बेटी पाने की कसक मन में ही रह गई थी, जो अब बहू के मुंह से मम्मामम्मा सुनने पर पूरी होती हुई लग रही थी.

वैशाली ने बहूबेटे को प्यार से नाश्ता करवाते हुए पूछा, ‘‘बेटा, कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम है क्या?’’

जवाब अंजलि ने दिया, ‘‘मम्मा, अभी आप के साथ टाइम बिताएंगे, कुछ दिन बाद शायद कहीं जाएंगे.’’

इतने में मेड लतिका भी आ गई. वैशाली घर की साफसफाई करवाने लगी. अंजलि ने न्यूजपेपर उठा लिया. विपिन ने अंजलि को मां का हाथ बंटाने का इशारा किया, जिसे वैशाली ने देख लिया. वह कहने लगी, ‘‘रहने दो बेटा, मैं कर लूंगी.’’

अंजलि चहक उठी, बोली, ‘‘आई लव यू, मम्मा.’’

वैशाली को हंसी आ गई, कितनी सरस और सहज भी है यह लड़की, जो मन में आता है बोल देती है. इतने में अंजलि ने अपनी मम्मी को फोन मिला दिया था और वैशाली की तारीफों के पुल बांध दिए थे.

मई का महीना था. इस महीने में मुंबई में अधिकतर मेड छुट्टी पर गांव चली जाती हैं, उन की जगह थोड़े दिन काम करने के लिए दूसरी मेड तैयार नहीं होती, लतिका ने भी बताया कि वह जा रही है, वैशाली परेशान हो गई. महेश भी बोले, ‘दूसरी ढूंढ़ लेते हैं,’ वैशाली ने कहा, ‘‘मिलती कहां है आजकल, एक तो शादी के घर में मैं अभी सामान समेट नहीं पार्ई हूं, कैसे करूं सब.’’

महेश हंसे, ‘‘अब तो तुम्हारी बहू भी है हाथ बंटाने के लिए.’’

‘‘देख नहीं रहे हो उसे एक हफ्ते से, मम्मामम्मा सारा दिन करती है, लेकिन काम के समय या तो सो जाती है या मोबाइल पर चिपकी रहती है या फिर अपनी मम्मी से मिलने चली जाती है. और उसे तो कोई काम मुझ से कहा भी नहीं जाता, अपने घर में उसे कोई काम नहीं करना पड़ा. अब कैसे उसे इतनी जल्दी किचन में ले जाऊं.’’

लतिका चली गई, इस के दो दिन बाद ही वैशाली बाथरूम से जैसे ही नहा कर बाहर आई, फर्श भी शायद गीला था और पैर भी, बुरी तरह फिसली और चीख निकल गई. महेश औफिस जा चुके थे, विपिन अपनी कार से उसी समय मां को डाक्टर के यहां ले गया. अंजलि घर पर ही रुकी. वैशाली को दर्द में देख उस की आंखों से आंसू बह निकले, एक्सरे हुआ, स्लिपडिस्क की वजह से डाक्टर ने वैशाली को बेडरेस्ट बता दिया, तो पहले से दर्द में परेशान वैशाली और परेशान हो गई, लतिका भी छुट्टी पर थी, क्या होगा अब, वैशाली घर पहुंची तो अंजलि वैशाली के गले में बांहें डाल कर उसे पुचकारती हुई बोली, ‘‘डोंट वरी, मम्मा, मैं हूं न.’’

यह सुन कर विपिन हंसते हुए बोला, ‘‘तुम तो रहने दो.’’

अंजलि ने उसे घूरते हुए कहा, ‘‘मम्मा, आप बस आराम करो, मैं सब देख लूंगी.’’

वैशाली को इस दर्द में भी मन ही मन हंसी आ गई. सोचा, इसे कुछ और आता हो या न आता हो, अच्छी बातें करना आता है. अंजलि ने वैशाली को बेड पर लिटाया और कहा, ‘‘आप लेटो, मैं नाश्ता बना कर लाती हूं, फिर आप दवाई लेना.’’

विपिन ने कहा, ‘‘लेट जाओ मां, इस के बनाए नाश्ते के लिए अपनेआप को तैयार कर लो.’’

‘‘चुप रहो,’’ विपिन को कहती हुई अंजलि किचन में चली गई. थोड़ी देर में बड़ी अच्छी तरह से ट्रे सजा कर लाई, ‘‘मम्मा, नाश्ता.’’

अमीरी का डर- भाग 1: खाई अंतर्मन की

महेश बहुत देर से पता नहीं क्या सोचती हुई अपनी उदास सी पत्नी वैशाली का चेहरा देख रहे थे, वैशाली अपने ज्वैलरी बौक्स में अपनी चीजें रख रही थी, जब महेश से रहा नहीं गया, तो पत्नी को छेड़ते हुए बोले, ‘‘कहां खोई हो? अरे, नईनई डायमंड ज्वैलरी को देख कर भी कोई स्त्री इतनी उदास होती है क्या? आज तो तुम्हारा चेहरा खुशी से चमकना चाहिए, इकलौते बेटे की सगाई की है आज तुम ने. इतनी उदासी क्यों?’’

वैशाली कुछ बोली नहीं, चुपचाप अलमारी को ताला लगाया और सोने के लिए कपड़े बदलने चली गई, बेटा विपिन दोस्तों के साथ था उसे आने में देर थी. वैशाली सोने आई, महेश ने फिर पूछा, ‘‘क्या हुआ? थक गई क्या?’’

‘‘नहीं, ठीक हूं.’’

‘‘वैशाली, बहुत अच्छा प्रोग्राम रहा न आज? मन बहुत खुश है मेरा, कितनी अच्छी जोड़ी है विपिन और अंजलि की.’’

वैशाली ने बस ‘हूं’ कहा और आंखों पर हाथ रख लिया.
“चलो, अब सो जाओ, तुम शायद थक गई हो,” कह कर महेश ने लाइट बंद कर दी और सोने लेट गए.

वैशाली ने ठंडी सांस भर कर अंधेरे में आंखों से हाथ हटाया और पिछले दिनों के घटनाक्रम पर गौर करने लगी. विपिन की ही पसंद अंजलि से उस की सगाई आज एक शानदार होटल में हुई थी, विवाह दो महीने बाद मई में था, विपिन के साथ ही पहले इंजीनियरिंग फिर एमबीए किया था. अंजलि ने, सफल, धनी, बिजनैसमैन अनिल और राधागोयल की इकलौती बेटी अंजलि को वैशाली ने देखते ही बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था. गौर वर्ण, नाजुक सी, सुशिक्षित, सुंदर, स्मार्ट अंजलि को विपिन ने मातापिता से एक कौफी शौप में मिलवाया था, वैशाली की नजर में इस सवालों की जातिउम्र का कोई महत्व नहीं था, वैशाली का परिवार ब्राह्मïण था, अंजलि वैश्य परिवार से, जो था सब ठीक था. जब गोयल दंपती पहली बार इस रिश्ते के बारे में बात करने आए थे, वैशाली तो उन के सभ्य व्यवहार और शालीनता पर मुग्ध हो गई थी, इतने बड़े बिजनैसमैन, इतने विनम्र, हाथ जोड़ कर ही बात करते रहे थे, वैशाली को तो संकोच हो आया था, उसी समय बात पक्की हो गई थी और आज का दिन सगाई का तय हो गया था, उसी दिन बात पक्की होते ही अनिल ने महेश, वैशाली और विपिन के हाथ में एकएक भारी लिफाफा पकड़ाया तो महेश और वैशाली तो मना करते ही रह गए थे, लेकिन राधा ने हाथ जोड़ कर कहा था, ‘‘मना मत कीजिए, भाई साहब, हमारी एक ही बेटी है, सब उसी का तो है. और यह तो बस आज खुशी में एक छोटा सा तोहफा है, हमारे भी तो अरमान है.’’

वेबहुत मना करने पर भी नहीं माने थे और कहा था, ‘‘अगले संडे आप हमारा घर भी देख लीजिए. लंच साथ ही करेंगे.’’

उन के जाने के बाद जब लिफाफे खोले गए तो वैशाली तो हैरान बैठी रह गई, आज तो बात ही पक्की हुई है और इतना कैश. विपिन ने कहा था, ‘‘अरे मां, बहुत ज्यादा पैसा है उन के पास और अंजलि उन की इकलौती बेटी है, आप ने मांगा थोड़े ही है, जब वे अपनी मरजी से आप को जबरदस्ती दे कर गए हैं, तो आप क्या कर सकती हैं.’’

वैशाली ने कहा, ‘‘नहीं, यह तो कुछ ज्यादा ही है, अभी सगाई, शादी सब मौके हैं. और हमें उन से कुछ नहीं चाहिए, सबकुछ है हमारे पास.’’

‘‘मां, आप नहीं जानती, वे लोग बहुत रिच हैं, उन का घर चल कर देखना, अंदाजा हो जाएगा.’’

महेश हंसे, ‘‘वाह बेटा. लगता है, तुम ने कई चक्कर लगा रखे हैं घर के.’’

विपिन भी हंस पड़ा, ‘‘हां पापा, हम सब दोस्त एकदूसरे के यहां आतेजाते तो रहते हैं.’’

अगले संडे महेश, वैशाली और विपिन, गोयल विला पहुंच गए, बहुत बड़ा और खूबसूरत घर था, घर में हर काम के लिए नौकर थे, माली, कुक, मेड, ड्राइवर सब लाइन से खड़े थे, मुंबई में इस तरह का घर होना आम बात नहीं थी.

वैशाली के परिवार की माली हालत भी बहुत अच्छी थी, महेश एक मल्टीनेशनल कंपनी में उच्च पद पर थे, विपिन इंजीनियर था, लेकिन वैशाली ने महसूस किया कि गोयल परिवार का माली स्तर उन से बहुत ऊंचा है, बस यही होने वाली बहू की अमीरी का डर उस के दिल में ऐसा बैठा, जिस के बाद वह अब तक किसी क्षण का आनंद नहीं ले पाई थी.

राधा की देखरेख में बना कुक का बनाया बहुत स्वादिष्ठ लंच कर के जब उन के चलने का समय आया, तो गोयल दंपती ने फिर उन्हें अनगिनत महंगे उपहारों से लाद दिया था, जिसे उन के नौकर ने उन की कार में रख दिया था.

अनिल ने हाथ जोड़ कर कहा था, ‘‘रिश्ता पक्का होने के बाद आज आप पहली बार हमारे यहां आए हैं, खाली हाथ कैसे जाने देंगे आपको.’’ महेश और वैशाली का मना करना कोई काम नहीं आया था.

अब अंजलि वैशाली से मिलने आती रहती थी, हंसमुख, मिलनसार, अंजलि. ऐसी ही बहू की इच्छा थी वैशाली की, लेकिन इतनी अमीरी में पली लड़की शादी के बाद एडजस्ट कर पाएगी या नहीं, यह चिंता वैशाली को हर पल घेरे रहती.

सगाई की तैयारियां करनी थीं, फंक्शन बड़ा था और यह फंक्शन लड़के वालों की तरफ से होना था, वैशाली तैयारियों में व्यस्त हो गई थी, सगाई में पहनने वाली अंजलि की ड्रेस वैशाली को ही देनी थी, उस के होश उड़े हुए थे, मन ही मन सकुचाते हुए उस ने एक दिन अंजलि को फोन किया, ‘‘बेटा, आओ, मेरे साथ चल कर अपनी सगाई की ड्रेस खरीद लो.’’

अंजलि ने कहा था, ‘‘मम्मा, मैं दिल्ली जा रही हूं, वहीं बूआजी के साथ जा कर डिजाइनर ड्रेस खरीद लूंगी.’’

वैशाली ने अपना सिर पकड़ लिया था, मन में सोचा, अपनी बूआ के साथ जाएगी. वह बूआ जो दिल्ली में रहती है, करोड़पति है, ओह, उस का तो बजट सगाई में ही बिगाड़ देती ये लोग लेकिन प्रत्यक्षत: वह इतना ही कह पाई थी, ‘‘ठीक है बेटा, ले लेना.’’

तीन दिन बाद अंजलि ने दिल्ली से फोन किया था, ‘‘मम्मा, मैं बुटीक के बाहर खड़ी हूं, मैं आप का बजट पूछना तो भूल ही गर्ई थी.’’

वैशाली को कुछ अजीब सा लगा, बोली, ‘‘जो पसंद हो ले लो, बजट की क्या बात है.’’

अंधेरे में करवटें बदलती हुई वैशाली को आज याद आ रहा था कि कैसे वह परेशान घूमती रहती थी उस दिन जब तक अंजलि का फोन आ नहीं गया था, ‘‘मम्मा, ड्रेस ढाई लाख की है, आप कहें तो ले लूं.’’

यह सुन कर वैशाली को पसीने आ गए थे, ढाई लाख की ड्रेस मम्मा, व्हाट्सएप खो लो और देख लो. लेकिन मना भी कैसे करती, इस समय होने वाली बहू अपने अमीर रिश्तेदारों के साथ बुटीक में खड़ी है. कैसे नीचा देखे, अपने स्वर को सामान्य करती हुई बोली थी, ‘‘ मैं देख कर क्या करूंगी, जो पसंद हो ले लो.’’

“थैंक्यू मम्मा,” कहते हुए अंजलि ने फोन रखा था, वैशाली का मूड खराब हो गया था. शाम को जब महेश आए थे तो उस का चेहरा ही सब बता रहा था, पता चलने पर उन्होंने वैशाली को ही समझाया था, ‘‘दिल छोटा न करो, शादी का मौका है, बजट तो बनतेबिगड़ते रहते हैं, क्या हम अपनी बहू को उस की पसंद की ड्रेस नहीं दिलवा सकते, हमें भी तो कमी नहीं है किसी चीज की.’’

‘‘लेकिन, यह फिजूलखर्ची नहीं है? और भी तो खर्चे हैं.’’

‘‘तो क्या कर सकते हैं, तुम चिंता मत करो, सब खुशीखुशी हो जाने दो.’’

और आज सगाई के दिन जब अंजलि उस ड्रेस में तैयार हो कर आई तो सब देखते रह गए थे.

बरखा के भड़काने पर Anupama पर बरसेगी पाखी, प्रोमो वायरल

TRP चार्ट्स में पहले नबंर पर रहने वाला सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) टीवी के पॉपुलर शोज में एक हैं. हालांकि बीते दिनों पाखी की शादी के ड्रामे के कारण सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ को लोग पसंद करते दिखे. लेकिन अब मेकर्स ने पाखी के ड्रामे को नया ट्विस्ट देते हुए नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसके चलते शो में एक बार पाखी, अनुपमा की बेइज्जती करती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगी अनुपमा की आगे की कहानी…

बरखा के भड़काने पर पाखी करेगी ये काम

 

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हाल ही में मेकर्स ने शो का अपकमिंग प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें बरखा के भड़काने पर पाखी एक बार फिर अपनी मां को भला बुरा कहती दिख रही है. दरअसल, प्रोमो में बरखा, मां और बेटी के बीच फूट डालने के लिए पाखी को महंगा हार गिफ्ट करते हुए कहती है कि यह हार उसने अधिक की दुल्हन के लिए बनवाया था, लेकिन अब क्योंकि वह कपाड़िया एम्पायर की बहू होने के बावजूद उसकी शादी शाह हाउस में हो रही है तो वह कुछ नहीं कर सकती. बरखा की ये बात सुनकर पाखी, अनुपमा के पास जाएगी और कहती है कि जब अनुज उसकी ग्रैंड वेडिंग कराने के लिए राजी हैं तो उन्हें क्यों पेट में दर्द हो रहा है. वहीं खुद को कपाड़िया की बहू मानने की बात कहती दिख रही है, जिसे सुनकर अनुपमा हैरान रह जाती है.

 

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पाखी को मना करेगी अनुपमा

 

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सीरियल के लेटेस्ट एपिसोड की बात करें तो अनुपमा, अनुज को गैंड वेन्यु के लिए मना कर देती है, जिसपर पाखी का गुस्सा बढ़ जाता है और वह फिर अनुपमा से जबान लड़ाने लग जाती है. हालांकि अनुपमा उसे करारा जवाब देकर चुप करा देती है. दूसरी तरफ, बरखा, पाखी की बेइज्जती करने के लिए अधिक के दोस्तों का घर पर बुलाती है ताकि पाखी को नीचा दिखा सके.

शादी के 7 महीने में पेरेंट्स बने आलिया-रणबीर, शेयर किया पोस्ट

प्रैग्नेंसी को लेकर सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस आलिया भट्ट और एक्टर रणबीर कपूर पेरेंट्स बन गए हैं. मां बनने का इंतजार करने वाले फैंस को एक्ट्रेस के सोशलमीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बेटी के पैदा होने की जानकारी दी है. इसके अलावा पोती के जन्म की खुशी जाहिर करते हुए एक्ट्रेस नीतू सिंह का रिएक्शन सामने आया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बेटी के पेरेंट्स बनें आलिया-रणबीर

 

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फैंस के लिए पोस्ट शेयर करते हुए एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने लिखा, “और हमारी लाइफ की बेस्ट न्यूज कि हमारी बेटी आ गई है… वह एक मैजिकल बच्ची की तरह है. हम ऑफिशियली तौर पर प्यार मिल रहा है…ब्लेस्ड और ऑबसेस्ड पैरेंट्स…लव लव लव…आलिया और रणबीर”. एक्ट्रेस के इस पोस्ट पर बौलीवुड से लेकर टीवी सेलेब्स और फैंस अपना प्यार लुटाते हुए दिख रहे हैं. इसके अलावा दोनों के स्वस्थ रहने की शुभकामनाएं भी दे रहे हैं.

 

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आलिया भट्ट के मां बनने और नीतू कपूर (Neetu Kapoor Video) ने दादी बनने की खुशी मीडिया के सामने जाहिर की है. हाल ही में सोशमलीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें एक्ट्रेस से जब पूछा गया कि बिटिया आलिया या रणबीर में से किस पर गई है, तो उन्होंने बड़े प्यार से  कहा कि अभी तो वह बहुत छोटी है. इसलिए अभी तो कह नहीं सकती. वहीं आलिया की तबीयत के बारे में उन्होंने अपडेट देते हुए उन्होंने कहा कि वह एक दम फर्स्ट क्लास है.

 

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बता दें, एक्ट्रेस आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की शादी इसी साल यानी अप्रेल 2022 में हुई थी, जिसके कुछ ही महीने बाद एक्ट्रेस ने प्रैग्नेंसी की खबर फैंस को दी थी. वहीं शादी के अब 7 महीने बाद ही एक्ट्रेस ने बेटी को जन्म दिया है, जिसे लेकर लोग हैरान हैं और कह रहे हैं कि एक्ट्रेस आलिया भट्ट शादी से पहले प्रैग्नेंट थी. हालांकि इस पर एक्ट्रेस का कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है.

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