सवाल

मैं 35 वर्षीय विवाहिता हूं. पत्र पत्रिकाओं के पन्ने पलटते समय देखती हूं कि उन में प्राय: सैक्स टौनिकों को ले कर कई तरह के विज्ञापन छपते रहते हैं. क्या उन में किए गए दावे सचमुच सच होते हैं? उन से कैसे और क्या क्या लाभ मिल सकता है?

जवाब

अच्छा होता आप अपने सवाल के पीछे छिपे उद्देश्य के बारे में भी हमें खुल कर लिखतीं. क्या आप के पति शिश्नोत्थान से संबंधित किसी प्रकार की समस्या से गुजर रहे हैं या आप दोनों यों ही अपनी सैक्स लाइफ में कुछ ऐक्सपैरिमैंट करने के इच्छुक हैं?

बहरहाल, सचाई यह है कि अधिकांश सैक्स टौनिक मात्र विज्ञापन के जोर पर बिकते हैं, उन में कोई ऐसा औषधीय गुण नहीं होता कि व्यक्ति उन से लाभ पा सके. उन की कामयाबी का जादू मात्र उन से मिली मानसिक प्रेरणा होती है न कि अंदर आया कोई कैमिकल परिवर्तन. यह सोच कि दवा लेने से यौन सामर्थ्य बढ़ जाएगी, दवा की सफलता मात्र इसी से जुड़ी होती है.

दवा की जगह गोलीकैप्सूल में ग्लूकोज की पुडि़या बांध दी जाए और व्यक्ति को उस के प्रति विश्वास हो तो यह भी लाभकारी साबित होगी. सैक्स टौनिक बेचने वाली बहुत सी कंपनियां दवा की बोतल और गोलीकैप्सूल के पैक पर इसीलिए घोड़े और दूसरे चित्र भी लगा देती हैं ताकि ग्राहक का मन जीता जा सके. दरअसल, कमाल बोतल पर चिपके घोड़े के चित्र से ही होता है न कि गोलीकैप्सूल में बंधी दवा से.

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शबनम अकेले ही एक टेबल पर बैठ कर खाना खा रही थी और जावेद अलग टेबल पर. 5 सालों के बाद उन के चेहरों में कोई खास फर्क नहीं आया था.

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