अमेरिकी चुनाव सारी दुनिया के लिए चाहे कैसा भी तमाशा रहे, एक बात तो उन्होंने साबित कर दी कि अमेरिका में जितना भी भेदभाव हो, रेसिज्म हो, ऊंचनीच हो, एक औरत को बिना पूर्व राजनीतिक पहुंच के उप राष्ट्रपति पद पर पहुंचना संभव है.

भारत में भी इंदिरा गांधी ने राज किया है. लंबा राज किया है, पर ज्यादा बड़ी बात थी कि वे जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं, जो 50 साल तक भारतीय राजनीति पर छाए रहे थे. दक्षिण भारतीय मां श्यामला गोपालन की बेटी कमला हैरिस के पास न कोई ऐसा परिवार था और न ही उन का पति या ससुर राजनीति में हैं, जिन्होंने उन्हें उंगली पकड़ कर सिखाया हो.

अमेरिका और भारत दोनों के लोकतंत्र अब लड़खड़ा रहे हैं. विचारों की स्वतंत्रता, नैतिकता, बराबरी, उदारता, औरतों के अधिकार सब संकट में हैं. दोनों जगह अब धर्म का जम कर प्रभाव बढ़ रहा है. ऐसे में एक औरत जो भारतीय और नीग्रोयाई खून की पैदाइश हो नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कंधे से कंधा मिला कर चुनाव लड़ कर जीत पाई एक आश्चर्य है.

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पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को पुराने जमाने में धकेलने की पूरी कोशिश की थी. वे औरतों को दिखावे की और मनोरंजन की चीज समझते हैं. अगर कोई उन्हें खुश करे तो ही उस की कीमत है.

ट्रंप ने अमेरिका के गोरे नागरिकों का जम कर इस्तेमाल किया. उन को काले, लैटिनों, एशियाइयों से भिड़ने के लिए तैयार किया. अमेरिका और मैक्सिको के बीच सीमा पर एक दीवार बनवानी शुरू की ताकि यह जताया जा सके कि मैक्सिकन और दूसरे दक्षिण अमेरिकी जो गोरों, कालों और इस इलाके के मूल निवासियों के मिश्रित खून की कमला हैरिस की जीत और उन के राष्ट्रपति तक बन जाने के आसार हो जाना एक सुखद आश्चर्य है.

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