‘‘अरे हटोहटो मु?ो अंदर आने दो... नहीं उतरो आंटी, क्या यही एक ट्रेन है, जो अंतिम है, उतरो, उतर जाओ जगह नहीं है, दूसरी में चढ़ जाना 3 से 4 मिनट में एक लोकल ट्रेन आती है, फिर भी घर जाने की जल्दी में इसी में चढ़ना है...’’ ऐसी कहे जा रही थी, मुंबई की विरार लेडीज स्पैशल में एक युवा महिला, चढ़ने वाली 45 वर्षीय महिला को, जिसे हर रोज इसे सुनना पड़ता है, लेकिन घर का बजट न बिगड़े, इसलिए इतनी मुश्किलों के बाद भी वह जौब कर रही है, हालांकि कोविड के बाद उसे केवल 3 दिन ही औफिस आना पड़ता है, लेकिन इन 3 दिनों में औफिस आना भारी पड़ता है. कई महिलाएं भी उस दबंग महिला की हां में हां मिला रही थीं और उस महिला को उतरने के लिए कह रही थीं.

अबला नहीं सबला है यहां

यहां यह बता दें कि विरार लेडीज स्पैशल रोज चर्चगेट से चल कर हर स्टेशन पर रुकती हुई विरार पहुंचती है, लेकिन उतरने वालों से चढ़ने वालों की संख्या हमेशा अधिक रहती है. गेट के एक कोने में खड़ी महिला गोरेगांव उतरने का इंतजार कर रही थी, लेकिन वह मन ही मन सोच रही थी कि क्या वह उतर पाएगी क्योंकि इस विरार लेडीज स्पैशल में बोरीवली तक की किसी महिला यात्री को चढ़ने या उतरने नहीं दिया जाता क्योंकि बोरीवली लेडीज स्पैशल है, इसलिए विरार महिलाओं के कई गैंग, जो इस बात का इतमिनान करते हैं कि बोरीवली तक उतरने वाली कोई महिला इस ट्रेन में चढ़ी है या नहीं.

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