अ भिनेत्री राजश्री देशपांडे अभिनय के क्षेत्र में डंका बजाने के साथ ही महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त गांव पांधरी में जलसंरक्षण की व्यवस्था कर पूरा वर्ष पानी की सहूलियत मुहैया कराते हुए इस गांव में 1 नहर, 200 शौचालय और स्कूल आदि का निर्माण करवा कर इसे एक समृद्ध गांव बना दिया. तो अब वह दूसरे गांव में काम कर रही है.

हाल ही में उन्हें ‘जलसंरक्षण’ के लिए पुरस्कृत भी किया गया. 2018 में उन्होंने ‘नभांगण फाउंडेशन’ की स्थापना की. कोविड-19 व लौक डाउन के वक्त 30 गांवों में राजश्री देशपांडे ने काम किया.

प्रस्तुत हैं, उन से हुए सवालजवाब:

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?

मेरी मां का नाम सुनंदा और पिताजी का बलवंत है. मुझ से बड़ी मेरी 2 बहनें हैं. मेरे मातापिता औरंगाबाद में एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. मेरे पिताजी भी किसानी करते थे, पर हमारी जमीन चली जाने के बाद मेरे पिता ने औरंगाबाद शहर में आ कर काम करना शुरू किया.

हमारे मातापिता ने कई तरह के हालात से गुजरते हुए हम 3 बहनों का पालनपोषण किया है. हमें बड़ा करना, उचित शिक्षा दिलाना, इस के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की. मैं उन के संघर्ष को कभी नहीं भुला सकती. मेरी सब से बड़ी बहन डाक्टर और वकील हैं. इन दिनों वे एक इंश्योरैंश कंपनी में कार्यरत हैं. मेरी बीच वाली बहन ने इंजीनियरिंग की है.

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मैं ने पुणे के सिंबौसिस लौ स्कूल से वकालत की डिगरी हासिल करने के बाद ‘सिंबौसिस इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी से एडवरटाइजिंग में परा स्नातक की डिगरी हासिल की. कुछ समय बाद मैं ने मुंबई के ‘व्हिशलिंग वूड्स इंटरनैशनल’ से फिल्म मेकिंग में डिप्लोमा हासिल किया. पूरे 16 सालों से बाहर ही घूम रही हूं. मेरे पति नवदीप पुराणिक नौकरी कर रहे हैं और हमारा वैवाहिक जीवन काफी सुखद चल रहा है.

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