Beauty vs Intelligence : कई लड़कियां कम सुंदर होने की वजह से हीन भावना से ग्रस्त हो जाती हैं कि हम लोगों की पसंद की दौड़ में कहीं हैं ही नहीं और हमें इस दौड़ में शामिल भी नहीं होना. वे अपने पर बिलकुल ही ध्यान देना बंद कर देती हैं जिस की वजह से उन्हें हर जगह रिजैक्शन मिलती है और उस का कारण उन की सुंदरता नहीं, बल्कि उन की अपनी सोच है जिस वजह से उन्हें लगता है कि हमें तो कुछ करने की जरूरत नहीं है, हम जैसे हैं लोग हमें वैसे ही पसंद करें. आइए, जानें इस सोच से कैसे बाहर निकलें...

रिजैक्टेड क्यों समझती हैं

जहां एक तरफ सुंदर लड़कियां अपनी ब्यूटी को और भी अधिक चमकाने के लिए रोजरोज ब्यूटी पार्लर और शौपिंग मौल के चक्कर लगाती नहीं थकतीं, वहीं दूसरी तरफ कई बार देखने में आता है कि जो कम सुंदर लड़कियां होती हैं उन्हें लगता है कि हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे और सुंदर लड़कियों से हम कहीं मुकाबले में नहीं हैं. इसलिए वे अपनेआप को पहले ही हारा हुआ मान कर बैठ जाती हैं.

लोगों से खुद के बारे में कई तरह के कमैंट्स सुनती हुए वे बड़ी होती हैं. जैसे,"अरे देखो, इस का रंग कितना काला है. यह तो कुछ भी लगा लें काली ही रहेंगी". कोई कहता है,"इस के फीचर्स और इस का डीलडौल इतना बेकार है कि इस पर तो कुछ जंचता ही नहीं है," वगैरह.

ये सब बातें इस तरह की थोड़ी कम सुंदर लड़कियां अपने मन में कुछ इस तरह बैठा लेती हैं कि उन का खुद पर तवोज्जो देना, खुद से प्यार करना खुद को परखना लगभग खत्म ही हो जाता है. ये लड़कियां जब किसी जौब के लिए इंटरव्यू देने जाती हैं या फिर शादी के लिए किसी लड़के से मिलने जाती हैं तो पहले से ही खुद को रिजैक्टेड मान कर जाती हैं.

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