कोरोनाकाल ऐसा समय है, जिस की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. कोरोना वायरस का कहर इस प्रकार बरपा है कि मनुष्य जिसे सामाजिक प्राणी कहा जाता है, उसे ही समाज से दूरी बना कर रहना पड़ रहा है. यह ऐसा समय है जब समस्याएं भी नईनई हैं, तो उन के समाधान भी. कोरोना अभी इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है. इसलिए कोरोनाकाल में लिए जा रहे कुछ फैसले भी अब लंबे समय तक साथ रहेंगे.

एक नजर डालते हैं विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे उन बदलावों पर जो आने वाले भविष्य में जीवन का अभिन्न अंग बनने वाले हैं.

डिजिटल क्रांति

लौकडाउन के समय विभिन्न क्षेत्रों में इंटरनैट पर निर्भरता बहुत बढ़ गई है. कंप्यूटर, लैपटौप, मोबाइल फोन जीवन के अहम अंग बन कर सामने आए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लौकडाउन के दौरान इंटरनैट के प्रयोग में 13% की बढ़ोतरी हुई है.

नए धारावाहिकों की शूटिंग न होने से टीवी पर पुराने कार्यक्रम दोहराए जा रहे हैं. इस कारण मनोरंजन के लिए लोग इंटरनैट का सहारा ले रहे हैं. लगभग 1.5 करोड़ लोगों का नैटफ्लिक्स से जुड़ जाना इंटरनैट पर लोगों की निर्भरता दर्शाता है.

शिक्षा के क्षेत्र में औनलाइन क्लासेज की शुरुआत हुई है. शिक्षाविदों का मानना है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति अब दूर की बात नहीं है. भविष्य में इस बात पर विचारविमर्श कर शिक्षण का कुछ भाग कक्षा में तो कुछ औनलाइन करवाया जा सकता है.

इन दिनों विभिन्न कार्यालयों के अधिकतर कर्मचारी वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. प्राइवेट और सरकारी दोनों ही दफ्तरों में बैठकें गूगल हैंगआउट और जूम जैसे ऐप्स पर हो रही हैं. केंद्र व राज्य सरकारों के मंत्रियों की आपसी मीटिंग्स तथा विभिन्न इलाकों पर नजर रखने का कार्य भी औन लाइन किया जा रहा है. वीडियो कौन्फ्रैंसिंग का यह रूप एक सीमा तक भविष्य में भी अपनाया जाएगा. कार्यालयों में आए दिन की मीटिंग्स में खानेपीने व कर्मचारियों के ठहरने की व्यवस्था में काफी खर्च हो जाता था.

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