नशे में गाड़ी चलाना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि इस से जानमाल का खतरा भी बढ़ जाता है. देश में आए दिन बेलगाम वाहनों से लोगों की जानें जाती रहती हैं और आश्चर्य की बात यह कि ऐसे हादसों में नाबालिगों का लिप्त होना चिंताजनक है.

देश में किसी नाबालिग का अपराधिक घटना में लिप्त होने के बाद भी कोई कङा कानून नहीं है और शायद यही वजह है कि वे बेखौफ जुर्म करते जाते हैं.

पुणे में क्या हुआ हाल ही में ऐसा ही एक मामला पुणे में आया, जिस में 17 वर्षीय एक किशोर ने अपने पिता की पोर्शे कार से नशे में धुत्त होने के बाद 2 इंजीनियर को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि दोनों की ही मौके पर मौत हो गई.

किशोर का पिता रियल ऐस्टेट ऐजेंट है, जिस ने जानकारी मिलने के बाद भाग निकलने की तैयारी कर ली थी लेकिन पुलिस ने आरोपी के पिता को पकड़ लिया.

पुणे पुलिस ने नाबालिग के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 और मोटर व्हीकल ऐक्ट की अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है. इस के साथ ही पुलिस ने नाबालिग के पिता के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत रिपोर्ट दर्ज की है.*

क्या कहता है कानून

नाबालिग के गाड़ी चलाने को ले कर आरटीओ द्वारा बनाए गए नए ड्राइविंग नियमों के तहत नाबालिग के पिता पर न सिर्फ ₹25 हजार तक का चालान किया जा सकता है, अगर ऐसे केस में किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होती है तो फिर पिता को जेल भी हो सकती है.*

दुखद पहलू

मगर इस केस का दुखद पहलू यह है कि आरोपी को जो सजा मिली इस से लोगों में आक्रोश बढ़ गया. किशोर को 15 घंटे के बाद ही जमानत मिल गई और सजा के तौर पर 15 दिनों के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने को कहा गया और पूरे हादसे पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया.

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