Female Relatives: आज के दौर में जहां परिवार छोटे होते जा रहे हैं, वहीं अकेलापन और तनाव बढ़ता जा रहा है. रिश्तेदारों से अपनापन बनाए रखना केवल सामाजिक कर्तव्य नहीं, एक भावनात्मक निवेश है खासकर महिला रिश्तेदारों से अच्छा संबंध बच्चों के लिए सुरक्षाकवच का काम कर सकता है. जीवन का भरोसा नहीं लेकिन रिश्तों की मजबूती आप के बच्चों को अकेलेपन और असुरक्षा से जरूर बचा सकती है.
रिश्तों का दायरा सीमित न रखें
अकसर महिलाएं ससुराल और मायके के बीच बंटी रहती हैं और अपने रिश्तों को केवल औपचारिकता तक सीमित कर लेती हैं. मगर अगर हम अपने रिश्तेदारों से दिल से जुड़ें, त्योहारों में मिलें, आम दिनों में बात करें, बच्चों को उन के पास भेजें तो ये रिश्ते गहराते हैं. ताई, चाची, मामी, मौसी ये सिर्फ रिश्ते नहीं, एक नैटवर्क है. ये रिश्तेदार हमारे बच्चों के लिए ‘मां जैसी’ दूसरी छाया बन सकते हैं. अगर हम उन के साथ आज प्रेम, सम्मान और सम झदारी का रिश्ता बनाएंगे तो कल वे बिना ि झ झक हमारे बच्चों की मदद करेंगी.
अपने व्यवहार से दिल जीतें, अधिकार जता कर नहीं
रिश्तों में अधिकार से ज्यादा अपनापन और समझ जरूरी होती है. ताई या मामी अगर किसी बात पर सलाह दें तो उसे तुरंत टालने के बजाय सुनें. जब हम दूसरों की इज्जत करते हैं तो वही इज्जत हमारे बच्चों को भी मिलती है.
बच्चों को भी इन रिश्तों से जोड़ें
बच्चों को सिर्फ मम्मीपापा तक सीमित न रखें. उन्हें मौसी के घर भेजिए, मामी के हाथ का खाना खिलाइए, चाची की कहानियां सुनाई ताकि एक भावनात्मक जुड़ाव बने.
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