एक महिला अपने पति के साथ अल्ट्रासाउंड सैंटर पहुंचती है. डाक्टर उस का चैकअप कर कहता है कि घर जा कर आराम कीजिए, चिंता की कोई बात नहीं है. खूब फल खाएं और समयसमय पर चैकअप कराती रहें.

महिला और उस का पति इस के बाद भी आंखों में कुछ सवाल लिए डाक्टर के सामने खड़े रहते हैं. डाक्टर उन की ओर देख मुसकरा कर कहता है कि बाहर राम का फोटो लगा है, उसे जा कर प्रणाम कर लो.

डाक्टर के यह कहने पर महिला और उस का पति मुसकराते हैं. दोनों की आंखों में चमक आ जाती है. खुशी के मारे वे राम के फोटो को सिर झुका कर प्रणाम करते हैं. उस के बाद दोनों डाक्टर साहब के भी पांव छू कर आशीर्वाद लेते हैं. तभी महिला अपने पति से कहती है, ‘‘अरे, डाक्टर साहब ने इतनी बड़ी खुशखबरी सुनाई है. जाइए, मिठाई ले कर आइए.’’ थोड़ी ही देर में डाक्टर साहब के सामने मिठाई के कई पैकेट आ जाते हैं.

उस सैंटर के बाहर दर्जनों महिलाओं और उन के परिवार वालों की भीड़ लगी है. ज्यादातर गर्भवती महिलाएं हैं. वे अपनी बारी के इंतजार में बैठी हैं. कुछ गलियारे में टहल रही हैं.

डाक्टर के कमरे का दरवाजा खुलने पर हर निगाह उस ओर उठ जाती है कि कहीं उस का नंबर तो नहीं आया. हर कोई बेचैनी में है. क्लीनिक से बाहर निकलने वाली हर औरत के चेहरे को देख कर पता चल जाता है कि किसे ‘खुशी’ मिली है और किसे ‘गम’.

कुछ समय के बाद एक और गर्भवती महिला जांच के लिए जाती है. अल्ट्रासाउंड जांच के बाद डाक्टर उस से कहता है, ‘‘ठीक है, उठ जाएं. अपने कपड़े ठीक कर लें.’’

महिला सवालिया निगाहों से डाक्टर को देखती है तो डाक्टर कहता है, ‘‘बाहर, सीता का फोटो लगा है, उसे प्रणाम कर लो.’’

महिला के चेहरे पर उदासी छा जाती है. आंखों में आंसू छलक आते हैं. महिला का पति डाक्टर से कहता है, ‘‘एक बार फिर से चैक कीजिए न डाक्टर साहब. कहीं मशीन में कुछ खराबी न हो.’’

डाक्टर गुस्से में कहता है, ‘‘हम इतने सालों से यह काम कर रहे हैं, एक बार जो कह दिया वह कह दिया. सीता को प्रणाम कर लो और बाहर निकलो.’’

महिला डाक्टर से फिर से एक बार जांच करने की विनती करती है तो डाक्टर गुस्से से कहता है, ‘‘अपना और मेरा समय बरबाद न करें. बाहर कई मरीज लाइन में लगे अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.’’

महिला और उस का पति मुंह लटकाए क्लीनिक से बाहर आ जाते हैं. उस के बाद दूसरी महिला जांच के लिए भीतर जाती है. इस तरह यह सिलसिला लगातार जारी रहता है.

मोटी रकम वसूली जाती है

बिहार के वैशाली जिले के हैडक्वार्टर हाजीपुर के सुभाष चौक इलाके के मंगलम अल्ट्रासाउंड सैंटर में पिछले साल दिल्ली से आई केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की जांच और निगरानी कमेटी की टीम ने छापा मारा. छापेमारी में इस बात का खुलासा हुआ कि उस क्लीनिक में बच्चे के जन्म से पहले उस के लिंग की जानकारी दी जाती है और उस के ऐवज में मोटी रकम वसूली जाती है. अल्ट्रासाउंड जांच में लड़के का पता चलने पर ‘राम’ के फोटो को प्रणाम करने के लिए कहा जाता है, तो लड़की होने का पता चलने पर ‘सीता’ के फोटो को. इस फंडे से डाक्टर बगैर अपने मुंह से कहे ही लड़का और लड़की के बारे में बता देता. इसी तरह का गोरखधंधा बिहार के कई अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों में धड़ल्ले से चल रहा है और स्वास्थ्य महकमा कान में रूई डाले सोया है.

इस अल्ट्रासाउंड क्लीनिक के बारे में कई शिकायतें मिलने पर केंद्रीय जांच टीम हाजीपुर पहुंची थी और उस ने हकीकत का पता लगाने के लिए रेणु नाम की एक महिला को उस क्लीनिक में भेजा था. टीम को यह देख कर काफी हैरानी हुई कि हाजीपुर में 2 किलोमीटर के दायरे में

50 से भी ज्यादा अल्ट्रासाउंड क्लीनिक हैं. गौरतलब है कि देश भर में अल्ट्रासाउंड जांच के जरीए जन्म से पहले मानव भ्रूण का लिंग बताने का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है. अल्ट्रासाउंड जांच का रेट 600 से 1,200 तक है और 2 हजार से 4 हजार से भी ज्यादा ले कर पीएनडीटी ऐक्ट- 1994 को ठेंगा दिखा कर भ्रूण के लिंग बताने का धंधा चल रहा है.

जरूरी है जागरूकता

राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में ढाई लाख गर्भवती महिलाओं ने गर्भपात कराया. मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले में सब से ज्यादा गर्भपात कराए गए. महकमा इस बात की जांच कर रहा है कि अल्ट्रासाउंड कराने के बाद कितनी महिलाओं ने गर्भपात कराया. पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के रेडियोलौजिस्ट डाक्टर ब्रजनंदन प्रसाद कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे की हालत या पेट से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी होता है. माना कि इस का गलत इस्तेमाल रोकना सरकार और कानून से जुड़ा मसला है, लेकिन बेटे और बेटियों में फर्क करने वालों को भी जागरूक बनाना जरूरी है.

पटना की डाक्टर किरण शरण कहती हैं कि हर महिला और उस के परिवार वाले चाहते हैं कि पहला बच्चा लड़का ही हो. जिसे पहली बार लड़की हो जाती है तो वह चाहता है कि दूसरा बच्चा लड़का ही हो. लड़के की चाह में ही लड़कियों के भ्रूण की हत्या कर दी जाती है. कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है. इस का हल कानून की लाठी से नहीं किया जा सकता है. इस के लिए शहरों से ले कर गांवों तक जागरूकता मुहिम चलाने की जरूरत है. बेटे की चाह में कन्या भ्रूण हत्या के मामले कई कड़े कानूनों के बाद भी नहीं रुक सके हैं.

सख्ती से रोक लगे

समाजसेवी अनिता सिन्हा कहती हैं कि 1 हजार मर्दों पर 933 औरतों का होना समाज और परिवार के लिए चिंता का मामला है. भ्रूण हत्या पर सख्ती से रोक लगाना बहुत जरूरी हो गया है. अगर हम अब भी नहीं चेते तो समाज में खतरनाक स्तर तक असंतुलन बढ़ सकता है.

बिहार में जन्म से पहले भ्रूण की लिंग जांच के बहाने कई अल्ट्रासाउंड क्लीनिक चलाने वाले कानून को ठेंगा दिखा कर मोटी कमाई कर रहे हैं. इतना ही नहीं, ज्यादातर अल्ट्रासाउंड क्लीनिक लाइसैंस का बिना नवीनीकरण कराए धड़ल्ले से चल रहे हैं. लगातार कई शिकायतें मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमे की नींद खुली और अल्ट्रासाउंड सैंटरों की जांच के लिए 9 टीमें बनाई गई हैं. स्वास्थ्य महकमे से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में कुल 2021 रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड सैंटर हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच टीम ने 2012 में पटना में भी 2 अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर छापा मारा था. पटना के मौर्या ऐक्सरे ऐंड अल्ट्रासाउंड प्राइवेट लिमिटेड की मशीनें जब्त कर ली गई थीं और क्लीनिक को सील कर दिया गया था. टीम ने जांच में पाया था कि वहां रोज 12 से 15 गर्भवती औरतों का अल्ट्रासाउंड होता था, जबकि रिकौर्ड में सिर्फ 2-3 को ही दर्ज किया जाता था. वहीं पटना के ही फोर्ड हौस्पिटल की जांच में पाया गया कि अल्ट्रासाउंड करने को ले कर कई तरह की गड़बडि़यां की जाती हैं. वहां न तो औथराइज्ड डाक्टर थे और न ही फार्म एफ को भरवाया जाता था. उस फार्म में अल्ट्रासाउंड जांच कराने वाले की पूरी जानकारी दर्ज होती है. महीने भर में कितने लोगों का टैस्ट होता है और किसकिस तरह के मरीज आते हैं, इस का कोई रिकौर्ड नहीं था.       

अल्ट्रासाउंड सैंटरों का स्कैनिंग

कानून को ठेंगा दिखाने वाले अल्ट्रासाउंड सैंटर करारे नोटों की चमक से चुंधिया कर अपना गोरखधंधा चला रहे हैं. चंद रुपयों की वजह से कन्या भ्रूण हत्या का खुला खेल चल रहा है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव कहते हैं कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई करेगी. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे. राज्य के सभी अल्ट्रासाउंड सैंटरों की जांच शुरू की गई है. जांच टीम यह पता करेगी कि अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर ट्रेंड डाक्टर और मुलाजिम हैं या नहीं? सैंटरों पर जन्म के पहले लिंग जांच न होने का पोस्टर लगा है या नहीं? सैंटरों के पास लाइसैंस है या नहीं? लाइसैंस का नवीनीकरण कराया गया है या नहीं? अल्ट्रासाउंड कराने से पहले मरीज की पूरी जानकारी फार्म एफ में भरवाई जाती है या नहीं? जांच के लिए 9 टीमें बनाई गई हैं और उन में कुल 27 अफसर हैं. 2 महीने के भीतर टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. उस के बाद गैरकानूनी तरीके से चलने वाले और गैरकानूनी कामों में शामिल होने वाले अल्ट्रासाउंड सैंटरों को सील कर दिया जाएगा और उन के संचालकों को जेल भेजा जाएगा.

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