Hypersensitive: शाम का समय था. मौसम भी एकदम अनुकूल और सही था. शुचि अपने कुछ परिचितों के साथ बैठी थी. बढि़या गपशप चल रही थी. तभी अचानक शुचि किसी बात पर जोरजोर से बहस करने लगी. सभी ने विषय को बदलने की कोशिश भी की, मगर शुचि जैसे तैश में ही आ गई थी. वह हाथपैर भी हिलाने लगी और तीखी आवाज में बोलने लगी. बाकी लोग बिलकुल नहीं चाहते थे कि ऐसी बहस आगे तक चले.
मगर शुचि का जब तक मन नहीं भरा तब तक वह बोलती ही रही. सब का मन कसैला सा हो गया था. अभी तक जो इतना बढि़या माहौल बना हुआ था. सब पर जैसे पानी फिर गया. उधर शुचि का हाल भी कोई खास अच्छा नहीं था. उस का अचनक रक्तचाप बढ़ गया. उसे उसी समय अपनी चिकित्सक से सलाह लेने जाना पड़ा.
वास्तव में शुचि जैसी परिचितों के कारण कई बार अच्छीभली स्थिति अचानक असहनीय हो जाती है. दरअसल, जो लोग हाइपरसैंसिटिव होते वे किसी की भी बात को गहराई तक महसूस कर के दूसरों से गुस्सा हो जाते हैं या अपने साथ औरों को भी लंबे समय तक टैंशन में रखते हैं. इस तरह के लोग प्राय: तर्कशील, विवेकशील होते हैं. उन के इस व्यवहार के लिए उन के भीतर का जींस जिम्मेदार होता है.
इस पर दुनियाभर के मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि हर व्यक्ति के व्यक्तित्व का आधा हिस्सा उसे अपने जींस से हासिल होता है. इस तरह का जींस कई लोगों में पाया जाता है, जिस से वे अतिरिक्त संवेदनशील होते हैं. लेकिन इन की संवेदनशीलता कई बार दूसरों की अच्छी मानसिकता पर भी भारी पड़ जाती है.
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