अहमदाबाद में भारतपाकिस्तान वर्ल्ड कप क्रिकेट मैच में भारत की जीत कुछ ही ओवरों के बाद साफ  होने लगी थी और पता लग रहा था कि पाकिस्तानी खिलाडि़यों की हिम्मत टूट चुकी है पर फिर भी जिस तरह वहां नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारतीय दर्शक ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा कर पाकिस्तानी खिलाडि़यों को चिढ़ाने लगे उस से साफ था कि जो काम जुलाई, 1971 में सेना के जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में जुल्फीकार अली भुट्टो की सरकार का तख्ता पलटने के बाद किया, यहां शुरू हो चुका है और सरकार के मंसूबे, आम आदमी की सोच खासतौर पर उस आदमी की जो महंगे स्टेडियम में हजारों के टिकट खरीद कर जा सकता है, खराब हो चुकी है.

पाकिस्तान भारत से काफी साल दो कदम आगे रहा है जबकि उसे पार्टीशन में सिंध का रेगिस्तान, ब्लूचिस्तान की पहाडि़यां और पूर्वी बंगाल के दलदल भरे इलाके मिले थे.

जिया उल हक ने वही किया जो अब हमारे यहां हो रहा है. नकली मुकदमों से विरोधी दलों के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया. जुल्फीकार अली भुट्टो पर एक विरोधी की हत्या का आरोप लगा कर उसे फांसी की सजा दिलवा दी. 9 साल में संविधान, जो बना ही मुश्किलों से था और जिस में वैसे ही धर्म की बात ज्यादा थी, आम लोगों के हकों की कम, इस के एकएक कर के चिथड़े कर दिए. इस संविधान की डिजाइन में अनेक छेद थे, जिस के जिया उल हक ने चिथड़ेचिथड़े कर दिए.

जिया उल हक ने अपने राज में इसलामी कानून की कट्टरता लागू कर डाली. देश का विनाश शुरू हो गया और अब 50 साल बाद पता चल रहा है कि वह क्या कर गया था.

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