"ममा, लेकिन आप यह कैसे कह सकती हो कि आजकल के बच्चे पेरेंट के प्रति गैर जिम्मेदार हैं. किसी को चाहने का मतलब यह तो नहीं कि बच्चे पेरेंट के प्रति जिम्मेदार नहीं! ये उनकी जिंदगी का एक हिस्सा है, पेरेंट अपनी जगह हैं!"

"पेरेंट को जिन बातों से दुख पहुंचता है बच्चे वहीं करें और कहें कि वे जिम्मेदार हैं !"

"ममा पेरेंट के पसंद नापसंद पर क्या बच्चे खुद को वार दें? पेरेंट को भी हर वक्त अपनी पसंद नापसंद बच्चों पर थोपनी नहीं चाहिए न!"

"अभी तूने अपनी जिस सहेली की बात की, उसी की सोचो- उन्नीस साल की लड़की और लड़का भी उन्नीस साल का, पेरेंट ने उन्हें बड़े उम्मीदों से होस्टल भेजा कि पढ़कर वे करियर बनाएं. अब दोनों अपने पेरेंट से झूठ बोलकर अलग फ्लैट में साथ रह रहे हैं. कोर्स किसी तरह पूरा कर भी लें अगर लेकिन दिल दिमाग के भटकाव की वजह से क्या बढ़िया करियर बन पाएगा उनका? उम्र का ये आकर्षण एक पड़ाव के बाद जिंदगी के कठिन संघर्ष के सामने हथियार डालेगा ही, उस वक़्त बीते हुए ये साल बर्बाद ही लगेंगे उन्हें !"

"लगे भी तो क्या ममा? अभी वे खुश हैं तो क्यूं न खुश हो लें? आगे की जिंदगी किसने देखी है ममा ! "

"यानी लोग जो भविष्य को संवारने के लिए  मेहनत करते हैं वे मूर्ख है!"

हो सकते हैं या नहीं भी , सवाल है किसे क्या चाहिए!"

नीपा अपनी बेटी रूबी के दलीलों के आगे पस्त पड़ गई थी. बेटी ने अपनी सहेली की घटना सुनाई तो उसे भी रूबी की चिंता सताने लगी. वो भी तो उसी पीजी होस्टल में रहती है. उसके अनुसार अब ऐसा तो अक्सर हो रहा है. जाने क्यों इसे लिव इन कह रहे हैं सब! पेरेंट बिना जाने बच्चो के फीस, बिल सबकुछ चुकाते जा रहे हैं और बच्चे!

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