“कामिनी, तुम कितनी लकी हो यार. तुम्हारी बेटी वाणी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ रही है .” कामिनी की सहेली मीना ने प्रशंसा के स्वर में कहा.

तभी मिसेस रोमा बोलीं, “बच्चे सही दिशा में चलें, बस यही कामना है. आजकल बाहर जाकर बच्चों को नए जमाने की ऐसी हवा लगती है, कि पता ही  नहीं चलता कि वे क्या कर बैठेंगे .”

कामिनी ने बड़े गर्व से कहा, मिसेस रोमा, मैं तो वाणी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं. हमारी वाणी तो इतनी संस्कारी है कि कोई गलत काम कर ही नहीं सकती. वैसे भी पढ़ाई में उसका बहुत मन लगता है. बचपन से ही मैंने तथा मेरे पति अनूप ने उसे उसे बहुत अच्छे संस्कार देने का प्रयास किया है. हमने उस पर कभी कोई प्रतिबन्ध भी नहीं लगाया . ”

मीना ने कहा, कामिनी, आजकल बच्चों के साथ दोस्त बन कर ही रहना चाहिए. सहेलियों ने मिल कर चाय, नाश्ता किया और अपने अपने घर चली गईं.

कामिनी के मन में मिसेस रोमा का वह वाक्य बार बार घूमता रहा. उसके मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे. कभी वह आधुनिकता के विषय में सोचती तो कभी अपनी बेटी के सुसंस्कारों के विषय में. उसका मन वाणी से मिलने के लिए तड़प रहा था.

कामिनी और अनूप ने वाणी से मिलने के लिए दिल्ली जाने का प्रोग्राम बनाया. उन्होंने वाणी को अपने आने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी. जब वे वाणी के अपार्टमेंट में पहुंचे तो एक युवक ने दरवाज़ा खोला. युवक को देख कर उन्हें लगा शायद वे किसी गलत पते पर पहुंच गए हैं. तभी वाणी आटा गूंथते हुए अंदर से आते हुए बोली, “कौन है डार्लिंग ?”

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