हमारे देश भारत में अकसर शहरों, सड़कों, पार्कों आदि के नाम बदले जाते हैं. कोरोना ने तो विश्व को ही बदलने पर मजबूर कर दिया है. हालत यह हो गई है कि अब एक देश अपनी करेंसी को बदल रहा है.

भारत के दोस्तदेश ईरान की संसद ने अपनी राष्ट्रीय मुद्रा ‘रियाल’ से चार शून्य कम करने के लिए एक विधेयक पारित कर दिया है. ईरान की करेंसी रियाल को कुछ समय बाद ‘तोमान’ के नाम से जाना जाएगा.

इस प्रस्ताव को मंज़ूरी देने के पीछे एक कारण अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ईरानी करेंसी की छवि में सुधार करना बताया जा रहा है. इस योजना पर 2 वर्षों में अमल किया जाएगा, धीरेधीरे रियाल का संचालन बंद हो जाएगा और उसकी जगह तोमान ले लेगा. एक तोमान 10,000 रियाल के बराबर होगा.

मुद्रा यानी करेंसी, दरअसल, पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है. इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं. आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है. मसलन, भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है.

ईरानी सांसदों का कहना है कि इस क़दम से नोटों की छपाई पर आने वाला अरबों रियाल का ख़र्च बच जाएगा. ईरानी करेंसी का नाम बदलने का यह फ़ैसला ऐसे समय में किया गया है जब अमेरिकी डौलर के मुक़ाबले में रियाल की क़ीमत बेहद गिर गई है. ओपन मार्केट में 1 डौलर की क़ीमत 1,50,000 रियाल से ज्यादा है.

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चार शून्यों के हटाने से न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान की करेंसी की छवि में सुधार होगा, बल्कि लोगों के लिए भी आसानी होगी, इसलिए कि किसी भी चीज़ की क़ीमत लगाने या पैसे ट्रांसफर करने में उन्हें कई शून्यों की गिनती करनी होती थी. इसके अलावा समय भी बरबाद होता था और कुछ लोग तो कभीकभी टोटल अमाउंट में ग़लती भी कर जाते थे. इससे विदेशी मुद्रा दरों के मुक़ाबले में ईरान की मुद्रा के अधिक मूल्यवान होने की भी उम्मीद है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कहना आसान है लेकिन करना बहुत मुश्किल है.

दरअसल, रियाल से 4 जीरो हटाने की बातें साल 2008 से चल रही हैं. लेकिन इसको मजबूती साल 2018 के बाद से मिली. 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर एक बार फिर बेहद सख्त प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका ने 2015 में ईरान के साथ हुई न्यूक्लियर डील को नहीं माना था. इसके बाद रियाल अपनी 60 प्रतिशत से ज्यादा वैल्यू खो चुका है. फौरेन एक्सचेंज की वैबसाइट्स के मुताबिक, रियाल की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि एक डौलर के मुकाबले 1 लाख 56 रियाल का स्तर आ गया है.

ईरान के सैंट्रल बैंक का मानना है कि इससे देश के आर्थिक हालात में सुधार आएंगे और वैश्विक स्तर पर डौलर के सामने देश की करेंसी की स्थिति भी ठीक होगी. लेकिन ऐक्सपर्ट्स की राय है कि इससे वैश्विक विनिमय में भले ईरान की स्थिति सुधरे लेकिन देश के भीतर महंगाई पर इसका कोई असर नहीं होगा.

तोमन का होता रहा है इस्तेमाल :

ऐसा नहीं है कि तोमन का इस्तेमाल ईरान में पहली बार हो रहा है. दरअसल, ईरान की औफिशियल करेंसी रियाल है और दस रियाल को एक तोमान कहा जाता है. नए बदलाव के बाद 1तोमान अब 10,000 रियाल के बराबर होगा.

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