15वीं लोकसभा के लिए जब आम चुनाव हो रहे थे तो देश के अनेक ज्योतिषियों ने टेलीविजन चैनलों पर कई भविष्यवाणियां की थीं. किसी ने लालकृष्ण आडवाणी को अगला प्रधानमंत्री बताया तो किसी ने शरद पवार के नाम पर अपनी मुहर लगा दी. राहुल गांधी, ममता बनर्जी, प्रकाश करात तथा मायावती आदि के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणियां भी की गई थीं. पर इन ज्योतिषियों की सभी दलीलें, गणनाएं और भविष्यकथन झूठे निकले. मजे की बात यह है कि अपनी गलत भविष्यवाणियों के लिए जनता से क्षमा मांगने के बजाय ये ज्योतिषी चैनलों पर जनता को प्रवचन और मार्गदर्शन देने फिर आ पधारे हैं. इस से बड़ा आश्चर्य तो यह है कि आम जनता इस झूठ को फिर उसी श्रद्धा से सुन रही है. ज्योतिष भी एक नशा है : ज्योतिषियों की बात चली तो एक व्यक्तिगत प्रसंग याद आ गया है. बरसों पहले मेरे एक मित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए. पहाड़ों में भूस्खलन से इस यात्रा में गए अनेक यात्री जान से हाथ धो बैठे, यहां तक कि उन के शवों की पहचान तक न हो सकी. इन में मेरे मित्र भी शामिल थे क्योंकि महीनों बीत जाने पर भी वे नहीं लौटे थे. इस के बाद भी मेरे मित्र की पत्नी को यह लग रहा था कि उन के पति मरे नहीं हैं और एक न एक दिन वे अवश्य वापस लौट आएंगे.

घटना के महीनों बाद घर के लोगों को अचानक यह विचार आया कि क्यों न किसी बडे़ ज्योतिषी से इस बारे में परामर्श किया जाए. यह काम उन्होंने मुझे सौंप दिया क्योंकि मेरे मित्रों में एक बड़े ज्योतिषी भी थे. मित्र की जन्मकुंडली व अन्य कागजात मैं ने ज्योतिषी को सौंप उन्हें स्थिति से अवगत कराते हुए निवेदन किया कि शीघ्रातिशीघ्र हमें अपनी राय दें. यह कहानी तो लंबी है पर संक्षेप में इतना ही कहूंगा कि करीब 2 महीने की दौड़धूप के बाद अंतत: उन्होंने मुझे कुछ इस प्रकार के उत्तर दिए : ‘‘आप के मित्र की कुंडली का गहन अध्ययन करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि मंगल और चंद्र आप के मित्र के जबरदस्त हितैषी हैं तो शनि और शुक्र की वर्तमान स्थिति उन के प्रतिकूल है. ऐसे में वे जीवित भी हो सकते हैं परंतु मृत्युयोग भी दिख रहा है.’’

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