केतकी जानी, बाल्ड ब्यूटी

अगर दिल में कुछ करने की ठान ली हो तो स्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों व्यक्ति उन से लड़ कर अपनी मंजिल पा लेता है. इस का उदाहरण हैं पुणे निवासी बाल्ड ब्यूटी केतकी जानी, जिन्हें 40 साल की उम्र में पता चला कि उन्हें ऐलोपेसिया नामक बीमारी हुई है. तब उन के केश झड़ गए और वे डिप्रैशन में चली गईं, क्योंकि डाक्टरों ने इलाज असंभव बताया था. मगर एक दिन केतकी ने सोचा कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है. अत: हिम्मत कर वे इस दौर से निकलीं और कई अवार्ड जीते, जिन में ‘भारत प्रेरणा अवार्ड,’ ‘मिसेज यूनिवर्स,’ ‘वूमन औफ कौन्फिडैंस 2018’ आदि शामिल हैं. आइए सुनते हैं उन की कहानी उन्हीं की जबानी:

सवाल- आप ने जब पहली बार जाना कि आप को ऐलोपेसिया हुआ है और आप के बाल नहीं रहेंगे तो आप की क्या प्रतिक्रिया थी?

मैं 2 बेटियों की मां हूं. मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश थी, लेकिन मेरी जिंदगी में ऐलोपेसिया की चिनगारी ऐसी लगी कि मेरा सुखचैन सब छिन गया और मैं डिप्रैशन में चली गई.

40 साल की उम्र में जब मैं एक दिन औफिस गई और बालों को सहला रही थी तो मैं ने पाया कि एक कान के पीछे मेरा हाथ सिर की स्किन पर लगा. मैं घबरा गई और अपनी सहकर्मी को दिखाया. उस ने कहा कि सिर पर छोटी सी जगह पर बाल चले गए हैं. पहले मैं घबराई नहीं, क्योंकि मेरे बाल बहुत घने थे. डाक्टर के पास गई तो उन्होंने एक ट्यूब लगाने की सलाह दी, लेकिन उस से कोई फायदा नहीं हुआ और 6 से 8 महीने में मेरे पूरे बाल चले गए. मैं सोच नहीं सकती थी कि मेरे साथ ऐसा होगा. हालांकि डाक्टर ने बताया भी था कि मुझे यह बीमारी है, पर मेरा मन नहीं मान रहा था.

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