कोरोना के कहर से जहां कई क्षेत्र धीरे धीरे बाहर आने लगे हैं, वहीं खेलों की दुनिया में अब भी सन्नाटा है. हालांकि अपवाद के तौरपर 117 दिनों बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत हो चुकी है. कई फुटबाॅल लीगों के भी गुड बिल मैसेज के तौरपर कुछ मैच हो चुके हैं और इसी तरीके से कई दूसरे खेलों में भी कोरोना के बाद एक दो मैच हो चुके हैं. लेकिन ये सब मैच प्रतीक के तौरपर ही हुए हैं. समग्रता में खेलों की दुनिया अभी भी थमी हुई है. क्रिकेट, फुटबाॅल, टेनिस सभी बड़े खेलों का यही हाल है. हर तरफ सन्नाटा है. कुछ खेलों जैसे मुक्केबाजी और कुश्ती के बारे में तो अभी सोचना ही करीब करीब मुश्किल हो चुका है कि ये कब शुरु होंगे?

कोरोना ने यूं तो हर क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया है. कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा, जहां इसके कहर के चिन्ह न दिख रहे हों. लेकिन जहां तक खेलों की अर्थव्यवस्था का सवाल है, तो उसे तो कोरोना ने लगभग मटियामेट ही कर दिया है. यह कितने बड़े आश्चर्य की बात है, जो खेलों की दुनिया आमतौर पर मंदी से मुक्त रहती थी, वही खेलों की दुनिया अब पूरी तरह से कंगाल और दिवालिया हो चुकी है. टोक्यो ओलंपिक 2021 तक स्थगित हो चुके हैं. फुटबाॅल, क्रिकेट, टेनिस, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, रेसिंग, वेट लिफ्टिंग और एथलेटिक्स की सारी वैश्विक प्रतिस्पर्धाएं करीब करीब 2021 तक स्थगित हो चुकी हैं. हर खेल को आर्थिक रूप से जबरदस्त नुकसान हो चुका है; क्योंकि इनके जिन जिन आयोजनों, के जरिये कमायी होनी थी, वो सब टल चुके हैं या हमेशा के लिए रद्द हो चुके हैं.

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