घाटकोपर रेलवे स्टेशन पर लोकल ट्रेन पकड़ते वक्त हुई चूक से मोनिका मोरे नामक 16 वर्षीय लड़की ने 11 जनवरी, 2014 अपने दोनों हाथ गंवा दिए. नेहरूनगर, कुर्ला में रहने वाली मोनिका उस दिन दोपहर में घाटकोपर रेलवे स्टेशन में लोकल ट्रेन पकड़ते वक्त हाथ फिसल जाने से नीचे गिर गई थी. इस घटना के बाद उसे पहले राजावाडी अस्पताल में भरती कराया गया, लेकिन उस के तुरंत बाद उसे केईएम अस्पताल में ले जाया गया.

इस दौरान काफी खून बह जाने पर भी उस का शीघ्रता से एक औपरेशन तो किया गया, लेकिन टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए निश्चित समय में औपरेशन न होने से उसे अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े. उस के और उस के परिवार पर अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन मोनिका के लिए बहुत से हाथ आगे आए और उन्होंने पैसों की मदद की. इस से जीने की एक नई उम्मीद उसे मिली. और अब तो मुंबई का केईएम अस्पताल मोनिका का दूसरा घर बन गया है.

गुजरे महीनों के दुखदायक और तनाव भरे माहौल में उस की जिंदगी में डा. भोसले और उन की टीम के कारण आशा की एक नई किरण आई, क्योंकि उन के लगाए गए मायोइलैक्ट्रिक आर्टिफिशियल हाथों के कारण अब वह एक बार फिर से लिखने लगी है. वे आर्टिफिशियल हाथ जरमनी से मंगाए गए हैं.

डा. प्रदीप भोसले एक डाक्टर के नाते मोनिका की प्रगति पर बहुत ही खुश हैं, क्योंकि जिस लड़की ने अपने दोनों हाथ एक दुर्घटना में गंवाए हैं, वही आर्टिफिशियल हाथों की सहायता से एक बार फिर नए सिरे से लिखना और चीजों को उठाना सीख रही है और ड्राइंग बना रही है.

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