हरियाणा के पंचकूला जिले के एक छोटे से गांव जयसिंहपुरा की रहने वाली 29 वर्षीय शिवजीत भारती के पिता गुरनाम सैनी अखबार बेचने का काम करते हैं. एक दिन उन की खुशी का ठिकाना न रहा जब उन्हीं समाचारपत्रों की सुर्खियों में उन की अपनी बेटी का नाम रोशन हो रहा था. गांव की इस बेटी का सलैक्शन पहले ही प्रयास में हरियाणा सिविल सर्विस में हुआ था. वर्तमान में वे चंडीगढ़ में डिप्टी सैक्रेटरी उप सचिव कोपरेशन डिपार्टमैंट सहकारिता विभाग में कार्यरत हैं.

शिवजीत की मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं. शिवजीत भारती ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से मैथ्स में ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन किया है. आर्थिक तंगी के कारण वे अच्छी कोचिंग प्राप्त नहीं कर पाईं थीं पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. किताबों, पत्रिकाओं, अखबारों और यूट्यूब वीडियोज का सहारा ले कर सफलता पाई. अतिरिक्त कमाई के लिए वे अपने घर पर ही छात्रों को ट्यूशन भी पढ़ाती थीं. 2 महीने पहले उन्होंने लव मैरिज की है. उन के पति भी सिविल सर्विसेज में हैं. पति मध्य प्रदेश के हैं, मगर अब हरियाणा सिविल सर्विस कंपीट कर के भारती के साथ चंडीगढ़ में ही हैं.

आर्थिक मजबूती जरूरी

यह पूछने पर कि वे किन समस्याओं पर सब से पहले ध्यान देना चाहती हैं? तो शिवजीत बताती हैं, ‘‘मैं हरियाणा में सैक्स रेश्यो के इम्प्रूवमेंट के लिए काम करना चाहेंगी जिस में हरियाणा काफी कमजोर है. दूसरी कोशिश ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के लिए करना चाहेंगी. सोसाइटी में अपनी जगह बनाने के लिए महिलाओं और लड़कियों का आर्थिक रूप से इंडिपैंडैंट होना काफी जरूरी है.

ऐसी महिलाएं बच्चों को भी एक अलग प्रोस्पैक्टिव दे सकती हैं. महिला घर से भी काम कर सकती है. छोटे बिजनैस कर सकती है. इस से महिला का आत्मविश्वास बढ़ता है और परिवार को भी आर्थिक सहयोग मिलता है.’’अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए शिवजीत कहती हैं, ‘‘मेरे पिता न्यूज पपेर बेचने का काम करते थे. मां आंगनबाड़ी में काम करती हैं. 1 बहन और 1 भाई और है. भाई स्पैशल चाइल्ड है. हम फाइनैंशियली स्ट्रौंग नहीं थे, मगर मेरे पेरैंट्स सपोर्टिव थे. जब मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली गई तो सोसाइटी में सब बोलते थे कि बेटी को इतनी दूर भेज दिया. तब लोग मेरे पिता को समझते थे कि इस की शादी करा दो. मगर मेरे पेरैंट्स ने उन की बातों पर ध्यान नहीं दिया और तभी आज मैं इस मुकाम पर हूं.’’

आज भी महिलाओं के लिए समाज की स्टीरियोटाइप थिंकिंग से पार पाना कितना मुश्किल है? इस सवाल के जवाब में शिवजीत कहती हैं, ‘‘अगर फैमिली खासकर पेरैंट्स सपोर्टिव हैं, आप का हस्बैंड और बौस की सपोर्ट है और आप के अंदर आत्मविश्वास है तो आप हर बाधा पार कर सकती हैं. यही वजह है कि लाख बाधाओं के बावजूद महिलाओं ने खुद को हमेशा प्रूव किया है. महिलाओं में किसी भी परेशानी या दुख से उबरने और कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता बहुत अधिक होती है.’’

मां से मिली प्रेरणा

शिवजीत भारती को हमेशा अपनी मां से प्रेरणा मिली है. वे बताती हैं, ‘‘मेरा भाई स्पैशल चाइल्ड है जबकि मां वर्किंग वूमन थीं. वे घर का काम भी करती थीं और जौब भी. मेरे भाई को भी संभालती थीं. यदि किसी के घर में स्पैशल चाइल्ड होता है तो इंसान और सबकुछ भूल जाता है. जौब भी भूल जाता है और दूसरे बच्चों को भी. मगर मेरी मां ने सबकुछ बहुत अच्छे से संभाला.

संदेश

महिलाओं को संदेश देते हुए भारती कहती हैं, ‘‘वे यह न सोचें कि बेटी हैं तो उन की ऐजुकेशन, जौब या ऐंपावरमैंट औप्शनल है. जितना यह सब बेटे के लिए जरूरी है उतना ही बेटी के लिए भी. फाइनैंशियल इंडिपैंडैंस औप्शनल नहीं है. महिलाएं जब पढ़ेंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तभी दुनिया बदलेगी, समाज में समानता आएगी.’’

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