लेखिका- प्रेमलता यदु

धीमी आवाज ‌में बज रहा‌ इंस्ट्रुमैंटल सौंग और मद्धिममद्धिम जलती हाल की रोशनी में रत्ना‌ अपने घर के सोफे पर लगभग लेटी हुई, धुआं उड़ाती बीचबीच में व्हिस्की के घूंट लिए जा रही है. हर घूंट के साथ उसे अपने और शेखर के रिश्ते के बीच आई शोभना का खिलखिलाता, दमकता चेहरा जोरजोर से उस पर हंसता हुआ दिखाई दे रहा है. वह उस चेहरे को नोच लेना‌ चाहती‌ है, क्योंकि उसी चेहरे की वजह से ही उस का सबकुछ बरबाद हो गया. शेखर उस से‌ सदा के लिए दूर चला गया.

रत्ना ने घबरा कर अपनी आंखें मूंद लीं और दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिए ताकि वो शोभना को‌ देख, सुन न सकें. लेकिन ऐसा मुमकिन न था क्योंकि यह मायाजाल ‌रत्ना‌ ने खुद ही बुना था. रत्ना गुस्से और घबराहट में गिलास में रखी व्हिस्की एक ही घूंट में पी गई और लड़खड़ाते कदमों व कंपकंपाते हाथों से दूसरा पैक बनाने लगी. ‌दोबारा पैक‌ बना कर म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम थोड़ा बढ़ा वह‌ फिर सोफे ‌पर‌ पसर गई.

रत्ना ने सोचा भी न था कि हालात‌ इतने बिगड़ जाएंगे और उसे कभी ऐसा कदम भी उठाना पड़ेगा, पर न जाने कैसे हालात बनते चले गए और वह गिरह में फंसती चली गई.

आज भी उसे याद है वह दिन जब उसे पहली बार शोभना और शेखर के रिश्ते के बारे में पता चला था. वह बहुत रोई‌ थी. वही ‌दिन था जिस दिन से शेखर और उस के झगड़े की शुरुआत हुई. उस के बाद से तो जैसे शेखर और उस के बीच कभी कुछ सामान्य रहा ही नहीं. ‌एक ही छत में दोनों अजनबियों की तरह दिन गुजारने लगे. उन्हीं हालात के बीच रत्ना की मुलाकात रोहित से हुई जो फिटनैस सैंटर का नया ट्रेनर था.‌ रोहित से रत्ना की पहली मुलाकात फिटनैस सैंटर के चेंजिंगरूम के बाहर हुई थी.

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