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दोनों को एकसाथ रहते हुए सालभर से ऊपर हो चुका था. न लिली अमित को अपने मांबाप से मिलवाती, न ही शादी के लिए उस के मन में कोई  खयाल आता.

आजिज आ कर एक दिन अमित ने साफसाफ लफ्जों में शादी करने के  लिए कहा.

‘‘ठीक है, मैं शादी करने के लिए तैयार हूं, मगर हम रहेंगे कहां? क्या हमारे पास कोई अपना फ्लैट है?’’

‘‘शादी से फ्लैट का क्या ताल्लुक?’’ अमित के सवाल पर लिली तुनक उठी, ‘‘जब तक अपना फ्लैट नहीं होगा, मैं शादी नहीं करूंगी.’’

अमित की लिली के बगैर जिंदगी की कल्पना भी बेमानी थी. वह उस के दिलोदिमाग पर छा चुकी थी. उस ने काफी दिमाग दौड़ाया. बनारस में पुश्तैनी मकान था. क्यों न उसे बेच कर मुंबई में फ्लैट खरीद लिया जाए? विचार बुरा नहीं था. लिली को अमित का आइडिया पसंद आया.

अमित अगले दिन औफिस से छुट्टी ले कर बनारस आया.

‘‘तुम ने कैसे सोच लिया कि हम पुश्तैनी मकान बेच कर मुंबई में रहने लगेंगे? रही शादी की बात, तो यहीं कोई लड़की देख कर शादी कर लो. मु झे वह लड़की बिलकुल पसंद नहीं है,’’ अमित के पापा ने साफ शब्दों में कहा.

‘‘पापा, हम कई महीनों से लिव  इन रिलेशनशिप में हैं,’’ सुनते ही पापा भड़क गए.

‘‘शर्म नहीं आती ऐसी बातें करते हुए. कैसी बेशर्म लड़की है, जो बिना शादी किए तुम्हारे साथ रहती है? और कैसे मांबाप हैं उस के, जो लड़की को बिना शादी किए किसी गैर लड़के के साथ रहने की इजाजत दे दी?’’

अमित अपनी मां की तरफ देख कर लाचार भरे लहजे में बोला, ‘‘मम्मी, तुम्हीं पापा को सम झाओ. आजकल ऐसे ही चलता है. पहले हम साथ रह कर एकदूसरे को सम झते हैं, फिर ठीक लगता है तो शादी करते हैं, वरना एकदूसरे से अलग हो जाते हैं.’’

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