कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘प्यार नहीं तो साथ रहने की क्या तुक? आज मु झे अपने पिता की रत्तीभर याद नहीं आती. उम्र के इस पड़ाव पर मैं सोचती हूं मेरी जिंदगी है, चाहे जैसे जिऊं. उन्होंने भी अपने समय में यही सोचा होगा? पर तुम इतना सीरियस क्यों हो?’’

‘‘क्रिस्टोफर, मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. ताउम्र तुम्हारा साथ चाहिए मु झे,’’ मैं भावुक हो गया. क्रिस्टोफर हंसने लगी.

‘‘मैं भाग कहां रही हूं? इंडिया आतीजाती रहूंगी. अभी तो मेरा प्रोजैक्ट अधूरा है.’’

‘‘यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है. तुम्हारे बगैर जी नहीं सकूंगा.’’

‘‘तुम इंडियन शादी के लिए बहुत उतावले होते हो. शादी का मतलब भी जानते हो?’’ क्रिस्टोफर का यह सवाल मु झे बचकाना लगा. अब वह मु झे शादी का मतलब सम झाएगी? मेरा मुंह बन गया. मेरा चेहरा देख कर क्रिस्टोफर मुसकरा दी. मैं और चिढ़ गया.

‘‘क्यों अपना मूड खराब करते हो. यहां हम लोग एंजौय करने आए हैं. शादी कर के बंधने से क्या मिलने वाला है?’’

‘‘तुम नहीं सम झोगी. शादी जिंदगी को व्यवस्थित करती है.’’

‘‘ऐसा तुम सोचते हो, मगर मैं नहीं. मेरी तरफ से तुम स्वतंत्र हो.’’

‘‘तुम अच्छी तरह सम झती हो कि मैं सिर्फ तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘तब तो तुम को इंतजार करना होगा. जब मु झे लगेगा कि तुम मेरे लिए अच्छे जीवनसाथी साबित होगे, तो मैं तुम से शादी कर लूंगी. मैं किसी दबाव में आने वाली नहीं.’’

‘‘मैं तुम पर दबाव नहीं डाल रहा.’’

‘‘फिर इतनी जल्दबाजी की वजह?’’

‘‘मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता. क्या तुम मु झ से प्रेम नहीं करतीं?’’

‘‘प्रेम और शादी एक ही चीज है?’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...