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सुनील की पार्टी के लिए मैं ने खास तैयारी की, फिगर मेरा मस्त है ही. खूब ध्यान रखती हूं अपना. मैं ने उस दिन बहुत स्टाइलिश तरीके से साड़ी पहनी. स्लीवलेस ब्लाउज. सुंदर सी हील. शोल्डर कट बालों को बढ़िया कर्ल किया. शानदार मेकअप. मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए जयराज ने अपनी बांहों में भर लिया, “ये तुम किस के लिए इतना तैयार हो गई, डार्लिंग?’’

“तैयार तो मूवी के लिए होना था, पर आप भजन, कीर्तन में ले जा रहे हो तो कम से कम मैं तैयार तो अपनी मरजी का हो ही सकती हूं.’’

सुनील की पत्नी रीना अच्छाखासा फैली हुई महिला हैं, ड्रेसिंग सेंस जीरो है. मुझे अकसर जलन के भाव से देखती हैं, मैं ठहरी औरत. दूसरी औरत के मन के भाव पढ़ने में एक्सपर्ट. पुरुष बेचारे ये सब नहीं जानते. ये गुण तो हमें ही मिला है.

सुनील स्मार्ट है, और पार्टी में तो काफी स्टाइलिश लग रहा था. मेरी ही उम्र का होगा. जयराज को सर कहता है, मेरा नाम लेता है. रीना मुझ से 2 साल छोटी होगी. भजन चल रहे थे, तो मैं अनमनी सी उठ कर स्विमिंग पूल के पास आ कर टहलने लगी. सब को अंदाजा है कि मैं भजन, कीर्तन के दौरान बहुत देर तक नहीं बैठती, बाहर टहलती रहती हूं, आज तो मजा तब आया, जब सुनील भी उठ कर मेरे पीछे आ गया. यह देख मैं चौंकी, ''अरे, आप की तो पार्टी है, आप क्यों उठ कर आ गए?’’

मुझे जयराज पर कितना भी गुस्सा आता हो, पर मैं उन्हें प्यार भी करती हूं, परपुरुष में इतनी रुचि नहीं लेती कि बात बढ़े. हां, अभी शरारत सूझी थी तो मुसकराते हुए बोल पड़ी, “आज आप बहुत अच्छे और खुश लग रहे हैं.’’

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