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उस के जाने के बाद लीना ने सारे कागज देखे, 1 एकड़ जमीन और 3 फ्लैट वासन ने परिवार के नाम कर दिए थे. उस ने फौरन अपने एक एडवोकेट चाचा को फोन मिलाया और सब बताया. चाचाजी ने सलाह दी कि वासन को फोन कर के कोर्ट में बुलाओ और विधिवत सारे कागज लो. लीना ने ऐसा ही किया.

दूसरे दिन वासन को कोर्ट में आने को कहा. लीना के कहे अनुसार ठीक समय पर वासन वहां पर हाजिर था. जज के सामने विधिवत सारी प्रौपर्टी लीना और बच्चों की हो गई.

जज ने वासन से पूछा, ‘‘तुम ने अपने लिए कुछ नहीं रखा?’’

वासन बोला, ‘‘मैं बहुत अच्छा कमाता हूं. मैं और प्रौपर्टी बना लूंगा. लीना को तो बच्चों को पढ़ाना है और उन के विवाह भी करने हैं, इसलिए उसे सब चीज की जरूरत है. ‘आई लव माई फैमिली’.’’ वही डायलौग उस ने कोर्ट में भी दोहरा दिया था. उस से यह पूछने वाला कोई नहीं था कि फैमिली को प्यार करते हो तो उन्हें क्यों छोड़ा?

जीवन अपनी रफ्तार से चलने लगा. धीरेधीरे सब रिश्तेदारों और दोस्तों को भी पता लग गया कि वासन अब दूसरी औरत के साथ रहता है पर लीना के साथ तलाक नहीं हुआ है. लोग आ कर लीना को बताने की कोशिश करते कि उन्होंने वासन को एक औरत के साथ देखा पर लीना सभी को चुप करा देती कि उसे वासन के बारे में कुछ भी नहीं सुनना है. उस ने वासन का अध्याय ही अपनी जीवनरूपी पुस्तक से फाड़ कर फेंक दिया था.

7 साल बीत गए. मंगला अब डाक्टर बन चुकी थी और आस्ट्रेलिया में प्रैक्टिस कर रही थी जबकि शुभम इंजीनियर बन अमेरिका में रह रहा था. लीना ने अपना कैटरिंग का काम सफलतापूर्वक चलाया हुआ था. दोनों बच्चों के विवाह में वासन को निमंत्रणकार्ड भेजा गया और वह आया भी. बेटी की शादी में तो उस ने पूरा खर्चा उठाया और कन्यादान भी किया. पर लीना ने पलट कर कभी वासन की खोजखबर नहीं ली. वह आत्मसम्मान से भरी हुई थी.

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