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खाना देख कर देव चौंका. फिर कुछ बोलता कि उस से पहले वह बोल पड़ी, ‘‘मैं समझ गई. आप यही कहना चाह रहे हैं न कि इस की क्या जरूरत थी? लेकिन लगा खुद के लिए बना ही रही हूं जो जरा ज्यादा बना लेती हूं. वैसे सुबह की जली ब्रैड की खुशबू उतनी भी खराब नहीं थी,’’ बोल कर जब व हंसी, तो देव को भी हंसी आ गई.

बातोंबातों में ही उस ने बताया कि वह लखनऊ से है और उस का पति दुबई में अपना व्यापार करता है. वह भी वहीं रह रही थी, पर उसे अपने देश के लोगों के लिए कुछ करना था, इसलिए वह यहां आ कर एक एनजीओ से जुड़ गई.

‘‘आज के लिए बस इतना ही और बरतन की चिंता मत कीजिएगा. सुबह आ कर ले जाऊंगी,’’ कह कर वह चली गई.

देव उसे जाते देखता रह गया. फिर सोचने लगा कि कैसी अजीब औरत है यह?

सुबह भी बरतन लेने के बहाने वह देव के लिए आलूपरांठे और दही ले कर पहुंच गई.

‘‘इस की क्या जरूरत थी प्लीज, आप नाहक परेशान हो रही हैं,’’ देव बोला.

मगर वह कहने लगी, आप में मुझे अपने भाई का अक्स दिखाई देता है जो अब इस दुनिया में नहीं रहा.

‘‘ओह, सौरी, मेरा इरादा आप का दिल दुखाने का नहीं था,’’ अफसोस जताते हुए देव बोला.

अब वह रोज देव के लिए कुछ न कुछ बना कर ले आती और देव उसे मना नहीं

कर पाता.

देव अनु को सब बताना चाहता था, पर डर भी रहा था कि वह फिर उसे डांटेगी और कहेगी कि क्यों वह इतनी जल्दी किसी पर भरोसा कर बैठता है? लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वह चुप न रह सका और अनु को सब बता दिया.

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