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लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुबह की लालिमा नंदिनी का चेहरा भिगो रही थी. पर नंदिनी के चेहेरे पर अभी भी आलस की अंगड़ाई अपनी बांहें फैलाए बैठी थी. तभी नंदिनी को अपने बालों पर जय की उंगलियों का स्पर्श महसूस हुआ. 6 वर्षों से जय के प्रेम का सान्निध्य पा कर नंदिनी के जीवन में अलग ही चमक आ गई थी. उस ने अपने पति जय की तरफ करवट ली और एक मुसकान अपने अधरों पर फैला ली.

‘हैप्पी एनिवर्सरी मेरी जान,’ जय ने नंदिनी के चेहरे को चूमते हुए कहा.

‘सेम टू यू माई डियर,’ प्रेम का प्रस्ताव पाते ही नंदिनी जय के समीप चली गई.

‘तो आज क्या प्रोग्राम है आप का?’ जय ने नंदिनी को अपनी बांहों में कसते हुए पूछा.

‘प्रोग्राम तो तुम को तय करना है. आज तो मुझे बस सजना और संवरना है,’ नंदिनी ने जय को देखते हुए कहा और उस के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान तैर गई.

‘तुम शादी के 6 वर्षों बाद भी नहीं बदली हो. आज भी उतनी ही खुबसूरत और...,’ जय ने शरारती लहजे में नंदिनी को देखते हुए कहा. वह जानता था, नंदिनी आज भी उतने ही जतन से सजा करती है जितने जतन से वह शादी के बाद सजती थी.

अजय उस की खूबसूरती और सादगी का दीवाना था. आस्ट्रेलिया में दोनों मिले थे. जय अपनी पढ़ाई के सिलसिले में मेलबोर्न गया था. अजनबी देश में एकमात्र सहारा जय का दोस्त सुनील था, जो वहां अपने रिश्तेदार के साथ रह रहा था. सुनील के रिश्तेदार की बेटी नंदिनी थी.

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